hindisamay head


अ+ अ-

कोश

वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


न1 हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह वर्त्स्य, सघोष अल्पप्राण नासिक्य है। दंत्य व्यंजनों के पहले इसका उच्चारण दंत्य हो जाता है, जैसे- अंत, पंथ में। संस्कृत में दंत्य, सघोष नासिक्य माना गया है।

न‍2 [नि.] 1. नकारात्मक या निषेधात्मक कथनों में 'नहीं' या 'मत' की जगह, जैसे- उसके घर न जाना ही ठीक है 2. प्रश्नात्मक वाक्य में ज़ोर देने के लिए तथा विधिवाचक वाक्य के रूप में भी इसका प्रयोग होता है, जैसे- 'वह चला जाएगा न' ?

नंग1 [सं-पु.] 1. नंगे होने की अवस्था अथवा भाव; नग्नता; नंगापन 2. पुरुष या स्त्री गुप्तांग। [वि.] 1. नंगा 2. लुच्चा; बदमाश।

नंग2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रतिष्ठा; इज़्ज़त 2. लज्जा; शर्म; हया।

नंगई [सं-स्त्री.] 1. नग्न होने की क्रिया या भाव 2. उजड्डपन 3. निम्नस्तर का आचरण।

नंगधड़ंग (सं.) [वि.] जिसके शरीर पर एक भी वस्त्र न हो; निर्वस्त्र; एकदम नंगा; दिगंबर।

नंगा (सं.) [वि.] 1. जिसपर कोई आवरण न हो; वस्त्रहीन; दिगंबर 2. बेशर्म; बेहया 3. {ला-अ.} जो ज़िद करता हो; हठी 4. {ला-अ.} दुराचारी; दुष्ट। [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. एक पर्वत। [मु.] -होकर नाचना : बेशर्मी भरा आचरण करना; अत्यंत घिनौना रूप प्रकट करना।

नंगा नाच [सं-पु.] 1. निर्लज्जतापूर्ण व्यवहार; अभद्र आचरण 2. घृणित व्यवहार; मनमाना आचरण।

नंगापन [सं-पु.] 1. नंगा होने की अवस्था या भाव; परिधानहीनता; वसनहीनता 2. {ला-अ.} अभद्र आचरण।

नंगा-लुच्चा [वि.] बदमाश और चरित्रहीन; दुष्ट और ओछा।

नंद (सं.) [सं-पु.] 1. हर्ष; आनंद 2. कृष्ण के पालक पिता; यशेादा के पति 3. पाटलिपुत्र के एक राजा का नाम 4. गौतम बुद्ध का सौतेला भाई; सुंदरी का पति 5. पुत्र; बेटा; नंदन 6. एक राग 7. एक प्रकार का मृदंग 8. एक प्रकार का बाँस 9. एक प्रकार की बाँसुरी।

नंदक (सं.) [वि.] 1. आनंद देने वाला; संतोषप्रद; सुखकर 2. अपने परिवार का पालन करने वाला। [सं-पु.] 1. विष्णु का खड्ग 2. कार्तिकेय का एक अनुचर।

नंदकिशोर (सं.) [सं-पु.] नंद के पुत्र कृष्ण; नंदकुमार।

नंदकुमार (सं.) [सं-पु.] नंद के पुत्र कृष्ण; नंदकिशोर।

नंदन (सं.) [सं-पु.] 1. लड़का; बेटा, जैसे- दशरथनंदन 2. मेघ; बादल 3. इंद्र का उपवन 4. शिव का एक नाम। [वि.] आनंद देने वाला।

नंदनंदिनी (सं.) [सं-स्त्री.] नंद की पुत्री; योगमाया।

नंदरानी (सं.) [सं-स्त्री.] यशोदा; कृष्ण की माता।

नंदलाल [सं-पु.] नंद के पुत्र अर्थात कृष्ण।

नंदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आनंद की अधिष्ठात्री देवी 2. दुर्गा; गौरी 3. चंद्र मास के किसी पक्ष की प्रतिपदा, षष्ठी या एकादशी तिथि 4. एक प्रकार की संक्रांति 5. (पुराण) कुबेर की पुरी के निकट बहने वाली एक नदी 6. (पुराण) शाकद्वीप की एक नदी। [सं-पु.] 1. मिट्टी का घड़ा 2. बरवै छंद का एक नाम। [वि.] 1. आनंद देने वाली; आनंददायिनी 2. शुभ।

नंदा देवी (सं.) [सं-स्त्री.] हिमालय पर्वत की एक ऊँची चोटी।

नंदि (सं.) [सं-पु.] 1. जो पूरी तरह आनंदमग्न हो 2. आनंद; हर्ष 3. परमेश्वर।

नंदिक (सं.) [सं-पु.] 1. नंदी वृक्ष; तुन का पेड़ 2. आनंद 3. शिव का एक अनुचर 4. छोटा कलश 5. नंदन-कानन।

नंदिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हँसमुख स्त्री 2. मिट्टी का बना नाँद या जलपात्र 3. नंदन-कानन 4. चंद्रमास के प्रत्येक पक्ष की प्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी।

नंदित (सं.) [वि.] सुखी; प्रसन्न; आनंदित; आनंदयुक्त।

नंदिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेटी; पुत्री 2. उमा; दुर्गा 3. गंगा 4. जटामासी नामक जड़ी 5. रेणुका नामक गंधद्रव्य 6. तुलसी का पौधा 7. एक वर्णवृत्त 8. वशिष्ठ ऋषि की गाय; कामधेनु।

नंदी (सं.) [वि.] आनंदित या प्रसन्नचित्त रहने वाला; प्रसन्न। [सं-पु.] 1. (पुराण) शिव का गण या वाहन; शिव के द्वारपाल बैल का नाम 2. शिव के नाम पर छोड़ा गया साँड़ 3. पुत्र 4. नाटक में नंदी का अभिनय करने वाला व्यक्ति 5. बंगाली कायस्थों एवं तेलियों में एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम।

नंदीगण (सं.) [सं-पु.] 1. शिव के द्वारपाल बैल 2. साँड़।

नंदीमुख (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का धान 2. एक प्रकार का पक्षी 3. शिव।

नंदीश्वर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) शिव नामक देवता और उनका गण।

नंबर (इं.) [सं-पु.] 1. संख्या सूचक; अंक 2. अदद; संख्या 3. गणना; गिनती 4. सामयिक पत्र या पत्रिका का कोई स्वतंत्र अंक।

नंबरदार (इं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. अँग्रेज़ी हुकूमत का वह ज़मींदार या अन्य व्यक्ति जो मालगुज़ारी वसूल करता था; लंबरदार; मालगुज़ार 2. गाँव का मुखिया 3. रौबीला व्यक्ति।

नंबरवार (इं.+हिं.) [क्रि.वि.] अंक या संख्या के क्रम से; क्रमानुसार; सिलसिलेवार।

नंबरी (इं.) [वि.] 1. जिसपर नंबर या अंक पड़ा हो; नंबरवाला 2. नंबर संबंधी; नंबर का 3. मशहूर; कुख्यात; बदनाम, जैसे- नंबरी बदमाश, नंबरी चोर।

नंबरी नोट (इं.) [सं-पु.] सौ रुपए के मूल्यवाली कागज़ की मुद्रा।

नंबूदरी [सं-पु.] केरल प्रांत का एक ब्राह्मण वंश, जिसके सदस्य प्रायः मंदिर के पुजारी होते हैं।

नंशुक (सं.) [वि.] 1. नाश करने वाला 2. हानि पहुँचाने वाला; हानिकारक 3. खो जाने वाला 4. भटकने वाला 5. बहुत छोटा; सूक्ष्म।

नक (सं.) [सं-स्त्री.] 'नाक' का समास में व्यवहृत रूप, जैसे- नकबेसर, नकचढ़ा।

नककटा [वि.] 1. जिसकी नाक कटी हो; नकटा 2. {ला-अ.} जिसका बहुत अपमान हुआ हो 3. {ला-अ.} निर्लज्ज; बेशरम।

नकघिसनी [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन पर नाक रगड़ने की क्रिया 2. क्षमा-याचना हेतु दीनतापूर्वक विनती करना; गिड़गिड़ाना।

नकचढ़ा [वि.] 1. बात-बात में क्रोधित होने वाला; तुनकमिज़ाज; चिड़चिड़ा; बदमिज़ाज 2. घमंडी।

नकछिकनी [सं-स्त्री.] एक तरह का पौधा जिसके फूल को सूँघने पर छींकें आने लगती हैं।

नकटा [सं-पु.] 1. एक प्रकार का मांगलिक गीत 2. एक प्रहसन जो वर पक्ष की स्त्रियाँ बरात जाने के उपरांत रात में करती हैं; खोईया 3. बतख की जाति का एक पक्षी। [वि.] 1. जिसकी नाक कट गई हो 2. {ला-अ.} जिसका बहुत अपमान हुआ हो 3. {ला-अ.} निर्लज्ज; बेशर्म।

नकतोड़ा [सं-पु.] 1. अभिमानपूर्वक नाक-भौं चढ़ाकर किया जाने वाला अभिनय या नख़रा 2. विवाह की एक रीति; नकटा।

नकद (अ.) [सं-पु.] 1. वह धन जो सिक्के या रुपए के रूप में हो 2. वह रकम जो फ़ौरन अदा की जाए 3. रोकड़; नगद; (कैश)। [वि.] प्रस्तुत। [अव्य.] तुरंत रुपए देकर।

नकद नारायण (अ.+सं.) [सं-पु.] 1. रुपए-पैसे या नकद राशि के महत्व के निर्देशन के लिए प्रयुक्त शब्द 2. रुपया-पैसा 3. मुद्रा के रूप में धन-राशि।

नकदी (अ.) [सं-स्त्री.] रोकड़; रुपया-पैसा; धन-दौलत; (कैश)।

नकदी फ़सल (अ.) [सं-स्त्री.] वह फ़सल जिसके बेचने पर तुरंत भुगतान होता हो, जैसे- केला, कपास, गन्ना, जूट आदि।

नकफूल [सं-पु.] नाक में पहना जाने वाला एक गहना।

नकब (अ.) [सं-स्त्री.] चोरी करने के उद्देश्य से किसी मकान की दीवार में किया गया बड़ा छेद; सेंध।

नकबज़नी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] चोरी करने के उद्देश्य से किसी मकान की दीवार में नकब या सेंध लगाने की क्रिया; सेंध लगाना; सेंध मारकर चोरी करना।

नकबेसर [सं-स्त्री.] बेसर; छोटी नथ।

नकमोती [सं-पु.] नाक में पहनने का मोती; लटकन।

नकल (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के आचरण, वेश, वाणी आदि का अनुकरण करना 2. लेख आदि की प्रतिलिपि; कॉपी 3. ज्यों का त्यों किया जाने वाला अनुकरण 4. रूप, बनावट आदि में समानता; प्रतिरूप; अनुकृति 5. परीक्षा के दौरान छलपूर्वक दूसरे परीक्षार्थी की उत्तर पुस्तिका से अथवा छिपाकर लाई हुई पुस्तक आदि से आवश्यकतानुरूप कुछ अंश अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखना 6. मनोरंजन या परिहास के लिए किसी का यथावत अनुकरण; स्वाँग।

नकलची (अ.) [सं-पु.] नकल करने वाला; अनुकरण करने वाला; अनुकरणकर्ता।

नकलनवीस (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] कार्यालय आदि का वह लिपिक जो कागज़ात या दस्तावेज़ों आदि की नकल तैयार करता है।

नकल-बही [सं-स्त्री.] चिट्ठियों, हुंडियों आदि की नकल रखने की बही।

नकली (अ.) [वि.] 1. कृत्रिम; बनावटी; काल्पनिक 2. मिथ्या; झूठ; फ़र्ज़ी 3. जाली; खोटा 4. मान, मूल्य, महत्व आदि के विचार से निम्नतर; जो प्रायः दूसरों को धोखा देने के उद्देश्य से निर्मित किया गया हो 5. जो किसी के अनुकरण पर बना हो।

नकवी (अ.) [सं-पु.] मुसलमानों के दसवें इमाम हज़रत अली नकी की संतान के वंश का व्यक्ति।

नकसीर (अ.) [सं-स्त्री.] एक तरह का रोग जिसमें नाक से ख़ून बहता है।

नकाब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चेहरा ढकने के लिए प्रयुक्त जालीदार कपड़ा 2. बुरके, साड़ी या चादर का वह भाग जिससे स्त्रियाँ अपना चेहरा ढकती हैं; घूँघट 3. मुखौटा 4. शिरस्त्राण में लगी लोहे की जाली जिससे नाक की रक्षा होती है।

नक़ाब (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. नकाब)।

नकाबपोश (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसका चेहरा नकाब से ढका हो 2. छुपा हुआ।

नकार (सं.) [सं-पु.] 1. 'न' वर्ण 2. निषेध अथवा अस्वीकृति सूचक शब्द 3. इनकार; अस्वीकृति।

नकारना (सं.) [क्रि-स.] 1. अस्वीकार करना; ठुकराना 2. न मानना 3. मुकरना 4. इनकार करते हुए 'न' या 'नहीं' कहना।

नकारवाद (सं.) [सं-पु.] हर बात का निषेध करने का सिद्धांत या मत; निराशावाद।

नकारवादी (सं.) [सं-पु.] 1. हर बात का निषेध करने वाला व्यक्ति; निराशावादी 2. हर समय कुछ बुरा घटने की ही आशंका से ग्रस्त व्यक्ति।

नकारात्मक (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई बात अस्वीकृत की गई हो या किसी बात से इनकार किया गया हो; अस्वीकारात्मक 2. जो नकारात्मक विचार का हो; निराशावादी 3. विरोधात्मक; निषेधात्मक; (निगेटिव); 'सकारात्मक' का विलोम 4. विपरीत; विलोम 5. ऋणात्मक।

नकियाना [क्रि-अ.] नाक से शब्दों का उच्चारण करना; बोलते समय अनुनासिक उच्चारण करना; बोलते समय फेफड़ों से बाहर आने वाली वायु का मुख के साथ ही नासिका विवर से भी निकलना।

नकीब (अ.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो प्राचीन काल में शासक की सवारी के आगे-आगे उसके वंश का यशगान करते हुए चलता था; भाट; चारण 2. वह व्यक्ति जो प्राचीन काल में राजदरबार के समय राजा से मिलने आने वालों की बारी आने पर आवाज़ देकर पुकारता था।

नकुल (सं.) [सं-पु.] 1. नेवला 2. (महाभारत) माद्री के गर्भ से उत्पन्न पांडु पुत्र 3. पुत्र; बेटा 4. एक प्राचीन वाद्य यंत्र।

नकेल [सं-स्त्री.] 1. ऊँट, भालू, बैल आदि को नियंत्रण में रखने के लिए नाक में आर-पार पहनाई जाने वाली रस्सी; मुहार 2. {ला-अ.} वश अथवा नियंत्रण में रखने की शक्ति। [मु.] किसी की नकेल हाथ में होना : किसी व्यक्ति को वश में रखना।

नक्का [सं-पु.] 1. सुई का वह छेद जिसमें डोरा डाला जाता है; सुई में डोरा पिरोने का छेद; नाका 2. घोंघे की तरह के एक समुद्री कीड़े का कड़ा अस्थि आवरण।

नक्कारख़ाना (फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ नगाड़े बजते या रखे जाते हैं; नौबतख़ाना।

नक्कारची (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो नक्कारा या नगाड़ा बजाता हो।

नक्कारा (अ.) [सं-पु.] डुगडुगी; नगाड़ा; डंका; धौंसा।

नक्काल (अ.) [सं-पु.] 1. किसी की नकल या अनुसरण करने वाला व्यक्ति 2. स्वाँग रचने वाला व्यक्ति; भाँड़ 3. जो व्यक्ति नकली माल बेचता हो।

नक्काली (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नकल करने का काम 2. भाँड़ का काम या विद्या; बहुरूपिए का काम या विद्या।

नक्काश (अ.) [सं-पु.] 1. धातु, लकड़ी आदि पर बेल-बूटे बनाने वाला व्यक्ति 2. रंगसाज़ 3. चित्रकार; चितेरा; मुसव्विर।

नक्काशी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. धातु, लकड़ी आदि पर खोदकर बेल-बूटे बनाने का काम 2. खोदकर बनाए गए बेल-बूटे 3. रंगसाज़ी 4. चित्रकारी।

नक्काशीदार (अ.) [वि.] 1. जिसपर बेलबूटे खुदे हों 2. तराशी गई कलाकृतियों से युक्त।

नक्कू [वि.] 1. बड़ी नाकवाला 2. स्वयं को बहुत बड़ा समझने वाला 3. उलटा या बुरा काम करने वाला 4. बदनाम 5. सबके विपरीत आचरण करने वाला।

नक्त (सं.) [सं-पु.] 1. बिलकुल संध्या का समय 2. रात; रात्रि 3. एक प्रकार का व्रत जो अगहन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को किया जाता है 4. राजा पृथु के पुत्र का नाम। [वि.] लज्जित; जो शरमा गया हो।

नक्तचर (सं.) [वि.] 1. रात्रि में विचरण करने वाला; रात्रिचर 2. रात को घूमने वाला। [सं-पु.] 1. राक्षस 2. उल्लू 3. चोर।

नक्र (सं.) [सं-पु.] 1. नाक नामक जलजंतु; मगरमच्छ नामक जल-जंतु; घड़ियाल या कुंभीर 2. वृश्चिक राशि 3. दरवाज़े की चौखट की ऊपरी लकड़ी।

नक्श (अ.) [सं-पु.] 1. चेहरा-मोहरा; मुखाकृति, जैसे- नैन-नक्श 2. चित्र; तसवीर 3. फूल-पत्ती अथवा बेल-बूटे आदि का काम 4. मुहर या ठप्पे का निशान 5. उभरा हुआ चिह्न 6. सिक्का 7. तावीज़ 8. पदचिह्न 9. एक प्रकार का राग। [वि.] 1. लिखा हुआ 2. चित्रित 3. खुदा हुआ; अंकित।

नक्शकार (अ.) [सं-पु.] 1. वह जो चित्र बनाता हो; चित्रकार; छविकार; मुसव्विर 2. सर्वेक्षक।

नक्शबंदी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नक्शा या चित्र बनाने का काम; चित्रकारी 2. ख़्वाज़ा नक्शबंद का अनुयायी।

नक्शा (अ.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के स्वरूप को सूचित करने वाली रेखाकृति 2. तस्वीर; चित्र 3. प्राकृतिक या राजनैतिक स्थिति को सूचित करने वाला पृथ्वी या खगोल के किसी अंश का मानचित्र 4. मकान, सड़क आदि की अवस्थिति का चित्र 5. आकृति; चेहरा-मोहरा; रंगरूप; बनावट; शक्ल 6. दशा; अवस्था; स्थिति।

नक्शानवीस (अ.) [सं-पु.] 1. देश, घर, कारख़ाने आदि का नक्शा बनाने वाला व्यक्ति 2. चित्र या नक्शा बनाने वाला।

नक्शानवीसी (अ.) [सं-स्त्री.] नक्शा या चित्र बनाने का काम या पेशा; नक्शबंदी।

नक्शाबंद (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] धोतियों, साड़ियों आदि पर बेलबूटे काढ़ने हेतु नक्शा तैयार करने वाला।

नक्शेकदम (अ.) [सं-पु.] 1. पैर या चरण के निशान; पद-चिह्न 2. {ला-अ.} अनुकरणीय आदर्श।

नक्षत्र (सं.) [सं-पु.] 1. तारा; सितारा 2. चंद्रमा के मार्ग में पड़ने वाले स्थिर तारों के सत्ताईस समूह, जिनके अलग-अलग रूप और आकार मान लिए गए हैं और जिनके अलग-अलग नाम हैं।

नक्षत्रराज (सं.) [सं-पु.] नक्षत्रों का राजा चंद्रमा; चाँद।

नक्षत्री (सं.) [वि.] 1. जिसका जन्म अच्छे नक्षत्र में हुआ हो 2. भाग्यशाली। [सं-पु.] 1. विष्णु 2. चंद्रमा।

नक्सल [सं-पु.] एक मत जो समाज में समानता लाने के लिए हिंसा का उपयोग करने का समर्थक है।

नक्सलबाड़ी [सं-पु.] पश्चिम बंगाल में स्थित एक गाँव जहाँ से नक्सलवाद की शुरुआत हुई।

नक्सलवाद [सं-पु.] नक्सल आंदोलन की विचारधारा या मत; ऐसा सिद्धांत या मत जिसमें सामाजिक बराबरी तथा व्यवस्था परिवर्तन के लिए हिंसा को भी अपनाया जाता है; माओवाद से प्रभावित मत।

नक्सलवादी [सं-पु.] 1. नक्सलवादी विचारधारा का समर्थक 2. नक्सल आंदोलन का सदस्य; (नक्सलाइट); नक्सली।

नक्सली [सं-पु.] 1. नक्सल आंदोलन का सदस्य 2. नक्सल विचारधारा का समर्थक या अनुयायी; नक्सलवादी।

नख (सं.) [सं-पु.] 1. नाख़ून 2. खंड; टुकड़ा 3. एक प्रसिद्ध गंधद्रव्य।

नख़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कच्चा रेशम 2. रेशम की डोर 3. पतंग उड़ाने की डोर।

नखक्षत (सं.) [सं-पु.] नाख़ून लगने से शरीर पर बना चिह्न या घाव।

नख़रा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नाज़ोअदा; हाव-भाव 2. चोचला 3. किसी का आग्रह टालने के लिए दिखावटी इनकार 4. चंचलता; चुलबुलापन 5. विलास चेष्टा 6. एक प्रकार का अभिनय।

नख़रीला (फ़ा.) [वि.] बहुत नख़रा करने वाला; नख़रेबाज़।

नख़रेबाज़ (फ़ा.) [वि.] प्रायः नख़रा दिखाने वाला; नख़रीला।

नखरौटा [सं-स्त्री.] नाख़ून के धँसने से होने वाला घाव या जख़्म; नख-क्षत।

नख़ल (अ.) [सं-पु.] खजूर का पेड़।

नख़लिस्तान (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] रेगिस्तान में स्थित हरा-भरा क्षेत्र; मरूद्यान; शाद्वल।

नख-शिख (सं.) [सं-पु.] 1. पैर के नख से सिर तक के सभी अंग 2. संपूर्ण आकार या आयाम 3. (काव्यशास्त्र) शृंगार रस में नायिका के पैर के नाख़ून से लेकर सिर तक के सभी अंगों का वर्णन।

नखांक (सं.) [सं-पु.] 1. व्याघ्र का नख 2. नाख़ून गड़ने का चिह्न या घाव।

नखायुध (सं.) [वि.] नाख़ून ही जिसका हथियार हो। [सं-पु.] 1. दस्ताने की तरह पहना जाने वाला शस्त्र जिसके पंजों पर लोहे के तीखे नाख़ून बने होते हैं 2. शेर 3. चीता 4. कुत्ता।

नखाशी (सं.) [सं-पु.] उल्लू पक्षी। [वि.] जो नाख़ूनों की सहायता से खाता हो।

नख़ास (अ.) [सं-पु.] 1. बाज़ार 2. प्राचीन काल में पशुओं एवं दासों के क्रय-विक्रय का स्थान।

नखी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जानवर जो नाख़ूनों से किसी पदार्थ को चीर या फाड़कर खाता हो, जैसे- चीता, शेर आदि 2. नख नामक गंध-द्रव्य।

नग1 (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत; पहाड़ 2. पेड़; वृक्ष 3. सूर्य 4. साँप। [वि.] जो गमन नहीं करता; स्थिर; अचल।

नग2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बहुमूल्य पत्थर; नगीना 2. संख्या सूचक शब्द; अदद।

नगड़िया [सं-स्त्री.] एक प्रकार का छोटा नगाड़ा; डुग्गी।

नगण (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) छंदशास्त्र में तीन लघु अक्षरों का एक गण, जैसे- कमल।

नगण्य (सं.) [वि.] 1. जिसकी गणना न हो सके; जो गिनने या गिने जाने के योग्य न हो 2. जो मात्रा में बहुत कम हो 3. तुच्छ; निकृष्ट 4. महत्वहीन।

नगद (सं.) [सं-पु.] दे. नकद।

नगदी (सं.) [सं-स्त्री.] नगद-राशि, जैसे- तुम्हारे पास अभी कितनी नगदी है?

नगनिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संकीर्ण राग का एक भेद 2. (काव्यशास्त्र) एक छंद जिसके प्रत्येक पद में चार अक्षर होते हैं 3. (काव्यशास्त्र) क्रीड़ा नामक वृत्त का दूसरा नाम जिसके प्रत्येक चरण में एक यगण और एक गुरु होता है।

नगपति (सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय पर्वत 2. शिव 3. सुमेरु पर्वत।

नगमा (अ.) [सं-पु.] 1. गीत; गान 2. मधुर स्वर; सुरीली आवाज़।

नगर (सं.) [सं-पु.] 1. शहर; कस्बे से बड़ी बस्ती; (सिटी) 2. वह स्थान जहाँ भौतिक संसाधनों का बाहुल्य हो 3. बाज़ार 4. मोहल्लों या बस्तियों के नामों के साथ भी प्रयोग किया जाने वाला शब्द, जैसे- कुंदन नगर, शिव नगर आदि।

नगरकीर्तन (सं.) [सं-पु.] किसी धार्मिक संप्रदाय द्वारा विशेष पर्व या अवसरों पर निकाला जाने वाला जुलूस जो गाजे-बाजे के साथ भजन-कीर्तन करता हुआ नगर की सड़कों पर घूमता है।

नगरकोट (सं.) [सं-पु.] 1. किसी नगर या स्थान की रक्षा के लिए चारों ओर उठाई हुई ऊँची और बड़ी दीवार; परकोटा; कोट 2. काँगड़ा घाटी से तीस कि.मी. दक्षिण हिमाचल प्रदेश में स्थित इक्यावन शक्ति पीठों में एक; ज्वालादेवी मंदिर; जोताँवाली का मंदिर।

नगरनिगम (सं.) [सं-पु.] किसी महानगर की स्वायत्त संस्था जिसे नगरपालिका की अपेक्षा वित्त तथा कार्य-संचालन संबंधी कुछ अधिक अधिकार प्राप्त होते हैं; (कॉरपोरेशन)।

नगरपार्षद (सं.) [सं-पु.] नगरपालिका का सदस्य।

नगरपाल (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन समय में वह अधिकारी जिसका कर्तव्य नगर की सुरक्षा की देख-भाल करना होता था 2. किसी नगर की नगरपालिका का चुना हुआ सदस्य।

नगरपालिका (सं.) [सं-स्त्री.] किसी नगर के नागरिकों द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की संस्था जो नगर के यातायात, सफ़ाई, रोशनी, जल आदि की व्यवस्था करती है; (म्यूनिसिपैलिटी)।

नगरप्रमुख (सं.) [सं-पु.] नगरपालिका या नगर-महापालिका का प्रधान या अध्यक्ष; निगमाध्यक्ष; महापौर; (मेयर)।

नगरबोर्ड (सं.+इं.) [सं-पु.] नगर के चुने हुए प्रतिनिधियों की परिषद; नगर-निकाय।

नगरवधू (सं.) [सं-स्त्री.] 1. राज नर्तकी 2. वेश्या; रूपाजीवा।

नगरवासी (सं.) [सं-पु.] वह जो नगर में रहता हो; नागरिक; शहरी व्यक्ति; पुरवासी।

नगर संपादक (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) अख़बार में नगर से संबंधित समाचारों के संपादन की देखभाल करने वाला व्यक्ति।

नगरसेवा (सं.) [सं-स्त्री.] नगर के भीतर सुविधा प्रदान करने हेतु उपलब्ध सेवा; (सिटी सर्विस)।

नगराध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल में वह अधिकारी जिसके ऊपर नगर की सुरक्षा आदि का दायित्व होता था 2. नगर का प्रधान शासक; प्रशासक।

नगरी (सं.) [सं-पु.] नगर में रहने वाला व्यक्ति; नागरिक। [सं-स्त्री.] शहर या नगर के नाम के साथ जुड़ने वाला उत्तर पद।

नगरीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी क्षेत्र को नगरीय सुविधाओं से युक्त करने की क्रिया।

नगरोपांत (सं.) [सं-पु.] नगर के आस-पास का क्षेत्र या स्थान; उपनगर।

नगला [सं-पु.] छोटी बस्ती; कस्बा।

नगाड़ची (अ.) [सं-पु.] नगाड़ा या नक्कारा बजाने वाला व्यक्ति।

नगाड़ा (अ.) [सं-पु.] 1. डुगडुगी की तरह चमड़े से मढ़ा एक बहुत बड़ा वाद्य; डंका; धौंसा 2. ढोल; नक्कारा; दुंदुभि।

नगाधिप (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वतों का राजा; हिमालय 2. सुमेरु पर्वत।

नगाधिपति (सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय; पर्वतराज 2. सुमेरु पर्वत।

नगाधिराज (सं.) [सं-पु.] हिमालय; पर्वतराज; नगाधिपति।

नगारि (सं.) [सं-पु.] (पुराण) देवताओं का राजा इंद्र जो पर्वतों का शत्रु था।

नगीना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शोभावृद्धि हेतु आभूषणों में जड़ा जाने वाला बहुमूल्य पत्थर का रंगीन टुकड़ा 2. नग; रत्न; मणि।

नगेंद्र (सं.) [सं-पु.] पर्वतराज; हिमालय।

नग्न (सं.) [वि.] 1. जिसके शरीर पर एक भी वस्त्र न हो; निर्वस्त्र; नंगा; दिगंबर 2. जिसपर कोई आवरण न हो; निरावरण; आवरणहीन 3. जो आबाद न हो। [सं-पु.] 1. दिगंबर जैन मुनि 2. वह व्यक्ति जिसके कुल में किसी ने वेद-शास्त्र का अध्ययन न किया हो 3. सेना के साथ रहने या भ्रमण करने वाला; चारण 4. शिव 5. ढोंगी व्यक्ति 6. अलंकार तथा चमत्कारहीन साहित्यिक रचना।

नचनिया [सं-पु.] 1. नाच दिखलाकर जीविकोपार्जन करने वाला व्यक्ति 2. नाचने वाला व्यक्ति।

नचवैया [सं-पु.] 1. नृत्य कला में पारंगत; नर्तक 2. दूसरों को नृत्य सिखाने वाला; दूसरों को नाचने में प्रवृत्त करने वाला।

नचाकी (फ़ा.+तु.) [सं-स्त्री.] 1. दुश्मन या शत्रु होने की अवस्था या भाव; वैमनस्य 2. किसी बात पर होने वाली कहासुनी; अनबन 3. शरीर आदि को अस्वस्थ करने वाली शारीरिक प्रक्रिया; रोग।

नचाना [क्रि-स.] 1. किसी को नाचने में प्रवृत्त करना 2. किसी से तरह-तरह के काम करवाकर तंग करना; परेशान करना 3. किसी को इधर-उधर व्यर्थ के चक्कर लगवाना।

नचिकेता (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) वाजश्रवा ऋषि का पुत्र जिसने मृत्युदेव से ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया था 2. आग; अग्नि।

नचिर (सं.) [वि.] अल्पावधि तक ही स्थिर रहने वाला; क्षणभंगुर; अस्थायी।

नज़दीक (फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. किसी विशिष्ट बिंदु से थोड़ी ही दूरी पर 2. समीप; पास; निकट।

नज़दीकी (फ़ा.) [सं-पु.] निकट का संबंधी या रिश्तेदार। [सं-स्त्री.] समीपता; निकटता। [वि.] 1. निकट का; पास का 2. आत्मीय।

नज़र (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दृष्टि; निगाह 2. किसी विशेष अवसर पर दिया गया उपहार; भेंट; चढ़ावा 3. कृपा; अनुग्रह 4. कुदृष्टि 5. भले-बुरे की परख 6. देखभाल। [मु.]-आना : दिखाई देना। -पड़ना : दिखाई देना। -पर चढ़ना : पसंद आना। -बचना : देखने में चूक होना।-बाँधना : ऐसा जादू करना कि किसी को कुछ दिखाई न दे। -उतारना : किसी उपचार से बुरी दृष्टि का प्रभाव नष्ट करना। -लगना : बुरी दृष्टि का प्रभाव पड़ना।

नज़रअंदाज़ (अ.) [वि.] 1. जिसपर ध्यान न दिया गया हो; अनदेखा; तिरस्कृत; उपेक्षित 2. नज़रों से गिरा हुआ।

नज़रबंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. किसी स्थान में कड़ी निगरानी में रखा गया 2. इंद्रजाल या जादू से सम्मोहित।

नज़रबंदी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नज़रबंद होने की स्थिति 2. इंद्रजाल, सम्मोहन आदि के द्वारा लोगों की दृष्टि में भ्रम उत्पन्न करने की क्रिया या भाव।

नज़रबाग (अ.) [सं-पु.] महल या हवेली के सामने या चारों ओर स्थित बाग।

नज़रबाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. अच्छा-बुरा परखने वाला 2. तेज़ नज़र रखने वाला; चालाक 3. नज़र लड़ाने वाला; आँख लड़ाने वाला।

नज़राना (अ.) [सं-पु.] 1. नज़र के रूप में उपहारस्वरूप दी जाने वाली वस्तु; भेंट; उपायन 2. मकान किराए पर लेने में अग्रिम रूप में दिया जाने वाला धन; पगड़ी। [क्रि-स.] नज़र लगाना। [क्रि-अ.] नज़र लगना या बुरी दृष्टि के प्रभाव में आना।

नज़रिया (अ.) [सं-पु.] 1. दृष्टिकोण; सोच 2. मानसिकता; मनोवृत्ति।

नज़ला (अ.) [सं-पु.] 1. सरदी; ज़ुकाम 2. नाक, आँख आदि के जरिए पानी बहने का रोग।

नज़ाकत (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाज़ुक होने का भाव; सुकमारता 2. स्वभावगत कोमलता; मृदुलता 3. नाज़ुकमिज़ाजी 4. सूक्ष्मता; बारीकी 5. क्षीणता।

नजात (अं.) [सं-स्त्री.] 1. मुक्ति; मोक्ष 2. छुटकारा; रिहाई।

नज़ामत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शासन संबंधी व्यवस्था या प्रबंध 2. नाज़िम का कार्यालय 3. नाज़िम का कार्य, पद या भाव।

नज़ारत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. निरीक्षण; निगरानी 2. नाज़िर अर्थात देखरेख करने वाले का पद और कार्यालय।

नज़ारा (अ.) [सं-पु.] 1. दृश्य 2. नज़र; दृष्टि 3. तमाशा 4. किसी पुरुष या स्त्री का एक दूसरे को अनुरागपूर्ण दृष्टि से देखना।

नजिस (अ.) [वि.] 1. गंदा; मैला; दूषित 2. अशुद्ध; अपवित्र।

नज़ीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. उदाहरण; मिसाल; दृष्टांत 2. समान; सदृश; मिस्ल 3. किसी मुकदमे में दावे की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया गया उच्च या सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व फ़ैसला।

नजूम (अ.) [सं-पु.] 1. सितारे; तारे; ग्रह-नक्षत्र 2. ज्योतिष।

नजूमी (अ.) [सं-पु.] ज्योतिषी।

नजूल (अ.) [सं-पु.] 1. वह भूमि जिसपर सरकार का अधिकार हो; सरकारी ज़मीन 2. ऊपर से नीचे गिरने या उतरने की क्रिया या भाव 3. सामने उपस्थित होना 4. नजला नामक रोग जिसमें नाक बहती है।

नज़्म (अ.) [सं-स्त्री.] पद्य; कविता। [सं-पु.] प्रबंध; इंतज़ाम।

नट (सं.) [सं-पु.] 1. एक जाति जो कलाबाजी दिखाकर अपनी आजीविका चलाती है 2. नाटक करने या खेलने वाला व्यक्ति 3. अभिनेता; (ऐक्टर)।

नटखट [वि.] 1. उपद्रवी; चंचल 2. शरारती 3. दुष्ट; पाजी।

नटखटपन (सं.) [सं-पु.] चंचल या उपद्रवी होने का भाव।

नटन (सं.) [सं-पु.] 1. अभिनय करना 2. नाचना या नृत्य करना।

नटनागर (सं.) [सं-पु.] कृष्ण का एक नाम।

नटनी [सं-स्त्री.] 1. नट समाज की स्त्री 2. नट की पत्नी; नटी 3. अभिनेत्री 4. नर्तकी।

नटराज (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) शिव का एक नाम 2. तांडव नृत्य मुद्रा में शिव की मूर्ति 3. नटों में श्रेष्ठ; नटश्रेष्ठ 4. कुशल और निपुण नट।

नटलीला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाटक 2. अभिनय 3. नाटकों की शृंखला का आयोजन।

नटवर (सं.) [सं-पु.] 1. कृष्ण का एक नाम 2. नाट्य-विद्या में प्रवीण 3. सूत्रधार; प्रधान नट। [वि.] चतुर; चालाक।

नटवर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. नाटक के पात्रों का समूह 2. नाटक के मुख्य पात्र, सहायक और गौण पात्र 3. संस्कृत नाटकों में प्राप्त उत्तम, मध्यम तथा निम्न पात्र।

नटसाल [सं-स्त्री.] 1. काँटे या तीर की नोक का वह भाग जो शरीर में लगने पर शरीर के अंदर ही रह जाता है और निरंतर चुभता रहता है 2. मानसिक व्यथा; कसक।

नटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाट्य या अभिनय करने वाली स्त्री; अभिनेत्री 2. प्रधान अभिनेत्री; सूत्रधार की स्त्री 3. नर्तकी 4. नट जाति की स्त्री 5. वेश्या 6. नखी नामक गंध द्रव्य।

नटेश (सं.) [सं-पु.] 1. नटों में श्रेष्ठ; नटश्रेष्ठ 2. महादेव; शिव।

नटेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. नटश्रेष्ठ; नटेश 2. शिव का एक नाम।

नत (सं.) [वि.] 1. नम्र; विनीत 2. नम्रता दिखाने के लिए नीचे झुका हुआ 3. प्रणाम करता हुआ 4. टेढ़ा; कुटिल। [सं-पु.] मध्यंदिन रेखा से किसी ग्रह की दूरी।

नतन (सं.) [सं-पु.] नत होने अथवा झुकने की क्रिया या भाव; झुकाव।

नतपाल (सं.) [वि.] अपने समक्ष आकर झुकने वालों की रक्षा करने वाला।

नतबहू [सं-स्त्री.] नाती की पत्नी; दौहित्र-पत्नी।

नतमस्तक (सं.) [वि.] 1. (किसी के सम्मान में) सिर झुकाने वाला 2. नम्र या विनीत।

नति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. झुके होने की अवस्था या झुकने की क्रिया 2. किसी ओर मन का झुकाव 3. उतार; ढाल 4. नम्रता 5. नमन; नमस्कार; प्रणाम 6. टेढ़ापन।

नतीजतन (अ.) [क्रि.वि.] परिणामस्वरूप; फलस्वरूप; फलतः।

नतीजन (फ़ा.) [क्रि.वि.] दे. नतीजतन।

नतीजा (अ.) [सं-पु.] 1. फल; परिणाम 2. परीक्षाफल 3. अंत 4. जाँच का फल।

नतोदर [वि.] जिसका ऊपर का भाग चारों ओर से अंदर की ओर झुका हो; अवतल; (कॉनकेव)।

नत्थी [सं-स्त्री.] 1. जोड़ने की क्रिया या भाव 2. कागज़ या कपड़े आदि के टुकड़ों को धागे, तार या क्लिप से एक साथ गूथना 3. उक्त प्रकार से इकट्ठे किए हुए कागज़ या कपड़े के टुकड़े 4. मिसिल।

नत्वर्थक (सं.) [वि.] 1. अस्वीकार करने या न मानने वाला; नकारात्मक 2. जिसमें न होने का भाव हो; जिसमें किसी वस्तु या तथ्य का अस्तित्व न माना गया हो।

नथ [सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों द्वारा नाक में पहना जाने वाला छल्ले जैसा एक आभूषण 2. तलवार की मूठ पर लगा हुआ धातु का छल्ला।

नथना1 [सं-पु.] नाक के छिद्रों का अग्रभाग एवं आस-पास की सतह; नथुना। [मु.] -फुलाना : रूठना।

नथना2 [क्रि-अ.] 1. नत्थी करना 2. छेदा या भेदा जाना; भिदना; छिदना 3. किसी के साथ जोड़ा या बाँधा जाना।

नथनी [सं-स्त्री.] 1. नाक में पहना जाने वाला एक छोटा आभूषण; छोटी नथ 2. तलवार की मूठ पर लगा हुआ छल्ला 3. नथ के आकार की कोई चीज़ 4. गाय-बैल की नाक में पहनाई जाने वाली रस्सी।

नथा [वि.] जिसके नथने में रस्सी डालने के लिए छेद किया गया हो; जिसे नाथा गया हो (बैल)।

नथुना [सं-पु.] दे. नथना।

नथुनी [सं-स्त्री.] दे. नथनी।

नद (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ी नदी, जैसे- सिंधु, ब्रह्मपुत्र आदि 2. सागर; समुद्र 3. एक ऋषि।

नदन (सं.) [सं-पु.] 1. शब्द या नाद करना; गंभीर शब्द करना 2. ज़ोर की आवाज़ करना।

नदनु (सं.) [सं-पु.] 1. शब्द; नाद; आवाज़ 2. गर्जन 3. सिंह; शेर 4. मेघ; बादल 5. युद्ध। [वि.] नाद या ज़ोर का शब्द करने वाला; गरजने वाला।

नदवान [सं-पु.] क्षत्रिय समाज में एक कुलनाम या सरनेम।

नदारद (फ़ा.) [वि.] 1. गायब; लुप्त 2. जो मौजूद न हो; अनुपस्थित।

नदिका (सं.) [सं-स्त्री.] छोटी नदी; सहायक नदी।

नदिया (सं.) [सं-पु.] पश्चिम बंगाल में स्थित एक नगर जो प्राचीन युग में न्यायशास्त्र का विद्यापीठ और बाद में चैतन्य महाप्रभु से संबद्ध होने के कारण प्रसिद्ध है; नवद्वीप। [सं-स्त्री.] नदी के लिए काव्यात्मक संबोधन।

नदी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल की एक बड़ी धारा जो एक स्रोत से निकलकर लंबे मार्ग में बहती हुई किसी अन्य नदी, झील या सागर में मिल जाती है; सरिता 2. किसी तरल पदार्थ का बड़ा बहाव, जैसे- रक्त की नदी 3. रहस्य संप्रदाय में, आराधना के समय ध्यान और जप के नाम का होने वाला प्रवाह।

नदीम (अ.) [सं-पु.] 1. पार्श्ववर्ती; संगी 2. सखा; मित्र।

नदीश (सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. वरुण।

नदीष्ण (सं.) [वि.] जो किसी नदी की भौगोलिक स्थिति से परिचित हो; जिसे किसी नदी के प्रवाह क्षेत्र में आने वाले सुगम या दुर्गम स्थलों का ज्ञान हो।

नद्ध (सं.) [वि.] 1. नाथा हुआ 2. बँधा या बाँधा हुआ 3. ढका हुआ 4. मिलाया हुआ।

नद्य (सं.) [वि.] 1. नदी संबंधी; नदी का 2. नदी से उत्पन्न।

नद्यावर्तक (सं.) [सं-पु.] (ज्योतिष) यात्रा के लिए शुभ योग या मुहूर्त।

नधना [क्रि-अ.] 1. जोता जाना; नाथा जाना 2. किसी के साथ ज़बरदस्ती बाँधा जाना 3. किसी कार्य का आरंभ होना; काम का ठनना 4. किसी कार्य में तत्परतापूर्वक लगना।

ननद [सं-स्त्री.] पति की बहन; ननदी।

ननदोई [सं-पु.] ननद का पति; वह व्यक्ति जिससे पति की बहन ब्याही गई हो।

ननिया [पूर्वपद] नानी के समतुल्य संबंध को बताने वाला पूर्व पद, जैसे- ननिया सास, ननिया ससुर।

ननिहाल [सं-स्त्री.] माँ के माता-पिता का घर या घराना; नाना-नानी का घर।

नन्हा [वि.] 1. बहुत छोटा-सा 2. महीन (कण)।

नन्हा-मुन्ना [वि.] शिशु; बहुत छोटा बालक।

नपना [सं-पु.] किसी तरल पदार्थ की मात्रा नापने के लिए प्रयुक्त पात्र; किसी वस्तु की लंबाई, ऊँचाई आदि नापने का साधन। [क्रि-अ.] नापा जाना, जैसे- यह ज़मीन प्लॉटों के लिए नप रही है।

नपाई [सं-स्त्री.] 1. नापने की क्रिया या भाव 2. नापने की मज़दूरी।

नपाना [क्रि-स.] नापने का काम दूसरों से कराना; नपवाना।

नपुंसक (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा पुरुष जिसमें कामशक्ति न हो; क्लीव; नामर्द 2. हिजड़ा 3. {ला-अ.} कायर।

नपुंसकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संभोग क्रिया में अक्षम होने की अवस्था 2. नपुंसक होने का रोग; नामर्दी 3. हिजड़ापन 4. {ला-अ.} कायरता।

नपुंसक लिंग (सं.) [सं-पु.] (संस्कृत व्याकरण) पुल्लिंग और स्त्रीलिंग से इतर तीसरा लिंग जिसके अंतर्गत ऐसे पदार्थ आते हैं जिन्हें पुल्लिंग या स्त्रीलिंग के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता, अँग्रेज़ी व्याकरण में ऐसी स्थिति को न्यूटर जेंडर के अंतर्गत रखा जाता है।

नफ़र (अ.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति; जन 2. नौकर; दास; सेवक; ख़िदमतगार 3. मज़दूर; श्रमिक।

नफ़रत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति होने वाली इतनी विरक्ति कि उसे देखना भी असह्य हो; घृणा; घिन 2. अरुचि।

नफ़रतज़दा (अ.+फ़ा.) [वि.] घृणा का पात्र; घृणित।

नफ़री (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक मज़दूर की एक दिन की मज़दूरी या कमाई; दिहाड़ी 2. काम या मज़दूरी के दिनों की वाचक संज्ञा।

नफ़स (अ.) [सं-पु.] 1. साँस; श्वास 2. क्षण; पल।

नफ़सानी (अ.) [वि.] 1. कामवासना संबंधी 2. भौतिक या शारीरिक।

नफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. आर्थिक लाभ; हित; फ़ायदा; मुनाफ़ा 2. सूद; ब्याज 3. हासिल; प्राप्ति।

नफ़ासत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. उमदा या नफ़ीस होने की अवस्था या भाव 2. मृदुलता; कोमलता 3. सुंदरता; अच्छाई 4. स्वच्छता; सफ़ाई 5. निर्मलता।

नफ़ीरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तुरही या करनाय नामक वाद्य यंत्र 2. शहनाई।

नफ़ीस (अ.) [वि.] 1. उत्तम; उमदा; श्रेष्ठ 2. साफ़; स्वच्छ; निर्मल 3. मनोहर 4. नाज़ुक।

नफ़्स (अ.) [सं-पु.] 1. आत्मा; रूह; प्राण 2. अस्तित्व 3. वास्तविक तत्व; सत्ता 4. सत्यता 5. कामवासना 6. लिंग; शिश्न।

नफ़्सानियत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अभिमान 2. आत्मलिप्सा; स्वार्थपरता 3. विषयासक्ति; ऐयाशी; विलासिता 4. अपने को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का भाव।

नफ़्सानी (अ.) [वि.] कामवासना या भोगेच्छा से संबंध रखने वाली (चीज़ें); विलास से संबंधित।

नबी (अ.) [सं-पु.] 1. ईश्वर का दूत 2. पैगंबर 3. अवतार।

नबेड़ना [क्रि-स.] 1. निपटाना; समाप्त करना 2. अपने मतलब की चीज़ ले लेना और बाकी छोड़ देना; चुनना।

नब्ज़ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. हाथ की वह रक्तवाहिनी नली जिसकी चाल से रोग की पहचान की जाती है; नाड़ी 2. शिरा।

नब्बाज़ (अ.) [वि.] नाड़ी पहचानने में निपुण; हकीम; वैद्य।

नब्बाज़ी (अ.) [सं-स्त्री.] नब्ज़ की ठीक प्रकार से पहचान; नाड़ी परीक्षा; नाड़ी ज्ञान।

नब्बे [वि.] संख्या '90' का सूचक।

नभ (सं.) [सं-पु.] 1. आकाश; गगन; अंबर 2. मेघ 3. जल 4. सावन तथा भादों का महीना 5. आश्रय 6. शून्य या रिक्त स्थान।

नभगामी (सं.) [वि.] आकाश में विचरण करने वाला। [सं-पु.] 1. सूर्य 2. चंद्र 3. नक्षत्र 4. तारा 5. देवता 6. पक्षी।

नभचर (सं.) [वि.] नभ में गमन करने वाला; नभ में विचरने वाला। [सं-पु.] 1. पक्षी; खेचर 2. बादल 3. वायु; हवा 4. देवता; गंधर्व 5. ग्रह आदि।

नभोवाणी (सं.) [सं-स्त्री.] वह बात जो ईश्वर की ओर से कही हुई और आकाश से सुनाई पड़ने वाली मानी जाती है; आकाशवाणी।

नम1 (सं.) [सं-पु.] नमस्कार; समर्पण आदि के अवसर पर प्रयोग किया जाने वाला शब्द।

नम2 (फ़ा.) [वि.] 1. भीगा हुआ; तर; गीला 2. आर्द्र; सीला।

नमक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. खारे जल से बना क्षार पदार्थ; नोन; लवण 2. {ला-अ.} लावण्य; सलोनापन। [मु.] -का हक अदा करना : उपकार का बदला चुकाना।किसी का नमक खाना : किसी के दिए हुए अन्न से पेट भरना। -मिर्च मिलाना : किसी बात में अपनी ओर से कुछ मिलाना। कटे या जले पर नमक छिड़कना : दुखी को और दुखी करना।

नमकख़्वार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसने किसी का नमक खाया हो 2. किसी के द्वारा पालित होने वाला (नौकर; मुलाज़िम)।

नमकहराम (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो किसी का दिया हुआ अन्न खाकर उसी के साथ धोखा या छल करे 2. कृतघ्न; कपटी।

