hindisamay head


अ+ अ-

कविता

हवाएँ करती हैं बातें

नीरजा हेमेंद्र


हवाएँ करती हैं बातें
शीत की, तपिश की
उन आँधियों की
जिनसे होते हैं धूल धूसरित
कुछेक तिनकों से बने मकाँ
हवाएँ करतीं हैं बातें
वृक्षों से, पत्तों से
ग्रामीण बाला की
जिसका हरा आँचल
उड़ता है सरसों के खेतों में
जो दौड़ती है अबाध पगडंडियों पर
वसंत ऋतु में
हवाएँ करतीं हैं बातें
रंगीन पंखों वाली फाख्ता से
पतझड़ में गिरते सूखे पत्तों की
छत पर एकांत में बैठी गौरैया की
हवाएँ करतीं हैं बातें
नदियों से
बनती-टूटती लहरों की
सुनहरी मछलियों की, रेतीले तट की
मछुआरे के जाल की।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में नीरजा हेमेंद्र की रचनाएँ