सकुचाते हुए स्त्री ने कागज पर अँगूठा लगाया
सिसकते हुए बतलाया किसी तरह दिवंगत पति का नाम घटित हुआ यह प्रसंग 3 सितंबर 1993 को गोद में लिए बच्चा प्रविष्ट हुई अँधेरे समाज में वह
हिंदी समय में नरेंद्र जैन की रचनाएँ
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