व
हिंदी वर्णमाला का एक वर्ण। हिंदी में इसके दो उच्चारण हैं- 1. दंत्योष्ठ्य, सघोष अर्धव्यंजन, जैसे- वन, वह आदि 2. द्वि-ओष्ठ्य, कोमल तालव्य, सघोष अर्धस्वर,
जैसे- गाँव, नाव आदि।
व2
(सं.) [यो.] और; तथा; एवं।
वंक
(सं.) [वि.] 1. वक्र; टेढ़ा; कुछ झुका हुआ 2. कुटिल; धूर्त। [सं-पु.] 1. नदी का मोड़ या घुमाव 2. टेढ़ापन; कुटिलता 3. आवारा व्यक्ति।
वंकट
(सं.) [वि.] 1. टेढ़ा; वक्र 2. जो सीधा न हो; कुटिल 3. विकट; दुर्गम।
वंकर
(सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ से नदी मुड़ी हो; नदी का घुमाव या मोड़।
वंकिम
(सं.) [वि.] संरचना एवं स्वरूप आदि की दृष्टि से कुछ टेढ़ा या झुका हुआ; ईषत; वक्र; बाँका; टेढ़ा।
वंग
(सं.) [सं-पु.] 1. अविभाजित भारत का बंगाल नामक प्रांत 2. राँगा नामक धातु 3. राँगे की भस्म।
वंचक
(सं.) [वि.] 1. वंचना करने वाला; ठग; खल 2. धोखा देने वाला; धूर्त; धोखेबाज़। [सं-पु.] दुष्ट या खोटा व्यक्ति; बुरा व्यक्ति; दुर्जन।
वंचकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वंचक होने की अवस्था या भाव 2. धोखाधड़ी; ठगी।
वंचन
(सं.) [सं-पु.] 1. धोखा देना; धूर्तता; ठगी 2. ठगा जाना; धोखा खाना 3. क्षति; हानि 4. भ्रांति; व्यामोह।
वंचना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छलपूर्वक व्यवहार करने की क्रिया या भाव 2. ठगी; धोखा; जाल; फ़रेब; छल; वंचन।
वंचित
(सं.) [वि.] 1. जिसे वांछित वस्तु प्राप्त न हुई हो या प्राप्त करने से रोका गया हो; महरूम 2. धोखा खाया हुआ; ठगा हुआ 3. किसी कार्य या प्रसंग आदि से अलग किया
हुआ; हीन; रहित 4. विमुख।
वंजुल
(सं.) [सं-पु.] 1. बेंत 2. अशोक का वृक्ष 3. तिनिश (शीशम की जाति का एक प्रकार) का पेड़ 4. एक तरह का पक्षी।
वंटन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु को बाँटना या वितरण करना 2. अंश या भाग लगाना; विभक्त करना।
वंदन
(सं.) [सं-पु.] 1. पूजन 2. स्तुति 3. नमस्कार 4. सिंदूर 5. मस्तक पर लगाया जाने वाला तिलक।
वंदना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रार्थना, स्तुति 2. यज्ञ या होम आदि की भस्म का तिलक 3. बौद्धों की एक पूजा।
वंदनीय
(सं.) [वि.] वंदना करने योग्य; जिसकी वंदना उचित हो।
वंदित
(सं.) [वि.] 1. पूजित 2. जिसकी वंदना की गई हो।
वंदी
(सं.) [सं-पु.] 1. बंधन में रखा हुआ 2. कैदी।
वंद्य
(सं.) [वि.] 1. वंदना करने योग्य; वंदनीय 2. आदरणीय; सम्माननीय 3. पूजनीय; नमनीय।
वंध्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संतानोत्पत्ति में अक्षम स्त्री या मादा प्राणी; बाँझ 2. एक गंधद्रव्य।
वंश
(सं.) [सं-पु.] 1. कुल; परिवार; ख़ानदान 2. बाँस 3. बाँस की गाँठ 4. ईख 5. नाक के ऊपर की हड्डी; लंबी-पोली हड्डी 6. लंबाई मापने का एक पैमाना जो बारह हाथ लंबाई
के माप हेतु प्रयुक्त होता है 7. मेरुदंड।
वंशक्रम
(सं.) [सं-पु.] वंश तालिका।
वंशगत
(सं.) [वि.] वंश संबंधी।
वंशज
(सं.) [वि.] 1. वंश विशेष में उत्पन्न; वंशधर 2. बाँस से बना हुआ। [सं-पु.] 1. संतान 2. किसी वंश में उत्पन्न व्यक्ति 3. बाँस का बीज।
वंश-परंपरा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी वंश की पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती आ रही कोई परंपरा; वंशानुगत परंपरा।
वंशवाद
(सं.) [सं-पु.] अपने ही वंश के लोगों को वरीयता देने की प्रवृत्ति।
वंशवृक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँस का पेड़ 2. किसी वंश की बनाई गई वृक्षाकार तालिका।
वंशानुक्रम
(सं.) [सं-पु.] वंशावली; वंश-परंपरा; किसी वंश में चलते रहने वाला क्रम या परंपरा।
वंशानुक्रमिक
(सं.) [वि.] वंश में परंपरागत रूप से चलने वाला; आनुवंशिक।
वंशानुगत
(सं.) [वि.] वंश परंपरा से प्राप्त; वंश-परंपरा से चला आता हुआ।
वंशावली
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी वंश के लोगों की कालक्रमानुगत सूची; वंश-तालिका।
वंशी
(सं.) [सं-स्त्री.] बाँसुरी; मुरली। [वि.] 1. वंश विशेष से संबंध रखने वाला 2. वंश विशेष का।
वंशीधर
(सं.) [सं-पु.] कृष्ण।
वंशीय
(सं.) [वि.] 1. कुल या वंश का 2. कुल या वंश के संबंध का; वंश संबंधी।
वंशीवट
(सं.) [सं-पु.] बरगद का वह पेड़ जिसके नीचे कृष्ण वंशी बजाते थे।
वंशोद्भूत
(सं.) [वि.] किसी विशिष्ट वंश या कुल में उत्पन्न; वंशज।
वक
(सं.) [सं-पु.] 1. बगुला नामक पक्षी 2. अगस्त का पेड़ एवं फूल 3. एक दैत्य जिसका वध कृष्ण ने किया था; बकासुर 4. (महाभारत) एक राक्षस जिसे भीम ने मारा था 5.
वंचक; ठग; ढोंगी।
वकालत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वकील का पेशा 2. किसी के पक्ष में किया जाने वाला मंडन; पैरवी, जैसे- मुकदमे की पैरवी 3. प्रतिनिधित्व।
वकालतनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वकील होने का प्रमाणपत्र; मुकदमे की पैरवी करने का अधिकार-पत्र।
वकील
(अ.) [सं-पु.] 1. वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण कर कानूनी बहस या जिरह करने का अधिकारी व्यक्ति; वकालत करने का अधिकारी 2. मुकदमे की पैरवी करने वाला प्रतिनिधि।
वक्त
(अ.) [सं-पु.] 1. समय; काल 2. अवसर; मौका 3. फ़ुरसत; अवकाश 4. नियत काल 5. मुश्किल; मुसीबत की घड़ी 6. मृत्यु का समय 7. ऋतु; वर्तमानकाल।
वक्तपरस्त
(अ.) [वि.] अवसर का लाभ उठाने वाला; मौकापरस्त।
वक्त-बेवक्त
(अ.) [क्रि.वि.] समय-कुसमय।
वक्तव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी बात जो किसी विषय को स्पष्ट करने के लिए हो 2. जो कहा जाने वाला हो 3. कहे जाने योग्य हो 4. विचारों को प्रकट करने के लिए मौखिक या
प्रकाशित कथन।
वक्तव्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] वक्तव्य या उत्तर देने का दायित्व; उत्तरदायित्व।
वक्ता
(सं.) [वि.] 1. कहने या बोलने वाला 2. भाषण आदि देने वाला। [सं-पु.] 1. कहने या बोलने वाला व्यक्ति 2. किसी विषय को अच्छी तरह से स्पष्ट करने वाला व्यक्ति।
वक्तृता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बोलने की कला; वाक्पटुता 2. भाषण देने की योग्यता या क्षमता 3. व्याख्यान; भाषण।
वक्तृत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. बोलने की क्षमता; वाग्मिता 2. वक्तव्य; कथन।
वक्तृत्व-कला
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रभावी तरीके से भाषण देने की कला।
वक्फ़
(अ.) [सं-पु.] 1. धर्मार्थ अर्पित वस्तु या संपत्ति 2. लोक-कल्याण के उद्देश्य से दिया गया धन या वस्तु।
वक्र
(सं.) [वि.] 1. टेढ़ा; तिरछा; झुका हुआ; नत 2. कुटिल; धूर्त।
वक्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. टेढ़ापन; तिरछापन 2. {ला-अ.} कुटिलता; धूर्तता।
वक्रदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. टेढ़ी नज़र; तिरछी नज़र 2. क्रोधपूर्ण दृष्टि।
वक्रोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का अलंकार 2. चमत्कारपूर्ण उक्ति।
वक्ष
(सं.) [सं-पु.] पेट तथा गले के बीच का हिस्सा; छाती; सीना।
वक्षस्थल
(सं.) [सं-पु.] वक्ष; छाती; सीना; हृदय।
वक्षोज
(सं.) [सं-पु.] स्त्री के स्तन; कुच।
वक्षोरुह
(सं.) [सं-पु.] वक्षोज।
वगैरह
(अ.) [अव्य.] आदि; इत्यादि।
वचन
(सं.) [सं-पु.] 1. वाणी 2. उक्ति; कथन 3. प्रतिज्ञा; शपथ; वादा 4. व्याकरण का वह तत्व जिसके द्वारा संज्ञा की संख्या का बोध होता है, जैसे- एकवचन, द्विवचन आदि।
वचनबद्ध
(सं.) [वि.] वचन से बँधा हुआ; वादा करने वाला; प्रतिश्रुत; जिसने प्रतिज्ञा की हो।
वचनबद्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] वचनबद्ध होने की स्थिति या अवस्था; वायदा।
वचनभंग
(सं.) [सं-पु.] वचन अथवा वादे को पूरा न करने की स्थिति।
वचनामृत
(सं.) [सं-पु.] अमृत के समान वचन; अमृत-तुल्य वचन।
वचनीय
(सं.) [वि.] 1. वचन संबंधी 2. कथनीय 3. जिसके संबंध में निंदा की गई हो; निंदनीय। [सं-पु.] शिकायत; निंदा।
वज़न
(अ.) [सं-पु.] 1. भार; बोझ 2. तौल 3. भार मापने अथवा तौलने की क्रिया 4. {ला-अ.} महत्व 5. {ला-अ.} मान-प्रतिष्ठा।
वज़नकश
(अ.+फ़ा) [सं-पु.] भार मापने या तौलने वाला।
वज़नकशी
(अ.) [सं-स्त्री.] भार मापने या तौलने का उपक्रम; तुलाई।
वज़नदार
(अ.) [वि.] 1. जिसमें वज़न हो; बोझ वाला 2. भारी 3. {ला-अ.} महत्व रखने वाला।
वज़नी
(अ.) [वि.] 1. वज़न अथवा भार रखने वाला; भारी 2. {ला-अ.} महत्वपूर्ण।
वजह
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. कारण; सबब; हेतु 2. माध्यम; ज़रिया।
वज़ा
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. ढंग 2. बनावट 3. रचना 4. अवस्था; दशा। [वि.] 1. काटकर निकाला हुआ 2. घटाया हुआ।
वज़ाअत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. पवित्रता; पाकीज़गी 2. निर्दोषपन 3. सुंदरता।
वज़ादार
(अ.) [वि.] 1. जिसकी बनावट बहुत सुंदर हो 2. अच्छी गठन वाला; तरहदार 3. सज-धज वाला 4. अपनी रीति-नीति न छोड़ने वाला।
वज़ारत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वज़ीर अथवा मंत्री का पद तथा कार्य 2. वज़ीर का कार्यकाल।
वज़ाहत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. भव्यता 2. सुंदरता 3. बड़प्पन 4. प्रतिष्ठा 5. मान्यता।
वज़ीफ़ा
(अ.) [सं-पु.] 1. छात्रवृत्ति 2. पेंशन; वृत्ति 3. अच्छे कार्य के प्रोत्साहन के लिए किसी संस्था, सरकार अथवा देश की ओर से दिया जाने वाला धन 4. इस्लाम धर्म में
श्रद्धापूर्वक किया जाने वाला जप या पाठ।
वज़ीफ़ाधारी
(अ.+सं.) [सं-पु.] वज़ीफा अथवा वृत्ति पाने वाला व्यक्ति।
वज़ीर
(अ.) [सं-पु.] 1. मंत्री; (मिनिस्टर) 2. मध्यकाल में बादशाह का सलाहकार; सचिव 3. शतरंज के खेल का एक मुहरा।
वज़ीरी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वज़ीर का काम 2. वज़ीर होने का भाव 3. घोड़े की एक जाति।
वज़ीरेआज़म
(अ.) [सं-पु.] प्रधानमंत्री।
वजू
(अ.) [सं-पु.] नमाज़ पढ़ने से पहले शुद्धि हेतु हाथ-पाँव धोना।
वजूद
(अ.) [सं-पु.] 1. अस्तित्व 2. सत्ता 3. देह; शरीर 4. सृष्टि 5. उपस्थिति; मौजूदगी।
वज्र
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश से गिरने वाली बिजली जो बादलों के आपस में टकराने से उत्पन्न होती है 2. पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं के राजा इंद्र का अस्त्र 3.
भारतीय ज्योतिष के अनुसार एक योग 4. एक बहुमूल्य रत्न जो चमकीला और बहुत कठोर होता है; हीरा 5. एक प्रकार का बढ़िया लोहा; इस्पात; फ़ौलाद। [वि.] 1. अत्यंत कठोर
2. भीषण 3. उग्र; तीव्र 4. जिसपर किसी का प्रभाव न पड़े।
वज्रगर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. वज्र जैसे शस्त्र के समान आवाज़ करना 2. बिजली के समान गर्जन करना।
वज्रदंती
(सं.) [सं-स्त्री.] एक पौधा जो दातून के काम आता है।
वज्रदृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रोध भरी दृष्टि 2. वज्र के समान कठोर दृष्टि।
वज्रधर
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) देवताओं के राजा इंद्र 2. बोधिसत्व।
वज्रपाणि
(सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र 2. एक बोधिसत्व।
वज्रपात
(सं.) [सं-पु.] 1. बिजली गिरना 2. वज्र का गिरना; वज्राघात 3. {ला-अ.} अचानक आई भारी विपत्ति।
वज्रमुष्टि
(सं.) [सं-पु.] 1. योद्धा 2. तीर चलाते समय हाथ की विशेष स्थिति 3. इंद्र।
वज्रयान
(सं.) [सं-पु.] बौद्धों की एक शाखा जो तंत्र-मंत्र आदि में विश्वास करती है।
वज्राग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आकाश से गिरने वाली बिजली 2. आकाश से गिरने वाली बिजली से उत्पन्न अग्नि।
वज्राघात
(सं.) [सं-पु.] 1. वज्र का आघात 2. वज्र जैसा भयंकर आघात।
वज्रासन
(सं.) [सं-पु.] 1. योग का एक आसन या मुद्रा 2. गया में बोधिवृक्ष के नीचे की वह शिला जिसपर आसन लगाकर बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त किया था।
वज्रोली
(सं.) [सं-स्त्री.] हठयोग में उँगलियों की एक मुद्रा।
वट
(सं.) [सं-पु.] 1. बरगद का पेड़ 2. कौड़ी; कपर्दक 3. गोली; गेंद 4. बड़ा या पकौड़ा नामक व्यंजन 5. साम्य; एकरूपता।
वटक
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ी टिकिया अथवा गोली; वटी 2. पकौड़ा नामक व्यंजन।
वटवृक्ष
(सं.) [सं-पु.] बरगद का पेड़; बड़।
वटिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रस्सी या डोरी 2. गोली अथवा छोटी टिकिया।
वटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रस्सी या डोरी लगी हुई 2. औषधि की छोटी टिकिया; गोली।
वटुक
(सं.) [सं-पु.] 1. लड़का 2. ब्रह्मचारी।
वणिक
(सं.) [सं-पु.] 1. वाणिज्य या व्यवसाय से जीविकोपार्जन करने वाला व्यक्ति 2. व्यापारी।
वणिकवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बनिये का काम या पेशा 2. व्यापारी का काम।
वत
(सं.) [परप्रत्य.] संज्ञा या विशेषण के अंत में जोड़ा जाने वाला प्रत्यय जो सादृश्य या समानता का अर्थ देता है, जैसे- विधिवत, पुत्रवत आदि।
वतन
(अ.) [सं-पु.] 1. जन्मभूमि; देश; स्वदेश 2. मूल वासस्थान।
वतनी
(अ.) [सं-पु.] किसी की दृष्टि से उसी के वतन का नागरिक। [वि.] 1. वतन संबंधी 2. स्वदेशी 3. एक ही देश में होने वाला।
वत्स
(सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र या शिष्य के लिए प्यार भरा संबोधन 2. शिशु 3. गाय का बच्चा; बछड़ा 4. बुद्धकालीन सोलह महाजनपदों में से एक।
वत्सर
(सं.) [सं-पु.] साल; वर्ष।
वत्सल
(सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र आदि के प्रति उत्पन्न स्नेह या प्रेम का भाव 2. प्रेम। [वि.] 1. पुत्र आदि के प्रेम से युक्त 2. बच्चों से प्यार करने वाला।
वद
(सं.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर 'बोलने वाला' का अर्थ देता है, जैसे- प्रियंवद।
वदन
(सं.) [सं-पु.] 1. चेहरा; मुखड़ा 2. किसी वस्तु का अग्रभाग 3. शक्ल 4. कथन; भाषण।
वदि
(सं.) [सं-पु.] चांद्र मास में पड़वा (प्रतिपदा) से अमावस्या तक के पंद्रह दिन का पक्ष; कृष्णपक्ष।
वध
(सं.) [सं-पु.] किसी मनुष्य, प्राणी आदि को जान-बूझकर किसी उद्देश्य से मार डालने की क्रिया; हत्या।
वधक
(सं.) [वि.] 1. वध अथवा हत्या करने वाला 2. शिकारी 3. घातक; हिंसक।
वधू
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नवविवाहित कन्या 2. स्त्री 3. दुल्हन; पत्नी।
वधूटी
(सं.) [सं-स्त्री.] पुत्रवधू; नवयुवती।
वध्य
(सं.) [वि.] वध किए जाने योग्य; मार डालने के लायक। [सं-पु.] वह जिसका वध किया जाना हो।
वन
(सं.) [सं-पु.] 1. जंगल; वन 2. ऐसा स्थान जहाँ बहुत अधिक वृक्ष हों 3. बाग; वाटिका।
वनखंड
(सं.) [सं-पु.] वन का एक हिस्सा; जंगल।
वनखंडी
(सं.) [सं-स्त्री.] वन का एक छोटा भाग या हिस्सा।
वनचर
(सं.) [सं-पु.] 1. वन में विचरण करने और रहने वाला 2. जंगली पशु।
वनचारी
(सं.) [वि.] वनचर।
वनज
(सं.) [वि.] वन से उत्पन्न; वनस्पति; जड़ी-बूटी। [सं-पु.] 1. वह जो जंगल में उत्पन्न हो 2. तुंबुरु का फल 3. मोथा 4. जंगली बिजौरा नीबू।
वनद
(सं.) [सं-पु.] बादल; मेघ; वारिद।
वनदेवता
(सं.) [सं-पु.] वन का अधिष्ठाता देवता।
वनदेवी
(सं.) [सं-स्त्री.] वन की अधिष्ठात्री देवी।
वनपक्षी
(सं.) [सं-पु.] जंगल में वास करने वाले पक्षी।
वनपशु
(सं.) [सं-पु.] वन्य पशु; जंगली जानवर।
वनफूल
(सं.) [सं-पु.] जंगली फूल; पुष्प; कुसुम।
वनमानुष
(सं.) [सं-पु.] मनुष्य से मिलते-जुलते आकार और बंदर के स्वभाव वाला एक प्राणी।
वनमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन के फूलों से निर्मित माला 2. घुटनों तक लटकने वाली ऋतु-कुसुमों की माला।
वनमाली
(सं.) [सं-पु.] कृष्ण। [वि.] वनमाला पहनने वाला।
वनरूह
(सं.) [सं-पु.] कमल; पद्म।
वनवास
(सं.) [सं-पु.] वन में वास करना; जंगल में रहना।
वनस्थली
(सं.) [सं-स्त्री.] वनों से घिरा हुआ क्षेत्र; वन-क्षेत्र; वन की भूमि।
वनस्पति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेड़-पौधे 2. वन से उत्पन्न जड़ी-बूटी 2. ज़मीन से उगने वाले पौधे या लताएँ।
वनस्पतिज्ञ
(सं.) [सं-पु.] वनस्पतियों का विशेषज्ञ; वनस्पति-शास्त्र का ज्ञाता।
वनस्पतिविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] पेड़-पौधों के विषय में सम्यक अध्ययन करने वाली विज्ञान की एक शाखा।
वनांत
(सं.) [सं-पु.] 1. वनप्रांत 2. जंगली भूमि या मैदान 3. वन का अंतिम छोर; क्षेत्र 4. जंगल का समाप्ति-स्थल।
वनाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] वन या जंगल में लगने वाली आग; दावानल।
वनाधिकारी
(सं.) [सं-पु.] जंगल की देखभाल करने वाला अधिकारी; वनरक्षक; वनपाल; वनपालक।
वनिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नारी; स्त्री 2. अनुरक्त नारी; प्रिया; प्रेयसी 3. एक प्रकार का छंद।
वनीकरण
(सं.) [सं-पु.] वन का विकास करना; वन का रूप देना; पेड़ लगाना।
वन्य
(सं.) [वि.] 1. वन में उत्पन्न होने वाला; वन का 2. जंगली।
वन्य-प्रदेश
(सं.) [सं-पु.] 1. वन का क्षेत्र 2. वनप्रांत 3. वृक्ष से आच्छादित प्रदेश।
वपन
(सं.) [सं-पु.] 1. बीज आदि बोना 2. केश मुंडन 3. नाई की दुकान 4. करघा।
वपु
(सं.) [सं-पु.] देह; शरीर।
वपुमान
(सं.) [सं-पु.] 1. हृष्ट-पुष्ट और सुंदर शरीरवाला 2. मूर्त; साकार।
वफ़ा
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. निष्ठा 2. कृतज्ञता 3. वचन-पालन 4. मुरौवत।
वफ़ात
(अ.) [सं-स्त्री.] मौत; मृत्यु।
वफ़ादार
(अ.) [वि.] 1. स्वामिभक्त; निष्ठावान 2. वचन का पालन करने वाला 3. प्रतिज्ञा पूर्ण करने वाला 4. मित्रता, प्रेम आदि रिश्तों का निर्वाह करने वाला।
वफ़ादारी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वफ़ादार होने की क्रिया या भाव 2. निष्ठा 3. स्वामिभक्ति।
वफ़ापरस्त
(अ.) [वि.] वफ़ादार।
वमन
(सं.) [सं-पु.] 1. कै; उल्टी 2. बाहर निकालना 3. कै अथवा उल्टी किया हुआ पदार्थ।
वमि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वमन का रोग 2. वमन कराने वाली औषधि।
वय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उम्र; अवस्था 2. यौवन; जवानी।
वयःसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] बाल्यावस्था और यौवनावस्था के मध्य का समय; बाल्यावस्था और यौवनावस्था के मध्य की स्थिति।
वयन
(सं.) [सं-पु.] बुनने का कार्य; बुनाई।
वयस
(सं.) [सं-पु.] उम्र; अवस्था।
वयस्क
(सं.) [सं-पु.] 1. शारीरिक रूप से पूर्णतः विकसित हो चुके युवक-युवती 2. निर्वाचन संबंधी अधिकार प्राप्त व्यक्ति। [वि.] शारीरिक रूप से पूर्णतः विकसित; पूर्ण
विकसित; बालिग; सयाना।
वयस्कता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वयस्क होने की अवस्था 2. परिपक्वता।
वयोवृद्ध
(सं.) [वि.] अत्यधिक उम्रवाला; बूढ़ा।
वर
(सं.) [सं-पु.] 1. विवाहयोग्य पुरुष 2. नवविवाहिता का पति; दुल्हा 3. चयन; चुनाव 4. ईश्वर से माँगी गई वस्तु 5. आशीर्वाद। [वि.] 1. श्रेष्ठ; उत्तम 2. चयन करने
योग्य।
वरक
(अ.) [सं-पु.] 1. धातु का पतला पत्तर 2. किताब का पन्ना या पृष्ठ 3. फूल की पंखुड़ी।
वरका
(अ.) [सं-पु.] 1. किताब का पन्ना; पुस्तक का पृष्ठ 2. पत्ता; पत्र।
वरज़िश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कसरत; व्यायाम 2. शारीरिक श्रम 3. अभ्यास।
वरज़िशी
(फ़ा.) [वि.] 1. वरज़िश संबंधी 2. कसरती; कसरत अथवा व्यायाम से हृष्ट-पुष्ट।
वरटा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुसुम का बीज 2. हंसिनी 3. बर्रे 4. गँधिया कीड़ा।
वरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपनी इच्छा से किया जाने वाला चयन; स्वीकार 2. अर्चन; पूजन 3. कन्या द्वारा वर का चुनाव करके विवाह संबंध सुनिश्चित करने की क्रिया 4. किसी
चीज़ को ढकने या लपेटने आदि की क्रिया।
वरणीय
(सं.) [वि.] 1. वरण करने योग्य; वरेण्य 2. ग्रहण करने योग्य; ग्राह्य 3. चुनने योग्य; चयनीय 4. पूजनीय।
वरद
(सं.) [वि.] वरदाता; वर देने वाला।
वरदहस्त
(सं.) [सं-पु.] 1. वर या आशीष देने की हस्तमुद्रा 2. आशीर्वाद; कृपा।
वरदान
(सं.) [सं.पु.] 1. ख़ुश होकर अभिलाषित वस्तु प्रदान करने की अवस्था या भाव 2. फलसिद्धि 3. नेमत; कृपा।
वरदायी
(सं.) [वि.] वर देने वाला; वरदायक।
वरदी
(इं.) [सं-स्त्री.] सेना, पुलिस आदि का विशेष प्रकार का पहनावा; (यूनिफ़ॉर्म)।
वरन
(सं.) [अव्य.] 1. ऐसा नहीं 2. बल्कि; इसके विपरीत।
वरना
(फ़ा.) [अव्य.] अन्यथा; नहीं तो।
वरम
(फ़ा.) [सं-पु.] शोथ; सूजन।
वरमाला
(सं.) [सं-पु.] विवाह के अवसर पर वर और वधू के गले में डाली जाने वाली माला; जयमाल।
वराक
(सं.) [वि.] 1. दरिद्र 2. दीन-हीन 3. दयनीय 4. अभागा 5. नीच।
वराटिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कौड़ी 2. एक विषैली वनस्पति 3. नागकेसर।
वरानना
(सं.) [सं-स्त्री.] सुमुखी; रूपवती नारी; सुंदर स्त्री।
वराह
(सं.) [सं-पु.] 1. शूकर; सुअर 2. (पुराण) विष्णु का एक अवतार जो शूकर के रूप में हुआ था 3. एक प्राचीन पर्वत।
वरिष्ठ
(सं.) [वि.] 1. श्रेष्ठ; पूज्य 2. सबसे बढ़कर; बड़ा 3. ज्येष्ठ; वरीय।
वरिष्ठता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रेष्ठता 2. ज्येष्ठता; वरीयता।
वरीय
(सं.) [वि.] 1. वरण के योग्य 2. श्रेष्ठ 3. बड़ा।
वरीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वरीय होने का भाव 2. श्रेष्ठता 3. अधिमान्यता।
वरुण
(सं.) [सं-पु.] 1. एक वैदिक देवता जिसे जल का अधिपति कहा गया है 2. (पुराण) पश्चिम का दिक्पाल 3. सौरमंडल के नौ ग्रहों में से एक; (नेपच्यून) 4. जल 5. समुद्र।
वरुणा
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रसिद्ध नदी जो काशी के समीप गंगा में मिलती है।
वरुणालय
(सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर; सिंधु।
वरूथ
(सं.) [सं-पु.] 1. बचाव 2. बख़्तर 3. ढाल 4. रथ का घेरा 5. समूह 6. फ़ौज; सेना।
वरूथिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सैन्य-दल; सेना 2. वैशाख माह के कृष्ण-पक्ष की एकादशी।
वरेण्य
(सं.) [वि.] 1. वरणीय 2. पूजनीय 3. मुख्य; प्रधान 4. सर्वोत्कृष्ट 5. जिसकी इच्छा की जाए।
वर्क1
(अ.) [सं-पु.] सोने, चाँदी आदि का बहुत पतला पत्तर; पृष्ठ; वरक; तबक।
वर्क2
(इं.) [सं-पु.] कार्य; काम।
वर्कर1
(सं.) [सं-पु.] 1. भेड़ का बच्चा; मेमना 2. बकरा।
वर्कर2
(इं.) [सं-पु.] 1. कार्य करने वाला व्यक्ति 2. कर्मचारी।
वर्कशाप
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. कार्यशाला 2. मशीनों, गाड़ियों आदि की मरम्मत की जगह।
वर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही प्रकार की इकाइयों का समूह 2. समान विचारधारा के व्यक्तियों का समुदाय 3. श्रेणी 4. कोटि 5. प्रकोष्ठ 6. जमात; कक्षा 7. (गणित) समान
लंबाई-चौड़ाई वाला समकोण चतुर्भुज 8. (गणित) समान अंकों का घात।
वर्गचेतना
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी वर्ग या उसके सदस्यों में अपने हितों एवं अधिकारों के प्रति उत्पन्न होने वाली जागरूकता या चेतना; वर्गविशेष की अपने अस्तित्व और
अस्मिता के प्रति सचेत होने की अवस्था या भाव; वर्गीय चेतना।
वर्गपहेली
(सं.) [सं-स्त्री.] वर्गाकार आकृति के अंदर दिए गए संकेतों के अनुसार वर्ण भरने का खेल।
वर्गफल
(सं.) [सं-पु.] (गणित) दो समान राशियों (आँकड़ों) का गुणनफल।
वर्गभेद
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यक्तियों, जातियों या समाज में होने वाला वर्ग संबंधी भेदभाव 2. श्रेणीभेद।
वर्गमीटर
(सं.+इं.) [सं-पु.] किसी स्थान या वस्तु आदि का क्षेत्रफल मापने की एक इकाई।
वर्गमूल
(सं.) [सं-पु.] (गणित) राशियों (संख्याओं) को विभाजित करके अथवा भाग देकर वर्गांक निकालने वाली राशि।
वर्गवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वर्ग या समूह की विचारधारा का समर्थन करना 2. श्रेणीवाद 3. जातिवाद।
वर्ग-विन्यास
(सं.) [सं-पु.] वर्गीकरण।
वर्गसंघर्ष
(सं.) [सं-पु.] विभिन्न वर्गों के बीच होने वाला संघर्ष; समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी हितों के लिए होने वाला संघर्ष या टकराव।
वर्गस्थ
(सं.) [वि.] अपने वर्ग के प्रति समर्पित; अपने वर्ग का साथ देने वाला।
वर्गांक
(सं.) [सं-पु.] ऐसा अंक जो किसी संख्या का वर्ग हो।
वर्गाकार
(सं.) [वि.] वर्ग के आकार का; समान लंबाई-चौड़ाई वाले समकोण चतुर्भुज की आकृति का।
वर्गीकरण
(सं.) [सं-पु.] वर्ग के अनुरूप वस्तुओं का विभाजन।
वर्गीकृत
