ध1
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह दंत्य, सघोष, महाप्राण स्पर्श है।
ध2
(सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) धैवत स्वर का संकेत 2. धर्म 3. ब्रह्मा 4. कुबेर।
धँधलाना
[क्रि-अ.] 1. धोखेबाज़ी या छल करना 2. ढोंग रचना।
धँधार
[सं-स्त्री.] आग की लपट; आग की लौ।
धँधारी
[सं-स्त्री.] 1. गोरखधंधा 2. अकेलापन।
धँधुआना
[क्रि-अ.] 1. धुँधला पड़ना 2. पारदर्शिता ख़त्म होना 3. धुँधाना।
धँधौरा
[सं-पु.] 1. होली; होलिका 2. आग की लौ; ज्वाला; लपट।
धँसन
[सं-स्त्री.] 1. धँसने की क्रिया 2. दलदल; धँसान 3. दबक 4. धसकन; खिसकन 5. बैठन।
धँसना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी कठोर या नुकीली वस्तु का दबाव के कारण नरम वस्तु में घुसना या गड़ना 2. दबकना; पिचकना 3. चुभना; बिंधना 4. दीवार या घर के किसी भाग की
ज़मीन का नीचे की ओर दब जाना 5. व्यक्ति का भीड़ में समा जाना या अंदर घुसना 6. किसी चीज़ का अत्यंत वेग से दूसरी चीज़ में प्रविष्ट होना 7. नष्ट होना; तबाह
होना 8. नीचे खिसकना 9. ढहना; दरकना 10. {ला-अ.} बात या विचार का समझ में आना।
धँसान
[सं-स्त्री.] 1. धँसने की क्रिया या भाव; धँसाव 2. ऐसी ज़मीन जिसपर कीचड़ के कारण पैर धँसता हो; दलदल 3. ऐसी ज़मीन जिसपर नीचे की ओर ढलान हो; ढाल 4. पोली ज़मीन
5. भीड़-भाड़ में लोगों को धकेलते हुए निकलने की क्रिया 6. चुभन; गड़ान 7. धँसन।
धँसाना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को धँसने में प्रवृत्त करना 2. घोंपना; ठोकना 3. गाड़ना; चुभाना 4. ज़ोर लगाकर अंदर घुसाना; प्रविष्ट कराना 5. दबाव डालकर नीचे उतारना 6.
पैठाना।
धँसाव
[सं-पु.] 1. धँसने की क्रिया या ढंग; धँसान 2. ऐसी ज़मीन जिसपर कीचड़ के कारण पैर धँसता हो; दलदल 3. सहज रूप से कुछ धँसकने वाला स्थान 4. ऐसी ज़मीन जिसपर नीचे
की ओर ढलान हो; ढाल 5. पोली ज़मीन 6. भीड़-भाड़ में लोगों को धकेलते हुए निकलने की क्रिया 7. चुभन; गड़ान 8. धँसन।
धंधा
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिससे जीविका चले; काम 2. रोज़गार; व्यापार; पेशा; उद्योग-धंधा; कारोबार; (प्रोफ़ेशन) 3. काम-काज 4. वृत्ति; आजीविका 5. {ला-अ.}
वेश्यावृत्ति।
धंधारी
[सं-स्त्री.] 1. गोरखधंधा 2. गोरखपंथी साधुओं के क्रिलाकलाप 3. अकेलापन; एकांत स्थान 4. सन्नाटा।
धंधेबाज़
(सं.+फ़ा.) [सं-पु.] व्यापारी; सौदागर।
धंधेवाला
[सं-पु.] जीविका निर्वाह के लिए कार्य या धंधा करने वाला व्यक्ति।
धक
[सं-स्त्री.] 1. संवेग या डर से हृदय के अचानक धड़कने का भाव 2. जलना; सुलगना 3. साहस; हिम्मत 4. लालसा; इच्छा 5. उल्लास; उमंग। [क्रि.वि.] 1. अचानक 2. तेज़ी से।
[मु.] जी धक हो जाना : भयभीत हो जाना; डर जाना। -धक करना : कलेजा धड़कना; डर लगना।
धक-धक
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हृदय के धड़कने की आवाज़ 2. {ला-अ.} घबराहट; बेचैनी; धकधकी; धड़क; धुकधुकी 3. अग्नि के भड़कने पर होने वाली आवाज़।
धकधकाना
[क्रि-अ.] 1. भय या उत्तेजना आदि से छाती का तेज़ी से धड़कना; धकधक करना; धुकधुक करना; 2. दहकना; सुलगना। [क्रि-स.] दहकाना; सुलगाना।
धकधकाहट
[सं-स्त्री.] 1. धक-धक करने की क्रिया या भाव; धड़कन 2. खटका; आशंका।
धकधकी
[सं-स्त्री.] 1. कलेजे के धकधक करने की अवस्था; धुकधुकी; घबराहट 2. हृदय की धड़कन या कंप 3. किसी बात की आशंका; खटका; अंदेशा 4. असमंजस; दुविधा।
धकपक
[सं-स्त्री.] 1. धकधकी 2. आशंका; खटका; दुविधा 3. भय।
धकपकाना
[क्रि-अ.] 1. मन में धकधक होना; जी दहलना 2. भय खाना; डर या आशंका होना; डरना 3. आतंकित होना 4. धकधकाना।
धकाधक
[क्रि.वि.] 1. बहुत तेज़ी से; ज़ोर से 2. धड़ल्ले से।
धकाना
[क्रि-स.] 1. धक्का देना; धकियाना 2. ढकेलना।
धकापेल
[सं-स्त्री.] 1. भीड़ में आदमियों का एक-दूसरे को धक्का देने की अवस्था 2. ऐसी भीड़ जिसमें शरीर आपस में रगड़ खाते हों; धक्कामुक्की; धक्कमधक्का 3. भीड़;
जनाकीर्णता 4. रेलमपेल। [क्रि.वि.] दूसरों को धक्का देकर परे हटाते हुए।
धकारा
[सं-पु.] धकधकी; आशंका; खटका।
धकियाना
[क्रि-स.] 1. धक्का देना; ढकेलना; धकेलना 2. धक्कामुक्की करना 3. धक्का देकर बाहर निकालना 4. {ला-अ.} आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना।
धकेलना
[क्रि-स.] 1. ज़ोर लगाकर आगे बढ़ाने की क्रिया; धक्का देना; ढकेलना; धकियाना 2. आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना 3. झोंकना; ठोकना 4. हटाना; निकालना 5. निवारना 6.
धक्कामुक्की करना 7. पेलना; रेलना।
धकेलू
[सं-पु.] वह जो धकेलता हो; ढकेलने या धक्का देने वाला व्यक्ति।
धक्कड़
[सं-पु.] 1. सामान्यतः धूल के बाद प्रयुक्त शब्द, जैसे- धूल का गुबार, धूल धक्कड़ 2. आँधी की धूल।
धक्कमधक्का
[सं-पु.] 1. भारी भीड़ में आदमियों का बार-बार एक-दूसरे को धक्का देने की क्रिया 2. आपाधापी; धक्कामुक्की 3. ठेलाठेल; रेलमपेल।
धक्का
[सं-पु.] 1. धकेलने के लिए आगे या पीछे से किया गया आघात 2. टक्कर; ठोकर 3. हानि; घाटा 4. विपत्ति; संकट 5. {ला-अ.} मार्मिक पीड़ा; मन पर किसी घटना या बात का
गहरा आघात। [मु.] धक्के खाना : कष्ट सहना या मारा-मारा फिरना; अपमानित होना।
धक्काड़
[वि.] 1. जिसकी धाक जमी हुई हो; धाकड़ 2. धाक जमाने वाला 3. किसी बात या विषय में बहुत बढ़ा-चढ़ा हुआ।
धक्कामुक्की
[सं-स्त्री.] 1. दो व्यक्तियों में होने वाली वह लड़ाई जिसमें वे एक-दूसरे पर घूँसे या मुक्के का प्रयोग करें; मुठभेड़ 2. घिस्समघिस्सा; ठेलमठेल; रेलपेल।
धगड़
[सं-पु.] किसी स्त्री का अवैध प्रेमी; धगड़ा।
धगड़बाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. सामाजिक दृष्टि से अवैध संबंध रखने वाली स्त्री 2. व्यभिचारिणी।
धगड़ा
[सं-पु.] धगड़।
धगड़ी
[सं-स्त्री.] 1. व्यभिचारिणी स्त्री 2. बिना विवाह किए रखी हुई स्त्री; रखैल; उपपत्नी।
धगधगाना
[क्रि-अ.] भय, उद्वेग आदि के कारण हृदय की गति का तीव्र होना; धकधकाना; धकपकाना।
धचकना
[क्रि-अ.] 1. दलदल में धँसना 2. ज़मीन आदि का नीचे धँसना; बैठना।
धचका
[सं-पु.] 1. धचकने की क्रिया; धक्का; झटका 2. ठसका; ठेला 3. झोंका; थपेड़ा 4. धचकोला 5. दचका 6. {ला-अ.} हानि; क्षति; नुकसान।
धज
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सजावट 2. बनाव-सिंगार 3. शक्ल-सूरत 4. ठसक; अदा 5. सुंदर चाल तथा उठने-बैठने का तरीका।
धजीला
[वि.] सजीला; सजा-धजा; अच्छी धजवाला; छबीला; सुंदर।
धज्जी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़े या कागज़ का पतला लंबा टुकड़ा 2. कतरन; कत्तर 3. धातु या लकड़ी को चीरने-फाड़ने पर निकलने वाली पतली पट्टी 4. चिंदी; चिथड़ा 5.
छाँटन 6. परखचा; लत्तर; लीरा। [मु.] धज्जियाँ उड़ाना : टुकड़े-टुकड़े करना या तार-तार करना; किसी कृति या रचना की कटु आलोचना करना।
धटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चीर; कपड़े की धज्जी 2. कौपीन; लंगोटी। [वि.] तुलाधारक; डाँड़ी पकड़ने वाला। [सं-पु.] 1. तुला राशि 2. शिव 3. व्यापारी; बनिया।
धड़
(सं.) [सं-पु.] 1. रीढ़धारी प्राणियों के शरीर में गरदन के नीचे से कमर तक का भाग 2. वृक्ष का तना 3. ध्वनि जो वस्तु आदि के अचानक गिरने या टकराने से उत्पन्न
होती है; धड़ाम 4. धमाका।
धड़ंग
[वि.] नंगा; नग्न (इसका प्रयोग 'नंग' के साथ होता है, जैसे- नंगधडंग)
धड़क
[सं-स्त्री.] 1. हृदय का स्पंदन; धकधकी 2. आशंका; खटका 3. रुकावट।
धड़कन
[सं-स्त्री.] 1. हृदय का स्पंदन या कंपन 2. भय, कमज़ोरी, दर्द आदि के कारण कलेजे का धक-धक करना 3. हृदय के धड़कने का रोग; धड़की।
धड़कना
[क्रि-अ.] 1. हृदय का स्पंदित होना; धक-धक करना 2. भय या उत्तेजना के कारण छाती का ऊपर-नीचे होना; डरना 3. धड़-धड़ की ध्वनि उत्पन्न होना।
धड़का
[सं-पु.] 1. हृदय में होने वाला कंपन; धड़क या धकधकी 2. अंदेशा; आशंका; खटका।
धड़काना
[क्रि-स.] 1. किसी के दिल में धड़क उत्पन्न करना 2. धकड़ने को प्रेरित करना 3. किसी के मन में आशंका या खटका पैदा करना; दहलाना 4. धड़-धड़ की ध्वनि उत्पन्न
करना।
धड़धड़
[सं-स्त्री.] किसी भारी वस्तु के गिरने से होने वाली ध्वनि; खड़खड़।
धड़धड़ाना
[क्रि-स.] 1. धड़-धड़ की ध्वनि उत्पन्न करना 2. कुलाँचना; धमधमाना। [क्रि-अ.] धड़-धड़ की ध्वनि होना।
धड़धड़ाहट
[सं-स्त्री.] 1. कई भारी चीज़ों के लगातार या परस्पर गिरने से होने वाली धड़-धड़ की आवाज़ 2. तेज़ रफ़्तार।
धड़ल्ला
[सं-पु.] तेज़ गति से गिरने-पड़ने आदि की ध्वनि; धड़ाका।
धड़ा1
(सं.) [सं-पु.] 1. बाट 2. पाँच सेर की एक पुरानी तौल 3. तराजू; तुला; पासंग।
धड़ा2
[सं-पु.] गुट; दल; जत्था; झुंड; समुदाय; समूह।
धड़ाक
[सं-स्त्री.] धड़ की तीव्र ध्वनि; धड़ाका। [क्रि.वि.] 1. धड़ शब्द करते हुए 2. सहसा; अचानक।
धड़ाका
[सं-पु.] 1. ज़ोर से या धड़ाम से गिरने का 'धड़' शब्द 2. धमाका; विस्फोट की ध्वनि 3. किसी चीज़ के गिरने-फटने से पैदा होने वाला शब्द 4. {ला-अ.} क्रांति या
आंदोलन आदि का विस्फोट। [क्रि.वि.] तुरंत; जल्दी से।
धड़ाधड़
[अव्य.] 1. निरंतर धड़-धड़ शब्द करते हुए 2. जल्दी-जल्दी; बड़ी तेज़ी से 3. बिना रुके; लगातार।
धड़ाबंदी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धड़ा बनाने या बाँधने की क्रिया या भाव; गुटबंदी 2. युद्ध के समय सेना और संसाधनों को दुरुस्त करना; दलबंदी।
धड़ाम
[सं-पु.] 1. किसी वस्तु के गिरने की आवाज़ 2. किसी व्यक्ति के ऊँचाई से ज़मीन पर ज़ोर से कूदने या गिरने की आवाज़।
धड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पाँच सेर की एक तौल; पसेरी 2. मोटी लकीर या रेखा 3. कपड़े का किनारा।
धड़ेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धड़ा या दल बनाने की क्रिया या भाव 2. गुटबाज़ी; दलबंदी।
धत
[अव्य.] 1. किसी को तिरस्कारपूर्वक हटाने या दूर करने का शब्द 2. दुतकारने या धिक्कारने का शब्द 3. किसी को तुच्छ सिद्ध करने का शब्द। [सं-स्त्री.] लत; बुरी
आदत; कुटेव।
धता
[वि.] 1. जो दूर किया गया हो; जो दूर हो गया हो 2. दूर भगाया हुआ 3. गया हुआ।
धतिया
[वि.] जिसे किसी बात की धत पड़ गई हो; बुरी लतवाला; लती; व्यसनी।
धतूरा
(सं.) [सं-पु.] एक विषैला पौधा तथा उसका फल; कनक; तूरी; शिवप्रिय; तामरस।
धतूरिया
[सं-पु.] मध्यकाल में ठगों का वह दल या संप्रदाय जो राहगीरों को धतूरा खिलाकर बेहोश करता और लूटता था।
धधक
[सं-स्त्री.] 1. धू-धू कर जलने की क्रिया 2. लौ; लपट।
धधकना
[क्रि-अ.] 1. ऊँची लपटों के साथ आग का जलना; दहकना 2. धायँ-धायँ जलना 3. सुलगना; भड़कना 4. {ला-अ.} उद्वेलित हो जाना।
धधकाना
[क्रि-स.] 1. आग में लपट उत्पन्न करना 2. प्रज्वलित करना 3. भयंकर रूप से जलाना; दहकाना 4. {ला-अ.} किसी को क्रोधित करना; भड़काना।
धन
(सं.) [सं-पु.] 1. रुपया-पैसा; दौलत; रोकड़ 2. द्रव्य; वित्त 3. सोना-चाँदी और अन्य बहुमूल्य धातुएँ; कंचन 4. ख़ज़ाना; निधि; माया; श्री 5. धन-संपत्ति; जायदाद
6. वह कीमती सामग्री या चीज़ जो खरीदी और बेची जा सकती हो 7. उपयोगी और मूल्यवान वस्तुएँ 8. मूल; पूँजी 9. धान्य; अनाज 10. गोधन; पालतू पशु 11. पुरस्कार; इनाम
12. गणित में योग का चिह्न 13. {ला-अ.} बहुत प्रिय व्यक्ति; स्नेह का पात्र। [वि.] 1. जो महत्वपूर्ण और मान्य हो 2. जिसमें जोड़ा जाए; युक्त 3. जो हिसाब-किताब
आदि में किसी से मिला हो 4. 'ऋण' का विलोम।
धनंजय
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) अर्जुन का एक नाम 2. विष्णु 3. अग्नि 4. अर्जुन नामक वृक्ष 5. शरीर की पाँच वायुओं में से एक।
धनकाम
(सं.) [वि.] धनलोभी; धनलोलुप; धनेच्छुक; अर्थकाम।
धनकुट्टी
[सं-स्त्री.] 1. धान कूटने की क्रिया या भाव 2. ओखली और मूसल 3. धान कूटने का यंत्र या उपकरण।
धनकुबेर
(सं.) [सं-पु.] जिस व्यक्ति के पास बहुत धन-संपत्ति हो; रईस; धन के देवता कुबेर के समान धनी व्यक्ति; धनाढ्य।
धनतेरस
(सं.) [सं-स्त्री.] कार्तिक मास में कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला एक त्योहार; प्राचीन आयुर्वेदिक आचार्य धन्वंतरि के नाम पर प्रसिद्ध धन्वंतरि
त्रयोदशी; वर्तमान समय में ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोना,चाँदी और बर्तन खरीदना शुभ होता है।
धनद
(सं.) [वि.] 1. धन देने वाला; धनदाता 2. उदार। [सं-पु.] 1. उदार व्यक्ति 2. कुबेर।
धनदिशा
(सं.) [सं-स्त्री.] उत्तर दिशा।
धन-दौलत
(सं.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. जायदाद; संपत्ति 2. कमाई 3. पूँजी।
धनधान्य
(सं.) [सं-पु.] रुपया-पैसा और अनाज जो समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
धनधान्यपूर्ण
(सं.) [वि.] हर तरह से समृद्ध और भरा-पूरा; ख़ूब धनवाला।
धनधाम
(सं.) [सं-पु.] धन-दौलत और घर-बार।
धनधारी
(सं.) [सं-पु.] 1. धन के देवता कुबेर 2. बहुत धनी व्यक्ति।
धनपक्ष
(सं.) [सं-पु.] बहीख़ाते का वह पक्ष या भाग जहाँ पर आई हुई रकम का विवरण लिखा जाता है।
धनपति
(सं.) [सं-पु.] 1. धन के देवता कुबेर 2. धनी व्यक्ति।
धनपत्र
(सं.) [सं-पु.] कागज़ की मुद्रा; (करेंसी नोट)।
धनपिशाच
(सं.) [सं-पु.] 1. धन का लोलुप या लोभ करने वाला व्यक्ति 2. अर्थपिशाच 3. केवल धन के लिए जीने वाला व्यक्ति।
धनपिशाची
(सं.) [सं-स्त्री.] धन या रुपया प्राप्त करने की घोर लालसा; प्रबल धनलिप्सा; संपत्ति हासिल करने की लालसा या घोर तृष्णा।
धनबल
(सं.) [सं-पु.] 1. रुपए या दौलत का बल 2. बहुत धन-संपत्ति मिलने पर होने वाला अहंकार या अकड़; गरूर।
धनराशि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. खूब सारा रुपया-पैसा; धन का ढेर; बहुत अधिक धन 2. रकम; राशि; रोकड़; (अमाउंट)।
धनलोलुप
(सं.) [वि.] 1. धन का घोर लोभी; लालची 2. किसी भी तरीके से धन प्राप्त करने वाला।
धनवंत
(सं.) [वि.] धनी; रईस; जिसके पास अधिक धन हो; धनवान।
धनवान
(सं.) [वि.] जिसके पास धन हो; धनाढ्य; धनी; पैसेवाला; संपन्न; दौलतमंद; अमीर; रईस।
धन-संपत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] रुपया-पैसा; ज़मीन-जायदाद; धन-दौलत।
धनहीन
(सं.) [वि.] जिसके पास धन न हो; निर्धन; गरीब।
धनांक
(सं.) [सं-पु.] लेन-देन आदि के लिए किसी निश्चित रकम या धनराशि का सूचक शब्द; (अमाउंट; सम)।
धनाग्र
(सं.) [सं-पु.] (भौतिकी) विद्युत शास्त्र में धनात्मक दंड का भाग; (एनोड)।
धनाग्रीय
(सं.) [वि.] धनाग्र से संबंधित।
धनाढ्य
(सं.) [वि.] जिसके पास ख़ूब धन या रुपया हो; धनवान; धनी; समृद्ध; रईस; उच्चवित्त।
धनाणु
(सं.) [सं-पु.] (भौतिकी) धनात्मक विद्युत से आवेशित अणु।
धनात्मक
(सं.) [वि.] 1. धन पक्ष से संबंध रखने वाला 2. जिसमें धन तत्व या गुण हो 3. {ला-अ.} सकारात्मक; (पॉजिटिव)।
धनादेश
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को धन देने का आदेश या आज्ञा 2. बैंक या डाकखाने के द्वारा किसी अन्य स्थान पर रहने वाले व्यक्ति विशेष को भेजे जाने वाले धन के भुगतान
का लिखित आदेश; (मनी आर्डर निर्दिष्ट) 3. कागज़ का वह पुरजा जिसपर किसी बैंक के नाम यह लिखा रहता है कि अमुक व्यक्ति को खाते में से उल्लिखित धन दिया जाए; (बैंक
ड्राफ़्ट)।
धनाधिप
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा धनी 2. धन का स्वामी; कुबेर 3. खजांची।
धनाधीश
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसके पास बहुत धन हो; धनपति; धनिक; धनाढ्य 2. कुबेर।
धनाध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. खजांची; कोषाध्यक्ष; (कैशियर) 2. कुबेर।
धनापहार
(सं.) [सं-पु.] 1. आर्थिक दंड; जुरमाना 2. लूट 3. गबन।
धनाभाव
(सं.) [सं-पु.] धन न होने की स्थिति; धन की कमी; गरीबी; दरिद्रता; तंगी।
धनार्चित
(सं.) [वि.] 1. धन या मूल्यवान उपहारों को देकर संतुष्ट किया हुआ 2. भेंट द्वारा सम्मानित।
धनार्जक
(सं.) [वि.] धन का अर्जन करने वाला; धन कमाने वाला।
धनार्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. धन कमाने की क्रिया; नौकरी 2. कमाई।
धनार्थी
(सं.) [वि.] धन चाहने वाला; धनेच्छुक; धनकामी।
धनाश्री
(सं.) [सं-स्त्री.] (संगीत) एक प्रकार की रागिनी।
धनिक
(सं.) [सं-पु.] 1. धनी व्यक्ति 2. धन पति 3. ऋण देने वाला व्यक्ति 4. धनिया। [वि.] धनी; धन वाला; धनवान।
धनिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धनी स्त्री 2. अच्छी या सुंदर स्त्री 3. पत्नी; वधू 4. प्रियंगु वृक्ष।
धनिता
(सं.) [सं-स्त्री.] धनाढ्यता; रईसी; अमीरी।
धनिया
(सं.) [सं-पु.] 1. एक सुगंधित पौधा जिसकी सब्ज़ी और चटनी बनाई जाती है 2. उक्त पौधे से प्राप्त बीज जिसका प्रयोग मसालों में होता है 3. धान्या। [सं-स्त्री.] 1.
