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मूर्ख हृदय! बंद कर धड़कना
हम सबको धोखा दिया है किस्मत ने।
निर्धन सिर्फ सहानुभूति चाहते हैं,
धड़कना बंद कर, ओ मूर्ख हृदय!
शाहबलूत की पत्तियों पर
टपक रहा है चंद्रमा का पीला जादू,
मैं झुक रहा हूँ पर्दे के पीछे,
धड़कना बंद कर, ओ मूर्ख हृदय!
कभी-कभी हम सब बच्चे हो जाते हैं
अक्सर हँसते हैं, रो देते हैं
जीवन में खुशियाँ मिली
और गम भी मिले तरह-तरह के,
धड़कना बंद कर, ओ मूर्ख हृदय!
देखे हैं मैंने बहुत सारे देश,
सुख की तलाश रही मुझे हर जगह
जिस नियति की खोज थी
अब नहीं ढूँढूँगा मैं उसे,
धड़कना बंद कर, ओ मूर्ख हृदय!
पूरा धोखा तो नहीं दिया है जिंदगी ने
नई ताकत के नशे में झूमेंगे हम।
ओ हृदय! कुछ देर तू सो लेता
यहाँ, प्रिया की गोदी में।
पूरा धोखा तो नहीं दिया है जिंदगी ने।
संभव है हमें भी दिखेगी
हिमनद की तरह बहती नियति।
वह उसके प्रेम का उत्तर
देगी कोयल के गीतों से,
अब धड़कना बंद कर, ओ मूर्ख हृदय!
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