औरत, तुम्हारी छातियाँ, आपस में धक्का मुश्ती करतीं दो सहेलियाँ हैं, जब तुम नहाती हो
तुम्हारी आभा का इंद्रधनुष तुम्हारे पहनी चमड़ी में फिलहाल स्थगित हो गया है
तुम्हें एक दफा देखकर कोई तुम्हारे दुखों को नहीं जान पाएगा
नहीं जान पाएगा कि नहाने के टब के नीचे तुम्हारी गाथा की एक देह पड़ी है
याद है कल नहाते हुए औचक ही तुम्हारे होठों से एक सीटी निकली थी
तुम्हारी वह सीटी एक धागा है, वहाँ तक के लिए, जिस खूँटी से तुमने अपनी तमाम थकानों को टाँग दिया है
और हवा
जैसे कोई नटखट बच्चा हो जो तुम्हें लौंड्री में खींचे लिए जा रहा है
पच्छिम के पेड़ों पर
सूरज एक नवजात बच्चा है जो अपने गर्म आँसू छितराए जा रहा है
लगातार
(ब्रेसिदा केवास कौब मैक्सिको की चर्चित कवि हैं। यह अनुवाद अंग्रेजी से।)