छ
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह अग्रतालव्य, अघोष, महाप्राण स्पर्शसंघर्षी है।
छँटना
[क्रि-अ.] 1. छाँटा जाना 2. किसी वस्तु अथवा उसके किसी अंश का कटकर अलग होना 3. छिन्न-भिन्न या तितर-बितर होना 4. किसी का अपने वर्ग या समूह से अलग होना 5. चुना
जाना 6. बिखरना।
छँटनी
[सं-स्त्री.] 1. छाँटने की क्रिया या भाव; अनेक वस्तुओं या व्यक्तियों में से कुछ का चयन कर उन्हें अलग करना; छँटाई 2. किसी कार्यालय या कार्य आदि में नियुक्त
आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों को निकालकर अलग करने या सेवा से हटाने का काम।
छँटवाना
[क्रि-स.] 1. छाँटने का कार्य दूसरे से करवाना 2. वस्तु विशेष को किसी आकार में लाने के लिए कतरना या काटना 3. अनाज को कूटकर या फटककर साफ़ करना 4. अच्छी चीज़ों
को चुनना 5. अलग करना।
छँटाई
[सं-स्त्री.] 1. छाँटने या चुनकर अलग करने का काम या भाव 2. उक्त कार्य की मज़दूरी या पारिश्रमिक।
छँटैल
[वि.] 1. जो बहुत धूर्त या छँटा हुआ हो; छँटुआ 2. छाँटा या चुना हुआ।
छंद
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्ण तथा यति (विराम) के नियमों के अनुरूप वाक्य या पद्यात्मक रचना 2. छंदशास्त्र में वर्ण या मात्राओं का वह निश्चित मान जिसके आधार पर पद्य
लिखा जाता है 3. इच्छा; अभिलाषा 4. नियंत्रण 5. रुचि 5. अभिप्राय 6. तरकीब; उपाय; युक्ति 7. बंधन; गाँठ 8. स्वेच्छाचार; मन।
छंदन
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ुश करना; प्रसन्न करना; आनंदित करना 2. रिझाना।
छंदशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें छंदों के लक्षण, भेदोपभेद तथा उदाहरण विषयक विवरण प्राप्त होते हैं; छंद-रचना विषयक शास्त्र।
छंदाघात
(सं.) [सं-पु.] छंद के शब्दों पर डाला गया संगीतात्मक बल, स्वराघात।
छंदात्मक
(सं.) [वि.] जो छंद पर आधारित हो; छंद से सुसज्जित; छंद के रूप में रचित; पद्यमय।
छंदानुवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी को छल या किसी बहाने से प्रसन्न करने की क्रिया या भाव 2. स्वार्थपरता 3. चापलूसी; ख़ुशामद।
छंदित
(सं.) [वि.] 1. जिसे छल आदि से प्रसन्न किया गया हो; आनंदित किया हुआ 2. संतुष्ट किया हुआ।
छंदोगति
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी छंद योजना जिसे पढ़ने पर शब्दों में एक प्रकार की लय या गति का अनुभव हो।
छंदोबद्ध
(सं.) [वि.] 1. जो छंद के नियमों पर आधारित हो; श्लोकबद्ध 2. वह जिसमें वर्णों और मात्राओं के एक निश्चित क्रम या आवृत्ति का पालन किया गया हो; पद्य रूप में
रचित।
छंदोभंग
(सं.) [सं-पु.] 1. छंद-रचना में नियम पालन की वह त्रुटि जिससे उसमें ठीक गति या यति का अभाव आ जाता है; छंद में यति-गति का अभाव 2. वर्ण, मात्रा आदि के नियम का
पूर्ण पालन न होना।
छक
[सं-स्त्री.] तृप्ति; परिपूर्णता 2. नशा; मद 3. आकांक्षा; लालसा। [अव्य.] ख़ूब, अच्छी तरह से, जैसे- छक कर पीना (ख़ूब मद्यपान करना)।
छकड़ा
(सं.) [सं-पु.] माल ढोने की वह छोटी गाड़ी जिसे आदमी या बैल खींचते हैं; सग्गड़; छोटी बैलगाड़ी। [वि.] धीमे चलने वाली (गाड़ी)।
छकड़ी
[सं-स्त्री.] 1. छह का समूह; छह की राशि 2. वह पालकी जिसे छह कहार उठाते हैं।
छकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ से संतुष्ट होना; तृप्त होना; अघाना 2. किसी की चातुरी से परेशान होना; हैरान होना 3. हारना 4. चकराना 5. नशे में चूर होना।
[क्रि-स.] किसी चीज़ को तृप्ति मिलने तक खाना।
छकाछक
[क्रि.वि.] 1. भलीभाँति; भरपूर; पूरी तरह से; परिपूर्ण 2. अघाया हुआ; संतुष्ट।
छकाना
[क्रि-स.] 1. तृप्त करना; पेट भरकर खिलाना-पिलाना; कुछ देकर संतुष्ट करना 2. परेशान करना 3. हैरान करना 4. चक्कर में डालना।
छक्का
(सं.) [सं-पु.] 1. छह का समूह 2. छह अंगों वाली वस्तु 3. क्रिकेट के खेल में बल्लेबाज़ द्वारा गेंद को इस तरह उछाल कर मारना कि गेंद ज़मीन का स्पर्श किए बिना
सीधे सीमा रेखा के बाहर चली जाए। [वि.] हिजड़ा; नपुंसक। [मु.] छक्के छूटना : कोई उपाय न सूझना; बुद्धि काम न करना।
छक्केबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. अत्यंत धूर्त और चालाक 2. चालबाज़ 3. क्रिकेट के खेल में छक्का मारने में सिद्धहस्त बल्लेबाज़।
छक्केबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] धूर्तता; चालाकी; चालबाज़ी।
छगन
(सं.) [सं-पु.] 1. छोटे बालक के लिए प्रयुक्त प्यार का शब्द 2. छोटा बच्चा 3. छोटा बालक।
छगल
(सं.) [सं-पु.] 1. बकरा; छाग 2. वृद्धदारक नामक पेड़।
छछिया
[सं-स्त्री.] छाछ पीने या रखने का मिट्टी का एक छोटा बरतन या पात्र।
छछूँदर
(सं.) [सं-पु.] 1. चूहे की प्रजाति का एक जंतु जिसके शरीर से बहुत दुर्गंध आती है 2. {ला-अ.} अनावश्यक इधर-उधर टहलने वाला और हर किसी से रार या झगड़ा करने वाला
व्यक्ति।
छजली
[सं-स्त्री.] 1. छोटा और पतला छज्जा 2. छज्जे के आकार की वास्तुरचना; (कारनिस)।
छज्जा
[सं-पु.] 1. दीवार के आगे बाहर निकला हुआ छत का भाग; दीवार से बाहर निकली पत्थर की पट्टी 2. ओलती; बारजा; बालकनी; अलिंद 3. टोप या हैट का आगे निकला हुआ भाग।
छज्जेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें किनारा आगे की ओर निकला हुआ हो 2. जिसमें छज्जे निकले हों।
छटंकी
[सं-स्त्री.] छटाँक भर तौल का एक बाट या बटखरा। [वि.] बहुत हलका और छोटा।
छटकना
[क्रि-अ.] 1. किसी भार या धक्के से वस्तु का वेग से दूर जाना 2. दूर या अलग रहना 3. बंधन से निकल जाना 4. कूदना; उछलना 5. किसी व्यक्ति या जंतु का अपने वर्ग,
समूह, झुंड आदि से दूर रहना या अलग हो जाना।
छटकाना
[क्रि-स.] 1. झटके से किसी चीज़ को दूर गिरा देना; फेंकना 2. छटकने में प्रवृत्त करना 3. खोलना; मुक्त करना; छोड़ देना।
छटपट
[सं-स्त्री.] छटपटाने की क्रिया या भाव। [वि.] 1. चंचल 2. फुरतीला; तेज़।
छटपटाना
[क्रि-अ.] 1. पीड़ा के कारण हाथ-पैर पटकना, फेंकना; कराहना; तड़फड़ाना; तड़पना 2. दुख आदि के कारण व्याकुल होना; बेचैन होना; अधीर होना।
छटपटाहट
[सं-स्त्री.] 1. तड़प; छटपटाने का भाव या क्रिया 2. आकुलता; बेचैनी; घबराहट 3. उत्तेजना।
छटपटी
[सं-स्त्री.] 1. छटपटाने की अवस्था या भाव 2. घबराहट 3. मन में उत्पन्न होने वाली उत्कंठा; आकुलता।
छटा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शोभा; छवि; सौंदर्य 2. दीप्ति; प्रकाश; चमक; झलक 3. बिजली 4. लुभाने या मुग्ध करने वाला सौंदर्य।
छटाँक
[सं-स्त्री.] 1. पुरानी तौल जो एक सेर के सोलहवें भाग के बराबर होती है 2. छटाँक का बाट।
छटाभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बिजली; क्षणप्रभा; बिजली की चमक; दीप्ति 2. चेहरे की कांति; मुखकांति।
छठ
[सं-स्त्री.] 1. शुक्ल या कृष्ण पक्ष की छठी तिथि 2. बच्चे के जन्म से छठे दिन की रस्म 3. कार्तिक तथा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी (छठ) तिथि को मनाया जाने
वाला एक पर्व।
छठवाँ
[वि.] 1. छठा 2. छह के स्थान पर आने वाला।
छठा
[वि.] गिनती में छह के स्थान पर पड़ने वाला; छठवाँ।
छठी
[सं-स्त्री.] 1. चांद्रमास के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की छठवीं तिथि 2. बच्चे के जन्म के छठे दिन होने वाला उत्सव या कृत्य 3. छठी के दिन (छठ पर्व में) पूजी जाने
वाली एक देवी।
छड़
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी या लोहे का पतला गोल या चौकोर डंडा 2. धातु का दंड।
छड़ना
[क्रि-स.] 1. ख़ूब मारना या पीटना 2. अनाज की भूसी अलग करना 3. ओखली में अनाज रख कर कूटना; छाँटना।
छड़ा
[सं-पु.] 1. पैर में पहनने का एक प्रकार का चूड़ी जैसा गहना 2. मोतियों की लड़ियों का गुच्छा। [वि.] अकेला; एकाकी।
छड़ापन
[सं-पु.] 1. कुँवारापन; बिना घर-गृहस्थी की अवस्था 2. अकेलापन; एकाकीपन।
छड़िया
[वि.] जिसके हाथ में छड़ी हो। [सं-पु.] ड्योढ़ीदार; द्वारपाल।
छड़ी
[सं-स्त्री.] 1. हाथ में लेकर चलने के लिए प्रयोग की जाने वाली सीधी लकड़ी 2. बाँस, बेंत या लकड़ी आदि का छोटा और पतला डंडा 3. कब्र या पीरों के मज़ार पर चढ़ाई
जाने वाली सजावटी झंडी 4. कुछ इलाकों में विवाह के अगले दिन की एक रस्म जिसमें वर-वधू एक-दूसरे को फूलदार छड़ी से पीटते हैं 4. कपड़े पर बनी सीधी रेखाएँ।
छत
[सं-स्त्री.] 1. सीमेंट, ईंट या लकड़ी से बनी घर की छाजन; छत पर डली हुई मिट्टी 2. पाटन; घर की छत के ऊपर का ढका भाग 3. रहने की जगह; आश्रय; ठिकाना 4. किसी
