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					आज मेरे लिए कोई चिट्ठी नहीं लाया : 
					भूल गया है वह लिखना या चल दिया होगा कहीं, 
					बहार है जैसे रुपहली हँसी की गूँज, 
					खाड़ी में हिल-डुल रहे हैं जहाज। 
					आज मेरे लिए कोई चिट्ठी नहीं लाया। 
					 
					अभी कुछ दिन पहले तक वह मेरे साथ था 
					इतना स्नेहिल, इतना प्रेमासक्त और इतना मेरा, 
					पर यह बात तो बर्फीले शिशिर की है। 
					अब बहार है, बहार की जहरीली उदासी है 
					अभी कुछ दिन पहले तक वह मेरे साथ था... 
					 
					सुनाई देती है मुझे : हल्की थरथराती कमानी 
					छटपटा रही है जैसे मौत से पहले की पीड़ा में, 
					डर लग रहा है मुझे कि फट जाएगा हृदय 
					और पूरा नहीं कर पाऊँगी ये सुकुमार पंक्तियाँ... 
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