hindisamay head


अ+ अ-

कोश

वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह द्वि-ओष्ठ्य, अघोष, महाप्राण स्पर्श है।

फ़ उच्चारण की दृष्टि से यह दंत्योष्ठ्य, अघोष संघर्षी है। अन्य भाषाओं से आगत शब्दों में इस वर्ण का प्रयोग किया जाता है। हिंदी वर्णमाला में यह अभी तक सम्मिलित नहीं किया गया है।

फँदाना [क्रि-स.] किसी से फाँदने का काम कराना या ऐसा काम करना जिससे कोई फंदे या जाल में फँस जाए।

फँसना [क्रि-अ.] 1. पकड़ में आना; अटकना 2. बंधन में पड़ना; फंदे में पड़ना 3. किसी काम में व्यस्त रहना या उलझना 4. धोख़े में पड़ना; छला जाना 5. {ला-अ.} किसी झंझट आदि से छुटकारा न पा सकना।

फँसाना [क्रि-स.] 1. फंदे या जाल में लाना 2. पकड़ में लाना; अटकाना 3. उलझाना 4. किसी को वश में करना; काबू में करना 5. अनुरक्त करना।

फँसाव [सं-पु.] 1. फँसने की क्रिया या भाव 2. पाश; जाल; फंदा 3. किसी को फाँसने वाली बात, चीज़ या उक्ति 4. अटकाव; उलझन 5. अनुराग; अनुरक्ति।

फंकी [सं-स्त्री.] 1. किसी चीज़ का बहुत छोटा टुकड़ा; छोटी फाँक 2. कोई चीज़ फाँकने की क्रिया या भाव 3. फाँकी जाने वाली किसी चीज़ (जैसे- दवा, चूर्ण आदि) की मात्रा।

फ़ंड (इं.) [सं-पु.] 1. कोष; निधि 2. किसी विशेष उद्देश्य से तथा अनेक लोगों के योगदान से एकत्र की गई धनराशि।

फंदा [सं-पु.] 1. रस्सी, तार आदि का घेरा जो किसी जीव या वस्तु को फँसाने के लिए बनाया जाता है 2. पशु-पक्षियों को फँसाने के लिए रस्सियों आदि से बुना गया जाल 3. फँसाने वाली चीज़; बंधन 4. छल; प्रपंच; धोखा 5. कष्ट; संकट 6. कपटपूर्ण योजना 7. खाते या पीते समय अचानक से बात करने या हँसी आदि आने से भोजन का श्वासनली में अटकना जिससे बहुत खाँसी आने लग जाए; ठसकी।

फ़क (अ.) [वि.] 1. जिस वस्तु का रंग ख़राब हो गया हो या उड़ गया हो; फीका; बदरंग; विवर्ण 2. भय आदि के कारण जिसका रंग पीला पड़ गया हो (चेहरा) 3. स्वच्छ; साफ़ 4. शुभ्र; सफ़ेद। [मु.] चेहरा फ़क पड़ना : बहुत अधिक घबरा जाना; भय या लज्जा से स्तब्ध रह जाना।

फ़क़ (अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़क)।

फ़कत (अ.) [वि.] 1. सिर्फ़; मात्र 2. अकेला; केवल 3. ख़त्म; समाप्त। [अव्य.] इति; बस इतना ही।

फ़क़त (अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़कत)।

फ़क़ीर (अ.) [सं-पु.] 1. सांसारिक विषयों का त्याग करने वाला व्यक्ति; साधु; संत; महात्मा 2. भजन करके गुज़ारा करने वाला मुसलमान साधु 3. बहुत गरीब या कंगाल व्यक्ति 4. भीख माँगने वाला व्यक्ति; भिखमंगा; भिक्षुक।

फ़क़ीराना (अ.+फ़ा.) [वि.] फ़कीरों जैसा; फ़कीरों की तरह। [सं-पु.] वह ज़मीन जो फ़कीरों के निर्वाह के लिए दान कर दी गई हो।

फ़क़ीरी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. फ़कीर होने की अवस्था या भाव 2. साधुता; सादगी; उदारता 3. निर्धनता; कंगाली; गरीबी।

फ़क़ीह (अ.) [सं-पु.] इस्लामी धर्मशास्त्र का विद्वान; फ़िकाह।

फ़क्क (अ.) [सं-पु.] 1. दो जुड़ी हुई चीज़ों को अलग करने, खोलने या छुड़ाने की क्रिया 2. मुक्ति; छुटकारा।

फक्कड़ [सं-पु.] 1. ऐसा गरीब व्यक्ति जो फ़ाकों या उपवासों के बाद भी ख़ुश और मस्त रहता हो 2. गाली-गलौज; दुर्वचन; अश्लील बातें 3. फ़कीर 4. भिखमंगा। [वि.] 1. अलमस्त 2. लापरवाही से धन नष्ट करने वाला 3. उद्दंड 4. मुँहफट 5. स्पष्टभाषी।

