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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


ख़ उच्चारण की दृष्टि से यह कोमल तालव्य, अघोष संघर्षी है। अरबी-फ़ारसी से आगत शब्दों में इस वर्ण का प्रयोग किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में यह अभी तक सम्मिलित नहीं किया गया है।

ख1 हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह कोमल तालव्य, अघोष, महाप्राण स्पर्श है।

ख2 (सं.) [सं-पु.] 1. खगोल; आकाश; ब्रह्मांड; शून्य 2. विवर; छेद; बिल 3. खाली जगह 4. निकास 5. बिंदी 6. श्वाँसनलिका 7. नगर; क्षेत्र; पुर 8. ज्ञान; ज्ञानेंद्रिय।

खँखार [सं-पु.] 1. खर-खर की आवाज़ के साथ गले से बलगम निकालने की स्थिति 2. बलगम; खखार।

खँखारना [क्रि-अ.] 1. गले से खर-खर की ध्वनि के साथ थूक या बलगम निकालना 2. संकेत रूप में खाँसना।

खँगहा [वि.] 1. जिसके दाँत आगे को निकले हों (पशु); खंगैल; खाँगवाला। [सं-पु.] 1. गैंडा 2. जंगली सुअर।

खँगालना (सं.) [क्रि-स.] 1. साफ़ करना 2. बरतन या कपड़ों को साफ़ करने के लिए पानी में डुबोकर तेज़ी से हिलाना-डुलाना 3. ख़ाली करना 4. किसी बात की जानकारी के लिए की गई छानबीन 5. सब कुछ ले लेना; सफ़ाया करना।

खँगैल [वि.] 1. खाँग या लंबे दाँतों वाला जानवर जैसे- गैंडा, हाथी इत्यादि 2. खुरपका रोग से पीड़ित (पशु)।

खँचिया [सं-स्त्री.] 1. खाँची; छोटा खाँचा 2. शहतूत या अरहर की लचकदार टहनियों से बनाई गई टोकरी जो भूसा व घास इत्यादि रखने के काम आती है।

खँड़विला [सं-पु.] एक प्रकार का धान और उसका चावल।

खँभिया [सं-स्त्री.] 1. छोटे और पतले आकार का खंभा 2. मवेशी बाँधने का खूँटा।

खंख (सं.) [सं-पु.] 1. खाली और उजाड़ जगह 2. सूनसान इलाका 3. बदहाल व गरीब आदमी।

खंखणा (सं.) [सं-स्त्री.] घंटी या घुँघरू बजने की ध्वनि; खनखनाहट।

खंखर [वि.] 1. उजाड़ 2. वीरान 3. गरीब।

खंखोड़ना [क्रि-स.] किसी चीज़ को उलट-पुलटकर हिलाना; मिलाना।

खंग (सं.) [सं-पु.] 1. तलवार 2. गैंडा।

खंगनखार [सं-पु.] सज्जीखार बनाने में काम आने वाला एक पेड़।

खंगर [सं-पु.] 1. अत्यंत दुर्बल शरीर 2. ऐसी ईंटें या उनके टुकड़े जो पकाने पर सिकुड़कर चिपक गए हों; झाँवा। [वि.] 1. शुष्क 2. क्षीण।

खंगार [सं-पु.] 1. तलवार चलाने में माहिर बुंदेलखंड की एक योद्धा जाति 2. खंग चलाने वाला व्यक्ति 3. जनश्रुति है कि किसी ज़माने में खंगार नामक व्यक्ति ने किसी नवविवाहित दंपति की प्राणरक्षा की थी, जिसकी वीरता के कारण बाद में यह नाम एक जाति के रूप में स्वीकार कर लिया गया।

खंगालना [क्रि-स.] दे. खँगालना।

खंज (सं.) [सं-पु.] पैर और जाँघ में जकड़न पैदा कर देने वाला एक वात रोग। [वि.] 1. जो खंज रोग से पीड़ित हो 2. लँगड़ा या पंगु (व्यक्ति)।

खंजक (सं.) [वि.] 1. जो खंज रोग से पीड़ित हो 2. लँगड़ा।

खंजखेट (सं.) [सं-पु.] खंजन पक्षी के लिए संबोधन।

खंजड़ी [सं-स्त्री.] 1. डफ़ली के आकार का चमड़ा मढ़ा हुआ छोटा वाद्य जो लोक शैली के गायन में प्रयोग होता है 2. खंजरी; खँजरी।

खंजन (सं.) [सं-पु.] काले-मटमैले रंग की एक प्रसिद्ध चिड़िया जो बहुत चंचल होती है; खंडरिच; विशेष- चंचलता के कारण कवियों ने इसकी उपमा चंचल नेत्रों से दी है, जैसे- खंजन नयन।

खंजनक (सं.) [वि.] 1. खंज रोग से पीड़ित होकर लँगड़ाकर चलने वाला 2. लँगड़ा।

खंजन रति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खंजन की तरह का ऐसा संभोग जो छिपकर किया जाता हो 2. संन्यासियों का गुप्त मैथुन।

खंजना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दलदली जगह पर रहने वाली खंजन जैसी एक चिड़िया; खंजनिका 2. सरसों।

खंजनासन (सं.) [सं-पु.] तांत्रिक उपासना में लगाया जाने वाला एक आसन।

खंजनिका (सं.) [सं-स्त्री.] दलदली जगह पर रहने वाली खंजन जाति का एक पक्षी; खंजना।

ख़ंजर (अ.) [सं-पु.] 1. छोटी तलवार; कटार 2. छुरी।

ख़ंजरी (अ.) [सं-स्त्री.] दे. खंजड़ी

खंजरीट (सं.) [सं-पु.] 1. खंजन पक्षी के लिए प्रयुक्त शब्द 2. संगीत में एक ताल।

खंजा (सं.) [सं-स्त्री.] एक अर्धसम वर्णिक छंद जिसके विषम चरणों में तीस लघु और एक गुरु तथा सम चरणों में अट्ठाईस लघु और एक गुरु होता है।

खंड (सं.) [सं-पु.] 1. हिस्सा; छोटा टुकड़ा, जैसे- पत्थर के खंड 2. किसी संयुक्त वस्तु का कोई एक हिस्सा 3. कोई प्रदेश या प्रांत 4. किसी इमारत या भवन का कोई विशिष्ट भाग, जैसे- पुस्तकालय की इमारत दूसरे खंड में है।

खंडक (सं.) [वि.] 1. खंड या विभाजन करने वाला 2. खंडन करने वाला; काटने वाला।

खंडकंद (सं.) [सं-पु.] मीठा कंद; शकरकंद।

खंडकथा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनेक खंडों में विभाजित कथा 2. कथा का एक उपभेद 3. वर्तमान उपन्यासों का एक भेद जिसमें प्रत्येक खंड में अलग कथा होती है 4. प्राचीन भारतीय साहित्य में करुण रस या विरह-प्रधान कथा जिसमें ब्राह्मण या मंत्री नायक हुआ करता था।

खंडकालिक (सं.) [वि.] 1. पूरी अवधि में न होकर कम समय या उसके कुछ अंश में किया जाने वाला (काम) 2. जो थोड़े समय ही कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया हो।

खंडकाव्य (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी पद्यबद्ध रचना या प्रबंधकाव्य जिसमें महाकाव्य के समस्त लक्षणों का निर्वाह न किया गया हो, जैसे- मेघदूत 2. किसी महापुरुष या विशिष्ट व्यक्ति के जीवन पर आधारित कथात्मक पद्य रचना, जैसे- रश्मिरथी, हल्दीघाटी 3. लघु प्रबंधकाव्य।

खंडग्रहण (सं.) [सं-पु.] ऐसा ग्रहण जिसमें सूर्य और चंद्रमा के पूरे हिस्से पर पृथ्वी की छाया न पड़े।

खंडज (सं.) [सं-पु.] 1. कोल्हू में बड़े-बड़े ढेलों की शक्ल में बनने वाला गुड़ 2. खाँड़ या एक तरह की शक्कर 3. खंड से पैदा हुई चीज़।

खंडताल [सं-पु.] संगीत में रुक-रुककर लगाई जाने वाली एक ताल।

खंडधारा (सं.) [सं-स्त्री.] दो धारदार हिस्सों को जोड़कर बनाई गई कैंची; कतरनी।

खंडन (सं.) [सं-पु.] 1. विभाजन करने की क्रिया 2. खंड-खंड या टुकड़े-टुकड़े करना 3. तर्क से काटना 4. कार्य की सिद्धि में होने वाली बाधा।

खंडनकर्ता (सं.) [वि.] खंडन करने वाला।

खंडन-मंडन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी मत, विचार या तर्क आदि का विरोध अथवा समर्थन; तर्कों द्वारा किसी विचारधारा, बात आदि में उचित का समर्थन व अनुचित का विरोध 2. बहस; विवाद।

खंडनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मध्यकाल में राजाओं या ज़मींदारों से लिया जाने वाला कर 2. मालगुज़ारी की किस्त।

खंडनीय (सं.) [वि.] 1. जिसका खंडन किया जा सके 2. जिसे तर्क से काटा जा सके 3. कोई नियम या धारा जिसको अनेक उपनियमों में बाँटा जा सके।

खंडपरशु (सं.) [सं-पु.] 1. त्रिशूलधारी शिव के लिए प्रयुक्त शब्द 2. विष्णु 3. परशुराम 4. टूटे हुए दाँतों वाला हाथी।

खंडपाल (सं.) [सं-पु.] खाँड़ या शक्कर के पकवान, मिठाई आदि बनाने वाला हलवाई।

खंडपीठ (सं.) [सं-पु.] उच्च न्यायालय की शाखा; (बेंच)।

खंडपूरी [सं-स्त्री.] मेवा भरकर बनाई गई मीठी पूरी; खँडपूरी।

खंडप्रलय (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) ब्रह्मा का एक दिन अर्थात एक चतुर्युग बीत जाने पर होने वाला प्रलय 2. किसी प्रदेश या प्रांत में होने वाला विनाश।

खंडबरा [सं-पु.] 1. एक तरह का मीठा बड़ा; खँडबरा 2. मिसरी का लड्डू।

खंडर [सं-पु.] 1. खंडहर या किसी इमारत के भग्नावशेष 2. कतवारख़ाना या कूड़ा-करकट फेंकने की जगह 3. उजाड़।

खंडरना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को तोड़ना 2. खंड-खंड करने की क्रिया 3. बात काटना।

खंडरा (सं.) [सं-पु.] 1. मीठे स्वाद वाला बड़ा; खँडरा 2. बेसन से बना एक मीठा पकवान।

खंडरिच [सं-पु.] खंजन पक्षी।

खंडरु (सं.) [सं-पु.] 1. ज़मीन पर बिछाने की दरी 2. जाजिम।

खंडलवण (सं.) [सं-पु.] बड़े-बड़े टुकड़ों वाला काला नमक।

खंडला (सं.) [सं-पु.] किसी चीज़ का टुकड़ा; कतला।

खंडवानी [सं-स्त्री.] 1. बारातियों के पास मीठा शरबत और जलपान भेजने की एक रस्म 2. खांड घोलकर तैयार किया जाने वाला शरबत; खँडवानी।

खंडवृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] रुक-रुककर या सीमित प्रदेश में होने वाली वर्षा।

खंडशः (सं.) [क्रि.वि.] खंड-खंड करके; खंडों के रूप में; अनेक खंड या भागों में बाँटकर।

खंडशर्करा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मिसरी 2. खंडसारी या चीनी।

खंडशीला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी युवती जिसका कौमार्य भंग हो चुका हो 2. वेश्या 3. बुरे आचरण वाली स्त्री।

खंडसार [सं-पु.] ऐसा कारख़ाना जहाँ पुराने ढंग से खाँड़ या चीनी बनाई जाती है।

खंडसारी [सं-स्त्री.] 1. खाँड़ या खाँड़ के पदार्थ 2. खंडसार में बनी चीनी 3. खाँड़सारी उद्योग।

खंडहर (सं.) [सं-पु.] 1. पुरानी इमारत के अवशेष या किसी ध्वस्त मकान का बचा-खुचा हिस्सा 2. चित्रकला में, किसी चित्र में भूल से खाली छूट गई वह जगह जहाँ उत्कृष्टता के विचार से कुछ अंकित करना आवश्यक हो 3. काव्य में, ऐसा व्यक्ति जिसका यौवन बीत चुका हो।

खंडाभ्र (सं.) [सं-पु.] 1. बिखरे हुए बादल 2. दाँतों का एक प्रकार का रोग।

खंडाली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा तालाब; ताल 2. तेल मापने के एक परिमाण 3. कामुक व्यक्ति की पत्नी।

खंडिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निश्चित समय पर देय किसी राशि का हिस्सा; किस्त; (इंस्टालमेंट) 2. पत्थरों या खंडों से बनी हुई कोई दीवार 3. किसी पुस्तक का एक अध्याय 4. सीढ़ियों में लगे हुए डंडे या सोपान।

खंडित (सं.) [वि.] 1. जिसे तोड़ा गया हो 2. जो कई जगह से टूटा हुआ हो; भग्न 3. जिसकी कोई पूर्ण आकृति न हो, जैसे- खंडित प्रतिमा।

खंडिता (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) नायिका का एक भेद; किसी अन्य स्त्री से संबंध बनाने वाले प्रेमी के शरीर पर संभोग के चिह्न मिलने से दुखी नायिका।

खंडिनी (सं.) [सं-स्त्री.] खंडों या द्वीपों-महाद्वीपों में बँटी हुई पृथ्वी।

खंडेश्वर (सं.) [सं-पु.] किसी खंड या प्रदेश का स्वामी; राजा।

खंडोद्भव (सं.) [सं-पु.] खंड से उत्पन्न।

खंडोष्ठ (सं.) [सं-पु.] 1. कटे-फटे होठ वाला व्यक्ति 2. होठों का रोग।

खंडौरा [सं-पु.] 1. खाँड़ या मिसरी से बनाया गया लड्डू 2. ओला।

खंतरा (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा गड्ढा 2. दरार 3. अंतराल।

खंती [सं-स्त्री.] 1. खोदने का काम करने वाला; खनिक 2. मिट्टी खुदाई का औज़ार 3. मिट्टी खोदने का काम करने वाली जाति।

ख़ंदक (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बड़ा गड्ढा 2. किले या शहर के चारों तरफ़ बाहरी आक्रमण से रक्षा के लिए बनाई जाने वाली गहरी चौड़ी खाईं 3. दो मतों के बीच का अंतर।

खंदोली [सं-स्त्री.] बच्चों के लिए बिछावन।

खंबायची [सं-स्त्री.] राग मालकोस में एक तरह की रागिनी।

खंभ (सं.) [सं-पु.] 1. स्तंभ 2. किसी इमारत में छत को टिकाए रखने वाले गोल, चौकोर, ठोस व मज़बूत आधारस्तंभ 3. किसी पुल या ओवरब्रिज़ को थामने वाले स्तंभ।

खंभा (सं.) [सं-पु.] 1. गोल या चौकोर लकड़ी, धातु या सीमेंट का लंबा स्तंभ; खंबा 2. विद्युत वितरण के लिए लगाया जाने वाला खंभा; (इलेक्ट्रिक पोल) 3. किसी भारी चीज़ को रोके रहने वाला सहारा या टेक।

खंभात (सं.) [सं-पु.] अरब सागर की खाड़ी के पास गुजरात राज्य का हिस्सा।

खंभार [सं-पु.] 1. भय या अकुलाहट का होना 2. चिंता 3. शोक।

खक्खट (सं.) [वि.] 1. कर्कश 2. मुश्किल; कठिन 3. कड़क 4. कठोर। [सं-पु.] खड़िया।

खक्खा (अ.) [सं-पु.] 1. अट्टहास 2. कहकहा लगाने की क्रिया।

खखरा [सं-पु.] 1. बाँस का टोकरा 2. खाना बनाने का बड़ा देग या पात्र 3. खँखरा। [वि.] झीना।

खखार [सं-पु.] खखारने पर मुँह से निकलने वाला बलगम; (कफ़)।

खखारना [क्रि-अ.] 1. खखार निकालने की क्रिया 2. किसी बात का इशारा करने के लिए खाँसना 4. थूकना।

खग (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश में उड़ने वाले पक्षी, जैसे- कौआ, चिड़िया, बाज़ इत्यादि 2. अंतरिक्ष या हवा में विचरण करने वाला।

खगकेतु (सं.) [सं-पु.] गरुड़ पक्षी।

खगनाथ (सं.) [सं-पु.] पक्षियों का स्वामी; गरुड़।

खगपति (सं.) [सं-पु.] 1. गरुड़ 2. सूर्य।

खगवार (सं.) [सं-पु.] गले में पहनने का आभूषण; हँसुली।

खगहा [सं-पु.] 1. गैंडा 2. सुअर 3. मुरगा।

खगासन (सं.) [सं-पु.] 1. पक्षियों के बैठने की जगह 2. योगासन का एक भेद 3. उदयगिरि नामक पहाड़ जो ओडिशा में स्थित है 4. विष्णु।

खगेंद्र (सं.) [सं-पु.] पक्षियों का राजा गरुड़; खगेश।

खगेश (सं.) [सं-पु.] पक्षियों का राजा गरुड़ या बाज़; खगेंद्र।

खगोल (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश-मंडल; नभमंडल 2. ग्रह-नक्षत्र।

खगोलमिति (सं.) [सं-स्त्री.] गणितीय ज्योतिष की वह शाखा जिसमें ग्रहों-नक्षत्रों की नाप-जोख, दृश्यता, स्थिति और गति आदि का अध्ययन होता है।

खगोलविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] अंतरिक्ष में पिंडों की गतिविधि का विवेचन करने वाला विज्ञान; ग्रहों-नक्षत्रों आदि का ज्ञान प्राप्त करने की विद्या या कला; ज्योतिष शास्त्र; (ऐस्ट्रोनॉमी)।

खगोलीय (सं.) [वि.] खगोल से संबंधित; खगोल का; आकाशीय।

खग्रास (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य और चंद्रमा के बिंब को पूरी तरह ढक देने वाला ग्रहण 2. सर्वग्रास।

खचना (सं.) [क्रि-अ.] 1. जड़ा जाना 2. अंकित होना 3. ठीक तरह से भरा जाना 4. अटकना; फँसना।

खचाक [सं-स्त्री.] 1. किसी धारदार वस्तु की कोमल वस्तु में तेज़ी से घुसने की ध्वनि 2. तेज़ी से चल रहे वाहन को अचानक रोकने से होने वाली ध्वनि।

खचाखच [क्रि.वि.] 1. ठूँस-ठूँस कर भरा होना; ठसाठस 2. किसी जगह पर निर्धारित मात्रा या आवश्यकता से अधिक व्यक्ति या सामान का होना, जैसे- बस या रेलगाड़ी में यात्री खचाखच भरे थे।

खचाना [क्रि-स.] कुछ अंकित करना या चिह्न बनाना; खचित करना।

खचावट [सं-स्त्री.] 1. गठाव 2. बुनावट (वस्तु या शिल्प में) 3. वस्त्र या किसी पटल पर रत्न या सितारे टाँकना।

खचित (सं.) [वि.] 1. बनाया या चिह्नित किया हुआ 2. जड़ा हुआ 3. चित्रित।

ख़च्चर [सं-पु.] 1. गधे और घोड़ी के संयोग से पैदा हुआ जानवर 2. {ला-अ.} व्यवहार में दोगला व्यक्ति।

खज (सं.) [वि.] खाने योग्य (पदार्थ)। [सं-पु.] 1. मथानी 2. संघर्ष 3. युद्ध।

खजमज [वि.] 1. तबीयत का ख़राब होना 2. गड्ड-मड्ड होना।

खजला [सं-पु.] मैदे और शक्कर से तैयार की गई एक प्रकार की मिठाई; खाजा।

खजहजा [सं-पु.] 1. खाने की ज़ायकेदार चीज़ 2. मिष्ठान 3. खाने योग्य उत्तम फल; मेवा 4. खाजा नामक पकवान।

खजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मथानी 2. कलछी 3. युद्ध 4. प्रतियोगिता।

ख़ज़ांची [सं-पु.] दे. ख़ज़ानची।

खजाक (सं.) [सं-पु.] चिड़िया; पक्षी।

ख़ज़ानची (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो किसी संस्था, समिति आदि के कोष या ख़ज़ाने का अधिकारी हो; कोषाध्यक्ष 2. वह व्यक्ति जिसके पास रोकड़ या आय-व्यय का हिसाब रहता है; रोकड़िया; (कैशियर)।

ख़ज़ाना (अ.) [सं-पु.] 1. सोना, चाँदी के आभूषण और रुपए इत्यादि संचित करके रखने की जगह; कोष 2. संचित धनराशि 3. राजस्व, कर जमा करने का स्थान 4. बाहुल्य; आधिक्य 5. वह स्थान जहाँ कोई वस्तु अधिकता से पाई जाती है; भंडार 6. धन-संपत्ति।

ख़जालत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शर्मिंदगी; लज्जा 2. संकोच 3. पश्चाताप।

ख़जिल (फ़ा.) [वि.] लज्जित होने का भाव; शर्मिंदगी।

ख़ज़ीना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़ज़ाना; कोश; आगार 2. किसी पदार्थ की बहुतायत मात्रा।

खजुआ [सं-पु.] 1. खाजा या खजला 2. स्वादिष्ट पकवान या मिठाई।

खजुरहट [सं-स्त्री.] 1. खजूर का बाग या जंगल 2. नेपाल की तराई में वह वन जहाँ चटाई बनाने वाले खजूर के वृक्ष मिलते हैं।

खजुराहो (सं.) [सं-पु.] मध्यप्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थान। उक्त नगर में चंदेलों ने एक भव्य मंदिर स्थापित किया था जो अपनी सुंदरता और भित्तिचित्र के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

खजूर (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पेड़ जिसका फल मीठा होता है 2. छुहारे की तरह का फल 3. मैदे और शक्कर की बनी एक मिठाई।

खजूरी [वि.] 1. खजूर की तरह का; खजूर संबंधी 2. महिलाओं द्वारा चार लड़ों में गूँथी गई (चोटी); खजूरी चोटी।

खजोहरा (सं.) [सं-पु.] खाज पैदा करने वाला ऐसा कीड़ा जिसके रोएँ के स्पर्श से खुजली होती है।

खट [सं-पु.] 1. धातु या लकड़ी की ठोस चीज़ों के टकराने से उत्पन्न ध्वनि 2. ठोकने-पीटने से पैदा होने वाली आवाज़ 3. किसी चीज़ के गिरने या टूटने से उत्पन्न ध्वनि या शब्द। [वि.] खट्टा का समास में व्यवहृत रूप, जैसे- खटमिट्ठा।

खटक [सं-स्त्री.] 1. खटकने की क्रिया या भाव 2. आशंका; खटका 3. खट की आवाज़। [सं-पु.] 1. घटक 2. आधी खुली मुट्ठी।

खटकना (अ.) [क्रि-अ.] 1. मन में किसी गड़बड़ी या अनहोनी का डर 2. किसी चीज़ के टकराने-टूटने का शब्द 3. रह-रहकर कोई बात याद आना 4. किसी व्यक्ति से ईर्ष्या-द्वेष का भाव 5. जानकारी के अभाव में किसी सवाल पर ध्यान जाना 6. बार-बार होने वाली पीड़ा।

खटकरम (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा काम जो झंझटों से भरा हो 2. लंबे और जटिल विधि-विधान से किया जाने वाला अनुष्ठान या कर्मकांड।

खटकरमी [वि.] 1. फालतू के कामों में उलझा रहने वाला व्यक्ति 2. खटराग फैलाने वाला 3. रोड़े अटकाने वाला।

खटका [सं-पु.] 1. अंदेशा; डर 2. सिटकनी।

खटकाना [क्रि-स.] 1. किसी सतह पर चोट करना; खट-खट बजाना, जैसे- दरवाज़ा खटकाना 3. किसी व्यक्ति को कुछ याद दिलाना 4. भड़काना 5. झगड़ा या अनबन करवाना।

खटकामुख (सं.) [सं-पु.] 1. शास्त्रीय नृत्य करते समय हाथों की एक मुद्रा 2. बैठकर बाण चलाने का एक आसन।

खटकीड़ा [सं-पु.] एक कीड़ा जो मैली खाटों, कुरसियों आदि में रहता है; खटमल।

खट-खट [सं-स्त्री.] 1. ठोंकने-पीटने का शब्द 2. झंझट 3. किसी वस्तु पर लगातार एक से अधिक बार ठोकर मारने पर उत्पन्न ध्वनि।

खटखटा [सं-पु.] 1. दरवाज़े पर किसी वस्तु से की जाने वाली आवाज़; दस्तक 2. पक्षियों को भगाने के लिए वृक्षों में बाँधा जाने वाला बाँस का टुकड़ा।

खटखटाना [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ पर रुक-रुककर चोट करना 2. ठोकना 3. किसी को कोई बात याद दिलाना 4. दस्तक।

खटखटिया [सं-स्त्री.] वह खड़ाऊँ जिसमें पैर फँसाने के लिए खूँटी की जगह रस्सी लगी रहती है; पौला।

खटखादक (सं.) [सं-पु.] 1. जानवर 2. कौआ 3. सियार 4. शीशे का पात्र।

खटना (सं.) [क्रि-स.] 1. बहुत अधिक परिश्रम करना; आवश्यकता से अधिक परिश्रम करना 2. धनोपार्जन करना।