नमकहरामी (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. अन्नदाता अथवा आश्रयदाता के प्रति किया जाने वाला छलपूर्ण या द्रोहपूर्ण कार्य 2. कृतघ्नता।

नमकहलाल (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. उपकार मानने वाला; कृतज्ञ 2. नमक का कर्ज़ अदा करने वाला 3. स्वामी या पालक की सेवा करने वाला; स्वामिभक्त।

नमकीन (फ़ा.) [वि.] 1. नमक के स्वाद की प्रधानतावाला (खाद्यपदार्थ) 2. जिसमें नमक का स्वाद हो; खारा 3. {ला-अ.} लावण्ययुक्त; सुंदर; सलोना। [सं-पु.] नमक तथा मसालेयुक्त व्यंजन, जैसे- दालमोठ, मठरी, समोसा आदि।

नमत (सं.) [सं-पु.] 1. स्वामी 2. अभिनेता 3. नट 4. धुआँ 5. बादल 6. ऊनी वस्तु। [वि.] 1. झुका हुआ; नत 2. वक्र 3. नम।

नमदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ऊन के रेशों को जमाकर बनाया हुआ मोटा कपड़ा 2. ऊनी कपड़े और धुने हुए ऊन से बना एक प्रकार का कंबल या कालीन जिसपर रंग-बिरंगी कढ़ाई की जाती है।

नमन (सं.) [सं-पु.] 1. झुकने की क्रिया या भाव 2. नमस्कार; प्रणाम।

नमनीय (सं.) [वि.] 1. नमन या प्रणाम किए जाने योग्य; पूज्य; मान्य 2. जो झुक सके या झुकाया जा सके।

नमश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] विशेष प्रकार से तैयार किया हुआ मीठे दूध का फेन जो ठंड के कारण जम जाता है; निमस।

नमस्कार (सं.) [सं-पु.] आदरपूर्वक हाथ जोड़कर किया गया अभिवादन; प्रणाम। [मु.] -कर लेना : छोड़ देना।

नमस्कार्य (सं.) [वि.] 1. जो नमस्कार करने योग्य हो; पूज्य; वंदनीय 2. जिसे नमस्कार किया जाए।

नमस्ते (सं.) [सं-स्त्री.] प्रणाम; नमस्कार; अभिवादन।

नमस्य (सं.) [वि.] नमस्कार किए जाने योग्य; सम्मान्य; पूज्य; वंदित।

नमाज़ (अ.) [सं-स्त्री.] मुसलमानों की प्रार्थना या उपासना की एक पद्धति जो दिन में पाँच बार करने का विधान है; ईशवंदना।

नमाज़ी (अ.) [सं-पु.] वह वस्त्र जिसपर बैठ कर नमाज़ पढ़ी जाए; जानमाज़। [वि.] 1. नियमपूर्वक नमाज़ पढ़ने वाला; नमाज़ का पाबंद (धर्मनिष्ठ मुसलमान) 2. नमाज़ पढ़ने वाला।

नमाना (सं.) [क्रि-स.] 1. झुकाना 2. दबाकर अपने अधीन करना; पस्त करना; काबू में करना।

नमित (सं.) [वि.] 1. झुका हुआ 2. झुकाया हुआ।

नमिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनम्रता का भाव; नम्रता 2. जो स्त्री या लड़की बहुत विनम्र हो।

नमिस (फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक विशेष प्रकार से तैयार किया हुआ मीठे दूध का फेन जो जाड़े में खाया जाता है; नमश; निमस।

नमी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आर्द्रता; तरी; सीलन।

नमूद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. उदित होने या निकलने की क्रिया; उगना 2. आविर्भाव 3. प्रकट होने का भाव 4. धूमधाम; तड़क-भड़क; शानशौकत 4. अस्तित्व; हस्ती 5. ख्याति; शोहरत 6. चिह्न; निशान।

नमूदार (फ़ा.) [वि.] 1. जो प्रकट हुआ हो; जिसका अविर्भाव हुआ हो 2. ज़ाहिर।

नमूना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु की प्रकृति या गुण की जाँच के लिए उसमें से निकाला हुआ थोड़ा सा अंश; बानगी 2. कोई बड़ी चीज़ बनाने से पहले तैयार किया गया छोटा ख़ाका 3. प्रतिकृति; (मॉडल)।

नमूनासाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] वह जो नमूना बनाता हो; प्रतिकृति निर्माण करने वाला व्यक्ति।

नम्य (सं.) [वि.] 1. जिसे बिना तोड़े हुए झुकाया जा सके; लचीला; नमनीय; लचकदार; (फ्लेक्सिबल) 2. नमस्कार किए जाने योग्य; पूज्य; वंदित 3. विनयी; नम्र; आज्ञाकारी 4. नमनशील।

नम्र (सं.) [वि.] 1. विनीत 2. नत; झुका हुआ 3. विनयशील।

नम्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनम्रता; विनयशीलता 2. मधुरता; सहजता 3. लोचशीलता।

नम्रतापूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] नम्रता के साथ; सम्मान के साथ; विनम्रतापूर्वक।

नय (सं.) [सं-पु.] 1. नम्रता; विनय 2. श्रेष्ठ आचरण 3. प्रबंध या व्यवस्था संबंधी नीति 4. राजनीति 5. व्यवहार; बरताव 6. जैन दर्शन से संबंधित एक सिद्धांत। [वि.] पथप्रदर्शक; मार्गदर्शक; नेतृत्व करने वाला।

नयन (सं.) [सं-पु.] 1. आँख; दृष्टि 2. किसी को कहीं ले जाना 3. शासन; प्रबंध; व्यवस्था।

नयनतारा (सं.) [वि.] 1. आँखों का तारा 2. अत्यंत प्रिय; दुलारा 3. {ला-अ.} प्रिय संतान।

नयनसुख (सं.) [सं-पु.] 1. नेत्रानंद; दृष्टि सुख 2. नेत्र को आनंद देने वाला दृश्य 3. संतान।

नयना (सं.) [सं-पु.] आँख। [क्रि-अ.] 1. झुकना 2. नम्र होना; विनीत होना 3. नमस्कार करना।

नयनाभिराम (सं.) [वि.] जो देखने में प्रिय एवं सुंदर लगे; प्रियदर्शन; नेत्रप्रिय।

नयनोत्सव (सं.) [सं-पु.] 1. दीया; दीपक 2. ऐसी वस्तु जिसे देखकर आँखों को सुख मिले; प्रियदर्शन वस्तु।

नयनोपांत (सं.) [सं-पु.] आँख की कोर; अपांग।

नयवाद (सं.) [सं-पु.] जैन धर्म का एक दार्शनिक सिद्धांत।

नयशील (सं.) [वि.] 1. नम्र; विनीत 2. नीतिज्ञ।

नया (सं.) [वि.] 1. जिसका निर्माण, अविष्कार, उत्पादन, प्रकाशन आदि हाल में ही हुआ हो 2. जिसका पहली बार अनुभव किया गया हो; नूतन 3. ताज़ा; शुरुआती 4. 'पुराना' का विपरीत 5. कम उम्र का; नौसिखिया; अनुभवहीन 6. जो कुछ ही समय पहले देखा गया हो 7. अज़नबी।

नया-नया (सं.) [वि.] नवोदित; नवीन; ताज़ा-ताज़ा।

नर (सं.) [सं-पु.] 1. पुरुष; मर्द 2. मनुष्य; इनसान 3. एक प्राचीन ऋषि; नरदेव 4. नरदेव के अवतार अर्जुन 5. 'मादा' का विलोम 6. छाया की दिशा, गति आदि के आधार पर समय जानने के लिए गाड़ी जाने वाली खूँटी; लंब; शंकु। [वि.] 1. पुरुषजातीय, जैसे- नर पशु; नर पक्षी 2. पुरुषोचित; मर्दाना 3. वीर; बहादुर 4. अपने वर्ग में बड़ा या श्रेष्ठ।

नरई [सं-स्त्री.] 1. वह वनस्पति जिसका डंठल अंदर से खोखला या पोला होता है 2. किसी जलाशय के पास उत्पन्न होने वाली एक घास जिसे जानवरों को चारे के रूप में दिया जाता है 3. गेहूँ का डंठल।

नरक (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) वह स्थान जहाँ कुकर्म करने वालों की आत्मा को जीवन काल में किए गए पापों के फल भोगने हेतु भेजा जाता है; दोज़ख़; जहन्नुम; (हेल) 2. {ला-अ.} वह स्थान जहाँ बहुत कष्ट या तकलीफ़ हो और जहाँ रहना असहनीय हो 3. {ला-अ.} वह स्थान जहाँ बहुत प्रदूषण हो।

नरकंकाल (सं.) [सं-पु.] मानव की आकृति का कंकाल; मृत मानव का अस्थिपंजर।

नरककुंड (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) नरक में स्थित एक कुंड जिसमें आत्माएँ यातना सहने के लिए छोड़ दी जाती हैं 2. नरक के समान कष्टकर स्थान 3. {ला-अ.} गंदा या प्रदूषित स्थान।

नरकट [सं-पु.] बेंत की प्रजाति का एक पौधा जिसके डंठल अंदर से खोखले किंतु मज़बूत होते हैं जिनका प्रयोग कलम, चटाई आदि बनाने में किया जाता है; नरकुल।

नरकवासी (सं.) [वि.] नरक में निवास करने वाला या रहने वाला।

नरकासुर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) पृथ्वी के गर्भ से उत्पन्न एक राक्षस जिसका वध कृष्ण ने किया था।

नरकीट (सं.) [सं-पु.] कीड़े-मकोड़ों जैसे आचरण वाला व्यक्ति; क्षुद्र व्यक्ति।

नरकुल (सं.) [सं-पु.] दे. नरकट।

नरगा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आपदा; विपत्ति; मुसीबत 2. जंगल में शिकार के लिए पशुओं को बीच में इकट्ठा करने के लिए मनुष्यों द्वारा बनाया गया घेरा; घिराव 3. जनसमूह।

नरगिस (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्याज़ जैसे कंद से उगने वाला एक पौधा 2. उक्त पौधे का फूल जिसकी सफ़ेद पंखुड़ियों के घेरे के बीच गहरा पीला वृत्त होता है और यह फूल आँख के उपमान के रूप में प्रयुक्त होता है।

नरत्व (सं.) [सं-पु.] 1. नर होने की अवस्था, गुण या भाव; मनुष्यत्व; नरता 2. नरोचित गुणों और शक्तियों का समाहार 3. पुरुषत्व।

नरदमा (फ़ा.) [सं-पु.] मैले पानी का नाला; पनाला।

नरदेव (सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. ब्राह्मण।

नरनाथ (सं.) [सं-पु.] शासक; राजा।

नरपति (सं.) [सं-पु.] मनुष्यों के ऊपर शासन करने वाला; सम्राट; नृप।

नरपशु (सं.) [सं-पु.] 1. पशुवत आचरण करने वाला मनुष्य 2. साहित्य, संगीतकला आदि मानवोचित रुचियों से हीन व्यक्ति 3. मानवोचित अच्छाइयों से हीन व्यक्ति।

नरपिशाच (सं.) [सं-पु.] पिशाच के समान कार्य करने वाला मनुष्य; हत्यारा या हिंसक व्यक्ति; नीच या क्रूर मनुष्य।

नरपुंगव (सं.) [सं-पु.] श्रेष्ठ मनुष्य।

नरभक्षी (सं.) [सं-पु.] वह पशु या मनुष्य जो मनुष्यों के मांस का भक्षण करता हो। [वि.] मनुष्यों को खाने वाला।

नरम (फ़ा.) [वि.] 1. मुलायम; कोमल; मृदुल 2. लचीला 3. सुपाच्य (अन्न) 4. धीमा; मंद 5. पौरुषहीन।

नरमपंथी (फ़ा.+सं.) [वि.] 1. उदारवाद की विचारधारा का पोषक; उदारवादी 2. उग्रता विरोधी 3. शांतिप्रेमी।

नरमा [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की कपास 2. सेमल की रुई 3. कान का निचला हिस्सा जो अत्यंत नरम होता है।

नरमाई [सं-स्त्री.] नरम होने की अवस्था, भाव या गुण; नरमी; नरमाहट।

नरमाहट [सं-स्त्री.] नरम होने की अवस्था या भाव; नरमी।

नरमी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नरम होने की अवस्था, भाव या गुण; कोमलता 2. नम्रता; नमिता; विनम्रता 3. ढिलाई।

नरमुंड (सं.) [सं-पु.] नर का सिर; मनुष्य की खोपड़ी।

नरमेध (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल में होने वाला एक यज्ञ जिसमें मानव-बलि दी जाती थी 2. बड़े पैमाने पर मानव हत्या; नरसंहार।

नरलोक (सं.) [सं-पु.] मानवलोक; मृत्युलोक; मनुष्यजगत; इहलोक।

नर-व्याल (सं.) [सं-पु.] ऐसी मूर्ति जिसमें सिर वाला हिस्सा मनुष्य का और धड़ शेर के समान बनाया गया हो, इसे तक्षित सिंह भी कहा जाता है, जैसे- मिस्र का स्फिंक्स।

नरश्री (सं.) [सं-पु.] 1. नरश्रेष्ठ; एक आदरसूचक संबोधन; आदरसूचक शब्द 2. विष्णु भक्त ध्रुव।

नरश्रेष्ठ (सं.) [सं-पु.] 1. नरों में उत्तम; पुरुषोत्तम 2. एक श्रेष्ठता सूचक संबोधन।

नरसंहार (सं.) [सं-पु.] बड़े पैमाने पर मनुष्यों के संहार की क्रिया; हत्याकांड, जैसे- विभाजन के समय दंगों में भीषण नरसंहार हुआ।

नरसल [सं-पु.] बेंत की तरह का एक पौधा जिससे चटाई आदि बनाई जाती है; नरकट।

नरसिंघा (सं.) [सं-पु.] तुरही के जैसा एक बड़ा बाजा।

नरसिंह (सं.) [सं-पु.] विष्णु का एक अवतार जिसमें आधा शरीर चतुर्भुजी नर का तथा सिर सिंह का था; नृसिंह।

नरसों [क्रि.वि.] 1. बीते हुए परसों के पहले का (दिन) 2. आने वाले परसों के बाद का (दिन)।

नरहरि (सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु का एक नाम 2. नृसिंह अवतार 3. बहुत बड़ा वीर और साहसी पुरुष।

नराच (सं.) [सं-पु.] बाण; तीर; शर।

नराधम (सं.) [सं-पु.] 1. अधम क्रिया-कलापों में लिप्त व्यक्ति 2. मानवोचित अच्छाइयों से हीन व्यक्ति 3. पशुवत आचरण करने वाला मनुष्य।

नराधिप (सं.) [सं-पु.] मनुष्यों का अधिपति; नृपति; राजा।

नराश्म (सं.) [सं-पु.] 1. नरकंकाल जो दीर्घ काल-प्रवाह में पत्थर बन गया हो 2. पूरे नरकंकाल या उसकी किसी अस्थि विशेष का अश्मीभूत रूप; (फ़ॉसिल)।

नरी [सं-स्त्री.] 1. बकरी या बकरे का रँगा हुआ चमड़ा 2. लाल रंग का चमड़ा 3. सिझाया हुआ चमड़ा; मुलायम चमड़ा 4. नार; ढरकी के भीतर की नली जिसपर तार लपेटा रहता है 5. एक प्रकार की घास जो ताल या नदी के किनारे होती है।

नरेंद्र (सं.) [सं-पु.] राजा; नृपति; नरेश।

नरेतर (सं.) [सं-पु.] जो नर अर्थात मनुष्य न हो; पशु; जानवर।

नरेली [सं-स्त्री.] 1. नारियल का हुक्का 2. छोटा नारियल।

नरेश (सं.) [सं-पु.] नराधिप; राजा; नृपति।

नरोत्तम (सं.) [सं-पु.] पुरुषों में श्रेष्ठ; नरश्रेष्ठ; पुरुषोत्तम।

नर्क (सं.) [सं-पु.] दे. नरक।

नर्गिस (फ़ा.) [सं-पु.] दे. नरगिस।

नर्तक (सं.) [सं-पु.] 1. नाचने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो नाचने का पेशा करता है 3. खड्ग की धार पर नाचने वाला व्यक्ति; केलक 4. नट 5. शिव; महादेव 6. मोर।

नर्तकी (सं.) [सं-पु.] 1. नृत्य करने वाली स्त्री 2. नाचने का पेशा करने वाली स्त्री 3. नलिका नामक सुगंधित द्रव्य 4. नटी 5. मोरनी।

नर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. नाचने की क्रिया या भाव 2. नृत्य; नाच।

नर्तित (सं.) [वि.] नाचता हुआ; नृत्य करता हुआ।

नर्दन (सं.) [सं-पु.] 1. नाद; गरज; भीषण ध्वनि 2. उच्च स्वर में गुणकीर्तन।

नर्म1 (सं.) [सं-पु.] 1. हँसी-मज़ाक; परिहास 2. (नाट्यशास्त्र) सखा का एक भेद; कैशिकी वृत्ति का एक भेद।

नर्म2 (फ़ा.) [वि.] दे. नरम।

नर्मद (सं.) [सं-पु.] 1. दिल्लगीबाज़; मसख़रा; हँसोड़ 2. भाँड़; विदूषक। [वि.] 1. आनंद देने वाला; 2. मनोरंजन करने वाला 3. सुख देने वाला।

नर्मदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मध्यप्रदेश में अमरकंटक से निकलने वाली एक नदी 2. पृक्का या असवर्ग नामक गंध द्रव्य 3. (पुराण) एक गंधर्व स्त्री।

नर्मदेश्वर (सं.) [सं-पु.] नर्मदा नदी में पाए जाने वाले चिकने लंबे गोल पत्थर जिन्हें शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है।

नर्मी (सं.) [सं-स्त्री.] दे. नरमी।

नर्व (इं.) [सं-स्त्री.] 1. तंत्रिका; नस; स्नायु 2. शरीर के अंदर पाई जाने वाली श्वेत, चमकदार डोरी जैसी संरचना।

नर्वस (इं.) [वि.] 1. घबराया हुआ; भयभीत 2. उदास; गमगीन 3. चिंतित; अशांत 4. नस या तंत्रिका संबंधी।

नर्स (इं.) [सं-स्त्री.] 1. रोगी या अशक्त व्यक्ति की परिचारिका 2. वह स्त्री जो बच्चे या बीमार की रखवाली या देख-रेख करे 3. शिशु को अपना दूध पिलाने वाली स्त्री; दाई; धाय।

नर्सरी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. पौधशाला 2. छोटे बच्चों का प्रारंभिक विद्यालय 3. बच्चों के विद्यालय में सबसे प्रारंभिक (पहली) कक्षा।

नर्सिंग (इं.) [सं-पु.] 1. रोगी की देखभाल; परिचर्या 2. उपचार 3. किसी स्त्री का शिशु को अपना दूध पिलाना।

नर्सिंग होम (इं.) [सं-पु.] निजी और छोटे पैमाने के अस्पताल जहाँ रोगियों को चिकित्सा के लिए दाख़िल किया जाता है; शुश्रूषालय।

नल1 [सं-पु.] 1. धातु, प्लास्टिक आदि का बना एक बेलनाकार उपकरण जिसका भीतरी भाग खोखला या पोला होता है तथा जिसके अंदर एक सिरे से दूसरे सिरे तक चीज़ें आती-जाती हैं; (पाइप) 2. घरों में पानी पहुँचाने का (धातु का) नल 3. पाइप का वह सिरा जिसमें टोंटी लगी होती है और जिसका पेंच दबाने या घुमाने से पानी निकलता है।

नल2 (सं.) [सं-पु.] 1. नरकट 2. (महाभारत) निषध देश के चंद्रवंशी राजा वीरसेन के एक पुत्र जिनका विवाह विदर्भ देश के राजा भीमसेन की पुत्री दमयंती से हुआ था 3. (रामायण) राम की सेना का एक बंदर जो विश्वकर्मा का पुत्र था तथा जिसने पत्थरों को तैराकर रामचंद्र की सेना के लिए समुद्र पर पुल बाँधा था 4. प्राचीनकाल का धौंसे की तरह का एक प्रकार का बाजा जो युद्ध के समय घोड़े की पीठ पर रखकर बजाया जाता था।

नलक (सं.) [सं-पु.] वह गोलाकार हड्डी जिसके अंदर मज्जा हो; नली के आकार की हड्डी।

नलकूप [सं-पु.] ज़मीन से पानी निकालने का उपकरण जिसका एक सिरा ज़मीन के भीतर जल तल तक तथा दूसरा सिरा भूमि के ऊपर होता है; (ट्यूबवेल)।

नलसाज़ (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह जो नल लगाता, बनाता या उसका रख रखाव करता हो; (प्लंबर)।

नलिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेलनाकार, लंबी एवं खोखली वस्तु; नली; चोंगी 2. एक प्राचीन अस्त्र 3. तरकश; तूणीर 4. प्राचीन काल में चिकित्सा में प्रयुक्त एक उपकरण 5. एक प्रकार का गंध-द्रव्य।

नलिकाकार (सं.) [वि.] नली (अथवा नलिका) के आकार का।

नलिन (सं.) [सं-पु.] 1. कमल; पद्म 2. पानी; जल 3. सारस पक्षी 4. करौंदा 5. नाड़िका नामक साग।

नलिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कमलिनी; कमल; कमलनाल 2. वह जलाशय जहाँ कमल की अधिकता हो 3. एक प्रकार का गंध-द्रव्य 4. एक प्रकार का छंद।

नली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धातु, प्लास्टिक आदि की बनी पतली लंबी, खोखली और बेलनाकार संरचना; (पाइप) 2. बंदूक की नाल जिससे गोली बाहर आती है 3. शरीर में वह मोटी पोली हड्डी जिसमें मज्जा भरी रहती है।

नलोपाख्यान (सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) राजा नल की कथा 2. (महाभारत) वनपर्व का एक अवांतर पर्व।

नव (सं.) [सं-पु.] 1. नया; नवीन; जो पुराना या जीर्ण न हो, जैसे- नववर्ष, नवजात 2. आठ से एक अधिक की संख्या; नौ, जैसे- नवग्रह, नवरत्न 3. स्तुति; नमन।

नवंबर (इं.) [सं-पु.] 1. अँग्रेज़ी का एक मास 2. ईसवी सन (वर्ष) का ग्यारहवाँ महीना।

नवक (सं.) [सं-पु.] नौ सजातीय वस्तुओं का समूह। [वि.] जिसमें नौ हों।

नवखंड (सं.) [सं-पु.] प्राचीन भारतीय मान्यता के अनुसार पृथ्वी के नौ खंड- भरत, किंपुरुष, भद्र, हरि, हिरण्य, केतुमाल, इलावर्त, कुरु और रम्यक।

नवगठित (सं.) [वि.] जिसका गठन हाल ही में हुआ हो; नवसृजित; जो अभी-अभी बनाया गया हो, जैसे- नवगठित मंत्रिमंडल।

नवग्रह (सं.) [सं-पु.] (भारतीय ज्योतिष) सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु नामक ग्रह।

नवजागरण (सं.) [सं-पु.] किसी युग में विचार तथा व्यवहार के स्तर पर होने वाली नवीन चेतना या जागृति।

नवजात (सं.) [वि.] 1. जिसका जन्म अभी-अभी हुआ हो 2. नया।

नवजीवन (सं.) [सं-पु.] 1. मृत्युतुल्य किसी विकट स्थिति से बचकर लौट आना 2. असाध्य रोग से ग्रसित होकर पुनः स्वस्थ होना 3. अतिदुखद स्थिति से सुखद स्थिति की प्राप्ति 4. {ला-अ.} समाप्त होने को उन्मुख किसी संस्था का पुनरुद्धार।

नवज्योति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नई किरण 2. नई सुबह 3. {ला-अ.} नई आशा।

नवता (सं.) [सं-स्त्री.] नयापन; नवीनता।

नवतिका (सं.) [सं-स्त्री.] चित्रकारी करने की कूची; तूलिका।

नवदंपति (सं.) [सं-पु.] नवविवाहित जोड़ा; नवविवाहित पति-पत्नी।

नवदुर्गा (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) देवी दुर्गा के नौ भिन्न-भिन्न रूप, जिनकी नवरात्रों में प्रतिदिन एक-एक कर पूजा-अर्चना होती है।

नवधनिक (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसे दरिद्रता के बाद हाल ही में धन की प्राप्ति हुई हो 2. उक्त स्थिति में अतरिक्त दिखावा करने वाला व्यक्ति; नौदौलतिया; नौरईस।

नवधा (सं.) [अव्य.] 1. नौ प्रकार से 2. नौ खंडों में; नौ टुकड़ों में; नौ भागों में।

नवधाभक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] वह भक्ति जो नौ प्रकार से की जाती है, जैसे- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद-सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन।

नवनिधि (सं.) [सं-स्त्री.] पुराणों में कल्पित धन के देवता कुबेर की निधियों के नौ भिन्न-भिन्न रूप।

नवनियुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पद पर नई पदस्थापना 2. नई नौकरी।

नवनिर्माण (सं.) [सं-पु.] 1. नए सिरे से निर्माण करने की क्रिया या भाव 2. नई निर्मिति; नई रचना।

नवनिर्मित (सं.) [वि.] जिसका हाल में ही निर्माण हुआ हो; नवसृजित, जैसे- अगला मैच शहर के नवनिर्मित स्टेडियम में खेला जाएगा।

नवनिर्वाचित (सं.) [वि.] किसी संस्था, राष्ट्र आदि के निर्वाचन या चुनाव में नया चुना हुआ, जैसे- देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण की।

नवनीत (सं.) [सं-पु.] 1. ताज़ा मक्खन 2. कृष्ण का एक नाम।

नवम (सं.) [वि.] नौ के स्थान पर आने वाला; नवाँ, जैसे- 'साकेत' के नवम सर्ग में उर्मिला की व्यथा कथा का वर्णन है।

नवमल्लिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चमेली 2. कामदेव के पाँच बाणों में से एक।

नवमी (सं.) [सं-स्त्री.] भारतीय पंचांग में किसी मास के किसी पक्ष की नवीं तिथि।

नवयुग (सं.) [सं-पु.] आधुनिक युग या नया ज़माना जिसमें अनावश्यक रूढ़ियाँ या परंपराएँ त्याग दी गई हों; आधुनिक काल।

नवयुवक (सं.) [सं-पु.] वह लड़का जिसने हाल ही में किशोरावस्था पार की हो; नौजवान; तरुण।

नवयुवती (सं.) [सं-स्त्री.] वह लड़की जिसने हाल ही में किशोरावस्था पार की हो; नवयौवना; तरुणी; कुमारी।

नवयौवन (सं.) [सं-पु.] 1. नई जवानी; चढ़ती हुई जवानी 2. {ला-अ.} नया उन्मेष।

नवयौवना (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसमें युवावस्था के लक्षण दिखाई देने लगे हों; तरुणी।

नवरंग (सं.) [वि.] 1. नवीन शोभा से युक्त 2. नए ढंग का; नवेला 3. सुंदर।

नवरत्न (सं.) [सं-पु.] 1. नौ प्रकार के रत्न- मोती, पन्ना, माणिक, गोमेद, हीरा, मूँगा, लहसुनिया, पद्मराग एवं नीलम 2. उक्त नौ प्रकार के रत्नों वाला आभूषण 3. राजा विक्रमादित्य के राजदरबार के प्रख्यात नौ विद्वान 4. भारत सरकार द्वारा घोषित सार्वजनिक क्षेत्र के नौ औद्योगिक प्रतिष्ठान।

नवरस (सं.) [सं-पु.] (भारतीय काव्यशास्त्र) काव्य के नौ रस- शृंगार, करुण, हास्य, वीर, रौद्र, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत।

नवरात्र (सं.) [सं-पु.] 1. चैत्र और अश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिन जिसमें देवी दुर्गा की पूजा होती है; वासंती और शारदीय नवरात्रि 2. नौ रात्रियों में समाप्त होने वाला यज्ञ, अनुष्ठान आदि 3. नौ दिनों की अवधि।

नवरात्रि (सं.) [सं-पु.] दे. नवरात्र।

नवल (सं.) [वि.] 1. नया; नवीन 2. आकर्षक; अनोखा 3. युवा; जवान 4. सुंदर 5. रंगीला 6. शुभ्र; स्वच्छ; उज्ज्वल; स्फीत; विमल।

नवलकिशोर (सं.) [सं-पु.] कृष्ण; वासुदेव।

नववधू (सं.) [सं-स्त्री.] नई-नवेली दुलहन; नवविवाहिता स्त्री।

नववर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. नया साल या संवत्सर 2. नए वर्ष का प्रथम दिन।

नवविवाहित (सं.) [वि.] (पुरुष, स्त्री या युगल) जो हाल ही में परिणय-सूत्र में बँधा हो; सद्यःपरिणीत।

नवसर (सं.) [सं-पु.] जिस हार में नौ लड़ियाँ हों; नौ लड़ का हार।

नवसाक्षर (सं.) [वि.] जिसने हाल ही में साक्षरता हासिल की हो; जिसने हाल ही में कुछ पढ़ना-लिखना सीखा हो।

नवाँ (सं.) [वि.] नौ के स्थान पर आने वाला; नवम, जैसे- ईस्वी सन का नवाँ महीना सितंबर है।

नवांकुर (सं.) [सं-पु.] नवीन अंकुर; कल्ला।

नवांग (सं.) [सं-पु.] सोंठ, पीपल, मिर्च, हड़, बहेड़ा, आँवला, चाब, चीता और बायबिरंग ये नौ पदार्थ।

नवागंतुक (सं.) [वि.] 1. वह जो नया आया हुआ हो; अभी अभी आया हुआ; नवागत; (न्यूकमर) 2. अतिथि।

नवागत (सं.) [वि.] 1. कुछ समय पूर्व ही अस्तित्व में आया हुआ; जिसका आविर्भाव अभी हाल ही में हुआ हो 2. नया आया हुआ; तुरंत का आया हुआ, जैसे- नवागत बंधुओं से अनुरोध है कि स्थान ग्रहण करें।

नवाज़ (फ़ा.) [परप्रत्य.] 1. कृपा या दया करने वाला, जैसे- गरीबनवाज़ 2. बजाने वाला, जैसे- तबलानवाज़।

नवाज़ना (फ़ा.) [क्रि-स.] रहम करना; दया करना; कृपा करना; अनुग्रह करना।

नवाज़िश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] कृपा; अनुकंपा; दया; अनुग्रह; मेहरबानी।

नवाड़ा [सं-पु.] 1. एक प्रकार की छोटी नाव 2. नाव को मँझधार में ले जाकर चक्कर देने की जलक्रीड़ा।

नवाना (सं.) [क्रि-स.] 1. झुकाना, जैसे- ईश्वर के आगे शीश नवाना 2. किसी को नम्र होने अथवा विनीत होने के लिए प्रेरित करना।

नवान्न (सं.) [सं-पु.] 1. नया अन्न 2. नई फ़सल का अन्न 3. एक प्रकार का श्राद्ध जिसमें पितरों के नाम पर नया अन्न वितरित किया जाता है 4. नई फ़सल का अन्न पहली बार खाने की क्रिया।

नवाब (अ.) [सं-पु.] 1. मुगलकाल से प्रचलित एक उपाधि जो किसी क्षेत्र के स्वामियों या धनियों को दी जाती थी 2. वे राज्याधिकारी जो किसी सूबे के प्रशासक नियुक्त होते थे 3. धनसंपन्न व्यक्ति। [वि.] 1. {ला-अ.} फ़िज़ूलख़र्च; अपव्ययी 2. {ला-अ.} नवाब जैसे ठाट-बाट से रहने वाला।

नवाबज़ादा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. नवाब का बेटा या पुत्र 2. बेहद शौकीन आदमी जो रईसों की तरह रहता हो।

नवाबी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नवाब का पद या काम 2. नवाबों जैसा रंग-ढंग 3. नवाबों का शासनकाल 4. बहुत अधिक अमीरी। [वि.] 1. नवाबों के रंग-ढंग जैसा, जैसे- नवाबी शानो-शौकत 2. नवाबों का, जैसे- नवाबी दौर। [मु.] -उतारना : अकड़ दूर करना।

नवासा (फ़ा.) [सं-पु.] बेटी का बेटा; नाती; दौहित्र।

नवासी1 [वि.] संख्या '89' का सूचक।

नवासी2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेटी की बेटी; नातिन; दौहित्री।

नवाह1 (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्र मास के किसी पक्ष का नवाँ दिन 2. नौ दिनों का समूह। [वि.] नौ दिनों तक चलने वाला या नौ दिनों में पूरा होने वाला, जैसे- रामायण आदि का नवाह पाठ।

नवाह2 (अ.) [सं-पु.] चारों ओर का समीपवर्ती क्षेत्र, प्रदेश या स्थान।

नवीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. नवीन रूप प्रदान करने की क्रिया 2. किसी संधि, अनुज्ञापत्र आदि की अवधि समाप्त होने पर पुनः जारी किया जाना।

नवीकृत (सं.) [वि.] जिसका नवीनीकरण हुआ हो; जो फिर से नया किया गया हो।

नवीन (सं.) [वि.] 1. नया; नूतन 2. अनोखा; विलक्षण 3. तरुण 4. मौलिक।

नवीन कथामुख (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार का एक या एकाधिक अनुच्छेदों का नया शीर्ष जो पूर्व प्रेषित शीर्ष का स्थान लेता है।

नवीनतम (सं.) [वि.] सर्वाधिक नवीन; नया।

नवीनता (सं.) [सं-स्त्री.] नयापन; नूतनता।

नवीनीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. नए सिरे से आरंभ करना; नया बनाना, जैसे- इमारत का नवीनीकरण 2. अवधि बढ़ाना, जैसे- लाइसेंस का नवीनीकरण 3. फिर से जारी किया जाना।

नवीनीकृत (सं.) [वि.] दे. नवीकृत।

नवीस (फ़ा.) [परप्रत्य.] शब्दों के अंत में प्रयुक्त होने वाला एक प्रकार का प्रत्यय जिसका अर्थ है, लिखने वाला, जैसे- अर्ज़ीनवीस, अख़बारनवीस आदि।

नवेद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शुभ समाचार; ख़ुशख़बरी 2. निमंत्रण; निमंत्रण पत्र।

नवेला (सं.) [वि.] 1. नया; नवीन; सुंदर 2. युवा; नई उम्र का 3. अनन्य गुणों से युक्त।

नवोढ़ा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सद्यःपरिणीता; नववधू 2. नव-युवती 3. (काव्यशास्त्र) संकोच और लज्जा के कारण नायक के पास जाने में सकुचाने वाली नायिका।

नवोत्थान (सं.) [सं-पु.] नवजागरण; नवजागृति, नवीन चेतना।

नवोदक (सं.) [सं-पु.] 1. पहली वर्षा का जल 2. कुआँ खोदते समय निकलने वाला पहला जल।

नवोदय (सं.) [सं-पु.] नया उत्थान; नवोत्थान।

नवोदित (सं.) [वि.] नया-नया उभरा हुआ, जिसने हाल ही में प्रतिभा का परिचय दिया हो, जैसे- नवोदित लेखक।

नवोद्भावना (सं.) [सं-स्त्री.] नया विचार; नई कल्पना; नया कथन।

नवोन्मेष (सं.) [सं-पु.] नया उत्थान; नया विकास।

नव्य (सं.) [वि.] 1. नवीन; नया 2. नमन करने योग्य 3. स्तुति करने योग्य। [सं-पु.] पुनर्नवा।

नशन (सं.) [सं-पु.] नष्ट होना; नाश; विनाश।

नशा (अ.) [सं-पु.] 1. अफ़ीम, गाँजा, भाँग, चरस, शराब आदि मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न मानसिक विकृति की स्थिति 2. नशीली चीज़; मादक द्रव्य 3. मादक पदार्थ के सेवन करते रहने की प्रवृत्ति 4. {ला-अ.} किसी चीज़ की ऐसी धुन जो और सब कुछ भुला दे, जैसे- किसी खेल का नशा 5. {ला-अ.} मद; गर्व। [मु.] -उतरना : किसी बात की धुन उतर जाना; अहंकार दूर होना।

नशाख़ोर (अ.) [सं-पु.] नशा करने वाला व्यक्ति; नशेबाज़; नशेड़ी।

नशाख़ोरी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नशेबाज़ी; नशा करना 2. नशा करने की आदत या लत।

नशाबंदी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नशाख़ोरी पर प्रतिबंध लगाने की नीति या प्रक्रिया 2. नशे पर पाबंदी लगना।

नशास्ता (फ़ा.) [सं-पु.] गेहूँ आदि किसी अन्न को भिगोकर पीसकर निकाला हुआ सार; (स्टार्च)।

नशीन (फ़ा.) [परप्रत्य.] समस्त पदों के अंत में प्रयुक्त होने वाला एक प्रकार का प्रत्यय जिसका अर्थ है, बैठने वाला, स्थित आदि, जैसे- गद्दीनशीन, परदानशीन, ज़न्नतनशीन आदि।

नशीला (अ.) [वि.] 1. जिसके सेवन से नशा छा जाए; नशायुक्त 2. मदभरा; मादक।

नशेड़ी [वि.] मादक द्रव्य का सेवन करने वाला; नशेबाज़; नशाख़ोर।

नशेबाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] जो बराबर नशे का सेवन करता हो; नशेड़ी।

नशेबाज़ी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] मादक द्रव्य का सेवन; नशा करने की आदत; नशाख़ोरी।

नश्तर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शारीरिक अंगों की चीर-फाड़ या शल्यक्रिया हेतु प्रयुक्त चाकू जैसा उपकरण; (स्कैलपल) 2. कार्यालयों में काग़ज़ आदि काटने में प्रयुक्त धारदार लौह पट्टी।

नश्वर (सं.) [वि.] 1. जो शाश्वत न हो; नष्ट होने वाला; नाशवान; अचिर 2. क्षणभंगुर।

नश्वरता (सं.) [सं-स्त्री.] नष्ट हो जाने का भाव; अचिरता।

नष्ट (सं.) [वि.] 1. बरबाद; व्यर्थ; बेकार 2. अपवित्र 3. जिसका आचरण बिगड़ गया हो; अधम; पतित 4. जिसका अस्तित्व मिट चुका हो; शून्य 5. निष्फल।

नष्टनीड़ (सं.) [सं-पु.] 1. उजड़ा हुआ घोंसला 2. {ला-अ.} उजड़ा हुआ घर।

नष्टप्राय (सं.) [क्रि.वि.] नष्ट होने की ओर अग्रसर; बरबादी की राह पर।

नष्ट-भ्रष्ट (सं.) [वि.] पूर्णतः नष्ट; पूरी तरह से बरबाद।

नष्टात्मा (सं.) [वि.] 1. जिसकी आत्मा नष्ट हो चुकी हो 2. दुष्ट; अधम; नीच।

नष्टार्थ (सं.) [वि.] 1. जो अपनी संपत्ति गँवा चुका हो; जो धनहीन हो चुका हो 2. जो अपने प्रिय को खो चुका हो 3. (ऐसा शब्द) जिसका अर्थ विलुप्त हो चुका हो।

नस (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्नायु, शरीर के अंदर का तंतुजाल जिसकी सहायता से मांसपेशियाँ आपस में तथा हड्डियों से बँधी रहती हैं 2. रक्त-वाहिनी नली 3. नाड़ी। [मु.] नस-नस फड़क उठना : बहुत अधिक प्रसन्न होना। -ढीली होना : शेखी दूर होना।

नसतरंग [सं-पु.] शहनाई जैसा एक पुराना बाजा।

नसबंदी [सं-स्त्री.] शल्यक्रिया के द्वारा जनन शक्ति से संबंधित नस को बंद या अप्रभावी कर दिया जाना।

नसवार [सं-स्त्री.] 1. तंबाकू के पीसे हुए पत्ते की महक या ख़ुशबू 2. सुँघनी।

नसीब (अ.) [सं-पु.] 1. भाग्य; किस्मत; तकदीर 2. अंश, भाग; हिस्सा।

नसीबवर (अ.+फ़ा.) [वि.] भाग्यवान; भाग्यशाली; ख़ुशकिस्मत।

नसीबा (अ.) [सं-पु.] मुकद्दर; भाग्य; नसीब।

नसीम (अ.) [सं-स्त्री.] ठंडी और धीमी हवा।

नसीर (अ.) [सं-पु.] 1. वह जो दूसरों की सहायता करता हो; मददगार; सहायक 2. ईश्वर का एक नाम।

नसीहत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सदुपदेश; शिक्षा; सीख 2. राय; लाभप्रद सम्मति; अच्छी सलाह 3. ऐसा दंड जिससे कोई शिक्षा मिलती हो।

नसेनी [सं-स्त्री.] बाँस की बनी हुई सीढ़ी।

नस्तक (सं.) [सं-पु.] 1. पशुओं की नाक में रस्सी डालने के लिए किया गया छेद 2. नाक में किया गया छेद।

नस्ता (सं.) [सं-स्त्री.] नाक में किया गया छेद; नस्तक।

नस्तालीक (फ़ा.) [वि.] सौम्य तथा सुंदर। [सं-पु.] 1. फ़ारसी या अरबी लिपि लिखने का वह ढंग जिसमें अक्षर ख़ूब साफ़, सुंदर और सुपाठ्य होते हैं 2. सभ्य या शिष्ट व्यक्ति।

नस्तित (सं.) [सं-पु.] 1. वह पशु जिसकी नाक में छेद करके रस्सी डाली जाए 2. एक तरह का बैल। [वि.] 1. जिसे नाथ पहनाया जाए 2. नत्थी किया हुआ (कागज़ या दस्तावेज़)।

नस्य (सं.) [सं-पु.] 1. नसवार; सुँघनी; नास 2. वह औषधि जिसे नाक से ग्रहण किया जाता है 3. नाक के बाल। [वि.] 1. नाक से संबंधित 2. नाक से निकलने वाला।

नस्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाक; नासिका 2. पशुओं की नाक में पहनाई जाने वाली रस्सी 3. नाक का छेद; नथना।

नस्ल (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी जाति के पालतू पशुओं की एक विशेष प्रजाति; किस्म 2. जीव-जंतुओं के धर्म, आकृति आदि की समानता के विचार से किया हुआ विभाग 3. एक ही पूर्वपुरुष से उत्पन्न व्यक्तियों का वर्ग या समूह; कुल; वंश; ख़ानदान; (रेस)।

नस्लभेदी (अ.+सं.) [वि.] (विचार, आचरण या वक्तव्य) नस्ल, कुल या जाति में भेद करने वाला; उक्त में से किसी को हीन और किसी को श्रेष्ट मानने वाला; (रेसिस्ट)।

नस्लवाद (अ.+सं.) [सं-पु.] वह सिद्धांत या अवधारणा जो किसी एक नस्ल को दूसरी से श्रेष्ठतर या निम्नतर मानती है; (रेसिज़्म)।

नस्लीय (अ.) [वि.] नस्ल या वंश से संबंधित; नस्ल विषयक।

नहछू (सं.) [सं-पु.] विवाह से पहले की एक रस्म।

नहर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी नदी या अन्य जलाशय से सिंचाई आदि के लिए निकाला गया चौड़ा कृत्रिम जल मार्ग।

नहरनी [सं-स्त्री.] 1. नाख़ून काटने में प्रयुक्त एक औज़ार 2. उक्त जैसा ही एक उपकरण जिससे पोस्ते की ढोंढ़ चीरी जाती है।

नहरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह ज़मीन जो नहर के पानी से सींची जाती है। [वि.] नहर संबंधी; नहर का।

नहला [सं-पु.] 1. ताश का वह पत्ता जिसमें नौ बूटियाँ बनी होती हैं 2. बेल-बूटों आदि नक्काशी के काम में प्रयुक्त राजगीरों की छोटी करनी।

नहलाई [सं-स्त्री.] 1. नहलाने की क्रिया 2. नहलाने की मज़दूरी।

नहलाना [क्रि-स.] किसी को नहाने में प्रवृत्त करना; स्नान कराना।

नहस (अ.) [वि.] अशुभ; मनहूस।

नहान [सं-पु.] 1. नहाने की क्रिया; जल से धोकर शरीर को स्वच्छ करना; स्नान 2. स्नान संबंधी कोई पर्व या अवसर, जैसे- मकर संक्रांति का नहान 3. किसी पर्व या शुभ अवसर पर नदी या जलाशय में श्रद्धालुओं का एक साथ स्नान करना।

नहानघर [सं-पु.] स्नान के निमित्त निर्मित कक्ष; स्नानघर; गुसलख़ाना।

नहाना (सं.) [क्रि-अ.] 1. जल से पूरे शरीर को धोना; स्नान करना 2. शरीर को स्वच्छ रखना 3. किसी तरल पदार्थ से पूरे शरीर का गीला होना।

नहार (सं.) [वि.] जो सुबह से बिना कुछ खाए हो; निराहार।

नहारी [सं-स्त्री.] 1. सुबह का अल्पाहार; जलपान; नाश्ता 2. नौकरों, मज़दूरों को जलपान आदि के निमित्त दिया जाने वाला धन 3. घोड़ों को खिलाने के लिए गुड़ मिश्रित आटा 4. शोरबेदार गोश्त।

नहीं (सं.) [अव्य.] निषेधवाची अव्यय; असहमति, विरोध, अभाव आदि प्रकट करने वाला एक शब्द।

नहीफ़ (अ.) [वि.] 1. अशक्त; दुर्बल; कमज़ोर 2. दुबला-पतला।

नहुष (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल का एक चंद्रवंशी राजा 2. एक वैदिक ऋषि 3. एक नाग 4. कुशिक वंशी एक ब्राह्मण राजा 5. वैदिककालीन एक राजर्षि।

नहूसत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मनहूस होने की अवस्था या भाव; मनहूसी; मनहूसियत 2. उदासीनता।

ना (सं.) [अव्य.] न; नहीं।

नाँद [सं-स्त्री.] 1. पशुओं को चारा दिया जाने वाला पात्र; हौज; हाँदी 2. पानी भरने की सीमेंट, धातु आदि की बनी टंकी।

नांदी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाटक आरंभ होने से पहले सूत्रधार द्वारा पढ़ा जाने वाला मंगलाचरण 2. समृद्धि; धन-संपत्ति।

नांदीमुख (सं.) [सं-पु.] परिवार में (जन्म, विवाह आदि) मांगलिक अवसरों से पूर्व किया जाने वाला एक मांगलिक श्राद्ध जो पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है; वृद्धि श्राद्ध।

नाइंसाफ़ (फ़ा.+अ.) [वि.] जो इनसाफ़ अथवा न्याय न कर पाए; अन्यायी।

नाइट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. रात्रि; रात 2. किसी विशेष रात्रिकालीन समारोह के साथ भी यह शब्द जोड़ दिया जाता है।

नाइट्रेट (इं.) [सं-पु.] (रसायनविज्ञान) 1. नाइट्रोजन से बना यौगिक 2. शोरे के तेज़ाब का नमक।

नाइट्रोजन (इं.) [सं-स्त्री.] एक गंधहीन, स्वादहीन एवं रंगहीन गैस जो वायुमंडल का 4/5 भाग है।

नाइत्तेफ़ाकी (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] इत्तेफ़ाक या एकता का अभाव; अनबन; बिगाड़।

नाइन [सं-स्त्री.] 1. नाई की पत्नी 2. नाई जाति की स्त्री।

नाइनसाफ़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अनीति; अन्याय; अत्याचार 2. बेईमानी।

नाई [सं-पु.] एक जाति जो बाल काटने तथा विवाह आदि तय कराने का काम करती है; हज्जाम।

नाउम्मीद (फ़ा.) [वि.] 1. हताश; निराश 2. हतोत्साह; पस्तहौसला।

नाउम्मीदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] उम्मीद अथवा आशा का न होना; निराशा; हताशा।

नाक1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नासिका 2. नाक से बहने का तरल पदार्थ 3. {ला-अ.} वह जिससे किसी की प्रतिष्ठा बनी रहे 4. इज़्ज़त; मान; मर्यादा [सं-पु.] मगरमच्छ की तरह का एक जल-जंतु; घड़ियाल। [मु.] -का बाल होना : गहरा मित्र होना। -घुसाना : हस्तक्षेप करना। -भौं सिकोड़ना : अप्रसन्नता प्रकट करना। -में दम करना : बहुत तंग करना। -रगड़ना : गिड़गिड़ाकर विनती करना। नाकों चने चबवाना : बहुत परेशान करना। -कटना : बेइज़्ज़ती होना। -रख लेना : प्रतिष्ठा की रक्षा कर लेना।

नाक2 (फ़ा.) [परप्रत्य.] एक प्रकार का प्रत्यय जो 'भरा हुआ' या 'पूर्ण' होने का अर्थ देता है, जैसे- दर्दनाक, ख़ौफ़नाक आदि।

नाकड़ा [सं-पु.] एक रोग जिसमें नाक पक जाती है।

नाकद्र (फ़ा.) [वि.] 1. किसी की कद्र न समझे 2. किसी की कद्र न करने वाला।

नाकद्री (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. उचित सम्मान न होने की स्थिति; अनादर; तिरस्कार; उपेक्षा 2. कद्र न करना।

नाक-नक्श [सं-पु.] शक्ल की बनावट; चेहरा; (फ़ीचर)।

नाका [सं-पु.] 1. किसी दुर्ग, नगर, बस्ती आदि में प्रवेश का प्रमुख स्थान; प्रवेश-द्वार 2. रास्ते का वह छोर जहाँ से अन्य रास्ते निकलते हैं 3. वह स्थान जहाँ पहरा देने या महसूल आदि वसूलने के लिए रक्षक खड़े रहते हैं 4. थाना; चौकी 5. जुलाहों के ताने का तागा बाँधने का एक उपकरण 6. सुई का छेद 7. नाक नामक जलीय जंतु। [मु.] -छेंकना : आने-जाने का रास्ता रोकना।

नाकाफ़ी (फ़ा.+अ.) [वि.] अपर्याप्त; अपूर्ण; अपरिपूर्ण; अपूर; जो आवश्यकता से कम हो।

नाकाबंदी [सं-स्त्री.] 1. नाके पर रक्षकों की तैनाती; नाके पर पहरा बैठाना; घेराबंदी 2. अवरोध।

नाकाबिल (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. अयोग्य; अनुपयुक्त; अक्षम; अपात्र 2. अशिक्षित।

नाकाम (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी कामना पूरी न हुई हो; असफल; नाकामयाब 2. निराश; मायूस।

