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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह अग्रतालव्य, सघोष, महाप्राण स्पर्शसंघर्षी है।

झँकिया [सं-स्त्री.] 1. झरोखा; छोटी खिड़की; रोशनदान 2. जाली; झँझरी।

झँगुला [सं-पु.] शिशुओं या बच्चों के पहनने का ढीला कुरता; झगा; झँगा।

झँजोड़ना [क्रि-स.] दे. झँझोड़ना।

झँझरी [सं-स्त्री.] 1. जाली, लकड़ी या लोहे आदि की किसी वस्तु में बनाए गए छिद्रों का समूह 2. झरोखा; दीवार की जालीदार खिड़की 3. वह चादर जिसमें जाली बनी हो 4. चूल्हे की वह जाली जिसपर कोयला रहता है 5. सूराख़; छेद 6. आटा छानने की छलनी; छाननी; चलनी 7. एक प्रकार की जल-क्रीड़ा (वाटर गेम) जिसमें छोटी नावों पर बैठकर उन्हें चक्कर देते हैं। [वि.] जिसमें छेद हों; छिद्रित।

झँझरीदार [वि.] जिसमें बहुत से सूराख़ हों; छिद्रिल; जालीदार।

झँझोड़ना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को झटके से हिलाना; तेज़ी से हिलाना; झकझोरना 2. किसी वस्तु को टूटने-फूटने तक ज़ोर-ज़ोर से हिलाना 3. खींचना और फाड़ना 4. किसी को बेदम होने तक झटकना या हिलाना, जैसे- शिकारी जानवर द्वारा शिकार को मुँह से पकड़कर झँझोड़ना।

झँडूला [सं-पु.] 1. वह बच्चा जिसके सिर पर गर्भ के बाल हों; वह बालक जिसका मुंडन संस्कार न हुआ हो 2. घने पत्तों वाला वृक्ष। [वि.] 1. जिसका मुंडन संस्कार न हुआ हो 2. घनी पत्तियों वाला।

झँपकना [क्रि-अ.] 1. झपटना 2. कूदना 3. उछलना 4. एकदम से आ पहुँचना; टूट पड़ना 5. झेंपना 6. पलकों का गिरना या बंद होना 7. आड़ में होना; छिपना 8. सो जाना।

झँपना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आड़ में होना; छिपना 2. झपटना 3. उछलना; कूदना 4. एकदम से टूट पड़ना 5. झेंपना 6. सो जाना 7. पलकों का गिरना या बंद होना 8. ढकना; बंद होना।

झँपिया [सं-स्त्री.] 1. पिटारी; टोकरी 2. छोटा झाँपा।

झँपोला [सं-पु.] 1. छोटा झाँपा 2. पिटारा।

झँवरना [क्रि-अ.] 1. साँवला पड़ना; काला पड़ना; झँवना 2. मुरझाना; कुम्हलाना 3. बुझना; मंद होना 4. दुबला होना। [क्रि-स.] 1. काला करना 2. कुम्हलाने में प्रवृत्त करना; बुझाना।

झँवराना [क्रि-अ.] 1. कुम्हलाना; मुरझाना 2. झाँवला या कुछ काला पड़ना।

झँवाना [क्रि-अ.] 1. ताप आदि के कारण झाँवे के रंग का कुछ काला हो जाना 2. कुम्हलाना; मुरझाना 3. फीका पड़ना 4. आग का जलते-जलते बुझने को होना 5. निर्जीव या बेदम होना। [क्रि-स.] 1. कुम्हलाने या मुरझाने में प्रवृत्त करना 2. चमक या आभा घटाना 3. झाँवे से रगड़ना या रगड़वाना।

झँसना [क्रि-स.] 1. झाँसा देना; धोखा देकर धन लेना; ठगना; बेवकूफ़ बनाना 2. सिर या तलवे में तेल मलना 3. रगड़ते हुए मलना।

झंकना [क्रि-अ.] 1. झींखना; दुखी होना; दुखड़ा 2. रोना; कुढ़ना।

झंकार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झन-झन की ध्वनि; झनझनाहट 2. धातु की किसी चीज़ पर चोट करने से उससे उत्पन्न होने वाली झनझनाहट 3. झींगुर आदि कीटों के बोलने का शब्द 4. झाँझ या पायल के बजने का शब्द 5. सितार या वीणा आदि की ध्वनि; अनुनाद 6. प्रतिध्वनि; गूँज।

झंकारना (सं.) [क्रि-स.] 1. झन-झन ध्वनि उत्पन्न करना 2. झंकार करना; झनकारना। [क्रि-अ.] झन-झन शब्द उत्पन्न होना।

झंकारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] गंगा; भागीरथी।

झंकारी (सं.) [वि.] 1. झंकार करने वाला 2. झंकार युक्त।

झंकृत (सं.) [वि.] जिससे झन-झन की ध्वनि उत्पन्न हुई हो; झंकार युक्त।

झंकृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झनझनाहट; झनझन की आवाज़; झंकार 2. झींगुर आदि की आवाज़।

झंखना [सं-पु.] वह कथन या बात जो उक्त प्रकार से कुढ़-कुढ़कर कही जाती हो। [क्रि-अ.] 1. झीखना; मानसिक कष्ट, चिंता आदि से व्यथित होकर बहुत ही दुखी भाव से रह-रहकर और समय-कुसमय उसकी चर्चा करते रहना; कुढ़-कुढ़कर अपना दुखड़ा रोते रहना 2. झाँकना।

झंखाड़ [सं-पु.] 1. घनी और काँटेदार झाड़ियों का समूह; वन में पौधों-लताओं का घना समूह 2. वृक्ष जिसपर पत्तियाँ न हो 3. बेकार या रद्दी चीज़ों का समूह या ढेर। [वि.] जिसके पत्ते झड़ चुके हों।

झंगरा [सं-पु.] बाँस की खपच्चियों का बना हुआ जालीदार बड़ा टोकरा।

झंझट (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झगड़ा; प्रपंच; बखेड़ा 2. मुसीबत; परेशानी; कष्ट 3. ऐसा काम जिसे करने में बहुत-सी अड़चन आती हो 4. चिंता।

झंझटी [वि.] 1. जिस कार्य या बात को संपादित करने में अनेक प्रकार की झंझटें खड़ी होती हों 2. जो हर बात को उलझाता तथा झगड़े का रूप देता हो; झगड़ालू 3. झंझटवाला 4. किसी काम में बाधाएँ डालने वाला।

झंझनाना (सं.) [क्रि-अ.] झंकारना।

झंझर (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का मिट्टी का छोटा पात्र (बरतन) जिसमें पानी रखा जाता है; मज्झर; सुराही; झज्झर।

झंझरा [वि.] जिसमें बहुत से छोटे-छोटे छेद हों; झीना; खखरा।

झंझरित (सं.) [वि.] जर्जर; क्षतविक्षत।

झंझा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्षा के साथ चलने वाली तेज़ हवा 2. वह तेज़ आँधी जिसके साथ बारिश भी हो; अंधड़; तूफ़ान।

झंझानिल (सं.) [सं-पु.] वह तेज़ आँधी जिसके साथ बारिश भी हो; झंझावात; तूफ़ान।

झंझार (सं.) [सं-पु.] 1. आग की ऊँची और बड़ी लपट 2. बड़ी ज्वाला।

झंझावात (सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ आँधी; अंधड़; प्रचंड वायु; आँधी 2. वह तेज़ आँधी जिसके साथ बारिश भी हो; झंझानिल।

झंझी [सं-स्त्री.] वह वस्तु जिसमें बहुत से छेद हों। [वि.] बहुत छेद वाला; बेकार।

झंडा (सं.) [सं-पु.] 1. ध्वज; पताका; (फ़्लैग) 2. किसी राष्ट्र, राज्य, संप्रदाय या समाज से संबंधित विशिष्ट रंग और आकार का कपड़े का वह प्रतीक-चिह्न जो बाँस या लोहे के डंडे के ऊपरी सिरे पर बाँधकर फहराया जाता है 3. डंडे के ऊपर कपड़ा लगाकर बनाया गया उत्सव या सत्ता आदि का कोई संकेतक; निशान। [मु.] -गाड़ना : किसी स्थान पर अपना अधिकार कायम करना (जताना)। -के नीचे आना : किसी की अधीनता स्वीकार करना; (किसी विशेष उद्देश्य से) एकमत होना; किसी विचारधारा को स्वीकार करना।

झंडाबरदार [सं-पु.] झंडा ले चलने वाला व्यक्ति; ध्वजवाहक।

झंडाभिवादन (सं.) [सं-पु.] झंडे का सम्मान तथा उसे प्रणाम (अभिवादन) करने की क्रिया; झंडे को सलामी।

झंडी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा झंडा; पताका; ध्वजा 2. किसी अभियान इत्यादि में सूचना देने या संकेत करने का छोटा झंडा 3. उत्सव या समारोह में सजावट के लिए लगाया जाने वाला कागज़ या पॉलीथिन का छोटा झंडा या पताका।

झंडोत्तोलन (सं.) [सं-पु.] झंडा फहराने की क्रिया या परंपरा।

झंप (सं.) [सं-पु.] 1. घोड़े के गले में पहनाया जाने वाला एक प्रकार का गहना 2. उछलने की क्रिया या भाव; उछाल 3. फाँदने की क्रिया; फलाँग; छलाँग 4. कूदने की क्रिया या भाव; कुदान।

झंपन (सं.) [सं-पु.] 1. झोंका; उछाल 2. झोंका।

झंपाक (सं.) [सं-पु.] बंदर; वानर।

झंपान (सं.) [सं-पु.] झंपान या डाँड़ी नाम की पहाड़ी सवारी; पहाड़ी डोली; झप्पान।

झंपित (सं.) [वि.] 1. ढका हुआ; आच्छादित 2. छिपा हुआ।

झंपी (सं.) [सं-पु.] बंदर; वानर।

झक [सं-स्त्री.] 1. विशेष प्रकार की ज़िद 2. मन की वह वृत्ति जिसके फलस्वरूप मनुष्य बिना समझे-बूझे और प्रायः हठवश किसी काम में प्रवृत्त होता है 3. हलका पागलपन। [वि.] 1. चमकदार; चमकीला 2. स्वच्छ तथा उज्ज्वल।

झकझक [सं-स्त्री.] 1. व्यर्थ की तकरार; किचकिच 2. बकवाद; हुज्जत; कहासुनी।

झकझकाहट [सं-स्त्री.] चमक।

झकझोर [सं-स्त्री.] 1. झकझोरने की क्रिया या भाव 2. हवा का झकोरा या झोंका 3. झटका।

झकझोरना [क्रि-स.] 1. किसी व्यक्ति को इस तरह से हिलाना कि वह घबरा जाए; बहुत तेज़ी से हिलाना-डुलाना 2. पेड़ को इस प्रकार हिलाना कि उसकी पत्तियाँ और फल नीचे गिर जाएँ 3. उत्तेजित करना; कुछ करने के लिए किसी को उकसाना; झँझोड़ना; आंदोलित करना 4. {ला-अ.} किसी बात या विचार द्वारा मन को कंपित कर देना।