युवती 2. पत्नी; वधू 3. सुंदर स्त्री।
धनिष्ठा
(सं.) [सं-स्त्री.] सत्ताईस नक्षत्रों में से तेईसवाँ नक्षत्र।
धनी
(सं.) [वि.] 1. जिसके पास खूब धन हो; धनवाला; धनाढ्य; दौलतमंद 2. स्वामी; मालिक 3. किसी कार्य में कुशल; सिद्धहस्त, जैसे- मधुर आवाज़ का धनी 4. रक्षक 5.
उच्चवर्गीय; उच्चवित्त। [सं-पु.] 1. धनवान पुरुष 2. किसी चीज़ का स्वामी; अधिपति; पूँजीपति 3. महाजन; सेठ; व्यापारी। [सं-स्त्री.] 1. सुंदर युवती 2. वधू।
धनीधोरी
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षा करने वाला व्यक्ति; रक्षक 2. पूछने वाला व्यक्ति; फ़िक्र करने वाला व्यक्ति 3. मालिक; संरक्षक; स्वामी।
धनीमानी
[वि.] 1. धनवान; रईस 2. प्रतिष्ठित।
धनु
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष; कमान; चाप 2. धनुर्धर 3. (ज्योतिष) बारह राशियों में से एक; (सैगिटेरिअस) 4. रेतीला तट 5. (ज्योतिष) फलित ज्योतिष में एक लग्न।
धनुआ
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष 2. रुई धुनने वाला यंत्र; धुनकी।
धनुक
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष; कमान 2. इंद्रधनुष।
धनुर्धर
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष धारण करने वाला व्यक्ति 2. वह जो धनुष चलाने में सिद्धहस्त हो; धनुर्विद्या जानने वाला व्यक्ति; तीरंदाज़।
धनुर्धारी
(सं.) [सं-पु.] 1. जो धनुष धारण करता हो; धनुषधारी 2. धनुष चलाने में सिद्धहस्त योद्धा; धनुर्धर; तीरंदाज़। [वि.] धनुष धारण करने वाला।
धनुर्यज्ञ
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक यज्ञ जिसमें धनुष का पूजन तथा उसके चलाने आदि की परीक्षा होती थी 2. धनुष संबंधी उत्सव।
धनुर्वात
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का रोग जिसमें हड्डियाँ टेढ़ी हो जाती हैं; धनुषटंकार 2. लकवा।
धनुर्विद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धनुष चलाने की विद्या; बाणविद्या 2. तीर चलाने का कौशल; तीरंदाज़ी।
धनुर्वृक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँस 2. पीपल 3. भिलावाँ।
धनुर्वेद
(सं.) [सं-पु.] यजुर्वेद का उपवेद जिसमें धनुष चलाने की विद्या का निरूपण है।
धनुष
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँस, बेंत या किसी धातु के लचकदार डंडे को मोड़ते हुए और उसके दोनों सिरों के बीच डोरी या तांत बांध कर बनाया गया अर्धगोलाकार हथियार जिसकी
डोरी को पीछे की ओर खींच-तान कर नुकीले तीर फेंके जाते हैं, इसे मनुष्य द्वारा निर्मित प्रथम यंत्र माना जाता है; धनु; कमान; चाप 2. हठ योग का एक आसन 3. चिरौंजी
का वृक्ष 4. रहस्य संप्रदाय में परमात्मा का ध्यान 5. चार हाथ लंबाई की एक प्राचीन माप।
धनुषटंकार
(सं.) [सं-पु.] 1. वह ध्वनि जो धनुष की डोरी को खींचकर छोड़ने पर होती है; धनुष की प्रत्यंचा हिलने से होने वाली ध्वनि 2. घाव में संक्रमण से शरीर का जकड़कर
धनुष के समान टेढ़ा हो जाने का एक रोग; धनुर्वात; (टिटनेस)।
धनुषधारी
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष धारण करने वाला व्यक्ति; तीरंदाज़; कमनैत; धनुर्धर; शारंगधर 2. (महाभारत) प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन, द्रोणाचार्य, आदि।
धनुषयज्ञ
(सं.) [सं-पु.] (रामायण) एक प्रकार का यज्ञ जो सीता के स्वयंवर के समय हुआ था।
धनुषाकार
(सं.) [वि.] 1. धनुष के आकार का; धनुष जैसा; कमानीदार 2. अर्धचंद्राकार; नवचंद्राकार।
धनेश
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो खूब धनवाला हो; पूँजीपति 2. धन का देवता; कुबेर 3. खजांची 4. विष्णु।
धनेश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. धन का स्वामी; कोषाध्यक्ष 2. कुबेर 3. विष्णु।
धनेस
(सं.) [सं-पु.] लंबी गरदन और लंबी चोंचवाला बगुले के समान एक पक्षी।
धनैषणा
(सं.) [सं-स्त्री.] धन पाने की इच्छा; पैसे की लालसा; धन-कामना; धनलिप्सा।
धनोपार्जन
(सं.) [सं-पु.] धन का उपार्जन; पैसा इकट्ठा करना; धन का कमाया जाना।
धन्नासेठ
[सं-पु.] वह व्यक्ति जिसके पास बहुत सारा धन या पैसा हो; अमीर; धनवान; पूँजीपति।
धन्नी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़े की एक जाति 2. पंजाब में पाई जाने वाली गाय, भैसों की एक जाति।
धन्य
(सं.) [वि.] 1. कृतज्ञ; कृतार्थ 2. प्रशंसा या बड़ाई के लायक; परोपकार करने वाला 3. साधुवाद 4. उपकृत; संतुष्ट; सफल 5. पुण्यवान; भाग्यशाली। [सं-पु.] भाग्यवान
व्यक्ति। [अव्य.] धन्यवाद या कृतज्ञता प्रकट करने के लिए बोला जाने वाला शब्द।
धन्यभागी
(सं.) [वि.] धन्यवाद का अधिकारी; धन्यवाद का पात्र।
धन्यभाग्य
(सं.) [सं-पु.] सौभाग्य।
धन्यवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. साधुवाद; प्रशंसा 2. उपकार, अनुग्रह आदि के बदले में कृतज्ञता प्रकट करने का शब्द 3. एक औपचारिक हार्दिक कथन; शुक्रिया; आभार; नवाज़िश;
मेहरबानी; (थैंक्स)।
धन्यवादी
(सं.) [सं-पु.] धन्यवाद करने या देने वाला; कृतज्ञ।
धन्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपमाता 2. छोटा आँवला 3. धनिया। [वि.] 1. प्रशंसनीया 2. पुण्यवती 3. भाग्यशालिनी।
धन्याक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का छोटा पौधा जिसकी पत्तियाँ सुगंधित होती हैं; धनिया 2. उक्त पौधे का बीज जो मसाले के काम आता है।
धन्वंतर
(सं.) [सं-पु.] चार हाथ की एक पुरानी माप।
धन्वंतरि
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) देवताओं के वैद्य जिनके बारे में कथा प्रचलित है कि ये समुद्र मंथन के समय अमृत-कलश लिए हुए प्रकट हुए थे 2. विक्रमादित्य के दरबार के
नौ रत्नों में से एक 3. (पुराण) देव-वैद्य; वैद्यनाथ; वैद्यराज 4. विष्णु का तेरहवाँ अवतार 5. काशीराज।
धन्वा
(सं.) [सं-पु.] 1. मरुस्थल 2. आकाश 3. धनुष 4. चक्रचाप।
धन्वाकार
(सं.) [वि.] धनुष के आकार का; धनुषाकार; नवचंद्राकार।
धन्वी
(सं.) [सं-पु.] 1. दुरालभा; जवासा नामक तिलहन बीज 2. अर्जुन वृक्ष 3. बकुल; मौलसिरी 4. अर्जुन का एक नाम 5. विष्णु 6. शिव 7. तामस मनु के एक पुत्र 8. धनु राशि।
[वि.] 1. धनुष धारण करने वाला; धनुर्धर 2. निपुण; चतुर; चालाक।
धप
[सं-स्त्री.] 1. किसी भारी वस्तु के गिरने से उत्पन्न ध्वनि 2. सिर पर मारा जाने वाला थप्पड़; धौल; चपत।
धपना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. तेज़ी से आगे बढ़ना; जल्दी-जल्दी चलना 2. झपटना। [क्रि-स.] 1. सिर पर थप्पड़ मारना 2. मारना; पीटना।
धप्पा
[सं-पु.] 1. हलका थप्पड़; थपकी 2. कमर में मारा जाने वाला धौल।
धब-धब
[सं-स्त्री.] किसी भारी, गुदगुदी और नरम चीज़ के गिरने या उस पर चोट करने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि।
धबला
[सं-पु.] 1. कटि के नीचे का अंग ढाँकने का कोई ढीलाढाला पहनावा; ढीला पायजामा 2. स्त्रियों का लहँगा; घाघरा।
धब्बा
[सं-पु.] 1. किसी तल पर पड़ा हुआ चिह्न; भद्दा दाग या निशान 2. {ला-अ.} कलंक; दोष; लांछन।
धब्बेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें धब्बा हो; दागदार; दगैल; धब्बेवाला।
धम
[सं-स्त्री.] 1. किसी भारी वस्तु के गिरने से होने वाली ध्वनि 2. धरती पर दबाव डालकर चलने से पैदा होने वाला शब्द 3. धमाका धड़ाम; धप।
धमक
[सं-स्त्री.] 1. धम-धम की आवाज़ 2. एक प्रकार से चलने, गिरने तथा दौड़ने से उत्पन्न कंप 3. प्रहार; आघात।
धमकना
[क्रि-अ.] 1. 'धम' आवाज़ के साथ गिरना 2. भारी बोझ से दबना 3. आघात होना 4. दर्द करना। [मु.] आ धमकना : अवांछित या बिना बुलाए आ जाना।
धमकाना
[क्रि-स.] 1. धमकी देना 2. डराना; भय दिखाना 3. अनिष्ट या नुकसान करने की चेतावनी देना; घुड़की देना; डाँटना।
धमकियाना
[क्रि-स.] 1. धमकी देना; धमकाना 2. भय दिखाना।
धमकी
[सं-स्त्री.] 1. धमकाने की क्रिया या भाव 2. आगाह करने के लिए दी गई चेतावनी; चुनौती 3. फटकार; घुड़की; धौंस 4. डराकर या फँसाकर कोई काम कराने के लिए कही जाने
वाली बात। [मु.] -में आना : किसी के डराने पर कोई काम कर बैठना।
धमगजर
[सं-पु.] 1. उत्पात; ऊधम; उपद्रव; हुड़दंग 2. लड़ाई-झगड़ा।
धम-धम
[सं-स्त्री.] 1. देर तक होने वाली धम की आवाज़ 2. पदचाप। [अव्य.] धम धम की ध्वनि के साथ।
धमन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ में हवा भरना; हवा फूँकने का काम 2. धौंकनी या भाथी से हवा करना; धौंकना 3. भाथी चलाने वाला व्यक्ति 4. धुँकाई; धौंक 5. फूँकने की
नली; नरकट। [वि.] 1. फूँकने वाला 2. निष्ठुर।
धमनभट्ठी
[सं-स्त्री.] लोहा आदि ठोस पदार्थों को गलाने की भट्ठी; लुहार की धौंकनी।
धमनिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. फूँककर बजाया जाने वाला एक वाद्य; तुरही 2. छोटी और पतली धमनी।
धमनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (शरीर रचना विज्ञान) रक्त को ले जाने वाली शिरा या नलिका; रुधिरवाहिका; नाड़ी; (आर्टरी) 2. फुँकनी; धौंकनी 3. हल्दी।
धमनीय
(सं.) [वि.] धमनी से संबंधित।
धमाका
[सं-पु.] 1. बम, बंदूक या तोप के छूटने से पैदा होने वाली बहुत तेज़ आवाज़ 2. बम या पटाखा फटने की घोर आवाज़; विस्फोट; धड़ाका 3. भारी चीज़ के गिरने से उत्पन्न
होने वाली ध्वनि 4. प्रहार; आघात 5. तड़ाका; महानाद 6. स्फोट; फटाका 7. मध्यकाल में हाथी पर लादकर ले जाई जाने वाली तोप 8. {ला-अ.} चकित या स्तब्ध कर देने वाली
कोई घटना या बात; किसी आंदोलन या क्रांति का आरंभ।
धमाकेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें धमाका हो 2. धम की आवाज़ वाला 3. जिसमें ज़ोर की आवाज़ हो 4. {ला-अ.} जो जनता में उत्तेजना पैदा करता हो; लोकप्रिय।
धमाचौकड़ी
[सं-स्त्री.] 1. उछल-कूद; कूद-फाँद 2. शोरशराबा; ऊधम; हल्लागुल्ला; हुड़दंग 3. मारपीट; उपद्रव।
धमाधम
[क्रि.वि.] 1. धम-धम शब्द के साथ 2. बिना रुके; लगातार; एक के बाद एक; द्रुत गति से। [सं-स्त्री.] 1. धम-धम की ध्वनि 2. मार-पीट 3. आघात।
धमाल
[सं-पु.] 1. हंगामा; उपद्रव 2. फाग गायन का एक भेद 3. फागुन के महीने में गाए जाने वाले लोकगीत; फाग के गीत 4. एक ताल। [सं-स्त्री.] 1. धमाचौकड़ी 2. उछल-कूद 3.
नटों द्वारा की जाने वाली कलाबाज़ी 4. उपद्रव।
धमाली
[वि.] 1. धमाल करने वाला; शरारती; धमाचौकड़ी या ऊधम मचाने वाला 2. कलाबाज़ 3. हंगामेदार। [सं-स्त्री.] होली की क्रीड़ा।
धर
(सं.) [वि.] 1. धारण करने वाला 2. देख-रेख करने वाला। [सं-पु.] 1. (पुराण) वह कछुआ जो धरती को अपने ऊपर धारण किए हुए है 2. पर्वत; पहाड़ 3. कृष्ण 4. कपास; रुई 5.
तलवार।
धरकार
[सं-पु.] 1. बाँस आदि की डलिया बनाने का काम करने वाली जाति 2. उक्त जाति का व्यक्ति; बँसोर।
धरण
(सं.) [सं-पु.] 1. धारण करने की क्रिया या भाव; धराई 2. ढाँचा 3. शहतीर; (गर्डर) 4. एक पुरानी तौल जो चौबीस रत्ती या सोलह मासे की होती है 5. जगत; संसार 6.
वक्ष; स्तन 7. सहारा 8. धान 9. हिमालय 10. जलाशय पर बनाया गया बाँध 11. लोक 12. सेतु; पुल 13. किसी पर्वत का किनारा।
धरणि
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. धरणी।
धरणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी; धरती; भूमि 2. शहतीर 3. सेमल वृक्ष; शाल्मली 4. नाड़ी; नस।
धरणीधर
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. (पुराण) शेषनाग नामक बड़ा सर्प जो पृथ्वी को अपने फन पर धारण किए हुए है।
धरणीय
(सं.) [वि.] 1. धारण करने योग्य 2. जिससे सहारा लिया जा सके 3. सहारा देने योग्य।
धरणीश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. शिव 2. विष्णु 3. राजा; भूपति।
धरता
[वि.] धारण करने वाला; धारक; धारयिता।
धरती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी; ज़मीन; धरा 2. संसार; विश्व।
धरन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धरने की क्रिया या भाव 2. छत की आधार स्वरूप एक मोटी लकड़ी; बड़ी कड़ी; शहतीर 3. स्त्रियों के गर्भाशय का आधार 4. पकड़ 5. हठ; ज़िद; टेक।
धरना
[क्रि-स.] 1. ग्रहण या धारण करना 2. पकड़ना; थामना 3. अधिकार में लेना; संरक्षण में लेना 4. स्थापित करना; रखना 5. पहनना 6. पास रखना 7. सहायक बनाना 8. निश्चित
या स्थिर करना 9. किसी चीज़ को गिरवी या बंधक रखना 10. किसी से आश्रय लेना 11. पत्नी या पति के रूप में अपने पास रखना 12. ठहराना; टिकाना 13. पक्का करना 14.
