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कविता

विदाई

मारीना त्स्वेतायेवा

अनुवाद - वरयाम सिंह


जिस धीरज के साथ कूटी जाती है बजरी,
जिस धीरज के साथ किया जाता है मौत का इंतजार,
जिस धीरज के साथ पुरानी पड़ती है खबरें,
जिस धीरज के साथ पाला जाता है प्रतिशोध -
मैं करूँगी तुम्‍हारा इंतजार
जिस तरह इंतजार करती हैं महारानियाँ अपने प्रेमियों का
जिस धीरज के साथ इंतजार किया जाजा है तुकांतों का,
जिस धीरज के साथ चबाये जाते हैं दाँतों से हाथ,
मैं करूँगी तुम्‍हारा इंतजार जमीन पर नजरें गड़ाये,
दाँतों में होठ होंगे। पत्‍थर। दीवार।
जिस धीरज के साथ काटे जाते हैं सुख के दिन,
जिस धीरज के साथ हारों में गूँथे जाते हैं मनके।

स्‍लेज की चरमराहट.... दरवाजों की जवाबी चरमराहट,
तेज हवाओं की सरसराहट।
आ गया है वह शाही फरमान -
राजाओं और सामंतों को शासनच्‍युत करने का।
आओ, घर चलें :
अलौकिक -

लेकिन अपने।

 


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