खटपट [सं-स्त्री.] 1. दो वस्तुओं के आपस में टकराने का शब्द या ध्वनि 2. अनबन; वैर-विरोध; झगड़ा 3. आपस की फूट; द्वेष।

खटपटिया [वि.] 1. झगड़ालू स्वभाव वाला (व्यक्ति) 2. लोगों में तकरार पैदा करने वाला। [सं-पु.] खड़ाऊँ।

खटबुना [सं-पु.] ऐसा व्यक्ति जो खाट बुनने का काम करता है।

खटमल [सं-पु.] खाट, पलँग और कुर्सियों की दरारों में रहने वाला मटमैले रंग का कीड़ा जो खून पीता है; खटकीड़ा।

खट-मिट्ठा [वि.] जिसमें खट्टापन और मिठास दोनों हों; खट्टा और मीठा।

खटमुता [वि.] जो सोते समय खाट पर पेशाब कर देता हो (बच्चा)।

खटर-पटर [सं-पु.] 1. वस्तुओं के इधर से उधर होने का शब्द 2. कुछ ढूँढ़ने से होने वाली आवाज़।

खटराग (सं.) [सं-पु.] 1. दैनिक जीवन की परेशानियाँ 2. व्यर्थ के झगड़े 3. झंझट या बखेड़ा 4. इधर-उधर फैला हुआ कबाड़ या कूड़ा-करकट।

खटला [सं-पु.] 1. कान के नीचे का वह भाग जहाँ कुंडल पहने जाते हैं 2. बाल-बच्चे वाला परिवार।

खटाई [सं-स्त्री.] 1. खट्टे स्वाद की चीज़ 2. खट्टा होने की अवस्था 3. खटास पैदा करने वाली चीज़, जैसे- इमली, टार्टरिक एसिड, अमचूर आदि 4. {ला-अ.} किसी काम में आने वाली रुकावट। [मु.] -में पड़ना : अनिर्णय की स्थिति में होना।

खटाक [सं-पु.] किसी चीज़ को पटकने पर या टूटने पर उत्पन्न होने वाली आवाज़।

खटाखट [क्रि-वि.] तेज़ी से; तुरंत। [सं-पु.] 'खटखट' का शब्द।

खटाना [क्रि-अ.] 1. खाद्य पदार्थ में खट्टापन आना 2. खट्टा होना 3. जैसे-तैसे गुज़ारा करना [क्रि-स.] जी-तोड़ मेहनत करवाना।

खटारा [वि.] 1. जर्जर हालत में पहुँचा हुआ या रुक-रुककर काम करने वाला कोई वाहन या मशीन 2. टूटी-फूटी हालत में पड़ी हुई गाड़ी।

खटाव [सं-पु.] 1. काम में जुटे रहने की क्रिया 2. खटने की क्रिया 3. मामूली तनख़्वाह में गुज़ारा करना 3. नाव को किनारे बाँधने का खूँटा।

खटास [सं-स्त्री.] 1. खट्टापन; तुर्शी 2. {ला-अ.} संबंधों में होने वाला बिगाड़; आपसी अनबन। [मु.] -आना : परस्पर भेद पैदा हो जाना।

खटिक (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं की एक जाति 2. उक्त जाति का व्यक्ति 3. आधी खुली हुई खिड़की।

खटिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पुताई के काम आने वाली खड़िया 2. कान में आभूषण पहनने का छेद।

खटिया [सं-स्त्री.] बाध (पतली रस्सी) से बुनी हुई खाट; चारपाई। [मु.] -खड़ी करना : बहुत अधिक परेशान या तंग करना।

खटोला [सं-पु.] बच्चे के लेटने की छोटे आकार की खाट; छोटी चारपाई।

खटोली [सं-स्त्री.] छोटी चारपाई या खाट।

खट्टन (सं.) [वि.] ठिंगना; छोटे कदवाला (व्यक्ति)।

खट्टा (सं.) [वि.] 1. आम, इमली, नीबू आदि के स्वादवाला 2. तुर्श; अम्ल 3. नीबू की तरह का एक बड़ा फल; गलगल।

खट्टा-मीठा [वि.] जिसमें खटास और मिठास दोनों हो; खटमीठा। [सं-पु.] संसार का दुख-सुख या ऊँच-नीच।

खट्टि (सं.) [सं-स्त्री.] शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने वाली अरथी; खटिया; टिकठी।

खट्टिक (सं.) [सं-पु.] 1. मांस का व्यवसाय करने वाला; कसाई 2. जानवरों का शिकार करने वाला बहेलिया।

खट्टू [वि.] कमाने वाला; खटने वाला।

खट्वांग (सं.) [सं-पु.] 1. खाट के अवयव, जैसे- पाया 2. साधु-संतों द्वारा उपयोग की जाने वाली वह लकड़ी जिसपर कलाई रखकर जप-तप आदि किया जाता है और इसे एक खड़ी लकड़ी पर आड़ी लकड़ी ठोककर बनाया जाता है; आधारी; टेकनी 3. एक प्राचीन संस्कार के अनुसार पश्चाताप के दौरान भिक्षा माँगने का पात्र।

खट्वांगी (सं.) [सं-पु.] 1. खट्वांग पर तप करने वाला 2. शिव।

खड (सं.) [सं-पु.] 1. काटकर बिछाया गया धान और पुआल 2. धातुओं पर पॉलिश करने में काम आने वाला सोने-चाँदी का चूर्ण।

खड़ंजा [सं-पु.] खड़े या ऊँचाई के क्रम में बैठाई गई ईंटें; रास्ते या फ़र्श में बिछाई गई ईंटें।

खड़कना [क्रि-अ.] 1. खड़-खड़ की ध्वनि होना 2. पेड़ के सूखे पत्तों के दबने या आपस में टकराने से आने वाली खड़खड़ की आवाज़ 3. युद्ध में भालों और तलवारों के टकराने से उत्पन्न ध्वनि 4. खटकना।

खड़काना [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ पर चोट करके आवाज़ पैदा करना, जैसे- कुंडी खड़काना 2. खट-खट की आवाज़ पैदा करना 3. हलचल उत्पन्न करना।

खड़खड़ [सं-स्त्री.] 1. खड़ की लगातार ध्वनि होना 2. सूखे पत्तों के आपस में टकराने की ध्वनि।

खड़खड़ाना [क्रि-अ.] खड़खड़ शब्द होना। [क्रि-स.] खड़खड़ शब्द करना; खटखटाना।

खड़खड़ाहट [सं-स्त्री.] 1. खड़खड़ होने की क्रिया, भाव या शब्द 2. बार-बार होने वाली खड़-खड़ की ध्वनि, जैसे- पेड़ के पत्तों की खड़खड़ाहट।

खड़खड़िया [सं-स्त्री.] 1. वह पुरानी गाड़ी जो चलते समय खड़खड़ की आवाज़ करती हो 2. घोड़ों को गाड़ी खींचने का प्रशिक्षण देने के लिए काम आने वाली लकड़ी की एक गाड़ी या उसका ढाँचा।

खड़गी (सं.) [वि.] खड़ग या खड्ग धारण करने वाला। [सं-पु.] गैंडा।

खड़बड़ [सं-स्त्री.] 1. खलबली 2. चीज़ों को उलट-पलट देने का भाव 3. चीज़ों के आपस में टकराने से पैदा हुई आवाज़ 4. शांत माहौल का भंग होना 5. भीड़ में होने वाली गहमा-गहमी 6. आपस का झगड़ा 7. पशुओं के चलने पर खुरों से होने वाली ध्वनि 8. उलटफेर 9. खलबली; हलचल।

खड़बड़ाना [क्रि-अ.] 1. अस्त-व्यस्त करना; क्रम बिगाड़ देना 2. विचलन पैदा कर देना 3. ऐसी स्थिति में करना या होना कि शांति या स्थिरता न रहे।

खड़बड़ाहट [सं-स्त्री.] खड़बड़ करने या होने की अवस्था।

खड़बड़ी [सं-स्त्री.] 1. गड़बड़ी 2. चीज़ों का अस्त-व्यस्त या बेतरतीब हो जाना 3. बेचैनी या घबराहट 4. हलचल।

खड़मंडल (सं.) [सं-पु.] 1. बेतरतीब या उलटा-पलटा हुआ 2. किसी व्यक्ति या समूह द्वारा किया गया घोटाला या गोलमाल 3. वर्ग या समाज की अव्यवस्था।

खड़ा [वि.] 1. ज़मीन से सीधा ऊपर को उठा या लंबवत 2. अपने पैरों के सहारे स्थिर 3. ठहरा हुआ 4. जो झुका न हो 5. नींव के सहारे सीधी खड़ी दीवार 6. (खेत की फ़सल) जो काटी न गई हो 7. बाकी या मौजूद 8. कच्चा या अपरिपक्व, जैसे- खड़ा चावल 9. तत्पर 10. {ला-अ.} प्रतीक्षारत।

खड़ाऊँ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी के तले वाली पादुका जो अक्सर धार्मिक कर्मकांडों में पहनी जाती हैं, इसमें अँगूठे के लिए खूँटी लगी होती है 2. खटपटिया।

खड़ाका [सं-पु.] 1. चीज़ों के टकराने से उत्पन्न खड़कने की ध्वनि 2. धमाका 3. बहुत तेज़ अचानक हुई खड़-खड़ की ध्वनि 4. खटका। [क्रि.वि.] चटपट; तुरंत।

खड़िया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सफ़ेद रंग की चिकनी मुलायम मिट्टी जो पुताई और लिखने के काम आती है 2. चिह्न बनाने के काम आने वाली मिट्टी 3. चूना पत्थर की एक क़िस्म 4. अरहर का वह डंठल जो फलियों और पत्तियों को झाड़ लेने पर शेष रहता है; खाड़ी; रहठा।

खड़ी [सं-स्त्री.] 1. खड़िया मिट्टी का एक पर्याय 2. पहाड़ी 3. हिंदी में मात्राओं का ज्ञान कराने के लिए सिखाई जाने वाली बारहखड़ी। [वि.] खड़ा का स्त्रीलिंग रूप।

खड़ी चढ़ाई [सं-स्त्री.] 1. ऊपर की ओर सीधी चढ़ाई 2. ढलान वाले पहाड़ या चट्टान की चढ़ाई।

खड़ी तैराकी [सं-स्त्री.] पानी में सीधे खड़े होकर केवल पैर चलाकर तैरने की क्रिया।

खड़ी नियाज़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] मनोकामना पूरी होने पर दी जाने वाली नियाज़।

खड़ी पाई [सं-स्त्री.] नागरी लिपि में अक्षरों या वाक्य के बाद लगाई जाने वाली सीधी रेखा जो वाक्य समाप्त होने पर लगती है; पूर्ण विराम (।)।

खड़ी फ़सल [सं-स्त्री.] फ़सल या उपज जो पक चुकी हो और कटाई के लिए तैयार हो, जैसे- धान की खड़ी फ़सल; (स्टैंडिंग क्रॉप)।

खड़ी बोली [सं-स्त्री.] 1. पश्चिमी उत्तरप्रदेश और उससे सटे हरियाणा के जिलों की वह बोली जिससे आधुनिक हिंदी का विकास हुआ है 2. उक्त बोली का विस्तृत, परिष्कृत, संवर्धित और सांस्कृतिक-साहित्यिक रूप जो वर्तमान में हिंदी कहलाती है।

खडू (सं.) [सं-स्त्री.] काठ, बाँस आदि का ढाँचा या तख्ता जिसपर शव रखकर श्मशान तक ले जाते हैं; अरथी।

खड़े-खड़े [क्रि.वि.] बिना देर किए; तुरंत; तत्काल; शीघ्र; अविलंब; तत्क्षण।

खड्ग (सं.) [सं-पु.] 1. तलवार की तरह का एक प्राचीन शस्त्र; खाँडा; खंग 2. तलवार 3. गैंडा नामक प्राणी।

खड्गकोश (सं.) [सं-पु.] खड्ग या तलवार रखने का खोल; म्यान; कोश।

खड्गदान (सं.) [सं-पु.] युद्ध में वीरतापूर्वक तलवार चलाने के लिए प्रयुक्त शब्द।

खड्गधारा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तलवार की धार या फल 2. ऐसा कठिन काम जो तलवार की धार पर चलने के समान हो।

खड्गफल (सं.) [सं-पु.] खड्ग या तलवार का तेज़ धारवाला हिस्सा।

खड्गहस्त (सं.) [वि.] 1. ऐसा व्यक्ति जिसके हाथ में तलवार हो 2. युद्ध के लिए तत्पर रहने वाला (वीर)।

खड्गारीट (सं.) [सं-पु.] 1. ढाल 2. तलवार की धार।

खड्गी (सं.) [वि.] तलवार या खड्ग धारण करने वाला। [सं-पु.] 1. गैंडा 2. शिव।

खड्ड (सं.) [सं-पु.] 1. प्राकृतिक रूप से या मानव द्वारा निर्मित बहुत बड़ा व गहरा गड्ढा 2. पहाड़ या मैदान के किसी तरफ़ गहरी खाई।

खड्ढा [सं-पु.] समतल ज़मीन में कहीं पर गहरा भाग; गड्ढा।

खणक (सं.) [वि.] जो खोदने का काम करता है। [सं-पु.] चूहा।

ख़त (अ.) [सं-पु.] 1. पत्र; चिट्ठी 2. रेखा, लकीर या कोई चिह्न 3. तहरीर 4. भाषा में अक्षरों को लिखने का ढंग 5. यौवन के आरंभ में व्यक्ति की कनपटी और दाढ़ी पर उगने वाले बाल या रोएँ।

ख़तकश (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] लकड़ी पर रेखा खींचने का बढ़ई का औज़ार।

ख़तकशी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चित्र बनाने के लिए रेखाएँ खींचने की क्रिया 2. चित्र बनाने का कार्य 3. अक्षरों को सजा-सजाकर लिखने का तरीका।

ख़तना (अ.) [सं-पु.] मुसलमानों की एक रस्म या रिवाज जिसमें बच्चों के लिंग के अगले भाग का चमड़ा काट दिया जाता है; सुन्नत; मुसलमानी।

ख़तम (अ.) [वि.] 1. समाप्त; पूर्ण 2. जिसका नामोनिशान न रहा हो 4. अस्तित्वहीन 5. नष्ट; मृत 6. अनवशिष्ट 7. बीच में ही रुकने या रोक दिए जाने का भाव 8. हत; मारा हुआ 9. अंत या मृत्यु को प्राप्त।

खतमी (अ.) [सं-स्त्री.] गुलखेरू जाति का पौधा जो दवा बनाने का काम आता है।

ख़तरनाक (अ.) [वि.] 1. ख़तरा पैदा करने वाला; जो ख़तरे से भरा हो; ख़तरे से युक्त 2. भयजनक; डरावना 3. आशंकामय 4. जान जोखिम में डालने वाला (कार्य)।

ख़तरा (अ.) [सं-पु.] 1. जीवन को संकट में डालने वाली स्थिति या वातावरण 2. अनिष्ट की संभावना 3. भय; डर; त्रास 4. जोखिम 5. आफ़त। [मु.] -उठाना : ऐसा काम करना जिससे हानि की संभावना हो। ख़तरे की घंटी : किसी अनहोनी की पूर्वसूचना।

खतरेटा [सं-पु.] खत्री।

ख़ता (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति से होने वाला अपराध; कसूर 2. भूल; चूक; दोष; ग़लती; धोखा।

ख़तावार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर अपराध सिद्ध हो चुका हो; दोषी; अपराधी; मुजरिम 3. जिससे गलती हुई हो।

खतिया [सं-स्त्री.] 1. खोदी हुई ज़मीन 2. खंती 3. गड्ढा 4. छोटा तालाब।

ख़तियाना [क्रि-स.] 1. ख़ाते में लिखना या चढ़ाना 2. अनेक मदों को बही या ख़ाते में दर्ज करना।

खतियौनी [सं-स्त्री.] ऐसी बही जिसमें विभिन्न मदों के लिए अलग-अलग ख़ाते बनाए जाते हैं; खतौनी।

ख़तीब (अ.) [वि.] 1. मुसलमानों में ख़ुतबा पढ़ने वाला या धर्मोपदेश देने वाला 2. प्रवचन देने वाला।

ख़तोकिताबत (अ.) [सं-स्त्री.] चिट्ठियों का आदान-प्रदान; पत्राचार; पत्र-व्यवहार।

खतौनी [सं-स्त्री.] वह बही या रजिस्टर जिसमें पटवारी हर काश्तकार की जोत का क्षेत्र, प्रकार और लगान इत्यादि लिखता है; पटवारी बही; खतियौनी।

खत्ता (सं.) [सं-पु.] 1. ज़मीन में कोई चीज़ रखने या बनाने के लिए खोदा गया गड्ढा, जैसे- शोरा तैयार करने का खत्ता 2. अनाज रखने के लिए कोठा या बखार 3. कोई स्थान या प्रांत।

खत्ती [सं-स्त्री.] छोटा गड्ढा या अनाज रखने का बखार।

ख़त्म [वि.] दे. ख़तम।

खत्री (सं.) [सं-पु.] 1. क्षत्रियों के अंतर्गत व्यापार करने वाली एक जाति 2. एक कुलनाम या सरनेम।

ख़दंग (फ़ा.) [सं-पु.] 1. चिनार का पेड़ 2. वह वृक्ष जिसकी लकड़ी से तीर बनाए जाते थे 3. बाण या तीर।

खदखदाना [क्रि-अ.] तरल पदार्थों के उबलते समय खद-बद की आवाज़ होना।

खदबदाना [क्रि-अ.] 1. पकते या उबलते समय किसी तरल पदार्थ का खदबद शब्द या ध्वनि करना 2. उबलना या पकना।

खदान [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन या पहाड़ में वह स्थान जहाँ खुदाई की जाती है 2. खनिज पदार्थों की खुदाई की जगह; खान 3. खुदाई के बाद बनने वाला गड्ढा।

खदिका (सं.) [सं-स्त्री.] ज़मीन के अंदर से निकला हुआ लावा।

खदिर (सं.) [सं-पु.] 1. एक पेड़ जिससे कत्था बनाया जाता है; खैर का वृक्ष 2. खैर; कत्था 3. चंद्रमा।

खदिर-सार (सं.) [सं-पु.] खैर के पेड़ से निकला रस या कत्था; खैर।

खदिरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छुई-मुई या लाजवंती का पौधा 2. वराहक्रांता।

ख़दीजा (अ.) [सं-स्त्री.] मुहम्मद साहब की पहली बीवी जो इस्लाम कबूल करने वाली पहली स्त्री और फ़ातिमा की माँ थी।

खदेड़ना [क्रि-स.] 1. किसी व्यक्ति या जानवर का पीछा करते हुए भगाना 2. बलपूर्वक हटाना।

खद्दर [सं-पु.] हाथ से कते हुए ऊन, सूत या रेशम का कपड़ा; खादी।

खद्दरधारी (सं.) [सं-पु.] 1. खद्दर पहनने वाला व्यक्ति 2. {ला-अ.} नेता।

खद्योत (सं.) [सं-पु.] 1. रात्रि के समय चमकने वाला जुगनू 2. सूर्य।

ख़द्शा (अ.) [सं-पु.] 1. चिंता; भय; किसी बात का डर 2. आशंका।

खनक (सं.) [सं-पु.] 1. चूहा 2. ज़मीन खोदने का काम करने वाला व्यक्ति 3. खान खोदने वाला मज़दूर। [सं-स्त्री.] धातुओं या बरतनों के आपस में टकराने से होने वाली ध्वनि।

खनकना [क्रि-अ.] 1. 'खन-खन' कर बजना 2. धातुओं के खंडों का आपस में टकराना 3. खनखनाना।

खनकाना [क्रि-स.] 1. सिक्कों या मोहरों को बजाना या उछालना 2. धातुओं का आपस में टकराकर ध्वनि पैदा करना 3. खनकाकर जाँच-परख करना 4. बजाना।

खनकार [सं-स्त्री.] खन-खन या खनकार होने की क्रिया या भाव; खनक; झंकार।

खन-खन [सं-पु.] 1. खन-खन की निरंतर ध्वनि; खनक 2. तलवारों आदि के टकराने की ध्वनि।

खनखना [वि.] खनखन करने वाली चीज़। [सं-पु.] एक प्रकार का झुनझुना जिससे बच्चे खेलते हैं।

खनखनाना [क्रि-अ.] धातु या किसी चीज़ से खनखन ध्वनि होना। [क्रि-स.] 1. खनकाना 2. सिक्कों आदि को बजाना।

खनखनाहट [सं-स्त्री.] खन-खन की ध्वनि; झंकार; टंकार।

खनन (सं.) [सं-पु.] ज़मीन आदि खोदने की क्रिया या भाव; खोदना; खुदाई; उत्खनन।

खनयित्री (सं.) [सं-स्त्री.] खुदाई में काम आने वाले औज़ार; खंती।

खनवाना [क्रि-स.] खुदाई का काम कराना; खनाना।

खनाई [सं-स्त्री.] खुदाई के लिए दिया जाने वाला शुल्क या मेहनताना; खनन करने की मज़दूरी।

खनिक [सं-पु.] 1. खुदाई करने वाला 2. खान में काम करने वाला श्रमिक 3. ज़मीन के खोखले भाग में छत्ता बनाने वाली मधुमक्खी 4. खान का मालिक।

खनिज (सं.) [सं-पु.] पहाड़ या ज़मीन से खोदकर निकाले गए बहुमूल्य पदार्थ, जैसे- लोहा, ताँबा, जिंक आदि।

खनिज-तेल (सं.) [सं-पु.] प्राकृतिक रूप में भूगर्भ से प्राप्त होने वाला तेल; (पेट्रोलियम)।

खनिज नमक [सं-पु.] प्राकृतिक रूप से बड़े-बड़े खंडों में बना नमक; सेंधा नमक; काला नमक; (रॉक साल्ट)।

खनिज-विज्ञान [सं-पु.] 1. खनिजों तथा खानों का अन्वेषण या विश्लेषण करने वाला विज्ञान 2. खनिज से संबंधित विज्ञान की शाखा; (मिनरॉलॉजी)।

खनित्र (सं.) [सं-पु.] 1. खोदने वाला यंत्र 2. खुदाई का उपकरण 3. गैंती।

खनियाना [क्रि-स.] 1. किसी जगह को खोदना 2. ख़ाली कराना।

खनी [वि.] 1. खान खोदने वाला 2. खान से निकला हुआ (खनिज)। [सं-स्त्री.] 1. गुफ़ा; 2. गड्ढा 3. खान।

खन्ना (सं.) [सं-पु.] 1. खत्री समाज की एक शाखा और उनका कुलनाम या सरनेम 2. वह स्थान जहाँ पशुओं का चारा काटा जाता है।

खपच [सं-स्त्री.] 1. बाँस को चीरकर बनाया गया पतला व थोड़ा चौड़ा टुकड़ा 2. बाँस की पतली सींकें जो पर्दे व चटाई बनाने के काम आती हैं।

खपचा [सं-पु.] 1. लकड़ी या बाँस की खपची या कड़छी; कलछी 2. बाँस काटकर निकाला गया नोकदार टुकड़ा।

खपची [सं-स्त्री.] 1. बाँस के तने से काटकर निकाला गया पतला टुकड़ा 2. वैद्य या हकीम द्वारा हड्डी टूटने पर हिलने-डुलने से रोकने के लिए हड्डी पर बाँधी जाने वाली बाँस की पतली पट्टी 3. बाँस की फट्टी; चौड़ी तीली 4. कबाब भूनने के लिए प्रयुक्त होने वाली सींक 5. पकड़ 6. कमची।

खपच्ची [सं-स्त्री.] बाँस की तीली या कमची।

खपड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. खपरैल या छत बनाने के लिए पकाकर काम में लाए जाने वाले मिट्टी के पके हुए चौड़े टुकड़े 2. मिट्टी के टूटे-फूटे बरतन या ठीकरा 3. भीख माँगने का मिट्टी का खप्पर 4. कछुए की पीठ का कड़ा खोल 5. आगे से चौड़े फल का तीर।

खपड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कढ़ाई की तरह की मिट्टी की नाँद या कुंडी जिसमें भड़भूँजे अनाज भूनते हैं 2. फूटा हुआ बरतन; ठीकरा 3. खोपड़ी।

खपड़ैल [सं-स्त्री.] 1. मकान या झोंपड़ी छाने के लिए मिट्टी के बने चौड़े टुकड़े; खपड़ा 2. वह छाजन जिसपर खपड़ा बिछा हुआ हो 3. खपड़े से बनाई गई घर की छाजन 4. खपरैल।

खपड़ोइया [सं-स्त्री.] नारियल में रेशे के भीतर का कड़ा आवरण।

खपत [सं-स्त्री.] 1. खपने या खपाने की क्रिया या भाव 2. उपभोग 3. व्यय; ख़र्च 4. माल की बिक्री 5. नाश, अंत या समाप्ति।

खपना [क्रि-अ.] 1. ख़र्च हो जाना या समाप्त हो जाना (मात्रा के संबंध में) 2. कम होना 3. मर जाना 4. किसी काम में जुटना।

खपरिया [सं-स्त्री.] 1. वैद्यों द्वारा इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाई 2. सोना-चाँदी वगैरह गलाने का पात्र 3. छोटे आकार का खपड़ा 4. चने की फ़सल का एक कीड़ा।

