खो-खो का खेल...
कई खिलाड़ी
बैठे एक कतार में
जिस ओर एक का चेहरा
दूसरा उस ओर
पीठ दिए...
सब की अपनी-अपनी सीमाएँ
अपनी ही रेखाएँ...
जो बैठा है,
न जाने कौन उसे उठा
कब उसकी जगह से
"खो" कर देगा
और उसे उठकर
छोड़ देनी होगी अपनी जगह
उसके लिए...
कोई अब
इसे भी "खो" देगा।
हर खिलाड़ी की है
अपनी जगह,
जो उसे खाली कर देनी है
किसी और के लिए
जो उसे "खो" देगा...