आ1
हिंदी वर्णमाला का स्वर वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह निम्नतर-निम्न, केंद्रीय, अगोलित, दीर्घ स्वर है। यह 'अ' का दीर्घ रूप नहीं है, क्योंकि 'अ' तथा 'आ' में न
केवल मात्रा का, वरन उच्चारण स्थान का भी अंतर है।
आ2
1. पूर्वप्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होने वाला वर्ण जो शब्दों के साथ संयुक्त होकर निम्नलिखित विशिष्टताएँ उत्पन्न करता है- (अ) 'तक' या 'पर्यंत', जैसे-
आक्षितिज, आकंठ आदि (ब) 'आदि' से 'अंत' तक, जैसे- आमरण, आजन्म आदि (स) 'अधिक', 'लगभग' आदि का सूचक, जैसे- आरोहण, आभूषण, आभार आदि 2. कुछ शब्दों में विपरीत होने
का अर्थबोधक बनता है, जैसे- आरोग्य, आगमन आदि 3. प्रत्यय के रूप में 'युक्त' और 'वाला' का अर्थ देता है, जैसे- दोमंज़िला, दोमुँहाँ आदि 4. प्रत्यय जो विशेषण तथा
संज्ञा के रूप में लगकर स्त्रीलिंग रूप बनाता है, जैसे- शिष्य से शिष्या, कमल से कमला आदि।
आँ
[अव्य.] 1. विस्मयसूचक शब्द, जैसे- आँ-आँ करना 2. अन्यमनस्कता के भाव से एकाएक बाहर आने पर कहा जाने वाला शब्द।
आँक
[सं-पु.] 1. आकलन; मूल्य आदि का निर्धारण 2. अक्षर; चिह्न 3. पहिए की धुरी डालने का एक ढाँचा।
आँकड़ा
[सं-पु.] 1. तथ्यों की गणना 2. अदद 3. अंक 4. फंदा; पाश; (हुक) 5. पशुओं का एक रोग।
आँकड़ेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो हर मामले में आँकड़ों पर ज़ोर देता है 2. तथ्यों पर बहुत अधिक ध्यान देने वाला व्यक्ति।
आँकड़ेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आँकड़ों पर ज़ोर देने की क्रिया 2. सांख्यिकी को महत्व देना।
आँकना
(सं.) [क्रि-स.] 1. मूल्यांकन करना; तौलना; अंदाज़ या अनुमान लगाना; अनुमान करना 2. निशान लगाना 3. {ला-अ.} आज़माना।
आँख
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर का वह अंग विशेष जिससे देखा जाता है; नेत्र; नयन 2. सुई का छिद्र 3. ईख की गाँठ पर स्थित अँखुआ; अंकुर 4. परख; पहचान 5. ध्यान 6. मोर
पंख पर आँख की तरह का चिह्न। [मु.] -आना : आँख में लाली व सूजन होना। -का तारा : बहुत प्रिय होना। -खुलना :
जागना; वास्तविकता से अवगत होना; भ्रम दूर होना। -दिखाना : गुस्सा प्रकट करना। -मारना : एक आँख की पलक झपकाकर इशारा करना जो
प्रायः शरारतपूर्ण होता है। -लगना : 1. नींद आना 2. प्रेम होना। -लड़ना : प्रेम होना। आँखें खोलना :
परिस्थिति से परिचित होना। आँखें चुराना : सामने न आना। आँखें डबडबाना : आँखों में आँसू भर आना। आँखें फेरना : प्रतिकूल होना; पहले जैसी कृपा न रखना। आँखें बंद होना : मृत्यु होना। आँखें बिछाना : प्रेम
से स्वागत करना; प्रेमपूर्वक प्रतीक्षा करना। आँखों पर परदा पड़ना : भ्रम होना; अज्ञान या अंधकार छाना। आँखों में चरबी छाना :
घमंड से ध्यान न देना। आँखों में धूल झोंकना : धोखा देना। आँखों में समाए रहना : हृदय में बसना; प्रिय होना।
आँखमिचौनी
[सं-स्त्री.] एक खेल जिसमें एक बच्चे की आँखों पर पट्टी बाँध कर अन्य बच्चे छुप जाते हैं और फिर पट्टी हटा कर वह बच्चा उन्हें ढूँढ़ता है; लुका-छिपी; आँखमिचौली,
जैसे- चाँदनी रात या धूप में सूर्य या चंद्रमा का बादलों में छिपना और निकलना। [मु.] -करना : एक-दूसरे को झाँसा देना; हेराफेरी करना; कहीं
छिपना और प्रकट होना।
आँखमिचौली
[सं-स्त्री.] दे. आँखमिचौनी।
आँगन
(सं.) [सं-पु.] मकान की सीमा में आने वाला वह खुला स्थान जिसे घर के कामों के लिए उपयोग में लाया जाता है; अँगना।
आँगुल
[सं-पु.] दे. अंगुल।
आँघी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की छलनी जिसे महीन कपड़े या जाली से मढ़ा जाता है।
आँच
[सं-स्त्री.] 1. आग की लौ; ताप; गरमी 2. {ला-अ.} अहित; संकट; हानि। [मु.] -आना : हानि होना, प्रभावित होना।
आँचल
(सं.) [सं-पु.] साड़ी या दुपट्टे आदि के दोनों छोरों के पास का भाग; पल्ला। [मु.] -फैलाना : दीनतापूर्वक माँगना। -में बाँधना : वश में रखना; कभी न भूलना।
आँजन
(सं.) [सं-पु.] अंजन; काजल; सुरमा।
आँजना
(सं.) [क्रि-स.] आँखों में अंजन या काजल लगाना।
आँजनी
(सं.) [सं-स्त्री.] काजल या सुरमा रखने का छोटा पात्र; डिबिया; सीप; कजरौटा।
आँठी
[सं-स्त्री.] 1. गुठली; गाँठ 2. नवोढ़ा के स्तन; उठते हुए स्तन 3. दही का थक्का।
आँड़ी
[सं-स्त्री.] 1. अंडकोश 2. गाँठ 3. पहिए की सामी 4. आँठी; गुठली या उसी की तरह की कोई गोल कड़ी चीज़ 5. गाँठ के रूप में होने वाला कंद, जैसे- प्याज़, लहसुन की
आँड़ी।
आँत
[सं-स्त्री.] प्राणियों के पेट की वह लंबी नली जिसमें उसके द्वारा खाई गई वस्तुओं का चयापचय होता है; अँतड़ी; आंत्र। [मु.] -कुलकुलाना : अत्यंत
भूख लगना।
आँधी
(सं.) [सं-स्त्री.] धूल के साथ बहुत तेज़ चलने वाली हवा; झंझावात; तूफ़ान।
आँधी-पानी
[सं-पु.] आँधी और पानी का एक साथ आना; तूफ़ान; बवंडर।
आँय-बाँय-शाँय
(सं.) [वि.] 1. व्यर्थ का; फ़ालतू का 2. बिना सिर-पैर का; असंबद्ध।
आँव
[सं-पु.] 1. अपच के चलते होने वाला एक उदर-रोग जिससे ऐंठन और मरोड़ होती है और सफ़ेद लसलसा पदार्थ मल के साथ निकलता है 2. लसलसा मल।
आँवल
(सं.) [सं-पु.] एक झिल्ली जिससे गर्भ में बच्चे लिपटे रहते हैं; खेड़ी; जेरी।
आँवला
[सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध वृक्ष 2. उक्त वृक्ष पर लगने वाला खट्टा फल जिसका अचार और मुरब्बा भी बनता है।
आँवाँ
[सं-पु.] एक ख़ास तरह की भट्ठी जिसमें कच्ची ईंटें और मिट्टी के बरतन या गमले आदि पकाए जाते हैं।
आँसू
[सं-पु.] 1. दुख, ख़ुशी या कष्ट के क्षणों में आँखों से बहने वाला पानी जैसा तरल पदार्थ; अश्रु 2. अश्क; लोर। [मु.] -पीकर रह जाना : कष्ट को मन
ही मन क्रुद्ध होकर बर्दाश्त कर लेना। -पोंछना : ढाढस बँधाना; तसल्ली देना।
आँहड़
(सं.) [सं-पु.] बरतन; भाँड़ा; मिट्टी का बरतन।
आँहाँ
[अव्य.] 1. मना करने का शब्द; निषेध सूचक शब्द 2. नहीं; न।
आंकिक
(सं.) [वि.] 1. अंक संबंधी; संख्यात्मक; सांख्यिक 2. गणनात्मक 3. गणितीय।
आंगिक
(सं.) [वि.] 1. अंग संबंधी; शारीरिक 2. अंग-संचालन द्वारा अभिव्यक्त होने वाला, जैसे- आंगिक चेष्टाएँ।
आंग्ल
[वि.] अँग्रेज़; अँग्रेज़ी; अँग्रेज़ जाति या समुदाय संबंधी।
आंग्ल-भारतीय
[सं-पु.] 1. जो अँग्रेज़ हिंदुस्तान में बस गए थे 2. अँग्रेज़ और हिंदुस्तानी नस्लों के सम्मिलन से बना समुदाय। [वि.] आंग्ल-भारतीय समुदाय से संबंधित; (ऐंग्लो
इंडियन)।
आंचलिक
(सं.) [वि.] किसी क्षेत्र, प्रांत या अंचल विशेष का; प्रांतीय; क्षेत्रीय।
आंचलिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आंचलिक होने की अवस्था या भाव 2. किसी अंचल की रहन-सहन और सांस्कृतिक विशेषताएँ, जो मूल सामासिक संस्कृति का हिस्सा होते हुए भी अलग दिखती
हैं; क्षेत्रीयता।
आंजनेय
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) अंजना के पुत्र हनुमान।
आंटी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. 'आंट' का संबोधनपरक रूप 2. माँ की उम्र की किसी भी महिला के लिए संबोधन हेतु प्रयुक्त अँग्रेज़ी शब्द 3. चाची; ताई; मामी; बुआ; मौसी।
आंतर
(सं.) [वि.] 1. अंदर का; भीतर का; आंतरिक 2. अंतरंग; गुप्त 3. किसी निश्चित सीमा के भीतरी भाग में होने वाला 4. किसी चीज़ के वास्तविक मूल्य, महत्व आदि से
संबंधित।
आंतरिक
(सं.) [वि.] 1. भीतरी; अंदरूनी; हार्दिक 2. भीतरी बातों से संबंधित।
आंतरिक्ष
(सं.) [वि.] 1. अंतरिक्ष संबंधी 2. आकाशीय; ब्रह्मांडीय 3. अंतरिक्ष।
आंतिक
(सं.) [वि.] अंत या समाप्ति के स्थान से संबंधित; अंत या समाप्ति का; (टरमिनल)।
आंतिक कर
(सं.) [सं-पु.] किसी यात्रा की समाप्ति के स्थान पर पहुँचने के विचार से लिया जाने वाला कर; (टरमिनल टैक्स)।
आंत्र
(सं.) [सं-स्त्री.] आँत; अँतड़ी। [वि.] आँत से संबंधित।
आंत्ररोग
(सं.) [सं-पु.] 1. आँत की बीमारी 2. आंत्र-ज्वर; आँतों में विकार होने से उत्पन्न घातक ज्वर।
आंत्रिक
(सं.) [वि.] आँतों से संबंधित; आँतों में होने वाला।
आंदू
(सं.) [सं-पु.] 1. बेड़ी 2. साँकल; सीकड़ी 3. हाथी के पैर में बाँधने का सीकड़ी।
आंदोलक
(सं.) [वि.] 1. आंदोलन करने वाला; आंदोलनकर्ता 2. हलचल या कंपन उत्पन्न करने वाला।
आंदोलन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी नीतिपूर्ण बात को मनवाने के लिए या निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु शासक या व्यवस्था पर दबाव व्यक्त करने के लिए की जाने वाली सामूहिक
गतिविधि 2. हलचल 3. इधर-उधर झूलना; हिलना 4. इधर से उधर आना-जाना 5. तहरीक।
आंदोलनकर्ता
(सं.) [सं-पु.] आंदोलन करने वाला; ऐसा व्यक्ति जो निर्धारित लक्ष्य हेतु सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक व्यवस्था में उथलपुथल का वातावरण निर्मित करता हो; आंदोलक।
आंदोलनकारी
(सं.) [सं-पु.] वह जो आंदोलन करता या हलचल मचाता हो। [वि.] 1. आंदोलन करने वाला 2. आंदोलन में भाग लेने वाला; (ऐक्टिविस्ट)।
आंदोलित
(सं.) [वि.] 1. आंदोलनरत; आंदोलन में शामिल 2. विक्षुब्ध; उद्वेलित; आलोड़ित; उत्तेजित 3. कंपित 4. डोलायमान 5. भड़का हुआ।
आंशिक
(सं.) [वि.] थोड़ा; कुछ; अल्प।
आइंदा
(फ़ा.) [वि.] आगामी; भावी; आने वाला। [क्रि.वि.] आगे; भविष्य में। [सं-पु.] भविष्य; भविष्यकाल।
आइटम
(इं.) [सं-पु.] 1. वस्तु; माल; चीज़ 2. कार्यक्रम 3. अदद 4. मद 5. इकाई 6. विषय; बात।
आइडिया
(इं.) [सं-पु.] 1. विचार 2. कल्पना 3. धारणा।
आइडेंटिटी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु या व्यक्ति की पहचान 2. अभिज्ञान।
आइडेंटिटी कार्ड
(इं.) [सं-पु.] पहचान-पत्र; किसी संस्थान या कार्यालय आदि की सदस्यता अथवा वाहक को प्रमाणित करने वाला पत्र; अभिज्ञान-पत्र।
आइडेंटिटी क्राइसिस
(इं.) [सं-पु.] 1. पहचान का संकट 2. परिचय का अभाव 3. मध्यमवर्गीय समाज या किशोरावस्था में सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्तिगत पहचान का द्वंद्व।
आइस
(इं.) [सं-पु.] पानी का जमा हुआ टुकड़ा; बरफ़; हिम।
आइसक्रीम
(इं.) [सं-स्त्री.] दूध या खोआ के साथ बरफ़ में शक्कर तथा अन्य सुगंधित चीज़ें मिलाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ; कुलफ़ी; मलाई बरफ़।
आइस-पाइस
[सं-पु.] बच्चों का एक खेल जिसमें एक खिलाड़ी बाकी छिपे हुए खिलाड़ियों को ढूँढ़ता है तथा जो पहले दिखाई पड़ता है उसके नाम के साथ आइस-पाइस जोड़कर कहा जाता है।
आइसबर्ग
(इं) [सं-स्त्री.] बरफ़ की बड़ी चट्टान जो समुद्र में तैरती रहती है; हिमशैल; बरफ़ का पहाड़।
आई ग्लास
(इं.) [सं-पु.] 1. आँख का चश्मा 2. लेंस।
आईना
(फ़ा.) [सं-पु.] दर्पण; शीशा।
आउंस
(इं.) [सं-पु.] माप की एक इकाई जो लगभग 29 ग्राम के बराबर होती है; औंस।
आउट
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी खेल को खेलते समय किसी कारण से असफल होने पर उस खेल से बाहर होने की क्रिया 2. बाहर 3. निकला हुआ (व्यक्ति)।
आक
(सं.) [सं-पु.] मदार; अकौआ; अकवन।
आकंठ
(सं.) [क्रि.वि.] गले तक; पूर्ण रूप से।
आकंपन
(सं.) [सं-पु.] 1. कँपकपी 2. काँपना।
आकंपित
(सं.) [वि.] 1. काँपा हुआ; थरथराया हुआ 2. हिला हुआ 3. {ला-अ.} भयभीत; डरा हुआ।
आकर
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्पत्ति-स्थान 2. खान 3. भंडार; ख़जाना 4. तलवार चलाने का एक ढंग।
आकरिक
(सं.) [सं-पु.] खान खोदने या उसकी देखभाल करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. आकर या खान से संबंध रखने वाला 2. खान के काम की देखरेख करने वाला।
आकरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. खान खोदने का काम या धंधा 2. सुरंग बनाने का काम। [वि.] 1. खान से उत्पन्न 2. खनिज 3. उत्तम जाति या नस्ल का।
आकर्षक
(सं.) [वि.] 1. जिसमें आकर्षण हो; अपनी ओर खींचने वाला 2. रोचक; सुंदर; लुभावना।
आकर्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. विशेष प्रकार का खिंचाव; लगाव 2. दूरस्थ व्यक्ति को पास बुलाने या खींचने हेतु एक प्रकार का तांत्रिक प्रयोग 3. वह गुण जिसके कारण लोग किसी
वस्तु, व्यक्ति आदि की ओर आकृष्ट होते हैं या खिंचे चले जाते हैं।
आकर्षित
(सं.) [वि.] आकर्षण (खिंचाव) की अवस्था या भाव; आकृष्ट।
आकलन
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुमान 2. संग्रह 3. ग्रहण 4. अनुसंधान 5. इच्छा; आकांक्षा 6. व्यय आदि के विषय में पहले से अनुमान लगाना।
आकलनशील
(सं.) [वि.] आकलन में प्रवृत्त; अनुमान में संलग्न।
आकलित
(सं.) [वि.] 1. आकलन किया हुआ 2. समझा हुआ 3. कूता हुआ 4. परिगणित 5. आबद्ध।
आकस्मिक
(सं.) [वि.] 1. सहसा; अचानक; अकस्मात 2. जिसकी पहले से कोई सूचना न हो।
आकस्मिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अचानक या आकस्मिक रूप से घटित होने का भाव 2. अप्रत्याशित स्थिति।
आकस्मिकतावाद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का सिद्धांत जो यह मानता है कि संसार में जो कुछ भी होता है वह सब अकस्मात होता है 2. 'नियतिवाद' का विरोधी सिद्धांत।
आकांक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभिलाषा; इच्छा; चाह 2. वाक्य में एक पद सुनने के बाद दूसरे पद को सुनने की उत्कंठा।
आकांक्षी
(सं.) [वि.] इच्छा या आकांक्षा करने वाला; इच्छुक; अभिलाषी।
आका
(तु.) [सं-पु.] 1. स्वामी 2. मालिक।
आक़ा
(तु.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. आका)।
आकार
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वरूप; बनावट; आकृति 2. मन का भाव बताने वाली शारीरिक चेष्टा 3. 'आ' वर्ण या उसकी ध्वनि।
आकारांत
(सं.) [वि.] वह शब्द जिसके अंत में 'आ' स्वर हो, जैसे- कहा, सुना, खाया आदि।
आकारी
(सं.) [वि.] 1. आकारवाला 2. आकृति का 3. शक्लवाला।
आकाश
(सं.) [सं-पु.] 1. आसमान; नभ 2. शून्य 3. व्योम। [मु.] -पाताल एक करना : भरसक प्रयास करना। -से बातें करना : बहुत ऊँचा होना।
आकाशकुसुम
(सं.) [सं-पु.] 1. आकाश में फूल खिलने की सी असंभव बात; असंभव कार्य 2. कल्पित या अनहोनी बात।
आकाशगंगा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटे-छोटे तारों का समूह जो रात को आकाश में उत्तर-दक्षिण में फैले एक छायापथ यानी चमकीली चौड़ी पट्टी के रूप में दिखाई देता है 2. पुराणों
के अनुसार स्वर्ग की नदी; मंदाकिनी।
आकाशचारी
(सं.) [वि.] आकाश में चलने-फिरने वाला; आकाशगामी (पक्षी, ग्रह आदि)।
आकाशदीप
(सं.) [सं-पु.] ऊँचाई पर जलाया जाने वाला दीया; दिवाली के समय बाँस के सहारे टाँगी जाने वाली ऊँची कंदील।
आकाशबेल
(सं.) [सं-स्त्री.] पेड़ों, झाड़ियों आदि के ऊपर होने वाली एक प्रकार की परजीवी बेल; अमरबेल।
आकाशयान
(सं.) [सं-पु.] विमान; हवाईजहाज़।
आकाशवाणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गगन से सुनाई पड़ने वाली वाणी 2. विशेष यंत्रों के द्वारा ध्वनि तरंगों के माध्यम से विविध कार्यक्रम प्रसारित करने वाली संस्था; (ऑल
