ईश्वर मुझे माफ कर देगा। यह उसका जॉब है।
अनुभव एक अच्छा स्कूल है, पर उसकी फीस बहुत ज्यादा है।
मैंने ऐसा कोई गधा नहीं देखा जो आदमी की तरह बोलता हो, पर ऐसे बहुत-से आदमी देखे हैं जो गधों की तरह बोलते थे।
जो किताबों को जलाने से शुरुआत करते हैं, वे अंत में आदमियों को जलाएँगे।
मुझसे यह मत पूछो कि मेरे पास क्या है, यह पूछो कि मैं क्या हूँ।
क्राइस्ट गधे की सवारी करते थे, आजकल गधे क्राइस्ट की सवारी करते हैं।
जो एक्शनवाले लोग हैं, वे आखिरकार उनके अचेतन औजार हैं जिनका काम विचार करना है।
तारीफ से वे ही लाभान्वित होते हैं, जो आलोचना का मूल्य जानते हैं।
एक अच्छे कवि की तरह, प्रकृति भी जानती है कि कैसे कम से कम साधनों से अधिक से अधिक प्रभाव पैदा किया जा सकता है।
विवाह एक ऐसा समुद्र है जिसके लिए कोई कंपास अभी तक बनाया नहीं जा सका है।
विवाह के अवसर पर बजाया जानेवाला संगीत मुझे उस संगीत की याद दिलाता है जो रणभूमि के लिए कूच करनेवाले सैनिकों के लिए बजाया जाता है।
नींद कितनी प्यारी चीज है, मौत उससे भी ज्यादा और हम पैदा नहीं हुए होते, तो यह चमत्कार से कम नहीं होता।
दुनिया की मूल बीमारी इससे पैदा हुई है कि ईश्वर ने नोटों की पर्याप्त गड्डियाँ नहीं पैदा की हैं।
जब नायक मंच से विदा ले लेते हैं, तब विदूषकों का आगमन होता है।
स्त्री सेब भी है और सर्प भी।
दुश्मनों को माफ कर देना चाहिए, लेकिन जब वे फाँसी पर चढ़ाए जा चुके हों, उसके बाद।
कोई भी महान जीनियस दूसरे महान जीनियस के संपर्क में आने के बाद ही आकार लेता है, लेकिन उसमें विलय से कम, उससे टकरा कर ज्यादा।
जीवन की तरह राजनीति में भी हमें सिर्फ उन्हीं चीजों की कामना करनी चाहिए जो हासिल हो सकती हैं।
जब शब्द झर जाते हैं, तब संगीत की शुरुआत होती है।
इन दिनों हम विचारों को ले कर लड़ते हैं, और अखबार हमारे किले हैं।
अंधकार युग में धर्म लोगों को रास्ता बताता है, जैसे घुप अँधेरी रात में नेत्रहीन ही सबसे बेहतर मार्गदर्शक होता है; वह किसी आँखवाले से ज्यादा जानता है कि कौन-सा रास्ता किधर जाता है। परंतु जब दिन का प्रकाश आने लगे, उसके बाद भी नेत्रहीन, बूढ़े लोगों को मार्गदर्शक बनाना बेवकूफी है।
प्रकृति अशालीनताओं से मुक्त है, यह मनुष्य है जो उनका आविष्कार करता है।
मैं बहुत शांतिप्रिय व्यक्ति हूँ। मेरी इच्छाएँ बस यह हैं : घास-फूस से छाई एक छोटी-सी कुटिया, लेकिन अच्छा-सा बिस्तर, अच्छा भोजन, ताजा दूध और मक्खन, मेरी खिड़की के सामने फूल और मेरे दरवाजे पर कुछ खूबसूरत पेड़; और अगर ईश्वर मुझे पूर्णतः सुखी बनाना चाहता है, तो मेरे छह-सात दुशमनों को उन पेड़ों से लटकते हुए देखने का आनंद।
(हेनरिक हाइने (13 दिसंबर 1797 - 17 फरवरी 1856) जर्मनी के बड़े कवि, विचारक और पत्रकार थे।)