फँसाना। [सं-पु.] 1. अपनी माँग पूरी करवाने या किसी को अनुचित काम करने से रोकने के लिए कहीं पर अड़कर या हठ करके बैठना 2. सत्याग्रह; हड़ताल 3. आंदोलन। [मु.] धरा जाना : पकड़ा जाना।
धरनी
[सं-स्त्री.] 1. छत बनाने के लिए लगाई जाने वाली मोटी लकड़ी; टेक; टेकनी; शहतीर 2. ज़िद; हठ।
धरनेत
[सं-पु.] 1. धरना देने वाला व्यक्ति 2. आंदोलन करने वाला व्यक्ति; हड़ताली।
धरपकड़
[सं-स्त्री.] 1. धरने या पकड़ने की क्रिया या भाव 2. अपराधियों आदि को पुलिस द्वारा पकड़ने की क्रिया; गिरफ़्तारी। [मु.] -करना : ज़बरदस्ती करना।
धरम
(सं.) [सं-पु.] दे. धर्म।
धरम-करम
(सं.) [सं-पु.] दे. धर्म-कर्म।
धरमकाँटा
(सं.) [सं-पु.] 1. तौलने का बड़ा उपकरण; बड़ी तुला 2. पंचायती तराज़ू।
धरमभ्रष्टी
[वि.] 1. धर्म भ्रष्ट करने वाला 2. धर्म छोड़ने वाला 3. जिसका धर्म भ्रष्ट हो चुका हो।
धरमशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] धर्मशाला।
धरमात्मा
(सं.) [वि.] धर्मात्मा।
धरमी
(सं.) [वि.] 1. धर्म के मार्ग पर चलने वाला 2. धर्मानुरूप आचरण करने वाला; धार्मिक।
धरवाना
[क्रि-स.] 1. धारण करवाना 2. पकड़वाना; रखवाना 3. टिकवाना 4. स्थापित करवाना।
धरसना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रौंदना; कुचलते हुए जाना 2. मसलना 3. दमन करना 4. डराना 5. अपमानित करना।
धरहर
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लड़ने वालों को बीच में रोकना; बीच-बचाव करना 2. बचाव 3. दृढ़ निश्चय; धैर्य।
धरहरा
[सं-पु.] स्तंभ की तरह की ऊँची इमारत जिसपर चढ़ने के लिए अंदर से सीढ़ियाँ बनी होती हैं; मीनार; धौलहर।
धरा
(सं.) [सं-स्त्री.] धरती; भूमि; पृथ्वी; ज़मीन।
धराऊ
[वि.] बहुत दिनों से रखा हुआ; पुराना।
धरातल
(सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी का ऊपरी तल; सतह; भूतल 2. पृथ्वी; भूमि; ज़मीन।
धरातलीय
(सं.) [वि.] 1. धरातल संबंधी; थलीय; धरातल का 2. वास्तविक; ज़मीनी 3. निम्न।
धरात्मज
(सं.) [सं-पु.] 1. मंगल ग्रह 2. (पुराण) नरकासुर नामक राक्षस।
धराधर
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो धरा धारण करे 2. पर्वत; पहाड़ 3. (पुराण) शेषनाग 4. विष्णु नामक देवता।
धराधाम
(सं.) [सं-पु.] 1. घर तथा ज़मीन 2. इहलोक।
धराधिप
(सं.) [सं-पु.] पृथ्वी का शासक; अधिपति; भूपति; राजा।
धराधिपति
(सं.) [सं-पु.] किसी देश या प्रदेश विशेष का प्रधान शासक या स्वामी; राजा।
धराना
[क्रि-स.] 1. थमाना; पकड़ाना 2. रुकवाना; पकड़वाना 3. निश्चित कराना; नियत कराना 4. किसी को कुछ धरने या रखने में प्रवृत्त करना 5. रखवाना।
धरालुंठित
(सं.) [वि.] धरती पर गिरा हुआ; भूमिसात।
धराशायी
(सं.) [वि.] 1. धरती पर पड़ा, लेटा या सोया हुआ; भूमिशायी 2. गिरकर या टूटकर ज़मीन के बराबर होने वाला 3. कटा हुआ; गिरा हुआ 4. {ला-अ.} मृत।
धरित्री
(सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी; धरा; धरती।
धरिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तुला; तराज़ू 2. रूप; आकृति; शक्ल।
धरी
[सं-स्त्री.] 1. रखैल 3. आधार; आश्रय; अवलंब।
धरुण
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ग 2. पानी; जल 3. ब्रह्म 4. पृथ्वी 5. सहारा; आश्रय 6. दूध पीने वाला बछड़ा 7. किसी वस्तु को सुरक्षित रखने का स्थान 8. अग्नि 9. संमति।
[वि.] धारण करने वाला।
धरेचा
[सं-पु.] धगड़ा; यार; जार; बिना विवाह के पति के रूप में रखा हुआ पुरुष; धरेला।
धरेजा
[सं-स्त्री.] 1. रखैली; प्रेमिका 2. वह स्त्री जो बिना विवाह के साथ रहती है। [सं-पु.] विधवा स्त्री को पत्नी की तरह घर में रखने की प्रथा।
धरेल
[सं-स्त्री.] रखैल; धरेली।
धरेला
[सं-पु.] बिना विवाह के रखा हुआ पुरुष; यार; जार; प्रेमी।
धरेली
[सं-स्त्री.] रखैल; धरेल।
धरेश
(सं.) [सं-पु.] धरती का स्वामी; भूपति; राजा।
धरोहर
[सं-स्त्री.] 1. ऐतिहासिक अवशेष; प्राचीन स्मारक 2. एक निश्चित अवधि तक किसी के पास सँभालने एवं सहेजने के लिए रखी गई वस्तु; अमानत 3. वह गुण, वस्तु या विचार जो
परंपरा के रूप में हमें पूर्वजों से मिला हो; थाती; परंपरा।
धरोहरी
(सं.) [सं-पु.] 1. धरोहर संभालने वाला व्यक्ति; न्यासी 2. संस्कारों की रक्षा करने वाला व्यक्ति 3. धरोहरधारी
धर्ता
(सं.) [वि.] 1. धारण करने वाला; धारयिता 2. अपने ऊपर किसी कार्य का भार लेने वाला; किसी बात का दायित्व लेने वाला 3. टेकने वाला।
धर्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. गृह; घर 2. अवलंब; सहारा; टेक 3. पुण्य 4. नैतिकता 5. यज्ञ।
धर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति के लिए निश्चित किया गया कार्य-व्यापार; कर्तव्य 2. किसी वस्तु या व्यक्ति में रहने वाली उसकी मूल वृत्ति; प्रकृति; स्वभाव 3.
गुण; प्रवृत्ति 4. व्यक्तिगत हित, मोक्ष-लोभ आदि के लिए किए जाने वाले कार्य 5. पुण्य; सत्कर्म 6. दीन-ईमान; अकीदा; सदाचार 7. ईश्वर, परलोक आदि के संबंध में
विशेष प्रकार का विश्वास और उपासना पद्धति 8. परलोक विषयक विचार पद्धति 9. वाद; विश्वास 10. मत; संप्रदाय; मज़हब 11. नीति; कानून। [मु.] -कमाना : पूजा-पाठ करना; तीर्थ यात्रा पर जाना।
धर्म-कर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. वे कार्य जो धर्मग्रंथों में कर्तव्य माने गए हैं; धर्माचरण 2. अनुष्ठान; नित्य-नियम 3. धार्मिक क्रियाकलाप 4. धर्म विशेष के आधार पर किए जाने
वाले काम 5. सिजदा; नमाज़ 6. व्रत; उपवास 7. कर्मकांड।
धर्मकार्य
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म के उद्देश्य से किए जाने वाले क्रियाकलाप; धर्मकर्म 2. धार्मिक कृत्य; पूजापाठ 3. अनुष्ठान।
धर्मकेतु
(सं.) [सं-पु.] गौतम बुद्ध का एक नाम।
धर्मक्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. समाज द्वारा मान्य अच्छे कार्य करने का क्षेत्र 2. हरियाणा में कुरुक्षेत्र नामक महाभारतकालीन स्थान 3. धार्मिक रूप से भारतवर्ष का एक पुराना
नाम।
धर्मगुरु
(सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक शिक्षा या उपदेश देने वाला व्यक्ति 2. किसी धर्म या संप्रदाय का मुख्य आचार्य 3. गुरु; गुरुमंत्र देने वाला व्यक्ति 4. पीर; फ़कीर 5.
मौलवी 6. पादरी; (पोप) 7. धर्मज्ञानी; दीक्षागुरु; शास्ता; जगदाचार्य।
धर्मग्रंथ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी धर्म या संप्रदाय विशेष का आधार-ग्रंथ 2. वह ग्रंथ जिसमें किसी धर्म विशेष के व्यवहार, पूजा-उपासना आदि की विधियों तथा उपदेशों का संकलन
होता है 3. धर्म से संबंधित शिक्षाओं की पुस्तक 4. धर्म के आधार पर पवित्र माना जाने वाला कोई ग्रंथ 5. शास्त्र; आगम; शरीअत; पवित्र लेख; (स्क्रिप्चर)।
धर्मग्रंथीय
(सं.) [वि.] 1. धर्म-ग्रंथ से संबंधित 2. धर्मशास्त्रीय।
धर्मघड़ी
[सं-स्त्री.] किसी सार्वजनिक स्थान पर लगाई गई बड़ी घड़ी जिससे सब लोग समय देख सकें।
धर्मचक्र
(सं.) [सं-पु.] 1. महात्मा बुद्ध का धर्म प्रचार जो काशी से आरंभ हुआ था 2. प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र 3. धर्म-संघ।
धर्मचर्या
(सं.) [सं-स्त्री.] धर्म के अनुसार आचरण; धर्म का पालन।
धर्मचारी
(सं.) [वि.] धर्म के अनुसार आचरण करने वाला; धर्म का पालन करने वाला।
धर्मच्युत
(सं.) [वि.] धर्म से विलग; धर्म-भ्रष्ट; धर्म से पतित; धर्म से विमुख।
धर्मज्ञ
(सं.) [वि.] 1. धर्म को जानने वाला; धर्म संबंधी नियमों का ज्ञाता 2. धर्मात्मा।
धर्मज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म से संबंधित ज्ञान; धर्मतत्व 2. धर्मविद्या 3. ईश्वर से संबंधित ज्ञान 4. धर्मशास्त्र।
धर्मण
(सं.) [सं-पु.] 1. धामिन सर्प 2. धामिन वृक्ष 3. धामिन नामक पक्षी।
धर्मणा
(सं.) [क्रि.वि.] 1. धर्म को ध्यान में रखकर 2. धर्म के अनुसार; धर्म के विचार से।
धर्मतंत्र
(सं.) [सं-पु.] ऐसा शासन तंत्र जिसमें राज्य का कार्य किसी धर्म विशेष या ईश्वर के नाम पर होता है और सत्ता का संचालन प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पुरोहितों या
धर्माध्यक्षों के द्वारा होता है; (थिआक्रसी)।
धर्मतः
(सं.) [अव्य.] 1. धर्म या धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार 2. धर्म को साक्षी मानकर 3. धर्म की दुहाई देकर।
धर्मदर्शन
(सं.) [सं-पु.] धर्म संबंधी सिद्धांत या मत; धार्मिक मान्यता।
धर्मदान
(सं.) [सं-पु.] 1. निस्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई के लिए दिया गया दान; उपकार 2. धार्मिक दृष्टिकोण से किया गया दान।
धर्मद्रोही
(सं.) [वि.] 1. जो धर्म और उससे संबंधित सत्ता या तंत्र का विरोधी हो; धर्मद्वेषी 2. धर्मत्यागी; धर्महीन 3. नास्तिक; द्रोही 4. काफ़िर।
धर्मद्वेषी
(सं.) [वि.] 1. धर्म का विरोध करने वाला 2. नास्तिक।
धर्मध्वज
(सं.) [सं-पु.] 1. जो धर्म के प्रति दुराग्रही हो 2. धर्म का आडंबर करके स्वार्थ साधने वाला व्यक्ति।
धर्मध्वजी
(सं.) [वि.] धर्म का ढोंग रचकर स्वार्थ सिद्ध करने वाला; आडंबरी; पाखंडी; अंधविश्वासी।
धर्मनिंदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म की आलोचना 2. धर्म द्रोह 3. नास्तिकता 4. ईश निंदा।
धर्मनिरपेक्ष
(सं.) [वि.] 1. जो किसी भी धर्म की तरफ़दारी या पक्षपात न करता हो 2. जो सभी धर्मों को समान मानता हो 3. जो धार्मिक नियमों से प्रभावित न हो 4. असांप्रदायिक;
(सेकुलर) 5. लौकिक; संसारी।
धर्मनिरपेक्षता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्मनिरपेक्ष होने की अवस्था या भाव; (सेक्युलरिज़म) 2. ऐहिकता 3. असांप्रदायिकता।
धर्मनिरपेक्ष राज्य
(सं.) [सं-पु.] वह राज्य जिसकी शासकीय नीति धर्म के विषय में तटस्थ रहने की होती है अथवा वह राज्य जहाँ सभी धर्मों को समान आदर भाव प्रदान किया जाता है;
(सेक्युलर स्टेट)।
धर्मनिषिद्ध
(सं.) [वि.] 1. जो धर्म या धार्मिक मान्यताओं में वर्जित हो (आचरण आदि) 2. धर्मविरुद्ध 3. अभक्ष्य; निषिद्ध (आहार आदि) 4. हराम 5. उच्छिष्ट।
धर्मनिष्ठ
(सं.) [वि.] 1. धर्म में आस्था या निष्ठा रखने वाला; धर्मपरायण 2. जो धर्म के अनुकूल आचरण करता हो 3. धर्मशील; धार्मिक।
धर्मनिष्ठा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म में आस्था या विश्वास; धर्म के प्रति श्रद्धा 2. धर्मशीलता; धार्मिकता।
धर्मपत्नी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जिसके साथ धर्मशास्त्र के अनुसार विवाह हुआ हो 2. पत्नी।
धर्मपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म का मार्ग 2. धार्मिक मतों का अनुकरण।
धर्मपरायण
(सं.) [वि.] 1. धर्म के अनुसार आचरण करने वाला 2. धर्म में निष्ठा रखने वाला; धर्मनिष्ठ; धर्मशील।
धर्मपरायणता
(सं.) [सं-स्त्री.] धर्मपरायण होने की अवस्था या भाव; धर्मनिष्ठा; धर्मशीलता।
धर्म-परिवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी धर्म विशेष को त्यागकर स्वीकार किया गया अन्य धर्म 2. धर्मांतरण 3. मतांतरण; मतपरिवर्तन।
धर्मपाठी
(सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक ग्रंथ का पाठ करने वाला व्यक्ति 2. पूजापाठ करने वाला व्यक्ति।
धर्मपाल
(सं.) [वि.] 1. धर्म या उसके नियमों का पालन करने वाला; धर्मशील; धर्मप्रेमी 2. पूजापाठी; मज़हबी; नमाज़ी 3. धर्मवंत; धार्मिक।
धर्मपालन
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म का पालन करना 2. कर्तव्य का निर्वाह करना; कर्तव्य पूरा करना।
धर्मपिता
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो पिता न होते हुए भी किसी का पिता या संरक्षक बन गया हो; पितृतुल्य व्यक्ति 2. पिता के कर्तव्य का पालन करने वाला व्यक्ति।
धर्मपीठ
(सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक कार्यों का प्रधान स्थान 2. वह स्थान जहाँ धर्म की व्यवस्था दी जाती हो।
धर्मपुत्र
(सं.) [सं-पु.] वह जो पुत्र न होते हुए भी पुत्र की तरह हो; पुत्रवत व्यक्ति; मानस-पुत्र।
धर्मप्रचारक
(सं.) [सं-पु.] अपने धर्म का प्रचार करने वाला व्यक्ति; धर्मप्रसारक; (मिशनरी)।
धर्मप्रधान
(सं.) [वि.] 1. धार्मिक नियमों और मान्यताओं पर चलने वाला 2. जिसमें या जहाँ धर्म की प्रधानता हो 3. धार्मिक; धर्मसिद्ध।
धर्मप्रवचन
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म संबंधी उपदेश; धार्मिक व्याख्यान 2. पौराणिक आख्यान।
धर्मप्रवर्तक
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी धर्म को प्रचलित करने या चलाने वाला व्यक्ति; कोई नया मत या संप्रदाय चलाने वाला व्यक्ति 2. धर्म या मत विशेष का संचालन या विस्तार करने
वाला व्यक्ति 3. धर्मगुरु; धर्मोपदेशक।
धर्मप्राण
(सं.) [वि.] 1. जो धर्म में श्रद्धा रखता हो; धार्मिक; धर्मशील; धर्मपरायण; मज़हबी 2. धर्म को प्राण का तरह प्रिय समझने वाला; अत्यंत धार्मिक; ईश्वरमय।
धर्मबहन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जो धर्म को साक्षी मानकर बहन बनाई गई हो; धर्मभगिनी 2. गुरु कन्या।
धर्मबुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म-अधर्म या पाप-पुण्य का विचार 2. धर्म के प्रति श्रद्धाभाव।
धर्मबोध
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म का ज्ञान; आध्यात्मिक ज्ञान 2. धार्मिक सिद्धांतों का ज्ञान।
धर्मभाई
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो धर्म को साक्षी मानकर भाई बनाया गया हो 2. गुरुपुत्र।
धर्मभीरु
(सं.) [वि.] 1. भयपूर्वक धर्म का पालन करने वाला; धर्मशील 2. जो धर्म के कारण अधर्म करने से डरता हो 3. जिसे धर्म छूटने का भय लगता हो 4. भक्तिमय; धर्मपरायण 5.
धार्मिक 6. मोक्षलोभी 7. ईश्वर से भय खाने वाला 8. नमाज़ी; नेमी।
धर्मभ्रष्ट
(सं.) [वि.] वह जो धर्म से पतित हो गया हो; धर्मच्युत।
धर्मभ्राता
(सं.) [सं-पु.] 1. जो धर्म या मानवता के नाते भाई लगता हो; धर्मभाई 2. गुरुपुत्र।
धर्ममत
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म के रूप में प्रचलित मत 2. धर्म पर आधारित संप्रदाय या विचार 3. मज़हब; संप्रदाय।
धर्ममूर्ति
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म की मान्यताओं के प्रति श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति; धर्मशील; धर्मपरायण व्यक्ति 2. ज्ञानी साधु; सादगी से जीने वाला संत।
धर्मयुद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी महान उद्देश्य के लिए किया जाने वाला युद्ध 2. धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए होने वाला युद्ध; धर्मार्थ युद्ध 3. जिहाद; जेहाद; (क्रूसेड)
4. ऐसा युद्ध जिसमें छल या धोखाधड़ी न की जाती हो।
धर्मयोद्धा
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायपूर्ण तरीके से युद्ध करने वाला 2. किसी बड़े एवं महान उद्देश्य के लिए युद्ध करने वाला 3. जिहादी; गाज़ी 4. धर्मध्वजी 5. मुजाहिद;
धर्मरक्षक।
धर्मराज
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म का पालन करने वाला राजा 2. युधिष्ठिर 3. यमराज 4. न्यायाधीश।
धर्मवर्ती
(सं.) [वि.] जो धर्म के अनुकूल आचरण करता हो; धार्मिक; धर्मपाल; धर्मशील।
धर्मवर्मा
(सं.) [वि.] 1. जो मानवता के लिए युद्ध लड़ता हो 2. धर्मयोद्धा 3. धर्मरक्षक।
धर्मवादी
(सं.) [वि.] 1. धर्म को मानने वाला; धर्म के प्रति आग्रही 2. धर्म को महत्व देने वाला।
धर्मवान
(सं.) [वि.] धार्मिक विचारों वाला; आध्यात्मिक; ख़ुदापरस्त; धर्मशील; धर्मात्मा; धर्मनिष्ठ; धर्मभीरु; मज़हबी।
धर्मविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म से संबंधित विद्या; पौराणिक ज्ञान 2. धर्मज्ञान।
धर्मविरुद्ध
(सं.) [वि.] 1. जो प्रचलित धर्म एवं मान्यताओं का विरोधी हो 2. धार्मिक नियमों और मान्यताओं के प्रतिकूल।
धर्मवीर
(सं.) [वि.] 1. समाज के लिए भलाई का काम करने वाला; जो धर्म संबंधी कार्यों के प्रति उत्साही हो 2. धर्मशील; धर्मयोद्धा 3. नेकदिल; भला 4. जो धर्मपालन के प्रति
दृढ़ हो। [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) वीर रस का एक भेद।
धर्मशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. यात्रियों के ठहरने के लिए बनवाया गया भवन; सराय 2. धार्मिक दृष्टिकोण से भोजन बाँटने का स्थान; सदावर्त।
धर्मशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म विशेष से संबंधित ग्रंथ; पौराणिक ग्रंथ 2. व्यक्ति या समाज के लिए धर्म विशेष से संबंधित नीति-नियमों के विषय में बताने वाला ग्रंथ 3.
किसी धर्म के नियम-सिद्धांतों का वर्णन करने वाला ग्रंथ।
धर्मशास्त्री
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो धर्मशास्त्रों के अनुसार व्यवस्था देता हो 2. धर्मशास्त्र का विद्वान।
धर्मशील
(सं.) [वि.] 1. जो धर्म के अनुसार आचरण करता हो; जिसकी धर्म में प्रवृत्ति हो 2. जो कर्मकांडों में लगा रहता हो; धर्मपाल 3. पूजापाठ करने वाला; धार्मिक 4.