नाकामयाब (फ़ा.) [वि.] 1. जो कामयाब न हुआ हो नाकाम; असफल मनोरथ 2. अनुत्तीर्ण; (फ़ेल)।

नाकामयाबी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] असफलता; विफलता।

नाकामी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाकामयाबी; असफलता 2. निराशा; नाउम्मीदी।

नाकारा (फ़ा.) [वि.] 1. निष्कर्म; निकम्मा 2. निष्प्रयोजन; बेमतलब 3. व्यर्थ; बेकार।

नाकिस (अ.) [सं-पु.] अरबी भाषा का वह शब्द जिसका अंतिम वर्ण 'अलिफ़', 'वाव' या 'ये' हो। [वि.] 1. जिसमें कुछ त्रुटि या नुक्स हो 2. अपूर्ण; नामुकम्मल 3. खोटा; मिथ्या; कूट 4. विकृत; दूषित; ख़राब 5. पाजी; धूर्त।

नाकी (सं.) [वि.] स्वर्ग में निवास करने वाला। [सं-पु.] देवता।

नाकु (सं.) [सं-पु.] 1. दीमकों की मिट्टी का ढूह; बल्मीक; बिमौट 2. भीटा; टीला 3. पहाड़; पर्वत 4. एक प्राचीन मुनि।

नाकुल (सं.) [सं-पु.] 1. नकुल के वंशज या संतान। [वि.] 1. नेवले जैसा 2. नकुल संबंधी।

नाकेदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. नाके पर रहने वाला पहरेदार 2. नाके का अधिकारी।

नाकेबंदी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाके (प्रवेश द्वार या चौराहा) पर अवरोध 2. नाके पर सिपाहियों की तैनाती 3. नाके पर पहरा।

नाख़ुदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जहाज़ का कप्तान 2. मल्लाह; नाविक 3. कर्णधार। [वि.] ख़ुदा को न मानने वाला; नास्तिक।

नाख़ुश (फ़ा.) [वि.] नाराज़; अप्रसन्न।

नाख़ुशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाराज़गी; अप्रसन्नता 2. क्रोध; गुस्सा 3. बीमारी; रोग।

नाख़ून (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मनुष्यों, जानवरों, पशु-पक्षियों के हाथ और पैर की उँगलियों के अग्र भाग का सजीव अवस्था में बढ़ने वाला कठोर अस्थिनुमा भाग (इस भाग को कैंची से काटकर अलग किया जाता है) 2. गाय, भैंस आदि की खुर की बढ़ी हुई कोर।

नाग (सं.) [सं-पु.] 1. साँप; सर्प 2. (पुराण) पातालवासी एक उपदेवता जिसका ऊपरी आधा भाग मनुष्य का और निचला आधा भाग साँप का होता है 3. एक प्रकार का काला साँप जिसके सिर पर दो चरण चिह्न होते हैं। [वि.] {ला-अ.} क्रूर; घातक; दुष्ट। [मु.] -से खेलना : ऐसा काम करना जिसमें प्राणों का भय हो।

नागकन्या (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) नाग जाति की कन्या।

नागकेसर (सं.) [सं-पु.] एक वृक्ष जिसके फूल रंग, मसाले और औषधि बनाने के काम आते हैं।

नागपंचमी (सं.) [सं-स्त्री.] श्रावण-शुक्ला पंचमी जिस दिन सनातनी हिंदू नाग-देवता की पूजा करते हैं।

नागपाल (सं.) [सं-पु.] पंजाबी कायस्थों में एक कुलनाम या सरनेम।

नागपाश (सं.) [सं-पु.] 1. वरुण का अस्त्रभूत 2. सर्पों का फंदा 3. रस्सी या डोरी आदि का ढाई फेरे का फंदा; नाग-बंध।

नागफनी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पौधा जिसके चौड़े पत्तों पर काँटे होते हैं; थूहर 2. एक प्रकार का नेपाली बाजा 3. कान में पहनने का एक प्रकार का गहना।

नागमती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक लता 2. जायसी कृत पद्मावत के नायक रत्नसेन की पत्नी।

नागर (सं.) [सं-पु.] 1. नगरवासी; नागरिक 2. चतुर; शिष्ट; सभ्य 3. गुजराती ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 4. नागरी लिपि का कोई अक्षर 5. एक प्रकार का गृहयुद्ध। [वि.] 1. नगर संबंधी; नगर का; (अर्बन) 2. नगर में रहने वाला।

नागरबेल (सं.) [सं-स्त्री.] वह लता जिसके पत्ते पान के रूप में खाए जाते हैं; पान की बेल।

नागरमोथा (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की घास जिसकी जड़ औषधि-निर्माण के काम आती है।

नागर विवाह (सं.) [सं-पु.] धार्मिक बंधनों से रहित तथा विशुद्ध नागरिक की हैसियत से किया जाने वाला विवाह; (सिविल मैरिज)।

नागराज (सं.) [सं-पु.] (पुराण) 1. नागों का राजा; शेषनाग; (तक्षक तथा वासुकि) 2. विशालकाय सर्प 3. ऐरावत 4. पिंगल मुनि (छंदशास्त्र के प्रणेता)।

नागरिक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी राज्य में जन्म लेने वाला व्यक्ति जिसे उस राज्य के संविधान के समस्त अधिकार प्राप्त हों; किसी राष्ट्र में जन्म लेने वाला वह व्यक्ति जिसे उस राष्ट्र में रहने, नौकरी करने, संपत्ति रखने, वोट देने तथा स्वतंत्रतापूर्वक अभिव्यक्ति का अधिकार प्राप्त हो; (सिटीजन) 2. नगर पर लगने वाला कर। [वि.] नगर संबंधी; नगर का।

नागरिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नागरिक होने की अवस्था या भाव 2. नागरिक जीवन 3. नागरोचित स्वत्व, आचार या शिष्टता 4. नागरिक होने पर प्राप्त होने वाले अधिकार तथा सुविधाएँ।

नागरिकशास्त्र (सं.) [सं-पु.] नागरिकों के अधिकारों तथा कर्तव्यों का अध्ययन तथा विवेचन करने वाला शास्त्र; (सिविक्स)।

नागरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संस्कृत, हिंदी, मराठी आदि भाषाओं की लिपि; देवनागरी 2. नगर या शहर में निवास करने वाली स्त्री; नगरवासिनी 3. चतुर या होशियार स्त्री 4. पत्थर की मोटाई नापने की एक बड़ी नाप 5. पत्थर की पटिया।

नागरीट (सं.) [सं-पु.] 1. जार 2. कामुक या व्यभिचारी पुरुष 3. व्यसनी; लंपट।

नागरेयक (सं.) [वि.] 1. जिसका जन्म नगर में हुआ हो 2. नागरिक से संबंधित।

नागरोत्थ (सं.) [सं-पु.] नागरमोथा।

नागर्य (सं.) [सं-पु.] 1. नागर होने का भाव या अवस्था; नागरता; नागरिकता 2. विदग्धता; शहरातीपन 3. चतुराई; बुद्धिमानी।

नागलोक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) पृथ्वी के नीचे स्थित सात पाताल-लोकों में से एक।

नागवल्ली (सं.) [सं-स्त्री.] तांबूल या पान की बेल।

नागवार (फ़ा.) [वि.] 1. अच्छा न लगने वाला; जो पसंद न हो; अप्रिय; अरुचिकर 2. निस्वाद; बेमज़ा।

नागा (सं.) [सं-पु.] 1. शैव साधुओं का एक संप्रदाय; दिगंबर साधु (सदा नग्न रहने वाले) 2. भारत की एक प्रमुख जनजाति 3. नियत समय पर होते रहने वाले काम का किसी बार न होना; अंतराल; बीच 4. आसाम का एक पहाड़।

नागांग (सं.) [सं-पु.] हस्तिनापुर का एक नाम।

नागांगना (सं.) [सं-स्त्री.] हथिनी।

नागांजना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नागयष्टि 2. हथिनी।

नागांतक (सं.) [सं-पु.] 1. गरुड़ 2. मोर 3. सिंह। [वि.] नागों का अंत या विनाश करने वाला।

नागाख्य (सं.) [सं-पु.] नागकेसर।

नागानंद (सं.) [सं-पु.] हर्षवर्धनकृत एक प्रसिद्ध संस्कृत नाटक।

नागारि (सं.) [सं-पु.] 1. गरुड़ 2. मोर 3. सिंह। [वि.] नागों का अंत या विनाश करने वाला।

नागार्जुन (सं.) [सं-पु.] 1. शून्यवाद (माध्यमिक संप्रदाय) के प्रवर्तक एवं माध्यमिक कारिका के रचयिता एक बौद्ध आचार्य 2. हिंदी के एक प्रगतिशील प्रसिद्ध कवि।

नागाशन (सं.) [सं-पु.] 1. गरुड़ 2. मोर 3. शेर; सिंह। [वि.] नागों का नाश करने वाला।

नागिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाग या साँप की मादा; साँपिन 2. पीठ या गरदन पर होने वाली एक लंबी रोमावली।

नागुला (सं.) [सं-पु.] नाकुली नामक वनस्पति जो औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है।

नागेंद्र (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा साँप 2. शेष, वासुकि आदि प्रमुख नाग 3. ऐरावत; गजराज; महाकाय हाथी।

नागेश (सं.) [सं-पु.] 1. शेषनाग; फणींद्र; अहिराज 2. प्रसिद्ध संस्कृत वैयाकरण नागेश भट्ट 3. पतंजलि।

नागेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. शेषनाग 2. ऐरावत 3. वैद्यक में एक प्रकार का रसौषध; नागकेशर।

नागौर [सं-पु.] राजस्थान प्रांत के मारवाड़ क्षेत्र का एक नगर जहाँ के गाय और बैल प्रसिद्ध हैं।

नागौरा [वि.] 1. नागौर से संबंध रखने वाला 2. बढ़िया जाति का (चौपाया) 3. मज़बूत।

नागौरी [सं-स्त्री.] नागौर की गाय। [वि.] 1. स्थान विशेष के आधार पर जातिवाचक 2. नागौर का; नागौर संबंधी 3. अच्छी जाति या नस्ल का 4. मज़बूत।

नाच (सं.) [सं-पु.] 1. लय-ताल पर आधारित अंगविक्षेप या अंगों का संचालन; नृत्य; (डांस) 2. आनंदातिरेक में होने वाली उछल-कूद 3. क्रीड़ा; खेल 4. {ला-अ.} कामधंधा। [मु.] -दिखाना : अजीब आचरण करना; हँसी कराना। -नचाना : जैसा चाहना वैसा काम कराना; परेशान करना।

नाच-कूद [सं-स्त्री.] 1. नाचने और कूदने की क्रिया या भाव; उछल-कूद 2. अन्य की दृष्टि में तमाशे जैसा मनोरंजक और हास्यास्पद प्रतीत होने वाला कृत्य 3. अंततः निरर्थक सिद्ध हुआ उद्योग अथवा प्रयत्न।

नाचघर (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ नृत्य या नाच होता हो; नृत्यशाला।

नाचना (सं.) [क्रि-अ.] 1. लय-ताल के अनुरूप अंग संचालन (नृत्य) करना 2. आनंदातिरेक में उछलना-कूदना 3. किसी वस्तु या पदार्थ का चक्राकार गतिमान होना 4. इधर-उधर आना-जाना या किसी प्रकार की गति में होना 5. किसी प्रकार के तीव्र मनोवेग के फलस्वरूप क्रोधावेश में विकट रूप से इधर-उधर होना 6. काँपना; थर्राना 7. ऐसे कृत्यों में संलग्न होना जिसका कोई सुखद परिणाम न हो; अनावश्यक दौड़-धूप करना। [मु.] सिर पर- : घेरना; बहुत पास आना। आँख के सामने- : प्रत्यक्ष के समान लगना।

नाचरंग [सं-पु.] 1. वह आयोजन या उत्सव जिसमें नाच-गाना हो 2. आमोद-प्रमोद।

नाचिकेत (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध ऋषि (नचिकेता) 2. अग्नि।

नाचीज़ (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी गिनती किसी में न हो 2. हीन; तुच्छ; अदना 3. रद्दी; निकम्मा।

नाज [सं-पु.] 1. अन्न; अनाज 2. खाद्य पदार्थ; खाद्य सामग्री।

नाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गर्व; प्रशंसात्मक अभिमान 2. हाव-भाव; विलास चेष्टा 3. लाड़-प्यार 4. नख़रा; ठसक; चोचला। [मु.] -उठाना : चोचले सहना।

नाज़बरदार (फ़ा.) [वि.] नख़रे सहने वाला; आशिक।

नाज़बरदारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नख़रे सहना; चोचले सहना।

नाज़रीन (अ.) [सं-पु.] 1. नाज़िर्शन 2. दर्शक-गण।

नाज़ायज (फ़ा.) [वि.] 1. अनुचित; जो जायज़ न हो 2. जिसे कानूनी अधिकार प्राप्त न हो 3. अवैध।

नाज़िम (अ.) [सं-पु.] 1. न्यायालय या कचहरी आदि के किसी विभाग में कार्यरत लिपिकों आदि का प्रधान अधिकारी 2. मुसलमान शासन-व्यवस्था के अंतर्गत किसी प्रांत के पूर्ण प्रबंधन का दायित्व निर्वहन करने वाला अधिकारी 3. मंत्री; (सेक्रेटरी)।

नाज़िर (अ.) [वि.] 1. देखने वाला 2. दर्शक। [सं-पु.] 1. निरीक्षक 2. लिपिकों आदि का मुख्य अधिकारी।

नाज़िरीन (अ.) [सं-पु.] 1. (नाज़िर का बहुवचन) देखने वाले लोग; दर्शकगण 2. पढ़ने वाले लोग; पाठक-वर्ग।

नाज़िल (अ.) [वि.] 1. ऊपर से नीचे आने वाला; उतरने वाला 2. गुज़रने वाला 3. आया हुआ; उतरा हुआ।

नाजी1 (अ.) [वि.] मोक्ष प्राप्त करने वाला; मुक्ति पाने वाला; नजातयाफ़्ता; मुक्त।

नाजी2 (ज.) [सं-पु.] 1. जर्मनी का एक प्रसिद्ध राजनीतिक दल जिसका पराभव द्वितीय विश्वयुद्ध में हुआ 2. उक्त दल का सदस्य। [वि.] अत्यंत क्रूर।

नाज़ुक (फ़ा.) [वि.] 1. कोमल; सुकुमार; मृदु 2. जो जल्दी टूट जाए या नष्ट हो जाए; कमज़ोर 3. महीन; बारीक 4. {ला-अ.} मार्मिक; गूढ़; गंभीर।

नाज़ुकता (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाज़ुक होने की अवस्था या भाव; सुकुमारता; कोमलता 2. गूढ़ और सूक्ष्म भाव।

नाज़ुक मिज़ाज (फ़ा.) [वि.] 1. बहुत कोमल प्रकृतिवाला 2. जो किसी बात से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाए 3. चिड़चिड़ा; तुनकमिज़ाज।

नाज़ुकी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नज़ाकत; सुकुमारता; कोमलता 2. उत्तमता; खूबी।

नाजेब (फ़ा.) [वि.] 1. जो सदृश न हों या एक दूसरे से भिन्न हों; बेमेल; भद्दा 2. जो श्लील न हो; अश्लील।

नाट (सं.) [सं-पु.] 1. नृत्य; नाच 2. नकल; स्वाँग 3. एक देश का नाम 4. नाट देश का निवासी 5. (संगीत) एक राग का नाम।

नाटक (सं.) [सं-पु.] 1. रंगमंच पर अभिनेताओं के हावभाव, वेश और परस्पर संवाद द्वारा घटनाओं का प्रदर्शन; अभिनय 2. वह ग्रंथ जिसमें कोई कथानक या चरित्र उक्त प्रकार दिखाया गया हो; दृश्य काव्य; (ड्रामा) 3. (संस्कृत) दृश्य काव्य या रूपक के दस भेदों में से एक 4. {ला-अ.} दिखावटी कार्य; बानावटी व्यवहार।

नाटककार (सं.) [सं-पु.] नाटक लिखने वाला या नाटक बनाने वाला व्यक्ति।

नाटकघर (सं.) [सं-पु.] वह स्थान या गृह जहाँ नाटक का मंचन किया जाता है; नाट्यशाला।

नाटकबाज़ी (सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] झूठा या बनावटी व्यवहार; पाखंड; ढकोसला; दिखावा।

नाटकिया (सं.) [सं-पु.] 1. नाटक में अभिनय करने वाला; अभिनेता 2. बहुरूपिया।

नाटकीय (सं.) [वि.] 1. नाटक संबंधी; नाटक जैसा 2. आश्चर्यजनक रूप से होने या किया जाने वाला 3. बनावटी; कृत्रिम।

नाटकीयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाटकीय होने की अवस्था या भाव 2. बनावटी होने का भाव या स्थिति; कृत्रिमता।

नाटना (सं.) [क्रि-अ.] इनकार करना; मुकरना।

नाटा [वि.] साधारण से कम ऊँचाई या डीलवाला; छोटे कद का। [सं-पु.] छोटे कद या डील का बैल।

नाटिका (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कल्पित कथा आधारित दृश्य-काव्य जिसमें चार अंग होते हैं जिसके अधिकतर पात्र राज-कुल के होते हैं तथा इसमें स्त्री पात्रों और नृत्य गीत आदि की बहुलता होती है।

नाटित (सं.) [सं-पु.] अभिनय। [वि.] जिसका अभिनय किया जा चुका हो; अभिनीत।

नाटितक (सं.) [सं-पु.] किसी की चेष्टा आदि का अनुकरण; स्वाँग; अनुकृति।

नाट्य (सं.) [सं-पु.] 1. नट का काम; अभिनय 2. नाटक 3. आंगिक, वाचिक, सात्विक तथा आहार्य आदि भावों या अवस्थाओं का अनुकरण; स्वाँग 4. नाटक का अभिनय 5. नृत्य, गीत और वाद्य का सम्मिलित रूप 6. अभिनेता की वेश-भूषा।

नाट्यकला (सं.) [सं-स्त्री.] अभिनय की कला; नाटक में अभिनय करने का ढंग।

नाट्यकार (सं.) [सं-पु.] नाटक लिखने वाला व्यक्ति; नाटककार।

नाट्यकृति (सं.) [सं-स्त्री.] नाटक; अभिनेय ग्रंथ; ऐसी पुस्तक जिसमें नाटक के हिसाब से अभिनेयता हो।

नाट्यगृह (सं.) [सं-पु.] विशेष प्रकार से निर्मित वह गृह जिसमें एक ओर अभिनय करने का मंच तथा उसके सामने दर्शकों के बैठने की व्यवस्था होती है; नाट्यशाला; रंगशाला; नाट्यागार; थियेटर।

नाट्यधर्मी (सं.) [वि.] 1. नाटक खेलने वाला 2. नाटक लिखने वाला।

नाट्यमंडली (सं.) [सं-स्त्री.] नाटक करने वालों का समूह या दल।

नाट्यरूप (सं.) [सं-पु.] किसी घटना का नाटक के रूप में मंचन या प्रस्तुति।

नाट्यशाला (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ नाटक खेला जाए; नाट्यगृह।

नाट्यशास्त्र (सं.) [सं-पु.] नृत्य, संगीत एवं अभिनय आदि से संबंधित कलाओं की विस्तृत विवेचना करने वाला शास्त्र।

नाट्यागार (सं.) [सं-पु.] नाट्यगृह; नाट्यशाला; (थियेटर)।

नाट्यात्मक (सं.) [वि.] 1. नाटक के रूप में 2. नाटक की शैली में।

नाट्योचित (सं.) [वि.] 1. नाटक के लिए उपयुक्त या उचित 2. जिसका अभिनय किया जा सके।

नाठ (सं.) [सं-पु.] 1. लावारिस संपत्ति 2. सत्ता का अभाव 3. ध्वंस; नाश।

नाड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. घाघरा, पाजामें आदि के बाँधने में प्रयुक्त सूत की डोरी; इजारबंद; नीबी 2. देवपूजन में प्रयुक्त लाल-पीले रंग का गंडेदार सूत; मौली; कलावा।

नाड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर में पाई जाने वाली रक्तवाहिनी नलिका, शिरा और धमनी 2. हाथ की नब्ज़ 3. हठयोग में अनुभूति और श्वास-प्रवास संबंधी नलियाँ 4. नली 5. (ज्योतिष) कल्पित चक्रों में पड़ने वाले नक्षत्र जिनका उपयोग वर-वधू की गणना बैठाने में करते हैं 6. फूँककर बजाया जाने वाला बाजा। [मु.] -चलना : नाड़ी में स्पंदन होना। -छूटना : मृत्यु हो जाना। -देखना : रोग का पता लगाना।

नाड़ीक (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का साग; पटुआ साग; कालशाक।

नाड़ीकेल (सं.) [सं-पु.] नारियल।

नाड़ी चक्र (सं.) [सं-पु.] 1. हठयोग के अनुसार नाभि प्रदेश में स्थित एक अंडाकार चक्र-विशेष जिससे सभी नाड़ियाँ निकलती हैं 2. (फलित ज्योतिष) वैवाहिक गणना हेतु प्रयुक्त वे विभिन्न चक्र जिसमें भिन्न-भिन्न नक्षत्र बैठाए जाते हैं।

नाड़ी जाल (सं.) [सं-पु.] नाड़ी चक्र।

नाड़ीव्रण (सं.) [सं-पु.] शरीर में होने वाला एक प्रकार का घाव; नासूर।

नाता (सं.) [सं-पु.] 1. रिश्ता; कुटुंबगत घनिष्ठता; पारिवारिक संबंध 2. सरोकार; लगाव; संपर्क।

नाता-रिश्ता [सं-पु.] 1. पारिवारिक या वैवाहिक संबंध अथवा रिश्ता 2. किसी प्रकार का लगाव; संपर्क।

नातिन [सं-स्त्री.] पुत्री की पुत्री या बेटी।

नाती [सं-पु.] पुत्री का पुत्र या बेटा।

नाते [अव्य.] के कारण; के वास्ते; की वजह से।

नातेदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिससे कोई नाता हो; रिश्तेदार 2. सगा; संबंधी।

नातेदारी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] परस्पर नाता या रिश्ता होने की अवस्था; रिश्तेदारी।

नात्र (सं.) [सं-पु.] 1. शिव 2. ऋषि 3. प्रशंसा; स्तुति।

नात्सी (ज.) [सं-पु.] नाजी।

नाथ (सं.) [सं-पु.] 1. स्वामी; प्रभु; अधिपति; मालिक 2. शिव 3. बैल आदि की नाक में पहनाई जाने वाली रस्सी 4. गोरखपंथी साधुओं की एक उपाधि 5. साँप पालने वाली एक जाति; सँपेरा।

नाथत्व (सं.) [सं-पु.] नाथ या स्वामी होने की अवस्था या भाव; प्रभुता।

नाथना [क्रि-स.] 1. बैल आदि पशुओं के नथने में छेद करके उसमें रस्सी पहनाना 2. किसी वस्तु के सिरे में छेद करके उसे रस्सी आदि से बाँधना 3. एकाधिक वस्तुओं को एक साथ रखने के लिए उनमें उक्त प्रकार की क्रिया करना; नत्थी करना 4. लड़ी के रूप में गूँथना, जोड़ना या पिरोना; सूत्रबद्ध करना।

नाथपंथ (सं.) [सं-पु.] गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित संप्रदाय।

नाथपंथी (सं.) [वि.] 1. नाथ संप्रदाय का 2. नाथपंथ को मानने वाला; नाथपंथ संप्रदाय संबंधी।

नाद (सं.) [सं-पु.] 1. अव्यक्त शब्द 2. ध्वनि; आवाज़ 3. संगीत 4. वर्णों का अव्यक्त रूप; अर्धमात्रा 5. गर्जन; भारी शब्द।

नादमय (सं.) [वि.] नादयुक्त; संगीतमय।

नाद विद्या (सं.) [सं-स्त्री.] संगीत की विद्या; संगीतशास्त्र।

नादात्मक (सं.) [वि.] नाद या ध्वनि-रूप में होने वाला।

नादान (फ़ा.) [वि.] 1. अज्ञानी; मूर्ख 2. नासमझ; बच्चा।

नादानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अज्ञानता; मूर्खता; बेवकूफ़ी 2. अकुशलता; अनाड़ीपन।

नादि (सं.) [वि.] 1. शब्द करने वाला 2. गरजने वाला।

नादित (सं.) [वि.] 1. ध्वनित 2. जिसमें नाद या शब्द होता हो; निनादित।

नादिम (अ.) [वि.] 1. शर्मिंदा; लज्जित 2. पछताने वाला; पश्चाताप करने वाला 3. संकुचित।

नादिर (अ.) [वि.] 1. अद्भुत; विलक्षण; विचित्र; असाधारण 2. श्रेष्ठ; उत्तम; बढ़िया।

नादिरशाह (अ.) [सं-पु.] 1. फ़ारस का एक प्रसिद्ध शासक जिसने सन 1738 में भारतीय शासक मुहम्मद शाह को पराजित किया था 2. {ला-अ.} निरंकुश तथा क्रूर शासक।

नादिरशाही (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नादिरशाह जैसा अत्याचार या कुप्रबंध 2. निरंकुश शासन 3. मनमाना फरमान जारी करना। [वि.] 1. नादिरशाह के अत्याचार जैसा 2. नादिरशाह संबंधी 3. उग्र और कठोर।

नादिरा (अ.) [वि.] 1. विलक्षण; अद्भुत 2. श्रेष्ठ 3. अजीबोगरीब।

नादिरी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मुगलकालीन सदरी या कुरती जैसा वस्त्र 2. गंजीफ़े का वह पत्ता जिसे खेल के समय निकालकर अलग रख दिया जाता है। [वि.] 1. नादिरशाह संबंधी 2. अत्याचार और क्रूरतापूर्ण।

नादी (सं.) [वि.] 1. शब्द या नाद करने वाला 2. बजने वाला 3. गरजने वाला।

नादेय (सं.) [सं-पु.] 1. सेंधा नमक 2. काँस नामक घास 3. जलबेंत 4. सुरमा। [वि.] 1. नदी संबंधी; नदी का 2. नदी में उत्पन्न होने वाला 3. ग्रहण न करने योग्य; अग्राह्य 4. जो दिया न जा सके।

नाधन [सं-स्त्री.] तकले में लगाई जाने वाली वह गोल टिकिया जो सूत को इधर-उधर होने से रोकती है।

नाधना (सं.) [क्रि-स.] 1. रस्सी के द्वारा बैल को हल से बाँधना या जोतना 2. तस्मे के द्वारा घोड़े को ताँगा या बग्गी से बाँधना 3. (कोई कार्य) आरंभ करना; ठानना 4. जोड़ना; लगाना 5. गूँथना; पिरोना।

नान (फ़ा.) [सं-स्त्री.] तंदूर में पकाई जाने वाली ख़मीरी रोटी।

नानक [सं-पु.] सिक्ख संप्रदाय के आदि गुरु।

नानकपंथी [सं-पु.] नानक का अनुयायी या समर्थक।

नानकार (फ़ा.) [सं-स्त्री.] वह ज़मीन जो सेवक को पुरस्कार रूप में जीविका निर्वाह के लिए दी जाती थी।

नानख़टाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार के मीठे बिस्किट जो मैदा, शक्कर और मक्खन से ओवन में बेक करके बनाए जाते हैं।

नाना1 [सं-पु.] माता का पिता; मातामह।

नाना2 (सं.) [वि.] 1. अनेक प्रकार के; तरह-तरह के; विविध 2. बहुत; अनेक।

नानारूप (सं.) [सं-पु.] अनेक प्रकार के रूप; बहुरूप। [वि.] 1. अनेक रूपोंवाला; बहुरूपिया 2. बहुविध।

नानार्थ (सं.) [वि.] 1. अनेक अर्थोंवाला 2. जिससे अनेक प्रयोजन सिद्ध हो सके 3. अनेक प्रकार के कार्यों में उपयोग आने वाला।

नानी [सं-स्त्री.] माता की माता; मातामही।

ना-नुकुर (सं.) [अव्य.] 1. अनाकानी; टाल-मटोल 2. बहानेबाजी 3. इनकार; अस्वीकृति।

नाप [सं-स्त्री.] 1. नापने की क्रिया अथवा भाव 2. किसी मानदंड के अनुसार किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई आदि का निर्धारण करने की क्रिया 3. किसी मानदंड के अनुसार स्थिर की गई किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई, गहराई, ऊँचाई, मात्रा आदि; परिमाण; माप 4. वह स्थिर किया हुआ पैमाना जिसके अनुसार किसी वस्तु की लंबाई निर्धारित की जाए।

नाप-तौल [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु को नापने और तौलने की क्रिया या भाव 2. नाप या तौलकर निर्धारित की गई मात्रा या परिमाण।

नापना (सं.) [क्रि-स.] किसी वस्तु के परिमाण, मात्रा आदि का निर्धारण करना; मापना।

नापसंद (फ़ा.) [वि.] जो पसंद न हो; अप्रिय; अरुचिकर।

नापसंदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] पसंद न होने का भाव; अरुचि; अप्रिय।

नापाक (फ़ा.) [वि.] 1. अपवित्र; अशुचि 2. मैला-कुचैला; गंदा।

नापित (सं.) [सं-पु.] नाई; हज्जाम।

नापित्य (सं.) [सं-पु.] 1. नापित होने की अवस्था या भाव 2. नापित या हज्जाम का पेशा 3. नापित या हज्जाम का लड़का।

नापैद (फ़ा.) [वि.] 1. जो कभी पैदा ही न हुआ हो; अप्राप्य; नायाब 2. जो अब पैदा न होता हो; लुप्त; पोशिदा।

नाफ़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाभि; तुंदी; तुंद; कूपी 2. मध्यभाग; मध्यस्थान; केंद्रस्थान।

नाफ़रमान (फ़ा.) [वि.] 1. बड़ों की आज्ञा या हुक्म न मानने वाला; अवज्ञाकारी 2. उद्दंड; सरकश।

नाफ़ा (फ़ा.) [सं-पु.] कस्तूरी मृग की नाभि में पाई जाने वाली थैली।

नाफ़िज़ (अ.) [वि.] (हुक्म, कानून आदि) जारी; लागू; प्रचलित।

नाबदान (फ़ा.) [सं-पु.] मल-मूत्र तथा गंदे पानी की मोरी या नाली; पनाला; (गटर)।

नाबाद (अ.) [वि.] 1. जिसे अलग या बाहर न किया गया हो 2. क्रिकेट के खेल में वह बल्लेबाज़ जिसे खेल की समाप्ति पर्यंत खेल से बाहर (आउट) न किया जा सका हो।

नाबालिग (फ़ा.+अ.) [वि.] जो वयस्क या बालिग न हो; अल्पवयस्क; अवयस्क।

नाभाग (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) इक्ष्वाकु वंशीय राजा ययाति के पुत्र, अज के पिता और दशरथ के पितामह 2. (पुराण) कारुषवंशीय राजा दिष्टि के पुत्र 3. वैवस्वत मनु के एक पुत्र।

नाभि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पेट के मध्य का गड्ढानुमा भाग; चक्रमध्य 2. पहिए के मध्य का वह छिद्र जिसमें धुरी पहनाई जाती है; पिंडिका; तुंदी 3. लकड़ी आदि में पड़ने वाला छोटा गड्ढा। [सं-पु.] 1. नायक या प्रधान 2. प्रधान राजा; राजराजेश्वर।

नाभिक (सं.) [सं-पु.] परमाणु का केंद्रीय भाग जिसमें प्रोटान तथा न्यूट्रॉन होते हैं।

नाभिकीय (सं.) [वि.] 1. नाभिक संबंधी; नाभिक का 2. नाभिक से उत्पन्न।

नाभिल (सं.) [वि.] 1. नाभि संबंधी 2. नाभि से युक्त; जिसमें नाभि हो 3. जिसकी नाभि उभरी हुई हो।

नाभिस्थल (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर में स्थित नाभि की जगह 2. केंद्रस्थल; केंद्र बिंदु।

नाभील (सं.) [सं-पु.] 1. नाभि का गड्ढा 2. उभरी हुई नाभि।

नाभ्य (सं.) [सं-पु.] (पुराण) शिव; महादेव।

नाम (सं.) [सं-पु.] 1. पहचान के लिए दिया जाने वाला शब्द; किसी व्यक्ति, वस्तु आदि का सूचक शब्द; संज्ञा; अभिधान 2. {ला-अ.} यश; ख्याति 3. प्रतिष्ठा; इज़्ज़त; शोहरत; प्रसिद्धि 4. यादगार; स्मृति-चिह्न। [मु.] -उछलना : बदनामी होना। -उछालना : बदनामी करना। -न लेना : अलग कर बैठना। -पर बैठना : किसी के भरोसे बैठे रहना। -लगाना : दोष मढ़ना। -लेना : गुणगान करना।-से काँपना : नाम सुनते ही डर जाना। -कमाना : प्रसिद्धि पाना। -को मरना : यश प्राप्ति का प्रयत्न करना। -जगाना : अच्छी कीर्ति प्राप्त करना। -पाना : मशहूर होना। -डालना : खाते में लिखना।

नामंज़ूर (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो मंज़ूर या स्वीकृत न हुआ हो; अस्वीकृत; अनंगीकृत 2. जिसका परित्याग किया गया हो; परित्यक्त 3. रद्द; ख़ारिज 4. सारहीन।

नामंज़ूरी (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] अस्वीकृति; मंज़ूर न होने की अवस्था या भाव।

नामक (सं.) [वि.] 1. नाम का 2. नाम से प्रसिद्ध।

नामकरण (सं.) [सं-पु.] 1. शिशु को नाम देने के लिए किया जाने वाला उत्सव 2. हिंदुओं के सोलह संस्कारों में से एक जिसमें बच्चे का नाम रखा जाता है।

नामकीर्तन (सं.) [सं-पु.] ईश्वर के नाम का जाप; भगवद्भजन।

नामकोश (सं.) [सं-पु.] नामवाचक संज्ञाओं के विवरण वाला कोश।

नामघर (सं.) [सं-पु.] ईश्वर का नाम जपने का स्थान; पूजाघर।

नाम चढ़ाई [सं-स्त्री.] संपत्ति आदि के स्वामित्व से एक व्यक्ति का नाम हटाकर दूसरे व्यक्ति का नाम चढ़ाने की क्रिया; दाख़िल-ख़ारिज।

नामचीन (सं.) [वि.] नामवाला; ख्यातिप्राप्त; सुप्रसिद्ध; नामवर।

नामज़द (फ़ा.) [वि.] 1. जिसका नाम किसी काम या चुनाव हेतु मनोनीत किया गया हो; नामांकित; नाम-निर्दिष्ट 2. प्रसिद्ध; विख्यात; मशहूर 3. किसी के नाम पर रखा या निकला हुआ।

नामज़दगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नामांकित या मनोनीत करने या होने की क्रिया या भाव; नामांकन 2. चुनाव आदि में नामज़द होना; नामनयन; नामनिर्देशन।

नामतः (सं.) [अव्य.] नाम से; नाम के द्वारा।

नामदार (फ़ा.) [वि.] प्रसिद्ध; विख्यात; नामवर।

नामधराई [सं-स्त्री.] अपकीर्ति; निंदा; बदनामी।

नाम-धाम (सं.) [सं-पु.] नाम और पता।

नामधारी (सं.) [सं-पु.] 1. सिक्ख धर्म में एक संप्रदाय 2. उक्त संप्रदाय का अनुयायी 3. नाममात्र का अधिकारी। [वि.] 1. नामधारण किया हुआ 2. नाम का; नामक; कथित।

नाम-निशान [सं-पु.] चिह्न; (मार्क)।

नामपट्ट (सं.) [सं-पु.] वह पट्ट या तख़्ता जिसपर किसी व्यक्ति, संस्था या प्रतिष्ठान का नाम लिखा होता है; (साइनबोर्ड)।

नाममात्र (सं.) [वि.] अत्यल्प; बहुत कम। [अव्य.] केवल नाम भर; मात्र कहने भर को।

नामराशि (सं.) [सं-पु.] 1. (ज्योतिष) नामाक्षर से बनने वाली राशि 2. एक ही नाम के व्यक्ति; हमनाम।

नामर्द (फ़ा.) [वि.] 1. मर्द के गुणों से हीन 2. नपुंसक; (क्लीव) 3. कायर; भीरु; डरपोक।

नामर्दानगी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नपुंसकता की स्थिति या भाव; नामर्दी 2. {ला-अ.} कायरता; भीरूता 3. अपनी बात से मुकर जाने की स्थिति।

नामर्दी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नामर्द होने की अवस्था या भाव; नपुंसकता 2. भीरुता; कायरता।

नाम-लिखाई [सं-स्त्री.] 1. किसी पंजी या तालिका आदि में नाम लिखा जाना; (एनरोलमेंट) 2. किसी पंजी या तालिका आदि में नाम लिखने के लिए शुल्क के रूप में लिया जाने वाला धन।

नामलेवा [सं-पु.] 1. ऐसा व्यक्ति जो किसी की मृत्यु के बाद उसका स्मरण करे 2. संतान; औलाद; उत्तराधिकारी।

नामवर (फ़ा.) [वि.] 1. प्रसिद्ध; नामी; विख्यात 2. जिसका नाम आदर से लिया जाता हो।

नामवरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] ख्याति; प्रसिद्धि।

नामशेष (सं.) [वि.] 1. जिसका केवल नाम शेष रह गया हो; ध्वस्त; नष्ट 2. मृत; मरा हुआ।

नाम-हँसाई [सं-स्त्री.] बदनामी; लोकनिंदा।

नामहीन (सं.) [वि.] नाम से रहित; जिसका कोई नाम न हो।

नामा [सं-पु.] 1. नामदेव का संक्षिप्त रूप 2. नाम का पाठ; नामजप।

नामांक (सं.) [सं-पु.] लिखित नामों पर लगाया गया क्रमांक।

नामांकन (सं.) [सं-पु.] 1. नाम अंकित करने की क्रिया या भाव 2. किसी पद या स्थान आदि के लिए किसी व्यक्ति का नाम आधिकारिक रूप से प्रस्तावित किया जाना 3. वह स्थिति जिसमें किसी पद, सेवा आदि के लिए किसी व्यक्ति को आधिकारिक रूप से नियुक्त किया जाता है, (नॉमिनेशन)।

नामांकनपत्र (सं.) [सं-पु.] संपूर्ण विवरण के साथ प्रस्तुत वह पत्र जिसमें संबद्ध अधिकारी को यह सूचित किया जाता है कि अमुक पद हेतु अमुक व्यक्ति उम्मीदवार है और इस संदर्भ में संबद्ध अधिकारी से स्वीकृति की प्रार्थना की जाती है, (नॉमिनेशन पेपर)।

नामांकित (सं.) [वि.] 1. जिसपर नाम अंकित हो अर्थात लिखा या खुदा हो 2. जिसका किसी पद या काम के लिए नामांकन हुआ हो; नामज़द; (नॉमिनेटेड)।

नामांतरण (सं.) [सं-पु.] 1. नाम बदलने की क्रिया या भाव; नाम परिवर्तन 2. किसी संपत्ति पर स्वामी के रूप में लिखा हुआ पुराना नाम हटाकर उसकी जगह किसी दूसरे नए व्यक्ति का नाम स्वामी के रूप में चढ़ाया जाना 3. दाखिल ख़ारिज; (म्यूटेशन)।

नामाकूल (फ़ा+अ.) [वि.] 1. जो माकूल या ठीक न हो 2. नालायक; अयोग्य 3. बेढंगा; अनुचित; अयुक्त 4. अपूर्ण; अधूरा।

नामालूम (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसे मालूम न हो; अनजान; अजनबी; अपरिचित 2. अज्ञात 3. अप्रसिद्ध।

नामावली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यक्तियों या वस्तुओं के नाम की सूची 2. हिंदुओं में भक्तों के ओढ़ने का वह कपड़ा जिसपर कृष्ण या राम आदि देवताओं के नाम छपे होते हैं।

नामिक (सं.) [वि.] 1. नाम संबंधी 2. केवल नाम मात्र का जिसका वास्तविक तथ्य से कोई संबंध न हो; (नॉमिनल)।

नामित (सं.) [वि.] झुकाया हुआ।

नामी (फ़ा.) [वि.] 1. नामवाला; प्रतिष्ठित 2. मशहूर; प्रसिद्ध 3. यशस्वी।

नामी-गिरामी (फ़ा.) [वि.] 1. प्रसिद्ध और पूजनीय 2. सबसे प्रतिष्ठित।

नामुआफ़िक (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो अनुकूल न हो; प्रतिकूल; अननुकूल; विरुद्ध; मुख़ालिफ़ 2. जो किसी से सहमत न हो; असहमत।

नामुनासिब (फ़ा.+अ.) [वि.] जो मुनासिब अर्थात उचित न हो; अनुचित।

नामुबारक (फ़ा.) [वि.] अशुभ; अमंगल।

नामुमकिन (फ़ा.+अ.) [वि.] जो मुमकिन या संभव न हो; असंभव।

नामुराद (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी कामना (मुराद) पूरी न हुई हो; विफल; नाकाम 2. अभागा; बदनसीब; दुर्भाग्यशाली।

नामूसी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेइज़्ज़ती; अप्रतिष्ठा 2. बदनामी; अपयश; निंदा।

नामोनिशान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का नाम और उसके सूचक शेष चिह्न या पता-ठिकाना 2. ऐसा लक्षण जिससे किसी चीज़ या बात के अस्तित्व का पता चलता हो या उसका प्रमाण मिलता हो।

नामोल्लेख (सं.) [सं-पु.] किसी के नाम का उल्लेख या चर्चा।

नामौज़ूद (फ़ा.) [वि.] जो मौजूद न हो; अनुपस्थित।

नामौज़ूदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] मौजूद न रहने की अवस्था या भाव; अनुपस्थिति।

नाम्य (सं.) [वि.] 1. झुकाने योग्य 2. जो झुकाया जा सके; लचीला।

नाय (सं.) [सं-पु.] 1. नीति; ले जाना 2. अगुआ; नेता 3. युक्ति; उपाय 4. नेतृत्व।

नायक (सं.) [सं-पु.] 1. लोगों को अपनी आज्ञा के अनुसार चलाने वाला व्यक्ति; नेता; अगुआ 2. राह दिखाने वाला; मार्गदर्शक 3. किसी दल या समुदाय का अग्रगण्य व्यक्ति; प्रधान; सरदार 4. अधिपति; स्वामी; मालिक; प्रभु 5. प्रधान अधिकारी, जैसे- सेना नायक; संगीत कला में निपुण व्यक्ति 6. (साहित्य) वह पुरुष जिसके चरित्र को लेकर किसी काव्य या नाटक आदि की रचना की गई हो 7. (काव्यशास्त्र) शृंगार का आलंबन रूप-यौवन आदि से संपन्न पुरुष।

नायकत्व (सं.) [सं-पु.] 1. नायक का गुण या भाव; नेतृत्व 2. किसी समुदाय के प्रधान होने का भाव।

नायनार (सं.) [सं-पु.] दक्षिण भारत के शैव संत; शैव मतानुयायी।

नायब (अ.) [वि.] 1. जो किसी प्रधान अधिकारी का सहायक हो 2. किसी की ओर से काम करने वाला; मुख़्तार 3. प्रतिनिधित्व करने वाला 4. स्थानापन्न।

नायबी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. नायब होने की अवस्था, पद या भाव 2. नायब का काम या पद।

नायलॉन (इं.) [सं-पु.] रेशम की तरह का एक कृत्रिम धागा, जिससे कपड़े, रस्सियाँ आदि बनाए जाते हैं; (सिंथेटिक पॉलिमर)।

नायाब (फ़ा.) [वि.] 1. जो जल्दी न मिले; जो सरलता से न मिलता हो; अप्राप्य; दुर्लभ 2. बहुत बढ़िया।

नायिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नेता स्त्री; नेत्री 2. मालकिन; स्वामिनी 3. (साहित्य) काव्य, नाटक आदि की प्रधान महिला पात्र 4. अभिनेत्री; (हीरोइन)।

नार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गरदन; ग्रीवा 2. गला; कंठ 3. जुलाहों की ढरकी; नाल 4. एक प्रकार की नली जिससे नवजात शिशु की नाभि माता के गर्भाशय से जुड़ी रहती है; नाल 5. नारी; स्त्री।

नारंग (सं.) [सं-पु.] 1. नारंगी नामक वृक्ष एवं उक्त वृक्ष का फल 2. गाजर 3. पंजाबी ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।

नारंगी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीबू की प्रजाति का मझोले कद का पेड़ 2. उक्त पेड़ का खट्टा-मीठा एवं रसीला फल। [वि.] नारंगी के छिलके के रंग का; हलका पीलापन लिए कुछ लाल रंग का।

नारकी (सं.) [वि.] 1. नरक में जाने योग्य 2. नरक में रहने वाला।

नारकीट (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कीड़ा; अश्मकीट 2. वह जो किसी को आशा में रखकर निराश करे।

नारकीय (सं.) [वि.] 1. नरक जैसा या नरक का 2. नरक में जाने वाला या रहने वाला 3. पापी; दुष्ट; नीच।

नारद (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक प्रसिद्ध देवर्षि जो ब्रह्मा के मानस-पुत्र माने जाते हैं 2. विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम 3. (ऋग्वेद) कश्यप ऋषि के एक पुत्र; गंधर्व 4. {ला-अ.} लोगों में झगड़ा कराने वाला व्यक्ति।

नारदकुंड (सं.) [सं-पु.] बद्रिकाश्रम के पास स्थित एक कुंड, जिसमें बौद्धधर्म के हीनयान-महायान समुदायों के आपसी संघर्ष में आक्रमण एवं विनाश की आशंका के चलते एक असहाय पुजारी द्वारा भगवान श्री की मूर्ति डाल दी गई थी।

नारसिंह (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) नरसिंह रूपधारी विष्णु 2. एक तांत्रिक ग्रंथ। [वि.] 1. नरसिंह संबंधी; नरसिंह का 2. जिसमें नरसिंह का वर्णन हो।

नारा1 (सं.) [सं-पु.] 1. कमर में बाँधा जाने वाला एक प्रकार का धागा या डोरा; पाज़ामे घाघरे आदि का इज़ारबंद; नाड़ा 2. पूजा में प्रयुक्त लाल रंग का धागा; रक्षासूत्र 3. हल के जुए में बँधी हुई रस्सी।

नारा2 (अ.) [सं-पु.] 1. वह शब्द या शब्द-समूह जो लोगों को प्रेरित या उत्तेजित करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से दोहराया जाता है, जैसे- दिल्ली चलो, आराम हराम है आदि 2. घोष; (स्लोगन) 3. थोड़े से शब्दों में माँग की घोषणा, जैसे- भ्रष्टाचार बंद करो, अत्याचारियों को फ़ाँसी दो आदि।

नाराच (सं.) [सं-पु.] 1. लोहे का बना हुआ बाण 2. मेघों से आच्छादित दिन; दुर्दिन 3. एक प्रकार का मात्रिक छंद।

नाराचिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुनारों आदि का काँटा या तराज़ू 2. छोटा नाराच।

नाराज़ (फ़ा.) [वि.] 1. अप्रसन्न; रुष्ट; नाख़ुश; ख़फ़ा 2. क्रुद्ध; गुस्से में।

नाराज़गी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाराज़ होने की अवस्था या भाव 2. अप्रसन्नता 3. क्रोध।

नाराज़ी [सं-स्त्री.] दनाराज़गी।

नारायण (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) ईश्वर; भगवान; परमात्मा 2. विष्णु 3. एक उपनिषद 4. अजामिल का पुत्र।

नारायणी (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) 1. लक्ष्मी 2. दुर्गा 3. गंगा 4. मुद्गल ऋषि की पत्नी 5. श्रीकृष्ण की वह सेना जो उन्होंने महाभारत के युद्ध में दुर्योधन के सहायतार्थ दी थी।

नारायणीय (सं.) [वि.] नारायण संबंधी; नारायण की।

नाराशंस (सं.) [वि.] मनुष्यों की प्रशंसा या स्मृति से संबंध रखने वाला। [सं-पु.] 1. ऊम, और्व और आत्र्य- ये तीन पितृगण 2. यज्ञादि में उक्त पितृगणों के निमित्त छोड़ा जाने वाला सोमरस 3. वह पात्र जिसमें उक्त सोमरस छोड़ा जाता है 4. वैदिक रुद्र दैवत्य मंत्र जिसमें मनुष्यों की प्रशंसा की गई है।

नारिक (सं.) [वि.] 1. जल का; जलीय; जलसंबंधी 2. जल से युक्त 3. आध्यात्म से संबंधित; आध्यात्मिक।

नारिकेल [सं-पु.] नारियल नामक वृक्ष और उसका फल।

नारियल (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का फल जिसका छिलका बहुत कठोर होता है 2. उक्त फल का पेड़ जो खजूर की तरह ऊँचा होता है।

नारी (सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री; औरत; महिला।

नारीच (सं.) [सं-पु.] नालिता नामक शाक।

नारीत्व (सं.) [सं-पु.] नारी होने का गुण या भाव; स्त्रीत्व।

नारीवाद (सं.) [सं-पु.] नारी की स्वतंत्रता, समता और अस्मिता का पक्षधर एक सिद्धांत या वाद जो पितृसत्तात्मक समाज व्यवस्था और राजनीति का विरोधी है।

नारीवादी (सं.) [सं-पु.] 1. नारीवाद का समर्थक या नारीवाद को मानने वाला व्यक्ति 2. नारियों के अधिकारों का समर्थक; लैंगिक समानता का समर्थक 3. 'पितृसत्ता' का विरोधी।

नारीष्टा [सं-स्त्री.] चमेली; मल्लिका।

नारीसदन (सं.) [सं-पु.] 1. केवल स्त्रियों के रहने के लिए निर्मित भवन 2. नारी या महिला छात्रावास 3. किसी संस्था आदि द्वारा असहाय स्त्रियों को आश्रय देने के निमित्त निर्मित गृह।

नारीसुलभ (सं.) [सं-पु.] वह वस्तु अथवा गुण जो स्त्रियों द्वारा सहजतापूर्वक प्राप्त किया जा सके।

नारेबाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] नारे लगाने वाला।

नारेबाज़ी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ लगाई जाने वाली सामूहिक आवाज़ 2. नारे लगाने का काम 3. किसी के विरोध में नारे लगाना।

