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परिचय
मूल नाम : कबीरा, कबीर साहब जन्म : 1398 लहरतारा ताल, काशी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदी अवधी, सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी विधाएँ : कवितामुख्य कृतियाँ
साखी, सबद और रमैनी
निधन
1518, मगहर, उत्तर प्रदेश विशेष
संत कबीर दास हिंदीसाहित्य के भक्ति काल के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे। वह कर्म प्रधान समाज के पैरोकार थे और इसकी झलक उनकी रचनाओं में साफ झलकती है। लोक कल्याण हेतु ही मानो उनका समस्त जीवन था। कबीर को वास्तव में एक सच्चे विश्व - प्रेमी का अनुभव था। कबीर की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उनकी प्रतिभा में अबाध गति और अदम्य प्रखरता। समाज में कबीर को जागरण युग का अग्रदूत कहा जाता है।
डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है कि साधना के क्षेत्र में वे युग - युग के गुरु थे, उन्होंने संत काव्य का पथ प्रदर्शन कर साहित्य क्षेत्र में नव निर्माण किया था।
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हिंदी समय में कबीर की रचनाएँ
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