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कविता

खूबसूरत घरों में

संध्या नवोदिता


खूबसूरत घर
बन जाते हैं खूबसूरत औरतों की कब्रगाह

खूबसूरत घरों में
उड़ेल दी जाती हैं खुशबुएँ
हज़ारों-हज़ार मृत इच्छाओं की बेचैन
गंध पर

करीने से सजे सामानों में
दफ़न हो जाती हैं तितलियाँ

सब कुछ चमकता है
खूबसूरत घरों में
औरतों की आँखों के अलाव से


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हिंदी समय में संध्या नवोदिता की रचनाएँ