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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह दंत्य, अघोष, महाप्राण स्पर्श है।

थंब (सं.) [सं-पु.] स्तंभ; खंभा; थंभ।

थंभन [सं-पु.] 1. रोकने की क्रिया या भाव; अवरोध 2. एक तांत्रिक प्रयोग जिसके द्वारा किसी की क्रिया, वाणी या शक्ति को रोक दिया जाता है 3. काम-कला में वीर्य को स्खलित होने से रोकने की क्रिया; वीर्यपात रोकने की दवा 4. जड़ीकरण; निश्चेष्ट करने की क्रिया 5. कामदेव के पाँच बाणों में से एक।

थंभा (सं.) [सं-पु.] खंभा; स्तंभ।

थकना (सं.) [क्रि-अ.] 1. शिथिल होना; क्लांत होना 2. परिश्रम करते-करते इतना थक जाना कि पुनः कोई काम शरीर या बुद्धि से न हो सके 3. बुढ़ापे के कारण शरीर की गति का धीमा पड़ जाना 4. ऊबना; तंग आना।

थकाऊ [वि.] थका देने वाला; क्लांत करने वाला।

थकान [सं-स्त्री.] 1. थकने का भाव; थकावट; श्रांति; शिथिलता; शैथिल्य 2. कमज़ोरी; माँदगी; शक्ति का क्षय।

थकाना [क्रि-स.] 1. थकाने का काम करना 2. श्रांत करना; शिथिल करना; अशक्त करना 3. अधिक मेहनत कराना।

थका-माँदा [वि.] जो थक कर चूर हो गया हो; थका हुआ; श्रांत; क्लांत।

थकावट [सं-स्त्री.] अधिक परिश्रम के बाद शरीर में शिथिलता का आना।

थकित [वि.] थका हुआ; शिथिल; क्लांत।

थक्का (सं.) [सं-पु.] किसी तरल पदार्थ का जमा हुआ टुकड़ा, जैसे- ख़ून का थक्का।

थड़ा (सं.) [सं-पु.] बैठने के लिए निर्मित ऊँची जगह; चौतरा; चबूतरा।

थन (सं.) [सं-पु.] 1. गाय-भैंस इत्यादि दूध देने वाले चौपायों का स्तन; पशुओं के थन की वह थैली जिसमें दूध भरा होता है 2. स्त्रियों का स्तन।

थनेला [सं-पु.] 1. थन या स्तन पर होने वाला फोड़ा 2. गुबरैला जाति का कीड़ा।

थनैत [सं-पु.] 1. ग्राम प्रधान; गाँव का मुखिया 2. जमींदार का कारिंदा; जमींदार की ओर से गाँव का लगान वसूलने वाला व्यक्ति।

थपक [सं-स्त्री.] 1. थपकने की क्रिया या भाव; थपकी; थपथपाहट 2. थपकने के लिए लगाया जाने वाला आघात; थाप।

थपकना [क्रि-अ.] 1. थपकी देना; लाड़-प्यार या दुलार से हथेली से हलका आघात करना, जैसे- बच्चे को थपकाकर सुलाना 2. शाबाशी देना; सांत्वना देना 3. हथेली से धीरे-धीरे ठोंकना।

थपकी [सं-स्त्री.] 1. थपकने की क्रिया या भाव; थपथपाहट; थाप; थपकने के लिए लगाया जाने वाला हलका आघात 2. स्नेहपूर्वक हथेली से धीरे-से आघात करना 3. शाबाशी देना 4. जुती या खोदी हुई भूमि के ढेलों को तोड़कर भुरभुरा करने की मुँगरी 5. धुलाई के कपड़े पीटने की थापी; धोबियों का मुँगरा 6. सांत्वना।

थपथप [सं-स्त्री.] 1. गोबर आदि के थापने का शब्द 2. दोनों हथेलियों का आपस में टकराने का शब्द; थाप।

थपथपाना [क्रि-स.] 1. थपकी देना; दुलारना 2. उत्साहवर्धन के लिए शाबाशी देना 3. धीरे से ठोंकना।

थपथपाहट [सं-स्त्री.] 1. थपकी देने की क्रिया या भाव 2. शाबाशी; दुलार।

थपथपी [सं-स्त्री.] थपकने की क्रिया या भाव; थपकी; हथेली द्वारा हलका आघात।

थपुआ [सं-पु.] मिट्टी को पाथकर, पकाकर बनाया गया छत बनाने का चौरस और चपटा खपड़ा। दो थपुओं या खपड़ों के जोड़ पर नाली के आकार की नरिया पर रखकर खपरैल बनाई जाती है।

