ट
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह पश्च-वर्त्स्य उलटित, अघोष, अल्पप्राण स्पर्श है।
टँकना
[क्रि-अ.] 1. किसी वस्त्र पर सजावट के लिए चमकीले सितारे आदि टाँके जाना; टाँका लगाकर किसी चीज़ का कपडे़ पर अटकाया जाना 2. धातु खंडों या पात्रों का टाँके के
योग से जोड़ा जाना 3. टाँकी आदि के द्वारा चक्की, सिल आदि में छोटे-छोटे गड्ढे बनाए जाना; टँचना।
टँकवाना
[क्रि-स.] 1. वस्त्रों पर टाँके लगवाकर सितारे, लेस आदि चिपकवाना 2. सिल आदि पर टाँके लगवाना; टँचवाना 3. बही में अंकित करवाना (हिसाब या लेन-देन का ब्योरा)।
टँकाई
[सं-स्त्री.] 1. टाँकने की क्रिया 2. टाँकने की मज़दूरी या पारिश्रमिक।
टँकोरी
[सं-स्त्री.] सोना-चाँदी आदि तौलने का छोटा तराज़ू; छोटी तुला।
टँगड़ी
[सं-स्त्री.] 1. मनुष्य या पशु-पक्षी के पैर; टाँग 2. {ला-अ.} अड़ंगा; रोक। [मु.] -मारना : बाधा डालना; बाधा उत्पन्न करना।
टँगड़ीबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] अड़ंगा लगाने वाला; काम बिगाड़ने वाला।
टँगना
(सं.) [सं-पु.] 1. दो स्थिर सिरों पर बँधी हुई रस्सी या तार जिसपर कपड़े आदि टाँगे जाते हैं; अलगनी 2. कपड़े आदि टाँगने के लिए बना लकड़ी का ढाँचा। [क्रि-अ.] 1.
किसी चीज़ का टाँगा या लटकाया जाना 2. लटकना 3. फाँसी चढ़ना।
टंक
(सं.) [सं-पु.] 1. भारत में नाप-तौल की पुरानी पद्धति के अनुसार चार माशे की एक तौल 2. चार माशे वज़न का बाट या बटखरा 3. चाँदी का पुराना सिक्का जिसका वज़न चार
माशे के बराबर होता है 4. पत्थर काटने या गढ़ने की टाँकी; नक्काशी छेनी।
टंकक
(सं.) [सं-पु.] 1. चाँदी का सिक्का 2. टंकण कार्य या टाइप करने वाला; (टाइपिस्ट)।
टंकण
(सं.) [सं-पु.] 1. धातु की किसी चीज़ में टाँका या जोड़ लगाना; (वेल्डिंग) 2. टाइपराइटर या टंकण यंत्र पर चिट्ठी-पत्री आदि छापने का काम, (टाइपराइटिंग) 3. एक
प्रकार का क्षार; सुहागा।
टंकशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] सिक्के ढालने का कारख़ाना; टकसाल।
टंका
[सं-पु.] 1. टंक नामक प्राचीन तौल 2. टका (ताँबे का प्राचीन सिक्का)।
टंकार
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धनुष की प्रत्यंचा या डोरी को खींचकर सहसा छोड़ने पर उत्पन्न ध्वनि; किसी कसे हुए तार पर चोट करने से होने वाली झनकार 2. किसी धातु के
टुकड़े पर आघात करने से उत्पन्न शब्द; टनाका।
टंकारना
(सं.) [क्रि-स.] 1. धनुष की डोरी या प्रत्यंचा को खींचकर उससे शब्द उत्पन्न करना 2. धातु के किसी पात्र पर आघात करके टन-टन शब्द करना।
टंकिका
(सं.) [सं-स्त्री.] लोहे की छोटी टाँकी या छेनी जिससे चक्की, सिल आदि टाँके जाते हैं।
टंकी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. पानी रखने का छोटा या बड़ा कुंड 2. धातु, प्लास्टिक या फ़ाइबरग्लास का बड़ा बरतन; टाँका 3. कुंड; हौज़।
टंकोर
[सं-स्त्री.] दे. टंकार।
टंग
(सं.) [सं-पु.] 1. कुल्हाड़ी; टाँगी 2. चार माशे का एक तौल; टंक।
टंग्स्टन
(इं.) [सं-पु.] एक बहुत कठोर और दुर्लभ धातु जिसका उपयोग विद्युत बल्ब या ट्यूब में प्रकाश करने वाले तंतु के रूप में होता है।
टंच
(सं.) [वि.] 1. कंजूस; कृपण 2. चंट; चालाक; धूर्त 3. निर्दय; निष्ठुर 4. हृष्ट-पुष्ट।
टंट-घंट
[सं-पु.] 1. पूजा-पाठ आदि से जुड़े अनावश्यक आडंबर; धार्मिक दिखावे की सामग्री, घड़ी-घंटा आदि 2. व्यर्थ, फालतू तथा रद्दी चीज़ें।
टंटा
[सं-पु.] 1. बेमतलब का झगड़ा या बखेड़ा 2. बिना बात की लड़ाई; वैर-विरोध।
टकटकी
[सं-स्त्री.] 1. देर तक अपलक देखने की क्रिया या भाव 2. नज़र गड़ाकर लगातार देखते रहने की अवस्था; स्थिर दृष्टि। [मु.] -लगाना : लालसापूर्वक
लगातार देखते रहना।
टकटोरना
[क्रि-स.] 1. अंधकार में अथवा स्पष्ट दिखाई न देने पर किसी चीज़ के आकार-प्रकार, रूप आदि का पता लगाने के लिए उस पर उँगलियाँ या हाथ फेरना; किसी आवरण में रखी हुई
वस्तु का अनुमान करने के लिए उसे बाहर से छूना, दबाना या हिलाना 2. {ला-अ.} किसी के मन की थाह लेने के लिए विशेष प्रकार से बात-चीत करना।
टकतंत्री
(सं.) [सं-स्त्री.] सितार की तरह का एक वाद्य या बाजा।
टकराना
[क्रि-अ.] 1. दो व्यक्तियों या वस्तुओं का आपस में भिड़ना; ज़ोर से टक्कर होना; व्यक्ति का किसी वस्तु से टक्कर खाना 2. दो व्यक्तियों के विचार या सिद्धांत में
विरोध या मतभेद होना। [क्रि-स.] एक वस्तु को दूसरी पर मारना; टक्कर लगवाना।
टकराव
[सं-पु.] 1. टक्कर; भिड़ंत; टकराहट 2. विरोध; प्रतिरोध 3. कलह; झगड़ा।
टकराहट
[सं-स्त्री.] 1. टक्कर; टकराव; भिड़ंत 2. ठोकर 3. {ला-अ.} (साहित्य) एक मत जो किसी लेखक की संवेदना का उसके अपने परिवेश, मूल्य और परिस्थितियों से संघर्ष को
ज़रूरी मानता है; (कनफ्रंटेशन)।
टकरी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का पेड़।
टकसाल
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ सिक्के ढलते हों; सिक्के तैयार करने की आधुनिक यंत्र-शाला।
टकसाली
(सं.) [वि.] 1. टकसाल से संबंधित; टकसाल का 2. टकसाल में ढला या बना हुआ 3. सब प्रकार से परीक्षित और प्रमाणित; प्रामाणिक (ऑथेंटिक)।
टकहा
[वि.] रद्दी और सस्ता; सामान्य स्तर का; निम्न स्तर का।
टका
(सं.) [सं-पु.] उन्नीसवीं शताब्दी में प्रचलित ताँबे का एक सिक्का जिसका मूल्य आधा आना होता था; अधन्ना।
टकासी
[सं-स्त्री.] 1. एक रुपए पर प्रतिमास दो पैसे का सूद या ब्याज देने-लेने का एक पुराना ढंग 2. मध्यकाल में प्रति व्यक्ति पर एक टके के हिसाब से लगाया गया कर;
टकाही।
टकाही
[सं-स्त्री.] 1. मध्यकाल में प्रत्येक व्यक्ति पर एक टके की दर से लगने वाला कर; टकासी 2. {अशि.} प्राचीन काल में बहुत ही नीचे स्तर वाली वेश्या के लिए
प्रयुक्त, जिसकी सेवा का मूल्य एक टके की तुच्छ राशि हो।
टकुआ
[सं-पु.] 1. चरखे का तकला जिसपर कता हुआ सूत लिपटता जाता है; तकुआ 2. छोटे तराज़ू के पलड़े में लगा हुआ तागा 3. ओटनी का एक पुरज़ा।
टकुली
[सं-स्त्री.] 1. पत्थर तराशने की छेनी; नक्काशी करने वालों का एक औज़ार 2. छोटा टकुआ।
टकैत
[वि.] जिसके पास टके हों अर्थात धनी; धनवान।
टकोर
[सं-स्त्री.] 1. शरीर के चोटिल या दुखते हुए स्थान पर दवा की पोटली से हलका-हलका सेक 2. डंके पर हलकी-सी चोट; टंकोर 3. हलकी चोट; ठेस।
टकोरना
[क्रि-स.] 1. हलका सेक करना 2. हलकी चोट पहुँचाना 3. ऐसी बात कहना जिससे दुखी व्यक्ति और अधिक दुखी हो 4. डंके आदि पर चोट करना।
टक्कर
[सं-स्त्री.] 1. दो वस्तुओं का तेज़ी से आपस में भिड़ जाने पर होने वाला आघात; भिड़ंत 2. ज़ोर की ठोकर 3. दो विरोधी पक्षों में होने वाला मुकाबला 4. पशुओं का आपस
में सींग भिड़ाना। [मु.] -खाना : भिड़ना। -मारना : बेकार प्रयत्न करना।
टखना
(सं.) [सं-पु.] 1. एड़ी के ऊपर और पिंडली के नीचे की उभरी हुई हड्डी 2. उक्त हड्डी के आस-पास का भाग।
टगण
(सं.) [सं-पु.] (साहित्य शास्त्र) छंदों में छह मात्राओं के गणों की सामूहिक संज्ञा; छह मात्राओं का एक गण।