सआदतमंद; शीलवान 5. धर्मनिष्ठ; धर्मवीर।
धर्मसंकट
(सं.) [सं-पु.] 1. दुविधा; असमंजस 2. वह अवस्था जिसमें निष्पक्ष होना या निर्णय लेना कठिन हो; उभयसंकट 3. मानसिक द्वंद्व।
धर्मसंगत
(सं.) [वि.] 1. धर्म के अनुकूल; धार्मिक 2. धर्मसम्मत 3. मज़हबी 4. न्यायसंगत; वैध।
धर्मसंघ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी धर्म के अनुयायियों का संघ 2. बौद्ध धर्म का मठ या संस्थान; धम्मसंघ 3. कुल; संघ 4. धर्मचक्र।
धर्मसत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म विशेष पर आधारित सत्ता या व्यवस्था 2. धार्मिक साम्राज्य।
धर्मसभा
(सं.) [सं-स्त्री.] वह सभा या संस्था जिसमें धार्मिक बातों या विषयों पर विचार और विवेचन होता है; धार्मिक सम्मेलन।
धर्मसम्मत
(सं.) [वि.] धार्मिक नियमों और मान्यताओं के अनुकूल; धार्मिक; धर्मसंगत।
धर्मस्थ
(सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक विचारक 2. न्यायाधीश 3. धर्माध्यक्ष। [वि.] धर्ममय; धर्म से प्रभावित।
धर्मस्थल
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म से जुड़े कार्यकलाप करने का स्थान, जैसे- मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि 2. तीर्थ 3. पूजा या उपासना करने का स्थान।
धर्मस्व
(सं.) [सं-पु.] 1. वह समाज या संस्था जिसकी स्थापना धार्मिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई हो 2. किसी धार्मिक कार्य के निर्वाह के उद्देश्य से या मंदिर
आदि का व्यय चलाने के लिए समर्पित की गई संपत्ति; धर्मादा; धर्मोत्तर संपत्ति।
धर्मांतर
(सं.) [सं-पु.] स्वकीय या प्रस्तुत धर्म से भिन्न कोई और धर्म; अन्य धर्म।
धर्मांतरण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपना धर्म त्यागकर दूसरे धर्म को ग्रहण करने की क्रिया 2. मज़हब, मत या संप्रदाय में परिवर्तन।
धर्मांध
(सं.) [वि.] 1. अपने धर्म या संप्रदाय में अंधश्रद्धा के कारण दूसरे धर्म के प्रति द्वेष और उपेक्षा का भाव रखने वाला 2. असहिष्णु; मतांध।
धर्मांधता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म का अंधे की तरह अनुकरण करने का भाव; मतांधता; अज्ञानता 2. केवल अपने धर्म को श्रेष्ठ समझने का भाव; धार्मिक संकीर्णता; धार्मिक
कट्टरता 3. जड़ता; रूढ़िवादिता 4. सांप्रदायिकता।
धर्मागम
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म से संबंधित ग्रंथ 2. धार्मिक ग्रंथ।
धर्माचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म विशेष के अनुरूप जीवन शैली या व्यवहार; धर्मपालन 2. धार्मिक कार्यकलाप 3. धर्मचर्या 4. धार्मिक परंपराओं का पालन 5. धर्म-कर्म।
धर्माचारी
(सं.) [वि.] 1. धर्म विशेष के अनुसार रहने वाला; धर्मपालक 2. धर्म के प्रति आग्रही 3. धर्मानुयायी; धर्मावलंबी 4. ख़ुदा का बंदा 5. पुण्यात्मा 6. दीनदार; भक्त।
धर्माचार्य
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी धर्म में वह आचार्य या गुरु जो जनता को धर्म के अनुसार आचार-विचार की सीख देता है 2. धर्मगुरु; उपदेशक 3. धर्माधिकारी; मठाधीश।
धर्मात्मज
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म का पुत्र; धर्म के प्रति निष्ठावान व्यक्ति 2. युधिष्ठिर।
धर्मात्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसकी आत्मा धार्मिक संस्कारों से परिपूर्ण हो; धार्मिक व्यक्ति 2. बहुत भला व नेक व्यक्ति।
धर्मादा
(सं.) [सं-पु.] धार्मिक कार्य के लिए निकाला हुआ धन; दान-राशि।
धर्मादेश
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म से संबंधित कोई घोषणा; फ़तवा 2. वाणी; उक्ति; कलमा 3. शास्त्रोक्त बात 4. विधिवाक्य; (कमांडमेंट)।
धर्माधर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छा और बुरा; सच्चा और झूठा 2. {शा-अ.} धर्म और अधर्म 3. धर्म और अधर्म का विवेक या ज्ञान।
धर्माधिकरण
(सं.) [सं-पु.] धर्म संबंधी न्यायालय।
धर्माधिकरिणक
(सं.) [सं-पु.] 1. मध्यकाल में धर्म-अधर्म के बारे में निर्णय करने वाला राजकर्मचारी 2. विचारक 3. न्यायाधीश।
धर्माधिकार
(सं.) [सं-पु.] 1. धार्मिक क्रियाकलापों अथवा धर्म-अधर्म का निरीक्षण 2. धार्मिक मामलों से संबंधित न्याय-व्यवस्था।
धर्माधिकारी
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म और अधर्म का निर्णय करने वाला व्यक्ति; न्यायाधीश 2. कुलाचार्य; आचार्य 3. धर्माचार्य; पादरी; महंत; मौलवी; शेख़ 4. मध्यकाल में राजा की
ओर से दान देने या धर्मार्थ कार्यों के लिए नियुक्त कर्मचारी; दानाध्यक्ष 5. मठाधीश।
धर्माधिपति
(सं.) [सं-पु.] धर्म संबंधी मामलों का अधिकारी और न्यायकर्ता; (जज)।
धर्माधिष्ठान
(सं.) [सं-पु.] वह जगह जहाँ सरकार की ओर से पदासीन न्यायाधीशों के द्वारा मुकदमों की सुनवाई करके न्याय किया जाता है; न्यायालय; अदालत; कचहरी; (कोर्ट)।
धर्माध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी धर्म विशेष का अधिकारी; किसी बड़े धार्मिक स्थल का अध्यक्ष 2. मठाधीश।
धर्मानुकूल
(सं.) [वि.] 1. धर्म व्यवस्था के अनुसार 2. समय और परिस्थिति के अनुकूल।
धर्मानुयायी
(सं.) [सं-पु.] धर्म विशेष का अनुयायी व्यक्ति; धर्मावलंबी; धर्म के अनुसार आचरण करने वाला व्यक्ति।
धर्मानुराग
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म के प्रति लगाव; आध्यात्मिक रुचि 2. किसी धर्म के प्रति आस्था।
धर्मानुरागी
(सं.) [वि.] 1. जो अपने धर्म के प्रति प्रेम या अनुराग रखता हो 2. धर्मनिष्ठ।
धर्मानुष्ठान
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्माचरण; कर्मकांड; पूजा-पाठ 2. धार्मिक कार्य 3. कोई बड़ा धार्मिक कार्य।
धर्मापेत
(सं.) [सं-पु.] 1. अधर्म 2. अन्याय। [वि.] धर्मरहित; अन्यायपूर्ण।
धर्माभास
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा धर्म जो प्रचलित धर्म से अलग नाम मात्र के लिए धर्म हो 2. श्रुति-स्मृतियों की शिक्षाओं के विपरीत असत्य धर्म।
धर्माभिमानी
(सं.) [वि.] 1. धर्म पर अभिमान करने वाला; धर्मानुरागी 2. धर्मांध; कट्टर 3. असहिष्णु।
धर्मारण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. मठ; उपासना स्थल 2. (पुराण) एक प्राचीन तपोवन 3. गया नामक शहर के अंतर्गत एक धार्मिक स्थल 4. (पुराण) कूर्म विभाग के मध्य का देश।
धर्मार्थ
(सं.) [अव्य.] 1. धार्मिक कार्यों के लिए निकाला हुआ; धर्म के लिए; परोपकार के लिए; कल्याणार्थ 2. जनहितार्थ। [सं-पु.] धर्म और परोपकार की दृष्टि से किया गया
दान।
धर्मावतार
(सं.) [सं-पु.] 1. अत्यंत धर्मात्मा व्यक्ति; धर्मशील व्यक्ति 2. (व्यंग्य) ढोंगी; पाखंडी; दुष्टात्मा।
धर्माश्रयी
(सं.) [वि.] 1. धर्म के आश्रय में आया हुआ 2. धर्मानुयायी।
धर्मासन
(सं.) [सं-पु.] 1. वह आसन जिसपर बैठकर धर्म संबंधी निर्णय लिया जाता है 2. न्यायाधीश का आसन या कुरसी।
धर्मिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] पत्नी; भार्या; जाया। [वि.] धर्म का पालन करने वाली स्त्री; धर्मनिष्ठ।
धर्मिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धर्म अथवा कर्तव्य समझकर किसी कार्य में प्रवृत्त होना, जैसे- प्रयोगधर्मिता 2. प्रवृत्ति; रुझान।
धर्मिष्ठ
(सं.) [वि.] जो बहुत धार्मिक हो; धर्म के प्रति निष्ठा रखने वाला।
धर्मी
(सं.) [वि.] 1. किसी विशिष्ट धर्म या गुण से युक्त, जैसे- मानवधर्मी 2. धर्म के सिद्धांतों का पालन करने वाला 3. पुण्यात्मा 4. किसी धर्म या मत का अनुयायी;
धर्मशील; धार्मिक। [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति किसी जो किसी धर्म विशेष को मानता हो 2. किसी गुण या धर्म का आश्रय (पदार्थ) 3. धार्मिक व्यक्ति।
धर्मीपुत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. नाटक का पात्र या अभिनय कर्ता; अभिनेता 2. नट।
धर्मेतर
(सं.) [वि.] 1. जो धर्म से इतर या भिन्न हो 2. धर्म के बाहर का।
धर्मेयु
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) पुरुवंश के एक राजा का पुत्र।
धर्मोत्तर
(सं.) [वि.] 1. जो धर्म और अधर्म के प्रति संवेदनशील हो 2. जो धर्म में बढ़-चढ़कर हो; अति धार्मिक 3. परम न्यायी।
धर्मोन्मत्त
(सं.) [वि.] 1. अपने धर्म के नाम पर अनुचित व्यवहार करने वाला 2. धर्म के लिए उपद्रव मचाने वाला; कट्टर; धर्मांध; असहिष्णु।
धर्मोन्माद
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म के नाम पर अच्छे-बुरे का भेद भूल जाने की अवस्था 2. केवल धार्मिक क्रियाओं में डूबे रहने का स्वभाव 3. धर्म के प्रति पागलपन; धार्मिक
उन्माद।
धर्मोन्मादी
(सं.) [वि.] 1. धर्म के नाम पर अशांति फैलाने वाला 2. धर्म से स्वार्थ साधने वाला; पाखंडी 3. अंधश्रद्धा रखने वाला 4. धार्मिक विद्वेष फैलाने वाला।
धर्मोपदेश
(सं.) [सं-पु.] 1. वह उपदेश जिसमें धर्म तत्वों या सिद्धांतों की शिक्षा हो; ख़ुत्बा 2. धर्म का प्रवचन 3. धर्म की शिक्षा; धर्मशास्त्र।
धर्मोपदेशक
(सं.) [सं-पु.] 1. धर्म संबंधी उपदेश देने वाला व्यक्ति 2. धर्म का शिक्षक; धर्मगुरु।
धर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. अविनीत व्यवहार; अविनय; धृष्टता; गुस्ताख़ी; संकोच या शिष्टता का अभाव 2. असहनशीलता; तुनुकमिजाजी 3. धैर्य का अभाव; अधीरता; बेसब्री 4.
शक्तिबंधन; अशक्त होने या करने का भाव; बेकाम करने या होने का भाव 5. रोक; दबाव 6. नामर्द; नपुंसक; हिजड़ा 7. हिंसा 8. अनादर; अपमान; हतक।
धर्षक
(सं.) [वि.] 1. दमन करने वाला; दबाने वाला 2. अपमान करने वाला 3. स्त्रियों का शील नष्ट करने वाला; व्यभिचारी 4. असहिष्णु 5. ढिठाई करने वाला। [सं-पु.] 1.
अभिनेता 2. नट।
धर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. अनादर; अपमान 2. दुष्कर्म; बलात्कार 3. हिंसा 4. दबोचना 5. दमन।
धर्षणी
(सं.) [सं-स्त्री.] व्यभिचारिणी।
धर्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसका धर्षण किया गया हो; बलात्कृत 2. पराभूत; अपमानित 3. हराया हुआ 4. दबाया हुआ।
धर्षिता
(सं.) [वि.] जिससे बलात्कार हुआ हो। [सं-स्त्री.] वेश्या; व्यभिचारिणी स्त्री।
धर्षी
(सं.) [वि.] 1. धर्षण करने वाला 2. धर दबाने वाला; आक्रमण करने वाला; दबोचने वाला 3. हराने वाला 4. नीचा दिखाने वाला 5. अपमान करने वाला 6. दुष्कर्म करने वाला।
धव
(सं.) [सं-पु.] 1. पति 2. स्वामी 3. पुरुष; मर्द 4. एक वृक्ष जिसकी पत्तियाँ और जड़ औषधि के काम आती हैं। [वि.] धूर्त; चालाक।
धवई
(सं.) [सं-स्त्री.] उत्तर भारत में बहुतायत में पाया जाने वाला लाल फूलों वाला वृक्ष; धाय वृक्ष।
धवनी
(सं.) [सं-स्त्री.] शालिपर्णी नामक औषधीय पौधा; सरिवन।
धवरी
[सं-स्त्री.] 1. सफ़ेद रंग की गाय 2. धवर पक्षी की मादा। [वि.] सफ़ेद रंग की; श्वेत; धवल।
धवल
(सं.) [वि.] 1. उजला; सफ़ेद 2. निर्मल; स्वच्छ; धुला हुआ 3. रुपहला; सुंदर। [सं-पु.] 1. बैल 2. सफ़ेद रंग 3. सफ़ेद गोल मिर्च 4. एक छंद 5. एक राग।
धवलगिरि
(सं.) [सं-पु.] हिमालय पर्वत की एक प्रसिद्ध चोटी।
धवलगृह
(सं.) [सं-पु.] 1. चूने या सफ़ेद रंग से पुता हुआ घर 2. प्रासाद; महल।
धवलपक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. शुक्ल पक्ष 2. हंस।
धवलमृत्तिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सफ़ेद रंग की मिट्टी 2. खड़िया मिट्टी; दूधिया।
धवलश्री
(सं.) [सं-स्त्री.] (संगीत) एक प्रकार की रागिनी।
धवलित
(सं.) [वि.] 1. धुला हुआ; साफ़ 2. उज्ज्वल; उजला; सफ़ेद।
धवलिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धवलता; श्वेतिमा 2. उजाला; सफ़ेदी।
धवली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सफ़ेद गाय 2. सफ़ेद गोल मिर्च।
धवलोत्पल
(सं.) [सं-पु.] 1. कुमुद 2. श्वेत कमल।
धवित्र
(सं.) [सं-पु.] हिरन की खाल का पंखा जिससे प्राचीन समय में यज्ञ की आग सुलगाई जाती थी।
धसक
[सं-स्त्री.] 1. खाँसते समय गले से निकलने वाली ध्वनि 2. सूखी खाँसी 3. धसकने या अपनी जगह से खिसकने का क्रिया या भाव।
धसकना
[क्रि-अ.] 1. नीचे की तरफ़ दबना या खिसकना; धँसना; 2. नीचे की ओर बैठना 3. खाँसना 4. डरकर रुकना या झिझकना 5. डरना; दहलना 6. {ला-अ.} डाह या ईर्ष्या करना; (मन
का) बैठना।
धसान
[सं-स्त्री.] दे. धँसान।
धा
(सं.) [परप्रत्य.] भाँति; तरह, जैसे- बहुधा, नवधा। [सं-पु.] भारतीय संगीत में धैवत स्वर का संकेत रूप; ध।
धाँक
[सं-पु.] भीलों के समान एक आदिवासी जाति।
धाँगड़
[सं-पु.] 1. एक वनवासी जाति जो विंध्य और कैमूर पहाड़ियों पर रहती है 2. एक जाति जो परंपरा से कुएँ और तालाब खोदने का काम करती है।
धाँधना
[क्रि-स.] 1. बंद करना; भेड़ना 2. बहुत खा लेना; ठूँस-ठूँसकर खाना 3. नष्ट करना; ध्वस्त करना 4. त्रस्त या परेशान करना।
धाँधली
[सं-स्त्री.] 1. हेरा-फेरी; अनीति; घोटाला 2. कपट; धोखा 3. उत्पात; ऊधम; शरारत 4. मनमाना व्यवहार; स्वेच्छाचारिता।
धाँधलेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. धाँधली करने वाला; घोटालेबाज़ 2. भ्रष्टाचारी; बेईमान 3. धूर्त।
धाँधलेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. धोखाधड़ी; घोटाला 2. दगाबाज़ी; ठगी 3. भ्रष्टाचार।
धाँय
[सं-स्त्री.] 1. तोप या बंदूक के चलने की आवाज़ 2. गोला या गोली छूटने की ध्वनि 3. धमाका।
धाँस
[सं-स्त्री.] 1. तंबाकू या किसी तीखी चीज़ के धुएँ की खाँसी लाने वाली गंध; धसका 2. धुएँ की तीखी गंध से उठने वाली खाँसी 3. सुँघनी या मिर्च आदि की हवा में मिली
हुई तेज़ गंध।
धाँसना
[क्रि-अ.] 1. ठूँसना; घोंपना; भोकना; बेधना 2. हड़पना 3. घोड़े आदि का खाँसना 4. घोड़े की तरह खाँसना।
धाँसू
[वि.] 1. बढ़िया; शानदार 2. तड़क-भड़कवाला 3. ताकतवर; तगड़ा 4. ज़ोरदार; ज़बरदस्त।
धाक
[सं-स्त्री.] 1. प्रभाव; दबदबा; आतंक 2. शोहरत; ख्याति। [मु.] -जमना : रौब या दबदबा होना; प्रभुत्व स्थापित होना।
धाकड़
[वि.] 1. जिसकी धाक या दबदबा हो 2. ताकतवर; तगड़ा; बलवान; प्रबल 3. प्रसिद्ध; ख्यात 4. हृष्ट-पुष्ट। [सं-पु.] क्षत्रिय समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
धागा
[सं-पु.] सूत आदि का पतला बटा हुआ डोरा; तागा।
धाड़
[सं-स्त्री.] 1. डकैतों का आक्रमण; डकैती 2. चढ़ाई 3. पंक्ति के रूप में दूर तक चला गया जीव-जंतुओं का कोई समूह 4. झुंड; जत्था 5. सेना; फ़ौज 6. चिल्लाकर रोने
की आवाज़; चिल्लाहट; चीख; दहाड़। [मु.] -मार कर रोना : ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाते हुए रोना।
धातकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक तरह का पौधा या झाड़ जिसके फूलों का प्रयोग रँगाई में होता है 2. धव का वृक्ष और उसका फूल।
धातविक
(सं.) [वि.] 1. जो धातु से बनाया गया हो; (मेटलिक) 2. धातु संबंधी।
धाता
(सं.) [सं-पु.] 1. विधाता; ईश्वर 2. ब्रह्मा, विष्णु, महेश नामक देवत्रयी 3. परित्राता; रक्षक।
धातु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लोहा, सोना आदि खनिज पदार्थ; अजैव पदार्थ; (मेटल) 2. क्रिया का मूल रूप 3. मूल तत्व, जैसे- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश; पंचमहाभूत 4.
वीर्य 5. वात, पित्त और कफ़ 6. शरीर में स्थित सात मुख्य तत्व- रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र 7. भाग; अंश 8. अयस; द्रव्य।
धातुक
(सं.) [सं-पु.] अपरिष्कृत या कच्ची धातु; अयस्क; खनिज; (ऑर)।
धातुकर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. धातुओं का विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी 2. धातुओं के शोधन एवं परिष्करण आदि का विज्ञान 3. धातुविद्या; धातुकी; धातुविज्ञान।
धातुक्षय
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के धातु तत्वों का क्षय 2. शरीर को क्षीण या कमज़ोर करने वाला खाँसी का रोग 3. वीर्य का नाश करने वाला प्रमेह रोग; वीर्य हानि 4.