बनावट को ऊपर से ढकने वाला भाग।
छतगीर
[सं-स्त्री.] 1. कमरे में ऊपर वाली छत को प्रायः ढकने के लिए तानी जाने वाली चाँदनी 2. पलंग के पायों से बाँधकर खड़े किए हुए डंडों आदि पर तानी जाने वाली चाँदनी।
छतनार
[वि.] 1. (वृक्ष) जिसकी शाखाएँ छितरी या बिखरी हुई हों; जो छत्र की तरह विस्तृत हो; जिसकी डालियाँ और टहनियाँ दूर तक फैली हों; घना 2. फैला हुआ।
छतरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धूप और वर्षा से बचाव हेतु प्रयोग में आने वाली एक वस्तु; छाता 2. चिता या समाधि-स्थल के ऊपर बना हुआ मंडप 3. चँदोवा 4. घास और पत्तों से
बनी मँड़ई 5. कुकुरमुत्ता; खुम; (मशरूम) 6. कबूतरों के बैठने के लिए किसी खंभे पर बनाया गया बाँस का टट्टर 7. हवाई जहाज़ से कूदने के लिए प्रयोग किया जाने वाला
बड़ा छाता; (पैराशूट) 8. घर की छत पर बनाई गई छत्रनुमा सजावटी बनावट।
छतियाना
[क्रि-स.] 1. छाती से लगाना; सटाना 2. छाती पर या उसके पास लाना या लाकर रखना।
छत्ता
[सं-पु.] 1. छत्र; छाता; छतरी 2. मधुमक्खी का मोम का घर जो इनके द्वारा निर्मित वह रचना है जिसमें वे स्वयं रहती, अंडे देती और शहद जमा करती हैं 3. कमल का
बीजकोश।
छत्तीस
(सं.) [वि.] संख्या '36' का सूचक।
छत्तीसगढ़ी
[सं-स्त्री.] छत्तीसगढ़ की बोली। [वि.] छत्तीसगढ़ का रहने वाला।
छत्तीसा
[वि.] 1. धूर्त; चालक; चतुर; मक्कार 2. व्यभिचारी; ढोंगी।
छत्तीसी
[सं-स्त्री.] चालाक और धूर्त स्त्री।
छत्तेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसके ऊपर छत्र या छत्ता हो 2. मधुमक्खियों के छत्ते के आकार का।
छत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. राजचिह्न के रूप में राजाओं के ऊपर लगाया जाने वाला छाता 2. छतरी; छाता।
छत्रक
(सं.) [सं-पु.] 1. छाता; छतरी 2. कुकुरमुत्ता; खुमी; खुंभी।
छत्रछाया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संरक्षण; पनाह 2. शरण; रक्षा 3. छाते की तरह सुरक्षा देने वाला स्थान 4. छत्र की छाया; आश्रय।
छत्रधर
(सं.) [सं-पु.] छत्र धारण करने वाला व्यक्ति।
छत्रधारी
(सं.) [वि.] छत्र धारण करने वाला।
छत्रपति
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. चक्रवर्ती सम्राट।
छत्रबंध
[सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का चित्रकाव्य जिसमें कविता के अक्षर विशिष्ट प्रकार से सजाने से छत्र या छाते की आकृति बन जाती है।
छत्राक
(सं.) [सं-पु.] खुंभी, कुकुरमुत्ते आदि की सामूहिक संज्ञा।
छत्री
[सं-पु.] क्षत्रिय। [सं-स्त्री.] छाता; छतरी।
छद
(सं.) [सं-पु.] 1. आवरण 2. ढकने वाली चीज़ 3. चिड़िया का पंख 4. पत्ता 5. खाल 6. छाल 7. गिलाफ़; खोल।
छदाम
[सं-पु.] पुराने पैसे का चौथाई भाग।
छद्म
(सं.) [सं-पु.] 1. छल; कपट; धोखा 2. छिपाव; गोपन। [वि.] 1. छलपूर्ण; कपटपूर्ण 2. मिथ्या; झूठा 3. जाली; कृत्रिम।
छद्मभाव
(सं.) [सं-पु.] कपटपूर्ण आचरण; ढोंगयुक्त हावभाव; कृत्रिम भाव।
छद्मयुद्ध
(सं.) [सं-पु.] नकली लड़ाई; झूठी लड़ाई; ऐसा युद्ध जो देखने में लगे कि वास्तव में भयंकर लड़ाई लड़ी जा रही है परंतु वह मात्र दिखावा भर ही होती है।
छद्म लेखक
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा लेखक जो किसी अन्य व्यक्ति के लिए लिखता हो; (गोस्ट राइटर) 2. नाम बदलकर रचना करने वाला लेखक।
छद्मवेश
(सं.) [सं-पु.] 1. बनावटी परिधान; कृत्रिम वेश 2. कपटवेश।
छद्मवेशधारी
(सं.) [वि.] 1. जिसने कृत्रिम परिधान पहना हो; नकली वेश धारण करने वाला; कपटवेशधारी 2. जो प्रायः छद्मवेश धारण करके दूसरों को छलता, धोखा देता अथवा उनका मनोरंजन
करता है।
छद्मवेशी
(सं.) [वि.] बनावटी या कृत्रिम वेश वाला; जो वेश बदले हो।
छद्मावरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ को ढकने के लिए प्रयुक्त नकली आवरण या खोल 2. कृत्रिम या बनावटी आवरण।
छद्मी
(सं.) [वि.] कृत्रिम रूप धारण करने वाला; छद्मवेशी; छलवेशी; छली; कपटी।
छन
[सं-पु.] पल; क्षण। [सं-स्त्री.] झनकार; घुँघरू आदि की ध्वनि।
छनक
[सं-स्त्री.] छन-छन की ध्वनि होना; झनकार, जैसे- पायल की छनक। [सं-पु.] एक क्षण। [वि.] क्षणिक। [क्रि.वि.] क्षणभर।
छनकना
[क्रि-अ.] 1. छनछन शब्द होना 2. भड़कना; चौंकना 3. सहसा दूर हट जाना।
छनक-मनक
[सं-स्त्री.] 1. वह शब्द जो गहनों के टकराने से उत्पन्न होता है; गहनों की झनकार 2. ठसक 3. चोचला; नख़रा।
छनकाना
[क्रि-स.] 1. पानी को खौलाकर उसका परिमाण कम करना 2. गरम किए हुए बरतन में पानी डालना 3. भड़काना; चौंकाना।
छनछन
[सं-स्त्री.] 'छन' ध्वनि की आवृत्ति। [क्रि.वि.] 1. क्षण-क्षण; प्रति क्षण 2. छनकर।
छनछनाना
[क्रि-अ.] 1. गरम (खौलते हुए) घी या तेल में कोई वस्तु डालने पर छन-छन की ध्वनि उत्पन्न होना 2. तपी हुई धातु की पर्त पर पानी की बूँदें डालने से होने वाला शब्द
3. क्रोधित होना।
छनछनाहट
[सं-स्त्री.] छन-छन की आवाज़।
छनन-मनन
[सं-पु.] 1. खौलते हुए तेल, घी आदि में कुछ डालने पर होने वाला शब्द 2. घुँघरू आदि के बजने से होने वाला शब्द।
छनना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी चूर्ण या तरल पदार्थ का कपड़े या छलनी आदि से इस प्रकार गिरना कि मैल आदि ऊपर ही रह जाए 2. कड़ाही में पूरी, पकवान आदि निकलना 3. छलनी से
साफ़ होना। [मु.] गहरी छनना : गहरी मित्रता होना; ख़ूब मेल जोल होना।
छनवाना
[क्रि-स.] 1. छानने का काम दूसरे से कराना 2. नशा आदि करवाना।
छनाका
[सं-पु.] 1. छन की ध्वनि या आवाज़ 2. झनकार।
छनाना
[क्रि-स.] 1. छनवाना 2. किसी को कुछ खिलाना या पिलाना।
छन्न
[सं-पु.] 1. छन्न की ध्वनि 2. तपी हुई चीज़ पर पानी आदि पड़ने का शब्द 3. झनकार।
छन्ना
[सं-पु.] 1. ऐसा कपड़ा जिससे कोई चीज़ छानी जाए 2. चलनी; छलनी।
छप
[सं-स्त्री.] 1. किसी तरल पदार्थ में किसी चीज़ के आ गिरने से होने वाला शब्द 2. ज़ोर से छींटा पड़ने का शब्द 3. छपाक।
छपकना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ से आघात करना 2. किसी को मारना 3. पतली छड़ी आदि से प्रहार करना।
छपका
[सं-पु.] 1. पानी का छींटा 2. बाँस आदि की कमाची 3. पतली छड़ी।
छप-छप
[सं-स्त्री.] 1. छप की ध्वनि बार-बार होना; पानी में जाने या कूदने पर होने वाली ध्वनि 2. पानी या उसकी धारा पर किसी चीज़ को गिराने या फेंकने पर होने वाली ध्वनि
3. पानी को तेज़ी से छींटने-फैलाने पर होने वाली आवाज़।
छपछपाना
[क्रि-अ.] छप-छप शब्द होना। [क्रि-स.] छप-छप शब्द करना।
छपते-छपते
[सं-पु.] दैनिक समाचार पत्र में किसी नियत स्थान पर दिए जाने वाले समाचार जो आख़िरी समय में मिलते हैं और जिन्हें किसी दूसरे समाचार को हटाकर दिया जाता है।
छपद
(सं.) [सं-पु.] भौंरा; भ्रमर।
छपना
[क्रि-अ.] 1. छापे के यंत्र या ठप्पे आदि से छापा जाना 2. मुद्रित होना 3. चिह्नित या अंकित होना।
छपवाना
[क्रि-स.] दूसरे से छपवाने का काम करवाना।
छपा
(सं.) [वि.] 1. जो छप चुका हो; जो प्रकाशित हो 2. मुद्रित।
छपाई
[सं-पु.] मशीन के द्वारा होने वाली छपाई के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला व्यापक शब्द; मुद्रण कार्य; (प्रिंटिंग)। [सं-स्त्री.] 1. छापने की क्रिया या भाव 2.
छापने की मज़दूरी या पारिश्रमिक।
छपाक
[सं-स्त्री.] छप ध्वनि; छपाका।
छपाका
[सं-पु.] 1. पानी गिरने की ध्वनि 2. ज़ोर से उछाला हुआ पानी का छींटा 3. धारा के किसी वस्तु से टकराने के बाद उत्पन्न होने वाला शब्द; छपाछप।
छपाछप
[सं-स्त्री.] 1. पानी पर हाथ-पैरों से की जाने वाली छप-छप की आवाज़; पानी पर कुछ गिरने से होने वाला छपाका; फच-फच 2. भाला या तलवार इत्यादि के टकराने से उत्पन्न
ध्वनि।
छपाना
[क्रि-स.] छापने का काम दूसरे से कराना।
छप्पन
[वि.] संख्या '56' का सूचक।
छप्पनभोग
[सं-पु.] 1. छप्पन प्रकार की खाने की चीज़ें 2. तरह-तरह के स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ 3. एक धार्मिक अनुष्ठान जिसमें भगवान को छप्पन प्रकार के भोग चढ़ाए जाते हैं।
छप्पय
[सं-पु.] (काव्यशास्त्र) छह चरणों वाला एक मात्रिक छंद, जिसके पहले चरण में रोला के और फिर दो चरण उल्लाला के होते हैं।
छप्पर
[सं-पु.] 1. बाँस-लकड़ियों तथा फूस से बने कच्चे मकानों व झोपड़ियों की छत; आश्रय; झोपड़ी 2. पशु आदि के रहने के लिए घास-फूस या पत्तों से बनाई गई छाजन या छत 3.