खपरैल [सं-स्त्री.] दे. खपड़ैल।

खपाच [सं-स्त्री.] रेशम से कपड़ा बनाने वाले कारीगरों का दो खपची बाँधकर बनाया गया हत्था या औज़ार।

खपाट [सं-पु.] धौंकनी के मुहाने पर लगाई गई खपची या डंडे जिन्हें खोलने या बंद करने पर भट्ठी या चूल्हे में हवा का प्रवाह होता है।

खपाना [क्रि-स.] 1. ख़तम या समाप्त किए जाने की क्रिया; लीन करना 2. अवकाश या गुंजाइश निकालना 3. काम में लिया जाना 4. (सामान या माल को) बेच दिया जाना।

खपुर (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) आकाश में ब्रह्मा द्वारा बनाया गया नगर 2. सुपारी का पेड़ 3. बघनखा नामक वनस्पति।

खपुष्प (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश-कुसुम 2. असंभव बात; अनहोनी घटना।

खप्पड़ (सं.) [सं-पु.] मिट्टी का बरतन।

खप्पर [सं-पु.] 1. मिट्टी का बना कड़ाही जैसा बरतन 2. वह पात्र जिसमें किंवदंती अनुसार काली देवी राक्षसों का रक्त पीती थी 3. भीख माँगने का पात्र 4. खोपड़ी या कपाल।

ख़फ़क़ान (अ.) [सं-पु.] 1. दिल की धड़कन का रोग 2. वहमी व्यक्ति।

ख़फ़गी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नाराज़ होने या खफ़ा होने का भाव; क्रोध; रोष।

ख़फ़ा (अ.) [वि.] अप्रसन्न; रुष्ट; नाराज़; क्रुद्ध।

ख़फ़ीफ़ (फ़ा.) [वि.] 1. छोटा; थोड़ा; कम 2. क्षुद्र 3. हलका; तुच्छ; अन्य की तुलना में कम होना 4. कमीना; अधम 5. लज्जित; शर्मिंदा।

ख़फ़ीफ़ा (अ.) [सं-स्त्री.] वह दीवानी अदालत जिसमें छोटे लेन-देन या छोटे मुकदमों पर सुनवाई होती है।

खफ्फा [सं-पु.] कुश्ती का एक दाँव।

ख़बर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी घटना का विवरण या वृत्तांत; हाल 2. समाचार; जानकारी; सूचना; पता; खोज 3. चेतना 4. किसी से हाल मालूम करना 5. पैगाम; संदेश 6. समाचार-पत्रों या टीवी में प्रकाशित-प्रसारित होने वाली घटनाओं का ब्योरा। [मु.] -उड़ना : अफ़वाह फैलना। -लेना : प्रताड़ित करना।

ख़बरगीर (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. हाल-चाल पूछने वाला या जानकारी देने वाला 2. पालन-पोषण करने वाला; संरक्षक 3. देखरेख करने वाला 4. सहायक। [सं-पु.] भेदिया; जासूस।

ख़बरदार (फ़ा.) [वि.] 1. सचेत; जागरूक 2. सावधान रहने वाला; चौकन्ना; होशियार 3. किसी को हुकुम देना, जैसे- ख़बरदार! आगे मत बढ़ना 4. परिचित; जानने वाला; जानकार।

ख़बरदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ख़बरदार होने की अवस्था या भाव; सावधानी; होशियारी; चौकसी; सतर्कता।

ख़बरनवीस (फ़ा.) [सं-पु.] समाचार लिखने या देने वाला; पत्रकार; संवाददाता।

ख़बरपालिका [सं-स्त्री.] पत्रकारिता में विधिपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की तर्ज़ पर प्रेस के लिए निर्मित शब्द।

ख़बररसाँ (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] संदेशवाहक; सूचना-वाहक।

ख़बरी (फ़ा.) [सं-पु.] ख़बर या संदेश लाने वाला; संदेशवाहक; दूत।

ख़बीस (अ.) [वि.] 1. बदमाश या दुष्ट स्वभाव का; निकृष्ट या बुरे कर्म करने वाला 2. दुष्टात्मा; धूर्त 3. निर्दयी।

ख़ब्त (अ.) [सं-पु.] 1. सनक; आवेग; धुन; जुनून 2. बुद्धि-विकार; पागलपन, जैसे- उसे आजकल शायरी करने का ख़ब्त चढ़ा हुआ है।

ख़ब्ती (अ.) [वि.] 1. जिसे किसी बात का ख़ब्त हो; झक्की; सनकी 2. पागल।

ख़ब्तुल-हवास (अ.) [वि.] 1. जिसका दिमाग ठिकाने न हो 2. होश-हवाश खो चुका (व्यक्ति) 3. जिसका ध्यान भटका हुआ हो।

खब्बा [वि.] 1. बाएँ हाथ से काम करने वाला 2. उलटा चलने वाला 3. बायाँ।

खभड़ना [क्रि-स.] 1. उथल-पुथल मचाने की क्रिया 2. मिलाना; खलबली मचाना।

ख़म (फ़ा.) [वि.] 1. टेढ़ा या झुका हुआ 2. वक्र। [सं-पु.] 1. घुमाव; तिरछापन; झुकाव 2. वक्रता; टेढ़ापन 3. गाने के समय लय के अनुसार रुकना; खींचना। [मु.] -ठोंकना : ललकारना।

ख़मदम (फ़ा.) [सं-पु.] ताकत; हिम्मत; जोश।

ख़मदार (फ़ा.) [वि.] 1. टेढ़ा-मेढ़ा; झुका हुआ 2. घुँघराला।

ख़मसा (अ.) [वि.] पाँच की संख्या से संबंधित; पंचक। [सं-पु.] 1. पाँच उँगलियाँ 2. संगीत में एक ताल।

ख़मियाज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नतीजा; परिणाम; प्रतिफल 2. दंड 3. हानि।

ख़मी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वक्रता; कुटिलता; टेढ़ापन; झुकाव।

ख़मीदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. टेढ़ापन; वक्रता 2. झुकने का भाव।

ख़मीदा (फ़ा.) [वि.] जो झुका हुआ हो; टेढ़ा या ख़म खाया हुआ।

ख़मीर (अ.) [सं-पु.] 1. वह पदार्थ जो गूँथे हुए आटे या मैदे को स्पंजी बनाने के काम आता है 2. यीस्ट या एक कोशीय कवक (फंगस), जिससे बना जाइमेज़ नामक एंजाइम आसव (बेवेरेजेस) तथा बेकरी उत्पादों के लिए अनिवार्य तत्व है 3. किसी पदार्थ या व्यक्ति की मूल प्रवृत्ति।

ख़मीरा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. खमीर मिला हुआ सुगंधित तंबाकू 2. शीरे में मिलाकर या पकाकर बनी औषधियाँ।

ख़मीरी (अ.) [वि.] 1. ख़मीर से बनी चीज़, जैसे- ख़ास रोटी 2. ख़मीर से संबंधित।

खम्माच [सं-स्त्री.] रात में गाया जाने वाला राग; मालकोस की एक रागिनी।

ख़यानत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अमानत या धरोहर के रूप में रखी वस्तु को हड़प लेना या चुरा लेना; बुरी नीयत से किसी दूसरे की संपत्ति का गबन कर लेना 2. बेईमानी या भ्रष्टाचार 3. विश्वासघात।

ख़याल1 (अ.) [सं-पु.] 1. किसी भूली हुई बात की स्मृति; याद; स्मरण 2. मन में उपजी कोई नई बात; कल्पना 3. मत; मनोवृत्ति; विचार; राय 4. भ्रम; अनुमान 5. वहम 6. सोच-विचार; चिंता; ध्यान। [मु.] -से उतरना : भूल जाना।

ख़याल2 [सं-पु.] 1. गायन की एक विशिष्ट शैली जिसमें किसी राग को विस्तार देकर गाया जाता है 2. नौटंकी की तरह का एक लोकनाट्य जिसमें कलाकारों द्वारा लय में संवाद किया जाता है।

ख़याली (फ़ा.) [वि.] 1. ख़याल संबंधी 2. सोचा या माना हुआ; कल्पित। [मु.] -पुलाव पकाना : केवल कल्पना के आधार पर मंसूबे बाँधना।

ख़य्याम (अ.) [सं-पु.] 1. फ़ारसी के मधुवादी कवि 2. शराब प्रेमी या शराब पीने वाला व्यक्ति। [वि.] ख़ेमे या डेरे-तंबू सिलने वाला।

खर (सं.) [सं-पु.] 1. गधा; खच्चर 2. कौआ 3. बगुला 4. पंचवटी में राम के साथ युद्ध करते मारा गया एक राक्षस 5. अमंगलकारी, जैसे- खरमास। [वि.] 1. तीक्ष्ण; पैना 2. कड़ा; घना; मोटा 3. हानिकारक 4. वेदी जहाँ यज्ञ का पात्र रखते हैं; कुरकुरी चीज़।

खरंजा [सं-पु.] दे. खड़ंजा।

खरक (सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी और बाँस-बल्लियों से बना पशुओं का बाड़ा 2. जानवरों या मवेशियों के चरने की जगह; चारागाह।

खरकना [क्रि-अ.] 1. खटकना; खिसक जाना 2. धीरे से निकल जाना।

खरका [सं-पु.] 1. बाँस को काटकर-छीलकर बनाई गई सींक जो पान में खोंसी जाती है 2. सूखा हुआ या कड़ा तिनका।

खर-खर [सं-स्त्री.] 1. कर्कश ध्वनि 2. रगड़ की ध्वनि 3. खर्राटे भरने का शब्द।

ख़रख़शा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. विवाद या बखेड़ा 2. बेवजह का झंझट 3. किसी काम या बात में आने वाली अड़चन।

ख़रगोश (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नर्म लंबे बाल तथा लंबे कान वाला चौपाया जंतु; शशक; शश 2. चौगड़ा; खरहा 3. बड़े खूँटों तथा बल्लियों को गाड़कर बनाया हुआ बाड़ा।

ख़रच (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वस्तु, धन और शक्ति का होने वाला उपभोग 2. व्यय; ख़र्च 3. लागत।

ख़रचना (फ़ा.) [क्रि-स.] ख़र्च करना; व्यय करना।

ख़रचा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़र्च करने के लिए मिलने वाला धन 2. दैनिक ज़रूरतों, जैसे खाना-कपड़ा इत्यादि के लिए दी जाने वाली धनराशि।

ख़रचीला (फ़ा.) [वि.] 1. बहुत ख़र्च करने वाला 2. जो आवश्यकता से अधिक व्यय करता हो 3. मौज-मस्ती करने वाला।

खरतर [वि.] 1. कठोर और तेज़ चीज़ 2. ज़्यादा उग्र स्वभाव वाला।

खरदंड (सं.) [सं-पु.] कमल; जलज।

खरदनी [सं-स्त्री.] 1. खरादने का औज़ार 2. बनावट; गठन।

खरदा [सं-पु.] अंगूरों की बेल पर लगने वाला रोग।

ख़रदिमाग (फ़ा.) [वि.] 1. हठी 2. मूर्ख या नासमझ।

खरदुक [सं-पु.] पुराने ज़माने का पहनावा।

खरदूषण (सं.) [सं-पु.] 1. धतूरे का पौधा 2. (रामायण) खर और दूषण नामक राक्षस जो रावण के भाई थे।

खरधार (सं.) [वि.] तेज़ धार वाली चीज़; प्रखर।

खरनाद (सं.) [सं-पु.] गधे का बोलना या रेंकना। [वि.] गधे जैसी आवाज़वाला।

खरपत [सं-पु.] धोगर नाम का एक वृक्ष।

खरपतवार [सं-स्त्री.] 1. खेत में फ़सल के साथ उगने वाली अन्य वनस्पति या घास-पात 2. खरपात; (वीड)।

खरपुष्प (सं.) [सं-पु.] मरवा का पौधा; मरुआ।

खरब (सं.) [वि.] सौ अरब का सूचक।

ख़रबूज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ककड़ी की जाति की एक बेल जो ग्रीष्म ऋतु में फल देती है 2. गरमी के मौसम का एक प्रसिद्ध मीठा फल।

खरभराना [क्रि-स.] 1. व्यर्थ हंगामा 2. क्षुब्ध करना 3. घबराहट में डालना।

ख़रमस्त (फ़ा.) [वि.] 1. सदैव मस्त रहने वाला; मतवाला 2. दुष्ट; शरारती 3. कामुक।

ख़रमस्ती [सं-स्त्री.] 1. खरमस्त होने की अवस्था या भाव 2. हँसी में की जाने वाला शरारत 3. मस्ती या चुहलबाज़ी 4. कामुकतापूर्ण व्यवहार।

खरमास (सं.) [सं-पु.] पूस और चैत के महीने जिसमें हिंदू कोई शुभ काम नहीं करते; तीक्ष्ण महीना।

खरल (सं.) [सं-पु.] 1. लोहे अथवा पत्थर का पात्र 2. ऐसा पात्र जिसमें दवाइयाँ पीसकर उसका चूर्ण बनाया जाता है।

खरवट [सं-स्त्री.] रेती लगाने का काठ का बना तिकोना उपकरण।

खरस [सं-पु.] 1. भालू 2. कलंदरों की बोली अथवा भाषा।

खरसैला [वि.] (ऐसा प्राणी) जो खुजली रोग से ग्रस्त हो।

खरस्कंध (सं.) [सं-पु.] चिरौंजी का वृक्ष।

खरहर [सं-पु.] हिमालय के तराई वाले क्षेत्र में होने वाला बलूत जाति का एक पेड़।

खरहरा [सं-पु.] 1. लोहे से बनाई जाने वाली चौकोर आकार की कंघी जिससे घोड़े के शरीर की धूल साफ़ की जाती है 2. अरहर के डंठलों से बनी झाड़ू 3. झंखरा।

खरहरी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का मेवा; खजूर।

खरहा [सं-पु.] खरगोश।

खरा (सं.) [वि.] 1. सच्चा 2. जिसमें किसी प्रकार का खोट या मैल न हो 3. छल-कपट से रहित; निष्कपट 4. ईमानदार। [मु.] रुपए खरे होना : रुपए मिलने का निश्चय होना। खरी-खरी सुनाना : कठोर वचन बोलना।

खरांडक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) भगवान शिव के अनुचर का नाम।

खरांशु (सं.) [सं-पु.] सूर्य।

खराई [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ का बेहतर होना; श्रेष्ठता 2. सच्चाई।

खरागरी (सं.) [सं-स्त्री.] देवताड़ नाम का एक वृक्ष।

ख़राज (फ़ा.) [सं-पु.] 1. भूमिकर; राजस्व; ख़िराज; लगान 2. चौथ।

ख़राद (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का यंत्र जो लकड़ी अथवा धातु की बनी हुई वस्तुओं के बेडौल अंग छीलकर उन्हें सुडौल और चिकना बनाता है। [सं-स्त्री.] 1. ख़रादने की क्रिया या भाव 2. ख़रादी गई वस्तु का रूप 3. बनावट का ढंग; गढ़न।

ख़रादना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को ख़राद पर चढ़ाकर या छीलकर सुंदर और सुडौल बनाना 2. वस्तुओं को चिकना और विशिष्ट आकार देना 3. काट-छाँटकर ठीक और दुरुस्त करना।

ख़रादी [सं-पु.] वह व्यक्ति जो ख़रादने का काम करता हो; ख़रादने वाला व्यक्ति।

खरापन [सं-पु.] 1. खरे अर्थात निर्मल, शुद्ध अथवा निश्छल होने की अवस्था, गुण या भाव 2. सत्यता 3. तथ्यपरक और निडर होकर बात कहने की कला।

ख़राब (अ.) [वि.] 1. विकृत; बिगड़ा हुआ; बुरा; निकृष्ट 2. दूषित; अपवित्र 3. धूर्त; बदमाश 4. जिसका चाल-चलन अच्छा न हो; पतित; दुश्चरित्र; मर्यादाभ्रष्ट 5. दुर्दशाग्रस्त 6. जो प्रीतिकर न हो। [मु.] -होनाः बिगड़ जाना; विकारग्रस्त होना।

ख़राबात (फ़ा.) [सं-पु.] 1. दारू का अड्डा 2. जुए का अड्डा।

ख़राबाती (फ़ा.) [वि.] 1. दारूबाज़ 2. जुआरी।

ख़राबी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़राब होने की अवस्था या भाव 2. दोष; विकार; कमी 3. दुर्दशा; दुरवस्था 4. अनिष्ट; हानि।

ख़राश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. खरोंच; छिलन 2. किसी अंग के छिल जाने या रगड़ने पर होने वाला घाव 3. खुजली।

खराह्वा (सं.) [सं-स्त्री.] अजवाइन; अजमोदा।

खरिक [सं-पु.] 1. गोठ 2. पशुओं के चरने की जगह 3. वह ईख जो ख़रीफ़ की फ़सल के बाद बोई जाती हो।

खरिका [सं-पु.] 1. चरागाह 2. वह ईख जो खरीफ़ की फ़सल के बाद बोई जाती हो 3. दाँत खोदने का तिनका।

खरिया [सं-स्त्री.] 1. झोली अथवा थैली 2. भूसा ले जाने के लिए रस्सी की बनी हुई जाली 3. राँची व उसके आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाली एक जंगली जाति।

खरी-खोटी [वि.] 1. भली-बुरी; अच्छी-बुरी 2. कड़वी-कसैली।

ख़रीता (अ.) [सं-पु.] 1. थैली; जेब 2. बड़ा लिफ़ाफ़ा जिसमें राजा या किसी अधिकारी का पत्र हो 3. सुई धागा रखने की थैली।

ख़रीद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़रीदने की क्रिया या भाव; क्रय; ख़रीददारी 2. वह जिसपर कोई वस्तु ख़रीदी जाए।

ख़रीददार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो वस्तुएँ आदि ख़रीदता हो; ग्राहक; ख़रीदने वाला; क्रेता 2. चाहने वाला।

ख़रीददारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वस्तु ख़रीदने की क्रिया या भाव; ख़रीदने का काम; क्रय; ख़रीद।

ख़रीदना (फ़ा.) [क्रि-स.] क्रय करना; मोल लेना।

ख़रीद फ़रोख़्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] क्रय-विक्रय।

ख़रीदार (फ़ा.) [सं-पु.] दे. ख़रीददार।

ख़रीदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. ख़रीददारी।

ख़रीफ़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ग्रीष्म ऋतु या वर्षा काल में बोई जाने वाली फ़सल, जैसे- धान, बाजरा इत्यादि 2. फ़सली साल की दो ऋतुओं में से एक 3. कार्तिक में काटी जाने वाली फ़सल 4. आषाढ़ से कार्तिक मास तक की अवधि।

खरे [सं-पु.] एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम।

खरेई [अव्य.] 1. वस्तुतः 2. बहुत अधिक; अत्यंत।

खरैंटी [सं-स्त्री.] एक पौधा जिसकी जड़ दवा के काम आती है; बला; बरियारा।

खरोंच (सं.) [सं-स्त्री.] किसी चीज़ के रगड़ जाने से या छिलने से बनने वाला चिह्न या निशान; खराश।

खरोंचना (सं.) [क्रि-स.] 1. छीलना 2. किसी चाकू से किसी वस्तु को खुरचना।

खरोंट [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ के रगड़ जाने से या छिलने से बनने वाला चिह्न या निशान; खरोंच 2. ख़राश।

खरोरी [सं-स्त्री.] बैलगाड़ी में लगे दोनों तरफ़ के वे दो खूँटे जिनको थामने के लिए बाँस दिए जाते हैं।

ख़रोश (फ़ा.) [सं-पु.] ज़ोर की आवाज़; कोलाहल; शोरगुल।

खरोष्ठी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्राचीन लिपि जो दाहिनी ओर से बाईं ओर लिखी जाती है।

ख़र्च (फ़ा.) [सं-पु.] 1. व्यय 2. उपभोग; इस्तेमाल 3. समाप्त।

ख़र्चना (फ़ा.) [क्रि-स.] 1. व्यय करना 2. ख़र्च करना 3. काम में लाना 4. ख़रचना।

ख़र्चा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. लागत 2. व्यय 3. ख़रचा।

ख़र्चीला [वि.] अत्यधिक ख़र्च करने वाला; ख़रचीला।

खर्जन (सं.) [सं-पु.] 1. खुजली 2. खुजलाना।

खर्जिका (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की बीमारी अथवा रोग; उपदंश नामक रोग।

खर्जु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धतूरे का पौधा 2. एक प्रकार का कीड़ा 3. जंगली खजूर।

खर्जू (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कलकलाना; खुजली 2. एक प्रकार का कीड़ा।

खर्जूर (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वृक्ष; खजूर 2. उक्त वृक्ष का फल।

खर्जूरी (सं.) [सं-स्त्री.] खजूर; खर्जूर।

खर्पर (सं.) [सं-पु.] 1. खप्पर नाम का पात्र 2. खोपड़ा; खोपड़ी 3. मिट्टी का फूटा हुआ बरतन।

खर्परिका (सं.) [सं-स्त्री.] छतरी; मंडप; गुंबद।

खर्परी (सं.) [सं-स्त्री.] खपरिया; छोटा खपड़ा।

खर्बट (सं.) [सं-पु.] 1. पहाड़ पर बसी हुई बस्ती 2. बाज़ार।

खर्रा [सं-पु.] 1. लंबा पत्र 2. विवरण 3. एक प्रकार का चर्मरोग जिसमें चमड़ा कड़ा हो जाता है 4. कत्था, तंबाकू आदि का चूर्ण जिसका सेवन नशे के रूप में किया जाता है।

ख़र्राच (फ़ा.) [वि.] बहुत ख़र्च करने वाला; ख़रचीला।

खर्राट [वि.] 1. बुद्धिमान 2. वृद्ध 3. अनुभवी।

खर्राटा [सं-पु.] सोते समय ज़ोर से साँस लेने पर मुँह से निकलने वाली खर-खर की ध्वनि। [मु.] खर्राटे भरना : बेसुध होकर सोना।

खर्रात (अ.) [वि.] दे. ख़र्राद।

ख़र्राती (अ.) [सं-स्त्री.] ख़रादी का पेशा या काम।

ख़र्राद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़राद का काम करने वाला व्यक्ति 2. एक प्रकार का यंत्र जिससे लकड़ियों को छीलकर उन्हें सुडौल बनाया जाता है; रंदा।

खर्व (सं.) [वि.] 1. बौना; ठिंगना 2. विकलांग।

खर्वट (सं.) [सं-पु.] 1. पहाड़ पर बसी हुई बस्ती 2. बाज़ार।

खर्वित (सं.) [वि.] 1. आकार में छोटा किया हुआ 2. लघु; छोटा।

खर्विता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चतुर्दशी युक्त अमावस्या 2. वह तिथि जिसका काल-मान पिछली या बीती हुई तिथि से कुछ कम हो।

खल (सं.) [वि.] 1. दुष्ट; दुर्जन 2. क्रूर 3. बेहया 4. नीच; अधम 5. धोखेबाज़। [सं-पु.] खलिहान।

ख़लक (अ.) [सं-पु.] दे. ख़ल्क़।

ख़लकत (अ.) [सं-स्त्री.] भीड़; जन समूह; मजमा।

खलखल [सं-स्त्री.] 1. किसी तरल पदार्थ को बोतल से उँड़ेलने अथवा उबालने पर होने वाली ध्वनि 2. खिलखिलाकर हँसने से होने वाली आवाज़।

खलना (सं.) [क्रि-अ.] अप्रिय या बुरा लगना; चुभना; अखरना; खटकना।

खलनायक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी नाटक, फ़िल्म या उपन्यास में दुष्टप्रवृत्तियों के प्रतीक के रूप में उभरा हुआ वह पात्र जो नायक के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है 2. काम बिगाड़ने वाला दुष्ट प्रवृत्तियों का व्यक्ति; (विलेन)।

खलबलाना [क्रि-अ.] 1. खौलना; उबलना 2. खलबल शब्द करना 3. कुलबुलाना 4. बेचैन होना 5. हलचल उत्पन्न करना।

खलबलाहट [सं-स्त्री.] खलबलाने का भाव; खलबली; बेचैनी।

खलबली [सं-स्त्री.] 1. घबराहट; भय 2. हलचल 3. हड़बड़ी 4. क्षोभ। [मु.] -मचना : क्षोभ या आतंक फैलना।

खलभलाहट [सं-स्त्री.] खलबलाने का भाव।

ख़लल (अ.) [सं-पु.] 1. रुकावट; बाधा; अड़चन; बिगाड़ 2. रोग।

खलसा [सं-स्त्री.] एक बड़े आकार की मछली।

खलाधारा (सं.) [सं-स्त्री.] तिलचट्टा।

ख़लाल (अं.) [सं-पु.] 1. छोटा तिनका या टुकड़ा जिससे दाँतों में फँसे भोजन को खोद कर निकालते हैं 2. ताश के खेल में हार जाना 3. उक्त प्रकार की हार।

ख़लास (अ.) [वि.] 1. जो बंधन में न हो; बंधनमुक्त 2. ग़रीब; निर्धन; दरिद्र 3. समाप्त; ख़तम; ख़ाली 4. संभोग के समय जिसका वीर्यपात हो चुका हो। [सं-पु.] छुटकारा, मृत्यु।

ख़लासी (अ.) [सं-पु.] जहाज़ों, रेलों और बसों आदि में काम करने वाला श्रमिक। [सं-स्त्री.] मुक्ति; छुटकारा।