थपेड़ा [सं-पु.] 1. तमाचा; चपत; चपेटा 2. धक्का; ठोकर 3. टक्कर 4. दरेरा; घात-प्रतिघात; आघात।

थपोड़ी [सं-स्त्री.] करतल ध्वनि; ताली।

थप्पड़ [सं-पु.] 1. हथेली या पंजे से गाल पर चोट मारना; तमाचा; झापड़ 2. तेज़ी से किसी चीज़ का आघात 3. {ला-अ.} किसी की प्रतिष्ठा या मान को ठेस पहुँचाने वाली बात।

थमना [क्रि-अ.] 1. रुकना; स्थिर होना; ठहरना 2. बंद होना; चालू न रहना 3. धीरज रखना।

थमाना [क्रि-स.] 1. पकड़ाना; टिकाना 2. सँभलाना 3. सौंपना; देना 4. ठहराना; रुकवाना।

थर (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्तर; तह; परत 2. शेर की माँद 3. दीवार में ईंटों की जुड़ाई की पंक्ति। [सं-पु.] स्थल; थल।

थरथर [सं-स्त्री.] काँपने या भयभीत होने की अवस्था या भाव; डर से काँपने की मुद्रा। [अव्य.] 1. थरथराहट के साथ 2. डर से काँपते हुए।

थरथराना [क्रि-अ.] 1. भय से काँपना 2. शरीर में कंपन होना; हिलना।

थरथराहट [सं-स्त्री.] 1. थरथराने की क्रिया या भाव 2. सिहरन; भय से होने वाला कंपन।

थरथरी [सं-स्त्री.] डर के कारण होने वाली कँपकँपी या थरथराहट।

थरी (सं.) [सं-स्त्री.] जंगली जानवरों की माँद।

थर्ड (इं.) [वि.] तीसरा; तृतीय।

थर्ड क्लास (इं.) [सं-पु.] 1. तृतीय वर्ग 2. तीसरा दर्जा। [वि.] घटिया; रद्दी; निम्नस्तरीय।

थर्ड पार्टी (इं.) [सं-स्त्री.] किसी विवाद या अनुबंध से अप्रत्यक्ष रूप से संबंधित वह पक्ष जो दोनों पक्षों के अतिरिक्त हो।

थर्मल (इं.) [वि.] उष्णता संबंधी; ताप-विषयक।

थर्मस (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार की तापरक्षक बोतल जो पेय पदार्थ को रखने के लिए उपयोग में लाई जाती है; पानी, चाय या दूध आदि को गरम रखने का एक प्रकार का डिब्बा।

थर्मामीटर (इं.) [सं-पु.] काँच की नली में पारा भरकर बनाया गया ताप मापने का एक उपकरण; तापमापी; तापांकमापी।

थर्राना [क्रि-अ.] काँप उठना; दहलना; डर से काँपना; भयभीत होना। [क्रि-स.] डराना; भयभीत करना; दहलाना।

थर्राहट [सं-स्त्री.] थरथराने की क्रिया या भाव; भयकंप; कँपकँपी।

थल (सं.) [सं-पु.] 1. स्थल; स्थान; ज़मीन; जगह; (ग्राउंड) 2. ठौर; ठिकाना 3. 'जल' का विपर्याय 4. जलमुक्त धरातल; भूमि; तट; टीला; जहाँ पानी न पहुँच सकता हो वह सूखी धरती 5. महाद्वीप।

थलकना (सं.) [क्रि-अ.] 1. भारी वस्तुओं या शरीर के अंग विशेष का वज़न मोटाई या ढीलेपन के कारण चलने आदि में हिलना या कुछ ऊपर-नीचे होना 2. वृद्धावस्था के कारण शरीर के मांस का लटकना 3. थलथलाना।

थलचर (सं.) [सं-पु.] धरती पर विचरण करने वाला जीव; स्थलचर।

थलज (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो थल (स्थल) से उत्पन्न हो 2. गुलाब।

थलथलाना [क्रि-अ.] 1. मोटापे या वृद्धावस्था के कारण शरीर के मांस का ऊपर-नीचे होना या हिलना 2. झोल खाकर हिलना या फूलना। [क्रि-स.] किसी चीज़ के तल को थल-थल की ध्वनि के साथ ऊपर-नीचे करना।