(सं.) [वि.] किसी आधार पर विभिन्न वर्गों में विभाजन; वर्ग में बाँटा हुआ (व्यक्ति, वस्तु आदि)।
वर्गीकृत विज्ञापन
(सं.) [सं-पु.] पत्र-पत्रिकाओं में किसी विशेष वर्ग (स्तंभ) के अंतर्गत प्रकाशित छोटे विज्ञापन; (क्लासिफ़ाइड एडवरटाइज़मेंट)।
वर्गीय
(सं.) [वि.] 1. वर्ग संबंधी 2. वर्ग का 3. कक्षा का। [सं-पु.] 1. एक ही वर्ग के सदस्य 2. सहपाठी।
वर्चस्व
(सं.) [सं-पु.] 1. श्रेष्ठ या मुख्य होने की अवस्था या भाव; प्रधान्य 2. तेजस्वी होने का भाव; तेज; दीप्ति; कांति 3. प्राबल्य 4. आधिपत्य।
वर्चस्वी
(सं.) [वि.] 1. जिसका वर्चस्व हो; बली; शक्तिशाली 2. तेजस्वी 3. उत्साही।
वर्चुअल
(इं.) [वि.] आभासी।
वर्चुअल स्पेस
(इं.) [सं-पु.] आभासी दुनिया।
वर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. त्याग; छोड़ना 2. निषेध; मनाही।
वर्जना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निषेध; मनाही 2. किसी कार्य या बात के वर्जित होने की अवस्था या भाव; प्रतिबंध।
वर्जित
(सं.) [वि.] 1. मना किया हुआ; निषिद्ध 2. त्यागा हुआ; छोड़ा हुआ; परित्यक्त।
वर्ज़िश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. वरज़िश।
वर्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. वैदिक मान्यतानुसार कर्म या व्यवसाय आधारित हिंदुओं की चार कोटियाँ- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र (वर्तमान में यह व्यवस्था जन्म आधारित
है) 2. रंग 3. प्रकार; भेद 4. वर्णमाला का कोई स्वर या व्यंजन वर्ण; अक्षर 5. बाह्य रूप।
वर्णक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. रंगों का क्रम 2. वर्णमाला के अक्षरों का क्रम।
वर्णक्रमिक
(सं.) [वि.] वर्णक्रम के अनुरूप।
वर्णछटा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आँखें बंद कर लेने पर भी देखी हुई वस्तु की दिखाई देने वाली आकृति 2. प्रिज़्म के माध्यम से दिखाई देने वाली रंगों की छटा; (स्पेक्ट्रम)।
वर्णधर्म
(सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में प्राचीन मान्यता के आधार पर चारों वर्णों के लिए निर्धारित किए गए कर्तव्य।
वर्णन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात को ब्योरेवार कहना; मौखिक बयान 2. किसी बात को ब्योरेवार लिखना; लिखित बयान 3. गुणकथन 4. चित्रण।
वर्णनकर्ता
(सं.) [सं-पु.] वर्णन या व्याख्या करने वाला व्यक्ति; व्याख्याता।
वर्णनातीत
(सं.) [वि.] जिसका वर्णन या निर्वचन संभव न हो; वर्णन से परे; अनिर्वचनीय।
वर्णनीय
(सं.) [वि.] जो वर्णन के योग्य हो।
वर्णपट
(सं.) [सं-पु.] प्रिज़्म के माध्यम से दिखाई देने वाली रंगों की छटा; वर्णछटा।
वर्णभेद
(सं.) [सं-पु.] रंग अथवा जाति के कारण होने वाला भेदभाव; जातिगत भेदभाव।
वर्णमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी लिपि विशेष के समस्त वर्णों की क्रमवार सूची; (अल्फ़ाबेट)।
वर्णविचार
(सं.) [सं-पु.] व्याकरण का वह भाग जहाँ वर्णों या अक्षरों के स्वरूप, भेद, प्रयोग आदि पक्षों पर विचार होता है।
वर्णविन्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी शब्द, पद या वाक्य में वर्णों की स्थिति 2. वर्णों का सार्थक जुड़ाव।
वर्णविपर्यय
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्णों का उलटफेर होना (निरुक्त) 2. वर्णों के उलटफेर होने की स्थिति।
वर्णवृत्त
(सं.) [सं-पु.] (साहित्य) चार चरणों का छंद जिसके प्रत्येक चरण में वर्णों और मात्राओं का क्रम और संख्या निश्चित होती है।
वर्णसंकर
(सं.) [सं-पु.] 1. दो भिन्न प्रजातियों के नर-मादा के संभोग से उत्पन्न जीव 2. दो भिन्न प्रजाति की वनस्पतियों के संयुग्मन से विकसित एक नई प्रजाति 3. दोगला;
(हाइब्रिड)।
वर्णहीन
(सं.) [वि.] 1. बिना वर्ण या जाति का 2. वर्ण या जाति से अलग; जातिच्युत।
वर्णांध
(सं.) [सं-पु.] रंगों की ठीक-ठीक पहचान नहीं कर पाने वाला व्यक्ति; (कलर ब्लाइंड)।
वर्णांधता
(सं.) [सं-स्त्री.] आँख में होने वाला एक प्रकार का रोग जिसमें व्यक्ति रंगों की ठीक-ठीक पहचान नहीं कर पाता; (कलर ब्लाइंडनेस)।
वर्णात्मक
(सं.) [वि.] वर्णों में लिखा जा सकने वाला।
वर्णानुक्रम
(सं.) [सं-पु.] वर्णों का नियत या निश्चित क्रम।
वर्णानुक्रमणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] वर्णमाला के वर्णों के क्रम के आधार पर तैयार की गई सूची; अनुक्रमणिका।
वर्णिक छंद
(सं.) [सं-पु.] वह छंद या पद्य जिसके चरणों में वर्णों की संख्या तथा लघु और गुरु का क्रम निश्चित होता है; वर्णवृत्त।
वर्णिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चित्र में रंगों का समवाय 2. रोशनाई; स्याही।
वर्णित
(सं.) [वि.] 1. वर्णन किया हुआ 2. कथित 3. प्रशंसित 4. चित्रित।
वर्ण्य
(सं.) [वि.] 1. वर्णन के योग्य 2. जिसका वर्णन हो रहा हो 3. रंग या वर्ण संबंधी।
वर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. चक्कर लगाना; घूमना 2. चलना-फिरना; गतिमान होना 3. व्यवहार; बरताव।
वर्तनी
(सं.) [सं-स्त्री.] वर्ण या अक्षर विन्यास; हिज्जे; (स्पेलिंग)।
वर्तमान
(सं.) [वि.] 1. जो इस समय अस्तित्व या सत्ता में है 2. सामयिक 3. विद्यमान; मौजूद।
वर्तमानकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. वह समय जो अभी चल रहा है 2. (व्याकरण) क्रिया के तीन कालों में से एक जिससे क्रिया के होते रहने की सूचना मिलती है।
वर्तमानकालिक
(सं.) [वि.] वर्तमानकाल संबंधी।
वर्तमानता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्तमान होने की अवस्था अथवा भाव 2. उपस्थिति।
वर्तिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बत्ती 2. सलाई 3. शलाका 4. तूलिका 5. अजश्रृंगी नामक वृक्ष 6. बटेर नामक पक्षी।
वर्तित
(सं.) [वि.] 1. संपादित 2. दुरुस्त किया हुआ 3. घुमाया हुआ 4. बिताया या व्यतीत किया हुआ।
वर्ती
(सं.) [वि.] 1. स्थित रहने वाला 2. बरतने वाला 3. होने वाला। [सं-स्त्री.] 1. बत्ती 2. सलाई।
वर्तुल
(सं.) [वि.] 1. गोल; वृत्ताकार 2. मंडलाकार।
वर्तुलाकार
(सं.) [वि.] वृत्त के आकार का; वृत्ताकार; गोल।
वर्त्म
(सं.) [सं-पु.] 1. आँख की पलक 2. कोर; किनारा 3. मार्ग; रास्ता 4. प्रथा; परंपरा 5. आधार।
वर्त्स
(सं.) [सं-पु.] मसूढ़ा।
वर्त्स्य
(सं.) [वि.] जिसका उच्चारण जीभ को वर्त्स पर रख कर हो; मसूढ़े से संबंधित।
वर्त्स्य ध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] ऊपरी दाँतों के पीछे के उभरे खुरदुरे भाग को वर्त्स्य कहते हैं, तथा इससे उच्चरित ध्वनि वर्त्स्य कहलाती है, जैसे- 'न्, स्, ज़्' आदि।
वर्दी
(इं.) [सं-स्त्री.] दे. वरदी।
वर्धक
(सं.) [वि.] वृद्धि करने या कराने वाला; बढ़ाने वाला।
वर्धन
(सं.) [सं-पु.] वृद्धि करना; बढ़ाना। [वि.] वृद्धि करने वाला; बढ़ाने वाला, जैसे- आनंदवर्धन।
वर्धनशील
(सं.) [वि.] वृद्धि में प्रवृत्त; निरंतर बढ़ता हुआ।
वर्धमान
(सं.) [वि.] 1. वृद्धि करता हुआ; बढ़ता हुआ; वृद्धिशील 2. वर्धनशील।
वर्धरुद्ध
(सं.) [वि.] जिसकी वृद्धि रुक गई हो।
वर्धरोध
(सं.) [सं-पु.] वृद्धि रुक जाना।
वर्धित
(सं.) [वि.] 1. वृद्धि को प्राप्त 2. बढ़ा हुआ 3. भरा हुआ 4. विकसित।
वर्नाक्यूलर
(इं.) [सं-पु.] 1. देशी भाषा 2. स्वदेश की भाषा; मातृ भाषा।
वर्म1
(सं.) [सं-पु.] 1. कवच; बख़्तर 2. मकान; घर।
वर्म2
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. वरम।
वर्मन
(सं.) [सं-पु.] दे. वर्मा।
वर्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल में क्षत्रियों की एक उपाधि 2. कायस्थों एवं सुनारों में एक कुलनाम या सरनेम।
वर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. काल का एक मान 2. संवत्सर; साल; बरस; बारह मास का समय 3. वर्षा; वृष्टि 4. बादल।
वर्षक
(सं.) [वि.] 1. वर्षा करने वाला 2. बरसाने वाला।
वर्षगाँठ
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी महत्वपूर्ण घटना की तिथि पर प्रत्येक वर्ष किया जाने वाला कार्यक्रम या उत्सव।
वर्षण
(सं.) [सं-पु.] वृष्टि; वर्षा; बारिश।
वर्षपर्यंत
(सं.) [क्रि.वि.] पूरे साल भर।
वर्षफल
(सं.) [सं-पु.] (ज्योतिष) एक वर्ष के भीतर घटने वाली घटनाओं का विवरण।
वर्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल वृष्टि; बरसात 2. ऋतु विशेष जिसमें पानी बरसता है 3. किसी बात का लगातार चलते रहने का क्रम, जैसे- पुष्प की वर्षा।
वर्षांक
(सं.) [सं-पु.] वर्ष की सूचक संख्या।
वर्षाकाल
(सं.) [सं-पु.] बरसात का मौसम।
वर्षानुवर्षी
(सं.) [वि.] 1. प्रत्येक वर्ष होने वाला 2. निरंतर कई वर्षों तक चलने वाला।
वर्षारंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. नए वर्ष का आरंभ 2. वर्षा ऋतु का आगमन।
वर्षीय
(सं.) [वि.] वर्ष से संबंधित; वर्ष का; साल का।
वर्षेश
(सं.) [सं-पु.] (ज्योतिष) वह ग्रह जो किसी संवत्सर या वर्ष का स्वामी हो; वर्षपति।
वर्षोत्सव
(सं.) [सं-पु.] वार्षिक उत्सव; सालाना जलसा।
वलन
(सं.) [सं-पु.] 1. मुड़ना 2. चक्कर लगाना; घूमना 3. (ज्योतिष) किसी ग्रह का अपने पथ से विचलित होना।
वलय
(सं.) [सं-पु.] 1. गोल घेरा; मंडल 2. वृत्त की परिधि 3. कंगन; छल्ला; चूड़ी 4. शाखा।
वलवला
(अ.) [सं-पु.] 1. शोरगुल; हल्ला-गुल्ला 2. आक्रोश 3. आवेश; उमंग।
वलि
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्मानुसार देवता को अर्पित की जाने वाली वस्तु 2. चंदन आदि के लेप से बनाई हुई रेखा; लकीर 3. श्रेणी; पंक्ति 4. सिकुड़न के कारण शरीर पर पड़ी
हुई लकीर; झुर्री 5. पेट के दोनों ओर पेटी के सिकुड़ने से पड़ी हुई रेखा; बल 6. (पुराण) एक दैत्य जो प्रह्लाद का पौत्र था और जिसे विष्णु ने वामन अवतार लेकर छला
था 7. प्राचीन भारत में एक राजकीय कर 8. बवासीर का मस्सा 9. छप्पर का वह किनारा जहाँ से बरसात का पानी नीचे गिरता है; छाजन की ओलती 10. पीले रंग का खनिज पदार्थ;
गंधक 11. एक प्रकार का वाद्य यंत्र।
वलित
(सं.) [वि.] 1. बल खाया हुआ 2. मुड़ा हुआ 3. सिकुड़ा हुआ 4. घिरा या घेरा हुआ 5. मिला हुआ; युक्त।
वली1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकीर; रेखा 2. सिलवट; झुर्री 3. श्रेणी; पंक्ति।
वली2
(अ.) [सं-पु.] 1. स्वामी; मालिक 2. साधु; संत; फ़कीर 3. अभिभावक 4. उत्तराधिकारी।
वल्कल
(सं.) [सं-पु.] 1. पेड़ की छाल; काष्ठ आवरण 2. पेड़ की छाल से बना वस्त्र जिसे तपस्वी लोग पहना करते थे।
वल्गन
(सं.) [सं-पु.] 1. अनावश्यक उछल-कूद 2. व्यर्थ की बकवाद।
वल्गर
(इं.) [वि.] अशिष्ट; भद्दा; भौंड़ा।
वल्गा
(सं.) [सं-स्त्री.] लगाम; रास; बाग।
वल्द
(अ.) [सं-पु.] औलाद; बेटा; पुत्र।
वल्दियत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. पिता का नाम 2. पुत्र होने की अवस्था या भाव।
वल्मीक
(सं.) [सं-पु.] 1. दीमकों के रहने की बाँबी 2. साँप का बिल।
वल्लभ
(सं.) [वि.] 1. प्रधान 2. प्रिय; प्यारा 3. निरीक्षण करने वाला। [सं-पु.] 1. प्रिय या प्यारा व्यक्ति 2. पति 3. नायक 4. स्वामी।
वल्लभा
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रेयसी; प्रेमिका।
वल्लरी
(सं.) [सं-स्त्री.] लता; बेल; मंजरी; मेथी।
वल्लाह
(अ.) [अव्य.] 1. सचमुच 2. ईश्वर की सौगंध; ख़ुदा कसम।
वल्ली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लता; बेल 2. पत्ता 3. अग्निदमनी 4. काली अपराजिता।
वल्लूर
(सं.) [सं-पु.] 1. धूप में सुखाया हुआ मांस 2. सुअर का मांस 3. ऊसर 4. वीरान; उजाड़।
वश
(सं.) [सं-पु.] 1. वह प्रभाव या शक्ति जिससे किसी को काबू में करके उससे मनोनुकूल काम करवा लिया जाए 2. नियंत्रण 3. सामर्थ्य 4. काबू। [वि.] 1. आज्ञानुवर्ती;
आज्ञा मानने वाला 2. अधीन 3. मुग्ध किया हुआ।
वशवर्ती
(सं.) [वि.] किसी के वश अथवा अधिकार में होने या रहने वाला; अधीन।
वशिष्ठ
(सं.) [सं-पु.] रामायण, महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथों में उल्लिखित एक प्रसिद्ध ऋषि।
वशी
(सं.) [वि.] 1. अपनी इंद्रियों को वश में रखने वाला; संयमी 2. वश में किया हुआ; अधीन।
वशीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. वश में करना; वश में करने की क्रिया 2. मंत्र, जादू-टोना आदि के द्वारा किसी को वश में करना 3. सम्मोहन।
वशीकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसे वश में कर लिया गया हो; वश में किया हुआ 2. मोहित; मुग्ध।
वशीभूत
(सं.) [वि.] 1. अधीन हो कर; वश में होकर 2. मुग्ध; मोहित; सम्मोहित 3. वशीकरण मंत्र द्वारा वश में किया हुआ।
वश्य
(सं.) [वि.] 1. वश में करने योग्य 2. वश में किया हुआ। [सं-पु.] 1. आश्रित 2. दास; सेवक।
वसंत
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्ष की छह ऋतुओं में से प्रथम और प्रधान ऋतु जिसके अंतर्गत चैत और बैसाख के महीने माने गए हैं 2. फूलों का गुच्छा 3. संगीत में एक ताल 4.
संगीत में एक राग।
वसंतकुंज
(सं.) [सं-पु.] 1. वसंत ऋतु की लताओं से आच्छादित स्थान 2. अभिसार-स्थल।
वसंततिलका
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का वर्णवृत्त।
वसंतवल्लभ
(सं.) [सं-पु.] कंदर्प; कामदेव; अनंग।
वसंतोत्सव
(सं.) [सं-पु.] 1. वसंत ऋतु में आयोजित किया जाने वाला उत्सव; मदनोत्सव 2. वसंत पंचमी के दिन आयोजित किया जाने वाला उत्सव 3. होलिकोत्सव।
वसति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वास; निवास 2. घर 3. बस्ती 4. जैन संन्यासियों का मठ।
वसन
(सं.) [सं-पु.] 1. वस्त्र; कपड़ा 2. आच्छादन; आवरण; ढकने का सामान 3. निवास; मकान 4. किसी स्थान पर बस जाना 5. स्त्रियों का कमर में पहनने वाला एक गहना।
वसा
(सं.) [सं-स्त्री.] मेद; चरबी; मज्जा; (फ़ैट)।
वसीका
(अ.) [सं-पु.] 1. वह धन जो इस उद्देश्य से सरकारी ख़जाने में जमा किया जाए कि उसका ब्याज जमाकर्ता के वंशजों को मिला करे; वृत्ति 2. उक्त प्रकार से जमाकर्ता के
वंशजों को प्राप्त होने वाला धन।
वसीम
(अ.) [वि.] 1. सुंदर; आकर्षक; मनोहर 2. जिसपर चिह्न या निशान हो; चिह्नित; अंकित।
वसीयत
(अ.) [सं-स्त्री.] अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति के भावी विभाजन और प्रबंध आदि के संबंध में की हुई कानूनी व्यवस्था; वारिस संबंधी लिखित आदेश।
वसीयतनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. इच्छापत्र 2. वह पत्र जिसपर कोई वसीयत लिखी हो।
वसीला
(अ.) [सं-पु.] 1. संबंध; लगाव 2. ज़रिया; माध्यम।
वसु
(सं.) [सं-पु.] 1. आठ वैदिक देवताओं का एक वर्ग या गण 2. सूर्य 3. कुबेर 4. मौलसिरी नामक सदाबहार वृक्ष और उसका फूल 5. पानी; जल। [वि.] सबमें निवास करने वाला।
वसुंधरा
(सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी; धरती; धरा।
वसुधा
(सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी; धरती। [वि.] 1. धन देने वाला 2. समवर्णिक (छंद)।
वसुमती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वसुंधरा; पृथ्वी 2. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का वर्णवृत्त।
वसूल
(अ.) [सं-पु.] 1. उगाही 2. प्राप्ति 3. दी हुई रकम या वस्तु की वापसी। [वि.] प्राप्त या मिला हुआ।
वसूलना
(अ.) [क्रि-स.] 1. उगाही करना; उगाहना 2. प्राप्त करना 3. दी हुई रकम या वस्तु को वापस लेना।
वसूली
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वसूल करने का उपक्रम; उगाही 2. प्राप्ति।
वस्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आँत साफ़ करने के लिए की जाने वाली रेचन की क्रिया; (एनिमा) 2. नाभि के नीचे का भाग; पेड़ू 3. मूत्राशय 4. निवास 5. कपड़े का छोर।
वस्तिकर्म
(सं.) [सं-पु.] गुदा के माध्यम से रेचन की क्रिया; (एनिमा)।
वस्तु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिसका अस्तित्व हो; द्रव्य; पदार्थ 2. चीज़ 3. गोचर पदार्थ।
वस्तुतः
(सं.) [अव्य.] 1. असल में; यथार्थतः 2. वास्तव में; दरअसल।
वस्तुत्प्रेक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) उत्प्रेक्षा अलंकार का एक भेद।
वस्तुनिष्ठ
(सं.) [वि.] 1. भौतिक पदार्थ या पदार्थों से संबंधित 2. वस्तुपरक; (ऑब्जेक्टिव) 3. जो आत्मनिष्ठ न हो।
वस्तुन्मुखी
(सं.) [वि.] भावों या विचारों की अपेक्षा पदार्थों को वरीयता देने वाला।
वस्तुपमा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) उपमा अलंकार का एक भेद।
वस्तुपरक
(सं.) [वि.] 1. वस्तु पर आधारित; वस्तुनिष्ठ; वस्तुगत; (ऑब्जेक्टिव) 2. वास्तविक।
वस्तुवाद
(सं.) [सं-पु.] दृश्यजगत को यथारूप सत्य मानने वाला दार्शनिक सिद्धांत; भूतवाद; भौतिकवाद।
वस्तुवादी
(सं.) [वि.] वस्तुवाद के सिद्धांत को मानने वाला।
वस्तु-विनिमय
(सं.) [सं-पु.] विनिमय अथवा ख़रीद-बिक्री के तौर पर वस्तुओं की अदला-बदली।
वस्तुस्थिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वास्तविक स्थिति; परिस्थिति 2. यथार्थ स्थिति; दशा।
वस्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. कपड़ा; परिधान; पोशाक 2. ऊनी, सूती या रेशमी धागे से बनाई गई वस्तु जिसे पहना या ओढ़ा जाता है।
वस्त्रगोपन
(सं.) [सं-पु.] चौंसठ कलाओं में से एक।
वस्त्रधारी
(सं.) [वि.] 1. वस्त्र धारण करने वाला 2. जो कपड़े पहने हुए हो।
वस्त्रवेष्टित
(सं.) [वि.] वस्त्र से आवृत; कपड़े से ढँका हुआ।
वस्त्रहीन
(सं.) [वि.] वस्त्र से अनावृत; बिना कपड़े का।
वस्त्रागार
(सं.) [सं-पु.] कपड़े की दुकान; वस्त्रालय।
वस्त्राभूषण
(सं.) [सं-पु.] 1. वस्त्र और आभूषण; कपड़े और गहने 2. पहनने और साज-सज्जा की वस्तुएँ।
वस्त्रालंकरण
(सं.) [सं-पु.] वस्त्र और अलंकरण; कपड़े और गहने।
वस्त्रालय
(सं.) [सं-पु.] कपड़े की दुकान; वस्त्रागार।
वस्त्रोत्पादन
(सं.) [सं-पु.] वस्त्र या कपड़े का उत्पादन।
वस्त्रोद्योग
(सं.) [सं-पु.] वस्त्र या कपड़े का व्यवसाय।
वस्ल
(अ.) [सं-पु.] 1. मिलन; संगम 2. संयोग 3. संभोग 4. इंतकाल; मृत्यु।
वह
[सर्व.] 1. (व्याकरण) अन्य पुरुष एक वचन का वाचक शब्द 2. बातचीत में दूरस्थ व्यक्ति या पदार्थ के लिए संबोधन या संकेत का शब्द।
वहन
(सं.) [सं-पु.] 1. ढोना 2. ढोकर या खींचकर ले जाना 3. निर्वाह करना।
वहनक
(सं.) [वि.] 1. जिसपर या जिसमें कोई चीज़ रखकर ढोई जाए 2. ढो कर ले जाने वाला। [सं-पु.] संवाहक।
वहनपत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें ढोकर ले जाने वाली वस्तुओं का विवरण दिया जाता है।
वहम
(अ.) [सं-पु.] 1. भ्रम 2. शक; मिथ्या संदेह 3. भ्रममूलक विचार।
वहमी
(अ.) [वि.] वहम करने वाला; शक्की; शंकालु।
वहशत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वहशी होने की अवस्था या भाव; वहशीपन 2. मानसिक विक्षेप 3. बर्बरता 4. सनक 5. पागलपन।
वहशतज़दा
(अ.+फ़ा.) [वि.] डरा हुआ; भयभीत।
वहशतनाक
(अ.+फ़ा.) [वि.] डरावना; भयंकर।
वहशियाना
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. वहशी की तरह 2. बर्बर 3. जंगली की तरह।
वहशी
(अ.) [वि.] 1. जंगली; असभ्य 2. जंगल में रहने वाला; वन्य 3. जो अभद्र तथा असंस्कृत हो; उजड्ड 4. बर्बर।
वहशीपन
(अ.) [सं-पु.] 1. क्रूरतापूर्ण भाव; दरिंदगी; पशुवत भाव; बर्बरता 2. असभ्यता।
वहाँ
(सं.) [अव्य.] 1. उस स्थान पर; उस जगह पर 2. उस अवसर, बिंदु या स्थिति पर।
वहाबी
(अ.) [सं-पु.] 1. केवल कुरान को ही प्रमाण मानने वाला मुस्लिम संप्रदाय 2. उक्त संप्रदाय का अनुयायी।
वहित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ी नाव; पोत 2. एक तरह का रथ।
वहिरंग
(सं.) [वि.] 1. बाहरी; ऊपरी 2. आरंभिक।
वहिर्गत
(सं.) [वि.] बाहर गया हुआ; बाहर निकला हुआ।
वहिर्द्वार
(सं.) [सं-पु.] बाहरी दरवाज़ा।
वहिर्भूत
(सं.) [वि.] बहिर्गत; बाहरी; बाहर की ओर निकला हुआ।
वहिर्मुख
(सं.) [वि.] अपने विचारों को सहजतापूर्वक अभिव्यक्त करने वाला; वाचाल।
वही
[सर्व.] 1. निर्दिष्ट व्यक्ति 3. निश्चित रूप से पूर्वोक्त व्यक्ति।
वहीं
[अव्य.] 1. उसी जगह 2. उसी स्थिति में 3. निर्दिष्ट संदर्भ।
वह्नि
(सं.) [सं-पु.] अग्नि; अनल; आग।
वांछन
(सं.) [सं-पु.] इच्छा करना; चाहना।
वांछनीय
(सं.) [वि.] 1. इच्छा या कामना किए जाने योग्य 2. अभिलाषणीय; चाहने योग्य 3. अभिलक्षित; इच्छित 4. अपेक्षित; ज़रूरी।
वांछा
(सं.) [सं-स्त्री.] आकांक्षा; चाह; अभिलाषा।
वांछित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी इच्छा हो; इच्छित 2. चाहा हुआ।
वांटेड
(इं.) [वि.] 1. जिसकी आवश्यकता हो 2. जिसकी तलाश हो।
वांशिक
(सं.) [वि.] 1. बाँस काटने वाला 2. बाँसुरी बनाने वाला।
वाइज़
(इं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक या नैतिक उपदेश देने वाला व्यक्ति; उपदेशक 2. नसीहत देने वाला व्यक्ति।
वाइन
(इं.) [सं-स्त्री.] शराब; मदिरा; मद्य।
वाइफ़
(इं.) [सं-स्त्री.] पत्नी; औरत; बीवी; अर्धांगिनी।
वाइस
(इं.) [सं-पु.] किसी के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति, जैसे- वाइस प्रिंसिपल।
वाइसराय
(इं.) [सं-पु.] ब्रिटिश भारत में ब्रिटिश ताज़ का प्रतिनिधि शासक।
वाई-फ़ाई
(इं.) [सं-पु.] बेतार प्रणाली (वायरलैस) द्वारा इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटरों में परस्पर संपर्क स्थापित करने तथा सूचना एवं आँकडों को आदान-प्रदान करने का एक
स्थानीय संचार जाल (लोकल एरिया नेटवर्क) जिसके लिए उच्च आवृत्ति की रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है।
वाउचर
(इं.) [सं-पु.] ख़र्च की ब्योरेवार मद दर्शाने वाला कागज़ या पुरज़ा; रसीद; प्रमाणक।
वाकआउट
(इं.) [सं-पु.] किसी कारणवश सभा, कार्य आदि छोड़कर जाने की क्रिया।
वाकई
(अ.) [क्रि.वि.] वास्तव में; सचमुच; वस्तुतः।
वाकफ़ीयत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. परिचय; जान-पहचान 2. जानकारी; ज्ञान।
वाकया
(अ.) [सं-पु.] 1. दुर्घटना 2. वृत्तांत; हाल 3. समाचार; ख़बर।
वाकयानवीस
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी महत्वपूर्ण घटना को कलमबद्ध करने वाला व्यक्ति; इतिहासकार 2. घटनाओं आदि के समाचार को लिख कर भेजने वाला व्यक्ति; संवाददाता।
वाकिफ़
(अ.) [वि.] 1. जानने-समझने वाला; जानकार; अभिज्ञ 2. परिचित 3. अनुभवी।
वाक्य
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रिया और कारक पद से युक्त साकांक्ष अर्थबोधक पदसमूह; (सेंटेंस) 2. बोला गया सार्थक शब्द-समूह 3. कथन।
वाक्य विन्यास
(सं.) [सं-पु.] वाक्य में शब्दों अथवा पदों का यथास्थान रखा जाना।
वाक्यांश
(सं.) [सं-पु.] वाक्य का कोई अंश या खंड।
वाक्यारंभ
(सं.) [सं-पु.] वाक्य या कथन की शुरुआत।
वाक्यावली
(सं.) [सं-स्त्री.] पंक्ति के रूप में रखे गए वाक्य।
वाक्यीय
(सं.) [वि.] वाक्य संबंधी; वाक्य का।
वागीश
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मा 2. बृहस्पति 3. कवि 4. वक्ता। [वि.] अच्छा बोलने वाला।
वागीश्वरी
(सं.) [सं-स्त्री.] वाणी की देवी; सरस्वती।
वाग्जाल
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को भ्रम में रखने या धोखा देने के उद्देश्य से आडंबरयुक्त कथन करना 2. चातुर्यपूर्ण कथन।
वाग्दंड
(सं.) [सं-पु.] दंडस्वरूप कही गई कठोर बात; मौखिक दंड; डाँटडपट।
वाग्दत्त
(सं.) [वि.] जिसे किसी को देने का वचन दिया जा चुका हो।
वाग्दत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह लड़की जिसकी शादी की बात किसी के साथ निश्चित की गई हो 2. वह लड़की जिसकी सगाई हो गई हो।
वाग्दान
(सं.) [सं-पु.] 1. वचन देना 2. किसी के साथ अपनी पुत्री का विवाह तय करना।
वाग्देवी
(सं.) [सं-स्त्री.] वाणी की देवी; सरस्वती।
वाग्दोष
(सं.) [सं-पु.] 1. वाणी की त्रुटि 2. वाणी में व्याकरण संबंधी दोष 3. एक प्रकार का रोग जिसमें व्यक्ति हकलाकर या तुतलाकर बोलता है।
वाग्धारा
(सं.) [सं-स्त्री.] वाणी की अटूट धारा; शब्द प्रवाह; वाणी की अप्रतिहत गति।
वाग्मी
(सं.) [सं-पु.] 1. पंडित; विद्वान 2. अच्छा वक्ता।
वाग्युद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. बातों की लड़ाई; वाद-विवाद 2. आरोप-प्रत्यारोप।
वाग्विदग्ध
(सं.) [वि.] बात करने में चतुर; वार्ताकुशल; पंडित।
वाग्विदग्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] वाग्विदग्ध होने की अवस्था।
वाग्विलास
(सं.) [सं-पु.] 1. दिल बहलाव के लिए बातचीत करना 2. आनंदपूर्ण वार्तालाप करना।
वाङ्मय
(सं.) [सं-पु.] लिखित साहित्य का संग्रह।
वाचक
(सं.) [वि.] 1. कहने वाला; बोलने वाला 2. बताने वाला; सूचक; बोधक 3. पढ़कर सुनाने वाला। [सं-पु.] 1. वह जिससे किसी वस्तु का अर्थ बोध हो; संज्ञा; नाम 2. पाठक 3.