किसी जगह के बचाव के लिए बनाई गई छत। [मु.] -फाड़कर देना : अचानक या अकस्मात अपेक्षा से अधिक देना।
छबड़ा
[सं-पु.] 1. झाबा 2. टोकरा 3. खोंचा; बड़ी छबड़ी।
छबीना
[सं-पु.] पड़ाव; डेरा।
छबीला
[वि.] 1. सुंदर; छवियुक्त 2. छैला; बाँका; सज-धजकर रहने वाला; जो बन-ठन कर रहता हो।
छबीली
[सं-स्त्री.] 1. सुंदर स्त्री 2. छवियुक्त स्त्री।
छब्बीस
[वि.] संख्या '26' का सूचक।
छम
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षमता 2. शक्ति; सामर्थ्य। [सं-स्त्री.] 1. घुँघरू आदि के बजने का शब्द; छन 2. तेज़ वर्षा का शब्द।
छमक
[सं-स्त्री.] छमकने की क्रिया या भाव।
छमकना
[क्रि-अ.] 1. घुँघरू आदि बजने की छम ध्वनि होना 2. आभूषणों की झनकार का होना 3. ठसक दिखाना; इतराना 4. चमकते-मटकते हुए इधर-उधर आना-जाना।
छम-छम
[सं-स्त्री.] 1. पैर में पहने हुए गहनों, घुँघरूओं, पायलों आदि के बजने से होने वाली ध्वनि 2. पानी बरसने का शब्द। [क्रि.वि.] छम-छम शब्द करते हुए।
छमछमाना
[क्रि-अ.] 1. छमछम शब्द होना 2. चमकना। [क्रि-स.] छमछम शब्द उत्पन्न करना।
छमाछम
[क्रि.वि.] ज़ोर से आभूषणों का छम-छम शब्द करते हुए।
छमाशी
[सं-स्त्री.] छह माशे की तौल का बटखरा।
छमासी
[सं-स्त्री.] किसी व्यक्ति की मृत्यु के छह महीने बाद किया जाने वाला श्राद्ध। [वि.] छमाही।
छमाही
[वि.] प्रति छह महीने पर होने वाला; अर्धवार्षिक।
छरछराना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. घाव में चुनचुनाहट या जलन का होना 2. घाव में नमक आदि लगने पर जलन होना। [क्रि-स.] चुनचुनाहट या जलन उत्पन्न करना।
छरछराहट
[सं-स्त्री.] 1. जलन; पीड़ा 2. छर-छर ध्वनि के साथ गिरने की आवाज़ 3. चुनचुनी।
छरना
(सं.) [क्रि-स.] सूप में अनाज आदि छाँटना या फटकना। [क्रि-अ.] 1. अनाज आदि का छाँटा जाना 2. दूर होना 3. तरल पदार्थ का कहीं से निकलकर धीरे-धीरे बहना; टपकना;
रिसना।
छरहरा
(सं.) [वि.] 1. जो इकहरे शरीर का हो; जो मोटा न हो; दुबला-पतला 2. चुस्त; फुरतीला।
छरा
[सं-पु.] 1. हार की लड़ी; माला 2. इज़ारबंद।
छर्रा
[सं-पु.] 1. मशीनों के बेयरिंग में डालने वाला गोल उपकरण 2. सीसे और लोहे के छोटे टुकड़े 3. पत्थर आदि का छोटा टुकड़ा; कंकड़ी।
छल
(सं.) [सं-पु.] 1. धोखा; कपटपूर्ण व्यवहार; वास्तविकता को छिपाना 2. बहाना; धूर्तता; ढोंग 3. दुश्मन पर नियम विरुद्ध हमला करना 4. किसी को हानि पहुँचाने के लिए
बुना गया जाल 5. दूसरों को ठगने वाली बात 6. बहस में प्रतिपक्षी की बात का विपरीत अर्थ निकालना 6. (प्रवृत्ति के कारण) व्यापार। [वि.] छल से बना हुआ; नकली;
(फ्रॉड)।
छलक
[सं-स्त्री.] 1. छलकने की क्रिया या भाव 2. किसी द्रव आदि का बरतन से बाहर गिरने की क्रिया या भाव 3. उमड़ने की क्रिया या भाव।
छलकना
[क्रि-अ.] 1. मुँह तक भरा होने के कारण पानी या किसी तरल पदार्थ का बरतन से बाहर गिरना या उछलना 2. पूरी तरह भर जाने या भरपूर होने के कारण उमड़ना, जैसे- आँखों
से स्नेह छलकना 3. किसी तरल पदार्थ का हिलने-डुलने के कारण किसी पात्र से उछलकर बाहर गिरना।
छलकपट
[सं-पु.] 1. यथार्थ का गोपन 2. धोखा; कपट; ठगी 3. धूर्तता 4. बहाना 5. युद्ध नियमों के विरुद्ध किया गया प्रहार।
छलकाना
[क्रि-स.] 1. तरल पदार्थ को किसी पात्र से बाहर गिराना; उछालना 2. {ला-अ.} व्यक्त करना; प्रकट करना।
छलकारी
[वि.] छली; कपटी; छल करने वाला।
छल-छद्म
(सं.) [सं-पु.] छलपूर्ण व्यवहार; चालबाज़ी; धोखेबाज़ी।
छल-छल
[वि.] 1. आँसुओं से भरा; अश्रु-पूर्ण 2. कल-कल; जलधारा की ध्वनि।
छलछलाना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. 'छल-छल' शब्द होना; किसी पात्र से पानी का थोड़ा-थोड़ा करके गिरना 2. आँखों का भर आना; नम हो जाना; आर्द्र होना।
छल-छिद्र
[सं-पु.] कपट या छलपूर्ण व्यवहार या आचरण।
छलन
(सं.) [सं-पु.] छलने की क्रिया या भाव।
छलना
(सं.) [क्रि-स.] 1. धोखा देना; अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए कपट करना 2. भुलावे में डालना 3. मोहित करना; फ़रेब करना 4. दगा देना; ठगना। [सं-स्त्री.] वंचना;
धोखा; छल।
छलनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आटा आदि छानने का धातु या प्लास्टिक का पात्र; चलनी 2. छानने का झीना कपड़ा 3. ऐसी चीज़ जिसमें बहुत छिद्र हों। [वि.] 1. जिसमें छेद हों;
जिसे छलनी किया गया हो 2. जो विदीर्ण या कूटा-पीटा गया हो। [मु.] कलेजा छलनी हो जाना : दुख सहते-सहते दिल टूट जाना या जार-जार हो जाना।
छलनीदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें छोटे-छोटे छेद हों 2. जो जालीदार हो।
छलबल
(सं.) [सं-पु.] 1. चालबाज़ी; कपट; ठगी 2. काम निकालने के लिए दबाव के साथ या बलपूर्वक किया गया धोखा या दुर्व्यवहार; ज़ोर-ज़बरदस्ती 3. ढोंग।
छलाँग
(सं.) [सं-स्त्री.] उछलकर आगे की ओर कूदना; चौकड़ी; उछाल; फलाँग।
छलावरण
(सं.) [सं-पु.] 1. सही बात या वास्तविक बात को छिपाने के लिए उसे कोई ऐसा रूप देना जिससे देखने वाले धोखे में पड़ जाएँ 2. युद्ध-क्षेत्र में अपनी तोपों आदि को
छिपाने के लिए वृक्षों की पत्तियों आदि से ढकना।
छलावा
[सं-पु.] धोखा; छल।
छलित
(सं.) [वि.] 1. जिसे छला गया हो 2. धोखा खाया हुआ।
छलिया
(सं.) [वि.] दूसरों को छलने वाला; छली; कपटी; प्रपंची।
छली
(सं.) [वि.] दूसरों से कपटपूर्ण आचरण करने वाला; दूसरों को छलने वाला।
छलौरी
[सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें उँगलियों के नाख़ून के भीतर छाला पड़ जाता है।
छल्ला
[सं-पु.] 1. सोने, चाँदी आदि किसी धातु से बनाई गई अँगूठी 2. पैर में पहनने का एक आभूषण; बिछुआ 3. कोई वृत्ताकार या मंडलाकार छोटी वस्तु; कड़ा; वलय।
छल्लि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वृक्ष की छाल 2. लता 3. संतति 4. एक प्रकार का फूल 5. वृक्ष आदि की टहनियों से बनी हुई बड़े आकार की डलिया या दौरी।
छल्ली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कच्ची दीवार की रक्षा के लिए उससे लगाकर उठाई हुई पक्की दीवार 2. लता 3. छाला 4. अनाज के बोरों की पंक्ति।
छल्लेदार
[वि.] 1. जिसमें छल्ले हों 2. छल्ले की तरह गोल 3. घुँघराले 4. जिसकी आकृति छल्ले की तरह घेरदार हो।
छवाई
[सं-स्त्री.] 1. छाने या छवाने का काम 2. उक्त कार्य के बदले दी जाने वाली मज़दूरी या पारिश्रमिक।
छवाना
[क्रि-स.] छाजन या छाने का काम दूसरे से कराना; धूप आदि से बचने के लिए किसी से घास-फूस या सरसों के सूखे तनों से ऊपर आवरण डलवाना या उसे फैला देना जिससे नीचे
छाया हो जाए।
छवि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आभामंडल; प्रभाव; स्वरूप (व्यक्तित्व) 2. सौंदर्य-चित्र; सुंदरता 3. शोभा; आकर्षक रूप 4. प्रभा; कांति; चमक 5. चित्र; फ़ोटो; प्रतिकृति 6.
प्रकाश की किरण।
छविनाथ
(सं.) [सं-पु.] 1. कृष्ण का एक नाम 2. सुंदर छवि वाला व्यक्ति। [वि.] सुंदर रूप सज्जावाला।
छवि पत्रकार
[सं-पु.] (पत्रकारिता) पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनार्थ समाचारपरक घटनाओं के चित्र खींचने वाला; छायाकार; (फ़ोटो जर्नलिस्ट)।
छह
(सं.) [वि.] संख्या '6' का सूचक।
छहरना
[क्रि-अ.] छितराना; बिखरना; चारों ओर फैलना।
छही
[सं-स्त्री.] वह मादा पक्षी विशेषतः कबूतरी, जो अन्य पक्षियों को बहकाकर अपने अड्डे पर या दल में लाए।
छाँगना
[क्रि-स.] 1. कुल्हाड़ी आदि से पेड़ की डाल, टहनी आदि काटना या छाँटना 2. अलग करना या छिन्न करना।
छाँगुर
[सं-पु.] वह मनुष्य जिसके पंजे में छह उँगलियाँ हों। [वि.] छह उँगलियोंवाला; छंगा।
छाँछ
[सं-स्त्री.] दे. छाछ।
छाँट
[सं-स्त्री.] 1. छाँटने की क्रिया या भाव; चुनकर अलग करने का ढंग 2. छाँटकर या काटकर अलग की गई ख़राब या अनुपयोगी चीज़; कतरन; रद्दी; बची-खुची वस्तु 3. बहुत में
से चुनी गई कोई विशेष वस्तु 4. कै; उलटी; वमन 5. अनाज में से छाँटी गई भूसी इत्यादि 6. मांस के छिछड़े। [मु.] -देना : किसी को कपटपूर्वक अलग कर
देना।
छाँटन
[सं-स्त्री.] 1. वह वस्तु जो छाँट दी जाए; कतरन 2. छाँट कर अलग की हुई निकम्मी या रद्दी वस्तु।
छाँटना
(सं.) [क्रि-स.] 1. छाँटने का काम या भाव 2. चुनना; बिलगाना 3. फालतू अंश काटकर अलग करना; कतरना 4. अनाज आदि को साफ़ करना; फटकना 5. निकालना; हटाना; दूर करना 6.