फक्कड़पन [सं-पु.] फक्कड़ के समान व्यवहार या स्वभाव।

फक्कड़बाज़ (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. अलमस्त 2. लापरवाही से धन ख़र्च करने वाला 3. वाहियात बातें करने वाला; गाली-गलौज करने वाला।

फक्कड़ाना [वि.] जिसका व्यवहार या स्वभाव फक्कड़ों जैसा हो; फक्कड़ों का; अलमस्त।

फ़ख़्र (अ.) [सं-पु.] 1. फ़ख़र; गर्व; नाज़ 2. अभिमान; घमंड; शेखी।

फगुआ [सं-पु.] 1. होली का दिन 2. होली के अवसर पर होने वाला आमोद-प्रमोद 3. होली के अवसर पर गाया जाने वाला अश्लील गीत; फाग 4. होली या फाग के अवसर पर दिया जाने वाला उपहार।

फगुआना [क्रि-स.] फागुन के महीने में किसी के ऊपर रंग छोड़ना या उसे फाग सुनाना। [क्रि-अ.] फागुन के महीने में इतना अधिक मस्त होना कि सभ्यता का ध्यान न रह जाए।

फगुनाहट [सं-पु.] 1. फागुन के महीने वाला ख़ुशनुमा माहौल 2. फागुन के दिनों की तेज़ और ठंडी हवा 3. फागुन में होने वाली वर्षा।

फगुनिया [वि.] 1. फागुन संबंधी; फागुन का 2. फागुन के महीने में होने वाला। [सं-पु.] त्रिसंधि नामक पुष्प का वृक्ष।

फचाक [सं-स्त्री.] 1. 'फच' की आवाज़ या ध्वनि 2. किसी चीज़ के शीघ्रतापूर्वक चुभने या धँसने की आवाज़।

फच्चर [सं-पु.] 1. लकड़ी का पतला लंबा टुकड़ा 2. फाँस 3. {ला-अ.} अड़ंगा; बाधा।

फ़जर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुबह; प्रभात; तड़का 2. सुबह के समय पढ़ी जाने वाली नमाज़।

फ़ज़ल (अ.) [सं-पु.] 1. अनुग्रह; कृपा; दया 2. अधिकता; ज़्यादती 3. विद्या 4. महत्ता।

फ़ज़ीअत (अ.) [सं-स्त्री.] दे. फ़ज़ीहत।

फ़ज़ीलत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. श्रेष्ठता; महत्ता; गौरव; बड़प्पन 2. प्रधानता 3. ख़ूबी; अच्छाई।

फ़ज़ीहत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपमान; बेइज़्ज़ती 2. निंदा; अपयश; बदनामी 3. दुर्दशा; दुर्गति 4. मुसीबत 5. कष्ट; पीड़ा।

फ़ज्र (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़जर)।

फ़ज़्ल (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़ज़ल)।

फट [सं-पु.] 1. फटने की क्रिया या भाव 2. किसी वस्तु के फटने से होने वाली ध्वनि या आवाज़ 3. वाहन, मशीन आदि के चलने से होने वाली ध्वनि 4. किसी चौड़ी, हलकी, कड़ी तथा पतली चीज़ पर आघात करने से होने वाली ध्वनि या शब्द। [क्रि.वि.] तुरंत; शीघ्र।

फटकन [सं-स्त्री.] अनाज आदि फटकने से निकलने वाला सारहीन पदार्थ; फटकने, झाड़ने आदि पर निकलने वाली धूल, मिट्टी आदि।

फटकना [क्रि-स.] 1. 'फट-फट' ध्वनि करना; फटफटाना 2. वस्त्र आदि को झटके से ऐसे झाड़ना कि उसकी धूल आदि झड़ जाए 3. सूप में अनाज रखकर उसे बार-बार उछालकर उसका कूड़ा अलग कर देना।

फटकनी [सं-स्त्री.] बाँस, सरकंडे आदि से बना अनाज फटकने का पात्र; सूप।

फटकवाना [क्रि-स.] 1. किसी को फटकने में प्रवृत्त करना 2. किसी से फटकने का काम कराना।

फटका [सं-पु.] 1. रुई धुनने की धुनकी 2. विवशता में हाथ-पैर पटकने की क्रिया या भाव 3. काव्य के रस आदि गुणों से रहित निरी तुकबंदी युक्त कविता 4. फलों को खा जाने वाली चिड़ियों से बचाने के लिए पेड़ों में बँधी लकड़ी जिसके साथ बँधी रस्सी हिलाकर 'फट-फट' ध्वनि करके चिड़ियाँ उड़ाते हैं 5. एक प्रकार की बलुई और रोड़ेदार ज़मीन जो अनुपजाऊ होती है।