झकझोरा [सं-पु.] 1. धक्का; झटका 2. झोंका; झकझोर।

झकझोरी [सं-स्त्री.] झँझोड़; छीना-झपटी; झटकार।

झकना [क्रि-अ.] 1. झकझक या बकवास करना; झख मारना 2. मचलना; बड़बड़ाना 3. झगड़ा करना।

झकाझक [वि.] 1. चमकीला; चमकता हुआ; स्वच्छ तथा उज्ज्वल 2. उमदा; शानदार; व्यवस्थित।

झकोर [सं-स्त्री.] 1. झकोरने की क्रिया या भाव 2. तेज़ हवा चलने की स्थिति।

झकोरना [क्रि-अ.] हवा का झोंका मारना। [क्रि-स.] झकझोरना।

झकोरा [सं-पु.] 1. हवा का झोंका 2. झकझोरने का भाव; तेज़ हवा से वृक्ष आदि का हिलना; झूमना 3. तेज़ फुहार; बड़ी लहर या तरंग 4. {व्यं-अ.} उमंग; आनंद 5. {व्यं-अ.} उत्तेजना; भावावेग।

झकोला [सं-पु.] 1. लहर; हवा का झोंका 2. मद या नशे में होने वाली झूम; झूमना 3. झकझोरा; झकोरा 4. हिचकोला 5. पेड़ों का हवा के झोंके से हिलना।

झक्क [वि.] हठ; पागलों की तरह धुन; झक।

झक्कड़ [सं-पु.] तेज़ आँधी; झंझावात। [वि.] जिसे किसी बात की झक हो; झकवाला; सनकी; झक्की; अड़ियल; हठीला।

झक्का [सं-पु.] तेज़ आँधी; झक्कड़; हवा का तेज़ झोंका।

झक्की [वि.] 1. जिसे किसी बात की सनक या झक हो; सनकी 2. बक्की; बकवादी।

झख [सं-स्त्री.] 1. झीखने की क्रिया या भाव 2. मछली। [मु.] -मारना : 1. व्यर्थ कार्य में समय नष्ट करना; तुच्छ काम को करने के लिए मज़बूर होना; ख़ाली या बेकार होना।

झखना [सं-पु.] वह कथन या बात जो उक्त प्रकार से कुढ़-कुढ़कर कही जाती हो। [क्रि-अ.] 1. झीखना 2. कुढ़-कुढ़कर अपना दुखड़ा रोते रहना 3. मानसिक कष्ट।

झगड़ना [क्रि-अ.] 1. झगड़ा करना 2. आपस में कहासुनी होना।

झगड़ा [सं-पु.] 1. दो पक्षों में होने वाली कहासुनी; विवाद; हुज़्ज़त 2. तकरार; लड़ाई 3. वह चीज़ या बात जो झगड़े की वजह हो 4. मुकदमा।

झगड़ा-फ़साद (हिं+फ़ा.) [सं-पु.] लड़ाई-झगड़ा; आपस की तकरार; विवाद।

झगड़ालू [सं-पु.] लड़ने-झगड़ने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. झगड़ा करने वाला; लड़ाका 2. उग्र 3. कलहप्रिय; जो झगड़ा करवाता हो 4. मुकदमेबाज़; विवादी।

झगड़ालूपन [सं-स्त्री.] 1. झगड़ालू होने की स्थिति या भाव 2. लड़ाकूपन।

झगड़ू [वि.] कलह करने वाला; झगड़ा करने वाला; कलह करने के स्वभाव वाला।

झगला [सं-पु.] ढीला-ढाला कुरता; छोटे बच्चों का कुरता; अँगरखा; झगा।

झगा [सं-पु.] बच्चों का एक पहनावा; ढीला कुरता; अँगरखा।

झज्झर [सं-स्त्री.] पानी रखने का लंबी गरदन वाला एक छोटा बरतन; सुराही; झंझर।

झज्झी [सं-स्त्री.] 1. झंझी 2. जिसमें बहुत से छेद हों 3. फूटी कौड़ी।

झझक [सं-स्त्री.] 1. झझकने की क्रिया या भाव 2. क्रोध में आकर पागलों की तरह या झुँझलाते हुए बिगड़ खड़े होने की अवस्था या भाव 3. कभी-कभी होने वाला पागलपन जैसा हलका दौरा 4. किसी पदार्थ में से रह-रहकर निकलने वाली हलकी दुर्गंध; भभक।

झझकना [क्रि-अ.] 1. झझक में आकर बिदक कर खड़े होना 2. झक या सनक में झुँझलाना 3. भड़क जाना।

झझकार [सं-स्त्री.] 1. झझकारने की क्रिया या भाव; क्रोध में बिगड़ उठना; झझक 2. फटकार 3. हलकी दुर्गंध।

झझकारना [क्रि-स.] 1. दुतकारना 2. डाँटना 3. दुरदुराना।

झट (सं.) [क्रि.वि.] 1. बहुत तेज़ी से; तत्काल; फुरती से; झटपट 2. उसी समय; तुरंत; शीघ्र; चटपट।

झटकना [क्रि-स.] 1. ज़ोर से झटका देना; हिला देना या गिरा देना 2. ज़बरदस्ती ले लेना; ऐंठना 3. धोखे से हड़प लेना। [क्रि-अ.] किसी बात की चिंता या बीमारी आदि से क्षीण होना; झटक जाना; दुर्बल होना।

झटका [सं-पु.] 1. झटकने की क्रिया या भाव 2. ऐसा आघात जिससे गति रुक जाए 3. हलका धक्का 4. तेज़ी से आने वाला झोंका; (जर्क) 5. मांस खाने के लिए पशु-पक्षी की गरदन को किसी धारदार हथियार के एक ही वार से काटना 6. किसी आपदा, रोग या दुख का आकस्मिक आघात 7. हानि; नुकसान; घाटा 8. अचानक आया हुआ संकट।

झटकारना [क्रि-स.] 1. ज़ोर से झटका देना 2. चीज़ों को इस तरह से झटका देना कि उस पर पड़ी हुई धूल आदि उड़ जाए 3. झकझोरना।

झटपट (सं.) [अव्य.] 1. जल्दी; अति शीघ्र; तुरंत 2. फ़ौरन; तेज़ी से।

झटाका [सं-पु.] झड़प; झड़ाका। [क्रि.वि.] चटपट; झट से; बहुत जल्दी से।

झटिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झाड़ 2. झाड़ी।

झड़ [सं-स्त्री.] 1. झड़ी; किसी वस्तु का लगातार झड़ना या गिरना 2. लगातार बातों का सिलसिला 3. लागातार होने वाली हलकी वर्षा 4. ताले के भीतर का खटका।

झड़कना [क्रि-स.] तिरस्कार पूर्वक बातें करना; झिड़कना; डपटना; डाँटना।

झड़झड़ाना [क्रि-स.] 1. झड़-झड़ शब्द करना 2. झँझोड़ना 3. झटकारना 4. झिड़कना 5. फटकारना।

झड़न [सं-स्त्री.] 1. झड़ने की क्रिया या भाव 2. झड़ने या झाड़ने से गिरी हुई चीज़।

झड़ना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ का स्वतः टूटकर गिरना 2. किसी वस्तु के हिस्सों का कटकर या टूटकर गिरना 3. छोटे-छोटे कणों का अलग होना, जैसे-धूल झड़ना 4. बजना 5. {अशि.} वीर्य स्खलित होना।

झड़प (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झड़पने की क्रिया या भाव ; झगड़ा; कहासुनी; तकरार 2. आवेश और क्रोध में की जाने वाली अप्रिय गाली-गलौज; कटु बातचीत 3. लड़ाई; दंगा; उपद्रव 4. लात-घूँसे चलने की स्थिति।

झड़पना [क्रि-अ.] 1. आवेश और क्रोधपूर्वक डाँट देना 2. किसी पर आक्रमण कर देना 2. टूट पड़ना 3. झटकना।

झड़पाना [क्रि-स.] 1. झड़प कराना; आपस में लड़ाना 2. लड़ने के लिए उकसाना।

झड़बेरी [सं-स्त्री.] 1. जंगली बेर के वृक्ष जो बहुत छोटे-छोटे होते हैं 2. उक्त वृक्ष के छोटे-छोटे फल।

झड़वाना [क्रि-स.] 1. किसी से झाड़-फूँक करवाना 2. झड़वाने अर्थात सफ़ाई का कार्य करवाना; किसी को झाड़ने के काम में लगाना।

झड़ाई [सं-स्त्री.] 1. झाड़ने की क्रिया या भाव 2. झाड़ने की मज़दूरी 3. झड़ने की क्रिया या भाव।

झड़ाक [क्रि.वि.] 1. बहुत जल्दी से 2. झट से; चटपट 3. शीघ्र; तत्काल।

झड़ाका [क्रि.वि.] 1. बहुत जल्दी से 2. झट से; चटपट।

झड़ाझड़ [क्रि.वि.] 1. एक के बाद एक; निरंतर; लगातार 2. बहुत जल्दी-जल्दी या तेज़ी से।

झड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झड़ने की क्रिया या भाव 2. लगातार झड़ने की क्रिया 3. लगातार होने वाली वर्षा 4. लगातार होती रहने वाली कोई क्रिया या किसी कार्य की निरंतरता।

झन [सं-स्त्री.] किसी धातु के टुकड़े पर आघात होने से उत्पन्न होने वाला शब्द; झनक; झंकार; झनझनाहट।

झनक [सं-स्त्री.] 1. झनझनाने की ध्वनि; झनझनाहट; झनकार 2. धातु की चीज़ों के आपस में टकराने से उत्पन्न आवाज़ 3. घंटी बजने का भाव 4. पैर को झटके के साथ उठाकर चलना।

झनकना [क्रि-अ.] 1. धातु आदि पर आघात होने से झनकार की ध्वनि उत्पन्न होना 2. क्रोध आदि में हाथ-पैर पटकना 3. बकना-झकना।

झनक-मनक [सं-स्त्री.] 1. पहने हुए आभूषणों के परस्पर टकराने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि 2. घुँघरू की आवाज़।

झनकार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झन ध्वनि होने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. आभूषणों (नूपुरों आदि) के बजने की मधुर ध्वनि; झंकृति 3. झींगुरों आदि कुछ कीट-पतंगों के बोलने की ध्वनि।

झनकारना (सं.) [क्रि-स.] दे. झंकारना।

झनझन [सं-स्त्री.] झन-झन शब्द; झंकार।

झनझनाना [क्रि-अ.] 1. झन-झन की ध्वनि होना; झंकार होना 2. घंटी बजना 3. प्रतिध्वनि होना 4. दो वस्तुओं के टकराने से शब्द होना 5. टकराव होना; खनखनाना 6. झुँझलाना; नाराज़ होना। [क्रि-स.] झनझन शब्द करना या निकालना।

झनझनाहट [सं-स्त्री.] 1. झनझन शब्द होने की अवस्था; कंपन 2. झंकार; झुनझुनी।

झनस [सं-पु.] पुरानी चाल का एक प्रकार का बाजा जिसपर चमड़ा मढ़ा हुआ होता था।

झनाझन [सं-स्त्री.] झन-झन शब्द; झंकार। [क्रि.वि.] झन-झन करते हुए।

झन्नाटेदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. झन-झन ध्वनि करता हुआ 2. खूब तेज़ चलने या दौड़ने वाला।