टच
(इं.) [सं-पु.] स्पर्श; छुअन। -करना [क्रि-स.] छूना; स्पर्श करना।
टटका
[वि.] 1. ताज़ा (फूल, फल, सब्ज़ी आदि) 2. अभी का; हाल का (घटना, समाचार आदि)।
टटिया
[सं-स्त्री.] टट्टी; टट्टर।
टटोल
[सं-स्त्री.] टटोलने की क्रिया या भाव; तलाश।
टटोलना
[क्रि-स.] 1. अँधेरे में किसी चीज़ के आकार-प्रकार की जानकारी लेने के लिए या कुछ ढूँढ़ने के लिए उँगलियाँ या हाथ फेरना 2. ढकी या छिपी वस्तु का पता करने के लिए
बाहर से छूकर या दबाकर देखना।
टट्टर
(सं.) [सं-पु.] 1. गाँवों, देहातों आदि में ओट या रक्षा के लिए बाँस की पट्टियाँ जोड़कर बनाया हुआ ढाँचा 2. बाँस का जालीदार परदा।
टट्टरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ढोल, नगाड़े आदि के बजने का शब्द 2. लंबी-चौड़ी बात का ब्योरा 3. हँसी-मज़ाक़; ठट्ठा।
टट्टी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तिनकों, तीलियों आदि को मोटे धागे में गूँथकर बनाया गया परदा; चिलमन; चिक 2. बाँस की पट्टियों का बनाया गया हलका टट्टर 3. ख़स की सुगंधित
जड़ का इसी प्रकार बनाया हुआ परदा 4. बाँस की उक्त टट्टी से घेर कर बनाया गया स्थान जो शौच आदि के लिए नियत होता है; शौचालय 5. पाख़ाना; मल; गू। [मु.] -की आड़ में शिकार खेलना : छिपकर बुरा काम करना या कोई चाल चलना।
टट्टू
[सं-पु.] छोटे या नाटे कद का घोड़ा; टाँगन।
टन1
[सं-पु.] घंटा बजने का शब्द, टंकार। [वि.] नशे में धुत्त; टन्न।
टन2
(इं.) [सं-पु.] पाश्चात्य तौल की एक माप; एक हज़ार (1000) किलोग्राम की तौल।
टनकना
[क्रि-अ.] 1. घंटे या घंटी का टन-टन शब्द होना; बजना 2. धूप, गरमी आदि के कारण सिर में दर्द होना; सिर धमकना 3. रह-रहकर टीस होना।
टनटनाना
[क्रि-स.] घंटे पर आघात करके 'टनटन' शब्द उत्पन्न करना। [क्रि-अ.] किसी चीज़ से 'टनटन' शब्द या ध्वनि निकलना।
टनमन
(सं.) [सं-पु.] तंत्र-मंत्र; जादू-टोना।
टनमना
(सं.) [वि.] 1. निरोग; स्वस्थ; चंगा 2. प्रसन्नचित्त; मगन; मस्त।
टनाटन
[सं-स्त्री.] लगातार घंटा बजने के कारण होने वाली ध्वनि। [क्रि.वि.] अच्छी तथा ठीक अवस्था में।
टनेल
(इं.) [सं-स्त्री.] पहाड़ के बीच से अथवा नदी के नीचे से बनाई हुई भूमिगत राह; सुरंग; (टनल)।
टपक
[सं-स्त्री.] 1. टपकने की क्रिया 2. बूँदों के टपकने या गिरने की ध्वनि; टप-टप की आवाज़ 3. रुक-रुककर तेज़ होने वाली टीस या पीड़ा।
टपकना
[क्रि-अ.] 1. ऊँचाई से सहसा गिर पड़ना; पेड़ से फल आदि का पककर गिरना 2. पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ का बूँद-बूँद गिरना; चूना; रिसना 3. पानी आदि के इस प्रकार
गिरने की टप-टप ध्वनि 4. दर्द का रुक-रुक कर होना 5. {ला-अ.} किसी का अप्रत्याशित रूप से अचानक सामने आ जाना या हाज़िर होना।
टपका
[सं-पु.] 1. तरल पदार्थ के बूँद-बूँद गिरने का भाव 2. टपकी हुई वस्तु 3. पककर अपने आप गिरा हुआ फल 4. रह-रहकर होने वाली पीड़ा; टीस 5. चौपायों के खुर का एक रोग।
टपकाना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को बूँद-बूँद करके गिराना; चुआना 2. भभके के द्वारा आसवन विधि से चुआ कर आसव या अर्क तैयार करना 3. (अपराध जगत की भाषा में) मार देना;
हत्या करना।
टपकेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] लोगों को ठगने वाला; मूर्ख बनाकर धन वसूलने वाला; धूर्त।
टपना
[क्रि-अ.] उछलना-कूदना; उचकना। [क्रि-स.] लाँघना।
टपरना
[क्रि-स.] दीवार या फ़र्श में मसाला भरने से पहले उनकी दरारों को कुछ खोदकर चौड़ी या बड़ी करना।
टपरा
[सं-पु.] 1. घास-फूस या टीन से बनाया हुआ छोटा घर 2. छोटी-सी कुटी या झोपड़ी।
टपाटप
[क्रि.वि.] 1. लगातार टप-टप शब्द के साथ गिरना 2. शीघ्रता से।
टपाना
[क्रि-स.] 1. कुदाना; लँघाना 2. निष्प्रयोजन बैठाए रखना 3. व्यर्थ हैरान करना।
टप्पर
[सं-पु.] फूस का छप्पर; छाजन।
टप्पा
(सं.) [सं-पु.] 1. वह फ़ासला जहाँ तक कोई उछाली हुई चीज़ एक बार में पहुँचे 2. उछलती हुई वस्तु का बीच-बीच में पृथ्वी छूना 3. एक तरह का उपशास्त्रीय गायन जिसमें
तान की प्रधानता होती है और सुर अलग-अलग स्पष्ट सुनाई देते है। [मु.] -खाना : उछल कर ज़मीन छूना।
टब
(इं.) [सं-पु.] 1. पानी रखने का खुला बड़ा पात्र जिसमें बैठकर स्नान आदि भी किया जा सकता है 2. कंडाल।
टमकी
(सं.) [सं-स्त्री.] छोटा नगाड़ा जिसे बजाकर किसी प्रकार की घोषणा की जाती है; डुग्गी; डुगडुगी।
टमटम
(इं.) [सं-पु.] दो पहियों की एक खुली गाड़ी जिसे एक घोड़े द्वारा खींचा जाता है।
टमाटर
(इं.) [सं-पु.] कच्चा रहने पर हरा और पकने पर लाल रंग का खट्टा-मीठा फल जो सब्ज़ी और सलाद के रूप में प्रयुक्त होता है।
टरकना
[क्रि-अ.] 1. किसी काम से आए हुए व्यक्ति का बिना अपना काम पूरा किए चुपके से चले जाना; टलना; प्रस्थान करना 2. ज़िम्मेदारी निभाने से बचने के लिए कार्यस्थल से
चुपचाप खिसक जाना 3. किसी चीज़ का अपने स्थान से कुछ खिसकना, सरकना या हटना।
टरकाऊ
[वि.] टालने वाला; किसी कार्य को आगे खिसकाने वाला।
टरकाना
[क्रि-स.] बहाना करके किसी आए हुए व्यक्ति को लौटा देना; चलता करना।
टरकी
(तु.) [सं-पु.] 1. एक देश जिसका कुछ भाग एशिया में और कुछ भाग यूरोप में है; तुर्की 2. मुर्गे की एक प्रजाति; एक ऐसा पक्षी जिसके गले के नीचे मांस की लाल झालर
होती है।
टर-टर
[सं-स्त्री.] मेंढक की ध्वनि। [मु.] -करना : व्यर्थ बोलना; बेकार बोलते रहना।
टरटराना
[क्रि-अ.] 1. 'टर-टर' शब्द करना; टर्राना 2. बकवास करना 3. ज़ोर-ज़ोर से बोलना; उद्दंडतापूर्वक बोलना 4. अनावश्यक अंड-बंड बकना।
टरबाइन
(इं.) [सं-पु.] वायु, जल या गैस के दबाव से घूमने वाले पहिए से संचालित होने वाली एक मशीन या इंजन जिसमें पहिए की गतिज ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में बदल जाती है।
टर्न
(इं.) [सं-पु.] 1. मोड़ 2. घुमाव। -करना [क्रि-स.] पलटना; उलटना।
टर्नओवर
(इं.) [सं-पु.] किसी निश्चित समयावधि में किसी कंपनी की कुल बिक्री; इस बिक्री से प्राप्त रकम जैसे- इस कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है।
टर्रा
[वि.] 1. कटुभाषी 2. उद्दंडता से बोलने वाला; ऐंठकर बोलने वाला।
टर्राना
[क्रि-अ.] 1. मेंढक द्वारा टर-टर की आवाज़ करना 2. सीधे बात न करना; ऐंठकर बात करना; कटु वचन कहना 3. उद्दंडतापूर्वक उत्तर देना।
टलन
(सं.) [सं-पु.] घबड़ाहट; बेचैनी; क्षुब्धता।
टलना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी काम का अपने नियत समय पर न होना; स्थगित हो जाना 2. अपने महत्वपूर्ण काम, निश्चय, विचार, सिद्धांत आदि को छोड़ना या उससे हटना 3. किसी
दुर्घटना या विपत्ति का होते-होते रह जाना 4. अपने स्थान से हटना; खिसकना। [मु.] अपनी बात से- : कहकर मुकरना; वादा पूरा न करना।
टलमल
[वि.] हिलता हुआ या कंपित (तरल पदार्थ)।
टलाटली
[सं-स्त्री.] टाल-मटोल; ना-नुकर करना; कार्य को आगे के लिए स्थगित करते जाना; खिसकाते जाना।
टलुआ
[वि.] लकड़ी, कोयले आदि की टाल संबंधी। [सं-पु.] टाल का मालिक।
टल्ला
