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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह कोमल तालव्य, सघोष, महाप्राण स्पर्श है।

घँघोलना [क्रि-स.] 1. पानी में हिलाकर घोलना या मिलाना 2. पानी को मथकर मैला या गंदा करना।

घंट (सं.) [सं-पु.] 1. घड़ा 2. अंधविश्वास के कारण प्रेतक्रिया में पीपल से लटकाया जाने वाला घड़ा।

घंटा (सं.) [सं-पु.] 1. धातु का एक बाजा जो केवल ध्वनि उत्पन्न करने के लिए होता है, राग बजाने के लिए नहीं; पीतल या काँसा धातु से बना वह गोल पट्ट जिसको लकड़ी या धातु की हथौड़ी से मंदिरों में पूजा के समय बजाया जाता है; घड़ियाल 2. घंटा बजाकर दी जाने वाली समय की जानकारी 3. घड़ी में लगा वह यंत्र जो हर साठ मिनट बाद बजता है 4. समय मापने की इकाई 5. साठ मिनट का समय; दिन और रात का चौबीसवाँ भाग।

घंटाघर (सं.) [सं-पु.] वह ऊँची मीनार या टॉवर जिसपर बड़ा घंटा लगाया जाता है, जो चारों ओर से दूर तक दिखाई देता है और जिसका घंटा दूर तक सुनाई देता है; (क्लॉक टॉवर)।

घंटानाद (सं.) [सं-पु.] 1. घंटे की ध्वनि; टनटन; समयघोष 2. कुबेर का एक मंत्री।

घंटिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी घंटी 2. कमर में पहनने की करधनी 3. घुँघरू 4. वे छोटे-छोटे घड़े जो रहँट में बाँधे जाते हैं; क्षुद्र घंटिका।

घंटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पीतल या किसी अन्य धातु से बनी छोटी-सी शंकु के आकार की वस्तु, जिसे हिलाने पर एक विशेष प्रकार की टिन-टिन की ध्वनि उत्पन्न होती है; छोटा घंटा 2. घंटी बजने की ध्वनि 3. घुँघरू 4. थोड़ी आगे निकली रहने वाली गले की हड्डी 5. गले के अंदर की जीभ की जड़ के पास लटकी मांस की छोटी पिंडी, कौवा।

घंटील [सं-स्त्री.] पशुओं को खिलाने के काम आने वाली घास; चारा।

घई (सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक गहरा; जिसकी थाह न लग सके; अथाह 2. एक कुलनाम या सरनेम [सं-स्त्री.] गंभीर भँवर; पानी का चक्कर।

घघरा [सं-पु.] कमर के नीचे पहना जाने वाला स्त्रियों का (लंबा और गोल घेरेवाला) एक पहनावा; लहँगा।

घट (सं.) [सं-पु.] 1. कलश; घड़ा; जलपात्र 2. हृदय; मन 3. कुंभक 4. हाथी का कुंभ 5. अंतर 6. कुंभ राशि 7. पिंड; देह; शरीर 8. किनारा। [वि.] घटा हुआ; कम; थोड़ा; छोटा।

घटक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी घटना, रचना या किसी परिणाम में अहम भूमिका निभाने वाला आधार तत्व; अंग; (फ़ैक्टर) 2. शादी तय कराने वाला बिचौलिया; दलाल 3. काम पूरा करने वाला चतुर व्यक्ति 4. घड़ा 5. वंशावली का लेखाजोखा रखने और बताने वाला 6. ऐसा वृक्ष जिसपर बिना फूलों के फल लगते हों। [वि.] 1. घटित करने वाला; बनाने वाला; रचना करने वाला 2. मिलाने वाला; योजक; साधक 3. चतुर; होशियार।

घटका (सं.) [सं-पु.] 1. मरने के करीब व्यक्ति की रुक-रुककर चलने वाली साँस; मरने के समय होने वाली घर-घर की आवाज़ 2. गले में कफ़ की अधिकता से साँस का अवरुद्ध होना।

घटती [सं-स्त्री.] 1. घटने अथवा कम होने की क्रिया या भाव 2. कमी; न्यूनता 3. उच्च स्तर से निम्न स्तर पर आने की स्थिति 4. मात्रा, परिणाम, मान आदि में घटने या कम होने की अवस्था। [वि.] 1. जिसमें कुछ न्यूनता या कमी हो 2. जिसमें आय की अपेक्षा व्यय अधिक दिखाया गया हो; (डेफ़िशिट)।

घटदासी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुप्त संदेश लाने और ले जाने का काम करने वाली दूती 2. कुटनी।

घटन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के बनने या गढ़े जाने की क्रिया या भाव; रूप या आकार देना 2. मिलाना; जोड़ना 3. कोई घटना एकाएक उपस्थित होने या सामने आने की क्रिया या भाव 4. सृजन; बनना 5. गढ़ना।

घटना1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अचानक होने वाली बात; वाकया; हादसा 2. कोई अप्रत्याशित या विलक्षण बात जो हो जाए 3. विधि या व्यवहार के विरुद्ध बात; वारदात; (इंसीडेंट)।

घटना2 [क्रि-अ.] 1. कम होना; छीजना; तौल में कम होना 2. घटित होना; अस्तित्व में आना 3. किसी बात या उक्ति का सच हो जाना 4. लगना; ठीक बैठना।

घटनाकलन (सं.) [सं-पु.] किसी घटना या सूचना का यथातथ्य समीक्षात्मक वर्णन; घटना की विवेचना।

घटनाक्रम (सं.) [सं-पु.] एक के बाद एक घटनाएँ होते रहने का क्रम या भाव; घटनाओं का सिलसिला।

घटनाचक्र (सं.) [सं-पु.] घटनाओं का सिलसिला; घटनाक्रम।

घटनात्मक (सं.) [वि.] घटना या घटनाओं से जुड़ा या भरा हुआ; घटनामय।

घटनास्थल (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ कोई घटना हुई हो; मौका-ए-वारदात।

घटपल्लव [सं-पु.] (वास्तुशास्त्र) वह खंभा जिसका सिरा घड़े और पल्लव के आकार का बना हो।

घट-बढ़ [सं-स्त्री.] 1. कमी-बेशी; अपेक्षा से अधिक या कम 2. उतार-चढ़ाव 3. कुछ घटा या बढ़ाकर रूप बदलने की क्रिया; परिवर्तन।

घटयोनि (सं.) [सं-पु.] (पुराण) अगस्त्य मुनि जो कुंभज के नाम से प्रसिद्ध हैं।

घटवादन (सं.) [सं-पु.] (संगीत) घड़े को औंधा करके तबले की तरह बजाने की क्रिया या विद्या।

घटवाना [क्रि-स.] कम करने को उत्प्रेरित करना; कम कराना।

घटवार [सं-पु.] 1. मल्लाह; केवट 2. घाट का कर लेने वाला।

घटवाह [सं-पु.] घाट का मालिक; घाट का ठेकेदार।

घटवाही [सं-पु.] यात्रियों से घाट का कर वसूलने वाला अधिकारी। [सं-स्त्री.] यात्रियों से घाट पर वसूल किया जाने वाला कर; घटवाई।

घटवैया [वि.] घटाने वाला।

घट-स्थापन (सं.) [सं-पु.] मांगलिक कार्य या किसी पूजा के समय रखा जाने वाला पानी से भरा घड़ा।

घटहा [सं-पु.] 1. घाट का ठेकेदार 2. घाट से सवारियाँ लेकर पार कराने वाली बड़ी नाव 3. घटवाह।

घटा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. काले बादलों का समूह 2. सभा; गोष्ठी 3. प्रयत्न 4. एक प्रकार का ढोल। [मु.] -छाना : बादलों का आकाश में छा जाना।

घटाई [सं-स्त्री.] 1. घटने या घटाने की क्रिया 2. हीनता 3. {ला-अ.} अप्रतिष्ठा, बेइज़्ज़ती।

घटाकाश (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश का वह अंश जो पानी भरे घड़े के भीतर दिखे 2. (न्यायशास्त्र) घड़े के अंदर का खाली स्थान।

घटाटोप (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सघन बादलों का घेरा; घनघोर घटा 2. गाड़ी या पालकी का परदा 3. चारों तरफ़ से घेर लेने वाला समूह। [वि.] चारों ओर से घिरा हुआ।

घटाना [क्रि-स.] 1. (गणित) किसी बड़ी राशि में से छोटी राशि को घटाना 2. कम करना 3. {ला-अ.} मान-प्रतिष्ठा गिराना 4. उच्च स्तर से निम्न स्तर पर लाना, जैसे- मान घटाना। [मु.] -बढ़ाना : 1. कम-ज़्यादा करना; कमीबेशी होना 2. कोई परिवर्तन करना; बदलना।

घटाव [सं-पु.] पहले की तुलना में कम होने की अवस्था या भाव; कमी; न्यूनता।

घटित (सं.) [वि.] 1. जो घटना के रूप में हुआ हो; घटा हुआ; गुज़रा; बीता हुआ 2. निर्मित; रची हुई 3. अर्थ आदि के विचार से पूरा उतरा हुआ।

घटिया [वि.] 1. जो दूसरों की तुलना में हीन हो; ख़राब; सस्ता 2. जो श्रेष्ठ न हो; तुच्छ; जो गुण या धर्म की कसौटी पर मानक न हो 3. 'बढ़िया' का विलोम 4. नीच; अधम।

घटियापन [सं-पु.] घटिया होने की अवस्था; नीचता; दुष्टता; ख़राबी।

घटोत्कच (सं.) [सं-पु.] 1. घड़े से उत्पन्न 2. हिडिंबा के गर्भ से उत्पन्न भीम का पुत्र।