क्षयरोग; (टीबी)।
धातुज
(सं.) [वि.] 1. धातु से बना हुआ 2. धातु से निकला हुआ।
धातुपाठ
(सं.) [सं-पु.] पाणिनी द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण के आधार पर उन धातुओं या क्रियाओं के मूल रूपों की सूची जो सूत्रों से भिन्न है।
धातुपुष्ट
(सं.) [वि.] 1. शक्ति बढ़ाने वाला 2. वीर्यवर्धक।
धातुमय
(सं.) [वि.] 1. जिसमें धातुएँ मिली हुई हों 2. (प्रदेश या क्षेत्र) जहाँ धातुओं की खदानें हों 3. जिसमें खनिज धातुओं की बहुतायत या प्राचुर्य हो 4. खनिज
पदार्थों से भरा हुआ।
धातुमल
(सं.) [सं-पु.] 1. धातुओं या खनिज पदार्थों के प्रसंस्करण करने पर निकलने वाला अवशेष पदार्थ या मैल; खेड़ी; (स्लैग) 2. सीसा 3. शरीरस्थ धातुओं के विकारी अंश,
जैसे- केश, कफ़, नाखून आदि।
धातुमान
(सं.) [वि.] 1. धातुवाला 2. जिसके पास धातुएँ हों 3. जिसमें धातुएँ हों।
धातुमुद्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] धातु के बने हुए सिक्के।
धातुविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान या शास्त्र जिसमें अयस्कों से धातु निर्माण, शोधन और परिष्करण तथा धातुओं के गुणधर्म का अध्ययन किया जाता है; (मेटलर्जी)।
धातुशोधक
(सं.) [सं-पु.] वह पदार्थ या तत्व जिससे धातुओं का शुद्धिकरण किया जाता है।
धातृका
(सं.) [सं-स्त्री.] रोगियों की देखभाल, छोटे बच्चों का पालन-पोषण तथा प्रसूता की देखभाल करने वाली स्त्री; दाई; (नर्स)।
धात्र
(सं.) [सं-पु.] 1. पात्र; आधान; बरतन 2. (पुराण) ब्रह्मा, विष्णु और महेश 3. विधाता। [वि.] 1. धारण करने वाला; धारक 2. रक्षा करने वाला 3. पालन करने वाला; पालक
4. धाता।
धात्रिका
(सं.) [सं-स्त्री.] आँवला; आमलकी।
धात्री
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दाई; उपमाता; धाय माँ 2. माता; माँ 3. पृथ्वी; धरती 4. गाय; गौ 5. गंगा।
धात्रीविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री को प्रसव कराने तथा प्रसूता और नवजात शिशु की समुचित देखभाल का कौशल।
धात्वर्थ
(सं.) [सं-पु.] किसी शब्द की धातु से निकलने वाला मूल अर्थ; प्राथमिक अर्थ।
धात्विक
(सं.) [वि.] 1. धातु से संबंधित 2. धातु से निर्मित 3. अजैव; निर्जीव।
धात्विकी
(सं.) [सं-स्त्री.] धातुओं के रासायनिक तत्वों के अध्ययन से संबंधित विज्ञान की एक शाखा; धातुविज्ञान।
धात्वीय
(सं.) [वि.] 1. धातुसंबंधी 2. धातु से निर्मित।
धान
(सं.) [सं-पु.] 1. एक फ़सल जिसके बीज को कूटकर चावल निकाले जाते हैं; शालि 2. अनाज; अन्न 3. किसी का दिया हुआ भोजन।
धानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जगह; स्थान 2. अधिष्ठान; वास; वह स्थान जहाँ कोई रहता हो, जैसे- राजधानी 3. किसी को आश्रय या आधार देने वाली जगह 4. घर 5. कुछ रखने की
वस्तु; आधार पात्र; बरतन; डिब्बा 6. आलमारी 7. भुना हुआ जौ या गेहूँ; धान्य 8. धनियाँ। [वि.] 1. जिसका रंग धान की पत्ती जैसा हो 2. हलके हरे रंग का। [सं-पु.]
पीलापन लिए हुए हलका हरा रंग।
धानुक
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष चलाने में निपुण व्यक्ति; धनुर्धर 2. एक कामगार जाति 3. उक्त जाति का व्यक्ति।
धानुष्क
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष चलाने वाला व्यक्ति; धनुर्धर 2. तीरंदाज़; कमनैत।
धानुष्का
(सं.) [सं-स्त्री.] अपामार्ग; चिचड़ा।
धानुष्य
(सं.) [सं-पु.] धनुष बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला बाँस।
धानेय
(सं.) [सं-पु.] धनियाँ।
धान्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अन्न; अनाज 2. धान 3. धनियाँ 4. प्राचीन समय की चार तिलों के बराबर की एक तौल 5. नागरमोथा।
धान्यागार
(सं.) [सं-पु.] अन्न रखने का भंडार; धान्यकोठार।
धान्याचल
(सं.) [सं-पु.] दान देने के लिए लगाया गया अनाज का ढेर; धान्यशैल।
धान्याम्ल
(सं.) [सं-पु.] माँड़ का बना हुआ एक खाद्य पदार्थ जो खट्टा होता है; काँजी।
धान्यारि
(सं.) [सं-पु.] 1. अनाज या धान का शत्रु जीव 2. चूहा।
धान्यार्थ
(सं.) [सं-पु.] धान या अनाज के रूप में होने वाली संपत्ति।
धान्योत्तम
(सं.) [सं-पु.] धान की बहुत अच्छी किस्म; शालि।
धान्वन
(सं.) [वि.] 1. मरुस्थलीय देश का 2. मरुस्थलीय देश संबंधी।
धाप
[सं-पु.] 1. कोस की आधी माप; एक मील 2. दूरी की एक माप; लगभग एक साँस में दौड़कर पूरी की जा सकने वाली दूरी 3. लंबा-चौड़ा मैदान 4. दौड़। [सं-स्त्री.] तृप्ति;
तुष्टि; संतोष।
धापना
[क्रि-अ.] 1. नापना 2. एक साँस में दौड़कर नियत दूरी को पार कर लेना।
धाबा
[सं-पु.] 1. छत के ऊपर का कमरा; अटारी; ओलती 2. वह स्थान जहाँ पैसा देने पर खाना मिलता है; ढाबा; बासा।
धाम
(सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ किसी देवता का निवास मान लिया गया हो; मंदिर; देवस्थान 2. गृह; घर; मकान वासस्थान; अधिष्ठान 3. तेज; किरण; प्रभा 4. प्रभाव;
प्रताप 5. बड़ा तीर्थ 6. सेना 7. समूह 8. फालसे की जाति का वृक्ष 9. तन; शरीर।
धामन
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का बाँस 2. फालसे की तरह का पेड़। [सं-स्त्री.] रेतीली भूमि में होने वाली घास।
धामिन
[सं-स्त्री.] हरिताभ सफ़ेद रंग का एक सर्प जो तेज़ सरकने के लिए प्रसिद्ध है।
धाय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूसरे के बच्चे को दूध पिलाने वाली या पालन-पोषण करने वाली स्त्री 2. धात्री; दाई; परिचारिका; (नर्स)। [सं-पु.] धव वृक्ष।
धार
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रवाह 2. तेज; पैनापन 3. पानी का सोता 4. समूह 5. दिशा 6. रेखा 7. बाढ़ 8. डाका 9. फ़ौज; सेना 10. छापा 11. देवी, नदी आदि को दिया जाने
वाला अर्घ्य 12. किनारा 13. पहाड़ की श्रेणी। [सं-पु.] 1. ज़ोर से होने वाली वर्षा 2. ओला 3. एक प्रकार का पत्थर। [वि.] 1. धारण करने वाला 2. बहने वाला। [मु.] -चढ़ाना : 1. देवता आदि पर दूध, जल चढ़ाना 2. सान चढ़ाना।
धारक
(सं.) [वि.] 1. धारण करने वाला; धारयिता 2. रोकने वाला 3. उधार लेने वाला 4. कहीं पर कोई चीज़ लेकर जाने वाला; वाहक 5. पट्टेदार; (बेयरर)। [सं-पु.] 1. वह पात्र
जिसमें कुछ रखा जाए, जैसे- कलश, घड़ा, संदूक आदि 2. धारण करने वाला व्यक्ति 3. ऋण लेने वाला व्यक्ति; कर्ज़दार।
धारण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ को अच्छी तरह से पकड़ना या उठाना 2. थामना; सँभालना 3. वस्त्र या आभूषण शरीर पर पहनना या लपेटना 4. अपने ऊपर लेना 5. कोई बात या
विचार मन में बैठाना; स्मरण रखना 6. आधान; आश्रयण 7. ग्रहण करना; अंगीकार करना 8. ऋण लेना 9. सुरक्षित रखना; रक्षण 10. सहारा 11. पालन।
धारणा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोई विश्वास या विचार; निश्चित मति या मानसिकता 2. मस्तिष्क में कोई वस्तु या विचार धारण करने की शक्ति; स्मृति 3. ग्रहण या धारण करने की
अवस्था, क्रिया, गुण या भाव 4. मर्यादा 5. योग के आठ अंगों में से एक 6. नज़रिया; दृष्टिकोण।
धारणावधि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह कालखंड या अवधि जब तक कोई पद या संपत्ति आदि धारण की जाए अथवा उसका उपभोग किया जाए।
धारणावान
(सं.) [वि.] जिसमें धारण करने की योग्यता या क्षमता हो; मेधावी।
धारणिक
(सं.) [सं-पु.] 1. ऋणी; कर्ज़दार 2. धन या रुपया जमा करने की जगह; ख़जाना 3. वह व्यक्ति जिसके पास कोई वस्तु धरोहर के रूप में रखी जाए; महाजन।
धारणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धमनी; नाड़ी; शिरा 2. पंक्ति; श्रेणी 3. स्थिरता 4. सीधी रेखा 5. पृथ्वी 6. बौद्ध-तंत्र का एक अंग।
धारणीय
(सं.) [वि.] 1. धारण करने योग्य 2. जिसे धारण करना उचित हो। [सं-पु.] धरणीकंद।
धारदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] धारवाला; पैना; (शार्प)।
धारयिता
(सं.) [वि.] 1. धारण करने वाला 2. धारणकर्ता; धारक 3. धर्ता; धाता; धारी 4. ऋण लेने वाला।
धारयिष्णु
(सं.) [वि.] 1. जो धारण करने में समर्थ हो 2. जो धारण कर सकता हो।
धारा1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी तरल पदार्थ के बहने या गिरने की निरंतरता 2. प्रवाह; धार; जलधारा; लहर 3. नदी 4. नदी के जल का बहाव 5. किसी वस्तु का क्रम 6. पहाड़
का किनारा 7. परंपरा 8. शर्त 9. घड़े में पानी गिरने के लिए बनाया गया छेद 10. सेना का अगला भाग 11. लकीर; रेखा 12. प्राचीन समय में राजा भोज की राजधानी 13.
किसी वस्तु का किसी दिशा में बराबर बढ़ते जाना।
धारा2
[सं-स्त्री.] 1. किसी अधिनियम (विधि या कानून के अंतर्गत), विधान या नियमावली का वह स्वतंत्र अंश जिसमें किसी विषय से संबंधित समस्त तथ्यों का समावेश और उल्लेख
होता है; (आर्टिकल) 2. दफ़ा; (सेक्शन)।
धारांकुर
(सं.) [सं-पु.] 1. ओला; घनोपल 2. जल का कण।
धाराग्र
(सं.) [सं-पु.] बाण या तीर का आगे वाला चौड़ा सिरा; बाणाग्र।
धाराट
(सं.) [सं-पु.] 1. मेघ; बादल 2. चातक पक्षी 3. घोड़ा 4. मतवाला हाथी।
धाराधर
(सं.) [सं-पु.] 1. मेघ; बादल 2. तलवार।
धारापात
(सं.) [सं-पु.] 1. जलप्रपात; झरना 2. तीव्र वृष्टि।
धारापूप
(सं.) [सं-पु.] मैदे और दूध को मिलाकर बनाया गया पूआ; पूड़ा।
धाराप्रवाह
(सं.) [सं-पु.] 1. धारा का बहाव 2. धारा का वेग। [वि.] 1. धारा के रूप में निरंतर बहने वाला 2. जो बिना रुके धारा के रूप में चलता हो, जैसे- धाराप्रवाह वक्तव्य
3. अविराम; प्रवाहशील 4. लगातार। [क्रि.वि.] 1. अविराम गति से; अविच्छिन्न रूप में 2. निरंतर और अटूट क्रम से।
धारायंत्र
(सं.) [सं-पु.] वह यंत्र जिससे पानी की धार छूटे; फुहारा।
धाराल
(सं.) [वि.] जिसमें तेज़ धार हो; धारदार (तलवार आदि)।
धारावनि
(सं.) [सं-स्त्री.] हवा; वायु।
धारावार
(सं.+फ़ा.) [क्रि.वि.] बिना विराम के; बिना रुके; बिना क्रमभंग के; निरंतर।
धारावाहिक
(सं.) [सं-पु.] 1. रेडियों या दूरदर्शन पर लगातार क्रमिक रूप से प्रसारित कथाक्रम; (सीरियल) 2. पत्र-पत्रिकाओं में किस्तों में छपने वाली कथा। [वि.] 1. जो धारा
के समान निरंतर चलता रहे 2. धारा की तरह आगे बढ़ने वाला 3. जारी रहने वाला 4. अविच्छिन्न गति वाला; शृंखलाबद्ध; किस्तवार आना 5. जो क्रमशः खंड़ो के रूप में कई
अंशों में बराबर प्रकाशित व प्रसारित होता रहे (लेख, कहानी या उपन्यास)।
धारावाही
(सं.) [वि.] एक सूत्र में या धारा के रूप में बिना रुके आगे बढ़ने या चलने वाला; जो धारा के रूप में आगे बढ़ता हो।
धारासंपात
(सं.) [सं-पु.] अत्यंत तेज़ वृष्टि; मूसलाधार बारिश।
धारासार
(सं.) [सं-पु.] तेज या मूसलाधार वर्षा; अतिवृष्टि; अतिवर्षा। [वि.] जो धारा के रूप में लगातार होता रहे।
धारिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. सेमल का वृक्ष। [वि.] 1. धारण करने वाली 2. जिसपर ऋण हो; कर्ज़दार (स्त्री)।
धारित
(सं.) [वि.] 1. धारण किया हुआ 2. सँभाला हुआ 3. अपने ऊपर लिया हुआ।
धारिता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धारण करने की योग्यता या क्षमता 2. वस्तु आदि की धारण करने की पात्रता; (कपैसिटी)।
धारी
(सं.) [वि.] 1. धारण करने वाला, जैसे- त्रिशुलधारी, कवचधारी 2. पहनने वाला, जैसे- अँगोछाधारी 3. जिसमें सीखी हुई बातों को याद करने की क्षमता हो; धारणावान 4.
जिसमें धार या किनारा हो; किनारदार 5. ऋण लेने वाला। [सं-स्त्री.] 1. रेखा; खाँचा 2. वाहक 3. वस्त्र आदि पर बनी हुई लकीर 4. वनस्पतियों में दिखाई देने वाली नस
जैसी रेखा 5. झुंड; दल 6. सेना; समूह। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वर्णवृत्त 2. ऋणी; कर्ज़दार 3. पीलू का वृक्ष।
धारीदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें रेखाकार चिह्न बने हों (कागज़ आदि) 2. जिसमें धारियाँ बनी हों; धारी वाला (वस्त्र इत्यादि)।
धारोष्ण
(सं.) [वि.] तुरंत का दुहा हुआ (दूध) जो इसी कारण कुछ उष्ण या गरम भी हो।
धार्मपत
(सं.) [वि.] धर्मपति से संबंधित।
धार्मिक
(सं.) [वि.] 1. धर्म से संबंधित 2. धर्मशास्त्रों के अनुसार 3. धर्म में आस्था रखने वाला; धर्मशील 4. न्यायप्रिय।
धार्मिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धार्मिक होने की अवस्था या भाव 2. धार्मिक होने का गुण 3. धर्मशीलता 4. धर्मानुसारिता।
धार्मिकोत्सव
(सं.) [सं-पु.] किसी धार्मिक मान्यता के आधार पर आयोजित उत्सव।
धार्मिण
(सं.) [सं-पु.] धार्मिक व्यक्तियों की मंडली या दल।
धार्मिणेयी
(सं.) [सं-स्त्री.] धर्म का पालन करने वाली स्त्री की पुत्री; धर्मवती।
धार्य
(सं.) [वि.] 1. धारण करने योग्य, जैसे- शिरोधार्य 2. जिसे धारण किया जा सके; धारणीय 3. स्मरण रखने योग्य 4. वहनीय 5. जिसे धारण करना उचित हो। [सं-पु.] पहनने का
वस्त्र; पोशाक।
धावक
(सं.) [सं-पु.] 1. दौड़ने वाला; दौड़ लगाने वाला व्यक्ति 2. दूत; हरकारा 3. राजा हर्ष के समय के संस्कृत कवि 4. कपड़े धोने वाला व्यक्ति; धोबी। [वि.] 1. दौड़कर
या तेज़ चलने वाला।
धावन
(सं.) [सं-पु.] 1. दौड़ना; दौड़ लगाना; बहुत तेज़ी से चलना 2. धोना; शुद्ध करना; धोकर साफ़ करना 3. हरकारा; दूत 4. हमला करना 5. धोने या साफ़ करने में प्रयोग
होने वाली कोई चीज़।
धावनपथ
(सं.) [सं-पु.] 1. दौड़ लगाने का मार्ग या पथ 2. वायुयानों के उड़ान से पूर्व तीव्र गति से जाने का अथवा नीचे उतरने का लंबा मार्ग; (रनवे) 3. अवतरणपथ;
धावनमार्ग।
धावल्य
[सं-पु.] धवलता; सफ़ेदी; श्वेतिमा।
धावा
(सं.) [सं-पु.] 1. हमला; चढ़ाई; आक्रमण 2. प्रहार; आघात।
धाविक
(सं.) [सं-पु.] दौड़ने वाला व्यक्ति; धावक।
धावित
(सं.) [वि.] 1. जो धोया या साफ़ किया हुआ हो; मार्जित 2. तेज़ दौड़ता हुआ 3. दौड़ा हुआ।
धाष्टर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. धृष्टता 2. उद्दंडता; अविनय।
धिंगा
(सं.) [सं-पु.] 1. बदमाश; शरारती; उपद्रवी 2. बेशरम; निर्लज्ज 3. दुष्ट।
धिंगाई
[सं-स्त्री.] 1. शरारत; उपद्रव; ऊधम 2. बदमाशी 3. बेशरमी; निर्लज्जता।
धिंगी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बदमाश या चरित्रहीन स्त्री; दुश्चरिता 2. निर्लज्ज स्त्री।
धिक्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. 'धिक' शब्द कहते हुए निंदा या तिरस्कार की क्रिया या भाव 2. किसी बुरे व्यक्ति के प्रति प्रकट की गई घृणा या तिरस्कार 3. अपमान; भर्त्सना;
निंदा 4. लानत; डाँट 5. वे बातें जिन्हें लोगो के द्वारा नापसंद किया जाए; अप्रिय, अशोभनीय व अपमानजनक बातें 6. एक घृणा व्यंजक शब्द।
धिक्कारना
[क्रि-स.] 1. कठोर शब्दों में निंदा करना; दुतकारना 2. भला-बुरा कहना 3. आलोचना करना 4. घृणापूर्वक लताड़ना 5. डाँटना; फटकारना 6. तिरस्कार करना; अपमान करना 7.