अपना ज्ञान बघारना; पांडित्य का प्रदर्शन करना 7. लेख आदि के आवश्यक अंश लेना तथा फालतू छोड़ना 8. कपड़े आदि साफ़ करना 9. अलंकृत करना; सजाना (काट-छाँट करना)।
छाँटा
[सं-पु.] 1. किसी को छल से किसी मंडली, सभा अथवा उसकी सदस्यता से अलग करना 2. छाँटने की क्रिया या भाव।
छाँद
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी रस्सी जिससे चौपायों के दो पैरों को एक दूसरे से सटाकर बाँध देते हैं ताकि वे दूर तक भाग न सकें, केवल कूद फाँदकर इधर-उधर चरते रहें
2. वह रस्सी जिससे गाय दुहते समय गाय के पैर बाँध दिए जाते हैं; नोई; नोइड़ा 3. छाँदने की क्रिया या भाव।
छाँदना
[क्रि-स.] 1. रस्सी से बाँधना 2. पशु के पिछले पैर को सटाकर इसलिए बाँधना कि वह भाग न सके।
छाँदा
[सं-पु.] वह पकवान या भोजन जो भोज या ज्योनार आदि से कपड़े में बाँधकर घर लाया जाए; किसी भोज में सम्मिलित न हो पाने वाले व्यक्ति के लिए घर भेजी जाने वाली
खाद्य-सामग्री; परोसा।
छाँव
[सं-स्त्री.] दे. छाँह।
छाँवदार
[वि.] दे. छाँहदार।
छाँस
[सं-स्त्री.] 1. अनाज छाँटने से निकला हुआ भूसी या कन 2. कूड़ा करकट।
छाँह
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छाया; ऊपर से छाई या ढकी हुई जगह 2. शरण स्थान; आश्रय स्थान 3. सुरक्षा देने या बचाव करने वाली जगह 4. वह स्थान जहाँ आड़ या रोक के कारण
धूप या चाँदनी सीधी न पड़ती हो 5. परछाईं; प्रतिबिंब।
छाँहदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] 1. जहाँ आड़ या रोक के कारण धूप न आती हो; जहाँ छाया रहती हो 2. छाया देने वाला 3. जहाँ शरण मिलती हो।
छाक
[सं-स्त्री.] 1. छकने की क्रिया या भाव 2. वह भोजन जो दोपहर के समय खेत पर काम करने वाले व्यक्ति के लिए भेजा जाता है; दोपहर का भोजन 3. शराब पीने के समय खाई
जाने वाली चटपटी चीज़ें; चाट 4. नशा; मद; मत्तता; मस्ती 5. नशीली चीज़; मादक पदार्थ।
छागल1
[सं-स्त्री.] 1. पाँव में पहनने का एक आभूषण; घुँघरूदार पायल; झाँजन 2. चमड़े का डोल या छोटी मशक जिसमें पानी भरा या रखा जाता है।
छागल2
(सं.) [सं-पु.] 1. बकरा 2. बकरे की खाल की बनी हुई चीज़ 3. एक प्रकार की मछली।
छागी
(सं.) [सं-स्त्री.] बकरी; अजा।
छाछ
(सं.) [सं-स्त्री.] मट्ठा; लस्सी; वह पनीला या पतला दही जिसमें से मक्खन निकाला गया हो।
छाज
(सं.) [सं-पु.] 1. छप्पर 2. छज्जा 3. छत का दीवार के बाहर निकला हुआ भाग; बारजा 4. अनाज फटकने के लिए सींकों से निर्मित एक उपकरण; सूप 5. किसी को छलने या ठगने
के लिए बनाया जाने वाला रूप; स्वाँग 6. सजावट; सज्जा; साज 7. छजने या सजने की क्रिया या भाव।
छाजन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1.छाने की क्रिया, भाव या मज़दूरी; छवाई 2. छप्पर 3. छाया के लिए ऊपर की बनावट 4. त्वचा का एक रोग जिसमें जलन होती है [सं-पु.] 1. कपड़ा;
वस्त्र 2. ठगने के लिए धारण किया जाने वाला वेश।
छाजना
[क्रि-अ.] 1. शोभा देना; अच्छा लगना; भला लगना; फबना; उपयुक्त जान पड़ना 2. शोभा सहित विद्यमान होना; विराजना; सुशोभित होना। [क्रि-स.] 1. सजाना; सुंदर बनाना 2.
सुशोभित करना।
छाता
(सं.) [सं-पु.] छतरी; धूप और वर्षा से बचाव के लिए प्रयोग में आने वाली एक वस्तु।
छाती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेट और गरदन के मध्य का भाग 2. सीना; वक्ष 3. कुच; स्तन 4. हृदय; मन 5. {ला-अ.} हिम्मत; साहस; जीवट; हौसला। [मु.] -पर मूँग दलना : पास रहकर कष्ट देना। -पर पत्थर रखना : दुख सहने के लिए दिल को कड़ा करना। -पर साँप लोटना :
ईर्ष्या से दुखी होना। -फटना : बहुत अधिक दुखी होना। -जलना : ईर्ष्या या क्रोध से दुखी होना। -ठंडी होना :
मन को शांति मिलना।
छात्र
(सं.) [सं-पु.] 1. विद्यार्थी; शिष्य 2. अंतेवासी।
छात्रक
(सं.) [सं-पु.] छात्र या सरघा नामक मधुमक्खी का बनाया हुआ मधु।
छात्रवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वज़ीफ़ा 2. विद्यार्थी को सहायतार्थ मिलने वाली आर्थिक सहायता या वृत्ति; (स्कॉलरशिप)।
छात्रसंघ
(सं.) [सं-पु.] विद्यार्थियों द्वारा छात्र हित में निर्मित संगठन; छात्रों की समस्याओं के निराकरण हेतु बनाया गया संघ।
छात्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] शिष्या; विद्याध्ययन करने वाली स्त्री; अध्येत्री।
छात्राध्यापक
(सं.) [सं-पु.] अध्यापन का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाला विद्यार्थी; प्रशिक्षु अध्यापक; शिक्षक।
छात्रावास
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी स्कूल, कॉलेज से संबंधित वह भवन या इमारत जिसमें विद्यार्थी रहते हैं; छात्रालय 2. वह स्थान जहाँ विद्यार्थी रहते हैं; (हॉस्टल)।
छाद
(सं.) [सं-पु.] 1. छाजन; छप्पर 2. छत।
छादक
(सं.) [वि.] 1. आच्छादित करने या छाने वाला 2. खपरैल या छप्पर छाने वाला; छपरबंद 3. ढकने वाला 4. कपड़ा आदि देने वाला।
छादन
(सं.) [सं-पु.] 1. आच्छादन करने या छाने की क्रिया या भाव; ढकाव; छिपाव 2. आवरण; आच्छादन 3. छाने या ढकने का काम 4. कपड़ा।
छादित
(सं.) [वि.] ढका हुआ; छाया हुआ; आच्छादित।
छादिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] खाल; चमड़ी।
छाद्मिक
(सं.) [वि.] 1. वह जिसने वेश बदला हो; बहुरूपिया; छद्मवेषधारी 2. ढोंगी; मक्कार।
छानना
(सं.) [क्रि-स.] 1. मिली-जुली चीज़ों को अलग करना; बिलगाना 2. आटे आदि का मोटा अंश चलनी से निकालना 3. पानी आदि को साफ़ करने के लिए बारीक कपड़े या चलनी के पार
निकालना 4. जाँच-पड़ताल करना 5. ढूँढ़ना; खोजना 6. ऐसी रासायनिक क्रिया करना जिससे एक धातु में मिला हुआ दूसरी धातु का अंश अलग हो जाए, जैसे तेज़ाब में सोना छानना।
छानबीन
[सं-स्त्री.] 1. छानने या बीनने की क्रिया या भाव 2. अनुसंधान; जाँच-पड़ताल; गहरी खोज।
छाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. ढकना; आच्छादित करना 2. आवास के प्रसंग में निर्मित करना 3. छाया के लिए ऊपर से कोई वस्तु तानना; फैलाना [क्रि-अ.] 1. फैलना; पसरना 2. डेरा
डालकर कहीं रहना।
छाप
[सं-स्त्री.] 1. चिह्न; निशान; मुहर का निशान 2. छापने की क्रिया या भाव 3. ऐसा साँचा जिससे कोई चीज़ छापी जाए 4. ऐसी अँगूठी जिसपर छापने के लिए कोई अंक या चिह्न
बना हो; मुद्रा 5. किसी कथन, घटना, दृश्य आदि का मन पर पड़ने वाला प्रभाव 6. विभिन्न कारख़ानों में बनी हुई वस्तुओं पर पहचान के लिए छपा हुआ शब्द या चित्र;
(मार्का) 7. असर; प्रभाव 8. कविता के अंत में रहने वाला कवि का उपनाम।
छापना
(सं.) [क्रि-स.] 1. ठप्पे आदि से निशान लगाना; मोहर से अंकित करना 2. पुस्तक आदि मुद्रित करना 3. छापकर प्रकाशित करना 4. टीका लगाना 5. स्याही आदि की सहायता से
एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर दबाकर उसकी आकृति उतारना।
छापा
[सं-पु.] 1. मोहर; मुद्रा और उसकी छाप 2. उक्त उपकरण की छाप 3. शत्रु या शिकार पर आचानक किया जाने वाला हमला 4. मंगल अवसरों पर हथेली और पाँचों उँगलियों का वह
चित्र जो हल्दी आदि की सहायता से दीवारों आदि पर लगाया जाता है 5. पुस्तकें, समाचार-पत्र आदि छापने की कला या यंत्र 6. किसी की तलाशी लेने के लिए, पकड़ने के लिए
अचानक या अप्रत्याशित रूप से कहीं पहुँचकर सब चीज़ें देखना-भालना।
छापाखाना
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] जहाँ यंत्रों से छपाई का काम होता है; मुद्रणालय; (प्रिंटिंग प्रेस)।
छापामार
[सं-पु.] वह व्यक्ति जो आक्रमण करता हो। [वि.] 1. अचानक या एकाएक किसी पर आक्रमण करने वाला 2. छापा मारने वाला।
छाबड़ी
[सं-स्त्री.] ऐसी टोकरी या थाल जिसमें खाने-पीने की चीज़ें रखकर बेची जाती हैं; खोंचा।
छायल
[सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों द्वारा पहना जाने वाला शरीर के ऊपरी भाग का पहनावा 2. स्त्रियों की एक प्रकार की कुरती।
छाया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी प्रकाश स्रोत के मार्ग में किसी वस्तु या आड़ से होने वाला अंधकार; परछाईं; छाँव; अँधेरा 2. धूप और बारिश से रक्षा करने वाली चीज़ 3.
