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कविता

यह फागुनी हवा

फणीश्वरनाथ रेणु


यह फागुनी हवा
मेरे दर्द को दवा ले आई ... ई... ई...
मेरे दर्द की दवा!
आँगन बोले कागा
पिछवाड़े कूकती कोयलिया
मुझे दिल से दुआ देती आई
कारी कोयलिया - या - मेरे दर्द की दवा
लेके आई - ई - दर्द की दवा!
बन-बन, गुन-गुन
बोले भौंरा
मेरे अंग-अंग झनन
बोले मृदंग मन-मीठी मुरलिया! यह फागुनी ...!
मेरे दर्द की दवा ले के आई
कारी कोयलिया!
अग-जग अंगड़ाई ले कर जागा
भागा भय-भरम का भूत
दूत नूतन युग का आया
गाता गीत नित्य नया। यह फागुनी हवा ... ।


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