खलिन (सं.) [सं-पु.] 1. घोड़े की लगाम 2. लगाम का काँटा।

खलियान [सं-पु.] खलिहान।

खलियाना [क्रि-स.] मृत पशुओं या जानवरों आदि की खाल को धारदार औज़ार की सहायता से उधेड़ना या उतारना।

ख़लिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कसक; टीस 2. चुभने का भाव; चुभन 3. चिंता; फ़िक्र; उलझन।

खलिहान [सं-पु.] 1. वह जगह जहाँ किसान अपनी फ़सल काटकर रखता है और मड़ाई आदि करता है 2. अव्यवस्थित रूप से रखी गई फ़सल का ढेर।

खली (सं.) [सं-स्त्री.] तेल निकल जाने पर तिलहन की बची हुई सीठी जो जानवरों को खिलाई जाती है।

ख़लीज (अ.) [सं-स्त्री.] समुद्र का वह टुकड़ा जो तीन ओर से स्थल से घिरा हो; खाड़ी।

खलीता [सं-पु.] 1. थैली 2. जेब।

ख़लीफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. इस्लाम के प्रवर्तक के उत्तराधिकारी का पद 2. शासक; राजा 3. मुसलिम राष्ट्र में एक सर्वोच्च पद जिसपर मुहम्मद साहब का उत्तराधिकारी नियुक्त होता था और संसार भर के मुसलमानों का नेता माना जाता था 4. दक्ष व्यक्ति; विशेषज्ञ 5. प्रधान अधिकारी; अध्यक्ष 6. {ला-अ.} बहुत बड़ा चालाक और धूर्त व्यक्ति।

खलूरिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्थान जहाँ सैनिक-शिक्षा दी जाती है 2. सैनिकों के व्यायाम करने की जगह।

खलूरी (सं.) [सं-स्त्री.] खलूरिका; अखाड़ा; व्यायामशाला।

खलेल [सं-पु.] तेल में रह जाने वाला खली का वह अंश जो छानने या निथारने पर निकलता है; खल।

ख़ल्क़ (अ.) [सं-पु.] 1. संसार; जगत; दुनिया 2. सृष्टि के प्राणी या जीवधारी 3. जन समूह; भीड़।

खल्या (सं.) [सं-स्त्री.] खलियानों का समूह।

खल्ल (सं.) [सं-पु.] 1. खाल; चमड़ा 2. गडढ़ा 3. चमड़े की बनी हुई मशक 4. चातक पक्षी 5. जलप्रणाली 6. नहर।

खल्लड़ (सं.) [सं-पु.] 1. मरे हुए पशु की उतारी हुई खाल 2. चमड़े का थैला 3. मसाले अथवा औषधि कूटने का खरल।

खल्लिका (सं.) [सं-स्त्री.] कड़ाही।

खल्ली (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का वात रोग जिसमें हाथ-पाँव मुड़ जाते हैं और उनमें दर्द होता है।

खल्लीट (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का रोग जिसमें सिर के बाल झड़ जाते हैं; गंज नाम का रोग; गंजापन। [वि.] गंजा।

खल्वाट (सं.) [वि.] जिसके सिर के बाल झड़ गए हों; गंजा; केशविहीन। [सं-पु.] गंजापन।

खवा (सं.) [सं-पु.] भुजा का मूल; कंधा।

ख़वास (अ.) [सं-पु.] 1. ख़ास लोग; चुने हुए लोग, विशिष्ट वर्ग ('अवाम' का विलोम) 2. वह नौकर जो अंगरक्षक का भी काम करता हो 3. राजाओं और रईसों का ख़ास ख़िदमतगार 4. राजस्थानी राजाओं का विशेष सेवक वर्ग और उस वर्ग का कोई व्यक्ति 5. सखा, दोस्त 6. तासीर, गुण।

ख़वासी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ख़वास का पद, काम या भाव 2. नौकरी; चाकरी 3. गाड़ी, बग्घी आदि में ख़वास के बैठने का स्थान 4. सहेली; सखी 5. ब्लाउज़ में बगल की तरफ़ लगने वाला जोड़।

खवैया [सं-पु.] खाने वाला व्यक्ति।

खशी (सं.) [सं-पु.] हलका आसमानी रंग। [वि.] 1. हलका आसमानी 2. पोस्ते के फूल के रंग का।

ख़श्का (फ़ा.) [सं-पु.] बिना किसी चिकनाई के पके हुए चावल; भात; सादा चावल।

खश्म (अ.) [सं-पु.] क्रोध; कोप; रोष; गुस्सा।

खष्य (सं.) [सं-पु.] 1. निष्ठुरता 2. क्रोध 3. हिंसा।

खस (सं.) [सं-पु.] 1. वर्तमान गढ़वाल और उसके उत्तरी प्रदेश का पुराना नाम 2. इस प्रदेश में रहने वाली एक प्राचीन जाति।

ख़स (फ़ा.) [सं-स्त्री.] गाँडर नामक घास की जड़ें जो सुगंधित होती हैं और जिनकी टट्टियाँ बनाई जाती हैं; उशीर।

खसखस (सं.) [सं-पु.] पोस्ते का दाना या बीज; ख़सख़ाश; अफ़ीम के सूखे बीज।

खसखसा [वि.] 1. खसखस के दानों की तरह का; बहुत छोटा, जैसे- खसखसी दाढ़ी 2. दरदराया हुआ; भुरभुरा।

ख़सख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] ख़स की टट्टियों से घिरा हुआ कमरा या घर।

ख़सख़ाश (फ़ा.) [सं-पु.] पोस्ते का पौधा और उसका बीज या दाना; खसखस।

खसम (सं.) [वि.] 1. शून्य के समान 2. निर्लिप्त 3. आकाश के समान।

ख़सम (अ.) [सं-पु.] 1. पति; शौहर; ख़ाविंद 2. {अ-अ.} मालिक; स्वामी 3. दुश्मन; शत्रु।

ख़समखानी [सं-स्त्री.] {अशि.} एक प्रकार की गाली।

ख़समपीटी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की गाली जो समाज में अशिष्ट समझी जाती है 2. {शा-अ.} वह स्त्री जिसका पति मर गया हो; विधवा।

खसरा [सं-पु.] 1. एक प्रकार का संक्रामक रोग; छोटी चेचक (मसूरिका) 2. एक तरह की खुजली।

ख़सरा (अ.) [सं-पु.] 1. हिसाब का कच्चा चिट्ठा; खर्रा 2. पटवारी या लेखपाल का वह कागज़ या बही जिसमें खेती संबंधी हिसाब-किताब लिखा जाता हो।

ख़सलत (अ‍.) [सं-स्त्री.] आदत; गुण; स्वभाव।

खसाना [क्रि-स.] नीचे की ओर ढकेलना, फेंकना या गिराना।

ख़सारा (अ.) [सं-पु.] हानि; नुकसान; घाटा; टोटा।

ख़सासत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ख़सीस होने की अवस्था या भाव; ख़सीसपन 2. कृपणता; कंजूसी 3. नीचता; क्षुद्रता; अधमता।

खसिया [सं-पु.] असम की एक पहाड़ी और उसके आसपास का क्षेत्र।

खसियाना [क्रि-स.] खसी करना।

ख़सी (अ.) [सं-पु.] दे. ख़स्सी।

ख़सीस (अ.) [वि.] कंजूस; सूम; कृपण।

खसोट [सं-स्त्री.] 1. लूटने या छीनने की क्रिया या भाव 2. उखाड़ने, नोचने या खसोटने की क्रिया या भाव।

खसोटना [क्रि-स.] 1. झटके से या बलपूर्वक उखाड़ना 2. छीन लेना; नोच लेना।

खसोटा [सं-पु.] 1. नोच-खसोट करने वाला व्यक्ति 2. कुश्ती का पेंच 3. लुटेरा।

खसोटी [सं-स्त्री.] खसोट।

ख़स्तगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] खस्तापन; कुरकुरापन; भुरभुरापन।

ख़स्ता (अ.) [सं-पु.] मोयनदार, कुरकुरा कचौरी जैसा खाद्य पदार्थ। [वि.] 1. टूटा हुआ, भग्न; टूटा-फूटा; जीर्ण-शीर्ण 2. थोड़े से दबाव से टूट जाने वाला; भुरभुरा; कुरकुरा 3. जो खाने में कुरकुरा और मुलायम हो 4. घायल 5. उदास; दुखी; खिन्न।

ख़स्ताहाल (फ़ा.) [वि.] 1. अकिंचन; दरिद्र 2. दुर्दशाग्रस्त।

ख़स्ताहाली (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दरिद्रता; गरीबी; कंगाली।

खस्वस्तिक (सं.) [सं-पु.] वह कल्पित बिंदु जो सिर के ऊपर आकाश में माना गया है; शीर्षबिंदु; खमध्य।

ख़स्सी (अ.) [सं-पु.] 1. बधिया किया गया पशु; ख़सी 2. हिजड़ा; नपुंसक 3. बकरा। [वि.] बधिया किया हुआ।

खहेला [सं-पु.] सूत का रंगीन बाज़ूबंद।

ख़ाँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़ान 2. एक कुलनाम या सरनेम।

खाँग (सं.) [सं-पु.] 1. काँटा; कंटक 2. कुछ पक्षियों के पैरों में निकला हुआ काँटा, जैसे- तीतर 3. जंगली सुअर का बाहर की ओर निकलता हुआ बड़ा दाँत 4. कुछ पशुओं के सिर पर का सींग, जैसे- गेंडे की खाँग 5. खुरपका रोग। [सं-स्त्री.] 1. कमी; छीजन 2. गलती; त्रुटि; कसर।

खाँगड़ [वि.] 1. जिसे खाँग रोग हो 2. हथियारबंद; जिसके पास शस्त्र-अस्त्र हो 3. ताकतवर; बलवान।

खाँगड़ा [वि.] खाँगड़।

खाँगी [सं-स्त्री.] 1. कमतरी; कमी 2. घाटा।

खाँचा [सं-पु.] 1. बड़ा पिंजरा 2. अरहर या उसके जैसी पतली टहनी या डंठल से बना बड़ा टोकरा; झाबा।

खाँची [सं-स्त्री.] खँचिया; छोटा खाँचा।

खाँटी [वि.] 1. साफ़; सच्चा 2. बिना मिलावट का 3. बिलकुल; पूर्णतया; निरा।

खाँड़ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोल्हू में बनी लाल रंग की चीनी या बुरादा; राब 2. बिना साफ़ की हुई चीनी; कच्ची चीनी या शक्कर 3. गड्ढा।

खाँड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. खड्ग नामक शस्त्र 2. सीधी एवं चौड़ी तलवार।

खाँप [सं-स्त्री.] 1. टुकड़ा 2. फाँक।

खाँभना [क्रि-स.] 1. लिफ़ाफ़े में बंद करना 2. आटे आदि से घड़े का मुँह बंद करना।

खाँवाँ [सं-पु.] दे. खावाँ।

खाँसना (सं.) [क्रि-अ.] 1. गले में फँसे बलगम को निकालने के लिए फेफड़े से झटके और आवाज़ के साथ हवा का बाहर निकलना 2. खखारना।

खाँसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खाँसने की क्रिया 2. खाँसने से होने वाला शब्द 3. एक रोग जिसमें मनुष्य एवं पशुओं में बार-बार यह क्रिया होती है।

खांड (सं.) [सं-पु.] 1. अलग या विभक्त होने की क्रिया 2. खाँड़ से बनी चीज़ 3. मिसरी।

खांडव (सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) एक वन जो वर्तमान में दिल्ली के आसपास का क्षेत्र है जिसे अर्जुन ने जलाकर रहने लायक बनाया था 2. खाँड़ से बनी खाने की चीज़ 3. मिठाई 4. मिसरी।

खांडविक (सं.) [सं-पु.] खाने के मीठे पदार्थ बनाने वाला; हलवाई।

खांडिक (सं.) [सं-पु.] हलवाई।

ख़ाइन (अ.) [वि.] पैसे खा जाने वाला; बेईमान।

खाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खंदक; सुरंग; खड्ड 2. सुरक्षा की दृष्टि से किले के चारों ओर खोदी जाने वाली नहर 3. युद्ध में खोदा जाने वाला वह गड्ढा जिसमें छुपकर सैनिक बंदूक चलाते हैं। [मु.] -में ढकेलना : मुसीबत में डालना।

खाऊ [वि.] 1. बहुत खाने वाला; पेटू 2. घूस लेने वाला; रिश्वतख़ोर 3. अनुचित रूप से दूसरों का धन लेने वाला अथवा हड़पने वाला 4. {ला-अ.} स्वार्थी या लोभी।

ख़ाक (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धूल; मिट्टी; राख; सिफ़र 2. तुच्छ वस्तु। [वि.] 1. तुच्छ; छोटा 2. दीन; विनीत 3. नष्ट। [अव्य.] कुछ नहीं। [मु.] -छानना : मारा-मारा फिरना; गलियों में भटकना। -में मिलना : सब कुछ ख़त्म होना; बरबाद होना। -उड़ाना : आवारागर्दी करना। -डालना : भूल जाना; (ऐब पर) पर्दा डालना या छिपाना।

ख़ाकअंदाज़ (अ.) [सं-पु.] 1. किले की दीवार का वह छेद जिसमें से दुश्मन पर गोली दागी जाती है 2. चूल्हे से राख निकालने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला बरतन।

ख़ाकदान (अ.) [सं-पु.] कूड़ा, धूल-मिट्टी आदि फेंकने की जगह।

ख़ाकशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] खाकसीर।

ख़ाकसार (फ़ा.) [वि.] बहुत अधिक विनीत या दीन; तुच्छ; नाचीज़ (प्रायः नम्रता दिखलाने के उद्देश्य से अपने लिए प्रयुक्त शब्द)।

ख़ाकसारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत अधिक विनम्रता 2. गरीबी; दीनता।

खाकसीर [सं-स्त्री.] खूबकला नामक वनस्पति का दाना अथवा बीज जो दवा के काम आता है।

ख़ाका (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी चित्र या योजना का प्रारूप; ढाँचा; नमूना 2. नक्शा; मानचित्र 3. चिट्ठा; तख़मीन; मसौदा; आलेख 4. कच्चा चिट्ठा; (ड्राफ़्ट) 5. परिकल्पना 6. शब्दचित्र।

ख़ाक़ान (तु.) [सं-पु.] 1. सम्राट; राजा 2. चीन के पुराने सम्राटों की उपाधि।

ख़ाकी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मटियाला या धूसर रंग 2. मिट्टी जैसे रंग का कपड़ा 3. सेना तथा पुलिस की वर्दी जो भूरे या मटियाले रंग की होती है 4. बिना सींचा हुआ खेत। [वि.] 1. मिट्टी से संबंध रखने वाला; मिट्टी का 2. मिट्टी का बना हुआ 3. मिट्टी के रंग का; मटमैला; भूरा।

खाज [सं-स्त्री.] 1. त्वचा में खुजली होने का रोग; ख़ारिश 2. {ला-अ.} कष्ट। [मु.] कोढ़ में खाज : एक कष्ट में आकर मिलने वाला दूसरा बड़ा कष्ट।

खाजा (सं.) [सं-पु.] 1. मैदे से बनी एक प्रकार की प्रसिद्ध मिठाई 2. एक जंगली वृक्ष और उसका फूल 3. पक्षियों का खाद्य पदार्थ।

खाजिक (सं.) [सं-पु.] 1. भूना हुआ धान 2. अन्न का लावा।

खाट (सं.) [सं-स्त्री.] खटिया; चारपाई।

खाटी (सं.) [सं-स्त्री.] शव ले जाने का लकड़ी का बनाया गया चौकोर ढाँचा; अरथी।

खाड़व (सं.) [वि.] (संगीत) छह स्वरों वाला राग; षाड़व।

खाड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समुद्र का वह भाग जो तीन ओर से ज़मीन से घिरा हुआ हो; उपसागर 2. गड्ढ़ा; खड्ड; गर्त।

खात (सं.) [सं-पु.] 1. खोदने का काम; खुदाई 2. खोदी हुई ज़मीन; गड्ढा; खत्ती 3. तालाब 4. कुआँ 5. खाई 6. वह गड्डा जिसमें कूड़ा-करकट भरकर खाद तैयार की जाती है।

खातक (सं.) [वि.] खोदने वाला। [सं-पु.] 1. खाई 2. छोटा तालाब 3. ऋणी; कर्ज़दार।

ख़ातम (अ.) [सं-पु.] 1. अँगूठी 2. मुहर।

ख़ातमा (अ.) [सं-पु.] 1. समाप्त होने की अवस्था या भाव 2. अंत; नाश; मृत्यु 3. सफ़ाया; हत्या।

खाता [सं-पु.] 1. किसी कार्य, विभाग आदि के आय-व्यय तथा लेन-देन का लेखा-जोखा 2. हिसाब-किताब लिखने की बही 3. लेखा शीर्षक 4. मद; विभाग। [सं-स्त्री.] अनाज भरकर रखने का गड्ढा।

ख़ातिम (अ.) [वि.] 1. ख़तम या समाप्त करने वाला 2. सबसे पीछे या बाद का।

ख़ातिमा (अ.) [सं-पु.] 1. अंत; समाप्ति 2. मृत्यु; मरण 3. नतीजा; परिणाम; फल 4. पुस्तक का अंतिम अध्याय 4. सफ़ाया।

ख़ातिर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सत्कार; आव-भगत; सम्मान 2. आदर; लिहाज़; ध्यान 3. इच्छा; मरज़ी। [अव्य.] लिए; वास्ते; कारण।

ख़ातिरजमा (अ.) [सं-स्त्री.] संतोष; तसल्ली; इतमीनान।

ख़ातिरदार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] आवभगत या आदर-सत्कार करने वाला व्यक्ति।

ख़ातिरदारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] ख़ातिर करने की क्रिया या भाव; आदर-सत्कार; आवभगत।

ख़ातिरन (अ.) [अव्य.] 1. वास्ते 2. प्रसन्नता के लिए।

खातिरी [सं-स्त्री.] वह फ़सल जो नदी के किनारे खाद के सहारे या हाथ से पानी सींच-सींचकर पैदा की जाए।

ख़ातिरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सम्मान; आदर; आवभगत 2. संतोष; तसल्ली; इतमीनान।

खाती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खोदी हुई भूमि; खंती; गड्ढा 2. छोटा तालाब। [सं-पु.] 1. ज़मीन खोदने का काम करने वाले मज़दूर 3. एक जाति जो प्रायः ज़मीन खोदने का काम करती है; खतिया जाति 2. बढ़ई।

ख़ातून (तु.) [सं-स्त्री.] 1. शिष्ट या विवाहित स्त्री के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला संबोधन 2. बीबी; श्रीमती 3. कुलीन महिला।

खातेदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह किसान जिसकी ज़मीन पटवारी के खाते में दर्ज हो 2. जिसके नाम से हिसाब-किताब हो।

ख़ात्मा (फ़ा.) [सं-पु.] दे. ख़ातमा।

खात्र (सं.) [सं-पु.] 1. फावड़ा 2. सूत 3. जंगल 4. तालाब 5. डर।

खाद1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन का उपजाऊपन बढ़ाने के लिए गोबर, पेड़-पौधे आदि को सड़ा-गलाकर तैयार किया गया जैविक उर्वरक 2. रासायनिक खाद; उर्वरक।

खाद2 (सं.) [सं-पु.] खाना, भक्षण।

खादक (सं.) [वि.] 1. खाने वाला; भक्षक २. ऋणी; कर्ज़दार।

खादन (सं.) [सं-पु.] 1. खाने की क्रिया; भक्षण 2. भोजन।

खादर [सं-पु.] 1. नदी के पास की निचली ज़मीन जहाँ वर्षा का पानी जमा हो 2. नदी के पास की वह जगह जहाँ वर्षा होने पर बाढ़ आती हो; कछार; तराई 3. तंग घाटी।

खादित (सं.) [वि.] भक्षित; खाया हुआ।

ख़ादिम (अ.) [सं-पु.] 1. वह जो ख़िदमत या सेवा करता हो; नौकर; सेवक 2. मुसलमानों में दरगाह का अधिकारी या रक्षक।

ख़ादिमा (अ.) [सं-स्त्री.] ख़िदमत करने वाली; नौकरानी; मज़दूरनी; सेविका; दासी।

खादिर (सं.) [सं-पु.] कत्था; खैर। [वि.] खादिर से बनने वाला।

खादी [सं-स्त्री.] 1. हाथ का बुना मोटा कपड़ा; खद्दर 2. करघे पर बुना हुआ कपड़ा।

खादुक (सं.) [वि.] 1. कष्ट देने वाला 2. हानिकारक 3. हिंसक 4. बुराई करने वाला।

खाद्य (सं.) [सं-पु.] खाने की वस्तु; भोजन। [वि.] खाने योग्य; भोज्य; भक्ष्य।

खाद्यान्न (सं.) [सं-पु.] खाने में प्रयुक्त होने वाले अन्न, जैसे- गेहूँ, चावल, चना, मटर आदि।

खाद्योज [सं-पु.] प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले सूक्ष्म तत्व; जीवन-तत्व; पोषक तत्व; (विटामिन)।

खाधु (सं.) [सं-पु.] भक्षक; खाने वाला।

खान (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन के अंदर खोदा गया गहरा गड्ढ़ा जहाँ से धातु, कोयला आदि निकाले जाते हैं; खदान; (माइन) 2. ख़जाना; भंडार।

ख़ान (तु.) [सं-पु.] 1. तुर्की के पुराने राजाओं या सरदारों की उपाधि; स्वामी; सरदार; मालिक 2. कई गाँवों का मुखिया 3. रईस; अमीर 4. पठानों में एक कुलनाम या सरनेम।

खानक (सं.) [सं-पु.] वह मज़दूर जो ज़मीन या खान खोदता है।

ख़ानक़ाह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मुसलमान फ़कीरों, धर्म-प्रचारकों के ठहरने या रहने का स्थान 2. दरगाह; मठ।

ख़ानख़ानान (तु.) [सं-पु.] 1. सेना का प्रधान 2. सरदारों का सरदार।

ख़ानगी (फ़ा.) [वि.] 1. आपस का; निजी 2. घरेलू। [सं-स्त्री.] वेश्या; कसबी।

ख़ानदान (फ़ा.) [सं-पु.] वंश; कुल; घराना; कुटुंब।

ख़ानदानी (फ़ा.) [वि.] पुश्तैनी; पैतृक; अच्छे कुल या वंश का।

खान-पान (सं.) [सं-पु.] 1. खाने और पीने की क्रिया या भाव 2. खाने-पीने का ढंग या रीति-रिवाज।

ख़ानबहादुर (तु.+सं.) [सं-पु.] भारत में ब्रिटिश सरकार की एक उपाधि जो मुसलमानों या पारसियों को दी जाती थी।

ख़ानम (तु.) [सं-स्त्री.] 1. बेगम, बीवी 2. कुलीन या प्रतिष्ठित स्त्री 3. ख़ान की पत्नी।

ख़ानसामाँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. राजा या नवाबों के महल में रसोई का काम करने वाला; खाना बनाने वाला; बावर्ची; रसोइया 2. भंडारी।

खाना (सं.) [सं-पु.] खाद्य-पदार्थ; आहार; भोजन। [क्रि-स.] 1. आहार को दाँत से चबाकर निगलना 2. भक्षण करना; भोजन करना 3. ख़र्च करना 4. नष्ट करना 5. खोखला करना; कमज़ोर करना 6. विषैले जंतुओं का डँसना या काटना 7. तंग या परेशान करना 8. हड़पना 9. {ला-अ.} किसी से घूस या रिश्वत लेना। [मु.] -कमाना : काम-धंधा करके जीविकोपार्जन करना। -न पचना : चैन न पड़ना; बेचैन रहना।

ख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मकान; घर; भवन 2. छोटा बक्सा या डिब्बा 3. दीवार, मेज़, अलमारी आदि का वह भाग जहाँ वस्तुएँ रखी जाती हैं; दराज़ 4. स्थान; जगह; वर्गीकृत स्थान 5. रेलगाड़ी का डिब्बा।

ख़ाना आबाद (फ़ा.) [सं-पु.] एक दुआ जिसका अर्थ है घर में ख़ुशहाली रहे; घर बसा रहे।

ख़ाना आबादी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. घर की तरक्की या समृद्धि 2. विवाह; घर बसना।

ख़ानाजंगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पारिवारिक कलह 2. आपसी रंजिश; लड़ाई; गृहयुद्ध।

ख़ानाज़ाद (फ़ा.) [वि.] 1. दास या दासी का पुत्र 2. जो बाल्यावस्था से घर में रखकर पाला-पोसा गया हो।

ख़ाना तलाशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] चुराकर या छिपाकर रखी हुई किसी चीज़ के लिए किसी के घर की तलाशी; घर-तलाशी।

ख़ानादामाद (फ़ा.) [सं-पु.] ससुराल में पत्नी के घर जाकर रहने वाला व्यक्ति; ससुर के घर रहने वाला दामाद; घरजमाई।

ख़ानादार (फ़ा.) [वि.] बाल-बच्चोंवाला; गृहस्थ।

ख़ानानशीन (फ़ा.) [वि.] जिसे कामधाम न हो; बेकार; घर में ही पड़ा रहने वाला; निठल्ला; कामचोर; अकर्मण्य।

ख़ानापूरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी सारणी या हिसाब के ख़ानों को भरना; ख़ानों या कोष्ठों को भरना 2. {ला-अ.} औपचारिक कार्रवाई; केवल दिखावे के लिए किया गया कार्य।

