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कविता

रीता की नवजात बेटी के लिए

यूनिस डी सूज़ा

अनुवाद - ममता जोशी


चमकदार नई पत्ती सी
जब सूरज उगे तो धीमी गति से
ताकि तुम अपनी नाजुक, कोमल काया की पंखुरियाँ
आसानी से खोल सको
तुम्हारे आँगन में हमेशा महके
पहली बारिश का सौंधापन
यह प्राचीन पत्थर की सीढ़ियाँ
शीतल रहे
आलों में भगवान हों
दीवारों पर पुराने तांबे का सजावटी सामान लगा हो
कानों में चील की कर्कश चीत्कार
कभी न सुनाई दे।


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