घट्ठा (सं.) [सं-पु.] 1. उभारदार व कड़ी गाँठ जो शरीर में चोट, रगड़ आदि से बन जाती है 2. वह उभरा हुआ मांसल भाग, जिसको छूने या सहलाने से किसी तरह की संवेदना महसूस न हो, जैसे- पैरों या हाथों के घट्ठे।

घड़-घड़ [सं-पु.] 1. बादल के गरजने की आवाज़ 2. रेल के गुज़रने से होने वाली ध्वनि।

घड़घड़ाना [क्रि-अ.] 1. गड़गड़ाना 2. घड़-घड़ की आवाज़ होना।

घड़घड़ाहट [सं-स्त्री.] 1. 'घड़-घड़' आवाज़ होने का भाव 2. गाड़ी चलने का स्वर।

घड़नई [सं-स्त्री.] बाँसों में घड़े बाँधकर बनाया हुआ ढाँचा, जिसपर चढ़कर लोग छोटी-छोटी नदियाँ, नाले पार करते हैं।

घड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी या धातु का बना गोल पात्र; पानी भरने हेतु मिट्टी या धातु से बना एक पात्र; कलशा; घट; बड़ी गगरी; कलसा 2. पानी या अनाज रखने का बरतन 3. {ला-अ.} पेट; तोंद। [मु.] घड़ों पानी पड़ जाना : बहुत शर्मिंदा होना।

घड़िया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा घड़ा; गगरी 2. मिट्टी का वह बरतन जिसमें सोनार लोग सोना-चाँदी रखकर गलाते हैं 3. शहद का छत्ता 4. मिट्टी की नाँद जिसमें लुहार लोहा गलाते हैं।

घड़ियाल [सं-पु.] 1. पानी एवं स्थल पर रहने वाला छिपकली की तरह का एक विशालकाय जंतु; मगरमच्छ; ग्राह; मगर 2. वह बड़ा घंटा जो पूजा या किसी सूचना के लिए बजाया जाता है।

घड़ियाली [सं-पु.] समय की सूचना देने के लिए घड़ियाल बजाने वाला व्यक्ति। [सं-स्त्री.] 1. पूजा के समय बजाने का एक तरह का घंटा; झालर 2. विजय घंट। [वि.] घड़ियाल संबंधी; नकली; मिथ्या।

घड़ियाली आँसू [सं-पु.] 1. नकली आँसू 2. झूठ-मूठ का दुख; बनावटी करुणा।

घड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समय देखने का उपकरण 2. समय; बेला; वक्त; मुहूर्त 3. काल का वह प्राचीन मान जो दिन-रात का बत्तीसवाँ और साठ पलों का होता है, वर्तमान में इसे चौबीस मिनट का माना जाता है; घटी 4. किसी घटना या कार्य के घटित होने का अवसर 5. पानी का छोटा घड़ा। [मु.] घड़ियाँ गिनना : मृत्यु के निकट होना; उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा करना।

घड़ी-घड़ी [क्रि.वि.] थोड़ी-थोड़ी देर बाद; बार-बार; रह-रहकर।

घड़ीसाज़ (सं.+फ़ा.) [सं-पु.] घड़ी की मरम्मत व सफ़ाई आदि करने वाला कारीगर।

घड़ौंची [सं-स्त्री.] लकड़ी, मिट्टी या सीमेंट से बनी हुई चौकी जिसपर पानी से भरे हुए घड़े रखे जाते हैं।

घन (सं.) [सं-पु.] 1. लोहा पीटने का हथौड़ा 2. घन 3. छह वर्गफल की ठोस आकृति 4. मेघ; बादल 5. किसी संख्या का तीसरा घात 6. समूह; झुंड 7. कपूर 8. नृत्य का एक प्रकार 9. श्लेष्मा; कफ 10. बजाने का बड़ा घंटा। [वि.] 1. घना; गझिन (गाढ़ा और मोटा कपड़ा या उसकी बुनावट) 2. ठोस या भरा हुआ।

घनक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गड़गड़ाहट; गरजन 2. चोट; प्रहार।

घनकना [क्रि-अ.] ज़ोर की आवाज़ करना; गरजना।

घनकारा [वि.] ऊँची आवाज़ करने वाला; क्रोध में गरजन करने वाला।

घनक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] किसी चीज़ की गहराई, चौड़ाई और लंबाई आदि का वर्णन; लंबाई, चौड़ाई और गहराई का विस्तार।

घनगरज [सं-स्त्री.] 1. बादल की गड़गड़ाहट; बादल के गरजने की ध्वनि 2. एक प्रकार की तोप 3. खुंभी जाति का एक छोटा पौधा जो कुकुरमुत्ता की तरह होता है, जिसकी सब्ज़ी बनती है; (मशरूम)।

घनघटा (सं.) [क्रि-अ.] काली घटा; बादलों की गहरी या घनी घटा।

घनघनाना [क्रि-अ.] 1. घंटे की-सी ध्वनि निकलना 2. घन-घन की आवाज़ निकलना।

घनघनाहट [सं-स्त्री.] 1. घंटे की ध्वनि 2. 'घन-घन' की आवाज़।

घनघोर (सं.) [वि.] 1. सघन; गहरा 2. बहुत घना 3. भयंकर; ज़बरदस्त। [सं-पु.] 1. भीषण आवाज़; तुमुलनाद; भय उत्पन्न करने वाली गड़गड़ाहट।

घनघोर घटा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घने और काले रंग के बादल; घनघटा 2. वेग से आँधी-पानी बरसाने वाले काले मेघ या बादल।

घनचक्कर [वि.] 1. नासमझ; मूर्ख; बेवकूफ़ 2. आवारागर्द; निठल्ला। [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसकी बुद्धि सदैव चंचल रहे; चंचल बुद्धि का व्यक्ति 2. वह जो व्यर्थ इधर-उधर घूमा-फिरा करे 3. एक प्रकार की आतिशबाज़ी; चकरी; चरखी 4. सूर्यमुखी का फूल एवं पौधा 5. गर्दिश; चक्कर 6. जंजाल।

घनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घने होने की अवस्था या भाव; घनापन 2. किसी पदार्थ की लंबाई, चौड़ाई और मोटाई का समूह 3. अणुओं आदि का ठोस गठन; ठोसपन 4. दृढ़ता; मज़बूती।

घनतोल (सं.) [सं-पु.] एक पक्षी का नाम; चातक; पपीहा।

घनत्व (सं.) [सं-पु.] 1. घना होने की अवस्था; घनापन; ठोसपन; मज़बूती 2. अणुओं का आपसी ठोस गठन 3. किसी पदार्थ की लंबाई, चौड़ाई तथा मोटाई का परिमाण। घनत्व=द्रव्यमान/आयतन, इसे 'ग्राम प्रति घन सेमी' से मापा जाता है; (डेंसिटी)।

घनफल (सं.) [सं-पु.] 1. किसी संख्या को उसी संख्या से दो बार गुणा करने पर प्राप्त गुणनफल 2. लंबाई, चौड़ाई, मोटाई का गुणनफल।

घनबान [सं-पु.] 1. एक प्रकार का बाण 2. (पुराण) ऐसा एक कल्पित बाण जिसके प्रयोग से बादल छा जाते थे।

घनबेला [सं-पु.] एक प्रकार का बेला (मोगरा) का पौधा और उसका फूल।

घनमूल (सं.) [सं-पु.] (गणित) किसी घन राशि का मूल अंक, जैसे- आठ का घनमूल दो है।

घनवर्धन (सं.) [सं-पु.] धातुओं को हथौड़े आदि से पीटकर बढ़ाना।

घनश्याम [सं-पु.] 1. काले बादल 2. कृष्ण। [वि.] ऐसा बादल जो श्याम रंग लिए हो; बादल जो हलके काले रंग का हो।

घनसार (सं.) [सं-पु.] 1. कपूर 2. जल 3. चंदन 4. घने छाए हुए बादल।

घना (सं.) [वि.] 1. सघन; गझिन; जो पास-पास हो 2. जो पास-पास बसा हुआ हो 3. बहुत ज़्यादा; अतिशय 4. जिसमें बहुत गाढ़ापन हो 5. जिसमें निकटता या घनिष्टता हो। [सं-स्त्री.] 1. एक प्राचीन बाजा 2. रुद्रजटा; मासपर्णी नामक वनस्पति।

घनाकर (सं.) [सं-पु.] 1. वर्षा ऋतु; पावस 2. घनागम (वर्षाऋतु का आरंभ)।

घनाक्षरी [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में इकतीस वर्ण होते हैं और अंत में प्रायः गुरु वर्ण होता है 2. कवित्त नामक छंद; दंडक छंद।

घनागम (सं.) [सं-पु.] वर्षा का आरंभ; वर्षा ऋतु; बरसात।

घनाघन (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) देवताओं का राजा इंद्र 2. मस्त हाथी 3. बरसने वाला बादल। [क्रि.वि.] निरंतर घन-घन की आवाज़ करते हुए।

घनात्मक (सं.) [वि.] जिस पदार्थ की लंबाई, चौड़ाई और मोटाई (ऊँचाई या गहराई) बराबर हो; घनाकार।

घनामय (सं.) [सं-पु.] खजूर; खर्जूर; (डेट)।

घनाली (सं.) [सं-स्त्री.] बादलों की पंक्ति या समूह; मेघावली।

घनिष्ठ (सं.) [वि.] 1. निकट का; समीप का 2. अंतरंग (मित्रता); गाढ़ा; गहरे संबंधोंवाला।

घनिष्ठता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत घनिष्ठ या आत्मीय होने की अवस्था 2. संबंध प्रगाढ़ होना; अत्यधिक निकटता 3. मित्रता की वह स्थिति जिसमें दूसरे के सुख-दुख को अपना सुख-दुख समझा जाता है; (इंटिमेसी)।

घनीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. घना होना; गहरा होना 2. गाढ़ा होना 3. जमना 4. ठोस होना 5. केंद्रित होना।

घनीभूत (सं.) [वि.] 1. गहरा; ठोस 2. जो जमकर घना या ठोस हो गया हो; गाढ़ा 3. केंद्रीभूत 4. जो विस्तार करके उग्र हो गया हो।

घनेरा [वि.] 1. बहुत घना 2. संख्या या मान की दृष्टि से बहुत सारा।

घपचिआना [क्रि-अ.] 1. असमंजस में पड़ना; सिटपिटाना 2. घबराना 3. चक्कर में आना।

घपची [सं-स्त्री.] दोनों हाथों की मज़बूत पकड़।

घपला [सं-पु.] 1. गड़बड़ी; गोलमाल; हेरफेर 2. ऐसी मिलावट या व्यवस्था, जिसमें कोई क्रम न हो 3. भ्रष्टाचार 4. किसी काम में होने वाली गड़बड़; अव्यवस्था।

घपलेबाज़ (हिं.+फ़ा.) [वि.] घपला करने वाला।

घपलेबाज़ी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] घपला या गड़बड़ी पैदा करने की क्रिया, अवस्था या भाव।

घपुआ [वि.] उल्लू किस्म का; मूर्ख, जड़; नासमझ; भकुआ।

घप्पू [वि.] उल्लू किस्म का; मूर्ख, जड़; नासमझ; भकुआ।

घबराना [क्रि-अ.] 1. भय या चिंता से अस्थिर होना; डरना; बिदकना 2. भय से मन में धुकधुकी होना; उद्विग्न होना 3. हक्का-बक्का होना 4. सकुचाना; हिचकना; लजाना 5. कोई काम करते-करते उससे ऊब जाना।

घबराहट [सं-स्त्री.] 1. घबराने की अवस्था; परेशानी; बेचैनी; अधीरता 2. आशंका; चिंता; भय 3. संकोच; हिचक; हड़बड़ी 4. व्याकुलता; उद्विग्नता।

घम (सं.) [सं-पु.] वह शब्द जो कोमल तल पर कड़ा आघात लगने से होता है।

घमंका (सं.) [सं-पु.] 1. घूँसा; मुष्टिकाप्रहार 2. वह प्रहार या चोट जिसके पड़ने से 'धम' शब्द हो; घमका।

घमंड (सं.) [सं-पु.] 1. अहंकार; अभिमान 2. दर्प; दंभ 3. शेखी।

घमंडी [वि.] 1. जिसे घमंड हो; अहंकारी; अभिमानी; मगरूर; अकड़बाज़ 2. शेखीबाज़; डींग मारने वाला।

घमकना [क्रि-अ.] 1. 'घम-घम' शब्द होना 2. तेज़ आवाज़ करना; गरजना। [क्रि-स.] 1. ज़ोर का घूँसा मारना 2. ऐसा आघात करना जिसमें घम-घम शब्द हो।

घमका [सं-पु.] दे. घमंका।

घमघमा [सं-पु.] लंबी प्रतीक्षा के बाद निकलने वाली धूप।

घमघमाना [क्रि-अ.] 1. घम-घम शब्द होना 2. किसी को मुक्के, घूँसे आदि मारना।

घमर [सं-पु.] 1. नगाड़े, ढोल आदि का भारी-भरकम शब्द 2. गंभीर ध्वनि 3. गंभीर तान।

घमस [सं-स्त्री.] 1. उमस; गरमी 2. घनापन; घनता।

घमाका [सं-पु.] 1. हथौड़े, गदे या घूँसे का प्रहार 2. भारी आघात से होने वाला शब्द।

घमाघम [क्रि.वि.] 1. 'घम-घम' शब्द के साथ 2. भारी आघात करते हुए। [सं-स्त्री.] धूम-धाम; चहल-पहल।

घमाघमी [सं-स्त्री.] 1. घमासान 2. मारपीट।

घमाना [क्रि-अ.] सरदी से बचने के लिए धूप में बैठना; धूप सेकना; धूप खाना। [क्रि-स.] सुखाने के उद्देश्य से कोई चीज़ धूप में रखना; धूप दिखाना।

घमायल [वि.] धूप या घाम की गरमी से पका हुआ (प्रायः फल के लिए)।

घमासान [सं-पु.] 1. घोर और भीषण युद्ध 2. मार-काट या युद्ध 2. भयंकर लड़ाई। [वि.] भीषण और विकट, जैसे- घमासान युद्ध।

घमौरी [सं-स्त्री.] तेज़ गरमी और पसीने से उत्पन्न होने वाली छोटी-छोटी फुंसियाँ; अँभौरी।

घर (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ कोई व्यक्ति निवास करता है; गृह; मकान; कमरा 2. स्वदेश; जन्मभूमि 3. घर में रहने वालों की पूरी सामाजिक इकाई 4. गृहस्थी; परिवार की चीज़ें 5. कुल; वंश; घराना 6. चारों तरफ़ रेखा खींचकर बना आरेख; कोठा; ख़ाना 7. म्यान; कोश 8. अटने या समाने का स्थान 9. भंडार 10. किसी समस्या की वजह, जैसे- प्रदूषण रोग का घर है 11. जहाँ किसी चीज़ की अधिकता हो 12. जन्मकुंडली में किसी ग्रह का स्थान 13. छेद 14. चौखटा; फ़्रेम। [मु.] -करना : किसी बात को बहुत पसंद करना; किसी स्त्री का परपुरुष के घर में उसकी पत्नी के रूप में रहना।

घर-गृहस्थी [सं-स्त्री.] 1. घर का काम-काज 2. घर की ज़िम्मेदारी; परिवार की ज़िम्मेदारी 3. परिवार के लोग; गृहस्थी।

घर-घर [अव्य.] हर घर में; प्रत्येक घर में; सब परिवारों में; सबके यहाँ।

घरघराना [क्रि-अ.] गले से घरघर की आवाज़ निकलना या होना।

घरघराहट [सं-स्त्री.] घर्र-घर्र की आवाज़; घर्र-घर्र शब्द होने की अवस्था।

घर-घालक [वि.] 1. दूसरों का घर बिगाड़ने वाला 2. किसी के व्यवहार या पूरे व्यक्तित्व को दूसरे के सामने गलत ठहराने वाला 3. कुल या वंश में दाग लगाने वाला।

घरघुसना [वि.] 1. वह व्यक्ति जो हमेशा स्त्रियों के पास बैठा रहता हो; घरघुसरा 2. गृहप्रिय 3. जो हमेशा घर में घुसा रहे 4. पर्यटन न करने वाला।

घरघुसरा [सं-पु.] 1. सदैव घर में रहने वाला व्यक्ति 2. घरबसा 3. गृहप्रिय; घरघुसना।

घरजँवाई [सं-पु.] 1. ससुराल में स्थायी रूप से रहने वाला दामाद; घरजमाई 2. वह व्यक्ति जिसे सास-ससुर अपने घर रख लें; घर-दामाद।

घरजाया [सं-पु.] 1. गुलाम 2. प्राचीन या मध्यकाल में गृहस्वामी के घर में दासी से उत्पन्न होने वाला पुत्र; दासीपुत्र 3. गृहदास।

घरदारी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] घर में रह कर किया जाने वाला घर-गृहस्थी का काम-काज।

घरनाल [सं-स्त्री.] एक प्रकार की प्राचीन तोप।

घरनी (सं.) [सं-स्त्री.] पत्नी; गृहणी; घर की मालकिन; भार्या।

घरपरना (सं.) [सं-पु.] वह कच्ची मिट्टी का गोल पिंडा जिसपर ठठेरे घरिया बनाते हैं।

घर-फोरा [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो दूसरे के घर में कलह पैदा करता है 2. अपने ही परिवार के सदस्यों को आपस में लड़ाने वाला व्यक्ति।

घरबार [सं-पु.] 1. घर 2. गृहस्थी 3. घर और घर के सब काम-काज।

घरबारी [सं-पु.] 1. गृहस्थ 2. स्त्री, बाल-बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों का भरण-पोषण करने वाला व्यक्ति।

घररना [क्रि-अ.] पिसना; रगड़ खाना।

घरवाला [सं-पु.] 1. स्त्री की दृष्टि से उसका पति 2. गृहस्वामी; घर का मालिक।

घरवाली [सं-स्त्री.] 1. पत्नी; अर्धांगिनी 2. घर में रहने वाली स्त्री।

घरसा (सं.) [सं-पु.] रगड़; घिस्सा।

घरहाया [वि.] घर में फूट डालने वाला; घर फोड़ने वाला; घर में लड़ाई-झगड़ा कराने वाला।

घराँव [सं-पु.] 1. घनिष्ठता; परस्पर मेलजोल का भाव 2. घर का सा संबंध।

घराऊ [वि.] घर से संबंध रखने वाला; घरेलू; घर का; घरु।

घराड़ी [सं-स्त्री.] ऐसा स्थान जहाँ कोई परिवार कई पीढ़ियों से रहता चला आ रहा हो; डीह।

घराती [सं-पु.] 1. विवाह में लड़की पक्ष के लोग 2. 'बराती' का विलोम।

घराना [सं-पु.] 1. वंश; ख़ानदान; कुल 2. गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली गायन या वादन की विशिष्ट परंपरा, जैसे- लखनऊ घराना 3. किसी कला या विद्या का प्रसिद्ध कुल।

घरिया [सं-स्त्री.] 1. मिट्टी का प्याला 2. सुनारों की कुल्हिया या घरिया जिसमें सोना-चाँदी गलाते हैं।