ख़ानाबदोश (फ़ा.) [सं-पु.] गृहस्थी का सामान साथ में लेकर आजीविका के लिए भ्रमण करते रहने वाला समुदाय, जैसे- घुमंतू नट, मिरासी, बंजारा आदि। [वि.] जो एक जगह टिककर न रहे या न रहने पाए; जिसके रहने का कोई ठिकाना न हो और इधर-उधर घूमता हो; यायावर।

ख़ानाबदोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आदिम युग में यहाँ-वहाँ घूमकर जीवन बिताने की स्थिति; यायावरी।

ख़ानाबरबाद (फ़ा.) [वि.] पारिवारिक प्रतिष्ठा को ठेस लगाने वाला; घर उजाड़ने वाला; उड़ाऊ।

ख़ानासाज़ (फ़ा.) [वि.] घर का बना हुआ; गृह निर्मित। [सं-पु.] खाना बनाने वाला व्यक्ति।

खानिक (सं.) [सं-पु.] 1. दरार; छेद 2. सेंध। [वि.] खान से निकलने वाला; खनिज।

खानिल (सं.) [सं-पु.] सेंध लगाकर चोरी करने वाला व्यक्ति।

खानोदक (सं.) [सं-पु.] नारियल का वृक्ष।

खाप [सं-स्त्री.] 1. जातीय पंचायत का वह रूप जो प्राचीन परंपराओं, मान्यताओं और रूढ़ियों का पक्षधर तथा प्रगतिशीलता विरोधी होता है 2. प्राचीन काल से प्रचलित सामाजिक प्रशासन की एक सामंती पद्धति जो भारत के उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों, जैसे- राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में प्रचलित है।

खापगा (सं.) [सं-स्त्री.] आकाशगंगा; खगंगा; मंदाकिनी; दुग्ध-मेखला।

खापट [सं-स्त्री.] ऐसी ज़मीन जिसमें लोहे का अंश ज़्यादा हो।

खाभा [सं-पु.] कोल्हू के नीचे के बरतन में से तेल निकालने का मिट्टी का छोटा पात्र।

खाम [सं-पु.] 1. स्तंभ; खंभा 2. चिट्ठी रखने का लिफ़ाफ़ा 3. संधि; जोड़ 4. जोड़ पर लगाया जाने वाला टाँका। [वि.] कम होने वाला।

ख़ाम (फ़ा.) [वि.] 1. कच्चा; जो पकाया न गया हो; जो परिपक्व न हुआ हो 2. जिसे अनुभव न हो; अनुभवहीन; अप्रौढ़ 3. जो दृढ़ या पुष्ट न हो; निराधार 4. बुरा; ख़राब 5. अनुचित; असंगत; अयुक्त 6. पक्के से कम; छोटा (बाट या तौल)।

ख़ामख़याल (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. व्यर्थ के विचार; गलत विचार 2. अनुचित अवधारणा। [वि.] 1. गलत सोचने वाला 2. नासमझ; बेवकूफ़।

ख़ामख़याली (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] झूठी या फ़र्ज़ी सोच; व्यर्थ मान्यता; अनुचित या व्यर्थ के विचार।

ख़ामख़ाह (फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. बिना आवश्यकता के; व्यर्थ ही 2. बिना इच्छा के; बिना कारण।

ख़ामख़्वाह (फ़ा.) [क्रि.वि.] दे. ख़ामख़ाह।

खामना (सं.) [क्रि-स.] 1. आटे आदि से घड़े आदि का मुँह बंद करना 2. गोंद लगाकर लिफ़ाफ़ा बंद करना।

ख़ामा (फ़ा.) [सं-पु.] जिससे लिखा जाता हो; लेखनी; कलम।

ख़ामियाज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी अपराध या गलती के लिए मिलने वाली सज़ा; दंड 2. किसी कार्य के फलस्वरूप होने वाली हानि 3. प्राचीन काल में अपराधी के अंगों को शिकंजे में कसकर दी जाने वाली सज़ा 4. किसी भूल-चूक का परिणाम; क्षति 5. बदला; प्रतिफल; नतीजा 6. कष्ट।

ख़ामी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कमी; दोष; ख़राबी 2. कच्चे होने का भाव; कच्चापन; अपरिपक्वता 3. कमज़ोरी 4. अनुभव, ज्ञान आदि की अपूर्णता; अनुभवहीनता; नादानी।

ख़ामोश (फ़ा.) [वि.] जो कुछ बोल न रहा हो; मौन; चुप; शांत।

ख़ामोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मौन; चुप्पी; शांति 2. {ला-अ.} किसी घटना या भ्रष्टाचार के बाद जनता में व्याप्त भय और उदासीनता।

खार (सं.) [सं-पु.] 1. वनस्पतियों आदि से रासायनिक क्रिया द्वारा निकाला जाने वाला खारा पदार्थ; क्षार; अच्छी मिट्टी 2. धूल 3. भस्म; राख।

ख़ार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. काँटा; फाँस 2. कुछ पक्षियों के पैरों में निकलने वाला काँटा; खाँग 3. जलन; द्वेष 4. गहरा मनोमालिन्य; मन में दबा हुआ रोष; द्वेष। [मु.] -खाना : किसी के प्रति मन में द्वेष भाव रखना।

ख़ारदार (अ.) [वि.] काँटेदार; कँटीला।

खारना [क्रि-स.] किसी चीज़ को क्षार आदि के घोल में डालकर सुंदर और स्वच्छ बनाना; निखारना।

खारा (सं.) [वि.] 1. अधिक नमक वाला; जिसमें क्षार या खार का अंश हो; क्षारयुक्त; नमकीन 2. {ला-अ.} अप्रिय या अरुचिकर।

ख़ारा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कड़ा या भारी पत्थर; चट्टान 2. एक प्रकार का रेशमी कपड़ा।

खारि (सं.) [सं-स्त्री.] सोलह द्रोण की एक पुरानी तौल।

ख़ारिक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. छुहारा; खजूर 2. फ़ारस की खाड़ी का एक टापू।

ख़ारिज (अ.) [वि.] 1. बहिष्कृत; बाहर किया हुआ; निकाला हुआ 2. हटा दिया गया 3. अस्वीकृत किया गया; रद्द 4. भिन्न; पृथक; अलग 5. (अभियोग) जिसकी सुनवाई न हो।

ख़ारिजा (अ.) [वि.] 1. ख़ारिज किया या बाहर निकाला हुआ 2. परराष्ट्र संबंधी 3. बाह्य।

ख़ारिजी (अ.) [वि.] 1. बाहरी; बाह्य 2. परराष्ट्र संबंधी; विदेशी। [सं-पु.] मुसलमानों का एक संप्रदाय जो अली की खिलाफ़त करने वाले अनुयायियों को बहिष्कृत समझ लेते हैं।

ख़ारिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक रोग जिसमें शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल जाते हैं और खुजलाहट होती है; खाज 2. खुजली की बीमारी।

ख़ारिश्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] खारिश।

ख़ारिश्ती (फ़ा.) [वि.] जिसे खुजली रोग हो; खारिश से पीड़ित।

ख़ारिस्तान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. काँटों का जंगल; काँटों से भरी झाड़ी; ख़ारज़ार 2. कँटीली जगह।

खारी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का क्षार या नमक। [वि.] खारा।

खारुआ (सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का गहरा लाल रंग 2. एक प्रकार का मोटा लाल कपड़ा जिसकी थैलियाँ बनती हैं।

खारेजा [सं-पु.] 1. जंगली कुसुम 2. बर्र।

खार्कार (सं.) [सं-पु.] गधे का रेंकना।

खार्जूर (सं.) [सं-पु.] खजूर से निकाली गई दारू या शराब। [वि.] खजूर से संबंधित।

खार्वा (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) त्रेता युग।

खाल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. त्वचा; चमड़ा; चाम 2. मृत देह की चमड़ी 3. छिलका 4. चरसा; मोट 5. धौंकनी; भाथी 6. आवरण। [मु.] -उधेड़ना : कड़ा दंड देना; बहुत अधिक मारना-पीटना; अधमरा करना। -खींचना : बहुत मारना-पीटना।

ख़ालसा (अ.) [सं-पु.] 1. वह ज़मीन जिसपर राज्य का अधिकार हो 2. बिना मिलावट का; शुद्ध 3. जिसपर किसी एक का ही अधिकार हो 4. सिक्खों का एक संप्रदाय।

खाला [सं-स्त्री.] नीची जगह। [वि.] नीचा।

ख़ाला (फ़ा.) [सं-स्त्री.] माँ की बहन; मौसी।

खालिक (सं.) [सं-पु.] खेत-खलिहान जैसा; जहाँ फ़सल काट कर रखी जाती है।

ख़ालिक़ (अ.) [वि.] 1. सृष्टि की रचना करने वाला; सृष्टिकर्ता; ईश्वर 2. उत्पत्ति करने वाला; बनाने वाला।

ख़ालिस (अ.) [वि.] 1. जिसमें कोई दूसरी चीज़ न मिलाई गई हो; मिलावट रहित; पूरी तरह शुद्ध; विशुद्ध 2. जिसमें किसी प्रकार का दोष न हो 3. खरा; सच्चा।

ख़ालिसाना [अव्य.] 1. बिना किसी स्वार्थ के; निःस्वार्थ 2. नेकनीयती से।

खाली (अ.) [वि.] 1. जिसके अंदर कोई चीज़ न हो; जिसमें अंदर की जगह रिक्त हो; रीता 2. जिसमें कुछ भरा न हो 3. जिसपर कुछ स्थित न हो 4. जिसमें आवश्यक पदार्थ न हो 5. विहीन; रहित 6. जो इस समय उपयोग में न आ रहा हो 7. जो निष्फल या व्यर्थ सिद्ध हुआ हो।

ख़ालू (अ.) [सं-पु.] ख़ाला अर्थात मौसी का पति; मौसा।

खावाँ [सं-पु.] 1. गहरी खाई जो कम चौड़ी हो 2. खेत के चारों तरफ़ खोदा हुआ गड्ढा या मेड़।

ख़ाविंद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पति; ख़सम; शौहर 2. स्वामी; मालिक।

ख़ाविंदी [सं-स्त्री.] 1. पति होने की अवस्था; पतित्व 2. ईश्वर की ओर से होने वाली कृपा 3. अनुग्रह।

ख़ाशाक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कचरा; कूड़ा-करकट 2. निरुपयोगी वस्तु।

ख़ास (अ.) [वि.] 1. किसी विशिष्ट वस्तु या व्यक्ति से संबंध रखने वाला; विशेष 2. जो साधारण या आम न हो 3. महत्वपूर्ण; 'आम' का विलोम 4. किसी के पक्ष में होने वाला; निज का; आत्मीय 5. विशेष; विशिष्ट; जो नितांत अभिन्न एवं विश्वसनीय हो 6. ठेठ; विशुद्ध 7. मुख्य; प्रधान।

ख़ासकर [क्रि.वि.] विशेष रूप से; विशेषतः; ख़ासतौर से।

ख़ासकलम (अ.) [सं-पु.] वह लेखक या सहायक जिसे लोग अपने निजी कामों के लिए रखते हैं; ख़ासनवीस; निजी मुंशी; (प्राइवेट सेक्रेटरी)।

ख़ासगी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विशेषता; ख़ासियत 2. स्वभाव; प्रकृति 3. रखैल के रूप में रहने वाली नौकरानी। [वि.] 1. राजा या मालिक आदि का 2. निजी; निज का।

ख़ासदान (फ़ा.) [सं-पु.] पान, कत्था आदि रखने का डिब्बा; पानदान।

ख़ासनवीस (अ.) [सं-पु.] वह लेखक या सहायक जिसे लोग अपने निजी कामों के लिए रखते हैं; ख़ासक़लम; निजी मुंशी; (प्राइवेट सेक्रेटरी)।

ख़ासा [वि.] 1. अच्छा; भला; बढ़िया 2. भरपूर; काफ़ी; ख़ूब। [सं-पु.] 1. राजा या किसी विशिष्ट अमीर व्यक्ति के लिए बनने वाला भोजन या खाना 2. राजा की सवारी का साधन (घोड़ा या हाथी)।

ख़ासियत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विशेषता; अच्छाई; ख़ूबी 2. किसी तरह का हुनर या विशेषज्ञ 3. किसी वस्तु या व्यक्ति में होने वाला कोई विशिष्ट गुण; विशेषज्ञता 4. प्रकृति; स्वभाव 5. प्रभाव; असर।

खासिया (सं.) [सं-पु.] 1. असम के जंगलों में रहने वाली एक जाति जो खस भी कहलाती है 2. असम प्रांत की एक पहाड़ी।

खासियाना [सं-पु.] एक प्रकार की मँजीठ।

ख़ास्तई (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कबूतर का रंग 2. ख़ास्तई रंग का कबूतर।

ख़ास्सा (अ.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु में होने वाला कोई विशेष गुण 2. स्वभाव; आदत।

ख़ाहमख़ाह (फ़ा.) [अव्य.] 1. बेवज़ह, अकारण 2. बिना आवश्यकता के; चाहे आवश्यकता या इच्छा हो या न हो; बिना इच्छा के; प्रायः व्यर्थ।

खिंकिर (सं.) [सं-पु.] लोमड़ी।

खिंखिर (सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का गंधपूर्ण पदार्थ 2. चारपाई का पाया।

ख़िंग (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नुकरा 2. बिल्कुल सफ़ेद रंग का घोड़ा।

खिंचना [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु या व्यक्ति का बलपूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना; घसीटना 2. किसी स्थान या वस्तु आदि में से किसी चीज़ का बाहर निकलना 3. किसी वस्तु के एक या दोनों छोरों का एक या दोनों ओर बढ़ना; तनना 4. किसी एक व्यक्ति का किसी दूसरे व्यक्ति के पास उसकी शक्ति, सुंदरता, प्रेरणा आदि के द्वारा चले आना या उसे पसंद करने लगना; आकर्षित होना; प्रवृत्त होना 5. सोखा जाना; खपना; चुसना 6. चित्रित होना 7. भभके आदि से अर्क या शराब आदि तैयार होना।

खिंचवाना [क्रि-स.] 1. खींचने में प्रवृत्त करना; किसी से खींचने का काम करवाना 2. तनवाना; कसवाना; बँधवाना 3. भभके द्वारा शराब आदि बनाना।

खिंचाई [सं-स्त्री.] 1. खींचने का काम 2. खींचने की मज़दूरी 3. डाँट-डपट।

खिंचाना [क्रि-स.] 1. खींचने में प्रवृत्त करना; खिंचवाना 2. तनवाना; कसवाना; बँधवाना 3. भभके द्वारा शराब आदि बनाना।

खिंचाव [सं-पु.] 1. खींच; तनाव; कसाव 2. सौंदर्य; आकर्षण 3. नाराज़गी; अप्रसन्नता 4. विरक्ति 5. मोच; खिंचावट।

खिंचावट [सं-स्त्री.] 1. खींच; तनाव; कसाव 2. आकर्षण 3. नाराज़गी; अप्रसन्नता 4. विरक्ति 5. खिंचाव; मोच।

खिंडाना (सं.) [क्रि-स.] इधर-उधर फैलाना; बिखेरना; बिखराना; छितराना।

खिखियाना [क्रि-अ.] 1. 'खी-खी' ध्वनि करना 2. 'खी-खी' ध्वनि करते हुए हँसना।

खिच-खिच [सं-स्त्री.] 1. गले में होने वाली खराश; खाँसी 2. गला साफ़ करने पर निकलने वाली ध्वनि 3. {ला-अ.} मनमुटाव; अनबन; तकरार।

खिचड़वार [सं-पु.] मकर संक्रांति; चौदह या पंद्रह जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर तिल या खिचड़ी दान करने का दिन।

खिचड़ा [सं-पु.] 1. कई दालों और गेहूँ को मिलाकर बनाई जाने वाली खिचड़ी 2. ऐसा खाद्य पदार्थ जो विशेष रूप से मुहर्रम और लंगर में बाँटा जाता है।

खिचड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दाल और चावल को मिलाकर पकाने पर बनने वाला भोज्य पदार्थ 2. मकर-संक्रांति 3. विवाह की एक रस्म जिसे 'भात' भी कहते हैं 4. बयाना; साई 5. {ला-अ.} दो या अधिक वस्तुओं, रंगों आदि की मिलावट। [वि.] आपस में मिला हुआ; मिश्रित। [मु.] ढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना : सबसे अलग होकर कोई काम करना।

खिचना [क्रि-अ.] दे. खिंचना।

खिजना [क्रि-अ.] खिजलाना; चिड़चिड़ाना।

ख़िज़र (अ.) [सं-पु.] दे. ख़िज़्र।

खिजलाना [क्रि-अ.] चिढ़ना; झुँझलाना। [क्रि-स.] परेशान करना; तंग करना; चिढ़ाना।

ख़िज़ाँ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पतन या ह्रास का समय 2. बुढ़ापा 3. पतझड़ की ऋतु।

ख़िज़ाब (अ.) [सं-पु.] सफ़ेद बालों को काला करने की दवा या रसायन लेप; केशकल्प।

ख़िज़ाबी (अ‍.) [वि.] 1. (बाल) जिसपर ख़िज़ाब लगा हो 2. ख़िज़ाब संबंधी। [सं-पु.] ख़िज़ाब लगाने वाला व्यक्ति।

ख़िज़ालत (अ.) [सं-स्त्री.] लाज; लज्जा; शर्मिंदगी।

ख़िज़्र (अ.) [सं-पु.] 1. वनों और जंगलों के स्वामी माने जाने वाले एक पैगंबर जिनके बारे में यह धारणा है कि वे वनों के स्वामी तथा भूले-भटकों के मार्गदर्शक हैं 2. पथ-प्रदर्शक; नेता।

खिझना [क्रि-अ.] खिजलाना; चिड़चिड़ाना; खिजना।

खिझाना [क्रि-स.] 1. गुस्सा दिलाना; चिढ़ाना 2. उत्तेजित या क्रुद्ध करना 3. गुस्सा दिलाने वाली बात करना।

खिझौना [वि.] 1. खिजाने वाला; चिढ़ाने वाला 2. जल्दी खीजने या क्रुद्ध होने वाला।

खिड़काना [क्रि-स.] 1. हटाना; टालना; अलग करना 2. आधे से कम मूल्य में चुपचाप बेच देना।

खिड़की (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कमरे या दीवार में बना वह स्थान जिससे स्वच्छ एवं ताज़ी हवा एवं रोशनी आती हो; वातायन; झरोखा; दरीचा 2. नगर, किले या मकान में आने-जाने का चोर दरवाज़ा 3. खिड़की की तरह का खुला स्थान।

खिड़कीदार (सं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें खिड़कियाँ बनाई गई हों। [सं-पु.] खिड़की वाला मकान या दीवार।

ख़िताब (अ.) [सं-पु.] 1. उपाधि; पदवी 2. पुरस्कार; इनाम 3. बात-चीत में किसी की ओर मुँह करना; मुख़ातिब होना।

ख़िताबत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. संबोधित करना 2. भाषण देना।

ख़िताबी (अ.) [वि.] 1. जिसे कोई उपाधि या पदवी मिली हो 2. ख़िताब संबंधी।

ख़ित्ता (अ.) [सं-पु.] 1. भूभाग; भूखंड 2. देश; प्रदेश 3. प्रांत; इलाका।

ख़िदमत (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. टहल; सेवा; चाकरी; सुश्रुषा 2. कार्य 3. पद 4. ख़ातिरदारी।

ख़िदमतगार (अ.) [सं-पु.] 1. ख़िदमत करने वाला 2. किसी की व्यक्तिगत सेवा करने वाला सेवक; नौकर; टहलुआ; टहल करने वाला।

ख़िदमतगारी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ख़िदमतगार का काम या पद 2. टहल; सेवा।

ख़िदमतगुज़ार (अ.) [सं-पु.] स्वामिभक्त व्यक्ति; स्वामिनिष्ठ सेवक।

ख़िदमती (अ.) [वि.] 1. अच्छी तरह ख़िदमत करने वाला; ख़िदमतगार 2. जो ख़ूब सेवा-टहल करे; सेवक; नौकर 3. ख़िदमत या सेवा संबंधी 4. जो सेवा या ख़िदमत के बदले प्राप्त हुआ हो, जैसे- ख़िदमती जागीर।

खिदिर (सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र 2. चंद्रमा 3. दरिद्र 4. तपस्वी।

खिन्न (सं.) [वि.] 1. दुखी 2. उदास; चिंतित 3. क्षुब्ध।

खिन्नता (सं.) [सं-स्त्री.] खिन्न होने का भाव; उदासी; चिंता; विकलता।

खियाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. रगड़ से या काम में आते-आते किसी वस्तु का क्षीण होना; घिस जाना 2. कमज़ोर या दुर्बल होना।

ख़िरका (अ.) [सं-स्त्री.] 1. फ़कीरों के ओढ़ने का कपड़ा; कंथा; गुदड़ी 2. पुराना कपड़ा।

ख़िरद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बुद्धि; अक़्ल; चतुराई 2. मेधा। [वि.] बुद्धिमान; अक्लमंद।

खिरनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक ऊँचा, घना सदाबहार वृक्ष जिसका फल छोटा, पीला तथा मीठा होता है।

ख़िरमन (फ़ा.) [सं-पु.] 1. खलिहान; अंबार; ढेर 2. काटकर रखी या जमा की गई फ़सल।

ख़िरस (फ़ा.) [सं-पु.] भालू; रीछ।

ख़िराज (अ.) [सं-पु.] 1. सरकार द्वारा लिया जाने वाला कर; राजस्व 2. अधीन राज्यों या राजाओं से प्राप्त धनराशि; मालगुजारी।

ख़िराजी भूमि (अ.) [सं-स्त्री.] ऐसी भूमि जो निश्चित और नियत रूप से ख़िराज देने की व्यवस्था के लिए अधिगृहीत की गई हो।

ख़िराम (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आनंदपूर्वक धीरे-धीरे चलना 2. टहलने की क्रिया या भाव 2. मस्त या धीमी चाल 3. गति; चाल।

ख़िरामाँ (फ़ा.) [वि.] मटक-मटककर या नाज़-नखरे के साथ चलने वाला; मस्ती की चाल से धीरे-धीरे चलने वाला।

खिरौरा [सं-पु.] कत्थे को उबालकर या पकाकर तैयार की गई सुगंधित टिकिया।

खिल (सं.) [सं-पु.] 1. पूरक; परिशिष्ट 2. ऊसर; परती ज़मीन; खाली जगह 3. शेषांश।

खिलंदरा [वि.] खिलवाड़ करने वाला; खिलवाड़ी मानसिकता का; खिलाड़ी।

ख़िलअत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह वस्त्र जो किसी राजा की ओर से सम्मानपूर्वक दिया जाता है; खिलत।

ख़िलकत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सृष्टि; संसार जगत; 2. भीड़-भाड़; जनसमूह 3. उत्पन्न या सृजन करना 4. प्राकृतिक संघटन।

खिलखिलाना [क्रि-अ.] 1. खिल-खिल ध्वनि करते हुए हँसना 2. खुलकर हँसना; ज़ोर से हँसना; प्रफुल्लित होना।

खिलखिलाहट [सं-स्त्री.] 1. खिलखिलाने की क्रिया या भाव 2. उन्मुक्त हास; ज़ोर की हँसी 3. खिलखिलाने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि।

ख़िलजी (अ.) [सं-पु.] 1. भारत-अफ़गानिस्तान की सीमा पर रहने वाली एक पठान जाति 2. हिंदुस्तान का एक पठान राजवंश।

खिलत [सं-स्त्री.] वह वस्त्र जो किसी राजा की ओर से सम्मानपूर्वक दिया जाता है; ख़िलअत।

खिलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. कली का फूल के रूप में विकसित होना 2. भला या सुंदर लगना; फबना 3. भूनने पर चावल का फूल या फट जाना (खील या मुरमुरा बनना) 4. {ला-अ.} किसी सुखद समाचार से प्रसन्न होना।

ख़िलवत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी जगह जहाँ कोई न हो; जनशून्य; तनहाई; एकांतवास 2. गुप्त मंत्रणा की जगह 3. शयन कक्ष।

खिलवाड़ [सं-पु.] 1. खेलने का भाव; खेल; क्रीड़ा 2. आनंदक्रीड़ा; दिल्लगी; शरारत 3. उदासीन होकर किया जाने वाला काम 4. साधारण या तुच्छ काम 5. मन बहलाने हेतु किया जाने वाला कर्म; मनबहलाव; मनोरंजन 6. साधारण रूप से किया गया कार्य 7. चकल्लस 8. बचकाना व्यवहार 9. {ला-अ.} किसी की भावनाओं का अनादर करना।

खिलवाड़ी [वि.] खिलवाड़ में ही जिसका मन अधिक लगता हो।

खिलवाना [क्रि-स.] 1. किसी को भोजन कराना 2. किसी दूसरे से भोजन परसवाना 3. किसी दूसरे के हाथों से भोजन करवाना।

खिलाई [सं-स्त्री.] 1. खाने या खिलाने का कार्य 2. दाई को बच्चे खिलाने पर दिया जाने वाला पारिश्रमिक 3. कुछ खिलाने का नेग या बख़्शीश।

