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उपन्यास

प्रेम की भूतकथा

विभूति नारायण राय

अनुक्रम हम जिन्हें बरसों से जानते हैं उन्हें कितना जानते हैं पीछे     आगे

"हर सम्बन्ध की अपनी भाषा होती है। यह भाषा हमें कहीं से मिलती नहीं है... हम इसे स्वयं विकसित करते हैं। सम्बन्ध के साथ यह खुद-ब-खुद विकसित होती जाती है। तुम्हें नहीं लगता कि पिछले तीन महीनों में हमने भी एक भाषा हासिल की है। शब्दकोशों से परे है यह भाषा। इसके शब्दों के वही अर्थ नहीं हैं जो डिक्शनरी में मिलते हैं। कुछ के पास तो सिर्फ ध्वनियाँ हैं, अर्थ हैं ही नहीं। कल उस लम्बे-चौड़े छतनार हार्स चेस्टनट के दरख्त के नीचे जब तुम पिघल रही थी तब अचानक मेरी गर्दन में नाखून गड़ा कर तुम क्या चीखी थी याद है तुम्हें? मेरी स्मृतियों में टँक गयी है वह अस्फुट, पर तेज ध्वनि। नीचे जमीन पर पतझड़ था और हमारे शरीरों में वसंत फूट रहा था। शायद हम साथ ही स्खलित हुए और तभी तुम्हारे मुँह से वह ध्वनि फूटी जिसने कल के संभोग को मेरे अनुभव संसार की सबसे अद्भुत वस्तु बना दिया। मैं देख रहा हूँ कि तुम हँस रही हो पर तुम्हें वही ध्वनि फिर पैदा करनी होगी... अगली बार... बार-बार।

हाँ... इस बार भी मैं कोई नाम नहीं तलाश पाया। फिर कोशिश करूँगा। मुझे लगता है कि अचानक ही कोई सम्बोधन सूझेगा। यह भाषा के लिहाज से असाधारण नहीं होगा पर होगा हमारा नितांत अपना। एक ऐसा सम्बोधन जिससे सिर्फ मैं तुम्हें पुकारूँगा, जिसका इस्तेमाल न मेरे पहले किसी ने तुम्हारे लिए किया होगा, न बाद में कोई करेगा।

ढेर सारा प्रेम...

एलन"

"तुमने एक बार कहा था कि कई बार अनुपस्थिति से हम अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं, कहीं इसीलिए तो यह खामोशी नहीं? चार दिन... पूरे चार दिन हो गये तुमने कुछ नहीं लिखा। मिलने की तो बात ही सोचना बेकार है... ।

एलन"

"अगर आज भी तुम्हारा खत नहीं मिला होता तब भी मैं लिखता ही। तुम रूठकर मुझसे पाँच दिन दूर रह सकती हो पर मैं बिना लिखे कैसे रह सकता हूँ? फर्क सिर्फ इतना पड़ा है कि आज खत लिखने का एक अतिरिक्त कारण है। आज मैंने तुम्हारे लिए एक नाम भी तय कर लिया है। बूझना तुम्हें पड़ेगा। इतना इशारा दे सकता हूँ कि पहली बार यह मेरे मुँह से तब निकला था जब पूरे चाँद की दूधिया धवल रात तुम हार्स चेस्टनट के पेड के नीचे पहली बार पूरी तरह से निर्वस्त्र हुई थी। मैंने तुम्हें दो-तीन सम्बोधनों से पुकारा था। एक पर तुम खिलखिला कर हँसी थी। याद है तुम्हें वह सम्बोधन! याद करो, मैं नहीं बताऊँगा। लिखना फौरन। अगर तुम्हें याद है तो उसी से पुकारूँगा मैं तुम्हें।

एलन"