झन्नाहट [सं-स्त्री.] झन-झन की ध्वनि उत्पन्न होने की क्रिया या भाव; झनझनाहट; झंकार; झुनझुनी।

झप (सं.) [सं-स्त्री.] अचानक किसी चीज़ के ऊँचाई पर से गिर पड़ने की अवस्था या भाव।

झपक [सं-स्त्री.] 1. पलकें खोलने और बंद करने की क्रिया; अल्पनिद्रा; तंद्रा 2. आँख बंद करने और खोलने भर का समय 3. झपकी; नींद आने से पहले की स्थिति में पलक मूँदना 4. ऊँघ।

झपकना (सं.) [क्रि-अ.] 1. पलकें गिरना 2. पलकों का उठना और गिरना या खुलना और बंद होना 3. झपकी लेना; ऊँघना।

झपका [सं-पु.] हवा का झोंका; तेज़ हवा का झटका या धक्का; हल्की नींद।

झपकाना (सं.) [क्रि-स.] 1. बार-बार पलक गिराना 2. आँखों को खोलना और बंद करना; पलकें उठाना और गिराना।

झपकी [सं-स्त्री.] 1. आँख झपकने या झपकाने की क्रिया या भाव 2. हलकी नींद।

झपट (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झपटने अर्थात तेज़ी से आगे बढ़कर आक्रमण करने की क्रिया या भाव 2. टूट पड़ना।

झपटना [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ को पकड़ने या हमला करने के लिए तेज़ी से उसकी तरफ़ बढ़ना; झपट्टा मारना; लपकना 2. आक्रामक होकर किसी पर कूदना; टूटना; पंजा मारना (हिंसक जानवरों का) 3. कुछ छीन लेने के लिए हमला करना; धावा बोलना 4. छीनना; चुराना। [क्रि-स.] झपटकर या तेज़ी से बढ़कर कोई चीज़ ले लेना।

झपटाना [क्रि-स.] 1. झपटने की क्रिया कराना 2. किसी को बलपूर्वक झपटने में प्रवृत्त करना।

झपट्टा [सं-पु.] 1. झपटने की क्रिया 2. कुछ छीन लेने के लिए अचानक किया जाने वाला आक्रमण 3. किसी प्रेरणा या आवेग की प्रबलता।

झपड़ियाना [क्रि-अ.] लगातार कई झापड़ या थप्पड़ लगाना।

झपना [क्रि-अ.] 1. आँखों की पलकों का गिरना या बंद होना 2. किसी वस्तु का ऊपर से नीचे की ओर एकाएक आना।

झपनी [सं-स्त्री.] 1. वह जिससे कोई चीज़ ढकी जाए; ढकना; ढक्कन 2. छोटी ढक्कनदार पिटारी।

झपवाना [क्रि-स.] पलकें मुँदवाना; किसी को झपाने या पलकें मूँदने में प्रवृत्त करना।

झपसना [क्रि-अ.] पेड़-पौधों और लताओं का चारों तरफ़ फैलना; पौधों की टहनियों का बढ़ना।

झपाका [सं-पु.] जल्दी; शीघ्रता। [क्रि.वि.] 1. बहुत जल्दी या तेज़ी से 2. तत्काल; तुरंत।

झपाटा [सं-पु.] 1. थप्पड़; तमाचा 2. झपट; झपट्टा।

झपाना [क्रि-स.] 1. पलकें गिराना या मूँदना; झपकाना 2. झुकाना। [क्रि-अ.] झेंपना; लज्जित होना।

झपित [वि.] 1. झेंपा हुआ; लज्जित 2. मुँदा हुआ 3. बार-बार बंद होता हुआ।

झपेट [सं-स्त्री.] 1. झपेटे जाने की अवस्था या भाव 2. झपेटने की क्रिया या भाव।

झपेटना [क्रि-स.] 1. झपटकर किसी से कुछ छीन लेना अथवा किसी को पकड़ या दबोच लेना 2. सहसा आक्रमण करना; झपटना।

झपेटा [सं-पु.] 1. झपेटे जाने या किसी की झपट में आने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. हवा का झोंका; झकोरा।

झबरा [वि.] जिसके शरीर में लंबे-लंबे बाल हों; बड़े-बड़े बालों वाला, जैसे- झबरा कुत्ता।

झबिया [सं-स्त्री.] 1. जोशन, बाजूबंद आदि गहनों में लगाई जाने वाली छोटी कटोरी 2. छोटा झब्बा; छोटा फुँदना।

झब्बा [सं-पु.] 1. धागे के छोटे-छोटे टुकड़ों को बीच में एक साथ बाँधकर बनाया जाने वाला गुच्छा या फुँदना जो कपड़ों, गहनों आदि में शोभा के लिए लगाया जाता है 2. गुच्छा।

झम [सं-स्त्री.] 1. किसी धातु पर आघात होने पर होने वाली झनझनाने की ध्वनि 2. तेज़ वर्षा की आवाज़ या ध्वनि।

झमक [सं-स्त्री.] 1. झमकने की क्रिया या भाव; इतराहट; ठसक 2. तीव्र उजाला या प्रकाश 3. झमझम के रूप में होने वाला शब्द।

झमकना [क्रि-अ.] 1. रह-रह कर चमकना 2. झमझम शब्द होना 3. झमझम करते हुए उछलना-कूदना 4. अकड़ या ठसक दिखाना 5. लड़ाई में हथियारों का चमकना।

झमकाना [क्रि-स.] 1. चमकाना 2. ऐसा काम करना कि कोई चीज़ ख़ूब झमके या अपनी चमक-दमक दिखाए 3. झमझम शब्द उत्पन्न करना।

झमकीला [वि.] 1. चमकीला 2. अकड़ या ऐंठ दिखाने वाला 3. चंचल।

झमझम (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घुँघरू आदि बजने से उत्पन्न एक प्रकार की ध्वनि; छमछम 2. जीवंतता; चमक-दमक; झलक 3. वर्षा में बूँदों के गिरने की ध्वनि 4. उत्साह 5. आभूषणों की झनझनाहट। [वि.] 1. झमझम करने वाला 2. ख़ूब दमकता हुआ। [अव्य.] झमझम करते हुए, जैसे-सावन का झमझम बरसना; झमाझम।

झमझमाना [क्रि-अ.] 1. झमझम शब्द होना 2. चमचमाना। [क्रि-स.] 1. चमक-दमक दिखलाना 2. झमझम शब्द उत्पन्न करना।

झमना [क्रि-अ.] 1. झपकना; पलकों का गिरना 2. किसी के आगे झुकना; दबना 3. चारों तरफ़ एकत्र होना 4. लज्जित होना।

झमाका [सं-पु.] 1. झम झम की ध्वनि 2. नख़रा; अदा; ठसक।

झमाझम [क्रि.वि.] 1. झमझम की ध्वनि के साथ; मूसलाधार 2. चमचमाते हुए 3. चमक-दमक या कांति के साथ। [वि.] 1. झमाझम करता हुआ 2. ख़ूब चमकता हुआ।

झमाना [क्रि-अ.] 1. पलकों का गिरना या झपकना 2. कुंठित या लज्जित होना। [क्रि-स.] कोई चीज़ झमने में प्रवृत्त करना।

झमूरा [सं-पु.] 1. घने और घुँघराले बालों वाला बालक 2. नटो-बाज़ीगरों के साथ रहने वाला तथा खेल दिखाने वाला लड़का; जमूरा 3. भालू। [वि.] झबरा; जिसके सारे शरीर पर घने बाल हों।

झमेला [सं-पु.] 1. समस्या; मुसीबत; झगड़ा, उपद्रव 2. ऐसा विवाद जिसका निपटारा सरल न हो; बखेड़ा 3. गड़बड़ी; उलझन 4. मुसीबत; तकलीफ़ 5. वह काम जिसके पूरा होने में अड़चन हो 6. लोगों की भीड़; बिखरा या अव्यवस्थित जनसमूह।

झमेलिया [वि.] 1. झमेला करने वाला 2. झगड़ालू।

झर (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पानी का झरना; निर्झर 2. सोता 3. समूह 4. वेग; तेज़ी 5. लगातार वृद्धि; वर्षा की झड़ी 6. आग की लपट।

झर-झर [सं-स्त्री.] 1. तेज़ हवा चलने से होने वाला शब्द 2. वर्षा की झड़ी लगने की ध्वनि 3. झरने का जल गिरने का शब्द।

झरझराना [क्रि-अ.] 1. झरझर शब्द होना 2. झरझर शब्द के साथ चलना, बहना या गिरना। [क्रि-स.] इस प्रकार किसी वस्तु को गिराना कि झरझर की ध्वनि हो।

झरन [सं-स्त्री.] 1. झरने की क्रिया या भाव 2. झर कर निकलने वाली या निकली हुई चीज़ 3. ऊपरी आमदनी 4. खुरचन।

झरना (सं.) [सं-पु.] 1. वह सोता जहाँ से पानी लगातार गिरता है 2. किसी चीज़ का लगातार गिरना 3. लगातार बहने वाली छोटी जल-धारा 4. अनाज छानने की एक छलनी 5. लंबी डंडी की एक झँझरीदार चपटी कलछी; पौना।

झराझर [क्रि.वि.] 1. झरझर शब्द करते हुए 2. निरंतर; लगातार 3. जल्दी-जल्दी।

झरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्झर; पानी का झरना 2. सोता 3. वह धन जो हाट या बाज़ार में बैठकर सौदा बेचने वाले छोटे दुकानदारों से नित्य प्रति कर के रूप में उगाहा जाता है 4. दो तख़्तों, पत्थरों आदि के बीच में पड़ने वाला थोड़ा-सा अवकाश; दरज।

झरोखा [सं-पु.] 1. खिड़की; गवाक्ष 2. रोशनी और हवा के लिए बनाई गई जालीदार छोटी खिड़की 3. बचाव का रास्ता।

झरोखेदार (हिं+फ़ा.) [वि.] जिसमें झरोखे हों; झरोखायुक्त; खिड़की या गवाक्षयुक्त।

झर्झर (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पुराना बाजा 2. झाँझ 3. पैर में पहनने का झाँझन।

झर्झरक (सं.) [सं-पु.] कलियुग।

झर्झरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तारादेवी का एक नाम 2. वेश्या; रंडी।

झर्झरी (सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव। [सं-स्त्री.] झाँझ।

झर्झरीक (सं.) [सं-पु.] 1. देश 2. शरीर; देह 3. तस्वीर; चित्र।

झर्रा [सं-पु.] 1. एक छोटी चिड़िया 2. बया नामक पक्षी।

झर्राटा [सं-पु.] कपड़ा फाड़ने या फटने पर होने वाली ध्वनि। [क्रि.वि.] झटपट; तुरंत।

झल (सं.) [सं-पु.] 1. ज्वाला; लपट; आग 2. स्वाद आदि की तीक्ष्णता; झाल 3. काम-वासना; प्रबल कामना 4. क्रोध 5. सनक; पागलपन 6. समूह।