वक्ता 4. संदेशवाहक; दूत।
वाचन
(सं.) [सं-पु.] 1. लिखित पाठ का उच्चारण करना 2. कहना; बोलना 3. किसी मत, विचार या सिद्धांत का प्रतिपादन करना।
वाचनक
(सं.) [सं-पु.] पहेली; बुझौवल।
वाचना
[सं-स्त्री.] दे. वाचन।
वाचनालय
(सं.) [सं-पु.] सार्वजनिक पुस्तकालय का वह स्थान जहाँ पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ने के लिए रखी जाती हैं; (रीडिंग रूम)।
वाचा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वाणी; सरस्वती 2. वाक्य; वचन; शब्द 3. सूक्त; ऋचा 4. शपथ; कसम। [अव्य.] वचन द्वारा; वचन या कथन से।
वाचाल
(सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक बोलने वाला; बकवादी; बातूनी; अतिभाषी; मुँहज़ोर 2. बोलने में चतुर 3. डींग हाँकने वाला।
वाचालता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वाचाल होने की अवस्था या भाव 2. अधिक बोलने की स्थिति; अतिभाषिता; मुखरता।
वाचिक
(सं.) [वि.] 1. वाणी संबंधी 2. वाचा या वाणी से निकला हुआ 3. मौखिक; शाब्दिक; ज़बानी; मुँह से कहा हुआ।
वाचित
(सं.) [वि.] जिसे कह दिया गया हो; बोला हुआ।
वाची
(सं.) [वि.] 1. वाचन करने वाला 2. वचन के रूप में अभिव्यक्त होने वाला 3. वचन संबंधी 4. बोध कराने वाला।
वाच्य
(सं.) [वि.] 1. बोलने अथवा कहने योग्य 2. जिसका परिचय अथवा ज्ञान शब्दों की अभिधा शक्ति के द्वारा हो; अभिधेय।
वाच्यार्थ
(सं.) [सं-पु.] वह अभिप्राय जो शब्दों के नियत या मूल अर्थ द्वारा ही प्रकट हो; अभिधेयार्थ; मुख्यार्थ।
वाज
(सं.) [सं-पु.] 1. घृत; घी 2. पंख; पर 3. खाद्य 4. धन 5. यज्ञ-विशेष में पढ़ा जाने वाला मंत्र 6. बल 7. वेग।
वाजपेय
(सं.) [सं-पु.] प्राचीन भारत में राजाओं द्वारा सर्वोच्चता सिद्ध करने के लिए किए जाने वाले सोम यज्ञ के सात भेदों में से पाँचवा।
वाजपेयी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह पुरुष जिसने वाजपेय यज्ञ किया हो 2. कान्यकुब्ज ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।
वाजिब
(अ.) [वि.] 1. उचित; संगत; ठीक 2. आवश्यक; ज़रूरी 3. योग्य; लायक 4. लाज़िमी; मुनासिब।
वाजीकरण
(सं.) [सं-पु.] वह चिकित्सा प्रक्रिया जिससे मनुष्य में वीर्य, स्तंभनशक्ति और पुंसत्व की वृद्धि होती है।
वाट1
(सं.) [सं-पु.] 1. मार्ग; रास्ता 2. वास्तु; इमारत 3. मंडप 4. आवृत स्थान; घेरेदार जगह 5. उद्यान; उपवन 6. एक अन्न 7. तट पर लगाया हुआ लकड़ी का बाँध 8. उरुसंधि;
वंक्षण 9. प्रांत; प्रदेश।
वाट2
(इं.) [सं-पु.] ऊर्जा की एक इकाई।
वाटर
(इं.) [सं-पु.] पानी; जल।
वाटिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा बाग; बगीचा 2. फुलबगिया 3. वास्तु; इमारत।
वाडवाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] समुद्र के अंदर की अग्नि; बडवानल।
वाणिज्य
(सं.) [सं-पु.] बड़े पैमाने पर किया जाने वाला व्यापार या व्यवसाय; (कॉमर्स)।
वाणिज्यदूत
(सं.) [सं-पु.] अन्य देशों से व्यापारिक संबंधों की प्रगति हेतु नियुक्त राजदूत।
वाणिज्यिक
(सं.) [वि.] वाणिज्य एवं व्यापार संबंधी।
वाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मानव मुख से निःसृत सार्थक शब्द; ध्वनि 2. बोलने या बातचीत करने की शक्ति; वाचा 3. मुँह के अंदर का वह लंबा चपटा मांस पिंड जिससे रसों का
आस्वादन और उसकी सहायता से शब्दों का उच्चारण होता है; जिह्वा 4. विद्या और वाणी की अधिष्ठात्री देवी; सरस्वती।
वात
(सं.) [सं-पु.] 1. वायु; हवा 2. वैद्यक के अनुसार शरीर के भीतर की वह वायु जिसके विकार से अनेक रोग होते हैं 3. वैद्यक के अनुसार शरीर में होने वाला वायु रोग;
वातरोग; गठिया।
वातचक्र
(सं.) [सं-पु.] चक्रवात; बवंडर।
वातज
(सं.) [वि.] वात अथवा वायु से उत्पन्न; वातकृत। [सं-पु.] पेट में होने वाली चुभन या पीड़ा; उदरव्यथा; उदरशूल।
वातानुकूल
(सं.) [सं-पु.] किसी कमरे आदि घिरे हुए स्थान के तापमान को यांत्रिक विधि से इस प्रकार नियंत्रित करना कि बाहर के तापमान का उस पर प्रभाव न पड़े।
वातानुकूलक
(सं.) [वि.] वातावरण को अनुकूल करने वाला।
वातानुकूलन
(सं.) [सं-पु.] किसी क्षेत्र विशेष के दायरे में तापमान को नियंत्रित बनाए रखने की क्रिया; (एयर कंडीशनिंग)।
वातानुकूलित
(सं.) [वि.] वह क्षेत्र विशेष जिसके दायरे में तापमान को नियंत्रित स्थिति में रखा गया हो; (एयर कंडीशंड)।
वातायन
(सं.) [सं-पु.] 1. झरोखा; खिड़की; गवाक्ष 2. रोशनदान।
वातावरण
(सं.) [सं-पु.] वायु अथवा गैसों का वह आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए है; वायुमंडल; पर्यावरण।
वातिक
(सं.) [वि.] 1. वात संबंधी; वात का 2. जिसे वात का कोई रोग हो; वातग्रस्त 3. तूफ़ान या बवंडर से संबंध रखने वाला 4. बकवादी। [सं-पु.] 1. पागल; विक्षिप्त 2. वात
के कारण उत्पन्न एक प्रकार का ज्वर 3. चातक; पपीहा।
वातुल
(सं.) [सं-पु.] बावला; पागल।
वातुलता
(सं.) [सं-स्त्री.] वातुल होने की अवस्था या भाव; बावलापन; पागलपन।
वातोन्माद
(सं.) [सं-पु.] विशेष रूप से स्त्रियों को होने वाला एक तरह का मूर्छा रोग; (हिस्टीरिया)।
वात्य
(सं.) [वि.] वात या वायु संबंधी।
वात्या
(सं.) [सं-स्त्री.] बवंडर; चक्रवात; बहुत तेज़ चलने वाली हवा।
वात्याचक्र
(सं.) [सं-पु.] बवंडर; आँधी।
वात्सरिक
(सं.) [वि.] 1. वत्सर या वर्ष संबंधी 2. प्रतिवर्ष होने वाला; वार्षिक।
वात्सल्य
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रेम; स्नेह 2. विशेषतः माता-पिता के हृदय में होने वाला अपने बच्चों के प्रति नैसर्गिक प्रेम।
वात्सल्यपूर्ण
(सं.) [वि.] वात्सल्य के भाव से भरा हुआ; प्रेम-स्नेह से भरा हुआ।
वाद
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी तत्व या सिद्धांत पर होने वाली बातचीत 2. उक्ति; कथन 3. तर्क-वितर्क; बहस; विवरण 4. दलील 5. बोलना; कहना 6. अभियोग; मुकदमा 7. अफ़वाह;
किंवदंती 8. व्यवस्थित मत अथवा सिद्धांत। [परप्रत्य.] एक प्रकार का प्रत्यय जो किसी शब्द के अंत में लगकर मत या विचारधारा का अर्थ देता है, जैसे- साम्यवाद,
नारीवाद, अवसरवाद।
वादक
(सं.) [सं-पु.] वाद्ययंत्र को बजाने वाला।
वादग्रस्त
(सं.) [वि.] अनिर्णित; अनिश्चित; विवादास्पद।
वादन
(सं.) [सं-पु.] 1. बोलना 2. वाद्ययंत्र को बजाना।
वादपत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वादी द्वारा किसी के विरुद्ध न्यायालय में प्रस्तुत किया गया आरोपपत्र 2. इस्तगासा; दावानामा।
वाद-विवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. झगड़ा या बहस 2. विचारपूर्ण बातचीत; शास्त्रार्थ 3. विचारों का खंडन-मंडन।
वादा
(अ.) [सं-पु.] 1. वचन; प्रतिज्ञा; इकरार; (प्रॉमिस) 2. कर्ज़ अदा करने का वक्त।
वादाख़िलाफ़ी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] वादे से मुकरना; वचनभंग।
वादाफ़रामोश
(अ.+फ़ा.) [वि.] अपने वचन या वादे को भूल जाने वाला।
वादाफ़रामोशी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] वचन या वादे को भूल जाना।
वादाशिकन
(अ.+फ़ा.) [वि.] वादे को तोड़ने वाला; वचन भंग करने वाला।
वादिका
(सं.) [सं-स्त्री.] वाद्य या बाजा बजाने वाली स्त्री।
वादी
(सं.) [वि.] 1. वक्ता; बोलने वाला 2. मुकदमा दायर करने वाला 3. फ़रियादी 4. किसी वाद से संबंध रखने वाला।
वाद्य
(सं.) [सं-पु.] वे उपकरण जिनसे संगीत के स्वर या ताल निकलते हैं; बाजा।
वाद्ययंत्र
(सं.) [सं-पु.] वे उपकरण जिनसे संगीत के स्वर या ताल निकलते हैं; बाजा।
वाद्यवृंद
(सं.) [सं-पु.] वाद्ययंत्रों या बाजों का समूह।
वाद्य संगीत
(सं.) [सं-पु.] वाद्ययंत्रों से उत्पन्न होने वाला संगीत।
वान
(सं.) [परप्रत्य.] एक प्रकार का प्रत्यय जो 'रखने वाला', 'चलाने वाला' आदि अर्थ देता है, जैसे- धनवान, गाड़ीवान।
वानप्रस्थ
(सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में प्राचीन आश्रम व्यवस्था के अंतर्गत मान्य चार आश्रमों में से एक जिसके अंतर्गत पचास वर्ष की आयु पूरी करने पर व्यक्ति को वन के
प्रस्थान करने का विधान है।
वानर
(सं.) [सं-पु.] 1. बंदर 2. एक प्रकार का द्रव्यगंध 3. दोहे का एक भेद।
वानस्पतिक
(सं.) [वि.] 1. वनस्पति संबंधी; वनस्पति का 2. वनस्पति से निकला हुआ।
वानस्पत्य
(सं.) [वि.] 1. वृक्ष संबंधी 2. वृक्ष से प्राप्त होने वाला।
वानिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] वन या पेड़-पौधों से संबंधित शास्त्र या विज्ञान; वन्यविज्ञान; (फ़ॉरिस्ट्री)।
वापस
(फ़ा.) [वि.] 1. (व्यक्ति) लौटकर फिर अपने स्थान पर आया हुआ; प्रत्यागत 2. (वस्तु) जिसे किसी ने उधार माँगकर अथवा ख़रीदकर लौटा दिया हो। [क्रि.वि.] 1. जहाँ से चली
हो उसी ओर 2. जिससे लिया हो उसी को।
वापसी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] लौटने या लौटाने की क्रिया या भाव; प्रत्यावर्तन। [वि.] 1. जो लौटकर आया हो 2. लौटाया या फेरा हुआ।
वापिका
(सं.) [सं-स्त्री.] वापी; बावली; छोटा जलाशय।
वापी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का चौड़ा और बड़ा कुआँ या छोटा तालाब जिसमें जल तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ लगी रहती हैं; बावली।
वाबस्ता
(फ़ा.) [वि.] 1. लगा या जुड़ा हुआ; संबद्ध 2. बँधा हुआ। [सं-पु.] रिश्तेदार; संबंधी।
वाम
(सं.) [वि.] 1. बायाँ 2. विरुद्ध; प्रतिकूल 3. असंतुष्ट 4. वक्र; टेढ़ा।
वामदेव
(सं.) [सं-पु.] 1. एक वैदिक मुनि 2. शिव; महादेव।
वामन
(सं.) [सं-पु.] 1. बौना आदमी 2. पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु का एक अवतार 3. अठारह पुराणों में से एक। [वि.] 1. औसत से बहुत कम डील-डौलवाला; बौना; ठिगना 2.
छोटा।
वामनपुराण
(सं.) [सं-पु.] अठारह महापुराणों में एक महापुराण जिसमें विष्णु की विविध लीलाओं का वर्णन हुआ है।
वामपंथ
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रगतिशीलता का समर्थक तथा यथास्थितिवाद का विरोधी मत 2. 'दक्षिणपंथ' का विलोम।
वामपंथी
(सं.) [सं-पु.] 1. पूँजीवाद तथा यथास्थितिवाद का विरोधी व्यक्ति; (लेफ़्टिस्ट) 2. साम्यवादी विचारधारा वाला व्यक्ति; (कम्यूनिस्ट)।
वाममार्ग
(सं.) [सं-पु.] वेदों में बतलाए हुए दक्षिण मार्ग के विरुद्ध एक तांत्रिक मत या धार्मिक विचारधारा जिसमें तंत्र-मंत्र, मैथुन आदि के साथ मद्य, मांस आदि के सेवन
का भी विधान है।
वाममार्गी
(सं.) [वि.] वाममार्ग का अनुसरण करने वाला।
वामा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्री; औरत 2. गौरी; दुर्गा।
वामांगिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] पत्नी; भार्या।
वामांगी
(सं.) [वि.] पत्नी।
वामावर्त
(सं.) [वि.] 1. बाईं तरफ़ घूमा हुआ 2. बाईं ओर से जाने वाला।
वामिका
(सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा; चंडिका।
वायदा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वचन; इकरार; वादा 2. प्रतिज्ञा।
वायर
(इं.) [सं-पु.] तंतु; तार।
वायरल
(इं.) [वि.] संक्रामक; विषाणु जनित; विषाणु जन्य।
वायरस
(इं.) [सं-पु.] 1. विषाणु 2. जुकाम, खसरा आदि रोग उत्पन्न करने वाले कारक 3. (सूचनातकनीकी) एक प्रकार के सॉफ़्वेयर प्रोग्राम जो कंप्यूटर के संचालन में बाधा
उत्पन्न करते हैं।
वायलिन
(इं.) [सं-पु.] 1. एक विदेशी वाद्ययंत्र 2. सारंगी जैसा हलका बाजा।
वायव
(सं.) [वि.] 1. वायु संबंधी 2. पश्चिमोत्तर 3. निराधार।
वायविक
(सं.) [वि.] वायु संबंधी; वायु का।
वायवीय
(सं.) [वि.] 1. वायु से परिचालित 2. वायु संबंधी काल्पनिक।
वायव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. पश्चिमोत्तर कोण या दिशा 2. एक प्रकार का अस्त्र 3. स्वाति नक्षत्र। [वि.] वायु संबंधी।
वायस
(सं.) [सं-पु.] 1. कौआ 2. अगर नामक पेड़।
वायु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हवा; पवन 2. हवा का अधिष्ठाता देवता; पवन देव 3. सृष्टि के पंचतत्व में से एक तत्व 4. प्राणतत्व; जीवनतत्व।
वायुचालित
(सं.) [वि.] वायु से चलने वाला।
वायुजन्य
(सं.) [वि.] वायु से उत्पन्न।
वायुदाब
(सं.) [सं-पु.] (भूगोल) किसी क्षेत्र विशेष पर किसी एक समयावधि में हवा का दबाव।
वायुदाब मापक
(सं.) [सं-पु.] वायुमंडल में हवा के दबाव को मापने का यंत्र; (बैरोमीटर)।
वायुपथ
(सं.) [सं-पु.] वायुमार्ग; वायुयान के आने-जाने का रास्ता; (एयर वे; एयर रूट)।
वायुमंडल
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी में चारों ओर का वह परिक्षेत्र जहाँ हवा की परिव्याप्ति होती है; पृथ्वी के चारों ओर का एक गोलाकार वाष्पीय आवरण; वातावरण; पर्यावरण;
(एटमॉस्फ़ियर) 2. आकाश।
वायुमंडलीय
(सं.) [वि.] वायुमंडल संबंधी।
वायुमार्ग
(सं.) [सं-पु.] आकाशमार्ग; (एयर रूट)।
वायुयान
(सं.) [सं-पु.] हवाई जहाज़; हवा या आकाश में उड़ने वाला यान।
वायुरहित
(सं.) [वि.] हवा से रहित; वायु शून्य।
वायुरोधी
(सं.) [वि.] हवा को रोकने वाला।
वायुवेगमापक
(सं.) [सं-पु.] हवा के वेग को मापने वाला यंत्र।
वायुसेना
(सं.) [सं-स्त्री.] हवा में मार करने वाली सेना; हवाईसेना; (एयरफ़ोर्स)।
वायुसेवा
(सं.) [सं-स्त्री.] वायुयान संबंधी सेवा; (एयर सर्विस)।
वार
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रहार; आघात 2. हमला; आक्रमण 3. सप्ताह के दिनों के नाम के अंत में लगने वाला शब्द, जैसे- सोमवार, मंगलवार 4. द्वार; दरवाज़ा 5. रुकावट 6.
समूह।
वारंट
(इं.) [सं-पु.] 1. वह पत्र जिसके द्वारा किसी को कोई काम करने का अधिकार या आज्ञा दी गई हो; अधिकारपत्र 2. किसी को पकड़ने या माल ज़ब्त करने की लिखित आज्ञा;
अधिपत्र।
वारक
(सं.) [वि.] 1. निवारण या निषेध करने वाला 2. दूर करने वाला।
वारण
(सं.) [सं-पु.] 1. निवारण 2. प्रतिरोध; रुकावट 3. निषेध; मनाही।
वारदात
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. घटना; हादसा; दुर्घटना 2. चोरी, डकैती, मारपीट, दंगा-फ़साद आदि की आपराधिक घटना।
वारना
[क्रि-स.] न्योछावर करना; उत्सर्ग करना।
वारनिश
(इं.) [सं-स्त्री.] लकड़ी के फ़र्निचर पर चमक लाने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला एक रोगन।
वार रिपोर्टिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] युद्ध स्थल से समाचार संकलन।
वारा
(सं.) [सं-पु.] 1. बचत; किफ़ायत 2. लाभ 3. नदी या तालाब का अपनी ओर का किनारा।
वारा-न्यारा
(सं.) [सं-पु.] किसी मामले का पूरी तरह निपटारा।
वारा-पार
(सं.) [सं-पु.] अंतिम सीमा या चरम सीमा।
वाराह
(सं.) [सं-पु.] 1. सुअर; शूकर 2. (पुराण) विष्णु का तीसरा अवतार जो शूकर के रूप में हुआ था 3. जल के पास होने वाला जलबेंत।
वारि
(सं.) [सं-पु.] 1. जल; पानी 2. कोई तरल या द्रव पदार्थ। [सं-स्त्री.] 1. सरस्वती; वाणी 2. वंदिनी 3. सुगंधबाला 4. हाथी बाँधने की ज़ंजीर 5. हाथी फँसाने का फंदा
6. हाथी बाँधने का स्थान 7. घड़ा; गगरा।
वारिचर
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी के जीव-जंतु; जलचर 2. मछली 3. शंख।
वारिज
(सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. शंख 3. मछली 4. घोंघा 5. शंख। [वि.] जल में उत्पन्न।
वारित
(सं.) [वि.] जिसका वारण अथवा वर्जन किया गया हो; वर्जित।
वारिद
(सं.) [सं-पु.] 1. बादल; मेघ 2. नागरमोथा 3. बाला नामक द्रव्यगंध। [वि.] जलदायी; जल देने वाला।
वारिधि
(सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर।
वारिवर्त
(सं.) [सं-पु.] बादल; मेघ।
वारिस
(अ.) [सं-पु.] 1. उत्तराधिकारी; हकदार 2. वह जिसे किसी की विरासत मिले।
वारिसी
(अ.) [सं-स्त्री.] विरासत; धरोहर; न्यास।
वारींद्र
(सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर।
वारुणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वरुण देव की पत्नी; वरुणानी 2. शराब; मदिरा 3. पश्चिम दिशा 4. शतभिषा नक्षत्र 5. गाँडर दूब 6. एक प्राचीन नदी 7. मादा हाथी; हथिनी 6.
घोड़े की एक प्रकार की चाल।
वार्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी विशिष्ट कार्य के लिए स्थानों का निश्चित किया हुआ विभाग, खंड या मंडल, जैसे- इस नगर पालिका में बारह वार्ड हैं 2. रक्षा; हिफ़ाजत 3.
अस्पताल का एक कमरा; रोगी कक्ष।
वार्डन
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी विभाग, छात्रावास आदि का व्यवस्थापक अधिकारी 2. संरक्षक।
वार्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बातचीत; वृत्तांत; हाल-चाल 2. किंवदंती; जनश्रुति 3. ख़बर; समाचार 4. ज्ञानवर्धक कथन।
वार्ताकार
(सं.) [सं-पु.] 1. बातचीत, वृत्तांत या हालचाल सुनाने वाला व्यक्ति 2. ख़बर या समाचार सुनाने वाला व्यक्ति 3. ज्ञानवर्धक बात या कथा सुनाने वाला व्यक्ति।
वार्तालाप
(सं.) [सं-पु.] 1. बातचीत; कथोपकथन 2. लोगों की आपसी बातचीत।
वार्तास्थल
(सं.) [सं-पु.] 1. बातचीत करने का स्थान 2. समाचार, कथा आदि सुनने-सुनाने की जगह।
वार्तिक
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी ग्रंथ की टीका अथवा व्याख्या 2. किसान, व्यवसायी 3. दूत; चर 4. वैद्य। [वि.] 1. वार्ता संबंधी 2. विशद व्याख्या के रूप में होने वाला;
व्याख्यात्मक।
वार्द्धक्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वृद्ध होने की अवस्था या भाव; वृद्धावस्था; बुढ़ापा 2. वृद्धावस्था चरम पर होने के कारण शरीर में होने वाली कमज़ोरी।
वार्निंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. चेतावनी; धमकी 2. पूर्वसूचना।
वार्मिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] गरम होने की अवस्था; गरमाहट; तापन।
वार्षिक
(सं.) [वि.] 1. वर्ष संबंधी 2. वर्ष में एक बार होने वाला 3. एक वर्ष की अवधिवाला 4. प्रतिवर्ष होने वाला।
वार्षिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिवर्ष दी जाने वाली वृत्ति या अनुदान 2. प्रतिवर्ष होने वाला प्रकाशन 3. बरसी।
वार्षिकोत्सव
(सं.) [सं-पु.] प्रति वर्ष होने वाला उत्सव; वार्षिक उत्सव; सालाना जलसा।
वालंटियर
(इं.) [सं-पु.] बिना पुरस्कार या वेतन के स्वेच्छा से काम करने वाला; स्वयंसेवक।
वाला
(सं.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो कर्तव्य, संबंध, स्वामित्व आदि का सूचक है, जैसे- पानवाला, ठेलेवाला, कामवाला आदि।
वालिद
(अ.) [सं-पु.] पिता; बाप।
वालिदा
(अ.) [सं-स्त्री.] माता; माँ।
वालिदैन
(अ.) [सं-पु.] माता-पिता; माँ-बाप।
वालिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] अश्विनी नक्षत्र।
वाल्मीकि
(सं.) [सं-पु.] एक पौराणिक ऋषि जो रामायण नामक ग्रंथ के रचियता और आदिकवि माने जाते हैं।
वाल्मीकीय
(सं.) [वि.] 1. वाल्मीकिकृत; वाल्मीकिप्रणीत 2. वाल्मीकि संबंधी।
वाल्व
(इं.) [सं-पु.] खुलने और बंद होने वाला द्वार या पल्ला; कपाट।
वाष्प
(सं.) [सं-पु.] 1. भाप 2. उष्मा 3. आँसू।
वाष्पक
(सं.) [सं-पु.] पानी को भाप में बदलने का यंत्र-कक्ष; एक बंद पात्र जिसमें जल या कोई अन्य द्रव गरम किया जाता है जिसमें गरम करने (उबालने) से उत्पन्न वाष्प को
बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था भी होती है; (ब्वायलर)।
वाष्पन
(सं.) [सं-पु.] ताप की सहायता से किसी तरल या द्रव पदार्थ को वाष्प में परिणत कर देना; (वेपोराइज़ेशन)।
वाष्पमय
(सं.) [सं-पु.] वाष्पयुक्त।
वाष्प स्नान
(सं.) [सं-पु.] खौलते पानी की भाप शरीर पर लेना; कुछ विशिष्ट प्रकार के रोगों की चिकित्सा के लिए ऐसी स्थिति में रहना कि सारे शरीर या पीड़ित अंग पर खौलते हुए
पानी की भाप लगे; (स्टीम बाथ)।
वाष्पिका
(सं.) [सं-स्त्री.] हिंगुपत्री।
वाष्पित
(सं.) [वि.] जो वाष्प बन चुका हो।
वाष्पीकरण
(सं.) [सं-पु.] (रसायनविज्ञान) द्रव से वाष्प में परिणत होने की क्रिया।
वाष्पीकृत
(सं.) [वि.] वाष्प के रूप में परिणत हुआ; जो वाष्प बन चुका हो।
वाष्पोत्सर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. वाष्प का उत्सर्जन अथवा निकलना 2. (वनस्पतिविज्ञान) पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया।
वास
(सं.) [सं-पु.] 1. निवास; रहने की जगह 2. घर; मकान; आवास 3. गंध।
वासंत
(सं.) [सं-पु.] 1. कोकिल 2. मलय पवन 3. मूँगा। [वि.] 1. वसंत में उत्पन्न या उससे संबद्ध 2. युवा 3. कार्य में संलग्न रहने वाला; परिश्रमी।
वासंतिक
(सं.) [वि.] वसंत संबंधी; वसंत का; वासंती।
वासंती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जूही 2. माधवी 3. गनियारी 4. नेवारी 5. मदनोत्सव 6. एक रागिनी 7. एक छंद।
वासंती नवरात्र
(सं.) [सं-पु.] चैत्र माह के शुक्लपक्ष में पड़ने वाला नवरात्र; चैत्र माह के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी (तिथि) तक की अवधि।
वासक
(सं.) [सं-पु.] 1. शयनागार 2. वासस्थान 3. गंध 4. वस्त्र 5. अडूसा नामक वृक्ष और उसका फल।
वासकसज्जा
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) शयनकक्ष को व्यवस्थित कर प्रेमी की प्रतीक्षा में सज-धजकर बैठी नायिका।
वासना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भावना; कामना; इच्छा 2. कल्पना; विचार; ख़याल 3. दबी हुई इच्छा 4. विषय लालसा।
वासनात्मक
(सं.) [वि.] वासना से संबंधित।
वासनामय
(सं.) [वि.] वासना से संबंधित।
वासव
(सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र 2. घनिष्ठा नक्षत्र। [वि.] इंद्र संबंधी।
वासित
(सं.) [वि.] गंधयुक्त; सुगंधित।
वासी
(सं.) [वि.] रहने वाला; बसने वाला।
वासुदेव
(सं.) [सं-पु.] 1. कृष्ण 2. पीपल का वृक्ष।
वास्तव
(सं.) [वि.] सच; सत्य; यथार्थ; निश्चित।
वास्तविक
(सं.) [वि.] 1. यथार्थ; ठीक; जो अस्तित्व में हो; (रीअल) 2. जो काल्पनिक या मिथ्या न हो 3. तात्विक; परमार्थ; सत्य।
वास्तविकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वास्तविक होने की अवस्था या भाव; असलियत; सच्चाई 2. सच्ची या यथार्थ स्थिति।
वास्ता
(अ.) [सं-पु.] 1. संबंध; नाता; रिश्ता 2. लगाव; सरोकार।
वास्तु
(सं.) [सं-पु.] 1. ईंट, चूने, पत्थर, लकड़ी आदि से निर्मित रचना; इमारत; भवन; स्थापत्य 2. मकान की नींव 3. मकान का नक्शा 4. मकान बनाने योग्य स्थान।
वास्तुकला
(सं.) [सं-स्त्री.] वास्तु या भवन निर्माण की कला जिसके अंतर्गत चित्रण और तक्षण दोनों आते हैं; वास्तुशास्त्र; वास्तुशिल्प; स्थापत्यकला; (आर्कीटेक्चर)।
वास्तुकार
(सं.) [सं-पु.] भवन का प्रारूप तैयार करने वाला व्यक्ति; भवन निर्माण करने वाला व्यक्ति; (आर्किटेक्ट)।
वास्तुशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] वास्तुकला से संबंधित शास्त्र; वास्तुकला की जानकारी देने वाला शास्त्र।
वास्तुशिल्पी
(सं.) [वि.] 1. भवन निर्माण कला में दक्ष तथा कार्य करने वाला 2. वास्तु का निर्माण करने वाला।
वास्ते
(अ.) [अव्य.] कारण; हेतु; लिए।
वाह1
(सं.) [परप्रत्य.] वहन करने वाला; ढोने वाला, जैसे- भारवाह।
वाह2
(फ़ा.) [अव्य.] प्रशंसा और आश्चर्यसूचक शब्द; साधु; धन्य; शाबाश।
वाहक
(सं.) [सं-पु.] 1. वाहन का चालक; सारथी; गाड़ीवान 2. कुली। [वि.] 1. लादकर ले जाने वाला; ढोने वाला 2. किसी दायित्व का वहन करने वाला।
वाहन
(सं.) [सं-पु.] ऐसा पशु या गाड़ी जिसपर लोग चढ़कर आते-जाते हों; सवारी, जैसे- रथ, घोड़ा, बैलगाड़ी, रेलगाड़ी आदि।
वाह-वाह
(फ़ा.) [अव्य.] तारीफ़ में कहा जाने वाला शब्द; साधु-साधु; धन्य-धन्य; क्या बात है।
वाहवाही
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] प्रशंसा; बहुत अच्छा, धन्य-धन्य आदि कहा जाना; साधुवाद।
वाहिका
(सं.) [सं-स्त्री.] रक्तवाहिनी शिरा; धमनी।
वाहित
(सं.) [वि.] 1. प्रवाहित; बहता हुआ 2. चालित; चलाया हुआ 3. वहन किया हुआ; ढोया हुआ।
वाहिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वहन करने वाली नली 2. नदी 3. सेना 4. सेना का एक विभाग; (डिवीज़न)।
वाहिम
(अ.) [वि.] 1. वहम करने वाला 2. सोचने या कल्पना करने वाला।
वाहिमा
(अ.) [सं-स्त्री.] कल्पना शक्ति।
वाहियात
(अ.) [वि.] 1. ख़राब; व्यर्थ; निरर्थक 2. अनर्गल; अशिष्ट 3. दुष्ट; निकम्मा; मूर्ख (व्यक्ति)।
वाही
(सं.) [वि.] 1. प्रवाही; बहने वाला 2. वहन करने वाला; ढोने वाला।
वाह्य
(सं.) [वि.] जो आंतरिक न हो; बाहरी।
वाह्यांतर
(सं.) [वि.] बाहर और भीतर का। [अव्य.] बाहर-भीतर।
वाह्यावरण
(सं.) [सं-पु.] बाहरी आवरण; ऊपरी परत।
वाह्येंद्रिय
(सं.) [सं-स्त्री.] वाह्य विषयों का बोध कराने वाली पाँच इंद्रियाँ- आँख, नाक, कान, जीभ तथा त्वचा।
वि
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के आरंभ में जुड़कर निम्न अर्थ देता है- 1. पृथकता, जैसे- वियोग 2. निषेध या विलोम, जैसे- विक्रय 3. विशेषता, जैसे-
विहीन।
विंग
(इं.) [सं-पु.] 1. पंख 2. खंड; विभाग।
विंडो
(इं.) [सं-स्त्री.] खिड़की; झरोखा; वातायन।
विंदु
(सं.) [सं-पु.] 1. तरल पदार्थ की एक बूँद; (ड्रॉप) 2. बिंदी 3. अनुस्वार 4. छोटा गोलाकार चिह्न; शून्य 5. कोई विशिष्ट स्थान या क्षेत्र 6. कोई विचारणीय मुद्दा।
[मु.] -विसर्ग न जानना : आरंभिक ज्ञान न होना; किसी बात का 'कखग' न जानना।
विंदुक
(सं.) [सं-पु.] छोटी पिचकारी जिससे आँख, नाक, कान आदि में बूँद-बूँद करके दवा डाली जाती है; (ड्रॉपर)।
विंदुचित्र
(सं.) [सं-पु.] विंदुओं से निर्मित चित्र।
विंदु विसर्ग
(सं.) [सं-पु.] सूक्ष्म तत्व जिनसे किसी शब्द में स्वरूपगत तथा अर्थगत परिवर्तन हो जाता हो।
विंध्याचल
(सं.) [सं-पु.] 1. विंध्य नामक पर्वत 2.उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जनपद में स्थित एक धार्मिक स्थल जहाँ विंध्यपर्वत पर विंध्यवासिनी देवी का स्थान है।
विंश
(सं.) [सं-पु.] बीसवाँ भाग या हिस्सा। [वि.] बीसवाँ।
विकच
(सं.) [वि.] 1. खिला हुआ; विकसित 2. जिसके कच या बाल न हों; केशहीन।
विकट
(सं.) [वि.] 1. विशाल; बड़ा 2. भद्दा; भोंड़ा 3. कठिन; मुश्किल 4. दुर्गम; दुसाध्य 5. टेढ़ा; वक्र 6. विकृत 7. भीषण; भयंकर।
विकर
(सं.) [सं-पु.] 1. बीमारी; रोग; व्याधि 2. तलवार चलाने के बत्तीस प्रकारों में से एक।
विकराल
(सं.) [वि.] 1. डरावना; भीषण आकृतिवाला 2. भयानक।
विकर्ण
(सं.) [सं-पु.] (गणित) किसी बहुभुज के असंलग्न शीर्ष बिंदुओं को मिलाने वाली रेखा; वह रेखा जो किसी चतुर्भुज के तिरछे बल में पड़ने वाले आमने-सामने के बिंदुओं को
मिलाती और उस चतुर्भुज को दो त्रिभुजों में विभक्त करती है। [वि.] बिना कान का।
विकर्णतः
(सं.) [क्रि.वि.] विकर्ण की तरह; तिरछे बल में।
विकर्म
(सं.) [सं-पु.] अनुचित कर्म; अनैतिक कर्म।
विकर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. विपरीत दिशा में होने वाला आकर्षण 2. दूर हटाना।
विकल
(सं.) [वि.] 1. व्याकुल; विह्वल; बेचैन; अधीर 2. अपूर्ण; खंडित; अंगहीन 3. रहित; हीन; असमर्थ 4. क्षुब्ध 5. हतोत्साह।
विकलता
(सं.) [सं-स्त्री.] विकल होने का भाव या अवस्था; अधीरता; बेचैनी; व्याकुलता।
विकलन
(सं.) [सं-पु.] खाते अथवा रोकड़-बही में किसी के नाम या किसी मद में दिए हुए धन का उल्लेख करना; (डेबिट)।
विकला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चंद्रकला का सोलहवाँ हिस्सा 2. (गणित) समय का एक छोटा मानक।
विकलांग
(सं.) [वि.] 1. किसी अंग से हीन; अपूर्ण या बेकार अंगोंवाला 2. अपंग; लँगड़ा-लूला।
विकल्प
(सं.) [वि.] 1. वह अवस्था जिसमें कई विषयों या बातों में से कोई एक विषय या बात चुनने का अधिकार हो 2. अनिश्चित विचार; 'संकल्प' का विलोम 3. धोखा; भ्रम;
भ्रांति; भेदयुक्त ज्ञान 4. संदेह; अनिश्चय 5. एक अर्थालंकार।
विकसन
(सं.) [सं-पु.] 1. विकसित होने की क्रिया या भाव 2. कलियों का खिलना।
विकसना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. विकसित होना 2. खिलना; प्रफुल्लित होना।
विकसित
(सं.) [वि.] 1. जिसका विकास हो चुका हो 2. खिला हुआ; प्रफुल्ल; प्रस्फुटित 3. प्रसन्न।
विकस्वर
(सं.) [सं-पु.] एक अर्थालंकार।
विकार
(सं.) [सं-पु.] 1. बिगड़ना; ख़राबी 2. प्रकृति, रूप, स्थिति आदि में होने वाला परिवर्तन 3. (वेदांत और सांख्य दर्शन) किसी पदार्थ के रूप आदि का बदल जाना 4. वासना;
उद्वेग 5. रोग; बीमारी 6. परिणाम।
विकारग्रस्त
(सं.) [वि.] विकार से पीड़ित।
विकारमय
(सं.) [वि.] विकार से युक्त।
विकारी
(सं.) [वि.] 1. विकार वाला; विकारयुक्त 2. बिगड़ा हुआ। [सं-पु.] शब्दों का एक प्रकार।
विकार्य
(सं.) [सं-पु.] अहंकार। [वि.] परिवर्तनशील।
विकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. दिन के अंतिम पहर का समय; संध्याकाल 2. उपयुक्त समय के बाद का समय।
विकास
(सं.) [सं-पु.] 1. फैलना; बढ़ना 2. उन्नति; प्रगति; अभिवृत्ति 3. समृद्धि 4. प्रस्फुटन; खिलना 5. उत्थान 6. क्रमशः वृद्धि।