इस तरह के आठ खत थे जो रिप्ले बीन के भूत ने मुझे दिये थे। दिक्कत यह थी कि इन खतों का दूसरा पक्ष खतों के इस बंडल में नहीं था। बाद में मिलने पर मैंने भूत से कई बार इसरार भी किया कि वह मुझे एलन की प्रेमिका के खत भी उपलब्ध कराये पर हर बार वह टाल जाता। उसका कहना था कि प्रेमिका के खत एलन के पास थे और पकड़े जाने के बाद जब देहरादून के कोतवाल और उसकी टीम उसे देहरादून से मसूरी वापस ला रही थी तब रास्ते में एक जगह एलन ने उनसे शौच की इच्छा जाहिर की और वे उसे जिस झरने के पास इसके लिए ले गये उसी में धीरे से सब की आँखें बचाकर उसने खत बहा दिये थे।

भूत की इस दलील से मैं कभी आश्वस्त नहीं हुआ। भूत के लिए मुश्किल क्या है? वह चाहता तो एलन की प्रेमिका के खत भी मेरे लिए उपलब्ध करा ही सकता था। पृथ्वी, आकाश, पाताल - हर जगह तो उसकी रसाई है। अगर पानी में बहे उसके खतों के अक्षर मिट भी गये हों तो क्या वह उन्हें पुनः नहीं लिख सकता या अगर कागज लुगदी बन कर नदी के पेट में या उसके किनारे उगी किसी वनस्पति में समा भी गये हों तब भी तो एक भूत के लिए हमेशा यह संभव है कि वह मिट्टी का अंग बन चुके उन अवशेषों को वापस उसी तरह के रूलदार हस्तनिर्मित कागजों में तब्दील कर दे जिन पर एलन की प्रेमिका ने उसे पत्र लिखे थे और जिनके ऊपर लिखे एलन के आठ खत मुझे भूत ने उपलब्ध कराये थे। सत्तर-अस्सी साल बाद चौकोर मुड़े इन कागजों को खोलने और पढ़कर वापस तह करने पर यह डर तो जरूर लगता था कि वे किसी सूखे पत्ते की तरह टूट जायेंगे, लेकिन उनकी चमक पूरी तरह से फीकी नहीं पड़ी थी और निब की काली स्याही में डुबोकर लिखे लगभग बेडौल और खुरदुरे उनके अक्षर, अभी भी धुँधलाये नहीं थे।

भूत से असंतुष्ट होकर आप कर भी क्या सकते हैं? अगर वह कुछ नहीं देना चाहेगा तो फिर नहीं देगा। मन मार कर मैंने मान लिया कि भूत मुझे एलन की प्रेमिका के खत उपलब्ध नहीं करायेगा।

मैंने एलन के पत्रों से उस मजमून को भाँपने की कोशिश की जो प्रेमिका ने किसी खत को मिलने से पहले या बाद में लिखा होगा। काफी हद तक गालिब वाला मामला था। फर्क सिर्फ इतना था कि गालिब लिफाफा देखकर खत का मजमून भाँपने की कोशिश करते थे पर यहाँ भूत मेरी मदद करने के लिए मौजूद था। उसने प्रेमिका के खत मुझे भले न दिये हों पर एलन के खतों को पढ़कर दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया समझने या खत लिखने के पीछे की पृष्ठभूमि समझने में भरपूर मदद की।

"छुटकू !

तूने ठीक पहचाना। फर्क सिर्फ इतना है कि मैंने उस रात हार्स चेस्टनट के पेड़ के नीचे तुझे छुटकू नहीं, छुटकी कहा था। तेरे लिए कई संबोधन मैंने होठों से दुहराये और अलग-अलग अंदाज से दुहराता चला गया। यही संबोधन सबसे अच्छा लगा। थोड़ी देर बाद मैंने पाया कि छुटकी की जगह मेरे मुँह से छुटकू निकल रहा है। शायद बचपन की कोई स्मृति हो। बहरहाल आज से मैं तुझे सिर्फ छुटकू कहूँगा। आज रात जब तू हार्स चेस्टनट के नीचे खड़ी होकर मुझे ढूँढ़ रही होगी तब अपने कान खुले रखना... । कहीं से हौले-हौले कोई पुकारेगा... छुटकू... छुटकू।

तेरा -

एलन"