घरियाना [क्रि-स.] कपड़े को तह लगाकर रखना; घरी लगाना।

घरी [सं-स्त्री.] परत; तह; लपेट।

घरुआ [सं-पु.] 1. घर का अच्छा प्रबंध; गृहस्थी का ठीक-ठीक निर्वाह 2. वह व्यक्ति जो गृहस्थी का प्रबंध समझबूझ से करे; घरुआदार।

घरू [वि.] घर का; घर से संबंध रखने वाला; घरेलू; खानगी।

घरेलू [वि.] 1. पारिवारिक; घर में रखा जाने वाला; जो घर में रहे 2. घर संबंधी 3. घर का बना हुआ 4. जो घर या आपसदारी से संबंधित हो; निजी 5. (पालतू) जिसे घर में पाला-पोसा गया हो (पशु आदि)।

घरौंदा [सं-पु.] 1. छोटा घर 2. मिट्टी-रेत आदि का छोटा घर जिससे बच्चे खेलते हैं 3. {ला-अ.} नश्वर वस्तु।

घर्घर (सं.) [सं-पु.] 1. चक्की या मशीन से होने वाली कर्कश ध्वनि 2. जलते समय लकड़ी से होने वाली आवाज़; घरघराहट 3. हास्य 4. पर्वतद्वार 5. दर्रा 6. मथानी।

घर्म (सं.) [सं-पु.] 1. धूप 2. अग्नि या सूर्य का ताप; गरमी 3. ग्रीष्मकाल 4. स्वेद; पसीना।

घर्माक्त (सं.) [वि.] पसीने से भरा; पसीने से लथपथ।

घर्र-घहर [सं-स्त्री.] ज़ोर लगाकर रगड़ने से उत्पन्न ध्वनि।

घर्रा [सं-पु.] 1. एक प्रकार का अंजन जो आँख आने पर लगाया जाता है 2. खाँसी या कफ होने पर गले में होने वाली घरघराहट।

घर्राटा [सं-पु.] 'घर्र-घर्र' का शब्द; वह ध्वनि जो गहरी नींद में साँस लेते समय नाक से निकलती है; खर्राटा।

घर्रामी [सं-पु.] छप्पर छाने का काम करने वाला; छपरबंद।

घर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. घर्षण; रगड़ 2. संघर्ष 3. टक्कर।

घर्षण (सं.) [सं-पु.] 1. रगड़ने या घिसने की क्रिया या भाव 2. माँजना 3. पीसना 4. {ला-अ.} दो विचारधाराओं में होने वाला पारस्परिक विरोधजन्य संघर्ष।

घर्षणी (सं.) [सं-स्त्री.] हल्दी; हरिद्रा।

घर्षित (सं.) [वि.] 1. रगड़ा हुआ 2. घिसा; पिसा हुआ 3. अच्छी तरह धुला हुआ; माँजा हुआ।

घलना [क्रि-अ.] 1. किसी पर शस्त्र का चल जाना 3. मार-पीट या लड़ाई-झगड़ा हो जाना।

घलाघल [सं-स्त्री.] 1. तीव्र घात-प्रतिघात 2. मार-पीट।

घलुआ [सं-पु.] 1. वह वस्तु जो किसी दुकानदार द्वारा ग्राहक को प्रसन्न करने के लिए ज़्यादा मात्रा में दी जाती है 2. ख़रीददारी में तौल से अधिक मिला सामान।

घसियारा [सं-पु.] 1. घास छीलने और बेचने वाला व्यक्ति 2. अत्यंत हीन व्यक्ति।

घसीट [सं-स्त्री.] 1. घसीटने की क्रिया या भाव 2. जल्दी में लिखे हुए अक्षर जिनकी सुंदरता और शुद्धि का ख़याल न रखा गया हो; गंदी लिखावट।

घसीटना (सं.) [क्रि-स.] 1. ज़मीन से रगड़ते हुए खींचना 2. {ला-अ.} किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध या किसी साज़िश से किसी मसले में उलझा देना; फँसाना।

घहनाना [क्रि-स.] घंटा आदि बजाना; बजाकर ध्वनि उत्पन्न करना।

घहरना [क्रि-अ.] गरजने जैसा शब्द होना; गड़गड़ाना।

घहराना [क्रि-अ.] 1. भारी आवाज़ के साथ गिरना 2. वेगपूर्वक तेज़ आवाज़ करते हुए कहीं आ धमकना या गिरना 3. चारों ओर से घिरना। [क्रि-स.] 1. भीषण शब्द करना 2. घेरना या छाना; सहसा आकर उपस्थित होना; टूट पड़ना।

घाँटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गले के अंदर की घंटी; कौआ 2. गला; कंठ।

घाँटो [सं-पु.] एक प्रकार का लोक-गीत जो पूरब में चैत-बैसाख में गाया जाता है।

घाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दो उँगलियों के बीच का जोड़; अंटी 2. अँगीठी के ऊपरी सिरे का उभार 3. ऐसा कोना जहाँ दो रेखाएँ मिलती हों, जैसे- पौधे की पेड़ी और डाल के बीच की घाई 4. संधि; जोड़ 5. पाँच वस्तुओं का समूह।

घाऊघप [वि.] 1. चुपचाप किसी का माल उड़ाने या हजम करने वाला 2. सब कुछ खा-पीकर बरबाद करने वाला 3. चालाक; धूर्त 4. जिसका भेद जल्दी न खुले।

घाघ [वि.] 1. कुटिल व चालाक; काइयाँ; स्वार्थी 2. जिसके मन की बात को जानना बहुत कठिन है 3. खेतीबारी तथा गाँव संबंधी कहावतों के लिए भोजपुरी बोली के एक प्रसिद्ध कवि तथा लोकमर्मज्ञ 4. जादूगर; बाज़ीगर 5. अनुभवी और नीतिज्ञ विद्वान।

घाघरा [सं-पु.] 1. लहँगा; एक प्रकार का बड़े घेरे वाला पहनावा जो स्त्रियाँ अधोवस्त्र के रूप में पहनती हैं और जिससे कमर से एड़ी तक अंग ढके रहते हैं 2. एक प्रकार का पौधा 3. एक प्रकार का कबूतर। [सं-स्त्री.] सरयू नदी का स्थानिक नाम।

घाघी (सं.) [सं-स्त्री.] मछली फँसाने का बड़ा जाल।

घाट (सं.) [सं-पु.] 1. नदी, सरोवर या तालाब का वह किनारा जहाँ लोग पानी भरते, नहाते-धोते एवं नावों पर चढ़ते उतरते हैं 2. नदी, झील आदि का वह किनारा जहाँ पानी में उतरने के लिए सीढ़ियाँ बनी होती हैं 3. वह पहाड़ी मार्ग जिसमें उतार-चढ़ाव हो। [मु.] -घाट का पानी पीना : तरह-तरह के अनुभव प्राप्त करना या जगह-जगह के अनुभव होना।

घाटा [सं-पु.] 1. नुकसान; हानि 2. घटने या कम होने का भाव 3. वह चीज़ जो कम हो जाए 4. व्यापार में होने वाली आर्थिक क्षति; टोटा।

घाटिका (सं.) [सं-स्त्री.] गले का पिछला हिस्सा; गरदन।

घाटिताई [सं-स्त्री.] कमी; त्रुटि।

घाटिया (सं.) [सं-पु.] 1. नदी के तट पर रहने वाला व्यक्ति 2. घाट का स्वामी 3. वह ब्राह्मण जो घाट पर बैठकर नहाने वालों से दान-दक्षिणा लेता हो।

घाटी [सं-स्त्री.] 1. दो पर्वतों के बीच का सँकरा रास्ता 2. पहाड़ों से घिरी हुई समतल भूमि; दर्रा 3. पर्वतीय प्रदेशों के बीच का मैदान 4. पहाड़ का ढाल 5. दो नदियों के बीच का क्षेत्र, जैसे- नर्मदा घाटी।

घात (सं.) [सं-पु.] 1. आघात; प्रहार; चोट 2. धोखे में रखकर की जाने वाली बुराई या अहित 3. वध; हत्या 4. बाण 5. (गणित) किसी संख्या को उसी संख्या से गुणा करने से निकलने वाला गुणनफल; (पावर)। [सं-स्त्री.] 1. अपना स्वार्थ सिद्ध करने का उपयुक्त अवसर; ताक 2. छल करने का रंग-ढंग; तौर-तरीका; दाँव-पेंच। [मु.] -पर चढ़ना : वश में आना; दाँव पर चढ़ना।

घातक (सं.) [वि.] 1. घात या प्रहार करने वाला 2. हत्यारा; कत्ल करने वाला; वध करने वाला 3. भारी नुकसान पहुँचाने वाला। [सं-पु.] घात करने वाला व्यक्ति।

घात-नक्षत्र (सं.) [सं-पु.] अशुभ नक्षत्र, जो जन्म नक्षत्र से सातवाँ, सोलहवाँ या पच्चीसवाँ माना जाता है।

घात-प्रतिघात (सं.) [सं-पु.] आक्रमण-प्रत्याक्रमण; आक्रमण का उत्तर।

घाता [सं-पु.] ग्राहक को गिनती या माप से अधिक दिया जाने वाला पदार्थ; फाव; घाल।

घातिनी [वि.] 1. किसी का विनाश करने वाली; विनाशिनी 2. मार डालने वाली; नष्ट करने वाली।

घाती (सं.) [वि.] 1. समय देखकर योजनानुसार किसी को बरबाद करने वाला 2. घात या प्रहार करने वाला 3. मार डालने वाला; वध करने वाला 4. नाश करने वाला 5. धोखेबाज़; छली।

घात्य (सं.) [वि.] 1. घात करने या मारने योग्य 2. नष्ट करने योग्य।

घान (सं.) [सं-पु.] 1. उतनी मात्रा जितना एक बार में पेरने या पीसने के लिए चक्की में डाला जाए 2. उतना अंश जितना एक बार में बनाया या पकाया जाए 3. कठोर प्रहार; चोट।

