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कविता

ईश्वर

बसंत त्रिपाठी


ईश्वर है तो देर सबेर
कर्मकांड भी है

कर्मकांड है तो
फिर उसे पूरा कराने वाले
परजीवी भी

अब परजीवी तो
मेहनत करने से रहे
वे तो किसी का
खून चूस कर ही पलेंगे

परजीवी फिर शासन को
नए ढंग से परिभाषित करेंगे

प्रियवर, अब ठीक से सोचो और कहो
ईश्वर के बारे में
तुम्हारा क्या विचार है?

 


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