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कविता

बातें छूटती नहीं...

राहुल कुमार ‘देवव्रत’


सोने जाओ
तो कमरे की बत्ती जरूर बंद कर लेना
कि कोई नियम तो नहीं
मेरी मानो... तो यह तुम्हारी दवा हो सके शायद

बाजार करते
कल एक टार्च ली है तुम्हारे लिए
गाहे बगाहे...
ये जो बीच रात उठ-उठ जाया करते हो अचानक
सिरहाने रखा करना... जरूरी है तुम्हारे लिए

तुम्हारे अवचेतन में बड़ी हलचल है
ये कुछ न कुछ का चलता रहना हमेशा ...सही नहीं
देखा है...
किसी दुःस्वप्न से डरकर भींजते तुम्हारा वदन
अचानक से उठना ...घबड़ाकर
और परेशान रहना देर तक

जिद्दी हो ...पता है मुझे
बातें छूटती नहीं तुमसे

कितनी बार कहा है मुझे जगा लिया करो
तुम्हारे सोते-जागते मैं साथ रहना चाहती हूँ... हमेशा
शांत रहते हो तुम मेरे होने भर से
और मुझे भी बहुत पसंद है तुम्हारे बेफिक्र माथे को चूमना

इन दिनों
लिजलिजी सी चीजें मुझे जगाए रखती हैं हरदम
अँधेरे में उग आए अक्श से
डरता रहता हूँ बच्चों की तरह

शायद तुम्हारा जाना घर कर गया है

स्वभाव है मेरा
बातें छूटती नहीं हैं मुझसे


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