घानी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घान 2. तेल आदि पेरने का कोल्हू 3. ढेर।

घाम (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का ताप; धूप; गरमी 2. कठिनाई; विपत्ति; संकट 3. पसीना।

घामड़ [वि.] 1. घाम या धूप से व्याकुल (पशु) 2. आलसी 3. मूर्ख।

घामरी [सं-स्त्री.] 1. धूप आदि न सह सकने के कारण होने वाली बेचैनी; व्याकुलता 2. प्रेम के कारण होने वाली विह्वलता।

घायल [वि.] 1. आहत; चोट खाया हुआ; ज़ख़्मी 2. {ला-अ.} किसी के दुर्व्यवहार से पीड़ित।

घाल [सं-पु.] 1. आघात; प्रहार 2. सौदे की उतनी वस्तु जितनी ग्राहक को तौल या गिनती के ऊपर दी जाए; घलुआ।

घालक [वि.] 1. मारने या वध करने वाला 2. नाश करने वाला 3. प्रहार या वार करने वाला 4. किसी का बहुत अधिक नुकसान करने वाला; हानि करने वाला।

घालना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में उड़ेलना 2. बिगाड़ना 3. फेंकना 4. कोई चीज़ किसी के अंदर डालना या रखना 5. वध या हत्या करना; मार डालना 6. पहनाना; रखना या लगाना 7. कोई वस्तु किसी वस्तु पर बैठाना 8. अस्त्र आदि चलाना, छोड़ना या फेंकना।

घालमेल [सं-पु.] 1. विभिन्न प्रकार के पदार्थों या वस्तुओं की मिलावट; गड्ड-मड्ड 2. बातचीत या चर्चा में अनेक विषयों को जोड़ लेना 3. मेल-जोल 4. अनुचित रिश्ता।

घाव (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर पर चोट या किसी धारदार वस्तु से बना ज़ख़्म; व्रण; क्षत 2. {ला-अ.} मन की दुखद स्थिति। [मु.] -पर नमक छिड़कना : कष्ट की हालत में दुख पहुँचाना।

घास (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन पर उगी हुई छोटी वनस्पतियाँ; दूब; खरपतवार; तृण 2. पशुओं को काटकर डाला जाने वाला चारा। [सं-पु.] 1. एक तरह का रेशमी वस्त्र 2. ताजिए में लगाए जाने वाले कागज़ या पन्नी के टुकड़े। [मु.] -छीलना : तुच्छ या व्यर्थ के काम करना।

घास-पात (सं.) [सं-पु.] 1. वनस्पति; तृण 2. कूड़ा-करकट।

घास-फूस (सं.) [सं-पु.] 1. खर-पतवार 2. कूड़ा-करकट।

घासलेट (इं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी का तेल 2. {ला-अ.} तुच्छ या अग्राह्य वस्तु।

घासलेटी [वि.] 1. हलके किस्म का 2. तुच्छ; नगण्य 3. निंदनीय और निम्न कोटि का 4. अश्लील; गंदा; रद्दी।

घिआँड़ा [सं-पु.] घी रखने का पात्र।

घिग्घी [सं-स्त्री.] 1. वह स्थिति जिसमें ज़्यादा रोने से साँस में रुकावट के कारण घी-घी जैसी आवाज़ होती है; अधिक रोने से साँस का रुकने लगना 2. डर के कारण मुँह से बोल न निकल पाना। [मु.] -बँधना : मुँह से आवाज़ न निकलना।

घिघियाना [क्रि-अ.] 1. रोते हुए विनती करना; किसी के सामने गिड़गिड़ाना 2. करुण स्वर में प्रार्थना करना; असहाय या दीन बनकर बोलना।

घिचपिच (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपेक्षाकृत थोड़ी जगह में अधिक वस्तुओं के बिना क्रम से रखे जाने की स्थिति 2. व्यक्तियों का जमा हो जाना 3. वह लिखावट जिसके अक्षर आपस में सटे होने के कारण पढ़े न जा सकें। [वि.] 1. गिच-पिच; अस्पष्ट 2. मिला-जुला।

घिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घृणा; नफ़रत 2. किसी गंदी या सड़ी-गली वस्तु को देखने से मन में होने वाली घृणा।

घिनौना [वि.] 1. घृणित 2. किसी व्यक्ति या वस्तु को देखने के बाद मन में होने वाली घिन।

घिनौनापन [सं-पु.] 1. घृणा का भाव 2. गंदगी का भाव।

घिरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. चारों तरफ़ से घेरा या रोका जाना; आवृत्त होना 2. घेरे में आना; घेरा जाना 3. सब दिशाओं का किसी वस्तु से ढँका जाना, जैसे- बादलों से आकाश का घिरना।

घिरनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चरखी; गराड़ी 2. चक्कर; फेरा 3. लट्टू नामक खिलौना 4. रस्सी बटने की चरखी।

घिराई [सं-स्त्री.] 1. घेरने की क्रिया या अवस्था 2. जानवरों को चराने का कार्य या उसकी मज़दूरी।

घिराव [सं-पु.] 1. घेरने की क्रिया या भाव 2. घेरा।

घिर्री [सं-स्त्री.] 1. गोल घेरे में बार-बार घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया 2. घिरनी।

घिसघिस [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य में जान-बूझकर विलंब या शिथिलता दिखाना 2. काम में उचित से ज़्यादा समय लगाना 3. धीरे-धीरे या रुक-रुककर काम करने की क्रिया या प्रवृत्ति।

घिसना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को ज़ोर लगाकर किसी कड़ी चीज़ पर इस प्रकार रगड़ना कि उसका कुछ अंश घिसता जाए 2. किसी बरतन आदि पर जमी हुई गंदगी हटाना; छुड़ाना; माँजना। [क्रि-अ.] छीजना; रगड़ से कटना।

घिस-पिस [सं-स्त्री.] 1. अनिश्चय 2. सुस्ती; ढिलाई।

घिसवाना [क्रि-स.] घिसने का काम किसी दूसरे से करवाना; रगड़वाना।

घिसा-पिटा [वि.] 1. पुराना 2. वह वस्तु जिसका उपयोग बहुत दिनों से किया जा रहा हो।

घिस्सम-घिस्सा [सं-पु.] 1. बार-बार रगड़ने की क्रिया 2. धक्कम-धक्का; रेलम-पेल।

घिस्सा [सं-पु.] 1. रगड़ 2. टक्कर 3. धक्का 4. चकमा; धोखा 5. कलाई या कोहनी से गरदन पर किया जाने वाला आघात।

घी (सं.) [सं-पु.] मक्खन को आग पर पका कर तैयार गया चिकना पदार्थ। [मु.] -के दीये जलाना : ख़ुशियाँ मनाना।

घीकुँआर [सं-पु.] ग्वारपाठा; घृतकुमारी; (एलोवेरा)।

घीया [सं-पु.] लौकी।

घीयातोरी [सं-स्त्री.] एक प्रकार की लता का फल जिसकी सब्ज़ी बनाई जाती है; गिल्की; नैना तोरई; तुरई।

घुँघची [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की बेल, जिसमें लाल और सफ़ेद रंग के बीज होते हैं 2. गुंजा।

घुँघनी [सं-स्त्री.] भिगोकर उबाला हुआ चना, मटर या और कोई अन्न।

घुँघराला [वि.] 1. छल्लेदार (केश) 2. कुंचित 3. जिसमें कई घुमाव या घूँघर पड़े हो।

घुँघरू [सं-पु.] 1. धातु की बनी हुई गोल और पोली गुरिया जिसमें कंकड़, लोहे के कण आदि भरे रहते हैं तथा जिसके हिलने पर ध्वनि उत्पन्न होती है 2. चने का ऊपर का खोल।

घुंडी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़े का गोल बटन 2. कपड़े की छोटी, नोकदार गाँठ जिसे कुरते, अंगरखे आदि का पल्ला बंद करने के लिए टाँकते हैं।

घुंडीदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें घुंडी टँकी, बनी या लगी हो 2. घुंडीवाला 3. पेचीला।

घुइयाँ [सं-स्त्री.] एक कंद जिसकी सब्ज़ी बनाई जाती है; अरुई या अरवी।

घुग्घी [सं-स्त्री.] पंडुक या फ़ाख़्ता नाम का पक्षी।

घुग्घू [सं-पु.] 1. उल्लू 2. {ला-अ.} मूर्ख व्यक्ति।

घुघरी [सं-स्त्री.] दे. घुँघनी।

घुघुआना [क्रि-अ.] 1. उल्लू का बोलना 2. उल्लू की तरह बोलना 3. बिल्ली की तरह गुर्राना।

घुटकना [क्रि-स.] 1. निगलना 2. 'घुट-घुट' की आवाज़ करते हुए पीना।

घुटकी [सं-स्त्री.] गले की नली जिससे होकर भोज्य पदार्थ अमाशय में पहुँचता है।

घुटन [सं-स्त्री.] 1. दम घुटने की अवस्था या भाव 2. साँस लेने में कठिनाई महसूस करना 3. कष्ट और घबराहट की अवस्था।

घुटनमय [वि.] घुटनयुक्त; घुटन से भरा हुआ।

घुटना (सं.) [सं-पु.] टाँग और जाँघ के बीच का जोड़। [क्रि-अ.] 1. साँस रुकने की अवस्था 2. किसी गाँठ के बंधन का दृढ़ हो जाना; फँसना 3. रगड़कर चिकना हो जाना 4. अच्छी तरह पीसा जाना; पिसकर महीन या पतला होना 5. आपस में मेल जोल होना। [क्रि-स.] बाँधने या जकड़ने के लिए भली प्रकार से कसना; बंधन कड़ा करना। [मु.] घुट-घुट कर मरना : अनावश्यक कष्ट झेलना।

