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कविता

अकेला आदमी

नरेंद्र जैन


फूलों के बागीचे उसकी कमजोरी हैं
मद्धिम रोशनी सुनता है वह
रात-रात भर संगीत
नजर अराजक है उसकी
ढूँढ़ती है पत्थरों में चेहरे
होने को हो सकता है वह एक गुलाम
हालाँकि, मौजूद है उसमें
तानाशाह होने की सारी संभावनाएँ
लड़ सकता है निहत्था वह ईश्वर से
मौत से अपना पंजा मिला सकता है
राष्ट्रव्यापी शोक के अवसर पर
आपको रुला सकता है
बेरहमी से नोंच सकता है पंख परिंदों के
मुस्कराता हुआ
प्रेम में डूबा हुआ
बेरहमी से पीट सकता है औरत को चाबुक से वह
रंग उसकी कमजोरी है
दिमाग अराजक
बचा सकता है समुद्र में डूबते आदमी को
हालाँकि, हत्यारा होने की
सारी संभावनाएँ मौजूद हैं उसमें


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