इंडिया रेडियो)।
आकाशवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी आमदनी जो बँधी न हो या जिसका कोई ठिकाना न हो 2. अनिश्चित जीविका या वृत्ति।
आकीर्ण
(सं.) [वि.] 1. व्याप्त 2. चारों तरफ़ फैला हुआ 3. भरा हुआ।
आकुंचन
(सं.) [सं-पु.] 1. सिकुड़ना; सिमटना 2. सिकुड़ने से विस्तार में होने वाली कमी; संकोचन 3. टेढ़ा होना 4. (वैशेषिक दर्शन) पाँच प्रकार के कर्मों में से एक कर्म।
आकुंचित
(सं.) [वि.] 1. सिकुड़ी; सिकुड़ा 2. घुँघराले (केश) 3. कुटिल।
आकुंठन
(सं.) [सं-पु.] 1. कुंद होना; भोथरा होना 2. शर्म; लज्जा।
आकुंठित
(सं.) [वि.] 1. लज्जित 2. कुंद; खुट्टल; भोथरा 3. जड़।
आकुल
(सं.) [वि.] 1. व्यग्र; उतावला 2. विह्वल।
आकुलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अकुलाहट; बेचैनी; विह्वलता; घबराहट 2. व्यग्रता; उद्विग्नता 3. उतावलापन 4. अव्यवस्था 5. व्याप्ति।
आकूत
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिप्राय; आशय 2. आश्चर्य 3. अनुभूति 4. उत्साह 5. प्रेरणा।
आकृत
(सं.) [वि.] 1. आकार दिया हुआ; निर्मित; बनाया हुआ 2. क्रम से लगाया हुआ; व्यवस्थित।
आकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] ढाँचा; शक्ल; बनावट।
आकृष्ट
(सं.) [वि.] 1. आकर्षित; खींचा हुआ 2. मुग्ध।
आक्रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. हमला; चढ़ाई; पास जाकर टूट पड़ना 2. अन्य राज्य की सीमा का उल्लंघन 3. छीनना 4. आक्षेप 5. प्रहार।
आक्रमणकारी
(सं.) [वि.] आक्रमण करने वाला; योद्धा।
आक्रमणशील
(सं.) [वि.] 1. आक्रामक स्वभाव का; लड़ाकू 2. उग्र।
आक्रमित
(सं.) [वि.] 1. जिसपर आक्रमण या हमला हुआ हो 2. आक्रांत; पराक्रांत; लंघित।
आक्रांत
(सं.) [वि.] 1. जिसपर आक्रमण हुआ हो; जिसपर हमला किया गया हो 2. पराभूत 3. वशीभूत; अभिभूत; ग्रस्त 4. सताया हुआ 5. व्याप्त।
आक्रांति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आक्रांत होने या रहने की अवस्था 2. उथल-पुथल 3. सताने या सताए जाने की क्रिया या भाव 4. दबाना; चाँपना 5. आरोहण।
आक्रामक
(सं.) [वि.] आक्रमण करने वाला; आक्रमण करने की मुद्रा वाला।
आक्रुष्ट
(सं.) [वि.] 1. जिसे कोसा गया हो; शापित 2. जिसे गाली दी गई हो। [सं-पु.] डाँट-फटकार।
आक्रोश
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रोध युक्त उत्तेजना या आवेश; कोसना 2. चीख-पुकार 3. शाप।
आक्रोशक
(सं.) [वि.] 1. आक्रोश करने वाला; डाँटने फटकारने वाला 2. गाली देने वाला।
आक्रोशित
(सं.) [वि.] 1. जो आक्रोश या क्रोध से भरा हो; क्रुद्ध; आक्रुष्ट 2. जिसपर क्रोध किया गया हो; जो कोसा गया हो 3. अभिशप्त। [सं-पु.] दुर्वचन; डाँट-फटकार।
आक्षिक
(सं.) [सं-पु.] 1. जुए में हारी हुई रकम 2. जुए में जीते पैसे 3. एक वृक्ष। [वि.] 1. जुआ खेलने वाला 2. पासा फेंकने वाला 3. जुए में जीता हुआ।
आक्षिप्त
(सं.) [वि.] 1. फेंका या गिराया हुआ 2. जिसपर आक्षेप हुआ हो; लांछित 3. बुरा; निंदनीय 4. परित्यक्त; निर्दिष्ट 5. घबराया हुआ; व्याकुल।
आक्षीर
(सं.) [सं-पु.] वनस्पति का दूध; पेड़-पौधों के तनों या पत्तों से निकलने वाला सफ़ेद गाढ़ा द्रव्य।
आक्षेप
(सं.) [सं-पु.] 1. दोषारोपण 2. अपवाद 3. लांछन 4. संकेत 5. निर्देश 6. फेंकना 7. उछालना।
आक्षेपक
(सं.) [वि.] 1. आक्षेप करने वाला 2. गिराने या फेंकने वाला 3. जो व्यंग्यपूर्ण आरोप लगाए 4. ताना देने वाला।
आखर
(सं.) [सं-पु.] 1. अक्षर; वर्ण; जो क्षर (नाश) नहीं होता 2. शब्द 3. वचन 4. सार 5. कुल्हाड़ी 6. कुदाल 7. अस्तबल।
आखात
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़मीन आदि खोदने की क्रिया; खनन 2. ज़मीन खोदने का औज़ार 3. कुदाल; खंती 4. खाड़ी।
आख़िर
(अ.) [सं-पु.] 1. अंत; समाप्ति 2. फल; परिणाम; नतीजा। [वि.] अंत में होने वाला; अंतिम। [क्रि.वि.] अंततः; अंत में चल कर।
आख़िरकार
(अ.+फ़ा.) [क्रि.वि.] अंततोगत्वा; अंततः; अंत में चल कर।
आख़िरी
(अ.) [वि.] 1. अंतिम; सबसे पीछे का 2. पिछला।
आखेट
(सं.) [सं-पु.] 1. शिकार 2. मृगया।
आखेटक
(सं.) [सं-पु.] आखेट या शिकार करने वाला; शिकारी; अहेरी।
आख़्ता
(फ़ा.) [वि.] जिसके अंडकोश काट या निकाल दिए गए हों; बधिया।
आख्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्णन; विवरण; व्याख्या 2. नाम 3. यश।
आख्यात
(सं.) [वि.] 1. विख्यात; प्रसिद्ध; मशहूर 2. विवरण या सूचना के रूप में बताया गया 3. जतलाया गया। [सं-पु.] (व्याकरण) क्रिया पद।
आख्यान
(सं.) [सं-पु.] 1. पौराणिक कथा; वृत्तांत 2. वह कथा जिसे लेखक या कहानीकार स्वयं कहता है।
आख्यायक
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी को कोई आख्या, विवरण या सूचना दे या बतलाए; (रिपोर्टर) 2. संदेशवाहक; दूत।
आख्यायिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कथा; कहानी 2. शिक्षा देने वाली कल्पित लघु कथा 3. लघु आख्यान।
आगंतुक
(सं.) [सं-पु.] 1. बाहर से आने वाला 2. भूला-भटका 3. अजनबी 4. अतिथि; मेहमान।
आग
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जो ताप और प्रकाश देता है, अग्नि; (फ़ायर) 2. {ला-अ.} जलन, डाह, संताप 3. {ला-अ.} कामाग्नि; अंतर्दाह। [मु.] -धधकना :
असंतोष फैलना। -बबूला होना : बहुत गुस्से में होना। -लगना : गुस्से से लाल हो जाना।
आगज़नी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गैरकानूनी तरीके से किसी के मकान, संस्थान तथा खेत आदि में आग लगाना 2. घर या संपत्ति को आग लगाकर नष्ट कर देना 3. संपत्ति की
बर्बादी के साथ ही आतंक फैलाने के लिए आग लगाने का आपराधिक एवं हिंसक कृत्य।
आगत
(सं.) [वि.] 1. आया हुआ 2. उपस्थित 3. घटित 4. प्राप्त। [सं-पु.] आने वाला समय; भविष्य।
आगत शब्द
(सं.) [सं-पु.] दूसरी भाषा से आया हुआ शब्द; (बॉरोडवर्ड)।
आगम
(सं.) [सं-पु.] 1. आना 2. समागम 3. संभोग 4. राजस्व 5. व्याकरण में किसी वर्ण की वृद्धि 6. आमदनी; प्राप्ति; राजस्व 7. प्रवाह; धारा 8. सगुण ईश्वर की उपासना का
व्याख्यान करने वाले शास्त्र।
आगमन
(सं.) [सं-पु.] 1. आना 2. उत्पत्ति 3. प्राप्ति।
आगमित
(सं.) [वि.] जिसका अध्ययन किया गया हो; पठित; अधीत।
आगर
[सं-पु.] 1. खान; आकर 2. खज़ाना 3. ढेर 4. नमक जमाने का गड्ढा 5. छप्पर 6. घर। [वि.] 1. कुशल 2. श्रेष्ठ; उत्तम। [क्रि.वि.] बहुत अधिक।
आगा1
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ का आगे का भाग 2. सामने का भाग जैसे- मुख, मुँह, माथा 3. कुरते आदि की काट में आगे का टुकड़ा या पल्ला 4. सेना का अग्र भाग 5. आगे
बढ़कर किया जाने वाला स्वागत 6. भविष्य; आगम।
आगा2
(तु.) [सं-पु.] 1. बड़ा भाई 2. स्वामी 3. मालिक; सरदार 4. अफ़गान; काबुली।
आगाज़
(अ.) [सं-पु.] 1. शुरू; शुरुआत; आरंभ 2. पहल 3. लक्षण; आसार।
आगाध
(सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक विस्तार वाला 2. अत्यधिक गहरा।
आगा-पीछा
[सं-पु.] 1. किसी वस्तु का अगला या पिछला भाग 2. शुभ-अशुभ या अच्छे-बुरे का विचार-विमर्श 3. दुविधा; असमंजस 4. हिचक 5. परिणाम; फल; नतीजा।
आगामिक
(सं.) [वि.] 1. आगम से संबंधित 2. आने वाला 3. भविष्य में होने वाला; भावी।
आगामी
(सं.) [वि.] आगे आने वाला; भविष्य में आने वाला।
आगार
(सं.) [सं-पु.] 1. घर; स्थान 2. अस्त्रागार 3. भंडार; ख़जाना।
आगाह
(फ़ा.) [वि.] 1. ज्ञात; सूचित 2. वाकिफ़ 3. सचेत।
आगाही
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आगाह होने की अवस्था 2. पहले से मिलने वाली जानकारी या सूचना 3. चेतावनी।
आगृहीत
(सं.) [वि.] 1. आग्रहण किया हुआ; निकाला हुआ 2. कहीं जमा किए हुए धन में से निकाला या लिया हुआ; (ड्रान)।
आगृहीती
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जो आग्रहण करे 2. कहीं जमा किए हुए धन में से कुछ रुपए निकालने या लेने वाला व्यक्ति; (ड्राई)।
आगे
[अव्य.] 1. सामने; सम्मुख; अगले स्थान पर 2. भविष्य में 3. पहले (अतीत में; स्थिति)।
आगे-आगे
[क्रि.वि.] 1. अग्रिम रूप से 2. अग्रणी रहते हुए; नेतृत्व करते हुए।
आगे-पीछे
[अव्य.] 1. आगे और पीछे 2. एक के बाद एक 3. आस-पास 4. अवकाश या फ़ुरसत मिलने पर।
आगोश
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. आलिंगन 2. गोद।
आग्नीध्र
(सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित करना 2. यज्ञाग्नि प्रज्ज्वलन का स्थान 3. अग्निहोत्र करने वाला यजमान 4. स्वायंभुवमनु के बारह लड़कों में से एक।
आग्नेय
(सं.) [सं-पु.] 1. अगस्त्य 2. स्कंद 3. एक प्राचीन जनपद (किष्किंधा के पास) 4. अग्निपूजक 5. सोना 6. कृत्तिका नक्षत्र 7. बारूद 8. एक कीड़ा जिसके काटने से जलन
उत्पन्न होती है 9. रक्त 10. आग्नेयास्त्र 11. प्रतिपदा (तिथि)। [वि.] 1. अग्नि से संबंधित 2. अग्नि से उत्पन्न 3. जिसमें से आग निकले।
आग्नेयास्त्र
(सं.) [सं-पु.] ऐसे अस्त्र जो किसी प्रकार की अग्नि या ताप के संयोग से चलाए जाते हैं, जैसे- बंदूक, तोप आदि।
आग्रह
(सं.) [सं-पु.] 1. अनुरोध; निवेदन 2. किसी वस्तु को ग्रहण करना 3. नैतिक बल 4. किसी बात पर बार-बार ज़ोर देना 5. किसी बात पर अड़े रहना; हठ।
आग्रहण
(सं.) [सं-पु.] बैंक आदि में जमा किए हुए रुपयों में से चेक या देयादेश के द्वारा रुपए निकालना; (ड्रॉ)।
आग्रही
(सं.) [वि.] 1. किसी बात पर अड़े रहने वाला; हठ करने वाला; हठी; जिद्दी 2. आग्रह करने वाला।
आग्राहक
(सं.) [वि.] जमा किए हुए धन में से कुछ धन निकालने या लेने वाला।
आघर्षण
(सं.) [सं-पु.] घर्षण; रगड़; संघर्षण।
आघात
(सं.) [सं-पु.] 1. चोट; प्रहार 2. भीतर तक झकझोर देने वाला धक्का 3. घाव 4. विपत्ति; संकट।
आघार
(सं.) [सं-पु.] 1. छिड़कने की क्रिया 2. यज्ञ, हवन आदि में दी जाने वाली घी की आहुति।
आघोष
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़ोर से पुकारना; ज़ोर से किया जाने वाला शब्द 2. ऊँची आवाज़ में कहना 3. गर्वपूर्ण उक्ति 4. मुनादी; घोषणा।
आघ्राण
(सं.) [सं-पु.] 1. सूँघना 2. तृप्ति; अघाना। [वि.] 1. सूँघा हुआ 2. तृप्त।
आचमन
(सं.) [सं-पु.] पूजा, यज्ञ आदि आरंभ करने से पूर्व शुद्धि के लिए मंत्र पढ़ते हुए जल पीना।
आचमनी
(सं.) [सं-स्त्री.] आचमन करने का एक छोटा चम्मच।
आचरण
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यवहार; आचार; चर्या; कार्यालाप 2. चरित्र 3. चाल 4. नियम 5. शुद्धि।
आचरण-पुस्तिका
(सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी पुस्तिका जिसमें किसी कार्यकर्ता के कार्यों, कर्तव्य पालन से संबंधित आचरणों या व्यवहारों आदि का उल्लेख होता है।
आचरणीय
(सं.) [वि.] 1. जो आचरण या व्यवहार करने के योग्य हो 2. आचरण से संबंधित।
आचरित
(सं.) [वि.] 1. आचरण या व्यवहार के रूप में लाया हुआ 2. कार्य के रूप में किया हुआ; (कमिटेड)।
आचार
(सं.) [सं-पु.] 1. आचरण 2. तौर-तरीका 3. चाल-चलन 4. आचरण संबंधी नियम 5. रीति-रिवाज; परिपाटी; प्रथा 6. अन्योन्याश्रित या पारस्परिक व्यवहार, जैसे- पत्राचार,
लोकाचार आदि।
आचारनिष्ठ
(सं.) [वि.] शास्त्रोक्त आचरण संबंधी नियम का अनुपालन करने वाला।
आचारवान
(सं.) [वि.] 1. शास्त्रों के अनुसार कर्म करने वाला 2. शुद्ध आचरण वाला; सदाचारी 3. कर्मनिष्ठ।
आचार-विचार
(सं.) [सं-पु.] 1. लौकिक कर्म और उससे संबंधित विचार 2. नैतिकता 3. संस्कृति 4. मनुष्य के चरित्र, आचरण, कीर्ति आदि सामाजिक व्यवहारों आदि का विवेचन करने वाला
शास्त्र।
आचारसंहिता
(सं.) [सं-स्त्री.] आचरण की संहिता; आचार या आचरण संबंधी नियमावली।
आचारी
(सं.) [वि.] 1. आचारवान; सदाचारी 2. कर्तव्यनिष्ठ। [सं-पु.] रामानुज संप्रदाय का वैष्णव।
आचार्य
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय विशेष का असाधारण विद्वान या ज्ञाता 2. एक पदवी 3. गुरु 4. यज्ञ संबंधी कर्मकांड कराने वाला व्यक्ति।
आचार्या
(सं.) [सं-स्त्री.] महिला आचार्य; शिक्षिका; शिक्षण का कर्म करने वाली स्त्री।
आचार्यानी
(सं.) [सं-स्त्री.] आचार्य की पत्नी।
आचिंत्य
(सं.) [वि.] 1. चिंतन के योग्य 2. जिसपर विचार किया जा सके।
आच्छन्न
(सं.) [वि.] ढका होना; आवृत्त होना; छिपा हुआ।
आच्छादक
(सं.) [वि.] 1. आच्छादन करने वाला 2. ऊपर से ढकने वाला 3. छिपाने वाला। [सं-पु.] जिससे ढका जाए; आवरण।
आच्छादन
(सं.) [सं-पु.] 1. कवच 2. खोल 3. ढक्कन 4. छाजन 5. छिपाना।
आच्छादित
(सं.) [वि.] 1. जिसके ऊपर कोई अच्छादन हो 2. ढका या छिपा हुआ 3. आलेपित 4. ग्रहणग्रस्त।
आच्छेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. काटे जाने की क्रिया या भाव; काटना 2. काट-छाँट 3. पृथक करना 4. बलपूर्वक लेना।
आज
(सं.) [सं-पु.] वर्तमान दिन; आज का बीतता हुआ दिन। [अव्य.] 1. वर्तमान दिन का वाचक 2. वर्तमान समय का वाचक।
आजकल
[सं-पु.] इस समय; वर्तमान युग में। [अव्य.] 1. इस समय; इन दिनों 2. एक दो दिन में। [मु.] -करना : टालमटोल करना। -लगना :
मृत्यु का समय निकट आना।
आजन्म
(सं.) [वि.] 1. जन्म के साथ से ही शुरू होने वाला 2. आजीवन; जीवन भर।
आज़म
(अ.) [वि.] 1. बहुत बड़ा 2. महान।
आज़माइश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. परीक्षा 2. जाँच; परीक्षण; परख 3. कोशिश; प्रयास; चेष्टा।
आज़माइशी
(फ़ा.) [वि.] 1. आज़माइश के तौर पर किया हुआ 2. आज़माइश संबंधी।
आज़माना
(फ़ा.) [क्रि-स.] 1. जाँचना; परखना 2. परीक्षार्थ प्रयोग करना 3. ज़ोर लगाकर देखना; कोशिश करके देखना।
आजा
[सं-पु.] दादा; पितामह; पिता के पिता।
आज़ाद
(फ़ा.) [वि.] 1. मुक्त; स्वतंत्र 2. जेल आदि से छूटा हुआ; बरी 3. निर्भय; निडर 4. बेफ़िक्र; लापरवाह 5. हाजिर-ज़वाब; स्पष्टवक्ता 6. उन्मुक्त।
आज़ादी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. स्वतंत्रता; मुक्ति 2. उन्मुक्तता; आज़ाद-ख़याली 3. बेफ़िक्री; लापरवाही 4. निर्भयता; निडरता।
आजानु
(सं.) [वि.] घुटनों तक लंबा; घुटनों तक लटकता हुआ।
आजानुबाहु
(सं.) [वि.] जिसके हाथ घुटनों तक लंबे हों (वीरों का लक्षण)।
आज़ार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कठिनाई; रोग 2. पीड़ा; कष्ट।
आजिज़
(अ.) [वि.] 1. लाचार; दीन 2. परेशान; तंग 3. ऊबा हुआ; झुँझलाया हुआ।
आजिज़ी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. दीनता; लाचारी 2. परेशानी; तंगी 3. खिझलाहट; झुँझलाहट।
आजीवन
(सं.) [क्रि.वि.] जीवन पर्यंत; जीवनभर; जीवित रहने तक।
आजीविका
(सं.) [सं-स्त्री.] रोज़ी-रोटी; जीवन-यापन का साधन; रोज़गार; पेशा।
आज्ञप्त
(सं.) [वि.] 1. जिसकी आज्ञा दी गई हो; आज्ञापित 2. आज्ञा के रूप में प्राप्त होने वाला।
आज्ञप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सर्वोच्च अधिकारी की किसी कार्य या व्यवस्था के संबंध में विधान के रूप में भेजी जाने वाली आज्ञा या होने वाला निर्णय 2. अध्यादेश 3.