झलक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झलकने की क्रिया, अवस्था या भाव 2. चमक; दमक; आभा 3. आकृति का आभास या प्रतिबिंब 4. ऐसा क्षणिक दर्शन या प्रत्यक्षीकरण जिससे किसी वस्तु के रंग-रूप का आभास मिल जाए 5. वह आभा या रंगत जो किसी समूचे चित्र में व्याप्त हो; प्रतिबिंब।

झलकदार (हिं+फ़ा.) [वि.] जिसमें आभा या चमक हो; चमकीला।

झलकना [क्रि-अ.] 1. दिखाई पड़ना; चमकना 2. आभास होना 3. आंशिक रूप से सामने आना; प्रकट होना 4. {ला-अ.} किसी बात का अनुमान होना।

झलका [सं-पु.] 1. फफोला; त्वचा के जलने पर पड़ने वाला सफ़ेद झिल्ली से युक्त वह छाला जिसमें पानी भरा होता है 2. शारीरिक विकार के कारण होने वाला उक्त प्रकार का छाला; (ब्लिस्टर)।

झलकाना [क्रि-स.] 1. ऐसी क्रिया करना जिससे कोई चीज़ झलके; झलक दिखाना 2. चमकाना 3. झलकदार बनाना 4. व्यवहार आदि से अस्पष्ट रूप में प्रकट करना 5. आभास देना।

झलकी [सं-स्त्री.] 1. झलक; झाँकी 2. किसी वस्तु का नमूना 3. रेडियो नाटिका 4. शब्द-चित्र।

झल-झल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गहनों आदि की चमक-दमक 2. चमचमाहट। [वि.] ख़ूब चमकता-दमकता हुआ; दैदीप्यमान। [क्रि.वि.] चमक-दमक से; प्रकाश से युक्त होकर।

झलझलाना [क्रि-अ.] ख़ूब चमकना। [क्रि-स.] ख़ूब चमकाना।

झलझलाहट [सं-स्त्री.] 1. झलझलाने अर्थात चमकने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. तेज़ चमक।

झलना [क्रि-स.] 1. हवा करने के लिए पंखा या कोई चीज़ हिलाना-डुलाना 2. धक्का देकर आगे करना; ढकेलना 3. झुलाना; तरंगित करना। [क्रि-अ.] 1. हिलना 2. किसी चीज़ का इधर-उधर डोलना।

झलमल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँधेरे में रह-रहकर होने वाला हलका प्रकाश 2. अंधकार; अँधेरा 3. चमक-दमक। [वि.] 1. चमकीला 2. वह जिसमें अंधकार के साथ-साथ कुछ-कुछ प्रकाश भी हो।

झलमलाना [क्रि-अ.] 1. रह-रहकर चमकना; चमचमाना 2. (दीपक का) रह-रहकर कभी तीव्र और कभी मंद प्रकाश देना। [क्रि-स.] 1. रह-रहकर चमकाना 2. ऐसी क्रिया करना जिससे कभी कुछ तीव्र और कभी कुछ मंद प्रकाश निकले; प्रकाश को हिलाना-डुलाना।

झलराना [क्रि-स.] 1. झालर का रूप देना; झालर के रूप में बनाना 2. झालर टाँकना या लगाना। [क्रि-अ.] झालर के रूप में या यों ही फैलकर छाना या छितराना।

झलवाना [क्रि-स.] 1. झलने का काम दूसरे से कराना, जैसे- पंखा झलवाना 2. झालने का काम किसी अन्य से कराना।

झलहाया [वि.] जिसे झल या सनक हो 2. डाह करने वाला; ईर्ष्यालु।

झला (सं.) [सं-पु.] 1. हलकी वर्षा; झरी 2. पंखा जो झला जाता है 3. झालर। [सं-स्त्री.] 1. चमक; कांति 2. धूप 3. कन्या।

झलाई [सं-स्त्री.] 1. झालने की क्रिया या भाव 2. उक्त कार्य का पारिश्रमिक या मज़दूरी।

झलाऊ [वि.] 1. जिसमें झोल हो; लहराता हुआ झोलदार 2. ढीला-ढाला।

झलाझल [वि.] अत्यंत चमकदार बहुत चमकीला; चमक-दमक वाला; चमकता हुआ। [क्रि.वि.] चमकते हुए; प्रकाश के साथ।

झलाझली [सं-स्त्री.] झलाझल या चमकीला होने की अवस्था या भाव। [वि.] अत्यंत चमकदार बहुत चमकीला; चमक-दमक वाला; चमकता हुआ। [क्रि.वि.] चमकते हुए; प्रकाश के साथ।

झलाना [क्रि-स.] 1. झलाने का काम दूसरे से कराना; झलवाना 2. झलाने में प्रवृत्त करना।

झलाबोर [सं-पु.] 1. जरी आदि के बने हुए दुपट्टों या साड़ियों का आँचल 2. कोई ऐसी वस्तु जिसपर जरी का काम किया जाता हो 3. एक प्रकार की आतिशबाज़ी 4. चमक-दमक 5. कँटीली झाड़ी। [वि.] ख़ूब चमक-दमक वाला।

झलारा [वि.] तीखे स्वादवाला; झालदार।

झल्ल [सं-पु.] 1. भाँड़; एक प्राचीन वर्ण संकर जाति 2. ज्वाला 3. हुडुक नामक बाजा। [सं-स्त्री.] पागलपन।

झल्ला [सं-पु.] 1. वृक्ष की लचकदार टहनियों से बना हुआ बड़ा टोकरा; झाबा 2. तेज़ हवा के साथ बारिश की झड़ी; बौछार; झंझा 3. तंबाकू की पत्तियों के चकत्ते। [वि.] 1. पागल; मूर्ख 2. जल्दी भड़कने वाला; गुस्सैल।

झल्लाना [क्रि-अ.] 1. क्रोध में खीजकर बोलना; गुस्सा दिखाना; झुँझला जाना 2. किसी पर बिगड़ना या क्रुद्ध होना; खिन्न होकर बोलना। [क्रि-स.] 1. चिढ़ाने वाला काम करना 2. किसी को झुँझला देना।

झल्लाहट [सं-स्त्री.] खीज; क्रोध; नाराज़गी; झुँझलाहट।

झल्ली [सं-स्त्री.] 1. चमड़े में मढ़ा हुआ बाजा 2. टोकरी; टोकरा; झाबा; छोटा झाला।

झषकेतु (सं.) [सं-पु.] कामदेव; मदन; अनंग।

झषांक (सं.) [सं-पु.] कामदेव; मदन।

झहनाना [क्रि-स.] 1. झनकार पैदा करना; झनझनाना; बजाना 2. रोमांच उत्पन्न करना 3. हैरत में डालने वाला काम करना।

झा (सं.) [सं-पु.] 1. मैथिल ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. गुजराती ब्राह्मणों में एक वर्ग विशेष की उपाधि।

झाँई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी रोग या रक्तविकार के कारण चेहरे या शरीर पर पड़ने वाले हलके काले धब्बे या दाग 2. काली छाया; परछाईं 3. झलक; आभा 4. अंधकार 5. छल; धोखा 6. प्रतिध्वनि। [मु.] -देना : इधर-उधर की बातें कह कर धोखा देना।

झाँक [सं-स्त्री.] 1. झाँकने की क्रिया या भाव (ताक-झाँक में प्रयुक्त होने वाला शब्द) 2. जासूसी 3. झलक; झरोखा।

झाँकना [क्रि-अ.] 1. आड़ से, खिड़की आदि से बाहर की वस्तु को चुपके से देखना या ताकना 2. इधर-उधर देखना 3. कोई काम करने के लिए उसकी ओर प्रवृत्त होना।

झाँका [सं-पु.] 1. झरोखा, जिसमें से झाँककर देखते हैं 2. खाँचा (रहठे आदि का दौरा)।

झाँकी [सं-स्त्री.] 1. देखने के उद्देश्य से कम समय के लिए उपस्थित हुआ कोई दृश्य 2. दर्शन के लिए सजाकर रखी गई किसी देवी-देवता या महापुरुष की मूर्ति 3. किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति का स्नेहिल अवलोकन; दर्शन 4. कोई मनोरम दृश्य 5. किसी बात का किया जाने वाला संक्षिप्त परिचय या परिज्ञान 6. खिड़की; झरोखा।

झाँख [सं-पु.] जंगली हिरन की एक प्रजाति।

झाँखना [क्रि-अ.] 1. झींखने की क्रिया या भाव 2. दुख का वर्णन; दुखड़ा।

झाँखर [सं-पु.] 1. झाड़-झंखाड़ 2. अरहर की वे खूटियाँ जो फ़सल काटने के बाद खेत में रह जाती हैं।

झाँझ [सं-स्त्री.] 1. धातु की मोटी चादर की बनी हुई कम गहरी कटोरियों का जोड़ा जिसे वाद्य यंत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है; छैना; झाल 2. कास्य ताल; झलरी; झाँझरी 3. शराब या भाँग का नशा 4. क्रोध; तिलमिलाहट 5. शरारत; उद्दंडता।

झाँझड़ी [सं-स्त्री.] झाँझन; चाँदी आदि का बना हुआ नक्काशीदार कड़ा जिसे स्त्रियाँ पैरों में पहनती हैं और जिससे झनझन ध्वनि निकलती है; पायल।

झाँझन [सं-स्त्री.] झाँझड़ी; पायल; पैजनी।

झाँझर [सं-स्त्री.] 1. पायल; पैजनी; झाँझन 2. छलनी। [वि.] 1. जर्जर; पुराना 2. झँझरा 3. बहुत खिन्न और दुखी।

झाँझरी [सं-स्त्री.] 1. झाल; झाँझ नाम का बाजा 2. झाँझन या पैजनी नाम का पैर में पहनने का एक आभूषण।

झाँझी [सं-स्त्री.] 1. लोक जीवन का एक पारंपरिक उत्सव, जिसमें बालिकाएँ रात के समय झँझरीदार (चारों ओर से छिद्रयुक्त) हाँडी में दीपक रखकर गीत गाती हुई घर-घर जाती हैं और वहाँ से पैसे या अनाज पाती हैं 2. उक्त अवसर पर गाए जाने वाले गीत।

झाँट (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्री या पुरुष के जननेंद्रियों पर के बाल; शष्प; पशम 2. {ला-अ.} बहुत तुच्छ या निकम्मी वस्तु।

झाँप [सं-स्त्री.] 1. ढक्कन; वह चीज़ जिससे कोई दूसरी चीज़ झाँपी या ढकी जाती हो; ऊपरी आवरण 2. वास्तु कला में, खिड़की, दरवाज़े आदि के ऊपर दीवार से बाहर निकली हुई रचना जो धूप, वर्षा के जल आदि को कमरे के अंदर आने में रुकावट उत्पन्न करती है; छाजन; (शेड) 3. टट्टी 4. परदा 5. मस्तूल का झुकाव 6. कान का एक आभूषण 7. घोडे़ को गले में पहनाई जाने वाली एक प्रकार की हुमेल या हैकल जो सिक्कों जैसी गोल वस्तुओं की बनी होती है। [सं-स्त्री.] 1. झपकी 2. परदा 3. चिक।