[सं-पु.] 1. बहानेबाज़ी; टालमटोल 2. ठोकर या धक्का। [वि.] निठल्ला; ठलुआ। [मु.] -मारना : बेमकसद घूमना-फिरना।
टल्लेनवीसी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. टालने की क्रिया; टालमटोल; बहानेबाज़ी 2. व्यर्थ का काम; इधर-उधर के काम 3. ठलुआपन।
टल्लेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] बहानेबाज़ी; टालमटोल।
टवर्ग
(सं.) [सं-पु.] हिंदी की व्यंजन व्यवस्था में पाँच वर्णों- ट्, ठ्, ड्, ढ् तथा ण् का वर्ग।
टस
[सं-स्त्री.] 1. किसी भारी वस्तु के खिसकने से होने वाली आवाज़ 2. कपड़े आदि के फटने की आवाज़। [मु.] -से मस न होना : अपनी बात पर अड़े रहना; हठ न
छोड़ना; किसी भारी चीज़ का अपने स्थान से न हिलना।
टसक
[सं-स्त्री.] 1. टसकने की क्रिया या अवस्था; हलकी-हलकी कराह 2. टीस; हूक; कसक।
टसकना
[क्रि-अ.] 1. धीरे-धीरे कराहना 2. रह-रहकर दर्द करना; टीस उठना 3. किसी वस्तु का अपने स्थान से खिसकना; टलना; थोड़ा हटना।
टसकाना
[क्रि-स.] किसी भारी चीज़ को अपने स्थान से खिसकाना; हटाना।
टसना
[क्रि-अ.] खिंच जाने के कारण कपड़े का फटना; मसकना।
टसर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का मोटा रेशम 2. उक्त रेशम से बना कपड़ा।
टसरी
[वि.] 1. टसर से निर्मित 2. टसर जैसे रंग का; पीलापन लिए मटमैला।
टहनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेड़ की मोटी डाल से निकलने वाली पतली और लचीली डाली; प्रशाखा 2. वृक्ष की पतली या छोटी शाखा जिसमें पत्तियाँ लगती हैं।
टहनीदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें टहनी लगी हो; टहनीयुक्त; डाल सहित।
टहल
[सं-स्त्री.] 1. सिर-पैर दबाने, मालिश आदि करने जैसी छोटी-मोटी सेवा 2. ख़िदमत; सेवा-शुश्रुषा; चाकरी 3. टहलने की क्रिया या भाव।
टहलना
[क्रि-अ.] व्यायाम या मन बहलाने के लिए धीरे-धीरे चलना; चहलकदमी।
टहलनी
[सं-स्त्री.] 1. टहल (सेवा) करने वाली सेविका; नौकरानी; दासी 2. दीपक या चिराग की बत्ती को उकसाने या ऊपर करने वाली तीली।
टहलाना
[क्रि-स.] किसी को धीरे-धीरे चलाना; सैर कराना; घुमाना-फिराना।
टहलुआ
[सं-पु.] किसी की सेवा या टहल करने वाला व्यक्ति; सेवक; ख़िदमतगार; चाकर।
टहूका
[सं-पु.] चुटकुला; पहेली।
टहोका
[सं-पु.] मौन संकेत के रूप में हाथ या पैर से दिया गया हलका धक्का।
टाँक
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीन या चार माशे की एक पुरानी तौल 2. लगभग तीस किलो वज़न का एक पुराना बाट जिसकी सहायता से धनुष की शक्ति की परीक्षा की जाती थी 3. कलम की
नोक।
टाँकना
(सं.) [क्रि-स.] 1. सुई-धागे से लेस, सितारे, गोटा आदि जैसी किसी वस्तु को पहले से निर्मित वस्तु पर सिलना 2. दो चीज़ों को आपस में जोड़ने के लिए टाँका लगाना 3.
किसी क्रिया से कोई चीज़ किसी दूसरी चीज़ के साथ अटकाना 4. आरी, रेती आदि धारदार औज़ारों को किसी क्रिया से तेज़ करना 5. याद रखने के लिए किसी बात, हिसाब-किताब आदि
के विवरण को पंजी, बही, कॉपी आदि में लिख लेना 6. पत्थर की सिल, चक्की आदि को छेनी से टँकवाना।
टाँका
(सं.) [सं-पु.] 1. वह वस्तु जो दो चीज़ों को जोड़कर एक करती हो; सुई-धागे से कपड़ों की सिलाई या राँगे से धातु के दो पत्तरों की झलाई का काम 2. टँकी हुई चकती या
टुकड़ा; पैबंद 3. पानी रखने का छोटा कुंड या बड़ी टंकी।
टाँकी
[सं-स्त्री.] 1. चीज़ों को परस्पर जोड़ने वाला छोटा टाँका 2. पत्थर को तराशने या उन पर नक्काशी करने की छेनी; नक्काशी 3. ख़रबूज़ा, पपीता, तरबूज़ आदि फलों के
स्वाद और गुणवत्ता की परख के लिए उन पर लगाया जाने वाला कटाव 4. टंकी।
टाँग
(सं.) [सं-स्त्री.] प्राणी की जाँघ से लेकर एड़ी तक का भाग; वह अंग जिससे प्राणी चलते-फिरते और दौड़ते हैं; पाँव [मु.] -अड़ाना : दख़ल देना। -फँसना : झमेले में पड़ना। -तले से निकलना : हार मानना।
टाँगन
(सं.) [सं-पु.] टट्टू; छोटे कद का घोड़ा।
टाँगना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को ऊँचे आधार, खूँटी आदि पर इस तरह बाँधना, अटकाना या लगाना जिससे वह लटकती रहे; लटकाना 2. फाँसी पर चढ़ाना।
टाँगा
[सं-पु.] 1. एक प्रकार की दो पहियों की गाड़ी जो घोड़े द्वारा खींची जाती है; ताँगा 2. बड़ी कुल्हाड़ी।
टाँगी
[सं-स्त्री.] कुल्हाड़ी।
टाँगुन
[सं-स्त्री.] बाजरे जैसा छोटे दाने का एक अनाज जो सावन-भादों में तैयार होता है।
टाँट
[सं-स्त्री.] खोपड़ी; सिर।
टाँड़
[सं-स्त्री.] 1. कमरे, दालान आदि की दीवार पर कुछ ऊँचाई पर लकड़ी की बनाई हुई ऐसी पटरी जिसपर सामान रखा जाता है 2. मचान, जिसपर बैठकर खेत की रखवाली की जाती है 3.
गुल्ली डंडे के खेल में गुल्ली पर किया गया आघात। [सं-पु.] 1. व्यापार के सामान से लदे पशुओं का झुंड 2. एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाने वाला माल; माल की खेप
3. टाँड़ा; कुटुंब; परिवार।
टाँड़ा
[सं-पु.] 1. व्यापार के उद्देश्य से अनाज आदि सामग्री से लदे हुए बैलों या पशुओं का समूह 2. उक्त प्रकार से ढोया जाने वाला माल 3. व्यापारियों का समूह 4. एक
प्रकार का हरा कीड़ा जो फ़सलों को नुकसान पहुँचाता है 5. कुटुंब।
टाँय-टाँय
[सं-स्त्री.] 1. अप्रिय शब्द; कर्कश शब्द; कड़वी बोली 2. बक-बक; प्रलाप 3. तोते का शब्द; टें-टें।
टांसिल
(इं.) [सं-पु.] मुख विवर के एकदम पिछले भाग में, गले के ऊपरी भाग में स्थित कोमल मांसपिंड जिनमें कभी-कभी संक्रमण के कारण सूजन भी आ जाती है या टॉन्सिलाइटिस
नामक बीमारी हो जाती है।
टाइट
(इं.) [वि.] 1. कसा हुआ; तंग 2. खींचा हुआ।
टाइटल
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. पुस्तक, साहित्यिक रचनाओं, चित्र आदि का शीर्षक 2. उपाधि; ख़िताब; पदवी।
टाइप
(इं.) [सं-पु.] 1. कंप्यूटर या टाइपराइटर पर होने वाली लिखाई या टंकण 2. छपाई में काम आने वाले सीसे के ढले हुए अक्षर जो कंपोज़िंग और प्रिंटिंग में काम आते हैं
3. धातु या लकड़ी का टुकड़ा जिसके एक सिरे पर अक्षर खुदा होता है 4. प्रकार, जैसे- इस टाइप की फ़िल्में मुझे पसंद नहीं हैं।
टाइपफ़ेस
(इं.) [सं-पु.] 1. (प्रकाशन) मुद्रण के समय किसी मुद्राक्षर, प्लेट अथवा ब्लॉक का स्याही के संपर्क में आने वाला ऊपरी भाग 2. मुद्रित होने वाले अक्षर का कोई
विशेष रूप, आकार अथवा वर्ग।
टाइपराइटर
(इं.) [सं-पु.] एक मशीन जिसमें धातु की पट्टियों पर अक्षर उभरे रहते हैं जिन्हें दबाकर कागज़ पर ये अक्षर छापे जाते हैं; टंकण यंत्र।
टाइपिस्ट
(इं.) [सं-पु.] टाइपराइटर या संगणक के की-बोर्ड पर टंकण करने वाला व्यक्ति; टंकक।
टाइफ़ॉइड
(इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बुख़ार या ज्वर जो एक निश्चित अवधि के बाद ही उतरता है; मियादी बुख़ार।
टाइम
(इं.) [सं-पु.] समय; वक्त।
टाइमटेबल
(इं.) [सं-पु.] वह तालिका या सारणी जिसमें विभिन्न कार्यों, व्यवस्थाओं आदि के नियत समय का विवरण रहता है, जैसे- व्यक्ति के दैनिक कृत्यों या कार्यक्रमों का
