18.
एक
नार
कुँए
में
रहे,
वाका
नीर
खेत
में
बहे।
जो
कोई
वाके
नीर
को
चाखे,
फिर
जीवन
की
आस
न
राखे।।
उत्तर
– तलवार
19.
एक
जानवर
रंग
रंगीला,
बिना
मारे
वह
रोवे।
उस
के
सिर
पर
तीन
तिलाके,
बिन
बताए
सोवे।।
उत्तर
- मोर।
20.
चाम
मांस
वाके
नहीं
नेक,
हाड़
मास
में
वाके
छेद।
मोहि
अचंभो
आवत
ऐसे,
वामे
जीव
बसत
है
कैसे।।
उत्तर
- पिंजड़ा।
(शीर्ष पर
वापस)
21.
स्याम
बरन
की
है
एक
नारी,
माथे
ऊपर
लागै
प्यारी।
जो
मानुस
इस
अरथ
को
खोले,
कुत्ते
की
वह
बोली
बोले।।
उत्तर
- भौं
(भौंए
आँख
के
ऊपर
होती
हैं।)
22.
एक
गुनी
ने
यह
गुन
कीना,
हरियल
पिंजरे
में
दे
दीना।
देखा
जादूगर
का
हाल,
डाले
हरा
निकाले
लाल।
उत्तर
- पान।
23.
एक
थाल
मोतियों
से
भरा,
सबके
सर
पर
औंधा
धरा।
चारों
ओर
वह
थाली
फिरे,
मोती
उससे
एक
न
गिरे।
उत्तर
– आसमान
24.
गोल
मटोल
और
छोटा-मोटा,
हर
दम
वह
तो
जमीं
पर
लोटा।
खुसरो
कहे
नहीं
है
झूठा,
जो
न
बूझे
अकिल
का
खोटा।।
उत्तर
- लोटा।
25.
श्याम
बरन
और
दाँत
अनेक,
लचकत
जैसे
नारी।
दोनों
हाथ
से
खुसरो
खींचे
और
कहे
तू
आ
री।।
उत्तर
- आरी।
(शीर्ष पर
वापस)
26.
हाड़
की
देही
उज्
रंग,
लिपटा
रहे
नारी
के
संग।
चोरी
की
ना
खून
किया
वाका
सर
क्यों
काट
लिया।
उत्तर
- नाखून।
26.
बाला
था
जब
सबको
भाया,
बड़ा
हुआ
कुछ
काम
न
आया।
खुसरो
कह
दिया
उसका
नाव,
अर्थ
करो
नहीं
छोड़ो
गाँव।।
उत्तर
- दिया।
27.
नारी
से
तू
नर
भई
और
श्याम
बरन
भई
सोय।
गली-गली
कूकत
फिरे
कोइलो-कोइलो
लोय।।
उत्तर
- कोयल।
28.
एक
नार
तरवर
से
उतरी,
सर
पर
वाके
पांव
ऐसी
नार
कुनार
को,
मैं
ना
देखन
जाँव।।
उत्तर
- मैंना।
29.
सावन
भादों
बहुत
चलत
है
माघ
पूस
में
थोरी।
अमीर
खुसरो
यूँ
कहें
तू
बुझ
पहेली
मोरी।।
उत्तर
- मोरी
(नाली)
30.
तरवर
से
इक
तिरिया
उतरी
उसने
बहुत
रिझाया
बाप
का
उससे
नाम
जो
पूछा
आधा
नाम
बताया
आधा
नाम
पिता
पर
प्यारा
बूझ
पहेली
मोरी
अमीर
ख़ुसरो
यूँ
कहें
अपना
नाम
नबोली
(शीर्ष पर वापस)