ऐसी जगह जहाँ रोशनी न आती हो 4. (काल्पनिक) भूत-प्रेत के कारण होने वाली बाधा 5. प्रतिबिंब; अक्स 6. किसी वस्तु के अनुकरण पर बनाई गई वैसी ही महसूस होने वाली
प्रतिकृति; सादृश्य 7. आश्रय 8. सौंदर्य; चेहरे का रंग; कांति 9. किसी बात या पदार्थ का क्षीण अवशेष जो उस बात या पदार्थ का आभास देता हो; तत्वहीन और निस्सार
चीज़ 10. {ला-अ.} किसी के आगे-पीछे या हमेशा साथ रहने वाला व्यक्ति।
छायांक
(सं.) [सं-पु.] पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाला एक उपग्रह; चंद्रमा; चाँद।
छायांकन
(सं.) [सं-पु.] फ़ोटो खींचने की क्रिया या छायाचित्र बनाने का काम; छायाचित्रण; (फ़ोटोग्राफ़ी)।
छायांकित
(सं.) [वि.] जिसका छायांकन किया गया हो; फ़ोटो या अक्स बनाया हुआ।
छायाकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] परछाईं की तरह की आकृति; कल्पित आकृति।
छायाचित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु का बनाया हुआ चित्र; कैमरे से लिया गया चित्र; (फ़ोटो) 2. वह चित्र जो हलके रंग का अथवा अस्पष्ट हो; तस्वीर।
छायाचित्रण
(सं.) [सं-पु.] वह कला या क्रिया जिससे किसी वस्तु की छाया या प्रतिबिंब एक प्रकार के शीशे पर ले लिया जाता है और उसके द्वारा एक विशेष प्रकार के कागज़ पर उसका
चित्र छापा जाता है; (फ़ोटोग्राफ़ी)।
छायादार
(सं.+फ़ा.) [वि.] जो छाँह या छाया देता हो; छाँहदार।
छायानुवाद
(सं.) [सं-पु.] किसी कृति की मूलभावना का लक्ष्य भाषा (दूसरी भाषा) में रूपांतरण; कविताओं की मूल भावनाओं को यथावत रखकर नए शब्दों में पिरोना; किसी कृति का वह
अनुवाद जो शब्दानुवाद की तरह मूल भावना के शब्दों का अनुकरण न करे, न भावानुवाद की तरह मूल के भावों का अनुकरण करे, अपितु दोनों ही दृष्टियों से मूल से (शब्दतः,
भावतः) मुक्त होकर अर्थात बिना मूल से विशेष-बँधे उसकी छाया लेकर चले।
छायापथ
(सं.) [सं-पु.] असंख्य नक्षत्रों का विशिष्ट समूह जो हमें उत्तर से दक्षिण की ओर फैला हुआ दिखाई देता है; आकाशगंगा; (गैलेक्सी)।
छायाभ
(सं.) [वि.] 1. जो छाया से युक्त हो 2. जिसपर छाया पड़ी हो।
छायाभास
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छाया का आभास 2. हलका आभास।
छायालोक
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिबिंब या छाया का संसार 2. अदृश्य जगत 3. वह कल्पित लोक जो इस लोक से परे माना जाता है; स्वप्न-लोक।
छायावाद
[सं-पु.] (साहित्य) 1. वह सिद्धांत जिसके अनुसार अव्यक्त और अज्ञात को विषय या लक्ष्य बनाकर उसके प्रति प्रणय, विरह आदि के भाव प्रकट करते हैं 2. आधुनिक साहित्य
में आत्म अभिव्यक्ति का वह नया ढंग या उससे संबंध रखने वाला सिद्धांत जिसके अनुसार किसी सौंदर्यमय प्रतीक की कल्पना करके ध्वनि, लक्षणा आदि के द्वारा उसके संबंध
में अपनी अनुभूति या आंतरिक भाव प्रकट किए जाते हैं।
छायावादी
[वि.] छायावाद संबंधी (साहित्य या रचना); छायावाद का। [सं-पु.] छायावाद का अनुयायी।
छार
(सं.) [सं-पु.] 1. भस्म; राख 2. धूल; मिट्टी 3. जली हुई वस्तु का अंश 4. खारा नमक।
छाल
(सं.) [सं-स्त्री.] पेड़ के तने, शाखा आदि पर का कड़ा छिलका; वल्कल; ऊपरी खाल या चर्म।
छालटी
[सं-स्त्री.] 1. छाल का बना हुआ वस्त्र 2. अलसी, सन या पाट का बना हुआ एक प्रकार का चिकना और फूलदार कपड़ा जो देखने में रेशम की तरह जान पड़ता है।
छालना
(सं.) [क्रि-स.] 1. आटा आदि को चलनी में रखकर साफ़ करना; चालना; छानना 2. छेद करना; छलनी की तरह छिद्रमय करना; झँझरा करना 3. धोना; साफ़ करना; पखारना।
छाला
[सं-पु.] जलने, रगड़ खाने या किसी अन्य कारण से त्वचा पर उभर आने वाला उभार जिसमें पानी होता है; फफोला; फुंसी।
छालित
(सं.) [वि.] धोया हुआ; धोकर साफ़ किया हुआ; प्रक्षालित।
छावनी
[सं-स्त्री.] 1. डेरा; पड़ाव 2. छप्पर आदि छाने की क्रिया या भाव; छप्पर 3. वह स्थान जहाँ सेना रखी जाए; शिविर 4. वह मकान जिसमें ज़मींदार महसूल या कर वसूली के
लिए आकर ठहरें या उसके कारिंदे आदि रहें।
छि
[अव्य.] घृणा, तिरस्कार आदि का सूचक शब्द।
छिकना
[क्रि-अ.] 1. स्थान आदि का घेरा जाना 2. मार्ग में अवरुद्ध किया या रोक लिया जाना 3. (नाम पड़ी हुई रकम) काटा या मिटाया जाना।
छिक्का
(सं.) [सं-स्त्री.] छींक; छीका।
छिगुनी
[सं-स्त्री.] सबसे छोटी उँगली; कनिष्ठिका; कनिष्ठा; कानी उँगली।
छिछड़ी
[सं-स्त्री.] लिंगेद्रिय के ऊपर का वह अगला आवरण जो बाहर की ओर कुछ बढ़ा हुआ होता है।
छिछला
(सं.) [वि.] 1. जिसमें गहराई न हो; कम गहरा; उथला 2. जो कम जानता हो; अल्पज्ञान वाला (व्यक्ति) 3. तुच्छ; ओछा।
छिछलापन
[सं-पु.] 1. छिछला होने की अवस्था या भाव 2. कम गहरा; उथलापन 3. अल्पज्ञानी।
छिछली
[वि.] 1. ओछी; संकीर्ण; तुच्छ 2. जिसमें गहराई न हो।
छि-छि
[अव्य.] घृणा, तिरस्कार आदि की सूचक-ध्वनि।
छिछोरा
[वि.] 1. ओछा; कमीना; मामूली; निम्न स्तर का 2. जो गंभीर या सौम्य न हो; नीच।
छिछोरापन
[सं-पु.] 1. ओछापन; क्षुद्रता 2. छिछोरे का काम।
छिटकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. फैलना; बिखरना 2. रोशन होना; चाँदनी आदि का फैलना 3. किसी पदार्थ कण का बिखरना 4. छींटे उड़ाना 5. अस्त-व्यस्त होना; विस्थापित होना।
छिटकाना
[क्रि-स.] 1. चारों ओर फैलाना; इधर-उधर डालना; बिखराना 2. अलग करना; दूर करना।
छिटपुट
[क्रि.वि.] 1. छितराया हुआ 2. कुछ एक जगह कुछ दूसरी जगह 3. थोड़ी मात्रा में और इधर-उधर बिखरा हुआ 4. अलग-अलग समय या स्थान पर। [वि.] गिनती या मान में कम।
छिटवा
[सं-पु.] बाँस की फटि्ठयों आदि का टोकरा; झाबा।
छिड़कना
[क्रि-स.] 1. पानी आदि के छींटे डालना 2. जल या दूसरे द्रव के छींटे फेंकना 3. न्योछावर करना।
छिड़कवाना
[क्रि-स.] छिड़कने का काम किसी अन्य से कराना।
छिड़काई
[सं-स्त्री.] 1. छिड़कने की क्रिया या भाव; छिड़काव 2. छिड़कने की मज़दूरी।
छिड़काना
[क्रि-स.] 1. कोई तरल पदार्थ फैलाना 2. छीटों से तर करना।
छिड़काव
[सं-पु.] छिड़कने की क्रिया या भाव।
छिड़ना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. शुरू होना; आरंभ होना, जैसे- जंग छिडना 2. छेड़ा जाना; संगीत का बजना, जैसे- राग छिड़ना 3. छेड़ने पर बिगड़ना 4. चल पड़ना।
छितर-बितर
[वि.] 1. अपने क्रम या स्थान से हटा हुआ; अव्यवस्थित; अस्त व्यस्त 2. जो इधर उधर हो गया हो; छितराया हुआ; बिखरा हुआ; तितर-बितर।
छितराना
[क्रि-अ.] 1. चारों ओर बिखरना; फैलना 2. अलग-अलग होना। [क्रि-स.] 1. चारों ओर बिखेरना; गिराना 2. फैलाना 3. दूर-दूर या विरल कर देना, जैसे- सामान छितराना 4.