आज्ञा; आदेश 4. न्यायालय या न्यायाधीश का लिखित निर्णय; (डिक्री)।
आज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. इजाज़त, अनुमति 2. हु्क्म; आदेश।
आज्ञाकारी
(सं.) [वि.] आज्ञा को मानने वाला; कहना मानने वाला; आज्ञापालक।
आज्ञापक
(सं.) [वि.] आज्ञा देने वाला। [सं-पु.] प्रभु; मालिक; स्वामी।
आज्ञापत्र
(सं.) [सं-पु.] आदेशपत्र; अनुमतिपत्र; हुकुमनामा।
आज्ञापालन
(सं.) [सं-पु.] किसी की आज्ञा या अनुमति के अनुसार काम करना।
आज्ञापित
(सं.) [वि.] 1. जिसे आज्ञा दी गई हो 2. सूचित; जताया हुआ; आदेशित; कथित 3. जिसके संबंध में आज्ञा या सूचना दी गई हो।
आज्ञाभंग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी की आज्ञा न मानना; अवज्ञा 2. किसी की आज्ञा के विरुद्ध कार्य करना।
आज्ञार्थक
(सं.) [वि.] 1. आज्ञा का सूचक 2. आज्ञा के संबंध में होने वाला।
आज्य
(सं.) [सं-पु.] 1. घी 2. घी की जगह काम आने वाला पदार्थ 3. वे वस्तुएँ जिनकी यज्ञ में आहुति दी जाती है; हवि।
आटना
[क्रि-स.] 1. ऊपर से इतना अधिक लाद देना कि नीचे वाली चीज़ छिप जाए; आच्छादित कर देना 2. ढकना।
आटा
[सं-पु.] 1. पिसा हुआ अनाज; पिसान; चून 2. किसी पदार्थ का चूर्ण रूप; बुकनी। [मुहा.] -गीला होना : कठिनाई में और कठिनाई होना। आटे-दाल का भाव मालूम होना : संसार का व्यावहारिक ज्ञान होना। आटे-दाल की फ़िक्र करना : आजीविका या रोज़ीरोटी की चिंता करना।
आटोप
(सं.) [सं-पु.] 1. फैलाव 2. घमंड; आडंबर 3. साँप के फन का फैलाव; फैला हुआ साँप का फन 4. पेट में गुड़गुड़ाहट होने की क्रिया।
आठ
[वि.] संख्या '8' का सूचक। [मु.] -आठ आँसू रोना : बहुत अधिक विलाप करना।
आठोंपहर
[क्रि.वि.] दिन रात; हर समय।
आडंबर
(सं.) [सं-पु.] 1. दिखावा; प्रदर्शन 2. युद्ध का कोलाहल 3. मेघ का गर्जन 4. हाथी का चिंघाड़ना 5. तंबू 6. गर्व 7. हर्ष।
आडंबरी
(सं.) [वि.] 1. आडंबर रचने वाला; आडंबर करने वाला 2. अभिमानी; घमंडी।
आड़
[सं-स्त्री.] 1. ओट; परदा 2. पीछे 3. बहाना 4. बचाव 5. आश्रय 6. रोक 7. टेक 8. माथे का टीका; आड़ा तिलक।
आड़ना
(सं.) [क्रि-स.] 1. आड़ या ओट करना 2. बीच में बाधा डालना; रोकना 3. मना करना 4. बाँधना 5. गिरवी या रेहन रखना।
आड़ा
(सं.) [वि.] 1. तिर्यक; तिरछा; पड़ा 2. 'खड़ा' या 'सीधे' का उलटा; क्षैतिज तल के समांतर 3. विकट; कठोर। [सं-पु.] 1. एक धारीदार कपड़ा 2. लट्ठा; शहतीर 3. बुनाई में
सूत फैलाने की लकड़ी। [मु.] -तिरछा होना : गुस्सा होना। आड़े आना : बाधक बनना। आड़े हाथों लेना : किसी को
लज्जित करना।
आड़ा-तिरछा
[वि.] उलटा-सीधा। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का धारीदार कपड़ा 2. शहतीर 3. जहाज़ का लट्ठा।
आड़ी
[वि.] 1. तिरछी 2. ओर; तरफ़। [सं-स्त्री.] संगीत का एक राग।
आड़ू
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का फल जिसका स्वाद खट्टा होता है 2. आड़ू का वृक्ष।
आढ्य
(सं.) [वि.] 1. पूरी तरह से संपन्न 2. धनी; अमीर।
आढ़
(सं.) [सं-पु.] 1. अनाज का एक वजन 2. चार सेर की तौल। [वि.] 1. कुशल; दक्ष 2. चतुर; होशियार 3. धनी; अमीर। [मु.] -करना : टाल-मटोल करना।
आढ़त
[सं-स्त्री.] 1. दलाली या कमीशन लेकर दूसरे व्यापारियों का माल बिकवाने का धंधा 2. वह स्थान या अड्डा जहाँ उक्त प्रकार का व्यवसाय होता है 3. उक्त व्यवसाय में
मिलने वाला कमीशन या दलाली।
आढ़तिया
[सं-पु.] वह व्यापारी जो आढ़त से संबंधित कार्य करता है; आढ़ती।
आणविक
(सं.) [वि.] 1. अणु से संबंधित; अणु का 2. अणु की विस्फोटक शक्ति से संबंध रखने वाला।
आतंक
(सं.) [सं-पु.] 1. दहशत; भय; पीड़ा 2. ऐसा भय जिसमें निरंतर यह अनुभूति बनी रहे कि कहीं कोई अनहोनी न घट जाए 3. एक प्रकार का मानसिक विकार; (फ़ोबिया)।
आतंकवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंसा और आतंक का सहारा लेने वाली राजनीति या विचारधारा 2. आतंक, हिंसा और लूटपाट को आज़ादी की लड़ाई का औज़ार बनाने वाली एक उग्र विचारधारा।
आतंकवादी
(सं.) [सं-पु.] 1. आतंकवाद की विचारधारा का अनुयायी 2. आतंककारी गतिविधियों में लिप्त अपराधी। [वि.] आतंक फैलाने वाला।
आतंकित
(सं.) [वि.] आतंक से पीड़ित; भयग्रस्त।
आतंकी
(सं.) [वि.] आतंककारी; आतंक फैलाने वाला। [सं-पु.] आतंकवादी।
आततायी
(सं.) [सं-पु.] 1. अत्याचारी; दुष्ट 2. आक्रमणकारी 3. उपद्रवी 4. क्रूर।
आतप
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का प्रकाश; धूप 2. गरमी; उष्णता; ताप 3. बुख़ार; ज्वर। [वि.] कष्ट देने वाला; पीड़ादायक।
आतपस्नान
(सं.) [सं-पु.] सूर्य के प्रकाश में कुछ समय तक बैठना या लेटना जिससे सारे शरीर पर उसका प्रभाव पड़े; सूर्यस्नान; धूप-स्नान; (सनबाथ)।
आतशी
(फ़ा.) [वि.] 1. आतिश या आग से संबंध रखने वाला 2. आग से पैदा होने वाला 3. आग की लपट जैसा लाल 4. अग्नि-उत्पादक।
आतिथेय
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसके यहाँ अतिथि ठहरा हो; मेज़बान 2. अतिथि सत्कार की सामग्री। [वि.] 1. अतिथि संबंधी 2. अतिथि के लिए उपयुक्त।
आतिथ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अतिथि का सेवा-सत्कार; पहुनाई 2. मेहमान की आवभगत; मेहमाननवाज़ी।
आतिश
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. आतश; अग्नि; आग 2. अत्यधिक गरमी; ताप 3. विस्फोटक 4. गुस्सा; क्रोध।
आतिशबाज़
(फ़ा. [सं-पु.] आतिशबाज़ी का सामान बनाने वाला; गोले-फुलझड़ियाँ बनाने वाला।
आतिशबाज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बारूद या गंधक भरकर बनाए गए खिलौने, जैसे- अनार, पटाखा आदि 2. उक्त खिलौनों के जलने का दृश्य या तमाशा।
आती-पाती
[सं-स्त्री.] पेड़ पर चढ़ने-पकड़ने का खेल।
आतुर
(सं.) [वि.] पूरी तरह उत्सुक; उतावला; व्याकुल; अधीर। [अव्य.] शीघ्र; जल्द।
आतुरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधीरता; उतावलापन 2. जल्दबाज़ी; जल्दी; शीघ्रता।
आतुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. घबराहट; व्याकुलता; आतुरता 2. शीघ्रता; अधीरता; उतावलापन।
आत्म
(सं.) [वि.] 1. आत्मन् का सामासिक रूप 2. आत्मा या मन से संबंधित 3. अपना; निज का। [सं-पु.] आत्मा।
आत्मकथा
(सं.) [सं-स्त्री.] अपने जीवन की इतिवृत्तात्मक कहानी; स्वलिखित जीवनचरित।
आत्मकथात्मक
(सं.) [वि.] 1. आत्मकथा की शैली में लिखा हुआ; आत्मचरितात्मक 2. आत्मपरक; आपबीती संबंधित।
आत्मकथ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने संबंध में कही गई बात 2. वह बात जो स्वयं के अनुभव पर आधारित हो।
आत्मकेंद्रित
(सं.) [वि.] जो अपने को सर्वोपरि महत्व दे; जो हर बात में अपने को ही केंद्र में रखे।
आत्मगत
(सं.) [वि.] मन के भीतर का; स्वगत; अपने से संबंधित; अपने आप में होने वाला; अपने मन में उत्पन्न।
आत्मगौरव
(सं.) [सं-पु.] अपनी प्रतिष्ठा या सम्मान का ख़याल रखने का भाव; आत्मसम्मान; स्वाभिमान।
आत्मग्रस्त
(सं.) [वि.] स्वयं द्वारा ग्रसित; स्वयं के भाव में जकड़ा हुआ; स्वयं से आक्रांत।
आत्मग्लानि
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी अनुचित कार्य को करने के बाद स्वयं पर होने वाला पश्चाताप; पछतावा; खेद।
आत्मघातक
(सं.) [वि.] आत्मघात या आत्महत्या करने वाला।
आत्मघाती
(सं.) [वि.] 1. किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपनी हत्या का संकल्प करने वाला 2. स्वयं की क्षति (हानि) का उपक्रम करने वाला।
आत्मचरित
(सं.) [सं-पु.] स्वलिखित जीवन चरित्र; आत्म-वृत्त; आत्मकथा; (ऑटोबायोग्राफ़ी)।
आत्मचर्चा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ुद की चर्चा; ख़ुद का उल्लेख 2. आत्मप्रशंसा।
आत्मचिंतन
(सं.) [सं-पु.] अपने बारे में या अपनी भूमिका के बारे में सोचना; बाहरी दुनिया से कट कर मन और आत्मा के बारे में चिंतन।
आत्मचेतना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दर्शन और मनोविज्ञान की एक साझा अवधारणा 2. आत्मानुभूति से संबंध रखने वाला ज्ञान।
आत्मज
(सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा; लड़का 2. कामदेव। [वि.] 1. अपने से उत्पन्न 2. अपने द्वारा उत्पन्न किया हुआ।
आत्मज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मा-परमात्मा संबंधी ज्ञान 2. ब्रह्मज्ञान 3. अपने बारे में या अपनी आत्मा का ज्ञान।
आत्मज्ञानी
(सं.) [वि.] आत्मा-परमात्मा संबंधी ज्ञान रखने वाला। [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे आत्मज्ञान या आत्मसाक्षात्कार हुआ हो; ब्रह्मज्ञानी।
आत्मतुष्टि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वतुष्टि; आत्मसंतुष्टि; आत्मसंतोष 2. मनचाहा कार्य होने पर प्राप्त संतोष।
आत्मतोष
(सं.) [सं-पु.] आत्मसंतुष्टि; आत्मिक संतुष्टि।
आत्मत्याग
(सं.) [सं-पु.] किसी अच्छे काम या पर-हित के लिए किया गया स्वार्थ-त्याग।
आत्मदमन
(सं.) [सं-पु.] ख़ुद को कष्ट या पीड़ा देने की क्रिया; आत्मपीड़न।
आत्मदर्शी
(सं.) [वि.] स्वयं को देखने और समझने वाला; आत्मसाक्षात्कार करने वाला।
आत्मदान
(सं.) [सं-पु.] आत्मत्याग; दूसरों के हित के लिए अपना स्वार्थ त्यागना।
आत्मदाह
(सं.) [सं-पु.] ख़ुद को जलाकर मार डालने की क्रिया।
आत्मनियंत्रण
(सं.) [सं-पु.] अपनी इच्छाओं और व्यवहार पर नियंत्रण करना; आत्मानुशासन।
आत्मनिर्णय
(सं.) [सं-पु.] स्वयं के द्वारा लिया गया निर्णय; अपना निर्णय; अपनी अंतरात्मा द्वारा लिया गया फ़ैसला।
आत्मनिर्भर
(सं.) [वि.] स्वयं पर निर्भर (आधारित); अपने पैरों पर खड़े रहना; किसी दूसरे पर निर्भर न रहना।
आत्मनिर्भरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मावलंबन 2. आत्मविश्वास 3. अपने बूते पर जीवन-यापन करना।
आत्मनिष्ठ
(सं.) [वि.] 1. आत्मनिर्भर 2. आत्मविश्वासी 3. स्वयं में निष्ठा रखने वाला।
आत्मनिष्ठा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वयं में निष्ठा 2. आत्मविश्वास 3. आत्मनिर्भरता।
आत्मपरक
(सं.) [वि.] 1. स्वयं पर केंद्रित; आत्मकेंद्रित 2. स्वयं के अनुकूल।
आत्मपीड़न
(सं.) [सं-पु.] अपने को कष्ट देना; ख़ुद को पीड़ा पहुँचा कर संतुष्ट होना; आत्मदमन।
आत्मपोषण
(सं.) [सं-पु.] 1. अपना हित-साधन; दूसरों की परवाह न करते हुए ख़ुद का भला करना 2. ख़ुद का खयाल रखना।
आत्मप्रदर्शन
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने गुणों और कर्मों का प्रदर्शन करने की क्रिया 2. स्वयं को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना।
आत्मप्रधान
(सं.) [वि.] जो आत्मा से संबंध रखता हो।
आत्मप्रशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करना; आत्मश्लाघा।
आत्मबल
(सं.) [सं-पु.] आत्मा या मन का बल; आत्मिक शक्ति।
आत्मबलि
[सं-स्त्री.] महान उद्देश्य के लिए अपने प्राण दे देना।
आत्मबलिदान
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं का बलिदान; आत्मोत्सर्ग 2. किसी महान उद्देश्य की प्राप्ति हेतु अपने प्राण दे देना।
आत्मबोध
(सं.) [सं-पु.] 1. अपना ज्ञान; निजत्व की जानकारी 2. आत्मा और परमात्मा का ज्ञान; ब्रह्म का ज्ञान।
आत्मभू
(सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा 2. कामदेव। [वि.] 1. अपने शरीर से उत्पन्न होने वाला 2. जो स्वतः उपन्न हो; स्वयंभू।
आत्ममंथन
(सं.) [सं-पु.] स्व-विश्लेषण; अंतःकरण में अनेक वृत्तियों तथा भावों का एक साथ मंथन; किसी विषय पर गहनता से विचार।
आत्ममुग्ध
(सं.) [वि.] जो अपनी ही सुंदरता या गुणों से अभिभूत हो; ख़ुद पर इतराने वाला।
आत्मरक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] अपनी रक्षा; अपनी हिफाज़त।
आत्मरति
(सं.) [सं-स्त्री.] अपने में रमना; स्वयं से अतिशय लगाव; आत्मानंद; आत्मप्रेम।
आत्मलीन
(सं.) [वि.] 1. अपने में मग्न; अपने में खोए रहना 2. आत्मकेंद्रित।
आत्मलोप
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं का अस्तित्व किसी और में विलीन कर देना 2. ब्रह्म जिज्ञासा में स्वयं (अहं) का ध्यान न होना 3. अहंकारहीन।
आत्मवंचना
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं को छलना; स्वयं के साथ ठगी या धोखा; स्वयं को भ्रम में रखना।
आत्मवत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी सत्ता 2. अपनी सत्ता की अनुभूति 3. अपनी सत्ता का इज़हार।
आत्मवाद
(सं.) [सं-पु.] वह विचारधारा या मत जो आत्मा के अस्तित्व को मानता है; अध्यात्मवाद।
आत्मविकास
(सं.) [सं-पु.] स्वयं का विकास; स्वयं के गुणों का विकास।
आत्मविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] ब्रह्मविद्या; अध्यात्मविद्या; आत्मा और परमात्मा का ज्ञान कराने वाली विद्या।
आत्मविभोर
(सं.) [वि.] जो अपनी ही सुंदरता या गुणों से अभिभूत हो; आत्ममुग्ध।
आत्मविश्लेषण
(सं.) [सं-पु.] अपने विषय में सभी पक्षों पर चिंतन; अपने चरित्र की स्वयं जाँच करना; आत्म निरीक्षण।
आत्मविश्वास
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ुद पर भरोसा; अपना मनोबल 2. अपनी ताकत और काबिलियत पर विश्वास; आत्मनिष्ठा।
आत्मविश्वासी
(सं.) [वि.] ख़ुद पर भरोसा करने वाला; मनोबल का पक्का।
आत्मविस्तार
(सं.) [सं-पु.] 1. अपनी सोच-समझ और संवेदना का विस्तार 2. ख़ुद के हितों से उबर कर पर-हित के बारे में सोचना।
आत्मविस्मृत
(सं.) [वि.] 1. ख़ुद को भूला हुआ 2. ज़रूरी कामों में खोया हुआ।
आत्मविस्मृति
(सं.) [सं-स्त्री.] अपने को भूल जाना; किसी फँसाव के चलते ख़ुद का ध्यान न रखना; बेख़ुदी।
आत्मवेदना
(सं.) [सं-स्त्री.] मन की पीड़ा; मन की कसक; अंदरूनी कचोट।
आत्मव्यंग्य
(सं.) [सं-पु.] स्वयं पर व्यंग्य; ख़ुद पर कटाक्ष; स्वयं को केंद्र में रख कर किया गया व्यंग्य।
आत्मशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] आत्मबल; आत्मिक बल।
आत्मशुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] आत्मसंस्कार; स्वयं के द्वारा किया जाने वाला संस्कार या सुधार।
आत्मश्लाघा
(सं.) [सं-स्त्री.] आत्मप्रशंसा; अपनी प्रशंसा ख़ुद करना।
आत्मसंतुष्ट
(सं.) [वि.] 1. अपने काम, व्यवहार या उपलब्धियों से संतुष्ट 2. दूसरों की बातों की परवाह न करते हुए अपनी नज़र में सफल।
आत्मसंतोष
(सं.) [सं-पु.] आत्मतृप्ति; आत्मसंतुष्टि।
आत्मसंतोषी
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने काम, व्यवहार या उपलब्धियों से संतुष्ट; आत्मसंतुष्ट 2. दूसरों की बातों की परवाह न करते हुए अपनी नज़र में सफल।
आत्मसंयम
(सं.) [सं-पु.] अपनी इच्छाओं या आकांक्षाओं पर नियंत्रण करने की क्रिया; आत्मनियंत्रण; आत्मानुशासन।
आत्मसजगता
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं जागरूक रहने का भाव; स्वयं के प्रति सावधान होने का भाव।
आत्मसमर्पण
(सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर की भक्ति में अपने को समर्पित कर देना 2. किसी अपराधी का अपने को कानून के हवाले कर देना।
आत्मसमीक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] अपनी समीक्षा; स्वयं के गुण-दोषों का आकलन; आत्मालोचना।
आत्मसम्मान
(सं.) [सं-पु.] स्वाभिमान; आत्माभिमान; आत्मगौरव; निजी सम्मान; अपने प्रति सम्मान।
आत्मसात
(सं.) [वि.] अपने अधिकार में लिया गया; अपने में लीन या समाहित किया हुआ।
आत्मसापेक्ष
(सं.) [वि.] अपने से संबद्ध; स्वयं के विचार से संबद्ध।
आत्मसुख
(सं.) [सं-पु.] किसी काम को करने से ख़ुद को मिलने वाला सुख; आत्मतृप्ति।
आत्मस्थ
(सं.) [वि.] आत्मा में स्थित; स्वयं के मन में स्थित (विचार)।
आत्मस्वरूप
(सं.) [सं-पु.] आत्मा का वास्तविक रूप।
आत्महंता
(सं.) [वि.] अपनी हत्या करने वाला; आत्मघाती। [सं-पु.] अपनी हत्या करने वाला व्यक्ति।
आत्महत्या
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं के द्वारा जीवन समाप्त कर देने का कार्य; ख़ुदकुशी; आत्मघात।
आत्मा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक ऐसा अविनाशी अतींद्रिय तत्व जिससे शरीर प्राणयुक्त रहता है; चेतन तत्व; जीव 2. सार तत्व; (स्पिरिट) 3. मन।
आत्मानंद
(सं.) [सं-पु.] आध्यात्मिक चिंतन और साधना से मिलने वाला आंतरिक सुख; ब्रह्मानंद।
आत्मानुभव
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मा का अनुभव; आत्मानुभूति 2. आत्मबोध; आत्मज्ञान।
आत्मानुशासन
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति का सामाजिक मानकों को ध्यान में रखकर किया गया नियंत्रित व्यवहार 2. अपनी इच्छाओं और व्यवहार पर नियंत्रण करना; आत्मनियंत्रण।
आत्मान्वेषण
(सं.) [सं-पु.] अपने आप को जानना; आत्मनिरीक्षण; आत्मालोचन।
आत्माभिमान
(सं.) [सं-पु.] स्वयं पर गर्व करना; स्वाभिमान; आत्मगौरव।
आत्माभिव्यंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. अपने विचारों को अभिव्यक्त करना; मन की बात या अनुभव को प्रकट करना 2. आत्माभिव्यक्ति।
आत्माभिव्यक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्म या स्वयं की अभिव्यक्ति; स्वस्थापन 2. स्वगत कथन।
आत्माराम
(सं.) [सं-पु.] स्वयं में रमण करने वाला; आत्मलीन।
आत्मार्पण
(सं.) [सं-पु.] आत्मनिवेदन; आत्मसमर्पण।
आत्मालोचना
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं की आलोचना।
आत्मावलंबी
(सं.) [वि.] अपने ऊपर निर्भर रहने वाला; आत्मनिर्भर।
आत्माहुति
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी महान उद्देश्य के लिए अपने प्राण दे देना; आत्मबलि।
आत्मिक
(सं.) [वि.] आत्मा का; आत्मा से संबंधित; आत्मीय।
आत्मीकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मसात कर लेने की क्रिया या भाव 2. अपना अंग बना लेना।
आत्मीय
(सं.) [सं-पु.] स्वजन; घनिष्ठ। [वि.] स्वयं से संबंधित; स्वयं का।
आत्मीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] अपनापन; घनिष्ठता; मैत्री।
आत्मीयतापूर्ण
(सं.) [वि.] 1. अपनापे से भरा हुआ 2. स्नेहिल; सौहार्दपूर्ण।
आत्मोत्कर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मोन्नति; आत्मोत्थान 2. आत्मसंस्कार।
आत्मोत्सर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी महान उद्देश्य के लिए अपने प्राणों का त्याग करना; आत्मबलिदान 2. पर-हित के लिए अपने हितों की कुर्बानी।
आत्मोद्धार
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं किया जाने वाला अपना उद्धार 2. किसी संकट से ख़ुद को उबारना 3. आत्मकल्याण 4. संसार के बंधनों से अपनी आत्मा को मुक्त करके मोक्ष का
अधिकारी बनाना।
आत्मोन्नति
(सं.) [सं-स्त्री.] आत्म की उन्नति; ख़ुद का विकास।
आत्मोपम
(सं.) [वि.] अपने समान; अपनी तरह का; अपने जैसा।
आत्मौचित्य
(सं.) [सं-पु.] स्वयं के उचित होने का भाव; स्वयं की उपयोगिता सिद्ध करना।
आत्यंतिक
(सं.) [वि.] अत्यधिक; बेहद; असीम।
आत्रेय
(सं.) [सं-पु.] 1. अत्रि के पुत्र दत्त, दुर्वासा और चंद्रमा 2. अत्रि का वंशज। [वि.] 1. अत्रि गोत्रवाला 2. अत्रि संबंधी।
आत्रेयी
(सं.) [वि.] 1. अत्रि ऋषि की पत्नी 2. अत्रि-गोत्र की स्त्री 3. रजस्वला स्त्री।
आथर्वणिक
(सं.) [वि.] 1. अथर्ववेद से संबंध रखने वाला 2. अथर्वण ऋषि से संबंधित। [सं-पु.] अथर्ववेद का ज्ञाता ब्राह्मण।
आदत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. लत 2. स्वभाव; प्रकृति 3. अभ्यास।
आदतन
(अ.) [क्रि.वि.] 1. आदत के चलते; आदत के कारण; आदतवश; लत के कारण; स्वभाव (प्रकृति) के अनुसार 2. स्वभावतः।
आदतवश
(अ.+सं.) [क्रि.वि.] 1. स्वभाववश; अभ्यासवश 2. किसी कार्य को बार-बार करते रहने के कारण कार्य का आदत बन जाना।
आदम
(अ.) [सं-पु.] यहूदी, इस्लाम आदि धर्मों के अनुसार ईश्वर सृष्टि का प्रथम मनुष्य; आदिमानव; आदम की संतान।
आदमकद
(अ.) [वि.] आदमी के कद के बराबर; आदमी के आकार का।
आदमख़ोर
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह जो मनुष्यों को खाता है; मनुष्यभक्षी; नरभक्षी; मानुषाशी।
आदमज़ाद
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. आदम से उत्पन्न; आदम की संतान; आदमी; मनुष्य 2. मानवजाति।
आदमियत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. मनुष्यता; इंसानियत 2. सज्जनता; भलमनसी 3. शिष्टता; सभ्यता।
आदमी
(अ.) [सं-पु.] 1. मनुष्य; मानव 2. कर्मी 3. लोग; व्यक्ति 4. पति; शौहर 5. आदम की संतान।
आदर
(सं.) [सं-पु.] मान; सम्मान; सत्कार; कद्र; इज़्ज़त।
आदरणीय
(सं.) [वि.] आदर के योग्य; सम्माननीय; श्रद्धास्पद।
आदरपूर्ण
(सं.) [वि.] सम्मानसहित; ससम्मान; सादर।
आदरसत्कार
(सं.) [सं-पु.] आदर और सत्कार; सेवा-सत्कार; आवभगत; आतिथ्य; ख़ातिरदारी।
आदरसूचक
(सं.) [वि.] सम्मान का द्योतक; जिससे आदर का भाव प्रकट हो।
आदर्श
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिमान; सर्वोत्तम स्थिति या बात जो अनुकरणीय हो, जैसे- महापुरुषों के जीवन के आदर्श 2. वह जिसके गुण अवलोकनीय तथा ग्रहण करने योग्य हों;
नमूना।
आदर्शचरित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम चरित्र 2. अनुकरणीय व्यक्ति 3. गुणों-विशेषताओं के मामले में मानक शख़्शियत 4. किसी का पसंदीदा सर्वोत्तम व्यक्ति।
आदर्शवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. आदर्श चरित्र आदि की स्थापना; नैतिकता 2. 'यथार्थवाद' का विपर्याय; (आइडियलिज़्म) 3. वह मत जिसके अनुसार रचना में आदर्श चरित्र की स्थापना की
जाती है।
आदर्शवादी
(सं.) [वि.] आदर्श मान-मूल्यों को मानने वाला; उसूलों का कायल।
आदर्शविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] विज्ञान की दो शाखाओं में से एक जो कल्पना आदि के आधार पर आदर्शों का विवेचन करती है; (नारमेटिव साइंस)।
आदर्शीकरण
(सं.) [सं-पु.] आदर्श रूप देना; आदर्श स्वरूप की स्थापना करना।
आदहन
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह दहन; अच्छी तरह जलना या जलाना 2. जलन; दाह 3. ईर्ष्या; डाह 4. आहत करना 5. निंदा करना 6. श्मशान।
आदाता
(सं.) [सं-पु.] 1. पाने या लेने वाला 2. सरकार के अनुरोध पर किसी विवादास्पद संस्था का प्रशासन-भार संभालने वाला व्यक्ति; (रिसीवर)।
आदान
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रहण; लेना 2. रोग-लक्षण।
आदान-प्रदान
(सं.) [सं-पु.] अदल-बदल; लेन-देन, जैसे- वस्तुओं या विचारों का आदान प्रदान।
आदाब
(अ.) [सं-पु.] 1. अदब का बहुवचन 2. अच्छे ढंग; कायदे; शिष्टाचार 3. नियम; रीति 4. सलाम; बंदगी; अभिवादन।
आदाय
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी से कुछ लेने या ग्रहण करने की क्रिया या भाव; प्राप्ति 2. किसी से अधिकारपूर्वक लिया जाने वाला धन या लेन। [वि.] 1. प्राप्त किया हुआ 2.