फटकार [सं-स्त्री.] 1. फटकारने की क्रिया या भाव; डाँट; झिड़की; लानत-मलानत 2. किसी वस्तु को तेज़ी से या झटके से हिलाना; झटकारना 3. किसी का तिरस्कार करने या लज्जित करने के लिए क्रोध या आवेश में कही गई बात; भर्त्सना; दुत्कार; प्रताड़ना।

फटकारना [क्रि-स.] 1. ज़ोर से डाँटना; झिड़कना; लानत-मलामत करना 2. वस्तु आदि की धूल झटकना; झाड़ना 3. निचोड़े हुए कपड़े को झटके से ऊपर से नीचे हिलाना।

फटना [क्रि-अ.] 1. आघात लगने से, प्राकृतिक रूप से या अज्ञात कारण से किसी वस्तु के बीच में से चीरा लगना; टूटना या उसमें दरार पड़ जाना; बीच में से आंशिक रूप से खंडित होना; कपड़े में चीरा लगना 2. किसी वस्तु का कोई भाग अलग हो जाना 3. किसी वस्तु का बीच से कटकर छिन्न-भिन्न होकर बिखरना 4. विकृत अवस्था में आना 5. दूध आदि का इस प्रकार ख़राब होना कि उसका जलभाग सारभाग से अलग हो जाए 6. {ला-अ.} बहुत पीड़ा होना, जैसे- दर्द से सिर फटना।

फटफट [सं-स्त्री.] 1. 'फट' शब्द या ध्वनि की आवृति (चप्पल, जूते आदि की) 2. व्यर्थ की बकवाद 3. तकरार; कहासुनी।

फटफटाना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु से 'फट-फट' शब्द उत्पन्न करना 2. दौड़-धूप करना। [क्रि-अ.] 1. 'फट-फट' ध्वनि होना 2. विवश होकर चिंतित या विफल होना 3. मारे-मारे फिरना 4. व्यर्थ का प्रलाप करना।

फटफटिया [सं-स्त्री.] फट-फट की आवाज़ के साथ चलने वाला वाहन; मोटरसाइकिल; फटफटी।

फटफटी [सं-स्त्री.] फटफटिया।

फटवाना [क्रि-स.] 1. फटने का काम दूसरे से कराना 2. फटने के लिए प्रवृत्त करना।

फटा [वि.] 1. जो फटा हुआ हो, जैसे- फटा कुरता 2. बुरी और दयनीय अवस्था वाला; गया-गुज़रा 3. जो बहुत विकृत हो चुका हो, जैसे- फटी आवाज़ 4. विभाजित 5. जीर्ण-शीर्ण। [सं-पु.] 1. विस्फोट से बना गड्ढा या दरार 2. धोखा; छल 3. छेद। [मु.] (किसी के) फटे में पैर देना : किसी के मामले में दख़ल देना; किसी की मुसीबत और बढ़ा देना।

फटाक [सं-स्त्री.] 1. 'फट' की ध्वनि 2. धमाका; धम।

फटाक से [क्रि.वि.] 1. तुरंत; तत्काल; जल्दी से 2. 'फट' की ध्वनि करते हुए।

फटाका [सं-पु.] 1. 'फट' की तेज़ ध्वनि; फटाक 2. एक प्रकार की आतिशबाज़ी; पटाखा।

फटा-पुराना [वि.] 1. जो फट गया हो अथवा जो पुराना हो गया हो 2. जो बहुत बुरी तथा हीन अवस्था में हो।

फटाफट [क्रि.वि.] 1. जल्दी-जल्दी; शीघ्रता से 2. तत्काल; तुरंत 3. फटफट की आवाज़ करते हुए 4. द्रुत गति से।

फटाव [सं-पु.] 1. फटने की क्रिया या अवस्था 2. फटने के कारण पड़ने वाली दरार 3. फटने जैसी पीड़ा या कष्ट।

फटिका [सं-स्त्री.] 1. जौ आदि के ख़मीर से बिना आसवित किए तैयार की जाने वाली शराब या मदिरा 2. गुलेल की डोरी के बीचों-बीच रस्सी से बुनकर बनाया हुआ वह चौकोर भाग जहाँ रखकर ढेला चलाया जाता है।

फटीचर [वि.] 1. जो फटे-पुराने कपड़े पहने रहता हो 2. भद्दा 3. हेय; तुच्छ 4. गरीब; निर्धन; कंगाल 5. निकम्मा; बेकार।

फटेहाल [वि.] 1. बहुत गरीब या निर्धन; कंगाल 2. असहाय; दीन; बेचारा।

फट्टा [सं-पु.] 1. चीरे हुए बाँस का लंबा टुकड़ा 2. लकड़ी आदि को चीर कर निकाला हुआ छोटा तख़्ता 3. टाट; फड़।

फट्टी [सं-स्त्री.] 1. चीरे हुए बाँस का पतला फट्टा 2. बच्चों के लिखने की पटिया 3. बैठने के लिए बनी टाट की पट्टी।