विकासपरक
(सं.) [वि.] विकास, उन्नति या समृद्धि से संबंधित।
विकासमान
(सं.) [वि.] 1. विकास या उन्नति करता हुआ 2. विकसित होता हुआ।
विकासवाद
(सं.) [सं-पु.] पृथ्वी पर विकास के विषय में दिया गया आधुनिक वैज्ञानिकों (मूलतः डार्विन) का एक प्रसिद्ध सिद्धांत जिसमें प्राणियों का प्रादुर्भाव एक ही मूल
तत्व से हुआ माना जाता है।
विकासशील
(सं.) [वि.] 1. प्रगति, उन्नति, समृद्धि की ओर अग्रसर 2. विकसित होता हुआ; विकास करता हुआ; विकासमान।
विकिरण
(सं.) [सं-पु.] 1. छितराना; तितर-वितर करना 2. चारों ओर फैलाना 3. परमाणु के नाभिक से निकलने वाली किरण जो बहुत ख़तरनाक होती है; (रेडिएशन)।
विकिरणशील
(सं.) [वि.] 1. फैलता हुआ 2. फैलने वाला।
विकीरित
(सं.) [वि.] छितराया या फैलाया हुआ; विकीर्ण।
विकीर्ण
(सं.) [वि.] 1. छितराया या फैलाया हुआ 2. भरा हुआ 3. प्रसिद्ध; मशहूर।
विकृत
(सं.) [वि.] 1. बिगड़ा हुआ; विकारयुक्त; बेडौल 2. बदला हुआ; परिवर्तित 3. रोगी; बीमार 4. दूषित; ख़राब।
विकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विकृत होने की अवस्था या भाव 2. विकार; दोष 3. बिगड़ा हुआ रूप; रूपांतरित; परिवर्तित 4. रोग; बीमारी 5. माया; कामवासना।
विकृष्ट
(सं.) [वि.] 1. खींचा हुआ; आकृष्ट 2. फैलाया हुआ।
विकेंद्रित
(सं.) [वि.] केंद्र से हटा या हटाया हुआ; केंद्र के चारों ओर फैला या फैलाया हुआ।
विकेंद्रीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी सत्ता या अधिकार को केंद्र से हटाकर दूर करना; राजनीतिक क्षेत्र में शक्ति या सत्ता का केंद्र या एक व्यक्ति में निहित न होकर अनेक संस्थाओं
या व्यक्तियों में थोड़े-थोड़े अंशों में निहित होना; (डिसेंट्रलाइज़ेशन)।
विकेंद्रीकृत
(सं.) [वि.] जिसका विकेंद्रीकरण हो चुका हो; विकेंद्रित।
विकेट
(इं.) [सं-स्त्री.] क्रिकेट (खेल) का डंडा जो बल्लेबाज़ के ठीक पीछे (तीन की संख्या में) खड़ा होता है।
विक्टोरिया
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. ब्रिटेन की एक रानी 2. उक्त नाम का युग 3. ऐसी गाड़ी जो देखने में फिटन (घोड़ागाड़ी) सी दिखती है। [सं-पु.] छोटा ग्रह जिसका पता सन 1850 में
हैंड नामक पाश्चात्य ज्योतिषी ने लगाया था।
विक्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. बल या पौरुष की अधिकता 2. वीरता 3. शक्ति। [वि.] 1. उत्तम; श्रेष्ठ; बेजोड़ 2. क्रमरहित।
विक्रमादित्य
(सं.) [सं-पु.] उज्जयिनी का एक प्रसिद्ध राजा जो विक्रम संवत का प्रवर्तक भी है।
विक्रमी
(सं.) [वि.] 1. विक्रम संबंधी; विक्रम का 2. जिसमें वीरता हो।
विक्रमी संवत
(सं.) [सं-पु.] उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य द्वारा चलाया गया संवत।
विक्रय
(सं.) [सं-पु.] कीमत लेकर कोई वस्तु किसी को देना; बेचना; बिक्री।
विक्रय कर
(सं.) [सं-पु.] वस्तुओं की बिक्री पर लगने वाला राजकीय शुल्क; बिक्रीकर; (सेल्स टैक्स)।
विक्रय कला
(सं.) [सं-स्त्री.] विक्रय की कला; बेचने का हुनर; ग्राहकों को आकर्षित करने का कौशल; (सेल्समैनशिप)।
विक्रयार्थ
(सं.) [वि.] बिक्री हेतु; बिक्री का।
विक्रयिका
(सं.) [सं-स्त्री.] बिक्री का विवरण देने वाला चिट्ठा जो बेचने वाला ख़रीदने वाले को देता है; (कैशमेमो)।
विक्रयी
(सं.) [सं-पु.] बेचने वाला; विक्रेता।
विक्रियोपमा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का उपमालंकार जिसमें किसी विशिष्ट क्रिया या उपाय का अवलंब कहा जाता है।
विक्रीत
(सं.) [वि.] बेचा हुआ; बिका हुआ।
विक्रेता
(सं.) [वि.] किसी वस्तु की बिक्री करने वाला; बेचने वाला। [सं-पु.] दुकानदार।
विक्रेय
(सं.) [वि.] बेचने योग्य; बिकाऊ।
विक्रोश
(सं.) [सं-पु.] आक्रोश में कहे गए शब्द; गाली।
विक्षत
(सं.) [वि.] आहत; घायल; चोटिल; ज़ख़्मी।
विक्षिप्त
(सं.) [वि.] 1. फेंका या छितराया हुआ 2. विकल; व्यग्र 3. जिसके मस्तिष्क में विकार हो गया हो; पागल; सनकी।
विक्षिप्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] विक्षिप्त होने की अवस्था या भाव; पागलपन; उन्माद।
विक्षिप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] विक्षिप्तता; पागलपन; उन्माद।
विक्षुब्ध
(सं.) [वि.] 1. अति क्षुब्ध; क्षोभ से भरा हुआ 2. उद्विग्न 3. अस्त-व्यस्त; अशांत।
विक्षेप
(सं.) [सं-पु.] 1. तितर-बितर करना; बिखेरना; इधर-उधर छितराना 2. फेंकना 3. झटका देना 4. बरबाद करना 5. धनुष का चिल्ला या डोरी चढ़ाना 6. बाधा; विघ्न 7. सेना का
पड़ाव; छावनी 8. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र।
विक्षोभ
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत क्षोभ; उद्वेलन 2. उद्विग्नता; खिन्नता 3. उथल-पुथल।
विखंडन
(सं.) [सं-पु.] 1. खंड-खंड करना; किसी चीज़ के छोटे-छोटे टुकड़े करना; किसी चीज़ को तोड़-फोड़ कर उसके खंड या टुकड़े करना 2. वह प्रक्रिया जिसमें एक भारी नाभिक दो
लगभग बराबर नाभिकों में टूट जाता हैं; अणु से परमाणुओं के अलग होने की वैज्ञानिक प्रक्रिया।
विखंडनवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. वाक्य की क्रियागत विशेषता को विखंडित करते या तोड़ते हुए उसके व्यापक अर्थ का निर्माण 2. वह वाद जिसके अनुसार किसी भी चीज़ का कोई अंतिम अर्थ
नहीं है, उक्त वाद के प्रतिपादक देरिदा थे।
विखंडनीय
(सं.) [वि.] जिसका विखंडन संभव हो।
विखंडित
(सं.) [वि.] 1. खंड-खंड में विभाजित 2. विघटित 3. चूर-चूर।
विख्यात
(सं.) [वि.] जिसकी बहुत ख्याति हो; प्रसिद्ध; मशहूर।
विख्याति
(सं.) [सं-स्त्री.] कीर्ति; प्रसिद्धि; यश; शोहरत।
विख्यापन
(सं.) [सं-पु.] 1. घोषणा करना 2. प्रकाशित करना।
विगत
(सं.) [वि.] 1. बीता हुआ; गत 2. पिछला 3. गत से ठीक पहले का, जैसे- विगत वर्षों में 4. जिसकी कांति या प्रभाव नष्ट हो चुका हो।
विगति
(सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गति; ख़राब दशा; दुर्दशा।
विगर्हित
(सं.) [वि.] 1. ख़राब; बुरा 2. निषिद्ध।
विगलन
(सं.) [सं-पु.] 1. सड़ने या गलने की क्रिया या भाव 2. पिघलना 3. रिसना 4. तरल होना 5. ढीला पड़ना; शिथिल होना।
विगलित
(सं.) [वि.] 1. गला हुआ; पिघला हुआ 2. टपककर या रिसकर निकला हुआ 3. गिरा हुआ; पतित 4. ढीला पड़ा हुआ; शिथिल 5. विकृत।
विगुण
(सं.) [वि.] जिसमें कोई गुण न हो; गुणरहित; गुणहीन।
विग्र
(सं.) [वि.] 1. कटी हुई नाकवाला 2. चपटी नाकवाला 3. बिना नाकवाला।
विग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. झगड़ा; विवाद; कलह 2. फैलाना; दूर करना 3. टुकड़ा; विभाग 4. आकृति; शक्ल; सूरत 5. शरीर; देह 6. मूर्ति; प्रतिमा 7. युद्ध।
विघटन
(सं.) [सं-पु.] 1. विघटित होना या करना 2. अलग करना 3. तोड़ना 4. छिन्न-भिन्न हो जाना 5. नाश; बरबादी।
विघटनकारी
(सं.) [वि.] 1. विघटन करने वाला 2. बरबाद करने वाला 3. दूर करने वाला 4. कलह या बँटवारा कराने वाला।
विघटनशील
(सं.) [वि.] 1. विघटित होता हुआ; घटता हुआ 2. छिन्न-भिन्न होता हुआ।
विघटित
(सं.) [वि.] तोड़ा या अलग किया हुआ।
विघात
(सं.) [सं-पु.] 1. आघात; चोट 2. विघ्न; बाधा 3. विफलता 4. विनाश 5. हत्या।
विघूर्णन
(सं.) [सं-पु.] 1. इधर-उधर घूमना 2. चक्कर लगाना।
विघूर्णित
(सं.) [वि.] घूमता या चक्कर लगाता हुआ।
विघोषण
(सं.) [सं-पु.] 1. घोषणा करना; ऊँची आवाज़ में कहना 2. सूचना आदि का प्रकाशन।
विघ्न
(सं.) [सं-पु.] 1. अड़चन; बाधा; रुकावट 2. कोई अशुभ लक्षण; अपशकुन।
विघ्न-बाधा
(सं.) [सं-पु.] रुकावट; अड़चन; बाधा।
विचक्षण
(सं.) [वि.] 1. निपुण; पटु 2. कुशल; दक्ष; विद्वान 3. प्रकाशमान 4. दूरदर्शी 5. कुशाग्र बुद्धिवाला।
विचयन
(सं.) [सं-पु.] 1. चुनना; एकत्र करना 2. जाँचना; परखना 3. तलाशी।
विचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. घूमना; फिरना; चलना 2. भ्रमण।
विचरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. विचरण करना; चलना-फिरना 2. घूमना-फिरना।
विचल
(सं.) [वि.] 1. अस्थिर; चंचल 2. अधीर; व्याकुल 3. डिगा हुआ।
विचलन
(सं.) [सं-पु.] 1. विचलित होना; पथ से भ्रष्ट होना 2. ऐसा कार्य जो निश्चय या विचार की दृष्टि से तटस्थ या दृढ़ न हो।
विचलित
(सं.) [वि.] 1. अस्थिर; चंचल 2. अधीर; व्याकुल 3. प्रतिज्ञा, नियम, कर्तव्य आदि से हटा हुआ।
विचार
(सं.) [सं-पु.] 1. भाव; ख़याल; सोच 2. वह जो किसी वस्तु, विषय, बात आदि के संबंध में बुद्धि से सोचा जाए या सोच कर निश्चित किया जाए; निश्चयात्मक बोध 3. समझ;
मनन-चिंतन।
विचारक
(सं.) [सं-पु.] विचार करने वाला व्यक्ति; विचारकर्ता; दार्शनिक।
विचारगर्भित
(सं.) [वि.] विचारों से भरा हुआ; विचारों से परिपूर्ण।
विचारण
(सं.) [सं-पु.] 1. विचार करने की क्रिया या भाव 2. किसी विवाद आदि के संबंध में न्यायालय का निर्णय।
विचारणीय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह बात या विषय जो विचार करने योग्य हो; विचार्य; चिंत्य 2. संदिग्ध।
विचारतंत्र
(सं.) [सं-पु.] विचार-प्रणाली।
विचारतत्व
(सं.) [सं-पु.] विचारों का सार; विचारों का मूल विषय।
विचारधारा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सिद्धांत; मत; सोच 2. विचारों का प्रवाह; चिंतन का तरीका; विचार प्रणाली 3. सैद्धांतिक दृष्टि; (आइडियोलॉज़ी)।
विचारना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी विषय या वस्तुस्थिति पर गौर करना 2. खोज अथवा परीक्षण करना।
विचारनिष्ठ
(सं.) [वि.] 1. अपने विचारों पर अडिग रहने वाला; प्रतिबद्ध 2. विचारयुक्त; चिंतनयुक्त।
विचारमग्न
(सं.) [वि.] 1. जो विचारों में खोया हो 2. चिंतन, सोच या विचार में डूबा हुआ।
विचारमग्नता
(सं.) [सं-स्त्री.] विचारों में मग्न होने या खो जाने का भाव।
विचाररहित
(सं.) [वि.] विचारों से रहित; विचारशून्य।
विचारलोक
(सं.) [सं-पु.] विचारों की काल्पनिक दुनिया।
विचारवान
(सं.) [वि.] 1. विचारशील; सोचने-विचारने वाला 2. चिंतन की क्षमता वाला 3. आचार-विचार वाला; सोच-विचारकर चलने वाला।
विचार-विमर्श
(सं.) [सं-पु.] 1. सोचना-समझना; मनन-चिंतन 2. राय-मशविरा।
विचारशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] विचार करने की शक्ति; सोचने-विचारने की शक्ति।
विचारशील
(सं.) [वि.] सोच-विचार करने में सक्षम; बुद्धिमान; चिंतनशील; समझदार।
विचारशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] समझदारी; बुद्धिमानी।
विचार स्वातंत्र्य
(सं.) [सं-पु.] अपने विचार को प्रकट करने की स्वतंत्रता; (लिबर्टी ऑव थॉट)।
विचारहीन
(सं.) [वि.] जिसके पास सोचने-विचारने की क्षमता न हो; विचारविमूढ़।
विचारात्मक
(सं.) [वि.] विचारयुक्त; विचारपूर्ण।
विचाराधीन
(सं.) [वि.] विचार के अधीन; जिसपर विचार हो रहा हो।
विचारानुकूल
(सं.) [क्रि.वि.] विचार के अनुकूल।
विचारार्थ
(सं.) [वि.] विचार हेतु; विचार के लिए।
विचारित
(सं.) [वि.] विचार किया हुआ; जिसपर विचार हुआ हो।
विचारी
(सं.) [सं-पु.] विचार करने वाला व्यक्ति। [वि.] विचार करने वाला।
विचारोत्तेजक
(सं.) [वि.] विचारों को उत्तेजित करने वाला।
विचारोत्तेजना
(सं.) [सं-स्त्री.] विचारों की उत्तेजना; चिंतन-मनन की उत्तेजना।
विचार्य
(सं.) [वि.] वह बात या विषय जो विचार करने योग्य हो; विचारणीय।
विचिकित्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] छानबीन; खोजबीन; जाँच-पड़ताल।
विचित्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका चित्त ठीक न हो 2. उदासीन।
विचित्र
(सं.) [वि.] 1. अनूठा; विलक्षण; अजीब; असाधारण; कौतूहल उत्पन्न करने वाला; चकित या विस्मित करने वाला 2. रंग-बिरंगा; अनेक रंगोंवाला 3. मनोरंजक; सुंदर; मनोहर।
विचित्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] विचित्र या अजीब होने की अवस्था या भाव; विलक्षणता; अनोखापन।
विचुंबित
(सं.) [वि.] 1. चूमा हुआ 2. स्पर्श किया हुआ।
विचूर्ण
(सं.) [वि.] अच्छी तरह चूर्ण किया हुआ; अच्छी तरह पीसा हुआ।
विचूर्णित
(सं.) [वि.] अच्छी तरह चूर्ण किया हुआ; विचूर्ण।
विचेतन
(सं.) [वि.] चेतना से विलग; बेसुध; बेहोश।
विचेष्ट
(सं.) [वि.] चेष्टा से रहित; चेष्टाहीन।
विच्छिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विच्छेद; विच्छेदन; अलगाव 2. त्रुटि; कमी 3. (साहित्य) एक प्रकार का हाव जिसमें नायिका साधारण शृंगार-मात्र से ही, जो उसकी सुंदरता में
अतिशय वृद्धि कर देता है, नायक को मोहित करने की चेष्टा करती है।
विच्छिन्न
(सं.) [वि.] 1. जिसका विच्छेद हुआ हो; काटकर या छेदकर अलग किया हुआ; पृथक 2. विभाजित 3. छिन्न-भिन्न 4. समाप्त।
विच्छुरित
(सं.) [वि.] 1. छोड़ा हुआ; छोड़ता हुआ 2. वेल्डिंग करते समय निकलने वाली आग की चिनगारियाँ।
विच्छेद
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथक; अलग; काट कर अलग करने की क्रिया 2. खंडन करना 3. क्रमभंग 4. अलगाव; पृथकता 5. नाश; बरबादी; क्षति; विनाश 6. विघटन; विभाजन।
विच्छेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. विच्छेद करने का कार्य; पृथक्करण; अलगाव 2. खंडन; भंजन।
विच्युत
(सं.) [वि.] 1. अपने स्थान से च्युत या हटा हुआ 2. जो अलग हो गया हो 3. नष्ट 4. दिशाहीन 5. भ्रष्ट।
विछोह
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रिय से दूर होना; प्रिय का वियोग 2. वियोग दुख।
विजड़ित
(सं.) [वि.] 1. जड़ीभूत; जो जड़ बन गया हो 2. जटित; जड़ा हुआ 3. गतिहीन; शक्तिहीन।
विजन
(सं.) [सं-पु.] 1. निर्जन वन 2. सूनापन। [वि.] सुनसान; जनशून्य; एकांत।
विज़न
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. दृष्टि; निगाह 2. वीक्षण शक्ति 3. दर्शन 4. देखने का सामर्थ्य 5. स्वप्न 6. दृश्य।
विजय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीत; जय 2. युद्ध आदि में प्राप्त सफलता 3. प्रतियोगी या प्रतिस्पर्धी को हरा कर सिद्ध की जाने वाली श्रेष्ठता 4. प्रतियोगिता आदि में
होने वाली जीत।
विजयकर
(सं.) [वि.] विजय करने वाला; विजयी।
विजय कामना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जीत की इच्छा 2. सफलता के लिए की जाने वाली कामना।
विजय गान
(सं.) [सं-पु.] विजय के उपरांत गाया जाने वाला गाना; विजयसूचक गान।
विजय तूर्य
(सं.) [सं-स्त्री.] युद्ध में विजय के उपरांत बजाई जाने वाली तुरही; रणभेरी।
विजयदायी
(सं.) [वि.] विजय दिलाने वाला; जिताने वाला।
विजययात्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विजय के उद्देश्य से की जाने वाली यात्रा 2. जिस यात्रा में विजय मिली हो।
विजयलक्ष्मी
(सं.) [सं-स्त्री.] विजय की अधिष्ठात्री देवी; विजय प्राप्त कराने वाली देवी।
विजयश्री
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विजयरूपी लक्ष्मी; विजयलक्ष्मी 2. विजयी होने पर मिलने वाला उपहार।
विजय स्मारक
(सं.) [सं-पु.] विजय की स्मृति में बनाया गया भवन या किया गया निर्माण।
विजया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा का एक रूप 2. विजयोत्सव 3. एक प्रकार का छंद।
विजयादशमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी 2. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को होने वाला हिंदुओं का एक विशेष पर्व; दशहरा।
विजयी
(सं.) [सं-पु.] जीतने वाला व्यक्ति; जयी; विजेता। [वि.] जिसकी जीत हुई हो।
विजयेश
(सं.) [सं-पु.] विजय के अधिष्ठाता देव; शिव।
विजयोत्सव
(सं.) [सं-पु.] 1. विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला उत्सव 2. विजयादशमी का उत्सव।
विजल
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्षा का न होना; सूखा 2. अवर्षण; अनावृष्टि। [वि.] निर्जल; जलरहित।
विजाति
(सं.) [सं-स्त्री.] भिन्न जाति या वर्ग; दूसरी जाति।
विजातीय
(सं.) [वि.] भिन्न जाति या वर्ग का; दूसरी जाति का।
विज़िट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. मुलाकात; भेंट 2. मिलने-देखने के लिए जाना।
विजित
(सं.) [वि.] 1. जिसको जीता गया हो; जिसपर विजय प्राप्त की गई हो 2. जिसको पराजित किया गया हो; जीता हुआ।
विजुगुप्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निंदा; बुराई 2. किसी की बुराई या दोष बतलाने की क्रिया 3. घृणा; घिन; नफ़रत।
विजेता
(सं.) [वि.] 1. जीतने वाला; विजयी 2. सफल होने वाला।
विजेय
(सं.) [वि.] विजय के योग्य; पराजित करने योग्य।
विज्ञ
(सं.) [वि.] 1. जानकार; विद्वान; ज्ञाता 2. विशेषज्ञ; निपुण।
विज्ञता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जानकारी 2. समझदारी; बुद्धिमत्ता।
विज्ञप्त
(सं.) [वि.] विज्ञापित किया हुआ; सूचित किया हुआ।
विज्ञप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूचित करने की क्रिया; (नोटिफ़िकेशन) 2. प्रकाशनार्थ या प्रचारार्थ तैयार किया गया वक्तव्य या सूचनापत्रक; प्रकाशित सूचना 3. सरकारी सूचना
4. विज्ञापन; इश्तहार।
विज्ञात
(सं.) [वि.] 1. जाना या समझा हुआ 2. विख्यात; प्रसिद्ध।
विज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान; जानकारी 2. किसी वस्तु या विषय का सुसंगठित, सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध एवं प्रयोगों पर आधारित ज्ञान; शास्त्र आदि का ज्ञान, जैसे-
भाषाविज्ञान, रसायनविज्ञान।
विज्ञानवाद
(सं.) [सं-पु.] एक बौद्ध दार्शनिक सिद्धांत जिसमें यह माना जाता है कि संसार के समस्त पदार्थ असत्य होने पर भी विज्ञान या चित की दृष्टि से सत्य ही हैं।
विज्ञानी
(सं.) [वि.] 1. किसी विषय का श्रेष्ठ जानकार; ज्ञानी 2. वैज्ञानिक।
विज्ञानीय
(सं.) [वि.] विज्ञान संबंधी।
विज्ञापन
(सं.) [सं-पु.] 1. सब लोगों को दी जाने वाली सूचना; इश्तहार 2. जानकारी कराना; सूचित करना 3. प्रचारार्थ दी जाने वाली सूचना; (एडवरटाइज़मेंट)।
विज्ञापन कला
[सं-स्त्री.] विज्ञापन के माध्यम से वस्तुएँ बेचने की कला या व्यापार बढ़ाने की कला।
विज्ञापनदाता
(सं.) [सं-पु.] 1. विज्ञापन देने वाला व्यक्ति; विज्ञापक 2. समाचार पत्रों आदि में विज्ञापन छपवाने वाला व्यक्ति।
विज्ञापन पट्ट
(सं.) [सं-पु.] वह फलक, पटल अथवा पट्ट जिसपर सार्वजनिक विज्ञापन लिखे अथवा चिपकाए जाते हैं।
विज्ञापित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी सूचना दी गई हो; सूचित 2. प्रतिवेदित; आगाह।
विज्ञेय
(सं.) [वि.] जानने, समझने अथवा सीखने योग्य।
विट
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसमें कामवासना बहुत अधिक हो; कामुक; कामी 2. लंपट; चालाक; चतुर; धूर्त; चतुराई से काम करने वाला व्यक्ति।
विटप
(सं.) [सं-पु.] 1. पेड़ या लता की नई शाखा या कोंपल 2. झाड़ी 3. छतनार का वृक्ष 4. फैलाव 5. अंडकोशों के बीच या नीचे की रेखा।
विटामिन
(इं.) [सं-पु.] (जीवविज्ञान) 1. खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला पोषक तत्व 2. जीवों के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य कार्बनिक यौगिक।
विट्ठल
(सं.) [सं-पु.] एक पौराणिक देवता जो विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
विडंबन
(सं.) [सं-पु.] 1. नकल उतारना; उपहास करना; चिढ़ाना; हँसी उड़ाना 2. निंदा करना।
विडंबना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कष्टकर स्थिति 2. अपमान और उपहास का विषय; व्यंग्योक्ति 3. किसी को चिढ़ाने या तुच्छ ठहराने के लिए की जाने वाली नकल 4. निंदा करना।
विडंबनात्मक
(सं.) [वि.] विडंबना से युक्त।
विडाल
(सं.) [सं-पु.] बिल्ली या चीते की जाति का परंतु उनसे छोटा एक पशु जो प्रायः घरों में रहता है और पाला जाता है; गंध बिलाव।
वितंडा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपने पक्ष की स्थापना पर बल 2. निरर्थक झगड़ा; व्यर्थ का फ़साद; दलील; हुज्जत 3. आपत्ति; आलोचना; विरोध।
वितंडावादी
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यर्थ का झगड़ा करने वाला व्यक्ति 2. निरर्थक युक्तिवादी।
वितत
(सं.) [वि.] 1. विस्तृत; लंबा-चौड़ा; फैला हुआ 2. जो सँकरा न हो।
वितति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विस्तार; फैलाव; प्रसार 2. परिमाण 3. समूह; झुंड।
वितनु
(सं.) [सं-पु.] कामदेव; काम देवता; रतिनाथ। [वि.] 1. बिना शरीर का; विदेह 2. सूक्ष्म।
वितरक
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति या संस्था जो वस्तुओं की बिक्री आदि का प्रबंध करती है; बिक्री प्रबंधक; (डिस्ट्रीब्यूटर)। [वि.] वितरण करने वाला; बाँटने वाला।
वितरण
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँटने की क्रिया या भाव 2. अर्पण करना; दान देना 3. वह प्रक्रिया जिससे कोई वस्तु कई हिस्सों में बाँटी जाती है।
वितरित
(सं.) [वि.] बाँटा हुआ; जिसका वितरण किया गया हो।
वितर्क
(सं.) [सं-पु.] तर्क के विपरीत दिया गया तर्क; कुतर्क।
वितान
(सं.) [सं-पु.] 1. विस्तार; फैलाव 2. ऊपर से फैलाई जाने वाली चादर; तंबू; चँदोवा 3. शून्य स्थान 4. जमाव; समूह।
वितृष्ण
(सं.) [वि.] 1. उदासीन; इच्छाओं से रहित 2. तटस्थ; पक्षपातरहित; तृष्णारहित।
वितृष्णा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विरक्ति; तृष्णा का अभाव 2. घृणा; अरुचि।
वित्त
(सं.) [सं-पु.] 1. अर्थ; धन-संपत्ति; रुपया-पैसा 2. आय और व्यय की व्यवस्था; आर्थिक प्रबंध; (फाइनेंस)।
वित्त पोषण
(सं.) [सं-पु.] विभिन्न विभागों की आवश्यकता के अनुसार धन का प्रबंध करना।
वित्तपोषित
(सं.) [वि.] धन से चलने वाला।
वित्त मंत्रालय
(सं.) [सं-पु.] वह मंत्रालय जो देश के वित्तीय कानून, वित्तीय संस्थानों, पूँजी बाज़ार, केंद्र तथा राज्यों का वित्त और केंद्रीय बजट से जुड़े मामले देखता है।
वित्तमंत्री
(सं.) [सं-पु.] राज्य के धन तथा आय-व्यय के साधनों की देख-रेख तथा प्रबंधन करने वाला मंत्री।
वित्तविधेयक
(सं.) [सं-पु.] वह विधेयक जो नए कर लगाने, कर प्रस्तावों में परिवर्तन या मौजूदा कर ढाँचे को जारी रखने के लिए संसद में प्रस्तुत किए जाता है; (फ़ाइनेंस बिल)।
वित्तहीन
(सं.) [वि.] जिसके पास धन न हो; निर्धन; दरिद्र; धनहीन; कंगाल।
वित्ताधिकारी
(सं.) [सं-पु.] वह अधिकारी जो वित्त संबंधी क्रियाकलापों को देखता है।
वित्तीय
(सं.) [वि.] 1. वित्त संबंधी; वित्त का 2. वित्त या धन की व्यवस्था के विचार से होने वाला 3. आर्थिक; अर्थ विषयक; (फ़ाइनेंशियल)।
विद
(सं.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर जानकार, ज्ञाता, पंडित या विद्वान का अर्थ देता है, जैसे- भाषाविद, कलाविद।
विदग्ध
(सं.) [वि.] 1. जला हुआ 2. तपा हुआ 3. कष्ट सहा हुआ 4. रसिक 5. चतुर; निपुण।
विदग्धता
(सं.) [सं-पु.] 1. विदग्ध होने की अवस्था या भाव 2. पांडित्य; निपुणता; कुशलता; चतुरता 3. रसिकता।
विदग्धा
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) चतुराई से परपुरुष को मोहित कर लेने वाली परकीया नायिका।
विदर
(सं.) [सं-पु.] 1. विदारण; फाड़ना 2. दरार; दराज; सुराख़ 3. एक प्रकार का रोग।
विदर्भ
(सं.) [सं-पु.] 1. महाराष्ट्र प्रांत का एक क्षेत्र 2. बरार प्रदेश का पुराना नाम।
विदल
(सं.) [सं-पु.] 1. टुकड़ा; भाग; खंड 2. बाँस की डलिया 3. चना 4. मटर की दाल 5. अनार का दाना 6. लाल सोना। [वि.] 1. खिला हुआ 2. बिना दल का 3. फटा हुआ।
विदलन
(सं.) [सं-पु.] 1. मलने, दबाने या दलने की क्रिया 2. नष्ट करना 3. फाड़ना।
विदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रस्थान; रवाना 2. जाने की अनुमति लेना।
विदाई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विदा; रुख़सती 2. प्रस्थान; रवाना 3. विदा के समय शुभकामना हेतु एकत्र होना 4. विदाई के समय दिया जाने वाला धन-उपहार आदि।
विदारक
(सं.) [वि.] 1. विदीर्ण करने वाला 2. चीरने-फाड़ने वाला 3. हृदय को ठेस पहुँचाने वाला।
विदारण
(सं.) [सं-पु.] 1. फाड़ना; टुकड़े-टुकड़े करना 2. रौंदना; कुचलना; मर्दन 3. लड़ाई; युद्ध; संग्राम; जंग 4. कष्ट देना; दुख देना 5. वध करना; मार डालना 6. जंगल काट कर
साफ़ करना।
विदारित
(सं.) [वि.] फाड़ा हुआ; जिसका विदारण हुआ हो।
विदाह
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाली जलन 2. हाथ-पैरों में होने वाली जलन; तपन।
विदित
(सं.) [वि.] 1. जाना हुआ; जिसे जाना-समझा जा चुका हो; अवगत; ज्ञात; मालूम 2. प्रसिद्ध 3. स्वीकृत।
विदीर्ण
(सं.) [वि.] 1. फाडा़ या फटा हुआ 2. जिसे बीच से फाड़ा गया हो 3. टूटा या तोड़ा हुआ 4. जिसे मार डाला गया हो; निहत।
विदुष
(सं.) [वि.] विद्वान; पंडित।
विदुषी
(सं.) [सं-स्त्री.] विदुषी या पंडित स्त्री; विद्वान महिला।
विदूषक
(सं.) [सं-पु.] 1. (नाटक) नायक का मित्र तथा हास्योत्पादक पात्र 2. नकल आदि करके हँसाने वाला व्यक्ति; मसख़रा।
विदूषण
(सं.) [सं-पु.] 1. दोष लगाना; दोषारोप करना 2. कोसना 3. निंदा करना; बुराई करना 4. भ्रष्ट करना।
विदेश
(सं.) [सं-पु.] 1. परदेश; दूसरा देश; पराया देश 2. स्वदेश से भिन्न कोई दूसरा देश।
विदेशी
(सं.) [सं-पु.] 1. विदेश का निवासी; परदेशी; (फ़ॉरेनर) 2. विदेश से आकर रहने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. विलायती; जो दूसरे देश का हो 2. दूसरे देश का; दूसरे देश से
संबंध रखने वाला, जैसे- विदेशी कपड़ा, गहना, गाड़ी आदि।
विदेशीपन
[सं-पु.] विदेशी होने का भाव।
विदेही
(सं.) [वि.] 1. अशरीरी; रूहानी 2. शरीरहीन; जिसका शरीर न हो। [सं-पु.] ब्रह्मा; ब्रह्मदेव; विधाता।
विद्यमान
(सं.) [वि.] 1. अस्तित्व में होना; उपस्थित; वर्तमान; मौजूद 2. यथार्थ।
विद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्ययन और शिक्षा से प्राप्त ज्ञान; इल्म 2. किसी विषय का व्यवस्थित ज्ञान 3. इंद्रजाल; जादू; मंत्र 4. कला 5. गुण।
विद्याधर
(सं.) [सं-पु.] 1. विद्वान व्यक्ति 2. एक प्रकार का ताल 3. एक प्रकार का अस्त्र। [वि.] विद्वान; ज्ञानी; ज्ञाता; जानकार; विद्यावाला।
विद्यापीठ
(सं.) [सं-पु.] 1. शिक्षा का बड़ा और प्रमुख केंद्र 2. विश्वविद्यालय का संकाय जिसके अंतर्गत कई विभाग होते हैं।
विद्याभ्यास
(सं.) [सं-पु.] विद्याध्ययन; ज्ञान अर्जन।
विद्यारंभ
(सं.) [सं-पु.] विद्या की शुरूआत; शिक्षा आरंभ करने का संस्कार।
विद्यार्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. विद्या की प्राप्ति; ज्ञान का अर्जन 2. अध्ययन।
विद्यार्थी
(सं.) [सं-पु.] पढ़ने वाला व्यक्ति; छात्र; शिष्य; (स्टूडेंट)। [वि.] विद्या प्राप्ति का इच्छुक।
विद्यालय
(सं.) [सं-पु.] विद्या ग्रहण करने का स्थान; वह शिक्षण संस्था जहाँ छात्रों को नियमित पढ़ाया जाता है; विद्यामंदिर; पाठशाला; (स्कूल)।
विद्यालाभ
(सं.) [सं-पु.] विद्या अथवा ज्ञान की प्राप्ति।
विद्यावान
(सं.) [वि.] अत्यधिक पढ़ा-लिखा; विद्धान।
विद्याविद
(सं.) [सं-पु.] विद्यावंत; विद्वान।
विद्याविहीन
(सं.) [वि.] विद्या अथवा ज्ञान से रहित; अशिक्षित; मूर्ख।
विद्युत
(सं.) [सं-स्त्री.] बिजली; वज्र। [वि.] अत्यंत चमकीला।
विद्युत आघात
(सं.) [सं-पु.] बिजली का झटका; (इलेक्ट्रिक शॉक)।
विद्युत गृह
(सं.) [सं-पु.] विद्युत की आपूर्ति करने वाला केंद्र; शक्ति केंद्र; (पावर हाउस)।
विद्युत चालक
(सं.) [सं-पु.] वह पदार्थ जिनसे होकर विद्युत धारा सरलता से प्रवाहित होती है।
विद्युतजनित्र
(सं.) [सं-पु.] बिजली उत्पन्न करने वाला यंत्र या उपकरण।
विद्युततरंग
(सं.) [सं-स्त्री.] बिजली की धारा; (करंट)।
विद्युत परिपथ
(सं.) [सं-पु.] विद्युत धारा के प्रवाहित होने वाले मार्ग का पूरा घेरा या परिपथ; (इलेक्ट्रिक सर्किट)।
विद्युत प्रवाह
(सं.) [सं-पु.] बिजली की धारा का बहाव।
विद्युत यंत्र
(सं.) [सं-पु.] बिजली का उपकरण; बिजली से चलने वाला उपकरण।
विद्युतरोधी
(सं.) [वि.] बिजली के प्रवाह को रोकने वाला; (इनसुलेटर)।
विद्युत शक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] बिजली की शक्ति या क्षमता।
विद्युतीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी स्थान या यंत्र के लिए विद्युत व्यवस्था शुरू करने का कार्य; (इलेक्ट्रिफ़िकेशन)।
विद्रुम
(सं.) [सं-पु.] 1. मूँगा; प्रवाल 2. रक्तकंद 3. मुक्ताफल नामक वृक्ष 4. वृक्षों का नया पत्ता या कोंपल।
विद्रूप
(सं.) [वि.] जिसका रूप बिगड़ गया हो; भद्दा; कुरूप; बदसूरत। [सं-पु.] उपहास; मज़ाक; आक्षेप; कटाक्ष; ताना।
विद्रूपता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (उपहास योग्य) विचित्रता 2. कुरूपता; बदसूरती।
विद्रोह
(सं.) [सं-पु.] 1. बगावत; राजद्रोह; ख़िलाफ़त; क्रांति 2. नियमों, कानूनों आदि के विरुद्ध किया जाने वाला कार्य, आचरण या व्यवहार 3. उपद्रव; विप्लव; बलवा 4.