कुछ लेकर जाने वाला।
आदि
(सं.) [सं-पु.] 1. आरंभ 2. पुरातन 3. परमेश्वर 4. सामीप्य। [वि.] पहला; मूल; प्रधान। [अव्य.] वगैरह, इत्यादि के अर्थ में प्रयुक्त होने वाला समूह वाचक।
आदिकवि
(सं.) [सं-पु.] प्रथम कवि; वाल्मीकि।
आदिकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रारंभिक काल या समय 2. प्राचीन काल।
आदित्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अदिति का पुत्र; सूर्य 2. इंद्र 3. देवता। [वि.] अदिति से उत्पन्न।
आदिनाथ
(सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. प्रथम जैन तीर्थंकर।
आदिपुरुष
(सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिससे किसी वंश का आरंभ हुआ हो; मूल पुरुष 2. परमेश्वर; ईश्वर।
आदिम
(सं.) [वि.] 1. सर्वप्रथम; आदि में उत्पन्न; पहला 2. अविकसित; सीधे-साधे ढंग का 3. बहुत पुराना।
आदिम जाति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सबसे पहली और पुरानी मनुष्य जाति 2. आदिवासी जाति; (प्रिमिटिव रेस)।
आदिल
(अ.) [वि.] न्यायप्रिय; न्यायी; इंसाफ़ करने वाला।
आदिवासी
(सं.) [सं-पु.] 1. आदिकालीन ढंग से जंगलों में रहने वाली जनजाति 2. आदिम जाति; किसी स्थान पर रहने वाले वहाँ के मूल निवासी; वनवासी; जंगली; गिरिजन, जैसे- संथाल,
मुंडा आदि।
आदिष्ट
(सं.) [वि.] जिसे आदेश दिया गया हो; जिसके विषय में कोई आदेश किया गया हो।
आदी
(अ.) [वि.] जिसे किसी चीज़ की लत हो; अभ्यस्त; व्यसनी। [अव्य.] तनिक भी; निपट।
आदीप्त
(सं.) [वि.] 1. जलाया हुआ; प्रज्वलित 2. प्रकाशित 3. चमकता हुआ।
आदृत
(सं.) [वि.] आदर किया या पाया हुआ; आदरप्राप्त; सम्मानित; प्रतिष्ठित।
आदेय
(सं.) [वि.] 1. जिसे लिया जा सके; लेने योग्य; प्राप्त करने योग्य 2. जिसपर कर या शुल्क लिया जा सके 3. जिसपर कर या शुल्क लगाया गया हो।
आदेश
(सं.) [सं-पु.] 1. आज्ञा; हुक्म 2. भविष्य कथन 3. उपदेश 4. व्याकरण में प्रयुक्त एक नियम जिसमें एक अक्षर के स्थान पर दूसरा अक्षर आ जाता है।
आदेशक
(सं.) [वि.] आदेश करने वाला; आदेशकर्ता।
आदेशसूचक
(सं.) [वि.] आज्ञा की सूचना देने वाला; आदेशपूर्ण; आदेशात्मक।
आदेशात्मक
(सं.) [वि.] 1. आज्ञा की सूचना देने वाला; आदेशपूर्ण 2. आदेशपरक; आदेश के लहज़े में कहा हुआ 3. हिदायती; चेतावनीपूर्ण।
आदेशानुसार
(सं.) [क्रि.वि.] आदेश के मुताबिक; आदेश के अनुसार; आदेश के तहत।
आदेष्टा
(सं.) [वि.] आदेश करने वाला; आदेशकर्ता; आदेशक।
आद्यंत
(सं.) [क्रि.वि.] 1. आदि से अंत तक; शुरू से आखिरी तक 2. आद्योपांत 3. विस्तारपूर्वक 4. अविकल; अखंड; संपूर्ण।
आद्य
(सं.) [वि.] 1. आदि का; आदिकालीन; प्रारंभिक 2. मूल; मौलिक।
आद्यक्षर
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रारंभिक अक्षर; पहला अक्षर 2. नाम के शुरू का अक्षर।
आद्यरूप
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रारंभिक रूप 2. मूल रूप 3. आदिम रूप।
आद्यशेष
(सं.) [सं-पु.] 1. रोकड़-बाकी 2. खाते में शेष रहा या बचा हुआ धन; आदिशेष 3. प्रारंभिक जमा; (ओपनिंग बैलेंस)।
आद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) दस महाविद्याओं में से एक 2. पार्वती; दुर्गा; महाकाली; आदिशक्ति; ब्रह्मशक्ति 3. मास की प्रथम तिथि; प्रतिपदा।
आद्याक्षरित
(सं.) [वि.] 1. आद्यक्षर-युक्त 2. जिसपर हस्ताक्षर के रूप में नाम के आरंभ का अक्षर लिखा हो; (इनिशियल्ड)।
आद्याशक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा; महामाया; योगमाया 2. दस महाविद्याओं में प्रथम महाविद्या।
आद्योपांत
(सं.) [क्रि.वि.] 1. आद्यंत; शुरू से अंत तक 2. पूर्णरूपेण 3. अविकल रूप से; ज्यों का त्यों; जस का तस।
आध
(सं.) [वि.] आधा।
आधर्मिक
(सं.) [वि.] अधर्मी; धर्महीन।
आधर्षण
(सं.) [सं-पु.] न्यायालय का अभियुक्त को दोषी पाकर अपराधी मानना और दंड देना; (कनविक्शन)।
आधर्षित
(सं.) [वि.] न्यायालय द्वारा दंडित वह व्यक्ति जो अपराधी सिद्ध हुआ हो; (कनविक्टेड)।
आधवन
(सं.) [सं-पु.] 1. हिलाना 2. कँपाना; कंपित करना।
आधा
(सं.) [वि.] 1. अधूरा 2. एक का 1/2 भाग। [मु.] -तीतर आधा बटेर : बेमेल।
आधान
(सं.) [सं-पु.] 1. स्थापन; रखना 2. ग्रहण; लेना 3. धारण 4. प्रयत्न 5. अग्निहोत्र के लिए अग्नि का स्थापन 6. गर्भ 7. गर्भाधान से पहले किया जाने वाला संस्कार 8.
रेहन; बंधक रखना 9. पात्र।
आधापेट
[वि.] भूख और ज़रूरत से कम; जो भरपेट न हो; ख़ुराक से कम। [क्रि.वि.] भूखे पेट; खाली पेट; भूखा रह कर; भूख मार कर।
आधायक
(सं.) [वि.] आधाता; आधान करने वाला; बंधक रखने वाला।
आधार
(सं.) [सं-पु.] 1. वह मूल फलक, जिसपर कोई वस्तु या विचार आधारित हो 2. अवलंब; सहारा 3. नींव।
आधारक
(सं.) [सं-पु.] 1. आधार 2. आधार प्रदान करने वाला 3. नींव।
आधारण
(सं.) [सं-पु.] 1. सहारा या आश्रय देना 2. धारण करना।
आधारपीठ
(सं.) [सं-पु.] आधार संस्था; मूल संस्था।
आधारभूत
(सं.) [वि.] बुनियादी; मूलभूत।
आधाररहित
(सं.) [वि.] 1. बिना आधार का; निराधार 2. बिना किसी ठोस वजह या कारण का 3. बेसहारा; अनाथ।
आधारवर्ष
(सं.) [सं-पु.] वह वर्ष जिसके तथ्यों को आधार मानकर अन्य वर्षों के तथ्यों का मान सूचित किया जाता है; (बेस इयर)।
आधारशिला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नींव का पत्थर 2. शुरुआती पहल; किसी कार्य का प्रारंभिक चरण; स्थिति।
आधारसामग्री
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी निर्मिति के लिए प्रयुक्त होने वाले घटक 2. कच्चा माल 3. किसी परिकल्पना, थीसिस या आलेख आदि के लिए जुटाए जाने वाले तथ्य और तर्क।
आधारस्तंभ
(सं.) [सं-पु.] वह जिसपर किसी वस्तु का संपूर्ण भार आश्रित होता है; नींव का पत्थर।
आधारस्थल
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जगह जहाँ किसी इमारत की नींव रखी जाए 2. किसी प्रतिमा को स्थापित करने के लिए चयनित स्थल।
आधारहीन
(सं.) [वि.] जिसका कोई आधार न हो; आधाररहित।
आधारिक
(सं.) [वि.] 1. आधार संबंधी; आधार का 2. जिसपर कोई दूसरी चीज़ स्थित हो 3. आधारभूत; बुनियादी; मूल; (बेसिक)।
आधारित
(सं.) [वि.] 1. आधार पर टिका या टिकाया हुआ 2. निर्भर।
आधारी
(सं.) [वि.] 1. किसी के आश्रय या सहारे पर रहने वाला; आश्रित 2. जो किसी कार्य का आधार बन सके 3. विश्वसनीय। [सं-स्त्री.] अड्डे के आकार की एक लकड़ी जिसके सहारे
मुनि या साधु बैठते हैं; टेवकी।
आधासीसी
(सं.) [सं-स्त्री.] आधे सिर का दर्द; अध-कपारी; सूर्यावर्त रोग।
आधिकरणिक
(सं.) [सं-पु.] न्यायाधीश [वि.] 1. न्यायालय या अधिकरण संबंधी 2. न्यायालय या अधिकरण के आदेश से होने वाला।
आधिकारिक
(सं.) [वि.] 1. प्रामाणिक 2. अधिकृत 3. अधिकारपूर्ण 4. सरकारी। [सं-पु.] कथा कृतियों में प्रमुख कथा-प्रसंग।
आधिक्य
(सं.) [सं-पु.] अधिकता; अधिक होने का भाव।
आधिदैविक
(सं.) [वि.] 1. अतिप्राकृतिक 2. दैवी; दैविक; देवताकृत; दैवाधीन।
आधिपत्य
(सं.) [सं-पु.] प्रभुत्व; शासन; अधिकार जमा लेने का भाव।
आधिभौतिक
(सं.) [वि.] 1. पंचभूतों से संबंधित या उनसे उत्पन्न 2. लौकिक; सांसारिक 3. जीवों या शरीरधारियों द्वारा प्राप्त।
आधिराज्य
(सं.) [सं-पु.] 1. आधिपत्य; प्रभुत्व 2. अधिराज का पद या अधिकार।
आधुनिक
(सं.) [वि.] वर्तमान समय या युग का; समकालीन; सांप्रतिक; हाल का।
आधुनिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधुनिक होने का भाव 2. पारंपरिक मान्यताओं और परंपराओं को त्याग कर नए युग की परिस्थितियों के अनुसार आचरण करना।
आधुनिकतावादी
(सं.) [वि.] आधुनिकतावाद से संबंधित; आधुनिक विचारधारा से संबद्ध।
आधुनिका
(सं.) [सं-स्त्री.] वर्तमान समय की स्त्री; नए फ़ैशन, नए विचारों और नई मान्यताओं से प्रभावित महिला।
आधुनिकीकरण
(सं.) [सं-पु.] आधुनिक रूप देना; नए ज़माने के अनुकूल बनाना।
आधुनिकीकृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका आधुनिकीकरण किया गया हो; नवीनीकृत 2. परिष्कृत; संशोधित 3. जीर्णोद्धार किया हुआ।
आधूत
(सं.) [वि.] 1. काँपता हुआ 2. व्याकुल 3. क्षुब्ध। [सं-पु.] पागल; विक्षिप्त।
आधृत
(सं.) [वि.] आधार पर टिका या टिकाया हुआ; आधारित।
आधेय
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी आधार पर टिकाई गई वस्तु 2. लेखकीय कथ्य; जो किसी आधार (वातावरण या परिस्थिति) के माध्यम से प्रकट किया जाए। [वि.] 1. किसी आधार पर टिकी
वस्तु 2. स्थापित किए जाने योग्य 3. जो बंधक रखा जाए 4. धारण किए जाने योग्य।
आधो-आध
[क्रि.वि.] आधा-आधा करके; बाँटकर।
आधोरण
(सं.) [सं-पु.] महावत; पीलवान।
आध्यात्मिक
(सं.) [वि.] 1. अध्यात्म या धर्म संबंधी 2. परमात्मा या आत्मा से संबंध रखने वाला।
आध्यात्मिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] आध्यात्मिक प्रवृत्ति; आध्यात्मिक विचारधारा।
आनंद
(सं.) [सं-पु.] 1. सुख 2. हर्ष; प्रसन्नता 3. अलौकिक ख़ुशी का अनुभव।
आनंदक्रीड़ा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उछलकूद; अठखेली 2. रोमांस; रति; संभोग 3. कल्लोल; कौतुक; खिलवाड़ 4. मौज़मस्ती।
आनंददायक
(सं.) [वि.] 1. आनंद देने वाला; आनंददायी 2. आरामदेह।
आनंदन
(सं.) [सं-पु.] आनंदित करने की क्रिया या भाव।
आनंदपूर्वक
(सं.) [क्रि.वि.] आनंद सहित; सानंद; हर्षयुक्त।
आनंदप्रद
(सं.) [वि.] आनंद देने वाला; आनंददायक।
आनंदमय
(सं.) [वि.] आनंद में डूबा हुआ; आनंदपूर्ण।
आनंदवाद
(सं.) [सं-पु.] ऐसा सिद्धांत या मत जो यह मानता है कि आनंद ही जीवन का सार है।
आनंदवादी
(सं.) [वि.] 1. आनंदवाद के सिद्धांत को मानने वाला या समर्थक 2. ख़ुश रहने वाला।
आनंदातिरेक
(सं.) [सं-पु.] ख़ुशी या आनंद की अधिकता; अतिशय हर्ष।
आनंदाश्रु
(सं.) [सं-पु.] ख़ुशी के आँसू; हर्षातिरेक से आँखों में भर आए आँसू।
आनंदित
(सं.) [वि.] आनंद में मग्न; ख़ुश; प्रसन्न; हर्षित; मनोरंजित; उल्लसित; आह्लादित; उत्फुल्ल; पुलकित; बाग-बाग; मुग्ध; मुदित; मस्त; विभोर; सानंद; निहाल;
हर्षोन्मत।
आनंदी
(सं.) [सं-पु.] वह जो सदैव प्रसन्न रहता हो; सदा आनंद में मग्न रहने वाला। [वि.] 1. आनंदित; प्रसन्न करने वाला 2. विनोदी 3. हँसने वाला।
आनंदोत्कर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत आनंद; आह्लाद 2. आनंदातिरेक; हर्षातिरेक 3. प्रमोद; रोमांच 4. मदातिरेक।
आनंदोत्सव
(सं.) [सं-पु.] आनंद मनाना; ख़ुशी का उत्सव; जश्न।
आनंदोन्मत
(सं.) [वि.] आनंदित; प्रसन्न; ख़ुश; मुग्ध; मुदित; आनंदविह्वल; उल्लसित; हर्षित।
आन
[सं-स्त्री.] 1. गौरव; गर्व; मर्यादा 2. शपथ; दुहाई।
आनक
(सं.) [सं-पु.] 1. डंका; नगाड़ा 2. गरजता हुआ बादल।
आनत
(सं.) [वि.] 1. झुका हुआ 2. नम्र; विनीत 3. नमस्कार की मुद्रा में झुका हुआ।
आनद्ध
(सं.) [सं-पु.] चमड़े से मढ़ा हुआ बाजा, जैसे- ढोल, मृदंग आदि। [वि.] 1. मढ़ा हुआ 2. बँधा या कसा हुआ।
आनन
(सं.) [सं-पु.] मुख; मुँह; मुखड़ा; चेहरा; सूरत; शक्ल।
आननफानन
(अ.) [क्रि.वि.] तत्काल; अचानक; एकाएक; फटाफट।
आन-बान
[सं-स्त्री.] 1. ढंग-ढर्रा; तेवर; ठसक; अदा 2. शान-सम्मान; शान-शौकत; रुतबा; ठाट-बाट 3. ढब; शोभा; सज-धज; तड़क-भड़क।
आनम्य
(सं.) [वि.] 1. जो झुकाया जा सके; झुकने वाला 2. लचीला 3. अनुकूल बनाए जाने योग्य।
आनयन
(सं.) [सं-पु.] 1. लाना; ले आना; पास ले आना 2. उपनयन संस्कार।
आनर्त
(सं.) [सं-पु.] 1. द्वारिकापुरी या सौराष्ट्र प्रदेश का प्राचीन नाम 2. उक्त प्रदेश का निवासी 3. युद्ध 4. नृत्यशाला; रंगशाला 5. जल।
आना1
[क्रि-अ.] 1. आगमन; चल कर पास आना; कहीं जाकर वहाँ से पहले वाले स्थान पर पहुँचना 2. घटित होना 3. बढ़ना (फ़सल कमर तक आना) 4. फल-फूल लगना 5. अँटना 6. अंतर्भाव
होना। [मु.] आ धमकना : अचानक आ जाना।
आना2
(फ़ा.) [सं-पु.] रुपए के संबंध में दशमलव प्रणाली लागू होने के पहले गिना जाने वाला रुपए का सोलहवाँ भाग या चार पैसे।
आनाकानी
[सं-स्त्री.] टालमटोल; अनसुना; बहानेबाज़ी; हीला-हवाला; प्रच्छन्न असहमति।
आनीत
(सं.) [वि.] 1. लाया हुआ; आयत्त 2. पास लाया हुआ।
आनुक्रमिक
(सं.) [वि.] 1. अनुक्रम के मुताबिक 2. सिलसिलेवार।
आनुगतिक
(सं.) [वि.] 1. अनुसरण किया हुआ; पीछे-पीछे आया हुआ 2. अनुयायी से संबंध रखने वाला।
आनुतोषिक
(सं.) [सं-पु.] किसी कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर उपहार के रूप में दिया जाने वाला धन; उपदान; अनुग्रह-धन।
आनुपातिक
(सं.) [वि.] 1. जो अनुपात की दृष्टि से ठीक या उचित हो 2. अनुपात संबंधी; अनुपात का 3. समानुपाती; (प्रपोर्शनल)।
आनुप्रासिक
(सं.) [वि.] अनुप्रास संबंधी।
आनुभविक
(सं.) [वि.] 1. अनुभव संबंधी 2. अनुभवजन्य; अनुभवप्रसूत 3. अनुभवपुष्ट; अनुभवसम्मत 4. अनुभव, प्रयोग आदि के आधार पर प्राप्त होने वाला।
आनुमानिक
(सं.) [वि.] 1. अनुमान या अटकल पर आश्रित; अनुमानगम्य; अटकल-पच्चू; कयासी 2. अनुमान से सोचा या समझा हुआ।
आनुवंशिक
(सं.) [वि.] 1. वंशानुगत; वंशानुक्रमिक 2. वंश-परंपरा से प्राप्त; पैतृक; पुश्तैनी।
आनुवंशिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] वंशानुगत परंपरा; एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रजनन द्वारा संचरित होकर जाने वाले गुण या विशिष्टताएँ।
आनुवंशिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] आनुवंशिक विज्ञान; वंश-परंपरा संबंधी शास्त्र।
आनुशासनिक
(सं.) [वि.] दे. अनुशासनिक।
आनुश्रविक
(सं.) [वि.] जिसे परंपरानुसार सुनते आए हों।
आनुषंगिक
(सं.) [वि.] 1. गौण; गौण रूप से साथ चलने वाला 2. अनुषंग या प्रसंग के साथ-साथ हो जाने वाला।
आनृशंस
(सं.) [वि.] जो नृशंस न हो; करुण।
आन्वीक्षिकी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मविद्या; अध्यात्मशास्त्र 2. तर्कशास्त्र।
आप1
[सर्व.] व्याकरण में मध्यम पुरुष के व्यक्ति के लिए तुम के स्थान पर प्रयोग किया जाने वाला आदरसूचक सर्वनाम, जैसे- आप स्वयं चले आए।
आप2
(सं.) [सं-पु.] 1. जल; पानी 2. आकाश 3. प्राप्ति 4. एक वसु का नाम। [वि.] प्राप्य।
आपचारी
[वि.] मनमानी करने वाला; स्वेच्छाचारी।
आपजात्य
(सं.) [सं-पु.] अपने जनक, आधार या उत्पादक से कम गुणी या हीन होना। [वि.] अपजात।
आपत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एतराज़; उज़्र 2. प्रतिवाद; विरोध।
आपत्तिजनक
(सं.) [वि.] आपत्ति उत्पन्न करने वाला; आपत्तियुक्त।
आपत्य
(सं.) [वि.] अपत्य या संतान से संबंधित; संतान का।
आपदा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विपदा; संकट; आफ़त; मुसीबत 2. ऐसा संकट जिसमें सामूहिक क्षति हुई हो; सामूहिक विपत्ति 2. विपत्तिकारक घटना।
आपद्धर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. विपत्ति-काल में निर्वाह किया जाने वाला धर्म 2. वह आचरण या वृत्ति जिसकी अनुमति मात्र आपत्ति-काल में होती है।
आपन्न
(सं.) [वि.] 1. (संकट में) फँसा हुआ 2. (आपदा) ग्रस्त; दुखी, जैसे- संकटापन्न।
आपबीती
[सं-स्त्री.] स्वयं पर गुजरने वाली या स्वयं के जीवन में घटित होने वाली घटना या कहानी।
आपराधिक
(सं.) [वि.] 1. अपराध संबंधी 2. अपराध के स्तर का; अपराध के दायरे में आने वाला।
आपराधिक संस्कृति
(सं.) [सं-स्त्री.] वह संस्कृति जिसमें अपराध का बोलबाला हो; आपराधिक गतिविधियों को प्रश्रय देने वाली संस्कृति।
आपस
[सं-पु.] 1. संबंध 2. हेल-मेल 3. नाता 4. एक दूसरे का; परस्पर, जैसे- आपस का; आपस में आदि।
आपसदारी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बंधुत्व; भाईचारा 2. परस्पर नज़दीक के संबंध वालों का वर्ग।
आपसी
[वि.] 1. आपस का; पारस्परिक 2. अंतरंग 3. परिवार, संबंधी तथा मित्रों के बीच का।
आपस्तंब
(सं.) [सं-पु.] कल्प, गृह्य और धर्म नामक तीन सूत्र-ग्रंथों के रचयिता, एक प्राचीन ऋषि।
आपा1
[सं-पु.] 1. अहंभाव 2. अपनी सत्ता या अस्तित्व 3. होश, सुध-बुध। [मु.] -खोना : बौखला उठना। आपे में आना : होश में आना। आपे में न रहना : बेकाबू होना; बौखला उठना।
आपा2
