परिचय
जन्म : 16 अगस्त 1904, निहालपुर, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, कहानीमुख्य कृतियाँ
कविता संग्रह : मुकुल, त्रिधारा
कहानी संग्रह : बिखरे मोती, उन्मादिनी, सीधे साधे चित्र
निधन
15 फरवरी 1948, जबलपुर (मध्य प्रदेश)
विशेष
सुभद्रा कुमारी चौहान के साहित्य में जो स्वाभाविक प्रवाहमयी सरलता है और जो अहेतुक गंभीर मुद्रा का खटकता सा लगनेवाला अभाव है, उसका कारण है जीवन के उस मौलिक उद्वेग का राग, जिसने समाज में भिन्न-भिन्न रूप धारण किए। राष्ट्रीय आंदोलन उसका एक रूप था, उसकी एक अभिव्यक्ति थी। स्त्रियों की स्वाधीनता का प्रश्न उसका दूसरा रूप था और पतित जातियों का उत्थान तीसरा। ...कुछ विशेष अर्थों में सुभद्रा जी का राष्ट्रीय काव्य हिंदी में बेजोड़ है। क्योंकि उन्होंने उस राष्ट्रीय आदर्श को जीवन में समाया हुआ देखा है, उसकी प्रवृत्ति अपने अंतःकरण में पाई है, अतः वह अपने समस्त जीवन-संबंधों को उसी प्रवृत्ति की प्रधानता पर आश्रित कर देती हैं, उन जीवन संबंधों को उस प्रवृत्ति के प्रकाश में चमका देती हैं। ...सुभद्रा कुमारी चौहान नारी के रूप में ही रहकर साधारण नारियों की आकांक्षाओं और भावों को व्यक्त करती हैं। बहन, माता, पत्नी के साथ-साथ एक सच्ची देश सेविका के भाव उन्होंने व्यक्त किए हैं। उनकी शैली में वही सरलता है, वही अकृत्रिमता और स्पष्टता है जो उनके जीवन में है। - गजानन माधव मुक्तिबोध