नार्पत्य (सं.) [सं-पु.] नृपति अर्थात राजा से संबंधित।

नार्मद (सं.) [सं-पु.] नर्मदा नदी में पाया जाने वाला शिवलिंग। [वि.] नर्मदा संबंधी; नर्मदा का।

नाल1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कमल, कुमुद आदि की पोली डंडी 2. पौधों का पोला तना; कांड 3. नली 4. बंदूक की नाली 5. गर्भस्थ शिशु की नाभि से जुड़ी हुई रस्सी के आकार की एक नली जो गर्भाशय से जुड़ी रहती है।

नाल2 (अ.) [सं-पु.] 1. रगड़ से बचाने के लिए घोड़े की टाप या खुर और जूते की एड़ी के नीचे लगाया जाने वाला लोहे का अर्द्धचंद्राकार टुकड़ा 2. जुए का अड्डा 3. जुआ खेलने वाले को दी जाने वाली रकम 4. कसरत करने के लिए निर्मित भारी गोल पत्थर।

नालंदा (सं.) [सं-पु.] एक विश्वविख्यात प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय जो मगध में स्थित था।

नालकी (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की लंबी पालकी जिसमें वर को बैठाकर बरात निकाली जाती है।

नालबंद (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. घोड़े के खुर में नाल जड़ने वाला व्यक्ति 2. जूते की एड़ी में नाल लगाने वाला मोची।

नालबंदी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] नाल जोड़ने का कार्य। [सं-पु.] मुस्लिम शासन काल में जमींदार और छोटे राजा द्वारा जनता की रक्षा के लिए घुड़सवार रखने के बदले उनसे लिया जाने वाला एक प्रकार का कर।

नाला (सं.) [सं-पु.] 1. कृत्रिम गंदे जल को बहाने हेतु बना मार्ग 2. वह प्रणाली या जलमार्ग जिसमें वर्षा का पानी बहता है।

नालायक (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो लायक न हो; अयोग्य 2. मूर्खतापूर्ण आचरण करने वाला 3. धूर्त 4. अशिष्ट; नीच।

नालायकी (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. नालायक होने की अवस्था या भाव; अयोग्यता 2. मूर्खतापूर्ण आचरण या व्यवहार।

नालि (सं.) [सं-पु.] 1. कमल आदि की डंडी 2. हाथी का कान छेदने का आला 3. पानी बहने का नाला; नालिका; नली 4. घंटा बजाने का घड़ियाल।

नालिक (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन समय में चलने वाला एक अस्त्र 2. कमल 3. बाँसुरी 4. भैंसा।

नालिश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शिकायत 2. अभियोग; मुकदमा।

नाली [सं-स्त्री.] 1. छोटा नाला; मोरी; गंदे पानी के बहने का मार्ग 2. छत से पानी निकलने का रास्ता; मोरी 3. एक प्रकार की पुरानी बंदूक।

नालीक (सं.) [सं-पु.] 1. पुराने समय में प्रचलित एक प्रकार का बाण जो बाँस की नली में रखकर चलाया जाता था; तुफंग 2. भाला 3. कमल-दल; कमल-नाल 4. कमंडल।

नालीदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें नाली या नालियाँ लगी हों या बनी हों।

नाव (फ़ा.) [सं-स्त्री.] लकड़ी या धातु आदि से निर्मित लंबोतर आकार की जल के ऊपर चलने वाली एक सवारी जिससे नदी, जलाशय आदि पार किया जाता है; किश्ती; नौका।

नावक (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गहरी चोट पहुँचाने वाला एक प्रकार का छोटा तीर 2. मधुमक्खी का डंक।

नावाकिफ़ (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसकी जानकारी न हो; अनजान; अपरिचित 2. अनभिज्ञ; अनाड़ी 3. अज्ञात; नामालूम।

नावाकिफ़ीयत (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपरिचय; अनजानपन 2. अनाड़ीपन; अनभिज्ञता।

नावाज़िब (फ़ा.+अ.) [वि.] जो वाज़िब अथवा उचित न हो; अनुचित।

नावाधिकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी राज्य की सामुद्रिक शक्ति और उसका प्राधिकरण 2. सामुद्रिक प्राधिकरण का प्रधान कार्यालय; नौसेना का संचालन करने वाला विभाग 3. उक्त विभाग में अधिकारियों का वर्ग।

नाविक (सं.) [सं-पु.] 1. नाव चलाने वाला; मल्लाह; केवट; माँझी 2. कर्णधार।

नावी (सं.) [सं-पु.] मल्लाह; केवट; माँझी; नाविक।

नाव्य (सं.) [सं-पु.] 1. नाव से पार करने योग्य जल 2. नवीनता; नयापन। [वि.] 1. नाव से पार किए जाने योग्य 2. नौगम्य 3. प्रशंसनीय।

नाश (सं.) [सं-पु.] 1. नष्ट; बरबादी 2. अस्तित्व, सत्ता आदि का न रहना 3. संकट 4. लोप; पलायन 5. त्याग।

नाशक (सं.) [वि.] 1. नाश करने वाला; अनिष्ट करने वाला 2. मारने वाला 3. दूर करने वाला 4. संहार करने वाला; विध्वंसक।

नाशन (सं.) [सं-पु.] नाश करना; नष्ट करना।

नाशपाती (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सेब की जाति का एक पौधा 2. उक्त पौधे का फल।

नाशवान (सं.) [वि.] 1. जिसका नाश होना निश्चित है; नष्ट होने के योग्य; नश्वर 2. भंगुर।

नाशित (सं.) [वि.] जो नष्ट हो चुका हो या किया जा चुका हो; नष्ट।

नाशी (सं.) [वि.] 1. नाश करने वाला; नाशक 2. नष्ट होने वाला; नश्वर; नाशशील।

नाशुकरा (फ़ा.+अ.) [वि.] किए गए उपकार को न मानने वाला; कृतघ्न; अकृतज्ञ।

नाशुक्र (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] कृतघ्न; अकृतज्ञ; नमकहराम; अहसानफ़रामोश।

नाशुक्रगुज़ार (फ़ा.+अ.) [वि.] जो किसी का शुक्रिया अदा न करे; कृतघ्न।

नाश्ता (फ़ा.) [सं-पु.] सुबह का अल्पाहार; जलपान; कलेवा; (ब्रेकफास्ट)।

नासपिटा [वि.] 1. {अशि.} गाली के रूप में प्रयुक्त 2. जिसका सर्वनाश हो जाए।

नासमझ [वि.] 1. जिसे समझ न हो; मूर्ख 2. कम समझवाला; नादान।

नासमझी [सं-स्त्री.] 1. समझ का अभाव; अबोधपन; बोधहीनता 2. मूर्खता; बुद्धिहीनता।

नासा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाक के दोनों छेद; नथुना 2. नासिका; नाक; ध्राणेंद्रिय।

नासाज़ (फ़ा.) [वि.] 1. प्रतिकूल; अननुकूल 2. जिसकी शारीरिक स्थिति में शिथिलता हो।

नासिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाक; नासा; घ्राणेंद्रिय 2. नाक जैसी आगे निकली हुई कोई चीज़ 3. हाथी की सूँड़।

नासिकाछेदन (सं.) [सं-पु.] नाक को छेदने का कार्य; नकछेदन।

नासिक्य (सं.) [सं-पु.] वे ध्वनियाँ जो नासिका विवर तथा मुख विवर दोनों से निकलें, जैसे- 'ङ्, ञ्, ण्, न्, म्'।

नासिक्यता (सं.) [सं-स्त्री.] नासिक्य होने का गुण, भाव या अवस्था।

नासिर (अ.) [सं-पु.] 1. नस्र अर्थात गद्य लिखने वाला लेखक 2. सहायक 3. विजेता।

नासीर (सं.) [सं-पु.] सेना का अग्र भाग; हरावल। [वि.] 1. आगे-आगे चलने वाला; आगे जाने वाला; अग्रसर 2. आगे बढ़कर लड़ने वाला।

नासूर (अ.) [सं-पु.] पुराना घाव जिसमें से प्रायः मवाद निकलता रहता हो; नाड़ीव्रण।

नास्तिक (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसकी ईश्वर, परलोक आदि में आस्था न हो 2. वह जो वेदों तथा शास्त्रों को न मानता हो 3. 'आस्तिक' का उलटा। [वि.] 1. ईश्वर, परलोक आदि में विश्वास न करने वाला 2. वेदों और शास्त्रों में अविश्वास करने वाला।

नास्तिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नास्तिक होने की अवस्था या भाव 2. वेदों में अविश्वास का भाव 3. ईश्वर या परलोकादि में अविश्वास।

नास्तिद (सं.) [सं-पु.] आम का पेड़।

नाह1 [सं-पु.] पहिए के केंद्र का छेद; नाभि।

नाह2 (सं.) [सं-पु.] 1. स्वामी; नाथ 2. बंधन 3. फंदा; पाश 4. कोष्ठबद्धता।

नाहक (फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. अकारण और बईमानी से 2. बिना बजह; व्यर्थ में; बेमतलब।

नाहर [सं-पु.] सिंह; शेर।

नि (सं.) [सं-पु.] (संगीत में) निषाद स्वर का संकेत। [पूर्वप्रत्य.] एक प्रकार का प्रत्यय जो शब्दों के पहले लगकर नकारात्मक अर्थ देता है, जैसे- निडर, निरोग आदि।

निंदक (सं.) [वि.] 1. निंदा या बुराई करने वाला 2. कटु आलोचना करने वाला 3. बदनामी करने वाला।

निंदनीय (सं.) [वि.] 1. जिसकी निंदा की जाए 2. निंदा किए जाने योग्य।

निंदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के समक्ष दूसरे व्यक्ति की बुराई करना 2. किसी को बुरा सिद्ध करने के लिए उसमें झूठ-मूठ का दोष निकालना 3. अपकीर्ति; बदनामी; शिकायत।

निंदात्मक (सं.) [वि.] निंदा के रूप में होने वाला; जिसमें निंदा का भाव हो।

निंदासा [वि.] 1. जिसे नींद आ रही हो; जिसकी आँखें नींद से भरी हों 2. अलसाया हुआ; जिसपर ख़ुमारी छाई हो; उनींदा।

निंदित (सं.) [वि.] 1. जिसकी निंदा की जाती हो या की गई हो 2. दूषित; गर्हित।

निंदिया [सं-स्त्री.] नींद; निद्रा।

निंदु (सं.) [सं-स्त्री.] (लोकमान्यता) वह स्त्री जिससे मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ हो; मृतवत्सा।

निंद्य (सं.) [वि.] निंदा किए जाने के योग्य निंदनीय।

निंद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] नींद; शयनावस्था; सुप्तावस्था।

निंब (सं.) [सं-स्त्री.] नीम का पेड़।

निंबादित्य (सं.) [सं-पु.] 1. निंबार्क संप्रदाय के संस्थापक; अरुणि 2. इन्हें राधा के कंकण का अवतार माना जाता है।

निंबार्क (सं.) [सं-पु.] 1. निंबादित्य द्वारा स्थापित एक वैष्णव संप्रदाय 2. निंबार्काचार्य।

निः (सं.) [पूर्वप्रत्य.] तत्सम शब्दों के पहले लगकर नकारात्मक अर्थ देता है, जैसे- निःशुल्क, निःशेष।

निःशब्द (सं.) [वि.] 1. जिसमें शब्द न हों; शब्द-रहित 2. मौन।

निःशल्य (सं.) [वि.] 1. जिसके पास शल्य अर्थात तीर न हो; शल्यरहित 2. निष्कंटक 3. जिसमें कोई प्रतिबंध न हो 4. कष्टरहित।

निःशस्त्र (सं.) [वि.] जिसके पास कोई शस्त्र न हो; शस्त्रविहीन।

निःशुल्क (सं.) [वि.] जिसपर शुल्क न लगे; जिसके लिए शुल्क न लिया जाए; बिना शुल्क का।

निःशेष (सं.) [वि.] 1. जिसमें कुछ भी बाकी न बचा हो 2. संपूर्ण; समूचा 3. जिसमें कुछ भी करने को न बचा हो; पूरी तरह से समाप्त।

निःशेषता (सं.) [सं-स्त्री.] निःशेष होने की अवस्था या भाव।

निःशोध्य (सं.) [वि.] 1. जिसका शोधन न किया जा सके 2. जिसका परिमार्जन करना आवश्यक न हो 3. स्वच्छ; साफ़।

निःश्रेणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. काठ या बाँस की बनी सीढ़ी (सोपान); नसेनी 2. खजूर का पेड़ 3. एक प्रकार की घास।

निःश्रेयस (सं.) [सं-पु.] 1. कष्टों या दुखों का अभाव 2. कल्याण; मंगल 3. मुक्ति; मोक्ष।

निःश्वसन (सं.) [सं-पु.] साँस बाहर निकालने की क्रिया।

निःश्वास (सं.) [सं-पु.] 1. नाक से निकली साँस 2. मुँह या नाक से वायु बाहर निकालने की क्रिया 3. लंबी श्वास।

निःसंकोच (सं.) [क्रि.वि.] 1. बिना संकोच किए 2. बेधड़क। [वि.] जिसे संकोच न हो।

निःसंग (सं.) [वि.] 1. जिसके साथ कोई न हो; अकेला; एकाकी 2. किसी से संबंध या लगाव न रखने वाला; निर्लिप्त 3. किसी से संपर्क न रखने वाला; निष्काम।

निःसंचार (सं.) [वि.] 1. संचरण न करने वाला; गतिहीन 2. घर में ही पड़ा रहने वाला।

निःसंज्ञ (सं.) [वि.] जिसमें संज्ञा का अभाव हो; संज्ञाहीन; बेहोश।

निःसंतान (सं.) [वि.] जिसे संतान न हो; संतानहीन।

निःसंदेह (सं.) [वि.] जिसमें किसी प्रकार का संदेह न हो; संदेहरहित; असंदिग्ध। [क्रि.वि.] 1. बिना किसी प्रकार के संदेह के 2. निश्चित रूप से; बेशक; अवश्य।

निःसंधि (सं.) [वि.] 1. संधि से रहित; जिसमें कोई छेद न हो 2. जिसमें कोई जोड़ न हो 3. दृढ.; मज़बूत 4. घना; कसा हुआ।

निःसंपात (सं.) [सं-पु.] मध्य रात्रि; आधी रात।

निःसत्व (सं.) [वि.] 1. जिसमें सत्व या सार न हो; थोथा 2. जिसमें कुछ भी शक्ति या बल न बचा हो 3. जो अब अस्तित्व में न हो।

निःसरण (सं.) [सं-पु.] 1. बाहर आना या निकलना 2. बाहर जाने या निकलने का रास्ता; निकास 3. कठिनाई से बचने का उपाय या मार्ग 4. मृत्यु; मौत 5. मोक्ष; निर्वाण।

निःसहाय (सं.) [वि.] जिसका कोई सहायक न हो; अकेला।

निःसार (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई तत्व न हो; असार 2. जिससे कोई प्रयोजन सिद्ध न होता हो; निरर्थक; व्यर्थ 3. जिसका कोई महत्व न हो; महत्वहीन।

निःसारण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ को बाहर निकालने की क्रिया या भाव 2. बाहर निकालने या निकलने का मार्ग 3. बाहर करना; निकालना; बहिष्करण।

निःसीम (सं.) [वि.] 1. जिसकी सीमा न हो; सीमाहीन; असीम 2. बहुत अधिक 3. बहुत बड़ा।

निःसृत (सं.) [वि.] बाहर आया हुआ।

निःस्तब्धता (सं.) [सं-स्त्री.] सन्नाटा; घोर शांति।

निःस्नेह (सं.) [वि.] 1. जिसमें स्नेह (प्रेम) न हो; स्नेहरहित 2. जिसमें स्नेह (तेल) न हो।

निःस्पंद (सं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार का स्पंदन न हो 2. निश्चल।

निःस्पृह (सं.) [वि.] जिसे कुछ लेने या पाने की इच्छा न हो; जिसे कोई आकांक्षा न हो; लोभरहित।

निःस्राव (सं.) [सं-पु.] 1. बहकर निकला हुआ अंश 2. माँड़।

निःस्वार्थ (सं.) [वि.] 1. बिना किसी स्वार्थ से काम करने वाला 2. जो अपने लाभ के लिए न हो।

निकंदन (सं.) [सं-पु.] नाश; विनाश; संहार; वध।

निकट (सं.) [अव्य.] थोड़ी दूरी पर; पास; नज़दीक। [वि.] 1. संबंध या लगाव की दृष्टि से पास का; समीपवर्ती; नज़दीकी 2. जो दूर का न हो।

निकटता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निकट या करीब होने की अवस्था या भाव; समीपता 2. अंतरंगता।

निकटवर्ती (सं.) [वि.] 1. समीप का; पास का 2. निकटस्थ।

निकटस्थ (सं.) [वि.] 1. समीप स्थित 2. पास बैठा हुआ 3. (दूरी की दृष्टि से) पास का।

निकम्मा (सं.) [वि.] 1. जिसके पास कोई काम न हो 2. जो कोई कार्य करने के योग्य न हो; अयोग्य 3. जो किसी काम न आए; जो कोई काम न करता हो तथा बेकार बैठा हो।

निकर1 (सं.) [सं-पु.] 1. झुंड; समूह 2. ढेर; राशि 3. कोश; निधि।

निकर2 (इं.) [सं-पु.] जाँघिए के आकार का एक परिधान।

निकर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. काटना 2. फाड़ना।

निकर्षण (सं.) [सं-पु.] 1. खेल का मैदान 2. आँगन 3. पड़ोस 4. वह ज़मीन जो जोत में न आई हो; परती।

निकल (इं.) [सं-स्त्री.] 1. चाँदी जैसी सफ़ेद एक धातु 2. उपरोक्त धातु से बने सिक्के।

निकलंक [वि.] कलंकरहित; लांछनरहित; बेदाग।

निकलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. बाहर आना; निर्गत होना 2. प्रकट होना; उत्पन्न होना; सामने आना 3. किसी क्षेत्र या परिधि की सीमा से बाहर आना; दूर होना 4. प्रवाहित होना; बहना 5. किसी से अलग होना 6. किसी के अधिकार, नियंत्रण या बंधन से रहित होना 7. उदित होना 8. सिद्ध होना; साबित होना 9. उगना 10. पार होना 11. ढूँढ़ने से प्राप्त होना; खोजा जाना; पाया जाना; ईजाद होना 12. प्रचलित होना 13. प्रवर्तित होना 14. दायित्व से मुक्त करना 15. खपत होना; बिकना 16. पकड़ा जाना 17. सिद्ध होना 18. किसी नए नियम या कानून का सामने आना या लागू होना 19. आगे की ओर बढ़ना 20. मतलब या स्वार्थ पूरा होना; मनोरथ सिद्ध होना 21. शुरू होना; छिड़ जाना 22. चला जाना; चूकना; खो जाना 23. किसी प्रश्न या बात का हल निकलना 24. किसी ग्रंथ या पुस्तक आदि का प्रकाशित होना 25. समय का गुजरना; बीतना 26. सत्यापित होना; प्रमाणित होना 27. किसी मात्रा में से कम होना; घटना 28. प्रस्थान करना 29. उदय होना 30. दूर करना 31. मुक्त होना 32. बहना; गिरना।

निकलवाना [क्रि-स.] 1. किसी को कुछ निकालने में प्रवृत्त करना 2. छिपाकर रखी हुई किसी वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए किसी व्यक्ति को बलपूर्वक बाध्य करना।

निकष (सं.) [सं-पु.] 1. कसने, रगड़ने या घिसने की अवस्था 2. निचोड़; कसौटी 3. हथियार की धार तेज़ करने के लिए उसे सान पर चढ़ाना 4. मानदंड; मानक।

निकषण (सं.) [सं-पु.] 1. घिसने, रगड़ने या कसने की क्रिया या भाव 2. कसौटी पर कसने की क्रिया 3. शक्ति, गुण, योग्यता आदि परखने की क्रिया या भाव 4. हथियारों की धार तेज़ करने के लिए उन्हें सान पर चढ़ाना।

निकाय (सं.) [सं-पु.] 1. समूह; झुंड; समुदाय 2. संस्था; समिति 3. समान वर्गीय वस्तुओं का ढेर 4. परमात्मा 5. शरीर 6. लक्ष्य; निशाना 7. रहने का स्थान; वासस्थल।

निकालना (सं.) [क्रि-स.] 1. बाहर करना 2. बरख़ास्त करना; निष्कासित करना 3. कोई नया नियम, कानून आदि जारी करना 4. नौकरी, पद आदि से हटाना 5. मतलब या स्वार्थ साधना 6. शुरू होना 7. गिराना; बहाना 8. उगाना; जमाना 9. प्रकट कराना 10. किसी क्षेत्र या परिधि की सीमा से बाहर करना; दूर करना 11. किसी से अलग करना 12. किसी को अधिकार, नियंत्रण या बंधन से मुक्त करना 13. उदित करना 14. ईजाद कराना 15. प्रचलित कराना 16. दायित्व से मुक्त कराना 17. किसी प्रश्न या बात का हल निकालना 18. किसी ग्रंथ या पुस्तक आदि को प्रकाशित करना 19. वक्त गुज़ारना 20. सत्यापित कराना; प्रमाणित करना 21. किसी मात्रा से घटाना 22. प्रस्थान कराना 23. उदय कराना 24. दूर कराना।

निकाला [सं-पु.] 1. निकालने की क्रिया या भाव 2. निकाले या बेदख़ल किए जाने का दंड; निष्कासन।

निकास (सं.) [सं-पु.] 1. निकालने की क्रिया 2. दरवाज़ा; द्वार 3. निकलने का रास्ता 4. मूल-स्थान; उद्गम स्थल 5. गुज़ारे का रास्ता या आय का रास्ता; आमदनी 6. खुला हुआ स्थान; मैदान 7. विपत्ति; संकट आदि से बचने की युक्ति।

निकासी [सं-स्त्री.] 1. निकलने या निकालने की क्रिया या भाव; प्रस्थान 2. आमदनी 3. बिक्री आदि के लिए तैयार माल का गोदाम आदि से बाहर आना; खपत; बिक्री 4. ब्रिटिश शासन व्यवस्था के अंतर्गत वह रकम जो मालगुज़ारी आदि देने के उपरांत ज़मींदार के पास शेष बचती थी; बचत; मुनाफ़ा।

निकाह (अ.) [सं-पु.] इस्लामी पद्धति के अनुसार किया जाने वाला विवाह; शादी; परिणय।

निकाहनामा (अ.) [सं-पु.] वह कागज़ जिसपर निकाह की शर्तें लिखी जाती हैं।

निकाही (अ.) [वि.] जिससे विवाह हुआ हो।

निकाहेशानी (अ.) [सं-पु.] द्विरागमन; गौना।

निकुंच (सं.) [सं-पु.] ताले की कुँजी; चाबी।

निकुंचक (सं.) [सं-पु.] 1. जलबेंत 2. एक प्राचीन माप (परिमाण)।

निकुंचन (सं.) [सं-पु.] संकुचन।

निकुंचित (सं.) [वि.] संकुचित; संकोची।

निकुंज (सं.) [सं-पु.] 1. सघन वृक्षों तथा लताओं से आच्छादित एवं कुछ पार्श्वों से घिरा स्थल; कुंज 2. उपवन; वन-वाटिका।

निकुंभ (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) कुंभकरण का एक पुत्र 2. प्रह्लाद का एक पुत्र 3. एक असुर जिसका वध कृष्ण ने किया था 4. एक विश्वदेव 5. कौरव सेना का एक सेनापति 6. शिव का एक गण 7. कुमार का एक गण।

निकुरंब (सं.) [सं-पु.] समूह।

निकुही [सं-स्त्री.] एक तरह की चिड़िया।

निकृंतन (सं.) [सं-पु.] 1. काटने की क्रिया; काटना; छेदन; विदारण 2. नष्ट करना 3. काटने का यंत्र।

निकृत (सं.) [वि.] 1. अपमानित; तिरस्कृत 2. बहिष्कृत 3. दूसरों द्वारा ठगा गया; प्रताड़ित; वंचित 4. नीच; अधम; पतित 5. दुष्ट।

निकृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपमान; तिरस्कार 2. बहिष्कार 3. दैन्य; दीनता 4. दुष्टता; नीचता 5. दूसरों को ठगने की क्रिया या भाव; प्रताड़ना; वंचना।

निकृत्त (सं.) [वि.] 1. जड़ से कटा हुआ 2. छिन्न; विदीर्ण।

निकृष्ट (सं.) [वि.] 1. नीच; अधम 2. तुच्छ; हीन; घटिया 3. तिरस्कृत।

निकृष्टतम (सं.) [वि.] सबसे निम्नतम स्तर का; सबसे तुच्छ या घटिया।

निकेत (सं.) [सं-पु.] 1. घर; निवास; वासस्थान 2. चिह्न; निशान।

निकेतन (सं.) [सं-पु.] निकेत; निवास; घर।

निकोटीन (इं.) [सं-पु.] 1. उत्तेजक और आराम देने वाली एक दवा 2. एक प्रकार का विष।

निक्षण (सं.) [सं-पु.] चुंबन; चूमना।

निक्षिप्त (सं.) [वि.] 1. फेंका हुआ 2. छोड़ा या त्यागा हुआ; त्यक्त 3. धरोहर के रूप में किसी के पास रखा हुआ 4. भेजा हुआ 5. बंधन आदि से छूटा हुआ।

निक्षेप (सं.) [सं-पु.] 1. फेंकने, त्यागने, भेजने, रखने, डालने, अर्पण करने की क्रिया या भाव 2. वह धन जो कहीं जमा किया गया हो 3. किसी वस्तु को किसी के पास धरोहर या अमानत के रूप में रखने की क्रिया या भाव 4. धरोहर; अमानत।

निक्षेपक (सं.) [सं-पु.] 1. धरोहर रखने वाला (डिपॉज़िटर) 2. बैंक आदि में रुपया जमा करने वाला; जमाकर्ता 3. वस्तु भेजने वाला। [वि.] फेंकने, चलाने या छोड़ने वाला।

निक्षेपण (सं.) [सं-पु.] 1. कोई चीज़ चलाना, डालना, छोड़ना या फेंकना 2. बैंक आदि में रुपया जमा करना 3. अमानत या धरोहर के रूप में कोई वस्तु किसी के पास रखना।

निक्षेपित (सं.) [वि.] 1. जिसका निक्षेपण किया गया हो; निक्षिप्त 2. लिखवाया हुआ 3. बंधक या धरोहर रखवाया हुआ।

निक्षेपी (सं.) [वि.] 1. निक्षेप करने वाला 2. चलाने, छोड़ने, डालने या फेंकने वाला 3. अमानत या धरोहर के रूप में किसी के पास कुछ रखने वाला।

निक्षेप्ता (सं.) [सं-पु.] निक्षेपक।

निक्षेप्य (सं.) [वि.] 1. चलाए, छोड़े, डाले या फेंके जाने के योग्य 2. जमा किए जाने योग्य 3. अमानत या धरोहर के रूप में रखे जाने योग्य।

निखंड [वि.] दो बिंदुओं या कालों के ठीक बीच में होने वाला; मध्य।

निखटक [क्रि.वि.] बिना किसी संकोच के; बिना किसी भय या आशंका के; बेधड़क; बेखटके।

निखट्टू [वि.] 1. जो किसी काम का न हो; निकम्मा 2. बेकार; बेरोज़गार 3. आरामतलब; आलसी।

निखरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. निर्मल या स्वच्छ होना 2. मैल आदि हटने से रंग-रूप का खिलना 3. पहले से बेहतर स्थिति में होना; परिमार्जित होना।

निखरवाना [क्रि-स.] 1. किसी को कुछ निखारने में प्रवृत्त करना 2. स्वच्छ कराना; साफ़ कराना।

निखात (सं.) [वि.] 1. खोदा हुआ 2. खोदकर निकाला हुआ 3. गाड़ा हुआ 4. जमाया हुआ।

निखार [सं-पु.] 1. निखरने की अवस्था या भाव; स्वच्छता; निर्मलता; सफ़ाई 2. सुंदरता; चारुता 3. चमक; कांति 4. सजावट।

निखारना [क्रि-स.] 1. स्वच्छ या साफ़ करना 2. निर्मल, पवित्र या शुद्ध करना।

निख़ालिस (हिं.+अ.) [वि.] 1. जिसमें कोई दूसरी वस्तु न मिली हो 2. शुद्ध; विशुद्ध 3. पवित्र।

निखिल (सं.) [वि.] 1. अखिल; संपूर्ण 2. सब; सारा; समस्त।

निखोट [वि.] 1. जिसमें कोई खोट न हो; निष्कलंक; दोषरहित 2. बिलकुल शुद्ध; खरा; साफ़ 3. छल-कपट से रहित। [क्रि.वि.] खुलकर एवं स्पष्ट रूप से; खुल्लमखुल्ला; बेखटके।

निखोटना [क्रि-स.] नाख़ून से खोटना या नोचना; नाख़ून से काटना।

निखोड़ा [वि.] 1. कठोर हृदयवाला; निर्दय; क्रूर; निष्ठुर 2. बहुत जल्दी आवेश में आने वाला 3. आवेशयुक्त होकर काम करने वाला।

निगड़ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथी के पाँव को बाँधने का सिक्कड़; आँदू 2. बेड़ी।

निगड़न (सं.) [सं-पु.] 1. ज़ंजीर से बाँधना 2. बेड़ी डालना।

निगण (सं.) [सं-पु.] यज्ञाग्नि या आहुति से उत्पन्न होने वाला धुआँ।

निगद (सं.) [सं-पु.] 1. भाषण; कहना या बोलना 2. कथन; उक्ति 3. ज़ोर-ज़ोर से उच्चरित मंत्र जाप 4. पाठ को समझे बिना उसे रटना।

निगदन (सं.) [सं-पु.] 1. कथन; कहना 2. याद किया हुआ पाठ दोहराना।

निगम (सं.) [सं-पु.] 1. रास्ता; मार्ग 2. हाट; मंडी 3. मेला 4. व्यापारियों का संघ या समूह 5. कायस्थ समाज में एक कुलनाम या सरनेम 6. वेद या उसका कोई भाग 7. नगर 8. किसी नगर का प्रबंधन करने वाली स्थानीय तथा निर्वाचित सदस्यों वाली संस्था; (कॉरपोरेशन)।

निगमन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी संस्था को निगम का रूप देने की क्रिया या भाव 2. (न्याय दर्शन) वह कथन या प्रतिज्ञा जो हेतु, उदाहरण एवं उपनय तीनों से सिद्ध हुई या होती हो 3. वैदिक शब्दों का उद्धरण 4. अंदर जाना।

निगमागम (सं.) [सं-पु.] वेद और शास्त्र।

निगमित (सं.) [वि.] जिसे निगम का रूप दिया गया हो; निगम रूप में परिणत या संघटित।

निगमी (सं.) [वि.] वेद का ज्ञाता; वेदज्ञ।

निगमीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी संस्था को निगम कारूपदेना।

निगमीकृत (सं.) [वि.] निगमित।

निगर (सं.) [सं-पु.] 1. निगलना 2. भक्षण 3. भोजन।

निगरण (सं.) [सं-पु.] 1. निगलने की क्रिया या भाव; भक्षण 2. गला 3. यज्ञाग्नि का धुआँ।

निगरा (सं.) [सं-स्त्री.] मोती के पचपन दाने जिनका वज़न बत्तीस रत्ती के बराबर होता है। [वि.] गन्ने का रस जिसमें जल न मिलाया गया हो।

निगरानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. देख-रेख; निरीक्षण 2. देख-भाल; संरक्षण।

निगलना (सं.) [क्रि-स.] 1. गले से नीचे उतार लेना; लीलना; गटकना 2. {ला-अ.} किसी का धन या संपत्ति हड़प लेना।

निगह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] निगाह; दृष्टि।

निगहबान (फ़ा.) [वि.] निगरानी करने वाला; रखवाला; देख-रेख करने वाला; रक्षक।

निगहबानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] रखवाली; देख-रेख; रक्षा; हिफ़ाज़त।

निगार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रतिमा; मूर्ति 2. नक्काशी; बेल-बूटे युक्त चित्र 3. फ़ारस देश का एक राग। [वि.] 1. लिखने वाला 2. अंकित करने वाला।

निगालिका (सं.) [सं-स्त्री.] आठ अक्षरों का एक वर्णवृत्त।

निगाली [सं-स्त्री.] 1. हुक्के की नली जिसमें मुँह रखकर धुआँ खींचते हैं 2. एक प्रकार का बाँस या बेंत।

निगाह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दृष्टि; नज़र 2. कृपादृष्टि; मेहरबानी 3. पहचान; परख; अवलोकन 4. विचार; समझ।

निगाहबान (फ़ा.) [सं-पु.] चौकीदार; पहरेदार।

निगीर्ण (सं.) [वि.] 1. निगला हुआ 2. समाविष्ट; अंतर्भूत।

निगुंफ (सं.) [सं-पु.] 1. घनी गुँथाई 2. गुच्छा 3. चुस्त रचना।

निगुरा [वि.] 1. जिसने गुरु से दीक्षा न ली हो; अदीक्षित 2. अशिक्षित।

निगूढ़ (सं.) [वि.] 1. जो जल्दी समझ में न आए; दुरूह; दुर्बोध 2. अत्यंत गुप्त; रहस्यपूर्ण 3. छिपा हुआ 4. अव्यक्त; अप्रकट।

निगूहन (सं.) [सं-पु.] गुप्त रखने या छिपाने की क्रिया या भाव; छिपाना; गोपन।

निगृहीत (सं.) [वि.] 1. पकड़ा या गिरफ़्तार किया हुआ 2. जिसपर आक्रमण हुआ हो; आक्रमित 3. वश में लाया हुआ 4. तर्क-वितर्क या वाद-विवाद में पराजित 5. जिसे कष्ट पहुँचा हो; पीड़ित 6. जिसका दमन किया गया हो 7. जिसे दंड मिला हो; दंडित।

निगृहीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पकड़ने या रोकने का भाव 2. आक्रमण 3. तर्क-वितर्क या वाद-विवाद में होने वाली पराजय; पराभव 4. दंड 5. कष्ट।

निगेटिव (इं.) [वि.] 1. नकारात्मक; नकार 2. ऋणात्मक; ऋण; निषेधात्मक; निषेधक; निषेधी 3. अभावात्मक 4. कैमरे द्वारा फ़ोटो खींचने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली फ़िल्म।

निगोड़ा [वि.] 1. जिसके पैर न हों या टूटे हुए हों 2. जिसके आगे-पीछे कोई न हो; अकेला 3. निराश्रित; अभागा (उपहासपरक उक्ति) 4. बुरा; दुष्ट 5. अकर्मण्य; निकम्मा; आलसी 6. {अशि.} गाली के रूप में प्रयुक्त।

निगोड़ी [सं-स्त्री.] 1. निगोड़ा का स्त्रीवाची रूप 2. एक गाली के रूप में प्रयुक्त।

निग्रह (सं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति, वस्तु या आवेग को स्वतंत्रतापूर्वक आचरण करने से रोकने की क्रिया; अवरोध; साधन 2. अभ्यास और वैराग्य द्वारा चित्तवृत्ति का निरोध 3. दमन; उत्पीड़न; सताना 4. दंड; सजा 5. अनुग्रह का अभाव 6. बाँधना; बंधन; (कंट्रोल)।

निग्रहण (सं.) [सं-पु.] 1. रोक-थाम करने की क्रिया 2. युद्ध 3. पराजय; पराभव 4. बंधन 5. दबाने या दंड देने का काम।

निग्रही (सं.) [वि.] 1. निग्रह करने वाला 2. दमन करने वाला 3. नियंत्रण, बंधन या वश में रखने वाला 4. दंड देने वाला।

निग्राहक (सं.) [सं-पु.] प्राचीन काल में एक प्रशासनिक अधिकारी जो अपराधियों को दंड देता था। [वि.] निग्रह करने वाला।

निघ (सं.) [वि.] जिसकी लंबाई और चौड़ाई बराबर हो; वर्गाकार।

निघंटु (सं.) [सं-पु.] 1. वैदिक शब्दों की सूची जिसकी व्याख्या यास्क ने अपने निरुक्त में की है 2. शब्द-संग्रह या शब्दकोश 3. किसी प्राचीन भाषा के अथवा अप्रचलित शब्दों के अर्थ और विवेचन से संबंधित कोश।

निघरघट [वि.] 1. जिसका कोई ठौर-ठिकाना न हो; बेघर 2. बेशरम; बेहया 3. उद्दंड; ढीठ।

निघर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. घर्षण; रगड़; घिसावट 2. पीसने का भाव।

निघर्षण (सं.) [सं-पु.] घर्षण की क्रिया या भाव।

निघात (सं.) [सं-पु.] 1. आघात; प्रहार 2. (संगीत) अनुदात्त स्वर।

निघृष्ट (सं.) [वि.] 1. रगड़ खाया हुआ 2. रगड़ा हुआ 3. पराभूत; पराजित।

निघ्न (सं.) [वि.] 1. अधीन; वशवर्ती 2. आश्रित 3. अवलंबित 4. गुणा किया हुआ; गुणित।

निचय (सं.) [सं-पु.] 1. संचय 2. संचित राशि या समूह 3. किसी कार्य-विशेष के लिए एकत्रित किया जाने वाला धन; (फंड)।

निचला [वि.] नीचे का; नीचे वाला।

निचाई [सं-स्त्री.] 1. नीचे की ओर का विस्तार 2. नीचा होने का भाव; नीचता; नीचापन।

निचान [सं-स्त्री.] 1. ऐसी ज़मीन जो अपेक्षाकृत नीचे की ओर हो 2. ज़मीन, मकान आदि के नीचे की ओर होने की स्थिति।

निचुड़ना [क्रि-अ.] 1. रस से भरी हुई वस्तु को दबाकर उसमें से तरल पदार्थ का निकाला जाना; निचोड़ा जाना 2. सारहीन होना 3. बल या शक्ति निकल जाने से क्षीण होना।

निचोड़ [सं-पु.] 1. निचोड़ने की क्रिया या भाव 2. निचोड़ने से प्राप्त तरल पदार्थ 3. सत्व; सार; सारांश; निष्कर्ष।

निचोड़ना [क्रि-स.] 1. रस से भरी हुई वस्तु को दबाकर या ऐंठकर उसमें से तरल पदार्थ निकालना; गारना 2. सारहीन करना 3. बल या शक्ति निकाल लेना 4. {ला-अ.} किसी का धन या रुपया हरण कर लेना।

निछत्र (सं.) [वि.] 1. जिसके सिर पर छत्र न हो; छत्रहीन 2. राज चिह्न रहित 3. राज्यहीन।

निछावर (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (लोकमान्यता) किसी के सुख-समृद्धि की वृद्धि की कामना से तथा उसे नज़र आदि के दूषित प्रभावों से बचाने के लिए उसके सिर या शरीर के ऊपर से कोई वस्तु घुमाकर उत्सर्ग करना 2. इस प्रकार उत्सर्ग की हुई वस्तु 3. इनाम 4. नेग 5. बलि।

निछोह [वि.] 1. जिसमें किसी के प्रति दया या प्रेम न हो 2. निष्ठुर; निर्दय।

निछोही [वि.] निछोह।

निज (सं.) [वि.] 1. किसी की दृष्टि से स्वयं उसका; अपना 2. प्रधान; मुख्य 3. ठीक 4. यथार्थ। [क्रि.वि.] 1. विशेष रूप से; मुख्यतः 2. निश्चित रूप से।

निजकारी [सं-स्त्री.] 1. बटाई की फ़सल 2. वह ज़मीन जिसके लगान में उस ज़मीन से उत्पन्न फ़सल का कुछ अंश लिया जाए।

निजता (सं.) [सं-स्त्री.] निज का भाव; निजत्व; अपनापन।

निजत्व (सं.) [सं-पु.] 1. अपनापन; निजता 2. अपना भाग।

निजवर्ती (सं.) [वि.] निकट रहने या होने वाला; निकटवर्ती।

निजस्व (सं.) [सं-पु.] अपना भाग या हिस्सा।

निज़ाअ (अ.) [सं-पु.] 1. तकरार; विवाद; झगड़ा 2. दुश्मनी; बैर; शत्रुता।

निज़ाई (अ.) [वि.] 1. जिसके संबंध में विवाद हो; विवादास्पद 2. निज़ाअ संबंधी; निज़ाअ का।

निजात (अ.) [सं-स्त्री.] 1. छुटकारा 2. मोक्ष; मुक्ति।

निज़ाम (अ.) [सं-पु.] 1. प्रबंध; व्यवस्था 2. व्यवस्था क्रम; सिलसिला 3. ब्रिटिश एवं मराठा शासनकाल में हैदराबाद के शासकों की उपाधि।

निज़ामशाही (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. निज़ाम का शासन 2. मध्य युग में निज़ामाबाद में बनने वाला एक प्रकार का बढ़िया कागज़।

निज़ामुद्दीन (अ.) [सं-पु.] 1. चिश्ती घराने के चौथे संत जिन्होंने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की 2. एक मज़ार 3. उक्त संत के नाम पर एक रेलवे स्टेशन।

निजी (सं.) [वि.] 1. व्यक्तिगत; (पर्सनल) 2. अपना; निज 3. किसी समूह के कुछ विशेष लोगों से संबंधित; आपसी 4. गैर-सरकारी; (प्राइवेट)।

निजीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. निजी करने की प्रक्रिया 2. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में उद्योगपतियों की अंशधारिता आधे से अधिक सुनिश्चित करना 3. सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ सेवाओं की ज़िम्मेदारी किसी व्यक्तिगत संस्था या प्रतिष्ठान को सशर्त सौंपना।

निजीसहायक (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति या अधिकारी को उसके कार्यों में सहायता करने वाला व्यक्ति; (पर्सनल असिस्टेंट)।

निझरना [क्रि-अ.] 1. अच्छी तरह से झड़ जाना 2. लगी हुई वस्तु से रिक्त हो जाना 3. सारहीन हो जाना 4. स्वयं को निर्दोष सिद्ध करना।

निटोल [वि.] जो अपने टोल (झुंड या जत्था) से अलग हो गया हो।

निठल्ला [वि.] 1. जिसके पास कोई काम-धंधा न हो; बेरोज़गार; खाली; बेकार 2. जो कोई काम न करता हो 3. आलसी; आरामतलब।

निठल्लू [वि.] निठल्ला।

निठाला [सं-पु.] 1. जीविकोपार्जन हेतु काम-धंधा या रोज़गार का अभाव 2. बेकारी का समय।

निठुर (सं.) [वि.] 1. जिसका हृदय दया, प्रेम, सहानुभूति आदि कोमल भावों से रहित हो 2. जिसे दूसरों के कष्ट से पीड़ा न होती हो 3. पाषाण या कठोर हृदय; निष्ठुर।

निठुरता [सं-स्त्री.] निष्ठुर होने की अवस्था या भाव; दयाहीनता; कठोरता।

निठुराई [सं-स्त्री.] निष्ठुरता; दयाहीनता।

निठौर [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा स्थान; कुठाँव 2. शोचनीय अवस्था; कुदाँव; दुर्दशा। [वि.] जिसका कोई ठौर-ठिकाना न हो।

निडर [वि.] 1. जिसे किसी से डर न लगता हो; निर्भीक 2. साहसी 3. ढीठ।

निडरता [सं-स्त्री.] निडर होने की अवस्था या भाव।

निढाल [वि.] 1. बहुत अधिक थका हुआ; शिथिल; थका-माँदा; अशक्त 2. जो असफल होने पर उत्साह रहित हो गया हो; पस्त।

नितंत (सं.) [वि.] 1. सोया हुआ 2. उपस्थित 3. बसा हुआ।

नितंब (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का कमर से नीचे पीछे का उभरा हुआ गोलाकार मांसल भाग 2. नदी या पर्वत का ढालदार किनारा।

नितल (सं.) [सं-पु.] (पुराण) सात पाताल लोकों में से एक।

नितांत (सं.) [वि.] 1. एकदम; पूरी तरह; सर्वथा बिलकुल 2. बहुत अधिक 3. असाधारण 4. अत्यंत; अत्यधिक।

नित्य (सं.) [वि.] 1. उत्पत्ति और विनाश से रहित; सदा बना रहने वाला; अविनाशी; अनश्वर; अखंड 2. प्रतिदिन किया जाने वाला। [अव्य.] 1. सदा; हमेशा 2. हर रोज़।

नित्यकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिदिन किया जाने वाला कार्य; दैनिक कार्य, जैसे- स्नान, शौच आदि 2. प्रतिदिन किया जाने वाला विहित कर्म (धार्मिक कर्म)।

नित्यचर्या (सं.) [सं-स्त्री.] प्रतिदिन का आचरण या प्रतिदिन नियमित रूप से किया जाने वाला काम; (रुटीन)।

नित्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चिरंतन या नित्य होने का भाव 2. अनश्वरता; अक्षरता; शाश्वतता।

नित्यप्रति (सं.) [अव्य.] 1. हर रोज़; प्रतिदिन 2. हर वक्त।

नित्यशः (सं.) [अव्य.] 1. प्रतिदिन; हर रोज़ 2. हमेशा; सदा।

नित्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा की एक शक्ति 2. मनसादेवी 3. पार्वती।

नित्यानंद (सं.) [सं-पु.] सदा बना रहने वाला आनंद; सदानंद। [वि.] सदैव आनंद से रहने वाला।

नित्यानित्य (सं.) [वि.] नित्य और अनित्य; नश्वर और अनश्वर।

निथरना (सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी द्रव की वह अवस्था जिसमें उसमें घुला या मिला हुआ कोई ठोस पदार्थ उसके तल में बैठ जाए 2. उक्त के फलस्वरूप द्रव का स्वच्छ होना।

निथारना [क्रि-स.] 1. दो या दो से अधिक तत्वों के मिश्रित रूप को पृथक करना 2. पानी या किसी अन्य तरल पदार्थ को इस रूप में लाना कि उसमें घुला हुआ मैल नीचे बैठ जाए।

निदर्श (सं.) [सं-पु.] नमूना; नमूने की वस्तु; (मॉडल)।

निदर्शक (सं.) [वि.] निदर्शन करने वाला; दिखलाने-बतलाने वाला; प्रदर्शित करने वाला।

निदर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. दिखाने की क्रिया; प्रदर्शन 2. नमूना; उदाहरण 3. किसी मूल कथन को सिद्ध करने के लिए बनाया गया चित्र।

निदर्शना (सं.) [सं-स्त्री.] एक अर्थालंकार जिसमें उपमेय और उपमान में समानता का आरोप करके दोनों में बिंब-प्रतिबिंब भाव प्रकट किया जाता है।

निदान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी क्रिया का आदि कारण या मूल कारण 2. शरीर में उत्पन्न रोग की पहचान तथा उसके कारण का निश्चय करना; (डायग्नोसिस)।

निदान यंत्र (सं.) [सं-पु.] किसी रोग के निदान हेतु शल्य-क्रिया में प्रयुक्त उपकरण एवं यंत्र।

निदानशास्त्र (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें रोगों की पहचान एवं निदान का विवेचन होता है।

निदानात्मक (सं.) [वि.] निदान से संबंधित; चिकित्सा संबंधी।

निदिग्ध (सं.) [वि.] 1. जिसपर लेप किया गया हो; थोपा या लीपा हुआ 2. प्रवर्द्धित।

निदिग्धा (सं.) [सं-स्त्री.] इलायची; इला फल।

निदिग्धिका (सं.) [सं-स्त्री.] इलायची।

निदिध्यासन (सं.) [सं-पु.] 1. अनवरत (लगातार) चिंतन 2. निरंतर किसी का स्मरण करना।

निदिष्ट (सं.) [वि.] जो दिया गया हो (निदेश/आदेश); निदर्शित; आदिष्ट।

निदेश (सं.) [सं-पु.] 1. निर्देश; कोई कार्य या उसे करने का विधि संबंधी आदेश 2. किसी आज्ञा, नियम, निश्चय आदि के संबंध में लगाई हुई कोई शर्त या बंधन (विशेष ढंग से कार्य करने का आदेश) 3. नियत कार्य; कार्यभार 4. विक्रय-पत्र 5. उक्ति; कथन; बातचीत।

निदेशक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य संपादन के विषय में कब, कहाँ, कैसे आदि से संबंधित निदेश या आदेश देने वाला अधिकारी 2. नाटक या चलचित्र आदि में पात्रों की वेषभूषा, कथोपकथन, आदि से संबद्ध निर्णय तथा व्यवस्था करने वाला व्यक्ति।

निदेशकमंडल (सं.) [सं-पु.] किसी संस्था को संचालित करने वाले निदेशकों का निकाय; (बोर्ड ऑव डायरेक्टर्स)।

निदेशन (सं.) [सं-पु.] निदेश करने या देने की क्रिया; निर्देशन; (डायरेक्शन)।

निदेशात्मक (सं.) [वि.] आदेशात्मक; आदेश से संबंधित।

निदेशालय (सं.) [सं-पु.] 1. वह केंद्रीय कार्यालय, जहाँ से अधीनस्थ कार्यकर्ताओं को उनके कामों के संबंध में आवश्यक निर्देश भेजे जाते हैं 2. किसी संस्था के निदेशन करने वालों का वर्ग या समूह; (डायरेक्टरेट) 3. निदेशक का कार्यालय।

निदेशिका (सं.) [सं-स्त्री.] किसी प्रदेश या स्थान आदि के प्रमुख व्यक्तियों, संस्थाओं आदि का नाम, पता तथा अन्य विवरण देने वाली पुस्तक; दिग्दर्शिका।

निदेशित (सं.) [वि.] निदेश किया हुआ; जिसका निदेश हुआ हो।

निदेशी (सं.) [वि.] आज्ञा देने वाला।

निदेष्टा (सं.) [वि.] निदेश करने वाला।

निद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] प्राणियों की वह शारीरिक अवस्था जिसमें वह विश्राम के निमित्त कुछ समय तक आँखें बंद कर निश्चेष्ट पड़े रहते हैं और उन्हें बाह्य जगत की चेतना नहीं रह जाती; नींद।

निद्राचार (सं.) [सं-पु.] निद्रा-ग्रस्त रहते हुए भी घूमना-फिरना या अन्य कार्य करना; नींद में उठकर चल देना; एक प्रकार का रोग।