कोसना; सुनाना।
धिक्कृत
(सं.) [सं-पु.] तिरस्कार; लताड़। [वि.] जो धिक्कारा जाए; जिसे धिक कहा जाए; जिसका तिरस्कार हो।
धिग्दंड
(सं.) [सं-पु.] दंड के रूप में धिक्कारते हुए की गई भर्त्सना।
धिया
[सं-स्त्री.] पुत्री; बेटी; लड़की; कन्या।
धियांपति
(सं.) [सं-पु.] बृहस्पति का एक नाम।
धिषण
(सं.) [सं-पु.] 1. बृहस्पति 2. ब्रह्मा 3. विष्णु 4. शिक्षक; गुरु।
धिषणाधिप
(सं.) [सं-पु.] बृहस्पति का एक नाम।
धिष्ण्य
(सं.) [सं-पु.] 1. गृह; घर; मकान; वासस्थान 2. स्थान; जगह 3. अग्नि 4. बल; शक्ति 5. शुक्र ग्रह 6. शुक्राचार्य का एक नाम 7. नक्षत्र; तारा।
धी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समझ; बुद्धि; प्रज्ञा 2. विचार; कल्पना 3. कर्म 4. यज्ञ 5. भक्ति 6. मनोवृति; मन।
धींग
(सं.) [सं-पु.] हट्टा-कट्टा मनुष्य। [वि.] 1. मज़बूत; जोरावर 2. बदमाश; उपद्रवी 3. कुमार्गी; पापी; बुरा।
धींगड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. हट्टा-कट्टा आदमी 2. बलिष्ठ व्यक्ति 3. गुंडा 4. स्त्री का यार; ज़ार। [वि.] 1. दुष्ट; शरारती; पाजी 2. खल 3. मोटा-ताज़ा; बलिष्ठ।
धींगा
[वि.] 1. दुष्ट; शरारती; पाजी 2. खल 3. मोटा-ताज़ा 4. महाकाय 5. बलिष्ठ।
धींगामुश्ती
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसा झगड़ा या मारपीट जिसमें मुक्के और थप्पड़ चलें; हाथा-बाहीं 2. शरारत; ऊधम; उद्दंडता; दुष्टता।
धींद्रिय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज्ञानेंद्रिय 2. बुद्धि।
धींवर
[सं-पु.] दे. धीवर।
धीजना
[क्रि-अ.] 1. धीरज रखना 2. शांत रहना। [क्रि-स.] 1. ग्रहण करना; स्वीकार करना 2. विश्वास करना; प्रतीति करना।
धीत
(सं.) [वि.] 1. जो पिया गया हो 2. जो संतुष्ट किया गया हो 3. जिसपर विचार किया गया हो 4. आराधित।
धीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पान करने की क्रिया; पीना 2. पिपासा; प्यास 3. आराधन 4. विचार करने की क्रिया 5. संतुष्ट करना; तोषण।
धीमर
[सं-पु.] धीवर; एक जाति।
धीमा
(सं.) [वि.] 1. मंद; मंथर 2. धीरे से चलने वाला; कम गति वाला 3. दबा हुआ।
धीमान
(सं.) [सं-पु.] 1. बृहस्पति 2. बुद्धिमान व्यक्ति 3. एक कुलनाम या सरनेम। [वि.] 1. प्रज्ञावान 2. बुद्धिमान 3. दूरदर्शी।
धीमापन
[सं-पु.] 1. धीमा या मंद होने का भाव 2. धुँधलापन 3. सुस्ती।
धीमी
(सं.) [वि.] 1. जो उच्च या तीव्र न हो; कुछ शांत 2. कम गतिवाली।
धीया
(सं.) [सं-स्त्री.] पुत्री; बेटी।
धीर
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. पंडित; विद्वान 3. बुद्ध का नाम 4. एक औषधि 5. शांति। [वि.] 1. जिसमें धैर्य हो 2. जो जल्दी विचलित न हो; स्थिरचित्त; दृढ़ 3. मंद;
ठहरा हुआ 4. गंभीर 5. उत्साही 6. विनीत।
धीर-गंभीर
(सं.) [वि.] 1. धैर्यशील; सहनशील; संयत 2. जो मनोयोग से लगा रहता हो 3. स्थिरचित्त 4. अविलासी; अविचल।
धीरज
(सं.) [सं-पु.] 1. धैर्य 2. संतोष; सब्र 3. दृढ़ता 4. मन की स्थिरता।
धीरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धीर होने की अवस्था; स्थिरता; धैर्य 2. पांडित्य 3. संतोष 4. गंभीरता 5. सहनशीलता।
धीरधर
(सं.) [वि.] धैर्यवान; धैर्यशाली।
धीरललित
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का कलावंत और मृदु स्वभाव वाला नायक।
धीरशांत
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का गुणी, दयालु तथा सुशील नायक।
धीरा
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) धीर स्वभाव की नायिका जो अपने प्रेमी के तन पर परस्त्री रमण के चिह्न देखकर शांत भाव से व्यंग्यपूर्ण शब्दों में रोष प्रकट करे।
धीरा-अधीरा
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) धीर एवं अधीर दोनों प्रकार के गुणों से युक्त नायिका।
धीरे
[क्रि.वि.] 1. धीमी या मंथर गति से 2. मंद स्वर में; धीमी आवाज़ में 3. चुपके से।
धीरे-धीरे
(सं.) [क्रि.वि.] 1. हलकी गति से; हौले-हौले; आहिस्ता-आहिस्ता 2. अत्यंत मंद गति से; मंद स्वर में 3. किश्तों में 4. चुपके-चुपके।
धीरोदात्त
(सं.) [वि.] 1. (काव्यशास्त्र) दृढ़प्रतिज्ञ, विचारशील, बलवान और योद्धा नायक, जैसे- रामचरितमानस महाकाव्य में रामचंद्र 2. गंभीर; विनयी; क्षमावान 3. धीर;
विनम्र 4. वीर रस प्रधान नाटक का नायक।
धीरोद्धत
(सं.) [वि.] 1. (काव्यशास्त्र) बहुत चपल, क्रोधी और स्वयं अपने गुणों का बखान करने वाला नायक 2. उग्र स्वभाववाला, असहिष्णु, अहंकारी।
धीर्य
(सं.) [वि.] कातर।
धीवर
(सं.) [सं-पु.] 1. मछुआ; मल्लाह; केवट 2. (पुराण) एक प्राचीन देश 3. उक्त देश का निवासी 4. सेवक; नौकर 5. काले रंग का व्यक्ति।
धुँगार
[सं-स्त्री.] छौंक; बघार; तड़का।
धुँगारना
[क्रि-स.] 1. बघारना; छौंकना; तड़का देना 2. मारना; पीटना।
धुँधकार
[सं-पु.] 1. धुंकार; गरज; गड़गड़ाहट 2. अंधकार; अँधेरा।
धुँधलका
[सं-पु.] 1. वह समय जिसमें धुँधला प्रकाश हो; हलका अँधेरा 2. सूर्यास्त का समय; धुँधला प्रकाश 3. अनिश्चय की स्थिति।
धुँधला
[वि.] 1. धुंधयुक्त 2. जो साफ़ न दिखाई दे 3. कुछ-कुछ काला; धुएँ की तरह 4. जो अच्छी-तरह याद न हों।
धुँधलाना
[क्रि-अ.] धुँधला होना या पड़ना।
धुँधलापन
[सं-पु.] धुँधला या अस्पष्ट होने का भाव।
धुँधली
[सं-स्त्री.] 1. अँधेरा 2. अस्पष्ट 3. नज़र की कमी या दोष।
धुँधाना
[क्रि-अ.] धुँधला पड़ना। [क्रि-स.] धुँधला करना।
धुंकार
[सं-स्त्री.] ज़ोर का शब्द; गरज; गड़गड़ाहट।
धुंध
[सं-स्त्री.] 1. धुँधलेपन की अवस्था 2. कोहरा 3. हवा में उड़ती हुई धूल; गर्द 4. एक रोग जिसमें आँख की देखने की शक्ति कम हो जाती है।
धुंधका
[सं-पु.] दीवार या छत पर बना हुआ वह बड़ा छेद जो धुआँ निकलने के लिए बनाया जाता है; धोंधका; धुँवारा।
धुंधकार
[सं-पु.] 1. गड़गड़ाहट 2. गर्जना 3. धुँधलापन 4. अँधेरा।
धुंधर
[सं-स्त्री.] 1. हवा में उड़ती धूल 2. अँधेरा।
धुआँ
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु, पदार्थ या लकड़ी आदि के जलने या सुलगने पर निकलने वाली काले या गहरे रंग की वायु या पदार्थ; (स्मोक) 2. धूम्र; धूम।
धुआँकश
[सं-पु.] 1. धुआँ निकलने के लिए छत में बनाया गया छेद; धुवाँरा; (चिमनी) 2. भाप के दबाव से चलने वाला पानी का जहाज़; (स्टीमर)।
धुआँधार
[वि.] 1. घोर; भीषण 2. मूसलाधार; लगातार वेग से; बहुत तेज़ी से।
धुआँना
[क्रि-अ.] धुएँ से युक्त होना; अधिक धुएँ के कारण काला होना।
धुआँयँध
[सं-स्त्री.] 1. अन्न न पचने के कारण आने वाली डकार 2. धुएँ के कारण उत्पन्न गंध। [वि.] जिसमें धुएँ की गंध बस गई हो; धुएँ जैसी गंध वाला।
धुआँया
[वि.] धुएँ के कारण जिसका रंग, स्वाद आदि बिगड़ गया हो।
धुआँरा
[सं-पु.] छत में धुआँ निकलने के लिए बना हुआ छेद; चिमनी।
धुआँस
[सं-स्त्री.] उड़द का आटा।
धुकड़-पुकड़
[सं-स्त्री.] 1. भय आदि के कारण मन में होने वाली हलचल 2. बेचैनी।
धुकधुकी
[सं-स्त्री.] 1. पेट और छाती के मध्य का गहरा भाग 2. हृदय 3. भय या संकोच के कारण हृदय की तेज़ धड़कन; धकधक 4. आशंका; व्याकुलता 5. डर; भय 6. गले में पहना जाने
वाला एक आभूषण।
धुक्कन
[सं-स्त्री.] धुकार; नगाड़े की आवाज़; गड़गड़ाहट; ज़ोर की आवाज़।
धुत
(सं.) [वि.] 1. छोड़ा हुआ; त्यक्त 2. हिलाया हुआ; कँपाया हुआ। [अव्य.] 1. तिरस्कारपूर्वक हटाने या अनादर करने का शब्द 2. दुतकारने का शब्द।
धुतकारना
[क्रि-स.] 1. दुत कहते हुए तिरस्कार करना; दुतकारना; डाँटना 2. धिक्कारना।
धुत्त
[वि.] 1. नशे में चूर 2. नशे में डूबा हुआ; बेसुध 3. निश्चेष्ट; बुत 4. मदिरोन्मत्त।
धुधुकार
[सं-स्त्री.] 1. ज़ोर से होने वाली धू-धू की ध्वनि; आग जलने पर होने वाली आवाज़ 2. गड़गड़ाहट; गरज 3. तूर्यनाद 4. घोर ध्वनि।
धुन1
[सं-स्त्री.] 1. मन की तरंग; मौज 2. विचार; चिंतन 3. किसी कार्य में लीन होने की प्रवृत्ति; साधना 4. किसी की चिंता किए बिना निरंतर कार्य करते रहने की अवस्था
या दशा; लगन; सनक 5. उत्साह; उन्माद; पागलपन 6. स्वर के उतार-चढ़ाव के आधार पर गाने की विशिष्ट शैली; स्वरभंगी।
धुन2
(सं.) [सं-पु.] 1. आवाज़ करना 2. कुछ अंतराल पर हिलना।
धुनकी
[सं-स्त्री.] 1. रुई धुनने का औज़ार; फटका; कठेल; धनुआ; पीजन 2. बच्चों के खेलने का छोटा धनुष।
धुनना
[क्रि-स.] 1. रुई पर धुनकी से बार-बार आघात करके उसके बिनौले और रेशे अलग करना 2. {ला-अ.} पीटना; आघात करना 3. लगातार कोई काम करते जाना।
धुनाई
[सं-स्त्री.] 1. धुनने की क्रिया अवस्था या भाव 2. धुनने की मज़दूरी 3. {ला-अ.} पिटाई; मरम्मत।
धुनियाँ
[सं-पु.] धुनकी की सहायता से रुई धुनने वाला व्यक्ति।
धुपेली
[सं-स्त्री.] 1. धूप के कारण निकलने वाले दाने 2. पसीने के कारण निकलने वाली फुंसी; पित्ती; घमोरी।
धुप्पल
[सं-स्त्री.] धोखा; छल; प्रवंचना।
धुप्पस
[सं-स्त्री.] 1. किसी को डराने या धोखे में रखने के लिए किया गया काम 2. अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए किसी को डराकर दिया जाने वाला धोखा 3. झाँसा-पट्टी 4.
धुप्पल।
धुमैला
[वि.] 1. धुएँ के रंग जैसा 2. धुँधला; धूमिल।
धुर
(सं.) [सं-पु.] 1. गाड़ी का धुरा; अक्ष 2. धुरे के किनारे पर लगने वाली कील 3. भूमि की एक माप; बिस्वांसी 4. शीर्ष या ऊँचा स्थान 5. बैलों के कंधे पर रखा जाने
वाला जुआ 6. भार; बोझ 7. आरंभ। [वि.] 1. ठीक; दुरुस्त 2. पक्का; दृढ़। [अव्य.] 1. किसी स्थान की अंतिम सीमा को सूचित करने वाला शब्द, जैसे- धुर पहाड़ तक; धुर छत
तक 2. चरम सीमा पर 3. एकदम 4. सीधे 5. बहुत दूर। [नि.] बिल्कुल ठीक; ठिकाने तक। [मु.] -सिरे से : बिल्कुल शुरू से।
धुरंधर
(सं.) [वि.] 1. धुर (जुआ) धारण करने वाला 2. जिसके ऊपर भार या बोझ हो 3. होशियार; बुद्धिमान 4. उत्तम गुणों से युक्त 5. प्रधान; श्रेष्ठ 6. बलवान। [सं-पु.] 1.
नेता; अग्रणी 2. बैल आदि जो हल या गाड़ी में जोते जाते हैं 3. धव का पेड़।
धुरा
(सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी या लोहे का वह मज़बूत डंडा जिसमें दोनों सिरों पर लगे हुए वाहन के पहिए घूमते हैं; अक्ष; (ऐक्सिस) 2. वह आधार जिसके सहारे कोई वस्तु
ठहरी रहती है 3. भार; बोझ 4. बोझ ढोने वाला पशु।
धुरी
[सं-स्त्री.] 1. गाड़ी का धुरा; छोटा धुरा 2. अक्ष; चूल 3. पहिए का केंद्रक।
धुरीण
(सं.) [वि.] 1. जो भार सँभालने के लायक हो; जो बोझ ले जाने के योग्य हो 2. जो किसी विषय में औरों से बढ़कर हो 3. अग्रगामी; श्रेष्ठ 4. प्रधान; मुख्य; अहम 5.