फड़ [सं-स्त्री.] 1. जुआ खेलने की जगह या बिसात 2. वह स्थान जहाँ दुकानदार बैठकर माल ख़रीदते या बेचते हैं 3. एक प्रकार का कपड़ा जिसे छोटे दुकानदार ज़मीन पर बिछाकर बेचने की चीज़ें सजाने के लिए काम में लाते है 4. बिछावन; बिछौना; फट्टी 5. पंख आदि के हिलने से उत्पन्न होने वाला शब्द। [सं-पु.] तोप लादने की गाड़ी; चरख। [मु.] -पर आना : मुकाबले के लिए सामने आना।

फड़क [सं-स्त्री.] फड़कने की क्रिया या भाव; स्पंदन; स्फुरण; फड़कन। [मु.] -उठना : बहुत प्रसन्न होना।

फड़कन [सं-स्त्री.] 1. फड़कने की क्रिया या अवस्था; फड़क; स्फुरण 2. धड़कन; नाड़ी का स्पंदन 3. उत्सुकता।

फड़कना [क्रि-अ.] 1. नीचे-ऊपर या इधर-उधर इस प्रकार हिलना कि 'फड़-फ‌ड़' की ध्वनि हो 2. शरीर के किसी हिस्से का रुक-रुक कर या अचानक चलायमान होना, सिकुड़ना या फैलना, जैसे- आँख का फड़कना 3. कोई अच्छी वस्तु देखकर या बात सुनकर मन में स्फुरण होना 4. पक्षियों का पंख हिलाना; फड़फड़ाना। [मु.] बोटी-बोटी फड़कना : कुछ करने को बेचैन होना।

फड़काना [क्रि-स.] 1. किसी को फड़कने में प्रवृत्त करना 2. कुछ करने के लिए भड़काना; उत्तेजित करना 3. उत्सुकता उत्पन्न करना।

फड़नवीस [सं-पु.] मराठों के राज्यकाल का एक बड़ा अधिकारी; महामात्य।

फड़फड़ाना [क्रि-अ.] 1. 'फड़-फड़' शब्द होना 2. {ला-अ.} उत्सुक होना; छटपटाना 3. {ला-अ.} घोर कष्ट या संकट के समय उससे छुटकारा पाने के लिए छटपटाना। [क्रि-स.] पंख आदि को इस प्रकार हिलाना कि उससे 'फड़-फड़' ध्वनि उत्पन्न हो; फटफटाना।

फड़फड़ाहट [सं-स्त्री.] 1. फड़फड़ाने की आवाज़ या ध्वनि 2. फड़फड़ाने की क्रिया या भाव; छटपटाहट।

फड़बाज़ (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. कुछ दाम लेकर जुआ खिलाने वाला व्यक्ति; फड़ लगाने वाला व्यक्ति 2. जुआरी; सट्टेबाज़।

फड़वाना [क्रि-स.] किसी से फाड़ने का कार्य कराना; किसी को फाड़ने के कार्य में प्रवृत्त करना।

फड़िया [सं-पु.] 1. फड़ लगाकर जुआ खिलाने वाला व्यक्ति 2. फड़ लगाकर अनाज बेचने वाला दुकानदार 3. ख़ुदरा दुकानदार।

फड़ी [सं-स्त्री.] ईंट, पत्थरों आदि का परिमाण स्थिर करने के लिए लगाया जाने वाला लगभग एक मीटर चौड़ा, एक मीटर ऊँचा और तीस मीटर लंबा ढेर।

फणींद्र (सं.) [सं-पु.] 1. फन वाला बड़ा साँप 2. सर्पों का राजा; वासुकि; शेषनाग।

फणीश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. सर्पराज; सर्पों का राजा 2. शेषनाग 3. वासुकि नाग 4. महाभाष्यकार पतंजलि।

फ़तवा (अ.) [सं-पु.] 1. किसी धार्मिक विषय में किसी धर्मगुरु आदि का लिखित आदेश, निर्णय या घोषणा 2. इस्लामी धर्मशास्त्रों के अनुसार किसी कर्म के अनुकूल या प्रतिकूल होने पर मौलवियों द्वारा दी गई व्यवस्था 3. जाति पंचायतों और धार्मिक संगठनों द्वारा जारी किए गए फरमान या आदेश।

फ़तह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विजय; जीत 2. कामयाबी; सफलता 3. चुनाव, युद्ध आदि में होने वाली जीत।

फ़तहमंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. विजयी 2. कामयाब; सफल।

फ़तहयाब (अ.+फ़ा.) [वि.] जिसे विजय प्राप्त हुई हो; विजेता; विजयी।

फतिंगा [सं-पु.] एक प्रकार का पंखों वाला कीड़ा; पतंगा; परवाना।

फ़तीला (अ.) [सं-पु.] 1. दीये की बत्ती 2. रुई की मोटी बत्ती 3. ज़रदोज़ी का काम करने वालों की लकड़ी की वह तीली, जिसपर तार लपेटते हैं 4. तोप या बंदूक में दी जाने वाली बत्ती; पलीता 5. (अंधविश्वास) भूत-प्रेत उतारने वालों की बत्ती जिसे वे चिराग में जलाकर प्रेतबाधा-ग्रस्त को दिखाते हैं।