निद्राजनक (सं.) [वि.] निद्रा उत्पन्न करने वाला; निद्राकर।

निद्राण (सं.) [वि.] 1. जो सो रहा हो; सोता हुआ 2. जिसकी आँखें मुँदी हुई हों।

निद्रायमाण (सं.) [वि.] 1. जो निद्रित अवस्था में हो 2. जो सो रहा हो; सोया हुआ।

निद्रालु (सं.) [वि.] 1. जो निद्रा में हो या सो रहा हो 2. जिसे बहुत नींद आ रही हो।

निद्रित (सं.) [वि.] जो सोया हो या निद्रा में डूबा हो; सुप्त।

निधड़क [क्रि.वि.] 1. बेधड़क; बेखटके; निःशंक होकर 2. बिना रुके; बिना हिचके।

निधन (सं.) [सं-पु.] 1. मृत्यु; मरण 2. समाप्ति; अंत 3. जन्म कुंडली में लग्न से आठवाँ स्थान 4. (ज्योतिष) जन्म नक्षत्र से सातवाँ, सोलहवाँ एवं तेईसवाँ नक्षत्र। [वि.] निर्धन; गरीब; वित्तहीन।

निधान (सं.) [सं-पु.] 1. रखने या स्थापित करने का भाव; रखना; स्थापित करना 2. वह स्थान या पात्र जिसमें कुछ स्थापित हो; आश्रय; आधार 3. भंडार; खज़ाना; निधि।

निधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खज़ाना; कोष 2. पूँजी 3. कुबेर के नौ रत्न 4. कार्य विशेष के लिए अलग से रखा हुआ धन 5. समुद्र।

निधिपाल (सं.) [सं-पु.] निधि या संपत्ति की देख-रेख करने वाला; जिसकी देख-रेख में कोई निधि या संपत्ति हो; निधि रक्षक; कोषागार का प्रहरी।

निधीश (सं.) [सं-पु.] 1. निधियों के स्वामी; कुबेर 2. वह व्यक्ति जिसके संरक्षण में कोई वस्तु या निधि रखी गई हो।

निधीश्वर (सं.) [सं-पु.] निधीश; कुबेर।

निध्यात (सं.) [वि.] जिसपर मनन किया गया हो; विचारित।

निध्यान (सं.) [सं-पु.] 1. ध्यान करना; मनन करना 2. निदर्शन; देखना; दर्शन।

निध्वान (सं.) [सं-पु.] ध्वनि; शब्द।

निनंक्षु (सं.) [वि.] जो भागना या मरना चाहता हो।

निनदी (सं.) [वि.] जिससे शब्द उत्पन्न हो रहा हो; शब्द उत्पन्न करने वाला।

निनाद (सं.) [सं-पु.] 1. उच्च आवाज़ 2. शब्द।

निनादित (सं.) [वि.] 1. आवाज़ करता हुआ; शब्दित; ध्वनित 2. शब्द से भरा हुआ; गुंजायमान।

निनावाँ [सं-पु.] जीभ, तालू, गला आदि में निकलने वाले छोटे-छोटे लाल दाने जिससे पीड़ा होती है; छाले।

निन्यानवे [वि.] संख्या '99' का सूचक।

निपट [क्रि.वि.] 1. केवल; निरा; विशुद्ध 2. बिलकुल; सरासर; नितांत 3. अलग; बहुत।

निपटना [क्रि-अ.] 1. निवृत्त होना; फुरसत पाना; छुटकारा पाना 2. किसी कार्य का पूर्णतया समाप्त होना; निःशेष होना 3. झगड़ा आदि का निपटाया जाना; फ़ैसला होना 4. निपटारा करने के लिए किसी से लड़ना-झगड़ना 5. समाप्त होना 6. शौच, स्नान आदि दैनिक कार्यों से निवृत्त होना 7. ऋण आदि का चुकता होना।

निपटान [सं-पु.] निपटने की क्रिया या भाव; निपटना; निवृत्त होना।

निपटाना [क्रि-स.] 1. कार्य आदि पूर्ण या संपादित करना 2. दो व्यक्तियों का अथवा परस्पर का झगड़ा समाप्त करना 3. ऋण, देन आदि चुकाना 4. न्याय करना; विवाद का समाधान करना 5. कार्य समापन करना; कार्यान्वयन करना।

निपटारा [सं-पु.] 1. निपटाने या निपटने की स्थिति; (सेटिल्मेंट) 2. फ़ैसला; निर्णय 3. अंत; समाप्ति 4. समाधान।

निपतन (सं.) [सं-पु.] ऊपर से नीचे की ओर आना; उतरना; गिरना; निपात; पतन।

निपतित (सं.) [वि.] जिसका पतन हुआ हो; गिरा हुआ; नीचे उतरा हुआ।

निपत्र (सं.) [वि.] जिसमें या जिसपर पत्ते न हों (पौधा या वृक्ष); पत्रहीन; ठूँठा।

निपाक (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक पक जाना 2. परिपक्व होना 3. किसी बुरे कार्य का परिणाम।

निपात (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे गिरने की क्रिया, अवस्था या भाव; अधःपतन 2. पतन; गिरना 3. मृत्यु; विनाश 4. आक्रमण 5. फेंकना; चलाना 6. (व्याकरण) वह उपपद जिसके प्रयोग से वाक्य का अर्थ प्रभावित होता है, जैसे- ही, भी।

निपातक (सं.) [सं-पु.] दूषित या बुरा कर्म; दुष्कर्म; पाप।

निपातन (सं.) [सं-पु.] 1. गिराने की क्रिया या भाव; गिराने का कार्य 2. मार डालने या वध करने की क्रिया या भाव; हत्या; मारना; पीटना 3. ध्वंस; नाश; विनाशन।

निपातित (सं.) [वि.] 1. गिराया हुआ 2. हत; वध या नष्ट किया हुआ 3. अनियमित रूप से निर्मित।

निपाती (सं.) [वि.] 1. निपात करने या गिराने वाला 2. मार डालने वाला।

निपान (सं.) [सं-पु.] 1. कुआँ; कूप 2. पशुओं के जल पीने के लिए कुएँ के समीप निर्मित हौज 3. जल एकत्र करने के निमित्त निर्मित गड्ढा 4. दूध दुहने का बरतन 5. आश्रय स्थल 6. इस प्रकार पीना कि कुछ शेष न रहे; निःशेष (अशेष)।

निपीड़क (सं.) [वि.] 1. पीड़ादायक; कष्टदायक 2. निचोड़ने या पेरने वाला 3. मलने या दबाने वाला।

निपीड़न (सं.) [सं-पु.] 1. पीड़ित करने की क्रिया या भाव; कष्ट देना 2. निचोड़ना 3. पेरना 4. मलना या दबाना 5. पसेव (वह तरल पदार्थ जो कच्ची अफ़ीम को सुखाने के समय उसमें से निकलता है) निकालना; पसाना।

निपीत (सं.) [वि.] 1. पान किया हुआ; जो पी लिया गया हो 2. सोखा हुआ; शोषित।

निपीति (सं.) [सं-स्त्री.] पीने की क्रिया या भाव; पान।

निपुण (सं.) [वि.] 1. अनुभव और अभ्यास के द्वारा किसी काम को विशेष रूप से अच्छी तरह से करने वाला; योग्य 2. दक्ष; चतुर; प्रवीण; कुशल।

निपुणता (सं.) [सं-स्त्री.] निपुण होने की अवस्था; कुशलता; प्रवीणता; दक्षता; चतुराई।

निपूत (सं.) [वि.] जिसके पुत्र न हो; पुत्रहीन; निपूता।

निपूती [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जिसको पुत्र न हुआ हो 2. पुत्रहीन स्त्री 3. {अशि.} स्त्रियों के लिए प्रयुक्त एक गाली।

निपोड़ना [क्रि-स.] दे. निपोरना।

निपोरना [क्रि-स.] (दाँत) दिखाना या दिखलाना।

निफरना (अ.) [क्रि-अ.] स्पष्ट होना; खुलना।

निफ़ाक (अ.) [सं-पु.] 1. एकता का अभाव; फूट 2. दुश्मनी; शत्रुता; बैर।

निफालन (स.) [सं-पु.] देखने की क्रिया या भाव; देखना; अवलोकन।

निब (इं.) [सं-स्त्री.] पेन या कलम के अग्र भाग में लगी हुई धातु निर्मित नुकीली चीज़ जो लिखने में सहायक होती है।

निबंध (स.) [सं-पु.] 1. किसी विषय के संपूर्ण अंगों पर मौलिक रूप से क्रमबद्ध, सविस्तार लिखा गया विवरणात्मक लेख 2. अच्छी तरह बाँधने की क्रिया या भाव 3. किसी वस्तु को किसी के साथ जोड़ना या बाँधना; बंधन।

निबंधक (सं.) [सं-पु.] निबंधन या पंजीयन करने वाला अधिकारी; (रजिस्ट्रार)।

निबंधन (स.) [सं-पु.] 1. बाँधने की क्रिया या भाव; बंधन 2. नियमों आदि में बाँध कर रखना; व्यवस्था 3. रोकना; अवरोध 4. कर्तव्य आदि के रूप में होने वाला बंधन 5. लगाव या बंधन का आश्रय; आधार 6. कारण; हेतु 7. लेखों आदि के प्रामाणिक होने के लिए राजकीय पंजी में चढ़ाया जाना; पंजीयन; (रजिस्ट्रेशन)।

निबंधित (स.) [वि.] जिसका निबंधन किया जा चुका हो; निबद्ध।

निबकौरी [सं-स्त्री.] नीम का फल; निबौरी।

निबटाना [क्रि-स.] 1. कार्य आदि पूर्ण करना; समाप्त करना; ख़तम करना 2. ऋण आदि चुका देना 3. झगड़ा, विवाद आदि का फ़ैसला करना; निर्णय करना; तय करना।

निबद्ध (सं.) [वि.] 1. बँधा हुआ 2. जुड़ा हुआ; संबंद्ध 3. गुँथा हुआ; गुंफित 4. जड़ा या लगाया हुआ 5. रोका हुआ; अवरुद्ध 6. लिखा हुआ; लिखित; रचित 7. वह लेख या समझौता जिसे प्रामाणिक करने के लिए राजकीय पंजी में चढ़ा दिया गया हो; पंजीबद्ध; पंजीकृत (रजिस्टर्ड)।

निबरना [क्रि-अ.] 1. बंधन या लगाव से मुक्ति पाना; छूटना 2. परस्पर मिली हुई वस्तुओं का अलग होना 3. छुटकारा पाना; निज़ात पाना 4. निवृत्त होना; फुरसत पाना 5. पूरा होना; निभना 6. कष्ट; बंधन आदि से मुक्त होना; उबरना 7. समाप्त होना; मिट जाना।

निबारना [क्रि-स.] 1. किसी झगड़े आदि को होने से रोकना; निवारण करना 2. मना करना।

निबाह [सं-पु.] निर्वाह।

निबाहना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी के साथ संबंधों का निर्वाह करना; साथ देना; निभाना 2. निस्तार करना; छुड़ाना 3. चालू रखना।

निबेड़ना [क्रि-स.] 1. बंधनरहित करना; मुक्त करना; छुड़ाना 2. परस्पर मिली हुई वस्तुओं को अलग-अलग करना; छाँटना 3. उलझन दूर करना; सुलझाना; निपटाना; फ़ैसला करना 4. छोड़ना; त्यागना 5. पूरा करना; समाप्त करना 6. वसूल करना।

निबेड़ा [सं-पु.] 1. कष्ट, विपत्ति आदि से होने वाला उद्धार; त्राण; बचाव 2. परस्पर मिली हुई वस्तुओं को छाँटकर अलग करना 3. विवाद आदि का फ़ैसला; सुलझाव; निर्णय; निबटारा।

निबोध (सं.) [सं-पु.] 1. सीखना 2. समझना 3. समझाना; बतलाना।

निबोधन (सं.) [सं-पु.] कोई कार्य समझने या समझाने अथवा सीखने या सिखलाने की क्रिया।

निबौरी [सं-स्त्री.] नीम का फल; निबकौरी; नोबौली।

निबौली [सं-स्त्री.] निबौरी।

निभना [क्रि-अ.] 1. पारस्परिक संबंधों में कोई व्यवधान न आना; सौहार्दपूर्ण व्यवहार बने रहना 2. किसी प्रतिज्ञा, वचन, आदेश आदि का पूरा होना या उनका पालन होना 3. परिस्थिति के अनुरूप अपने को ढालकर रखना 4. व्यक्ति का अपने कार्य या व्यवहार आदि में खरा उतरना।

निभागा [वि.] भाग्यहीन; अभागा।

निभाना [क्रि-स.] 1. पारस्परिक संबंधों में कोई व्यवधान न आने देना; सौहार्दपूर्ण व्यवहार बनाए रखना 2. किसी प्रतिज्ञा, वचन, आदेश आदि को पूरा करना या उनका पालन करना 3. परिस्थिति के अनुरूप अपने को ढालकर समय बिताना।

निभाव [सं-पु.] 1. निभने या निभाने की क्रिया या भाव 2. कठिनाई से सहनशीलता-पूर्वक किया जाने वाला निर्वाह; निबाह 3. परंपरा या प्रतिज्ञा आदि का किया जाने वाला पालन।

निभूत (सं.) [वि.] 1. बीता हुआ; गत; भूत 2. अत्यधिक डरा हुआ; अति भयभीत।

निभृत (सं.) [वि.] 1. निर्जन; अकेला 2. गुप्त; बंद 3. रखा हुआ 4. भरा हुआ; परिपूर्ण 5. दृढ़संकल्प; अटल; स्थिर 6. धीर; शांत।

निमंत्रण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य, उत्सव आदि में सम्मलित होने के लिए आदरपूर्वक आग्रह; बुलावा; न्योता 2. भोजन के लिए दिया जाने वाला न्योता; दावत।

निमंत्रणपत्र (सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसमें किसी कार्य या उत्सव आदि में सम्मिलित होने का निवेदन किया गया हो।

निमंत्रित (सं.) [वि.] जिसको निमंत्रण दिया गया हो; जिसे बुलाया गया हो; आमंत्रित; आहूत।

निमकी [सं-स्त्री.] 1. नीबू का अचार 2. छोटी टिकिया के आकार का एक प्रकार का मठरी जैसा नमकीन।

निमकौड़ी [सं-स्त्री.] नीम का फल या उसकी गुठली।

निमग्न (सं.) [वि.] किसी कार्य या भाव में पूरी तरह डूबा हुआ; मग्न; तन्मय; लीन; गर्क।

निमज्जन (सं.) [सं-पु.] 1. गोता या डुबकी लगाकर स्नान करना; अवगाहन करना 2. किसी वस्तु को किसी तरल पदार्थ में डुबाने की क्रिया 3. किसी विषय में लीन या निमग्न होना।

निमज्जित (सं.) [वि.] 1. गोता लगाकर नहाया हुआ; स्नात 2. डूबा हुआ; निमग्न 3. डुबाया हुआ।

निमान (सं.) [सं-पु.] 1. नीचा या ढलवाँ स्थान; ढाल 2. जलाशय; पोखर 3. माप। [वि.] 1. नीचा 2. ढालू।

निमाना (सं.) [वि.] 1. नीचे की ओर उन्मुख; नीचा 2. सबसे डरकर और दबकर रहने वाला 3. नम्र; विनयशील।

निमित्त (सं.) [सं-पु.] 1. वह कार्य या बात जो किसी दूसरे कार्य या बात का साधन हो; हेतु; कारण 2. वह व्यक्ति जो नाममात्र के लिए कोई काम कर रहा हो जबकि उसे कार्य करवाने या प्रेरणाशक्ति देने वाला कोई और होता है; माध्यम 3. चिह्न; लक्षण 4. शकुन 5. प्रयोजन; लक्ष्य 6. बहाना। [अव्य.] किसी काम या बात के उद्देश्य या विचार से; के लिए; वास्ते, जैसे- बच्चों की उच्च शिक्षा के निमित्त संरक्षित राशि।

निमित्तक (सं.) [वि.] 1. जो निमित्त मात्र हो 2. उत्पन्न; जनित।

निमिष (सं.) [सं-पु.] 1. पलक झपकने की क्रिया 2. पलक झपकने में लगने वाला समय 3. क्षण; पल।

निमिषांतर (सं.) [सं-पु.] पल भर का अंतर।

निमीलन (सं.) [सं-पु.] 1. पलक गिराना या झपकाना 2. एक बार पलक गिरने में लगने वाला समय; निमिष 3. सदैव के लिए आँखें बंद होना; मृत्यु 4. खग्रास ग्रहण।

निमीलित (सं.) [वि.] 1. मुँदे हुए या बंद किए हुए नेत्र 2. जो खुला न हो; बंद, जैसे- निमीलित कपाट 3. छिपा या छिपाया हुआ; लुप्त 4. जो जड़ या सुन्न हो गया हो।

निमुँहा [वि.] 1. जो कुछ कहने या बोलने की आवश्यकता होने पर भी चुप रहता हो; लज्जा आदि के कारण जिसे बोलने का साहस न हो; जो दृढ़तापूर्वक कुछ बोल न सके; चुप रहने वाला 2. बिना कुछ बोले अत्याचार सहने वाला।

निमेय (सं.) [सं-पु.] विनिमय; आदान-प्रदान; अदला-बदली (वस्तुओं की)।

निमेष (सं.) [सं-पु.] 1. पलक का झपकना 2. पलक झपकने भर का समय या क्षण; पल।

निमेषक (सं.) [सं-पु.] 1. पलक 2. एक कीट जिसके पिछले भाग से रात के समय प्रकाश टिमटिमाता है; जुगनू; खद्योत।

निमोना [सं-पु.] हरे चने या मटर को पीसकर तैयार किया हुआ मसालेदार दाल जैसा व्यंजन।

निमोनिया (इं.) [सं-पु.] फेफड़ों में विषाणु के संक्रमण से होने वाली एक प्रकार की बीमारी; फेफड़ों में होने वाली सूजन या प्रदाह जिसके आम लक्षणों में खाँसी, सीने में दर्द, बुख़ार और साँस लेने में कठिनाई होती है।

निम्न (सं.) [वि.] 1. नीचा; निचला 2. जो सामान्य तल या धरातल से नीचे स्तर का हो; गहरा 3. जो पद, वर्ग, स्थिति आदि की दृष्टि से नीचे स्तर का हो 4. जिसकी तीव्रता, वेग आदि साधारण से कम हो।

निम्नतम (सं.) [वि.] 1. ऊँचाई के क्रम में सबसे नीचा 2. तापमान के संदर्भ में सबसे निचला (बिंदु) 3. परिमाण या मात्रा आदि के संदर्भ में सबसे कम 4. मूल्य के संदर्भ में न्यूनतम (मूल्य)।

निम्नतर (सं.) [वि.] निम्न और निम्नतम के मध्य का।

निम्नलिखित (सं.) [वि.] नीचे लिखा हुआ; निम्नांकित।

निम्नवत (सं.) [वि.] नीचे के समान या जैसा; जैसा नीचे लिखा है; निम्नलिखित।

निम्नवर्ग (सं.) [सं-पु.] वह वर्ग जो सामाजिक एवं आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत पिछड़ा हो; निचला वर्ग।

निम्नश्रेणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निम्नवर्ग 2. सबसे छोटी कक्षा 3. परीक्षाफल आदि के संदर्भ में अंतिम श्रेणी 4. रेल या हवाई यात्रा के संदर्भ में न्यूनतम किराए वाली श्रेणी या सीट।

निम्नस्तरीय (सं.) [वि.] 1. निचले स्तर का; निम्न स्तर से संबद्ध 2. सामान्य से कम गुणवत्ता वाला; घटिया।

निम्नांकित (सं.) [वि.] नीचे अंकित या लिखा हुआ; अधोलिखित; निम्नलिखित।

निम्नोक्त (सं.) [वि.] जो नीचे उक्त हो; जो नीचे कहा गया हो।

निम्नोन्नत (सं.) [सं-पु.] चित्रकला में आवश्यकतानुसार प्रदर्शित ऊँचाई और निचाई; नतोन्नत; (रिलीफ़)। [वि.] ऊँचा-नीचा; उबड़-खाबड़; विषम।

निम्लोच (सं.) [सं-पु.] सूर्य का अस्त होना; सूर्यास्त।

नियंतव्य (सं.) [वि.] 1. जिसे नियंत्रित किया जा सके; जिसका नियमन किया जा सके 2. नियमन करने योग्य।

नियंता (सं.) [सं-पु.] 1. नियम बनाने वाला व्यक्ति 2. नियंत्रण करने वाला व्यक्ति; शासक 3. ईश्वर। [वि.] 1. नियम बनाने वाला 2. नियमों के अनुसार संचालन करने वाला 3. शासन करने वाला 4. व्यवस्था करने वाला; प्रबंधक 5. चलाने वाला; संचालक।

नियंत्रक (सं.) [सं-पु.] 1. नियंत्रण करने या रखने वाला व्यक्ति 2. शासनकर्ता; प्रबंधक 3. नियमानुसार संचालन करने वाला व्यक्ति; संचालक।

नियंत्रण (सं.) [सं-पु.] 1. नियम में बाँधना; वश में रखना; किसी के अमर्यादित व्यवहार या स्वच्छंदता पर अंकुश लगाना 2. देश या समाज की कानून-व्यवस्था, अर्थव्यवस्था आदि से संबद्ध विशृंखलता पर रोक लगाना 3. शासन द्वारा निश्चित मूल्य पर दैनिक उपभोग की वस्तुओं की उपलब्धता सभी तक सुनिश्चित कराना; (कंट्रोल)।

नियंत्रणकर्ता (सं.) [सं-पु.] वह जो किसी व्यवस्था का संचालन तथा नियंत्रण करता हो; नियंत्रक।

नियंत्रण रेखा (सं.) [सं-स्त्री.] अधिकार सीमा से संबद्ध विवादों में उलझे राष्ट्रों या राज्यों के बीच अंतिम फ़ैसला होने तक मानी गई अस्थायी सीमारेखा; (लाइन ऑव कंट्रोल)।

नियंत्रणाधीन (सं.) [वि.] किसी के नियंत्रण में रहने वाला।

नियंत्रित (सं.) [वि.] 1. जिसका कार्य या व्यापार प्रतिबंध द्वारा सीमित कर दिया गया हो 2. नियंत्रण में रखा हुआ; प्रतिबद्ध।

नियत (सं.) [वि.] 1. निश्चित; मुकर्रर 2. समझौते आदि के द्वारा तय किया हुआ; ठहराया हुआ 3. नियम, प्रथा या बंधन से निश्चित किया हुआ; संयत; विहित 4. काम पर लगाया हुआ नियोजित; नियुक्त; तैनात।

नियतन (सं.) [सं-पु.] किसी के लिए भूमि, मकान, कक्ष या स्थान आदि निर्धारित करना; आवंटन।

नियतांक (सं.) [सं-पु.] नियत किया हुआ अंक।

नियतात्मा (सं.) [वि.] अपनी इंद्रियों को वश में रखने वाला; जितेंद्रिय; संयमी।

नियताप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] (नाट्यशास्त्र) 1. नाटक की पाँच अवस्थाओं में से एक जिसमें फल की प्राप्ति सुनिश्चित हो जाती है 2. नाटक में वह स्थिति जिसमें अन्य उपायों को छोड़कर एक ही उपाय से कार्य सिद्ध होने पर विश्वास प्रकट किया जाता है।

नियति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नियत होने की अवस्था या भाव; ईश्वरीय शक्ति द्वारा पहले से ही रचित वह बात जो अवश्य होकर रहे; होनी; (डेस्टिनी) 2. भाग्य; किस्मत; प्रारब्ध।

नियतिवाद (सं.) [सं-पु.] (दर्शनशास्त्र) वह विचारधारा या सिद्धांत जिसमें यह मान्यता है कि संसार में जो कुछ होता है वह सब ईश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित रहता है तथा जिसे किसी प्रकार से टाला नहीं जा सकता; (डिटरमिनिज़्म)।

नियम (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य को करने की रीति या विधि 2. आचार-व्यवहार का शास्त्रानुसार विधान 3. किसी चीज़ का निश्चित या बँधा हुआ कर्म; परंपरा; दस्तूर; कायदा 4. तरीका; ढंग 5. सिद्धांत 6. वे निश्चित बातें जिनके अनुसार राज्य, संस्थाएँ, संस्थान आदि चलाए जाते हैं 7. योग के आठ अंगों में से एक 8. एक अर्थालंकार।

नियमतः (सं.) [क्रि.वि.] नियम के अनुसार; नियमानुसार।

नियमन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय या कार्य को नियमों में बाँधने की क्रिया 2. अनुशासन में रखने का कार्य 3. नियमबद्ध करना 4. दमन; निग्रह; नियंत्रण।

नियमबद्ध (सं.) [वि.] 1. नियमों से बँधा हुआ 2. नियमों के अनुसार चलने या होने वाला; नियमानुकूल।

नियमानुकूल (सं.) [क्रि.वि.] नियमानुसार; विधि के अनुसार; नियमानुरूप।

नियमानुसार (सं.) [क्रि.वि.] 1. नियम के अनुसार 2. नियत परिपाटी या विधि से; नियमानुकूल।

नियमावली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी संस्था, सभा आदि के संचालन से संबंधित नियमों की सूची या संग्रह 2. किसी संस्था या संस्थान के सदस्यों और कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन के लिए नियमों की जानकारी देने वाली पुस्तिका।

नियमित (सं.) [वि.] 1. बराबर या ठीक समय पर होने वाला 2. नियमों से बँधा हुआ; नियमबद्ध; निश्चित 3. नियम, कायदे या कानून के अनुसार बना हुआ; बाकायदा।

नियमित स्तंभ (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) पत्र-पत्रिका में नियत समय पर नियमित रूप से प्रकाशित होने वाला स्तंभ; स्थायी स्तंभ।

नियाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रार्थना; निवेदन; गुज़ारिश 2. आरज़ू; कामना 3. परिचय; जान-पहचान 4. मुलाकात; साक्षात। [सं-स्त्री.] 1. भेंट; चढ़ावा 2. मृत्यु के पश्चात दान के उद्देश्य से दरिद्रों को भोजन आदि देना; फ़ातिहा।

नियाज़ी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रिय; प्रेमी 2. मित्र।

नियामक (सं.) [वि.] 1. नियम बनाने वाला 2. व्यवस्था या प्रबंध करने वाला 3. नियंता; विधायक। [सं-पु.] 1. माँझी; मल्लाह 2. सारथी।

नियामत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ईश्वर की देन; ईश्वर का दिया हुआ सुख और वैभव 2. बहुत अच्छा; बहुमूल्य या दुर्लभ पदार्थ 3. उत्तम व्यंजन; स्वादिष्ट खाना 4. धन-दौलत; संपत्ति।

नियार [सं-पु.] सुनारों की दुकानों का कूड़ा-कचरा जिसमें से न्यारिए बहुमूल्य धातु सोना, चाँदी आदि के कण बीनते हैं।

नियुक्त (सं.) [वि.] किसी काम पर लगाया हुआ; तैनात या मुकर्रर किया हुआ; जो किसी पद पर रखा गया हो; नियोजित।

नियुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पद या कार्य के लिए तैनाती; मुकर्ररी 2. नियुक्त करना या होना।

नियुक्तिपत्र (सं.) [सं-पु.] किसी संस्था या सेवा में कार्यभार ग्रहण करने के निमित्त मिलने वाला पत्र; (अपॉइंटमेंट लेटर)।

नियोक्ता (सं.) [वि.] 1. नियोजित या नियुक्त करने वाला 2. लगाने या जोतने वाला 3. नियोग करने वाला।

नियोग (सं.) [सं-पु.] 1. नियोजित या नियुक्त करने की क्रिया 2. लगाना; जोतना 3. आज्ञा; आदेश 4. प्रवृत्त करना; प्रवर्तन; प्रेरणा 5. प्राचीन भारत की एक परंपरा जिसके अनुसार पति से संतान न होने पर स्त्री संतानोत्पत्ति हेतु किसी अन्य पुरुष से संभोग कर सकती थी।

नियोगी (सं.) [वि.] 1. जो नियुक्त किया गया हो 2. जिसे कोई पद या अधिकार दिया गया हो 3. किसी स्त्री के साथ नियोग करने वाला 4. बंगालियों में एक कुलनाम या सरनेम।

नियोग्य (सं.) [वि.] नियोग किए जाने योग्य। [सं-पु.] प्रभु; मालिक; स्वामी।

नियोजक (सं.) [सं-पु.] वह जो दूसरों को किसी काम पर लगाता हो; तैनात करने वाला; नियोजित करने वाला।

नियोजन (सं.) [सं-पु.] 1. नियुक्त करने की क्रिया; वेतन या मज़दूरी देकर किसी को किसी काम पर नियुक्त करना अथवा कराना; तैनात करना 2. सेवा-योजन।

नियोजित (सं.) [वि.] 1. जो वेतन या मज़दूरी पर दफ़्तर कारख़ाने आदि में काम पर नियुक्त हो; नियुक्त किया हुआ 2. प्रवृत्त किया हुआ।

नियोज्य (सं.) [वि.] 1. नियोजित करने योग्य 2. जो नियुक्त किया जाए। [सं-पु.] 1. नौकर; सेवक 2. कर्मचारी।

निरंकार (सं.) [सं-पु.] निराकार (ब्रह्म)।

निरंकुश (सं.) [वि.] 1. जिसके लिए कोई अंकुश या प्रतिबंध न हो 2. जो अंकुश या प्रतिबंध न माने; मनमाना आचरण करने वाला; वश में न रहने वाला; बेकाबू; स्वेच्छाचारी; अनियंत्रित।

निरंकुशता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निरंकुश होने की अवस्था; मनमाना आचरण; स्वेछाचारिता 2. तानाशाही।

निरंकुश शासन (सं.) [सं-पु.] वह शासन व्यवस्था जिसमें समस्त अधिकार ऐसे व्यक्ति के हाथ में हों जिसपर निर्वाचित या मनोनीत जनप्रतिनिधियों का कोई नियंत्रण न हो; स्वेच्छाचारी शासन; तानाशाही।

निरंग1 [वि.] 1. जिसका या जिसमें कोई रंग न हो; रंगहीन 2. बदरंग; फीका।

निरंग2 (सं.) [वि.] 1. जिसका या जिसमें कोई अंग न हो; अंगहीन 2. मिलावट रहित; खालिस; शुद्ध।

निरंजन (सं.) [वि.] 1. जिसमें अंजन अर्थात माया का लेश भी न हो; अंजनरहित 2. माया, मोह आदि से निर्लिप्त 3. सभी प्रकार के दुर्गुणों व दोषों से रहित; निर्दोष। [सं-पु.] 1. निर्गुण ब्रह्म 2. शिव।

निरंजना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पूर्णिमा 2. दुर्गा 3. गया तीर्थ के पास स्थित एक नदी।

निरंजनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आरती के लिए जलाए जाने वाले दीपक का आधार-पात्र 2. आरती। [वि.] 1. निरंजन संबंधी 2. ईश्वर के निरंजन स्वरूप का उपासक 3. निरंजनी संप्रदाय वालों का अनुयायी (साधु)।

निरंतर (सं.) [क्रि.वि.] 1. सदा; हमेशा 2. लगातार; बिना किसी अंतराल के। [वि.] 1. जिसके बीच में अंतर न पड़े; जिसका क्रम टूटा न हो; अखंड 2. लगातार होने वाला 3. सदा बना रहने वाला; अक्षय; स्थायी 4. भेदरहित; अभिन्न।

निरंतरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी काम या बात के निरंतर अर्थात लगातार होते रहने की अवस्था; सातत्य; अविरामता 2. शाश्वतता।

निरंतराल (सं.) [वि.] 1. जिसमें अवकाश या अंतराल न हो; घना 2. तंग।

निरंध (सं.) [वि.] 1. निरा अंधा 2. ज्ञान, बुद्धि आदि से रहित; निपट मूर्ख; महामूर्ख।

निरंबर (सं.) [वि.] दिगंबर; नंगा।

निरंबु (सं.) [वि.] 1. जिसमें जल का कोई अंश न हो; निर्जल 2. जो बिना जल ग्रहण किए रहता हो 3. जिसमें जल न पिया जा सकता हो; निर्जला (व्रत)।

निरंभ (सं.) [वि.] 1. निर्जल 2. जो बिना जल ग्रहण किए रहता या रह सकता हो।

निरंश (सं.) [वि.] जिसे अपना प्राप्य अंश न मिला हो; जो अपने भाग या अंश से वंचित रह गया हो।

निरक्ष (सं.) [वि.] 1. जो धरती के मध्य भाग में हो 2. जो किसी अक्ष की ओर न हो।

निरक्षर (सं.) [वि.] 1. जिसे अक्षर ज्ञान न हो 2. जो पढ़ा लिखा न हो; अनपढ़; अशिक्षित।

निरक्षरता (सं.) [सं-स्त्री.] निरक्षर होने की अवस्था; अक्षर ज्ञान शून्यता; अशिक्षितता।

निरखना (सं.) [क्रि-स.] 1. ध्यान से देखना 2. निरीक्षण करना 3. चाव से निहारना।

निरग्नि (सं.) [वि.] 1. जिसने अग्निहोत्र त्याग दिया हो 2. जो अग्निहोत्र न करता हो।

निरघ (सं.) [वि.] 1. जिसने अघ या पाप न किया हो; निष्पाप 2. निर्दोष; निष्कलुष।

निरत (सं.) [वि.] किसी कार्य में लगा हुआ; रत; लीन।

निरति (सं.) [सं-स्त्री.] वह अवस्था जिसमें भगवान के प्रति पूर्ण भक्ति, अनुरक्ति या रति हो।

निरतिशय (सं.) [वि.] 1. हद दरज़े का; बेहद; परम 2. जिसके आगे या जिससे बढ़कर और कुछ न हो; चश्म। [सं-पु.] परब्रह्म।

निरत्यय (सं.) [वि.] 1. जो ख़तरे आदि से दूर या परे हो; निरापद; सुरक्षित; बाधारहित 2. जिसमें कोई दोष या त्रुटि न हो; निर्दोष 3. पूर्णरूप से सफ़ल।

निरनुनासिक (सं.) [वि.] जिसके उच्चारण में फेफड़ों से आती वायु नासिका विवर से न निकले; अनुनासिक का विपर्याय।

निरन्न (सं.) [वि.] 1. बिना अन्न का; अन्न-रहित 2. जिसने अभी तक अन्न न खाया हो; निराहार 3. जिसमें अन्न का सेवन न हो (व्रत)।

निरन्ना (सं.) [वि.] जिसने अभी तक अन्न न खाया हो; निराहार।

निरपराध (सं.) [वि.] जिसने कोई अपराध न किया हो; निर्दोष; बेकसूर। [क्रि.वि.] बिना किसी अपराध के।

निरपवाद (सं.) [वि.] 1. जैसा हमेशा ही होता हो; जिसमें कोई अपवाद न हो 2. जिसपर कोई आरोप न लगा हो; निर्दोष 3. अच्छा; भला।

निरपेक्ष (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी बात या किसी वस्तु की अपेक्षा न हो; जिसे किसी बात की इच्छा न हो; आशा, तृष्णा से मुक्त 2. जिसे अपने अर्थ का बोध कराने के लिए किसी दूसरे पद या वाक्य की आवश्यकता न हो 3. जो किसी पर आश्रित न हो 4. तटस्थ।

निरपेक्षता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तटस्थता 2. अपेक्षा, लगाव या राग का अभाव; कामना का अभाव।

निरपेक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसकी अपेक्षा न की गई हो 2. जिससे कोई लगाव या संपर्क न रखा गया हो।

निरबंसिया (सं.) [वि.] 1. संतान न होने के कारण जिसका वंश आगे न चलने वाला हो; निर्वंश 2. संतानहीन।

निरभिमान (सं.) [वि.] 1. जिसमें अभिमान, घमंड या अहंकार न हो 2. अहंकार से मुक्त 3. विनम्र और सरल।

निरभिलाष (सं.) [वि.] जिसे किसी वस्तु की चाह, इच्छा या आकांक्षा न हो; निरीह; निराकांक्ष।

निरभ्र (सं.) [वि.] 1. जिसमें बादल न हों (आकाश); बादल या मेघरहित 2. स्वच्छ (आकाश)।

निरय (सं.) [सं-पु.] नरक; जहन्नुम; दोज़ख़।

निरयण (सं.) [सं-पु.] (भारतीय ज्योतिष) काल-गणना और पंचांग बनाने की (सायण से भिन्न) वह विधि जो अयन अर्थात राशि-चक्र की गति पर अवलंबित या आश्रित नहीं होती, बल्कि जिसमें किसी स्थिर तारे या बिंदु को सूर्य के भ्रमण का आरंभ स्थान माना जाता है। [वि.] (ज्योतिष) जो अयन अर्थात राशि-चक्र की गति पर अवलंबित या आश्रित न हो।

निरर्थक (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अर्थ या मतलब न हो; बेमतलब; अर्थहीन 2. व्यर्थ; बेकार 3. निष्प्रयोजन; निष्फल; बेकाम। [क्रि.वि.] 1. बिना प्रयोजन के; बिना कारण 2. व्यर्थ में।

निरर्थकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यर्थता; अनुपयोगिता 2. अर्थहीनता।

निरलस (सं.) [वि.] जिसमें आलस्य न हो; आलस्य से रहित।

निरवकाश (सं.) [वि.] 1. जिसमें अवकाश या खाली स्थान न हो (भू-खंड) 2. जिसे अवकाश या फ़ुरसत न हो (व्यक्ति)।

निरवधि (सं.) [वि.] 1. स्थान या समय की दृष्टि से जिसकी कोई अवधि या सीमा न हो 2. असीम; अनंत। [क्रि.वि.] निरंतर; लगातार।

निरवलंब (सं.) [वि.] बिना किसी सहारे का; बेसहारा; अवलंबरहित।

निरवसाद (सं.) [वि.] 1. अवसाद से रहित 2. प्रसन्न; हृष्ट।

निरवार [सं-पु.] 1. टालने की क्रिया; टालना या दूर करना 2. बचाव; त्राण 3. छुटकारा।

निरशन (सं.) [वि.] जिसने कुछ खाया-पिया न हो। [सं-पु.] भोजन न करना; उपवास; उपोषण।

निरसन (सं.) [सं-पु.] 1. दूर करना; हटाना 2. खंडन; 3. निवारण 4. किसी विधि या नियम आदि को साधिकार रद्द करना; निरस्त करना।

निरस्त (सं.) [वि.] 1. जो रद्द या खारिज़ कर दिया गया हो; (कैंसिल्ड) 2. जिसका खंडन किया गया हो 3. दूर हटाया हुआ 4. छोड़ा या त्यागा हुआ।

निरस्त्र (सं.) [वि.] 1. जिसके पास अस्त्र न हो; अस्त्रहीन; बिना हथियार का; निहत्था 2. जिससे अस्त्र छीन या ले लिया गया हो।

निरस्त्रीकृत (सं.) [वि.] जो अस्त्रहीन कर दिया गया हो।

निरहंकार (सं.) [वि.] जिसमें अहंकार या अभिमान की भावना न हो; जो घमंडी न हो।

निरा (सं.) [वि.] 1. जिसमें मिलावट न हो; विशुद्ध 2. अधिक; बहुत 3. सिर्फ़; केवल; एकमात्र 4. निपट; बिल्कुल; एकदम।

निराई [सं-स्त्री.] 1. भूमि निराने या घास-फूस साफ़ करने की क्रिया 2. निराने की उज़रत या मज़दूरी।

निराकरण (सं.) [सं-पु.] 1. निवारण; समाधान 2. दूर करना; हटाना 3. किए हुए प्रश्न या आपत्ति आदि का तर्कपूर्वक खंडन या परिहार करना 4. निर्वासन 5. समाधान करना।

निराकरणीय (सं.) [वि.] जिसका निराकरण संभव हो; निराकरण के योग्य।

निराकांक्ष (सं.) [वि.] जिसमें किसी प्रकार की इच्छा या आकांक्षा न हो; इच्छा रहित; निरपेक्ष; निष्काम।

निराकांक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] आकांक्षा अथवा कामना का अभाव; आकांक्षाहीनता।

निराकार (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई रूप या आकार न हो; आकार-रहित 2. कुरूप; बेडौल; भद्दा। [सं-पु.] 1. ब्रह्म; ईश्वर 2. आकाश।

निराकुल (सं.) [वि.] जो घबराया न हो; जो विकल या आकुल न हो; शांत; धैर्यवान।

निराकृत (सं.) [वि.] 1. जिसका निराकरण किया जा चुका हो 2. जिसका खंडन हो चुका हो 3. रद्द किया हुआ।

निराकृति (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई आकृति न हो; आकारहीन; निराकार 2. जो स्वाध्याय न करता हो।

निराग (सं.) [वि.] रागहीन; विरक्त।

निराचार (सं.) [वि.] 1. जो आचारहीन हो 2. वह चाल या रीति जिसे समाज से मान्यता न मिली हो।

निराट (सं.) [वि.] 1. बिना किसी मिलावट का; विशुद्ध 2. जिसके साथ कोई न हो; अकेला 3. जहाँ कोई न हो; सुनसान; एकांत।

निराडंबर (सं.) [वि.] आडंबरहीन; जिसमें दिखावा, तड़क-भड़क या ढोंग न हो।

निरातंक (सं.) [वि.] 1. जो आतंकित न हो; भयरहित; निडर 2. जो आतंक उत्पन्न न करे।

निरातप (सं.) [वि.] जो तपता न हो; जो धूप के ताप से सुरक्षित हो; छायादार।

निरातपा (सं.) [वि.] जो तपती न हो; बिना धूप वाली। [सं-स्त्री.] रात; रात्रि।

निरादर (सं.) [सं-पु.] अपमान; तिरस्कार; अनादर; अवज्ञा।

निरादिष्ट (सं.) [वि.] जो पूरी तरह चुका दिया गया हो (कर्ज़)।

निराधार (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई आधार या आश्रय न हो (व्यक्ति) 2. जिसकी कोई जड़ या बुनियाद न हो; निर्मूल (बात, आरोप) 3. जिसे अभी तक कोई सहारा न मिला हो; असहाय (व्यक्ति)।

निरानंद (सं.) [सं-पु.] 1. आनंद का अभाव 2. दुख। [वि.] 1. जिसके मन में आनंद या प्रसन्नता न हो 2. जिस कार्य या बात में कोई आनंद न मिल सकता हो।

निराना (सं.) [क्रि-स.] फ़सल को हानि पहुँचाने वाले अपने आप उग आए बेकार घास-पौधों, खरपतवार आदि को खुरपी से खोद कर निकाल फेंकना; गोड़ना; निकालना।

निरापद (सं.) [वि.] आपद या आपत्ति से रहित; सुरक्षित; अहानिकर।

निरामय (सं.) [वि.] 1. जिसे कोई रोग न हो; निरोग; स्वस्थ 2. निर्मल 3. सकुशल।

निरामिष (सं.) [वि.] 1. जो मांस न खाता हो; शाकाहारी (व्यक्ति) 2. जिसमें मांस न मिला हो (वस्तु)।

निरायत (सं.) [वि.] जो फैलाया या बढ़ाया हुआ न हो; सिमटा हुआ।

निरायास (सं.) [वि.] 1. बिना मेहनत या कोशिश से होने वाला 2. सरल; सहज; आसान। [क्रि.वि.] अनायास; बिना मेहनत किए।

निरायुध (सं.) [वि.] जिसके पास हथियार न हो; शस्त्रहीन; निरस्त्र; निहत्था।

निराल [वि.] जिसमें किसी तरह का मेल या मिलावट न हो; ख़ालिस; विशुद्ध।

निरालंब (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई आलंब या सहारा न हो; आश्रयहीन 2. जिसे कोई सहायता देने वाला न हो; असहाय।

निरालंबा (सं.) [सं-स्त्री.] एक सुगंधित वनस्पति; छोटी जटामासी।

निरालस्य (सं.) [सं-पु.] आलस्य का अभाव। [वि.] जिसमें आलस्य न हो; आलस्यरहित; फुरतीला; चुस्त-चौकस।

निराला (सं.) [वि.] 1. जो अपनी संरचना, स्वरूप एवं विशिष्टताओं आदि के कारण औरों से भिन्न हो; विलक्षण; अनूठा 2. जिसके समान कोई दूसरा न हो; अद्वितीय; अनुपम 3. जहाँ कोई मानवीय बस्ती न हो; निर्जन। [सं-पु.] एकांत और निर्जन स्थल।

निरालोक (सं.) [वि.] प्रकाशरहित; आलोकहीन; अंधकारपूर्ण।

निरावरण (सं.) [वि.] जिसपर कोई आवरण या परदा न हो; आवरणरहित; खुला हुआ; नग्न।

निरावृत (सं.) [वि.] जिसपर से आवरण हटाया गया हो; जो ढका न हो; खुला हुआ।

निराश (सं.) [वि.] जिसे आशा न हो; आशाहीन; जिसे कोई उम्मीद न हो; नाउम्मीद; हताश।

निराशा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आशा का अभाव 2. उम्मीद पूरी न होने से होने वाला दुख 3. हताशा।

निराशावाद (सं.) [सं-पु.] 1. संसार को दुखमय मानने तथा प्रत्येक वस्तु को निराशाजनक दृष्टिकोण से देखने की वृत्ति; (पैसिमिज़म) 2. प्रत्येक बात का बुरा पक्ष देखने का स्वभाव 3. हतोत्साहित रहने का स्वभाव।

निराशावादी (सं.) [सं-पु.] निराश और हतोत्साहित रहने वाला व्यक्ति; (पैसिमिस्ट)। [वि.] निराशावाद से संबद्ध।

निराश्रय (सं.) [वि.] जिसे कोई आश्रय न मिल रहा हो; आश्रयहीन; बेसहारा; निरवलंब।

निराश्रित (सं.) [वि.] 1. जो किसी पर आश्रित न हो; स्वावलंबी 2. जिसे कहीं आश्रय न मिलता हो; अनाश्रित; आश्रयहीन; निराश्रय 3. जिसका कोई सहारा न हो; बेसहारा; निरवलंब।

निरासन (सं.) [वि.] आसनरहित।

निरास्वाद (सं.) [वि.] जिसमें कोई स्वाद न हो; स्वाद-रहित; बेस्वाद; अस्वादिष्ट; बेमज़ा।

निराहार (सं.) [सं-पु.] 1. भोजन न करने की अवस्था; अनाहार; लंघन 2. उपवास; व्रत। [वि.] 1. बिना आहार किए हुए; भूखा 2. (अनुष्ठान) जिसमें भोजन न किया जाता हो।

निरिंद्रिय (सं.) [वि.] 1. इंद्रियहीन 2. जिसकी इंद्रियाँ ठीक ढंग से कार्य न करती हों; कमज़ोर।

निरीक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. देखने वाला; निरीक्षण करने वाला; जाँच-पड़ताल करने वाला अधिकारी 2. परीक्षा में विद्यार्थियों पर निगरानी रखने वाला अधिकारी 3. दारोगा; (इंस्पेक्टर)।

निरीक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. गौर से देखना 2. इस बात का मुआइना करना कि कार्य सुचारु रूप से चल रहा है या नहीं; जाँच; (इंस्पेक्शन)।

निरीक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देखना; दर्शन 2. देखरेख करना 3. निरीक्षण।

निरीक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसका निरीक्षण हो चुका हो 2. देखाभाला; देखा हुआ।

निरीक्ष्य (सं.) [वि.] 1. जो देखा जा सके या दिखाई दे सके 2. जो निरीक्षण के योग्य हो 3. जिसका निरीक्षण किया जाना हो।

निरीश (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई ईश या स्वामी न हो 2. जो ईश्वर को न मानता हो; नास्तिक; निरीश्वरवादी।

निरीश्वरवाद (सं.) [सं-पु.] ईश्वर के अस्तित्व को नकारने वाला सिद्धांत; (एथिइज़म)।

निरीश्वरवादी (सं.) [वि.] अनीश्वरवाद का अनुयायी; जिसे ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास न हो।

निरीह (सं.) [वि.] 1. सीधा-सादा; निर्दोष; बेचारा 2. उदासीन; निरपेक्ष; विरक्त 3. चुपचाप पड़ा रहने वाला 4. वासनारहित; जिसे किसी तरह की इच्छा या चाह न हो।

निरीहता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निरीह होने की अवस्था या भाव 2. जिसके पास कोई उपाय न हो; निरुपाय 3. इच्छा या कामना के अभाव की स्थिति।

निरुक्त (सं.) [सं-पु.] छह वेदांगों में से एक जिसमें मुख्यतः वेदों में आए हुए शब्दों की व्युत्पत्ति का विवेचन है, इसका जनक यास्क को माना जाता है। [वि.] 1. निश्चित और स्पष्ट रूप से समझाया या कहा गया; निर्वचन किया हुआ 2. नियोग में प्रवृत्त किया हुआ।

निरुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निरुक्त होने की अवस्था या भाव 2. शब्दनिर्माण में प्रयुक्त अवयवों एवं उनमें होने वाले विकार की विवेचना करने वाला शास्त्र या विद्या 3. एक काव्यालंकार जिसमें किसी नाम के प्रचलित अर्थ को छोड़कर कोई विलक्षण व्युत्पत्तिपरक अर्थ निकालकर उक्ति में चमत्कार उत्पन्न किया जाता हो।

निरुत्तर (सं.) [वि.] 1. जिसके पास कोई उत्तर न हो; जो उत्तर देने में असमर्थ हो; मौन 2. जिसका उत्तर न दिया गया हो (प्रश्न)।

निरुत्साह (सं.) [वि.] 1. जिसमें उत्साह न हो; उत्साहरहित 2. जिसका उत्साह समाप्त हो चुका हो; उत्साहहीन।

निरुत्साहित (सं.) [वि.] 1. जिसका उत्साह नष्ट हो गया हो 2. हताश; निराश।

निरुदक (सं.) [वि.] बिना जल का; जलरहित; जिसमें या जहाँ जल न हो।

निरुदन (सं.) [सं-पु.] रासायनिक तत्व अथवा वनस्पतियों में से जल या उसका अंश निकालना; निर्जलीकरण; (डीहाइड्रेशन)।

निरुद्देश्य (सं.) [वि.] जिसका कोई उद्देश्य न हो; उद्देश्यरहित। [क्रि.वि.] बिना किसी उद्देश्य के।