समय, विद्यालयों की कक्षाओं में विभिन्न दिनों के विषयों के पठन-पाठन का समय, रेलों-बसों आदि में विभिन्न गाड़ियों के आने-जाने का समय आदि; समय-सारणी।
टाइमपीस
(इं.) [सं-स्त्री.] मेज़ आदि पर रखी जाने वाली छोटी घड़ी जिसमें अक्सर सुबह नींद से जगाने की अलार्म घंटी भी रहती है।
टाइल
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. मकानों के फ़र्श एवं दीवारों पर लगने वाले चिकने, रंग-बिरंगे तथा सजावटी चपटे चौकोर खंड 2. छतों, छज्जों आदि में छावन के तौर पर इस्तेमाल
होने वाले मिट्टी के खपड़े; खपरैल।
टाई
(इं.) [सं-स्त्री.] पाश्चात्य परिधानों में कमीज़ के कॉलर को गले में फ़िट रखने के लिए उसके ऊपर बाँधी जाने वाली सजावटी पट्टी; (नेकटाइ)।
टाउन
(इं.) [सं-पु.] छोटा शहर; कस्बा।
टाउनहॉल
(इं.) [सं-पु.] नगर के मध्य का वह हॉल जिसमें सार्वजनिक गोष्ठियाँ, सभाएँ आदि होती हैं।
टाट
(सं.) [सं-पु.] 1. सन या पटसन का बना हुआ मोटा कपड़ा जिससे बोरे, परदे या बिछावन आदि बनते हैं 2. पुराने समय में एक ही बिरादरी के वे लोग जो पंचायत में एक साथ एक
बिछावन पर बैठते थे 3. उक्त आधार पर कोई बिरादरी या जाति 4. पुरानी महाजनी बोलचाल में एक हजार रुपए की राशि जो टाट की एक थैली में आती थी। [सं-स्त्री.] गंजा
सिर। [मु.] -उलटना : दिवाला निकलना। -बाहर होना : बिरादरी से बाहर होना।
टान
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तानने की क्रिया या भाव 2. तनाव; खिंचाव या फैलाव।
टानना
[क्रि-स.] 1. खींचना 2. तानना।
टाप
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़े या गधे के पैर का निचला भाग जो ज़मीन पर पड़ता है; सुम 2. घोड़े के चलने पर उसके सुम से होने वाली आवाज़ 3. किसी खंभे या चारपाई के
पाए का ज़मीन पर टिका हुआ भाग 4. मुरगियों को बंद करके रखने का टोकरा या खाँचा।
टापना
[क्रि-अ.] 1. घोड़े का खड़े खड़े पैर पटकते जाना; ज़मीन खूँदना 2. लाँघना; छलाँगना; कूदना 3. किसी कार्य या सेवा का प्रतिफल न मिलना; विवश होकर देखते रह जाना।
[मु.] टापते रह जाना : वंचित रह जाना।
टापू
[सं-पु.] चारों ओर से जल से घिरा स्थल; द्वीप।
टाबर
(पं.) [सं-पु.] 1. छोटा बालक 2. संतान; बाल-बच्चे 3. परिवार।
टायर
(इं.) [सं-पु.] साइकिल, कार, ट्रक आदि विभिन्न प्रकार के वाहनों के धातु निर्मित पहियों के ऊपर चढ़ाए जाने वाले मोटे और मज़बूत रबर के खोल।
टारपीडो
(इं.) [सं-पु.] समुद्री युद्ध में जल की गहराई में स्थित पनडुब्बियों से छोड़े जाने वाले विध्वंसक मिसाइल जो सागर पर तैरते जहाजों के पेंदों से टकराकर अपने
विस्फोट द्वारा उन्हें ध्वस्त कर देते हैं।
टाल
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह दुकान जहाँ लकड़ी, भूसे आदि वस्तुओं का एक के ऊपर एक तह लगाकर ऊँचा ढेर या अटाला बना रहता है 2. उक्त प्रकार से बनाया गया ढेर या राशि।
टालना
[क्रि-स.] 1. किसी कार्य को भविष्य में करने के लिए स्थगित या मुलतवी करना 2. किसी अवांछित व्यक्ति या कार्य से पीछा छुड़ाना; टरकाना 3. किसी युक्ति द्वारा भावी
समस्या या संकट से बचना 4. किसी अधिकारी आदि के आदेश को अनसुना करना; उल्लंघन करना; (अनुरोध) न मानना।
टाल-मटोल
[सं-स्त्री.] 1. किसी काम को पूरा न करके आगे के लिए स्थगित करने या टालने की क्रिया 2. टालने के लिए किया जाने वाला बहाना 3. किसी आवश्यक काम के लिए आए व्यक्ति
को टालने या टरकाने की क्रिया।
टाली
[सं-स्त्री.] 1. पशुओं के गले में बाँधी जाने वाली घंटी 2. दो-तीन वर्ष की बछिया।
टालू
[वि.] जो बात या काम को टालता रहे; टालने वाला।
टावर
(इं.) [सं-पु.] 1. (स्थापत्य) एक बहुत ऊँची और सँकरी संरचना जिसमें अंदर से ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ भी बनी होती है; मीनार 2. बुर्ज 3. टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन आदि
की प्रसारण प्रक्रिया संचालित करने के लिए बनाया गया ऊँचा खंभा।
टास्क
(इं.) [सं-पु.] नियत किया हुआ और अवश्य करणीय कार्य; काम, जैसे- बच्चों को स्कूल से मिला होमटास्क।
टिंडा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक लता जिसपर गरमी के मौसम में गोल हरे फल लगते हैं 2. उक्त लता के फल जिनकी सब्ज़ी बनाई जाती है; टिंडी।
टिकट
(इं.) [सं-पु.] 1. सिनेमा, खेलकूद आदि मनोरंजन के साधनों के उपभोग या रेल, बस आदि किसी सेवा या सुविधा के उपयोग के लिए उपयुक्त मूल्य चुकाकर प्राप्त किया हुआ
अधिकार-पत्र जो कागज़, गत्ते, प्लास्टिक आदि के एक छोटे टुकड़े या पर्ची के रूप में होता है 2. डाक सेवा लेने के महसूल के रूप में पत्रों या लिफ़ाफ़ों पर चिपकाया
जाने वाला टिकट; (स्टैंप) 3. चुनाव लड़ने के लिए किसी राजनीतिक दल द्वारा अपने सदस्यों को दिया गया अधिकार पत्र 4. लॉटरी में धन निवेश के प्रमाण स्वरूप मिला नंबर
वाला पर्चा। [मु.] -कटना : (किसी को) निकाल दिया जाना।
टिकटघर
(इं.+हिं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ सेवा विशेष के टिकट बनते या बिकते हों।
टिक-टिक
[सं-स्त्री.] 1. घड़ी आदि यंत्रों की विशेष ध्वनि 2. बैल या घोड़ा हाँकने के लिए बोला जाने वाला शब्द; टिटकारी।
टिकठी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. फाँसी का तख़्ता 2. लकड़ियों का वह ढाँचा जिसपर अपराधियों के हाथ पैर बाँध कर उन्हें कोड़ा लगाया जाता है 3. बाँस का बना ढाँचा जिसपर शव को
अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं; अरथी।
टिकड़ा
[सं-पु.] 1. गले में पहने जाने वाले आभूषणों में लटकता रहने वाला नगयुक्त लॉकेट 2. आँच पर सेककर पकाई हुई छोटी, चपटी, मोटी रोटी 3. प्रसूता स्त्रियों को खिलाई
जाने वाली वह रोटी जिसके आटे में अजवाइन, सोंठ आदि मसाले मिले रहते हैं।
टिकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. कुछ समय तक कहीं ठहरना, जैसे- पर्यटक या मुसाफ़िर का सराय में टिकना 2. किसी के यहाँ अतिथि के रूप में ठहरना 3. किसी आधार पर खड़ा या स्थित
रहना; किसी चीज़ का सहारा लेना 4. किसी चीज़ का ख़राब न होना जैसे- दूध की चीज़ें सरदी में ज़्यादा टिकती हैं।
टिकर
(इं.) [सं-पु.] किसी न्यूज़ चैनल में ऐंकर द्वारा समाचार प्रसारण के साथ टीवी स्क्रीन के नीचे चलने वाली सूचनात्मक ख़बरें।
टिकरी
[सं-स्त्री.] 1. मैदा, आटे या बेसन से बनने वाला एक प्रकार का नमकीन व्यंजन 2. टिकिया।
टिकली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी गोल आकृति वाली काँच, पन्नी या धातु की बनी हुई छोटी बिंदी जिसे स्त्रियाँ ललाट पर लगाती हैं 2. टीका या बेंदा नामक एक आभूषण जो
स्त्रियाँ माथे पर पहनती हैं।
टिकाऊ
[वि.] 1. (चीज़) जो अधिक समय तक टिके अर्थात उपयोग या व्यवहार में आती रहे या आ सके 2. अधिक समय तक बना रहने वाला।
टिकाना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को किसी आधार पर खड़ा करना या ठहराना; टिकने में प्रवृत्त करना; सहारा देना 2. किसी को अपने यहाँ या होटल आदि में अतिथि रूप में ठहराना 3.
