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कविता संग्रह

अलंकार-दर्पण

धरीक्षण मिश्र

अनुक्रम 47 विषम अलंकार पीछे     आगे

(पहिला विषम)
लक्षण (वीर) :-
अनमिल घटना या पदार्थ के जब सम्पgर्क देखावल जात।
विषम नाम का अलंकार के प्रथम भेद तब उहाँ कहात॥
 
उदाहरण (चौपाई) :-
कहाँ राम आ कहवाँ बाबर। कुरुसी लोभी बुझत बराबर॥
मन्दिर देव स्थाँन सुहाला। मसजिद सब बीरान बुझाला॥
 
चौपई :-
कहवाँ कुरुसी गद्दीदार। कहवाँ जनसेवा के कार॥
कहाँ लखनऊ सुखप्रद बास। कहाँ गाँव सुनसान उदास॥
कहवाँ मधुर मुलायम नाम। कहवाँ क्रूर कतल के काम॥
 
वीर :-
कहाँ धर्मनिरपेक्ष राज्यg बा ए शासन के नाम उदार।
और कहाँ आरक्षण दे के जा‍तिबाद के घोर प्रचार॥
 
दूसरा विषमया विषादन
 
लक्षण (दोहा) :-
मन के चाहल होत ना अनचाहल हो जात।
उहाँ विषादन या विषम दूनूँ सदा सुहात॥
 
उल्लाहसा छंद :-
कह रसाल जी सेठ जी इच्छाू यत्नt रहित रहत।
उदाहरण से दीन जी कहत कि यत्नछ सहित रहत॥
 
उदाहरण (कुण्डकलिया) :-
आरक्षण घोषित भइल करे बदे कल्यािन।
किंतु कई सौ युवक के सुनते छूटल प्रान।
सुनते छूटल प्राण और बस कई फुँकाइल।
बन्द भइल इसकूल मास तिसरा नियराइल।
अबो खुली इसकूल न लौकत कवनो लक्षण।
जातिवाद तरु हेतु खात पानी आरक्षण॥
 
ताटंक :-
सजी लोग चाहत कि चनसेखर बड़की कुरुसी पावें।
ताकी सिंह मुलायम के ऊ सही मार्गपर ले आवें।
लेकिन इहो मुलायम के लखि कार्य सजी सत्या नासी।
पीठि ठोकि के ईहो उनके दे तारे पर शाबासी॥
 
वीर :-
दुसरा पर बीगे के बम कुछ छिपि के रहे बनावल जात।
एगो बम तब तक ले फूटल झोंकरल बनवैयन के गात॥
मुसलिम वोट रिजर्व करावे के बी. पी . कइले उद्योग।
बड़की कुरुसी गइल हाथ से और भाजपा के सहयोग॥

 
तीसरा विषम
लक्षण (वीर) :- गुण या क्रिया जहाँ कारण आ कारज के बा भिन्न। देखात।
सेठ कैन्हcया जी का मत से विषम तीसरा उहाँ कहात॥
 
दोहा :- पंचम जौन विभावना विषम तीसरा तौन।
हमरा ना लखि परत बा अंतर बाटे कौन॥
 
उदाहरण (वीर) :- जब कुरुसी मिलि जात हवे तब सुख उपजा‍वति बा चहुँओर।
जब कुरुसी चलि जात हवे तब देति दुक्ख अत्यजन्तल कठोर॥
मुसलिम के रक्षक बनि हिन्दूे हतत नित्य‍ हिन्दूत के प्रान।
वोट भिखारी बनत निरंकुश वोट भीखि ले जब सुलतान॥


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