निरुद्ध (सं.) [वि.] 1. जिसका निरोध किया गया हो; रोका या रुका हुआ 2. रुँधा या बंधन में पड़ा हुआ 3. चित्त की पाँच भूमियों में से एक।

निरुद्यम (सं.) [वि.] 1. जो उद्यम या उद्योग न करता हो; आलसी 2. जिसके पास कोई उद्यम या उद्योग न हो; निकम्मा; बेकार।

निरुद्वेग (सं.) [वि.] 1. जिसमें उद्वेग या व्याकुलता न हो 2. धीर; शांत 3. उत्तेजना और क्षोभ से रहित 4. निश्चिंत।

निरुपपत्ति (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई उपपत्ति न हो; तर्कहीन; मुक्तिरहित 2. जो उपयुक्त या युक्त न हो।

निरुपम (सं.) [वि.] जिसकी कोई उपमा न हो; अतुलनीय; बेजोड़।

निरुपमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गायत्री का एक नाम 2. अनुपमा।

निरुपयुक्तता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपयुक्त न होने का भाव 2. महत्वहीनता 3. निरर्थकता।

निरुपयोग (सं.) [वि.] जिसका कोई उपयोग न हो या जो अभी तक उपयोग में न लाया गया हो।

निरुपयोगी (सं.) [वि.] जो उपयोग में न आ सके; अनुपयोगी; व्यर्थ।

निरुपाधि (सं.) [वि.] 1. जो उपद्रव न करता हो; धीर; शांत 2. जिसमें बंधन; बाधा या विघ्न न हो 3. मोह, माया आदि से रहित।

निरुपाधिक (सं.) [वि.] निरुपाधि।

निरुपाय (सं.) [वि.] 1. जिसके पास कोई उपाय न हो; जो कोई उपाय करने में असमर्थ हो; लाचार 2. जिसका कोई उपाय न हो।

निरुपेक्ष (सं.) [वि.] 1. जो उपेक्षा न करे; उपेक्षा रहित 2. छलहीन।

निरूढ़ (सं.) [वि.] 1. उत्पन्न 2. विख्यात; प्रसिद्ध; जिसका अधिक व्यवहार होता हो 3. (शब्द का प्रचलित अर्थ) जो उसके व्युत्पत्तिक अर्थ से भिन्न हो तथा समाज द्वारा स्वीकृत हो।

निरूढ़लक्षणा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) लक्षणा नामक शब्द शक्ति का एक भेद जिसमें किसी शब्द का उसके व्युत्पत्तिक अर्थ से भिन्न होकर प्रचलित और रूढ़ हो जाता है।

निरूपक (सं.) [वि.] किसी विषय या विचार का निरूपण (प्रतिपादन) करने वाला; प्रवर्तन (स्थापन) करने वाला।

निरूपण (सं.) [सं-पु.] 1. सोच-समझकर किसी विषय या वस्तु का विवेचन करना 2. मौखिक रूप से अपना मत दूसरों के सम्मुख रखना।

निरूपिति (सं.) [सं-स्त्री.] निरूपण; व्याख्या।

निरूप्य (सं.) [वि.] 1. निरूपण करने योग्य 2. जिसका निरूपण किया जाए।

निरेभ (सं.) [वि.] शब्दहीन; निःशब्द; मौन।

निरोग (सं.) [वि.] (व्यक्ति) जिसे कोई रोग न हो; स्वस्थ।

निरोगी (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसे कोई रोग न हो; स्वस्थ 2. वह जिसमें कोई दोष या विकार आदि न हों। [वि.] रोगहीन; रोगमुक्त।

निरोध (सं.) [सं-पु.] 1. रोकने की क्रिया, अवस्था या भाव 2. रोक; रुकावट; प्रतिबंध; अवरोध 3. चित्त की वह अवस्था जिसमें समस्त वृत्तियों और संस्कारों का लय हो जाता है 4. किसी संदिग्ध या उपद्रवी व्यक्ति को उपद्रव से रोकने हेतु अभिरक्षा में रखना; (डिटेंशन) 5. परिवार नियोजन के लिए इस्तेमाल में लाया जाने वाला रबर का एक उपकरण; (कंडोम)।

निरोधक (सं.) [वि.] निरोध करने वाला; रोकने वाला।

निरोधन (सं.) [सं-पु.] 1. निरोध करने की क्रिया या भाव; बंधक या रोक में रखना 2. रोक; रुकावट 3. वैद्यक या आयुर्वेद में पारा का शोधन करते समय किया जाने वाला एक संस्कार।

निरोधी (सं.) [वि.] निरोधक।

निर्ख (फ़ा.) [सं-पु.] वह मूल्य जिसपर कोई वस्तुविशेष बिकती हो; भाव; दर।

निर्खनामा (फ़ा.) [सं-पु.] मध्ययुग (मुसलिम शासनकाल) में प्रचलित वह सूची जिसमें वस्तुओं के भाव लिखे होते थे; मूल्य सूची।

निर्गंध (सं.) [वि.] जिसमें किसी प्रकार की गंध न हो; गंधहीन।

निर्गत (सं.) [वि.] 1. निकला हुआ; निःसृत; निष्कांत; बाहर गया हुआ 2. हटाया हुआ।

निर्गम (सं.) [सं-पु.] 1. बाहर निकलने की क्रिया या भाव; निकासी 2. वह मार्ग जिससे कोई वस्तु बाहर निकलती हो; निकास 3. किसी देश की मुद्रा या बौद्धिक संपदा का अधिक मात्रा में बाहर जाना; (ड्रेन)।

निर्गमण (सं.) [सं-पु.] 1. बाहर जाना; बाहर करना 2. प्रचलन में लाया जाना।

निर्गुण (सं.) [सं-पु.] 1. निर्गुण या निराकार बह्म 2. त्रिगुण से रहित परमात्मा। [वि.] 1. जिसका कोई रूप, गुण या आकार न हो; निराकार 2. जिसमें सत, रज और तम नामक गुण न हों; त्रिगुणातीत।

निर्गुणिया (सं.) [वि.] निर्गुण-ब्रह्म की उपासना करने वाला।

निर्ग्रंथ (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी धार्मिक ग्रंथ का अनुयायी न हो 2. जो व्यक्ति समस्त बंधनों और ग्रंथियों से मुक्त हो 3. बौद्ध भिक्षु या क्षपणक। [वि.] ग्रंथ से संबंध न रखने वाला; ग्रंथ रहित; दिगंबर।

निर्घात (सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ हवा के चलने से उत्पन्न शब्द 2. तूफ़ान 3. ध्वंस; नाश 4. आघात; प्रहार 5. वज्राघात 6. भूकंप 7. उपद्रव; उत्पात।

निर्जन (सं.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ कोई व्यक्ति न हो; गैर-आबाद ज़मीन 2. रेगिस्तान; मरुभूमि। [वि.] 1. सुनसान; एकांत; जहाँ कोई व्यक्ति न हो; जनशून्य 2. उजड़ा हुआ या गैर-आबाद।

निर्जर (सं.) [वि.] जरा अर्थात वृद्धावस्था से रहित; जो कभी बुड्ढा न हो; सदैव युवा बना रहने वाला।

निर्जल (सं.) [वि.] 1. जिसमें जल बिलकुल न हो; जलरहित 2. जिसमें जल तक पीने का विधान न हो (व्रत) 3. जिसने जल न पिया हो।

निर्जला (सं.) [वि.] 1. जहाँ जल का अभाव हो 2. जिसमें जल पीना निषिद्ध हो (व्रत), जैसे- निर्जला एकादशी।

निर्जलीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर से अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ(जल) समाप्त हो जाना जलह्रास; (डी-हाइड्रेशन) 2. शरीर या वनस्पति आदि में जलह्रास होना 3. रासायनिक प्रक्रिया से वनस्पति आदि से जल निकाल लेना।

निर्जलीय (सं.) [वि.] बिना जल का; निर्जला (बिना पानी पिए उपवास आदि)।

निर्जित (सं.) [वि.] पूरी तरह से जीत लिया गया; पूर्णतः विजित।

निर्जीव (सं.) [वि.] 1. जिसमें प्राण या जान न हो; बेजान 2. जीवनरहित; जड़; अचेतन 3. मरा हुआ; मृत 4. मुरदों का-सा; अशक्त 5. उत्साहहीन। {ला-अ.} जिसमें रोचकता या सजीवता न हो; नीरस।

निर्झर (सं.) [सं-पु.] पानी का झरना; जल-प्रपात।

निर्झरिणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोता; झरना 2. पहाड़ी नदी; झरने के जल से बहने वाली नदी।

निर्णय (सं.) [सं-पु.] 1. किसी सिद्धांत, विषय, बात आदि के पक्ष-विपक्ष की सभी बातों का विचार करके उसके विषय में अपने मत को निश्चित करने की अवस्था 2. किसी विवाद के विषय में अपना मत स्थिर करना; फ़ैसला 3. फ़ैसले का लिखित रूप 4. निपटारा 5. मत; निष्कर्ष 6. संकल्प; निश्चय; (डिसीज़न)।

निर्णयन (सं.) [सं-पु.] 1. निर्णय करने की क्रिया या भाव 2. निश्चय करना; निपटारा करना।

निर्णयात्मक (सं.) [वि.] 1. निर्णय के रूप में होने वाला 2. जिसकी परिणति निर्णय के रूप में हो।

निर्णयात्मकता (सं.) [सं-स्त्री.] निर्णय तक पहुँचने की क्षमता।

निर्णयाधीन (सं.) [सं-पु.] 1. वह मुकदमा जिसपर अभी निर्णय न किया गया हो; निर्णय के अधीन मुकदमा 2. वह आवेदन, जिसपर अब तक निर्णय न किया गया हो।

निर्णयोपमा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक प्रकार जिसमें उपमेय और उपमान के गुण-दोषों का विवेचन करते हुए कुछ निष्कर्ष निकाला जाता है।

निर्णायक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विवाद का निर्णय करने वाला व्यक्ति 2. किसी प्रतियोगिता के नियमों के अनुसार संचालन करने वाला वह व्यक्ति, जिसका निर्णय अंतिम होता है; (जज, रेफ़री या अंपायर)। [वि.] 1. निर्णय करने वाला 2. विषय या विवाद के निर्णय में मत्वपूर्ण (तत्व) 3. जो फ़ैसला करे 4. अंतिम।

निर्णीत (सं.) [वि.] 1. जिसके विषय में फ़ैसला किया जा चुका हो 2. निपटाया हुआ 3. जिसमें हार-जीत का फ़ैसला हो चुका हो (खेल, प्रतियोगिता, विवाद आदि में)।

निर्णेता (सं.) [वि.] निर्णायक।

निर्दंभ (सं.) [वि.] जिसे किसी प्रकार का दंभ या अहंकार न हो; अहंकार-रहित।

निर्दय (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में दया न हो; दयाहीन; निष्ठुर; क्रूर; बेरहम 2. अपने अत्याचारपूर्ण कृत्य से दूसरों को सताने वाला।

निर्दयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्दय होने का भाव या अवस्था 2. क्रूरता; बेरहमी 3. निष्ठुरता।

निर्दयतापूर्ण (सं.) [वि.] क्रूरता के साथ; बेरहमी से भरा हुआ।

निर्दर (सं.) [सं-पु.] 1. गुहा; गुफा; कंदरा 2. निर्झर। [वि.] 1. कठोर; कठिन; कष्टदायक 2. निर्दय।

निर्दल (सं.) [वि.] 1. जिसमें दल या पत्र (पत्ता) न हो 2. जो किसी दल में न हो; तटस्थ; दलरहित; स्वतंत्र; निर्दलीय।

निर्दलीय (सं.) [वि.] 1. जो किसी भी दल का सदस्य न हो; स्वतंत्र 2. दल-विशेष से अलग।

निर्दाता (सं.) [सं-पु.] 1. खेत में निराई का काम करने वाला व्यक्ति 2. किसान; कृषक 3. कटाई का काम करने वाला; काटने वाला 4. दाता।

निर्दिष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसका निर्देश हुआ हो; कहा हुआ; वर्णित; बतलाया हुआ 2. विशेष रूप से तय किया हुआ; निश्चित किया हुआ 3. किसी को दिया; सौंपा या सहेजा हुआ 4. जिसके लिए कोई व्यवस्था की गई हो 5. निर्देशित; संकेतिक।

निर्दूषण (सं.) [वि.] जिसमें कोई दोष या कमी न हो; निर्दोष।

निर्देश (सं.) [सं-पु.] 1. समझाना; बतलाना; हिदायत 2. किसी कार्य का स्वरूप, प्रकार या विधि समझाना; (डरेक्शन) 3. आदेश; आज्ञा; हुकुम।

निर्देशक (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो नाटक या सिनेमा में पात्रों की वेष-भूषा, भूमिका, आचरण तथा दृश्यों के स्वरूप आदि को निश्चित करता है और उसी के अनुरूप नाटक या फ़िल्म का सृजन करता है; (डायरेक्टर)। [वि.] वह जो किसी प्रकार का निर्देश करता या बतलाता हो।

निर्देशन (सं.) [सं-पु.] 1. निर्देश करने की क्रिया या भाव; निर्देश देना 2. किसी कार्य के संपादन की विधि बतलाना 3. फ़िल्म उद्योग में निर्देशक द्वारा किए जाने वाले सभी कार्य।

निर्देशांक (सं.) [सं-पु.] मुद्रा के मूल्य में किन्हीं दो समय के बीच होने वाले परिवर्तनों को मापने की विशेष विधि।

निर्देशिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह पुस्तक जिसमें किसी विशेष व्यापार, विभाग आदि की जानने योग्य बातें और उनसे संबंध रखने वाले लोगों के नाम, पते आदि रहते हैं; (डरेक्टरी) 2. किसी विषय में निर्देश हेतु लिखी गई पुस्तिका; निर्देश-ग्रंथ; (मैनुअल)।

निर्देशित (सं.) [वि.] जिसका निर्देश या निर्देशन हुआ हो; निर्दिष्ट।

निर्दोष (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई दोष या अवगुण न हो; दोष रहित 2. जिसने कोई अपराध न किया हो; निरपराध; बेकसूर 3. निष्कलंक।

निर्दोषिता (सं.) [सं-स्त्री.] निर्दोष होने की स्थिति या भाव।

निर्द्वंद्व (सं.) [वि.] 1. जो द्वंद्व मुक्त हो; द्वंद्वहीन 2. जिसका कोई प्रतिद्वंद्वी या विरोधी न हो 3. सुख-दुख राग-द्वेष से रहित। [क्रि.वि.] 1. बिना किसी बाधा के 2. बिलकुल मनमाने तरीके से 3. स्वच्छंदतापूर्वक।

निर्धन (सं.) [वि.] जिसके पास धन न हो; धनहीन; दरिद्र; गरीब।

निर्धनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गरीबी; दरिद्रता; धनहीनता 2. समाज में सामान्य जीवन स्तर से निम्न आर्थिक जीवन स्तर।

निर्धार (सं.) [सं-पु.] 1. (न्याय दर्शन) सजातीय गुण-धर्म वाली एकाधिक वस्तुओं में से एक वस्तु को छाँटना; चुनना 2. निर्धारण; ठहराना; निश्चित करना 3. वस्तुओं के मूल्य आदि के आकलन के बाद उन पर लगने वाले कर तय करना।

निर्धारक (सं.) [वि.] वह जो किसी बात का निर्धारण या निश्चय करता हो; निर्धारण करने वाला।

निर्धारण (सं.) [सं-पु.] 1. निश्चित करना; तय करना 2. वस्तुओं के मूल्य आदि के आकलन के बाद उन पर लगने वाले कर तय करना; नियत करना 3. निर्णय।

निर्धारित (सं.) [वि.] 1. जिसका निर्धारण हो चुका हो 2. निश्चित किया हुआ या ठहराया हुआ 3. जिसका विधान किया जा चुका हो; विहित 4. जिसका मूल्य निश्चित किया जा चुका हो 5. जिसकी आय तथा व्यय को आँका जा चुका हो।

निर्धार्य (सं.) [वि.] 1. जिसका निर्धारण किया जा सके; निर्धारण योग्य 2. उत्साही 3. पक्का; दृढ़; मज़बूत।

निर्धूत (सं.) [सं-पु.] संबंधियों आदि द्वारा परित्यक्त व्यक्ति [वि.] 1. निकाला हुआ; निष्कासित 2. त्यागा हुआ; त्यक्त 3. नष्ट किया हुआ 4. धोया हुआ; धौत; स्वच्छ; साफ़।

निर्धूम (सं.) [वि.] जहाँ धुआँ न हो; धुएँ से रहित।

निर्निमित्त (सं.) [वि.] जिसका कोई निमित्त या कारण न हो; अकारण। [अव्य.] बिना किसी निमित्त या कारण के।

निर्निमेष (सं.) [वि.] 1. जिसकी पलक न गिरे 2. स्थिरदृष्टि। [क्रि.वि.] 1. एकटक 2. बिना पलक झपकाए 3. टकटकी लगाकर।

निर्प्रश्नीय (सं.) [वि.] जिसके संबंध में कोई प्रश्न न किया जा सके; अपवाद-रहित।

निर्बंध (सं.) [सं-पु.] 1. रोक; रुकावट; अड़चन; बाधा; (रिस्ट्रिक्शन) 2. आग्रह 3. हठ; ज़िद। [वि.] बंधनहीन; बंधनरहित।

निर्बल (सं.) [वि.] जिसमें बल या शक्ति न हो; बलहीन; शक्तिहीन; कमज़ोर; दुर्बल।

निर्बलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्बल होने की अवस्था 2. कमज़ोरी; दुर्बलता; अशक्ति 3. {ला-अ.} विवशता।

निर्बाध (सं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार की बाधा या रुकावट न हो; बाधारहित; प्रतिबंधरहित 2. मुक्त 3. जिसमें कोई उपद्रव न हो। [क्रि.वि.] 1. बिना किसी बंधन या बाधा के 2. लगातार 3. निरंतर।

निर्बाधा (सं.) [वि.] जिसमें कोई बाधा न हो या न लगाई गई हो; बाधाहीन। [अव्य.] 1. बिना किसी बाधा के 2. निरंतर; लगातार।

निर्बाधित (सं.) [वि.] जिसमें कोई बाधा या रुकावट न हो; बाधारहित। [क्रि.वि.] बिना किसी बाधा के।

निर्बुद्धि (सं.) [वि.] जिसमें बुद्धि न हो; बुद्धिहीन; मूर्ख; बेवकूफ़।

निर्बोध (सं.) [वि.] जिसे बोध या ज्ञान न हो; अबोध; अज्ञानी; अनजान; नासमझ।

निर्भय (सं.) [वि.] जिसे किसी से भय न हो; भयमुक्त; निडर।

निर्भयता (सं.) [सं-स्त्री.] निर्भय होने की अवस्था या भाव; निर्भीकता; निडरता।

निर्भर (सं.) [वि.] किसी के आश्रय पर ठहरा हुआ; आश्रित; अवलंबित।

निर्भरता (सं.) [सं-स्त्री.] किसी पर आश्रित या निर्भर होने की स्थिति या भाव।

निर्भाग्य (सं.) [सं-पु.] दुर्भाग्य। [वि.] अभागा।

निर्भिन्न (सं.) [वि.] 1. छिदा हुआ 2. फाड़ा हुआ 3. जो प्रकट हो गया हो; उद्घाटित।

निर्भीक (सं.) [वि.] जो बिना डरे या बिना किसी दबाव में आए बहादुरी से काम करता हो; भय-रहित; निडर; साहसी।

निर्भीकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्भीक होने की अवस्था या भाव 2. निडरता; बहादुरी; भयहीनता 3. निरापद होने का भाव।

निर्भूति (सं.) [सं-स्त्री.] अंतर्धान होना; ओझल या लुप्त होना।

निर्भ्रम (सं.) [वि.] भ्रम-रहित; आशंका-रहित।

निर्भ्रांत (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई संदेह या भ्रम न हो; भ्रमरहित 2. जो संदेह उत्पन्न न करे; सुनिश्चित; स्पष्ट।

निर्मक्षिक (सं.) [वि.] 1. जहाँ एक मक्खी तक न हो; निर्जन; एकांत 2. जहाँ कोई विघ्न-बाधा न हो; निर्विघ्न।

निर्मत्सर (सं.) [वि.] जिसके मन में कोई मत्सर या ईर्ष्या न हो।

निर्मम (सं.) [वि.] 1. जिसमें दयाभाव न हो; ममतारहित; निर्दयी 2. जिसे मोह न हो; निर्मोही 3. क्रूर; निष्ठुर 4. कठोर; हृदयहीन।

निर्ममता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्मम होने की अवस्था या ममता का अभाव 2. निष्ठुरता; निर्दयता; क्रूरता; कठोरता; हृदयहीनता।

निर्ममत्व (सं.) [वि.] बिना ममत्ववाला; ममत्वहीन।

निर्मर्याद (सं.) [वि.] जिसने मर्यादा का उल्लंघन किया हो; उद्दंड; अशिष्ट।

निर्मल (सं.) [वि.] 1. जिसमें मैल या मलीनता न हो; स्वच्छ; साफ़ 2. जिसमें किसी प्रकार का दोष न हो; शुद्ध; निर्दोष; पवित्र; पापरहित 3. निष्कलंक; अकलुष 4. निष्कपट; दुर्भावरहित। [सं-पु.] सिक्खों से संबंधित एक संप्रदाय या पंथ।

निर्मलता (सं.) [सं-स्त्री.] निर्मल होने की अवस्था या भाव।

निर्मली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मझोले आकार का सदाबहार पेड़ जिसकी लकड़ी इमारत और खेती के औज़ार बनाने के काम आती है 2. रीठे का वृक्ष और उसका फल।

निर्मलीकरण (सं.) [सं-पु.] निर्मल या स्वच्छ करने की क्रिया।

निर्मलोपल (सं.) [सं-पु.] एक रंगहीन, पारदर्शी, निर्मल और शीत प्रभाव वाला उपरत्न; शिवप्रिय; कांचमणि; स्फटिक।

निर्माण (सं.) [सं-पु.] 1. बनाने या गढ़ने की क्रिया या अवस्था; रचना; सृजन 2. किसी वस्तु को बनाने का काम 3. वह वस्तु जो बनकर तैयार हुई हो, जैसे- मकान; पलंग आदि 4. अस्तित्व में लाना; सृष्टि; प्रणयन।

निर्माणकर्ता (सं.) [सं-पु.] निर्माता। [वि.] निर्माण करने वाला।

निर्माणाधीन (सं.) [वि.] जो निर्माण के अधीन हो; जिसके निर्माण का कार्य चल रहा हो।

निर्माता (सं.) [वि.] 1. निर्माण करने वाला 2. बनाने वाला; रचयिता 3. उत्पन्न करने वाला; सृजक; स्रष्टा।

निर्मात्रिक (सं.) [वि.] जिसमें मात्रा न हो; बिना मात्रा का; मात्रारहित।

निर्मायक (सं.) [वि.] निर्माण करने वाला; बनाने वाला; निर्माता।

निर्माल्य (सं.) [सं-पु.] किसी देवता पर चढ़े या चढ़ाए हुए पदार्थ।

निर्मित (सं.) [वि.] 1. जिसका निर्माण हुआ हो 2. बनाया या रचा हुआ; रचित। [सं-स्त्री.] 1. बनाने या निर्माण करने की क्रिया या अवस्था 2. रचना; बनावट 3. उत्पत्ति 4. रचित वस्तु; कृति।

निर्मिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्माण करना; बनाना 2. निर्मित वस्तु।

निर्मूल (सं.) [वि.] 1. बिना मूल या जड़ का; मूलरहित; बेबुनियाद 2. जिसका कोई आधार न हो; निराधार 3. जो पूरी तरह नष्ट हो चुका हो; जिसका नामोनिशान मिट चुका हो; विनष्ट।

निर्मूलन (सं.) [सं-पु.] 1. निर्मूल करने की क्रिया या भाव; समूल नष्ट करना 2. विनाश; उन्मूलन।

निर्मेघ (सं.) [वि.] बादल विहीन; निरभ्र।

निर्मोक (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर की त्वचा 2. साँप का केंचुल 3. त्यागने की क्रिया 4. आकाश।

निर्मोचन (सं.) [सं-पु.] छुटकारा; मुक्ति।

निर्मोही (सं.) [वि.] 1. जिसे मोह न हो; जिसमें अपनापन न हो 2. निष्ठुर; ममतारहित; बेदर्दी 3. किसी के प्रति स्नेह न रखने वाला।

निर्याण (सं.) [सं-पु.] 1. प्राण निकलना 2. सेना का रणक्षेत्र के लिए प्रस्थान; कूच 3. मोक्ष; मुक्ति।

निर्यात (सं.) [सं-पु.] कच्चा या निर्मित माल के देश से बाहर भेजने की क्रिया; माल बाहर भेजना; (एक्सपोर्ट)।

निर्यातक (सं.) [सं-पु.] निर्यात करने वाला; बिक्री हेतु माल देश से बाहर भेजने वाला; (एक्सपोर्टर)।

निर्यात-कर (सं.) [सं-पु.] देश से बाहर भेजे जाने वाले माल पर लगाया जाने वाला कर।

निर्यातन (सं.) [सं-पु.] 1. निर्यात करना 2. कष्ट देना; अत्याचार करना; सताना 3. मार डालना।

निर्यास (सं.) [सं-पु.] 1. वृक्षों या पौधों में से निकलने वाला रस या गोंद 2. किसी वस्तु में से निकलने वाला तरल पदार्थ या रस।

निर्यूह (सं.) [सं-पु.] 1. सिर पर धारण किया जाने वाला आभूषण; शिरोभूषण 2. द्वार; दरवाज़ा 3. खूँटी 4. काढ़ा।

निर्लक्ष्य (सं.) [क्रि.वि.] जिसका कोई लक्ष्य न हो; लक्ष्यहीन; बिना लक्ष्य के।

निर्लज्ज (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी बात में लज्जा न आती हो; बेशरम; लज्जाहीन; बेहया 2. (कार्य) जो बेशरम होकर किया गया हो 3. नग्न 4. उजड्ड।

निर्लज्जता (सं.) [सं-स्त्री.] निर्लज्ज होने की अवस्था; लज्जाहीनता; बेशरमी; बेहयाई।

निर्लिप्त (सं.) [वि.] 1. जो किसी में लिप्त या आसक्त न हो 2. जिसका किसी से लगाव न हो 3. सांसारिक माया-मोह; राग-द्वेष आदि से रहित।

निर्लिप्तता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लिप्त या आसक्त न होने का भाव 2. तटस्थता।

निर्लेप (सं.) [वि.] बिना लेप का; जो लिप्त न हो; निर्लिप्त।

निर्लोभ (सं.) [वि.] जिसे लोभ न हो; बिना लोभ का; लोभ रहित।

निर्वंश (सं.) [वि.] 1. निःसंतान 2. जिसका वंश या परिवार नष्ट हो गया हो; जिसके वंश में कोई न रह गया हो।

निर्वचन (सं.) [सं-पु.] 1. निश्चित रूप से कोई बात कहना; व्याख्या करना; निरूपण; (इंटरप्रिटेशन) 2. किसी शब्द की निर्मिति और व्युत्पत्ति का विवेचन करना; निरुक्ति; व्युत्पत्ति। [वि.] चुप; मौन।

निर्वचनीय (सं.) [वि.] जिसके विषय में कुछ कहा जा सके; व्याख्या के योग्य; व्याख्येय।

निर्वसन (सं.) [वि.] वस्त्रहीन; निर्वस्त्र; नग्न।

निर्वसु (सं.) [वि.] वसु अर्थात धन से रहित; दरिद्र; गरीब।

निर्वस्त्र (सं.) [वि.] बिना वस्त्र का; नग्न; नंगा।

निर्वहण (सं.) [सं-पु.] 1. निर्वाह; निबाहना; निभाना 2. अंत; समाप्ति 3. (नाट्यशास्त्र) नाटक में प्राप्त पाँच संधियों में से अंतिम संधि जिसमें नाटक की कथा की समाप्ति होती है।

निर्वाक (सं.) [वि.] 1. जो बोल न रहा हो; मौन; चुप 2. जिसकी वाणी अवरुद्ध हो।

निर्वाचक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो निर्वाचन करे या चुने; चुनने वाला या निर्वाचन करने वाला व्यक्ति; 2. चुनाव में मत देने वाला व्यक्ति।

निर्वाचकीय (सं.) [वि.] निर्वाचक से संबद्ध; निर्वाचक का, जैसे- निर्वाचकीय कर्तव्य।

निर्वाचन (सं.) [सं-पु.] 1. अनेक वस्तुओं में से कुछ वस्तुओं का प्रतिनिधि के रूप में चयन करना; छाँटना 2. 'मत' द्वारा जनप्रतिनिधि चुनना; चुनाव; (इलेक्शन)।

निर्वाचन अधिकारी (सं.) [सं-पु.] निर्वाचन की देख-रेख और व्यवस्था करने वाला अधिकारी; (इलेक्शन ऑफ़िसर)।

निर्वाचित (सं.) [वि.] 1. जिसे चुन लिया गया हो; (इलेक्टेड) 2. जो चुनाव में अन्य सभी उम्मीदवारों की अपेक्षा सबसे अधिक मत प्राप्त करने के कारण सफल घोषित हुआ हो।

निर्वाच्य (सं.) [वि.] 1. जो कहा न जा सके; जिसका उच्चारण कठिन हो 2. जिसमें कोई दोष न निकाला जा सके; निर्दोष 3. जिसपर आपत्ति न की जा सके 4. जिसका निर्वाचन होने को हो अथवा हो सकता हो।

निर्वाण (सं.) [सं-पु.] 1. मोक्ष; मुक्ति; परम गति 2. अस्त होना; अस्तगत 3. आग या दीपक का बुझना 4. निवृत्ति 5. अंत; समाप्ति 6. शांति।

निर्वाणोत्सव (सं.) [सं-पु.] जैन तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला उत्सव।

निर्वात (सं.) [वि.] 1. जिसमें वात या वायु न हो; वायु शून्य; (वैक्यूम) 2. शांत।

निर्वाप (सं.) [सं-पु.] 1. पितरों के निमित्त किया जाने वाला दान 2. आग आदि बुझाना।

निर्वार्य (सं.) [वि.] 1. जिसे रोका न जा सके; जिसका निवारण न हो सके 2. जो बिना किसी चिंता के परिश्रमपूर्वक कार्य करे।

निर्वास (सं.) [सं-पु.] 1. निर्वासन 2. प्रवास; विदेश-यात्रा। [वि.] 1. वास-स्थान से रहित; अगेह 2. वास अर्थात गंध से रहित; गंधहीन।

निर्वासन (सं.) [सं-पु.] 1. बलपूर्वक किसी को राज्य, नगर, गाँव, घर आदि से बाहर निकालना; देश से निकाले का दंड 2. मार डालने की क्रिया; वध 3. प्रवास 4. विसर्जन 5. हिंसा; हत्या।

निर्वासित (सं.) [वि.] 1. जो किसी राज्य या भू-भाग से निकाल दिया गया हो 2. अपने शहर या देश से निकाला हुआ 3. जिसे देश निकाले का दंड मिला हो।

निर्वास्य (सं.) [वि.] 1. निर्वासित किए जाने योग्य 2. जिसे निर्वासित किया जाना हो।

निर्वाह (सं.) [सं-पु.] 1. परंपरा आदि को बरकरार रखना 2. अधिकारों, कर्तव्यों आदि का किया जाने वाला पालन; निष्पादन 3. वचन, प्रतिज्ञा आदि का पूरा किया जाना; पालन 4. गुज़ारा 5. निबाह।

निर्वाहक (सं.) [वि.] 1. निर्वाह करने वाला; निभाने वाला 2. आदेश, प्रतिज्ञा आदि का पालन करने वाला।

निर्वाहण (सं.) [सं-पु.] 1. निर्वाह करना; निभाना 2. आज्ञानुसार कार्य करना 3. अल्पावधि के लिए किसी का काम या भार अपने ऊपर लेना।

निर्विकल्प (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का प्रत्यक्ष ज्ञान जिसमें ब्रह्म और आत्मा की एकरूपता का अखंड बोध होता हो। [वि.] 1. जिसमें विकल्प अर्थात चुनने की गुंजाइश न हो 2. जिसमें परिवर्तन न हो 3. सदा एक-रस तथा एक-रूप रहने वाला 4. निश्चित; स्थिर।

निर्विकार (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई विकार न हो; अविकारी 2. जिसमें कोई दोष न हो 3. जिसमें कोई परिवर्तन न होता हो; अपरिवर्तित 4. उदासीन।

निर्विकास (सं.) [वि.] 1. जो अभी खिला न हो 2. विकास से रहित; अविकसित।

निर्विघ्न (सं.) [वि.] जिसमें कोई विघ्न न हो; विघ्न या बाधा से रहित। [क्रि.वि.] बिना बाधा के।

निर्विचार (सं.) [सं-पु.] योग के अंतर्गत समाधि का एक भेद। [वि.] विचार-शून्य।

निर्विचारता (सं.) [सं-स्त्री.] मन में कोई भाव या विचार न उत्पन्न होने या आने की अवस्था।

निर्विण्ण (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में निर्वेद उत्पन्न हुआ हो; जिसे वैराग्य हो गया हो; विरक्त 2. दुखी; खिन्न 3. शांत।

निर्वितर्क (सं.) [वि.] जिसके विषय में तर्क न किया जा सके या न किया जाता हो।

निर्विभाग (सं.) [वि.] जिसके पास कार्य का कोई विभाग न हो; विभागहीन, जैसे- निर्विभाग मंत्री।

निर्विरोध (सं.) [वि.] 1. जिसका विरोध न हो; जिसका कोई विरोध न करे; विरोधरहित 2. जिसमें किसी प्रकार की बाधा या रुकावट न हो। [अव्य.] बिना किसी विरोध के।

निर्विवाद (सं.) [वि.] 1. जिसके विषय में कोई विवाद न होता हो; विवादरहित 2. जो बिना किसी झगड़े या बखेड़े के ठीक माना जाता हो। [अव्य.] बिना किसी प्रकार का विवाद किए।

निर्विवादित (सं.) [वि.] वह जो विवादित न हो; विवादरहित; बिना बखेड़े या झगड़े का।

निर्विशेष (सं.) [सं-पु.] अंतर का अभाव। [वि.] समान; तुल्य; सदैव एकरूप रहने वाला।

निर्विष (सं.) [वि.] विषहीन; विषरहित।

निर्विषय (सं.) [वि.] विषय-वासनाओं से रहित; वासना-मुक्त; निर्विषयी।

निर्विषयी (सं.) [वि.] निर्विषय।

निर्विषा (सं.) [सं-स्त्री.] विष के प्रभाव को कम करने वाली जड़ीबूटी; निर्विषी।

निर्वीज (सं.) [वि.] 1. बीज रहित 2. जिसका बीज तक नष्ट हो चुका हो; पूर्णतः नष्ट 3. नपुंसक।

निर्वीर्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें वीर्य न हो; वीर्यहीन; नपुंसक 2. जिसमें बल, तेज या पौरुष का अभाव हो; अशक्त; कमज़ोर 3. जिसमें उर्वरा-शक्ति न हो; अनुपजाऊ (भूमि)।

निर्वृक्षीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी भूखंड को वृक्षों से रहित कर देना; (डीफ़ॉरेस्टेशन)।

निर्वृत (सं.) [वि.] आनंद से भरा; आनंदमय।

निर्वृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परमानंद; सुख 2. मोक्ष 3. (पुराण) यदुकुल के एक राजा।

निर्वृत्त (सं.) [वि.] जो पूर्ण हो चुका हो; जो पूरा हो चुका हो; संपन्न।

निर्वृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पूर्णता की अवस्था; पूरापन 2. सिद्धि; समाप्ति; निष्पत्ति।

निर्वेद (सं.) [सं-पु.] 1. घृणा; ग्लानि; खेद 2. मन में स्वयं के प्रति उत्पन्न होने वाली ग्लानि और निराशा 3. उक्त के फलस्वरूप होने वाली विरक्ति; वैराग्य 4. (काव्यशास्त्र) शांत रस का स्थायी भाव।

निर्वेश (सं.) [सं-पु.] 1. वेतन; तनख़्वाह 2. भोग 3. विवाह 4. मोक्ष 5. बेहोशी; मूर्च्छा।

निर्वैयक्तिक (सं.) [वि.] 1. जो वैयक्तिक या व्यक्तिगत न हो 2. जो निजी न हो।

निर्वैयक्तिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यक्तिगत न होने की स्थिति या भाव; जहाँ वैयक्तिकता का अभाव हो 2. वस्तुगत-दृष्टि; वस्तुनिष्ठता 3. निरपेक्षता।

निर्वैर (सं.) [सं-पु.] वैर या शत्रुता का अभाव। [वि.] वैर या द्वेषभाव से रहित; द्वेष-मुक्त; जो वैरभाव न रखे।

निर्व्यलीक (सं.) [वि.] 1. निष्कपट; निश्छल 2. जो किसी को कष्ट न दे 3. सुखी 4. प्रसन्न।

निर्व्याज (सं.) [वि.] 1. व्याज अर्थात छल-कपट से रहित 2. सच्चा; शुद्ध 3. बाधा या विघ्न से रहित; निर्विघ्न।

निर्व्याधि (सं.) [वि.] रोग-व्याधि से रहित; निरोग।

निर्व्यापार (सं.) [वि.] 1. जिसे कोई काम न हो; बेकार 2. गतिहीन 3. कार्य व्यापार-हीन।

निर्हरण (सं.) [सं-पु.] 1. अंतिम संस्कार हेतु शव को श्मशान ले जाना 2. निकालना 3. शव जलाना 4. नष्ट करना।

निर्हार (सं.) [सं-पु.] 1. कील या काँटे जैसी धँसी या गड़ी हुई चीज़ को निकालना 2. केवल अपने लिए ही धन इकट्ठा करना 3. मल-मूत्र आदि का त्याग करना।

निर्हारी (सं.) [सं-पु.] 1. निर्हरण करने वाला व्यक्ति 2. फैलाने वाला व्यक्ति 3. दूर तक फैलने वाली सुगंध।

निर्हेतु (सं.) [वि.] बिना कारण का; अकारण; कारण रहित।

निलंबन (सं.) [सं-पु.] 1. लटकाने की क्रिया या स्थिति 2. किसी कर्मचारी के अपराधी या दोषी होने का संदेह होने पर उसे तब तक के लिए अपने पद से हटा देना जब तक उस संबंध में उचित कार्यवाही या जाँच न हो जाए; मुअत्तिली 3. कुछ समय के लिए रोक देने की क्रिया; स्थगन; किसी कार्य को कुछ समय के लिए टाल देना या अप्रभावी कर देना 4. (रसायनशास्त्र) ठोस या द्रव के छोटे-छोटे कणों का किसी द्रव या गैस में लटका रहना; (सस्पेंशन)।

निलंबित (सं.) [वि.] 1. जो किसी दोष या अपराध आदि के आरोप में मामले की जाँच के अंतिम निर्णय तक अपने पद से अस्थायी रूप से हटा दिया गया हो; मुअत्तल 2. कुछ समय के लिए रोका हुआ।

निलय (सं.) [सं-पु.] 1. घर; वासस्थान 2. माँद 3. घोंसला 4. स्वयं को छिपाने की क्रिया या भाव; छिपना 5. समूल नष्ट या लोप होना।

निलांबरी (सं.) [सं-स्त्री.] नीलांबरी।

निलिंप (सं.) [सं-पु.] देवता; देव।

निलीन (सं.) [वि.] 1. गला या पिघला हुआ 2. छिपा हुआ 3. विनष्ट 4. परिवर्तित।

निवर (सं.) [सं-पु.] ओट; आवरण; परदा। [वि.] 1. निवारण करने वाला 2. रोकने वाला।

निवर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. लौटना; लौटाना 2. रोकना; निवारण 3. पीछे हटना या हटाना 4. कानून आदि रद्द करना 5. मुड़ना; घूमना 6. ज़मीन की एक पुरानी नाप; बीघा।

निवर्तमान (सं.) [वि.] 1. जो पहले किसी पद पर रह चुका हो 2. किसी काम या पद से हट जाने वाला; जो सेवा-निवृत्त हो।

निवर्तित (सं.) [वि.] 1. लौटा या लौटाया हुआ 2. जिसका निवर्तन हुआ हो 3. जिसे रद्द कर दिया गया हो (कानून); (रिपील्ड)।

निवसन (सं.) [सं-पु.] 1. निवास स्थान; घर 2. वसन; वस्त्र।

निवह (सं.) [सं-पु.] 1. समूह; समुदाय 2. सात वायुओं में से एक 3. अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक 4. वध।

निवाकु (सं.) [वि.] मौन; चुप।

निवाड़ [सं-स्त्री.] बहुत मोटे सूत की बनी हुई चौड़ी पट्टी जिससे पलंग आदि बुने जाते हैं; निवार।

निवाड़ी [सं-स्त्री.] 1. जूही का श्वेत तथा सुगंधित फूल 2. जूही का पौधा। [वि.] 1. निवाड़ संबंधी; निवाड़ का 2. निवाड़ से बुना हुआ।

निवाप (सं.) [सं-पु.] पितरों के उद्देश्य से किया जाने वाला दान।

निवार1 [सं-स्त्री.] 1. मोटे सूत से निर्मित तीन-चार अंगुल चौड़ी पट्टी जिससे पलंग आदि की बुनाई की जाती है 2. कुएँ की नींव में डाला जाने वाला पहिए जैसा लकड़ी का गोल चक्का जिसके ऊपर कोठी की जुड़ाई होती है।

निवार2 (सं.) [सं-पु.] 1. धान की एक प्रजाति जिसका चावल व्रत में खाया जाता है; नीवार; तिन्नी; पसही 2. निवारण।

निवारक (सं.) [वि.] निवारण करने वाला; रोकने वाला; दूर करने या हटाने वाला, जैसे- दर्द निवारक दवा।

निवारण (सं.) [सं-पु.] 1. रोकने, हटाने या दूर करने की क्रिया या अवस्था 2. निवृत्ति; छुटकारा 3. किसी को बढ़ने या फैलने से रोकना; रोक-थाम 4. निषेध; मनाही 5. निरोध; (प्रिवेंशन)।

निवारना (सं.) [क्रि-स.] 1. निवारण करना 2. आसन्न संकट को रोकना या संकट आदि से किसी की रक्षा करना 3. किसी कार्य को टालते हुए समय व्यतीत करना 4. निषेध करना।

निवारी [सं-स्त्री.] 1. जूही की प्रजाति का एक पौधा जिसमें चैत मास में फूल लगते हैं 2. उक्त पौधे के सुगंधित सफ़ेद फूल। [वि.] 1. निवार संबंधी; निवार का 2. निवार से बुना हुआ।

निवार्य (सं.) [वि.] जिसका निवारण हो सके; निवारण योग्य।

निवाला (फ़ा.) [सं-पु.] खाने का कौर; ग्रास।

निवास (सं.) [सं-पु.] 1. बसने या रहने की क्रिया या अवस्था 2. रहने की जगह या स्थान 3. मकान; घर 4. कुछ समय तक ठहरने या विश्राम करने का स्थान 5. भौगोलिक दृष्टि से ऐसा स्थान जहाँ किसी जाति के जीव रहते हैं या कोई वनस्पति होती हो।

निवासन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी स्थान पर कुछ काल के लिए ठहरने की क्रिया या भाव 2. गृह; घर; मकान 3. किसी स्थान पर बसना या निवास करना।

निवासित (सं.) [वि.] बसा हुआ; बसाया या आबाद किया हुआ।

निवासी (सं.) [वि.] किसी क्षेत्र में रहने या निवास करने वाला। [सं-पु.] रहने या बसने वाला व्यक्ति।

निवास्य (सं.) [वि.] निवास करने योग्य; रहने योग्य।

निविड़ (सं.) [वि.] 1. जिसमें या जहाँ अवकाश या स्थान का अभाव हो; सघन; घना; कसा हुआ 2. भारी डील-डौलवाला 3. गंभीर 4. चपटी, टेढ़ी या दबी हुई नाकवाला; भद्दा।

निविड़ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घनापन; सघनता 2. मोटापन; स्थूलता 3. दृढ़ता 4. गंभीरता; गहराई।

निविदा (सं.) [सं-स्त्री.] आवश्यक रकम लेकर वांछित वस्तुओं, कार्यों तथा सेवाओं का निश्चित स्थान या समय पर उपलब्ध कराने का लिखित वादा; (टेंडर)।

निविरीश (सं.) [वि.] 1. घना 2. भद्दा 3. गहरा।

निविशमान (सं.) [सं-पु.] उपनिवेश बसाने वाले या उपनिवेश में बसाए गए लोग; उपनिवेशी। [वि.] जिसने कहीं निवास किया हो या कर रहा हो।

निविशेष (सं.) [सं-पु.] समानता; एकरूपता। [वि.] 1. साधारण; सामान्य 2. तुल्य; समान।

निविष्ट (सं.) [वि.] 1. बैठा हुआ; आसीन 2. डेरा डालकर ठहरा हुआ 3. तत्पर 4. एकाग्र किया हुआ 5. व्यवस्थित 6. प्रविष्ट; दर्ज किया हुआ।

निवीत (सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञोपवीत 2. ओढ़ने का वस्त्र; चादर; प्रवरण; ओढ़नी।

निवीती (सं.) [वि.] 1. जो यज्ञोपवीत धारण किए हो 2. जो चादर ओढ़े हो।

निवृत्त (सं.) [सं-पु.] 1. प्रत्यागमन; वापसी 2. रागरहित मन; माया-मोह के आकर्षण से रहित व्यक्ति। [वि.] 1. लौटा या लौटाया हुआ 2. सांसारिक विषयों से विरक्त; वीतराग 3. अवकाश प्राप्त; मुक्त 4. पूर्ण या समाप्त किया हुआ (कार्य)।

निवृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निवृत्त होने की क्रिया या भाव; प्रवृत्ति का अभाव 2. विरत होना 3. छुटकारा; मुक्ति 4. कार्य-समाप्ति; अवकाश; विश्राम; (रिटायरमेंट)।

निवेदक (सं.) [वि.] किसी के समक्ष किसी बात को नम्रतापूर्वक प्रस्तुत करने वाला; निवेदन करने वाला।

निवेदन (सं.) [सं-पु.] 1. नम्रतापूर्वक किसी से कुछ कहना; प्रार्थना; आवेदन 2. समर्पित करना; समर्पण।

निवेदित (सं.) [वि.] 1. निवेदन या प्रार्थना के रूप में कही गई बात 2. अर्पित या समर्पित (भेंट आदि के रूप में)।

निवेदिता (सं.) [वि.] निवेदन करने वाली; विनम्र। [सं-स्त्री.] अर्पिता; समर्पिता।

निवेद्य (सं.) [सं-पु.] नैवेद्य; भोग; देवता या मूर्ति को भेंट किया गया खाद्य पदार्थ।

निवेश (सं.) [सं-पु.] 1. मुनाफ़े के लिए किसी व्यापार आदि में धन या पूँजी लगाने की क्रिया या अवस्था 2. इस प्रकार लगाई गई पूँजी या धन; वित्तीय अंशदान 3. प्रवेश 4. स्थापन; आसन 5. फ़ौजी पड़ाव; सैनिक छावनी; शिविर; खेमा 6. विवाह 7. सजावट 8. घर; मकान 9. धरोहर 10. किसी स्थापित विधान में किसी आवश्यक उपधारा का जोड़ा जाना; (प्रॉविज़न)।

निवेशक (सं.) [वि.] निवेश करने वाला; पूँजी लगाने वाला।

निवेशन (सं.) [सं-पु.] 1. निवेश करने की क्रिया 2. नगर 3. पड़ाव; खेमा 4. गृह।

निवेशित (सं.) [वि.] ख़र्च या व्यय किया हुआ; किसी कार्य या व्यवसाय में लगाया हुआ; निवेश किया हुआ (धन)।

निवेष्ट (सं.) [सं-पु.] 1. आवरण; ढकने का कपड़ा 2. सामवेद में उल्लिखित एक प्रकार का मंत्र।

निशंक (सं.) [सं-पु.] जिसे किसी प्रकार की शंका या डर न हो; निधड़क; निडर। [क्रि.वि.] बिना किसी डर या शंका के।

निशक्त (सं.) [वि.] जिसमें शक्ति न हो; अशक्त; बलहीन; कमज़ोर; दुर्बल।

निशठ (सं.) [वि.] सच्चा; ईमानदार। [सं-पु.] (पुराण) बलदेव के एक पुत्र का नाम।

निशब्द (सं.) [वि.] जो शब्द से रहित हो; मौन; चुप।

निशमन (सं.) [सं-पु.] 1. दर्शन; अवलोकन; देखना 2. श्रवण; सुनना 3. परिचय प्राप्त करना; अवगत होना।

निशरण (सं.) [सं-पु.] मारण; वध।

निशा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रात; रात्रि; रजनी 2. दारूहल्दी नामक पौधा।

निशांत (सं.) [सं-पु.] 1. निशा का अंत; रात का चौथा पहर 2. प्रातःकाल; प्रभात; सवेरा। [वि.] बहुत शांत; शांतियुक्त।

निशांध (सं.) [वि.] जिसे रात को दिखाई न देता हो। [सं-पु.] रतौंधी का रोगी।

निशांधकार (सं.) [सं-पु.] रात्रि का अंधकार; रात का अँधेरा।

निशाकर (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. कपूर 3. मुरगा।

निशाखातिर (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] मन में होने वाला पूर्ण विश्वास; निश्चिंतता; तसल्ली; इतमीनान।

निशाचर (सं.) [वि.] रात्रि में विचरण करने वाला; रात में निकलने वाला। [सं-पु.] 1. राक्षस 2. उल्लू 3. साँप 4. चोर।

निशाचरी (सं.) [वि.] 1. निशाचर संबंधी 2. निशाचर-सा। [सं-स्त्री.] 1. राक्षसी 2. (काव्यशास्त्र) निशाअभिसारिका नायिका।

निशाट (सं.) [सं-पु.] 1. उल्लू 2. निशाचर।

निशात (सं.) [वि.] 1. सान पर चढ़ाकर तेज़ किया हुआ 2. ओप आदि लगाकर चमकाया हुआ।

निशाद (सं.) [सं-पु.] रात को खाने वाला।

निशान1 (सं.) [सं-पु.] 1. सान पर चढ़ाना 2. धार तेज़ करना।

निशान2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. चिह्न; लक्षण 2. शरीर पर कोई प्राकृतिक चिह्न; धब्बा; दाग 3. मुहर आदि की छाप 4. सुराग 5. वह बिंदु या चीज़ जिसपर निशाना लगाया जाए 6. वह चिह्न जो अशिक्षित लोग अपने हस्ताक्षर के बदले में बनाते हैं।