तितर-बितर करना।
छितराव
[सं-पु.] छितरे या छितराए हुए होने की अवस्था या भाव।
छिदना
[क्रि-अ.] 1. छेदा जाना 2. घायल होना 3. चुभना 4. छेद होना 5. घावों से भर जाना 6. छलनी होना 7. सुराख़ होना 8. नुकीली वस्तु के धँसने या धँसाए जाने के कारण
किसी वस्तु में आर-पार छेद होना।
छिदरा
[वि.] 1. जो सघन न हो; विरल; छितराया हुआ 2. झँझरीदार; छेददार 3. फटा हुआ; जर्जर 4. ओछा।
छिदवाना
[क्रि-स.] छेदने का काम किसी अन्य से कराना; सुराख़ करवाना।
छिद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. छेद; सुराख़; रंध्र 2. गड्ढा; बिल; विवर 3. दोष; ऐब 4. अंतर; फ़र्क 5. अंतराल; अवकाश 6. दरार; जगह 7. दुर्बलता; कमज़ोरी 8. बाधक वस्तु या
व्यक्ति।
छिद्रक
(सं.) [वि.] 1. छेद या सुराख़ करने वाला 2. दोष या ऐब ढूँढ़ने वाला।
छिद्रण
(सं.) [सं-पु.] किसी नुकीली चीज़ से छेद करने का कार्य; अंतर्वेधन; रंध्रण; छेदना; छेद बनाना।
छिद्रपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अनेक छिद्र हों 2. छिद्र से भरा हुआ 3. {ला-अ.} कमज़ोर; दोषयुक्त।
छिद्रयुक्त
(सं.) [वि.] 1. छिद्र सहित 2. छिद्रों या सुराख़ों से भरा हुआ। {ला-अ.} बुराइयों से भरा हुआ।
छिद्रल
(सं.) [वि.] 1. जिसमें पास-पास बहुत छेद हों; छेद या छेदों से युक्त; छिद्रित 2. (शरीर या वानस्पतिक तल) जिसमें ऐसे बहुत से छोटे-छोटे छेद हों, जिनके द्वारा तरल
पदार्थ अंदर और बाहर आ-जा सकते हों।
छिद्रात्मा
(सं.) [वि.] 1. खल स्वभाव का; कुटिल 2. अपनी त्रुटि कहने वाला; दूसरों से अपना दोष व्यक्त करने वाला 3. छिद्रान्वेषण करने वाला; दूसरों के कार्य में दोष या ऐब
निकालने वाला।
छिद्रान्वेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. छिद्र निकालना 2. किसी कार्य, बात या व्यक्ति में त्रुटियाँ या दोष ढूँढ़ने का काम।
छिद्रान्वेषी
(सं.) [वि.] 1. वह जो छिद्रान्वेषण करता हो 2. दूसरे के कार्यों में से त्रुटियाँ या दोष खोजने वाला।
छिद्रित
(सं.) [वि.] जिसमें छेद हो; सुराख़दार।
छिद्रीकरण
(सं.) [सं-पु.] छेद बनाना; छेदना; रंध्रण; अंतर्वेधन।
छिनक
[सं-पु.] एक क्षण; क्षण मात्र। [क्रि.वि.] क्षण भर; थोड़ी देर।
छिनकना
[क्रि-स.] नाक में से इस प्रकार ज़ोर से हवा बाहर निकालना कि नाक के अंदर का बलगम बाहर निकल जाए; सिनकना; छिरकना।
छिनना
[क्रि-अ.] किसी अधिकार या वस्तु आदि का छीन लिया जाना; हरण होना।
छिनरा
[वि.] {अशि.} 1. जिसका संबंध बहुत-सी स्त्रियों से हो; परस्त्रीगामी 2. लंपट। [सं-पु.] पुरुषों को दी जाने वाली एक प्रकार की गाली।
छिनवाना1
[क्रि-स.] किसी को छीनने की क्रिया में प्रवृत्त करना; छीनने का काम दूसरे से कराना।
छिनवाना2
(सं.) [क्रि-स.] 1. पत्थर को छेनी से कटवाना 2. सिल, चक्की आदि को छेनी से खुरदरी कराना; कुटाना।
छिनाना1
[क्रि-अ.] छीन लिया जाना। [क्रि-स.] छीनने का काम कराना।
छिनाना2
[क्रि-स.] 1. टाँकी या छेनी से पत्थर आदि कटाना 2. टाँकी या छेनी से सिल, चक्की आदि को खुरदुरी कराना।
छिनाल
[सं-स्त्री.] 1. {अशि.} व्यभिचारिणी; कुलटा 2. महिलाओं को दी जाने वाली एक प्रकार की गाली। [वि.] {अशि.} जिसका संबंध बहुत से पर-पुरुषों से हो।
छिन्न
(सं.) [वि.] 1. कटा हुआ 2. काटकर अलग किया हुआ; खंडित 3. नष्ट किया हुआ; क्षीण; क्लांत।
छिन्नक
(सं.) [वि.] जिसका कुछ अंश कटकर अलग हो गया हो; अंशतः कटा हुआ।
छिन्न-भिन्न
(सं.) [वि.] 1. टूटा-फूटा; नष्ट-भ्रष्ट 2. खंडित; कटा हुआ 3. जो तितर-बितर हो गया हो; इधर-उधर बिखरा हुआ; छितराया हुआ।
छिन्नमूल
(सं.) [वि.] जो जड़ से उखाड़ा गया हो; जड़ से कटा हुआ।
छिन्ना
[सं-स्त्री.] गुड़ुच; गिलोय; गुर्च।
छिन्नांग
(सं.) [वि.] 1. जिसके शरीर का कोई अंग कट गया हो; विकलांग 2. विकारयुक्त (शरीर); विकृत 3. कटी-फटी (देह)।
छिन्नाधार
(सं.) [वि.] 1. जिसका आधार कट या टूट चुका हो 2. असहाय; निस्सहाय।
छिपकली
[सं-स्त्री.] एक प्रसिद्ध चार पैरों और लंबी दुम वाली सरीसृप जो कीड़े-मकोड़े पकड़कर खाती है और प्रायः दीवारों पर दिखाई देती है।
छिपना
[क्रि-अ.] 1. दृष्टि से ओझल होना; दिखाई न पड़ना 2. आड़ में होना; ओट में होना; किसी गुप्त स्थान पर चले जाना 3. मुख ढकना; मुखौटा धारण करना 4. अस्त होना 5.
प्रकट या प्रत्यक्ष न होना।
छिपा
[वि.] गुप्त; अदृश्य।
छिपाना
[क्रि-स.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु को आड़ या परदे में करना; प्रकट न करना 2. किसी बात या तथ्य की जानकारी न देना; किसी बात का पता न चलने देना 3. आँख से ओझल
करना; ढकना।
छिपाव
[सं-पु.] छिपने या छिपाने की क्रिया या भाव; दुराव।
छिया
[सं-स्त्री.] गुह; मल।
छियाज
[सं-पु.] मूलधन के ब्याज पर भी लगने वाला ब्याज; चक्रवृद्धि ब्याज; कटुआँ ब्याज।
छियानवे
(सं.) [वि.] संख्या '96' का सूचक।
छियालीस
(सं.) [वि.] संख्या '46' का सूचक।
छियासठ
(सं.) [वि.] संख्या '66' का सूचक।
छियासी
(सं.) [वि.] संख्या '86' का सूचक।
छिलका
(सं.) [सं-पु.] 1. फल या सब्ज़ी आदि की बाहरी सतह 2. फल की त्वचा 3. ऊपरी आवरण या परत 4. छाल; चमड़ा 5. पपड़ी 6. कवच।
छिलन
[सं-स्त्री.] 1. छीलने की क्रिया या भाव 2. रगड़ आदि के कारण शरीर के किसी अंग की त्वचा के छिल जाने से होने वाला घाव।
छिलना
[क्रि-अ.] 1. फल या सब्ज़ी आदि का छिलका अलग होना 2. घर्षण या रगड़ से त्वचा पर खरोंच आना 3. वृक्ष की छाल उतरना।
छिलवाना
[क्रि-स.] 1. छीलने के कार्य के लिए किसी को प्रेरित करना 2. छीलने का काम किसी अन्य से कराना।
छिलाई
[सं-स्त्री.] 1. छिलने या छीलने की क्रिया या भाव 2. छीलने की मज़दूरी।
छिलाना
[क्रि-स.] 1. छीलने का कार्य किसी अन्य से कराना 2. छीलने के लिए किसी को प्रेरित करना।
छिहत्तर
[वि.] संख्या '76' का सूचक।
छी
[अव्य.] घृणासूचक शब्द; घिन प्रकट करने का शब्द; अनादर या अरुचि व्यंजक शब्द।
छींक
[सं-स्त्री.] 1. छींकने की क्रिया 2. मुँह और नाक से तेज़ आवाज़ के साथ तीव्रता के साथ हवा का निकलना।
छींकना
[क्रि-अ.] नथुनों में खुजली के कारण ज़ोर से साँस बाहर आना जिससे ज़ोर की ध्वनि हो; चुनचुनाहट पैदा करने वाली या श्वाँसक्रिया में बाधक तत्व को निकालने के लिए
भीतर की वायु का वेग और आवाज़ के साथ बाहर आना।
छींका
[सं-पु.] 1. रस्सियों या तारों का वह जाल जो खाने-पीने की चीज़ें रखने के लिए छत में या दीवार से लटकाया जाता है; सिकहर 2. झूला 3. बैलों के मुँह पर बाँधी जाने
वाली रस्सियों की जाली।
छींट
[सं-स्त्री.] 1. पानी या किसी तरल की किसी तल से टकराकर बिखरने वाली बूँद; जलकण; महीन बूँद 2. किसी वस्तु, वस्त्र या शरीर पर किसी तरल की बूँद से लगने वाला दाग;
धब्बा 3. वह सूती कपड़ा जिसपर रंग-बिरंगे बेलबूटे और फूल आदि छपे हों।
छींटा
[सं-पु.] 1. किसी तरल पदार्थ की बिखरी या उछली हुई बूँद; किसी चीज़ पर पड़ने वाली पानी की बूँद; सीकर 2. वस्त्र आदि पर पड़ने वाला किसी चीज़ का दाग 3. बौछार;
हलकी बारिश 4. मुट्ठी में भरकर खेत में बिखेरा गया अनाज या बीज; बुवाई का एक तरीका 5. कलंक 6. कोई व्यंग्यपरक बात 7. चंडू (अफ़ीम से बनाया गया अवलेह) या मदक आदि
की एक मात्रा। [मु.] -कसना : व्यंग्य करना।
छींटाकशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी को कही गई चुभने या विचलित करने वाली बात; व्यंग्य या ताना मारने की क्रिया या भाव 2. उपहास।
छींबी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पौधे की फली जिसमें बीज रहते हैं 2. मटर की फली 3. गाय या बकरी का स्तन जो फली की तरह नीचे लटकता रहता है।
छीका
(सं.) [सं-पु.] दे. छींका।
छीछ
[वि.] क्षीण; अल्प; थोड़ा।
छीछड़ा
[सं-पु.] 1. कटे हुए मांस का व्यर्थ टुकड़ा 2. जानवरों की अँतड़ी का वह भाग जिसमें मल भरा होता है; मल की थैली।
छीछालेदर
[सं-स्त्री.] फ़जीहत; दुर्दशा; गड़बड़; दुर्गति।
छी-छी
[सं-स्त्री.] बच्चों का मल [मु.] -करना : घृणा करना।
छीजन
[सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का नष्ट किया गया अंश 2. ह्रास; घटाव; घाटा; कमी।
छीजना
[क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ का क्षीण होना या घिस जाना; समाप्त होना; ख़राब होना 2. उपयोग के कारण किसी वस्तु का कम होना; घटना 3. हानि होना; नष्ट होना 4. मिटना।
छीटा
[सं-पु.] 1. बाँस आदि की तीलियों का बना टोकरा 2. चिलमन; चिक।
छीदा
(सं.) [वि.] 1. जिसमें बहुत से छेद हों; जिसके तंतु दूर-दूर हों; जिसकी बुनावट घनी न हो; झाँझरा; छिदरा 2. जो दूर-दूर हो; जो घना न हो; विरल।
छीन
[सं-स्त्री.] छीनने की क्रिया या भाव।
छीनना
[क्रि-स.] 1. दूसरे से कोई वस्तु ज़बरदस्ती ले लेना; उचक लेना 2. काटकर अलग करना 3. अनुचित रूप से किसी की वस्तु अपने अधिकार में कर लेना 4. किसी को दिया हुआ
अधिकार या सुविधा वापस ले लेना 5. हरण करना 6. ऐंठ लेना।
छीना-झपटी
[सं-स्त्री.] 1. झपट्टा मारकर छीनने की क्रिया 2. एक-दूसरे के हाथ से कोई वस्तु छीनने की कोशिश।
छीप
[सं-स्त्री.] 1. छाप; चिह्न; दाग 2. वह दाग या धब्बा जो छोटी-छोटी बिंदियों के रूप में शरीर पर पड़ जाता है; सेहुआँ; एक प्रकार का चर्म रोग 3. वह छड़ी जिसमें
डोरी बाँधकर मछली फँसाने की कँटिया लगाई जाती है; डगन; बंसी 4. एक पेड़ का नाम जिसके फल की तरकारी होती है, इसे खीप और चीप भी कहते हैं।
छीपना
[क्रि-स.] कँटिया में मछली फँसने पर उसे बंसी के द्वारा खींचकर बाहर निकालना।
छीपा
[सं-पु.] 1. बाँस आदि की खमाचियों का बना हुआ छिछला एवं गोलाकार पात्र 2. धातु आदि की छोटी तश्तरी या थाली।
छीपी
[सं-पु.] 1. कपड़ों पर बेलबूटे या छींट छापने वाला व्यक्ति; रंगरेज़ 2. दरज़ी। [सं-स्त्री.] 1. वह लंबी छड़ी जिससे लोग कबूतर आदि उड़ाते हैं 2. धातु आदि की छोटी
तश्तरी।
छीबर
[सं-स्त्री.] 1. मोटी छींट नामक कपड़ा 2. वह कपड़ा जिसपर बेल-बूटे छपे हों; छींटदार चुनरी।
छीमी
[सं-स्त्री.] 1. पौधे की फली जिसमें बीज रहते हों 2. मटर की फली।
छीर
(सं.) [सं-पु.] 1. कपड़े आदि का वह किनारा जहाँ लंबाई समाप्त हो; छोर 2. उक्त किनारे पर की पट्टी या धारी 3. वह चिह्न जो कपड़ों पर डाला जाए 4. कपड़े के फटने का
चिह्न।
छीलन
[सं-स्त्री.] 1. छीलने की क्रिया या भाव 2. किसी वस्तु आदि का उतारा हुआ छिलका; छोलन।
छीलना
[क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या फल-सब्ज़ी आदि का छिलका या आवरण हटाना; उतारना 2. खुरचना; ऊपरी परत अलग करना 3. खराश या चुनचुनाहट पैदा करना 4. मूड़ना; समतल करना,
जैसे- लकड़ी पर रंदा करना 5. पेंसिल आदि को तेज़ करना।
छीलर
[सं-पु.] 1. कुएँ की जगत पर निर्मित एक छोटा गड्ढा जिसमें मोट का पानी डाला जाता है 2. छोटा छिछला गड्ढा; तलैया।
छुअन
[सं-स्त्री.] 1. हलका स्पर्श; संपर्क 2. कोमल अनुभूति।
छुआई
[सं-स्त्री.] 1. छूने या छुआने की क्रिया या भाव 2. लेश; स्पर्श; लगाव।
छुआछूत
[सं-स्त्री.] 1. अस्पृश्यता; अस्पृश्य मानने की प्रथा; एक सामाजिक बुराई 2. हिंदुओं में जन्म के आधार पर ऊँच-नीच का भेद करने का विचार 3. एक प्रकार का रोग।
छुईमुई
[सं-स्त्री.] 1. एक कँटीला पौधा जिसकी पत्तियाँ बबूल की तरह होती हैं और स्पर्श करने पर मुरझा जाती हैं; लाजवंती या छुईमुई नामक संवेदनशील पौधा; लज्जावती 2.
