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कविता

वर्ष, लोग और राष्ट्र

वेलिमीर ख्लेब्निकोव

अनुवाद - वरयाम सिंह


वर्ष, लोग ओर राष्‍ट्र
दूरे चले जाते हैं सदा के लिए
जैसे बहता हुआ पानी।
प्रकृति के लचीले दर्पण में
तारे जाल हैं, और मछलियाँ - हम
और देवता - अंधकार में प्रेतात्‍माएँ।

 


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