निशानदेही (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चिह्नित होने का भाव या अवस्था 2. चिह्नित कराने का काम; किसी व्यक्ति या उस वस्तु की किसी विशेष रूप से पहचान कराने का काम; प्रतिवादी की पहचान कराना।

निशाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जिसको दृष्टि में रखकर कोई अस्त्र चलाया जाए; लक्ष्य 2. मिट्टी आदि का ढेर जिसपर निशाना साधा जाए 3. वह व्यक्ति जिसे लक्ष्य बनाकर कोई अपने कटाक्ष, आरोप, उपहास, व्यंग्य आदि करता है।

निशानाथ (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; राकेश।

निशानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी घटना या व्यक्ति का स्मरण कराने वाली चीज़; स्मृतिचिह्न; यादगार 2. वह चिह्न जिससे किसी की पहचान हो सके।

निशानेबाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] अच्छा निशाना लगाने वाला व्यक्ति; उत्तम लक्ष्यभेदी; निशानेबाज़ी करने वाला।

निशानेबाज़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. निशाना लगाने का कार्य या कौशल 2. निशाना लगाने का अभ्यास।

निशापति (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; राकेश।

निशामुख (सं.) [सं-पु.] संध्या; संध्या का समय।

निशि (सं.) [सं-स्त्री.] रात; रात्रि।

निशीथ (सं.) [पु.] 1. आधी रात 2. रात्रि; रात; निशा 3. शयनकाल 4. (पुराण) रात्रि का एक कल्पित पुत्र।

निशुंभ (सं.) [सं-पु.] 1. वध 2. हिंसा 3. झुकाना 4. तोड़ना 5. (पुराण) दनु नामक राक्षस का पुत्र तथा शुंभ का भाई जिसका वध दुर्गा ने किया था।

निशुंभन (सं.) [सं-पु.] वध करना; मार डालना; मारण।

निशुंभी (सं.) [सं-पु.] बुद्ध का एक नाम।

निशेश (सं.) [सं-पु.] निशापति; निशानाथ; चंद्रमा।

निश्चय (सं.) [सं-पु.] 1. संदेहरहित ज्ञान या ऐसी धारणा जिसमें कोई दुविधा न हो 2. किसी कार्य को करने का पक्का संकल्प या दृढ़-विचार 3. सभा-समिति आदि में ठहराई हुई बात 4. (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार जिसमें एक बात का निषेध करके यथार्थ बात का उल्लेख होता है। [अव्य.] निश्चित रूप से; अवश्य ही।

निश्चयन (सं.) [सं-पु.] निश्चय करने की क्रिया या भाव।

निश्चयवादी (सं.) [वि.] निश्चय पर अडिग रहने वाला।

निश्चयात्मक (सं.) [वि.] निश्चित के रूप में होने वाला; सुनिश्चित; दृढ़; पक्का।

निश्चल (सं.) [वि.] जो अपने स्थान से ज़रा भी इधर-उधर न होता हो; थोड़ा-सा भी न हिलने-डुलने वाला; स्थिर; अचल; अटल।

निश्चला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. शालपर्णी।

निश्चायक (सं.) [वि.] 1. निश्चय कराने वाला; निर्णायक 2. जिसके कारण अथवा माध्यम से किसी बात का निश्चित ज्ञान हो।

निश्चिंत (सं.) [वि.] जिसे किसी प्रकार की कोई चिंता न हो; चिंतारहित; बेफ़िक्र।

निश्चिंतता (सं.) [सं-स्त्री.] निश्चिंत होने की अवस्था या भाव; बेफ़िक्री।

निश्चित (सं.) [वि.] जिसके विषय में निश्चय किया जा चुका हो; दृढ़; पक्का; जिसमें परिवर्तन न हो सकता हो।

निश्चेतक (सं.) [सं-पु.] निश्चेत करने वाली औषधि या विद्या।

निश्चेतन (सं.) [वि.] चेतनाशून्य; संज्ञाहीन; बेहोश; मूर्छित।

निश्चेष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसमें चेष्टा या गति न हो; चेष्टारहित 2. बेहोश; अचेत; मूर्छित 3. स्थिर; अचल; निश्चल।

निश्चेष्टता (सं.) [सं-स्त्री.] निष्क्रियता; अकर्मण्यता; प्रयत्नहीनता।

निश्छल (सं.) [वि.] छल-कपट से रहित; निष्कपट; सच्चा; शुद्ध हृदयवाला; सरल प्रकृति का; सीधा।

निश्छलता (सं.) [सं-स्त्री.] निश्छल होने की अवस्था या भाव; सच्चाई; ईमानदारी।

निश्छेद (सं.) [सं-पु.] वह संख्या जिसमें किसी गुणक के द्वारा भाग न दिया जा सके; अविभाज्य।

निश्रम (सं.) [सं-पु.] अध्यवसाय; विशेष श्रम।

निश्रेणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीढ़ी; जीना 2. एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक पहुँचने का साधन।

निश्वास (सं.) [सं-पु.] शोक या पीड़ा आदि के समय की गहरी या ठंडी साँस।

निश्शंक (सं.) [वि.] 1. भयहीन; निडर; निर्भय; जिसे डर न हो 2. जिसे किसी प्रकार का खटका या हिचक न हो।

निश्शील (सं.) [वि.] 1. जिसमें शील न हो; शीलरहित; बेमुरौवत 2. जिसका स्वभाव अच्छा न हो; दुष्ट स्वभाव का।

निश्शेष (सं.) [वि.] 1. जिसमें कुछ शेष न हो; जिसका कोई अंश न रह गया हो 2. समाप्त; पूरा; ख़तम।

निषंग (सं.) [सं-पु.] 1. विशेष आसक्ति या लगाव 2. तलवार; खड्ग 3. तरकश 4. मुँह से फूँककर बजाया जाने वाला एक प्राचीनकालीन वाद्ययंत्र।

निषंगी (सं.) [वि.] 1. जो किसी पर आसक्त हो; आसक्तिवाला 2. जिसने धनुष धारण किया हो; धनुषधारी; धनुर्धर; तीर चलाने वाला 3. खड्ग धारण करने वाला; खड्गधारी। [सं-पु.] धृतराष्ट्र के एक पुत्र का नाम।

निषक्त (सं.) [वि.] जो किसी पर विशेष रूप से आसक्त हो।

निषद (सं.) [सं-पु.] (संगीत) 'निषाद' नामक स्वर; स्वर सप्तक का अंतिम स्वर 'नि'। [सं-स्त्री.] यज्ञ संपादन हेतु ली जाने वाली दीक्षा।

निषाद (सं.) [सं-पु.] 1. संगीत में सरगम का सातवाँ स्वर, इसका संक्षिप्त रूप 'नि' है 2. एक प्राचीन शिकारी जाति 3. उक्त जाति का कोई सदस्य 4. एक प्राचीन देश जो शृंगवेरपुर के पास था 5. उक्त देश की प्राचीन भाषा जो आधुनिक भाषाविज्ञान की दृष्टि से मुंडा भाषाओं के वर्ग में गिनी जाती है।

निषादी (सं.) [सं-पु.] फीलवान; हाथीवान; महावत। [वि.] बैठने वाला; आराम करने वाला।

निषिक्त (सं.) [वि.] 1. अत्यधिक सींचा गया; जिसपर भरपूर जल छिड़का गया हो 2. जिसके भीतर या गर्भ तक कोई चीज़ पहुँचाई गई हो। [सं-पु.] वीर्य से फलित गर्भ।

निषिद्ध (सं.) [वि.] 1. जिसका निषेध किया गया हो; मना किया हुआ; वर्जित 2. अस्वीकृत किया हुआ 3. जिसपर सरकार द्वारा रोक लगाई गई हो; जिसके आयात-निर्यात की मनाही हो।

निषूदन (सं.) [सं-पु.] वध; मारण। [वि.] वध करने वाला; मारने वाला; नाशक।

निषेक (सं.) [सं-पु.] 1. जल से सिंचाई करने की क्रिया या भाव 2. टपकने या चूने की क्रिया अथवा भाव।

निषेचन (सं.) [सं-पु.] 1. छिड़कना 2. सींचना 3. बीज डालना; बीजवपन 4. शुक्राणु-कोशिका एवं अंड-कोशिका का संयुग्मन; (फर्टिलाइज़ेशन); गर्भधारण करना या कराना; गर्भाधान।

निषेध (सं.) [सं-पु.] 1. मना या निषिद्ध करने की क्रिया या भाव; मनाही; प्रतिबंध; रोक; बाधा; अस्वीकृति; इनकार 2. ऐसा नियम या आज्ञा जिसमें किसी बात की मनाही हो।

निषेधक (सं.) [वि.] निषेध करने वाला; मना करने वाला।

निषेधात्मक (सं.) [वि.] 1. जो निषेध या मनाही के रूप में हो; जिसमें 'नहीं' या 'न' होने का भाव हो; नकारात्मक; (निगेटिव) 2. अस्वीकृति; प्रतिवाद या इंकार के रूप में।

निषेवण (सं.) [सं-पु.] 1. विशेष रूप से किया गया सेवन 2. विशेष रूप से की गई सेवा; नौकरी 3. आराधना; उपासना; पूजा; अनुष्ठान 4. उपयोग; व्यवहार; प्रयोग 5. रहना; बसना; निवास।

निषेवित (सं.) [वि.] 1. जिसका सेवन हुआ हो; सेवित 2. जिसकी पूजा की गई हो; पूजित; जिसका अनुष्ठान किया गया हो; अनुष्ठित।

निषेवी (सं.) [वि.] निषेवण करने वाला; सेवा करने वाला; आराधक।

निषेव्य (सं.) [वि.] 1. जिसका निषेवण या सेवन करना उचित हो; सेवन करने योग्य; सेवनीय 2. जिसका सेवन किया जाने वाला हो।

निष्क (सं.) [सं-पु.] 1. वैदिककालीन सोने का सिक्का जो प्रायः सोलह माशे के बराबर होता था 2. उक्त सिक्के के बराबर की तौल 3. सोना; स्वर्ण 4. सोने का पात्र।

निष्कंटक (सं.) [वि.] 1. जिसमें काँटे न हों; कंटकरहित 2. जिसमें कोई बाधा या बखेड़ा न हो 3. {ला-अ.} जिसमें कोई भय या डर न हो। [क्रि.वि.] बिना झंझट या रुकावट के; बिना किसी प्रकार की शत्रुता की संभावना के; बेखटके।

निष्कंप (सं.) [वि.] 1. जिसमें कंपन न हो; कंपरहित; जो काँप न रहा हो 2. स्थिर; दृढ़; अटल 3. जो चंचल न हो; अचल।

निष्कपट (सं.) [वि.] जिसके मन में कपट या छल न हो; छल-छद्म से रहित; निश्छल; सीधा; सरल।

निष्कर (सं.) [सं-स्त्री.] जिस भूमि पर कर न लगता हो। [वि.] जिसपर कर या महसूल न लगता हो।

निष्करुण (सं.) [वि.] जिसके हृदय में करुणा न हो; करुणाहीन; जिसमें दया न हो; निर्दय; कठोर हृदयवाला; निष्ठुर।

निष्कर्म (सं.) [वि.] 1. जो कोई कर्म न करता हो; निष्क्रिय 2. जो कर्म करते हुए भी उससे आसक्त या लिप्त न हो; निष्काम भाव से कर्म करने वाला।

निष्कर्मा (सं.) [वि.] 1. जो किसी काम का न हो; निकम्मा 2. अनासक्त भाव से कर्म करने वाला।

निष्कर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. विचार या विवेचन के अंत में निकलने वाला सार; सारांश; निचोड़ या सिद्धांत 2. खींच या निकालकर बाहर की हुई चीज़ या तत्व; निःसारण 3. सारभूत अर्थ 4. नतीजा; परिणाम।

निष्कल (सं.) [वि.] 1. जो किसी भी प्रकार की कला या हुनर न जानता हो; कलाहीन 2. जो कलापूर्ण ढंग से न किया गया हो 3. जिसका वीर्य नष्ट हो गया हो; नष्टवीर्य 4. क्षीण; दुर्बल 5. संपूर्ण; निरवयव। [सं-पु.] 1. ब्रह्मा 2. आधार।

निष्कलंक (सं.) [वि.] 1. जिसपर कोई कलंक न लगा हो; बेदाग 2. शुद्ध; स्वच्छ 3. दोष, पाप आदि से रहित।

निष्कलंकता (सं.) [सं-स्त्री.] निष्कलंक होने का भाव।

निष्कलुष (सं.) [वि.] कलंक से रहित; निष्कलंक।

निष्काम (सं.) [वि.] 1. सब प्रकार की कामना या वासना से रहित; निरीह 2. जो बिना किसी कामना से किया जाए।

निष्काम प्रेम (सं.) [सं-पु.] सब प्रकार की कामना या वासना से रहित प्रेम; (प्लेटोनिक लव)।

निष्कारण (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई कारण न हो; अकारण 2. बिना किसी कारण के होने वाला; अहेतुक।

निष्कालक (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसके सिर के बाल, रोएँ आदि मूँड़ दिए गए हो।

निष्कालन (सं.) [सं-पु.] 1. चलाने की क्रिया या भाव 2. पशुओं आदि को चलाना या भगाना।

निष्काश (सं.) [सं-पु.] 1. बाहर करना या निकालना 2. किसी भवन या मकान का बाहर निकला हुआ भाग या हिस्सा, जैसे- बरामदा 3. लोप 4. प्रभात।

निष्काष (सं.) [सं-पु.] दूध का वह भाग जो अधिक औटने के कारण बरतन में लगा रह जाता है; दूध की खुरचन।

निष्कासन (सं.) [सं-पु.] 1. निकालने या बाहर करने की क्रिया 2. बहिष्कार 3. नौकरी या निवास-स्थल से किसी को बलपूर्वक बाहर निकाल देना 3. दंड के रूप में देश या राज्य से बाहर निकाला जाना।

निष्कासित (सं.) [वि.] 1. जिसका निष्कासन या बहिष्कार हुआ हो 2. दंडस्वरूप घर, विद्यालय, नगर, राज्य, देश आदि से निकाला हुआ 3. नौकरी या निवास-स्थान से निकला हुआ।

निष्कीटन (सं.) [सं-पु.] (रसायनिक प्रक्रिया द्वारा) कीटों अथवा कीड़ों से रहित करना।

निष्कुट (सं.) [सं-पु.] 1. घर के समीप स्थित बाग 2. खेत; क्यारी 3. अंतःपुर; रनिवास; जनानख़ाना 4. दरवाज़ा; किवाड़ 5. एक प्राचीन पर्वत 6. खोखला वृक्ष; कोटर।

निष्कुल (सं.) [वि.] 1. बिना कुल का; कुल से रहित 2. जिसके कुल में कोई न रह गया हो 3. जो अपने कुल से अलग कर दिया गया हो।

निष्कुह (सं.) [सं-पु.] किसी पेड़ का खोखला अंश; कोटर; खोंडरा।

निष्कूज (सं.) [वि.] शब्द या ध्वनि से रहित; शांत।

निष्कूट (सं.) [वि.] छल-कपट से रहित; निष्कपट।

निष्कृत (सं.) [वि.] 1. मुक्त 2. हटाया हुआ 3. तिरस्कृत; उपेक्षित 4. जिसे क्षमा मिली हो; क्षमित। [सं-पु.] 1. मिलन-स्थल 2. प्रायश्चित।

निष्कृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हराने की अवस्था 2. छुटकारा; मुक्ति; उद्धार 3. क्षमा 4. तिरस्कार; उपेक्षा; दुराचरण 5. प्रायश्चित।

निष्कृष्ट (सं.) [वि.] 1. निचोड़कर निकाला हुआ 2. सारभूत।

निष्कैवल्य (सं.) [वि.] 1. मोक्ष-रहित 2. पूर्ण 3. शुद्ध।

निष्क्रम (सं.) [वि.] बिना क्रम का; बेतरतीब। [सं-पु.] मन की तृप्ति।

निष्क्रमण (सं.) [सं-पु.] 1. बाहर निकालना 2. चार मास के शिशु को पहली बार घर से बाहर निकालने एवं सूर्य-दर्शन कराने के निमित्त हिंदुओं में होने वाला एक संस्कार।

निष्क्रांत (सं.) [वि.] 1. बाहर निकला या निकला हुआ 2. जिसका निष्क्रमण हो चुका हो 3. निर्गत।

निष्क्रिय (सं.) [वि.] 1. कोई काम-धाम न करने वाला 2. जिसमें कार्य या व्यापार न हो; क्रियाहीन 3. 'सक्रिय' का विलोम 4. प्रयत्नरहित; आलसी; अकर्मण्य 5. जिसकी क्रिया या गति बीच में रुक गई हो।

निष्क्रियण (सं.) [सं-पु.] निष्क्रिय करना; निष्क्रिय बनाना; निष्प्रभावी कर देना।

निष्क्रियता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निष्क्रिय होने की अवस्था, दशा या भाव 2. जड़ता; अकर्मण्यता।

निष्क्रियीकरण (सं.) [सं-पु.] निष्क्रिय करने का कार्य या भाव।

निष्क्रीत (सं.) [वि.] जिसका विमोचन किया गया हो; विमोचित।

निष्क्लेश (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी प्रकार का क्लेश न हो; क्लेशरहित 2. बौद्ध धर्म में दस प्रकार के क्लेशों से मुक्त।

निष्क्वाथ (सं.) [सं-पु.] मांस आदि का रसा; शोरबा; झोल।

निष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) दैत्यों की माता व दक्षप्रजापति की कन्या तथा कश्यप की पत्नी; दिति।

निष्ठ (सं.) [वि.] 1. ठहरा हुआ; स्थित 2. कार्य में लगा हुआ; तत्पर 3. मन से लगा रहने वाला 4. विश्वास करने वाला 5. किसी के प्रति निष्ठा, श्रद्धा या भक्ति रखने वाला।

निष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भक्ति या श्रद्धा का भाव या मनोवृति 2. गहरा अनुराग या विश्वास 3. स्थिति; ठहराव 4. निश्चय 5. आधार 6. एकाग्रता; तत्परता; दक्षता 7. दृढ़ता।

निष्ठान (सं.) [सं-पु.] दाल, सब्ज़ी, अचार आदि भोजन की वस्तुएँ।

निष्ठावान (सं.) [वि.] जो किसी के प्रति निष्ठा रखता हो; निष्ठा रखने वाला।

निष्ठाहीन (सं.) [वि.] किसी के भी प्रति निष्ठा न रखने वाला; श्रद्धाहीन; अविश्वासी।

निष्ठित (सं.) [वि.] 1. दृढ़ता से स्थित 2. निष्ठायुक्त; निष्ठावान 3. कुशल; दक्ष।

निष्ठीव (सं.) [सं-पु.] 1. थूक; खखार 2. कफ़ आदि को बाहर निकालने की दवा।

निष्ठुर (सं.) [वि.] 1. क्रूर; बेरहम; निर्दय; हृदयहीन 2. कठिन; कठोर; सख्त; कड़ा; रूखा 3. तेज़; उग्र।

निष्ठुरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निष्ठुर होने की अवस्था या भाव 2. निर्दयता; कठोरता 3. उग्रता।

निष्ण (सं.) [वि.] 1. किसी विषय का संपूर्ण ज्ञान रखने वाला; ज्ञानी 2. निपुण; कुशल; उत्तम; श्रेष्ठ 3. जो संपन्न या पूरा किया जा चुका हो; निष्पन्न।

निष्णात (सं.) [वि.] 1. प्रवीण; कुशल; निपुण 2. पूरा किया हुआ 3. किसी विषय या बात का अच्छा ज्ञान रखने वाला; विशेषज्ञ; पारंगत; पंडित; (एक्सपर्ट)।

निष्पंद (सं.) [वि.] स्पंदनहीन; शांत; गतिहीन; स्थिर।

निष्पक्व (सं.) [वि.] अच्छी तरह से पका या पकाया हुआ।

निष्पक्ष (सं.) [वि.] 1. जो किसी के पक्ष या दल में न हो 2. पक्षपात न करने वाला; तटस्थ।

निष्पक्षता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पक्षपात न करने का भाव या अवस्था 2. किसी पक्ष या दल में न होने की अवस्था; तटस्थता 3. वस्तुनिष्ठता।

निष्पतन (सं.) [सं-पु.] तीव्रता से बाहर निकलना।

निष्पत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्पत्ति; आविर्भाव 2. पूर्णता 3. निश्चय, उद्देश्य आदि की पूर्ति या सिद्धि 4. आदेशानुसार किसी कार्य का किया जाना; (एग्ज़िक्यूशन) 5. मीमांसा 6. निर्वाह 7. हठयोग में नाद की अंतिम अवस्था।

निष्पन्न (सं.) [वि.] 1. जन्मा हुआ; उत्पन्न 2. आज्ञा, आदेश, नियम आदि के द्वारा पूरा किया हुआ 3. पूर्ण; सिद्ध; परिपक्व।

निष्पराक्रम (सं.) [वि.] पराक्रमहीन।

निष्पादक (सं.) [सं-पु.] 1. आज्ञानुसार कार्य करने वाला व्यक्ति 2. निश्चय के अनुरूप कार्य संपन्न करने वाला व्यक्ति 3. किसी की वसीयत में उल्लिखित बातों का पालन या व्यवस्था करने के निमित्त नियुक्त अधिकारी; (एग्ज़िक्यूटर)। [वि.] निष्पादन करने वाला।

निष्पादन (सं.) [सं-पु.] 1. नियम, आदेश आदि के अनुसार किसी कार्य को निष्पन्न करना; तामील; (एग्ज़िक्यूशन) 2. किसी कार्य को ठीक ढंग से पूरा करना; समाप्त करना।

निष्पाप (सं.) [वि.] 1. जिसने पाप न किया हो या जो पाप से दूर हो (व्यक्ति आदि) 2. जिसे करने से पाप न लगता हो (कार्य आदि)।

निष्पीड़न (सं.) [सं-पु.] 1. किसी रसदार वस्तु से दबाकर रस निकालना 2. निचोड़ना।

निष्पुरुष (सं.) [वि.] 1. पुरुषत्वहीन; नपुंसक 2. जहाँ आबादी न हो; निर्जन।

निष्पौरुष (सं.) [वि.] जिसमें पौरुष न हो; पौरुषहीन।

निष्प्रकंप (सं.) [सं-पु.] (पुराण) तेरहवें या चौदहवें मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। [वि.] 1. जिसमें कंपन न हो; कंपनरहित 2. स्थिर; अचल।

निष्प्रकाश (सं.) [वि.] प्रकाशरहित; अंधकारपूर्ण; अँधेरा।

निष्प्रताप (सं.) [वि.] प्रतापरहित; तेजरहित; विशिष्टगुण रहित।

निष्प्रतिघ (सं.) [वि.] जिसमें कोई बाधा या रुकावट न हो; अबाध।

निष्प्रतिभ (सं.) [वि.] 1. जिसमें प्रतिभा न हो या जिसकी प्रतिभा समाप्त हो गई हो; प्रतिभारहित 2. मूर्ख; मंदबुद्धि 3. सहानुभूति न रखने वाला 4. जिसमें तड़क भड़क न हो।

निष्प्रभ (सं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार की प्रभा या चमक न हो; प्रभाशून्य; प्रभाहीन 2. घबराया हुआ; हतप्रभ।

निष्प्रभाव (सं.) [वि.] जिसका कोई प्रभाव न हो या न रह गया हो; प्रभावहीन; अप्रभावी।

निष्प्रभावीकरण (सं.) [सं-पु.] प्रभाव को ख़त्म करने की क्रिया या भाव।

निष्प्रयोजन (सं.) [वि.] 1. जिससे कोई प्रयोजन न सिद्ध हो; बेकार; निरर्थक 2. बेमतलब; फालतू का। [क्रि.वि.] 1. बिना प्रयोजन का; निस्वार्थ 2. व्यर्थ; फ़िज़ूल।

निष्प्रयोज्य (सं.) [वि.] जिसका कोई प्रयोजन न हो; प्रयोजनहीन; व्यर्थ।

निष्प्राण (सं.) [वि.] 1. जिसमें प्राण न हों; प्राणरहित 2. मृत; मरा हुआ 3. निर्जीव; जड़ 4. उत्साहहीन 5. गुणहीन (सहित्य आदि के संदर्भ में) 6. {ला-अ.} जो ओजस्वी, प्रेरक या आनंदप्रद न हो।

निष्फल (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई फल या परिणाम न हो 2. व्यर्थ; निरर्थक 3. जिसे कोई काम करने में असफलता मिली हो; विफल; असफल 4. जिसमें फल न लगता हो या न लगा हो (वृक्ष)।

निष्फलता (सं.) [सं-स्त्री.] निष्फल होने की अवस्था या दशा; असफलता।

निसंग (सं.) [वि.] 1. बिना मेल या लगाव का; जो मेल या लगाव न रखता हो 2. एकाकी; अकेला 3. विषयानुराग से रहित; निष्काम; निर्लिप्त 4. एकांत; निर्जन।

निसबत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. लगाव; संबंध; ताल्लुक 2. संपर्क 3. तुलना। [क्रि.वि.] 1. ताल्लुक से; लगाव से 2. तुलनात्मक रूप से।

निसर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. सृष्टि 2. प्रकृति; स्वभाव; (नेचर) 3. त्यागना; छोड़ना 4. रूप; आकृति 5. दान; भेंट 6. बाहर निकालना 7. विनिमय।

निसार1 (सं.) [सं-पु.] समुदाय; समूह।

निसार2 (अ.) [सं-पु.] 1. बलि; कुरबानी 2. सदका; न्योछावर 3. मुग्ध 4. मुगलकालीन एक सिक्का जो रुपए के चौथे हिस्से के बराबर होता था।

निसिंधु (सं.) [सं-पु.] सिधुवार; सम्हालू नामक पेड़।

निसीठी [वि.] 1. निःसार; सारहीन; निस्तत्व 2. नीरस; फीका।

निसूदक (सं.) [वि.] मारने या वध करने वाला; हिंसा करने वाला; हिंसक।

निसूदन (सं.) [सं-पु.] वध करना; मारना; नष्ट करना।

निसृत (सं.) [वि.] विशेष रूप से निकला या निकाला हुआ।

निसोथ [सं-स्त्री.] 1. गोल एवं नुकीले पत्ते वाली लता 2. उक्त लता की जड़ और तना जो औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

निस्तंतु (सं.) [वि.] 1. तंतुओं से रहित 2. जिसकी कोई संतति न हो; संतानहीन।

निस्तंद्र (सं.) [वि.] 1. जिसे नींद (तंद्रा) न आई या न आती हो; तंद्रारहित 2. निरालस्य 3. जागा हुआ; जागरूक; जाग्रत।

निस्तत्व (सं.) [वि.] जिसमें कोई तत्व न हो; तत्वहीन; सारहीन।

निस्तब्ध (सं.) [वि.] 1. विशेष रूप से स्तब्ध 2. जो हिलता-डुलता न हो; गतिहीन 3. निश्चेष्ट 4. कोलाहल रहित; शांत 5. जड़।

निस्तब्धता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निस्तब्ध होने की अवस्था या भाव 2. निश्चेष्टता 3. गतिहीनता।

निस्तरंग (सं.) [वि.] 1. जिसमें तरंग अथवा लहर न हो; जिसमें गति अथवा स्पंदन न हो 2. शांत।

निस्तरण (सं.) [सं-पु.] 1. पार होने की क्रिया या भाव 2. छुटकारा; उद्धार 3. काम पूरा करके उससे छुट्टी पाना 4. उपाय।

निस्तल (सं.) [वि.] 1. जिसका तल न हो 2. जिसके तल की थाह न हो; बहुत गहरा; अंतहीन 3. गोल; वृत्ताकार 4. नीचा; निम्न।

निस्तार (सं.) [सं-पु.] 1. तैरकर पार होने की क्रिया या भाव 2. बंधन या संकट से बचकर निकलने की क्रिया; छुटकारा; उद्धार; मुक्ति 3. काम पूरा करके उससे छुट्टी पाना 4. अभीष्ट की प्राप्ति या सिद्धि 5. शौच आदि के लिए जाना 6. उपाय 7. ऋण आदि से छुटकारा।

निस्तारक (सं.) [वि.] 1. पार उतारने वाला 2. छुटकारा दिलाने वाला; मुक्त करने वाला।

निस्तारण (सं.) [सं-पु.] 1. निकालने की क्रिया या भाव 2. बंधनों से छुटकारा 3. अभीष्ट कार्य का संपादन 4. (रसायनविज्ञान) निथारने की क्रिया 5. विजय पाने की अवस्था 6. उबारना 7. डूबने, जलने आदि से बचाने की क्रिया।

निस्तीर्ण (सं.) [वि.] 1. जो पार उतर चुका हो 2. जिसका उद्धार हो चुका हो; जिसका निस्तार या छुटकारा हो चुका हो; मुक्त 3. पूरा किया हुआ।

निस्तुष (सं.) [वि.] 1. जिसमें भूसी न हो या जिसकी भूसी अलग कर दी गई हो 2. शुद्ध; निर्मल; स्वच्छ।

निस्तुषित (सं.) [वि.] 1. जिसका छिलका उतार दिया गया हो; छिला हुआ 2. त्यागा हुआ; त्यक्त 3. छोटा या पतला किया हुआ।

निस्तेज (सं.) [वि.] 1. जिसमें आभा या तेज का अभाव हो 2. मंद; धीमा 3. कांतिहीन; निष्प्रभ 4. जिसका तेज धूमिल पड़ गया हो।

निस्पंद (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई कंपन या हरकत न हो; स्पंदनहीन 2. स्थिर; अचल 3. निश्चेष्ट; स्तब्ध।

निस्पंदन (सं.) [सं-पु.] निस्पंद होने की क्रिया या भाव।

निस्पृह (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी प्रकार की इच्छा न हो; इच्छारहित; वासनारहित 2. जिसे लोभ न हो।

निस्यंद (सं.) [सं-पु.] 1. टपकना; रिसना; चूना; क्षरण 2. प्रकट करना 3. परिणाम।

निस्वन (सं.) [सं-पु.] शब्द; ध्वनि; आवाज़।

निस्वान (सं.) [सं-पु.] 1. निस्वन 2. किसी ध्वनि के कारण वायु में उत्पन्न सरसराहट।

निस्संकोच (सं.) [वि.] जिसमें संकोच या लज्जा न हो; संकोचहीन; बेधड़क। [क्रि.वि.] बिना किसी संकोच के।

निस्संग (सं.) [वि.] 1. जिसके साथ कोई न हो; अकेला 2. जो किसी से कोई संबंध न रखता हो 3. सांसारिक विषय-वासनाओं से रहित; उदासीन; निष्काम; निर्लिप्त।

निस्संतान (सं.) [वि.] जिसे कोई संतान न हो; संतानहीन।

निस्संदेह (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई संदेह न हो; असंदिग्ध 2. निश्चित। [अव्य.] 1. बिना किसी प्रकार के संदेह के 2. निश्चित रूप से; बेशक; अवश्य; ज़रूर।

निस्संबल (सं.) [वि.] जिसका कोई संबल या ठिकाना न हो; बेसहारा।

निस्सत्व (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई सत्व न हो; थोथा; सत्वहीन; निःसार 2. कमज़ोर; शक्तिहीन 3. तुच्छ 4. बिना अस्तित्व का।

निस्सरण (सं.) [सं-पु.] 1. निकलने की क्रिया या भाव 2. निकलने का मार्ग; निकास 3. उद्धार 4. उपाय।

निस्सहाय (सं.) [वि.] जिसकी सहायता करने वाला कोई न हो; असहाय।

निस्सार (सं.) [वि.] जिसमें कोई तत्व या सार न हो; सारहीन।

निस्सारण (सं.) [सं-पु.] निकालने अथवा बाहर करने की क्रिया या भाव; (डिस्चार्ज)।

निस्सीम (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सीमा न हो; असीम 2. सीमातीत।

निस्सृत (सं.) [वि.] बाहर निकला हुआ; बाहर आया हुआ।

निस्स्वाद (सं.) [वि.] 1. स्वादरहित; बेस्वाद 2. जिसका स्वाद अच्छा न हो; स्वादहीन 3. बदमज़ा।

निस्स्वार्थ (सं.) [वि.] बिना स्वार्थ का; जिसमें अपने हित का कोई विचार न हो।

निहंग (सं.) [वि.] 1. अकेला; एकाकी 2. जिसने विवाह न किया हो; अविवाहित 3. पारिवारिक दायित्वों एवं झंझटों से मुक्त 4. स्त्री से संबंध न रखने वाला 5. बेशरम। [सं-पु.] 1. वैष्णव साधुओं का एक वर्ग 2. वैरागी; साधु 3. सिक्खों का एक संप्रदाय।

निहत (सं.) [वि.] 1. फेंका हुआ 2. नष्ट किया हुआ; विनष्ट 3. जो मार डाला गया हो 4. जड़ा हुआ; संलग्न।

निहतार्थ (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का काव्य दोष जिसमें किसी द्वयर्थक शब्द को उसके अप्रसिद्ध अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है।

निहत्था (सं.) [वि.] 1. जिसके हाथ में कोई हथियार या अस्त्र न हो 2. निःशस्त्र; निरस्त्र; आयुधहीन 3. खाली हाथवाला; जिसके पास कोई साधन या उपाय न हो 4. बिना हथियारवाला 5. मारा हुआ; बरबाद किया हुआ।

निहाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक विशेष आकार का लोहे का वह ठोस टुकड़ा जिसपर धातुओं को रखकर पीटा जाता है 2. लोहारों और सुनारों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला लोहे का भारी अड्डा या आधार।

निहानी [सं-स्त्री.] नक्काशी जैसे महीन काम करने का एक तरह का औज़ार; रुखानी।

निहायत (अ.) [अव्य.] अत्यंत; बहुत अधिक; ज़्यादा। [सं-स्त्री.] हद; सीमा।

निहार (सं.) [सं-पु.] 1. कुहरा; धुंध 2. ओस 3. पाला; बरफ़ 4. निकास; निकलने का रास्ता।

निहारना [क्रि-स.] ध्यानपूर्वक देखना; टकटकी लगाकर देखना; गौर से देखना।

निहारिका (सं.) [सं-स्त्री.] आकाश में कुहरे की तरह छाया हुआ प्रकाश-पुंज जो रात में सफ़ेद धारी की तरह दिखाई देता है।

निहाल (फ़ा.) [वि.] 1. प्रफुल्ल; प्रसन्न; ख़ुश 2. समृद्ध; मालामाल 3. पूर्णकाम; सफल मनोरथ।

निहाली (फ़ा.) [सं-स्त्री.] तोशक; गद्दा; रजाई।

निहित (सं.) [वि.] 1. किसी चीज़ के अंदर स्थित; छिपा हुआ; अंतर्भुक्त; दबा हुआ 2. स्थापित; रखा हुआ; धरा हुआ 3. किसी के अंदर पड़ा हुआ 4. उपलक्षित (अर्थ) 5. प्रदत्त; सौंपा हुआ, जैसे- निहित अधिकार 6. गंभीर स्वर में कहा हुआ।

निहितार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. छिपा हुआ अर्थ; अभिप्रेत अर्थ; उपलक्षित अर्थ 2. वाक्य का वह गूढ़ अर्थ जो साधारण तौर पर स्पष्ट न हो किंतु उसका महत्व हो।

निहोरा (सं.) [सं-पु.] 1. कृतज्ञता; उपकार; अहसान 2. विनय; निवेदन 3. भरोसा; अवलंब; आसरा।

नींद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोने की अवस्था; निद्रा 2. शरीर और मस्तिष्क के विश्राम की अवस्था।

नींव (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी भवन की दीवार का वह निचला हिस्सा जो ज़मीन के नीचे रहता है 2. उक्त हेतु ज़मीन में खोदा गया नालीनुमा गड्ढा 3. किसी वस्तु या कार्य का आधार भाग या शुरुआत 4. मूल; जड़; आधार 5. {ला-अ.} वह मौलिक कार्य या आंदोलन जो भविष्य में बहुत उत्कृष्ट रूप में सामने आया हो; किसी रचनात्मक कार्य का आरंभ।

नीऑन (इं.) [सं-पु.] एक निष्क्रिय एवं रंगहीन गैस।

नीच (सं.) [वि.] 1. आचरण, व्यवहार, कर्म, गुण आदि के विचार से निम्न 2. निंदनीय; बुरा; हीन 3. दुष्ट; खल।

नीच-ऊँच [सं-पु.] 1. छोटा-बड़ा 2. बुरा-भला; अहित-हित 3. हानि-लाभ 4. दुख-सुख।

नीचता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीच होने की अवस्था या भाव 2. हेय आचरण या व्यवहार; ओछापन; दुष्टता।

नीचपन (सं.) [सं-पु.] नीचता; ओछापन।

नीचा (सं.) [वि.] 1. जो किसी ऊँची सतह की तुलना में गहरा या कम ऊँचा हो, जैसे- नीची ज़मीन 2. गहरा; निम्न 3. 'ऊँचा' का विलोम 4. जिसका विस्तार या विकास ऊपर की तरफ़ कम हो; कम उँचाईवाला 5. जिसका झुकाव नीचे की ओर हो; जो ज़मीन के समीप आया हुआ हो, जैसे- नीची शाखा 6. झुका हुआ; नत। [मु.] -दिखाना : अपमानित करना; तुच्छ ठहराना; हराना; शर्मिंदा करना। -देखना : हारना; अपमानित होना; नीची दृष्टि करना; लज्जा या संकोचवश सिर झुकाना।

नीड़ (सं.) [सं-पु.] 1. घोंसला 2. रहने, ठहरने या बैठने का स्थान; आश्रय; घर विश्राम-स्थल 3. माँद 4. किसी सवारी में बैठने की जगह 5. रथ की वह जगह जहाँ रथी बैठता है।

नीड़क (सं.) [सं-पु.] 1. पक्षी 2. घोंसला।

नीड़ज (सं.) [सं-पु.] पक्षी; चिड़िया।

नीत (सं.) [वि.] 1. पहुँचाया या लाया हुआ 2. ग्रहण किया हुआ; गृहीत 3. मिला या पाया हुआ; प्राप्त 4. बिताया हुआ 5. स्थापित। [सं-पु.] 1. धन-संपत्ति 2. गल्ला।

नीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उचित या ठीक रास्ते पर ले जाने या ले चलने की क्रिया या ढंग; नीतिशास्त्र 2. आचार-व्यवहार; बरताव का ढंग 3. राष्ट्र या समाज की उन्नति या हित के लिए निश्चित आचार-व्यवहार 4. सदाचार के नियम तथा रीतियाँ; अच्छा चालचलन 5. राज्य या शासन की रक्षा तथा व्यवस्था के लिए तय किए गए नियम तथा सिद्धांत; राजनीति 6. अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए किया जाने वाला आचरण; चतुराई भरी चाल 7. किसी कार्य को संपन्न करने का ढंग या विधि; (पॉलिसी) 8. हिम्मत; तरकीब; युक्ति 9. किसी कार्य की उपलब्धि 10. चाल 11. किसी संस्था या सरकार द्वारा कार्य संचालन के लिए अपनाई जाने वाली कार्य पद्धति 12. उपाय; युक्ति; योजना 13. संबंध; सहारा 14. औचित्य।

नीतिगत (सं.) [वि.] नीति संबंधी; नीति विषयक।

नीतिज्ञ (सं.) [वि.] 1. नीति को जानने वाला; नीतिशास्त्र का ज्ञाता 2. नीतिकुशल; चतुर 3. राजनीति-विशारद 4. सदाचारी।

नीतिपरक (सं.) [वि.] नीतियुक्त; जिसमें नीति हो; नीति से संबंधित।

नीतिमत्ता (सं.) [सं-स्त्री.] विवेक; बुद्धिमानी।

नीतिमान (सं.) [वि.] नीति के अनुरूप व्यवहार करने वाला; नीतिपरायण; सदाचारी।

नीतिवचन (सं.) [वि.] नीति संबंधी वचन या कथन; नीति विषयक उक्ति।

नीतिवादी (सं.) [वि.] 1. नीतिवाद संबंधी 2. नीतिवाद का अनुयायी 3. नीतिशास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप आचरण करने वाला या ऐसी इच्छा रखने वाला।

नीतिवान (सं.) [वि.] नीतियुक्त; नीति वाला; सदाचारी।

नीतिशास्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. वह शास्त्र जिसमें मानव समाज के हित के लिए देश, काल और पात्र के अनुसार आचार-व्यवहार तथा प्रबंध एवं शासन का विधान हो; (एथिक्स) 2. उक्त विषय से संबंधित कोई प्रामाणिक ग्रंथ।

नीध्र (सं.) [सं-पु.] 1. जंगल; वन 2. पहिए का धुरा 3. चंद्रमा।

नीप (सं.) [सं-पु.] 1. कदंब का पेड़ एवं फूल 2. गुलदुपहरिया; बंधूक वृक्ष 3. नीला अशोक 4. पर्वत का निम्न भाग या तल 5. एक प्राचीन देश। [वि.] निम्न भाग में स्थित।

नीबू (सं.) [सं-पु.] 1. गोलाकार या लंबोतर आकार का खट्टे रस वाला एक फल 2. वह पेड़ जिसमें उक्त फल लगता है।

नीम1 (सं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध पेड़ जिसके फल, बीज, पत्तियाँ आदि सभी कड़वे होते हैं तथा इससे अनेक प्रकार की औषधियाँ बनाई जाती हैं।

नीम2 (फ़ा.) [वि.] 1. अर्ध; आधा, जैसे- नीम हकीम 2. थोड़ा-बहुत; हलके रंग के संबंध में, जैसे- नीम प्याज़ी 3. मध्य; बीच। [मु.] -हकीम : 1. अधकचरा ज्ञान रखने वाला वैद्य 2. आयुर्विज्ञान की अल्प जानकारी रखने वाला चिकित्सक।

नीमा (फ़ा.) [सं-पु.] एक तरह का पहनावा जो जामे के नीचे पहना जाता है।

नीयत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ को पाने के लिए मन में रहने वाला भाव या उद्देश्य; आंतरिक लक्ष्य 2. इच्छा; इरादा; मंशा; भावना 3. संकल्प; आशय 4. किसी काम को करने की प्रवृत्ति; (इंटेंशन)। [मु.] -बदल जाना या नीयत में फ़र्क आना : संकल्प या विचार को बदल देना। -बिगड़ना : अच्छे संकल्प या विचार को बदल देना। -भरनाः मन भरना; तृप्ति हो जाना। -लगी रहना : लालसा बनी रहना।

नीर (सं.) [सं-पु.] 1. पानी; जल 2. नीम के पेड़ से निकलने वाला रस 3. फफोले के अंदर का पानी।

नीरक्षीर (सं.) [सं-पु.] पानी और दूध। [मु.] -विवेक : अच्छाई और बुराई में अंतर करने की क्षमता; सम्यक न्याय का विवेक।

नीरज (सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. मोती 3. एक प्रकार की घास 4. कुट नामक औषधि। [वि.] जल से उत्पन्न; जलीय।

नीरद (सं.) [वि.] 1. जल देने वाला 2. बिना दाँतवाला; दंतहीन; अदंत। [सं-पु.] 1. मेघ; बादल 2. बाहर निकला हुआ दाँत 3. अपने पूर्वजों के तर्पण हेतु उनको जल देने वाला व्यक्ति।

नीरधर (सं.) [सं-पु.] मेघ; बादल।

नीरधि (सं.) [सं-पु.] समुद्र; सागर।

नीरव (सं.) [वि.] 1. शांत; शब्दरहित; जिसमें ध्वनि या रव न हो; निःशब्द 2. जो ध्वनि न करता हो; जो बोलता न हो; चुप।

नीरवता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ामोशी; नीरव या चुप होने की अवस्था 2. सन्नाटा; शांति; मौन।

नीरस (सं.) [वि.] 1. जिसमें रस न हो; रसहीन; बेस्वाद 2. जिसमें मधुरता न हो; फीका 3. जो मन को आनंदित न करता हो 4. जिसमें आकर्षण न हो; जो रुचिकर न हो 5. शुष्क; सूखा हुआ।

नीरसता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीरस होने का भाव; रस का अभाव; फीकापन 2. रोचक अथवा दिलचस्प न होना।

नीरा (सं.) [सं-स्त्री.] ताड़ या खजूर के वृक्ष का रस जो प्रातःकाल में उतारा जाता है; ताड़ी।

नीरांजनी (सं.) [सं-स्त्री.] आरती के दीपक हेतु आधार-पात्र।

नीराज (सं.) [सं-पु.] नेवले की शक्ल का एक उभयचर जंतु; ऊदबिलाव।

नीराजन (सं.) [सं-पु.] 1. देवता को दीपक दिखाने की क्रिया; आरती 2. प्राचीन काल में युद्ध से पूर्व राजाओं के यहाँ होने वाला एक पर्व जिसमें हथियार साफ़ करके चमकाए जाते थे 3. हथियारों को साफ़ करके चमकाने की क्रिया या भाव।

नीरुज (सं.) [सं-पु.] कुट नामक औषधि; कुष्ठौषधि। [वि.] निरोग; रोगरहित; स्वस्थ।

नीरोग (सं.) [वि.] जिसे कोई रोग अथवा बीमारी न हो; तंदुरुस्त; स्वस्थ।

नील (सं.) [सं-पु.] 1. एक पौधा जिसके नीले फूलों से नीला रंग बनाया जाता है 2. उक्त पौधे से प्राप्त पदार्थ; नील 3. नीला रंग 4. कलंक; लांछन 5. नीलम नामक बहुमूल्य रत्न 6. शरीर पर चोट लगने से पड़ने वाला निशान 7. (पुराण) नौ निधियों में से एक; कुबेर की निधि 8. बरगद का वृक्ष 9. विष; ज़हर 10. इंद्रनील मणि 11. (रामायण) राम की सेना का एक वानर जिसने नल के साथ समुद्र पर पुल बनाया था 13. नीलकंठ पक्षी। [वि.] 1. सौ खरब (संख्या) 2. आसमानी रंग का 3. नीले रंग का। [मु.] -का टीका लगाना : कलंक लगाना; कलंकित करना।

नीलंकठाक्षी (सं.) [सं-स्त्री.] खंजन जैसी आँखों वाली मादा। [वि.] जिसकी आँखें खंजन जैसी हों।

नीलकंठ (सं.) [सं-पु.] 1. नीले कंठ और डैनों वाली एक छोटी चिड़िया 2. मोर 3. शिव। [वि.] जिसका कंठ नीला हो।

नीलकमल (सं.) [सं-पु.] नीले रंग का कमल; इंदीवर; उत्पल।

नीलकांत (सं.) [सं-पु.] 1. नीलकंठ नामक एक पहाड़ी पक्षी 2. इंद्रमणि; नीलम नामक रत्न।

नीलकृष्ण (सं.) [वि.] नीलापन लिए हुए काले रंग का।

नीलगंगा (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्राचीन नदी।

नीलगाय (सं.) [सं-स्त्री.] हलका नीलापन लिए भूरे रंग की गाय; गाय जैसी शक्ल का एक जंगली पशु जो बहुत तेज़ दौड़ता है; गवय; रोझ।

नीलगिरि (सं.) [सं-पु.] दक्षिण भारत का एक पर्वत; अंजनगिरि; नीलांचल; नील।

नीलम (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नीले रंग का एक प्रसिद्ध रत्न; नीलमणि; नीलकांत; इंद्रनील 2. आम की एक उत्तम प्रजाति।

नीलमणि (सं.) [सं-पु.] नीले रंग का एक प्रसिद्ध रत्न; नीलम।

नीलहरित (सं.) [सं-पु.] 1. नीली आभायुक्त रंग 2. उक्त रंग का रत्न।

नीला (सं.) [वि.] 1. नील के रंग का 2. आसमान के रंग का; आसमानी। [सं-पु.] 1. नीला रंग; नीलम; इंद्रनील मणि 2. कबूतर की एक प्रजाति। [सं-स्त्री.] 1. नील का पौधा 2. एक प्रकार की लता 3. नीली मक्खी 4. एक प्राचीन नदी 5. संगीत की एक रागिनी।

नीलांबर (सं.) [सं-पु.] 1. नीला कपड़ा या वस्त्र 2. शनैश्चर; शनि ग्रह 3. बलदेव। [वि.] जिसका वस्त्र नीला हो।

नीलांबुज (सं.) [सं-पु.] नील कमल।

नीलाक्ष (सं.) [सं-पु.] राजहंस। [वि.] जिसकी आँखें नीली हो; नीली आँखोंवाला।

नीलाभ (सं.) [वि.] जिसमें नीले रंग की आभा या झलक हो; हलका नीला।

नीलाम (पु.) [सं-पु.] 1. सार्वजनिक बिक्री की वह पद्धति जिसमें सबसे अधिक दाम देने वाले को माल बेचा जाता है 2. इस प्रकार चीज़ें बेचने की क्रिया, ढंग या भाव 3. बोली बोलकर बेचना; (ऑक्शन)।

नीलामकर्ता [सं-पु.] नीलाम करने वाला व्यक्ति।

नीलामघर (पु.+सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ चीज़ें नीलाम की जाती हों।

नीलामी (पु.) [वि.] नीलाम के रूप में बेचा या खरीदा गया, जैसे- नीलामी गाड़ी, नीलामी घोड़ा।

नीलाश्व (सं.) [सं-पु.] एक प्राचीन देश।

नीलि (सं.) [सं-स्त्री.] एक जलीय जंतु।

नीलिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक नेत्र रोग 2. चोट, आघात आदि के कारण शरीर पर पड़ने वाला नीला दाग 3. नील का पौधा।

नीलिमा (सं.) [सं-स्त्री.] नीले होने की अवस्था, गुण या भाव; नीलापन।

नीलोत्पल (सं.) [सं-पु.] नील कमल।

नीलोफ़र (फ़ा.) [सं-पु.] नीलोत्पल; कुमुद; कुईं।

नीवर (सं.) [सं-पु.] 1. बौद्ध भिक्षु; परिव्राजक; संन्यासी 2. वाणिज्य; व्यापार; रोज़गार 3. वणिक; व्यापारी; रोज़गारी 4. पानी; जल 5. कीचड़।