किसी को किसी बात पर जमाए रखना; अस्थिर न होने देना।
टिकाव
[सं-पु.] 1. टिके होने की अवस्था या भाव; स्थायित्व 2. स्थिरता से टिकने की जगह; पड़ाव।
टिकिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पदार्थ का गोल या चपटा टुकड़ा; कड़ी, चपटी तथा गोल वस्तु, जैसे-दवा की टिकिया, साबुन की टिकिया आदि 2. गोल आकार की एक मिठाई 3. आलू
या विभिन्न सब्ज़ियों आदि को मिलाकर तवे पर तला हुआ चपटा तथा गोल आकार का मसालेदार, चटपटा व्यंजन 4. कोयले के चूरे से बनाया गया गोल टुकड़ा जिसे सुलगाकर तंबाकू
पिया जाता है।
टिकुली
[सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों द्वारा माथे पर पहना जाने वाला एक आभूषण 2. बिंदी 3. तकली।
टिकैत
[सं-पु.] 1. राजा का उत्तराधिकारी; युवराज 2. नेतृत्व करने वाला सरदार।
टिकोरा
[सं-पु.] आम के बौर में आने वाले छोटे-छोटे फल; बहुत छोटे-छोटे कच्चे आम; अँबिया।
टिक्कड़
[सं-पु.] 1. अंगारों पर सेकी गई मोटी रोटी; अंगाकड़ी; अंगाकरी 2. बाटी; बड़ी टिकिया।
टिक्का
[सं-पु.] 1. मुरगे, पनीर के टुकड़े या तरह-तरह की सब्ज़ियों आदि को मसाले में लपेटकर अंगारों या तवे पर सेंका जाने वाला एक व्यंजन 2. मूँगफली की फ़सल में होने वाला
एक रोग।
टिक्की
[सं-स्त्री.] 1. छोटी टिकिया 2. छोटी पूड़ी या रोटी 3. ताश के पत्ते पर की बूटी; बुँदकी।
टिचन
[वि.] प्रस्तुत; तैयार; मुस्तैद।
टिटकारना
[क्रि-स.] टिक-टिक शब्द करते हुए घोड़े आदि को हाँकना; घोड़े को चलने के लिए प्रेरित करना।
टिटकारी
[सं-स्त्री.] 1. टिटकारने की क्रिया 2. मुँह से निकलने वाला टिक-टिक शब्द 3. दबाते-दबाते फूट पड़ने वाली हँसी की आवाज़।
टिटिहरी
(सं.) [सं-स्त्री.] जलाशयों के किनारे रहने वाली एक छोटी चिड़िया जिसकी पीठ भूरी, गरदन, सिर और छाती काली और शरीर का निचला भाग सफ़ेद होता है; कुररी।
टिट्टिभ
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़मीन पर घोंसला बनाने वाला एक पक्षी; टिटिहरी 2. टिड्डी।
टिड्डा
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का उड़ने वाला बड़ा पतंगा जो खेतों में तथा छोटे पेड़ों या पौधों पर दिखाई पड़ता है।
टिड्डी
(सं.) [सं-स्त्री.] लाल रंग के पंखयुक्त कीड़े जो दल बनाकर उड़ते हैं और फ़सल को हानि पहुँचाते हैं।
टिड्डी-दल
(सं.) [सं-पु.] 1. टिड्डी नामक कीटों का समूह जो आक्रमण करके सारी फ़सल और हरियाली को चट कर जाता है 2. {ला-अ.} मनुष्यों या जीव-जंतुओं का बहुत बड़ा समूह या दल।
टिप-टॉप
(इं.) [वि.] 1. सिर से पैर तक बना-ठना; चुस्त-दुरुस्त 2. साफ़-सुथरी सुंदर वेशभूषा पहने हुए।
टिपाई
[सं-स्त्री.] 1. टीपने की क्रिया या मज़दूरी 2. चित्रकला में, आकृतियों आदि की आरंभिक रूपरेखा अंकित करने या बनाने की क्रिया 3. परीक्षा में नकल करने की क्रिया।
टिपारा
(हिं+फ़ा.) [सं-पु.] मुकुट के आकार की एक प्रकार की तिकोनी टोपी जो किसी समय मुसलमान फ़कीर पहना करते थे।
टिप्पण
(सं.) [सं-पु.] अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा पेश की गई फ़ाइल के कागज़ों पर उच्च अधिकारी द्वारा संक्षेप में दिए गए सुझाव, सलाह या आदेश; (नोटिंग)।
टिप्पणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति, विषय या घटना के संबंध में प्रकट किया जाने वाला संक्षिप्त विचार या राय; उपकथन 2. पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों में किसी
संदर्भ में नए तथ्य, तर्क या विचारों को उद्घाटित करने वाला लेख 3. किसी विषय पर अभिप्राय स्पष्ट करने के लिए जोड़ी जाने वाली संक्षिप्त टीका 4. किसी अधिकारी या
कर्मचारी के प्रस्ताव के संबंध में अन्य अधिकारी द्वारा संक्षेप में प्रकट की गई राय, सम्मति, सुझाव या आपत्ति 5. किसी घटना के संबंध में प्रतिक्रिया देते हुए
किसी समाचार-पत्र में प्रकाशित संपादक का लेख 6. किसी देखी-सुनी गई बात या घटना को याद रखने के लिए संक्षिप्त रूप में लिखना।
टिप्पस
[सं-स्त्री.] अपना काम या मतलब निकालने के लिए की जाने वाली छोटी-मोटी युक्ति। -भिड़ाना : कोई उपाय करना।
टिप्पी
[सं-स्त्री.] 1. उँगली में रंग आदि लगाकर बनाया हुआ चिह्न 2. ताश के पत्तों पर बनी संख्या सूचक बूटी।
टिफ़िन
(इं.) [सं-पु.] 1. एक डिब्बा जिसमें भोजन आदि रखा जाता है 2. दोपहर के समय छात्रों या कार्यालयों के कर्मचारियों आदि द्वारा किया जाने वाला जलपान या भोजन।
टिमटिमाना
[क्रि-अ.] 1. रुक-रुक कर चमकना; किसी चीज़ से रह-रह कर प्रकाश आना 2. दीपक का धीमी या मंद रोशनी के साथ जलना; बहुत कम प्रकाश देना 3. दीपक का बुझने से पहले
रह-रहकर जलना।
टिल्ट अप
(इं.) [क्रि-स.] दृश्य में कैमरे को नीचे से ऊपर ले जाना।
टिल्ट डाउन
(इं.) [क्रि-स.] कैमरे को ऊपर से नीचे ले जाना।
टीका1
[सं-पु.] 1. माथे पर रोली, चंदन, केसर, हल्दी-चावल आदि से बनाया जाने वाला चिह्न; तिलक 2. कन्यापक्ष की तरफ़ से वर के मस्तक पर तिलक लगाकर विवाह तय करना; तिलक की
रस्म 3. राज्याभिषेक की एक रस्म; राजतिलक 4. स्त्रियों के सिर पर पहना जाने वाला एक गहना; बेना; बेंदी 5. शिशु या बच्चों को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए
प्रतिरोधक शक्ति पैदा करने वाली दवा का इंजेक्शन; (वेक्सीन) 6. {ला-अ.} श्रेष्ठ व्यक्ति; मानवों में श्रेष्ठ।
टीका2
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी गूढ़ अर्थ वाली पुस्तक या लेख के अर्थ को स्पष्ट करने वाला लेख या ग्रंथ; व्याख्या 2. किसी विषय के संबंध में प्रकट किया जाने वाला
मत।
टीकाकरण
(सं.) [सं-पु.] बच्चों को किसी रोग से बचाने के लिए प्रतिरोधक औषधि का टीका लगाने की क्रिया; (वैक्सिनेशन)।
टीकाकार
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी दुर्बोध या गूढ़ ग्रंथ का अर्थ स्पष्ट करने के लिए टीका लिखने वाला व्यक्ति 2. भाष्यकार; भाष्य लिखने वाला व्यक्ति 3. कठिन पदों या
वाक्यों आदि की सरल भाषा में व्याख्या लिखने वाला व्यक्ति।
टीका-टिप्पणी
(सं.) [सं-स्त्री.] कोई प्रसंग छिड़ने या बात सामने आने पर उसके गुण-दोष आदि के संबंध में प्रकट किए जाने वाले विचार; किसी के कार्यों या स्वभाव-चरित्र पर
आलोचनात्मक विचार प्रकट करना।
टीकाधारी
(सं.) [वि.] 1. माथे पर टीका या तिलक लगाने वाला; ब्राह्मण पंडित; पुजारी 2. {ला-अ.} धर्म का ढोंग या दिखावा करने वाला।
टीचर
(इं.) [सं-पु.] अध्यापक; शिक्षक।
टीन
(इं.) [सं-पु.] 1. लोहे की चद्दर जिसपर राँगे की कलई की जाती है; राँगा 2. उक्त लोहे की चद्दर का बना हुआ बड़ा डिब्बा; (टिन)।
टीप
[सं-स्त्री.] 1. टीपने की क्रिया या भाव; टिपाई 2. ईंटों की बनी हुई दीवार, फ़र्श आदि पर पलस्तर न करके केवल उनकी दरारों-संधियों में मसाला भरकर उन्हें बंद करने
की क्रिया 3. जन्मपत्री 4. हुंडी 5. टिप्पणी।
टीपना
(सं.) [क्रि-स.] 1. संक्षेप में कुछ लिखना 2. कहीं से कुछ नकल करना 3. स्मरण के लिए लिख या टाँक लेना 4. किसी भवन में ईंटों या पत्थरों के जोड़ पर मसाला लगाकर
उन्हें बंद करना 5. जन्मकुंडली।
टीम