घुटन्ना [सं-पु.] 1. तंग मोहरी वाला पाजामा जो घुटने से ऊपर तक होता है 2. घुटने तक का पाजामा; निकर; बरमूड़ा।

घुटरू [सं-पु.] छोटा घुटना; बच्चों का घुटना; पाँव के बीच का जोड़।

घुटरूँ (सं.) [क्रि.वि.] घुटने के बल चलना; घिसटकर चलना जिस प्रकार छोटे बच्चे चलते हैं।

घुटवाना [क्रि-स.] 1. घोटने का काम दूसरे से कराना 2. बाल मुँड़ाना।

घुटाई [सं-स्त्री.] 1. घोटने की क्रिया या भाव; घोंटाई 2. रगड़कर चिकना और चमकीला बनाने का भाव या क्रिया 3. रगड़ कर चिकना और चमकीला करने की मज़दूरी।

घुटाना [क्रि-स.] 1. घोटने का काम कराना; घुटवाना 2. कोई चीज़ घिसवाकर चमकीला और बेहतर बनवाना 3. सिर या दाढ़ी के बाल मुँड़ाना 4. पिसवाना; रगड़वाना।

घुट्टी [सं-स्त्री.] नवजात या छोटे बच्चों को पिलाई जाने वाली आयुर्वेदिक पाचक दवा; जन्म-घुट्टी।

घुड़कना [क्रि-स.] 1. ज़ोर से बोलकर डरा देना; ऊँची आवाज़ में बोलकर सामने वाले को डराना; घुड़की देना 2. प्यार भरे स्वर में धीमें से डाँटना; डपटकर बोलना।

घुड़की [सं-स्त्री.] 1. घुड़कने की क्रिया या भाव; धमकी भरी डाँट; डाँट-डपट; फटकार 2. गुस्से में किसी को कही गई बात।

घुड़चढ़ा [वि.] घोड़े की सवारी करने वाला; घुड़सवार।

घुड़चढ़ी [सं-स्त्री.] 1. हिंदुओं में विवाह की एक रीति जिसमें दूल्हा घोड़े पर चढ़कर शादी करने के लिए जाता है 2. घोड़े की पीठ पर रखकर चलाई जाने वाली एक प्रकार की तोप; घुड़नाल।

घुड़दौड़ [सं-स्त्री.] 1. घोड़ों की दौड़ 2. वह प्रतियोगिता जिसमें घोड़ों को बहुत तेज़ दौड़ाया जाता है और सबसे तेज़ दौड़ने वाले घोड़े को पुरस्कृत किया जाता है 3. एक प्रकार की बड़ी नाव जिसके अग्र भाग पर घोड़े का मुँह बना होता है।

घुड़नाल [सं-स्त्री.] घोड़े की पीठ पर रखकर चलाई जाने वाली पुराने समय की तोप।

घुड़बहल [सं-पु.] बह सवारी गाड़ी जिसमें घोड़े जुते हों।

घुड़मक्खी [सं-स्त्री.] प्रायः घुड़साल में पाई जाने वाली भूरे रंग की मक्खी जो घोड़ों को काटती है।

घुड़सवार [सं-पु.] वह व्यक्ति जो घोड़े पर सवार हो; अश्वारोही।

घुड़सवारी [सं-स्त्री.] घोड़े पर चढ़ कर दौड़ाने की क्रिया या भाव।

घुड़साल [सं-स्त्री.] अस्तबल; अश्वशाला।

घुणाक्षर (सं.) [सं-पु.] लिखे हुए अक्षरों की तरह वे चिह्न जो लकड़ी आदि पर घुन लगने से बन जाते हैं।

घुणाक्षर न्याय (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का न्याय जिसका प्रयोग उस अवस्था में होता है जिसमें कोई घटना संयोगवश वैसे ही हो जाती है, जैसे लकड़ी आदि पर घुन लगने से यों ही कुछ अक्षर बन जाते हैं 2. बिना किसी प्रयास के ही किसी काम का बन जाना; बिना किसी बात या प्रयत्न के किसी घटना का घटित होना 3. संयोगवश किसी काम का होना; संयोगवश किसी बात का हो जाना।

घुन (सं.) [सं-पु.] 1. अनाज के दानों के भीतरी भाग को खाकर उन्हें खोखला करने वाला लाल रंग का कीड़ा 2. लकड़ी आदि में लगने वाला सफ़ेद रंग का कीड़ा।

घुनघुना [सं-पु.] हिलाने से बजने वाला खिलौना; झुनझुना।

घुनना [क्रि-अ.] 1. घुन नामक कीड़े के द्वारा लकड़ी आदि का खाया जाना 2. चिंता, रोग आदि के कारण मनुष्य के शरीर का लगातार क्षीण होते जाना 3. किसी दोष के कारण अंदर ही अंदर ख़तम होना 4. अंदर से छीजना।

घुन्ना [वि.] 1. अपने मन के भावों को छिपाए रखने वाला 2. वह व्यक्ति जो अपने क्रोध, दुख, द्वेष आदि के भाव प्रकट न करता हो।

घुप (सं.) [वि.] घनघोर; घना; निविड़।

घुमंतू [वि.] दे. घुमक्कड़।

घुमक्कड़ [वि.] 1. बहुत अधिक घूमने वाला 2. परिभ्रमक 3. घूर्णक 4. सोद्देश्य या निरुद्देश्य घूमने वाला; घुमंतू।

घुमक्कड़ी [सं-स्त्री.] घूमने-फिरने की क्रिया; सैर-सपाटा।

घुमटा [सं-पु.] 1. सिर में एकाएक चक्कर आने का एक रोग; ऐसा रोग जिसमें चक्कर आने के साथ-साथ आँखों के सामने अँधेरा छा जाता है 2. सिर घूमना।

घुमड़ना [क्रि-अ.] 1. बादलों का उमड़-उमड़ कर इधर-उधर जमा होना; बादलों का छा जाना 2. गहरे बादल छाना।

घुमड़ी [सं-स्त्री.] 1. एक स्थान पर केंद्रित रहकर चारों ओर फिरने की क्रिया 2. उक्त क्रिया से सिर में आने वाला चक्कर 3. जल की भँवर 4. पशुओं का एक रोग जिसमें वे चक्कर खाकर गिर जाते हैं 5. परिक्रमा।

घुमाना [क्रि-स.] 1. चक्कर या फेरा देना 2. एक तरफ़ से हटा कर दूसरी तरफ़ ध्यान लगाना 3. किसी को घूमने में प्रवृत्त करना 4. मोड़ना 5. सैर कराना; टहलाना 6. लौटाना; वापिस करना।

घुमाव [सं-पु.] 1. घूमने या घुमाने की अवस्था या भाव 2. चक्कर; फेरा 3. मार्ग का घुमाव 4. किसी वाक्य या बातचीत में होने वाली जटिलता।

घुमावदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें घुमाव हो; चक्करदार; पेचदार।

घुमाव-फिराव [सं-पु.] 1. घूमने या फिरने की क्रिया या भाव 2. व्यवहार में ऐसी जटिलता जिसमें कुछ छल-कपट हो।

घुर-घुर [सं-पु.] 1. खाँसी या गले में कफ होने के बाद साँस लेने पर होने वाली आवाज़ 2. सुअर, बिल्ली आदि के गले से निकलने वाली आवाज़।

घुरघुराना [क्रि-अ.] गले से 'घुर-घुर' आवाज़ निकलना। [क्रि-स.] गले से 'घुर-घुर' आवाज़ उत्पन्न करना।

घुरघुराहट [सं-स्त्री.] 'घुर-घुर' की ध्वनि।

घुरना [क्रि-अ.] घुर-घुर शब्द होना। [क्रि-स.] 1. शब्द उत्पन्न करना 2. बजना या बोलना।

घुर-बिनिया [सं-स्त्री.] कूड़े-करकट के ढेर से खाने की या टूटी-फूटी वस्तुएँ एकत्र करने की क्रिया या भाव। [सं-पु.] 1. खाने की वस्तुओं को बीनकर जीवन निर्वाह करने वाला व्यक्ति 2. अत्यंत निर्धन व्यक्ति।

घुलनशील (सं.) [वि.] जो घुल सके; घुलने वाला।

घुलनशीलता [सं-स्त्री.] किसी द्रव पदार्थ में दूसरे पदार्थ का घुलमिल जाने का गुण विलेयता।

घुलना [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु में पिघलकर मिल जाना 2. गलना 3. किसी के साथ या किसी में ख़ूब अच्छी तरह मिल जाना 4. किसी रोग, शोक या बुढ़ापे के कारण दुर्बल या क्षीण हो जाना। [मु.] घुल-घुल कर मरना : अत्यंत कष्ट भोगकर मरना।

घुलनीय (सं.) [वि.] घुलनशील; घुलनेयोग्य।

घुलवाना [क्रि-स.] घोलने का कार्य किसी अन्य से कराना।

घुलाना [क्रि-स.] 1. किसी द्रव पदार्थ में किसी कठोर वस्तु को हिला-डुला कर या गरम कर मिलाना 2. गलाना; पिघलाना 3. नरम या मुलायम करना 4. शरीर क्षीण या दुर्बल करना 5. यंत्रणा देना।

घुला-मिला [वि.] मिला-जुला; मिश्रित।

घुलावट [सं-स्त्री.] 1. घुलने या घुलाने की क्रिया या भाव 2. परस्पर मैत्री भाव या स्नेह भरा माहौल 3. बहुत अधिक प्रेम; घनिष्ठता।