नीवार (सं.) [सं-पु.] जलीय भूमि में स्वतः उत्पन्न होने वाला धान; तिन्नी धान।

नीवी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कमर में बाँधी जाने वाली धोती या साड़ी की वह गाँठ जो उसे नीचे सरकने से रोकती है 2. वह डोरी जिसे स्त्रियाँ कमर में धोती के ऊपर लपेटकर बाँधती हैं; फुबती 3. लहँगे के नेफे की डोरी; इज़ारबंद; नाड़ा 4. पूँजी; मूलधन 5. जमा किया हुआ वह धन जिसके ब्याज से अन्य काम किए जाते हैं।

नीशार (सं.) [सं-पु.] 1. ठंडी हवा, सरदी आदि से बचाव हेतु टाँगा जाने वाला परदा; कनात 2. उक्त बचाव हेतु ओढ़ा जाने वाला गरम कपड़ा, जैसे- कंबल।

नीहार (सं.) [सं-पु.] 1. कुहरा; तुषार; पाला 2. हिम; बरफ 3. निष्कासन; खाली करने की क्रिया।

नीहारिका (सं.) [सं-स्त्री.] कुहरे या धुंध की तरह छाया हुआ आकाश का प्रकाश पुंज।

नुकरा (अ.) [सं-पु.] 1. सफ़ेद रंग का घोड़ा 2. चाँदी।

नुकसान (अ.) [सं-पु.] हानि; घाटा; क्षति; ह्रास। [मु.] -उठाना : हानि सहना। -पहुँचाना : किसी की हानि करना। -भरना : क्षतिपूर्ति करना।

नुकसानदायक (अ.+सं.) [वि.] जो हानि पहुँचाता हो; नुकसान करने वाला; हानिकर; अहितकारी; क्षति करने वाला।

नुकसानदेह (अ.+फ़ा.) [वि.] नुकसान पहुँचाने वाला; हानिकर; नुकसानदायक; अनिष्टकारी; अहितकारी।

नुकसानी [सं-स्त्री.] नुकसान; घाटा; हानि। [वि.] जिसका कुछ भाग कट-फट गया हो, जैसे- नुकसानी माल।

नुकीला [वि.] 1. जिसमें नोक हो; नोकदार 2. {ला-अ.} जो आकर्षक हो; सज-धजवाला; सुंदर; सजीला; बाँका।

नुकीलापन [सं-पु.] 1. नुकीला या नोंकदार होने की अवस्था; पैनापन 2. सजीलापन; बाँकपन; सुंदरता।

नुक्कड़ [सं-पु.] 1. किसी गली या मार्ग का वह सिरा जहाँ कोई मोड़ पड़ता हो; मोड़; नाका 2. कोना; सिरा 3. नोक की तरह आगे निकला हुआ सिरा।

नुक्का [सं-पु.] 1. नोक 2. गेड़ी खेलने की लकड़ी या डंडा।

नुक्ता (अ.) [सं-पु.] 1. पते की बात, बारीक बात वह गूढ़ या रहस्यपूर्ण बात जिसे सब लोग न समझ सकें 2. दोष; ऐब; त्रुटि; छिद्र 3. चटपटी बात; चुटकुला 4. मक्खियों से बचाने के लिए घोड़ों की आँखों पर लगाया जाने वाला झालर या चमड़े का आवरण; सरबंद; तिल्हरी।

नुक़्ता (अ.) [सं-पु.] 1. बिंदु; बिंदी 2. लेखन में अक्षरों के नीचे लगाई जाने वाली बिंदी, जैसे- ज़; फ़; ख़ आदि 3. शून्य का सूचक चिह्न; सिफ़र 4. दाग; धब्बा।

नुक्ताचीन (अ.+फ़ा.) [वि.] मीन-मेख निकालने वाला; कमियाँ ढूँढने वाला; छिद्रान्वेषी; आलोचक।

नुक़्ताचीनी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दूसरों की कमियाँ या दोष ढूँढ़ना; छिद्रान्वेषण 2. दूसरों के दोषों की ओर इंगित करना।

नुक्ल (अ.) [सं-पु.] भोजनोपरांत खाई जाने वाली मिठाई।

नुक्स (अ.) [सं-पु.] 1. त्रुटि; दोष; ऐब 2. कमी; ख़ामी; ख़राबी।

नुचवाना [क्रि-स.] किसी से नोचने का काम कराना; किसी को कुछ नोचने में प्रवृत्त करना।

नुजूम (अ.) [सं-पु.] ज्योतिष; तारे; सितारे।

नुत (स.) [वि.] 1. जिसकी वंदना की गई हो; वंदित 2. जिसे प्रणाम या नमस्कार किया गया हो; नमस्कृत 3. जिसकी स्तुति की गई हो; स्तुत 4. जिसकी पूजा की गई हो; पूजित।

नुति (स.) [सं-स्त्री.] 1. वंदना 2. प्रणाम 3. स्तुति 4. पूजन।

नुत्फ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. पुरुष का वीर्य; शुक्र 2. औलाद; संतान।

नुमाइंदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नुमाइंदा अर्थात प्रतिनिधि होने की अवस्था या भाव; प्रतिनिधित्व।

नुमाइंदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति; प्रतिनिधि 2. दिखाने या प्रकट करने वाला व्यक्ति।

नुमाइश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्रदर्शनी; दिखावा; दिखावट; (एग्ज़िविशन) 2. ठाठ-बाट; तड़क-भड़क 3. अद्भुत वस्तुओं का प्रदर्शन 4. वह स्थान जहाँ उक्त प्रकार की वस्तुएँ लोगों को दिखाने के लिए रखी जाती हैं।

नुमाइशी (फ़ा.) [वि.] 1. नुमाइश संबंधी 2. (वह वस्तु) जो नुमाइश में रखी गई हो या रखी जानी हो 3. केवल देखने लायक; दिखावटी 4. तड़क-भड़कवाला 5. जो बोदा और कमज़ोर हो और काम में न आ सके।

नुमाई (फ़ा.) [परप्रत्य.] प्रत्यय के रूप में प्रयुक्त होने वाला शब्द जिसका अर्थ दिखावा या प्रदर्शन होता है, जैसे- ख़ुदनुमाई।

नुमायाँ (फ़ा.) [वि.] 1. जो स्पष्ट दिखाई देता हो; ज़ाहिर; व्यक्त; प्रकट 2. बड़ा; प्रधान।

नुसख़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह कागज़ जिसपर चिकित्सक या वैद्य के द्वारा रोगी के लिए दवाएँ तथा उन्हें लेने की विधि लिखी जाती है 2. सूत्र; (फ़ारमूला) 3. कॉपी; नकल 4. कागज़ का टुकड़ा जिसपर कुछ लिखा हो 5. ग्रंथ आदि की प्रति।

नूतन (सं.) [वि.] 1. नवीन; नया; अभिनव 2. आधुनिक 3. तुरंत या हाल का; ताज़ा 4. अनोखा; अनूठा; अपूर्व।

नूतनता (सं.) [सं-स्त्री.] नूतन होने की अवस्था या भाव; नयापन; नवीनता।

नूतनीकरण (सं.) [सं-पु.] नूतन रूप देने की क्रिया या भाव; नवीनीकरण।

नूद (सं.) [सं-पु.] शहतूत अर्थात ब्रह्मदारु वृक्ष।

नून (सं.) [सं-पु.] 1. नमक; लवण 2. आल की जाति की एक प्रकार की लता।

नूपुर (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्रियों के पैर का गहना; घुँघरू; पाज़ेब 2. इक्ष्वाकु वंश का एक राजा।

नूर (अ.) [सं-पु.] 1. ज्योति; प्रकाश; रोशनी 2. छवि; कांति; आभा; शोभा; छटा 3. चमक-दमक।

नूरचश्म (अ.) [सं-पु.] प्यारा; लड़का; सुपुत्र।

नूराकुश्ती (अ.) [सं-पु.] ऐसी कुश्ती जिसमें दोनों पहलवान आपस में तय कर लेते हैं कि एक-दूसरे को चित नहीं करेंगे।

नूरी (अ.) [वि.] नूर संबंधी; नूर का।

नृ (सं.) [सं-पु.] मानव (केवल पूर्व पद के रूप में प्रयुक्त), जैसे- नृविज्ञान।

नृग (सं.) [सं-पु.] 1. मनु के एक पुत्र का नाम 2. उशीनर का पुत्र जो यौधेय वंश का मूल पुरुष था 3. एक महादानी पौराणिक राजा जिन्हें एक ब्राह्मण के शाप के कारण गिरगिट का रूप धारण करना पड़ा था।

नृतक [सं-पु.] नाचने या नृत्य करने वाला व्यक्ति; नर्तक।

नृतत्व (सं.) [सं-पु.] मानव एवं उसके वंश से संबंधित विज्ञान।

नृतत्वशास्त्र (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें मानव की उत्पत्ति और विकास आदि का अध्ययन किया जाता है; मानवविज्ञान।

नृति (सं.) [सं-स्त्री.] नाच; नृत्य; नर्तन।

नृत्त (सं.) [सं-पु.] भाव और लय से रहित अंग-विक्षेप।

नृत्य (सं.) [सं-पु.] 1. लय और ताल के साथ किया जाने वाला शरीर के अंगों का संचालन; नाच; ठुमका; (डांस) 2. संगीत के साथ किया जाने वाला भाव प्रधान नाच जिसके दो प्रधान भेद हैं- तांडव और लास।

नृत्यकला (सं.) [सं-स्त्री.] नृत्य करने की कला; ताल और लय पर नाचने का ढंग।

नृत्यकार (सं.) [वि.] वह व्यक्ति जो नृत्य करता हो; नर्तक; नचैया।

नृत्यगीत (सं.) [सं-पु.] 1. वह गीत जिसपर नृत्य किया जाए; नृत्यगान 2. नाचते हुए गाना; नाचरंग।

नृत्यनाटिका (सं.) [सं-स्त्री.] ऐसा अभिनय या नाट्य जिसमें नृत्य होता है; नृत्यनाट्य; नृत्याभिनय।

नृत्यमय (सं.) [वि.] 1. जो नृत्य में लीन हो 2. जिसमें नृत्य की अधिकता हो।

नृत्यरत (सं.) [वि.] 1. जो नृत्य कर रहा हो 2. नृत्यमग्न; जो नृत्य में लीन हो।

नृत्यशाला (सं.) [सं-स्त्री.] वह भवन जहाँ नृत्य का आयोजन किया जाता है; नाचघर।

नृत्यांगना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नृत्य करने वाली स्त्री; नर्तकी 2. नृत्य कला में निपुण स्त्री।

नृप (सं.) [सं-पु.] राजा; नृपति। [वि.] मनुष्यों की रक्षा करने वाला।

नृपंजय (सं.) [सं-पु.] एक पुरुवंशी नरेश।

नृपति (सं.) [वि.] 1. राजा 2. मुखिया 3. कुबेर।

नृपनंदन (सं.) [सं-पु.] राजा का पुत्र; राजकुमार।

नृपसिंह (सं.) [सं-पु.] राजाओं में श्रेष्ठ।

नृपाध्वर (सं.) [सं-पु.] एक यज्ञ जिसे कराने से किसी राजा को चक्रवर्ती सम्राट कहलाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है; राजसूय यज्ञ।

नृपाल (सं.) [सं-पु.] राजा; शासक।

नृपेंद्र (सं.) [वि.] राजाओं का राजा।

नृमिति (सं.) [सं-स्त्री.] मानव शरीर, उसके अंगों और उनकी कार्य-क्षमता को मापने वाला विज्ञान, इसमें मानव-विकास और उसकी जातीय विविधता का अध्ययन किया जाता है।

नृयज्ञ (सं.) [सं-पु.] पाँच महायज्ञों में से एक।

नृवंश (सं.) [सं-पु.] मानव की अलग-अलग प्रजातियाँ।

नृविज्ञान (सं.) [सं-पु.] मानव की उत्पत्ति, विकास आदि का विवेचन करने वाला शास्त्र; नृ-वंश विज्ञान; मानव विज्ञान; (ऐंथ्रापॉलॉजी)।

नृविज्ञानी (सं.) [वि.] नृविज्ञान का अध्ययन करने वाला; नृतत्व वेत्ता; (ऐंथ्रापॉलॉजिस्ट)।

नृवेत्ता (सं.) [सं-पु.] नृविज्ञानी; मानव-विज्ञानी।

नृशंस (सं.) [वि.] क्रूर; निर्दय; सताने वाला; अत्याचारी; अनिष्ट करने वाला।

नृशंसता (सं.) [सं-स्त्री.] नृशंस होने की अवस्था या भाव; नृशंस आचरण; अत्याचार।

नृसिंह (सं.) [सं-पु.] (पुराण) विष्णु के चौथे अवतार का वह रूप जो आधे पुरुष और आधे सिंह के रूप में था; नरसिंह।

नृसिंहावतार (सं.) [सं-पु.] (पुराण) विष्णु का वह अवतार जो भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए आधे मनुष्य और आधे सिंह के रूप में प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध करता है।

नृहरि (सं.) [सं-पु.] नृसिंह; नरसिंह।

ने (सं.) [पर.] 1. कर्ताकारक का परसर्ग 2. सकर्मक भूतकालिक क्रिया के कर्ता के साथ लगने वाला परसर्ग; कुछ अकर्मक क्रियाओं (छींकना, खाँसना, थूकना आदि) के साथ भी यह परसर्ग प्रयुक्त होता है।

नेक (फ़ा.) [वि.] 1. भला; अच्छा; सज्जन, जैसे- नेक आदमी 2. श्रेष्ठ; उत्तम व नेक इरादे 3. शुभ; मांगलिक, जैसे- नेक काम 4. जिसमें भलाई हो, जैसे- नेक सलाह 5. उपकार करने वाला।

नेकख़याल (फ़ा.+अ.) [वि.] जिसके विचार अच्छे हों; बुद्धिशुद्ध; पावनचरित।

नेकचलन (फ़ा.) [वि.] अच्छे चाल-चलन वाला; सच्चरित्र; सदाचारी।

नेकदिल (फ़ा.) [वि.] सरल हृदय वाला; सहृदय; जो स्वभाव से अच्छा हो।

नेकनाम (फ़ा.) [वि.] जो अपने सत्कार्यों के लिए जाना जाता हो; यशस्वी; कीर्तिमान; नामी।

नेकनामी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नेकनाम होने का भाव; सुख्याति; सुप्रसिद्धि; सुकीर्ति।

नेकनीयत (फ़ा.+अ.) [वि.] अच्छी नीयतवाला; ईमानदार; सच्चा।

नेकबख़्त (फ़ा.) [सं-पु.] 1. जो किस्मतवाला हो; भाग्यवान 2. सीधा-सादा 3. आज्ञाकारी।

नेकी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नेक होने की अवस्था; भलाई; परोपकार 2. उत्तम व्यवहार; शिष्टता।

नेकी-बदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] पुण्य-पाप; भलाई-बुराई।

नेग [सं-पु.] 1. मांगलिक अवसरों पर संबंधियों, आश्रितों तथा सेवकों आदि को धन या वस्त्राभूषण आदि देने की रस्म 2. उक्त रस्म के निमित्त दिया जाने वाला धन या वस्त्राभूषण 3. कृपा; अनुग्रह। [मु.] -लगना : संबंध होना; किसी में लीन होना; सफल होना।

नेगचार [सं-पु.] 1. मांगलिक अवसरों पर होने वाले सामाजिक उपचार, कृत्य, विधान आदि 2. उक्त अवसरों पर संबंधियों, आश्रितों तथा सेवकों आदि को वस्त्राभूषण आदि देने की क्रिया या भाव।

नेगी [सं-पु.] नेग पाने का अधिकारी; नेग पाने वाला व्यक्ति।

नेचा (फ़ा.) [सं-पु.] हुक्के की नली; निगाली।

नेजा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. भाला; बरछा 2. राजाओं का निशान; राजचिह्न 3. चिलगोजा नामक सूखा मेवा।

नेट (इं.) [सं-पु.] 1. जाल; जाली 2. फंदा 3. 'इंटरनेट' का लघु रूप।

नेटवर्क (इं.) [सं-पु.] 1. किसी साधन, संस्था या व्यापार आदि का विस्तार या प्रसार 2. समूह 3. विश्वव्यापी सूचना एवं संचार तंत्र; इंटरनेट; संजाल।

नेत (सं.) [सं-पु.] 1. वह रस्सी जिससे मथानी घुमाई जाती है 2. झंडे में लगा हुआ कपड़ा जो फहराया जाता है; पताका 3. बिछाने की चादर 4. किसी बात की स्थिरता; ठहराव 5. व्यवस्था।

नेता (सं.) [सं-पु.] 1. दल विशेष को किसी ओर ले जाने वाला व्यक्ति; नायक; अगुआ; सरदार; लोगों का मार्गदर्शन करने वाला या उनके आगे चलने वाला व्यक्ति 2. किसी राजनीतिक दल का प्रमुख या कार्यकर्ता; (लीडर)।

नेतागिरी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नेता होने या बनने की अवस्था या भाव; नेता का कार्य या पद 2. दूसरों की दृष्टि में स्वयं को नेता स्थापित करने की कोशिश 3. नेताओं के क्रियाकलाप या गतिविधियाँ; नेता बनकर दूसरों का मार्गदर्शन करने का काम 4. नेता होने की अकड़ या अहंकार 5. किसी अन्य की तुलना में ख़ुद को चतुर या आगे दिखाने की कोशिश।

नेति (सं.) [अव्य.] उपनिषदों में ब्रह्म की महिमा के संदर्भ में प्रयुक्त अनंतता सूचक; इसका कहीं अंत नहीं है।

नेती [सं-स्त्री.] मथानी चलाने की रस्सी; नेत।

नेती-धौती [सं-स्त्री.] हठयोग की एक क्रिया जिसमें स्वच्छ करने हेतु नासिका मार्ग से पानी डालकर निकाल दिया जाता है तथा मुँह के रास्ते पेट में कपड़ा डालकर आँतें साफ़ की जाती हैं, इस दूसरी क्रिया को 'वस्त्र-धौती' भी कहते हैं।

नेतृत्व (सं.) [सं-पु.] 1. नेता का कार्य या पद; (लीडरशिप) 2. किसी व्यक्ति, समूह या संस्था का मार्गदर्शन या संचालन 3. सामाजिक संबंधों या समाज में किसी व्यक्ति के प्रभावशाली होने की स्थिति 4. दिशादर्शन; मार्गदर्शन; पेशवाई; रहनुमाई; अगुवाई।

नेतृत्वकर्ता (सं.) [वि.] नेतृत्व करने वाला; आगे चलने वाला; मार्गदर्शन करने वाला; अगुवा।

नेत्र (सं.) [सं-पु.] वह इंद्रिय जिससे प्राणियों को दिखाई देता है; आँख; नयन।

नेत्र चिकित्सक (सं.) [सं-पु.] आँख संबंधी रोगों का उपचार करने वाला चिकित्सक।

नेत्रजल (सं.) [सं-पु.] आँसू; अश्रु; नयन-नीर; लोर।

नेत्रदाह (सं.) [सं-पु.] आँख की जलन।

नेत्ररोग (सं.) [सं-पु.] आँखों में होने वाला रोग।

नेत्रविज्ञान (सं.) [सं-पु.] नेत्र की संरचना, उसके रोग एवं उनके निदान का विवेचन करने वाला अध्ययनक्षेत्र; नैत्रिकी।

नेत्रविज्ञानी (सं.) [वि.] आँखों में होने वाले रोगों का उपचार करने वाला विशेषज्ञ।

नेत्रहीन (सं.) [वि.] जो देख न सके; जिसकी आँखों में रोशनी न हो; अंधा; (ब्लाइंड)।

नेत्रांबु (सं.) [सं-पु.] आँसू।

नेत्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दल विशेष या समाज का नेतृत्व करने वाली; रहनुमाई करने वाली; मार्गदर्शन करने वाली 2. मथानी की रस्सी 3. नाड़ी।

नेत्रीय (सं.) [वि.] नेत्र संबंधी; नेत्र का।

नेत्रोपम (सं.) [सं-पु.] बादाम।

नेनुआ [सं-पु.] 1. एक प्रकार की लता 2. उक्त लता का हरे रंग का खाँचदार लंबोतर फल जिसकी तरकारी बनती है; तरोई; घिवरा।

नेपथ्य (सं.) [सं-पु.] 1. रंगमंच के पर्दे के पीछे का स्थान; रंगमंच के पीछे का वह भाग जहाँ अभिनय करने वाले शृंगार और रूप धारण करते हैं 2. अभिनय करने वालों की वेशभूषा 3. परिधान; भूषण।

नेपाली (सं.) [सं-स्त्री.] नेपाल देश में बोली जाने वाली भाषा। [सं-पु.] नेपाल देश का नागरिक या निवासी। [वि.] 1. नेपाल देश से संबंध रखने वाला 2. नेपाल में बसने या रहने वाला।

नेफ़ा (फ़ा.) [सं-पु.] लहँगा, पायजामा आदि का वह ऊपरी भाग जिसमें इज़ारबंद पिरोया जाता है।

नेमि (सं.) [सं-पु.] 1. तिनिश वृक्ष 2. (पुराण) एक दैत्य। [सं-स्त्री.] 1. पहिए का घेरा; परिधि 2. कुएँ की जगत 3. पृथ्वी 4. चरखी।

नेवर (सं.) [सं-पु.] स्त्रियों द्वारा पैरों में पहना जाने वाला एक आभूषण; नुपुर; घुँघरू। [सं-स्त्री.] घोड़े के पैर में होने वाला घाव जो दोनों पैरों के आपस में रगड़ने से होता है।

नेवला (सं.) [सं-पु.] एक मांसाहारी स्तनधारी जानवर जो गिलहरी जैसा किंतु आकार में उससे बड़ा होता है तथा साँप को मारने के लिए प्रसिद्ध है।

नेवार [सं-पु.] नेपाल की एक आदिम जाति।

नेवारी [सं-स्त्री.] सफ़ेद रंग के फूलों वाला एक पौधा।

नेवी (इं.) [सं-स्त्री.] जल-सेना; नौ-सेना।

नेस्तनाबूद (फ़ा.) [वि.] जड़मूल से नष्ट; समूल नष्ट; नष्ट-भ्रष्ट; बरबाद।

नेह (सं.) [सं-स्त्री.] स्नेह; प्रीति; प्यार; प्रेम; मुहब्बत।

नेहरू [सं-पु.] कश्मीरी ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।

नेहा (सं.) [वि.] 1. स्नेह या प्यार करने वाली 2. आराध्य 3. मनभावन; प्यार करने योग्य।

नैकट्य (सं.) [सं-पु.] निकट होने की अवस्था या भाव; निकटता; समीपता; सामीप्य; नज़दीकी।

नैघंटुक (सं.) [सं-पु.] वैदिक शब्दों की एक शब्दावली जिसकी विशद व्याख्या ऋषि यास्क ने अपने निरुक्त में की है।

नैचक [सं-पु.] गोल लकड़ी जिसे कुआँ निर्मित करते समय उसके तल में जमाकर रखी जाती है।

नैचकी [सं-स्त्री.] नित्य और सदा दूध देने वाली गाय 2. अच्छी गाय।

नैचा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. हुक्के में तंबाकू का धुआँ खींचने के लिए लगी हुई नरकट की नलियाँ 2. {ला-अ.} बहुत ही दुबला-पतला व्यक्ति।

नैतिक (सं.) [वि.] 1. नीति संबंधी; नीति का 2. नीति के अनुसार होने वाला (आचरण या व्यवहार)।

नैतिकता (सं.) [सं-स्त्री.] नीतिशास्त्र के सिद्धांतों का ज्ञान एवं उसके अनुरूप किया जाने वाला आचरण।

नैत्यिक (सं.) [सं-पु.] कार्यालय या व्यवसाय से संबंधित कार्यों का निर्धारित या बँधा हुआ क्रम; (रुटीन)। [वि.] नित्य या नियमित रूप से होने या किया जाने वाला।

नैत्रिक (सं.) [वि.] नेत्र संबंधी; नेत्र का।

नैदानिक (सं.) [वि.] 1. निदान संबंधी; समाधान संबंधी 2. जो रोगों का उपचार जानता हो।

नैन [सं-पु.] वह इंद्रिय जिससे प्राणियों को दिखाई देता है; आँख; नयन।

नैनादेवी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नैनीताल में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर जिसे शक्ति पीठ कहा जाता है 2. (पुराण) राजा दक्ष की पुत्री एवं शिव की पत्नी उमा 3. (पुराण) वह स्थान जहाँ सती (उमा) के नेत्र गिरे थे।

नैपुण्य (सं.) [सं-पु.] 1. निपुण होने की अवस्था या भाव; निपुणता; दक्षता 2. ऐसा कार्य या विषय जिसके लिए निपुणता आवश्यक हो।

नैमित्तिक (सं.) [वि.] 1. जो किसी निमित्त से किया जाए; किसी निमित्त या प्रयोजन की सिद्धि हेतु किया जाने वाला 2. आकस्मिक। [सं-पु.] ज्योतिषी।

नैमिषारण्य (सं.) [सं-पु.] उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में स्थित एक प्रचीन वन जिसे हिंदू अपना तीर्थस्थल मानते है।

नैया [सं-स्त्री.] जल में चलने वाली, लकड़ी, लोहे, आदि की बनी सवारी; नाव।

नैयायिक (सं.) [सं-पु.] न्यायदर्शन के सिद्धांतों में विश्वास रखने वाला व्यक्ति; न्यायशास्त्र का ज्ञाता या विशेषज्ञ; न्यायवेत्ता।

नैरंतर्य (सं.) [सं-पु.] किसी भी बात के क्रम की निरंतरता बने रहने की क्रिया या भाव; अविरलता; अविच्छिन्नता।

नैराश्य (सं.) [सं-पु.] 1. निराशा का भाव; निराशा; नाउम्मीदी 2. अवसाद; विषाद 3. उदासी; मायूसी।

नैर्ऋति (सं.) [सं-स्त्री.] दक्षिण और पश्चिम दिशा के बीच की दिशा या कोण।

नैर्मल्य (सं.) [सं-पु.] 1. निर्मलता; स्वच्छता 2. विषय-वासना से रहित होना।

नैवेद्य (सं.) [सं-पु.] देवता को समर्पित भोज्य पदार्थ; भोग; प्रसाद।

नैश (सं.) [वि.] 1. निशा संबंधी 2. रात में होने या किया जाने वाला 3. अंधकारपूर्ण।

नैषध (सं.) [सं-पु.] 1. निषध देश का राजा नल 2. निषध देश का निवासी (श्री हर्षकृत 'नैषधचरित' में राजा नल की कथा का वर्णन है)। [वि.] निषध देश से संबंधित; निषध का।

नैषधीय (सं.) [वि.] नैषध संबंधी; राजा नल से संबंधित।

नैष्कर्म्य (सं.) [सं-पु.] 1. निष्काम होने की अवस्था या भाव; निष्क्रियता 2. अकर्मण्यता और आलस्य 3. (भगवतगीता) फल की इच्छा त्यागकर किया जाने वाला कर्म।

नैष्ठिक (सं.) [वि.] 1. निष्ठावान; निष्ठायुक्त 2. ब्रह्मचर्य व्रत के पालन में लगा हुआ 3. किसी व्रत के अनुष्ठान में संलग्न 4. निश्चित; निश्चयात्मक 5. स्थिर; दृढ़ 6. सर्वोत्तम।

नैसर्गिक (सं.) [वि.] 1. निसर्ग संबंधी 2. निसर्ग से उत्पन्न 3. प्राकृतिक; स्वाभाविक।

नैहर [सं-पु.] विवाहिता के माता-पिता का घर; मायका; पीहर।

नॉन-फिक्शन (इं.) [सं-पु.] अकाल्पनिक लेखन; घटनाओं, तथ्यों व समाचारों के विषय में वास्तविक (मूल लेखन) प्रस्तुतीकरण।

नॉनसेंस (इं.) [सं-पु.] 1. हास्यास्पद विचार, वक्तव्य या मान्यताएँ 2. बेतुका व्यवहार; निरर्थक बात।

नॉर्मल (इं.) [वि.] साधारण; सामान्य; प्राकृतिक।

नॉवेल (इं.) [सं-पु.] वह गद्य कथा जिसमें वास्तविक जीवन से मिलते-जुलते चरित्रों और क्रिया-कलापों का विस्तृत और ससंबद्ध चित्रण होता है; उपन्यास।

नोई [सं-स्त्री.] गाय दुहते समय उसके पिछले पैरों में बाँधी जाने वाली रस्सी।

नोक (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का वह सिरा जो नुकीला तथा तेज़ हो 2. रेखाओं का मिलान बिंदु 3. किसी ओर निकला हुआ कोना।

नोक-झोंक (फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. आपस में होने वाली कहा-सुनी; आक्षेप और तानों से भरा वाद-विवाद; तू-तू मैं-मैं; कटुतापूर्ण वार्तालाप; खटकने या चुभने वाली बात; छींटाकशी; चुटीली बात 2. आपस की छेड़छाड़।

नोकदार (फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें नोक हो; नोकयुक्त; नुकीला 2. सजीला; आकर्षक 3. तड़क-भड़कवाला और इस कारण मन में चुभने वाला।

नोच [सं-स्त्री.] 1. नोचने की क्रिया या भाव 2. बलपूर्वक छीन लेने का कार्य; लूट; ज़बरदस्ती छीन लेने का भाव।

नोचखसोट [सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु का निर्दयतापूर्वक दोहन 2. लूटपाट; छीनाझपटी।

नोचना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी लगी हुई या जमी हुई चीज़ को झटके से अलग करना; नाख़ून, दाँत या पंजे से किसी वस्तु के कुछ अंश को खींचकर अलग करना 2. नाख़ूनों से फाड़ना; शरीर को खरोंच डालना 3. किसी को परेशान करके धन आदि छीन लेना या झपटना; बलात कुछ छीन लेना 4. {ला-अ.} किसी को किसी कार्य या बात के लिए लगातार परेशान करना।

नोट (अं.) [सं-पु.] 1. किसी बात के स्मरण के लिए लिखी गई छोटी टिप्पणी; अभिप्राय या आशय प्रकट करने वाला संक्षिप्त लेख 2. शासन द्वारा प्रचलित कागज़ का वह आयताकार टुकड़ा जिसपर उसका मूल्य अंकित रहता है।

नोटबुक (अं.) [सं-स्त्री.] वह छोटी पुस्तिका जिसमें स्मरण के लिए आवश्यक बातें लिखी जाती हैं।

नोटिस‍ (इं.) [सं-पु.] 1. सूचना; सूचना-पत्र 2. चेतावनी 3. ध्यान में लाना।

नोनचा [सं-पु.] 1. नमक-मिश्रित बादाम की गिरी 2. नमकीन अचार।

नोना [सं-पु.] पुरानी दीवारों या खारवाली ज़मीन में ऊपर से निकल आने वाला क्षार अथवा नमक।

नोनिया [सं-पु.] लोनी मिट्टी से नमक बनाने या निकालने का काम करने वाली जाति। [सं-स्त्री.] अमलोनी या लोनिया नामक साग जो स्वाद में नमकीन होता है।

नोनी [सं-स्त्री.] 1. खारी या लोनी मिट्टी 2. अमलोनी या लोनिया नामक पौधा। [वि.] सुंदर; अच्छी।

नौ (सं.) [वि.] संख्या '9' का सूचक। [मु.] -दो ग्यारह होना : भाग जाना।

नौकर (तु.) [सं-पु.] 1. सेवक; चाकर; ख़िदमतगार; भृत्य; (सर्वेंट) 2. वेतन आदि पर काम करने वाला कर्मचारी; किसी कार्यालय का कर्मचारी।

नौकर-चाकर (तु.+सं.) [सं-पु.] 1. वेतन लेकर काम करने वाले कर्मचारी 2. घर-गृहस्थी के कामों के लिए नियुक्त किए गए वैतनिक सेवक; भृत्य।

नौकरशाह (तु.+फ़ा.) [सं-पु.] राज्य के वे कर्मचारी जिनके हाथ में सत्ता हो; ख़ुद को राजा या शाह समझने वाला सरकारी नौकर; (ब्यूरोक्रैट)।

नौकरशाही (तु.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह शासन जिसमें वास्तविक अधिकार और सत्ता बड़े राज-कर्मचारियों के हाथ में रहती है; अफ़सरशाही; (ब्यूरोक्रैसी) 2. शासन द्वारा नियुक्त नौकरवृंद; राजकर्मचारियों का एक वर्ग; दफ़तरी हुकूमत।

नौकराना [सं-पु.] नौकरों को दिया जाने वाला वेतन या मेहनताना।

नौकरानी (तु.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. पैसा लेकर घर-गृहस्थी का काम करने वाली या देखभाल करने वाली स्त्री; सेविका; भृत्या 2. नौकर की पत्नी।

नौकरी (तु.+हिं.) [सं-स्त्री.] किसी संस्था या कार्यालय में वेतन पर काम करने की अवस्था; रोज़गार; (सर्विस); निश्चित कार्य के लिए एक निश्चित राशि पर किया जाने वाला कार्य; वेतन प्राप्त करते हुए की गई परिचर्या; सेवा-टहल।

नौकरीपेशा (तु.+फ़ा.) [वि.] जिसकी जीविका नौकरी से चलती हो; नौकरी से जीवन निर्वाह करने वाला।

नौका (सं.) [सं-स्त्री.] नाव; किश्ती; (बोट)।

नौकादौड़ (सं.) [सं-पु.] 1. नावों के दौड़ की प्रतियोगिता 2. केरल प्रांत में ओणम पर्व के अवसर पर आयोजित होने वाली नावों के दौड़ की एक प्रतियोगिता।

नौकायन (सं.) [सं-स्त्री.] नाव चलाने की क्रिया; केवटाई; नौका संचालन; खेवाई।

नौकाविहार (सं.) [सं-पु.] नौका पर बैठकर नदी की सैर करना।

नौग्रही [सं-स्त्री.] नौ ग्रहों की शांति हेतु नौ प्रकार के रत्नों से युक्त गहना।

नौघाट [सं-पु.] वह घाट जहाँ नावें बाँधी जाती हैं।

नौजवान (फ़ा.) [वि.] जिसमें युवावस्था के लक्षण दिखने लगे हों; युवा; युवक; जवान।

नौजवानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नौजवान होने की अवस्था या भाव; नवयौवन; युवावस्था।

नौजी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का रसीला गूदेदार फल जिसका छिलका खुरदरा होता है; लीची।

नौटंकिया [वि.] दिखावे के लिए नाटक करने वाला; ड्रामेबाज़।

नौटंकी [सं-स्त्री.] एक प्रसिद्ध लोक-नाट्य जिसमें संवाद और गीत-संगीत की प्रधानता होती है, इसमें पद्यात्मक संवादों के साथ-साथ कथानक में वीर तथा शृंगार रस पर ज़ोर दिया जाता है।

नौतरण (सं.) [सं-पु.] जलमार्ग से आवागमन; जलयात्रा।

नौतरणीय (सं.) [वि.] जिसमें नौका, जहाज़ आदि चलना संभव हो।

नौनगा [वि.] नौ नगोंवाला; जिसमें नौ नग जड़े हों, जैसे- नौ-नगाहार।

नौनिधि (सं.) [सं-स्त्री.] समृद्धि की प्रतीक मानी जाने वाली नौ प्रकार की निधियाँ- महापद्म, पद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील और खर्व।

नौनिहाल (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बच्चा; बालक 2. कम उम्र का होनहार शिशु।

नौबत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बुरी या अवांछनीय घटना के घटित होने की स्थिति 2. स्थिति; हालत; दशा 3. दुर्गति; दुर्दशा 4. मंगलसूचक शहनाई या बाजा जो महल या मंदिर आदि में बजाया जाता है; नगाड़ा।

नौबतख़ाना (अ.) [सं-पु.] फाटक या द्वार के ऊपर का वह स्थान जहाँ बैठकर नौबत नामक वाद्य बजाया जाता है; नक़्क़ारख़ाना।

नौबहार (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वसंत का मौसम 2. वसंत ऋतु की शुरुआत।

नौमी [सं-स्त्री.] नवमी।

नौरंग [सं-पु.] 1. नया रंग 2. आमोद-प्रमोद; मनोरंजन 3. एक प्रकार की चिड़िया।

नौरतन [सं-पु.] वे नौ विद्वान जो प्राचीन काल में अकबर के दरबार में रहते थे; नवरत्न।

नौरोज़ (फ़ा.) [सं-पु.] पारसी-नववर्ष का प्रथम दिवस; नया दिन।

नौलखा [वि.] 1. नौ लाख मूल्य का 2. बहुमूल्य।

नौशक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] किसी राज्य की नौसेना की क्षमता; (नेवल फ़ोर्स)।

नौशा (फ़ा.) [सं-पु.] दूल्हा; वर।

नौसत [सं-पु.] सोलह शृंगार; विवाहित स्त्री का संपूर्ण शृंगार जो संख्या में सोलह माने गए हैं, वे हैं- अंग में उबटन लगाना, स्नान, स्वच्छ वस्त्र धारण, बाल सँवारना, नयनांजन लगाना, माँग में सिंदूर लगाना, महावर लगाना, मस्तक पर तिलक, चिबुक पर तिल बनाना, मेंहदी रचाना, इत्र आदि सुगंधित द्रव्य लगाना, आभूषण पहनना, पुष्पमाला धारण करना, मिस्सी लगाना, पान खाना एवं होंठों को रंगना (नौ और सात)।

नौसर [वि.] नौ लड़ियोंवाला। [सं-पु.] चालबाज़ी; धूर्तता; धोखेबाज़ी।

नौसरबाज़ (हिं.+फ़ा.) [वि.] जालसाज़ी करने वाला व्यक्ति; धोखेबाज़; धूर्त; चालबाज़।

नौसरा [सं-पु.] नौ लड़ियों का हार।

नौसरिया [वि.] 1. बहुत बड़ा धूर्त; चालबाज़ 2. जालसाज़।

नौसादर (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का तीखा क्षार जिसका उपयोग औषधियों में होता है।

नौसिखिया (सं.) [वि.] 1. जिसने कोई काम हाल ही में सीखा हो 2. जो काम में निपुण न हो; अनाड़ी; अदक्ष।

नौ-सेना (सं.) [सं-स्त्री.] समुद्री लड़ाई लड़ने वाली सेना; जलसेना; (नेवी)।

नौसेवा [सं-स्त्री.] 1. नौसेना में की जाने वाली सेवा या नौकरी 2. नौसेना में काम करने वालों का समूह।

नौसैनिक [सं-पु.] नौसेना में काम करने वाले सैनिक।

नौहा (अ.) [सं-पु.] 1. मातम; स्यापा; मृतक के लिए रोना-पीटना 2. मातम के समय गाया जाने वाला गीत; शोकगीत।

न्यस्त (सं.) [वि.] 1. नीचे रखा हुआ 2. जमाया या स्थापित किया हुआ 3. चुनकर रखा हुआ 4. चलाया या फेंका हुआ 5. परित्यक्त 6. न्यास या अमानत रखा हुआ; विशेष हेतु से जमा किया हुआ (धन आदि) 7. निहित; छिपा हुआ।

न्याय (सं.) [सं-पु.] 1. इंसाफ़; उचित या नियम के अनुकूल बात 2. फ़ैसला; निबटारा 3. विधि; कानून 4. कोई कार्य सही ढंग से पूरा होने की योजना; नियम 5. पद्धति; रीति 6. औचित्य; उचित-अनुचित का विवेक 7. उपयुक्त या ठीक होने की अवस्था 8. कानूनी कार्रवाई; विधिसम्मत व्यवहार; ऐसा आचरण जिसमें पक्षपात या बेईमानी न हो 9. तर्क; तर्कशास्त्र में पाँच अवयवों-प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, अनय और निगमन से युक्त सम्यक तर्क 10. विधि या कानून के अनुसार दंड, सज़ा आदि।

न्यायकर्ता (सं.) [वि.] 1. न्याय करने वाला; निर्णायक 2. (विवाद आदि का) फ़ैसला करने वाला। [सं-पु.] मुकदमे या विवादों को सुनकर निर्णय देने वाला न्यायालय का अधिकारी।

न्यायकारी (सं.) [वि.] 1. जो न्यायसंगत हो; जिसमें न्याय हुआ हो; न्यायपूर्ण; युक्तिसंगत 2. न्याय करने वाला; न्यायज्ञ 3. नीतिसिद्ध।

न्यायतः (सं.) [क्रि.वि.] न्याय के अनुरूप; न्याय की दृष्टि।

न्यायदर्शन (सं.) [सं-पु.] छह मुख्य भारतीय दर्शनों में से एक जिसमें यह विवेचन है कि किस तरह किसी वस्तु या विषय के बारे में यथार्थ ज्ञान प्राप्त करने के लिए तार्किक दृष्टि से उसके समस्त पक्षों या अंगों के विकारों का निरुपण होना चाहिए।

न्यायदाता (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे न्याय देने या करने के लिए नियुक्त किया गया हो। [वि.] न्याय देने या करने वाला।

न्यायपंच (सं.) [सं-पु.] किसी विवादित विषय पर निर्णय देने के लिए नियुक्त या मनोनीत पाँच व्यक्तियों का समूह।

न्यायपथ (सं.) [सं-पु.] 1. न्यायोचित मार्ग; न्याय का मार्ग 2. मीमांसा दर्शन।

न्यायपरता (सं.) [सं-स्त्री.] न्यायशीलता; न्यायी होने का भाव।

न्यायपालिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. न्याय व्यवस्था; न्यायप्रणाली 2. लोकतंत्र के तीन आधारभूत अंग (विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका) में से एक; देश का न्याय विभाग 3. न्यायाधीशों का समूह।

न्यायपीठ (सं.) [सं-पु.] 1. न्यायाधीश का आसन; धर्मासन 2. न्यायालय की सामूहिक बैठक; (बेंच)।

न्यायपूर्ण (सं.) [वि.] 1. जिसमें न्याय या इंसाफ़ हुआ हो 2. न्याय से युक्त; विधिसम्मत।

न्यायप्रिय (सं.) [सं-पु.] जो न्याय करता हो; न्यायशील; इंसाफ़पसंद।

न्यायबल (सं.) [सं-पु.] सत्य और नीति का पक्ष लेकर प्राप्त होने वाला साहस; न्याय की शक्ति।

न्यायमूर्ति (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश, राज्य या प्रांत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश या जज की उपाधि; न्यायाधिपति 2. न्यायाधीश; (जस्टिस)।

न्यायविद (सं.) [सं-पु.] विधि का ज्ञाता; विधि संबंधी मामलों का विशेषज्ञ।

न्यायशास्त्र (सं.) [सं-पु.] न्याय या विधि से संबंधित शास्त्र; वह शास्त्र जिसमें किसी वस्तु का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक नियमों और सिद्धांतों का तार्किक दृष्टि से निरुपण होता है।

न्यायसंगत (सं.) [वि.] 1. जो विधि-विधान की दृष्टि से ठीक हो; न्यायोचित; जिसमें पूरा न्याय किया गया हो 2. उचित; ठीक; औचित्यपूर्ण 3. नियमानुकूल; नैतिक; विधिसंगत; वैध 4. तर्कसंगत।

न्यायाधिकरण (सं.) [सं-पु.] विवादास्पद विषयों पर विचार और निर्णय करने के लिए गठित किया गया वैचारिक मंडल।

न्यायाधीश (सं.) [सं-पु.] विवादित विषयों पर निर्णय देने के लिए नियुक्त अधिकारी; न्यायकर्ता; न्यायमूर्ति; (जज)।

न्यायालय (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ विवादों का निपटारा करने के लिए न्यायाधीश बैठता हो; कचहरी; अदालत; (कोर्ट)।

न्यायालयिक (सं.) [वि.] न्यायालय संबंधी; न्यायालय का।

न्यायिक (सं.) [वि.] 1. न्याय संबंधी; वैधिक 2. पक्षपात रहित; निष्पक्ष।

न्यायी (सं.) [वि.] न्याय के अनुरूप आचरण करने वाला; न्यायशील; निष्पक्ष निर्णय करने वाला।

न्यायोचित (सं.) [वि.] न्यायसंगत।

न्यारा (सं.) [वि.] 1. विचित्र; अलग; पृथक 2. दूर रहने वाला; दूरस्थ 3. दूसरा; अन्य; भिन्न 4. किसी गुण के कारण दूसरों से श्रेष्ठ; दीगर 5. निराला; अनोखा; अद्भुत 6. विचित्र।

न्यारिया [सं-पु.] सुनारों या जौहरियों के नियार (कूड़ा-करकट) को धोकर उससे सोना-चाँदी निकालने वाला।

न्यास (सं.) [सं-पु.] 1. स्थापन; कोई चीज़ कहीं जमाकर रखना 2. धरोहर; थाती 3. कोई चीज़ या धन आदि किसी को सौंपना; अमानत 4. अर्पण; त्याग; छोड़ना; भेंट 5. किसी चीज़ को रखने से बनने वाला चिह्न 6. अंकित या चित्रित करना; अंकन 7. किसी कार्य विशेष या समाजसेवा के लिए किसी को विश्वासपूर्वक सौंपी गई संपत्ति 8. उक्त तरह से धन या संपत्ति की व्यवस्था करने वाले लोगों की संस्था या समिति; (ट्रस्ट)।

न्यासभंग (सं.) [सं-पु.] 1. न्यास का दुरुपयोग 2. तय की गई शर्तों के विरुद्ध कोई कार्य करना (ब्रीच ऑव ट्रस्ट)।

न्यासी (सं.) [वि.] जिसे किसी कार्यविशेष के लिए कुछ धन या संपत्ति सौंपी गई हो; अमानतदार; धरोहरी; (ट्रस्टी)।

न्यूज़ (इं.) [सं-स्त्री.] समाचार; ख़बर।

न्यूज़ एजेंसी (इं.) [सं-स्त्री.] समाचार समिति; समाचारों का संकलन प्रेषण और वितरण करने वाले संगठन।

न्यूज़ डिस्पैच (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार प्रेषण; पत्र-पत्रिका या टेलीविज़न चैनलों में प्रकाशन के निमित अथवा प्रसारण योग्य सूचना एवं समाचार आदि को संबद्ध कार्यालय में भेजना।

न्यूज़प्रिंट (इं.) [सं-पु.] वह कागज़ जिसपर अखबार छपता है।

न्यूज़ बैलेंस (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचारपत्र के पृष्ठ पर समाचारों तथा चित्रों के बीच संतुलन।

न्यूज़ रील (इं.) [सं-स्त्री.] (पत्रकारिता) समाचार दर्शन; समाचारों की रोचक प्रस्तुति।

न्यूज़ वैल्यू (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार मूल्य; समाचार में ख़बर के तथ्य एवं मूल्य को बनाए रखना।

न्यूज़ सेंस (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार की परख या समझ।

न्यूज़ होल (इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार पत्र-पत्रिकाओं के पृष्ठों में विज्ञापनों तथा समाचारों को समाविष्ट करने के उपरांत बची खाली जगह।

न्यूट्रल (इं.) [वि.] तटस्थ; पक्षधरता से परे।

न्यूट्रॉन (इं.) [सं-पु.] परमाणु में उपस्थित आवेशरहित सूक्ष्मकण।

न्यून (सं.) [वि.] 1. अपेक्षाकृत कम या थोड़ा 2. क्षुद्र; नीच।

न्यूनतम (सं.) [वि.] 1. जो थोड़ा घटकर हो 2. जितना कम होना संभव हो; जितना न्यून हो सकता हो; (मिनिमम)।

न्यूनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. न्यून या कम होने की अवस्था या भाव; कमी; अल्पता 2. हीनता; नीचता 3. (काव्यशास्त्र) अर्थालंकारों का एक दोष।

न्यूनपद (सं.) [सं-पु.] भूलवश वाक्य में से छूटा हुआ शब्द।

न्यूनाधिक (सं.) [वि.] 1. कमोबेश; जो कुछ बातों में कहीं कुछ कम और कुछ बातों में कहीं कुछ अधिक हो; थोड़ा-बहुत 2. उक्त प्रकार से कम या अधिक हो सकने वाला; (मार्जिनल)।

न्यूनीकरण (सं.) [सं-पु.] न्यून अथवा कम करने की क्रिया या भाव।

न्यूमोनिया (इं.) [सं-पु.] ठंड के कारण होने वाला एक प्रकार का संक्रामक रोग; फेफड़े में श्लेष्मा के जमा हो जाने से होने वाला शोथ या प्रदाह; फुफ्फुस प्रदाह।

न्योछावर (सं.) [सं-पु.] 1. कुर्बान; समर्पित; अर्पित 2. बलि; उत्सर्ग 3. किसी की सुख-समृद्धि की कामना तथा बुरी नज़र से बचाने के लिए उसके ऊपर से कोई चीज़ या रुपया-गहना आदि घुमाकर किसी को दान करते हैं या ज़मीन पर डाल देते हैं; वार-फेर 4. किसी उत्सव या ख़ुशी के अवसर पर आयोजित नाच-गाने में प्रफुल्लित होकर रुपए देना; नेग।

न्योतना [क्रि-स.] 1. अवसर विशेष के लिए किसी को निमंत्रित करना 2. जान-बूझकर अपने पास बुलाना।

न्योतहरी [सं-पु.] न्योता गया व्यक्ति; निमंत्रित व्यक्ति।

न्योता [सं-पु.] 1. किसी आयोजन में सम्मिलित होने के लिए किसी को बुलाना; निमंत्रण 2. खाने-पीने के लिए किसी के द्वारा दी जाने वाली दावत 3. मित्रों या संबंधियों के यहाँ से निमंत्रण आने पर उपहारस्वरूप भेजा जाने वाला धन या सामान।

न्योली [सं-स्त्री.] (हठयोग) नाभि को वर्तुलाकार घुमाते हुए की जाने वाली आँतों की अंदरुनी मालिश; नौली।

न्यौछावर (सं.) [सं-पु.] दे. न्योछावर।

न्यौता (सं.) [सं-पु.] दे. न्योता।

न्वॉइज़/नॉइज़ (इं.) [सं-पु.] 1. आवाज़; शोर; कोलाहल 2. संदेश संप्रेषण में रुकावट या बाधा उत्पन्न करना।


>>पीछे>> >>आगे>>