झाँपना (सं.) [क्रि-स.] 1. ऊपर से आवरण डाल कर ढकना; ढाँकना 2. मलना; रगड़ना 3. पकड़कर दबाना या दबोचना।

झाँपा [सं-पु.] 1. वह टोकरी या दौरी जिससे दही, दूध आदि ढँके जाते हैं 2. मूँज की बनी हुई विशेष प्रकार की पिटारी। [सं-स्त्री.] झपकी।

झाँय-झाँय [सं-स्त्री.] निर्जन या सुनसान जगह में होने वाली झन-झन की ध्वनि।

झाँव-झाँव [सं-स्त्री.] 1. हुज्जत 2. बकबाद; बकबक।

झाँवर [वि.] 1. काला; साँवला 2. मलिन; गंदा 3. मुरझाया हुआ; कुम्हलाया हुआ। [सं-स्त्री.] नीची भूमि जिसमें बरसात का पानी एकत्र हो जाता है; धान के लिए उपयुक्त ज़मीन; खादर; डाबर।

झाँवला (सं.) [वि.] 1. मुरझाया हुआ; कुम्हलाया हुआ 2. झाँवे के रंग का; कुछ कालापन लिए हुए 3. मलिन; मैला 4. मंद; धीमा।

झाँवली [सं-स्त्री.] 1. थोड़े समय के लिए कोई वस्तु दिखने की अवस्था या भाव 2. झलक 3. झाँई 4. आँख के कोने से देखना; कनखी।

झाँवाँ (सं.) [सं-पु.] 1. भट्ठे में पकी हुई वह ईंट जो अधिक ताप के कारण काली पड़ गई हो और टेढ़ी भी हो गई हो 2. उक्त ईंट का या पत्थर का खुरदुरा टुकड़ा जिसका प्रयोग चीज़ों पर से दाग छुड़ाने तथा विशेषतः पाँवों को रगड़ने के लिए किया जाता है।

झाँसना [क्रि-स.] 1. झाँसा या धोखा देना 2. चकमा देना 3. झाँसा या धोखा देकर किसी से कुछ ले लेना।

झाँसा (सं.) [सं-पु.] 1. किसी को छलपूर्वक या कपटपूर्ण युक्ति से (बात से) बहकाकर दिया जाने वाला धोखा 2. अपना काम निकालने के लिए कही जाने वाली कोई छलयुक्त बात।

झाँसापट्टी [सं-स्त्री.] झूठी मनगढंत बातें कर के किसी को अपने अनुकूल बना कर दिया जाने वाला धोखा।

झाँसिया [सं-पु.] झाँसा देने वाला; ठग; छली; झाँसू।

झाँसी [सं-पु.] तंबाकू, दाल आदि की फ़सल में लगने वाला एक गुबरैला कीड़ा।

झाँसू [सं-पु.] झाँसा देने वाला; ठग; झाँसिया; छली।

झाऊ (सं.) [सं-पु.] 1. मोरपंखी की जाति का एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी पत्तियाँ दवा के काम आती हैं 2. वह क्षुप या वृक्ष जिससे टोकरियाँ और झाड़ू बनाई जाती हैं।

झाग [सं-पु.] 1. फेन; गाज 2. साबुन को पानी से रगड़ने पर उठने वाले असंख्य बुलबुले 3. रोग या विष के प्रभाव से मुँह से निकलने वाला थूक।

झाट [सं-पु.] 1. झाड़ी 2. कुंज 3. घाव धोकर साफ़ करना।

झाड़1 [सं-स्त्री.] 1. झाड़ने की क्रिया या भाव 2. गलती हो जाने पर मिलने वाली फटकार; डाँट-डपट 3. (अंधविश्वास) प्रेतबाधा या साँप के ज़हर को उतारने के लिए मंत्र पढ़ते हुए झाड़ने-फूँकने की क्रिया।

झाड़2 (सं.) [सं-पु.] 1. झाड़ी का एक रूप; वह वृक्ष जिसकी डालियाँ ज़मीन के पास चारों ओर फैलती हैं; काँटेदार क्षुप; गुंजान 2. उजाले के लिए प्रयोग किया जाने वाला काँच से बनाया हुआ झाड़ की आकृति का फानूस जो छत या शामियाने में लटकाकर जलाया जाता है; उक्त आकार का रोशनी करने का शीशे का वह उपकरण जो छत पर सजावट के लिए लटकाया जाता है 3. एक प्रकार की समुद्री घास; जरस 4. एक आतिशबाज़ी।

झाड़खंड [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. वन प्रदेश; वनांचल।

झाड़-झंखाड़ [सं-पु.] 1. झाड़ियाँ 2. कटीले पेड़ और झाड़ियों का समूह 3. टूटा-फूटा या रद्दी सामान; बेकार की चीज़ें।

झाड़दार (हिं+फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कसीदा जिसमें पौधों और बेल-बूटों की आकृतियाँ कढ़ी होती हैं 2. उक्त प्रकार के बेल-बूटों वाला कालीन या गलीचा। [वि.] 1. जिसमें बहुत सी घनी डालियाँ लगती हों घना; सघन 2. काँटेदार; कँटीला 3. जिसपर झाड़ों (पेड़-पौधों) की आकृतियाँ बनी हों।

झाड़न [सं-स्त्री.] 1. झाड़ने पर निकलने वाली धूल अथवा रद्दी चीज़ें या उनके टुकड़े; गर्द; कूड़ा; (डस्ट) 2. वह कपड़ा जिससे चीज़ें झाड़ी या साफ़ की जाती हैं; मार्जक; (डस्टर)।

झाड़ना (सं.) [क्रि-स.] 1. झाड़ू; झाड़न आदि की सहायता से किसी चीज़ के ऊपर पड़ी हुई धूल आदि साफ़ करना 2. किसी वस्तु को इस तरह ज़ोर से झटकना जिससे उसकी धूल हट जाए 3. बुहारना 4. मंत्र पढ़कर फूँकना 5. आघात करके वृक्ष पर लगे फल गिराना 6. अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए या त्रुटि हेतु खरी खोटी सुनाना; फटकारना 7. किसी से धन ऐंठना; झटकना 8. ज़ोर का प्रहार करना 9. कंघी करना 10. दूर करना; भगाना; झिड़कना 11. पक्षियों का पंख तोड़ना।

झाड़-फानूस (हिं+फ़ा.) [सं-पु.] कमरे में छत की शोभा तथा रोशनी बढ़ाने के लिए लगाया गया रंगीन, चमकदार शीशे आदि का बना हुआ फानूस।

झाड़फूँक [सं-स्त्री.] 1. मंत्र-बल के द्वारा किसी का रोग दूर करने की क्रिया या भाव 2. प्रेतबाधा दूर करने की क्रिया या भाव 3. झाड़ना-फूँकना।

झाड़ा [सं-पु.] 1. झाड़-फूँक या मंत्रोच्चार 2. मल त्याग करने की क्रिया।

झाड़ी [सं-स्त्री.] 1. छोटा झाड़ 2. छोटे झाड़ों का समूह; झुरमुट 3. कूची; बलौंछी 4. एक प्रकार के घने उगे हुए कँटीले छोटे वृक्षों या पौधों का समूह।

झाड़ीदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. झाड़ीयुक्त 2. आकार रूप आदि में छोटे झाड़ की तरह 3. कँटीला; काँटेदार 4. (स्थान) जहाँ झाड़ियाँ अधिक हों।

झाड़ू [सं-पु.] लंबी सींकों या रेशों का बना हुआ झाड़ने या कूड़ा साफ़ करने का उपकरण जिसे कूचा, बुहारी, बढ़नी भी कहा जाता है; फ़र्श, दीवारों आदि को साफ़ करने का सीकों आदि का बना हुआ उपकरण।

झापड़ (सं.) [सं-पु.] हाथ से खींचकर मारा गया ज़ोर का थप्पड़; तमाचा।

झाबर [सं-पु.] 1. कीचड़ वाली दलदली ज़मीन 2. बड़ा टोकरा 3. खाँचा।

झाबा [सं-पु.] 1. बड़ा टोकरा; झब्बा; खाँचा 2. कुप्पा 3. पंजाब में आटा छानने के लिए प्रयोग किया जाने वाला चमड़े का गोल थाल।

झाम [सं-पु.] 1. गुच्छा 2. समूह 3. तुर्रा; झब्बा 4. कुदाल 5. छल-कपट; धोखेबाज़ी 6. डाँट-फटकार; घुड़की 7. मिट्टी खोदकर निकालने वाला एक यंत्र।

झामक [सं-पु.] झाँवा; पकाने पर जली हुई ईंट।

झार (सं.) [सं-पु.] 1. झुंड; दल; समूह 2. रसोई का झरना या पौना नामक उपकरण 3. एक प्रकार का पेड़। [सं-स्त्री.] 1. स्वाद में तीखे होने की अवस्था या भाव; झाल 2. आग की ज्वाला; लपट; ताप 3. जलन; मन-संताप। [अव्य.] 1. निपट; निरा; केवल 2. एक सिरे से; एकदम से।

झारखंड (सं.) [सं-पु.] 1. उजाड़ जगह 2. जंगल 3. बिहार राज्य से कटकर बने एक नए प्रदेश का नाम।

झारी [सं-स्त्री.] 1. पानी रखने का एक प्रकार का टोंटीदार बरतन; लंबी गरदन वाली एक प्रकार की टोंटीदार लुटिया जिससे जल बँधी हुई धार के रूप में निकलता है 2. पानी में अमचूर, जीरा, नमक आदि मिलाकर बनाया जाने वाला एक प्रकार का स्वादिष्ट पेय। [वि.] झार।

झाल1 [सं-स्त्री.] 1. अनवरत वर्षा; वर्षा की झड़ी 2. उमड़े मेघ के कारण होने वाला अँधेरा 3. लहर 4. ज्वाला।

झाल2 (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बाजा; झाँझ। [सं-स्त्री.] 1. झालने (अर्थात धातु की चीज़ों को टाँका लगाकर जोड़ने) की क्रिया या भाव 2. गंध, स्वाद आदि की तीव्रता; स्वाद का चरपरापन या तीक्ष्णता।

झालना [क्रि-स.] 1. धातु की बनी हुई चीज़ों के भिन्न-भिन्न अंगों को टाँका लगाकर उन्हें आपस में जोड़ना 2. पेय पदार्थों की बोतलें आदि बरफ़ या शोरे में रखकर ख़ूब ठंडी करना 3. किसी पात्र का मुँह धातु का टाँका लगाकर चारों ओर से अच्छी तरह बंद करना।

झालर (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ के किनारे पर सजावट के लिए बनाई गई लटकन; शोभा के लिए किसी वस्तु पर लगाया जाने वाला लहरदार किनारा या लटकन 2. छोर; किनारा; सिरा 3. किसी उत्सव या समारोह आदि में इमारतों पर लगाई जाने वाली बिजली के छोटे छोटे बल्बों की शृंखला 4. देवताओं की पूजा के समय बजाई जाने वाला झाँझ।