किसी व्यक्ति, संस्था या व्यवस्था के प्रति असहमति।
विद्रोही
(सं.) [वि.] 1. विद्रोह करने वाला बलवा करने वाला; बागी; क्रांतिकारी 2. उपद्रव करने वाला 3. विद्रोह संबंधी; विद्रोहपूर्ण; बगावती; विद्रोहात्मक।
विद्वज्जन
(सं.) [सं-पु.] शिक्षित लोग; विद्वत्समाज; गुणीजन।
विद्वतापूर्ण
(सं.) [वि.] विद्वता से पूर्ण; पांडित्य से भरा हुआ।
विद्वत्तम
(सं.) [सं-पु.] विद्वानों में उत्तम; श्रेष्ठ विद्वान।
विद्वत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] विद्वान होने का भाव; वैदुष्य; पांडित्य।
विद्वान
(सं.) [सं-पु.] जानकार या पंडित व्यक्ति। [वि.] पंडित; तत्वज्ञ; बहुत अधिक शिक्षित।
विद्वेष
(सं.) [सं-पु.] 1. शत्रुता; वैर; दुश्मनी 2. घृणा; द्वेषभाव; जलन।
विद्वेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. द्वेष करना; वैर का भाव रखना 2. दो व्यक्तियों में द्वेष उत्पन्न होने की अवस्था या भाव।
विद्वेषी
(सं.) [वि.] विद्वेष करने वाला; विद्वेषक; ईर्ष्यालु; शत्रु।
विधन
(सं.) [वि.] दरिद्र; धनहीन; निर्धन।
विधनता
(सं.) [सं-स्त्री.] दरिद्रता; गरीबी; निर्धनता।
विधना
(सं.) [क्रि-स.] अपने ऊपर लेना; अपने साथ लगाना; फाँस लेना।
विधर्मी
(सं.) [वि.] अपने धर्म के विपरीत आचरण करने वाला; धार्मिक नियमों के विपरीत चलने वाला।
विधवा
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका पति मर गया हो; बेवा।
विधवाश्रम
(सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ अनाथ विधवाओं के पालन-पोषण तथा शिक्षा आदि का प्रबंध हो; विधवाओं के रहने का स्थान।
विधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. साहित्य का एक रूप 2. रीति; ढंग; तरीका 3. प्रकार; भाँति 4. वेधन 5. भाड़ा; किराया; मज़दूरी।
विधाता
(सं.) [सं-पु.] 1. सृष्टि का रचयिता; सृष्टिकर्ता 2. (पुराण) ब्रह्मा। [वि.] 1. व्यवस्था या विधान करने वाला 2. रचने वाला; बनाने वाला।
विधान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी प्रकार का आयोजन और उसकी व्यवस्था; प्रबंध 2. निर्माण; रचना 3. नियम; कायदा 4. उपाय; तरकीब 5. बतलाया हुआ ढंग, प्रणाली या रीति 6.
निर्देश; आज्ञा 7. विधि, कानून आदि बनाने का कार्य; बनाया गया कानून।
विधान परिषद
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भारतीय राज्यों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत ऊपरी प्रतिनिधि सभा, इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य
राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। यह विधानमंडल का अंग है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्ष का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य बदल
जाते हैं; (लेजिसलेटिव काउंसिल)।
विधानमंडल
(सं.) [सं-पु.] 1. विधानसभा; विधायिका; विधायिका सभा 2. विधान सभा तथा विधान परिषद मिलकर विधानमंडल कहलाते हैं 3. लोकतंत्रीय शासन में जनता के प्रतिनिधियों की
वह सभा जो देश के लिए कानून और कायदे आदि बनाती है; (लेजिसलेचर)।
विधानसभा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी प्रदेश या राज्य में जनप्रतिनिधियों की वह सभा जो प्रदेश या राज्य के हित में विधान बनाती है तथा शासन-कार्य का नियंत्रण करती है;
(लेजिसलेटिव एसेंबली)।
विधायक
(सं.) [सं-पु.] 1. विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य; (एम.एल.ए.) 2. निर्माता; कर्ता। [वि.] 1. विधान करने वाला व्यक्ति; निर्माता 2. कार्य-संपादन करने वाला।
विधायन
(सं.) [सं-पु.] 1. विधान करने का कार्य; विधान करना या बनाना 2. कानून निर्माण।
विधायिका
(सं.) [सं-स्त्री.] कानून बनाने वाली संस्था, जैसे- विधानपरिषद, विधानसभा, लोकसभा आदि।
विधायी
(सं.) [सं-पु.] 1. संस्थापक; निर्माण करने या बनाने वाला 2. निर्माता; विधान निर्माता। [वि.] 1. बनाने वाला; पूरा करने वाला 2. विधान करने वाला 3. व्यवस्था करने
वाला।
विधारण
(सं.) [सं-पु.] 1. रोकना; रोकने की क्रिया 2. संभालना; थामना। [वि.] पृथक करने वाला।
विधारित
(सं.) [वि.] किसी विषय में कोई पक्षपातपूर्ण धारणा रखने वाला।
विधि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यवस्था आदि का तरीका या प्रणाली 2. शास्त्रसम्मत व्यवस्था 3. शास्त्र द्वारा निश्चित कर्तव्य-निर्देश 4. व्यवस्था द्वारा नागरिकों के
निमित्त निर्मित कानून; (लॉ) 5. भाग्य।
विधिक
(सं.) [वि.] विधि या कानून संबंधी; जो विधि या कानून के अनुरूप हो।
विधिकर्ता
(सं.) [सं-पु.] विधि या कानून बनाने वाला व्यक्ति; वह जो कानून बनाता हो।
विधिज्ञ
(सं.) [वि.] 1. कानून का ज्ञाता; कानूनी जानकारी रखने वाला 2. विधि-विधान की समुचित जानकारी रखने वाला। [सं-पु.] जिस व्यक्ति को विधि अर्थात कानून का अच्छा
ज्ञान हो।
विधि निषेध
(सं.) [सं-पु.] कोई काम करने या न करने का शास्त्रसम्मत निर्देश।
विधिपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] विधि के अनुसार; विधिवत; नियमानुसार।
विधिभंग
(सं.) [सं-पु.] कानून तोड़ना; कानून की उपेक्षा करना।
विधिवत
(सं.) [क्रि.वि.] विधिपूर्वक; उचित रूप से; अच्छे तरीके से; नियमानुसार।
विधिविज्ञ
(सं.) [वि.] विधि का विशिष्ट जानकार; कानून का समुचित ज्ञाता। [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे कानून की समुचित जानकारी हो।
विधिविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] विधियों, नियमों, सिद्धांतों आदि का विवेचन करने वाला शास्त्र।
विधि-विधान
(सं.) [सं-पु.] नियम-कायदा; प्रबंध; व्यवस्था; ढंग; प्रणाली।
विधि विपर्यय
(सं.) [सं-पु.] भाग्य की प्रतिकूलता।
विधिविरुद्ध
(सं.) [वि.] जो कानून के विरुद्ध हो; गैर कानूनी।
विधिवेत्ता
(सं.) [वि.] विधि-शास्त्र का उत्तम ज्ञाता; कानून जानने वाला।
विधिशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] विधि-विधान से संबंधित शास्त्र; विधिविज्ञान।
विधिशास्त्री
(सं.) [सं-पु.] विधिशास्त्र का ज्ञाता; विधिज्ञ।
विधिसंगत
(सं.) [वि.] कानून की दृष्टि से उपयुक्त।
विधि सम्मत
(सं.) [वि.] नियम सम्मत; शास्त्र सम्मत; कानून सम्मत।
विधिहीन
(सं.) [वि.] अविहित; अनियमित।
विधु
(सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. कपूर 3. ब्रह्मा।
विधुंतुद
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) चंद्रमा को ग्रसने वाला या कष्ट देने वाला; राहु।
विधुर
(सं.) [सं-पु.] वह पुरुष जिसकी पत्नी मर गई हो। [वि.] 1. वंचित 2. वियोगी 3. व्याकुल; विकल 4. एकाकी।
विधुलेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] चंद्रमा की किरण।
विधुवदनी
(सं.) [सं-स्त्री.] सुंदर स्त्री; चंद्रमुखी; चंद्रमा के समान मुख वाली स्त्री।
विधूत
(सं.) [वि.] 1. हिलाया हुआ 2. काँपता हुआ 3. हटाया हुआ; अलग किया हुआ; दूर किया हुआ।
विधूतन
(सं.) [सं-पु.] काँपना; थरथराना; शरीर में एक प्रकार की सिहरन महसूस होना।
विधेय
(सं.) [वि.] 1. प्राप्त करने योग्य; प्राप्य 2. विधान के योग्य 3. स्थापना के योग्य 4. प्रदर्शित करने योग्य।
विधेयक
(सं.) [सं-पु.] 1. विधि का प्रारूप या रूपरेखा 2. अधिनियम का वह प्रारूप अथवा मसौदा जो पारित होने के लिए जनप्रतिनिधियों की सभा में रखा जाए 3. नीतिगत मसौदा।
विध्वंस
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्वंस; विनाश; बरबादी 2. क्षति; नाश।
विध्वंसक
(सं.) [वि.] तोड़-फोड़ करने वाला; विध्वंस करने वाला; विनाशक; (डेस्ट्रायर)।
विध्वंसकारी
(सं.) [वि.] तोड़-फोड़ करने वाला; विध्वंस करने वाला; नाशकारी।
विध्वस्त
(सं.) [वि.] 1. ध्वस्त; नष्ट; चौपट; गिराया हुआ; बरबाद किया हुआ; तितर-बितर 2. जिसका नाश हो गया हो।
विनत
(सं.) [वि.] 1. जो झुका हो; विनम्र; नमित 2. विनीत; नतमस्तक।
विनती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निवेदन; प्रार्थना 2. अनुनय; विनय 3. स्वभाव एवं व्यवहार आदि की नम्रता।
विनम्र
(सं.) [वि.] 1. झुका हुआ; विनीत; नम्र; विनयी 2. सुशील; शिष्ट।
विनम्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनम्र होने की अवस्था या भाव 2. शिष्टता; सुशीलता; शालीनता।
विनय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यवहार में दीनता अथवा अधीनता का भाव; नम्रता 2. शिष्टता; भद्रता 3. अनुशासन 4. सम्यक आचरण 5. अनुनय; विनती; प्रार्थना।
विनयन
(सं.) [सं-पु.] 1. विनय; कोमलता; नम्रता; विनम्रता 2. शिक्षा; नसीहत; सीख 3. निर्णय; फ़ैसला; निराकरण 4. मोचन; दूर करने या हटाने की क्रिया।
विनयपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] 1. नम्रतापूर्वक; नम्रता के साथ 2. दीनतापूर्वक।
विनयशील
(सं.) [वि.] 1. विनय से भरा हुआ; विनययुक्त; जो स्वाभावतः विनम्र हो; नम्र; सुशील 2. शिष्ट 3. अनुशासित।
विनयशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] विनम्र होने का भाव।
विनश्य
(सं.) [वि.] नष्ट किए जाने योग्य; जिसका विनाश हो सकता या होने को हो।
विनश्वर
(सं.) [वि.] 1. नाशवान; नश्वर; भंगुर; क्षयशील 2. नष्ट होने वाला; जो नष्ट हो जाए 3. अनित्य।
विनष्ट
(सं.) [वि.] 1. नाश को प्राप्त 2. ओझल; विलुप्त 3. बिगड़ा हुआ; विकृत; नष्ट-भ्रष्ट; ध्वस्त 4. बेकार 5. मरा हुआ।
विनायक
(सं.) [सं-पु.] 1. नायक 2. गणेश। [वि.] ले जाने वाला; नेतृत्वकर्ता।
विनाश
(सं.) [सं-पु.] 1. नाश; ध्वंस; बरबादी; हानि; क्षति 2. अनर्थ; विपत्ति 3. दुर्दशा; विकार; विकृति 4. अस्तित्व का लोप।
विनाशक
(सं.) [वि.] 1. विनाश करने वाला; नाशक 2. मार डालने वाला 3. बिगाड़ने वाला।
विनाशकारी
(सं.) [वि.] विनाश करने वाला; अंत करने वाला; संहार करने वाला।
विनाशन
(सं.) [सं-पु.] नष्ट करना; संहार करना; क्षय करना; विध्वंस करना।
विनाशलीला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाश; विध्वंस 2. बरबादी की लीला या कृत्य।
विनाशी
(सं.) [वि.] 1. नाश करने वाला 2. बिगाड़ने वाला 3. नश्वर।
विनिंदक
(सं.) [वि.] निंदा करने वाला।
विनिधान
(सं.) [सं-पु.] 1. अलग रखना 2. हिदायत; निर्देश; अनुदेश।
विनिधित
(सं.) [वि.] 1. जिसके विषय में सूचना आदि के रूप में पहले से यह बतला दिया गया हो कि अमुक-अमुक वस्तुओं का प्रयोग इस रूप में हो 2. इस प्रकार की सूचना या
निर्देश से युक्त।
विनिमय
(सं.) [सं-पु.] 1. आदान-प्रदान 2. वस्तु के लेन-देन का आपसी व्यवहार 3. मुद्रा-परिवर्तन।
विनिमय-पत्र
(सं.) [सं-पु.] व्यापार संबंधी पत्र।
विनियंत्रण
(सं.) [सं-पु.] नियंत्रण का न होना; नियंत्रण हटाया जाना।
विनियंत्रित
(सं.) [वि.] जिसपर से नियंत्रण हटा लिया गया हो; बिना नियंत्रण का।
विनियोग
(सं.) [सं-पु.] 1. फल प्राप्ति के उद्देश्य से किसी वस्तु का उपयोग 2. प्रवेश; पैठ 3. प्रेषण; भेजना 4. व्यापार में पूँजी लगाना 5. वैदिक कार्यों में मंत्रों का
होने वाला उपयोग।
विनियोजक
(सं.) [वि.] 1. विनियोग करने वाला; उपयोग करने वाला 2. धन-संपत्ति किसी को देने वाला।
विनियोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. विनियोग करना 2. अर्पण 3. भेजना।
विनिर्दिष्ट
(सं.) [वि.] 1. सौंपा हुआ 2. स्पष्ट रूप से बताया हुआ।
विनिर्देश
(सं.) [सं-पु.] 1. विशेष रूप से किया हुआ निर्देश 2. किसी पदार्थ की विस्तारपूर्वक व्याख्या 3. विशेष वर्णन।
विनिर्माण
(सं.) [सं-पु.] अच्छी तरह बनाना या निर्माण करना।
विनिवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. संबंध-विच्छेद 2. वापसी 3. निकालना।
विनिवर्तित
(सं.) [सं-पु.] देने के बाद वापस लिया हुआ; लौटाया हुआ; पलटा हुआ।
विनिवेश
(सं.) [सं-पु.] 1. निवेश की हुई राशि को वापस या कम करना 2. प्रवेश 3. आबाद होना।
विनीत
(सं.) [वि.] 1. विनय से युक्त; विनयी; विनम्र 2. भद्र; शिष्ट; सुशील; नम्र; शालीन 3. सुंदर।
विनीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नम्रता 2. शिष्ट व्यवहार 3. आदर; सम्मान 4. शिक्षा।
विनोद
(सं.) [सं-पु.] मनोरंजन; दिल्लगी; हँसी-मज़ाक; हास-परिहास; क्रीड़ा; मनबहलाव; हँसी-ठट्ठा।
विनोदन
(सं.) [सं-पु.] मनोरंजन करना; मन बहलाना; क्रीड़ा करना; हास-परिहास करना।
विनोदप्रिय
(सं.) [वि.] आनंदप्रिय; शौकीन; विनोदी; हँसोड़; क्रीड़ाप्रिय।
विनोदप्रियता
(सं.) [सं-पु.] 1. विनोदप्रिय या मनोरंजनप्रिय होने का भाव 2. क्रीड़ाप्रेमी होने की अवस्था।
विनोदमय
(सं.) [वि.] हास-परिहास से भरा हुआ; विनोदपूर्ण।
विनोदित
(सं.) [वि.] 1. मनोरंजन किया हुआ 2. प्रसन्न।
विनोदी
(सं.) [वि.] विनोद से भरा; विनोदपूर्ण।
विन्यस्त
(सं.) [वि.] 1. रखा या स्थापित किया हुआ 2. जमाया या जड़ा हुआ 3. प्रवृत्त किया हुआ 4. व्यवस्थित; सिलसिलेवार 5. अर्पित।
विन्यास
(सं.) [सं-पु.] 1. रखना या स्थापित करना 2. जमाना या जड़ना 3. प्रवृत्त करना 4. व्यवस्थित करना; सिलसिलेवार सजाना 5. अर्पित करना।
विपंची
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की वीणा 2. क्रीड़ा।
विपक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. विरोधी पक्ष; दल 2. विरोध।
विपक्षी
(सं.) [वि.] 1. जो सत्ता में न हो 2. जिसका संबंध विपक्ष से हो; विरोधी 3. विपरीत; उलटा 4. प्रतिद्वंद्वी; प्रतिवादी 5. शत्रु; वैरी।
विपणन
(सं.) [सं-पु.] 1. विक्रय; व्यापार 2. उत्पादित वस्तुओं को व्यापक उपभोक्ताक्षेत्र तक पहुँचाने का उपक्रम; (मार्केटिंग)।
विपत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकट; आपत्ति; मुसीबत 2. कठिनाई; झंझट का काम।
विपत्तिजनक
(सं.) [वि.] 1. विपत्तिपूर्ण 2. आफ़त भरा 3. जिससे विपत्ति उत्पन्न होती हो।
विपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. सामान्य पथ से भिन्न 2. गलत रास्ता 3. अनुचित कार्यों में प्रवृत्त होना।
विपथगामी
(सं.) [वि.] 1. कुमार्गी; बुरे रास्ते पर चलने वाला 2. चरित्रहीन; बदचलन 3. दुराचारी।
विपथन
(सं.) [सं-पु.] 1. नियत रास्ते से इधर-उधर होना या हट जाना 2. (शैलीविज्ञान) कविता की एक विशेषता।
विपथित
(सं.) [वि.] 1. पथभ्रष्ट 2. बुद्धिभ्रष्ट।
विपदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कष्ट; परेशानी; विपत्ति; आफ़त; मुसीबत; संकट की अवस्था 2. नाश 3. मृत्यु।
विपद्ग्रस्त
(सं.) [वि.] संकटापन्न; संकटग्रस्त।
विपन्न
(सं.) [वि.] 1. गरीब; निर्धन 2. भाग्यहीन; अभागा; विपत्तिग्रस्त 3. विपत्ति में पड़ा हुआ; संकटग्रस्त।
विपन्नता
(सं.) [सं-स्त्री.] गरीबी, अभाव आदि की अवस्था या भाव।
विपरीत
(सं.) [वि.] 1. जैसा होना चाहिए उससे उलटा; विरुद्ध; प्रतिकूल; ख़िलाफ़; विपरीत क्रम 2. भिन्न। [सं-पु.] एक अर्थालंकार।
विपरीतार्थक
(सं.) [वि.] विपरीत अर्थवाला; उलटा अर्थ देने वाला।
विपर्यय
(सं.) [सं-पु.] 1. विपरीतता; प्रतिकूलता; उलटापन; उलट-पुलट; व्यतिक्रम 2. भूल 3. गड़बड़ी 3. अव्यवस्था।
विपर्याय
(सं.) [सं-पु.] शब्द का ठीक विपरीत अर्थ या भाव सूचित करने वाला शब्द; विपरीत; विलोम।
विपल
(सं.) [सं-पु.] 1. समय का छोटा मान 2. पल का साठवाँ भाग।
विपश्चित
(सं.) [वि.] 1. अच्छा ज्ञाता 2. जिसे यथार्थ ज्ञान हो 3. चैतन्य-स्वरूप।
विपश्यना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. यथार्थ ज्ञान; सदज्ञान 2. ध्यान करने की विधि 3. शांत और पवित्र अंतर्दृष्टि 4. उदार दृष्टि 5. प्रशस्त दृष्टि।
विपाक
(सं.) [सं-पु.] 1. परिपक्वता; परिपक्व होना 2. परिणाम; फल; प्रतिफल; नतीजा 3. पचना; आहारपाक 4. दुर्दशा।
विपाशा
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) एक नदी; व्यास नदी का प्राचीन नाम।
विपिन
(सं.) [सं-पु.] वन; जंगल; बियावान; कानन अरण्य।
विपुल
(सं.) [वि.] 1. अधिक; पर्याप्त 2. विशाल; बड़ा; विस्तृत 3. बहुत गहरा; अगाध। [सं-पु.] मेरु पर्वत; हिमालय।
विपुलता
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रचुरता; बहुतायत; आधिक्य।
विप्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्राह्मण; द्विज 2. पुरोहित 3. चतुर आदमी।
विप्रयुक्त
(सं.) [वि.] 1. अलग किया हुआ; जो मिला न हो 2. बिछुड़ा हुआ 3. छोड़ा हुआ; मुक्त किया हुआ; रहित किया हुआ 4. विभक्त किया हुआ; बाँटा हुआ 5. वंचित; विहीन।
विप्रयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. अलग या पृथक होने की अवस्था या भाव; पार्थक्य; अलगाव; विच्छेद 2. कलह; मतभेद 3. अशुभ या दुखद समाचार 4. किसी वस्तु आदि से रहित 5. (साहित्य)
विप्रलंभ शृंगार का एक भेद, जो मानसिक कष्ट या नायक-नायिका के विरह का सूचक है।
विप्रलंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. वियोग; विरह 2. धोखा; छल; बहकाव; चालाकी 3. निराशा होना; छला जाना।
विप्रलब्ध
(सं.) [वि.] 1. वंचित; महरूम 2. निराश; मायूस; आशाहीन; हताश 3. क्षतिग्रस्त; जिसे हानि पहुँची हो।
विप्लव
(सं.) [सं-पु.] 1. उपद्रव; उत्पात 2. उथल-पुथल 3. विपदा; विपत्ति; आफ़त 4. हलचल।
विप्लवकारी
(सं.) [वि.] 1. उपद्रव या उत्पात मचाने वाला 2. विप्लावक।
विप्लवी
(सं.) [वि.] 1. विप्लव करने वाला 2. अस्थायी; क्षणभंगुर।
विफल
(सं.) [वि.] 1. बिना फल का; निष्फल; फलहीन 2. निरर्थक; व्यर्थ; बेकार 3. असफल 4. निराश; हताश।
विफलता
(सं.) [सं-स्त्री.] विफल होने की अवस्था या भाव; असफलता; नाकामयाबी।
विबुद्ध
(सं.) [वि.] 1. विशिष्ट ज्ञान से युक्त 2. जाग्रत 3. खिला हुआ; विकसित।
विबुधाकर
(सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने वाला एक उपग्रह।
विबुधेश
(सं.) [सं-पु.] इंद्र; बारह आदित्यों में से एक।
विबोध
(सं.) [सं-पु.] 1. बोध होना; ज्ञान होना 2. चेतना; होशो-हवास 3. जागरण; जागना।
विभंग
(सं.) [सं-पु.] 1. भंग होना; टूटना 2. विघ्न; बाधा 3. विन्यास 4. भौहों से की जाने वाली चेष्टा; भ्रुभंग।
विभक्त
(सं.) [वि.] 1. अलग किया हुआ 2. जिसके भाग किए गए हों 3. बाँटा हुआ; विभाजित।
विभक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विभाजित करना; बँटवारा 2. पार्थक्य 3. (व्याकरण) कारकीय चिह्न।
विभव
(सं.) [सं-पु.] ऐश्वर्य; शक्ति; धन-दौलत; संपत्ति; वैभव।
विभव कर
(सं.) [सं-पु.] वह कर जो किसी की धन-संपत्ति पर लिया जाता है; संपत्ति कर।
विभवपूर्ण
(सं.) [वि.] ऐश्वर्य अथवा वैभव से परिपूर्ण; विभवयुक्त।
विभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रभा; चमक; आभा; दीप्ति; प्रदीप्ति 2. किरण; रश्मि 3. प्रकाश; रोशनी; वह शक्ति या तत्व जिसके योग से वस्तुओं आदि का रूप आँख को दिखाई
देता है 4. सौंदर्य।
विभाँति
(सं.) [वि.] 1. अनेक प्रकार का 2. तरह-तरह का; भिन्न-भिन्न प्रकार का। [सं-स्त्री.] 1. प्रकार; भेद 2. तरह 3. किस्म।
विभाकर
(सं.) [वि.] प्रकाश फैलाने वाला; प्रकाश करने वाला। [सं-पु.] 1. सूर्य 2. अग्नि 3. राजा।
विभाग
(सं.) [सं-पु.] 1. भागों में बँटा हुआ; बँटवारा; बाँट 2. अंश; खंड 3. कार्यक्षेत्र; महकमा।
विभागाध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] किसी विभाग का प्रधान अधिकारी।
विभागीय
(सं.) [वि.] विभाग से संबंधित; विभाग संबंधी; (डिपार्टमेंटल)।
विभाजक
(सं.) [वि.] बाँटने वाला; विभाजन करने वाला।
विभाजन
(सं.) [सं-पु.] 1. विभाजित करना; बाँटना 2. पृथक करना; अलग-अलग करना 3. धन-संपत्ति आदि का उसके स्वामियों में बँटवारा करना।
विभाजनकारी
(सं.) [वि.] विभाजन करने वाला; अलग-अलग हिस्सों में बाँटने वाला।
विभाजित
(सं.) [वि.] 1. बँटा हुआ 2. पृथक किया हुआ।
विभाज्य
(सं.) [सं-पु.] (गणित) वह संख्या या राशि जिसमें भाजक अंक या संख्या से भाग दिया जाता है; भाज्य। [वि.] जिसका विभाग किया जा सके; विभाजनीय।
विभावन
(सं.) [सं-पु.] 1. सोचने की क्रिया या भाव; अनुभूति 2. कल्पना; विचारण 3. परीक्षण 4. तर्क 5. (साहित्य) वह स्थिति जिसमें कविता या नाटक के पात्र के साथ पाठक या
दर्शक का तादात्म्य होता है।
विभावरी
(सं.) [सं-स्त्री.] रात; रात्रि; निशा; रजनी; यामिनी।
विभाव्य
(सं.) [वि.] 1. जिसपर ध्यान दिया जाए 2. जिसकी अनुभूति की जाए 3. जो हो सकता हो।
विभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बोली; क्षेत्रीय भाषा; किसी भाषा का स्थानीय भेद 2. विकल्प; चुनाव 3. एक रागिनी।
विभास
(सं.) [सं-पु.] 1. दीप्ति; चमक 2. (संगीत) सुबह के समय गाया जाने वाला एक राग।
विभासित
(सं.) [वि.] 1. दीप्ति; प्रकाशित; चमकता हुआ 2. कांति से युक्त।
विभिन्न
(सं.) [वि.] 1. भिन्न-भिन्न; विविध प्रकार का; कई तरह का 2. अलग किया हुआ; पृथक 3. परिवर्तित।
विभिन्नता
(सं.) [सं-स्त्री.] विभिन्न होने का भाव; अलगाव।
विभीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भय; डर 2. आशंका; संदेह।
विभीषण
(सं.) [वि.] 1. अत्यंत भीषण; बहुत डरावना 2. {ला-अ.} देशद्रोही 3. {ला-अ.} भीतरघाती। [सं-पु.] (रामायण) रावण का भाई जिसने लंका विजय में राम की सहायता की थी।
विभीषिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. त्रास, भय या डर दिखाना; आतंक 2. डराने का साधन।
विभु
(सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर; प्रभु; परमात्मा 2. जीवात्मा 3. (पुराण) ब्रह्मा, विष्णु और शिव 4. कुबेर 5. आकाश 6. अवकाश। [वि.] 1. सर्वव्यापक 2. योग्य; सक्षम 3.