फ़तूही (अ.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की कमर तक की बिना बाहों की कुरती जिसमें सामने की ओर बटन या हुक लगाए जाते हैं; बंडी।

फ़त्वा (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़तवा)।

फ़त्ह (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़तह)।

फ़त्हमंद (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़तहमंद)।

फ़त्हयाब (अ.+फ़ा.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़तहयाब)।

फदफदाना [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ का उबलते समय 'फद-फद' ध्वनि करना 2. शरीर में बहुत दाने या फुंसियाँ निकल आना 3. पेड़-पौधों में नई पत्तियाँ निकलना।

फन (सं.) [सं-पु.] साँप के सिर के समीप का वह भाग जो फैलकर छत्र के आकार का हो जाता है; फण।

फ़न (अ.) [सं-पु.] 1. कला; विद्या 2. हुनर; गुण; ख़ूबी 3. कौशल; जौहर 4. शिल्पकारी; दस्तकारी।

फ़नकार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. कलाकार 2. संगीतकार 3. शिल्पकार।

फ़नकारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. फ़नकार होने की अवस्था; कलाकारी 2. हुनर; कला-कुशलता।

फनधर (सं.) [सं-पु.] फन धारण करने वाला साँप।

फनफनाना [क्रि-अ.] 1. बहुत अधिक गुस्सा होना; क्रोध या आवेश में बोलना 2. चंचलता से इधर-उधर हिलना।

फ़ना (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अस्तित्व की समाप्ति; मिटना 2. मृत्यु; इंतकाल; मौत 3. विनाश; बरबादी 4. (सूफ़ी मत) परमात्मा और आत्मा में भेद न रहना। [वि.] 1. बरबाद; नष्ट 2. कुरबान 3. मृत 4. गायब।

फन्नी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी का एक प्रकार का टुकड़ा जो छेद, दरार आदि को बंद करने के लिए किसी चीज़ में ठोका जाता है; पच्चर 2. कपड़ा बुनने का औज़ार।

फप्फस [वि.] बहुत मोटे और भद्दे शरीरवाला।

फफकना [क्रि-अ.] 'फफ-फफ' ध्वनि करते हुए रोना; रुक-रुककर रोना।

फफूँद [सं-स्त्री.] 1. खाद्य पदार्थों के नम और ख़राब हो जाने पर उनके ऊपर जमने वाली एक प्रकार की सफ़ेद काई 2. लकड़ी आदि पर बरसात या सील के कारण जमने वाली काई की तरह की सफ़ेद चीज़; भुकड़ी।

फफूँदी [सं-स्त्री.] दे. फफूँद।

फफोला [सं-पु.] 1. छाला; झलका 2. जलने आदि से शरीर पर होने वाला उभार, जिसके अंदर पानी भरा रहता है।

फबकना [क्रि-अ.] अधिक विस्तृत होना; इधर-उधर फैलना (दाद, फुंसियों आदि का)।

फबती [सं-स्त्री.] 1. ऐसी व्यंग्यात्मक तथा परिहासपूर्ण बात जो किसी व्यक्ति की तात्कालिक स्थिति के ऊपर बिलकुल ठीक बैठती हो; चुटीली बात 2. हँसी; ठिठोली; मज़ाक 3. कटाक्षपूर्ण उक्ति; फ़िकरा; उपहास; ताना। [मु.] -उड़ाना : हँसी उड़ाना; उपहास करना। -कसना : चुभती हुई या व्यंग्यपूर्ण बात करना।

फबन [सं-स्त्री.] 1. शोभा; सौंदर्य 2. फबने की अवस्था या भाव।

फबना [क्रि-अ.] 1. किसी स्थान या व्यक्ति का शोभायमान होना; जँचना 2. सुंदर लगना; सुहाना 3. उपयुक्त मौके पर उचित होना (बात आदि का)।

फबाना [क्रि-स.] 1. सुंदर और अच्छा दिखने के लिए किसी वस्तु को सजाना 2. सुंदर तरीके से जँचाना; सोहाना 3. बात आदि का सही अवसर पर उपयुक्त लगना।

फबीला [वि.] 1. सजने वाला 2. सुंदर दिखाई देने वाला 3. जिससे शोभा आए।

फ़र (इं.) [सं-पु.] जानवर आदि के मुलायम छोटे बाल या बालदार खाल।

फरकिल्ला [सं-पु.] एक प्रकार का खूँटा जो लकड़ी से बनी गाड़ी में ऊपर के ढाँचे को सहारा देने के लिए लगाया जाता है।

फरकी [सं-स्त्री.] एक प्रकार की लकड़ी जो पक्षी पकड़ने के लिए उपयोग में लाई जाती है।