थलपति (सं.) [सं-पु.] भूपति; राजा; नृप।

थलसेना (सं.) [सं-स्त्री.] स्थल-क्षेत्र में युद्ध करने वाली सेना; (आर्मी)।

थलसेनाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] थल सेना में सर्वोच्च पद या पदाधिकारी।

थली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थान; प्रदेश 2. भूमि 3. जल के नीचे की भूमि 4. बैठने का स्थान 5. अपने प्राकृतिक स्वरूप में स्थित भूखंड।

थवई (सं.) [सं-पु.] मकान बनाने वाला कारीगर; राजगीर; राजमिस्त्री।

थहरना [क्रि-अ.] थर्राना; दुर्बलता, भय आदि के कारण थरथर काँपना।

थहाना [क्रि-स.] गहराई, गुण आदि की थाह लेना।

था (सं.) [क्रि-सहा.] वर्तमानकालिक 'है' शब्द का भूतकालिक रूप। [क्रि-अ.] 'होना' क्रिया का भूतकालिक रूप।

थाँग [सं-पु.] 1. चोरों के छुपकर रहने का गुप्त अड्डा 2. सुराग 3. खोज; तलाश 4. भेद।

थाँगी [सं-पु.] 1. चोरों का मुखिया 2. चोरी का माल ख़रीदने वाला व्यक्ति 3. चोरों को चोरी के लिए पता बताने वाला व्यक्ति; मुखबिर।

थाँवला [सं-पु.] 1. पेड़, पौधे आदि के चारों ओर का वह गोल गड्ढा जिसमें पानी भरा जाता है 2. किसी चीज़ के चारों ओर का उभरा हुआ गोलाकार भाग 3. घाव या फोड़े के आस-पास की सूजन।

थाक (सं.) [सं-पु.] 1. गाँव की सीमा या सरहद; ग्रामसीमा 2. एक के ऊपर एक रखी हुई वस्तुओं का ढेर; अटाला 3. समूह 4. थोक।

थाती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विपत्ति या कठिन वक्त के लिए संचित करके रखा गया धन; संचित धन; रक्षित द्रव्य; जमा-पूँजी 2. धरोहर; अमानत; किसी के पास सहेजकर रखने के लिए छोड़ी की गई वस्तु।

थान (सं.) [सं-पु.] 1. जगह 2. निवास स्थान; डेरा 3. पशुओं जैसे- घोड़ों आदि को बाँधकर रखने का स्थान 4. कपड़े का एक लंबा टुकड़ा जो लकड़ी के लट्ठे में लपेटा होता है।

थाना (सं.) [सं-पु.] पुलिस की बड़ी चौकी जो कोतवाली से छोटी होती है; (पुलिस-स्टेशन)।

थानाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. दारोगा 2. थाने का मुख्य पदाधिकारी।

थानेदार (सं.+फ़ा.) [सं-पु.] थाने का मुखिया; दारोगा।

थानेदारी (सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दारोगा का कार्य 2. दारोगा का पद।

थानैत [सं-पु.] 1. चौकी या किसी अड्डे का प्रधान 2. किसी स्थान का स्वामी 3. ग्राम देवता।

थाप (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ढोलक, तबले, मृदंग आदि बजाते समय उस पर हथेली से किया जाने वाला आघात 2. थप्पड़ 3. ब्याह, गौना आदि के समय हल्दी या मेंहदी लगे हाथ से लगाई गई छाप 4. प्रभाव।

थापन (सं.) [सं-पु.] 1. स्थापित करने की क्रिया; स्थापन 2. जमाना; बैठाना 3. स्थायी बनाने की क्रिया 4. किसी स्थान पर प्रतिष्ठित करने का कार्य।

थापना [क्रि-स.] 1. स्थापित करना; जमाना 2. उखड़ी जड़ को मज़बूत करना; ठोंकना 3. लगाना या स्थित करना 4. थपथपाना 5. गोबर या गीली मिट्टी को हाथ से पीटकर या दबाकर आकार देना, जैसे- कंडे या ईंट थापना 6. थेपना; थपकना; पाथना 7. साँचे में ढालना 8. जमाकर रखना 9. दीवार आदि पर हाथ के पंजे की आकृति बनाना; थापा लगाना।

थापा [सं-पु.] 1. किसी मांगलिक अवसर पर गीली हल्दी या मेंहदी से बनाया हुआ हाथ का छापा या आकृति 2. दीवार पर बनाई गई हाथ की छाप 3. खलिहान में अनाज के ढेर पर मिट्टी से बनाया गया निशान 4. कुछ अंकित करने का ठप्पा; छापा 5. किसी वस्तु को बनाने का साँचा, जैसे- ईंट का थापा।