शक्तिशाली 4. वैभवशाली 5. स्थायी; स्थिर।
विभूति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वैभव; ऐश्वर्य 2. महत्ता; बड़प्पन 3. धन-संपत्ति; दौलत 4. समृद्धि 5. दिव्यशक्ति; महिमायुक्त 6. अभ्युदय 7. प्रभुता।
विभूषण
(सं.) [सं-पु.] 1. आभूषण; अलंकार 2. साज-सज्जा 3. सजाने की क्रिया या भाव।
विभूषित
(सं.) [वि.] 1. अलंकृत; सुशोभित; सजाया हुआ 2. गुण आदि से युक्त।
विभेद
(सं.) [सं-पु.] 1. भेद-प्रभेद 2. पार्थक्य; अलगाव; फूट 3. अंतर; प्रकार 4. खंड; विभाग 5. एक से विकसित होकर अनेक रूप बनना 6. विशेष रूप से किया गया भेद या
अलगाव; (डिस्क्रिमिनेशन)।
विभेदक
(सं.) [वि.] 1. विभेद उत्पन्न करने वाला 2. मतभेद कराने वाला 3. अंतर करने वाला 4. भेदने या छेदने वाला।
विभेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. भेदना 2. पृथक करना; खंडित करना; अंतर करना 4. मनमुटाव पैदा करके फूट डालना।
विभोर
(सं.) [सं-पु.] 1. मग्न; तल्लीन; निमग्न 2. मस्त; मत्त 3. डूबा हुआ।
विभ्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. चारों ओर घूमना; चक्कर; फेरा 2. भ्रांति; भ्रम 3. संशय; संदेह; दुविधा; असमंजस 4. उद्विग्नता; उतावली; असत्य अनुभूति 5. 'यथार्थ' का विलोम।
विभ्रमित
(सं.) [वि.] 1. वशीभूत होने की मनोवृत्ति 2. भ्रांति के कारण जो उचित पथ से हट गया हो।
विभ्रांति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भ्रांति; भूल; भ्रम 2. घबराहट; हड़बड़ाहट।
विभ्रांतिकर
(सं.) [वि.] भ्रम, संदेह या दुविधा पैदा करने वाला।
विमंडित
(सं.) [वि.] मंडित; सुशोभित अलंकृत; सजाया हुआ।
विमत
(सं.) [सं-पु.] 1. विरोधी विचार; असहमति; विपरीत मत 2. भिन्न विचार 3. विपक्ष में दिया जाने वाला मत। [वि.] तिरस्कृत; उपेक्षित; नज़र-अंदाज़।
विमन
(सं.) [वि.] 1. बेमन; खिन्न; उदास; बिना किसी इच्छा के 2. अन्यमनस्क; विकल; परेशान; अप्रसन्न।
विमनस
(सं.) [वि.] 1. विरत; निवृत; जो अपने कार्य या कर्तव्य से मुक्त हो चुका हो 2. विमुख; मुँह फेरा हुआ।
विमनस्क
(सं.) [वि.] 1. अनमना 2. उदास; गमगीन; खिन्न।
विमर्श
(सं.) [सं-पु.] 1. विवेचन; समीक्षा; पर्यालोचन 2. तथ्यानुसंधान 3. गुण-दोष आदि की आलोचना या विवेचना करना; (डेलिबरेशन) 4. किसी तथ्य की जानकारी के लिए किसी से
परामर्श या सलाह करना 5. तर्क; ज्ञान 6. (नाटक) पाँच संधियों में से एक संधि।
विमर्शकार
(सं.) [सं-पु.] सलाहकार; परामर्शदाता; परामर्शक; राय देने वाला व्यक्ति; सलाह देने वाला व्यक्ति।
विमर्ष
(सं.) [सं-पु.] दे. विमर्श।
विमल
(सं.) [वि.] 1. स्वच्छ; उज्ज्वल; पवित्र 2. मलरहित; निर्मल 3. निर्दोष; निष्कलंक; दोष से रहित; विशुद्ध; बेदाग; साफ़ 4. पारदर्शक 5. सुंदर।
विमला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विमल होने का भाव 2. सरस्वती नामक देवी।
विमाता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सौतेली माँ 2. पिता की दूसरी पत्नी।
विमान
(सं.) [सं-पु.] 1. वायुयान; हवाई जहाज़ 2. (पुराण) देवयान; देवताओं का यान 3. रथ; घोड़ा 4. सात खंडों का मकान 5. परिमाण।
विमानयुद्ध
(सं.) [सं-पु.] विमानों के द्वारा की जाने वाली लड़ाई।
विमानवाहक
(सं.) [सं-पु.] विमान को ले जाने वाला पोत या जलयान।
विमानवेधी
(सं.) [सं-स्त्री.] हवाई जहाज़ों पर गोले दागकर उन्हें नष्ट कर डालने वाली तोप।
विमुक्त
(सं.) [वि.] 1. छोड़ा अथवा मुक्त किया हुआ; परित्यक्त 2. फेंका हुआ 3. बरी किया हुआ 4. कार्यमुक्त; बरख़ास्त 5. स्वतंत्र।
विमुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रिहाई; छुटकारा 2. आज़ादी 3. मुक्त होने की क्रिया 4. निजात 5. मोक्ष।
विमुख
(सं.) [वि.] 1. मुँह फेरने वाला; अलग 2. उदासीन; विरक्त; अनमना; हताश; वंचित 3. प्रतिकूल।
विमुग्ध
(सं.) [वि.] 1. आसक्त; मोहित 2. पूरी तरह से तन्मय 3. भ्रांत; विकल; परेशान; भ्रम में पड़ा हुआ; घबराया और डरा हुआ 4. उन्मत्त; मतवाला; पागल; बावला 5. अचेत;
बेसुध।
विमुग्धक
(सं.) [वि.] विमुग्ध करने वाला; मोहने वाला [सं-पु.] अभिनय का एक प्रकार।
विमूढ़
(सं.) [वि.] 1. भ्रम में पड़ा हुआ; घबराया हुआ 2. मोहग्रस्त; अत्यंत मोहित 3. मूर्ख; बेसुध; ज्ञान रहित।
विमूढ़ता
(सं.) [सं-स्त्री.] विमूढ़ होने का भाव; मोह; अज्ञानता।
विमोचन
(सं.) [सं-पु.] 1. पुस्तक का लोकार्पण 2. छोड़ने या बंधन से मुक्त करने की क्रिया 3. किसी वस्तु की बिक्री या सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए वितरित करने की क्रिया।
विमोचित
(सं.) [वि.] जिसका विमोचन किया गया हो; लोकार्पित।
वियुक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका किसी से वियोग हुआ हो; अलग किया हुआ 2. अभाव; रहित; वंचित 3. छुटकारा।
वियुक्तीकरण
(सं.) [सं-पु.] पृथक करने की क्रिया; अलगाव।
वियुग्म
(सं.) [वि.] 1. अकेला; जो युग्म न हो 2. विलक्षण; अनोखा। [सं-पु.] (गणित) वह संख्या जिसमें दो से भाग देने पर एक शेष रहे।
वियोग
(सं.) [सं-पु.] 1. विरह; बिछोह; विच्छेद 2. पार्थक्य; अलगाव 3. अभाव 4. छुटकारा।
वियोगांत
(सं.) [वि.] जिसका अंत दुखपूर्ण हो; दुखांत (नाटक या कथा)।
वियोगी
(सं.) [वि.] किसी के वियोग में पड़ा हुआ; विरही।
वियोजक
(सं.) [वि.] अलग करने वाला; पृथक करने वाला। [सं-पु.] (गणित) बड़ी संख्या में से घटाई जाने वाली छोटी संख्या।
वियोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथक करना; अलग करना 2. जुदाई; वियोग 3. (गणित) घटाना।
वियोजित
(सं.) [वि.] 1. वंचित; रहित 2. अलग किया हुआ।
वियोज्य
(सं.) [वि.] जिसे अलग करना हो; अलग करने योग्य।
विरंचि
(सं.) [सं-पु.] ब्रह्मा।
विरंजक
(सं.) [सं-पु.] रंग उड़ा देने वाला रसायन। [वि.] रंग उड़ा देने वाला।
विरंजन
(सं.) [सं-पु.] रासायनिक विधि से रंग उड़ाने का कार्य।
विरक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका जी हट गया हो; उदासीन; विमुख 2. वैराग्ययुक्त; विषयवासना, राग-रंग से दूर रहने वाला 3. राग-अनुरागरहित 4. गहरा लाल (रंग)।
विरक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के प्रति प्रेम, सहानुभूति आदि न रह जाने का भाव 2. उदासीनता; खिन्नता 3. अनुरागहीनता।
विरचन
(सं.) [सं-पु.] 1. निर्माण करना; बनाना; रचना 2. तैयारी; सजाने की क्रिया 3. धारण करना।
विरचित
(सं.) [वि.] 1. रचित; लिखित 2. निर्मित 3. पूरा किया हुआ।
विरज
(सं.) [वि.] 1. स्वच्छ; निर्मल 2. कामवासना से रहित 3. जिसका रजोधर्म रुक गया हो 4. रजोगुणी प्रवृत्ति से रहित।
विरत
(सं.) [वि.] 1. विरक्त; विमुख 2. जिसका अंत हो गया हो 3. मन को सांसारिकता, भौतिकता आदि से दूर रखने वाला; वैरागी।
विरति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वैराग्य; विराग 2. कार्य सेवा आदि से अलग होना 3. विराम; अंत 4. उदासीनता।
विरथ
(सं.) [सं-पु.] पैदल सेना। [वि.] 1. रथरहित 2. पैदल।
विरल
(सं.) [वि.] 1. दुर्लभ 2. जो घना न हो; शून्य; रिक्त; ख़ाली 3. पतला 4. अल्प; थोड़ा; कम 5. निर्जन; एकांत।
विरला
(सं.) [वि.] 1. अनोखा; बिलकुल अलग 2. विरल; दुर्लभ।
विरस
(सं.) [वि.] 1. नीरस; उबाऊ 2. स्वादहीन; फीका 3. अप्रिय।
विरसता
(सं.) [सं-स्त्री.] विरस होने का भाव; नीरसता; उबाऊपन।
विरह
(सं.) [सं-पु.] 1. वियोग; जुदाई 2. वियोग में होने वाली अनुभूति 3. अभाव।
विरह गीत
(सं.) [सं-पु.] वह गीत जिसमें विरह की स्थिति का वर्णन हो।
विरहदशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विरह की स्थिति 2. (साहित्य) नायिका या नायक के विरह में आने वाली दस प्रकार की स्थितियाँ, जैसे- अभिलाष, स्मृति आदि।
विरह निवेदन
(सं.) [सं-पु.] (साहित्य) नायक या नायिका की विरहावस्था के दुख का वर्णन।
विरह वेदना
(सं.) [सं-स्त्री.] विरह की वेदना; जुदाई का दर्द।
विरहातिरेक
(सं.) [सं-पु.] विरह की अधिकता।
विरहिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रिय से बिछुड़ी हुई नायिका; वियोगिनी।
विरहित
(सं.) [वि.] 1. रहित 2. परित्यक्त।
विरही
(सं.) [वि.] वियोग से दुखी; वियोगी।
विराग
(सं.) [सं-पु.] 1. विरक्ति; अरुचि; वैराग्य 2. चाह या अनुराग का अभाव। [वि.] 1. रागहीन 2. उदासीन।
विरागी
(सं.) [वि.] 1. विरक्त 2. उदासीन 3. निर्विषय 4. राग या अनुराग से रहित।
विराज
(सं.) [सं-पु.] 1. एक विशेष रूप का मंदिर 2. एक प्रकार का पौधा 3. राजा 4. ब्रह्मांड 5. क्षत्रिय। [वि.] 1. राज्य रहित 2. चमकीला।
विराजना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. आसीन होना; बैठना 2. शोभित होना 3. उपस्थित होना; विद्यमान होना।
विराजमान
(सं.) [वि.] 1. बैठा हुआ; आसीन 2. विराजित।
विराट
(सं.) [वि.] 1. विशाल; बहुत बड़ा 2. अनंत।
विराम
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य या गति में होने वाली रुकावट; ठहराव 2. रोकना; थामना 3. अवकाश ग्रहण 4. विश्राम 5. पद्य के चरण की यति 6. समाप्ति।
विरामकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. विश्राम का समय 2. किसी कार्य आदि के दौरान थोड़ा रुककर शरीर को आराम देने की क्रिया।
विराम चिह्न
(सं.) [सं-पु.] लेखन या छपाई में प्रयुक्त चिह्न, जैसे- अल्प विराम ',', अर्ध विराम ';', पूर्ण विराम '।' या '.'; (पंक्चुएशन मार्क)।
विराम संधि
(सं.) [सं-स्त्री.] दोनों पक्षों की सहमति से कुछ समय के लिए होने वाला युद्ध विराम; अस्थायी शांति संधि।
विरामहीन
(सं.) [वि.] बिना अटकाव का; जिसमें विराम या ठहराव न हो; बिना रुके होने या चलने वाला।
विराव
(सं.) [सं-पु.] 1. कलरव 2. शब्द; आवाज़ 3. वाणी; बोली 4. शोरगुल; हो-हल्ला।
विरासत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तराधिकार में प्राप्त धन 2. वारिस होने की अवस्था या भाव।
विरुज
(सं.) [वि.] 1. निरोग; निरोगी; स्वस्थ 2. अच्छा; भला-चंगा; सेहतमंद।
विरुद
(सं.) [सं-पु.] 1. कीर्ति; यश; प्रसिद्धि 2. घोषणा 3. प्रशंसासूचक पदवी।
विरुदावली
(सं.) [सं-स्त्री.] कीर्ति अथवा यश का विस्तारपूर्वक वर्णन; विस्तृत यशोगान।
विरुद्ध
(सं.) [वि.] 1. रुद्ध; रोका हुआ; बाधित; अवरुद्ध 2. विरोधी; प्रतिकूल। [सं-पु.] (साहित्य) एक प्रकार का अलंकार। [अव्य.] 1. विरोध में; सामने 2. प्रतिकूल दशा
में; ख़िलाफ़।
विरुद्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] वैपरीत्य; प्रतिकूलता।
विरूप
(सं.) [वि.] 1. कुरूप; भद्दा; बदशक्ल 2. शोभा-रहित 3. विपरीत 4. अनेक रूपोंवाला।
विरूपण
(सं.) [सं-पु.] किसी के रूप या स्वरूप को बिगाड़ना।
विरूपता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुरूपता; भद्दापन 2. बहुरूपता।
विरूपाक्ष
(सं.) [वि.] 1. विलक्षण नेत्रोंवाला 2. जिसके नेत्र कुरूप हों। [सं-पु.] 1. शिव; भोलेनाथ; महादेव; शंकर 2. नाग 3. एक गण।
विरूपित
(सं.) [वि.] बिगड़ा हुआ रूप या स्वरूप।
विरेचक
(सं.) [वि.] दस्त की स्थिति लाने वाला।
विरेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. रेचन; जुलाव 2. दस्त लाने वाली दवा 3. दस्त लाना 4. प्रसिद्ध दर्शनशास्त्री अरस्तु द्वारा प्रतिपादित एक सिद्धांत। [वि.] खोलने वाला।
विरोध
(सं.) [सं-पु.] 1. अवरोध; रुकावट; बाधा 2. प्रतिकूलता; विपरीतता 3. आपसी अनबन या बिगाड़ 4. असंगति; विसंगति 5. लड़ाई; झगड़ा; संघर्ष।
विरोधपक्ष
(सं.) [सं-पु.] विपक्ष; विरोधी पक्ष; विरोध करने वाला पक्ष।
विरोधाभास
(सं.) [सं-पु.] 1. विरोध की गुंजाइश 2. विरोध का आभासमात्र 3. (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार।
विरोधाभासी
(सं.) [वि.] 1. परस्पर विरोधी 2. विरुद्ध; विपरीत; उलटा 3. असंगत।
विरोधिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विरोधी होने का भाव 2. शत्रुता; दुश्मनी; वैर।
विरोधी
(सं.) [सं-पु.] 1. विपक्षी 2. शत्रु; वैरी। [वि.] 1. विरोधक 2. विरुद्ध; विपरीत 3. प्रतिस्पर्धी; झगड़ालू।
विलंब
(सं.) [सं-पु.] 1. देर; अतिकाल 2. बहुत काल 3. आवश्यक या नियत से अधिक समय लगने की स्थिति।
विलंबित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें देर हुई हो 2. लटकता हुआ; झूलता हुआ 3. (संगीत) मंद; धीमा 4. आश्रित; अवलंबित।
विलक्षण
(सं.) [वि.] 1. अलौकिक 2. असाधारण; अद्भुत; अनोखा 3. अनेक लक्षणोंवाला।
विलग
(सं.) [वि.] 1. अलग; जुदा; पृथक 2. जो किसी से जुड़ा न हो।
विलगाना
(सं.) [क्रि-अ.] अलग होना। [क्रि-स.] अलग करना; पृथक करना।
विलगाव
(सं.) [सं-पु.] 1. विलग होने की अवस्था या भाव 2. विभेद 3. भेदभाव।
विलय
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का पानी में घुलकर लीन हो जाना; विलीन होना; घुल जाना 2. किसी छोटे राज्य या दल आदि का बड़े राज्य या दल आदि में मिलना 3. प्रलय;
सृष्टि का नाश 4. मृत्यु।
विलयन
(सं.) [सं-पु.] 1. विलय होने की अवस्था या भाव 2. किसी अन्य के अस्तित्व में विलीन हो जाना; विलय 3. घुल-मिल जाना।
विलयीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. विलय करना 2. समाहित होना।
विलयीमान
(सं.) [वि.] जिसका विलय हो रहा हो।
विलसन
(सं.) [सं-पु.] 1. चमकना; प्रकाश बिखेरना 2. क्रीड़ा; आमोद-प्रमोद।
विलसित
(सं.) [वि.] 1. विलास करता हुआ 2. शोभित 3. चमकता हुआ 4. व्यक्त 5. विनोदी।
विलाप
(सं.) [सं-पु.] 1. रोना; बिलख-बिलख कर रोने की क्रिया 2. हार्दिक दुख प्रकट करना।
विलायत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत दूर या समुद्र पार का देश; पराया देश; विदेश 2. पिछली सदी में भारतीय जन सामान्य द्वारा इंग्लैंड के लिए प्रयुक्त नाम।
विलायती
(अ.) [वि.] विदेशी; विलायत का; इंग्लैंड का; विलायत से आया हुआ।
विलास
(सं.) [सं-पु.] 1. आनंद; प्रसन्नता; हर्ष 2. सुखोपभोग 3. प्रणयक्रीड़ा 4. हाव-भाव 5. सौंदर्य 6. शौकीनी; (लग्ज़री) 7. बहुत महँगी या अधिक सुख-सुविधा की वस्तुओं
का ऐसा उपभोग जो केवल मन को ख़ुश करने या दिखाने के लिए किया गया हो 8. (काव्यशास्त्र) संयोग शृंगार का एक भाव जो नायिका द्वारा नायक के मन में अपने प्रति
अनुराग उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
विलासप्रिय
(सं.) [वि.] 1. जिसे विलास प्रिय हो; विलास में लिप्त रहने वाला 2. सौंदर्यप्रिय 3. सुखोपभोगी।
विलासमय
(सं.) [वि.] 1. सुख-सुविधाओं से युक्त 2. प्रसन्न करने वाली क्रियाओं और बातों में लीन; ऐश्वर्ययुक्त; भोग-विलास से परिपूर्ण 3. आनंदमय खेल या क्रीड़ा से युक्त।
विलासयुक्त
(सं.) [वि.] विलास से भरा; विलासमय।
विलासिता
(सं.) [सं-स्त्री.] विलासी होने की अवस्था या भाव; विलास।
विलासी
(सं.) [वि.] 1. विलास करने वाला; भेाग करने वाला 2. इधर-उधर घूमने वाला 3. मौज-मस्ती में समय बिताने वाला 4. रसिक; कामी; भोगी; क्रीड़ाशील 5. विनोदी; ऐश या मौज
करने वाला।
विलिखित
(सं.) [वि.] 1. लिखित; लिखा हुआ 2. खुदा या खरोंचा हुआ; अंकित।
विलिष्ट
(सं.) [वि.] 1. अस्त-व्यस्त 2. टूटा हुआ।
विलीन
(सं.) [वि.] 1. घुला हुआ 2. ओझल; गायब 3. लुप्त; अदृश्य 4. संबद्ध; संलग्न।
विलुप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसका अस्तित्व विलीन हो गया हो; गायब; अदृश्य 2. बरबाद किया हुआ; नष्ट।
विलेख
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रलेख 2. कल्पना; कयास; अनुमान 3. सोच-विचार।
विलेप
(सं.) [सं-पु.] 1. लेपने या चुपड़ने की वस्तु; लेप 2. अंगराग 3. लेपना; चुपड़ना 4. गारा लगाना; पलस्तर करना।
विलेय
(सं.) [वि.] 1. जो किसी तरल पदार्थ में घुल सके; घुलनशील 2. जिसका विलय हो सके।
विलोकन
(सं.) [सं-पु.] 1. देखना; अवलोकन करना 2. तलाश करना 3. दृष्टि डालना 4. ध्यान देना 5. जानकारी हासिल करना।
विलोकना
(सं.) [क्रि-स.] 1. देखना 2. निरीक्षण करना 3. खोजना; ढूँढ़ना।
विलोकी
(सं.) [वि.] 1. दृष्टिपात करने वाला; देखने वाला 2. अवलोकन करने वाला 3. जानकारी हासिल करने वाला।
विलोचन
(सं.) [सं-पु.] आँख; नयन; लोचन; नेत्र।
विलोड़न
(सं.) [सं-पु.] 1. मथना; हिलाना 2. चुराना 3. इधर-उधर करना।
विलोड़ित
(सं.) [वि.] 1. मथा हुआ; बिलोया हुआ; मथित 2. हिलाया हुआ।
विलोप
(सं.) [सं-पु.] 1. विलुप्त होने की क्रिया या भाव 2. किसी चीज़ के अस्तित्व की समाप्ति 3. अपहरण 4. बाधा 5. क्षति 6. चोट; आघात।
विलोपन
(सं.) [सं-पु.] 1. गायब करना; लुप्त करना 2. नष्ट करना; नाश 3. चोरी करना; लुटना 4. अलग करना 5. काट देना; निकाल देना।
विलोपी
(सं.) [वि.] 1. विलोप अथवा नाश करने वाला 2. भंग करने वाला; नष्ट या ध्वस्त करने वाला।
विलोभन
(सं.) [सं-पु.] 1. लोभ दिलाने या लुभाने की क्रिया; प्रलोभन 2. बहलाने या फुसलाने की क्रिया 3. ऐसा प्रलोभन जो कोई पुरुष किसी स्त्री को सहवास करने के उद्देश्य
से देता है 4. चापलूसी; प्रशंसा।
विलोम
(सं.) [वि.] 1. उलटा; विपरीत 2. उलटे क्रम में 3. {अ-अ.} लोमरहित। [सं-पु.] 1. उलटा क्रम 2. पानी निकालने का एक यंत्र 3. (संगीत) स्वरों का अवरोह।
विल्व
(सं.) [सं-पु.] बेल का पेड़ और उसका फल।
विवक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुछ कहने की इच्छा 2. लेखक या वक्ता की इच्छा 3. तात्पर्य; भाव; निहितार्थ; अभिप्राय।
विवर
(सं.) [सं-पु.] 1. छिद्र; बिल 2. कंदरा; गुफा; कोटर 3. गर्त; गड्ढा 4. दरार; संधि 5. ठोस वस्तु के अंदर खोखला स्थान।
विवरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ की विस्तृत जानकारी; विस्तृत वर्णन; लेखा-जोखा 2. प्रकाशन; प्रकटन; स्पष्ट करना।
विवरणकार
(सं.) [सं-पु.] विवरण या ब्योरा प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति।
विवरणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी संस्था या घटना से संबंधित गतिविधियों का क्रमबद्ध विवरण देने वाली पत्रिका; विवरण-पत्र; (प्रास्पेक्टस)।
विवर्जित
(सं.) [वि.] 1. त्यागा हुआ 2. उपेक्षित 3. निषेध किया हुआ।
विवर्ण
(सं.) [वि.] 1. जिसका रंग बिगड़ गया हो 2. जिसके चेहरे का रंग उतर गया हो 3. रंगहीन; कांतिहीन। [सं-पु.] (साहित्य) एक भाव जिसमें भय, मोह, क्रोध और लज्जा आदि के
कारण मुख का रंग बदल जाता है।
विवर्त
(सं.) [सं-पु.] 1. घूमना; गोल-गोल चक्कर लगाना; परिक्रमा 2. रूपांतर 3. भ्रम; भ्रांति 4. आकाश 5. परिवर्तन 6. सुधार 7. राशि; समूह 8. ह्रास 9. वेदांत का एक
सिद्धांत जिसमें ब्रह्म को सत्य और जगत को मिथ्या मानते हैं।
विवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. परिक्रमा करना; परिभ्रमण 2. फेरा; चक्कर 3. वापसी; प्रत्यावर्तन 4. बदली हुई दशा या अवस्था; विश्लेषण।
विवर्तित
(सं.) [वि.] 1. मुड़ा या घूमा हुआ 2. चक्कर खाया हुआ 3. परिवर्तित।
विवश
(सं.) [वि.] 1. लाचार; बेबस; मजबूर 2. जिसका परिस्थिति पर कोई वश न हो 3. पराधीन; असहाय; बाध्य।
विवशता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चाहकर भी किसी काम को न कर पाने की स्थिति 2. विवश होने की अवस्था या भाव 3. लाचारी; पराधीनता।
विवसन
(सं.) [वि.] नग्न; वस्त्रहीन; नंगा।
विवस्त्र
(सं.) [वि.] वस्त्रहीन; नग्न; निर्वस्त्र।
विवाचन
(सं.) [सं-पु.] आपसी मतभेद या विवादों आदि को सुलझाने के उद्देश्य से बनाई गई एक व्यवस्था जिसमें विवादी का एक पक्ष अपना पंच निश्चित कर उसके निर्णय को मानने पर
सहमत हो जाता है; मध्यस्थता; पंचनिर्णय।
विवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. कहासुनी; तकरार; बहस 2. मतभेद 3. प्रतिवाद 4. अभियोग; मुकदमा 5. ऐसी बात जिसके विषय में दो या दो से अधिक पक्ष हों और जिसकी सत्यता का निर्णय
होना हो।
विवादग्रस्त
(सं.) [वि.] विवाद से घिरा हुआ; विवाद में फँसा हुआ; विवादित।
विवादप्रिय
(सं.) [वि.] 1. झगड़ालू 2. विवाद करने वाला।
विवादास्पद
(सं.) [वि.] 1. विवाद या झगड़े से संबंधित 2. विवादग्रस्त; मतभेद के योग्य।
विवादित
(सं.) [वि.] 1. विवादास्पद; विवादग्रस्त; जिसके विषय में विवाद हो 2. झगड़े में पड़ा हुआ।
विवादी
(सं.) [वि.] विवाद करने वाला; झगड़ालू।
विवाद्य
(सं.) [वि.] 1. विवाद संबंधी 2. जिसपर विवाद हो सकता है (वस्तु या विषय) 3. विवादास्पद।
विवाह
(सं.) [सं-पु.] 1. वह सामाजिक एवं धार्मिक प्रक्रिया जिसमें स्त्री-पुरुष को पति-पत्नी के रूप में मान्यता मिलती है; ब्याह; शादी; परिणय; पाणिग्रहण 2. पुरुष और
स्त्री की सामाजिक मान्यता के साथ पति-पत्नी के रूप में स्वीकार्यता।
विवाह विच्छेद
(सं.) [सं-पु.] कानूनी रूप से स्त्री-पुरुष का विवाह के बंधन से मुक्त होना; ऐसा विच्छेद जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों को दूसरी शादी करने का अधिकार मिल जाता
है; तलाक; (डाइवोर्स)।
विवाह संस्कार
(सं.) [सं-पु.] वह धार्मिक अनुष्ठान जिसके होने के बाद पुरुष और स्त्री को पति-पत्नी के रूप में रहने की मान्यता मिल जाती है; हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में
से एक।
विवाहित
(सं.) [वि.] जिसका विवाह हो चुका हो; शादीशुदा।
विवाहेतर
(सं.) [वि.] विवाह से इतर या अतिरिक्त (संबंध)।
विवाहोत्सव
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्सव जो विवाह के समय होता है 2. शादी का जलसा।
विवाहोद्यत
(सं.) [वि.] विवाह का इच्छुक; विवाह के लिए तैयार।
विवाहोपरांत
(सं.) [वि.] विवाह के उपरांत; विवाह के बाद।
विविध
(सं.) [वि.] 1. कई तरह के; भिन्न-भिन्न प्रकार के; विभिन्न 2. भाँति-भाँति के; नानाविधि 3. मिला-जुला 4. अनेक।
विविधता
(सं.) [सं-स्त्री.] विविध होने की स्थिति या भाव; अनेकरूपता; अनेकता।
विविधायामी
(सं.) [वि.] विविध आयामों वाला; बहुआयामी; अलग-अलग क्षेत्रों में फैला हुआ।
विविधीकरण
(सं.) [सं-पु.] विविधता या अनेकता लाने की क्रिया या भाव।
विवृत
(सं.) [वि.] 1. लंबा-चौड़ा; विस्तृत; फैला हुआ 2. स्पष्ट; प्रत्यक्ष 3. खुला हुआ 4. घोषित 5. जिसकी व्याख्या की गई हो।
विवृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भाष्य; टीका 2. संदर्भ सहित व्याख्या; निर्वचन 3. प्रकटीकरण।
विवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. फैलाव; विकास 2. परिक्रमा; घूमना; चक्कर खाना 3. किसी ग्रंथ की व्याख्या या टीका 4. प्रसंग 5. संधि का अभाव।
विवेक
(सं.) [सं-पु.] 1. सत-असत का ज्ञान; अच्छे-बुरे की परख; सत्य का बोध 2. सद्बुद्धि; अच्छी समझ।
विवेकपरक
(सं.) [वि.] 1. विवेक से युक्त 2. सोचा-समझा हुआ 3. बुद्धि-ज्ञान से युक्त।
विवेकपूर्ण
(सं.) [वि.] विवेक से परिपूर्ण; विवेकमय।
विवेकशील
(सं.) [वि.] 1. विवेकपूर्ण 2. बुद्धिमान; ज्ञानी 3. विवेकी 4. विवेकवान।
विवेकशीलता
(सं.) [सं-स्त्री.] विवेकशील होने की अवस्था या भाव; बुद्धिमत्ता; अंतर्दृष्टि; सूझ-बूझ।
विवेकशून्य
(सं.) [वि.] विवेकहीन; विवेक-रहित।
विवेकाधीन
(सं.) [वि.] 1. विवेकगत 2. जो किसी के विवेक या ज्ञान पर आश्रित हो।
विवेकी
(सं.) [वि.] 1. सूझ-बूझवाला 2. सद्बुद्धिवाला 3. ज्ञानवान।
विवेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छे-बुरे का विचार करने की क्रिया 2. वैचारिक विवरण; आलोचनात्मक अध्ययन 3. मूल्यांकन; तर्क-वितर्क; समीक्षा 4. मीमांसा।
विवेचना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भली भाँति परीक्षण करना 2. विवेचन।
विवेचनात्मक
(सं.) [वि.] विवेचन संबंधी।
विवेचनीय
(सं.) [वि.] विवेचन के योग्य; विवेच्य।
विवेचनीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] विवेचनीय होने की स्थिति या भाव।
विवेचित
(सं.) [वि.] 1. निश्चित 2. जिसका विवेचन हो चुका हो 3. जिसका अनुसंधान किया गया हो।
विवेच्य
(सं.) [वि.] विवेचनीय; विवेचन करने योग्य।
विशद
(सं.) [वि.] 1. विस्तृत; व्यापक 2. उज्ज्वल; निर्मल; स्वच्छ 3. श्वेत; सफ़ेद; चमकीला; सुंदर 3. स्पष्ट; लंबा-चौड़ा।
विशदता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विशद होने का भाव; व्यापकता; विस्तार 2. स्वच्छता; निर्मलता 3. सुंदरता 4. स्पष्टता।
विशल्य
(सं.) [वि.] 1. कष्ट या पीड़ा से रहित 2. जिसमें काँटे न हों 3. जो नुकीला न हो।
विशाख
(सं.) [सं-पु.] 1. कार्तिकेय 2. शिव 3. भिक्षुक; याचना करने वाला व्यक्ति 4. बाण चलाने वाले की वह मुद्रा जिसमें एक पैर आगे और एक पीछे रखा जाता है 5. तकुआ 6.
