दागिस्तान के कवि रसूल गमज़ातोव की कुछ कविताएँ, बलूच कवि मीर खान नासिर की कविता ‘दीवा’दागिस्तान के कवि रसूल गमज़ातोव की कुछ कविताएँ, बलूच कवि मीर खान नासिर की कविता ‘दीवा’
संपादन
:
पाकिस्तान टाइम्स तथा इमरोज (दोनों दैनिक), लैला-ओ-निहार (साप्ताहिक)। निर्वासन के दिनों में मॉस्को, लंदन और बेरुत से ‘लोटस’ का संपादन।
सम्मान
:
शांति पुरस्कार (पाकिस्तानी मानव अधिकार समाज), निगार पुरस्कार, निशान-ए-इम्तियाज, लेनिन शांति पुरस्कार (सोवियत संघ, 1963), नोबेल पुरस्कार के लिए नामित (1984)
निधन
:
20 नवंबर 1984
विशेष
:
फ़ैज अहमद फ़ैज का शुमार एशिया के महानतम कवियों में किया जाता है। वे विचारों से साम्यवादी थे और पाकिस्तान कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे। प्रगतिशील साहित्य आंदोलन के पुरोधाओं में एक, फ़ैज ने पंजाब में प्रगतिशील लेखक संगठन की शाखा (1936) स्थापित की। वे सूफी परंपरा से भी प्रभावित थे, जिसकी झलक उनकी गजलों और नज्मों में मिलती है। कुछ समय तक अध्यापन करने के बाद वे सेना में भर्ती हुए। 1947 में उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से इस्तीफा दिया और पाकिस्तान चले गए। अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ फ़ैज की शायरी हमेशा मुखरित होती रही, जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा और कई वर्षों तक निर्वासित जीवन बिताना पड़ा। फ़ैज अहमद फ़ैज की शायरी का अनुवाद हिंदी, रूसी, अंग्रेजी आदि कई भाषाओं में हो चुका है।