(तु.) [सं-स्त्री.] बड़ी बहन के लिए संबोधन।
आपात
(सं.) [सं-पु.] 1. अचानक आई हुई संकट की स्थिति; (इमरजेंसी) 2. गिरना; गिराव 3. ऐसी घटना या स्थिति जिसकी कल्पना या संभावना न हो।
आपातकाल
(सं.) [सं-पु.] 1. शासन के द्वारा राष्ट्र पर घोषित आपत्ति का काल; राष्ट्र में संकट की स्थिति; (इमरजेंसी) 2. संकट का समय; विपत्तिकाल; बुरा समय।
आपातकालीन
(सं.) [वि.] 1. आकस्मिक घटना से संबंधित 2. आपातकाल से संबंधित।
आपातिक
(सं.) [वि.] 1. आकस्मिक रूप से सामने आने वाला या उससे संबंध रखने वाला 2. अचानक घटित होने वाला 3. नीचे गिरने या उतरने वाला; (एमर्जेंट)।
आपाद
(सं.) [क्रि.वि.] पैर से लेकर; पैर तक। [सं-पु.] 1. वह जो सिद्ध या प्राप्त किया गया हो 2. पारिश्रमिक; मेहनताना 3. पुरस्कार।
आपादमस्तक
(सं.) [क्रि.वि.] 1. पैर से सिर तक 2. नीचे से ऊपर तक 3. पूरी तरह; पूर्णतः।
आपाधापी
[सं-स्त्री.] 1. खींचतान; व्यर्थ की भाग दौड़ 2. अपने काम की चिंता में भागदौड़; व्यस्तता 3. धाँधली।
आपापंथी
[वि.] 1. अपने मन की करने वाला; स्वच्छंद 2. धाँधलीबाज़।
आपूरण
(सं.) [सं-पु.] 1. पूरा करना 2. अच्छी तरह भरना; लबालब होना 3. आपूर्ति करना।
आपूर्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पूर्ति करने की क्रिया या भाव 2. भरना; भरा होना 3. संतुष्टि 4. आवश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराना; संभरण; (सप्लाई)।
आपेक्षिक
(सं.) [वि.] 1. अपेक्षा संबंधी 2. अपेक्षा से युक्त 3. तुलनात्मक 4. अवलंबित; निर्भर।
आप्त
(सं.) [सं-पु.] 1. संबंधी; मित्र; विश्वस्त व्यक्ति 2. शब्द प्रमाण 3. अर्हत 4. लब्धि (गणित)। [वि.] 1. प्राप्त; प्रामाणिक 2. कुशल; दक्ष 3. विश्वास करने योग्य।
आप्तकाम
(सं.) [वि.] 1. जिसकी सभी कामनाएँ या इच्छाएँ पूरी हो चुकी हों; पूर्णकाम 2. जिसने सांसारिक इच्छाएँ त्याग दी हों।
आप्तवचन
(सं.) [सं-पु.] 1. विश्वसनीय व्यक्ति द्वारा कथित बात 2. प्रामाणिक कथन।
आप्तवर्ग
(सं.) [सं-पु.] 1. आत्मीय जनों का समूह 2. बंधुवर्ग; स्वजन-समूह।
आप्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्राप्ति; लाभ 2. संबंध 3. संयोग 4. उपयुक्तता; पूर्णता।
आप्य
(सं.) [वि.] 1. प्राप्त करने योग्य 2. उपनिषदों के अनुसार ऐसा कर्म जिसके द्वारा कोई वस्तु प्राप्त की जाती हो।
आप्यायन
(सं.) [सं-पु.] 1. एक अवस्था से दूसरी अवस्था को प्राप्त होना 2. तृप्त करना 3. (आयुर्वेद) वृद्धिकारक औषधि।
आप्रवासन
(सं.) [सं-पु.] किसी और देश में जाकर बसना; दूसरे देश का नागरिक हो जाना।
आप्लाव
(सं.) [सं-पु.] 1. जल से तर अवस्था, बाढ़ 2. स्नान।
आप्लावन
(सं.) [सं-पु.] 1. चारों ओर जलमग्न हो जाना; पूरा का पूरा इलाका जल से भर जाना; बाढ़ 2. स्नान 3. जल आदि में डुबाना 4. पानी से अच्छी तरह भरना या तर करना।
आप्लावित
(सं.) [वि.] 1. डुबाया हुआ 2. स्नान किया हुआ; स्नात; सिक्त 3. बाढ़ग्रस्त।
आफ़त
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. आपत्ति; विपत्ति; संकट; परेशानी; मुसीबत 2. दुख; कष्ट; तकलीफ़; क्लेश 3. कष्ट या मुसीबत के दिन। [मु.] -उठाना : जल्दी
मचाना। -ढाना : कष्ट पहुँचाना। -मचाना : शोरगुल करना। -मोल लेना : संकट को न्योता देना।
आफ़ताब
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सूर्य; सूरज 2. सख़्त धूप।
आफ़रीन
(फ़ा.) [अव्य.] बहुत अच्छा किया! वाह! शाबाश! धन्य हो! (बहुत अच्छा या बड़ा काम करने पर कहा जाने वाला शब्द)।
आबंध
(सं.) [सं-पु.] 1. बंधन 2. हल के जुए आदि का बंधन 3. गाँठ 4. प्रेम 5. अलंकार।
आब
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पानी; जल 2. अर्क 3. शराब 4. तलवार का पानी। [सं-स्त्री.] 1. प्रतिष्ठा; इज़्ज़त 2. चमक; कांति 3. शोभा; रौनक; छवि।
आबकार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शराब बनाने या बेचने वाला व्यक्ति 2. कलवार; कलाल।
आबकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शराब बनाने या बेचने का स्थान; शराबख़ाना; हौली 2. मादक वस्तुओं से संबंधित सरकारी महकमा; मद्यविभाग।
आबकारी शुल्क
(फ़ा.+सं.) [सं-पु.] शासन की ओर से शराब, अफ़ीम आदि मादक द्रव्यों के उत्पादन और बिक्री पर लगाया जाने वाला कर या शुल्क; उत्पादन शुल्क; (एक्साइज़ ड्यूटी)।
आबदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें आब या चमक हो; आभायुक्त; चमकदार 2. जिसमें पानी हो; जलयुक्त 3. जिसकी प्रतिष्ठा या इज़्ज़त हो (व्यक्ति) 4. स्वाभिमानवाला (व्यक्ति) 5.
धारदार (तलवार आदि)।
आबदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] आबदार होने का गुण, अवस्था या भाव।
आबद्ध
(सं.) [सं-पु.] 1. दृढ़ बंधन 2. हल के जुए का बंधन 3. प्रेम 4. गाँठ 5. अलंकार। [वि.] 1. फँसा हुआ; जकड़ा हुआ 2. निर्मित 3. प्राप्त।
आबनूस
(फ़ा.) [सं-पु.] काली लकड़ी वाला एक जंगली पेड़; तेंदू।
आबपाशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] सिंचाई (खेत आदि)।
आबरू
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. इज़्ज़त; प्रतिष्ठा; इस्मत 2. सतीत्व 3. कीर्ति; यश।
आबाद
(फ़ा.) [वि.] 1. बसा हुआ; बाशिंदा; बस्तीवाला 2. सुखी; ख़ुशहाल; संपन्न 3. फलता-फूलता। [मु.] -करना : बसाना।
आबादी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जनसंख्या 2. बसा हुआ इलाका; बस्ती 3. ख़ुशहाली; रौनक 4. कृषि-भूमि।
आबिद
(अ.) [वि.] इबादत या पूजा करने वाला; पुजारी; भक्त।
आबे हयात
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] अमृत; सुधा।
आबोदाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. जल और अन्न; अन्नजल; खानपान 2. आजीविका 3. रहने का संयोग। [मु.] -उठ जाना : आजीविका न रह जाना।
आबोहवा
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. हवापानी; जलवायु 2. पर्यावरण।
आब्ज़र्वेशन
(इं.) [सं-पु.] 1. निरीक्षण; पर्यवेक्षण 2. आकलन।
आभरण
(सं.) [सं-पु.] 1. आपूरण; आपूर्ति 2. भरण-पोषण 3. गहना; आभूषण।
आभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चमक; कांति; शोभा; लावण्य 2. प्रतीत 3. बबूल का पेड़ 4. छाया 5. सादृश्य।
आभार
(सं.) [सं-पु.] 1. कृतज्ञता; अहसान 2. भार; बोझ 3. देखभाल की ज़िम्मेदारी; उत्तरदायित्व।
आभारी
(सं.) [वि.] अनुगृहीत; अहसानमंद; कृतज्ञ।
आभास
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रतीति; सादृश्य 2. मिथ्या प्रतीति 3. संकेत 4. अभिप्राय 5. द्युति; चमक 6. अनुभूति होने का भाव।
आभास-संवेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. संवेदना का आभास; अल्पानुभूत संवेदना 2. (मनोविज्ञान) संवेदन में उद्दीपकों का एक आभास मात्र अर्थात अर्थरहित ज्ञान।
आभासित
(सं.) [वि.] आभास रूप में दिखाई देने वाला; प्रतिबिंबित; संकेतित।
आभासी
(सं.) [वि.] 1. प्रतीत्यमान; प्रतीतिपरक 2. छाया या परछाईं स्वरूप; अक्सी; प्रतिबिंबित 3. मिथ्या; अयथार्थ 4. दीप्तिमान; कांतियुक्त; चमकीला।
आभाहीन
(सं.) [वि.] कांति विहीन; निस्तेज।
आभिचारिक
(सं.) [वि.] अभिचार संबंधी; अभिचारों से संबंध रखने वाला।
आभिजात्य
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिजात होने की अवस्था या भाव; कुलीनता 2. संभ्रांतता; शिष्टता 3. रईसी 4. सौंदर्य 5. पांडित्य।
आभीर
(सं.) [सं-पु.] 1. अहीर; ग्वाला; गोप 2. एक प्राचीन जनपद और उसके निवासी 3. एक राग।
आभीरक
(सं.) [वि.] गोप या अहीर जाति संबंधी, अहीर का। [सं-पु.] अहीर जाति।
आभुक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आभोग करने की क्रिया या भाव 2. किसी के सुख या सुभीते का भोग या लाभ।
आभूषण
(सं.) [सं-पु.] 1. आभरण; गहना; अलंकार 2. सजावट; शृंगार।
आभूषित
(सं.) [वि.] 1. गहने या जेवर से सुसज्जित 2. अलंकृत; सुशोभित।
आभोग
(सं.) [सं-पु.] 1. सुखों का उपभोग; भोग-विलास 2. परिपूर्णता; विस्तार 3. भोजन 4. किसी पद्य में कवि के नाम का उल्लेख 5. किसी की ज़मीन पर किराए आदि से रहना और
उसका सुख भोगना; (टेनेंसी) 6. साँप का फन 7. वरुण का छत्र।
आभ्यंतर
(सं.) [वि.] अंदर होने वाला; आंतरिक; भीतरी।
आभ्यंतरिक
(सं.) [वि.] अंदर होने वाला; अंदर के हिस्से से संबंध रखने वाला; आंतरिक; भीतरी।
आमंत्रण
(सं.) [सं-पु.] न्योता; बुलावा; निमंत्रण।
आमंत्रणपत्र
(सं.) [सं-पु.] ऐसा कार्ड जिसपर निमंत्रण लिखा हो; निमंत्रण-पत्र।
आमंत्रित
(सं.) [वि.] पुकारा या बुलाया हुआ; निमंत्रित 2. अतिथि।
आम1
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध फल; रसाल 2. उक्त फल का वृक्ष। [मु.] -के आम, गुठली के दाम : दोहरा लाभ।
आम2
(अ.) [वि.] 1. साधारण; मामूली; सामान्य, जैसे- आम जनता, आम आदमी 2. फैला हुआ; व्यापक; सर्वव्यापक; मशहूर।
आमद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आय; आमदनी 2. आना; आगमन।
आमदनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कमाई; लाभ; फ़ायदा 2. एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने जाने की क्रिया 3. दूसरे देशों से अपने देश में माल का आना 4. उत्पत्ति 5. पैदावार।
आमदोरफ़्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] आना-जाना; यातायात।
आमन
[सं-पु.] 1. वह ज़मीन जिसमें वर्ष में एक ही फ़सल हो 2. सरदी में होने वाला धान।
आमना-सामना
[सं-पु.] 1. मुकाबला; सामना 2. मुठभेड़ 3. भेंट; साक्षात्कार।
आमने-सामने
[क्रि.वि.] 1. एक-दूसरे के समक्ष; परस्पर सम्मुख 2. परस्पर विरोध या प्रतिद्वंद्विता में; मुकाबले में।
आमपापड़
(सं.) [सं-पु.] एक खाद्य पदार्थ; अमावट; आम के रस से निर्मित पट्टी।
आमफ़हम
(अ.) [वि.] 1. आम लोगों में व्याप्त; प्रचलित और ग्राह्य 2. आम लोगों में व्याप्त धारणा 3. जनसाधारण।
आमरण
(सं.) [क्रि.वि.] 1. मरते दम तक; मृत्यु के क्षण तक 2. आजीवन; जीवन भर; मरने से पहले तक। [वि.] मरते दम तक चलने वाला।
आमर्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई अप्रिय बात न सह सकना; असहनशीलता 2. क्रोध; गुस्सा 3. वीर रस में एक संचारी भाव।
आमलक
(सं.) [सं-पु.] 1. औषधीय गुणों से संपन्न आँवला नामक फल और उसका पेड़ 2. भारतीय वास्तुकला में शिखरों के ऊपरी भाग में बनाई जाने वाली आँवले की तरह की आकृति।
आमलकी
(सं.) [सं-पु.] 1. छोटा आँवला 2. फाल्गुन शुक्ल एकादशी।
आमलेट
(इं.) [सं-पु.] अंडे से बना एक व्यंजन; अंडे की जर्दी में प्याज़ आदि डालकर चीले के समान बनाया गया व्यंजन।
आमवात
(सं.) [सं-पु.] एक शारीरिक रोग जिसमें शौच के समय आँव गिरता है और शरीर सूजकर पीला पड़ जाता है।
आमादगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] तत्परता; सन्नद्धता; आमादा होना।
आमादा
(फ़ा.) [वि.] तत्पर; तैयार; सन्नद्ध; उद्यत, जैसे- घूमने के लिए आमदा होना।
आमाशय
(सं.) [सं-पु.] पेट के भीतर की वह थैली जिसमें भोजन एकत्र होता और पचता है।
आमिन1
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का छोटा और मीठा आम।
आमिन2
(अ.) [वि.] 1. निडर; निर्भय 2. सुरक्षित।
आमिर
(अ.) [सं-पु.] 1. अधिकारी; हाकिम 2. आमिल। [वि.] हुक्म देने वाला।
आमिल1
[सं-पु.] कच्चे आम को सुखाकर बनाई जाने वाली एक तरह की खटाई। [वि.] खट्टा।
आमिल2
(अ.) [सं-पु.] 1. कार्यकर्ता 2. अधिकारी; हाकिम; प्रधान 3. वह जो धार्मिक साधक हो, फ़कीर 4. झाड़-फूँक करने वाला व्यक्ति; तांत्रिक; ओझा; सिद्ध 5. शासक। [वि.] अमल
में लाने वाला; अमली जामा पहनाने वाला।
आमिष
(सं.) [सं-पु.] 1. मांसाहार 2. भोग्य; लुभावनी वस्तु 3. कामना; भोगेच्छा 4. जँभीरी नीबू 5. आकृति; रूप।
आमिषभोजी
(सं.) [वि.] 1. गोश्तख़ोर; मांसाहारी 2. 'निरामिषभोजी' का विलोम।
आमीन
(अ.) [अव्य.] 1. तथास्तु; एवमस्तु 2. ईश्वर या ख़ुदा करे ऐसा ही हो 3. ख़ुदा हमारी हिफ़ाज़त करे।
आमुख
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रारंभ; भूमिका 2. अंतिम क्षणों में प्राप्त किसी महत्वपूर्ण समाचार का सारांश।
आमूल
(सं.) [अव्य.] जड़ से; जड़ तक; मूलपर्यंत।
आमोद
(सं.) [सं-पु.] आनंद; हर्ष।
आमोदन
(सं.) [सं-पु.] 1. हर्ष; प्रसन्नता 2. मुदित होना 3. सुगंधित या सुवासित करना।
आमोद-प्रमोद
(सं.) [सं-पु.] 1. भोग-विलास; हँसी-ख़ुशी; रंग-रलियाँ 2. मन प्रसन्न करने या बहलाने के लिए किए जाने वाले कार्य; मनोरंजन; (इंटरटेनमेंट)।
आमोदित
(सं.) [वि.] 1. प्रसन्न; हर्षित; मुदित 2. सुगंधित; सुवासित।
आम्र
(सं.) [सं-पु.] 1. आम का फल 2. आम का पेड़।
आम्रकुंज
(सं.) [सं-पु.] 1. अमराई; आम का बगीचा 2. अमराई में बना मंडप।
आम्रमंजरी
(सं.) [सं-स्त्री.] आम का फूल; मंजर; आम की बौर।
आम्ल
(सं.) [सं-पु.] 1. इमली का पेड़ 2. खट्टापन। [वि.] 1. अम्ल संबंधी; अम्ल का 2. अम्ल के रस से युक्त।
आयंदा
(फ़ा.) [वि.] दे. आइंदा।
आय
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आमदनी 2. कमाई 3. पारिश्रमिक लाभ।
आयकर
(सं.) [सं-पु.] आमदनी पर लगने वाला कर या टैक्स।
आयत1
(सं.) [सं-पु.] (ज्यामिती) समकोण चतुर्भुज, जिसकी आमने-सामने की भुजाएँ और कोण बराबर होते हैं। [वि.] 1. लंबा 2. विशाल 3. विस्तृत।
आयत2
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. कुरान का वाक्य 2. निशान; चिह्न।
आयतन
(सं.) [सं-पु.] 1. समाई; त्रिविम (लंबाई; चौड़ाई और ऊँचाई) वस्तु द्वारा घेरा हुआ स्थान या स्पेस 2. मकान; घर 3. मंदिर।
आयताकार
(सं.) [वि.] आयत के आकार वाला; आयत-सी आकृति वाला।
आयन
[सं-पु.] 1. विद्युतीकृत परमाणु 2. विद्युत आवेश।
आयरन
(इं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. इस्त्री; (प्रेस) 3. लौह तत्व।
आयवर्ग
(सं.) [सं-पु.] निश्चित आमदनी या निश्चित सीमा तक की आमदनी वालों का वर्ग।
आय-व्यय
(सं.) [सं-पु.] आय और व्यय; आमदनी और ख़र्च।
आय-व्यय-फलक
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र या फलक जिसमें आय-व्यय का विवरण होता है; चिट्ठा; तलपट; (बैलेंस शीट)।
आय-व्ययिक
(सं.) [सं-पु.] 1. आय-व्यय का विवरण 2. किसी सरकार, संस्था या परिवार की सालभर में या किसी निश्चित अवधि तक आय-व्यय के अनुमान से लगाया हुआ हिसाब या लेखा;
अनुमान-पत्र; (बजट)।
आयस
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. लोहे से बनी वस्तु 3. अस्त्र-शस्त्र; हथियार 4. रत्न। [वि.] 1. लोहा संबंधी; लोहे का 2. लोहे के रंग का 3. लोहे से बना हुआ।
आयसी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लोहे का कवच 2. बख़्तर। [वि.] लोहे का बना हुआ; आयसीय।
आयसीय
(सं.) [वि.] 1. लोहा संबंधी; लोहे का 2. लोहे का बना हुआ; लौहनिर्मित।
आया
(पुर्त.) [सं-स्त्री.] 1. बच्चे को दूध पिलाने एवं देखभाल करने वाली स्त्री; धाय 2. सेविका; नौकरानी।
आयात
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु का बाहर (देशावर) से मँगाया जाना। [वि.] आगत; देशावर से आया हुआ।
आयातक
(सं.) [सं-पु.] बाहर से सामान मँगाने वाला; आयात करने वाला।
आयात-निर्यात
(सं.) [सं-पु.] बाहर से सामान मँगाना और सामान बाहर भेजना।
आयातित
(सं.) [वि.] आयात किया हुआ; बाहर से मँगाया हुआ।
आयाम
(सं.) [सं-पु.] 1. विस्तार; तानना 2. मान 3. किसी भी मत, धारणा या पदार्थ के विविध पहलू; (डाइमेंशन)।
आयास
(सं.) [सं-पु.] 1. परिश्रम; मेहनत 2. मानसिक पीड़ा 3. प्रयत्न।
आयु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. उम्र 2. जीवन; जीवन काल 3. जीवन शक्ति 4. आयुष 5. एक यज्ञ (आयुष्टोम)।
आयुक्त
(सं.) [सं-पु.] 1. अभिकर्ता 2. मंडल या कमिश्नरी का मुख्य प्रशासनिक अधिकारी; कमिश्नर। [वि.] 1. नियुक्त 2. संयुक्त।
आयुध
(सं.) [सं-पु.] 1. शस्त्र; हथियार 2. युद्ध का साधन 3. सोना; स्वर्ण।
आयुधविधान
(सं.) [सं-पु.] वह विधान जिसमें जनता द्वारा हथियार या आयुध रखने और उनके प्रयोग के संबंधित नियम रहते हैं।
आयुधशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] हथियार रखने का स्थान; शस्त्रागार