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी खेल विशेष में एक पक्ष के सभी खिलाड़ियों का समूह, जैसे- फ़ुटबाल की टीम 2. किसी भी क्षेत्र में एक साथ काम करने वाले लोगों का समूह;
दल, जैसे- किसी ऑपरेशन के लिए डॉक्टरों की टीम।
टीम-टाम
[सं-स्त्री.] 1. ऊपरी बनाव-शृंगार या सजावट 2. तड़क-भड़क 3. व्यर्थ का आडंबर; दिखावा।
टीला
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी समतल भाग से ऊँचा उठा या उभरा हुआ मिट्टी या पत्थर का भूभाग; ढूह; भीटा 2. छोटी पहाड़ी; ऊँची ज़मीन 3. मिट्टी या रेत का बहुत ऊँचा ढेर।
टीवी
(इं.) [सं-पु.] वह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिसके पर्दे पर प्रसारित विद्युत तरंगें चित्र का रूप ले लेती हैं; दूरदर्शन यंत्र।
टीस
[सं-स्त्री.] 1. रह-रहकर उठने वाली ज़ोर की पीड़ा; कसक, दर्द 2. {ला-अ.} मनोव्यथा।
टीसना
[क्रि-अ.] शरीर के किसी अंग में रह-रहकर तीव्र पीड़ा होना।
टुक
(सं.) [वि.] तनिक; अल्प। [अव्य.] ज़रा; थोड़ा।
टुकड़खोर
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. तुच्छ या बेगैरत 2. {ला-अ.} औरों द्वारा अपमान पूर्वक दी गई सहायता पर निर्वाह करने वाला; टुकड़ों पर पलने वाला।
टुकड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का टूटकर या कट-छँटकर अलग हुआ कोई हिस्सा, भाग या खंड, जैसे- रोटी का टुकड़ा, ज़मीन का टुकड़ा 2. किसी साबुत वस्तु का चिह्न के द्वारा
बँटा हुआ अंश, जैसे- विभाजन के बाद भारत के दो टुकड़े हो गए 3. {ला-अ.} अपमान पूर्वक दी हुई या मिली हुई मदद 4. {ला-अ.} जूठन। [मु.] -मांगना :
भीख मांगना। दूसरों के टुकड़ों पर पलना : पराश्रित होना।
टुकड़ी
[सं-स्त्री.] 1. छोटा टुकड़ा 2. किसी विशेष कार्य को करने वालों का स्वतंत्र छोटा दल, वर्ग, जत्था या समूह 3. सैनिकों का छोटा दल; (कंपनी)।
टुकुर-टुकुर
[अव्य.] एकटक, नज़रें गड़ाकर अथवा टकटकी लगाकर ललचाई हुई दृष्टि से या मज़बूरी के साथ (देखना)।
टुक्कड़
[सं-पु.] (हीनार्थक प्रयोग) रोटी का टुकड़ा। [मु.] -तोड़ना : दूसरों के टुकड़ों पर पलना।
टुघलाना
[क्रि-स.] मुँह में रखकर चुभलाना; हलके-हलके चबाते हुए मुँह में घुलने देना।
टुच्चा
(सं.) [वि.] 1. नीच; क्षुद्र 2. जो अनुचित या हेय हो; ओछा 3. कमीना; जो दुष्ट प्रवृत्ति का हो। [सं-पु.] दुष्ट और कमीना व्यक्ति; ओछी हरकत करने वाला व्यक्ति।
टुटपुँजिया
[वि.] 1. बहुत थोड़ी पूँजी वाला; नगण्य 2. क्षुद्र। [सं-पु.] बहुत थोड़ी पूँजी वाला व्यक्ति।
टुटरूँ
[सं-पु.] पेंडुकी नामक पक्षी; छोटी पेंडुकी।
टुटहा
[वि.] 1. जो जल्दी ही टूट जाने की स्थिति में हो; जर्जर 2. टूटा हुआ 3. जो अपनी बिरादरी, जाति, वर्ग अथवा दल से बहिष्कृत हो।
टुनगा
(सं.) [सं-पु.] 1. वृक्ष की डाली या टहनी का सिरा या अगला भाग; फुनगी 2. टहनी।
टुनटुनाना
[क्रि-स.] 1. घंटी या धातु के किसी टुकड़े पर किसी वस्तु से चोट करके टनटन की ध्वनि निकालना 2. बजाना 3. ठोक-बजाकर देखना। [क्रि-अ.] किसी चीज़ से टनटन की आवाज़
निकलना; टनटन शब्द होना।
टूँगना
[क्रि-स.] किसी वस्तु को थोड़ा-थोड़ा काट कर या कुतरकर खाना।
टूँड़
(सं.) [सं-पु.] 1. जौ, गेहूँ, धान आदि की बाल में ऊपर की ओर निकला हुआ नुकीला भाग 2. कीड़ों के मुँह पर की वह पतली नली जिसे गड़ाकर वे खाते हैं 3. नाभि 4. किसी
वस्तु की निकली हुई नोक।
टूक
(सं.) [सं-पु.] खंड; टुकड़ा।
टूट
[सं-स्त्री.] 1. न्यूनता 2. घाटा; टोटा 3. त्रुटि; भूल। [मु.] -पड़ना : ज़ोरदार हमला करना।
टूटन
[सं-स्त्री.] 1. टूटने की अवस्था या क्रिया 2. शरीर के अंगों में होने वाला हलका दर्द 3. टूटने या बिखरने के सूचक चिह्न 4. टूटकर अलग हुए टुकड़े; टूटी हुई चीज़
के हिस्से; टुकड़े 5. मादक पदार्थों का सेवन त्यागने के बाद नशेड़ी को महसूस होने वाला कष्ट।
टूटना
[क्रि-अ.] 1. खंडित होना; टुकड़े होना; भग्न होना 2. किसी चीज़ के अंग या अवयव का अपने मूल से अलग होना, जैसे- पेड़ से फल टूटना 3. किसी की शक्ति या सामर्थ्य में
गिरावट या ह्रास होना 4. गति का रुकना 5. उद्देश्य विशेष के लिए लोगों का समूह बनाकर या दल बाँधकर कहीं तेज़ी से जाना या पहुँचना 6. आक्रमण करना; किसी पर तेज़ी
से झपटना; धावा करना 7. नगद धन, रुपयों या सिक्कों का छोटे सिक्कों में परिवर्तित होना; भुनना 8. बाज़ार में वस्तु का भाव या माँग नीचे गिरना 9. बुख़ार आदि के साथ
शरीर में दर्द होना।
टूट-फूट
[सं-स्त्री.] 1. टूटे या फूटे हुए होने की अवस्था या भाव 2. टूटने के कारण होने वाली हानि।
टूटा-फूटा
[वि.] 1. खंडित; जर्जर 2. जीर्ण-शीर्ण।
टूटी-बिखरी
[वि.] 1. टूटी-फूटी; जर्जर अवस्था में पड़ी हुई 2. अस्त-व्यस्त; फैली हुई 3. {ला-अ.} अस्पष्ट (बात या तथ्य)।
टूरनामेंट
(इं.) [सं-पु.] हॉकी, फ़ुटबॉल, क्रिकेट, मुक्केबाज़ी आदि खेलों की ऐसी प्रतियोगिता जिसमें कई टीमें भाग लेती हैं; खेल-प्रतियोगिता।
टेँट
[सं-स्त्री.] 1. धोती की कमर में पड़ने वाली लपेट जिसमें रुपए, पैसे आदि भी रखे जाते हैं 2. करील की झाड़ी या उसका फल; टेंटी 3. कपास का फूल या डोंडा।
टेंगर
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की मछली जिसकी रीढ़ में केवल एक काँटा होता है।
टेंटी
[सं-स्त्री.] 1. करील की झाड़ी 2. करील का फल। [वि] 1. चिड़चिड़ा; झगड़ालू 2. जो व्यर्थ बकवास करता हो; टर्रा।
टेंटुआ
[सं-पु.] 1. गला; गरदन 2. श्वास नलिका। [मु.] -दबाना : गला दबाना; मार डालने की चेष्टा करना।
टें-टें
[सं-स्त्री.] 1. तोते की बोली 2. व्यर्थ की बकवास।
टेंडर
(इं.) [सं-पु.] किसी कार्य या सेवा का ठेका लेने के इच्छुक व्यक्ति या संस्थान की ओर से भेजा गया प्रस्ताव जिसमें उक्त कार्य या सेवा में होने वाले व्यय का
अनुमानित ब्योरा या तख़मीना रहता है; निविदा।
टेंशन
(इं.) [सं-पु.] 1. चिंता या परेशानी के कारण मानसिक तनाव; उत्तेजना 2. लोगों और देशों के बीच तनाव; दुर्भावना; अविश्वास 3. रस्सी, मांसपेशी आदि के खिंचने की
स्थिति; कसाव।
टेक
[सं-स्त्री.] 1. सहारा देने वाली चीज़; अवलंब; आश्रय 2. किसी चीज़ को टिकाए रखने के लिए उसके नीचे लगाया गया मज़बूत लकड़ी या लोहे का स्तंभ; थूनी 3. किसी गीत का
स्थायी पद जो शेष पदों से छोटा होता है और गीत की हर कड़ी के बाद दोहराया जाता है 4. ज़िद या बात; संकल्प; मन में ठानी हुई बात; प्रतिज्ञा 5. साधुओं की अधारी
जिसपर वे माला फेरते समय हाथ या कुहनी टेकते हैं; टेवकी। [मु.] -पकड़ना : हठ करना।
टेकना
[क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को किसी अन्य वस्तु के सहारे बैठाना, लिटाना, ठहराना या टिकाना 2. सहारे के लिए पकड़ना; सहारा लेना।
टेकरा
[सं-पु.] 1. प्राकृतिक रूप से निर्मित छोटी सी पहाड़ी 2. छोटा टीला।
टेकरी
[सं-स्त्री.] 1. टीला 2. छोटी पहाड़ी; टेकड़ी।
टेकी
[वि.] अपनी टेक या ज़िद (हठ) पर अड़ा रहने वाला।
टेकुरी
[सं-स्त्री.] 1. रस्सी बटने की तकली 2. चरखे का तकला 3. सुनारों का एक उपकरण 4. चमड़ा सीने का सूआ; सूजा।
टेक्नॉलॉजी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. विभिन्न क्षेत्रों तथा उद्योगों में उन्नति के लिए अपेक्षित तकनीकी तथा वैज्ञानिक जानकारी 2. उक्त उन्नति के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध
कराने वाली विद्या; प्रौद्योगिकी।
टेढ़ा
(सं.) [वि.] 1. जो सीधा न हो; तिरछा 2. कुटिल; वक्र; बाँका 3. {ला-अ.} कठिन; मुश्किल 4. {ला-अ.} दुस्साध्य; पेचीदा 5. {ला-अ.} जिसमें विनय न हो; उद्दंड;
बात-बात में लड़ने या झगड़ने वाला; उद्धत। [मु.] -होना : अकड़ना; बिगड़ना; उग्र रूप धारण करना।
टेढ़ाई
[सं-स्त्री.] टेढ़ापन; वक्रता।
टेढ़ापन
[सं-स्त्री.] टेढ़ा होने की अवस्था; वक्रता; टेढ़ाई।
टेढ़ा-मेढ़ा
[वि.] 1. जो सीधा न हो; जिसमें घुमाव-फिराव हों; जिसमें कई मोड़ हो 2. वक्र; तिरछा 3. जो कठिन हो (कार्य)।
टेना
[क्रि-स.] 1. किसी उपकरण या अस्त्र-शस्त्र आदि की धार तेज़ करने के निमित्त उसे पत्थर पर रगड़ना 2. धार चोखी या तेज़ करना।
टेनिस
(इं.) [सं-पु.] मज़बूत रबर की गेंद और जालीदार बल्ले (रैकिट) की सहायता से खेला जाने वाला एक प्रतियोगी खेल जिसमें दोनों तरफ़ एक-एक या दो-दो खिलाड़ी रहते हैं।
टेप
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. एक सँकरी लंबी पट्टी जिसके एक ओर गोंद जैसा पदार्थ लगा होता है और जो वस्तुओं को चिपकाने या जोड़ने में प्रयुक्त होती है 2. नापने का फ़ीता
जिसपर नाप के पैमाने के निशान लगे होते हैं 3. पतले प्लास्टिक की वह पतली चुंबकीय पट्टी जिसपर ध्वनि और छवि विद्युत-चुंबकीय विधि से अंकित या रिकॉर्ड किए जाते
हैं।
टेबल
(इं.) [सं-पु.] 1. मेज़; पढ़ने-लिखने, भोजन करने आदि के काम आने वाला फ़र्नीचर 2. नक्शा 3. सारणी।
टेबल फैन
(इं.) [सं-पु.] मेज़ पर रख कर चलाया जाने वाला बिजली का पंखा; वह पंखा जिसे बिजली की सहायता से कहीं भी रखकर चलाया जा सके।
टेबल लैंप
(इं.) [सं-पु.] 1. मेज़ पर रखकर पढ़ने-लिखने में उपयोग किया जा सकने वाला लैंप।
टेर
[सं-स्त्री.] 1. पुकार; ऊँची आवाज़ में बुलाने का शब्द; हाँक 2. तान।
टेरना
[क्रि-स.] पुकारना; ऊँचे स्वर में बुलाना।
टेलर
(इं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसका व्यवसाय कपड़ों की सिलाई करना हो; दरज़ी।
टेलिकास्ट
(इं.) [सं-पु.] किसी घटना या कार्यक्रम का टेलीविज़न पर प्रसारण।
टेलिकॉम
(इं.) [सं-पु.] ऐसी संचार प्रणाली जो फ़ोन रेडियो, दूरदर्शन आदि के माध्यम से संचालित होती है; (टेलिकम्युनिकेशन)।
टेलिग्राफ़
(इं.) [सं-पु.] 1. विद्युत से शीघ्र समाचार भेजने की एक प्रणाली या तकनीक; दूरलेख 2. संदेशों को दूर-दूर भेजने की प्रणाली जो अब प्रचलन में नहीं है।
टेलिग्राम
(इं.) [सं-पु.] दूरलेख से भेजी गई सूचना; तार।
टेलिपैथी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. दूसरों की भावनाएँ जानने की मानसिक क्रिया 2. व्यक्तियों के बीच मानसिक स्तर पर संदेशों का संप्रेषण 3. दूर-संवेदन।
टेलिप्रिंटर
(इं.) [सं-पु.] ऐसा यंत्र जिसमें तार द्वारा भेजा गया संदेश स्वयं टाइप हो जाता है; दूरमुद्रक; तारलेख।
टेलिफ़ोन
(इं.) [सं-पु.] वह यंत्र या उपकरण जिससे तार या विद्युत-चुंबकीय तरंगों के माध्यम से बहुत दूर उपस्थित व्यक्ति से बातचीत की जा सकती है; दूरभाष।
टेलिविज़न
(इं.) [सं-पु.] वह उपकरण जिसके परदे (स्क्रीन) पर किसी स्टेशन से भेजी गई रेडियो तरंगें चित्र और ध्वनि का रूप ले लेती हैं; दूरसंचार माध्यम के रूप में प्रसिद्ध
एक उपकरण जो विभिन्न चैनलों के माध्यम से समाचार या सूचना देने तथा चलती-बोलती रंगीन तस्वीरों के ज़रिए मनोरंजन का कार्य करता है; दूरदर्शन; (टीवी)।
टेलिस्कोप
(इं.) [सं-पु.] बहुत दूर की वस्तुओं को लेंसों की सहायता से अधिक बड़ा और निकट दिखाने वाला नली के आकार का यंत्र; दूरबीन; दूरदर्शक।
टेलीसिने
(इं.) [सं-स्त्री.] मोशन पिक्चर फ़िल्म को वीडियो प्रारूप में बदलने की प्रक्रिया।
टेव
[सं-स्त्री.] 1. लत; स्वभाव 2. आदत।
टेवना
[क्रि-स.] धार तेज़ करने के निमित्त अस्त्र आदि को पत्थर पर रगड़ना; टेना।
टेवा
(सं.) [सं-पु.] जन्मपत्री; जन्मकुंडली।
टेसू
(सं.) [सं-पु.] 1. पलाश या किंशुक का फूल 2. शारदीय नवरात्र का एक उत्सव 3. उक्त उत्सव में गाए जाने वाले गीत।
टेस्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय में किसी के ज्ञान और कौशल को जानने के लिए आयोजित परीक्षा 2. किसी वस्तु की क्रियाशीलता जानने और परखने के लिए किया गया परीक्षण 3.
स्वाद; जायका।
टैंक
(इं.) [सं-पु.] 1. टंकी; बड़ा हौज़ 2. छोटा तालाब; पोखर 3. एक बड़ा युद्धयान जिसमें तोपें लगी होती हैं।
टैंकर
(इं.) [सं-पु.] 1. अधिक मात्रा में तेल, पेट्रोल आदि ले जाने या ढोने वाला जहाज़ या लॉरी 2. तेल-पोत; तेलवाहक जहाज़।
टैक्स
(इं.) [सं-पु.] कर; चुंगी; राजस्व।
टैक्सी
(इं.) [सं-स्त्री.] किराए-भाड़े पर चलने वाली कार।
टॉपर
(इं.) [वि.] 1. सर्वोच्च स्थान पाने वाला 2. सबसे मुख्य; सर्वोत्तम 3. उच्चतम; श्रेष्ठ।
टॉप्स
(इं.) [सं-पु.] कान में पहनने का आभूषण; कर्णफूल।
टॉयलेट
(इं.) [सं-पु.] मल-मूत्र आदि त्याग करने के लिए बनाया गया स्थान; शौचालय।
टॉर्च
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. कृत्रिम प्रकाश देने का एक उपकरण 2. मशाल।
टोंच
[सं-स्त्री.] 1. सिलने का कार्य; सिलाई 2. टोचने की क्रिया या भाव 3. सिलाई का टाँका; सीयन।
टोंचना
[सं-पु.] ताना; उलाहना। [क्रि-स.] 1. सिलाई करना 2. गड़ाना; चुभाना; गोदना। [क्रि-अ.] मड़ना; चुभना।
टोंटा
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई ऐसी वस्तु जो गोलाकार हो और उसके आगे का भाग नुकीला हो, जैसे- बाँस का टोंटा 2. बंदूक की गोली का ऊपरी आवरण; कारतूस 3. गाँव, देहात के
कच्चे मकानों में लगाई जाने वाली लकड़ी की घोड़िया।
टोंटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. टैंक, नल या बरतन आदि में लगी नली जिससे कोई तरल पदार्थ गिरता हो; (टैप) 2. सुअर आदि पशुओं का थूथन।
टोक
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. टोकने की क्रिया या भाव 2. प्रश्नात्मक छोटी बात 3. छोटे-छोटे प्रश्न जो साधारणतः लोक में उस काम के लिए बाधक लक्षण या अपशकुन समझे जाते
हैं 4. बुरी दृष्टि का प्रभाव; नज़र। [मु.] -में आना : किसी के टोकने पर उसके अनिष्टकारक प्रभाव में पड़ना। -लगना : किसी के
बीच में टोकने पर उसका कुछ अनिष्टकारक या विघ्नकारक प्रभाव पड़ना।
टोकन
(इं.) [सं-पु.] 1. वह चीज़ या चिह्नित संकेत जिसको देने पर किसी वस्तु को प्राप्त किया जाता है; निशानी 2. गोटी; बिल्ला 3. प्रतीक; चिह्न 4. रसीद; (वाउचर)।
टोकना
[सं-पु.] 1. बड़ा और चौड़े मुँह वाला टोकरा; झाबा 2. एक प्रकार का हंडा। [क्रि-अ.] 1. एतराज़ करना; किसी व्यक्ति को कुछ कहकर काम न करने देना 2. किसी बात या काम
में हस्तक्षेप करना; अशुद्धि होने पर बोल उठना 3. किसी को रोककर पूछताछ करना; किसी बात के संबंध में शंका प्रकट करना 4. किसी बात का स्मरण कराना।
टोकरा
[सं-पु.] 1. बाँस की खमाचियों या पतली लचकदार टहनियों की बनी हुई बड़ी टोकरी; झाबा; खाँचा 2. पशुओं को कटा हुआ चारा डालने का पात्र।
टोकरी