एक औषधीय पौधा। [वि.] 1. शाखाहीन 2. अप्रकांड 3. विशाख नक्षत्र में उत्पन्न।
विशाखा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक नक्षत्र 2. एक प्रकार की दूब या घास 3. काली अपराजिता।
विशारद
(सं.) [वि.] 1. दक्ष; कुशल; निपुण; चतुर 2. विद्वान; पंडित 3. विशेषज्ञ।
विशाल
(सं.) [वि.] 1. बहुत बड़ा; बहुत लंबा-चौड़ा 2. विस्तृत 3. भव्य; सुंदर।
विशालकाय
(सं.) [वि.] विशाल आकृति का; विशाल आकारवाला।
विशालता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अत्यंत उदारता का भाव 2. विशाल होने की अवस्था, भाव या गुण।
विशालाक्ष
(सं.) [वि.] बड़ी आँखोंवाला। [सं-पु.] 1. धृतराष्ट्र का एक पुत्र 2. गिद्ध की जाति का एक बड़ा पक्षी; गरुड़ 3. एक प्रकार का उल्लू 4. महादेव; शिव।
विशिष्ट
(सं.) [वि.] 1. विशेष; जिसमें किसी प्रकार का अनूठापन हो; विशेषतायुक्त 2. असाधारण; अद्भुत; विलक्षण 3. प्रसिद्ध; यशस्वी।
विशिष्टता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विशेष होने की अवस्था या भाव 2. विशेषता; वैशिष्ट्य।
विशिष्टीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. विशेषज्ञता 2. किसी काम या बात को कोई विशिष्ट रूप देने की क्रिया 3. किसी कला, विद्या या शास्त्र में विशिष्ट रूप से पारंगत होना।
विशीर्ण
(सं.) [वि.] 1. क्षीण 2. जीर्ण-शीर्ण; तितर-बितर 3. दुबला; पतला 4. रगड़ा हुआ 5. नष्ट 6. पुराना।
विशुद्ध
(सं.) [वि.] 1. विशिष्ट रूप से शुद्ध किया हुआ 2. अतिशुद्ध 3. पवित्र; पापरहित; निर्दोष; निष्कलंक 4. बिलकुल ठीक या सही।
विशुद्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] विशुद्ध होने का भाव।
विशुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुद्धता; विशुद्धता; पवित्रता 2. भूल आदि का सुधार; परिशोध 3. दोष, शंका आदि दूर करने की क्रिया या भाव 4. सादृश्य।
विशृंखल
(सं.) [वि.] 1. जो क्रम से न हो; बिखरा हुआ 2. बंधनहीन 3. अस्त-व्यस्त 4. बेढंगा।
विशृंखलता
(सं.) [सं-पु.] 1. टूटे-फूटे क्रम में; जिसकी कोई शृंखला न हो 2. बिखरे या बेतरतीब होने की अवस्था।
विशेष
(सं.) [वि.] 1. विशेषता से युक्त; विशिष्ट; असाधारण 2. विलक्षण; उत्तम।
विशेषक
(सं.) [वि.] 1. विशेषता उत्पन्न करने वाला 2. भेद स्पष्ट करने वाला।
विशेषज्ञ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय का ज्ञाता; विशेष ज्ञान रखने वाला व्यक्ति 2. विद्वान।
विशेषज्ञता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विशिष्ट कौशल का भाव 2. विषय या ज्ञान में विशेष योग्यता प्राप्त करने की स्थिति।
विशेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. (व्याकरण) संज्ञा की विशेषता बताने वाला शब्द 2. वह जिससे कोई विशेषता सूचित हो।
विशेषतया
(सं.) [क्रि.वि.] विशेषकर; विशेष रूप से; विशेष तौर पर।
विशेषता
(सं.) [सं-स्त्री.] विशेष होने की अवस्था, भाव या गुण; ख़ूबी; विशिष्टता।
विशेषताद्योतक
(सं.) [वि.] विशेषता बतलाने वाला। [सं-पु.] विशेषण।
विशेषांक
(सं.) [सं-पु.] विशिष्ट अवसर पर विशेष प्रकार की सामग्री के साथ प्रकाशित किसी सामयिक पत्र या पत्रिका का अंक।
विशेषाधिकार
(सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति विशेष को प्राप्त विशेष प्रकार का अधिकार।
विशेष्य
(सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) विशेषण द्वारा सूचित किया जाने वाला शब्द या पद; विशेषणयुक्त संज्ञा शब्द या पद।
विश्रंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी में होने वाला दृढ़ तथा पूर्ण विश्वास; पूरा ऐतबार 2. घनिष्ठता; आत्मीयता 3. प्यार; प्रेम।
विश्रंभी
(सं.) [सं-पु.] ऐतबार या विश्वास करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. विश्वासी; विश्वस्त 2. प्रेम संबंधी 3. गोपनीय।
विश्रब्ध
(सं.) [वि.] 1. विश्वसनीय 2. शांत 3. निडर; निर्भीक 4. दृढ़ 5. धीर।
विश्रांत
(सं.) [वि.] 1. विश्राम करने वाला 2. शांत 3. वंचित 4. समाप्त 5. रुका हुआ; ठहरा हुआ 6. क्लांत; थका हुआ।
विश्रांति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विश्राम; आराम 2. थकावट; थकान 3. कमी 4. अंत; समाप्त।
विश्राम
(सं.) [सं-पु.] 1. आराम; चैन 2. विराम; ठहराव 3. चैन; सुख-शांति 4. (काव्यशास्त्र) छंद के बीच का विराम; यति।
विश्रामकक्ष
(सं.) [सं-पु.] अभ्यागतों या अतिथियों के बैठने का कक्ष; आराम करने का कमरा।
विश्रामालय
(सं.) [सं-पु.] यात्रियों के विश्राम करने का स्थान; प्रतीक्षालय; पथिकशाला।
विश्रुत
(सं.) [वि.] 1. प्रसिद्ध; विख्यात 2. सुना हुआ।
विश्रुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसिद्धि; ख्याति 2. विश्रुत होने का भाव।
विश्लेष
(सं.) [सं-पु.] 1. वियोग 2. अलग होना 3. हानि 4. थकावट 5. विकास 6. अभाव 7. छिद्र; दरार।
विश्लेषक
(सं.) [सं-पु.] 1. विश्लेषण करने वाला व्यक्ति 2. अलग करने वाला व्यक्ति; विभेदक 3. छानबीन करने वाला व्यक्ति।
विश्लेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. तत्वसंधान; विवेचन 2. छानबीन; जाँच; परीक्षण 3. अलग करना 4. अध्ययन।
विश्लेषणात्मक
(सं.) [वि.] विश्लेषण संबंधी; विश्लेषण प्रक्रिया के अनुरूप।
विश्लेषित
(सं.) [वि.] 1. अलग किया हुआ; वियुक्त 2. पृथक्कृत 3. विश्लिष्ट।
विश्व
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मांड; संसार; दुनिया; जगत; सृष्टि 2. आत्मा; परमात्मा। [वि.] समस्त; सकल; सर्व; सब।
विश्वंभर
(सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर 2. विष्णु 3. अग्नि 4. इंद्र। [वि.] सबका भरण-पोषण करने वाला।
विश्वकर्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक देव शिल्पी 2. विश्व का स्वामी; ईश्वर 3. बढ़ई 4. लुहार।
विश्वकोश
(सं.) [सं-पु.] वह ग्रंथ जिसमें विश्व के समस्त विषयों का विवरण हो; (एनसाइक्लोपीडिया)।
विश्वग्राम
(सं.) [सं-पु.] 1. सूचना क्रांति के माध्यम से समस्त विश्व को सामाजिक समन्वय, एकता और बंधुत्व के साथ एक गाँव का रूप देने की धारणा 2. भूमंडलीकरण द्वारा
वैश्विक बाज़ार तथा पूँजी के प्रसार की वह स्थिति जिसने दुनिया को गाँव की तरह सीमित कर दिया है; (ग्लोबल विलेज)।
विश्वज्ञान
(सं.) [सं-पु.] समस्त प्रकार का ज्ञान; संपूर्ण ज्ञान।
विश्वनाथ
(सं.) [सं-पु.] विश्व का स्वामी या मालिक; विष्णु।
विश्वबोध
(सं.) [सं-पु.] विश्व का ज्ञान; विश्व संबंधी ज्ञान।
विश्वभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह भाषा जो विश्व के अधिकांश देशों में बोली या समझी जाती है 2. पूरे संसार की भाषा।
विश्वयुद्ध
(सं.) [सं-पु.] ऐसा युद्ध जिससे लगभग संपूर्ण विश्व प्रभावित हो।
विश्ववंचक
(सं.) [वि.] विश्व को धोखा देने वाला या ठगने वाला।
विश्वविदित
(सं.) [वि.] जो विश्व में जाना हुआ हो; जिसे सारा विश्व जानता हो; जगज़ाहिर।
विश्वविद्यालय
(सं.) [सं-पु.] वह संस्था जहाँ समस्त ज्ञानानुशासनों की उच्चस्तरीय शिक्षा एवं शोध से संबंधित कार्य होता है; (यूनिवर्सिटी)।
विश्वविश्रुत
(सं.) [वि.] विश्वविख्यात; विश्वप्रसिद्ध; पूरे संसार में जिसका नाम सुना गया हो।
विश्वव्यापक
(सं.) [वि.] विश्व में व्याप्त; वैश्विक।
विश्वव्यापी
(सं.) [सं-पु.] परमात्मा; ईश्वर। [वि.] जो सारे विश्व में व्याप्त हो; सर्वव्यापी; सर्वव्यापक।
विश्वशांति
(सं.) [सं-स्त्री.] विश्वव्यापी शांति; पूरी दुनिया में अमन-चैन।
विश्वसनीय
(सं.) [वि.] विश्वास योग्य; विश्वासपात्र; जिसपर विश्वास किया जा सकता हो या किया जाना चाहिए।
विश्वसनीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] विश्वसनीय होने की अवस्था या भाव; भरोसा; निश्छलता।
विश्वसिंधु
(सं.) [सं-पु.] 1. भवसागर; विश्वरूपी सिंधु 2. जगतरूपी समुद्र।
विश्वसुंदरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विश्वविख्यात सुंदरी 2. विश्व की सुंदर स्त्री।
विश्वस्त
(सं.) [वि.] 1. विश्वास के योग्य; विश्वसनीय 2. विश्वास से युक्त; विश्वासपूर्ण 3. निर्भय।
विश्वामित्र
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक ऋषि जो जन्मना क्षत्रिय थे किंतु कठिन तप के बल पर ब्रह्मर्षि के रूप में स्वीकृति पाई।
विश्वास
(सं.) [सं-पु.] 1. यकीन 2. आस्था 3. भरोसा; ऐतबार।
विश्वासघात
(सं.) [सं-पु.] 1. छल; धोखा 2. विश्वास को तोड़ना; किसी के विश्वास के विरुद्ध किया गया काम 3. दगाबाज़ी।
विश्वासघातक
(सं.) [वि.] विश्वासघात करने वाला; दगाबाज़ी करने वाला; गद्दारी करने वाला।
विश्वासघाती
(सं.) [वि.] 1. भरोसे के विपरीत कार्य करने वाला 2. भरोसा तोड़ने वाला 3. गद्दार; दगाबाज़।
विश्वासपात्र
(सं.) [वि.] विश्वास के योग्य; विश्वसनीय; विश्वस्त; भरोसेमंद।
विश्वासी
(सं.) [वि.] 1. जिसका विश्वास किया जाए 2. विश्वास करने वाला; आशावादी।
विष
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़हर; हलाहल; गरल 2. वह पदार्थ जिसके खाने या शरीर में पहुँचने से बेचैनी होती है और प्राणी की मृत्यु हो जाती है; नाशक पदार्थ।
विषण्ण
(सं.) [वि.] दुखी; उदास; खिन्न।
विषदंड
(सं.) [सं-पु.] 1. कमलनाल; मुरार 2. (जनश्रुति) विष हरने वाली जादू की लकड़ी।
विषदंत
(सं.) [सं-पु.] ज़हरीला दाँत।
विषधर
(सं.) [वि.] विष को धारण करने वाला; विषैला। [सं-पु.] नाग; साँप।
विषम
(सं.) [वि.] 1. कठिन; विकट; असमान 2. भयानक; भयंकर 3. प्रतिकूल; विपरीत 4. विलक्षण।
विषमकोण
(सं.) [वि.] असमान कोणोंवाला।
विषमता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कठिनाई 2. असमान स्थिति 3. प्रतिकूल; विपरीत; विकट स्थिति 4. गैर बराबरी।
विषमबाहु
(सं.) [वि.] असमान भुजाओंवाला।
विषमय
(सं.) [वि.] 1. विषाक्त; विष से युक्त 2. जीवन समाप्त करने वाला।
विषमवृत्त
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद जिसके चरण या मात्राएँ आदि समान न हों; असमान पदों वाला छंद या वृत्त।
विषमशर
(सं.) [सं-पु.] कामदेव; रतिनाथ; एक देवता जो काम के रूप माने जाते हैं।
विषय
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसपर विचार किया जा सके 2. ज्ञानेंद्रियों द्वारा ग्रहण किए जाने वाले पदार्थ, रूप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द 3. किसी ग्रंथ या शास्त्र की
प्रतिपाद्य वस्तु 4. अध्ययन, चिंतन की वस्तु 5. वस्तु, पदार्थ या स्थान।
विषयक
(सं.) [वि.] विषय का; विषय संबंधी।
विषयप्रवर्तक
(सं.) [वि.] 1. गोष्ठी में विषय का प्रवर्तन करने वाला 2. विषय को भूमिका के रूप में प्रस्तुत करने वाला।
विषयप्रवर्तन
(सं.) [सं-पु.] गोष्ठी में किसी विषय आदि की भूमिका प्रस्तुत करना।
विषयवस्तु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधारिक और मूल विचार; किसी बात का मूल विषय; (थीम) 2. किसी साहित्यिक कृति की प्रतिपाद्य सामग्री; वह सामग्री जिसे विषय के रूप में पढ़ा या
पढ़ाया जाता है।
विषयवासना
(सं.) [सं-स्त्री.] कामवासना; इंद्रियजन्य आनंद।
विषयसुख
(सं.) [सं-पु.] सांसारिक सुख; विषयवासना संबंधी सुखानुभूति।
विषयसूची
(सं.) [सं-स्त्री.] वर्णित विषयों की अनुक्रमणिका।
विषयांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. मूल विषय को छोड़कर इधर-उधर की बातें करना 2. विषय को बदलना; विषय से भटकना।
विषयाधारित
(सं.) [वि.] 1. विषय पर आधारित 2. विषय-वासनाओं पर आधारित।
विषयानंद
(सं.) [सं-पु.] विषयों अर्थात भोग-विलास से मिलने वाला आनंद; विषयसुख; सांसारिक सुख।
विषयानुक्रमणिका
(सं.) [सं-स्त्री.] अनुक्रमणिका; विषयसूची।
विषयासक्त
(सं.) [वि.] जो सांसारिक भोगविलास में लिप्त हो; विलासी; विषयभोग में लीन।
विषयासक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विलासिता; ऐयाशी 2. विषयभोग में लीन होने की अवस्था या भाव।
विषयी
(सं.) [वि.] भोगविलास में रत रहने वाला; विलासी; कामी। [सं-पु.] कामदेव।
विषवमन
(सं.) [सं-पु.] 1. कटु बात कहना; ज़हर उगलना 2. कोई ऐसी बात कहना जिससे किसी को दुख पहुँचे।
विषहर
(सं.) [वि.] विष का प्रभाव हरने वाला; विष के प्रभाव को नष्ट करने वाला। [सं-पु.] विष का प्रभाव नष्ट करने वाली औषधि।
विषहीन
(सं.) [वि.] जिसमें विष न हो; विष-रहित।
विषाक्त
(सं.) [वि.] 1. जिसमें विष मिला हो; विषैला 2. ज़हरीला; विषयुक्त 3. बहुत दूषित; हानिकारक।
विषाक्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] विष से युक्त होने का भाव या अवस्था; ज़हरीलापन।
विषाण
(सं.) [सं-पु.] 1. सींग; शृंग 2. सुअर का दाँत 3. सींग का बना बाजा; सिंगी।
विषाणु
(सं.) [सं-पु.] (जीवविज्ञान) मनुष्यों, पशुओं तथा पौधों में रोग उत्पन्न करने वाले अत्यंत्र विषाक्त सूक्ष्म जीवाणु; (वायरस)।
विषाणुविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] विषाणु से संबंधित जानकारी देने वाला ज्ञानानुशासन या विज्ञान की एक शाखा।
विषाद
(सं.) [सं-पु.] 1. उदासी; अवसाद; खिन्नता 2. गम; शोक 3. निराशा 4. जड़ता; चेष्टाहीनता; सुस्ती।
विषादग्रस्त
(सं.) [वि.] विषाद से भरा; विषादयुक्त।
विषादपूर्ण
(सं.) [वि.] विषाद से भरा; विषादयुक्त; विषादग्रस्त।
विषादमय
(सं.) [वि.] विषादपूर्ण; निराश; शोकाकुल; खिन्न।
विषादिता
(सं.) [सं-स्त्री.] विषाद की अवस्था या भाव; खिन्नता।
विषादी
(सं.) [वि.] 1. जिसे विषाद हो; दुखी; खिन्न; उदास 2. विष खाने वाला।
विषुव
(सं.) [सं-पु.] (खगोलशास्त्र) बिंदु या क्षण जहाँ दिन और रात बराबर होते हैं।
विषुवत
(सं.) [वि.] बीच का; मध्य में स्थित। [सं-पु.] विषुव।
विषुवत रेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] (भूगोल) पृथ्वी तल के ठीक मध्य भाग को सूचित करने वाली एक कल्पित रेखा जो दोनों ध्रुवों से बराबर दूरी पर पड़ती है; भूमध्य रेखा।
विषैला
(सं.) [वि.] विष से युक्त; विषमय; ज़हरीला।
विष्कंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. बाधा; विघ्न; अवरोध; अर्गल; ब्योड़ा 2. प्रसार; विस्तार 3. (साहित्यदर्पण) नाटक का एक प्रकार का अंक जो प्रायः गर्भांक के समीप होता है 4.
(वराहपुराण) एक पर्वत का नाम 5. स्तंभ; खंभा 6. (पुराण) वह मंथनदंड जिससे समुद्र मंथन हुआ था।
विष्ठा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पाख़ाना; मल 2. {ला-अ.} गंदी और त्याज्य वस्तु।
विष्ठामय
(सं.) [वि.] मल-मूत्र और गंदगी से युक्त।
विष्णु
(सं.) [सं-पु.] एक पौराणिक देवता; त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक देव।
विष्णुपद
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश; गगन 4. पानी में होने वाले एक पौधे का पुष्प; कमल 2. क्षीरसागर; क्षीरनिधि 3. विष्णु के चरणचिह्न।
विष्णुपुराण
(सं.) [सं-पु.] अट्ठारह पुराणों में से एक जिसमें विष्णु की विविध लीलाओं का वर्णन है।
विष्वक
(सं.) [वि.] 1. विषुव; विश्व में समान रूप से पाया जाने वाला 2. विश्व का; विश्व संबंधी।
विसंगत
(सं.) [वि.] 1. जो संगत न हो; असंगत; बेमेल 2. अप्रासंगिक; असंबद्ध; सामंजस्यहीन।
विसंगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संगति का अभाव; असंगति 2. समकालीन जीवन की वह स्थिति जहाँ प्रत्येक मूल्य या धारणा का ठीक उलटा रूप दिखाई पड़ता है; (एबसर्डिटी)।
विसंधि
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) शब्दों की संधियाँ मनमाने ढंग से बनाना जिसे साहित्य में एक दोष माना गया है।
विसंभूत
(सं.) [वि.] 1. जिसकी उत्पत्ति हुई हो या जो उगा हो; उत्पन्न 2. जो रचा या बनाया गया हो; निर्मित।
विसंवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. झूठा कथन 2. अनुचित कहा-सुनी; डाँट-फटकार 3. छल; धोखा; कपट; ठगी 4. असहमति।
विसदृश
(सं.) [वि.] 1. जो सदृश्य न हो; विपरीत; भिन्न; प्रतिकूल; असमान 2. विलक्षण; असाधारण।
विसमान्य
(सं.) [वि.] 1. सामान्य से कम 2. मंदबुद्धि; कमअकल।
विसम्मति
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी विषय में दूसरे के मत से सहमत न होने की अवस्था या भाव; विमत होना।
विसरण
(सं.) [सं-पु.] 1. फैलना; विस्तृत होना; प्रसार 2. (रसायनविज्ञान) किसी पदार्थ के अणुओं की अधिक सांद्रता से कम सांद्रता की ओर गति करने की क्रिया; (डिफ़्यूज़न)
3. ढीला पड़ना 4. गतिशीलता।
विसर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. विसर्जन; त्याग 2. मल का त्याग करना; शौच 3. त्याग 4. मोक्ष 5. भेजना; प्रेषण।
विसर्ग चिह्न
(सं.) [सं-पु.] कुछ शब्दों के साथ लगने वाला बिंदुनुमा चिह्न, जैसे- दुख, निःशब्द (ः)।
विसर्गी
(सं.) [वि.] 1. विसर्ग युक्त 2. दान या त्याग करने वाला 3. बीच-बीच में ठहरने या रुकने वाला।
विसर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. त्याग; परित्याग; छोड़ना 2. किसी देवी-देवता की मूर्ति को पूजन के बाद नदी, जलाशय आदि में प्रवाहित करना 3. (सभा आदि का) अंत; समाप्ति 4.
मल-मूत्र का उत्सर्जन।
विसर्जित
(सं.) [वि.] 1. जिसका विसर्जन हुआ हो 2. त्यागा हुआ; छोड़ा हुआ 3. श्रद्धापूर्वक प्रवाहित किया गया 4. जो समाप्त हो गया हो 5. जिसका उत्सर्जन हुआ हो।
विसर्पी
(सं.) [वि.] 1. साँप की तरह लहराकर और तेज़ चलने वाला; लहरियादार 2. पसरने या फैलने वाला 3. खुजली रोग से पीड़ित। [सं-पु.] खुजली नामक रोग।
विसल ब्लोअर
(इं.) [सं-पु.] 1. सामाजिक जागरूकता पैदा करने वाला व्यक्ति या समूह 2. समाजसेवी; सामाजिक कार्यकर्ता।
विसाल
(अ.) [सं-पु.] संयोग; मिलन; युग्मन।
विसूचिका
(सं.) [सं-स्त्री.] दूषित पानी पीने से होने वाला एक रोग; हैजा; (कॉलरा)।
विस्तर
(सं.) [वि.] 1. लंबा-चौड़ा; विस्तृत 2. बहुत; अधिक 3. प्रभूत। [सं-पु.] 1. विस्तार; फैलाव 2. ब्योरेवार विवरण 3. पलंग; आसन 4. आधार।
विस्तरण
(सं.) [सं-पु.] विस्तृत करना; विस्तार करना।
विस्तार
(सं.) [सं-पु.] 1. फैलाव 2. लंबाई-चौड़ाई 3. विस्तृत विवरण; ब्योरा।
विस्तारक
(सं.) [वि.] फैलाने या विस्तार करने वाला।
विस्तारण
(सं.) [सं-पु.] 1. विस्तार करना 2. कार्य क्षेत्र बढ़ाना।
विस्तारित
(सं.) [वि.] फैलाया हुआ; विस्तार किया हुआ; बढ़ाया हुआ।
विस्तीर्ण
(सं.) [वि.] 1. फैला हुआ; विस्तृत 2. लंबा-चौड़ा 3. विशाल।
विस्तृत
(सं.) [वि.] 1. फैला हुआ 2. विशाल 3. लंबा-चौड़ा 4. खुला हुआ।
विस्तृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विस्तार; फैलाव 2. व्याप्ति 3. लंबाई-चौड़ाई 4. ऊँचाई या गहराई।
विस्थापन
(सं.) [सं-पु.] किसी स्थान से बलपूर्वक हटाना; स्थान परिवर्तन; निर्वासन।
विस्थापित
(सं.) [वि.] 1. जो अपने स्थान से हटा दिया गया हो; स्थानच्युत 2. जिसे बलपूर्वक अपने स्थान से हटा दिया गया हो; उजड़ा हुआ; उखड़ा हुआ।
विस्थिति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बड़े उलट-फेर की संभावना वाली विकट स्थिति 2. कठिन समय।
विस्फारण
(सं.) [सं-पु.] 1. फैलाना 2. खोलना 3. फाड़ना।
विस्फारित
(सं.) [वि.] 1. फैलाया हुआ 2. फाड़ा हुआ; खोला हुआ, जैसे- विस्फारित नेत्र 3. प्रकंपित; थरथराता हुआ 4. तना हुआ; खींचा हुआ।
विस्फीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत फूले हुए पदार्थ से हवा निकालकर उसके फैलाव को कम करने की क्रिया 2. (अर्थशास्त्र) मुद्रा स्फीति को कमकर पूर्व स्थिति पर पहुँचा
देना।
विस्फोट
(सं.) [सं-पु.] 1. फटना; फूट कर बाहर निकलना 2. गैस, बारूद आदि का अग्नि के कारण फटना 3. ज़ोरदार आवाज़; धमाका; धड़ाका।
विस्फोटक
(सं.) [वि.] विस्फोट करने वाला (पदार्थ); गरमी या दबाव से फटने वाला (पदार्थ)।
विस्फोटकारी
(सं.) [वि.] 1. विस्फोट करने योग्य 2. फटने और धमाके के योग्य (पदार्थ)।
विस्फोटन
(सं.) [सं-पु.] विस्फोट करना या होना।
विस्मय
(सं.) [सं-पु.] 1. आश्चर्य; ताज़्ज़ुब; अचंभा 2. चमत्कारिक या आश्चर्यजनक वस्तु को देखकर उत्पन्न होने वाला भाव 3. (काव्यशास्त्र) अद्भुत रस का स्थायी भाव।
विस्मयकारी
(सं.) [वि.] विस्मय उत्पन्न करने वाला; आश्चर्यजनक; रोमांचक।
विस्मयपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. आश्चर्य से भरपूर 2. चमत्कारयुक्त।
विस्मयविमूढ़
(सं.) [वि.] 1. आश्चर्यचकित 2. आश्चर्य और चमत्कार के वशीभूत।
विस्मयादिबोधक
(सं.) [सं-पु.] अव्यय का एक प्रकार या भेद जो अविकारी शब्द का सूचक है तथा जो हर्ष, शोक, विस्मय, ग्लानि, घृणा, लज्जा आदि भावों को प्रकट करता है, जैसे- 'अहा',
'उफ़', 'अरे', 'बाप-रे-बाप', 'छिः-छिः' आदि।
विस्मयोत्पादक
(सं.) [वि.] विस्मय अथवा आश्चर्य उत्पन्न करने वाला।
विस्मरण
(सं.) [सं-पु.] 1. स्मरण का विलोपित हो जाना; भूल जाना; विस्मृति 2. स्मरण में कमी आना।
विस्मित
(सं.) [वि.] जिसे विस्मय या आश्चर्य हुआ हो; चकित; अचंभित।
विस्मृत
(सं.) [वि.] 1. भूला हुआ; भुलाया हुआ 2. जिस (वस्तु या व्यक्ति) का स्मरण न रहा हो।
विस्मृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भूल जाना; विस्मरण 2. खो जाना।
विहंग
(सं.) [सं-पु.] 1. पक्षी 2. बाण 3. मेघ। [वि.] आकाश में विचरण करने वाला।
विहंग दृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊँचाई से दूर के विहंगम दृश्य देखने की शक्ति 2. किसी चीज़ को सरसरी तौर पर देखकर उसका जायज़ा ले लेना।
विहंगम
(सं.) [सं-पु.] 1. पक्षी 2. सूर्य।
विहग
(सं.) [सं-पु.] 1. पक्षी; चिड़िया 2. सूर्य 3. चंद्रमा 4. ग्रह 5. बाण; तीर।
विहान
(सं.) [सं-पु.] प्रातःकाल; भोर; सवेरा।
विहार
(सं.) [सं-पु.] 1. भ्रमण; परिभ्रमण 2. घूमना-फिरना; सैर-सपाटा 3. क्रीड़ा; मनोरंजन; आमोद-प्रमोद 4. उपवन।
विहारी
(सं.) [सं-पु.] कृष्ण। [वि.] 1. घूमने वाला; विहार करने वाला 2. आनंद लेने वाला।
विहित
(सं.) [वि.] 1. जिसका विधान किया गया हो 2. विधि के अनुरूप होने वाला; नियमों के अनुसार 3. निश्चित; निर्धारित 4. नियुक्त 5. रखा हुआ 6. कृत; किया हुआ 7.
विभक्त।
विहीन
(सं.) [वि.] 1. रहित; ख़ाली; शून्य 2. बगैर; बिना 3. छोड़ा हुआ; त्यागा हुआ 4. अधम; हीन; नीच।
विह्वल
(सं.) [वि.] 1. व्याकुल; बेचैन 2. भय आदि के कारण घबराया हुआ 3. अशांत; क्षुब्ध; उद्विग्न।
विह्वलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विह्वल होने की अवस्था या भाव; भावमयता; भावुकता 2. घबराहट; व्याकुलता; क्षोभ 3. चिंता; परेशानी।
वीक्षक
(सं.) [वि.] 1. देखने वाला 2. निरीक्षण करने वाला 3. जाँच करने वाला।
वीक्षण
(सं.) [सं-पु.] विशेष तौर पर देखना; निरीक्षण; जाँच।
वीचि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लहर; तरंग 2. अवकाश 3. किरण 4. दीप्ति; चमक।
वीज़ा
(इं.) [सं-पु.] अन्य देशों में आने-जाने या उसमें से गुज़रने की प्रवेश अनुमति जो पासपोर्ट पर अंकित रहती है।
वीटिका
(सं.) [सं-स्त्री.] पान का बीड़ा।
वीणा
(सं.) [सं-स्त्री.] सितार जैसा एक वाद्ययंत्र जिसके दोनों सिरों पर तूँबे लगे रहते हैं।
वीणावादक
(सं.) [वि.] वीणा बजाने वाला।
वीतराग
(सं.) [सं-पु.] राग या आसक्ति का परित्याग किया हुआ व्यक्ति; साधु; संत; महात्मा। [वि.] 1. वासनारहित 2. रागरहित 3. शांत।
वीतरागी
(सं.) [सं-पु.] 1. वासनारहित व्यक्ति 2. राग रहित व्यक्ति; शांत चित्त व्यक्ति।
वीतश्रद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के प्रति श्रद्धा का त्याग करना 2. श्रद्धा का बीत जाना; या समाप्त हो जाना।
वीथिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गली; मार्ग 2. चित्रशाला 3. चित्रों की पंक्ति 4. चित्रांकित दीवार या पट्ट।
वीथी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पंक्ति; कतार 2. रास्ता; मार्ग; सड़क 3. बाज़ार; हाट 4. सूर्य के भ्रमण का मार्ग 5. (पुरातत्व) भवन में आने-जाने के लिए लता, गुल्म आदि से
आच्छादित छोटा रास्ता।
वीप्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) एक शब्दालंकार जिसमें आश्चर्य, आदर, घृणा आदि भावों को व्यक्त करने के लिए एक ही शब्द अनेक बार प्रयुक्त होता है 2.
