हिंदी का रचना संसार

मुखपृष्ठ | उपन्यास | कहानी | कविता | नाटक | आलोचना | विविध | भक्ति काल | हिंदुस्तानी की परंपरा | विभाजन की कहानियाँ | अनुवाद | ई-पुस्तकें | छवि संग्रह | हमारे रचनाकार | हिंदी अभिलेख | खोज | संपर्क

 

मनमोहन भाटिया कीअभिव्यक्ति
कथासागर (भाग–1)
 

लेखकीय
आत्मवृत्त
सार-संक्षेप

1. निर्दोष
2. बडी दादी
 


3. शिक्षा
4. ब्लू टरबन
5. अखबार वाला
6. हवा पूरी है
7. क्रिकेट मैच

लेखकीय

मैं अपनी अभिव्यक्ति आज के आधुनिक समाज को समर्पित करता हूं। मेरी कहानियां समाज की कुरीतियों पर अधारित हैं। कहानियों की भाषा सरल और आज की बोलचाल की भाषा हैं, जिसमें दूसरी भाषायों के प्रचलित शब्दों का भी समावेष है। यह मैंनें आज की युवा पीढी और समाज के हर आम व्यक्ति को ध्यान मैं रखकर किया है, ताकि कहानी पढने के समय उन्हे शब्दकोष का सहारा न लेना पढे। इसी कारण भाषा को सरल रखा गया है। कहानी की शैली और शिल्प को किसी साहित्यिक नियमों और सीमाऔं में नहीं बांधा है। आम व्यक्ति की अभिव्यक्ति जनता समझ सके, यही साधारण सा प्रयास है। मेरी लिखाई एक आम व्यक्ति समझ सके और उसके दिल के किसी भी कोने में समा सके, इसी प्रयास से कथासागर अभिव्यक्ति भाग -1 में अपने विचारों को कहानियों के रूप में आपको समर्पित करता हूं।

मनमोहन भाटिया
सी-19, पिंक सोसाइटी
सेक्टर-13, रोहिणी
दिल्ली-110085
फोन- +919810972975
manmohanbhatia@hotmail.com
http://manmohanbhatia.blogspot.com/


आत्म वृत्त


साहित्य की दुनिया से दूर वित्त, कर और लेखा के क्षेत्र में लगभग 28 वर्ष रहने पर कलम अचानक हाथ में स्वयं आ गई। अपने विचारों को लिखने के लिए कहानियों का रूप दिया।

बी. कॉम., ऑनर्स, हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से 1977 में और एल. एल. बी., कैम्पस लॉ सेन्टर, दिल्ली विश्वविद्यालय से 1980 में शैक्षिक योग्यता प्राप्त करने के बाद व्यवसाय से जुडने, अकाउन्टस, टैक्स और फाईनेंस के विभिन्न पदों पर कार्य करते हुए उच्चतम पद फाईनांस कन्ट्रोलर के पद पर कार्यरत रहा। अभी भी टैक्स के क्षेत्र से जुडने के बावजूद लेखन को जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अभी तक जारी है। लेखन समाचारपत्रों में समायिक विषयों पर पत्र लिखने से आरम्भ हुआ। यह सिलसिला 1998 से आरम्भ होकर अभी भी जारी है। हिन्दुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स, मेल टुडे, इंडिया टुडे, इकॉनमिक्स टाईम्स में पत्र छपने का सिलसिला जारी है। कहानियां का लेखन 2006 में दिल्ली प्रेस की कहानी 2006 प्रतियोगिता से आरम्भ होकर अभी तक जारी है। कहानी 'लाईसेंस' को द्वितीय पुरस्कार मिला। कहानी 'शिक्षा' अभिव्यक्ति कथा महोत्सव – 2008 में पुरस्कृत हुई। कहानियां सरिता, अभिव्यक्ति, नवभारत टाइम्स, अरगला और हिंदीनेस्ट में प्रकाशित हैं।

मनमोहन भाटिया
2 मार्च 2010

(शीर्ष पर वापस)

सार-संक्षेप

निर्दोष आर्थिक तंगी के कारण बेटी का विवाह करीबी रिश्तेदारों के दबाव में कर दिया। बेटी भी अपनी इच्छा व्यक्त नही कर सकी। विवाह के बाद लडकी के घर से भागने पर हमारा कानून निर्दोष ससुराल को दोषी मानता है। जो उचित नही है।(पूरी कहानी यहाँ है)


बडी दादी – दो पीढी के तकरार में हमेशा बच्चों को ही दोषी माना जाता है। बूडों की हठ को अनदेखा कर दिया जाता है। (पूरी कहानी यहाँ है)


शिक्षा – आप अपने घर में काम करने वालों के बच्चों को देखिये, कितने शिक्षा ग्रहण कर पाते हैं। दूरदराज के क्षेत्रों में हालात इससे भी अधिक खराब हैं। अपने बलबूते पर ही शिक्षा प्राप्त होती है, सरकार आज भी उदासीन है। (पूरी कहानी यहाँ है)


ब्लू टरबन – युद्ध या फिर आंतकवाद के शिकार विस्थापितों की दशा को दिखाना मेरा ध्येय रहा है।(पूरी कहानी यहाँ है)


अखबारवाला – जिसे जो नौकरी चाहिए, वो किसी और को मिलती है। हालात से समझोता करते युवक की कहानी है।(पूरी कहानी यहाँ है)


हवा पूरी है – हमारे समाज की सबसे बडी कुरीति है, विवाह पर खर्च और झूठा दिखावा। आर्थिक तंगी के बावजूद आनन्द का सिर्फ एक ही लक्ष्य है, विवाह का धूमधाम से संपन्न करना।(पूरी कहानी यहाँ है)


क्रिकेट मैच – 2007 के क्रिकेट विश्वकप के पहले दौर से भारतीय टीम के हारने के बाद एक आम व्यक्ति की मनोदशा। कहानी का उद्देश क्रिकेट पर सट्टेबाजी की बुरी आदत को उजागर करना भी है।(पूरी कहानी यहाँ है)

(शीर्ष पर वापस)
 

 

मुखपृष्ठ | उपन्यास | कहानी | कविता | नाटक | आलोचना | विविध | भक्ति काल | हिंदुस्तानी की परंपरा | विभाजन की कहानियाँ | अनुवाद | ई-पुस्तकें | छवि संग्रह | हमारे रचनाकार | हिंदी अभिलेख | खोज | संपर्क

Copyright 2009 Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya, Wardha. All Rights Reserved.