झाला [सं-पु.] 1. कान में पहनने का गहना 2. मकड़ी का जाला 3. गुजरात और मेवाड़ आदि क्षेत्रों की एक राजपूत जाति 4. सितार के वादन से उत्पन्न होने वाली विशिष्ट झंकार।

झावा [सं-पु.] पैर साफ़ करने का पत्थर; झामक; (प्युमिक स्टोन)।

झिंगारना [क्रि-अ.] झींगुर का बोलना। [क्रि-स.] झींगुर की तरह आवाज़ पैदा करना।

झिंगुली [सं-स्त्री.] एक प्रकार का वस्त्र; छोटा झग्गा (बच्चों का कुरता)।

झिंझी (सं.) [सं-स्त्री.] झिल्ली; झींगुर।

झिंझोटी [सं-स्त्री.] (संगीत) दिन के चौथे पहर में गाई जाने वाली एक रागिनी।

झिकझिक [सं-स्त्री.] 1. दो व्यक्तियों में होने वाली कहासुनी; तू-तू मैं-मैं 2. अप्रसन्नता तथा क्रोधपूर्वक निरंतर कही हुई बातें।

झिक्का [सं-पु.] भयानक युद्ध; ज़ोरों की लड़ाई।

झिझक [सं-स्त्री.] 1. झिझकने की क्रिया या भाव 2. किसी कार्य में लज्जा या भय आदि के कारण होने वाला संकोच 3. हिचक। [मु.] -खुलना : संकोच दूर होना।

झिझकना [क्रि-अ.] 1. संकोच करना 2. भय, लज्जा आदि के कारण कुछ कहने या करने से इनकार करना 3. पीछे हटना या आनाकानी करना 4. हिचकना; ठिठकना।

झिझकारना [क्रि-स.] झिड़कना; दुतकारना; झझकारना।

झिड़क [सं-स्त्री.] 1. झिड़कने की क्रिया या अवस्था 2. हलकी डाँट या फटकार 3. तिरस्कारपूर्वक या बिगड़कर कोई बात कहना।

झिड़कना [क्रि-स.] 1. डाँटना; फटकारना 2. अपमान करते हुए कठोर बात कहना 3. तिरस्कार करते हुए झटका देना।

झिड़की [सं-स्त्री.] 1. वह बात जो झिड़क कर कही जाए 2. फटकार; डाँट 3. असंतोष या रोष प्रकट करने के लिए अधीनस्थ या छोटे कर्मचारी को क्रोधपूर्वक कही गई बात।

झिन [वि.] 1. झीना; बहुत महीन (बारीक); झाँझर 2. कमज़ोर; दुर्बल।

झिनवा [वि.] धान की एक प्रजाति या उसका चावल।

झिपना [क्रि-अ.] 1. किसी विशेष प्रकार की बात पर किसी का झेंपना 2. बंद होना।

झिपाना [क्रि-स.] झेंपने में प्रवृत्त करना; लज्जित करना; शर्मिंदा करना।

झिमिटना [क्रि-अ.] एकत्र होना।

झिरझिर [क्रि.वि.] 1. धीरे-धीरे 2. कलकल 3. थोड़ा-थोड़ा करके; मंद गति से झिरझिर की ध्वनि के साथ, जैसे- झिरझिर झरना।

झिरझिरा [वि.] झीना; पतला; जिसमें छेद हों।

झिरना [सं-पु.] 1. झरना 2. छिद्र; छेद। [क्रि-अ.] झरने की क्रिया।

झिरिया [सं-स्त्री.] छोटा झरना।

झिरी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का छोटा छेद जिसमें से कोई चीज़ निकल या बह जाए 2. संधि; दरज़; झरी 3. वह गड्ढा जिसमें आस-पास का पानी रिसकर इकट्ठा हो जाता है; पानी का छोटा सोता 4. पाला; तुषार 5. पाला पड़ने से ख़राब हुई फ़सल।

झिलँगा [वि.] 1. झीना 2. ढीलाढाला 3. ढीले अंगोंवाला 4. बेढंगा; कुवेशित 5. झीनी बुनावट वाला 6. दुबला-पतला। [सं-पु.] ढीली बुनी हुई हलकी चारपाई; टूटी-फूटी और ढीली बुनाई वाली खाट।

झिलना [सं-पु.] झिल्ली; झींगुर।

झिलम [सं-स्त्री.] प्राचीन काल में युद्ध के समय सिर पर पहनी जाने वाली एक प्रकार की टोपी जिसमें लगी हुई सिकड़ियों की झालर मुख तथा गरदन पर लटकी रहती थी; शिरस्त्राण।

झिलमिल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झिलमिलाने की क्रिया, अवस्था या भाव; झिलमिलाहट 2. रह-रह कर घटता-बढ़ता हुआ प्रकाश 3. संध्या और सवेरे का वह समय जब कुछ प्रकाश हो और कुछ अँधेरा भी 4. पुरानी चाल की एक प्रकार की मलमल की साड़ी। [वि.] झिलमिलाता हुआ; चमकता हुआ।

झिलमिला [वि.] 1. जिसमें से झिलमिलाते हुए रोशनी निकले; झीना 2. (समय या बेला) जिसमें अँधेरा और उजाला मिला-जुला हो 3. चमकने वाला; जो रह-रह कर चमकता हो 4. जो बहुत स्पष्ट न हो।

झिलमिलाना [क्रि-अ.] 1. हिलते रहने के कारण रह-रहकर चमकना 2. कभी चमकना और कभी न चमकना 3. रोशनी का हिलना या टिमटिमाना। [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को हिलाकर बार-बार चमकाना 2. हिलना।

झिलमिलाहट [सं-स्त्री.] 1. झिलमिलाने की क्रिया, अवस्था या भाव 2. प्रकाश का रह-रह कर चमकना।

झिलमिली [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की जाली जिससे छन कर प्रकाश आता है 2. खिड़की आदि में लगने वाला आड़ी पटरियों का ढाँचा जो पीछे लगी हुई खड़ी लकड़ियों के खुलने से खुलता है 3. एक प्रकार का कर्णाभूषण 4. चिलमन 5. चिक 6. झिलमिलाहट।

झिल्लड़ [वि.] जिसकी बुनावट सघन न हो; झीना।

झिल्ला [वि.] 1. बारीक; महीन; पतला 2. दूर-दूर बुनावट वाला (कपड़ा) 3. झँझरा; झीना; झिरझिरा।

झिल्लिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झिल्ली 2. झींगुर; झींगुर की झंकार 3. सूर्य का प्रकाश।

झिल्ली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक पतला और पारदर्शक आवरण; परत; तह 2. फलों आदि के ऊपर का उक्त प्रकार का बहुत पतला छिलका 3. झींगुर 4. दीप्ति 5. दिये की बाती 6. सूर्य की रोशनी 7. मलाई की पतली-सी परत 8. नेत्रों का जाला नामक रोग 9. उबटन आदि लगाने से शरीर से छूटी मैल की परत 10. रंग लगाने का कपड़ा 11. एक प्रकार का बाजा।

झिल्लीक (सं.) [सं-पु.] झींगुर; झीं-झीं की तेज़ ध्वनि करने वाला बरसाती कीट।

झिल्लीदार (हिं+फ़ा.) [वि.] जिसमें या जिसके ऊपर झिल्ली लगी हो; झिल्लीवाला; झिल्ली से युक्त।

झींकना [क्रि-स.] 1. फेंकना; पटकना 2. सज्जित करना। [क्रि-अ.] मंडित या सज्जित होना।

झींका [सं-पु.] पीसे जाने वाले अन्न की उतनी मात्रा जितनी एक बार चक्की में डाली जाती है।

झींख [सं-स्त्री.] खीझने या कुढ़ने की क्रिया या भाव।

झींखना [क्रि-अ.] दे. झीखना।

झींगा (सं.) [सं-पु.] 1. नदियों-तालाबों में पाई जाने वाली एक प्रकार की छोटी मछली जिसके मुँह और पूँछ में बाल होते हैं 2. कपास की फ़सल में लगने वाला एक प्रकार का कीड़ा 3. धान की एक उत्तम प्रजाति।

झींगुर [सं-पु.] एक छोटा बरसाती कीड़ा जो झीं-झीं शब्द करने के लिए प्रसिद्ध है; झिल्ली।

झींसी [सं-स्त्री.] 1. हलकी वर्षा; बूँदा-बाँदी 2. बहुत महीन बूँदों के रूप में बरसता हुआ पानी; फुहार।

झीका (सं.) [सं-पु.] सिकहर; छीका।

झीखना [क्रि-अ.] 1. दुखी होना 2. दुखड़ा रोना 3. मानसिक कष्ट या चिंता आदि से व्यथित होकर बड़बड़ाना; कुढ़ना 4. खीजना 5. झींकना 6. शिकायत करना।

झीझा [वि.] मंद; धीमा।

झीना [वि.] 1. महीन; बारीक; पतला (कपड़ा आदि) 2. जो दूर-दूर या ढीला बुना गया हो 3. जिसमें बहुत छेद हो; झँझरा 4. दुर्बल; कमज़ोर; दुबला-पतला 5. धीमा; मंद।

झीम [सं-स्त्री.] झूम।

झीमना [क्रि-अ.] 1. झूमना; झोंके खाना; लहराना 2. ऊँघना।

झील (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बड़ा प्राकृतिक जलाशय 2. बड़ा ताल; सरोवर।

झीलर [सं-पु.] छोटी झील; ताल।

झीली [सं-स्त्री.] 1. दूध, दही के ऊपर आने वाली मलाई; छाली 2. प्राकृतिक रूप से बना हुआ किसी चीज़ के ऊपर का आवरण; झिल्ली 3. फलों का छिलका।

झीवर [सं-पु.] मल्लाह; माँझी; झीमर।

झुँझलाना [क्रि-अ.] 1. क्रुद्ध या व्यथित होकर कोई बात कहना; खिजलाना; खीजना 2. चिड़चिड़ाना; चिढ़ना 3. उकताना 4. बिगड़ना।

झुँझलाहट [सं-स्त्री.] 1. झुँझलाने की अवस्था; क्रिया या भाव 2. चिड़चिड़ाहट।

झुंड (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत से मनुष्यों या पशु-पक्षियों आदि का समूह या वर्ग; वृंद 2. गिरोह; गिल्ला; दल।

झुकना (सं.) [क्रि-अ.] 1. ऊपरी भाग का नीचे की ओर कुछ लटक आना; नत होना; नवना 2. किसी वस्तु का कोई सिरा किसी ओर दबना; टेढ़ा होना 3. मुड़ना 4. हार स्वीकार करना 5. किसी ओर पक्षपात करना 6. नम्र होना 7. {ला-अ.} मन का किसी ओर लगना; आकर्षित या प्रवृत्त होना 8. मान जाना; हामी भरना।

झुकराना [क्रि-अ.] वायु, वेग आदि के कारण इधर-उधर झुकना; झोंका खाना।

झुकवाना [क्रि-स.] 1. झुकाने का काम करना 2. किसी के द्वारा ऐसा काम करना जिससे कोई दूसरा झुके।