घुल्य (सं.) [वि.] घुलने योग्य; जो घुलने में सक्षम हो।

घुसना (सं.) [क्रि-अ.] 1. प्रवेश करना; अंदर जाना 2. भीतर जाना; ज़बरदस्ती घुसना 3. किसी काम में दख़ल देना 4. ध्यान देना; बात की तह तक जाना 5. अनधिकार किसी के बीच में बोलना 6. चुभना; गड़ना।

घुसपैठ [सं-स्त्री.] 1. घुसने की क्रिया या भाव; बिना अनुमति के प्रवेश 2. पहुँच; प्रवेश; रसाई 3. किसी जगह प्रयत्न द्वारा या ज़बरदस्ती घुसकर प्रभाव स्थापित कर लेना 4. बलपूर्वक कहीं पहुँच कर अपने लिए स्थान बनाने की अवस्था या भाव।

घुसपैठिया [सं-पु.] घुसपैठ करने वाला; कहीं पर ज़बरदस्ती घुस जाने वाला; (इंट्रूडर)।

घुसर-पुसर [सं-स्त्री.] अत्यंत धीमी आवाज़ में बातें करना; कानाफूसी।

घुसाना [क्रि-स.] 1. कोई चीज़ धँसाना, गड़ाना या चुभाना 2. किसी को घुसने में प्रवृत्त करना 3. दाख़िल करना 4. प्रवेश कराना।

घुसेड़ना [क्रि-स.] 1. धँसाना 2. प्रवेश कराना 3. ठूँसना।

घूँघट (सं.) [सं-पु.] 1. साड़ी, दुपट्टे या किसी ओढ़ने वाले कपड़े का वह हिस्सा जिससे स्त्रियाँ अपने चेहरे को ढक लेती है 2. ओट; पर्दा 3. गुलाम-गर्दिश।

घूँघर [सं-पु.] बालों में पड़ा हुआ छल्ला या मरोड़।

घूँट [सं-पु.] 1. एक बार में मुँह में भरकर पी जा सकने वाली मात्रा 2. एक छोटा पेड़, कठबेर 3. किसी तरल पदार्थ की थोड़ी मात्रा 4. पहाड़ी टट्टुओं की एक जाति जिसे गूँठ या गुंठा भी कहते हैं।

घूँटना [क्रि-स.] पानी या कोई और तरल पदार्थ धीरे-धीरे गले के नीचे उतारना; पीना।

घूँसा [सं-पु.] 1. बँधी हुई मुट्ठी जो मारने के लिए उठाई जाए; मुक्का 2. मुट्ठी बाँधकर किया गया प्रहार।

घूँसेबाज़ (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. घूँसा मारने वाला 2. घूँसेबाज़ी का खेल खेलने वाला।

घूँसेबाज़ी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह खेल जिसमें घूँसों या मुक्कों से प्रहार कर दूसरे खिलाड़ी को परास्त किया जाता है 2. एक प्रकार का खेल जिसमें घूँसों या मुक्कों से खिलाड़ी प्रहार करता है।

घूआ [सं-पु.] 1. कीचड़, मिट्टी में होने वाला एक प्रकार का कीड़ा 2. काँस, मूँज आदि के फूल 3. कपास, सेमल आदि के फूलों में से निकलने वाला अंश 4. दरवाज़े के पास का वह छेद जिसमें किवाड़े की चूलें धँसी रहती हैं।

घूका [सं-पु.] सँकरे मुँह वाली बाँस की टोकरी।

घूघ [सं-स्त्री.] सिर की रक्षा हेतु बनी लोहे या पीतल की टोपी।

घूघरी [सं-पु.] भिगोए हुए चने, मटर, गेहूँ या मक्का को उबालकर बनाया जाने वाला खाद्य।

घूघी [सं-स्त्री.] 1. थैली 2. जेब; घीसा 3. घुग्घी; पंडुक; पेडुकी।

घूम [सं-स्त्री.] 1. घूमने की क्रिया या भाव 2. चक्कर; घुमाव; फेरा 3. सड़क का मोड़ 4. उनींदापन; मतवालापन 5. कपड़े आदि का घेरा।

घूमना [क्रि-अ.] 1. किसी बिंदु के चारों ओर चक्कर लगाना 2. भ्रमण करना; यात्रा करना 3. परिक्रमा करना; एक दिशा से दूसरी दिशा में जाना 4. किसी वस्तु का दूसरी वस्तु के चारों ओर चक्कर लगाना।

घूमना-फिरना [क्रि-अ.] 1. भ्रमण करते रहना 2. मौज-मस्ती के उद्देश्य से इधर-उधर घूमना।

घूमरा [वि.] 1. नशा करने वाला 2. मदयुक्त 3. मतवाला; मस्त; मत्त 4. घूमने या चक्कर लगाने वाला।

घूर (सं.) [सं-पु.] 1. कूड़ा-करकट फेंकने की जगह; घूरा 2. कूड़े का ढेर 3. सुनारों द्वारा पोले गहनों को भारी करने के लिए भरा जाने वाला रेत या सुहागा आदि।

घूरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी भाव से आँख गड़ाकर एकटक देखना; तिरछी निगाह से देखना 2. काम या क्रोध के विचार से देखना।

घूरा [सं-पु.] दे. घूर।

घूर्ण (सं.) [सं-पु.] घूमना; चक्कर खाना। [वि.] घूमता हुआ।

घूर्णन (सं.) [सं-पु.] 1. घूमने या चक्कर लगाने की अवस्था या भाव 2. चक्कर खाना 3. भ्रमण।

घूर्णमान (सं.) [वि.] घूमता हुआ; चक्कर खाता हुआ।

घूर्णित (सं.) [वि.] 1. घूमता हुआ 2. भ्रमित।

घूर्ण्य (सं.) [वि.] घूमने योग्य।

घूस [सं-स्त्री.] 1. अपना कार्य कराने के लिए अनुचित रूप से दिया जाने वाला धन या वस्तु; रिश्वत; उत्कोच 2. किसी के कार्य को अवैध या अनुचित रूप से करने के लिए लिया जाने वाला धन। [सं-पु.] चूहे की तरह का एक जीव।

घूसख़ोर (हिं.+फ़ा.) [वि.] घूस खाने वाला; रिश्वतख़ोर।

घूसख़ोरी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] घूस लेने की अवस्था या भाव; घूस या रिश्वत लेने की प्रवृत्ति।

घृणा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नफ़रत 2. अनुचित कार्य या कृति के प्रति स्वाभाविक अरुचि; घिन 3. वीभत्स रस का स्थायी भाव।

घृणास्पद (सं.) [वि.] घृणा करने लायक; घृणित।

घृणित (सं.) [वि.] 1. जिससे घृणा की जाए 2. घृणा का पात्र; घृणा करने योग्य 3. निंदित 4. तिरस्कृत।

घृणी (सं.) [वि.] घृणा करने वाला।

घृण्य (सं.) [वि.] घृणा करने योग्य या घृणा का पात्र; घृणित।

घृत (सं.) [सं-पु.] मक्खन को गरम कर बनाया हुआ खाद्य पदार्थ; घी।

घृताक्त (सं.) [वि.] घी में सना हुआ; घी चुपड़ा हुआ।

घृतान्न (सं.) [सं-पु.] घृतयुक्त अन्न; घी मिला खाद्यान्न।

घृष्ट (सं.) [वि.] घिसा हुआ।

घृष्ट्य (सं.) [वि.] घिसने योग्य; रगड़ने लायक।

घेंघा [सं-पु.] 1. गलगंड 2. गले का एक रोग।

घेंटा [सं-पु.] सुअर का बच्चा।

घेंटी [सं-स्त्री.] चने की फली जिसके भीतर दाना रहता है।

घेंटुला [सं-पु.] सुअर का छोटा बच्चा।

घेंड़ी [सं-स्त्री.] मिट्टी, पीतल या स्टील का वह बरतन जिसमें घी रखा जाता है; घियाँड़ी।

घेपना [क्रि-स.] 1. हाथ पैर से रौदकर मिलाना; एक में लथपथ करना 2. खुरचना; छीलना।

घेर [सं-पु.] 1. घेरने या फैलने की क्रिया; फैलाव; घेराव 2. चारों ओर से अपने नियंत्रण में करना 3. घेरा; मंडल 4. परिधि।

घेर-घार [सं-स्त्री.] 1. चारों ओर से घेरने की क्रिया या भाव 2. फैलाव; घेरा 3. विस्तार 4. किसी पर चारों तरफ़ से दबाव डालकर काम करने के लिए विवश करना 5. ख़ुशामद भरी विनती।

घेरना [क्रि-स.] 1. अवरोध करना 2. छेंकना 3. रोकना 4. किसी कार्य के लिए चारों तरफ़ से दबाव बनाकर विवश करना।

घेरा [सं-पु.] 1. घेरने की क्रिया या भाव 2. चारों ओर का फैलाव; निर्धारित सीमा; परिधि; परिधि का माप 3. घेरने वाली चीज़, जैसे- रेखा या दीवार आदि 4. सेना या पुलिस द्वारा किसी जगह पर बनाया गया ऐसा घेरा या कब्ज़ा, जिसमें आना और जाना कठिन हो 5. गोलाई में खड़ा होकर बना वृत्त 6. घिरी हुई जगह 7. कमीज़ या कुरते का घेरा 8. किसी ठोस पदार्थ की चौड़ाई और मोटाई का विस्तार।

घेराई [सं-स्त्री.] घिराई; घेरना।

घेराबंदी [सं-स्त्री.] चारों तरफ़ घेरा डालने की अवस्था या भाव।

घेराव [सं-पु.] 1. घेरने की क्रिया या भाव 2. किसी उच्चाधिकारी से अपनी बात मनवाने के लिए कर्मचारियों और विद्यार्थियों द्वारा उसे घेरना।