फ़रज़ंद (फ़ा.) [सं-पु.] पुत्र; बेटा।

फ़रज़ंदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पुत्र भाव 2. पिता-पुत्र का नाता।

फ़रज़ाना (फ़ा.) [वि.] बुद्धिमान; होशियार।

फ़रज़ी (अ.) [वि.] 1. नकली; कृत्रिम; जाली 2. काल्पनिक; अयथार्थ; असत्य; झूठा 3. अनुमानित; फ़र्ज़ किया हुआ; माना हुआ।

फ़रज़ीं (फ़ा.) [सं-पु.] शतरंज का एक मोहरा जिसको वज़ीर कहते हैं।

फ़रज़ीवाड़ा (अ.+हिं.) [सं-पु.] 1. भ्रष्ट तरीके से किया गया काम; घपला; गोलमाल; जालसाज़ी 2. गबन।

फ़रतूत (फ़ा.) [वि.] 1. जरठ; अति वृद्ध; बहुत बूढ़ा 2. मूर्ख; बेवकूफ़ 3. निरर्थक; निकम्मा।

फरद [सं-पु.] 1. चटक लाल फूलों वाला एक वृक्ष 2. उक्त वृक्ष के फूल।

फ़रद (अ.) [सं-स्त्री.] दे. फ़र्द।

फरफंद [सं-पु.] 1. फ़रेब; छल-कपट; दाँव-पेंच 2. नख़रा; चोचला 3. किसी को धोखे में डालने के लिए किया जाने वाला झूठा व्यवहार।

फरफंदी [वि.] 1. कपटी; धूर्त; फ़रेबी 2. नख़रा करने वाला; नखरेबाज़; चोचलेबाज़।

फ़रमा (इं.) [सं-पु.] 1. वह ढाँचा या साँचा जिसके अनुरूप कोई वस्तु बनाई जाती है; (फ़्रेम) 2. कंपोज़ करके और चेस में कसी हुई छपने के लिए तैयार सामग्री; (फ़ार्म) 3. उक्त कागज़ पर एक साथ छपा पुस्तक का अंश 4. ढाँचे में कसी हुई मुद्रणीय सामग्री।

फ़रमाँबरदार (फ़ा.) [वि.] हुक़्म की तामील करने वाला; आज्ञाकारी।

फ़रमाइश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात या काम को करने का आग्रह; निवेदन 2. आज्ञा के रूप में कुछ माँगना; (ऑर्डर) 3. अनुरोध के साथ की गई माँग।

फ़रमाइशी (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी फ़रमाइश की गई हो 2. विशेष रूप से आज्ञा देकर बनवाया या मँगवाया हुआ 3. बहुत अच्छा और बढ़िया।

फ़रमान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आदेश; हुक्म; आज्ञा 2. कोई आधिकारिक विशेषतः राजकीय आदेश 3. वह पत्र जिसमें आदेश लिखा हो।

फ़रमाना (फ़ा.) [क्रि-स.] 1. आज्ञा देना 2. किसी बड़े या सम्मानित व्यक्ति द्वारा कुछ कहना (आदरसूचक), जैसे- सभा में बुज़ुर्ग ने फ़रमाया।

फ़रलांग (इं.) [सं-पु.] 1. ज़मीन की दूरी नापने का एक मान जो 220 गज़ के बराबर होता है 2. मील का आठवाँ भाग; 1/8 मील अथवा 201.168 मीटर।

फ़रवरी (इं.) [सं-स्त्री.] ईसवी सन या अँग्रेज़ी वर्ष का दूसरा माह; (फ़ेब्रुअरि)।

फरवी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लाई; खील; मुरमुरा 2. भूना हुआ चावल या धान।

फ़रशी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का बड़ा हुक्का; गुड़गुड़ी 2. पुरानी चाल की बंदूक का एक पुरज़ा। [वि.] फ़र्श संबंधी; फ़र्श का।

फरसा (सं.) [सं-पु.] 1. फावड़ा; परशु 2. एक प्रकार की तेज़ धार की कुल्हाड़ी।

फरहटा [सं-पु.] बाँस, लकड़ी आदि की पतली लंबी पट्टी।

फ़रहत (अ.‍.) [सं-स्त्री.] आनंद; प्रसन्नता; ख़ुशी; मन की प्रफुल्लता।

फरहद (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पेड़ जो बंगाल में समुद्र के किनारे होता है; पारिभद्र।

फरहरा [सं-पु.] 1. पताका; झंडा 2. कपड़े, कागज़ आदि का वह तिकोना टुकड़ा जिसे छड़ के सिरे से लगाकर झंडी बनाते है और जो हवा में लहराता रहता है। [वि.] 1. जो एक में लिपटा या मिला हुआ न हो; जो अलग-अलग हो 2. शुद्ध; निर्मल 3. प्रफुल्लित; प्रसन्न 4. साफ़; स्पष्ट 5. तेज़; चालाक।