धुरा धारण करने योग्य 6. जोते जाने योग्य 7. धुरंधर 8. निर्णायक। [सं-पु.] 1. अग्रणी या प्रधान व्यक्ति 2. जिस व्यक्ति पर उत्तरदायित्व हो 3. रथ में जोते जाने
वाले घोड़े।
धुरीय
(सं.) [वि.] 1. धुरे से संबंधित; धुरे का 2. बोझ लादकर चलने वाला।
धुरीहीन
[वि.] 1. किसी निश्चित सिद्धांत, विचार या मत के केंद्र बिंदु के अभाववाला 2. जिसके केंद्र में कोई न हो; केंद्रहीन।
धुर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसपर बोझ लादा जा सके 2. जोता जाने वाला पशु 3. बैल 4. ऋषभ नामक औषधि। [वि.] 1. भार या बोझ ढोने योग्य 2. उत्तरदायित्व लेने योग्य।
धुर्रा
[सं-पु.] 1. किसी वस्तु का चूरा; चूर्ण 2. धूल का कण।
धुलना
[क्रि-अ.] 1. पानी और साबुन आदि के द्वारा किसी चीज़ को साफ़ करना; धोना 2. धोया जाना 3. पानी से कटकर बह जाना 4. वर्षा आदि से गंदगी का न रहना 5. {ला-अ.} किसी
बुराई या कलंक का मिट जाना या छूटना; नष्ट होना।
धुलवाना
[क्रि-स.] 1. धोने का काम कराना; धुलाना 2. साफ़ कराना।
धुलाई
[सं-स्त्री.] 1. धोए जाने की क्रिया; धावन 2. धोने के बदले दी जाने वाली मज़दूरी 3. पखार; प्रक्षालन 4. मार्जन; सफ़ाई।
धुलाईघर
[सं-पु.] कपड़े धोने या धुलवाने की जगह; प्रक्षालनालय; (लॉन्ड्री)।
धुलेंडी
[सं-स्त्री.] 1. होलिका दहन के दूसरे दिन मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक त्योहार जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग, गुलाल और अबीर आदि लगाते हैं 2. उक्त त्योहार का
दिन।
धुवन
(सं.) [सं-पु.] अग्नि; आग। [वि.] 1. कंपित करने वाला 2. हिलाने वाला 3. चलाने वाला।
धुवाँस
[सं-स्त्री.] उड़द का आटा जिससे पापड़ या कचौड़ी आदि बनाई जाती है।
धुवित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन समय में यज्ञ या हवन में अग्नि सुलगाने या दहकाने में प्रयोग किया जाने वाला मृगचर्म का बना हुआ पंखा 2. ताड़ का पंखा।
धुस्तूर
(सं.) [सं-पु.] धतूरा।
धुस्स
(सं.) [सं-पु.] 1. ढहे या गिरे हुए मकान की ईंट-पत्थर का ढेर; ढूह 2. टीला; ऊँचा ढेरा 3. नदी या जलाशय पर बनाया गया बाँध।
धुस्सा
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊन की मोटी लोई या चादर 2. मोटा कंबल।
धू
[सं-पु.] 1. ध्रुव; ध्रुवतारा 2. गाड़ी का धुरा। [वि.] अचल; स्थिर।
धूक1
[सं-पु.] कलाबत्तू बटने की पतली सलाई।
धूक2
(सं.) [सं-पु.] 1. समय; काल 2. धूर्त व्यक्ति 3. वायु 4. अग्नि।
धूजना
[क्रि-अ.] 1. काँपना 2. हिलना।
धूत
(सं.) [सं-पु.] धूर्त; छली; पाखंडी; चालाक; दगाबाज़; वंचक। [वि.] 1. काँपता हुआ; कंपित 2. हिलता या थरथराता हुआ 3. त्यक्त; दूर किया हुआ 4. छोड़ा हुआ 5. जो
धमकाया गया हो।
धूतना
[क्रि-स.] 1. धूर्तता करना 2. किसी को ठगना।
धूतुक
[सं-पु.] 1. फूँककर बजाया जाने वाला एक प्रकार का लंबा बाजा; तुरही 2. नरसिंहा 3. कल-कारख़ाने की सीटी।
धू-धू
[सं-स्त्री.] 1. तीव्र गति से चटक-चटककर जलने की ध्वनि 2. आग की तेज़ लपटों से होने वाली आवाज़।
धून
[वि.] कंपित; हिलाया हुआ।
धूना
[सं-पु.] भारत में असम क्षेत्र की पहाड़ियों पर होने वाली गुग्गुल की जाति का एक वृक्ष जिसका गोंद एवं छाल धूनी देने और वारनिश बनाने में काम आता है।
धूनी
[सं-स्त्री.] 1. गंधयुक्त धुआँ उठाने के लिए धूप, लोबान आदि को जलाने की क्रिया 2. ठंड से बचने के लिए जलाई गई आग। [मु.] -देना : कोई चीज़ जलाकर
उसका धुँआ देना। -जगाना या रमाना : साधुओं का आग जलाकर उसके सामने बैठना।
धूप
(सं.) [सं-पु.] ऐसा सुगंधित पदार्थ जिसे जलाने पर सुगंधित धुँआ निकलता है। [सं-स्त्री.] सूर्य का प्रकाश; घाम; आतप। [मु.] -खाना : धूप में
बैठना। -दिखाना : धूप में रखना। -में बाल सफ़ेद करना : बिना कुछ सीखे या अनुभव प्राप्त किए उम्र बिताना।
धूपक
(सं.) [सं-पु.] धूप, अगरबत्ती आदि बनाने और बेचने वाला; गंधी।
धूपघड़ी
[सं-स्त्री.] प्राचीन काल में धूप की सहायता से समय की जानकारी देने वाला एक यंत्र।
धूपछाँह
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का रंगीन कपड़ा जिसमें कई रंग दिखाई देते हैं 2. {ला-अ.} ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव; सुख-दुख; उत्थान-पतन; भाग्यचक्र।
धूपदान
(सं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. धूप या लोबान रखने का पात्र 2. वह पात्र जिसमें धूपबत्ती जलाकार लगाई जाती है।
धूपदानी
(सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धूप देने का पात्र 2. धूप और राल इत्यादि सुगंधित द्रव्य का धुआँ उत्पन्न करने का बरतन 3. वह पात्र जिसमें धूपबत्ती जलाने के लिए लगाई
जाती है।
धूपन
(सं.) [सं-पु.] धूप देने की क्रिया; गंधद्रव्य जलाकर सुगंधित धुआँ उठाने का कार्य।
धूपबत्ती
[सं-स्त्री.] 1. सुगंधित धुआँ पैदा करने के लिए जलाई जाने वाली मसाला लगी हुई सींक या बत्ती 2. धूप; अगरबत्ती।
धूपस्नान
(सं.) [सं-पु.] धूप में लगभग नंगे बदन बैठकर या लेटकर शरीर को ताप देना।
धूपित
(सं.) [वि.] 1. धूप के सुगंधित धुएँ से सुवासित किया हुआ; धूप में रमा हुआ 2. तप्त 3. क्लांत; शिथिल 4. दौड़-धूप के कारण थका हुआ।
धूपिया
(सं.) [वि.] धूप संबंधी; धूप में प्रयुक्त किया जाने वाला।
धूपीला
[वि.] धूप से भरा हुआ।
धूम
(सं.) [सं-पु.] 1. धुआँ 2. बादल 3. धूमकेतु 4. उल्कापात 5. कोहरा 6. अपच के कारण आने वाली डकार 7. एक ऋषि 8. मकान बनाने के लिए तैयार किया गया स्थान।
[सं-स्त्री.] 1. शादी, उत्सव आदि के समय लोगों की चहल-पहल 2. हल्ला; कोलाहल; शोर। [मु.] -मचाना : जगह-जगह चर्चा होना; प्रसिद्ध होना।
धूमक
(सं.) [सं-पु.] 1. धुआँ; धूम्र 2. एक प्रकार का साग।
धूमकेतु
(सं.) [सं-पु.] 1. पुच्छल तारा; (कामेट) 2. अग्नि 3. केतु ग्रह 4. शिव का एक नाम 5. रावण की सेना का एक राक्षस 6. संकट का सूचक चिह्न।
धूमजांगज
(सं.) [सं-पु.] वज्रक्षार; नौसादर।
धूम-धड़क्का
[सं-पु.] धूमधाम; हल्ला-गुल्ला; चहल-पहल; भीड़-भाड़।
धूमधाम
[सं-स्त्री.] 1. शोर-शराबा; चहल-पहल 2. समारोह आदि का उल्लासपूर्ण आयोजन या तैयारी 3. शानोशौकत।
धूमन
(सं.) [सं-पु.] कीटों को नियंत्रित करने की एक प्रणाली जिसमें किसी क्षेत्र को गैसीय कीटनाशक से भर दिया जाता है फलतः उसके विषाक्त प्रभाव से कीट नष्ट हो जाते
हैं।
धूमल
(सं.) [वि.] धुएँ के रंग का; धूमवर्णी; धूमिल।
धूमवान
(सं.) [वि.] धुएँ से युक्त; जिसमें धुआँ हो।
धूमांग
(सं.) [वि.] जिसके अंग का रंग धुएँ जैसे रंग का हो। [सं-पु.] शीशम का वृक्ष।
धूमाक्ष
(सं.) [वि.] धुएँ के रंग जैसी आँखोंवाला।
धूमाग्नि
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी आग जिसमें धुआँ हो किंतु लपट न हो।
धूमाभ
(सं.) [वि.] धुएँ के रंग का; धुएँ जैसा।
धूमायित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें धुआँ लगा हो 2. जो धुएँ से धुँधला हो गया हो।
धूमावृत
(सं.) [वि.] धुएँ से आच्छादित; धुएँ में लिपटा हुआ।
धूमित
[वि.] 1. जिसमें धुआँ लगा हो 2. जो धुएँ से धुँधला हो गया हो।
धूमिल
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का वाद्ययंत्र। [वि.] 1. मटमैला 2. धुएँ के रंग का; लाली लिए काले रंग का 3. धुँधला; गंदा 4. मलिन 5. धूम्रपूर्ण 6. धूमर 7. हिंदी के
एक प्रसिद्ध कवि।
धूमोत्थ
(सं.) [वि.] धुएँ से उत्पन्न। [सं-पु.] नौसादर।
धूम्र
(सं.) [सं-पु.] 1. धुआँ 2. धुएँ जैसा रंग; लाली लिए काला रंग 3. महादेव; शिव 4. शिलारस नामक सुगंधित पदार्थ। [वि.] 1. धुँधला 2. धुएँ के रंग का।
धूम्रक
(सं.) [सं-पु.] ऊँट।
धूम्रपट
(सं.) [सं-पु.] वास्तविक स्थिति या तथ्य को छिपाने के लिए दिखाए जा रहे दृश्य के सामने खड़ी की जाने वाली आड़ जिससे दृश्य धुँधला हो जाता है।
धूम्रपान
(सं.) [सं-पु.] 1. आयुर्वेद की एक चिकित्सा पद्धति 2. आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण को धूम्रदंडिका बना कर सिगरेट की तरह पीना (कंठरोग, दंत रोग या नेत्र रोग
में) 3. नशा हेतु तंबाकू, गाँजा आदि पीना (धुआँ ग्रहण करना); (स्मोकिंग)।
धूम्रवत
(सं.) [वि.] धुएँ के समान।
धूम्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्य की बारह कलाओं में से एक 2. ककड़ी।
धूम्राक्ष
(सं.) [वि.] जिसकी आँखो का रंग धुएँ जैसा हो।
धूम्राक्षि
(सं.) [सं-पु.] ख़राब गुणवत्ता वाला या भद्दे रंग का मोती।
धूम्राच्छन्न
(सं.) [वि.] धुएँ से घिरा हुआ; धूम्रावेष्टित।
धूम्राट
(सं.) [सं-पु.] शिकार करने वाला एक पक्षी; धूम्याट पक्षी; भिंगराज।
धूम्राभ
(सं.) [सं-पु.] 1. वातावरण; वायुमंडल 2. वायु।
धूम्रावेष्टित
(सं.) [वि.] धुएँ से घिरा हुआ; धूम्राच्छन्न।
धूम्रिका
(सं.) [सं-पु.] शीशम की तरह का वृक्ष।
धूम्रीकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी स्थान या कमरे आदि को कीटाणुमुक्त करने के लिए संक्रमणनाशक पदार्थ का धुआँ करना; (फ़्यूमिगेशन)।
धूर
[सं-स्त्री.] धूल, मिट्टी आदि का चूर्ण; रज; रेणु; धूलि; धूलिका।
धूर-धुरेटा
[सं-पु.] धूल और गर्द से युक्त स्थान। [वि.] धूल और गर्द में लिपटा हुआ।
धूरा
[सं-पु.] 1. धूल; गर्द 2. चूरा; बारीक चूर्ण।
धूर्जटि
(सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव।
धूर्त
(सं.) [वि.] 1. दुष्ट; कुटिल; बेईमान 2. मक्कार; चालाक 3. दगाबाज़; कपटी; छलिया 4. नीच; ठग। [सं-पु.] 1. जुआरी 2. (साहित्य) शठ नायक 3. लौह किट्ट 4. धतूरा।
धूर्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धूर्त या दुर्जन होने की अवस्था 2. दुष्टता; चालबाज़ी 3. छल; दगाबाज़ी; धोखेबाज़ी 4. प्रतारणा।
धूर्ततापूर्ण
(सं.) [वि.] धूर्ततायुक्त; धूर्तता के साथ।
धूर्तपन
(सं.) [सं-पु.] 1. धूर्तता का भाव; दगाबाज़ी; छल 2. वंचना।
धूर्धर
(सं.) [वि.] 1. भारवाहक; बोझ ढोने वाला 2. धुरंधर।
धूर्वह
(सं.) [वि.] 1. भार वहन करने वाला 2. कार्य का दायित्व ग्रहण करने वाला; कार्यभार सँभालने वाला। [सं-पु.] बोझ ढोने वाला पशु।
धूर्वी
(सं.) [सं-स्त्री.] रथ का अग्रभाग।
धूल
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मिट्टी या पत्थर का बहुत महीन चूर्ण; गर्द 2. रज; रेणु 3. खाक; खेह 4. गुबार 5. {ला-अ.} धूल के समान तुच्छ वस्तु। [मु.] -उड़ना : बरबादी होना। -उड़ाना : बदनामी करना या हँसी उड़ाना। -चाटना : बुरी तरह हार जाना और अधीनता प्रकट
करना। -डालना : छोड़ देना। -फाँकना : मारा-मारा फिरना। -में मिलाना : मटियामेट करना। -में लट्ठ मारना : अनुमान भिड़ाना। -सिर पर धूल डालना : पछताना। किसी के पैर की धूल होना : किसी की तुलना में
बहुत तुच्छ होना।
धूलकण
(सं.) [सं-पु.] रज, गर्द, मिट्टी आदि का सूक्ष्म चूर्ण या कण।
धूल-धक्कड़
[सं-पु.] 1. चारों ओर उड़ने वाली धूल; गर्द 2. निंदनीय उत्पात या उपद्रव।
धूलधूसरित
(सं.) [वि.] 1. जो धूल से लिपटा हो; धूल से लथपथ 2. जिसपर गर्द पड़ी हुई हो 3. जो धूल लगने से मटमैला या भूरे रंग का हो गया हो।
धूलि
(सं.) [सं-स्त्री.] मिट्टी, बालू आदि का बहुत महीन चूर्ण जो प्रायः पृथ्वी के ऊपरी तल पर पाया जाता है; धूल; गर्द; रेणु; रज।
धूलिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल की महीन बूँदों की बारिश; फुहार 2. कुहरा।
धूसर
[सं-पु.] 1. धूल का रंग 2. पीलापन लिए भूरा या मटमैला रंग; ख़ाकी 3. गधा 4. कबूतर 5. ऊँट 6. एक जाति। [वि.] 1. जो धूल से लथपथ हो 2. धूल के रंग का।
धूसरा
[वि.] 1. धूल में लिपटा हुआ; जिसपर धूल पड़ी हो; धूसरित 2. धूल के रंग का; मटमैला; ख़ाकी।
धूसरित
(सं.) [वि.] 1. मटमैला; खाकी 2. धूल से भरा हुआ 3. जो धूल के कारण मैला हो गया हो 4. धूसर किया हुआ; भूरे रंग का।
धूसरी
(सं.) [सं-स्त्री.] किन्नरियों का एक वर्ग।
धूस्तूर
(सं.) [सं-पु.] धतूरा।
धूहा
[सं-पु.] 1. मिट्टी, पत्थर आदि का कुछ उभरा हुआ भू-भाग; टीला 2. चिड़ियों, पशुओं आदि को डराने के लिए खेत में खड़ा किया हुआ घास-फूस, चिथड़ों आदि का बना पुतला;
कागभगोड़ा; बिजूका।
धृत
(सं.) [वि.] 1. धारण या ग्रहण किया हुआ 2. आधारित; स्थित 3. अधीन किया हुआ 4. गिरा हुआ 5. रखा हुआ; स्थिर किया हुआ 6. पतित 7. तौला हुआ 8. पकड़ा हुआ; गिरफ़्तार
किया हुआ। [सं-पु.] 1. ग्रहण या धारण करने का भाव 2. गिरना 3. स्थिति 4. लड़ाई या कुश्ती का ढंग।
धृतराष्ट्र
(सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) दुर्योधन के पिता; कुरुराज; कौरवपिता 2. ऐसा देश जो किसी योग्य राजा या शासक के अधीन हो 3. काली चोंच और काले पैरों वाला एक हंस।
धृतात्मा
(सं.) [वि.] 1. दृढ़ विचारों वाला 2. जिसका अपने मन पर अधिकार हो 3. धीर।
धृति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धारण करने का गुण या शक्ति; धारणा; संकल्प 2. ग्रहण 3. पकड़ना 4. चित्त की स्थिरता; धैर्य; धीरता; गंभीरता 5. दृढ़ स्मरण शक्ति 6. ठहराव
7. प्रीति 8. तुष्टि 9. (पुराण) सोलह मातृकाओं में से एक 10. मन की धारणा जिसके तीन रूप हैं- सात्विकी, राजसी तथा तामसी 11. (काव्यशास्त्र) एक संचारी
(व्यभिचारी) भाव 12. चंद्रमा की एक कला।
धृतिमान
(सं.) [वि.] 1. जिसमें धैर्य हो; धैर्यवान 2. तृप्त; तुष्ट; संतुष्ट।
धृती
(सं.) [वि.] धैर्यवान; धीर।
धृत्वा
(सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु 2. ब्रह्मा 3. आकाश 4. समुद्र 5. बुद्धिमान व्यक्ति 6. धर्म।
धृषित
(सं.) [वि.] 1. वीर; बहादुर; निर्भीक 2. पराजित करने वाला 3. आक्रमण करने वाला।
धृष्ट
(सं.) [सं-पु.] (साहित्य) अपराध करके लज्जित न होने वाला नायक। [वि.] 1. ढीठ; दुस्साहसी 2. बड़ों के समक्ष बेहूदा या ओछा काम करने वाला; निर्लज्ज।
धृष्टता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धृष्ट होने की अवस्था या भाव 2. दुस्साहस; गुस्ताख़ी 3. बेहूदा बरताव; ओछापन; उद्दंडता 4. अवज्ञा; अभद्रता; दुर्व्यवहार 5. निर्लज्जता;
ढिठाई 6. मुँहजोरी; बेहयाई 7. निर्दयता।
धृष्टतापूर्ण
(सं.) [वि.] 1. ढिठाई या उद्दंडता के साथ 2. निर्लज्जतायुक्त 3. निर्दयतापूर्ण।
धृष्णक
(सं.) [वि.] धृष्ट; बेशर्म।
धृष्णि
(सं.) [सं-स्त्री.] किरण; प्रकाश की रेखा।
धृष्णु
(सं.) [वि.] धृष्ट; बेशर्म; बेहूदा। [सं-पु.] 1. वैवस्वत मनु का एक पुत्र 2. एक रुद्र का नाम।
धृष्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका धर्षण किया जा सके; धर्षणीय 2. आक्रमण किए जाने के योग्य 3. जीतने लायक।
धेन
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. बड़ी नदी; नद।
धेनव
(सं.) [सं-पु.] गाय का बच्चा; बछड़ा। [वि.] 1. धेनु या गाय से संबंधित 2. गाय से उत्पन्न।
धेनु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाय; गौ 2. ब्याई हुई गाय; दुधारू गाय।
धेनुमुख
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बाजा; नरसिंहा।
धेय
(सं.) [सं-पु.] 1. पोषण 2. पान 3. पकड़; ग्रहण। [वि.] 1. धारण करने योग्य; धार्य; ध्येय 2. पोषण करने योग्य; पोष्य 3. पीने योग्य; पीने का; पेय।
धेरा
[सं-पु.] पुत्री का पुत्र, नाती। [वि.] जिसकी आँख की पुतली टेढ़ी रहती हो; भेंगा।
धेरी
[सं-स्त्री.] दुहिता; पुत्री; बेटी।
धेलचा
[सं-पु.] पुराने आधे पैसे के बराबर का सिक्का; अधेले के मूल्य का सिक्का।
धेला
[सं-पु.] 1. प्राचीन काल में प्रचलित एक प्रकार का सिक्का 2. पैसे का आधा; धेलचा; अधेला।
धेली
[सं-स्त्री.] 1. प्राचीन काल में प्रचलित एक प्रकार का सिक्का 2. अठन्नी; पचास पैसे का सिक्का।
धेवता
[सं-पु.] दौहित्र; नाती; पुत्री का पुत्र।
धेवती
(सं.) [सं-स्त्री.] पुत्री की पुत्री; दोहती; दौहित्री; नातिन।
धैनुक
(सं.) [सं-पु.] 1. गाय का समूह या दल 2. (कामशास्त्र) रतिक्रिया का एक आसन।
धैर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. धीर होने का भाव 2. शांति; सब्र 3. संकट के समय मन की सहनशीलता या स्थिरता; धीरता; धीरज 4. अविचलन; आत्मनियंत्रण 5. मन के विकारों से रहित
होने का भाव; चित्त की दृढ़ता 6. साहस।
धैर्यवान
(सं.) [वि.] 1. जिसमें धीरज या स्थिरता हो; दृढ़चित्त 2. संकल्पशील; धीर 3. जो संकट के समय विचलित न होता हो; साहसी 4. सब्रवाला; विवेकी।
धैर्यशील
(सं.) [वि.] 1. जिसमें धीरज या स्थिरता हो; दृढ़चित्त 2. संकल्पशील; धीर 3. जो संकट के समय विचलित न होता हो; साहसी 4. सब्रवाला; विवेकी।
धैवत
(सं.) [सं-पु.] (संगीत) सात स्वरों या सप्तक में से छठा स्वर जिसका संकेत धा या ध है।
धैवत्य
(सं.) [सं-पु.] चातुर्य; चालाकी; होशियारी।
धोंडाल
[वि.] जिसमें ढेले, कंकड़-पत्थर हों।
धोंधा
[सं-पु.] 1. भद्दा, बेढंगा या बेडौल शरीर अथवा पिंड 2. मिट्टी आदि का बना हुआ बेडौल लोंदा या पिंड।
धोई
[सं-स्त्री.] ऐसी दाल जिसका छिलका धोकर अलग कर दिया गया हो।
धोका
(सं.) [सं-पु.] दे. धोखा।
धोखा
(सं.) [सं-पु.] 1. विश्वासघात; दगा 2. दूसरों को भ्रमित करने वाला व्यवहार; भुलावा 3. स्वार्थ के लिए किया जाने वाला अनैतिक आचरण 4. आश्वासन देकर बात से मुकर
जाना 5. गबन; छल 6. ख़तरा; जोखिम 7. भ्रम पैदा करने वाली कोई वस्तु; मिथ्या प्रतीति 8. पहचानने में होने वाली भूल; भ्रम 9. संशय; अंदेशा; खटका 10. अनजाने में
होने वाली गलती; त्रुटि 11. खेतों में पक्षियों को डराने के लिए खड़ा किया जाने वाला पुतला; खट-खटा; बिजूखा; बिजूका 12. कसर 13. वंचना। [मु.] -खाना : ठगा जाना। -देना : छलना; भ्रम में डालना।
धोखाधड़ी
[सं-स्त्री.] 1. किसी को धोखा देने का भाव 2. छल-कपटपूर्ण व्यवहार 3. धूर्तता; जालसाज़ी; बेईमानी।
धोखेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. धोखा देने वाला; जालसाज़ी या कपटपूर्ण व्यवहार करने वाला; ठग; विश्वासघाती 2. छली; कपटी; बेईमान; दगाबाज़; धूर्त; कुटिल।
धोखेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. धोखा देने का काम 2. छलने का काम; धूर्तता; दगा 3. विश्वासघात; बेईमानी 4. प्रतारणा 5. वचनभंग।
धोती
[सं-स्त्री.] 1. भारतीय वेशभूषा में पुरुष द्वारा अधोवस्त्र के रूप में तथा महिलाओं द्वारा सर्वांग वस्त्र के रूप में पहना जाने वाला एक लंबा कपड़ा 2. सफ़ेद साड़ी।
[मु.] -ढीली होना : हिम्मत या साहस छूटना; भयभीत होना।
धोना
(सं.) [क्रि-स.] 1. पानी या किसी तरल पदार्थ से किसी चीज़ की गंदगी या मैल साफ़ करना 2. पानी से साफ़ करना; धुलाई करना; (वाशिंग) 3. प्रक्षालित करना; पखारना;
निखारना 4. खँगालना 5. {ला-अ.} दूर हटाना या मिटाना; तिरस्कार करना 6. अलग करना; छोड़ना। [मु.] हाथ धोना : गँवा देना। हाथ धोकर पीछे पड़ जाना : जी-जान से काम के पीछे लग जाना।
धोप
[सं-स्त्री.] तलवार; खड्ग।
धोपना
[क्रि-स.] डाँटना; फटकार लगाना; मारना-पीटना।
धोब
[सं-पु.] धोए जाने की क्रिया (गिनती की दृष्टि से)।
धोबिन
[सं-स्त्री.] 1. कपड़े धोने का व्यवसाय (पेशा) करने वाली स्त्री 2. धोबी की स्त्री 3. धोबी की पत्नी 4. एक लंबी चिड़िया; कुरर पक्षी 5. बीरबहूटी नामक कीड़ा 6.