खिलाड़ी [वि.] 1. खेलने वाला 2. खिलवाड़ करने वाला 3. खेल में निपुण या कुशल 4. दक्ष; करतबी; बाज़ीगर 5. विनोदी। [सं-पु.] 1. खेलने वाला व्यक्ति; (प्लेयर; स्पोर्टसमैन; एथलीट) 2. तरह-तरह के खेल-तमाशे दिखाने वाला व्यक्ति; करतब आदि दिखाने वाला व्यक्ति; बाज़ीगर 3. खेल प्रदर्शक।

खिलाना [क्रि-स.] 1. भोज्य पदार्थ को ग्रहण कराना; भोजन कराना 2. भोज या दावत देना 3. मैदान में खेल, क्रीड़ा आदि कराना 3. पुष्पित कराना; विकसित कराना 4. ख़ुश करना।

ख़िलाफ़ (अ.) [वि.] 1. जो किसी व्यक्ति, मत या विचार का विरोधी हो 2. जो किसी बात, सिद्धांत या व्यक्ति से तालमेल न बिठाता हो 3. विपरीत; विरुद्ध; उलटा 4. अन्यथा। [अव्य.] तुलना में; मुक़ाबले में; सामने।

ख़िलाफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ख़लीफ़ा का पद या भाव 2. पैगंबर के उत्तराधिकारी का पद 3. विरोध करने की क्रिया या भाव; शिकायत।

ख़िलाफ़ी [सं-स्त्री.] विरोध; मुख़ालफ़त; विद्रोह।

ख़िलाल (अ.) [सं-स्त्री.] 1. खेल आदि में होने वाली पराजय 2. ताश के खेल में पूरी बाज़ी की हार या मात 3. दो वस्तुओं के मध्य का फ़ासला, दूरी या अंतर 4. दाँत खोदने का धातु का टुकड़ा।

खिलौना [सं-पु.] 1. खेलने की वस्तु या साधन 2. मनबहलाव या मनोरंजन की चीज़ 3. रबड़, मिट्टी, लकड़ी आदि से बनी मूर्ति जिससे बच्चे खेलते हैं 4. शिशु-क्रीड़ा एवं शिशु-जन्म के लिए गाए जाने वाले गीत।

ख़िल्त (अ.) [सं-पु.] 1. ऐसी स्थिति जिसमें कई चीज़ें एक-दूसरे में मिली होती हैं; मिलावट 2. यूनानी चिकित्सा पद्धति में चार धातुओं- सफ़रा, सौदा, बलगम तथा खून में से एक 3. बलगम; कफ़ 4. प्रकृति।

खिल्य (सं.) [सं-पु.] 1. खारी नमक 2. रेगिस्तान; मरुस्थल। [वि.] कथित; अंत या परिशिष्ट में वर्णित।

खिल्ली [सं-स्त्री.] 1. उपहास; मज़ाक; दिल्लगी; हँसी 2. हँसने-हँसाने के लिए की जाने वाली हास्यास्पद बात 3. कील 4. लगे हुए पान का बीड़ा। [मु.] -उड़ाना : किसी का उपहास करना या मज़ाक उड़ाना।

ख़िश्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ईंट; (ब्रिक) 2. छोटा नेज़ा 3. शक्ति।

ख़िश्तक (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कुरते की बगल में लगाया जाने वाला कपड़ा; चौबगला 2. पायजामा 3. खोंगी; छोटी ईंट।

खिसकना (सं.) [क्रि-अ.] 1. चुपके से अथवा धीरे से दूसरे की नज़र बचाकर बाहर निकल जाना; सरकना 2. चूतड़ के बल बैठे-बैठे किसी ओर थोड़ा-सा बढ़ना या हटना 3. धँसना 4. फिसलना; रेंगना।

खिसकाना [क्रि-स.] 1. चुपके से कोई वस्तु या चीज़ उठाकर चल देना 2. किसी वस्तु को हटाना या परे करना।

ख़िसारा (अ.) [सं-पु.] हानि; क्षति; टोटा; नुकसान; घाटा। [वि.] खीसोंवाला।

खिसारी [सं-स्त्री.] दे. खेसारी।

खिसियाना [क्रि-अ.] 1. लज्जित होना 2. उग्र होना 3. नाराज़ होना; रुष्ट या खफ़ा होना 4. कुढ़ जाना; बिगड़ना। [वि.] खिसियाया हुआ; लज्जित। [लोको.] खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे : खिसियाया हुआ व्यक्ति अपनी खीझ या गुस्सा दूसरों पर निकालता है।

खिसियाहट [सं-स्त्री.] 1. खीझना; खिसियाने की क्रिया अथवा भाव 2. खफ़ा होना।

खींच [सं-स्त्री.] 1. खिंचे हुए होने की स्थिति; कर्षण; कसावट; तान 2. नोंक-झोंक 3. खपत 4. खींचतान 5. बलपूर्वक अपनी ओर लाने की क्रिया 6. सुंदरता या वस्त्र आदि से होने वाला आकर्षण।

खींचतान [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु को विभिन्न दिशाओं की ओर से खींचने की क्रिया या प्रयास 2. {ला-अ.} कार्य-सिद्धि के लिए दो व्यक्तियों या पक्षों में एक-दूसरे के विरुद्ध किया गया उपक्रम 3. ज़बरदस्ती किया जाने वाला।

खींचना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को बलपूर्वक अपनी ओर लाना; तानना; कसना 2. किसी को अपने साथ लेते हुए आगे बढ़ना 3. किसी कोष, थैले आदि से कोई वस्तु बाहर निकालना 4. आकर्षित करना; बलपूर्वक किसी वस्तु को किसी अन्य दिशा या तरफ़ ले जाना 5. किसी ओर प्रवृत्त करना 6. सोखना; चूसना 7. भभके से अर्क तैयार करना।

खींचातानी [सं-स्त्री.] 1. कहासुनी; तकरार 2. कशमकश 3. ज़बरदस्ती 4. आपाधापी; धक्का-मुक्की।

खीज [सं-स्त्री.] 1. खीजने की क्रिया या भाव; अप्रसन्नता; अरुचि 2. कुढ़न; क्रोध; झुँझलाहट 3. खफ़गी 4. चिड़चिड़ाहट; खुंदक 5. झल्लाहट; तुनक 6. बेचैनी।

खीजना [क्रि-अ.] 1. क्रोधित होना; झुँझलाना 2. किसी बात या घटना पर रुष्ट होना; कुढ़ना 3. कलपना 4. चिढ़ना; झल्लाना; तमकना; तनतनाना 5. बुरा मानना।

खीझ [सं-स्त्री.] 1. खीजने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. वह क्रोध जो मन-ही-मन रहे; झुँझलाहट; कुढ़न; भड़ास; खुंदक।

खीझना (सं.) [क्रि-अ.] किसी अप्रिय या अरूचिकर बात, व्यवहार आदि का प्रतिकार न कर सकने की स्थिति में उससे खिन्न होकर झुँझलाना; खीजना।

खीप [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वृक्ष जिसके रेशों से रस्सी बनती हो 2. गँधैली 3. लजाधुर; लज्जालु 4. गंध-प्रसारिणी लता।

खीर (सं.) [सं-स्त्री.] उबलते दूध में चावल, मेवा, चीनी आदि डालकर बनाया गया मीठा खाद्य पदार्थ; क्षीर।

खीरा (सं.) [सं-पु.] ककड़ी जाति का एक प्रकार का फल; बहुफला; सुगर्भक। [मु.] खीरा-ककड़ी समझना : किसी को बहुत तुच्छ या हेय समझना। खीरे-ककड़ी की तरह काटना : तेज़ी से और बिना कोशिश के काटना।

खीरी (सं.) [सं-स्त्री.] गाय-भैंस आदि मादा पशुओं के थन का ऊपरी हिस्सा जिसमें दूध बनता या रहता है।

खील (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भुना हुआ धान; लाई; लाही 2. बहुत छोटा नुकीला टुकड़ा 3. बाँस की पतली तीली 4. मवाद का कील जैसा अंश 5. चाक की खूँटी।

खीलना [क्रि-स.] 1. पत्तों में लकड़ी की तीलियाँ लगाकर पत्तल या दोना बनाना 2. पान के बीड़े में तिनका गोदना 3. खील लगाना।

खीवन [सं-स्त्री.] मतवालापन; मस्ती; मत्तता।

खीष्ट (सं.) [वि.] 1. नीच; बहुत नीच 2. किसी राशि के विशेष अंश में पहुँचा हुआ।

खीस [सं-स्त्री.] 1. लज्जा; शर्म 2. खीझ 3. नुकीला लंबा दाँत; हँसते समय बाहर निकले हुए दाँत। [मु.] -निकालना या निपोरना : किसी भूल पर बेशर्मी से हँसना।

खीसना [क्रि-अ.] 1. नष्ट अथवा बरबाद होना 2. ख़राब होना। [क्रि-स.] 1. नष्ट अथवा बरबाद करना 2. ख़राब करना।

खीसा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जेब; खलीता 2. थैली; बटुआ।

खुँदाना [क्रि-स.] 1. खूँदने के लिए प्रवृत्त करना 2. घोड़ा कुदाना।

खुंगाह (सं.) [सं-पु.] काले रंग का घोड़ा।

खुंड [सं-पु.] 1. एक मोटी घास 2. पहाड़ी घोड़ों की एक जाति।

खुंदकार (फ़ा.) [सं-पु.] नौकर; सेवा करने वाला।

खुंभी [सं-स्त्री.] कान में पहनने का एक प्रकार का गहना।

खुक्ख [वि.] खोखला; रिक्त; निस्सार; खाली; छूँछा।

खुखड़ी [सं-स्त्री.] 1. तकुए पर लपेट कर सूत का बनाया हुआ पिंड; ऊन 2. कुकड़ी 3. नेपाली कटार; एक तरह का बड़ा छुरा 4. छोटा खुखड़ा।

ख़ुगीर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. घोड़े की ज़ीन के नीचे बिछाया जाने वाला ऊनी कपड़ा; नमदा 2. रद्दी, व्यर्थ की चीज़ें या सामान।

खुचड़ [सं-स्त्री.] 1. किसी अच्छी बात में कमी निकालना; दोष निकालना 2. छिद्रान्वेषण।

खुचड़ी [वि.] 1. किसी बात में आपत्ति दिखाने वाला 2. दोष निकालने वाला।

खुजलाना [क्रि-अ.] 1. खुजली होना; चिरमिराना 2. किसी काम के लिए बेचैन होना; फड़फड़ाना। [क्रि-स.] खुजली मिटाने के लिए नाख़ूनों से शरीर को रगड़ना; खरोंचना।

खुजलाहट [सं-स्त्री.] 1. खाज 2. खुजली होने की स्थिति 3. सुरसुराहट 4. कंडु।

खुजली [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें शरीर बहुत खुजलाता है; खारिश; खुजलाहट।

खुजाना [क्रि-अ.] दे. खुजलाना।

खुटकना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी पौधे या वस्तु का ऊपरी भाग दाँत या नाख़ून से नोचना अथवा तोड़ना 2. पौधे की फुनगी नोचना; खोंटना।

खुटचाल [सं-स्त्री.] 1. दुष्टता; पाज़ीपन 2. पतित आचरण; ख़राब चालचलन 3. उपद्रव; बखेड़ा; टंटा।

खुटचाली [वि.] 1. दूसरों को परेशान करने वाला 2. चिढ़ाने वाला 3. सताने वाला 4. दुष्ट।

खुटपन [सं-पु.] 1. खोटे या दुष्ट होने की अवस्था, गुण या भाव 2. खोटापन; दोष; ऐब।

खुटला [सं-पु.] कान में पहना जाने वाला एक प्रकार का आभूषण; कर्णफूल।

खुटाई [सं-स्त्री.] खोटाई; दोष; अवगुण।

खुटिला [सं-पु.] कान में पहनने वाला आभूषण; कर्णफूल।

खुट्ठी [सं-स्त्री.] 1. घाव के सूखने पर पड़ने वाली पपड़ी; खुरंड; खुरंट 2. रेवड़ी।

खुड्डी [सं-स्त्री.] वह गड्ढा जहाँ लोग मल का त्याग करते है; कदमचा; पाखाना करने का चूल्हा; संडास।

खुड्ढा [वि.] खुरदुरा; रुक्ष; दानेदार।

ख़ुतबा (अ.) [सं-पु.] 1. व्याखान; भाषण 2. इमाम भाषण 3. धर्मोपदेश 4. तारीफ़; प्रशंसा 5. नए राजा (ख़ासकर मुसलमान राज्यों के) की गद्दी पर बैठने की घोषणा।

खुत्थी [सं-स्त्री.] पेड़ों की जड़ और वह ऊपरी भाग जो पेड़ काटने पर बचता है।

ख़ुद [अव्य.] स्वयं; आप; मैं।

ख़ुदकाश्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह ज़मीन जिसे उसका मालिक ख़ुद जोते-बोए 2. घरजोत; सीर। [वि.] अपनी ज़मीन में स्वयं खेती या काश्त करने वाला।

ख़ुदकुशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आत्मघात की क्रिया या भाव; आत्महत्या; (सुसाइड)।

ख़ुदगरज़ (फ़ा.) [वि.] 1. अपना हित चाहने वाला; अपना काम निकालने वाला 2. स्वार्थी; मतलबी 3. आत्मकेंद्रित।

ख़ुदगरज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ख़ुदगर्ज़ होने की अवस्था या भाव; स्वार्थपरता।

खुदना [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ को निकालने के लिए ज़मीन आदि खोदा जाना 2. मिट्टी हटाकर गहरा गड्ढा करना; खनना 3. खुदने के रूप में अंकित या चिह्नित होना।

ख़ुदनुमाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] अपने रूप, गुण और श्रेष्ठता का अहंकार तथा उसका प्रदर्शन।

ख़ुदपरस्त (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुद को महत्व देने वाला; ख़ुद को बड़ा समझने वाला 2. घमंडी; स्वार्थी।

खुदफ़रामोश (फ़ा.) [वि.] स्वयं को भूला हुआ; अचेत।

ख़ुद-ब-ख़ुद [क्रि.वि.] अपने आप; स्वतः।

ख़ुदमुख़्तार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर किसी और का बस न चले 2. जिसपर किसी अन्य का प्रभुत्व न हो 3. स्वतंत्र 4. स्वावलंबी।

ख़ुदमुख़्तारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ुदमुख़्तार होने का भाव 2. आज़ादी; स्वतंत्रता।

खुदरा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. छोटी और साधारण वस्तु 2. किसी चीज़ का छोटा अंश, भाग या टुकड़ा; फ़ुटकल 3. खुले पैसे या रुपए 4. 'थोक' का विलोम। [वि.] जो टुकड़ों-टुकड़ों में या अंशों में हो।

ख़ुदराई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. निरंकुशता या स्वेच्छाचारिता 2. मनमानी करने वाला।

खुदवाई [सं-स्त्री.] 1. खुदवाने की क्रिया; खोदने की मज़दूरी; खुदाई 2. उत्कीर्णन; उत्खनन 3. गुड़ाई।

खुदवाना [क्रि-स.] खोदने का काम किसी और से करवाना।

ख़ुदसरी (फ़ा.) [वि.] 1. जिद्दीपन; हठीलापन 2. ख़ुदमुख़्तारी; स्वेच्छाचारी।

ख़ुदसाख़्ता (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुद का गढ़ा हुआ; स्वनिर्मित; स्वयंभू 2. कपोल-कल्पित; मनगढ़ंत।

ख़ुदसिताई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आत्मकेंद्रित व्यवहार; अपने मुँह मियाँ मिट्ठू होना; अपनी प्रशंसा आप करना।

ख़ुदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ईश्वर; भगवान; परमात्मा; परमेश्वर 2. स्वयंभू; मालिक; स्वामी।

खुदाई [सं-स्त्री.] 1. खोदने की क्रिया 2. खोदने की मज़दूरी 3. ज़मीन से मिट्टी निकालने का काम।

ख़ुदाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ईश्वर-कृपा; ईश्वर-महिमा; ईश्वरत्व 2. सृष्टि; जगत; दुनिया 3. विभूति 4. ख़ुदा का रहम 2. दया-दृष्टि। [वि.] 1. ईश्वरीय 2. सृष्टि या दुनिया 3. ईश्वर प्रदत्त 4. अपौरुषेय 5. नैसर्गिक।

ख़ुदातर्स (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुदा या ईश्वर से डरने वाला 2. धर्मभीरू 3. कृपालु; दयालु।

ख़ुदादाद (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुदा का दिया हुआ; ईश्वर प्रदत्त 2. जो परिश्रम से न प्राप्त हो बल्कि ईश्वर कृपा से प्राप्त हुआ हो।

ख़ुदान ख़्वास्ता (फ़ा.) [अव्य.] ख़ुदा या ईश्वर न करे; शुभकामनापरक तथा अमंगल से दूर रखने की कामना का एक आशीर्वाद वाक्य।

ख़ुदापरस्त (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुदा या ईश्वर को मानने और पूजने वाला; ईश्वर-भक्त 2. आस्तिक 3. दयालु 4. धार्मिक; धर्मनिष्ठ।

ख़ुदापरस्ती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ुदा या ईश्वर पर विश्वास; धर्मनिष्ठा; भक्ति 2. आस्तिकता; दयालुता।

खुदाव [सं-पु.] 1. किसी पत्थर या वस्तु के ऊपर आकृति, रूप आदि खुदे होने का ढंग 2. किसी वस्तु पर किया हुआ खुदाई का काम।

ख़ुदावंद (फ़ा.) [सं-पु.] 1. अल्लाह; ईश्वर 2. राजा; स्वामी। [अव्य.] (संबोधन में) जी मालिक; हुजूर; महोदय।

ख़ुदाहाफ़िज़ (फ़ा.) ईश्वर ही निगहबान है; ईश्वर आपकी रक्षा करे (प्रायः अलग होने या विदा होने के समय बोला जाने वाला शब्द)।

ख़ुदी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. 'ख़ुद' का भाव; अहंभाव; आपा 2. घमंड; गर्व; अभिमान 3. शेखी।

खुद्दी [सं-स्त्री.] 1. चावल; दाल आदि के छोटे-छोटे टुकड़े; अनाज के कण 2. किनकी 3. तरल पदार्थ की तलछट या गाध।

ख़ुनक (फ़ा.) [वि.] शीतल; बहुत ठंडा।

ख़ुनकी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ठंडक; हलकी सरदी।

खुनखुना [सं-पु.] बच्चों का खिलौना; झुनझुना; घुनघुना।

खुनस [सं-स्त्री.] क्रोध; कोप; रोष।

खुनसाना [क्रि-अ.] गुस्से में बिगड़ना; क्रोधित होना।

खुनसी [वि.] गुस्सैल; क्रोधी।

ख़ुफ़िया (फ़ा.) [वि.] 1. छिपकर रहने वाला; छिपकर काम करने वाला 2. गुप्त; छिपा हुआ 3. छलपूर्ण। [क्रि.वि.] गुप्त रूप से; छिपकर।

ख़ुफ़ियाख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ गुप्त काम किए जाते हैं; गुप्त स्थान।

ख़ुफ़ियागिरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] जासूसी; मुख़बिरी।

ख़ुफ़ियानवीस (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गोपनीय जानकारी देने वाला; मुख़बिर 2. खुफ़िया रिपोर्ट या रपट लिखने वाला।

ख़ुबानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आड़ू, आलू बुख़ारा आदि की जाति का एक गुठलीदार रसीला फल या मेवा 2. वह पेड़ जिसपर उक्त फल लगता है।

खुभाना [क्रि-स.] किसी बड़ी चीज़ को बलपूर्वक दबाते या गड़ाते हुए धँसाना।

खुभी [सं-स्त्री.] कान का गहना; कान की लौंग [वि.] हाथी के दाँत पर चढ़ाया जाने वाला धातु का खोल।

ख़ुम (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शराब रखने का पात्र 2. दारू की भट्टी 3. मटका; घड़ा।

ख़ुमख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] शराबघर; मदिरालय।

ख़ुमरा (फ़ा.) [सं-पु.] फ़कीरों का एक समुदाय (मुसलमानों में)।

खुमान [वि.] लंबी उम्र का; दीर्घजीवी। [सं-पु.] शिवाजी की एक उपाधि।

ख़ुमार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मदहोशी; नशा; (हैंगओवर) 2. शरीर में नशे की थकावट 3. कच्ची नींद में उठने पर आँखों और सिर का भारीपन 4. वह शिथिलता जो रात भर जागने से होती है।

ख़ुमारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नशा; मद 2. आँखों में छाया मद 3. नशा उतरते समय होने वाली सुस्ती।

ख़ुमी (अ.) [सं-स्त्री.] कुकुरमुत्ता वर्ग की वनस्पतियाँ; मशरूम; भुइँ-फोड़।

खुर (सं.) [सं-पु.] 1. चौपायों के पैर का निचला भाग जो बीच से फटा होता है; सुम; टाप 2. चारपाई के पाए का निचला भाग 3. नख नामक गंध द्रव्य 4. उस्तुरा।

खुरंड (सं.) [सं-पु.] घाव के सूखने के बाद उस पर जमने वाली पपड़ी।

खुरक (सं.) [सं-पु.] 1. नृत्य की एक शैली 2. तिल। [सं-स्त्री.] अंदेशा; खटका।

खुर-खार [सं-पु.] हलका-फुलका काम; अपेक्षाकृत कम परिश्रमवाला साधारण काम।

खुरखुर [सं-पु.] साँस लेते समय कफ़ आदि के कारण गले या नाक से होने वाला शब्द; घरघराहट।

खुरखुरा [वि.] खुरदरा; रूखी सतह का।

खुरखुराना [क्रि-अ.] 1. खुरखुर शब्द होना 2. छूने में ऊबड़-खाबड़ या खुरखुरा लगना। [क्रि-स.] खुरखुर शब्द उत्पन्न करना।

खुरखुराहट [सं-स्त्री.] 1. साँस लेते समय गले से निकलने वाली खुरखुर या घुरघुर की ध्वनि 2. घरघराहट 3. खुरखुरापन; खुरदरापन।

खुरचन [सं-स्त्री.] 1. बरतन से खाना निकालने के बाद सूखकर रह गई खाने की परत 2. खुरचने का काम 3. कढ़ाई में खौलते दूध की मलाई खुरचकर बनाई गई मिठाई या रबड़ी 4. किसी चीज़ का बचा-खुचा अंश 5. कड़ाही खुरचने का पलटा।

खुरचना [क्रि-स.] 1. बरतन में सूखकर जमी परत को खुरचकर निकालना 2. किसी चीज़ को कुरेदना 3. छुड़ाना; उतारना 4. उकेरना; खरोंचना 5. छीलना; रेतना।

खुरचनी [सं-स्त्री.] खुरचने का उपकरण।

ख़ुरजी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सामान भरकर ले जाने के लिए घोड़े या बैल की पीठ पर रखा जाने वाला बड़ा थैला जो बीच में खुला या चौड़ा होता है 2. कपाट के पल्ले में लगने वाली चौड़ी लकड़ी।

खुरट (सं.) [सं-पु.] पशुओं के खुर पकने का एक रोग; खुरपका।

खुरतार [सं-स्त्री.] 1. पशुओं के चलने से होने वाली खुरों की आवाज़ 2. टापों की ध्वनि।

खुरदरा [वि.] 1. जिसकी सतह रूखी या दानेदार हो 2. जो चिकना न हो; खुरखुरा।

खुरदरापन [सं-पु.] जिसमें चिकनापन न हो; ऊबड़-खाबड़।

ख़ुरदा (फ़ा.) [वि.] 1. छोटा; लघु 2. खाया हुआ 3. खुदरा। [सं-पु.] 1. टुकड़ा 2. रेज़ा; रेज़गारी; छोटे सिक्के 3. किसी सामान या वस्तु की थोड़ी मात्रा 4. बिसातखाने का सामान 5. छोटा-मोटा सामान। [अव्य.] तोड़कर; थोड़ी मात्रा में; फुटकर।

खुरपका [सं-पु.] पशुओं में खुर पकने का संक्रामक रोग।

खुरपा [सं-पु.] बड़ी खुरपी।

खुरपी [सं-पु.] 1. खेत में निराई-गुड़ाई करने का औज़ार 2. घास छीलने का लोहे का मूठदार छोटा यंत्र।

खुरबंदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] घोड़े, बैल आदि के खुरों में नाल जड़ने का काम; नालबंदी।

ख़ुरमा (अ.) [सं-पु.] 1. खजूर या छुहारा नामक सूखा फल 2. आटे या मैदे का एक मीठा और नमकीन व्यंजन 3. एक प्रकार की बालूशाही।

खुरली (सं.) [सं-स्त्री.] सैनिकों के युद्ध प्रशिक्षण की जगह; शस्त्राभ्यास।

खुरहरा [वि.] 1. खुरदरा; जिसकी सतह चिकनी न हो 2. जिसपर बिस्तर न बिछा हो और सुतली शरीर में गड़ती हो।

खुरहा [सं-पु.] जानवरों को होने वाला एक रोग।

खुरा [सं-पु.] 1. पशुओं में खुरपका रोग 2. हल के फाल की मज़बूती के लिए लगाया जाने वाला काँटा।

खुराई [सं-स्त्री.] पशुओं के अगले या पिछले पैर बाँधने की रस्सी जिससे वे दौड़ नहीं पाते।

ख़ुराक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति एक बार में जितना खा सके 2. वह जो कुछ खाया जाए 3. भोजन; खाद्य पदार्थ 4. बीमारी में ली जाने वाली दवा की मात्रा।