थापी [सं-स्त्री.] 1. काठ का वह उपकरण जो चपटे सिरेवाले लंबे छोटे डंडे के रूप में होता है जिससे पीटकर कुम्हार मिट्टी के घड़े बनाते हैं 2. उक्त आकार का वह डंडा जिससे राज या मज़दूर छत पर लगाया हुआ मसाला पीट-पीट कर जमाते हैं 3. आशीर्वाद, शाबाशी आदि देने के लिए धीरे से पीठ थपथपाना।

थाम (सं.) [सं-पु.] 1. खंभा; स्तंभ 2. मस्तूल। [सं-स्त्री.] 1. थामने या रोकने की क्रिया 2. विराम; रोक 3. अवरोध; पकड़।

थामना (सं.) [क्रि-स.] 1. हाथ में लेना 2. रोक लेना 3. गिरने से बचाना 4. सहारा देना 5. किसी काम को अपने ज़िम्मे लेना।

थार [सं-पु.] भारत और पाकिस्तान का एक प्रसिद्ध मरुस्थल।

थारू [सं-पु.] नेपाल के तराई क्षेत्रों में बसी हुई एक जनजाति।

थाल [सं-पु.] 1. पीतल या स्टील का चौड़ा और छिछला पात्र जिसमें भोजन परोसा जाता है; बड़ी थाली 2. थाल में रखी हुई सामग्री।

थाला [सं-पु.] 1. वह गड्ढा जिसमें पौधा रोपा जाता है; थाँवला 2. पेड़-पौधों की जड़ के चारों ओर बनाया जाने वाला खाद-पानी देने का घेरा; आलबाल 3. फोड़े की सूजन।

थाली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक गोलाकार छिछला बरतन जिसमें खाना परोसकर खाते हैं; बड़ी तश्तरी 2. थाली में रखा भोजन। [मु.] -का बैंगन होना : लाभ-हानि देखकर पाला बदलना। किसी के आगे की थाली खींचना : किसी के लाभ में बाधक होना।

थाह (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति के मन या ज्ञान की गहराई 2. किसी वस्तु के परिमाण या गुण, सीमा आदि की छिपी हुई जानकारी 3. हद; इनतिहा 4. गुप्त रूप से पता लगाना 5. अनुमान 6. नदी, तालाब आदि में पानी का तल।

थाहना [क्रि-स.] 1. थाह लेना 2. गहराई का पता लगाना 3. अनुमान लगाना; आँकना 4. {ला-अ.} किसी के मन के भावों या विचारों का पता लगाना।

थाहरा [वि.] छिछला; उथला; कम गहरा।

थिंक टैंक (इं.) [सं-पु.] 1. विभाग या संस्थान इत्यादि से संबद्ध वैचारिक लोग 2. किसी विषय के विद्वानों या विशेषज्ञों की समिति।

थिएटर (इं.) [सं-पु.] 1. नाट्यशाला; रंगशाला; नाटकशाला; रंगमंच; प्रेक्षागृह 2. चित्रपट गृह; (सिनेमा हॉल) 3. नाटक।

थिगली [सं-स्त्री.] कपड़े या चमड़े का वह टुकड़ा जो किसी वस्त्र इत्यादि के फटे हुए भाग को बंद करने के लिए सिला या टाँका जाता है; पैबंद; चकत्ती। [मु.] बादल में थिगली लगाना : बहुत मुश्किल काम करना।

थियरी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. सिद्धांत 2. वाद; मत; विचारधारा।

थियोसाफ़ी (इं.) [सं-पु.] 1. एक संप्रदाय जिसमें यह मान्यता है कि सच्चा ज्ञान भौतिक वस्तुओं से नहीं बल्कि आध्यात्मिक चिंतन से प्राप्त होता है 2. परमात्मा के विषय में जानने का जीवन-दर्शन; ब्रह्म-विद्या; दिव्य-ज्ञान; किसी दैवी शक्ति के प्रकाश से प्राप्त हुआ ईश्वरीय ज्ञान।

थिर (सं.) [वि.] 1. जो स्थिर हो; जो हिलता-डुलता न हो 2. जो चलता न हो; अचल; ठहरा हुआ 3. जिसमें चंचलता न हो; धीर; शांत 4. एक ही अवस्था में रहने वाला; स्थायी।

