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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
(1911-1984)

कहाँ क्या है?

भाग-1 भाग-2 भाग-3 भाग-4
फ़ैज अहमद फ़ैज Faiz Ahmed Faiz
फ़ैज अहमद फ़ैज

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कविताएँ

जन्म

:

13 फरवरी 1911, सियालकोट, पंजाब (अब पाकिस्तान में)

भाषा : उर्दू, अंग्रेजी
विधाएँ : शायरी, वैचारिक लेख
प्रमुख कृतियाँ : नक्श-ए-फरियादी, दस्त-ए-सबा, जिंदांनामा, दस्त-ए-तहे-संग, मेरे दिल मेरे मुसाफिर, सर-ए-वादी-ए-सिना (उर्दू में); कल्चर एंड आइडेंटिटि: सेलेक्टेड इंग्लिश राइटिंग्स ऑव फ़ैज अहमद फ़ैज (अंग्रेजी में)
अनुवाद : दागिस्तान के कवि रसूल गमज़ातोव की कुछ कविताएँ, बलूच कवि मीर खान नासिर की कविता ‘दीवा’दागिस्तान के कवि रसूल गमज़ातोव की कुछ कविताएँ, बलूच कवि मीर खान नासिर की कविता ‘दीवा’

संपादन

:

पाकिस्तान टाइम्स तथा इमरोज (दोनों दैनिक), लैला-ओ-निहार (साप्ताहिक)। निर्वासन के दिनों में मॉस्को, लंदन और बेरुत से ‘लोटस’ का संपादन।

सम्मान

: शांति पुरस्कार (पाकिस्तानी मानव अधिकार समाज), निगार पुरस्कार, निशान-ए-इम्तियाज, लेनिन शांति पुरस्कार (सोवियत संघ, 1963), नोबेल पुरस्कार के लिए नामित (1984)

निधन

: 20 नवंबर 1984

विशेष

:

फ़ैज अहमद फ़ैज का शुमार एशिया के महानतम कवियों में किया जाता है। वे विचारों से साम्यवादी थे और पाकिस्तान कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े रहे। प्रगतिशील साहित्य आंदोलन के पुरोधाओं में एक, फ़ैज ने पंजाब में प्रगतिशील लेखक संगठन की शाखा (1936) स्थापित की। वे सूफी परंपरा से भी प्रभावित थे, जिसकी झलक उनकी गजलों और नज्मों में मिलती है। कुछ समय तक अध्यापन करने के बाद वे सेना में भर्ती हुए। 1947 में उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से इस्तीफा दिया और पाकिस्तान चले गए। अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ फ़ैज की शायरी हमेशा मुखरित होती रही, जिसके लिए उन्हें जेल जाना पड़ा और कई वर्षों तक निर्वासित जीवन बिताना पड़ा। फ़ैज अहमद फ़ैज की शायरी का अनुवाद हिंदी, रूसी, अंग्रेजी आदि कई भाषाओं में हो चुका है।

(1)

1. मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न माँग
2. रंग है दिल का मेरे
3. अब कहाँ रस्म घर लुटाने की
4. अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सबकी ज़ुबाँ ठहरी है
5. तेरी सूरत जो दिलनशीं की है

6. खुर्शीदे-महशर की लौ
7. ढाका से वापसी पर
8. तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
9. निसार मैं तेरी गलियों के अए वतन, कि जहाँ
10. आज बाज़ार में पा-ब-जौलाँ चलो

11. रक़ीब से
12. तेरे ग़म को जाँ की तलाश थी तेरे जाँ-निसार चले गये
13. बहार आई
14. नौहा
15. तेरी उम्मीद तेरा इंतज़ार जब से है

16. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
17. जब तेरी समन्दर आँखों में
18. आप की याद आती रही रात भर (मख़दूम* की याद में)
19. चश्मे-मयगूँ ज़रा इधर कर दे
20. चलो फिर से मुस्कुराएं (गीत)

21. चंद रोज़ और मेरी जान फ़क़त चंद ही रोज़
22. ये शहर उदास इतना ज़ियादा तो नहीं था
23. गुलों में रंग भरे, बादे-नौबहार चले

(2)

24. गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़्ज़ारा का असर तो देखो
25. गरानी-ए-शबे-हिज़्रां दुचंद क्या करते
26. मेरे दिल ये तो फ़क़त एक घड़ी है
27. ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि सोगवार हो तू
28. मेरी तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं

29. कोई आशिक़ किसी महबूब से
30. तुम आये हो न शबे-इन्तज़ार गुज़री है
31. तुम जो पल को ठहर जाओ तो ये लम्हें भी
32. तुम मेरे पास रहो
33. चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
34. दश्ते-तन्हाई में ऐ जाने-जहाँ लरज़ा हैं

35. दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं
36. मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर
37. आइये हाथ उठायें हम भी
38. दोनों जहान तेरी मोहब्बत मे हार के
39. नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू ही सही
40. न गँवाओ नावके-नीमकश, दिले-रेज़ा रेज़ा गँवा दिया

41. फ़िक्रे-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूं या न करूं
42. नज़्रे ग़ालिब
43. नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं
44. तनहाई
45. फिर लौटा है ख़ुरशीदे-जहांताब सफ़र से
46. फिर हरीफ़े-बहार हो बैठे

(3) (4)
47. बहुत मिला न मिला ज़िन्दगी से ग़म क्या है
48. बात बस से निकल चली है
49. बेदम हुए बीमार दवा क्यों नही देते
50. इन्तिसाब
51. सोचने दो

52. मुलाक़ात
53. पास रहो
54. मौज़ू-ए-सुख़न1
55. बोल.........
56. हम लोग

57. क्या करें
58. यह फ़स्ल उमीदों की हमदम1
59. शीशों का मसीहा1 कोई नहीं
60. सुबहे आज़ादी
61. ईरानी तुलबा के नाम
62. सरे वादिये सीना

63. फ़िलिस्तीनी बच्चे के लिए लोरी
64. तिपबं बवउम ठंबा
65. हम जो तारीक राहों में मारे गए
66. एक मन्जर

67. ज़िन्दां की एक शाम
68. ऐ रोशनियों के शहर
69. यहाँ से शहर को देखो
70. मन्ज़र
71. एक शहरे-आशोब1 का आग़ाज़2
72. बेज़ार फ़ज़ा दरपये आज़ार सबा है
73. सरोद
74. वासोख़्त1

75. शहर में चाके गिरेबाँ हुए नापैद अबके
76. हर सम्त परीशाँ तेरी आमद के क़रीने
77. रंग पैराहन का, ख़ुश्बू जुल्फ़ लहराने का नाम
78. यह मौसमे गुल गर चे तरबख़ेज़ बहुत है
79. क़र्ज़े-निगाहे-यार अदा कर चुके हैं हम

80. वफ़ाये वादा नहीं, वादये दिगर भी नहीं
81. शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारये शाम
82. कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हाथ में तेरा हाथ नहीं
83. जमेगी कैसे बिसाते याराँ कि शीश-ओ-जाम बुझ गये हैं
84. हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है

85. जैसे हम-बज़्म हैं फिर यारे-तरहदार से हम
86. हम मुसाफ़िर युँही मस्रूफ़े सफ़र जाएँगे
87. मेरे दर्द को जो ज़बॉं मिले
88. हज़र करो मेरे तन से

89. दिले मन मुसाफ़िरे मन
90. जिस रोज़ क़ज़ा आएगी
91. ख़्वाब बसेरा
92. ख़त्म हुई बारिशे संग

 

 

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