परिचय
मूल नाम : अमीर सैफ़ुद्दीन ख़ुसरो
जन्म : 1253 एटा (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदी, उर्दू, फारसी, ब्रजभाषाविधाएँ : कवितामुख्य कृतियाँ
मसनवियाँ -
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मल्लोल अनवर
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शिरीन खुसरो
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मजनू लैला
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आईने-ए-सिकन्दरी
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हश्त विहिश्त
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अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई
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अम्मा मेरे बाबा को भेजो री
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आ घिर आई दई मारी घटा कारी।
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ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
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कह-मुकरियाँ
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काहे को ब्याहे बिदेस
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छाप तिलक सब छीनी रे
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जब यार देखा नैन भर
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ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल
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जो पिया आवन कह गए अजहुँ न आए
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जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्या
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ढकोसले या अनमेलियाँ
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तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम
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दुसुख़ने
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दैया री मोहे भिजोया री शाह निजम के रंग में।
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दोहा पहेली
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दोहे
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परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना
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पहेलियाँ
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बहुत कठिन है डगर पनघट की
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बहुत दिन बीते पिया को देखे
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बहोत रही बाबुल घर दुल्हन
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बिन-बूझ पहेली (बहिर्लापिका)
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बूझ पहेली (अंतर्लापिका)
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मेरे महबूब के घर रंग है री
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मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलाल
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सकल बन फूल रही सरसों
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सूफ़ी दोहे
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हजरत ख्वाजा संग खेलिए धमाल
तुहफ़ा-तुस-सिगर, बाक़िया नाक़िया, तुग़लकनामा, नुह-सिफ़िर
निधन
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