ख़ुराकी (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ूब खाने वाला 2. अच्छी खुराकवाला। [सं-स्त्री.] 1. भोजन आदि की सामग्री 2. ख़ुराक के एवज़ में दिया गया पैसा 3. भोजन का कक्ष।

ख़ुराफ़ात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेकार या व्यर्थ की बातें; भद्दी बातें; गाली-गलौज; बकवास 2. शरारत; उपद्रव; हुड़दंग 3. अनाप-शनाप के काम; असंगत कर्म 4. विवाद; झगड़ा।

ख़ुराफ़ाती (अ.) [वि.] वह जो प्रायः कोई न कोई ख़ुराफ़ात करता रहता हो। [वि.] 1. ख़ुराफ़ात करने वाला 2. ख़ुराफ़ात से संबंधित 3. ख़ुराफ़ात के रूप में होने वाला।

खुरालिक (सं.) [सं-पु.] 1. लोहे का तीर 2. तकिया 3. कैंची आदि रखने की नाई की थैली।

ख़ुरासान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. अफगानिस्तान का मध्यकालीन नाम 2. फ़ारस देश का प्रदेश या भूभाग; ईरान के पूर्व में एक प्रदेश या सूबा।

ख़ुरासानी (फ़ा.) [सं-पु.] ख़ुरासान का निवासी। [सं-स्त्री.] ख़ुरासान की भाषा या बोली। [वि.] 1. ईरान देश के ख़ुरासान प्रदेश से संबंधित 2. ख़ुरासान प्रदेश में होने वाला; ख़ुरासान का रहने वाला।

खुरी [सं-स्त्री.] खुर के नीचे का हिस्सा; खुर का निशान।

खुरू [सं-पु.] 1. खुर से मिट्टी खोदना 2. उपद्रव; झगड़ा 3. तबाही।

ख़ुर्द (फ़ा.) [वि.] 1. लघु; छोटा 2. अल्पवयस्क; उम्र में छोटा।

ख़ुर्दनी (फ़ा.) [वि.] खाने योग्य। [सं-स्त्री.] खाद्य पदार्थ।

ख़ुर्दबीन (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ऐसा उपकरण जिससे अत्यंत सूक्ष्म चीज़ें भी देखी जा सकती हों; अनुवीक्षण यंत्र; (माइक्रोस्कोप)।

ख़ुर्द-बुर्द (फ़ा.) [सं-पु.] 1. धरोहर राशि को हड़प जाना 2. गबन; खयानत 3. गोलमाल 4. खा-पीकर नष्ट-भ्रष्ट कर देना।

ख़ुर्दा (फ़ा.) [सं-पु.] साधारण वस्तु; टुकड़ा; रेज़गारी। [वि.] जिसका भक्षण किया गया हो; खाई गई चीज़।

ख़ुर्दी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] लघुता; छोटापन।

ख़ुर्रम (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ुशमिजाज़; प्रसन्न; बहुत ख़ुश 2. प्रसन्नचित्त 3. ताज़ा।

खुर्राट [वि.] 1. चतुर; होशियार 2. चंट; सयाना 3. चालाक; धूर्त; काइयाँ।

खुर्राटा [सं-पु.] दे. खर्राटा।

खुलकर (सं.) [क्रि.वि.] धड़ल्ले से; सरे-आम; स्पष्टतः; प्रकट रूप में।

खुलता [वि.] 1. जिसके आगे कोई रोक न हो 2. आगे से खुला हुआ 3. (रंग) जो चटक हो और उभरता हुआ महसूस हो।

खुलना [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ से रुकावट का हटना 2. आवरण हटना 3. बंधन का न होना 4. गाँठ का खुलना; मशीन के पुर्जों का खुलना; शुरुआत होना 5. सिलाई खुलना; काम शुरू होना 6. दिल मिलना; मन की बात कहना 7. संकोच ख़त्म होना 8. प्रकट होना; निकलना।

खुलवाना [क्रि-स.] 1. झिझक दूर करवाना 2. खोलने का काम कराना।

खुला [वि.] 1. मुक्त; बंधनहीन; स्वतंत्र 2. जिसपर रोक-टोक न हो 3. प्रकट हो चुका 4. जो खूब फैला हुआ हो; लंबा-चौड़ा 5. जो सँकरा न हो।

खुलाई [सं-स्त्री.] 1. खुलने, खुलवाने या खोलने की क्रिया या भाव 2. खोलने या खुलवाने की मज़दूरी या पारिश्रमिक 3. किसी चित्र की आकार रेखाओं का रंग मंद पड़ जाने पर उन पर फिर से रंग चढ़ाकर उन्हें चमकाना; उन्मीलन; तहरीर।

खुलासगी (अ.) [सं-स्त्री.] खुलासा होने की अवस्था या भाव।

ख़ुलासा (अ.) [सं-पु.] निष्कर्ष; सार; निचोड़; संक्षेप [वि.] संक्षिप्त; स्पष्ट।

खुली छूट [सं-स्त्री.] पूरी आज़ादी; पूर्ण स्वतंत्रता।

खुले आम [क्रि.वि.] बिना किसी डर के; सबके सामने 2. प्रत्यक्ष रूप से।

खुलेड़ना [क्रि-स.] 1. चीज़ों को उलट-पलट देना 2. बिखराना; कुरेदना।

खुल्लम (सं.) [सं-पु.] राह; मार्ग; सड़क।

खुल्लम-खुल्ला [क्रि.वि.] 1. बिना किसी से छिपाए हुए 2. सबके सामने; खुले रूप में; खुलेआम 3. सबको सूचित करते हुए।

ख़ुश (फ़ा.) [वि.] 1. प्रसन्न; आनंदित; हर्षित; पूर्णतया संतुष्ट 2. जो अपने या किसी के द्वारा किए हुए कार्य से सुख तथा संतोष का अनुभव कर रहा हो 3. प्रफुल्लित।

ख़ुशआमदीद (फ़ा.) [सं-पु.] किसी के आगमन पर होने वाली प्रसन्नता के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द; स्वागत।

ख़ुशकिस्मत (फ़ा.) [वि.] जिसका भाग्य तेज़ हो; भाग्यवान; सौभाग्यशाली।

ख़ुशकिस्मती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सौभाग्य; अच्छा भाग्य 2. अच्छी किस्मत।

ख़ुशकी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. ख़ुश्की।

ख़ुशख़त (फ़ा.) [वि.] 1. सुलेखक 2. सुंदर अक्षर लिखने वाला।

ख़ुशख़बरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] शुभ समाचार; अच्छी ख़बर; मन को प्रसन्न करने वाली सूचना।

ख़ुशगवार (फ़ा.) [वि.] 1. प्रसन्नता प्रदान करने योग्य; सुखद; प्रिय 2. स्वादिष्ट; रुचिकर।

ख़ुशज़ायका (फ़ा.) [वि.] 1. बेहतर स्वाद वाला 2. स्वादिष्ट; लज़्ज़तदार; मज़ेदार।

ख़ुशनवीस (फ़ा.) [वि.] सुंदर एवं कलात्मक तरीके से अक्षरों या हर्फ़ों को लिखने वाला व्यक्ति; सुलेखक; ख़ुशख़त।

ख़ुशनसीब (फ़ा.) [वि.] जिसका भाग्य या नसीब अच्छा हो।

ख़ुशनुमा (फ़ा.) [वि.] सुंदर; मोहक; मन को भाने वाला।

ख़ुशपोश (फ़ा.) [वि.] जो हमेशा अच्छे कपड़े पहनता हो; जो अच्छे कपड़े पहनने का शौकीन हो।

ख़ुशबू (फ़ा.) [सं-स्त्री.] अच्छी गंध; महक; सुगंध; सुवास।

ख़ुशबूदार (फ़ा.) [वि.] सुगंध से भरा हुआ; सुगंधित।

ख़ुशमिज़ाज (फ़ा.) [वि.] हँसमुख; ख़ुश रहने वाला; प्रसन्नचित।

ख़ुशहाल (फ़ा.) [वि.] 1. रुपए-पैसेवाला; संपन्न; समृद्ध 2. सभी प्रकार के सुखों से परिपूर्ण; सुखी; सुखमय।

ख़ुशहाली [सं-स्त्री.] 1. सब प्रकार के सुख संपन्नता से परिपूरित; समृद्धि 2. वह अनुकूल और प्रिय अनुभव जिसके सदा होते रहने की कामना हो; सुख; चैन; आराम।

ख़ुशामद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी की झूठी प्रशंसा करना; किसी की बड़ाई करना 2. चापलूसी; आदर-सत्कार; आवभगत। [मु.] -करना : चापलूसी करना।

ख़ुशामदी (फ़ा.) [वि.] 1. किसी की बड़ाई करके काम निकालना 2. चापलूस स्वभाव का आदमी 3. जी-हुजूरी 4. हलुआ नामक व्यंजन।

ख़ुशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसन्नता; मन में होने वाली सुखद अनुभूति 2. उत्साह बढ़ाने वाला भाव 3. इच्छा; प्रफुल्लता; हर्ष।

ख़ुश्क (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें नमी शेष न रही हो; सूखा; शुष्क; रसहीन 2. रूखा; बेरौनक 3. जिसमें चिकनाई न लगी हो 4. नीरस या रूखे स्वभाववाला 5. जिसके हृदय में कोमलता, रसिकता आदि का अभाव हो; निष्ठुर स्वभाव का (व्यक्ति)।

ख़ुश्की (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ुश्क या सूखे होने की अवस्था या भाव 2. शुष्कता; सूखापन 3. नीरसता 4. सूखा; वर्षा का अभाव; अकाल; अनावृष्टि 5. ऐसी ज़मीन जो जल से परे हो; स्थल 6. रोटी बनाते समय लगाया जाने वाला पलोथन 7. शरीर की त्वचा की नमी घटना।

खुसफुसाना [क्रि-अ.] दे. फुसफुसाना।

ख़ुसिया (अ.) [सं-पु.] नर के अंडकोश; फोता।

खुसुरफुसुर [सं-स्त्री.] 1. कान के पास मुँह ले जाकर धीमी आवाज़ में की जाने वाली बातें; धीरे-धीरे बात करना; फुसफुसाना 2. कानाबाती; कानाफूसी। [क्रि.वि.] बहुत धीमी आवाज़ से।

ख़ुसूमत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दुश्मनी; विवाद; झगड़ा 2. अदावत; वैर।

खुही (सं.) [सं-स्त्री.] इस प्रकार का लपेटकर बनाया हुआ कंबल या कपड़ा जिसे सिर पर डाल लेने से शरीर का ऊपरी भाग शीत या वर्षा से बचा रहता है; खोही; घोघी; खुड़आ।

ख़ूँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. 'खून' का संक्षिप्त रूप; रक्त; ख़ून; रुधिर; (ब्लड) 2. पूर्वप्रत्यय के रूप में भी प्रयुक्त, जैसे- ख़ूँख़ार आदि।

ख़ूँख़्वार (फ़ा.) [वि.] 1. ख़ून पीने या पान करने वाला; रक्तपायी 2. हिंसक 3. क्रूर; निर्दयी; अत्याचारी 2. घातक; डरावना।

खूँट [सं-पु.] 1. धोती या साड़ी का छोर 2. मकान का कोई कोना; सिरा 3. दिशा; ओर; तरफ़ 4. हिस्सा, खंड 5. कान का आभूषण।

खूँटना [क्रि-स.] 1. किसी पत्तीदार शाक को नाखूनों की सहायता से तोड़ना 2. फल-फूल तोड़ना 3. किसी दबी हुई बात का सामने आना 4. टोकना; रोकना 5. छेड़छाड़ करना। [क्रि-अ.] घट जाना; चूकना।

खूँटा [सं-पु.] 1. ज़मीन में लकड़ी आदि का लंबवत गाड़ा गया वह लंबा भाग जो ज़मीन के ऊपर भी डेढ़-दो फीट निकला रहता है तथा जिसमें पालतू जानवरों या पशुओं को बाँधा जाता है 2. लकड़ी, पत्थर आदि का टुकड़ा जो ज़मीन में खड़ा गाड़ा गया हो; मेख 3. वह गड़ी हुई लकड़ी जिससे नाव को किनारे पर रोककर रखने के लिए बाँध दिया जाता है।

खूँटी [सं-स्त्री.] 1. कपड़ा या थैला आदि टाँगने के लिए दीवार में गाड़ी गई कील 2. खूँटा का स्त्रीलिंग रूप 3. जाँते या चक्की की किल्ली 4. सितार, सारंगी, खड़ाऊँ आदि में जड़ी छोटी मेख 5. फ़सल काटने के बाद तने या डंठल का बचा रह गया ठूँठ 6. दाड़ी के बालों की जड़ जो हज़ामत के बाद रह जाए।

खूँड़ा [सं-पु.] जुलाहों की ताना कसने की लोहे की पतली चपटी छड़।

खूँद [सं-स्त्री.] खड़े हुए घोड़े का खूँदने अर्थात ज़मीन पर बार-बार पैर पटकने की क्रिया या भाव।

खूँदना [क्रि-अ.] 1. रौंदना 2. पशु का एक ही जगह बँधे-बँधे चक्कर काटना या पैर पटकना 3. घोड़े का ज़मीन पर पैर इस प्रकार पटकना कि उसका कुछ अंश कट जाए।

ख़ूँरेज़ (फ़ा.) [वि.] ख़ूनी; ख़ून बहाने वाला; मार-काट मचाने वाला।

ख़ूँरेज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ख़ून बहाना; रक्तपात; मार-काट।

खूखी [सं-स्त्री.] गेंहू आदि रबी की फ़सल में लगने वाला कीट; गेरुई; कूकी।

ख़ूगीर (फ़ा.) [वि.] 1. घोड़े की जीन के नीचे बिछाया जाने वाला ऊनी कपड़ा 2. रद्दी सामान।

ख़ून (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शरीर की नसों में बहने वाला लाल रंग का तरल पदार्थ; रक्त; लहू 2. कत्ल; हत्या। [मु.] -उबलना या खौलना : अत्यधिक क्रोध आना। -सूखना : बहुत डर जाना। -पीना : बहुत परेशान करना। -का घूँट पीकर रह जाना : क्रोध को सायास नियंत्रित कर लेना या क्रोध को प्रकट न होने देना। -पसीना एक करना : कड़ी मेहनत करना। -सफ़ेद हो जाना : मोह-ममता समाप्त हो जाना।

ख़ून-ख़राबा [सं-पु.] ऐसा लड़ाई-झगड़ा जिसमें शरीर से खून बहने लगे; रक्तपात; मार-काट; भयंकर हिंसा।

ख़ूनाब (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़ून मिला हुआ पानी 2. रक्त मिले आँसू 3. लाल रंग।

ख़ूनी (फ़ा.) [वि.] 1. रक्त संबंधी 2. जो ख़ून जैसा हो; ख़ून के रंग का 3. रक्त-मिश्रित 4. मारक; घातक [सं-पु.] हत्यारा; कातिल।

ख़ूब (फ़ा.) [वि.] 1. बहुत; काफ़ी; अधिक 2. बढ़िया; श्रेष्ठ; उत्तम।

ख़ूबसूरत (फ़ा.) [वि.] जिसकी सूरत अच्छी हो; सुंदर; रूपवान।

ख़ूबसूरती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ूबसूरत होने का भाव 2. सुंदरता; सौंदर्य 3. रूप; लावण्य।

ख़ूबानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का प्रसिद्ध फल; ज़रदालू।

ख़ूबी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ूब होने की अवस्था या भाव 2. अच्छाई; भलाई 3. विशेषता; गुण 4. सौंदर्य; सुंदरता।

ख़ूलंजान (अ.) [सं-पु.] पान के पौधे की जड़; कुलंजन।

खूसट [वि.] 1. शुष्क हृदयवाला; अ-रसिक; रसहीन 2. जराजीर्ण 3. अति मूर्ख 2. अशुभ; मनहूस। [सं-पु.] उल्लू।

खेई [सं-स्त्री.] झाड़ियाँ; झाड़-झंखाड़; बेरी का झाड़।

खेखसा [सं-पु.] 1. ककोड़ा; पड़ोरा 2. पीले फूलों वाली एक लता 2. परवल जाति की एक सब्ज़ी।

खेचर (सं.) [सं-पु.] 1. वायु; हवा 2. मेघ 3. खग; पक्षी; चिड़िया 4. (काल्पनिक) भूत-प्रेत; बेताल और राक्षस आदि 5. आकाश में उड़ने की सिद्धि 6. आकाशयान 7. शिव 8. पारा 9. सूर्य; चंद्र। [वि.] आकाश में चलने या विचरण करने वाला; नभचर।

खेचरान्न (सं.) [सं-पु.] चावल की खिचड़ी; भात।

खेचरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आकाश में उड़ने वाले की शक्ति जो एक सिद्धि मानी जाती है 2. अप्सरा 3. चिड़िया 4. देवी 5. राक्षसिनी; भूतनी आदि।

खेजड़ी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का वृक्ष जो अधिकांशतः पश्चिमी राजस्थान में पाया जाता है और इसे राजस्थान का शमी वृक्ष भी कहा जाता है।

खेट (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा गाँव; ग्राम; खेड़ा; किसानों का डेरा; पहाड़ या नदी से घिरा हुआ गाँव 2. घोड़ा 3. ढाल 4. लाठी; छड़ी 5. तिनका 6. खाल; चर्म; चमड़ा 7. शिकार; आखेट; मृगया 8. (पुराण) बलराम की गदा 9. कफ़ 10. तिनका 11. ग्रह; नक्षत्र। [वि.] 1. नीच 2. शस्त्र धारण करने वाला।

खेटक (सं.) [सं-पु.] 1. खेट 2. खेड़ा; गाँव; किसानों का डेरा 2. आखेट; शिकार।

खेटकी (सं.) [सं-पु.] 1. शिकारी; आखेटजीवी 2. वधिक; हत्यारा; ज़ल्लाद 3. भविष्य का अनुमान करने वाला; ज्योतिषी; भड्डर 4. पाखंडी।

खेटी (सं.) [वि.] 1. नगरवासी 2. कामुक; लंपट 3. गुंडा।

खेड़ (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा गाँव; ग्राम 2. खेड़ा; खेट।

खेड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा गाँव; ग्राम 2. किसानों की बस्ती 3. कच्चा घर या मकान।

खेड़ापति (सं.) [सं-पु.] 1. गाँव का प्रमुख; मुखिया 2. पुरोहित।

खेड़ी [सं-स्त्री.] 1. जीवों के गर्भाशय से उत्पन्न नवजात बच्चों की नाल के छोर पर लगा मांस-खंड 2. धातुओं को गलाने पर उनसे निकलने वाला धातुमल 3. बढ़िया लोहे की एक किस्म; इस्पात।

खेढ़ा [सं-पु.] 1. समूह 2. साधुओं की ज़मात या जमावड़ा।

खेत (सं.) [सं-पु.] 1. वह ज़मीन जिसपर फ़सल उगाई जाती है; जोतने-बोने की ज़मीन; कृषिक्षेत्र 2. जोत; पाटीर 3. खेत में खड़ी हुई फ़सल 4. समतल भूमि; मैदान 5. युद्धभूमि; रणक्षेत्र। -रहना : युद्ध में मारा जाना।

खेतिहर (सं.) [सं-पु.] 1. किसान; कृषक 2. खेती करने वाला व्यक्ति या समाज।

खेती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खेती करने की क्रिया; फ़सल उगाने की कला; अनाज उगाना; कृषि 2. बुआई-कटाई 3. खेतों का श्रम 4. किसानी का काम 5. काश्त; फ़सल।

खेतीबारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खेती-किसानी 2. कृषि-कर्म 3. सब्ज़ी इत्यादि उगाने का काम।

खेद (सं.) [सं-पु.] 1. किसी अपराध या त्रुटि पर होने वाला दुख या पश्चाताप 2. अफ़सोस; अनुताप; पछतावा 3. रंज; उदासी; कोफ़्त 4. किसी को ठेस पहुँचाने से उत्पन्न ग्लानि; व्यथा; गम 5. निर्धनता 6. रोग 7. शिथिलता; थकावट।

खेदजनक (सं.) [वि.] 1. खेद उत्पन्न करने वाला; अफ़सोसजनक; दुखद 2. क्लेशकारी 3. करुणाजनक; दुखी करने वाला।

खेदन (सं.) [सं-पु.] 1. पछतावा; अफ़सोस 2. ग्लानि 3. दुख; व्यथा 4. पीड़ा।

खेदना [क्रि-स.] 1. किसी स्थान से बलपूर्वक भगाना; खदेड़ना 2. हाथियों या जंगली जानवरों को घेरना; शिकार का पीछा करना।

खेदा [सं-पु.] 1. हाँका; शिकार; आखेट 2. जंगली जानवर को घेरकर किसी ऐसी जगह पर दूर भगा कर फँसा देना जहाँ उसे पकड़ना या मार देना आसान हो।

खेदाई [सं-स्त्री.] 1. खेदने की क्रिया या भाव 2. किसी जानवर या पशु आदि को दूर भगा कर अन्यत्र पहुँचाने के एवज़ में दी जाने वाली मज़दूरी।

खेदित [वि.] 1. जिसे खेद हो; जिसको खेद पहुँचाया गया हो; व्यथित 2. पीड़ित; आहत 3. खिन्न 4. थका हुआ।

खेदिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पौधा जिसकी छाल से रस्सी बनायी जाती है; पटसन 2. अशनपर्णी नामक लता।

खेदी (सं.) [वि.] 1. जो खेद प्रकट करे 2. थका हुआ; क्लांत 3. पश्चात्तापी।

खेना (सं.) [क्रि-स.] 1. नाव को आगे की तरफ़ चलाने के लिए डाँड़ या पतवार द्वारा जल को पीछे की ओर ढ़केलना या पतवार चलाना। 2. {ला-अ.} कष्ट में समय बिताना; अभावों में दिन गुज़ारना।

खेप (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी सामान या पदार्थ की एक बार में ले जाने लायक मात्रा 2. सामान की वह नियत मात्रा जो एक बार में ढोई जा सके 3. बोझ या सामान ढोनेवाले आदमी का एक बार का फेरा 4. घान; घानी।

खेपना (सं.) [क्रि-स.] 1. परेशानी या कष्टों में जीना 2. सहन करना 3. विदा करना।

खेम (सं.) [सं-पु.] 1. कुशल 2. क्षेम; कल्याण।

खेमटा [सं-पु.] 1. (संगीत) बारह मात्राओं का एक ताल 2. उक्त ताल पर गाया जानेवाला गीत।

खेमा (अ.) [सं-पु.] 1. शिविर; डेरा 2. रावटी 3. बाँस गाड़कर खड़ा किया गया तंबू।

खेय (सं.) [वि.] जिसकी खुदाई हो सके; खनन के योग्य; खननीय। [सं-पु.] 1. पुल 2. खंदक।

खेरी [सं-स्त्री.] 1. एक जंगली घास 2. बंगाल क्षेत्र के गेंहू की एक किस्म 3. एक जलपक्षी।

खेल (सं.) [सं-पु.] 1. वह कार्य जिससे मनबहलाव होता हो; क्रीड़ा; उछल-कूद 2. केलि; आनंदक्रीड़ा 3. प्रतियोगिता 4. नाटक; तमाशा 5. मनोरंजन 6. बहुत आसान या तुच्छ काम के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द। [मु.] -खेलाना : व्यर्थ की बातों में फँसाए रखना। -समझना : तुच्छ समझना। -खेल में : अनायास ही।

खेलकूद (सं.) [सं-पु.] 1. विभिन्न प्रकार के खेल; उछल-कूद 2. धमाचौकड़ी 3. आनंदक्रीड़ा 4. मनोरंजन।

खेलन (सं.) [सं-पु.] खेल के साधन; खेल, क्रीड़ा; खेलना।

खेलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. फुरती से उछलना-कूदना; क्रीड़ा करना 2. हिस्सा लेना; शामिल होना 3. साहस या चतुराई से कोई कार्य करना; दाँव लगाना 4. {ला-अ.} किसी के प्रति अनुचित आचरण या व्यवहार करना 5. चुनौती देना; मैदान में आना।

खेला (सं.) [सं-पु.] 1. खेल; मनोरंजन 2. आमोद-प्रमोद; आनंदक्रीड़ा 3. नाटक 4. जादू।

खेला-खाया [वि.] जिसने किसी के साथ संभोग सुख का अनुभव कर लिया हो; अनुभवी; जिसे जानकारी हो।

खेवक [वि.] 1. खेने वाला; नाव चलाने वाला 2. पार लगाने वाला। [सं-पु.] नाविक; मल्लाह; माझी; केवट।

खेवट [सं-पु.] 1. नाविक; मल्लाह 2. पटवारियों या लेखपालों का वह दस्तावेज़ जिसमें गाँव के काश्तकार की ज़मीन, पट्टे या मालगुज़ारी का विवरण रहता है।

खेवटदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. पट्टेदार या खेत का हिस्सेदार 2. बटाईदार।

खेवड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. बौद्ध भिक्षु 2. तांत्रिक साधु।

खेवनहार [सं-पु.] मल्लाह। [वि.] 1. नाव खेने वाला; नाविक 2. पार लगाने वाला 3.{ला-अ.} विपत्ति के समय उससे उबारने वाला।

