जहाँ बिल्ली को खदेड़ता दिख जाएगा खरगोश वहीं अपना घर बनाऊँगा वहीं शीत वसंत लाऊँगा वहीं लगाऊँगा सेब, नारंगी संतरा वहीं कामधेनु पोसूँगा वहीं कवियो, बुलाऊँगा तुम्हें और काव्य पाठ कराऊँगा जहाँ बिल्ली भागती होगी और पीछे से खदेड़ता होगा खरगोश...
हिंदी समय में बद्रीनारायण की रचनाएँ