आयुधागार
(सं.) [सं-पु.] आयुधशाला; शास्त्रागार।
आयुर्विज्ञान
(सं.) [सं-पु.] भारतीय चिकित्सा शास्त्र; आयुर्वेद।
आयुर्वेद
(सं.) [सं-पु.] स्वास्थ्यशास्त्र; प्राचीन भारतीय चिकित्सा-शास्त्र (पद्धति); वनस्पति एवं जड़ी-बूटियों से संबंधित चिकित्सा-शास्त्र।
आयुर्वेदिक
(सं.) [वि.] 1. आयुर्वेद से संबंधित 2. आयुर्वेद की पद्धति से बना हुआ।
आयुर्वेदी
(सं.) [सं-पु.] आयुर्वेद का ज्ञाता या जानकार।
आयु-वर्ग
(सं.) [सं-पु.] समान आयु वाले व्यक्तियों का वर्ग या समूह।
आयुष
(सं.) [वि.] आयु; उम्र; वय।
आयुष्मती
(सं.) [वि.] अधिक आयु पाने वाली; दीर्घायु; चिरंजीवी।
आयुष्मान
(सं.) [सं-पु.] अधिक आयु पाने वाला; दीर्घायु; चिरंजीवी।
आयुष्य
(सं.) [सं-पु.] उम्र; आयु; जीवन शक्ति। [वि.] दीर्घायु देने वाला।
आयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी निश्चित कार्य को करने या करवाने के लिए या किसी कार्य की जाँच-पड़ताल हेतु बनाया गया विशेषज्ञों का दल; (कमीशन) 2. भर्ती 3. (साहित्य)
विप्रलंभ शृंगार का एक भेद 4. बैलगाड़ी, हल आदि का जुआ 5. सजावट; अलंकरण।
आयोजक
(सं.) [सं-पु.] आयोजन करने वाला; इंतज़ामकार।
आयोजन
(सं.) [सं-पु.] 1. समारोह; कार्यक्रम 2. प्रबंध; इंतज़ाम; बंदोबस्त; व्यवस्था 3. तैयारी 4. उद्योग; प्रयत्न 5. जोड़ना 6. सामग्री; सामान।
आयोजना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भविष्य में होने वाले किसी कार्य के स्वरूप तथा संपादन के लिए प्रस्तुत की गई योजना; (प्लान) 2. एकत्र करना; संयोजन 3. तैयारी; इंतज़ाम;
व्यवस्था।
आयोजित
(सं.) [वि.] 1. जिसका आयोजन किया गया हो 2. जोड़ा गया 3. संबद्ध किया हुआ 4. संगृहीत।
आयोडीन
(इं.) [सं-पु.] दवा के काम आने वाला एक रासायनिक तत्व।
आयोधन
(सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध 2. युद्धभूमि; युद्धक्षेत्र 3. वध; हत्या।
आरंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. शुरू; प्रारंभ; श्रीगणेश 2. किसी कार्य या व्यापार आदि का प्रारंभिक अंश या भाग 3. उत्पत्ति 4. आरब्ध।
आरंभक
(सं.) [सं-पु.] आरंभकर्ता; शुरू करने वाला।
आरंभकाल
(सं.) [सं-पु.] शुरुआत का समय; प्रारंभिक काल।
आरंभिक
(सं.) [वि.] शुरुआती; शुरू का; आरंभ का; प्रारंभिक।
आरक्त
(सं.) [वि.] हलका लाल; लाल; सुर्ख। [सं-पु.] रक्त (लाल) चंदन।
आरक्षक
(सं.) [सं-पु.] 1. पहरेदार; प्रहरी; रखवाला 2. आरक्षी; (पुलिस)। [वि.] रक्षा करने या बचाने वाला।
आरक्षण
(सं.) [सं-पु.] सुरक्षित किया हुआ स्थान; विशेष व्यक्ति या कार्य हेतु पहले से निर्धारित किया हुआ पद, स्थान, सीट या कक्ष आदि; (रिज़र्वेशन), जैसे- रेल टिकट का
आरक्षण।
आरक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसका आरक्षण हुआ हो 2. रक्षा किया हुआ; रक्षित; भंडारित 3. पालित-पोषित 4. नामांकित 5. सुरक्षित; निश्चित; (रिज़र्व)।
आरक्षी
(सं.) [सं-पु.] आरक्षक; (पुलिस)। [वि.] रक्षा करने वाला।
आरज़ू
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चाहत; इच्छा; वांछा 2. विनती; अनुनय-विनय।
आरज़ूमंद
(फ़ा.) [वि.] आरज़ू, इच्छा या कामना रखने वाला।
आरण्य
(सं.) [वि.] जंगली; बनैला; आरण्यक। [सं-पु.] 1. जंगल 2. जंगली पशु 3. बिना बोए पैदा होने वाला अन्न।
आरण्यक
(सं.) [वि.] 1. जंगली; बनैला; जंगल में उत्पन्न 2. अरण्य संबंधी, अरण्य का। [सं-पु.] 1. वनवासी 2. जंगल के प्राणी 3. वेदों का एक भाग जिसमें वानप्रस्थों के
कृत्यों का विवरण है।
आरत
(सं.) [वि.] 1. शांत 2. सौम्य 3. रुका हुआ।
आरती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आदर या मंगल के निमित्त किसी (देवता, व्यक्ति आदि) के सम्मुख चारों ओर प्रज्वलित कपूर तथा दीपक घुमाना 2. आरती के समय गाया जाने वाला
स्तोत्र 3. दीपक में कपूर जला कर आरती करने वाला पात्र।
आर-पार
[अव्य.] इस छोर से उस छोर तक; इस पार से उस पार तक।
आरब्ध
(सं.) [सं-पु.] आरंभ। [वि.] आरंभ किया हुआ; शुरू किया हुआ।
आरभटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रोध आदि उग्र भावों का आवेग 2. साहस और शक्ति के सांसारिक कर्म 3. नृत्य की एक शैली 4. एक नाट्यवृति।
आरसी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दर्पण; आईना; शीशा 2. एक प्रकार की अँगूठी जैसा गहना जिसमें दर्पण जड़ा रहता है।
आरा1
(सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी चीरने वाला एक दाँतेदार औज़ार 2. चमड़ा सीने का सूजा 3. घोड़िया बैठाने हेतु दीवार पर रखी जाने वाली लकड़ी या पत्थर की पटरी 4. बैलगाड़ी आदि
के पहिए की गरारी और पुट्ठी के बीच की पटरी।
आरा2
(फ़ा) [पर-प्रत्य.] 1. (शब्द) यौगिक शब्दों के अंत में लगने वाला, जैसे- रौशनआरा 2. सजाने वाला; ख़ूबसूरती बढ़ाने वाला।
आराज़ी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. भूमि; ज़मीन 2. खेती करने लायक ज़मीन।
आराधक
(सं.) [वि.] आराधना करने वाला; भक्ति करने वाला; पूजा करने वाला।
आराधन
(सं.) [सं-पु.] आराधना करना; पूजन; अर्चन।
आराधना
(सं.) [सं-स्त्री.] पूजा; सेवा; उपासना। [क्रि-स.] उपासना या आराधन करना।
आराधनीय
(सं.) [वि.] 1. आराधना या अर्चना करने योग्य; पूज्य; उपास्य 2. प्रसन्न करने के योग्य।
आराध्य
(सं.) [वि.] आराधना के योग्य; पूजनीय।
आराध्यदेव
(सं.) [सं-पु.] इष्ट; आराधना के योग्य भगवान; इष्टदेव।
आराम
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. आसानी का भाव; बिना किसी असुविधा की स्थिति 2. सुख, शांति की अवस्था, जैसे- मैं यहाँ आराम से हूँ 3. विश्राम 4. आरोग्य।
आरामकुरसी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] आराम करने के लिए लंबी कुरसी जिसपर अधलेटे झपकी भी ली जा सकती है।
आरामगाह
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] आराम फ़रमाने की जगह; विश्रांति-गृह; शयनागार।
आरामघर
(फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] 1. आराम करने का स्थान; विश्रामालय 2. सोने का कमरा; शयनागार।
आरामतलब
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. हर तरह के सुख-आराम की चाहत रखने वाला; काहिल 2. विलासी 3. निकम्मा; निठल्ला।
आरामतलबी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुख-आराम की तलब करना; पड़े-पड़े खाना; काम से जी चुराना 2. आलस्य।
आरामदायक
(फ़ा.+सं.) [वि.] 1. आराम और सुकून देने वाला 2. जहाँ झंझट या दिक्कत न हो; सहूलियत भरा।
आरामदेह
(फ़ा.) [वि.] आराम और सुकून देने वाला; आरामदायक।
आरामपसंद
(फ़ा.) [वि.] काम करने की चाहत न रखने वाला; आरामतलब।
आरामशीन
(सं.+इं.) [सं-स्त्री.] बड़े पैमाने पर लकड़ी चीरने वाली मशीन।
आरास्ता
(फ़ा.) [वि.] सजा या सजाया हुआ; सुसज्जित।
आरिफ़
(अ.) [सं-पु.] संत-महात्मा; साधु; ब्रह्मज्ञानी। [वि.] 1. जानने-पहचानने वाला 2. सब्र करने वाला; संतोषी 3. ब्रह्मज्ञानी; सूफ़ी।
आरी
[सं-स्त्री.] 1. लकड़ी या लोहे आदि से बना एक दाँतेदार औज़ार; छोटा आरा 2. पैने की नोक में लगी लोहे की कील 3. जालवर्वुरक 4. सुतारी।
आरु
(सं.) [सं-पु.] 1. केकड़ा 2. शूकर; सुअर 3. घड़ा 4. एक वृक्ष।
आरुक
(सं.) [सं-पु.] 1. आलूबुखारा 2. हिमालय में पाई जाने वाली एक जड़ी।
आरुणि
(सं.) [सं-पु.] 1. अरुण के वंशज 2. उद्दालक ऋषि 3. सूर्य के यम आदि पुत्र।
आरूढ़
(सं.) [वि.] 1. चढ़ा हुआ; सवार 2. पदस्थ; आसीन 3. जम कर बैठा हुआ 4. दृढ़।
आरूप
(सं.) [सं-पु.] 1. बाह्य रूप 2. किसी पत्र-पत्रिका या पुस्तक का आकार; रूप और शैली; (फ़ॉरमेट)।
आरेख
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ाका; नक्शा; (डायग्राम) 2. किशोरों की हलकी उगती मूँछ।
आरेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. संकुचन 2. खाली करना या कराना 3. साँस को बाहर निकालना।
आरोग्य
(सं.) [सं-पु.] 1. रोग से मुक्ति; स्वास्थ्य-लाभ 3. स्वास्थ्य; तंदुरुस्ती।
आरोग्यधाम
(सं.) [सं-पु.] चिकित्सालय; आरोग्य-आश्रम।
आरोचन
(सं.) [सं-पु.] चमकदार बनाना; चमकाना; माँजना। [वि.] चमकीला; चमकदार।
आरोध
(सं.) [सं-पु.] अवरोध; घेरा।
आरोप
(सं.) [सं-पु.] 1. अपराध सिद्ध होने से पूर्व, किसी पर अपराध या दोष लगाने की स्थिति; आक्षेप 2. एक पदार्थ में दूसरे पदार्थ के गुण-धर्म की कल्पना करना।
आरोपक
(सं.) [वि.] 1. आरोपण करने वाला 2. जो आरोप या दोष लगाए।
आरोपण
(सं.) [सं-पु.] 1. रोपना; लगाना 2. मढ़ना 3. ऊपर चढ़ाना 4. मिथ्या कल्पना 5. भ्रम 6. एक वस्तु में दूसरी के गुण-धर्म की कल्पना 7. कमान की डोरी चढ़ाना 8. आरोप
लगाना।
आरोपपत्र
(सं.) [सं-पु.] ऐसा पत्र जिसमें आरोपों का विवरण लिखा हो; (चार्जशीट)।
आरोप-फलक
(सं.) [सं-पु.] न्यायालय द्वारा प्रस्तुत किया गया वह पत्र जिसमें किसी पर लगाए हुए आरोपों का विवरण होता है।
आरोपित
(सं.) [वि.] रोपा हुआ; स्थापित; आक्षेपित।
आरोपी
(सं.) [वि.] जिसपर दोष लगाया गया हो; अभियुक्त।
आरोह
(सं.) [सं-पु.] 1. चढ़ाई; उठान 2. संगीत में स्वरों का चढ़ाव 3. ऊँचाई 4. घमंड।
आरोहक
(सं.) [वि.] आरोहण करने वाला।
आरोहण
(सं.) [सं-पु.] 1. चढ़ना; ऊपर को जाना 2. सवार होना 3. नृत्य, अभिनय आदि के लिए बना हुआ मंच 4. अँखुआ फूटना।
आरोही
(सं.) [सं-पु.] 1. चढ़ाई करने वाला 2. सवार 3. ऊपर उठने वाले सुरों का क्रम, जैसे- सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सा। [वि.] 1. चढ़ने वाला 2. ऊपर उठने वाला।
आर्क
(सं.) [वि.] अर्क (सूर्य या मदार आदि) से संबंधित।
आर्केस्ट्रा
(इं.) [सं-पु.] 1. वाद्यवृंद; ख़ास तरीके के अँग्रेज़ी गाने-बजाने की टोली 2. इस टोली द्वारा संपन्न कार्यक्रम 3. नाट्यशाला में शामिल बाजा बजाने वाले दल।
आर्चबिशप
(इं.) [सं-पु.] सर्वोच्च बिशप; लाट पादरी।
आर्जव
(सं.) [सं-पु.] 1. सीधापन; सीधाई 2. सरलता; सुगमता 3. व्यवहार की सरलता और शुद्धता; ईमानदारी; (ऑनेस्टी) 4. स्पष्टवादिता 5. कुटिलता का अभाव।
आर्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. कला; हुनर; कला-कौशल; शिल्प; कारीगरी 2. चातुर्य; कौशल 3. कलाकृतियाँ, जैसे- चित्र, मूर्ति आदि।
आर्ट पेपर
(इं.) [सं-पु.] चमकदार और चिकना कागज़।
आर्ट प्रूफ़
(इं.) [सं-पु.] ब्लॉक बनाने या ऑफ़सेट की छपाई के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला साफ़-सुथरा प्रूफ़ जो किसी चिकने कागज़ या आर्ट पेपर पर लिया जाता है।
आर्टिकल
(इं.) [सं-पु.] 1. लेख; आलेख 2. धारा; दफ़ा; अनुच्छेद 3. नियम 4. वस्तु; चीज़; पदार्थ।
आर्टिस्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. कलाकार 2. चित्रकार 3. चतुर; गुणी; सुघड़।
आर्डनेंस
(इं.) [सं-पु.] गोला-बारूद; अस्त्र-शस्त्र; युद्ध-सामग्री।
आर्डिनेंस
(इं.) [सं-पु.] सरकार का विशेष आदेश; राज्यादेश; अध्यादेश; यदि सरकार किसी कानून को बनाना अनिवार्य समझती है और उस समय संसद का सत्र न हो तो वह राष्ट्रपति
द्वारा एक आदेश निकलवाती है जिसका अनुमोदन संसद द्वारा छह माह के अंदर होना चाहिए।
आर्त
(सं.) [वि.] 1. दुखी; पीड़ित; कातर 2. संकटग्रस्त 3. अस्वस्थ।
आर्तध्वनि
(सं.) [सं-स्त्री.] दुखद पुकार या ध्वनि; आर्तनाद।
आर्तनाद
(सं.) [सं-पु.] परम दुखी व्यक्ति की दर्द भरी पुकार; चीत्कार।
आर्तव
(सं.) [सं-पु.] मासिक धर्म; रजस्राव। [वि.] 1. ऋतु संबंधी; ऋतु का 2. ऋतु में उत्पन्न।
आर्थिक
(सं.) [वि.] 1. अर्थ या शब्दार्थ संबंधी 2. धन संबंधी; द्रव्य संबंधी 3. अर्थ या अर्थव्यवस्था संबंधी।
आर्थी
(सं.) [वि.] 1. अर्थ संबंधी 2. शब्दों के अर्थ से संबंध रखने वाला।
आर्द्र
(सं.) [वि.] 1. भरा; रुँधा (गला) 2. गीला; रस युक्त; द्रवित 3. सहानुभूति पूर्ण, जैसे- आर्द्र नेत्र, आर्द्र मन।
आर्द्रता
(सं.) [सं-स्त्री.] नमी; गीलापन।
आर्द्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] सत्ताईस नक्षत्रों में से आषाढ़ के आरंभ में पड़ने वाला छठा नक्षत्र, इसमें वर्षा और खेती का होना अच्छा माना जाता है।
आर्मी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सेना; फ़ौज; सैन्य 2. सैनिक; योद्धा 3. थल सेना 4. सेना की नौकरी 5. विशाल समुदाय; बहुत बड़ी संख्या; भीड़।
आर्मेचर
(इं.) [सं-पु.] बिजली की मोटर या डायनेमो का चक्कर लगाने वाला हिस्सा।
आर्मेडा
(इं.) [सं-पु.] सैन्य जलपोत समूह।
आर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत पहले सभ्यता प्राप्त करने वाली एक मशहूर जाति जिसमें भारतवासी भी शामिल हैं और इसकी शाखाएँ एशिया और यूरोप में दूर-दूर तक फैली हुई हैं।
[वि.] 1. श्रेष्ठ; उत्तम 2. पूज्य; मान्य 3. कुलीन 4. योग्य; उपयुक्त।
आर्यपुत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. आर्य का पुत्र 2. कुलीन व्यक्ति 3. पति, राजकुमार आदि के लिए प्रयुक्त एक प्राचीन संबोधन।
आर्यसमाज
(सं.) [सं-पु.] स्वामी दयानंद सरस्वती के द्वारा स्थापित संप्रदाय जो मूर्तिपूजा, पुराण आदि का खंडन करता है तथा वैदिक धर्म का पोषण करता है।
आर्यसमाजी
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो आर्यसमाज के नियमों तथा सिद्धांतों को मानता हो।
आर्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रेष्ठ नारी 2. पार्वती 3. सास, दादी या पितामही को संबोधित किया जाने वाला एक प्राचीन शब्द 5. एक प्रकार का छंद जिसमें प्रथम एवं तृतीय
चरण में बारह-बारह तथा दूसरे चरण में अठारह एवं चौथे चरण में पंद्रह मात्राएँ होती हैं।
आर्यावर्त्त
(सं.) [सं-पु.] आर्यों की निवास भूमि (भारत का मध्य और उत्तर); भारत वर्ष।
आर्ष
(सं.) [वि.] 1. ऋषियों द्वारा बनाया हुआ; ऋषि-प्रणीत; ऋषि-कृत 2. वैदिक।
आर्षप्रयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्दों का वह प्रयोग जो व्याकरण के नियम के प्रतिकूल हो पर प्राचीन ग्रंथों में मिलता हो 2. ऋषियों द्वारा किया जाने वाला शब्द प्रयोग।
आर्षविवाह
(सं.) [सं-पु.] स्मृतियों में वैध माने गए आठ प्रकार के विवाहों में से एक विवाह जिसमें वर से कन्या का पिता दो गायें या बैल शुल्क रूप में लेता था।
आर्सेनिक
(इं.) [सं-पु.] घातक विष; संखिया।
आलंकारिक
(सं.) [वि.] दे. अलंकारिक।
आलंबन
(सं.) [सं-पु.] 1. सहारा; आश्रय 2. रसोत्पत्ति में सहायक एक विभाव, जैसे- रसोत्पत्ति में नायक या नायिका 3. योगियों द्वारा किया जाने वाला एक प्रकार का मानसिक
अभ्यास 4. कारण; साधन 5. पंच-तन्मात्र 6. नींव।
आलता
[सं-स्त्री.] शुभ अवसरों पर ख़ासकर औरतों द्वारा पैर में लगाया जाने वाला महावर जैसा लाल रंग।
आलन
[सं-पु.] 1. साग में मिलाया जाने वाला आटा या बेसन 2. दीवार बनाने की मिट्टी में मिलाया जाने वाला घास-फूस।
आलना
[सं-पु.] घोंसला; चिड़ियों का बसेरा; नीड़।
आलपीन
(पुर्त.) [सं-स्त्री.] कागज़ आदि को नत्थी करने के लिए घुंडीदार सुई; पिन।
आलम
(अ.) [सं-पु.] 1. संसार; दुनिया 2. हालत; दशा 3. भीड़; जनसमूह।
आलमगीर
(अ.+फ़ा.) [वि.] विश्वविजयी; विश्वव्यापी।
आलमारी
(पुर्त.) [सं-स्त्री.] 1. सामान आदि रखने के लिए धातु या लकड़ी का बना कई खाँचों या खंडों का आधान; अलमारी 2. दीवार में बना कई खानों वाला आधान।
आलमी
(अ.) [वि.] लौकिक; सांसारिक।
आलय
(सं.) [सं-पु.] 1. घर; मकान 2. जगह; स्थान।
आलवार
(त.) [सं-पु.] 1. दक्षिण भारतीय वैष्णव भक्त 2. दक्षिण भारत का एक वैष्णव संप्रदाय।
आलस
(सं.) [सं-पु.] सुस्ती; शिथिलता; उत्साहहीनता।
आलसी
(सं.) [वि.] 1. काहिल; सुस्त; शिथिल; फिसड्डी 2. काम न करने वाला; निकम्मा।
आलस्य
(सं.) [सं-पु.] 1. आलस का भाव; सुस्ती; तंद्रा 2. काहिली; निकम्मापन 3. उत्साहहीनता 4. शिथिलता।
आला
(अ.) [सं-पु.] 1. उपकरण 2. औज़ार 3. मरीज़ों की हृदय की धड़कन आदि मापने वाला यंत्र; (स्टेथोस्कोप)। [वि.] सबसे उम्दा; सर्वश्रेष्ठ।
आलाकमान
(अ.+फ़.) [सं-पु.] किसी संस्था या संगठन का सर्वेसर्वा; सर्वोच्च पदाधिकारी; सर्वाधिकार (शासन) संपन्न व्यक्ति।
आलान
