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कविता

'दि आर्ट ऑफ़ लूजिंग'

एलिज़ाबेथ बिशप

अनुवाद - पूजा तिवारी


एलिज़ाबेथ बिशप अमेरिकी कवयित्री और लघु कथा लेखिका थीं। वे 'लाइब्रेरी ऑफ़ कांग्रेस' की साहित्यिक सलाहकार भी रही थीं और उन्हें उनकी कविताओं के लिए 1956 में प्रतिष्ठित 'पुलित्जर पुरस्कार' से भी नवाज़ा गया था | प्रस्तुत हैं उनकी कुछ कविताओं का अनुवाद :

'दि आर्ट ऑफ़ लूजिंग' का हिंदी अनुवाद

खोने की कला
खोने की कला सीखना बहुत मुश्किल नहीं है
बहुत सी चीजें खो जाने जैसी लगती हैं
पर उनके खोने से बहुत नुकसान नहीं होता,
हर रोज कुछ न कुछ खो जाने दो
परेशानी को पी जाओ
दरवाजे की चाबी खो जाने की अकुलाहट में
बीते पलों को महसूस करो
खोने की कला सीखना बहुत मुश्किल नहीं है,
तब और अधिक भूलने, अधिक तेजी से भूलने का अभ्यास करो
स्थान और नाम और वे जगहें जहाँ तुम गए थे
इनको भूलने पर कोई बहुत बड़ी हानि नहीं होगी
मैंने अपनी माँ की घड़ी खो दी
और देखो अपनों को भी और अंतिम से पहले वाले तीन घर भी खो दिए
तभी कह रही हूँ
खोने की कला सीखना बहुत मुश्किल नहीं है।

मैंने दो शहर खोए, प्रियजनों को खो दिया
दो महादेश भी खो दिए, अपनों के साथ-साथ बहुत कुछ खोया
कुछ स्थान जो मेरे प्रिय थे,
दो नदियाँ और एक उपमहाद्वीप भी खो दिए
मैं उनको याद करती हूँ
लेकिन उनका खोना अब कोई बहुत बड़ी आपदा महसूस नहीं होता,
यहाँ तक कि तुम्हे खोना भी (हँसने की आवाज और प्रेम की मुद्रा के साथ)।

गोया मैं (तुमसे) प्रेम करती हूँ
फिर भी मैं मानती हूँ कि मुझे (तुमसे) झूठ नहीं बोलना चाहिए।
तुम्हे भूल जाने का साहस इस बात का प्रमाण है
कि खोने की कला सीखना कोई कठिन काम नहीं है।

हाँ ! यह हो सकता है कि शुरुआत में
यह किसी बड़ी आपदा या हानि की तरह दिखे पर
अब मैं यह निश्चयपूर्वक कह सकती हूँ कि
खोने की कला सीखना वास्तव में बहुत मुश्किल नहीं है।

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