लिखे गये पत्रों को तारीखवार क्रम से रखने पर यह पहला पत्र था जिस पर सम्बोधन पड़ा था। इसके पहले वाले तीनों पत्रों पर संबोधन नहीं थे। ध्यान से देखने पर ही पता चलता था कि किसी ने उनके ऊपर का सम्बोधन खुरच डाला था। जाहिर है कि पत्र पाने वाले ने ही ऐसा किया था। पर क्यों किया होगा? ऐसा क्यों नहीं चाहती थी वह कि उसका नाम किसी को पता चले। बहुत पूछने पर भी भूत नहीं बता सका।

इस भूत ने मुझे कुछ हद तक निराश किया था। मेरा यह विश्वास टूट रहा था कि भूत सब कुछ जानते हैं और अगर मैं यह मान लूँ कि यह भूत भी सब कुछ जानता था तो यह विश्वास टूट जाता कि भूत इतने भले होते हैं कि एक बार दोस्ती हो जाने पर कुछ नहीं छिपाते।

बहरहाल कुछ किया नहीं जा सकता था। भूत जो कुछ कर रहा था वह भी कम नहीं था। कम से कम वह पत्रों के माध्यम से एक अदभुत प्रेम कथा से मेरा परिचय करा रहा था।

शुरुआती चारों खतों से एक सीधा-सादा लेकिन पहाड़ी नदियों जैसा उद्दाम प्रेम प्रसंग सामने खुल रहा था पर अचानक ऐसा लगा कि सामने कोई बड़ा शिला खण्ड आ गया हो और कल-कल करता जल उस पर पछाड़ खा कर गिरने लगा हो।

चौथे और पाँचवें खतों के बीच के कुछ पत्र गायब थे। अगला खत, जो दो महीने बाद की तारीख का लिखा हुआ था, इस बात की गवाही दे रहा था कि इन साठ दिनों में बहुत कुछ ऐसा घटा है जिसने दो प्रेमियों के बीच कुछ खिंचाव पैदा कर दिया था।

"छुटकू

हम जिन्हें बरसों से जानते हैं उन्हें कितना जानते हैं? साथ-साथ उठते, बैठते, सोते हैं पर कितना जान पाते हैं अपने साथी को? कई बार अचानक ऐसा नहीं लगता है क्या कि हमारे बगल में कोई नितांत अपरिचित शरीर लेटा हुआ है? गौर से देखने पर उसे पहचान पाना मुश्किल लगता है। तेरा सोचना सही है कि सिर्फ चार-पाँच महीने ही तो हुए हैं हमें मिलते। इतने में तू मुझे कितना जान पायी होगी या जो कुछ जान पायी है उसमें जानने जैसा कितना है।

छुटकू मेरी जान, मुझे सिर्फ यह कहना है जितना कुछ हम एक-दूसरे के बारे में जान पाये हैं वही काफी है। एक साथ गुजारा लम्बा समय इस बात की गारंटी नहीं होता कि दो प्राणी एक- दूसरे को अच्छी तरह से जानने लगे हों।

और एक पल का साथ भी हमें कितना परिचित कर देता है। इसलिए अब इस उहापोह से निकल और उस तरह के खत मत लिख जो तूने पिछले दिनों लिखे हैं और अच्छे बच्चे की तरह आज हार्स चेस्टनट के नीचे आ जा - मेरी बाँहों में समाने के लिए।

आज मैं तुझे एक अद्भुत पहाड़ी गीत सुनाऊँगा जो मुझे मेरी पलटन के पहाड़ी साईस ने सुनाया है। मुझे लगता है यह गीत तेरे लिए लिखा गया है। तू जानती है मेरी पहाड़ी कितनी खराब है। तुझे मेरे लिए इसका अंग्रेजी अनुवाद करना होगा।

एलन"

"डियरेस्ट वन,

आज मुँह अँधेरे उठ गया। बैरक की खिड़कियाँ खुलीं थीं और बाहर की नीम ठंडी हवा दबे पाँव अंदर प्रवेश कर रहीं थीं। लेटे-लेटे मैंने बादलों से अठखेलियाँ करते चाँद और तारों की स्थिति देखी। पी.टी. के लिए उठने से पहले एक नींद ली जा सकती थी। मैंने सोने की कोशिश की। आधा सोते आधा जगने की स्थिति में कई तरह के खौफ मेरे ऊपर तारी हो गये।