झुकाई [सं-स्त्री.] 1. झुकाने की क्रिया या भाव 2. झुकाने की मज़दूरी।

झुकाना [क्रि-स.] 1. किसी सीधी खड़ी वस्तु को प्रयास करके नीचे की ओर लाना 2. अपना कोई अंग किसी ओर कुछ नीचे करना या ले जाना 3. आँख, नेत्र या दृष्टि को नीचे की ओर करना 4. किसी को किसी प्रकार दबाते हुए अथवा उसका अभिमान, विरोध, हठ आदि दूर करते हुए उसे नम्र या विनीत बनाना।

झुकामुखी (सं.) [क्रि-अ.] 1. ज़िद या हठ करना; अड़ना 2. मान, रोष आदि के कारण होठों से बुदबुदाना। [सं-स्त्री.] झुटपुटा।

झुकार [सं-पु.] हवा का झोंका; झकोरा; हिलोरा।

झुकाव [सं-पु.] 1. झुकने की क्रिया या भाव 2. किसी ओर कुछ झुके हुए या प्रवृत्त होने का भाव 3. नति 4. ढाल 5. {ला-अ.} चाह।

झुग्गी [सं-स्त्री.] 1. बाँस, खरपतवार आदि से बना छोटा घर 2. छोटा मकान 3. प्लास्टिक या लोहे की चादर या पत्तों आदि से बनाई गई सोने-बैठने या सिर छुपाने की जगह।

झुटपुटा [सं-पु.] सुबह या शाम का ऐसा समय जब कुछ अँधेरा और कुछ प्रकाश हो।

झुटुंग [वि.] 1. जिसके सिर पर बहुत बाल हो; झोंटेवाला 2. जटाधारी।

झुठकाना [क्रि-स.] 1. झूठ-मूठ कोई बात कह कर किसी को धोखे या भ्रम में डालना 2. झूठी बात कह कर किसी को धोखा देना।

झुठलाना [क्रि-स.] 1. किसी बात को झूठा ठहराना या बनाना 2. झूठ-मूठ की बात फैलाकर भ्रम पैदा करना 3. झूठी बात कहकर धोखा देना; फुसलाना।

झुठाई [सं-स्त्री.] झूठे होने की अवस्था या भाव; मिथ्यात्व; झूठापन।

झुठाना [क्रि-स.] 1. (किसी विषय या बात को) झूठा प्रामाणित करना 2. झुठलाना।

झुनक [सं-पु.] झन-झन की ध्वनि उत्पन्न करने वाले नूपुर; पायल; पाज़ेब।

झुन-झुन [सं-स्त्री.] घुँघुरुओं आदि के बजने से होने वाली ध्वनि।

झुनझुना [सं-पु.] एक प्रकार का बच्चों का खिलौना जो हिलाने पर झुन-झुन की ध्वनि करता है; घुनघुना।

झुनझुनाना [क्रि-अ.] 1. 'झुन-झुन' शब्द निकालना या होना 2. शरीर के किसी अंग में झुनझुनी होना। [क्रि-स.] झुनझुन शब्द निकालना या उत्पन्न करना।

झुनझुनियाँ [सं-स्त्री.] 1. पैरों में पहनने का घुँघरूदार आभूषण 2. झुनझुना; छनकना 3. पैरों में पहनाई जाने वाली बेड़ी 4. सनई का पौधा।

झुनझुनी [सं-स्त्री.] हाथ-पाँव के एक अवस्था में होने और दबने की वजह से होने वाली सनसनाहट।

झुबझुबी [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कर्णाभूषण; झुपझुपी।

झुमका [सं-पु.] 1. कान में पहनने का एक गहना 2. एक प्रकार का पौधा जिसमें उक्त आकार के फूल लगते हैं।

झुमरि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक रागिनी 2. एक पारंपरिक राग; लोकगीत का एक प्रकार।

झुमाऊ [वि.] 1. झूमने वाला 2. झूमने को प्रेरित करने वाला।

झुमाना [क्रि-स.] 1. किसी को झूमने में प्रवृत्त करना 2. ऐसी क्रिया करना जिससे कोई झूमने लगे।

झुरकुट [वि.] 1. सूखा या मुरझाया हुआ 2. दुबला-पतला; कृषकाय; क्षीण शरीर वाला।

झुरकुन [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के छोटे टुकड़े 2. झड़कर निकली हुई चीज़ 3. चूर; चूर्ण; चूरा।

झुरना [क्रि-अ.] 1. दुख या चिंता से सूख जाना; क्षीण होना 2. किसी व्यक्ति, घटना या बात से अत्यधिक खिन्न होना।

झुरमुट (सं.) [सं-पु.] 1. पास-पास उगे हुए कई पेड़ या झाड़ियाँ जिनकी डालियाँ आपस में मिली हुई हों 2. बहुत लोगों का समूह; गिरोह 3. चादर या किसी कपड़े से शरीर को पूरी तरह ढक लेने की क्रिया 4. बच्चों का एक खेल जिसमें वे घेरा बनाकर नाचते हैं।

झुरसना [क्रि-अ.] 1. आग की लपट से सहसा स्पर्श होने पर किसी अंग की त्वचा का कुछ-कुछ जल जाने के कारण काला पड़ना 2. अति ताप के कारण किसी वस्तु के ऊपरी या बाहरी परत का सूखकर काला पड़ जाना। [क्रि-स.] किसी वस्तु को इस तरह जलाना या गरम करना कि उसके बाहरी आवरण या त्वचा का रंग काला पड़ जाए।

झुरहुरी [सं-स्त्री.] जूड़ी-बुख़ार की कँपकँपी; झुरझुरी।

झुराना [क्रि-अ.] 1. झुरना 2. किसी का कमज़ोर हो जाना 3. सूखना।

झुर्री [सं-स्त्री.] 1. शरीर की चमड़ी या त्वचा की सिकुड़न या शिकन 2. फल आदि के सूखने पर पड़ने वाली सिलवट।

झुर्रीदार (हिं+फ़ा.) [वि.] झुर्रियों से भरा हुआ; जिसमें झुर्रियाँ हों।

झुलना [सं-पु.] 1. झूला 2. ढीला कुरता। [वि.] झूलने वाला।

झुलनी [सं-स्त्री.] 1. नाक में पहनने की नथ में लटकता रहने वाला स्वर्ण या मोतियों का छोटा गुच्छा 2. झूमर (गहना)।

झुलवाना [क्रि-स.] 1. झुलाने में प्रवृत्त करना 2. हिलाने का काम कराना।

झुलसन [सं-स्त्री.] 1. झुलसने की क्रिया या भाव 2. शरीर को झुलसाने वाली गरमी; दाहकता।

झुलसना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु के केवल ऊपरी भाग का जलकर सूख जाना या काला पड़ना 2. आग की लपट या तेज़ गरमी से जलकर त्वचा का काला पड़ जाना 3. अधजला होना 4. पौधे का धूप, लू आदि से सूखना; मुरझाना।

झुलसवाना [क्रि-स.] झुलसाने का काम कराना; किसी चीज़ की ऊपरी सतह को जलवाना।

झुलसा (सं.) [वि.] 1. झुलसकर काला पड़ा हुआ; अधजला 2. मुरझाया या सूखा हुआ 3. पेड़-पौधों के सूखते जाने का एक रोग।

झुलसाना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु के केवल ऊपरी भाग को जलाना; ऊपर की सतह को काली होने तक गरम करना 2. अधजला कर देना।

झुलाना [क्रि-स.] 1. लटकी या टँगी हुई चीज़ को बार-बार हिलाना; दोलन; धकेलना 2. किसी को झूलने की क्रिया में प्रवृत्त करना 3. कुछ देने या करने का प्रलोभन देकर किसी को अपने आगे-पीछे दौड़ाना; अटकाए रखना; आजकल करते रहना।

झुलिया [सं-स्त्री.] बच्चों का कुरता; झँगुलिया।

झुल्ला [सं-पु.] स्त्रियों के पहनने का एक प्रकार का पुरानी चाल का कुरता।

झूँक [सं-पु.] 1. झोंक 2. झोंका; हवा का झोंका; झकोरा 3. पानी का हिलोरा; लहर 4. झटका।

झूँकटी [सं-स्त्री.] छोटी झाड़ी।

झूँका [सं-पु.] 1. हवा का झोंका; झकोरा 2. पानी का हिलोरा; लहर 3. झटका।

झूँझल [सं-स्त्री.] किसी अप्रसन्नताकारक कार्य या बात से उत्पन्न चिढ़; झुँझलाहट; खीज।

झूक [सं-पु.] दे. झूँक।

झूठ (सं.) [सं-पु.] ऐसा कथन या ऐसी बात जो वस्तुतः यथार्थ या सत्य न हो फिर भी सत्य के रूप में कही गई हो; मिथ्या वचन; असत्य; जो सच न हो। [मु.] -का पुल बाँधना : एक पर एक झूठ बोलते चलना।

झूठ-मूठ [अव्य.] 1. बिना किसी वास्तविक सत्य या आधार के; अकारण 2. यों ही; बेकार; व्यर्थ 3. नकली; बनावटी।

झूठा [वि.] 1. झूठ बोलने वाला; मिथ्याभाषी 2. नकली; बनावटी 3. वास्तविकता से भिन्न 4. जो वास्तव में विश्वसनीय और सत्यनिष्ठ न हो पर स्वार्थ साधने के लिए अपने आपको विश्वसनीय बतलाता हो।

झूम [सं-स्त्री.] 1. झूमने की क्रिया या भाव 2. तंद्रा; ऊँघने की क्रिया या भाव 3. मद में झूमना 4. नृत्य 5. कृषि की एक प्राचीन पद्धति जो अब क्रमशः चलन से बाहर हो रही है।

झूमक [सं-पु.] 1. एक प्रकार का गीत जो अधिकांशतः फाल्गुन के समय गाया जाता है 2. झूमर के साथ होने वाला नृत्य 3. गुच्छा 4. मांगलिक अवसरों पर गाया जाने वाला गीत 5. कान का एक प्रकार का आभूषण; झुमका। [सं-स्त्री.] कामदार साड़ी जिसमें झुमक या मोती आदि की झालर लगी हो।

झूमका [सं-पु.] 1. झूम-झूमकर होने वाला नाच; गीतों के साथ होने वाला झूमर नृत्य; झूमक 2. कानों में पहनने का आभूषण; झुमका।

झूमना (सं.) [क्रि-अ.] 1. बार-बार आगे-पीछे, ऊपर-नीचे या इधर-उधर हिलना 2. झोंके खाना 3. मस्ती या नशे में शरीर को आगे-पीछे और इधर-उधर हिलाना 4. लहराना।

झूमर [सं-पु.] 1. एक प्रकार का आभूषण जो सिर पर पहना जाता है 2. एक प्रकार का नृत्य गीत 3. होली, विवाह आदि के अवसर पर गाया जाने वाला गीत 4. कानों में पहना जाने वाला झुमका 5. काठ से बना एक प्रकार का खिलौना 6. मस्ती में सिर या धड़ हिलाना 7. एक ही तरह की बहुत-सी चीज़ों का समूह; जमघट 8. नावों का समूह।

