लक्षण (वीर) :-
एगो कवनो बस्तुर ठीक से जब नाहीं पहिचानल जात।
ओके कई बस्तुत भइला के जहवाँ सम्भाचवना बुझात॥
पर कुछ निश्चित हो ना पावत आ संदेह बनल रहि जात।
तब कविता के भाषा में ऊ संदेहालंकार कहात॥
हरिगीतिका :-
कुछ बस्तुा लखि सन्दे<ह मय सुझत जहाँ उपमान बा।
सन्देसह बनले रहत ई सन्देह के पहिचान बा॥
उदाहरण (वीर) :-
दंगा और लूट के घटना होत कई नगरन का बीच।
मारत जान जरावत सब कुछ सूखत भूमि बनावत कीच॥
बिपदा के बादर छवले बा उपजावत बाटे अति त्रास।
ई यादव बा या दव बाटे आ की सावन भादो मास॥
रबड़ छंद :-
छप्प:न लाख दे के कवनो मसजिद के डेकोरेशन भइल हऽ?
आकी बाहर से कोइला पानी मँगा के धरे के कायम कवनो नया स्टेहशन भइल हऽ?
आ की अगिला चुनाव जीते खातिर मुसल्ल म मुसलिम मत के रिजरवेशन भइल हऽ?
आ की आपसी सद्भावना बढ़ावे खातिर कवनो निकट के नया रिलेशन भइल हऽ?
सार :- देखे बदे सिंह सरकस में लोग बहुत बिटुराला।
लखि के सिंह पियास आँखि के उहाँ बुझावल जाला ॥
टीचर जिनका भक्ति काल के पद्य पढ़ावल भावे।
'हरि दर्शन को प्याकसी अखिँया' लगले पाठ पढ़ावे॥
छात्रन से पुछले के हरि हऽ? 'के हरि' छात्र बतौले।
ई संदेह मिटल ना यद्यपि बार बार समुझौले॥
कवित्त :-
का ई बा ओह जनता के राज आइल जेमें
जनता के मुँह सदा परि के अभाव में।
आ की आइल ओह जनता के बा राज्यक जेमें
ताक जनता के लागे केवल चुनावे में।
आ की ओह जनता के जे घेरत अयोध्याव के
सेना बइठा के आ के मीआँ का प्रभाव में।
आ की वोह जनता के जे के वोट दे के अब
लोग परि गैल बाटे भारी पछताव में॥
बस वर्णन :- चढ़नी एकाध बार बस में बिहार का तऽ
मन बनि गैल केद्र बिबिध बिचार के।
गरहन नहाये लोग काशी जात बाटे कि
कुम्भन मेला लागे जात बाटे हरिद्वार के।
आ की इण्टेरभ्यूे में ई जात बाटे लोग सजी
पोस्टइ कौनो खाली भैल बाटे सरकार के।
आ की कवनो सोखा सिद्ध नया उपटल बाड़े
लोग उहाँ जात बाटे सुक के सोमार के॥
आवा हऽ कोंहार के घेरावा ह खोभार के कि
बोरा खढि़यावल बा खादर भण्डाोर के।
मछरी के टोपा हवे कवनो मलाह के कि
चिरई के डेली हऽ कवनो मिसकार के।
भादो के घोठा भेडि़ भरल भेडि़हार के कि
भागठ भरल लोहसाइ हऽ लोहार के।
गजरी असार्ह के कि पंजरी हऽ पूस के कि
कूँड़ा हऽ कसार के कि बस हऽ बिहार के॥
लक्षण (वीर) :-
एगो कवनो बस्तुर ठीक से जब नाहीं पहिचानल जात।
ओके कई बस्तुत भइला के जहवाँ सम्भाचवना बुझात॥
पर कुछ निश्चित हो ना पावत आ संदेह बनल रहि जात।
तब कविता के भाषा में ऊ संदेहालंकार कहात॥
हरिगीतिका :-
कुछ बस्तुा लखि सन्दे<ह मय सुझत जहाँ उपमान बा।
सन्देसह बनले रहत ई सन्देह के पहिचान बा॥
उदाहरण (वीर) :-
दंगा और लूट के घटना होत कई नगरन का बीच।
मारत जान जरावत सब कुछ सूखत भूमि बनावत कीच॥
बिपदा के बादर छवले बा उपजावत बाटे अति त्रास।
ई यादव बा या दव बाटे आ की सावन भादो मास॥
रबड़ छंद :-
छप्प:न लाख दे के कवनो मसजिद के डेकोरेशन भइल हऽ?
आकी बाहर से कोइला पानी मँगा के धरे के कायम कवनो नया स्टेहशन भइल हऽ?
आ की अगिला चुनाव जीते खातिर मुसल्ल म मुसलिम मत के रिजरवेशन भइल हऽ?
आ की आपसी सद्भावना बढ़ावे खातिर कवनो निकट के नया रिलेशन भइल हऽ?