मुझे लगा कि अचानक एक दिन तू मुझसे मिलना बंद कर देगी। जाहिर है कि दुनिया उसी दिन खत्म नहीं हो जाएगी लेकिन निश्चित है कि दुनिया पहले जैसी भी नहीं रह पायेगी।

मैं डरा कि एक दिन तू शरारतन यह कहना छोड़ देगी कि तू मुझे प्यार नहीं करती। शायद उस दिन तू सचमुच मुझे प्यार करना छोड़ देगी।

पता नहीं, ऐसा क्या हुआ होगा कि एक दिन तेरी आवाज सुनाई देगी और नहीं भी सुनाई देगी। जब सुनाई देगी तब मेरे अन्दर कुछ नहीं घटेगा।

इसी तरह के बहुत सारे डर जो पहली बार तुझसे मिलने जाते समय मुझे महसूस हुए थे। उस समय मैं डर रहा था कि तुझसे मिलते ही मैं बाँहें फैलाये तुझे उनमें समाने का अनुरोध करूँगा और तू दूर खड़ी मुझे बरजेगी। तेरी तरेरती आँखों की अवज्ञा करता हुआ मैं तुझे अपनी बाँहों में भर लूँगा। तू मेरे सीने पर मुक्के बरसायेगी और मैं तुझे चूम लूँगा। मैं कुछ ऐसा करूँगा जो तुझे नाराज करेगा, लेकिन जब बाद में हम हार्स चेस्टनट के नीचे धरती पर फैली हरी घास पर बैठेंगे और बतियाएँगे और हँसेंगे तब तू धीरे से बिना कहे कह देगी कि तुझे सबकुछ बहुत अच्छा लगा।

इसी तरह के बहुत सारे डर। शायद ये डर इसलिए सता रहे थे कि छुट्टी पर जाने का वक्त करीब आता जा रहा है। एक बार लैण्डोर छोड़ने के बाद कम से कम तीन महीने तुझे नहीं देख पाऊँगा। पर यह आखिरी छुट्टी होगी जो मैं अकेले काटूँगा।"

प्यार, प्यार और सिर्फ प्यार,

एलन"

"सी,

कल मैंने तुझे बहुत दुखी किया ।सॉरी... सॉरी... सॉरी... मुझे पता है कि तू कहेगी कि सॉरी से कुछ नहीं होता। मैं भी यही मानता हूँ कि सिर्फ सॉरी कहने से काम नहीं चलेगा। मैं कल जैसे ही कैम्प से खिसकने चला, रोलकाल का बिगुल बजने लगा। किसी ने कमाण्डेंट से शिकायत कर दी थी -- मेरी नहीं, दूसरे दो-तीन कमबख्त हैं जो पता नहीं कहाँ-कहाँ गायब हो जाते हैं रात भर, उनकी शिकायत थी। इस रोलकॉल के बाद इतनी देर हो गयी थी कि तेरे पास तक आना मुमकिन नहीं रह गया था। मुँह मत फुला। माफ कर दे।

एम"

इस खत के सम्बोधन सी को समझने में थोड़ी दिक्कत जरूर हुई पर यह समझ में आ ही गया कि "सी" छुटकू के लिए प्रयोग हो रहा है। अगले सारे खतों में सम्बोधन के लिए सी का इस्तेमाल हुआ। पर एलन एम कब बन गया और एम का मतलब क्या है?

"सी

आय लव यू... आय लव यू... आय लव यू... आय लव यू...

एम"

लगता है किसी शर्त के तहत लड़की ने चिढ़ाने के लिए एलन से कहा होगा कि क्या वह लिख कर दे सकता है कि वह उससे प्यार करता है और इस पर एलन ने यह खत भेजा था जिसमें पूरे कागज पर सिर्फ यही लिखा था - आय लव यू!


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