{ला-अ.} कोमल या नाज़ुक मिज़ाज का व्यक्ति; कोई कमज़ोर वस्तु या व्यक्ति।
छुक-छुक
[सं-स्त्री.] 1. रेलगाड़ी का एक नाम जो प्रायः बच्चों द्वारा प्रयुक्त होता है 2. बच्चों द्वारा खेला जाने वाला एक खेल।
छुच्छी
[सं-स्त्री.] 1. पतली पोली छोटी नली 2. बुनाई में प्रयुक्त जुलाहों की नरी 3. नाक में पहनने का एक आभूषण; नाक की कील या लौंग 4. एक बरतन से दूसरे बरतन में तेल
आदि डालने के लिए प्रयुक्त कीप।
छुछमछली
[सं-स्त्री.] मेंढक आदि कई जलीय जंतुओं के बच्चों का आरंभिक रूप जो लंबी पूँछ वाले कीड़े या मछली के बच्चे जैसा होता है।
छुछुआना
[क्रि-अ.] 1. छछूँदर की तरह छू-छू करते हुए घूमना 2. व्यर्थ इधर-उधर घूमना या भटकना।
छुटकारा
[सं-पु.] 1. छूटने या छुड़ाए जाने की अवस्था या भाव; मुक्त होने या कराए जाने की अवस्था या भाव 2. किसी बंधन से स्वतंत्र होने की स्थिति; मुक्ति; रिहाई 3. किसी
मुसीबत या कष्ट से बचने का भाव, जैसे- बीमारी से छुटकारा 4. निस्तार; छुट्टी।
छुटपन
[सं-पु.] 1. बचपन; कम उम्र की अवस्था; लड़कपन 2. लघुता; छोटापन; छोटाई।
छुटभैया
[सं-पु.] 1. ऐसा व्यक्ति जिसकी गिनती बड़े आदमियों में न होकर छोटे या साधारण लोगों में होती है 2. बड़ों की तुलना में अपेक्षाकृत निम्न स्तर का व्यक्ति।
छुटाई
[सं-स्त्री.] छोटे होने की अवस्था या भाव; लघुता।
छुटौती
[सं-स्त्री.] 1. वह सूद या लगान जो छोड़ दिया जाए 2. छोड़ने या छुड़ाने के कार्य के एवज में दिया गया धन।
छुट्टा
[वि.] 1. जो बँधा न हो 2. एकाकी; अकेला 3. जो बंधन से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहा हो 4. जंतु या जीव जो अपने दल से निकलकर अलग हो गया हो 5. फुटकर
6. बिना बाल-बच्चे का।
छुट्टी
[सं-स्त्री.] 1. काम कर चुकने पर मिलने वाला खाली समय; अवकाश; फुरसत 2. छूटने या छोड़े जाने की क्रिया या भाव; छुटकारा 3. पद से हटाया जाना; पदच्युति 4. कहीं से
चलने या जाने की अथवा इसी प्रकार के और किसी काम की अनुमति या आज्ञा।[मु.] -पाना : फ़ुरसत मिलना। -पा जाना : ज़िम्मेदारी से
मुक्त हो जाना।
छुड़वाना
[क्रि-स.] 1. छोड़ने का काम दूसरे से कराना 2. किसी को कुछ छोड़ने में प्रवृत्त करना; (छोड़ना क्रिया का प्रेरणार्थक रूप)।
छुड़ाई
[सं-स्त्री.] 1. छोड़ने या छुड़ाने की क्रिया अथवा भाव 2. किसी को बंधन से मुक्त करने या कराने के लिए माँगा या दिया जाने वाला धन 3. पतंग को उड़ाने के लिए कुछ
दूर ले जाकर ऊपर उछालना; छुड़ैया।
छुड़ाना
[क्रि-स.] 1. किसी को मुक्त करना 2. बँधी, चिपकी या उलझी हुई वस्तु को अलग करना; सुलझाना 3. किसी का उधार लौटाकर अपनी चीज़ को वापस लेना 4. अपहृत को मुक्त कराना
5. किसी लत या प्रवृत्ति से दूर करना 6. दाग-धब्बे आदि साफ़ करना 7. सेवा या नौकरी से हटाना।
छुड़ाव
[सं-पु.] 1. छुड़ाने की क्रिया; परित्याग; बिलगाव 2. मुक्ति।
छुड़ौती
[सं-स्त्री.] किसी को बंधन से मुक्त करने के लिए लिया या दिया गया धन; फिरौती; छुड़ाई।
छुतहा
[वि.] 1. (रोग) जो छूत से फैलता या बढ़ता हो; छूतवाला; संक्रामक 2. जिसे किसी के संक्रमण के कारण से छूना निषिद्ध हो।
छुनछुनाना
[क्रि-अ.] 'छुन-छुन' आवाज़ पैदा होना।
छुनन-मुनन
[सं-पु.] बच्चों के पैर के आभूषण का शब्द।
छुन-मुन
[सं-पु.] छुनन-मुनन।
छुपना
[क्रि-अ.] छिपना।
छुपाना
[क्रि-स.] छिपाना।
छुरा
(सं.) [सं-पु.] 1. लंबे फल वाला बड़ा चाकू 2. बाल मूँड़ने वाला उस्तरा 3. बड़ी छुरी।
छुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा छूरा 2. काटने या चीरने आदि का एक छोटा औज़ार; चाकू 3. कमलतराश चाकू।
छुरेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. छुरा द्वारा किसी की हत्या करने वाला 2. छुरा चलाने में निपुण।
छुरेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. छुरे की लड़ाई 2. दंगे आदि में छुरा भोंकने की क्रिया।
छुलकना
[क्रि-अ.] थोड़ा-थोड़ा करके पानी आदि का छलकना या बहना।
छुलछुलाना
[क्रि-अ.] थोड़ा-थोड़ा करके मूतना।
छुलाना
[क्रि-स.] 1. स्पर्श कराना 2. एक वस्तु को दूसरी वस्तु से सटाना।
छुवन
[सं-स्त्री.] दे. छुअन।
छुहारा
[सं-पु.] खजूर की जाति का एक सूखा मेवा; ख़ुरमा।
छू
[सं-पु.] मंत्र पढ़कर फूँक मारने की ध्वनि या आवाज़; मंत्र की फूँक। [मु.] छूमंतर होना : गायब हो जाना।
छूछा
[वि.] 1. खाली; रिक्त 2. साररहित 3. खोखला 4. जिसके पास कुछ न हो 5. निर्धन 6. तत्वहीन; निस्सार।
छूट
[सं-स्त्री.] 1. छूटने का भाव, अवस्था या क्रिया 2. नियम, मर्यादा आदि से मिली हुई स्वतंत्रता 3. लगान, मालगुज़ारी या ऋण की माफ़ी 4. खुला अश्लील परिहास 5.
फक्कड़बाज़ी 6. कर्तव्य, कर्म करने में चूक; नागा 7. दयापूर्वक की जाने वाली कोई रिआयत; (कंसेशन) 8. किसी प्राप्य धन का पूरा अथवा कुछ अंश छोड़ दिया जाना; (रिमिशन;
रिबेट) 9. असावधानी के कारण कार्य के किसी अंग पर ध्यान न जाने या उसके छूट अथवा रह जाने का भाव; चूक; (ओमिशन)।
छूटना
[क्रि-अ.] 1. रवाना होना; गमन करना; चलना 2. बंधन खुल जाना 3. अलग होना; बिछड़ना 4. तेज़ी से फेंका जाना 5. दूर होना; पीछे रह जाना 6. रिहा होना; मुक्त होना 7.
पानी निचुड़ना; रिस-रिसकर निकलना 8. बाकी रहना; बचना 9. किसी काम का शेष रहना 10. चूक होना 11. काम या नौकरी आदि से निकाला जाना 12. दाग या रंग आदि का मिट जाना;
हटना 13. पशु आदि का भागना 14. अस्त्र का दगना, जैसे- गोली का छूटना 15. नियम का भंग होना 16. छींटे या चिंगारी उड़ना, जैसे- आतिशबाज़ी छूटना; फुहारा छूटना।
[मु.] शरीर छूटना : मर जाना; मृत्यु होना। नाड़ी छूटना : नाड़ी की गति बंद होना (मरने का लक्षण)।
छूत
[सं-स्त्री.] 1. छूने का भाव; स्पर्श; संसर्ग 2. गंदी, अशुचि या रोगसंचारक वस्तु का स्पर्श; अस्पृश्य का संसर्ग 3. धार्मिक क्षेत्र में अशुद्ध वस्तु के छूने का
दोष या दूषण 4. (अंधविश्वास) किसी व्यक्ति पर पड़ने वाली भूत-प्रेत की छाया; भूत आदि लगने का बुरा प्रभाव।
छूना
[क्रि-स.] 1. किसी वस्तु से अंग लगाना या सटाना; स्पर्श करना 2. उँगली या हाथ लगाना 3. दौड़ या खेल की बाज़ी में जा पकड़ना 4. दान के लिए कोई वस्तु स्पर्श करना 5.