घेवर [सं-पु.] मैदे और दूध के मिश्रण को घी में तलकर बनाई जाने वाली प्रसिद्ध मिठाई, जैसे- सावन के महीने में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बहन की ससुराल में भाई द्वारा घेवर और कपड़े आदि ले जाने का रिवाज है।

घैया [सं-स्त्री.] 1. गाय के थन से निकली हुई दूध की धार जिसे मुँह लगाकर पिया जाए 2. ताज़े और बिना मथे हुए दूध के ऊपर उतराते मक्खन को छानकर इकट्ठा करने की क्रिया।

घैला (सं.) [सं-पु.] मिट्टी का घड़ा; छोटा मटका।

घोंखना [क्रि-स.] किसी बात या पाठ को याद रखने के लिए बार-बार दोहराना; रटना।

घोंघ [सं-पु.] एक प्रकार की पक्षी।

घोंघा (सं.) [सं-पु.] 1. शंख की तरह का नदी-तालाबों में पाए जाने वाला एक कीड़ा 2. अनाजों में छिलके का वह कोश जिसमें दाना होता है 3. धीरे चलने वाला व्यक्ति 4. {ला-अ.} बेवकूफ़; मूर्ख; निस्सार।

घोंघा-बसंत [वि.] परम मूर्ख।

घोंघी [सं-स्त्री.] शंख की तरह का एक कीड़ा जो प्रायः बरसात के मौसम, नदियों या तालाबों में पाया जाता है।

घोंचा [सं-पु.] गुच्छा; घौद।

घोंची [सं-स्त्री.] वह गाय जिसके सींग नीचे की ओर मुड़े हों।

घोंचू [सं-पु.] बेवकूफ़ या नासमझ व्यक्ति।

घोंटू [वि.] 1. घोंटने वाला; गला दबाने वाला 2. रटने वाला।

घोंपना [क्रि-स.] 1. घुसेड़ना या भोंकना 2. गड़ाना; चुभाना; धँसाना।

घोंसला (सं.) [सं-पु.] 1. घास-फूस और तिनकों से बना हुआ पक्षियों के रहने और अंडे देने का स्थान; नीड़ 2. तिनको की जटिल बुनावट; खोता, जैसे- बया का घोंसला 3. किसी के रहने की जगह (कमतर या तुच्छता भाव में प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द)।

घोखना (सं.) [क्रि-स.] दे. घोंखना।

घोखवाना [क्रि-स.] घोंखने के लिए प्रेरित करना।

घोखू [वि.] रटने वाला; रट्टू।

घोघा [सं-पु.] खड़ी फ़सल (चने आदि की फ़सल को) नुकसान पहुँचाने वाला एक छोटा कीड़ा।

घोट (सं.) [सं-पु.] 1. घोड़ा 2. ऐसा पुरुष जिसमें घोड़े की-सी शक्ति हो।

घोटक (सं.) [सं-पु.] अश्व; घोड़ा; हय।

घोटना (सं.) [क्रि-स.] 1. रगड़कर या पीसकर बारीक करना 2. पत्थर पर या पात्र विशेष में किसी चीज़ को इतना रगड़ना कि वह पतला हो जाए, जैसे- भाँग घोटना 3. माँजना; रगड़ना 4. कुछ सीखने के लिए अभ्यास करना; हल करना (गणित आदि के प्रश्न) 5. कंठस्थ करना 6. उस्तरे या रेज़र से सिर के बालों को मूँड़ना। [सं-पु.] घोटने का उपकरण।

घोटा [सं-पु.] 1. घोटने, पीसने या रगड़ने की क्रिया या भाव 2. वह उपकरण जिससे कोई चीज़ घोटी जाए 3. पशुओं को दवा आदि पिलाने के लिए उपयुक्त बाँस का चोंगा 4. किसी चीज़ को चमकीला करने का एक औज़ार 5. हजामत; केशों और दाढ़ी, मूँछ को पूरी तरह कटवा लेने की क्रिया।

घोटाई [सं-स्त्री.] 1. घोटने की क्रिया या भाव; मज़दूरी 2. घोटने की उजरत।

घोटाला [सं-पु.] 1. कपट या धोखे से किसी व्यक्ति या समाज की धन-संपदा को हड़पने या दुरुपयोग करने का काम; घपला; बेईमानी 2. हिसाब में गड़बड़ी; गोलमाल 3. किसी योजना, काम या बात की बड़े स्तर पर दुष्प्रभाव डालने वाली अव्यवस्था।

घोड़राई [सं-स्त्री.] घोड़ों को खिलाया जाने वाला एक प्रकार का अनाज़।

घोड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत तेज़ दौड़ने के लिए चार पैरों वाला प्रसिद्ध जानवर; अश्व; (हॉर्स) 2. बंदूक और रिवाल्वर इत्यादि का वह खटका या ट्रेगर जिसे दबाने से गोली चलती है 3. शतरंज का एक मोहरा 4. छज्जे का वज़न सँभालने के लिए दीवार में लगाई जाने वाली लकड़ी का घोड़े के मुँह के आकार का टोंटा। [मु.] -कसना : घोड़े पर जीन डालना। -बेच कर सोना : बेफ़िक्र होना।

घोड़ा-गाड़ी [सं-स्त्री.] ताँगा; एक प्रकार की सवारी जिसको घोड़े खींचते हैं; टम-टम; इक्का।

घोड़िया [सं-स्त्री.] 1. घोड़ी 2. छोटी घोड़ी 3. दीवार में कपड़ा आदि टाँगने के लिए लगाई गई खूँटी 4. जुलाहों का एक उपकरण।

घोड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़े की मादा 2. शादी-विवाह में वर पक्ष की तरफ़ से गाया जाने वाला विशेष गीत व रस्म 3. धोबियों की अलगनी 4. पानी के घड़े रखने के लिए खंभों के सहारे लगायी हुई पटरी 5. जुलाहों का एक उपकरण।

घोर (सं.) [वि.] 1. भयावह; विकराल; डरावना 2. कठिन; कठोर 3. बहुत ज़्यादा, जैसे- घोर अकाल, घोर वर्षा 4. घना; दुर्गम; सघन, जैसे- घोर जंगल 5. जघन्य; बहुत बुरा।

घोरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. भारी शब्द करना 2. गरजना।

घोरू [वि.] जो आकार, प्रकार, प्रभाव की दृष्टि से अत्यधिक हो।

घोल (सं.) [सं-पु.] 1. वह तरल पदार्थ जिसमें कोई अन्य पदार्थ घोला या मिलाया गया हो; किसी द्रव में कोई दूसरी वस्तु मिलाकर बनाया हुआ मिश्रण 2. मथा हुआ दही जिसमें पानी न मिलाया गया हो; लस्सी; छाछ 3. पानी में नमक या चीनी घोलकर बनाया गया मिश्रण।

घोलक [सं-पु.] एक ऐसा द्रव जिसमें दूसरा पदार्थ डालने पर पूरी तरह मिश्रित हो जाए। [वि.] 1. विलायक 2. घुलाने वाला।

घोलना (सं.) [क्रि-स.] किसी वस्तु को पानी आदि द्रव में इस प्रकार मिलाना की वह उसमें घुल जाए।

घोला [सं-पु.] 1. घोलकर बनाई गई वस्तु 2. खेतों में पानी पहुँचाने की नाली।

घोलुवा [वि.] घोला हुआ; जो घोलकर बना हुआ हो। [सं-पु.] 1. घोली हुई पतली दवा; अर्क 2. रसा; शोरबा 3. पानी में घोली हुई अफ़ीम।

घोष (सं.) [सं-पु.] 1. शब्द; नाद; ध्वनि 2. घोर शब्द; गर्जना; चिल्लाकर किसी को ज़ोर से पुकारना 3. वर्णों के उच्चारण का एक वाह्य प्रयत्न 4. अहीर; ग्वाला; चरवाहा 5. अहीरों की बस्ती 6. गोशाला 7. जन-समर्थन के लिए किसी दल या पक्ष का पद; नारा; (स्लोगन) 8. संगीत में ताल का एक भेद 9. बंगाली कायस्थों की एक उपाधि।

घोषण (सं.) [सं-पु.] घोषणा।

घोषणा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एलान करना 2. सार्वजनिक रूप से निकला हुआ राजकीय आदेश।

घोषणा-पत्र (सं.) [सं-पु.] 1. वह पत्र जिसमें कोई राजकीय आदेश लिखा हो 2. वह पत्र जिसपर कोई व्यक्ति शपथ लेता हो 3. वह पथ जिसपर कोई व्यक्ति किसी बात की सत्यता घोषित करता हो; (प्रक्लोवेशन)।

घोषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सौंफ 2. काकड़ासींगी।

घोषित (सं.) [वि.] 1. जिसकी घोषणा की गई हो 2. जो जानकारी में हो।

घोसी (सं.) [सं-पु.] अहीर या ग्वाला।

घौद [सं-पु.] 1. फलों का गुच्छा 2. एक डंठल में एक साथ फलने वाले बहुत से फलों का गुच्छ, जैसे- केलों का घौद।

घ्राण (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंध 2. नाक 3. सूँघने की शक्ति 4. सूँघना।

घ्राणेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] नासिका; नाक।

घ्रात (सं.) [वि.] सूँघा हुआ।

घ्रातव्य (सं.) [वि.] सूँघने योग्य; सुगंध लेने लायक।

घ्राता (सं.) [वि.] सूँघने वाला; सुगंध लेने वाला।

व्यंजन वर्ण का पाँचवाँ और क वर्ग का अंतिम अक्षर या वर्ण। यह स्पर्श वर्ण है इसका उच्चारण स्थान कंठ और नासिक है। इसमें संवार, नाद, घोष और अल्पप्राण नामक प्रयत्न लगते हैं।


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