सार :- देखे बदे सिंह सरकस में लोग बहुत बिटुराला।
लखि के सिंह पियास आँखि के उहाँ बुझावल जाला ॥
टीचर जिनका भक्ति काल के पद्य पढ़ावल भावे।
'हरि दर्शन को प्याकसी अखिँया' लगले पाठ पढ़ावे॥
छात्रन से पुछले के हरि हऽ? 'के हरि' छात्र बतौले।
ई संदेह मिटल ना यद्यपि बार बार समुझौले॥
कवित्त :-
का ई बा ओह जनता के राज आइल जेमें
जनता के मुँह सदा परि के अभाव में।
आ की आइल ओह जनता के बा राज्यक जेमें
ताक जनता के लागे केवल चुनावे में।
आ की ओह जनता के जे घेरत अयोध्याव के
सेना बइठा के आ के मीआँ का प्रभाव में।
आ की वोह जनता के जे के वोट दे के अब
लोग परि गैल बाटे भारी पछताव में॥
बस वर्णन :- चढ़नी एकाध बार बस में बिहार का तऽ
मन बनि गैल केद्र बिबिध बिचार के।
गरहन नहाये लोग काशी जात बाटे कि
कुम्भन मेला लागे जात बाटे हरिद्वार के।
आ की इण्टेरभ्यूे में ई जात बाटे लोग सजी
पोस्टइ कौनो खाली भैल बाटे सरकार के।
आ की कवनो सोखा सिद्ध नया उपटल बाड़े
लोग उहाँ जात बाटे सुक के सोमार के॥
आवा हऽ कोंहार के घेरावा ह खोभार के कि
बोरा खढि़यावल बा खादर भण्डाोर के।
मछरी के टोपा हवे कवनो मलाह के कि
चिरई के डेली हऽ कवनो मिसकार के।
भादो के घोठा भेडि़ भरल भेडि़हार के कि
भागठ भरल लोहसाइ हऽ लोहार के।
गजरी असार्ह के कि पंजरी हऽ पूस के कि
कूँड़ा हऽ कसार के कि बस हऽ बिहार के॥
लक्षण (वीर) :-
एगो कवनो बस्तुर ठीक से जब नाहीं पहिचानल जात।
ओके कई बस्तुत भइला के जहवाँ सम्भाचवना बुझात॥
पर कुछ निश्चित हो ना पावत आ संदेह बनल रहि जात।
तब कविता के भाषा में ऊ संदेहालंकार कहात॥
हरिगीतिका :-
कुछ बस्तुा लखि सन्दे<ह मय सुझत जहाँ उपमान बा।
सन्देसह बनले रहत ई सन्देह के पहिचान बा॥
उदाहरण (वीर) :-
दंगा और लूट के घटना होत कई नगरन का बीच।
मारत जान जरावत सब कुछ सूखत भूमि बनावत कीच॥
बिपदा के बादर छवले बा उपजावत बाटे अति त्रास।
ई यादव बा या दव बाटे आ की सावन भादो मास॥
रबड़ छंद :-
छप्प:न लाख दे के कवनो मसजिद के डेकोरेशन भइल हऽ?
आकी बाहर से कोइला पानी मँगा के धरे के कायम कवनो नया स्टेहशन भइल हऽ?
आ की अगिला चुनाव जीते खातिर मुसल्ल म मुसलिम मत के रिजरवेशन भइल हऽ?
आ की आपसी सद्भावना बढ़ावे खातिर कवनो निकट के नया रिलेशन भइल हऽ?
सार :- देखे बदे सिंह सरकस में लोग बहुत बिटुराला।
लखि के सिंह पियास आँखि के उहाँ बुझावल जाला ॥
टीचर जिनका भक्ति काल के पद्य पढ़ावल भावे।
'हरि दर्शन को प्याकसी अखिँया' लगले पाठ पढ़ावे॥
छात्रन से पुछले के हरि हऽ? 'के हरि' छात्र बतौले।
ई संदेह मिटल ना यद्यपि बार बार समुझौले॥
कवित्त :-
का ई बा ओह जनता के राज आइल जेमें
जनता के मुँह सदा परि के अभाव में।
आ की आइल ओह जनता के बा राज्यक जेमें
ताक जनता के लागे केवल चुनावे में।
आ की ओह जनता के जे घेरत अयोध्याव के
सेना बइठा के आ के मीआँ का प्रभाव में।
आ की वोह जनता के जे के वोट दे के अब
लोग परि गैल बाटे भारी पछताव में॥
बस वर्णन :- चढ़नी एकाध बार बस में बिहार का तऽ
मन बनि गैल केद्र बिबिध बिचार के।
गरहन नहाये लोग काशी जात बाटे कि
कुम्भन मेला लागे जात बाटे हरिद्वार के।
आ की इण्टेरभ्यूे में ई जात बाटे लोग सजी
पोस्टइ कौनो खाली भैल बाटे सरकार के।
आ की कवनो सोखा सिद्ध नया उपटल बाड़े
लोग उहाँ जात बाटे सुक के सोमार के॥
आवा हऽ कोंहार के घेरावा ह खोभार के कि
बोरा खढि़यावल बा खादर भण्डाोर के।
मछरी के टोपा हवे कवनो मलाह के कि
चिरई के डेली हऽ कवनो मिसकार के।
भादो के घोठा भेडि़ भरल भेडि़हार के कि
भागठ भरल लोहसाइ हऽ लोहार के।
गजरी असार्ह के कि पंजरी हऽ पूस के कि
कूँड़ा हऽ कसार के कि बस हऽ बिहार के॥