बहुत हलकी चपत लगाना। [क्रि-अ.] दो वस्तुओं के बीच व्यवधान का अभाव होना; एक का दूसरी से सट जाना। [मु.] आकाश छूना : बहुत ऊँचा होना; बहुत
उन्नति कर लेना।
छू-मंतर
[सं-पु.] 1. मंत्र पढ़कर फूँकना 2. मंत्र 3. जादू 4. गायब हो जाना।
छेंकना
[क्रि-स.] 1. रोकना; घेरना; किसी का रास्ता रोकना 2. स्थान लेना; आच्छादित करना 3. मिटाना; काटना 4. लकीरों से किसी जगह को घेरना।
छेक
(सं.) [सं-पु.] 1. पालतू पशु-पक्षी 2. नागर व्यक्ति 3. (काव्यशास्त्र) अनुप्रास अलंकार का एक भेद 4. मधुमक्खी। [वि.] 1. पालतू; घरेलू 2. नागर।
छेकानुप्रास
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) अनुप्रास अलंकार का एक भेद; कविता में प्रयुक्त एक अलंकार; जब वर्णों की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है तो वह छेकानुप्रास कहलाता
है, जैसे- मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू॥
छेकापह्नुति
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अपह्नुति अलंकार का एक भेद, जिसमें प्रस्तुत अर्थ को अस्वीकार कर अप्रस्तुत अर्थ को स्थापित किया जाता है।
छेकोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) एक अलंकार जिसमें कोई बात सिद्ध करने के लिए उसके साथ किसी लोकोक्ति या कहावत का भी उल्लेख किया जाता है।
छेड़
[सं-स्त्री.] 1. छेड़ने की क्रिया या भाव 2. अपनी बात या व्यवहार से किसी को चिढ़ाना 3. झगड़ा; लड़ाई 4. किसी कार्य का आरंभ 5. पहल।
छेड़खानी
[सं-स्त्री.] 1. किसी को कष्ट देने के लिए छेड़ना; छेड़ने वाली बात या क्रिया 2. किसी के प्रति किया जाने वाला अनुचित व्यवहार; किसी को परेशान करना 3.
हँसी-ठिठोली; छेड़छाड़; नोक-झोंक 4. रोककर कोई अशिष्ट बात या अपशब्द कहना।
छेड़छाड़
[सं-स्त्री.] छेड़खानी।
छेड़ना
[क्रि-स.] 1. परेशान करना; तंग करना 2. आरंभ करना; कुछ करने की ठानना 3. व्यवधान डालना 4. किसी को चिढ़ाना; विरोधी पर व्यंग्य करना 5. किसी वाद्य से स्वर
निकालना या बजाना शुरु करना 6. चुटकी लेना; मज़ाक करना 7. खोदना; कोंचना।
छेड़वाना
[क्रि-स.] 1. छेड़ने की क्रिया में किसी को प्रवृत्त करना 2. छेड़ने का काम किसी और से कराना।
छेद
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी तल या पदार्थ में होने वाली खुली जगह; सुराख़; छिद्र 2. बिल; विवर 3. दोष 4. छेदन; काटना 5. विनाश 6. छोटे मुँह वाला गहरा गड्ढा 7. वह
छिद्र जो किसी चीज़ के आर-पार हो गया हो।
छेदक
(सं.) [सं-पु.] छेदनकर्ता। [वि.] 1. छेद करने वाला (यंत्र) 2. काटकर अलग करने वाला।
छेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. छेदने की क्रिया या भाव 2. काटना 3. दो टुकड़े करना 4. निराकरण करना 5. छाँटने का अस्त्र 6. छेदने का औज़ार 7. विभाजन।
छेदना
(सं.) [क्रि-स.] 1. छेद करना; बेधना; भेदना 2. क्षत या घाव करना 3. छिन्न करना; काटना 4. किसी तल में नुकीली वस्तु धँसाकर उसमें सुराख़ करना।
छेदा
[सं-पु.] 1. घुन नामक कीड़ा 2. अन्न में वह विकार जो इस कीड़े के कारण पैदा होता है; घुन द्वारा खाए जाने के कारण अनाज के खोखले होने का दोष।
छेदिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वक्र रेखा को कई भागों में काटने वाली रेखा 2. छेद करने वाली वस्तु।
छेदित
(सं.) [वि.] 1. कटा हुआ; छिन्न 2. जिसमें छेद किया गया हो; छेदा हुआ।
छेदी
(सं.) [वि.] 1. काटने वाला; विभाजन करने वाला 2. नष्ट करने वाला; हटाने वाला।
छेना
(सं.) [सं-पु.] फाड़े हुए दूध का गाढ़ा अंश जिसका पानी निकाल दिया जाए; रसगुल्ले बनाने का पदार्थ।
छेनी
[सं-स्त्री.] 1. पत्थर को काटने, गढ़ने अथवा तराशने का लोहे का औज़ार 2. धार बनाने के लिए प्रयुक्त नुकीला औज़ार; टाँकी।
छेरा
[सं-पु.] 1. बकरा 2. पतला मल या दस्त।
छेरी
[सं-स्त्री.] बकरी; अजा।
छेव
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु को काटने या छीलने की क्रिया या भाव 2. उक्त उद्देश्य से किया गया आघात; वार; चोट 2. काटने या छीलने से पड़ने वाला चिह्न; जख़्म;
घाव 3. विपत्ति; दुख 4. किसी दुष्कर्म या क्रूर ग्रह आदि के प्रभाव से होने वाला अनिष्ट 5. कपटपूर्ण व्यवहार।
छेवना
(सं.) [क्रि-स.] 1. काटना 2. चिह्न लगाना 3. फेंकना; डालना 4. किसी चीज़ में छेव लगाना 5. आघात; प्रहार या वार करना 6. चोट पहुँचाना 7. कष्ट देना।
छैना
[सं-पु.] करताल या जोड़ी की तरह का एक बाजा; झाँझ।
छैल-छबीला
[वि.] 1. बना-ठना सुंदर युवक 2. बाँका नौजवान।
छैला
[सं-पु.] 1. बन-सँवरकर रहने वाला व्यक्ति; फ़ैशनेबुल व्यक्ति 2. बाँका; रंगीला पुरुष। [वि.] 1. जो रसिक अथवा रंगीली प्रवृत्ति का हो 2. रूपवान; सुंदर 3. सज-धज
वाला।
छैलापन
[सं-पु.] 1. छैला होने का भाव 2. बाँकपन; रसिकपन।
छोआ
[सं-पु.] 1. रस निकल जाने पर बची हुई गन्ने के टुकड़ों की सीठी 2. भुने हुए धान आदि की खील; लावा 3. एक प्रकार के दाने जिनसे लड्डू आदि बनते हैं।
छोकरा
[सं-पु.] 1. लड़का; लौंडा 2. कच्ची उम्र का लड़का; नासमझ बालक 3. {ला-अ.} आवारागर्दी करने वाले लड़कों के लिए प्रयुक्त शब्द।
छोकरी
[सं-स्त्री.] (छोकरा का स्त्रीवाची रूप); छोटी उम्र की लड़की।
छोटा
[वि.] 1. लंबाई और ऊँचाई या विस्तार में कम; छोटे कद का 2. जिसकी उम्र कम हो 3. जो योग्यता, पद और प्रतिष्ठा में कम हो; तुच्छ; हीन 4. क्षुद्र; निम्न; कमीना;
ओछा 5. कनिष्ठ 6. अवयस्क; नाबालिग 7. मातहत 8. नगण्य; साधारण; महत्वरहित।
छोटाई
[सं-स्त्री.] 1. छोटे होने की अवस्था या भाव; छोटापन; लघुता 2. नीचता; क्षुद्रता।
छोटापन
[सं-पु.] 1. ओछापन; क्षुद्रता 2. छोटाई; बचपन।
छोटा परदा
[सं-पु.] टीवी के लिए प्रयुक्त शब्द; टीवी का परदा।
छोटा-मोटा
[वि.] साधारण; मामूली; तुच्छ; नगण्य।
छोटू
[सं-पु.] एक संबोधन; छोटे बच्चों या लड़कों को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द।
छोड़ना
[क्रि-स.] 1. मुक्त करना; पकड़ से अलग करना; छुटकारा देना 2. रवाना करना; जाने देना 3. किसी वस्तु आदि पर से अपना अधिकार, प्रभुत्व या स्वामित्व हटा लेना 4.
पहुँचाना; ले जाना 5. विदा होना; प्रस्थान करना 6. स्वीकार न करना; न लेना; त्यागना 7. किसी को पीछे छोड़ना 8. बाकी रखना; उपयोग में न लेना 9. वेग से गिराना;
बाहर निकालना 10. डालना 11. शेष रहना 12. पीछे लगाना; नियुक्त करना 13. माफ़ करना 14. कथन या लेख आदि में से किसी आवश्यक बात को न लेना 15. दूरगामी अस्त्रों को
चलाना, जैसे- मिसाइल या रॉकेट छोड़ना 16. कार्य को अधूरा रहने देना; ज़िम्मेदारी न निभाना 17. त्याग-पत्र देना 18. किसी आरोप या अभियोग से मुक्त करना 19. चलाना;
दौड़ाना; गति में लाना।
छोपना
[क्रि-स.] 1. बहुत गाढ़ी वस्तु या सानी हुई वस्तु को किसी दूसरी चीज़ पर थोपना 2. ढकना 3. दबोचना।
छोपा
[सं-पु.] पाल के कोनों पर बँधी हुई रस्सियाँ जिनसे वह ऊपर चढ़ाया जाता है।
छोर
[सं-पु.] 1. किसी चीज़ का अंतिम सिरा; किनारा; साहिल 2. किसी वस्तु का भाग या विस्तार; सीमा 3. कोना; नोक।
छोरा
[सं-पु.] 1. लड़का; छोकरा 2. पुत्र; बेटा; बालक।
छोरी
[सं-स्त्री.] 1. लड़की; कन्या 2. बेटी; पुत्री।
छोलदारी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का छोटा ख़ेमा या छोटा तंबू; कलंदरी; रावटी।
छोलना
[सं-पु.] लोहे का एक औज़ार जिससे कोई चीज़ छीली जाए; हथियारों का मोरचा (जंग) छुड़ाने का एक उपकरण। [क्रि-स.] 1. छीलना 2. छिलका उतारना।
छोलनी
[सं-स्त्री.] 1. छीलने का औज़ार 2. हलवाइयों की कड़ाही खुरचने का खुरपी जैसा एक औज़ार; खुरचनी।
छोला
[सं-पु.] 1. काबुली चना 2. उक्त चने से निर्मित खाद्य पदार्थ।
छौंक
[सं-स्त्री.] 1. छौंकने की क्रिया; बघार 2. वह चीज़ जिससे कोई वस्तु छौंकी जाए।
छौंकना
[क्रि-स.] 1. दाल आदि खाद्य पदार्थ को सुगंधित या स्वादिष्ट बनाने के लिए हींग, मिर्च आदि को मिलाकर तेल या घी में गरम करके डालना 2. बघारना।
छौंड़ा
[सं-पु.] 1. ज़मीन में खोदा हुआ वह गड्ढा जिसमें अनाज रखते हैं; खत्ता 2. बालक; लड़का।
छौना
[सं-पु.] 1. पशु का बच्चा 2. बालक; बच्चा 3. शावक।