[सं-स्त्री.] पतली टहनियों, धातु या प्लास्टिक से बना फल-सब्ज़ी और घास आदि चीज़ें रखने का पात्र; छोटा टोकरा; झाउ; टोकनी; खँचिया।
टोका
(सं.) [सं-पु.] 1. कपड़े आदि का कोना या पल्ला 2. किसी चीज़ का किनारा या सिरा 3. स्थल का वह भाग जो कुछ दूर तक जल में चला गया हो।
टोकाटाकी
[सं-स्त्री.] 1. पूछताछ 2. रोककर पूछने की क्रिया या भाव 3. रोक; मनाही; निषेध।
टोटका
(सं.) [सं-पु.] 1. (लोकमान्यता) किसी बाधा को दूर करने, किसी इच्छा को पूर्ण करने, किसी को वश में करने या किसी को हानि पहुँचाने के लिए किया गया तांत्रिक
प्रयोग 2. जादू-टोना; अभिचार।
टोटा
(सं.) [सं-पु.] 1. आर्थिक क्षति; घाटा; हानि 2. अभाव या कमी 3. किसी वस्तु का छोटा अंश या टुकड़ा।
टोड1
(सं.) [सं-पु.] पेट; उदर।
टोड2
(इं.) [सं-पु.] भेक; विषैला मेंढक; दादुर।
टोडर
[सं-पु.] स्त्रियों के हाथ में पहनने का एक आभूषण।
टोड़ा
(सं.) [सं-पु.] कच्चे मकानों में छाजन के नीचे बाहर की ओर लगाई जानेवाली काठ की घोड़िया; टोंटा।
टोड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (संगीत) एक रागिनी जिसे प्रातःकाल गाते हैं 2. (संगीत) चार मात्राओं का एक ताल।
टोन
(इं.) [सं-पु.] 1. स्वर 2. लहज़ा; कहने का ढंग।
टोनहा
[वि.] जादू टोना करने वाला; टोनहाया।
टोना
[सं-पु.] 1. (लोकमान्यता) तंत्र-मंत्र के माध्यम से नियत उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया गया उपक्रम; टोटका 2. विवाह के समय गाया जाने वाला लोकगीत जिसमें वर-वधू
को एक-दूसरे के प्रति अनुरक्त करना और उनकी प्रीति को बुरी नज़र से बचाने की कामना होती है 3. एक प्रकार की शिकारी चिड़िया। [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु के बारे में
जानकारी लेने के लिए उस पर उँगलियाँ फिराना; टोहना; टटोलना 2. जानने-समझने के लिए छूकर देखना।
टोप
[सं-पु.] 1. सिर को ढकने का एक बड़ा पहनावा; बड़ी टोपी 2. युद्ध के समय पहनने वाली लोहे की बनी हुई टोपी; शिरस्त्राण 3. गिलाफ़; खोली।
टोपा
[सं-पु.] 1. एक बड़ी टोपी 2. दौरा; टोकरा।
टोपी
[सं-स्त्री.] 1. सिर ढकने का सिला हुआ परिधान; (कैप) 2. किसी वस्तु पर लगाई जाने वाली टोपी के आकार की गोल चीज़, जैसे- दाँत की टोपी 3. बोतल या पेन आदि का ढक्कन
4. बंदूक पर चढ़ाकर घोड़ा गिराने से आग पैदा करने वाला धातु का टोपी के आकार का गहरा ढक्कन 5. शिकारी या काटने वाले जानवर के मुँह पर बाँधी जाने वाली थैली 6.
सिलाई के समय दरज़ी द्वारा हाथ में पहनने का छल्ला। [मु.] -पहनाना : बेवकूफ़ बनाना; झाँसा देना।
टोल1
(सं.) [सं-पु.] 1. समूह; मंडल; जत्था 2. पाठशाला।
टोल2
(इं.) [सं-पु.] किसी महत्वपूर्ण मार्ग या स्थान पर जाने के लिए लगाया जाने वाला कर।
टोला
(सं.) [सं-पु.] 1. मुहल्ला 2. बड़ी बस्ती; पाड़ा 3. एक ही पेशे वाले लोगों की बस्ती; नगर का वह भाग जिसमें एक जाति या व्यवसाय के लोग रहते हों, जैसे- बुनकरों का
टोला 4. ईंट या पत्थर का बड़ा टुकड़ा 5. उँगली मोड़कर उसकी हड्डी से किसी को चोट मारना; ठोंकना 6. कौड़ा; बड़ी कौड़ी।
टोली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुछ लोगों का समूह; दल 2. मंडली; जत्था 3. नगर या बस्ती का छोटा भाग; छोटा मुहल्ला 4. सिल, पत्थर की चौकोर पटिया 5. जीवों या प्राणियों का
झुंड।
टोस्ट
(इं.) [सं-पु.] पावरोटी से निर्मित एक खाद्य पदार्थ; सेकी हुई ब्रेड।
टोह
[सं-स्त्री.] 1. टोहने या टटोलने की क्रिया 2. अनुसंधान; खोज; टटोल 3. किसी छुपी हुई बात का पता लगना; थाह 4. किसी दबी-छिपी बात की जानकारी; भनक 5. ख़बर 6.
देखभाल।
टोहना
[क्रि-स.] 1. खोजना; पता लगाना; ढूँढ़ना 2. टटोलना; थाह लेना।
टोही
[वि.] 1. खोज करने वाला; टोह लेने वाला 2. पता लगाने वाला 3. जासूस।
ट्यूटर
(इं.) [सं-पु.] 1. व्यक्तिगत रूप से विद्यार्थी को घर पर शिक्षा देने वाला शिक्षक 2. धन लेकर पढ़ाने वाला शिक्षक; निजी शिक्षक।
ट्यूशन
(इं.) [सं-पु.] 1. अध्यापन; शिक्षा देना 2. किसी अध्यापक द्वारा धन लेकर व्यक्तिगत रूप से पढ़ाना 3. व्यावसायिक तौर पर होने वाला शिक्षण-कार्य।
ट्रंक
(इं.) [सं-पु.] 1. लोहे या टिन की चादर से बनाया गया कपड़े रखने का बक्सा 2. बड़ी पेटी; संदूक।
ट्रंककॉल
(इं.) [सं-पु.] वह प्रणाली जिसके द्वारा एक स्थान से कही हुई बात दूसरे स्थान पर सुनाई पड़ती है; दूरभाष।
ट्रक
(इं.) [सं-पु.] माल ढोने वाला वाहन; माल ढोने वाली मोटर गाड़ी।
ट्रस्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. विश्वास; आस्था 2. भरोसा; आशा 3. उत्तरदायित्व 4. न्यास 5. औपचारिक रूप से नियुक्त किया हुआ लोगों का वह पंजीकृत समूह जिसे संपत्ति संबंधी सभी
अधिकार होते हैं।
ट्रांज़िस्टर
(इं.) [सं-पु.] 1. रेडियो-तरंगों को ध्वनि-तरंगों में परिवर्तित करके मनोरंजन करने वाला या सूचना, समाचार देने वाला एक प्रकार का उपकरण, जो बिजली या बैट्री से
चलता है 2. सेमीकंडक्टर पदार्थ के कम से कम तीन टर्मिनलों से बना एक डिवाइस जो इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को आवर्धित करने तथा उन संकेतों की विद्युत धारा खोलने-बंद
करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ट्रांसफ़र
(इं.) [सं-पु.] 1. स्थानांतरण; तबादला; बदली 2. हस्तांतरण।
ट्रांसफ़ॉर्मर
(इं.) [सं-पु.] 1. विद्युत की वोल्ट-शक्ति घटाने-बढाने का यंत्र 2. परिवर्तक।
ट्रांसमीटर
(इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का उपकरण जिससे रेडियो, टीवी आदि के संकेत प्रसारित किए जाते हैं; संदेश प्रसारक; संकेत प्रसारक।
ट्राम
(इं.) [सं-पु.] महानगरों में सड़कों पर बिछी लोहे की पटरियों पर बिजली से चलने वाली लंबी गाड़ी।
ट्रिलियन
(इं.) [सं-पु.] दस खरब की सूचक संख्या।
ट्रीटमेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी रोग आदि का उपचार 2. फ़िल्म में कहानी किस तरह और कैसे शिल्प में प्रस्तुत की जाएगी उसका विवरण।
ट्रेजडी
(इं.) [सं-पु.] 1. दुखांत 2. दुखद घटना जिसमें किसी की मृत्यु तक हो जाए 3. विपत्ति।
ट्रेज़री
(इं.) [सं-पु.] 1. ख़ज़ाना; कोषागार 2. राजकोष 3. वित्त-विभाग।
ट्रेडमार्क
(इं.) [सं-पु.] 1. व्यापार चिह्न 2. मार्का 3. किसी वस्तु पर अंकित वह चिह्न जिससे उसके निर्माता का नाम पता चलता है।
ट्रेड यूनियन
(इं.) [सं-पु.] सरकार द्वारा पंजीकृत मज़दूरों का संगठन; मज़दूर-संघ।
ट्रेन
(इं.) [सं-पु.] लोहे की पटरियों पर चलने वाली गाड़ी जो व्यक्तियों और वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में प्रयुक्त होती हैं; रेलगाड़ी।
ट्रेनिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] किसी कार्य-विशेष के लिए दिया जाने वाला प्रशिक्षण; शारीरिक प्रशिक्षण।
ट्रेलर
(इं.) [सं-पु.] फ़िल्म का विज्ञापन जिसमें उस फ़िल्म के दृश्य होते हैं।
ट्रैक्टर
(इं.) [सं-पु.] कृषि कार्य करने वाला एक यंत्र; खेती करने तथा सामान ढोने के काम आने वाली एक बड़े चक्कों वाली मोटरगाड़ी।
ट्रैफ़िक
(इं.) [सं-पु.] किसी समय विशेष में किसी संचार व्यवस्था में होने वाली क्रियाकलापों की मात्रा; यातायात; आवागमन।