फरहा [सं-पु.] धुनिए की कमान का चौड़ा भाग या हिस्सा।

फ़रहाद (फ़ा.) [सं-पु.] 'शीरीं-फ़रहाद' नामक प्रेमकहानी का नायक, जिसने अपनी प्रेमिका शीरीं के पिता के आदेश पर पहाड़ काटकर नहर बनाई थी।

फरही [सं-स्त्री.] लकड़ी का वह चौड़ा टुकड़ा जिसपर ठठेरे बरतन रखकर रेती से रेतते हैं।

फ़राख़ (फ़ा.) [वि.] 1. जो दूर तक फैला हो; विस्तृत 2. विशाल; बड़ा 3. चौड़ा।

फ़राख़दामन (फ़ा.) [वि.] 1. उदार; परोपकारी 2. धनी।

फ़राख़हौसला (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. बहुत हिम्मतवाला; बहादुर 2. धैर्यवान।

फ़राग़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. छुटकारा; मुक्ति; निवृत्ति 2. अवकाश; छुट्टी 3. बेफ़िक्री; निश्चिंतता।

फ़राज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ऊँचाई 2. बुलंदी। [वि.] 1. ऊँचा; उच्च 2. बुलंद।

फ़रामोश (फ़ा.) [वि.] 1. भूलने वाला; भुलक्कड़, जैसे- अहसान फ़रामोश 2. भूला हुआ; विस्मृत।

फ़रामोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भूलने की अवस्था या भाव; विस्मृति; विस्मरण 2. भूल-चूक।

फ़रार (फ़ा.) [वि.] 1. जो भय के कारण भाग गया हो अथवा छुप गया हो 2. जो अपराधी शासन की हिरासत से चकमा देकर भाग गया हो।

फ़रारी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. फ़रार होने की स्थिति या भाव 2. वह अपराधी जो भाग गया हो या भागता फिर रहा हो। [वि.] भागने वाला; भागा हुआ; भगोड़ा।

फ़रासीस (इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की लाल छींट; कपड़े पर बनी हुई लाल रंग की प्रिंट या डिज़ाइन।

फ़राहम (फ़ा.) [वि.] संगृहीत; राशीकृत; एकत्रित किया हुआ।

फ़रियाद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. संकट के समय मदद के लिए की जाने वाली पुकार 2. विनती; प्रार्थना; दुहाई; नालिश 3. किसी प्रकार के ज़ुल्म या ज़्यादती की शिकायत 4. न्याय की याचना के लिए न्यायालय में दिया जाने वाला प्रार्थनापत्र।

फ़रियादी (फ़ा.) [सं-पु.] अभियोक्ता; मुस्तगीस; शिकायतकर्ता। [वि.] 1. फ़रियाद करने वाला 2. मदद के लिए प्रार्थना करने वाला 3. शिकायत करने वाला।

फ़रिश्ता (फ़ा.) [सं-पु.] 1. इस्लामी धर्मग्रंथों के अनुसार ईश्वर की आज्ञानुसार कार्य करने वाला देवदूत 2. {ला-अ.} परोपकारी व्यक्ति।

फरी [सं-स्त्री.] 1. चमड़े की ढाल जिसपर गतके की मार रोकी जाती है 2. हल की फाल; कुशी।

फ़रीक़ (अ.) [सं-पु.] 1. दो परस्पर विरोधी पक्षों या व्यक्तियों में से प्रत्येक पक्ष या व्यक्ति 2. मुकदमे आदि में वादी या प्रतिवादी।

फ़रीज़ा (अ.) [सं-पु.] 1. (इस्लाम) ख़ुदा या ईश्वर का हुक्म जिसका पालन करना बंदों का फ़र्ज़ होता है, जैसे- नमाज़, हज, रोज़ा आदि 2. पवित्र कर्तव्य।

फ़रीद (अ.) [वि.] अनुपम; उत्कृष्ट; बेहतरीन; बेजोड़।

फ़रेब (फ़ा.) [सं-पु.] छल; धोखा; कपट; चालाकी; धूर्तता; ठगी; जालसाज़ी। [परप्रत्य.] लुभाने या ठगने वाला, जैसे- दिलफ़रेब; नज़रफ़रेब।

फ़रेबी (फ़ा.) [वि.] 1. फ़रेब या छल करने वाला; चालबाज़; धोखेबाज़; कपटी; चालाक; धूर्त; ठग 2 फ़रेब संबंधी।

फ़रोख़्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेचने की क्रिया या भाव; बिक्री; विक्रय।

फ़रोख़्ता (फ़ा.) [वि.] बिका हुआ; बेचा हुआ।

फ़रोग़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. प्रकाश; रोशनी 2. उत्कर्ष; उन्नति 3. {ला-अ.} ख़्याति; कीर्ति।

फ़रोश (फ़ा.) [परप्रत्य.] बेचने वाला; विक्रेता, जैसे- मेवाफ़रोश (मेवा बेचने वाला)।