(सं.) [सं-पु.] 1. हाथी बाँधने का खूँटा; खंभा या रस्सा 2. बाँधने की रस्सी 3. बंधन।
आलाप
(सं.) [सं-पु.] 1. कहना; बोलना 2. संगीत में स्वरों की साधना; संगीत के सातों स्वर; गाने का वह विशिष्ट आरंभिक अंश या प्रकार जिसमें तानयुक्त स्वरों में केवल
धुन का प्रदर्शन होता है, गीत के बोलों का उच्चारण नहीं होता है 3. परस्पर होने वाला वार्तालाप 4. चिड़ियों की चहचहाहट।
आलापना
[क्रि-स.] 1. तान लगाना; आलाप लेना 2. शास्त्रीय पद्धति से गीत गाना।
आलापी
(सं.) [सं-पु.] 1. संगीत में सुरों का आलाप करने वाला 2. गाने वाला 3. बोलने वाला 4. {ला-अ.} अपनी ही अपनी बात कहने वाला।
आलिंगन
(सं.) [सं-पु.] बाहों में लेकर गले लगाने की क्रिया; अंक में भरना।
आलिंगनपाश
(सं.) [सं-पु.] 1. गले लगाना; भेंटना 2. प्रगाढ़ आलिंगन; परिरंभण 3. लिपटाना; अंक में भर लेना।
आलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सखी; सहेली 2. भौंरी; भ्रमरी (भौंरे की मादा) 3. पंक्ति; कतार।
आलिम
(अ.) [सं-पु.] विद्वान; पंडित। [वि.] इल्मवाला।
आलिम-फ़ाज़िल
(अ.) [वि.] 1. जानने वाला 2. विद्वान; निष्णात।
आलिमाना
(अ.+फ़ा.) [वि.] आलिमों जैसा या विद्वानों सरीखा।
आली1
(सं.) [सं-स्त्री.] सखी; सहेली।
आली2
(अ.) [वि.] 1. ऊँचा; बड़ा 2. श्रेष्ठ; उत्तम 3. मान्य 4. गीली; तर; नम।
आलीजनाब
(अ.) [सं-पु.] ऊँचे पद वाले व्यक्ति या अधिकारी आदि के लिए संबोधन; महोदय; आली हज़रत।
आलीशान
(अ.) [वि.] भव्य; शानदार; विशाल।
आलुंचन
(सं.) [सं-पु.] 1. चीरना 2. चीर कर टुकड़े-टुकड़े कर देना।
आलू
[सं-पु.] एक प्रकार का कंद जिसकी सब्ज़ी बनती है।
आलूचा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक रसीला और खट्टा-मीठा फल 2. उक्त फल का पेड़।
आलूबुख़ारा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक खट्टा-मीठा और रसीला फल जिसमें बड़ी गुठली निकलती है 2. उक्त फल का पेड़।
आलेख
(सं.) [सं-पु.] 1. पत्र-पत्रिका में प्रकाशित कोई वर्णनात्मक या विवेचनात्मक निबंध, लेख अथवा रचना 2. लिखावट; लिपि।
आलेखन
(सं.) [सं-पु.] 1. लेखन-क्रिया; लिखना 2. तस्वीर बनाना; चित्रांकन।
आलेख्य
(सं.) [वि.] 1. रूप-रेखाओं वाला अंकन 2. चित्र; (स्केच) 3. वह जो लिखा गया हो; लेख। [वि.] लिखने या चित्रित करने के योग्य।
आलेप
(सं.) [सं-पु.] 1. लेप; उबटन 2. पलस्तर।
आलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाश; उजाला 2. देखना 3. दर्शन।
आलोकन
(सं.) [सं-पु.] 1. अवलोकन 2. दिखलाना 3. चमकाना 4. उज्ज्वल बनाना।
आलोकित
(सं.) [वि.] चमकता हुआ; प्रकाशित।
आलोचक
(सं.) [सं-पु.] आलोचना करने वाला; त्रुटि निकालने वाला; किसी कृति या रचना का विश्लेषक; गुण-दोषान्वेषक; समीक्षक।
आलोचन
(सं.) [सं-पु.] गुण-दोष की परख; आलोचना; समीक्षा।
आलोचना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गुण-दोष की परख; ख़ूबियों-खामियों का विवेचन; समीक्षा 2. देखना; अवलोकन करना 3. दर्शन करना।
आलोचनात्मक
(सं.) [वि.] आलोचना से संबंधित; आलोचना विषयक।
आलोच्य
(सं.) [वि.] 1. जिसकी आलोचना की जाए 2. जो आलोचना के योग्य हो 3. आलोचना के लिए प्रस्तुत (विषय, मुद्दा, पुस्तक आदि)।
आलोड़न
(सं.) [सं-पु.] 1. मंथन; मर्दन 2. मन में उठने वाली उहापोह की स्थिति 3. क्षोभ 4. द्वंद्व।
आलोड़ित
(सं.) [वि.] 1. हिलाया-डुलाया हुआ; हिलोरा हुआ 2. मथा हुआ; मथित 3. सुविचारित।
आल्हा
[सं-पु.] 1. महोबा (बुंदेलखंड) का एक लोक प्रसिद्ध वीर योद्धा 2. एक प्रकार का छंद जिसमें इकतीस मात्राएँ होती हैं 3. वीरता के आख्यान; लोकगीत 4. किसी घटना का
सविस्तार अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन।
आवंटन
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँटना; वितरण करना; हिस्से लगाना 2. देना; सौंपना 3. सरकारी तौर पर कोई संपत्ति या काम किसी के नाम करना; अधिकृत करना; (अलाटमेंट)।
आवंटित
(सं.) [वि.] 1. आवंटन किया हुआ 2. सौंपा हुआ 3. वितरित या बाँटा हुआ।
आव
[परप्रत्य.] क्रिया की धातुओं में लगकर स्थिति, भाव आदि का अर्थ सूचित करने वाला प्रत्यय, जैसे- चढ़ने से चढ़ाव; बढ़ने से बढ़ाव आदि।
आवक
[सं-पु.] किसी वस्तु या माल का आना, आ जाना; आमद; पहुँच।
आवक्ष
(सं.) [वि.] छाती तक; वक्ष पर्यंत।
आवज
(सं.) [सं-पु.] ताशा नाम का वाद्य।
आवधिक
(सं.) [वि.] 1. अवधि संबंधी; अवधि का 2. हर अवधि में होने वाला।
आवभगत
[सं-स्त्री.] स्वागत-सत्कार; आदर-सत्कार; ख़ातिरदारी।
आवयविक
(सं.) [वि.] अवयव का; अवयव संबंधी।
आवरण
(सं.) [सं-पु.] 1. परदा 2. ढक्कन; जिल्द 3. घेरा 4. किसी वस्तु को ढकने का कपड़ा।
आवरण-पृष्ठ
(सं.) [सं-पु.] पुस्तक, पत्र या पत्रिका का प्रथम पृष्ठ जिसपर उसका और लेखक का नाम लिखा रहता है; (टाइटिल)।
आवर्जक
(सं.) [वि.] 1. आकृष्ट करने वाला 2. ख़ुश या तुष्ट करने वाला 3. पराभूत करने वाला 4. हथियाने वाला; हस्तगत करने वाला।
आवर्जन
(सं.) [सं-पु.] 1. आकृष्ट करना 2. अपने अधिकार में लेना; हस्तगत करना 3. खींचना 4. पराभूत करना 5. तुष्ट करना; तुष्टीकरण।
आवर्त
(सं.) [सं-पु.] 1. घुमाव; भँवर 2. चारों तरफ़ चक्कर लगाने की क्रिया 3. विचारों का मन में रह-रह कर आना 4. घनी आबादी 5. चिंता 6. संशय 7. लाजबर्द 8. धातु का
पिघलना।
आवर्तक
(सं.) [वि.] 1. चक्कर खाने वाला 2. रह-रह कर मन में उठने वाला 3. निश्चित अवधि में बार-बार घटित होने वाला। [सं-पु.] बादल का एक प्रकार।
आवर्तन
(सं.) [सं-पु.] 1. घुमाव 2. घूर्णन; चारों ओर फेरा या चक्कर लगाना 3. किसी कार्य का बार-बार होना 4. मंथन; आलोड़न।
आवर्ती
(सं.) [वि.] घूमने वाला; बार-बार होने वाला; चक्कर खाने वाला।
आवर्धक
(सं.) [वि.] पदार्थ के आकार, मान, शक्ति आदि को बढ़ाने वाला।
आवर्धन
(सं.) [सं-पु.] पदार्थ के आकार, मान, शक्ति आदि को बढ़ाने की क्रिया।
आवलि
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. अवलि।
आवश्यक
(सं.) [वि.] ज़रूरी; अनिवार्य।
आवश्यकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज़रूरत 2. अनिवार्यता।
आवह
(सं.) [सं-पु.] वायु के सात स्कंधों में पहला जिससे ओले, बिजली आदि की उत्पत्ति मानी जाती है। [वि.] 1. वहन करने वाला 2. उत्पन्न करने वाला, जैसे- भयावह 3.
उत्पादक 4. राह दिखाने वाला 5. लाने वाला।
आवागमन
(सं.) [सं-पु.] 1. आना-जाना; गमनागमन 2. {ला-अ.} जन्म-मरण का फेरा।
आवाज़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वाणी; बोली; स्वर 2. नाद; ध्वनि; शब्द। [मु] -उठाना : किसी के विरुद्ध बोलना। -ऊँची करना : किसी बात
के पक्ष-विपक्ष में ज़ोर से बोलना। -देना : पुकारना। -बैठना : गले में कफ़ के कारण साफ़ आवाज़ न निकलना। -फटना : आवाज़ भर्राना।
आवाजाही
[सं-स्त्री.] आना-जाना; आवागमन; गमनागमन; आमदरफ़्त।
आवापन
(सं.) [सं-पु.] 1. छितराना-बिखेरना 2. बीज बोना 3. करघा 4. वह गोल लकड़ी जिसपर तागा लपेटा जाता है।
आवारगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] शोहदापन; आवारापन; लंपटता।
आवारा
(फ़ा.) [वि.] 1. व्यर्थ में घूमने वाला 2. लंपट; निकम्मा।
आवारागर्दी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेकार घूमना; भटकना।
आवास
(सं.) [सं-पु.] रहने का स्थान; घर; निवास-स्थान।
आवासिक
(सं.) [वि.] आवास से संबंधित। [सं-पु.] 1. अस्थायी रूप से रहने वाला 2. निवासी 3. रहने का स्थान।
आवासी
(सं.) [वि.] रहने वाला; निवास करने वाला
आवासीय
(सं.) [वि.] 1. आवास संबंधी 2. आवास की सुविधा से युक्त।
आवाहक
(सं.) [वि.] 1. आवाहन या आह्वान करने वाला 2. पुकारने वाला; बुलाने वाला।
आवाहन
(सं.) [सं-पु.] 1. पुकारना; बुलाना 2. आमंत्रित करना 3. मंत्र द्वारा देवता को बुलाना 4. आह्वान; किसी नेक अभियान में कर्मरत होने के लिए सामूहिक आमंत्रण।
आविक
(सं.) [वि.] 1. भेड़ संबंधी 2. ऊनी। [सं-पु.] ऊनी वस्त्र; कंबल।
आविद्ध
(सं.) [वि.] 1. छेदा हुआ; भेदा हुआ; बेधा हुआ 2. फेंका व तोड़ा हुआ।
आविर्भाव
(सं.) [सं-पु.] उदय; अवतरण; जन्म; प्रकट होना।
आविर्भूत
(सं.) [वि.] 1. उत्पन्न 2. सामने आया हुआ 3. अवतरित।
आविष्करण
(सं.) [सं-पु.] 1. आविष्कार करना; खोज निकालना 2. प्रकट होना या करना; प्रकटीकरण।
आविष्कर्ता
(सं.) [वि.] आविष्कार करने वाला; नई खोज करने वाला।
आविष्कार
(सं.) [सं-पु.] प्राकट्य; नई खोज; ईजाद।
आविष्कृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका आविष्कार हुआ हो 2. प्रकाशित; प्रकटित 3. ईजाद किया हुआ।
आविष्ट
(सं.) [वि.] 1. आवेशयुक्त, जैसे- क्रोध से आविष्ट 2. भावाकुल, जैसे- प्रेमाविष्ट 3. लीन 4. ढँका हुआ; आच्छादित।
आवीक्षण
(सं.) [सं-पु.] ऐसी प्रविधि जिसमें आसमान से विमान द्वारा धरातल की तस्वीरें खींचकर प्राचीन पुरातात्विक स्थलों की खोज की जाती है।
आवृत्त
(सं.) [वि.] 1. घेरे, वृत्त या गोले के अंदर घिरा हुआ 2. छिपा हुआ; ढका हुआ; लपेटा हुआ; आच्छादित 3. दुहराया हुआ; आवृत्ति किया हुआ।
आवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दोहराव; बार-बार घटित होना 2. बारंबारता 3. किसी पुस्तक आदि का पुनर्मुद्रण; संस्करण; (एडिशन)।
आवेग
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्कट भावना; चित्त की प्रबल वृत्ति; जोश 2. आकुलता; इष्ट या अनिष्ट के प्राप्त होने पर मन की विकलता 3. एक संचारी भाव 4. मन में उत्पन्न वह
विकार जो मनुष्य को बिना कुछ सोचे-विचारे कुछ कर डालने में प्रवृत्त करता है; (इंपल्स)।
आवेगात्मक
(सं.) [वि.] आवेगपूर्ण; आवेगयुक्त।
आवेगी
(सं.) [वि.] 1. आवेग संबंधी 2. जोशीला; बिना सोचे-समझे कुछ कर गुज़रने वाला 3. आवेगशील; अशांत।
आवेदक
(सं.) [सं-पु.] आवेदन करने वाला; आवेदनकर्ता।
आवेदन
(सं.) [सं-पु.] 1. दरख़्वास्त; प्रार्थना; निवेदन 2. उम्मीदवार बनने के लिए अनुरोध 3. नम्रतापूर्वक कोई बात कहना या सूचना देना।
आवेदन-पत्र
(सं.) [सं-पु.] प्रार्थना-पत्र; अर्ज़ी; वह पत्र जिसपर कोई अपनी प्रार्थना या निवेदन लिखकर किसी को सूचित करे।
आवेश
(सं.) [सं-पु.] 1. जोश; तैश; आक्रोश; उद्दीप्त मनोवेग 2. अभिनिवेश 3. झोंक; अंतःप्रेरणा 4. मूर्छा; मिर्गी रोग 5. भूत-प्रेत की बाधा।
आवेशन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रवेश; पैठ 2. आवेश; आविष्ट होना 3. जोश 4. घमंड 5. प्रेत-बाधा।
आवेश-मूलक
(सं.) [वि.] आवेश उत्पन्न करने वाला; आवेश से संबंधित।
आवेशयुक्त
(सं.) [वि.] आवेश से भरा हुआ; आविष्ट; आवेशित।
आवेशहीन
(सं.) [वि.] तैश का अभाव; क्रोधरहित; क्रोधावेश का अभाव।
आवेष्टक
(सं.) [सं-पु.] 1. चारदीवारी; घेरा 2. जाल। [वि.] चारों ओर से घेरने वाला।
आवेष्टन
(सं.) [सं-पु.] चारों ओर से घेरने, ढकने आदि का कार्य; छिपाने, ढकने या लपेटने की वस्तु।
आव्रजन
(सं.) [सं-पु.] 1. अपना स्थान छोड़ कर दूसरी जगह जाना 2. किसी दूसरे देश में बसने के लिए जाना।
आशंका
(सं.) [सं-स्त्री.] अंदेशा; शंका; संदेह; अनिष्ट की संभावना।
आशंकित
(सं.) [वि.] डर; भय; संदेह से ग्रस्त; आशंका ग्रस्त; सशंकित।
आशंसा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. इच्छा 2. आशा 3. प्रशंसा 4. अपेक्षा 5. चर्चा 6. कथन।
आशना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दोस्त; यार 2. प्रेमी; प्रेमिका। [वि.] जान-पहचान वाला; परिचित।
आशनाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. इश्क़; मुहब्बत; प्रेम 2. दोस्ती; यारी; मित्रता 2. जान-पहचान; परिचय 3. स्त्री-पुरुष के बीच अवैध संबंध।
आशय
(सं.) [सं-पु.] 1. तात्पर्य; अभिप्राय; मतलब 2. इच्छा; वासना 3. नीयत; उद्देश्य; (इंटेंशन)।
आशा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य या बात के पूर्ण हो जाने की उम्मीद; इच्छा, जैसे- आशा है आप जल्दी लौटेंगे 2. एक राग 3. दक्ष की एक कन्या 4. साधारण विश्वास।
[मु.] -टूटना : उम्मीद भंग होना। [मु.] -बँधना : इच्छा पूर्ण होने की संभावना होना।
आशा-आकांक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] उम्मीद और चाहत; आस भरी ललक।
आशाजनक
(सं.) [वि.] ऐसी बात जिससे कार्य पूर्ण होने की उम्मीद जगे; आशामय; आशाप्रद।
आशातीत
(सं.) [वि.] की गई आशा से बहुत अधिक; आशा से परे, जैसे- आशातीत परिणाम।
आशान्वित
(सं.) [वि.] 1. आशायुक्त; उम्मीद से भरा हुआ 2. उत्साहित।
आशामय
(सं.) [वि.] आशा या उम्मीद से भरा हुआ; भरोसे से युक्त।
आशावाद
(सं.) [सं-पु.] 1. सदा अच्छी बातों और सफलता में विश्वास रखने वाला सिद्धांत 2. ऐसा स्वभाव जो शुभ परिणाम में सदा विश्वास रखे; (ऑप्टिमिज़्म)।
आशावादी
(सं.) [वि.] 1. सदैव अनुकूल या अच्छी बातों की आशा करने वाला; आशावाद को मानने वाला; (ऑप्टीमिस्ट) 2. आशावाद संबंधी।
आशावान
(सं.) [वि.] आशान्वित; उम्मीद से भरा हुआ।
आशाहीन
(सं.) [वि.] जिसमें आशा या उम्मीद के भाव न हों।
आशिक
(अ.) [सं-पु.] प्रेम में अनुरक्त व्यक्ति। [वि.] 1. प्रेम करने वाला; प्रेमी 2. काम के वशीभूत होकर किसी की ओर आकृष्ट होने वाला 3. आसक्त।
आशिक-मिज़ाज
(अ.) [वि.] जिसके मन-मिज़ाज में आशिकी भरी हो; हमेशा प्रेम या इश्क फ़रमाने वाला; विलासी; प्रेमप्रवण।
आशिकाना
(अ.+फ़ा.) [वि.] आशिकों जैसा अंदाज़ या व्यवहार; प्रेमिल स्वभाव; अनुरागमय।
आशिकी
(अ.) [सं-स्त्री.] आशिक होने की क्रिया या भाव; प्रेमासक्ति।
आशियाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पक्षी का घोंसला 2. {ला-अ.} प्यार और शौक से बनाया गया रहने का ठिकाना; बसेरा; घर।
आशिर
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; सूरज; प्रभाकर 2. अग्नि 3. राक्षस।
आशिष
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. आशीष।
आशी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. साँप का विषैला दाँत 2. सर्प विष 3. असीस। [वि.] जिसके दाँत में विष हो।
आशीर्वचन
(सं.) [सं-पु.] किसी की मंगल कामना के लिए कहे गए शुभ वचन; आशीर्वाद; आशीष; मंगल कामना।
आशीर्वाद
(सं.) [सं-पु.] आशीष; बड़ों का छोटों के लिए शुभ उद्गार; कल्याण एवं मंगलकामना; दुआ।
आशीष
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के कल्याण, सफलता आदि के लिए कामना करना; आशीर्वाद; मंगल कामना 2. (काव्यशास्त्र) एक अलंकार जिसमें आशीर्वाद प्राप्त करने की
प्रार्थना होती है।
आशु
(सं.) [वि.] तेज़; त्वरित; क्षिप्र। [क्रि.वि.] 1. तेज़ी से; त्वरित गति से; क्षिप्रता से 2. जल्द; शीघ्र; तुरंत। [सं-पु.] 1. घोड़ा 2. भादो माह में पकने वाला धान।
आशुकवि
(सं.) [सं-पु.] झटपट कविता करने वाला; तत्काल कविता बना कर पाठ करने वाला कवि।
आशुकविता
(सं.) [सं-स्त्री.] तुरंत बनाई जाने वाली कविता।
आशुटंकक
(सं.) [सं-पु.] आशुलिपि से टंकण करने वाला व्यक्ति; शॉर्ट हैंड टंकक; (स्टेनोग्राफ़र)।
आशुतोष
(सं.) [सं-पु.] शिव; शंकर; महादेव। [वि.] 1. शीघ्र संतुष्ट होने वाला 2. जो जल्दी प्रसन्न हो जाए।
आशुलिपि
(सं.) [सं-स्त्री.] सुनी हुई बात को शीघ्रता से लिख लेने में सहायक संकेत लिपि; शीघ्रलिपि; (शॉर्टहैंड)।
आशुलिपिक
(सं.) [सं-पु.] आशुलिपि की सहायता से सुनी हुई बात को तुरंत लिख लेने वाला व्यक्ति; (स्टेनोग्राफ़र)।
आश्चर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. विस्मय 2. अद्भुत रस का स्थायी भाव 3. अचरज; अचंभा 4. हैरानी।
आश्चर्यचकित
(सं.) [वि.] विस्मित; अचंभित; हैरान।
आश्चर्यजनक
(सं.) [वि.] अचंभा पैदा करने वाला; आश्चर्य का द्योतन करने वाला; अचरज में डालने वाला।
आश्मिक
(सं.) [वि.] 1. पत्थर से संबद्ध; पाषाण निर्मित 2. पत्थर ढोने वाला।
आश्रम
(सं.) [सं-पु.] 1. ऋषियों-मुनियों के रहने का स्थान; जहाँ जीवन पद्धति में श्रम की प्रधानता हो; साधु संतों की कुटी; मठ; तपोवन 2. जीवन जीने की विभिन्न अवस्थाएँ
(ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ एवं सन्यास) 3. विद्यालय।
आश्रय