थिरक [सं-स्त्री.] 1. थिरकने की क्रिया या अवस्था 2. किसी नृत्य में तेज़ी से होने वाली पैरों की गति।

थिरकन [सं-स्त्री.] भावों के साथ पैरों को उठाते, गिराते एवं हिलाते हुए नाचने की अवस्था; थिरक।

थिरकना [क्रि-अ.] पैरों को लय के साथ हिलाते-डुलाते हुए नाचना; कदमों का उठाना और पटकना; इठलाना; नृत्य में अंगों का संचालन करना; अंग मटकाकर नाचना; ठुमककर नाचना।

थिरता (सं.) [सं-स्त्री.] स्थिरता; ठहराव; शांति; स्थायित्व।

थिरना [क्रि-अ.] 1. पानी या किसी द्रव का स्थिर हो जाना; हिलना-डुलना बंद होना 2. द्रव या पानी में मिले हुए मिट्टी आदि अघुलनशील पदार्थों का नीचे तह में बैठना या एकत्र होना; निथरना; जल या किसी द्रव का निर्मल होना; साफ़ होना 3. ठहरना; रुकना।

थिराना [क्रि-स.] 1. पानी आदि तरल पदार्थों का हिलना बंद करना; आलोड़ित जल को स्थिर होने देना; निथारना; पानी में घुली हुई मिट्टी या गंदगी को तल में बैठने देकर निर्मल करना; साफ़ करना 2. स्थिर करना; ठहराना 3. शांत करना।

थीम (इं.) [सं-स्त्री.] मूल विषय; मूल कथ्य।

थीसिस (इं.) [सं-स्त्री.] पी-एच.डी. उपाधि प्राप्त करने के लिए लिखा जाने वाला पुस्तकाकार शोध-ग्रंथ या पांडुलिपि; शोध-प्रबंध; अनुसंधान-ग्रंथ।

थुकनी [सं-स्त्री.] बार-बार थूकने की आदत; थूकने की बीमारी।

थुकवाना [क्रि-स.] 1. किसी को थूकने में प्रवृत्त करना; थूकने का काम कराना 2. {ला-अ.} घृणित सिद्ध करना।

थुकाना [क्रि-स.] 1. थूक फेंकने में प्रवृत्त करना 2. किसी वस्तु को मुख से फिकवाना।

थुक्काफ़जीहत (हिं.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. निंदा, तिरस्कार, अपमान; धिक्कार; थू-थू होना 2. ऐसा झगड़ा जिसमें दोनों पक्षों का अपमान हो जाए।

थुड़ी [सं-स्त्री.] 1. लानत; धिक्कार 2. घृणा और तिरस्कार का शब्द।

थुतकारना [क्रि-स.] 1. थू थू करना; बार-बार थूकना 2. {ला-अ.} अत्यधिक घृणा करना।

थुत्कार (सं.) [सं-पु.] दे. थुथकार।

थुथकार [सं-स्त्री.] थूकने की क्रिया, भाव या शब्द।

थुथकारना [क्रि-स.] 1. अत्यधित घृणा प्रकट करना; थू-थू करना 2. थूकने की लगातार क्रिया।

थुलथुल (सं.) [वि.] अधिक चर्बीवाला; अत्यधिक मोटा; स्थूल।

थुलथुला (सं.) [वि.] जिसके शरीर का कोई अंग अत्यधिक मोटा होने के कारण लटकता, हिलता, झूलता हुआ हो; पिलपिला।

थुलमा [सं-पु.] एक प्रकार का कंबल जिसमें एक ओर रोएँ ऊपर उठे होते हैं।

थू [सं-पु.] थूकने से मुँह से होने वाली आवाज़; थूकने का शब्द। [सं-स्त्री.] 1. लानत; धिक्कार; थुड़ी 2. घृणा या तिरस्कार का शब्द। [अव्य.] धिक्कारसूचक शब्द; छी; घृणा या तिरस्कार का शब्द; धिक।

थूक [सं-पु.] वह गाढ़ा और लार की तरह का लसदार पदार्थ जो मुँह से निकलता है। [मु.] थूकों सत्तू सानना : बहुत किफ़ायत या बचत करते हुए बड़ा काम करने का प्रयास करना। -कर चाटना : त्यागी हुई वस्तु को पुनः ग्रहण करना।