झूमरा [सं-पु.] संगीत का एक ताल।

झूर [वि.] 1. सूखा हुआ; शुष्क 2. रिक्त; ख़ाली।

झूल [सं-स्त्री.] 1. झूलने की क्रिया या भाव 2. चौपायों की पीठ पर डाला जाने वाला कपड़ा 3. पेड़ की डाल या छत आदि में लटकाई हुई मज़बूत रस्सी आदि से बँधी पटरी जिसपर बैठकर झूलते हैं; झूला 4. वह कपड़ा जो पहनने के बाद ढीला-ढाला और भद्दा लगे।

झूलन [सं-पु.] 1. सावन मास में होने वाला झूलनोत्सव; हिंडोला 2. एक प्रकार का गाना।

झूलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु या मोटी रस्सी के सहारे लटककर बार-बार आगे-पीछे या इधर-उधर होना; पेंग लेना 2. किसी कार्य या उद्देश्य के लिए इधर-उधर दौड़ना; आना-जाना 3. झूले पर बैठकर पेंग बढ़ाना 4. लटका रहना 5. मात्रिक सम दंडक छंदों का एक भेद जिसे प्राकृत में झुल्लण कहते हैं। [वि.] 1. जो हिलता-डुलता हो 2. झूलता रहने वाला; झूलता हुआ।

झूला (सं.) [सं-पु.] 1. वृक्ष की शाखाओं या छत की कड़ियों से रस्सी के सहारे लटकता हुआ खटोला, हिंडोला, पट्टी आदि जिसके सहारे मनोविनोद के लिए लोग झूलते हैं 2. ज़ंजीरों आदि का बना बिना खंभे का पुल 3. हवा का ऐसा झटका या झोंका जिससे चीज़ें इधर-उधर झूलने या हिलने-डुलने लगें।

झेंप [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य या व्यवहार पर लज्जित होने का भाव या अवस्था; शर्मिंदगी 2. किसी बात पर आँखें नीची करना; लजाना।

झेंपना [क्रि-अ.] 1. शर्मिंदा होना; शरमाना; लजाना 2. संकोच करना 3. कोई बात सुनकर लज्जित होना।

झेंपाना [क्रि-स.] 1. लज्जित करना; उलझन में डालना 2. छेड़ना।

झेंपू [वि.] 1. झेंपने वाला 2. शरमाने वाला; लज्जाशील।

झेर [सं-स्त्री.] 1. झगड़ा; बखेड़ा 2. उलझन; पेच 3. विलंब; देर।

झेल [सं-स्त्री.] 1. झेलने की क्रिया या भाव 2. बरदाश्त करने की क्रिया या भाव 3. पानी की लहर; हिलोरा 4. हलका धक्का या झोंका; सुखद आघात 5. लहर के कारण किनारों पर होने वाली पानी की टक्कर।

झेलना [क्रि-स.] 1. ज़बरदस्ती सहन करना; बरदाश्त करना 2. जूझना; पार करना 3. पानी को हाथ-पाँव से हटाना 4. ठेलना; ढकेलना 5. किसी बात पर ध्यान देते हुए मान लेना 6. हज़म करना; पचाना। [क्रि-अ.] पानी में उतरना।

झेलनी [सं-स्त्री.] सोने-चाँदी या किसी अन्य धातु की ज़ंजीर जो कान में पहने जाने वाले गहनों का वज़न सँभालने और यथास्थान रोके रखने के लिए बालों में अटकाई जाती है, जैसे- नथ की झेलनी।

झोंक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झोंकने की क्रिया या भाव 2. अचानक किसी बात की ओर मन का वेगपूर्ण झुकाव या प्रवृत्ति 3. नशा, मनोविकार, रोग आदि की अवस्था में मन में आने वाला वह भाव जिसमें भले-बुरे का ध्यान नहीं रह जाता 4. गति की ऐसी तीव्रता या वेग जो सहसा रुक न सकता हो अथवा जिसे सँभालना प्रायः कठिन होता हो 5. आघात; धक्का; चोट 6. किसी चीज़ के यों ही अथवा वेगपूर्वक किसी ओर झुकने की क्रिया, प्रवृत्ति या भाव 7. उक्त प्रकार के झुकाव या नति के कारण किसी ओर अथवा किसी चीज़ पर पड़ने वाला बोझ या भार 8. बैलगाड़ी के वे दोनों लट्ठे जो दोनों ओर उसका झुकाव और भार रोकने के लिए लगे रहते हैं।

झोंकना [क्रि-स.] 1. वेग से एक चीज़ को किसी दूसरी चीज़ में गिराना, डालना या फेंकना 2. कोई वस्तु जैसे लकड़ी आदि जलाने के लिए आग में फेंकना या लगाना 3. किसी काम में अंधाधुंध ख़र्च करना 4. किसी प्रकार का कार्य या भार ज़बरदस्ती किसी पर रखना या लादना। [मु.] -भाड़ झोंकना : बेकार के काम करना।

झोंकवा [सं-पु.] भाड़ या भट्टे आदि में ईंधन झोंकने का काम करने वाला व्यक्ति; वह व्यक्ति जो झोंकने के काम के लिए लगाया गया हो।

झोंकवाना [क्रि-स.] 1. झोंकने का काम कराना 2. किसी को कुछ झोंकने में प्रवृत्त करना।

झोंका [सं-पु.] 1. हवा का तीव्र प्रवाह 2. शांत या स्तब्ध वातावरण में थोड़े समय के लिए सहसा तथा वेगपूर्वक चलने वाली वायुलहरी 3. पानी की लहर; हिलोर 4. थोड़े समय के लिए परंतु झटके से आने वाली नींद 5. कुश्ती का एक पेंच जिसमें विपक्षी की बाँह के नीचे से हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रखते और तब उसे झटके या झोंके से नीचे गिरा देते हैं।

झोंकाई [सं-स्त्री.] 1. झोंकने की क्रिया या भाव 2. झोंकने की मज़दूरी।

झोंकिया [सं-पु.] भाड़ या भट्टे आदि में ईंधन झोंकने का काम करने वाला व्यक्ति; वह व्यक्ति जो झोंकने के काम में लगाया गया हो; झोंकवा।

झोंकी [सं-स्त्री.] 1. जोखिम 2. ज़िम्मेदारी; जवाबदेही; उत्तरदायित्व।

झोंख [सं-स्त्री.] झीकने की अवस्था क्रिया या भाव।

झोंझ [सं-पु.] 1. पक्षियों का घोंसला; नीड़ 2. कुछ विशिष्ट प्रकार के पक्षियों के गले में लटकने वाली मांस की थैली 3. उदर 4. कोलाहल 5. खुजली।

झोंझल [सं-स्त्री.] झुँझल; झुँझलाहट।

झों-झों [सं-स्त्री.] नोक-झोंक; कहासुनी; परस्पर विवाद।

झोंट [सं-पु.] 1. झाड़ी; झुरमुट 2. बालों का जूड़ा; जुट्टी 3. पौधों या झाड़ियों का झुरमुट 4. घास-फूस का पूला; जूरी 5. समूह; झुंड 6. झोंटा।

झोंटा (सं.) [सं-पु.] 1. सिर पर के बढ़े हुए बालों का समूह 2. पतली और लंबी वस्तुओं का इतना बड़ा समूह जो एक बार में ही हाथ में आ जाए 3. झूले की पेंग। [मु.] -झोंटी : एक दूसरे का बाल पकड़कर खींचना और झगड़ा करना।

झोंपड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. घास-फूस से छाया हुआ छोटा कच्चा घर; मिट्टी से बना हुआ घर 2. तृण कुटीर; पर्णशाला; झोपड़ा।

झोंपड़ी [सं-स्त्री.] 1. कुटिया; कुटी; मड़ई 2. घास-फूस से बनी छत का छोटा कच्चा घर; झोपड़ी।

झोंपा [सं-पु.] 1. झब्बा; फुँदना 2. गुच्छा।

झोझर [सं-पु.] 1. अमाशय 2. ओझर।

झोरना [क्रि-स.] 1. इस प्रकार किसी चीज़ को हिलाना या झटकारना कि उस पर पड़ी या लगी हुई दूसरी चीज़ें गिर जाएँ 2. सहसा ज़ोर से हिलाकर गति में लाना 3. झकझोरना 4. बलात या धोखे से धन ऐंठना 5. अच्छी तरह तृप्त होकर खाना 6. इकट्ठा या एकत्र करना; बटोरना।

झोल [सं-पु.] 1. तरकारी आदि का गाढ़ा रस; शोरबा 2. निस्सार या तत्वहीन बात 3. झंझट; बखेड़े या धोखे की बात 4. कपड़े का अंश जो ढीला होने के कारण झूल या लटक जाए 5. दोष; त्रुटि 6. थैली के आकार की वह झिल्ली जिसमें गर्भ से निकलने के समय बच्चे या अंडे बंद रहते हैं 7. गर्भ।

झोलदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. (वस्त्र) जिसमें झोल पड़ता हो 2. (धातु) जिसपर मुलम्मा चढ़ा हुआ हो 3. (सब्ज़ी या तरकारी) जिसमें झोल अर्थात रसा हो; रसयुक्त; रसेदार 4. लटकता या लहराता हुआ 5. झुका हुआ या ढीला।

झोलना [क्रि-स.] 1. जलाना; तपाना 2. दुखी करना; संताप देना 3. झुलाना 4. झकझोरना।

झोला [सं-पु.] 1. कपड़े या टाट आदि का बना थैला; झोली 2. खोली; गिलाफ़ 3. साधुओं का ढीला कुरता; चोला 4. एक वात रोग जिसमें कोई अंग काम न करके झूलने लगता है; लकवा 5. पाला या लू आदि के कारण पेड़-पौधों के सूख जाने का रोग 6. झोंका 7. लहर; हिलोर 8. बाधा 9. दुविधा; असमंजस 10. चंचलता।

झोली [सं-स्त्री.] 1. कपड़े की थैली; छोटा झोला 2. घास बाँधने का जाला 3. पुर; मोट; चरसा 4. राख; भस्म 5. एक प्रकार का सफ़री बिस्तर।

झौंर (सं.) [सं-पु.] 1. फूलों या फलों का गुच्छा 2. समूह; झुंड 3. झब्बा नामक एक प्रकार का आभूषण।

झौंरना [क्रि-अ.] गुज़ारना; गूँजना। [क्रि-स.] झपट कर पकड़ना।

झौंरा [सं-पु.] 1. गुच्छा (फूलों का) 2. समूह; झुंड (वृक्षों, व्यक्तियों या भौरों आदि का) 3. रेशम आदि का गुच्छा या झब्बा।

झौंराना [क्रि-अ.] 1. झूमना; इधर-उधर हिलना 2. त्वचा का ख़ुश्क और काला पड़ जाना; झँवराना।

झौंसना [क्रि-अ.] किसी वस्तु या त्वचा की ऊपरी सतह का हलका-सा जलना; झुलसना।

झौहाना [क्रि-अ.] 1. झल्लाते हुए बोलना; चिड़चिड़ाना 2. क्रोधित होना।

व्यंजन वर्ण का दसवाँ और च वर्ग का अंतिम अक्षर या वर्ण। इसका उच्चारण तालव्य, अनुनासिक, अल्पप्राण तथा सघोष है।


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