(सं.) [सं-पु.] 1. सहारा; शरण 2. वह वस्तु जिसके सहारे दूसरी वस्तु हो; आधार वस्तु; आधार 3. संरक्षण 4. रहने, ठहरने या विश्राम आदि करने का सुरक्षित स्थान;
ठिकाना 5. सानिध्य 6. बौद्ध धर्म में पाँच ज्ञानेंद्रियाँ और मन जिनमें सुख-दुख तथा उनके आधारों की अनुभूति होती है।
आश्रयण
(सं.) [सं-पु.] किसी का आश्रय या सहारा लेने अथवा किसी को आश्रय या सहारा देने की क्रिया या भाव।
आश्रयदाता
(सं.) [वि.] 1. आश्रय या सहारा देने वाला 2. प्रश्रय देने वाला; आधार या आसरा देने वाला 3. देखरेख करने वाला; संरक्षक।
आश्रयहीन
(सं.) [वि.] बेसहारा। [सं-पु.] बेसहारा व्यक्ति।
आश्रयी
(सं.) [वि.] 1. आश्रय लेने वाला; आश्रित होने वाला 2. किसी के सहारे ठहरा या टिका हुआ 3. अवलंबी।
आश्रव
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिज्ञा; वचन 2. धारा; प्रवाह 3. सरिता; नदी 4. कसूर; अपराध; दोष 5. (बौद्ध धर्म) वह जो किसी के बंधन का कारण हो 6. (जैन धर्म) मन, वचन और
शरीर से किए हुए कर्म का संस्कार 7. उबलते हुए चावल का फेन।
आश्रित
(सं.) [वि.] 1. आश्रय में आया हुआ; सहारा लिया हुआ 2. किसी के आश्रय या सहारे टिका या ठहरा हुआ; अवलंबित 3. निर्भर; किसी के अधीन या भरोसे पर रहने वाला।
आश्रुत
(सं.) [वि.] 1. जो सुना हुआ हो; आकर्णित 2. जिसके संबंध में कोई प्रतिज्ञा की गई हो या वचन दिया गया हो; प्रतिज्ञात 3. अंगीकार किया हुआ; अंगीकृत; स्वीकृत;
गृहीत।
आश्रुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिज्ञा करने या वचन देने की क्रिया 2. सुनने की क्रिया या भाव 3. किसी से कुछ लेने की क्रिया; ग्रहण; आदान; अंगीकार करने की क्रिया।
आश्लिष्ट
(सं.) [वि.] 1. जो जुड़ा, सटा या लगा हुआ हो; संयुक्त; संबद्ध 2. आलिंगन किया हुआ; आलिंगित।
आश्लेष
(सं.) [सं-पु.] 1. लगाव 2. संबंध 3. आलिंगन।
आश्लेषण
(सं.) [सं-पु.] 1. मेल; संयोग 2. आलिंगन 2. अवलंबन।
आश्लेषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सत्ताईस नक्षत्रों में से नवाँ नक्षत्र 2. वह समय जब चंद्रमा अश्लेषा नक्षत्र में होता है।
आश्व
(सं.) [वि.] अश्व संबंधी; घोड़े से संबंध रखने वाला घोड़ों द्वारा खींचा जाने वाला।
आश्वस्त
(सं.) [वि.] 1. जिसे आश्वासन या तसल्ली दी गई हो 2. जिसे प्रोत्साहन मिला हो 3. जिसकी बैचनी या घबराहट दूर हो गई हो 4. उत्साहित।
आश्वस्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] निश्चिंतता; आश्वस्त होने की स्थिति या भाव; सांत्वना; तसल्ली का भाव।
आश्वस्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] आश्वस्त होने की क्रिया; सांत्वना; तसल्ली का भाव।
आश्वासन
(सं.) [सं-पु.] दिलासा; सांत्वना; सहयोग हेतु वचन देना; भय निवारण।
आश्विन
(सं.) [सं-पु.] दे. अश्विन।
आषाढ़
(सं.) [सं-पु.] 1. आषाढ़ मास; जेठ के बाद का महीना 2. यज्ञोपवीत के समय यतियों द्वारा धारण किया जाने वाला पलाश-दंड 3. मलयगिरि।
आषाढ़ीय
(सं.) [वि.] 1. आषाढ़ मास से संबंधित 2. आषाढ़ नक्षत्र में उत्पन्न।
आसंग
(सं.) [सं-पु.] 1. आसक्त होने की क्रिया, अवस्था या भाव; लिप्सा; आसक्ति; (अटैचमेंट) 2. संग रहने की क्रिया; संगति; संसर्ग; सोहबत 3. दो वस्तुओं में किसी प्रकार
का संपर्क बतलाने वाला तत्व; लगाव; अनुबंध 4. स्वकर्तृत्व का अभिमान 5. संलग्नता; संदर्भ। [वि.] अविच्छिन्न; अबाधित। [अव्य.] लगातार; बराबर।
आसंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी के साथ अच्छी-तरह जोड़ना या बाँधना 2. उलझ या फँस जाना 3. किसी अपराधी या ऋणी की संपत्ति पर न्यायालय की आज्ञा से होने वाला वह अधिकार जो
अर्थदंड चुकाने के लिए होता है; कुर्की; (अटैचमेंट) 4. किसी सतह से चिपक जाना।
आसंजित
(सं.) [वि.] जिसका आसंजन हुआ हो; कुर्क किया हुआ (संपत्ति); (अटैच्ड)।
आसंदी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बैठने का कुछ ऊँचा छोटा आसन 2. खटोला; मचिया 3. आराम-कुरसी 4. वेदी 5. आशा; उम्मीद 6. सहारा; आधार 7. लालसा; कामना।
आस
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आशा; भरोसा 2. कामना 3. सहारा। [मु.] -टूटना : निराश होना। -तकना : प्रतीक्षा करना। -बाँधना : उम्मीद करना।
आसक्त
(सं.) [वि.] 1. अनुरक्त 2. किसी पर बहुत अधिक अनुराग करने वाला; मोहित 3. किसी में लीन; लिप्त (विषयासक्त)।
आसक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसक्त होने की अवस्था या भाव 2. अनुरक्ति; अनुराग; लगन; लिप्तता; (अटैचमेंट)।
आसत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामीप्य; निकटता 3. वाक्य में संबद्ध पदों की निकटता 4. मेल 5. प्राप्ति।
आसन
(सं.) [सं-पु.] 1. मूँज, कुश, ऊन आदि से निर्मित छोटी चटाई 2. योगासनादि में बैठने की मुद्रा 3. कामशास्त्र में वर्णित काम की चौरासी मुद्राएँ 4. साधु-संतों के
रहने तथा ठहरने का स्थान 5. छह प्रकार की परराष्ट्र नीति में से एक 'उपेक्षा की नीति'। [मु.] -उखड़ना : अपने स्थान से हिल जाना।-जमना : एक ही स्थान पर देर तक बैठना। -जमाना : अडिग भाव से जमकर बैठना। -देना : आदर-सत्कार करना। -डोलना : किसी कारणवश मन का विचलित होना।
आसनी
(सं.) [सं-स्त्री.] कुश या कपड़े का बना छोटा आसन; बैठने की छोटी चटाई।
आसन्न
(सं.) [वि.] 1. निकट या नज़दीक आया हुआ; समीपस्थ 2. उपस्थित।
आसपास
(सं.) [अव्य.] 1. निकट; नज़दीक; करीब 2. अगल-बगल; करीब; पास में 3. चारों ओर।
आसमाँ
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. आसमान।
आसमान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. आकाश; आसमाँ 2. स्वर्ग। [मु.] -के तारे तोड़ना : असंभव काम करना। -पर चढ़ना : स्वयं को बहुत ऊँचा या बड़ा
समझना। -पर चढ़ाना : किसी की बहुत प्रशंसा कर अभिमानी बनाना। -से बात करना : बहुत अधिक ऊँचा होना।
आसमानी
(फ़ा.) [वि.] 1. आसमान जैसा हलका नीला 2. आकाशीय; आसमान का। [सं-पु.] हलका नीला रंग। [सं-स्त्री.] ताड़ी।
आसरा
[सं-पु.] 1. उम्मीद; आस; आशा 2. सहारा; अवलंब 3. शरण 4. सहायक 5. आश्रय; आधार।
आसव
(सं.) [सं-पु.] 1. रस 2. अर्क 3. शराब; मदिरा 4. (आयुर्वेद) जड़ी-बूटियों से तैयार औषधीय मद्य, जैसे- कनकासव; द्राक्षासव।
आसवन
(सं.) [सं-पु.] 1. द्रव को वाष्प में और वाष्प को फिर से द्रव में परिवर्तन की क्रिया 2. अर्क, शराब आदि चुआने या टपकाने की क्रिया; (डिस्टिलेशन)।
आसवनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसवन करने का उपकरण या पात्र 2. आसवन का स्थान।
आसा
(अ.) [सं-पु.] बरात और जुलूस के आगे चोबदार द्वारा लेकर चला जाने वाला सोने या चाँदी का डंडा।
आसान
(फ़ा.) [वि.] सरल; जो कठिन न हो; सहज।
आसानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] सरलता; सुगमता।
आसाम
(सं.) [सं-पु.] प्राचीन कामरूप देश; असम राज्य।
आसामी
[सं-पु.] 1. काश्तकार 2. कर्ज़दार 3. मुलज़िम 4. आसाम का निवासी; आसामवासी। [सं-स्त्री.] आसाम की भाषा (असमिया)। [वि.] आसाम संबंधी; आसाम का।
आसार1
(सं.) [सं-पु.] 1. संभावना; उम्मीद 2. मूसलाधार वृष्टि 3. आक्रमण; शत्रु को घेर लेना 4. राजकीय सेना 5. रसद 6. मित्र।
आसार2
(अ.) [सं-पु.] 1. लक्षण; चिह्न 2. खंडहर 3. नींव; दीवार की चौड़ाई 4. 'असर' का बहुवचन 5. पदचिह्न।
आसावरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रातःकाल गाई जाने वाली श्रीराग की एक रागिनी 2. एक ख़ास तरह का सूती कपड़ा। [सं-पु.] कबूतर की एक जाति।
आसित
(सं.) [वि.] 1. आराम से बैठा हुआ 2. सुखासीन। [सं-पु.] आसन।
आसीन
(सं.) [वि.] आरूढ़; बैठा हुआ।
आसुत
(सं.) [वि.] आसवन किया हुआ; आसवित; चुआया हुआ।
आसुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसवन करने की क्रिया 2. काढ़ा 3. प्रसव।
आसुर
(सं.) [वि.] 1. असुर संबंधी 2. असुरों की तरह का; यज्ञ न करने वाला। [सं-पु.] 1. राक्षस 2. रक्त 3. काला नमक।
आसुर विवाह
(सं.) [सं-पु.] आठ प्रकार के विवाहों में से एक जिसमें वर कन्या के माता-पिता को धन देकर कन्या को ख़रीदता है।
आसुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राक्षसी; दानवी 2. राई; काली सरसों। [वि.] असुरों जैसी, जैसे- आसुरी शक्ति।
आसूदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सुख-शांति 2. संपन्नता 3. तुष्टि।
आसूदा
(फ़ा.) [वि.] 1. बेफ़िक्र; निश्चिंत 2. संतुष्ट; तृप्त।
आसेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. तर करना; भिगोना 2. सींचना; सिंचाई।
आसेचनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसेचन करने का उपकरण या पात्र 2. छोटा पात्र।
आसेध्य
(सं.) [वि.] 1. रोकने या प्रतिबंधित करने योग्य 2. राजकीय प्रतिबंध के योग्य।
आसेब
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भूतबाधा 2. चोट; कष्ट।
आसेवन
(सं.) [सं-पु.] 1. सतत सेवन 2. बार-बार होने का भाव 3. संपर्क।
आसेवित
(सं.) [वि.] 1. आसेवन किया हुआ 2. बार-बार किया हुआ 3. संपर्क में आया हुआ।
आसेव्य
(सं.) [वि.] 1. सेवन के योग्य 2. बार-बार जाकर देखने योग्य।
आसोज
(अ.) [सं-पु.] क्वार का महीना; अश्विन मास।
आस्कंद
(सं.) [सं-पु.] 1. आक्रमण 2. नाश 3. युद्ध 4. आरोहण 5. घोड़े की सरपट चाल 6. रौंदना 7. तिरस्कार; गाली।
आस्कंदी
(सं.) [वि.] 1. आक्रमणकारी; आक्रांता 2. नष्ट करने वाला 3. गाली देने वाला।
आस्तर
(सं.) [सं-पु.] 1. आच्छादन; आवरण 2. बिछाने की कोई चीज़, जैसे- गद्दा, चटाई 3. कालीन; गलीचा 4. हाथी की झूल।
आस्तरण
(सं.) [सं-पु.] 1. बिछाने, फैलाने या ढकने की क्रिया या भाव 2. दरी; गद्दा; गलीचा 3. यज्ञ की वेदी पर फैलाए हुए कुश 4. हाथी की पीठ पर बिछाया जाने वाला चादर;
झूल।
आस्तिक
(सं.) [वि.] ईश्वर तथा परलोक के अस्तित्व में विश्वास करने वाला।
आस्तिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] ईश्वर, परलोक और पुनर्जन्म में विश्वास करने का भाव।
आस्तीक
(सं.) [सं-पु.] (महाभारत) एक ऋषि जिन्होंने जनमेजय के नागयज्ञ में तक्षक नामक सर्प को भस्म होने से बचाया था।
आस्तीन
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] कुर्ते, ब्लाउज़ आदि की बाँह। [मु.] -चढ़ाना : लड़ने को तैयार रहना। -का साँप : अपने या निकट व्यक्ति द्वारा
धोखा देना।
आस्थगन
(सं.) [सं-पु.] 1. सभा की बैठक, सुनवाई या अन्य किसी काम को किसी दूसरे समय या दूसरी जगह के लिए रोक देने की क्रिया या भाव; स्थगन 2. लागू होने के बाद कुछ समय
के लिए रोक देना; कुछ समय का स्थगन; (अबेयंस)।
आस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धार्मिक विश्वास 2. निष्ठा; धारणा; आलंबन 3. श्रद्धा; मूल्य 4. आशा 5. सभा 6. वचन 7. प्रयत्न।
आस्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. स्थान; जगह 2. दरबार; सभा 3. सभागृह; मनोरंजनगृह।
आस्थापन
(सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह से स्थापित करने की क्रिया 2. बलदायक औषधि 3. स्नेहवस्ति।
आस्थावाद
(सं.) [सं-पु.] 1. वह सिद्धांत या मत जिसमें ज्ञान के प्रत्येक रूप को आस्था या श्रद्धा की मान्यताओं पर निर्भर या आधारित मान लिया जाता है; श्रद्धावाद।
आस्थावादी
(सं.) [वि.] आस्थावाद का समर्थक और अनुयायी।
आस्थावान
(सं.) [वि.] आस्था रखने वाला; आस्था से युक्त।
आस्पद
(सं.) [सं-पु.] 1. पात्र 2. आधार 3. आवास; जगह; स्थान 4. जन्मकुंडली में लग्न से दसवाँ स्थान।
आस्फालन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी को पीछे हटाने के लिए ढकेलना, दबाना या रगड़ना 2. संघर्ष 3. आत्मश्लाघा; डींग 4. अहंकार; घमंड 5. हाथी द्वारा कानों का फड़फड़ाना 6.
धीरे-धीरे चलाने या हिलाने की क्रिया।
आस्फोट
(सं.) [सं-पु.] 1. ताल ठोकने या ताली बजाने की आवाज़ 2. अस्त्र-शस्त्रों की खड़खड़ाहट या झंकार 3. धक्का; रगड़ 4. काँपना; हिलना 5. अखरोट।
आस्फोटक
(सं.) [वि.] 1. आस्फोट करने वाला 2. ताल ठोकने या ताली बजाने वाला।
आस्फोटन
(सं.) [सं-पु.] 1. ताल ठोकना 2. प्रकट या व्यक्त करने की क्रिया 3. हिलाना-डुलाना 4. फैलना; फूलना 5. विकास।
आस्माँ
(फ़ा.) [सं-पु.] आसमान।
आस्रव
(सं.) [सं-पु.] 1. वह बड़ी नाली जिससे वर्षा का पानी या मैला पानी आदि बहता है 2. पकते चावल के ऊपर का झाग या फेन 3. (जैन धर्म) आत्मा की शुभ और अशुभ गतियाँ 4.
मन में उत्पन्न होने वाला विकार 5. मन की वह अप्रिय और कष्ट देने वाली अवस्था या बात जिससे छुटकारा पाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
आस्वाद
(सं.) [सं-पु.] खाने-पीने की चीज़ मुँह में पड़ने पर उससे जीभ को होने वाला अनुभव; स्वाद; ज़ायका; लज़्ज़त।
आस्वादन
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वाद; स्वाद लेना 2. रस 3. मज़ा 4. चखना 5. रसानुभव।
आस्वादित
(सं.) [वि.] 1. स्वाद लिया हुआ; जिसका आस्वादन हुआ हो 2. चखा हुआ।
आह
[अव्य.] दुख, पीड़ा, शोक, वेदना आदि भावों को व्यक्त करने वाला शब्द। [सं-स्त्री.] 1. दुख से कराहने का शब्द; हाय 2. पीड़ा प्रकट करने की ध्वनि 3. वेदना। [मु.] -भरना : दुख से कराहते हुए ठंडी साँस लेना।
आहट
(सं.) [सं-स्त्री.] पैरों से चलने की धमक या पदचाप; हिलने-डुलने से होने वाली हलकी ध्वनि।
आहत
(सं.) [वि.] 1. चोट खाया हुआ; घायल; ज़ख़्मी 2. व्याघातदोषयुक्त; असंगत वाक्य।
आहरण
(सं.) [सं-पु.] 1. चुरा लेना 2. छीन लेना 3. उठा ले जाना 4. यज्ञादि पूरा करना 5. दूषित पदार्थ बाहर निकालना 6. प्रवृत्त करना।
आहर्ता
(सं.) [वि.] 1. आहरण करने वाला 2. छीन लेने वाला 3. यज्ञ या अनुष्ठान करने वाला 4. प्रवृत्त करने वाला।
आहा
[अव्य.] हर्ष, आह्लाद, आश्चर्य आदि भावों को व्यक्त करने वाला शब्द, जैसे- आहा! कितना सुंदर दृश्य है।
आहार
(सं.) [सं-पु.] 1. भोजन; खाद्य सामग्री 2. भोजन के ग्रहण करने की क्रिया; खाना 3. ग्रहण; लेना।
आहार-नली
(सं.) [सं-स्त्री.] (शरीर विज्ञान) शरीर के अंदर भोजन प्रविष्ट कराने वाली नली।
आहार-विहार
(सं.) [सं-पु.] 1. रहन-सहन 2. भोजन, शयन, श्रम, मनोरंजन आदि प्रतिदिन के शारीरिक व्यवहार।
आहारिक
(सं.) [वि.] आहार का; आहार से संबंधित। [सं-पु.] (जैन धर्म) आत्मा के पाँच प्रकार के शरीरों में से एक जो मनुष्य के आहार-विहार आदि का कर्ता और भोक्ता है।
आहारी
(सं.) [वि.] 1. आहार लेने वाला; भोजन करने वाला 2. ग्रहण करने वाला 3. एकत्र करने वाला।
आहार्य
(सं.) [वि.] 1. ग्रहण किया हुआ 2. लेने, लाने या छीनने योग्य 3. खाने योग्य; खाद्य 4. कृत्रिम; बनावटी 5. ऊपरी; अभिप्रेत 6. पूजा के योग्य 7. (नाट्यशास्त्र)
अभिनय का एक प्रकार 8. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का अनुभाव जिसमें नायक-नायिका एक दूसरे का वेश धारण करते हैं।
आहिस्ता
(फ़ा) [क्रि.वि.] धीरे; धीमे से; धीरे-धीरे; धीमी आवाज़ में।
आहुति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मंत्र पढ़कर देवता के लिए द्रव्य को अग्नि में डालना; होम; हवन 2. हवन में डालने की सामग्री 3. होमद्रव्य की वह मात्रा जो एक बार में
यज्ञकुंड में डाली जाए 4. बलि 5. चुनौती। [मु.] -देना : बलिदान करना।
आहूत
(सं.) [वि.] पुकारा हुआ; बुलाया हुआ; न्योता हुआ; आह्वान किया हुआ।
आहृत
(सं.) [वि.] 1. आहरित; आहरण किया हुआ 2. छीना हुआ 3. लाया हुआ।
आह्निक
(सं.) [वि.] 1. दिन का नियमित कार्य; नित्यकर्म 2. दैनिक धार्मिक कर्म या क्रियाएँ 3. एक दिन का कुल काम।
आह्लाद
(सं.) [सं-पु.] हार्दिक ख़ुशी; प्रसन्नता; हर्षयुक्त पुलकन।
आह्लादकारी
(सं.) [वि.] आह्लाद देने वाला; ख़ुशी देने वाला; जिससे मन आनंदित हो उठे (वस्तु, अनुभव)।
आह्लादन
(सं.) [सं-पु.] आह्लादित करने की क्रिया या भाव; प्रसन्न करना; रंजन।
आह्लादित
(सं.) [वि.] प्रसन्न; बहुत ख़ुश।
आह्लादी
(सं.) [वि.] आह्लादित करने वाला।
आह्वान
(सं.) [सं-पु.] 1. पुकारना; बुलाना 2. वह पत्र जिसमें विधिक रूप से किसी को आज्ञा देकर बुलाया जाता हो; सम्मन 3. किसी की ओर से बुलावा 4. देवता का आह्वान 5.
ललकार; चुनौती।