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गँवारों को मिलते हैं सुख,
दुख मिलते हैं रहमदिलों को।
अरे, मुझे कुछ नहीं चाहिए
किसी का गम नहीं है मुझे।
तरस आता है कुछ अपने पर
तरस आता है बेघर कुत्तों पर।
यह सीधी-सी सड़क
मुझे लाई है मदिरालय तक।
राक्षसो! यह गाली-गलौच किसलिए?
कहो, मैं बेटा नहीं हूँ अपने देश का?
शराब की एक-एक घूँट के लिए
हममें से किसने गिरवी नहीं रखी पतलूनें?
देखता हूँ मटमैली खिड़की की तरफ
दिल में आग है और उदासी।
धूप में तपती सड़क
पड़ी है मेरे सामने।
सड़क पर खड़ा है एक लड़का बहती नाक लिये
हवा गरम है और खुश्क।
लड़का खुश है इतना
कि कुरेदे जा रहा है अपनी नाक।
कुरेदता चल, कुरेदता चल, प्यारे
घुसड़ दे भीतर पूरी उँगली,
पर इतने जोर से नहीं
कि घुस जाये तू ही भीतर।
मैं तैयार हूँ। डरपोक हैूँ।
देखो - यह रही बोतलों की फौज!
अपना दिल बंद करने के लिए
मैं इकट्ठा कर रहा हूँ ढक्कन।
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