सामान की आखिरी खेप जा चुकी थी। किराएदार, क्रेपबैंड हैटवाला जवान
आदमी, खाली कमरों में अंतिम बार पक्का करने के लिए घूमता है कि
कहीं पीछे कुछ छूट तो नहीं गया। कुछ नहीं भूला, कुछ भी नहीं। वह
बाहर सामने हॉल में गया। पक्का निश्चय करते हुए कि इन कमरों में जो
कुछ भी उसके साथ हुआ वह उसे कभी याद नहीं करेगा। और अचानक उसकी नजर
कागज के अधपन्ने पर पड़ी, जो पता नहीं कैसे दीवाल और टेलीफोन के बीच
फ़ँसा रह गया था। कागज पर लिखावट थी। जाहिर है एक से ज्यादा लोगों
की। कुछ प्रविष्टियाँ पेन और स्याही से बड़ी स्पष्ट थीं, जबकि बाकी
दूसरी लेड पेंसिल से घसीटी हुई। यहाँ-वहाँ लाल पेंसिल का भी प्रयोग
हुआ था। दो साल में उसके साथ इस घर में जो कुछ भी हुआ था, यह उन
सबका रिकॉर्ड था। सारी चीजें, जिन्हें भूल जाने का उसने मन बनाया
था, लिखी हुई थीं। कागज के एक पुर्जे पर यह एक मनुष्य के जीवन का
एक कतरा था।
उसने उस पेपर को निकाला; यह स्क्रिबलिंग पेपर का एक टुकड़ा
था। पीला और सूरज की तरह चमकता हुआ। उसने उसे ड्राइंग रूम के
कार्निश पर रख दिया और उस पर आँखें गड़ा दीं। लिस्ट के शीर्ष पर एक
औरत का नाम था : ‘एलिस’। संसार में सबसे सुंदर नाम, जैसा उसे तब
लगा था। क्योंकि यह उसकी मँगेतर का नाम था। नाम के बाद एक नंबर था
: ‘1511’। लगता है यह बाइबिल के एक स्त्रोत का नंबर था, स्त्रोत
बोर्ड पर। उसके नीचे लिखा था, ‘बैंक’। जहाँ उसका काम था, उसका
पवित्र काम – जिसके द्वारा ही उसका मकान, उसकी रोटी और पत्नी, सब –
उसके जीवन का आधार। परंतु शब्द पेन से कटा था। क्योंकि बैंक फेल हो
गया था। हालाँकि उसने बाद में दूसरा काम पा लिया था। परंतु
दुश्चिंता और बेचैनी के एक छोटे-से अंतराल के बाद।
अगली प्रविष्टि थी: ‘फूलों की दुकान और घोड़ों आदि का
खर्च’। ये उसकी सगाई से संबंधित थे। जब उसकी जेबों में भरपूर पैसे
थे।
तब आया, ‘फर्नीचर डीलर और पेपर हैंगर’। उसका घर सजाया जा
रहा था। ‘फॉरवर्डिंग एजेंट’ – वे प्रवेश कर रहे थे। ‘ऑपेरा-हाउस का
बॉक्स-ऑफ़िस, नंबर 50-50’ – उनकी नई-नई शादी हुई थी। इतवार की शामों
को वे ऑपेरा जाते। उनके जीवन के खूब खुशी के दिन। जब वे शांत
चुपचाप बैठते। उनकी आत्मा परी देश के सौंदर्य और लय में परदे के
पीछे मिलती।
उसके पश्चात एक आदमी का नाम था, काटा हुआ। वह एक दोस्त
हुआ करता था। उसकी जवानी का। एक आदमी जो सामाजिक तराजू पर बहुत
ऊँचा चढ़ा, लेकिन गिरा। सफलता के मद में, सफलता से बिगड़ कर, गहन
गर्त में। और फिर उसे देश छोड़ना पड़ा।
सौभाग्य इतना अस्थिर था!
अब, पति-पत्नी के जीवन में कुछ नया आया। अगली प्रविष्टि
एक स्त्री की लिखावट में थी : नर्स। कौन-सी नर्स? हाँ, वही बड़े
लबादे और सहानुभूतिपूर्ण चेहरेवाली। जो कभी ड्राइंग रूम से हो कर
नहीं जाती बल्कि दालान से सीधे बेड रूम में जाती।
उसके नीचे लिखा था, डॉ. एल।
और अब, लिस्ट पर पहली बार कोई रिश्तेदार आया : ‘ममा’। यह
उसकी सास थी। जो उनकी नई-नवेली खुशी को भंग न करने के लिए अब तक
जानबूझ कर दूर थी। लेकिन अब उसकी जरूरत थी। वह आ कर खुश थी।
बहुत सारी प्रविष्टियाँ लाल और नीली पेंसिल से थीं: ‘नौकर
रजिस्ट्री ऑफिस’ – नौकरानी छोड़ गई थी और एक नई को लगाना है।
‘केमिस्ट’ – हा! जीवन में कालिमा आ गई थी। डेयरी मिल्क का ऑर्डर
दिया गया – ‘स्टेरेलाइज्ड दूध’!
‘कस्साई, किराना आदि।’ घर के काम टेलीफोन से हो रहे थे;
मतलब मालकिन अपनी पोस्ट पर नहीं थी। नहीं, वह नहीं थी। वह लेटी हुई
थी।
आगे क्या लिखा था वह पढ़ नहीं पाया। क्योंकि उसकी आँखों के
आगे अँधेरा छा गया; वह नमकीन पानी में से देखता हुआ एक डूबता हुआ
आदमी था। फिर भी, वहाँ लिखा था, बहुत साफ़ : ‘अंडरटेकर – एक बड़ा
ताबूत और एक छोटा ताबूत।’ और ‘धूल’ शब्द पद कोष्ठक में जुड़ा हुआ
था।
पूरे रेकॉर्ड का यह अंतिम शब्द था ‘धूल’। धूल के साथ वह
समाप्त हुआ! और ठीक-ठीक यही होता है जिंदगी में।
उसने पीला कागज लिया, उसे चूमा। कायदे से तहाया और अपनी
पॉकेट में रख लिया।
दो मिनट में वह अपनी जिंदगी के दो वर्ष फिर से जी गया।
परंतु जब उसने घर छोड़ा वह हारा हुआ नहीं था। इसके विपरीत,
एक प्रसन्न और गर्वित आदमी की तरह वह अपना सिर ऊँचा किए हुए था।
क्योंकि वह जानता था कि जीवन की सर्वोत्तम चीजें उसे मिली थीं और
उसे उन सब पर दया आई जिन्हें वे नहीं मिली थीं।
स्वीडिश कहानी का अंग्रेजी (अनुवादक : एली सुस्नर) से अनुवाद :
विजय शर्मा