आवृत्ति; दुहराव; पुनरुक्ति 3. कार्य की निरंतरता सूचित करने के लिए शब्दों की द्विरुक्ति।
वीभत्स
(सं.) [वि.] 1. घृणित; भयानक 2. असभ्य; जंगली; बर्बर। [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) नौ रसों में से एक।
वीर
(सं.) [सं-पु.] 1. योद्धा; बहादुर; शूर 2. (काव्यशास्त्र) एक रस जिसमें उत्साह और वीरता की पुष्टि की जाती है।
वीरगति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वीरतापूर्ण मृत्यु; शहादत 2. युद्धक्षेत्र में या युद्ध करते हुए मृत्यु; युद्ध में प्राणांत होने पर मिलने वाली गति।
वीरगाथा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वीरों की कहानी या गीत 2. किसी योद्धा के वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन।
वीरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहादुरी; शूरता 2. वीरतापूर्ण कार्य या साहसिक कार्य।
वीरत्व
(सं.) [सं-पु.] वीर होने की अवस्था या भाव; वीरता; शूरता।
वीररस
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का काव्यरस जिसका स्थायी भाव उत्साह है।
वीरसू
(सं.) [सं-स्त्री.] वीरों को जन्म देने वाली माता; वीर-माता; वीर-जननी।
वीरांगना
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जो वीरतापूर्ण कार्य करे; वीर स्त्री या महिला।
वीरान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. खंडहर मकान। [वि.] 1. उजड़ा हुआ 2. निर्जन; एकांत; जनहीन 3. बरबाद; तबाह 4. शोभारहित।
वीराना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. उजाड़ और एकांत जगह 2. जंगल।
वीरानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] वीरान होने की अवस्था या भाव; विनाश; बरबादी; तबाही।
वीरासन
(सं.) [सं-पु.] 1. (योगशास्त्र) एक प्रकार का आसन जिसमें एक पैर घुटने के बल पृथ्वी पर लगा रहता है और दूसरे पैर खड़ा रहता है 2. योगियों और ऋषि-मुनियों के बैठने
का एक ढंग।
वीरुध
(सं.) [सं-पु.] 1. बेल लता 2. शाखा; टहनी 3. काटने पर पुनः बढ़ जाने वाला पौधा 4. गुल्मिनी नाम की लता।
वीरेंद्र
(सं.) [सं-पु.] वीरों का नायक या प्रधान; महारथी; वीर पुरुष।
वीरेश्वर
(सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव।
वीरोचित
(सं.) [वि.] जो वीरों के लिए उचित हो; वीरतापूर्ण।
वीर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. पुरुष के प्रजनन अंगों में उत्पन्न वह द्रव जिसमें संतानोत्पत्ति के लिए आवश्यक शुक्राणु होते हैं; (सीमेन) 2. पुरुषत्व शक्ति; शुक्र 3.
शक्ति; बल 4. वीरता; पराक्रम।
वीर्याणु
(सं.) [सं-पु.] शुक्राणु; रेतस; (स्पर्म)।
वृंत
(सं.) [सं-पु.] 1. डंठल; डंडी 2. छोटे पौधे की शाखा 3. {अ-अ.} स्त्रियों या मादा पशुओं के स्तन का अग्र भाग जिससे दूध निकलता है; कुचाग्र।
वृंद
(सं.) [सं-पु.] 1. समूह; समुदाय 2. झुंड; समूह; राशि 3. गुच्छा।
वृंदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुलसी 2. राधा।
वृंदारक
(सं.) [सं-पु.] 1. देवता; देव; सुर 2. धृतराष्ट्र के एक पुत्र। [वि.] 1. अत्यधिक 2. उत्तम; श्रेष्ठ 3. प्रतिष्ठित।
वृंदावन
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक उपवन जहाँ कृष्ण वृंदा (राधा) और गोपियों से मिलने जाते थे 2. आधुनिक उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले का एक तीर्थ स्थान 3. तुलसी वन।
वृक
(सं.) [सं-पु.] 1. भेड़िया; अरण्य-श्वान 2. कौआ 3. गीदड़ 4. एक प्रकार का पेड़; शुकपुष्प।
वृकोदर
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) भीमसेन 2. वह व्यक्ति जिसकी पाचन शक्ति बहुत अधिक हो 3. भेड़िये जैसे बड़े पेट वाला।
वृक्क
(सं.) [सं-पु.] प्राणियों के पेट के अंदर का एक अंग जो रक्त को छानकर मूत्र से अलग करता है; गुरदा; (किडनी)।
वृक्ष
(सं.) [सं-पु.] कठोर तने वाली वनस्पतियों का एक वर्ग; पेड़; पादप; विटप; दरख़्त।
वृक्षारोपण
(सं.) [सं-पु.] पेड़-पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का कार्य या कला।
वृत
(सं.) [वि.] 1. ढका हुआ 2. छिपा हुआ 3. घिरा हुआ 4. वरण किया हुआ; चुना हुआ 5. स्वीकृत।
वृत्त
(सं.) [वि.] 1. गोल; वर्तुल 2. वर्तमान; अस्तित्ववाला 3. घटित; बीता हुआ; व्यतीत 4. प्रसिद्ध। [सं-पु.] 1. इतिहास; घटना; इतिवृत्त 2. समाचार; ख़बर 3. कथा;
कहानी; चरित्र 4. व्यवसाय; पेशा 5. छंद।
वृत्तचित्र
(सं.) [सं-पु.] विशेष घटना के मुख्य अंगों को ब्योरेवार सिनेमा के रूप में दिखाना; ऐसा सिनेमाचित्र जो किसी घटना या व्यक्ति के बारे में ब्योरेवार जानकारी दे;
(न्यूज़रील; डॉक्युमेंटरी फ़िल्म)।
वृत्तांत
(सं.) [सं-पु.] 1. घटना या जीवन का विवरण 2. इतिहास; इतिवृत्त; कथा; कहानी 3. ख़बर; समाचार।
वृत्तांश
(सं.) [सं-पु.] वृत्त का अंश या हिस्सा; वृत्तखंड।
वृत्ताकार
(सं.) [वि.] 1. गोल आकार का; वर्तुलाकार 2. गोल संरचना में निर्मित (वस्तु)।
वृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मन अथवा चित्त का व्यापार; प्रकृति; स्वभाव 2. वर्तमानता; अस्तित्व 3. मन की दशा या अवस्था 4. कार्य; आचरण; व्यवहार 5. जीविका; पेशा; धंधा
6. घूमना; चक्कर लगाना 7. सहायतार्थ दिया जाने वाला धन।
वृत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. पौराणिक ग्रंथों में उल्लिखित अंधकार का मूर्त रूप एक दानव अथवा असुर 2. अँधेरा 3. बादल; मेघ; घन।
वृथा
(सं.) [वि.] 1. व्यर्थ; निरर्थक; बेकार 2. मूर्खतापूर्ण।
वृद्ध
(सं.) [सं-पु.] बूढ़ा आदमी। [वि.] 1. अधिक उम्र का; बूढ़ा; बुड्ढा 2. बड़ा 3. {ला-अ.} बुद्धिमान; चतुर; विद्वान।
वृद्धता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वृद्ध होने की अवस्था या भाव; बुढ़ापा 2. परिपक्वता।
वृद्धायु
(सं.) [सं-पु.] बुढ़ापा; वृद्धावस्था। [वि.] वृद्ध व्यक्ति; बूढ़ा।
वृद्धावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] जरा; बुढ़ापा।
वृद्धाश्रम
(सं.) [सं-पु.] वृद्धों के लिए रहने का स्थान।
वृद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बढ़त; बढ़ती 2. प्रगति; विकास 3. अधिकता 4. सफलता 5. लाभ; मुनाफ़ा।
वृद्धिमान
(सं.) [वि.] उन्नति की राह पर अग्रसर; जो उन्नति कर रहा हो; उन्नतिशील; विकासशील।
वृद्धि संधि
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वर संधि का एक प्रकार।
वृश्चिक
(सं.) [सं-पु.] 1. बिच्छू नामक कीट 2. (ज्योतिष) बारह राशियों में से आठवीं राशि 3. कनखजूरा।
वृष
(सं.) [सं-पु.] 1. साँड़; बैल 2. (ज्योतिष) बारह राशियों में से एक 3. (कामशास्त्र) चार प्रकार के नायकों (पुरुषों) में से एक 4. एक प्रकार की औषधि 5. कामदेव।
वृषण
(सं.) [सं-पु.] अंडकोश। [वि.] 1. सींचने वाला 2. उपजाऊ बनाने वाला।
वृषभ
(सं.) [सं-पु.] 1. साँड़; बैल 2. (ज्योतिष) बारह राशियों में से दूसरी राशि 3. एक प्रकार की औषधि।
वृषभानुजा
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) वृषभानु की पुत्री और कृष्ण की प्रेमिका; राधा।
वृषल
(सं.) [सं-पु.] 1. घोड़ा; अश्व 2. गाजर; पीतमूलक 3. दुष्ट व्यक्ति।
वृषवाहन
(सं.) [सं-पु.] शिव; शंकर।
वृषोत्सर्ग
(सं.) [सं-पु.] किसी मृत व्यक्ति के नाम पर साँड़ को दाग कर छोड़ देने का धार्मिक कृत्य।
वृष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आकाश से जल बिंदुओं का गिरना; वर्षा 2. वर्षा की तरह किसी वस्तु का बड़े परिमाण में गिरना; झड़ी; बौछार 3. {ला-अ.} किसी काम का कुछ समय तक
लगातार होना।
वृष्य
(सं.) [सं-पु.] 1. एक अनाज जिसकी दाल खाई जाती है; उड़द 2. गन्ना या ईख जिससे गुड़ और चीनी बनाई जाती है। [वि.] 1. (आयुर्वेद) वीर्य और बल बढ़ाने वाला; पुरुषत्व
बढ़ाने वाला 2. बरसने वाला; वर्षणशील।
वृहत
(सं.) [वि.] 1. बड़ा 2. महान 3. भारी।
वृहत्तम
(सं.) [वि.] सबसे बड़ा।
वृहत्तर
(सं.) [वि.] 1. बढ़ा हुआ 2. वर्धित; विकसित।
वृहद
(सं.) [वि.] वृहत का तत्सम रूप।
वृहन्नला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (महाभारत) अज्ञातवास के समय अर्जुन का छद्मनाम 2. हिजड़ा।
वे
(सं.) [सर्व.] 'वह' का बहुवचन रूप। विशेष- सम्मान प्रकट करने के लिए एक व्यक्ति के लिए भी 'वे' का प्रयोग किया जाता है।
वेंटिलेटर
(इं.) [सं-पु.] 1. एक उपकरण जो किसी कमरे या स्थान में ताज़ी हवा लाता है और वहाँ की अशुद्ध हवा को बाहर निकालता है 2. फेफड़ों के कृत्रिम श्वसन के लिए उपयोग में
लाया जाने वाला एक उपकरण; श्वसनयंत्र।
वेक्यूम
(इं.) [सं-पु.] निर्वात; शून्य।
वेक्षण
(सं.) [सं-पु.] देखभाल; अच्छी तरह देखना।
वेग
(सं.) [सं-पु.] 1. (भौतिकविज्ञान) किसी वस्तु के दिशा विशेष में गति की रफ़्तार; किसी निश्चित दिशा में वस्तु की स्थिति के परिवर्तन की दर; (वेलोसिटी) 2. प्रवाह;
धारा 3. तीव्र प्रवृत्ति 4. उत्तेजना 5. जल्दबाज़ी।
वेगधारण
(सं.) [सं-पु.] मल-मूत्र का वेग रोकना।
वेगमय
(सं.) [वि.] जिसमें वेग हो; वेगयुक्त।
वेगवती
(सं.) [वि.] 1. तीव्र गति वाली 2. जिसका वेग अत्यधिक हो 3. तीव्र; उग्र। [सं-स्त्री.] 1. दक्षिण भारत की एक नदी 2. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद।
वेगवान
(सं.) [वि.] तेज़ चलने वाला; वेगयुक्त।
वेगी
(सं.) [वि.] वेगयुक्त; तेज़; उग्र। [सं-पु.] बाज़ नामक पक्षी।
वेजीटेबिल
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सब्ज़ी 2. वनस्पति।
वेट1
(सं.) [सं-पु.] पीलु नामक वृक्ष।
वेट2
(इं) [वि.] 1. भार; वज़न 2. प्रतीक्षा; इंतज़ार।
वेटनरी
(इं.) [वि.] पशुचिकित्सा संबंधी।
वेटर
(इं.) [सं-पु.] परिचारक; बैरा।
वेणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बालों की गूँथी हुई चोटी 2. पानी का बहाव 3. दो या दो से अधिक नदियों का संगम।
वेणु
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँस 2. बाँस की बनी हुई वंशी; मुरली; बाँसुरी 3. एक प्राचीन राजा का नाम।
वेतन
(सं.) [सं-पु.] 1. नियत समय पर दिया जाने वाला पारिश्रमिक; मासिक आय; तनख़्वाह; पगार 2. किसी काम या सेवा के बदले मिलने वाला एक निश्चित धन; पारिश्रमिक 3.
आजीविका; रोज़ी।
वेतनक्रम
(सं.) [सं-पु.] वेतन का वह मान जिसके अनुसार किसी पद पर काम करने वाले कर्मचारी को वेतन दिया जाता है; वेतनमान।
वेतनफलक
(सं.) [सं-पु.] वह कागज़ जिसपर सभी कर्मचारियों के किसी माह के वेतन का पूरा विवरण हो।
वेतनभोगी
(सं.) [सं-पु.] 1. वेतन लेकर काम करने वाला व्यक्ति; वैतनिक; कर्मचारी 2. वेतन पर निर्वाह करने वाला व्यक्ति।
वेतनमान
(सं.) [सं-पु.] पद के अनुरूप वेतन वृद्धि का क्रम।
वेतनवृद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] वेतन बढ़ना।
वेतस
(सं.) [सं-पु.] 1. बेंत 2. जलबेंत 3. बिजौरा नीबू।
वेताल
(सं.) [सं-पु.] 1. शिव के गणों में से एक 2. संतरी; द्वारपाल 3. (मिथक) प्रेतयोनि।
वेत्ता
(सं.) [वि.] 1. विद्वान; ज्ञानी; पंडित; जानकार; प्रबुद्ध 2. पूर्ण ज्ञाता।
वेद
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं के चार धर्म ग्रंथ (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) 2. ज्ञान विशेषतः आध्यात्मिक ज्ञान; धर्मज्ञान।
वेदन
(सं.) [सं-पु.] उग्र या बहुत कष्टदायक पीड़ा विशेषतः हार्दिक या मानसिक पीड़ा; वेदना।
वेदना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. असह्य कष्ट; पीड़ा 2. मानसिक दुख; व्यथा।
वेदनाजन्य
(सं.) [वि.] 1. पीड़ा से उत्पन्न 2. दुख या व्यथा से उपजा हुआ 3. जिसे सुनकर या देखकर दुख या पीड़ा की अनुभूति हो।
वेदनापूर्ण
(सं.) [वि.] मानसिक पीड़ा या व्यथा से भरा हुआ; दुख-दर्द से युक्त।
वेदनाविहीन
(सं.) [वि.] पीड़ारहित; कष्टरहित; दुख या व्यथा से अलग या दूर।
वेदनाहर
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की औषधि जिसके फलस्वरूप दर्द की अनुभूति समाप्त हो जाती है। [वि.] वेदना हरण करने वाला; दर्दनिवारक।
वेदवाक्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वेदों के वाक्य 2. ऐसा वाक्य या कथन जिसकी प्रामाणिकता असंदिग्ध हो।
वेदव्यास
(सं.) [सं-पु.] एक पौराणिक ऋषि और महाभारत ग्रंथ के रचयिता।
वेदांग
(सं.) [सं-पु.] वेदों के छह अंग (शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष और छंदशास्त्र)।
वेदांत
(सं.) [सं-पु.] 1. उपनिषद; वेदों के सिद्धांतों का विवेचन और निरूपण करने वाला शास्त्र 2. भारत के छह दर्शनों में अंतिम दर्शन जिसे उत्तर मीमांसा भी कहते हैं।
वेदांती
(सं.) [सं-पु.] 1. वेदांत दर्शन का अनुयायी या समर्थक; आत्मतत्वज्ञ 2. वेदांत का ज्ञाता।
वेदिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. यज्ञवेदी; यज्ञ के लिए ठीक किया गया स्थान 2. आँगन के बीच में बना चबूतरा।
वेदी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धार्मिक कर्मकांडों में यज्ञस्थल या पूजास्थान पर बना ऊँचा चबूतरा जहाँ हवन करने के लिए ऊँची और सपाट पीठ बनी होती है 2. सरस्वती 3. मंडप।
[परप्रत्य.] ज्ञाता; जानने वाला; पंडित; विद्वान, जैसे- तत्ववेदी।
वेध
(सं.) [सं-पु.] 1. बेधना; छेद करना 2. घुसाना 3. आहत करना 4. निशाने पर मारने का कार्य 5. (खगोलविज्ञान) ग्रहों की गति, स्थिति आदि का पता लगाना।
वेधक
(सं.) [वि.] 1. छेदने वाला; छेद करने वाला 2. घाव करने वाला 3. प्रभावित करने वाला। [सं-पु.] 1. कपूर 2. चंदन।
वेधन
(सं.) [सं-पु.] 1. छेदने का कार्य 2. निशाने पर मारना 3. आहत करना; घाव करना 4. खुदे हुए स्थान की गहराई।
वेधनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वेधनयंत्र; छेदने का औज़ार 2. {ला-अ.} अंकुश।
वेधशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] (खगोलविज्ञान) ग्रहों, नक्षत्रों, तारों आदि के विषय में खोज और जानकारी हासिल करने में मदद करने वाली प्रयोगशाला।
वेधी
(सं.) [वि.] 1. वेध अथवा छेद करने वाला 2. निशाना साधने वाला 3. ग्रहों, नक्षत्रों आदि का भेद करने वाला।
वेध्य
(सं.) [वि.] 1. वेधने योग्य 2. जिसमें छेद किया जा सके या हो सके। [सं-पु.] लक्ष्य; निशाना।
वेबसाइट
(इं.) [सं-स्त्री.] इंटरनेट से जुड़ा हुआ वह स्थान जहाँ किसी संस्था, संगठन आदि की सूचना उपलब्ध रहती है।
वेल
(सं.) [सं-पु.] कुंज; उपवन; बाग।
वेला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समय 2. नियत समय 3. अवसर 4. तरंग; लहर।
वेल्डर
(इं.) [सं-पु.] 1. संधानक; धातु के दो टुकड़ों को लगाने या जोड़ने वाला व्यक्ति 2. धातु के दो टुकड़ों को जोड़ने वाली मशीन।
वेल्डिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] झाल लगाना या जोड़ना; धातु के टुकड़े को जोड़ने हेतु उन पर की गई क्रिया।
वेश
(सं.) [सं-पु.] 1. पहनने के वस्त्र; पोशाक; पहनावा 2. रूप बदलने के लिए पहने गए वस्त्र विशेष।
वेश-भूषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़े आदि पहनने का तरीका या ढंग 2. पहनावा; पोशाक।
वेश्म
(सं.) [सं-पु.] मकान; घर।
वेश्या
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी स्त्री जो धन लेकर लोगों से संभोग कराने का व्यवसाय करती हो; यौनकर्मी; रंडी; तवायफ़।
वेश्यागामी
(सं.) [सं-पु.] 1. वेश्या के पास जाने वाला व्यक्ति 2. वेश्यावृत्ति में संलग्न व्यक्ति।
वेश्यालय
(सं.) [सं-पु.] वेश्याओं के रहने की जगह; चकलाघर।
वेश्यावृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी स्त्री का धन या लाभ पाने के लिए शरीर का व्यवसाय करना; धन लेकर परपुरुषों से संभोग कराना 2. वेश्या का व्यवसाय; वेश्याकर्म।
वेष
(सं.) [सं-पु.] 1. वेश 2. (नाटक) रंगमंच के पीछे का स्थान; नेपथ्य।
वेष्टन
(सं.) [सं-पु.] 1. वेठन; लपेटने या घेरने की वस्तु 2. चीज़ों को कागज़ या कपड़े आदि में लपेट कर भेजने के लिए तैयार करना; (पैकिंग) 3. पुलिंदा; गट्ठर; (पैकेज) 4.
पगड़ी 5. आवरण; खोल 6. घेरा; अहाता।
वेष्टित
(सं.) [वि.] 1. आच्छादित; ढका हुआ 2. घेरा हुआ 3. लपेटा हुआ 4. रोका हुआ; अवरुद्ध 5. ऐंठा हुआ।
वैकल्प
(सं.) [सं-पु.] 1. विकल्प 2. चुनने की स्थिति।
वैकल्पिक
(सं.) [वि.] कई में से एक को चुनने की सुविधा से युक्त; ऐच्छिक; (ऑप्शनल)।
वैकाल
(सं.) [सं-पु.] दिवस का तीसरा प्रहर; सायंकाल; शाम।
वैकुंठ
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) विष्णु का निवास स्थान 2. स्वर्ग; देवलोक 3. (संगीत) एक ताल।
वैक्सीन
(इं.) [सं-पु.] पोलियो, हैज़ा आदि रोगों के टीके की दवा; टीका।
वैखरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वाणी का एक प्रकार 2. वाक्-शक्ति 3. कंठ से उच्चरित होने वाला स्वर 4. वाग्देवी; सरस्वती।
वैखानस
(सं.) [सं-पु.] 1. वानप्रस्थ आश्रम में प्रविष्ट व्यक्ति 2. भागवत का एक स्कंध 3. कृष्ण यजुर्वेद की एक शाखा। [वि.] वानप्रस्थ आश्रम संबंधी।
वैगन
(इं.) [सं-पु.] मालगाड़ी का डिब्बा।
वैचारिक
(सं.) [वि.] विचार संबंधी।
वैचारिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विचारधारा; विचारपद्धति 2. किसी सिद्धांत पर आधारित विचार।
वैजयंत
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्वजा; पताका 2. (पुराण) इंद्र की ध्वजा।
वैजयंती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का सुगंधित फूल 2. एक प्रकार की माला जिसमें पाँच रंगों के फूल होते हैं।
वैजात्य
(सं.) [सं-पु.] 1. विजातीय होने का गुण या भाव; जातिगत भिन्नता; वर्गगत भिन्नता 2. विलक्षणता; भिन्नता।
वैज्ञानिक
(सं.) [सं-पु.] 1. विज्ञान संबंधी ज्ञान रखने वाला व्यक्ति 2. विज्ञान का ज्ञाता; विज्ञानी; विज्ञानवेत्ता। [वि.] 1. विज्ञान संबंधी 2. व्यवस्थित, क्रमबद्ध और
तार्किक।
वैडाल व्रत
(सं.) [सं-पु.] दुष्ट होते हुए भी बाहर से सज्जन बने रहने का ढोंग; पाखंड।
वैतनिक
(सं.) [वि.] 1. वेतन अथवा मज़दूरी लेकर काम करने वाला; वेतनभोगी 2. वेतन संबंधी; वेतन का।
वैतरणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) परलोक की एक नदी जिसे मरने के बाद प्रत्येक जीवात्मा को पार करना पड़ता है 2. ओडिशा की एक नदी जो पवित्र मानी गई है।
वैताल
(सं.) [वि.] वेताल संबंधी; वेताल का। [सं-पु.] स्तुतिपाठक; भाट; बंदीजन।
वैतालिक
(सं.) [सं-पु.] 1. स्तुतिपाठ करने वाला व्यक्ति; वैताल; भाट; बंदीजन 2. वेताल का अनुचर या उपासक 3. जादूगर।
वैदग्ध्य
(सं.) [सं-पु.] 1. विद्वत्ता; पांडित्य 2. दक्षता 3. चतुरता 4. उपस्थित बुद्धि; हाज़िरजवाबी 5. रसिकता 6. सौंदर्य।
वैदिक
(सं.) [सं-पु.] वेद विद्वान; वेद की बातों का अनुसरण करने वाला। [वि.] 1. वेद संबंधी; वेद का 2. वेदों के अनुकूल; वेदोक्त।
वैदिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] वेदानुसार कर्मकांड का अनुष्ठान। [वि.] वेद संबंधी; वेद का।
वैदूर्य
(सं.) [सं-पु.] लहसुनिया नामक रत्न। [वि.] विदुर से प्राप्त या लाया हुआ।
वैदेशिक
(सं.) [सं-पु.] अन्य देश का व्यक्ति; विदेशी। [वि.] 1. विदेश संबंधी 2. विदेश का।
वैदेही
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीता (जो विदेह अर्थात राजा जनक की राजकुमारी थी) 2. पिप्पली।
वैद्य
(सं.) [सं-पु.] जड़ी-बूटियों द्वारा इलाज करने वाला चिकित्सक; आयुर्वेद चिकित्सक।
वैद्यक
(सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें रोगों की पहचान तथा जड़ी-बूटियों द्वारा उनकी चिकित्सा विधि आदि का विवेचन होता है; आयुर्विज्ञान।
वैद्युत
(सं.) [वि.] विद्युत संबंधी; विद्युत का।
वैद्युतिक
(सं.) [वि.] विद्युत संबंधी; विद्युत का।
वैद्युतीकरण
(सं.) [सं-पु.] सभी क्षेत्रों में बिजली की व्यवस्था करने का कार्य; विद्युतीकरण।
वैध
(सं.) [वि.] जो विधि के अनुसार हो; कायदे-कानून के अनुसार; विधिसम्मत; विधिमान्य।
वैधता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विधि के अनुसार मान्य होने की अवस्था; विधिपरकता 2. वैध होने की अवस्था या भाव।
वैधव्य
(सं.) [सं-पु.] विधवा होने की अवस्था या भाव; रँडापा; विधवापन।
वैधानिक
(सं.) [वि.] 1. विधान के अनुकूल 2. विधान संबंधी।
वैधीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी बात को कानूनी रूप देना।
वैधीकृत
(सं.) [वि.] जो शास्त्रानुकूल अथवा कानूनी रूप से लाया गया हो।
वैनीला
(इं.) [सं-पु.] 1. एक पौधा 2. उक्त पौधे से निकला सुगंधित द्रव्य।
वैफल्य
(सं.) [सं-पु.] विफलता; असफलता; नाकामयाबी।
वैभव
(सं.) [सं-पु.] 1. संपदा; समृद्धि; धन-दौलत; ऐश्वर्य 2. शक्ति; सामर्थ्य।
वैभवशाली
(सं.) [वि.] जिसके पास वैभव हो; धनी; अमीर; धनवान; मालदार।
वैमनस्य
(सं.) [सं-पु.] 1. मनमुटाव; रंजिश; वैर 2. अन्यमनस्कता; खिन्नता।
वैमानिक
(सं.) [सं-पु.] विमानचालक; (पायलट)। [वि.] 1. विमान में उत्पन्न 2. विमान संबंधी; विमान का।
वैमानिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वायुपरिवहन तथा उसका अभ्यास 2. वायुयान चलाने का विज्ञान; विमानशास्त्र; (एयरनॉटिक्स)।
वैयक्तिक
(सं.) [वि.] 1. व्यक्ति विशेष से संबंधित; व्यक्तिगत; निजी; (पर्सनल) 2. जिसपर एक ही व्यक्ति का कानूनी अधिकार हो; (प्राइवेट)।
वैयक्तिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वैयक्तिक होने की अवस्था या भाव; पृथक अस्तित्व; व्यष्टि 2. व्यक्ति की अपनी विशेषता; व्यक्ति की प्रकृति; व्यक्तित्व।
वैयाकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. व्याकरण शास्त्र का रचयिता 2. व्याकरण जानने वाला व्यक्ति। [वि.] व्याकरण संबंधी।
वैर
(सं.) [सं-पु.] 1. शत्रुता; दुश्मनी 2. घृणा 3. बदला। [मु.] -निकालना : बदला लेना; शत्रु को हानि पहुँचाना। -बाँधना : दुश्मनी
मोल लेना। -साधना : बदला लेना।
वैरागी
(सं.) [सं-पु.] 1. संसार से विरक्त व्यक्ति 2. संन्यासी; साधु; महात्मा। [वि.] संसारिक बंधनों से मुक्त; विरक्त; रागरहित; उदासीन।
वैराग्य
(सं.) [सं-पु.] 1. सांसारिक बंधनों से विमुखता; सुखभोगों से होने वाली विरक्ति; अनासक्ति; उदासीनता 2. मन की राग-रहित अवस्था।
वैराज्य
(सं.) [सं-पु.] 1. एक ही देश में दो शासकों का संयुक्त शासन 2. उक्त शासन वाला देश।
वैरी
(सं.) [सं-पु.] जिसके प्रति वैर भाव हो; दुश्मन; शत्रु।
वैवर्ण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. रंग बदल जाना; विवर्णता 2. मालिन्य 3. भिन्नता।
वैवस्वत
(सं.) [वि.] सूर्य का; सूर्य संबंधी।
वैवाहिक
(सं.) [वि.] 1. विवाह संबंधी; विवाह का 2. विवाह के कारण होने वाला, जैसे- वैवाहिक संबंध।
वैविध्य
(सं.) [सं-पु.] विविधता; अनेकता।
वैशाख
(सं.) [सं-पु.] चैत्र के बाद पड़ने वाला माह।
वैशाखनंदन
(सं.) [सं-पु.] गधा।
वैशाखी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वैशाख की पूर्णिमा 2. सिक्खों का एक त्योहार।
वैशिष्ट्य
(सं.) [सं-पु.] 1. विशिष्टता; विशेषता; ख़ासियत 2. अंतर 3. श्रेष्ठता।
वैशेषिक
(सं.) [वि.] 1. विषय विशेष संबंधी 2. विशेषता से युक्त। [सं-पु.] 1. एक प्राचीन भारतीय दर्शन जिसमें तत्वों का विवेचन किया गया है 2. उक्त दर्शन संबंधी 3. उक्त
दर्शन का अनुयायी या समर्थक।
वैश्य
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू वर्णव्यवस्था में निरूपित तीसरा वर्ण; उक्त वर्ण का व्यक्ति 2. व्यापार करने वाला व्यक्ति; व्यापारी।
वैश्वानर
(सं.) [सं-पु.] 1. आग; अग्नि 2. पावक।
वैश्विक
(सं.) [वि.] 1. संपूर्ण विश्व का; विश्व संबंधी 2. विश्वव्यापी 3. सब का।
वैश्वीकरण
(सं.) [सं-पु.] स्थानीय या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया; भूमंडलीकरण।
वैषम्य
(सं.) [सं-पु.] विषम होने की अवस्था या भाव; विषमता; असमानता।
वैष्णव
(सं.) [वि.] 1. विष्णु संबंधी; विष्णु का 2. ईश्वर के रूप 3. विष्णु की पूजा करने वाला। [सं-पु.] 1. विष्णु का उपासक 2. एक संप्रदाय।
वैष्णवता
(सं.) [सं-स्त्री.] वैष्णव होने की अवस्था या भाव; वैष्णवपन; वैष्णत्व।
वैष्णवी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वैष्णव स्त्री 2. (पुराण) विष्णु की शक्ति।
वैसा
(सं.) [वि.] उस तरह का। [अव्य.] 1. उतना 2. उस प्रकार।
वैसे
[क्रि.वि.] उस तरह से।
वो
[सर्व.] वह।
वोट
(इं.) [सं-पु.] निर्वाचन हेतु दिया जाने वाला मत।
वोट बैंक
(इं.) [सं-पु.] मतदाताओं का वह समूह जिसपर कोई दल अपना अधिकार समझता हो।
वोटर
(इं.) [सं-पु.] वोट देने वाला; मतदान करने वाला; मतदाता।
वोटिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] मतदान; वोट डालने की क्रिया।
वोल्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. (भौतिकविज्ञान) विद्युतशक्ति मापने की मानक इकाई 2. ऊर्जा की एक इकाई जो किसी चालक के दो बिंदुओं के बीच के विद्युतप्रभाव के अंतर के बराबर
होती है।
वोल्टेज
(इं.) [सं-पु.] (भौतिकविज्ञान) विद्युत ऊर्जा का मानक।
व्यंग
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अंग न हो या ख़राब हो; विकलांग 2. अंगहीन 3. अव्यवस्थित।