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कविता

मुलाकात

ताद्यूश रोजेविच

अनुवाद - सरिता शर्मा


मैं उसे पहचान नहीं सका
मैं जब यहाँ आया
यह बिलकुल संभव है
कि इतना लंबा वक्त लग जाए इन फूलों को सजाने में
इस अनगढ़ फूलदान में
'मुझे ऐसे मत देखो'
उसने कहा
मैं छोटे कटे बालों को सहलाता हूँ
अपने सख्त हाथों से
'उन्होंने मेरे बाल काट दिए' वह कहती है
'देखो मेरे साथ क्या किया है उन लोगों ने'
अब फिर से उस आसमानी वसंत ने
धड़कना शुरू कर दिया है उसकी गर्दन की
पारदर्शी त्वचा के नीचे हमेशा की तरह
जब वह आँसू पी लेती है
वह इस तरह क्यों घूरती है
मुझे लगता है मुझे चले जाना चाहिए
मैं जरा जोर से कहता हूँ

और मैं उसे छोड़ कर चल देता हूँ
मेरा गला रुँध जाता है

 


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