शीशम की जाति का एक पेड़।
धोबी
[सं-पु.] 1. कपड़ा धोने का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति; रजक 2. एक जाति जो मैले कपड़ों को धोकर अपनी जीविका चलाता है 3. उक्त जाति का व्यक्ति।
धोबीपाट
[सं-पु.] कुश्ती में दूसरे पहलवान को इस तरह उठाकर पटकने का दाँव जैसे धुलाई के लिए धोबी पाट पर कपड़े को पटकता है।
धोरण
(सं.) [सं-पु.] 1. वाहन; यान; सवारी 2. तेज़ गति से जाना; दौड़ 3. घोड़े की एक चाल।
धोरणि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अविच्छिन्न क्रम; शृंखला; श्रेणी 2. परंपरा।
धोरित
(सं.) [सं-पु.] 1. गमन; चाल 2. घोड़े की दुलकी चाल 3. नुकसान करना।
धोरी
[वि.] 1. धुरा (भार) धारण करने या वहन करने वाला 2. मुख्य; प्रधान। [सं-पु.] 1. साज-सँभार करने वाला व्यक्ति; देखभाल और रक्षा करने वाला स्वामी 2. गाड़ी में
जोते जाने वाले बैल 3. धुरंधर 4. श्रेष्ठ व्यक्ति 5. कार्य प्रभारी 6. धुरीण; अग्रणी।
धोवन
[सं-स्त्री.] 1. धोने की क्रिया अथवा भाव 2. वह पानी जिससे कोई चीज़ धुली गई हो।
धौंक
[सं-स्त्री.] 1. धौंकने की क्रिया 2. गरम हवा 3. आग की लपट या लौ।
धौंकना
(सं.) [क्रि-स.] 1. आग सुलगाने के लिए पंखे, भाथी या किसी उपकरण से हवा करना; दहकाना 2. कठोरतापूर्वक दंड देना 3. भार रखना; ऊपर डालना।
धौंकनी
[सं-स्त्री.] लुहारों या सुनारों द्वारा आग सुलगाने के लिए प्रयोग की जाने वाली लोहे या बाँस की नली; भाथी; फुकनी।
धौंकिया
[सं-पु.] 1. धौंकनी चलाने वाला व्यक्ति; आग फूँकने वाला व्यक्ति 2. एक प्रकार के व्यापारी या कारीगर जो बरतन की मरम्मत आदि के लिए धौंकनी साथ लेकर नगर की गलियों
में घूमते हैं।
धौंकी
[सं-स्त्री.] धौंकनी; फूकनी; भाथी।
धौंकू
[वि.] धौंकनी चलाने वाला।
धौंजना
[क्रि-अ.] 1. दौड़ना-धूपना; दौड़-धूप करना 2. परेशान होना। [क्रि-स.] 1. पैरों से रौंदना; कुचलना 2. परेशान करना।
धौंताल
[वि.] 1. जिसे किसी बात या काम की धुन लग जाए 2. फुरतीला; चालाक 3. साहसी; दृढ़ 4. हट्टा-कट्टा; मज़बूत; हेकड़ 5. निपुण; पटु; तेज़ 6. शरारती।
धौंस
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धमकी; घुड़की 2. डाट-डपट 3. धाक; रौब; हेकड़ी 4. झाँसा-पट्टी; भुलावा 5. प्रभुत्व का दबदबा; आतंक 6. अँग्रेज़ी हुकूमत के दौर में असामी या
ज़मींदार से लगान चुकाने में देरी के दंड-स्वरूप लिया जाने वाला धन।
धौंसना
[क्रि-स.] 1. धौंस दिखाना; धमकाना 2. दमन करना 3. मारना-पीटना।
धौंसा
[सं-पु.] 1. बड़ा नगाड़ा; बड़ा ढोल; डंका 2. बूता; शक्ति; सामर्थ्य।
धौंसिया
[सं-पु.] 1. धौंस जमाने वाला या धौंस से काम चलाने वाला व्यक्ति 2. झाँसा पट्टी देने वाला व्यक्ति; धोखेबाज़ 3. धौंसेवाला; नगाड़ा बजाने वाला व्यक्ति 4. वह जो
मालगुजारी के बकाएदारों से मालगुजारी वसूल करने का ख़र्च लेता है।
धौत
(सं.) [सं-पु.] 1. रूपा; चाँदी 2. प्रक्षालन। [वि.] 1. धोया हुआ; धवल 2. साफ़; दीप्त 3. सफ़ेद; उजला।
धौति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धोने या साफ़ करने की क्रिया; शुद्धि; धुलाई 2. (योग) आँतों को साफ़ करने की हठयोग की वह क्रिया जिसमें कपड़े की एक पट्टी लेकर मुँह के
मार्ग से निगलते और बाहर निकालते हैं 3. उक्त क्रिया में प्रयुक्त कपड़े की पट्टी।
धौम्र
(सं.) [वि.] धुएँ के रंग का; धूम्रवर्णवाला। [सं-पु.] धुएँ जैसा रंग।
धौर
[सं-पु.] एक प्रकार का पंडुक पक्षी; सफ़ेद परेवा।
धौरा
(सं.) [सं-पु.] 1. सफ़ेद रंग का बैल 2. धौ का वृक्ष 3. एक प्रकार का पक्षी। [वि.] 1. सफ़ेद; श्वेत 2. धवल; उजला; साफ़।
धौराहर
[सं-पु.] 1. किसी इमारत का वह ऊपरी भाग जो स्तंभ के सदृश बहुत ऊँचा हो गया हो और उस पर चढ़ने के लिए अंदर-अंदर सीढ़ियाँ बनी हों; धौरहर; धरहरा 2. उक्त
वास्तु-रचना में निर्मित कमरा 3. मीनार।
धौरी
[सं-स्त्री.] 1. सफ़ेद गाय; कपिला 2. एक प्रकार की चिड़िया।
धौर्य
(सं.) [सं-पु.] घोड़े की एक प्रकार की चाल; घोड़े की दुलकी चाल।
धौल
[सं-स्त्री.] 1. सिर या पीठ आदि पर हथेली से किया गया आघात 2. चपत; थप्पड़ 3. हानि; नुकसान।
धौल-धप्पा
[क्रि-स.] हाथ के पंजे अथवा हथेली से किसी के सिर पर हलका आघात करना।
धौला
[सं-पु.] 1. सफ़ेद बैल 2. धव का वृक्ष। [वि.] 1. धोया हुआ; धवल 2. सफ़ेद; उजला; श्वेत।
ध्यात
(सं.) [वि.] 1. विचारा हुआ 2. ध्यान किया हुआ 3. जिसपर चिंतन किया गया हो।
ध्यातव्य
(सं.) [वि.] 1. ध्यान देने योग्य; जिसपर ध्यान दिया जाए; विचारणीय 2. ध्यान में लाने योग्य।
ध्याता
(सं.) [वि.] ध्यान लगाने या करने वाला।
ध्यान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विशेष विषय पर चित्त की एकाग्रता 2. किसी स्वरूप का एकाग्र चिंतन 3. चिंतन या मनन करने की प्रवृत्ति 4. स्मृति; याद; ख़याल 5. (योग) ध्येय
विषय के साथ चित्त की एकाग्रता 6. गौर; सोच-विचार 7. बुद्धि; समझ। [मु.] -में डूबना : तल्लीन होना। -में लाना : (किसी बात को)
याद कराना। -जमना : एकाग्रचित्त होना। -दिलाना : सुझाना; चेताना। -देना : विचार करना। -पर चढ़ना : चित्त से न हटना। -बँटना : ख़याल इधर-उधर होना। -आना : याद आना। -रखना : याद
रखना। -करना : एकाग्रचित्त होकर बैठना। -चूकना : एकाग्रता भंग होना।
ध्यानपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] ध्यान से; एकाग्रचित्त होकर।
ध्यानमग्न
(सं.) [वि.] ध्यान में लगा हुआ; ध्यान में लीन।
ध्यानयोग
(सं.) [सं-पु.] वह योग जिसमें ध्यान की प्रधानता हो; ध्यानरूपी योग।
ध्यानशील
(सं.) [वि.] ध्यान करता हुआ; ध्यान लगाने वाला; ध्यानमग्न।
ध्यानस्थ
(सं.) [वि.] 1. ध्यान में लगा हुआ; ध्यानमग्न 2. बेसुध; आत्मविस्मृत।
ध्यानाकर्षक
(सं.) [वि.] ध्यान आकर्षण करने वाला।
ध्यानाकर्षण
(सं.) [सं-पु.] ध्यान खींचने की क्रिया अथवा भाव; ध्यान आकर्षित करना।
ध्यानाकर्षी
(सं.) [वि.] ध्यानाकर्षक।
ध्यानावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] ध्यान में लीन या मग्न होने की अवस्था।
ध्यानी
(सं.) [वि.] 1. ध्यान करने वाला; ध्यानशील 2. समाधि लगाने वाला।
ध्येय
(सं.) [सं-पु.] 1. लक्ष्य; उद्देश्य; (ऑबजेक्ट) 2. ध्यान का विषय। [वि.] 1. ध्यान करने योग्य 2. जिसका ध्यान रखकर प्रयास किया जाए।
ध्रुपद
(सं.) [सं-पु.] (संगीत) गाने की एक विशिष्ट शैली जिसमें स्वर और लय का विचलन नहीं होता है; एक प्रकार का राग; ध्रुवपद।
ध्रुपदिया
[सं-पु.] ध्रुपद गाने वाला गायक; ध्रुपद गायक।
ध्रुव
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध तारा 2. राजा उत्तानपाद और सुनीति का पुत्र जो बाल तपस्वी था 3. आकाश 4. कील 5. पहाड़ 6. वट वृक्ष 7. पृथ्वी के दो सिरे जिनके बीच
की सीधी रेखा अक्ष रेखा कहलाती है। [वि.] 1. स्थिर; अचल 2. सदैव; सदा; नित्य 3. पक्का; दृढ़।
ध्रुवक
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी गीत का वह आरंभिक अंश जो बार-बार दुहराया जाता है; टेक 2. ठूँठ; स्थाणु।
ध्रुवण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु की ध्रुवता का पता लगाना या उसकी ध्रुवता स्थिर करना 2. निश्चित या स्थिर करना।
ध्रुवणता
(सं.) [सं-स्त्री.] निश्चितता की क्रिया या भाव; ध्रुवित करना।
ध्रुवता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ध्रुव होने की अवस्था या भाव 2. अचलता; स्थिरता।
ध्रुवतारा
(सं.) [सं-पु.] उत्तर दिशा में स्थित सुमेरु या उत्तरी ध्रुव के ऊपर सदैव एक स्थान पर स्थित रहने वाला एक तारा।
ध्रुवदर्शक
(सं.) [सं-पु.] 1. सप्तर्षि मंडल 2. एक दिशासूचक यंत्र जिसकी सुई सदैव उत्तर दिशा की ओर संकेत करती है; कुतुबनुमा।
ध्रुव सत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अटल सत्य 2. जो पूर्णतया सत्य हो।
ध्रुवा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का यज्ञपात्र 2. मरोड़फली; मूर्वा 3. सरिवन; शालपर्णी 4. सती और साध्वी स्त्री 5. ध्रुपद नामक गीत।
ध्रुवांत
(सं.) [सं-पु.] ध्रुव का अंतिम सिरा।
ध्रुवाक्षर
(सं.) [सं-पु.] विष्णु।
ध्रुवावर्त
(सं.) [सं-पु.] 1. घोड़ों के अपान, भाल, मस्तक, रंध्र या वक्षस्थल पर होने वाली बालों की भौंरियाँ 2. वह घोड़ा जिसके शरीर पर उक्त भौंरी हो।
ध्रुवीकरण
(सं.) [सं-पु.] ध्रुवीकृत या केंद्रोन्मुख करने या होने का भाव।
ध्रुवीय
(सं.) [वि.] ध्रुव से संबंधित; ध्रुव प्रदेश का; (पोलर)।
ध्रुवीयक
(सं.) [सं-पु.] वह तत्व या उपकरण जो ध्रुवीयण करता हो; (पोलराइज़र)।
ध्रुवीयण
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्रुवीयता होने या ध्रुवीयता देने की अवस्था 2. वह घटना जिसमें प्रकाश या अन्य विकिरण की किरणें कंपन की दिशा में प्रतिबंधित होती हों।
ध्रौव्य
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्रुव होने की अवस्था, गुण या भाव 2. अचलता; स्थिरता 3. निश्चय।
ध्वंस
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या चीज़ के अस्तित्व का मिट जाना 2. विनष्टीकरण; विनाश; नाश 3. तोड़-फोड़ 4. गिरकर खंड-खंड हो जाना 5. (न्यायदर्शन) अभाव का एक भेद।
ध्वंसक
(सं.) [वि.] 1. ध्वंस अथवा विनाश करने वाला; विध्वंसक 2. ढाहने वाला; नष्ट करने वाला।
ध्वंसन
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्वंस होने या किए जाने की क्रिया या भाव 2. किसी चीज़ को नष्ट करने के उद्देश्य से तोड़-फोड़ करना; नाश 3. क्षय 4. गमन।
ध्वंसावशेष
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ के ध्वंस होने पर उसके बचे हुए टूटे-फूटे या रद्दी अंश 2. किसी टूटी या ढही हुई इमारत का अंश; खँडहर।
ध्वंसित
(सं.) [वि.] 1. विनाशित; नष्ट किया हुआ 2. अलग किया हुआ; हटाया हुआ।
ध्वंसी
(सं.) [वि.] 1. ध्वंस या नाश करने वाला; ध्वंसक; नाशक 2. नष्ट होने वाला; नश्वर।
ध्वज
(सं.) [सं-पु.] 1. सेना, रथ, देवता अथवा किसी संस्था आदि का चिह्नयुक्त पताका (या पताका रहित बाँस अथवा कोई सीधी लकड़ी) 2. झंडा; पताका; ध्वजा 3. व्यापारिक
चिह्न; (ट्रेड मार्क) 4. सीमासूचक चिह्न 5. गर्व; दर्प 6. ढोंग 7. योगियों का वह डंडा जिसके ऊपर खोपड़ी लटकाए रहते हैं 8. पलाश का डंडा 9. नाम के अंत में
श्रेष्ठता सूचक।
ध्वजक
(सं.) [सं-पु.] नौसेना का झंडा।
ध्वज रेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] महाशीर्ष के नीचे की परिचयात्मक पंक्ति।
ध्वजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पताका; झंडा 2. मालखंभ की एक प्रकार की कसरत 3. छंदशास्त्र में यगण का पहला भेद, जिसमें पहले लघु फिर दीर्घ होता है।
ध्वजारोहण
(सं.) [सं-पु.] किसी विशिष्ट अवसर पर झंडे को खंभे आदि की ऊँचाई तक रखकर फहराना; ध्वजोत्तोलन।
ध्वजिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सैन्य टुकड़ी 2. पाँच प्रकार की सीमाओं में से वह सीमा, जिसपर वृक्ष आदि के रूप में निशान लगाए गए हों। [वि.] जिस (स्त्री) के पास ध्वज
हो; ध्वजवाली।
ध्वजी
(सं.) [सं-पु.] 1. सेना के आगे ध्वज लेकर चलने वाला व्यक्ति 2. संग्राम; युद्ध; लड़ाई 3. पर्वत; पहाड़।
ध्वजोत्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र के सम्मान में उत्सव; इंद्रध्वज महोत्सव 2. ध्वज फहराना।
ध्वनन
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्वनि करना 2. ध्वनि के रूप में अभिव्यक्त करने की क्रिया या भाव 3. अस्पष्ट शब्द 4. व्यंग्यार्थक क्रिया या भाव।
ध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आवाज़ 2. किसी वाद्य यंत्र से उत्पन्न स्वर 3. एक काव्य भेद जिसमें वाच्य से व्यंग्य अतिशय चमत्कारजनक होता है 4. गूढ़ार्थ 5. व्यंग्यार्थ।
ध्वनिक
(सं.) [वि.] 1. ध्वनि से संबंधित 2. स्वनिम के वैज्ञानिक अध्ययन का या उससे संबंधित।
ध्वनिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] ध्वनियों का विश्लेषण और उनके गुणों पर विचार करने वाली भाषाविज्ञान की एक शाखा; स्वनविज्ञान।
ध्वनिक्षेपक यंत्र
(सं.) [सं-पु.] एक यंत्र जिसके माध्यम से किसी स्थान पर वक्ता द्वारा दिए गए भाषण आदि का प्रसारण चारों तरफ़ किया जा सकता है।
ध्वनिग्राम
(सं.) [सं-पु.] विभिन्न स्थितियों में मनुष्य के गले से निकलने वाली ध्वनियों के भिन्न-भिन्न रूप, जिनका अध्ययन ध्वनिविज्ञान के अंतर्गत किया जाता है; स्वनिम;
(फ़ोनीम)।
ध्वनिग्राही
(सं.) [सं-पु.] एक यंत्र जिससे धीमी से धीमी आवाज़ भी ठीक सुनाई दे; (माइक्रोफ़ोन)।
ध्वनित
(सं.) [वि.] जिसकी ध्वनि हुई हो; जो ध्वनि रूप में प्रकट या व्यक्त हुआ हो; (किसी वाक्य आदि में) जो झलकता हो; व्यंजित। [सं-पु.] शब्द; मेघगर्जन।
ध्वनि तरंग
(सं.) [सं-स्त्री.] वह वायु तरंग जिसमें किसी स्थान में होने वाली ध्वनि के फलस्वरूप एक विशेष प्रकार का कंपन होता है फलस्वरूप श्रवणेंद्रिय को ध्वनि का ज्ञान
हो जाता है; (साउंड वेब)।
ध्वनिमय
(सं.) [वि.] ध्वनियुक्त; ध्वनिपूर्ण; सध्वनि; शब्दोच्चारण सहित।
ध्वनिरति
(सं.) [सं-स्त्री.] उच्चारण की प्रवृत्ति।
ध्वनिविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] भाषाविज्ञान की वह शाखा जिसमें वाक्-स्वनों का विश्लेषण, वर्णन तथा वर्गीकरण किया जाता है; (फ़ोनेटिक्स)।
ध्वन्य
(सं.) [वि.] 1. ध्वनित होने वाला 2. ध्वनित होने योग्य।
ध्वन्यंकन
(सं.) [सं-पु.] ध्वनि का अंकन (ग्राफ़ के रूप में)।
ध्वन्यनुरूप
(सं.) [वि.] ध्वनि के अनुरूप; ध्वनिक; ध्वनि से संबंधित।
ध्वन्यात्मक
(सं.) [वि.] 1. ध्वनि से युक्त 2. ध्वनिरूप; ध्वनिमय 3. जिसमें व्यंग्य अर्थ प्रधान हो।
ध्वन्यार्थ
(सं.) [सं-पु.] ध्वनिमूलक अर्थ; शब्द की व्यंजना शक्ति से निकलने वाला अर्थ।
ध्वन्यालेखन
(सं.) [सं-पु.] किसी की ध्वनि को किसी यंत्र विशेष या उपकरण आदि के माध्यम से इस प्रकार सुरक्षित करना कि आवश्यकता पड़ने पर उसे पुनः सुना जा सके।
ध्वस्त
(सं.) [वि.] 1. ढहा हुआ; नष्ट 2. पतित; गिरा हुआ।
ध्वस्तीकरण
(सं.) [सं-पु.] ध्वस्त करने का कार्य या भाव।
ध्वांत
(सं.) [सं-पु.] 1. अंधकार 2. एक नरक जहाँ सदैव अँधेरा छाया रहता है 3. एक मरुत।
ध्वांतचर
(सं.) [सं-पु.] राक्षस; निशाचर; असुर; दैत्य।