थूकना [क्रि-स.] मुँह से थूक या रखी वस्तु को निकालना।

थूथन [सं-पु.] 1. आगे की ओर निकला हुआ कुछ लंबा मुँह, जैसे- घोड़े, बैल या सुअर आदि का थूथन 2. रूठे हुए बच्चे या व्यक्ति का फूला या रोषयुक्त चेहरा 3. तुंड; थुथनी।

थूथनी [सं-स्त्री.] 1. आगे की ओर निकला लंबा मुँह 2. छोटा थूथन 3. हाथी के मुँह का एक रोग।

थू-थू [सं-स्त्री.] 1. घोर निंदा; लांछन 2. घृणा सूचक शब्द; छी 3. बार-बार थूकना। [मु.] -करना : अत्यधिक घृणा दिखाते हुए धिक्कारना।

थूनी [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी आदि का गड़ा हुआ मज़बूत स्तंभ; खंभ 2. किसी बोझ या भारी चीज़ को सहारा देने या गिरने से रोकने के लिए लगाया गया खंभा; चाँड; टेक 3. वह गड़ी हुई लकड़ी जिसपर रस्सी बाँधकर मथानी का डंडा अटकाते हैं 4. आश्रय का स्थान।

थूहर (सं.) [सं-पु.] सेंहुड़ का वृक्ष।

थेई-थेई [सं-स्त्री.] थिरक-थिरक कर नाचने की क्रिया के समय होने वाली आवाज़; ताल सूचक एक शब्द।

थेगली [सं-स्त्री.] थिगली।

थैंक्स (इं.) [सं-पु.] धन्यवाद; शुक्रिया।

थैला [सं-पु.] टाट, कपड़े या चमड़े का बनाया हुआ वह खोल जिसमें चीज़ें रखी जाती हैं; झोला; (बैग)।

थैली [सं-स्त्री.] 1. छोटा थैला 2. एक विशेष प्रकार का छोटा थैला जिसमें रुपए आदि रखते हैं 3. किसी अवसर पर सम्मानपूर्वक या सेवाभाव से सौंपी जाने वाली धनराशि 4. किसी काम में लगाने के लिए सौंपा गया रुपया-पैसा 5. थैली की आकृति की कोई चीज़।

थैलीदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी कोषागार या ख़ज़ाने में रुपए रखने और उठाने वाला व्यक्ति; कोषाध्यक्ष 2. रोकड़िया; तहवीलदार; (कैशियर)।

थोक (सं.) [सं-पु.] 1. एक ही वस्तु का बहुत बड़ा ढेर; दल; समूह 2. एक साथ बहुत-सा माल ख़रीदने या बेचने का काम; खुदरा या फुटकर का विपरीत।

थोड़ा [वि.] 1. कम मात्रा का; अल्प; न्यून; जो परिमाण में कम हो; अल्पलभ्य; कुछ; ज़रा-सा; किंचित 2. अपर्याप्त; आवश्यकता या ज़रुरत से कम या घटकर 3. केवल उतना जितने में कार्य हो जाए। [अव्य.] अल्प मात्रा में; तनिक, जैसे- थोड़ा रुककर चलेंगे।

थोड़ा-बहुत [वि.] थोड़ा या थोड़े से कुछ अधिक।

थोथा [सं-पु.] मिट्टी का साँचा जिसमें बरतन ढालते हैं। [वि.] 1. तत्वरहित; सत्वहीन 2. शून्य; खोखला 3. निकम्मा 4. भोथरा; ख़राब धारवाला।

थोपना [क्रि-स.] 1. मिट्टी या गोबर के लोंदे को किसी चीज़ पर बल लगाकर चिपकाना 2. मोटा लेप लगाना; ऊपर से जमाकर या फैलाकर रख देना; छोपना; लगाना 3. {ला-अ.} किसी पर ज़बरदस्ती अपने कार्य की ज़िम्मेदारी डालना; मढ़ना 4. {ला-अ.} दोष या गलती किसी और के मत्थे मढ़ना; आरोपित करना; झूठा आरोप लगाना।

थोबड़ा [सं-पु.] 1. जानवरों का आगे की ओर निकला लंबा मुँह; थूथन; तोबड़ा 2. मुँह की वह आकृति जो नाराज़ होने पर होती है।

थ्रिल (इं.) [सं-पु.] सनसनाहट; तरंग; रोमांच।

थ्रैशर (इं.) [सं-पु.] 1. चूरने या कूटने की मशीन 2. गेहूँ के बालियों से दानों को अलग करने वाली मशीन।


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