खेवा [सं-पु.] 1. नाव को चलाने या खेने की मज़दूरी 2. नाव का किराया; उतराई 3. नाव से सामान ढोने की क्रिया 4. नाव द्वारा एक बार में ढोने लायक सामान; खेप 5. धार्मिक मत या मार्ग; एक ही तरह से किसी वाद का अनुकरण करने वाले लोगों का दल 6. लदी हुई नाव 7. नाव का डाँड़ 8. बार; दफ़ा; अवसर।

खेवाई [सं-स्त्री.] 1. नाव खेने की क्रिया 2. नाव खेने का किराया या मज़दूरी 3. डाँड़ को नाव से बांधे रखने वाली रस्सी।

खेवैया [सं-पु.] 1. केवट; मल्लाह 2. नाव को खेने वाला; नाविक; खलासी 3. संकट से मुक्त करने वाला।

खेस (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हाथ से काते हुए सूत की मोटी चादर 2. खेश 3. करघे का बना मोटा कपड़ा।

खेसारी (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की दाल; दलहन 2. लतरी; मटर जाति की दाल।

खेह (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्षार; धूल 2. राख; धूल-मिट्टी।

खेहा [सं-पु.] बटेर की तरह का एक पक्षी।

खैनी [सं-स्त्री.] 1. चूने के साथ खाई जाने वाली तंबाकू या सुरती 2. तंबाकू के कूटे हुए पत्ते का चूरा जो चूने के साथ रगड़कर नशे के लिए खाया जाता है।

ख़ैबर (अ.) [सं-पु.] 1. भारत व अफगानिस्तान के बीच हिमालय क्षेत्र की एक घाटी जिसे पश्चिम से भारत में आने का अहम रास्ता भी माना जाता रहा है 2. एक दर्रा 3. अरब का एक दुर्ग जिसे हज़रत अली ने जीता था।

ख़ैयात (अ.) [सं-पु.] कपड़े सिलने वाला या सिलाई करने वाला व्यक्ति; दरज़ी; सूचिक।

ख़ैयाम (अ.) [सं-पु.] 1. तंबू बनाने वाला; ख़ैमादोज़ 2. ख़ेमा सिलने वाला व्यक्ति 3. रुबाइयाँ लिखने वाले फ़ारसी के प्रसिद्ध शायर उमर ख़ैयाम जो वैद्य तथा ज्योतिषी भी थे।

खैर (सं.) [सं-पु.] 1. खैर वृक्ष जिसकी लकड़ी से कत्था बनाया जाता है 2. एक तरह का बबूल; कीकर 3. कत्था; खदिर 4. भूरे रंग का एक पक्षी।

ख़ैर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कुशल; मंगल; ख़ैरियत; शुभ 2. सलामती 3. नेकी; परोपकार 4. पुण्य; सबाब 5. उम्दा; श्रेष्ठ 6. उपकार; भलाई। [अव्य.] 1. कोई बात नहीं 2. जो भी हो; कुछ चिंता नहीं 3. देखा जाएगा (उपेक्षा भाव में) 4. अच्छा; अस्तु।

ख़ैर-ख़बर (फ़ा.) [अव्य.] 1. कुशल मंगल की जानकारी या हाल-चाल 2. दूसरे के बारे में जानकारी।

ख़ैरख़्वाह (फ़ा.) [वि.] 1. भलाई चाहने वाला; ख़ैर या सलामती चाहने वाला 2. हितैषी; शुभचिंतक; शुभेच्छु।

ख़ैरख़्वाही (फ़ा.) [सं-स्त्री.] शुभेच्छा; मंगलकामना; कल्याणकामना।

खैरभैर [सं-पु.] 1. हो-हल्ला; कोलाहल 2. चहल-पहल; रौनक 3. हलचल।

खैरा [सं-पु.] 1. कत्थई रंग 2. कत्थई रंग के खुरों वाला बैल 3. कत्थई रंग का पशु 2. धान की फ़सल में लगने वाला एक रोग। [वि.] खैर या कत्थे के रंग का; कत्थई।

ख़ैरात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दान; भिखारियों को दिया जाने वाला पैसा या सामान 2. मुफ़्त में मिली हुई चीज़ 3. धार्मिक कामकाज 4. भिक्षा।

ख़ैरातख़ाना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. जहाँ अपाहिजों व दरिद्रों को मुफ़्त में दवा या भोजन इत्यादि दिया जाता है 2. मोहताज़ख़ाना; अनाथाश्रम 3. लंगर; अन्नसत्र।

ख़ैराती (अ.) [वि.] 1. ख़ैरात या दान के रूप में मिलने वाली 2. ख़ैरात संबंधी।

ख़ैरियत (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कुशलक्षेम; राजी-ख़ुशी; सलामती 2. भलाई; सुरक्षा 3. मंगल; कल्याण।

खैला (सं.) [सं-पु.] जवान बछड़ा या बैल, जो अभी हल में न जुता हो।

ख़ैला (फ़ा.) [वि.] अभद्र (स्त्री); मूर्ख; फूहड़।

खों-खों (सं.) [सं-पु.] खाँसने की ध्वनि; खाँसने की आवाज़।

खोंगाह [सं-पु.] हलका पीलापन या भूरापन लिए सफ़ेद रंग का घोड़ा।

खोंच (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़े का किसी नोकदार चीज़ या काँटे आदि में उलझकर फट जाना; कपड़े का थोड़ा-सा फटा हुआ या चिरा हुआ भाग 2. खरोंच 3. झोली। [सं-पु.] मुट्ठी भर अनाज।

खोंची [सं-स्त्री.] 1. किसान या दुकानदारों द्वारा अपने सेवादारों या मंगतों को दिया जाने वाला अनाज या कोई अन्य सामान 2. मकान के किसी ओर निकला हुआ अतिरिक्त हिस्सा, जो मकान में वास्तुदोष उत्पन्न करता है।

खोंटना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी शाक, जैसे-चना, मेथी या पालक आदि के छोटे पौधों के ऊपरी हिस्से को उँगलियों की नोक या चुटकी से दबाकर तोड़ना 2. कोंपल या फुनगी नोंचना 3. टुकड़े करना।

खोंड़र (सं.) [सं-पु.] 1. वृक्ष के तने या मोटी डाल में बना हुआ खोखला हिस्सा, जहाँ जंगली पशु या पक्षी रहने का ठिकाना या घोंसला बना लेते हैं 2. कोटर।

खोंड़ा (सं.) [वि.] 1. जिसके आगे के दो-तीन दाँत टूटे हों; टूटे हुए दाँतवाला 2. अपाहिज; जिसका कोई अंग टूटा हो; अंग-भंगवाला 3. जिसमें धार न हो 4. पेड़ का खोखला भाग 5. खंडित।

खोंता [सं-पु.] चिड़ियों का घोंसला; नीड़।

खोंप [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ के चुभने से लगी हुई खरोंच 2. चीरा 3. दरार 4. दूर-दूर लगे हुए टाँकों की सिलाई।

खोंपा [सं-पु.] 1. हल की वह लकड़ी जिसमें नुकीला फाल लगा होता है 2. भूसा रखने की छान 3. स्त्रियों के बालों का जूड़ा 4. छाजन या छप्पर का कोना।

खोंसना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को दूसरी चीज़ में फँसाना या अटकाना 2. घुसेड़ना; ठूसना; भरना।

खोई [सं-स्त्री.] 1. कोल्हू की पिराई के बाद गन्ने का रसविहीन अंश 2. रस निकालने के बाद गन्ने का सुखाया हुआ डंठल या तना जिसको ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है 3. भुना हुआ चावल; लाई 4. सिर पर बँधा कंबल या चादर 5. सट्टे में होने वाला नुकसान।

खोकंद (फ़ा.) [सं-पु.] तुर्किस्तान या तुर्की का एक प्रसिद्ध नगर।

खोखर [सं-पु.] एक प्रकार का राग।

खोखला [वि.] 1. पोला; रिक्त 2. जिसके भीतर कुछ भी न हो 3. निरर्थक; सारहीन 4. भावशून्य 5. शक्तिहीन; दुर्बल। [सं-पु.] 1. खोखली जगह; पोली जगह 2. कोटर 2. विवर; बड़ा छेद।

खोखलापन [सं-पु.] 1. खोखले होने का भाव 2. खालीपन 2. थोथा; पोला 3. {ला-अ.} आदर्शहीनता (व्यक्ति या समाज की)।

खोखा [सं-पु.] 1. खोल; कोटर 2. डिब्बा 3. हुंडी लिखा हुआ कागज़ 4. वह हुंडी जिसका रुपया अदा किया जा चुका हो।

खो-खो [सं-पु.] एक प्रकार का खेल जो दो टीमों द्वारा खेला जाता है, जिसमें कुछ खिलाड़ी एक निश्चित क्रम में बैठते हैं तथा खेल शुरू होने पर एक पक्ष का खिलाड़ी दौड़ता है और उसके पीछे दौड़ने वाले दूसरे पक्ष के प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को अपने अंक बनाने के लिए एक निश्चित जगह पर बैठने से पूर्व पहले पक्ष के खिलाड़ी को तेज़ दौड़कर छूना पड़ता है।

ख़ोगीर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज़ीन; चारजामा 2. रद्दी या व्यर्थ वस्तु 3. नमदा; घोड़े की ज़ीन के नीचे बिछाया जाने वाला ऊनी कपड़ा।

खोज (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खोजने की क्रिया या भाव 2. आविष्कार; तथ्यान्वेषण 3. पता; निशान 4. तलाश; पीछा 5. अनुसंधान; शोध; अन्वेषण 6. यत्न; प्रयास 7. गाड़ी के पहिए की लीक 8. मनुष्यों या पशुओं के ज़मीन पर चलने से बनने वाला चिह्न; निशान।

खोजख़बर (सं.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. हाल-चाल; ख़ैरियत 2. कुशल-प्रश्न 2. जानकारी; तलाश 4. गुप्तचर्या।

खोजना (सं.) [क्रि-स.] 1. ढूँढ़ना; तलाश करना 2. किसी छिपी वस्तु का पता लगाना; तलाशना 3. शोध या अनुसंधान करना 4. टटोलना; टोहना 5. प्राप्त करने की कोशिश करना।

खोजपूर्ण (सं.) [वि.] 1. खोज से प्राप्त; गवेषणात्मक 2. अन्वेषणात्मक; अनुसंधानपरक।

खोजबीन [सं-स्त्री.] 1. खोज; किसी चीज़ का पता लगाना 2. जाँच-पड़ताल; गुप्तचर्या 3. अपराध अनावरण 4. तथ्यान्वेषण।

खोजवाना [क्रि-स.] 1. खोजने का काम दूसरे से कराना 2. दूसरे को खोजने के लिए प्रवृत्त करना 3. शोध करवाना 4. ढुँढ़वाना; तलाश करवाना।

ख़ोजा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हिजड़ा; जनखा 2. मुसलमान बादशाहों के हरमों में रहने वाले सेवक या रक्षक, जो नपुंसक होते थे 3. दास; नौकर; सेवक 4. गुजराती मुसलमानों की एक जाति या समुदाय।

खोजी [वि.] 1. अन्वेषक 2. खोजने वाला; ढूँढ़ने वाला; जासूस 3. गवेषक 4. टोहिया 5. तलाश करनेवाला 6. जिसे खोज के लिए चुना जाए 7. गुप्तचर; पता लगाने वाला।

खोजी पत्रकारिता [सं-स्त्री.] पत्रकारिता की वह शाखा जिसमें खोजबीन करके तथ्यों के माध्यम से असामाजिक तत्वों तथा अपराधों का खुलासा किया जाता है।

खोट (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ या पदार्थ में विद्यमान दोष; अवगुण 2. कमी; गिरावट; विकृति 3. किसी पदार्थ में मिला हुआ अन्य निकृष्ट पदार्थ; मिलावट 4. कमज़ोरी; कमी 5. दुष्टतापूर्ण व्यवहार या कुटिल मानसिकता; दुर्भावना 6. बुराई; कपट 7. पाप; कसूर 8. सोने-चाँदी के गहनों में मिश्रित घटिया धातु।

खोटा (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई विकृति या खोट हो 2. जो अपने मूल स्वरूप में न हो 3. दोषपूर्ण; घटिया; बुरा 4. मिलावटी; नकली, जैसे- खोटा सिक्का 5. खल; दुष्ट; पापी 6. जो खरा न हो 7. अनुचित 8. 'खरा' का विलोम 9. नीच; दुराचारी 10. दुर्गुणी।

खोटाई [सं-स्त्री.] 1. खोटा होना; खोटेपन का भाव; अवगुण; बुराई 2. कुटिलता 3. छल; कपट; धोखा 4. दोष; ऐब; कमी।

खोटापन [सं-पु.] 1. खोटे होने की अवस्था, गुण या भाव 2. कमी; दोष; ऐब 3. कमज़ोरी 4. कुटिलता।

खोटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नकली वस्तु 2. मिलावटी चीज़ 3. कसौटी पर न उतरने वाली।

खोड (सं.) [वि.] 1. अपाहिज; विकलांग; लँगड़ा 2. खोंड़ा।

खोड़ [सं-पु.] 1. किसी तरह का दोष 2. देवों या पितरों का कोप 3. प्रेत का कोप; ऊपरी हवा। [सं-पु.] खोखला।

खोड़र (सं.) [सं-पु.] 1. गुहा; कोटर 2. पेड़ का खोखला भाग 3. खोखला दाँत।

खोद [सं-पु.] 1. खोदने की क्रिया; खनन 2. तह तक जाने की क्रिया 2. छानबीन; पड़ताल।

खोदना [क्रि-स.] 1. फावड़ा या कुदाल से बीज बोने के लिए खेत या ज़मीन को भुरभुरा बनाना; गड्ढा बनाना 2. जमी हुई चीज़ उखाड़ना; कुरेदना 3. धातु, पत्थर या लकड़ी पर छेनी या मशीन से चित्र या डिजाइन बनाना; नक्काशी करना 4. खुरचना 5. कुछ चुभो देना 6. उभारना; उकेरना।

खोदनी [सं-स्त्री.] 1. खोदने का उपकरण 2. गैंती; कुदाल 3. दंतखोदनी; कनखोदनी 4. कुरेदनी।

खोदवाना [क्रि-स.] 1. खोदने का काम कराना; खोदने में प्रवृत्त करना 2. खुदाई के लिए उकसाना।

खोनचा (फ़ा.) [सं-पु.] ऐसा थाल जिसमें मिठाइयाँ आदि रखकर फेरीवाले बेचते हैं।

खोना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ का न मिलना; गुम हो जाना 2. किसी वस्तु से वंचित होना 3. भारी क्षति होना 4. कोई चीज़ कहीं गिरा देना या गुम कर देना 5. गँवाना; छोड़ देना 6. ख़त्म करना; नष्ट करना, जैसे-रोज़गार का अवसर खोना 7. बिगाड़ देना। [क्रि-अ.] 1. कल्पना करना या सपनों की दुनिया में खो जाना; अन्यमनस्क होना 2. सोच में डूबना; किसी को याद करना।

खोपड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. सिर; खोपड़ी 2. कपाल 3. नारियल या नारियल की गरी का खोल 4. भिखारियों का खप्पर।

खोपड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यक्ति या पशुओं का सिर 2. सिर की हड्डी; कपाल 3. दिमाग; मस्तिष्क 4. सिर का कंकाल 5. किसी गोल वस्तु का बहुत कठोर ऊपरी आवरण, जैसे-नारियल का खोल। -खा जाना : बहुत बातें करके परेशान कर देना। -चाट जाना : बकवास करके परेशान कर देना।

खोपा (सं.) [सं-पु.] 1. छप्पर का कोई कोना 2. नारियल की गरी; गोला 3. स्त्रियों की गूँथी हुई चोटी की तिकोनी बनावट; जूड़ा।

खोभ [सं-स्त्री.] 1. किसी सतह पर उभरी हुई नुकीली चीज़ 2. फ़र्श या दीवार में गड़ी हुई वह चीज़ जो चुभती हो 3. कटी हुई फ़सल के खेत में बचे रहनेवाले डंठल, जैसे-सरसों या अरहर की खोभ।

खोभना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी नरम चीज़ में कोई कठोर चीज़ धँसाना 2. चुभोना; गड़ाना।

खोभरना [क्रि-अ.] 1. बीच में आ घुसना 2. बाधा बनना 3. आड़ा-तिरछा आना।

खोभार [सं-पु.] 1. सुअरबाड़ा; मवेशियों की कोठरी 2. कूड़ा-करकट फेंकने का गड्ढा।

खोम (सं.) [सं-पु.] किले का बुर्ज़।

खोमचेवाला [सं-पु.] वह व्यक्ति जो खोमचे में मिठाई, चाट, पकौड़ी आदि रखकर बेचता है।

खोया1 (सं.) [सं-पु.] 1. आँच पर चढ़ाकर गाढ़ा किया गया दूध 2. ईंट पाथने का गारा।

खोया2 [वि.] 1. जो गुम हो; अनुपलब्ध; अप्राप्त 2. गायब; गुम; गुमशुदा 3. बिछुड़ा 4. लापता 5. विलुप्त; नष्ट।

खोर [सं-स्त्री.] 1. गाय, भैंस व अन्य पशुओं को चारा खिलाने की सीमेंट या पत्थर की नाँद 2. सँकरी गली; कूचा 3. घास डालना या सानी करने की जगह 4.नटखट।

ख़ोर (फ़ा.) [परप्रत्य.] 1. खाने वाला, जैसे-आदमख़ोर 2. प्राप्त करके उपयोग करने वाला, जैसे-रिश्वतख़ोर, नशाख़ोर 3. अपमानित होने वाला, जैसे-हरामख़ोर, जूताख़ोर।

खोरनी [सं-स्त्री.] भट्टी या भाड़ में ईंधन झोंकने की लकड़ी।

खोरिया [सं-स्त्री.] 1. छोटी कटोरी या बिलिया 2. छोटी चमकीली बिंदियाँ जिन्हें स्त्रियाँ या अभिनय करने वाले (रामलीलावाले) सुंदर दिखने के लिए मुँह पर लगाते हैं।

ख़ोरी (फ़ा.) [परप्रत्य.] खाने की क्रिया या भाव, जैसे- रिश्वतख़ोरी, हवाख़ोरी।

खोल1 [सं-पु.] टोप; शिरस्त्राण; खोद।

खोल2 (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ का बाहरी आवरण या कवच; गिलाफ़; (कवर) 2. कुछ ख़ास तरह के कीटों के शरीर का सुरक्षात्मक आवरण 3. कपड़े के झोले या थैले जैसी कोई चीज़ 4. मोटे कपड़े की बनी हुई दोहरी चादर।

खोलक (सं.) [सं-पु.] 1. सिर का कवच 2. फल का छिलका; सुपारी का कड़ा आवरण 3. कड़ाह 4. साँप की बाँबी।

खोलना [क्रि-स.] 1. बंधनमुक्त करना; ग्रंथिमुक्त करना 2. सुलझाना; समझाना 3. छोड़ना 4. छिपे हुए भेद या तथ्य को प्रकट करना; बताना 5. मशीन आदि को मरम्मत आदि के लिए खोलना 6. उघाड़ना; उधेड़ना 7. निखारना 8. बिछाना 9. उतारना।

खोलि (सं.) [सं-स्त्री.] बाणों का तरकश; तूणीर।

खोली [सं-स्त्री.] 1. छोटा खोल या कक्ष; कोठरी 2. महानगरों में रहने के लिए बनाई गई छोटी और तंग कोठरी के लिए प्रयुक्त शब्द 3. सामान रखने की थैली 4. तकिए या रजाई पर चढ़ाने का गिलाफ़ या खोल।

खोवा [सं-पु.] दूध को औंटाकर बनाया गया गाढ़ा पदार्थ; खोआ; मावा; खोया।

ख़ोशा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गेंहू, जौ या धान की बाल 2. मंजरी; गुच्छा 3. घौद।

ख़ोशाचीं (फ़ा.) [वि.] 1. खेत में गिरी हुई बालें चुगने या इकट्ठा करने वाला 2. दूसरे की विद्या से लाभ हासिल करने वाला।

खोह (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खाई; कंदरा; गुफा 2. पहाड़ों के बीच का सँकरा रास्ता या गड्ढा 3. दर्रा।

खोही (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पत्तों से बनी छतरी 2. पहाड़ों के बीच का गहरा गड्ढा या खाई; घाटी 3. घोघी।

खौं (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खत्ता; गड्ढा 2. किसानों द्वारा अनाज संचित करके रखने का गड्ढा।

खौज़ (अ.) [सं-पु.] गंभीर चिंतन; मनन।

ख़ौफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. किसी बात का ख़तरा 2. भय; डर 3. आशंका 4. घबराहट; 5. आतंक 6. खटका। [मु.] -खाना : किसी बात से डर जाना।

ख़ौफ़ज़दा (अ.) [वि.] 1. डरा हुआ; भयभीत 2. जो आशंकित हो।

ख़ौफ़नाक (अ.) [वि.] 1. ख़ौफ़ या डर पैदा करने वाला; डरावना; भयानक 2. भयभीत कर देने वाला 3. जिससे ख़तरा महसूस हो; भीषण।

खौर (सं.) [सं-पु.] 1. माथे पर लगाया जाने वाला चंदन का टीका; त्रिपुंड 2. माथे का एक गहना 3. मछली फँसाने का जाल।

खौरना [क्रि-स.] तिलक या टीका लगाने के बाद उस पर लहरिया बनाना; खौर करना।

खौरा (सं.) [सं-पु.] 1. सिर के बाल झड़ने का रोग; रूसी 2. कुत्तों को होनेवाली खुजली।

खौलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आग पर गरम होकर या तपकर किसी तरल पदार्थ का उबलना 2. अत्यधिक क्रोध करना।

खौलाना [क्रि-स.] 1. किसी तरल पदार्थ को गरम करके खूब उबालना; औटाना 4. जलाना 5. {ला-अ.} क्रोधित करना।

खौलाव [सं-पु.] 1. उबाल आना 2. खौल उठना 3. क्रुद्ध होना।

खौहा [वि.] 1. जो बहुत खाता हो; भुक्खड़; पेटू 2. दूसरे की कमाई पर आश्रित।

ख्यात (सं.) [सं-पु.] किसी वीर योद्धा या नायक के यश का बखान करने वाला काव्य। [वि.] 1. मशहूर; समाज में चर्चित; लोकप्रिय; प्रसिद्ध 2 प्रचारित; प्रशंसित; वर्णित 3. नामी।

ख्याति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसिद्धि; लोकप्रियता 2. प्रशंसा 3. यश; कीर्ति।

ख्यापक (सं.) [वि.] 1. घोषणा करने वाला 2. प्रकट या प्रकाशित करने वाला 3. भूल स्वीकार करने वाला।

ख़्यालिया (फ़ा.) [सं-पु.] ख़्याल शैली में गान करने वाला गायक।

ख़्याली (फ़ा.) [वि.] 1. ख़्याल संबंधी; कल्पित; सोचा हुआ 2. अयथार्थ; काल्पनिक 3. सनकी; ख़ब्ती 4. खेल; खिलवाड़ी।

ख़्वाजा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. स्वामी; मालिक 2. सरदार; हाकिम; नेता 3. त्यागी और पहुँचा हुआ फ़कीर; महात्मा 4. हाकिम 5. खोजा नामक जाति 6. मुसलमान समुदाय में एक पदवी 7. हिजड़ा।

ख़्वाजासरा (तु.) [सं-पु.] 1. पुराने समय में रनिवास का हिजड़ा नौकर 2. शाही महल में अंतःपुर का दरोगा जो प्रायः नपुंसक हुआ करता था।

ख़्वान (फ़ा.) [सं-पु.] भोजन करने की थाली; थाल; परात; बड़ी तश्तरी।

ख़्वाब (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सपना; स्वप्न 2. नींद में होना 3. सोने की अवस्था।

ख़्वाबगाह (फ़ा.) [सं-पु.] सोने का कमरा, शयनागार, शयनकक्ष।

ख़्वार (फ़ा.) [वि.] 1. अपमानित; बेइज़्ज़त; तिरस्कृत 2. तबाह; बदहाल; नष्ट 3. परेशान।

ख़्वारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अपमान; बेइज़्ज़ती 2. दुर्दशा; बदहाली; ख़राबी 3. बरबादी 4. ज़िल्लत।

ख़्वास्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मनोकामना 2. चाह; इच्छा 3. ख़्वाहिश।

ख़्वास्तगार (फ़ा.) [वि.] 1. इच्छुक; माँगने वाला 2. प्रार्थी 3. अपील करने वाला।

ख़्वास्ता (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी कामना हो 2. जिसे चाहा गया हो।

ख़्वाह (फ़ा.) [अव्य.] 1. चाहे 2. अथवा; या 3. या तो।

ख़्वाहमख़्वाह (फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. अनावश्यक; बेवजह 2. न चाहते हुए भी, ज़बरदस्ती 3. मज़बूरी के साथ; बेकार ही।

ख़्वाहाँ (फ़ा.) [वि.] 1. याचक; इच्छुक 2. माँगने वाला 3. प्रेमी; चाहने वाला; जिसमें चाह हो।

ख़्वाहिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अभिलाषा; कामना; इच्छा 2. लालसा; तलब 3. आकांक्षा; चाहत 4. महत्वाकांक्षा।

ख़्वाहिशमंद (फ़ा.) [वि.] 1. ख़्वाहिश रखने वाला 2. अभिलाषी; आकांक्षी 2. इच्छुक।


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