फ़रोशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेचने की क्रिया या अवस्था; बिक्री; विक्रय।

फ़र्क़ (अ.) [सं-पु.] 1. भिन्नता; भेद; विषमता 2. अंतर; दूरी; फ़ासला 3. भेदभाव; पक्षपात; दुराव 4. मतभेद 5. अलगाव 6. कमी; कसर 7. हिसाब में हुई भूल के कारण होने वाला अंतर।

फ़र्ज़ (अ.) [सं-पु.] कर्तव्य; ज़िम्मेदारी।

फ़र्ज़ी (फ़ा.) [वि.] दे. फ़रज़ी।

फ़र्ज़ीं (फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रज़ीं)।

फ़र्टिलाइज़र (इं) [सं-पु.] ज़मीन का ऊपजाऊपन बढ़ाने वाला पदार्थ; खाद; उर्वरक।

फ़र्त (अ.) [सं-पु.] आधिक्य; इफ़रात; अतिरेक, जैसे- फ़र्ते ऐश।

फ़र्तूत (फ़ा.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रतूत)।

फ़र्द1 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सूची; फेहरिस्त; तालिका 2. हिसाब-किताब का रजिस्टर या बही 3. आज्ञापत्र; हुक्मनामा 4. वह कागज़ जिसपर अभियुक्त का अपराध और दफ़ा लिखी जाती है; आरोपपत्र।

फ़र्द2 (अ.) [सं-पु.] 1. रजाई, चादर आदि का ऊपरी पल्ला 2. अकेला आदमी। [वि.] 1. अकेला; एकाकी 2. बेजोड़; अद्वितीय।

फ़र्नीचर (इं.) [सं-पु.] मेज़, कुरसी आदि सामान।

फ़र्म (इं.) [सं-स्त्री.] साझे का व्यापार करने वाली कोई बड़ी संस्था।

फ़र्मांबरदार (फ़ा.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रमाँबरदार)।

फ़र्माइश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रमाइश)।

फ़र्माइशी (फ़ा.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रमाइशी)।

फ़र्मान (फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रमान)।

फर्रा [सं-पु.] गेहूँ धान आदि में लगने वाला एक प्रकार का रोग।

फर्राटा [सं-पु.] 1. 'फर-फर' की आवाज़ होने की अवस्था या भाव 2. तेज़ी; वेग। [अव्य.] ख़ूब तेज़ी से।

फर्राटेदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. वेगवान 2. तेज़ चलने वाला 3. जिसमें से 'फर-फर' ध्वनि निकले।

फ़र्राश (अ.) [सं-पु.] वह नौकर जिसका काम ज़मीन पर दरी बिछाना, झाड़ू लगाना आदि होता है।

फ़र्राशी (अ.) [सं-स्त्री.] फ़र्राश का काम या पद। [वि.] फ़र्श या फ़र्राश के कामों से संबंध रखने वाला।

फर्लांग (अ.) [सं-स्त्री.] दे. फरलांग।

फ़र्श (अ.) [सं-पु.] 1. किसी भवन या अन्य स्थान में मिट्टी, सीमेंट, पत्थर, आदि से बनी हुई ज़मीन 2. ज़मीन पर बिछाने की कोई चीज़; बिछावन।

फ़र्शी (अ.) [वि.] दे. फ़रशी।

फ़र्हाद (फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रहाद)।

फल (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़-पौधों से प्राप्त गूदेदार बीजकोश, जैसे- आम, अनार आदि का फल 2. परिणाम; नतीजा, जैसे- परीक्षाफल 3. किए हुए कामों का परिणाम, जैसे- कर्मफल 4. किसी गणित क्रिया का अंतिम परिणाम; शेषफल 5. तीर, बरछी आदि का अग्र भाग 6. तलवार की धार 7. लाभ।

फलक (सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी का तख़्ता; पटल; पट्टी 2. पुस्तक का पृष्ठ; पन्ना 3. वह लंबा-चौड़ा कागज़ जिसपर कोई मानचित्र या विवरण अंकित हो 4. धातु, गत्ता आदि का पट्ट जो लेख या चित्र के आधार के रूप में काम दे 5. तीर की गाँसी या फल।

फ़लक (अ.) [सं-पु.] आकाश; आसमान; गगन।

फलतः (सं.) [अव्य.] 1. उक्त बात के फल के रूप में 2. फलस्वरूप; परिणामतः 3. इसलिए।

फलत्याग (सं.) [सं-पु.] कर्म के फल का त्याग; निस्वार्थ कर्म का भाव।

फलद (सं.) [वि.] 1. फल देने वाला; फलदायी; फलप्रद 2. उत्पादक; उर्वर 3. लाभप्रद।

फलदान (सं.) [सं-पु.] 1. विवाह पक्का करने के लिए वर को रुपया आदि देने की रस्म; वरक्षा 2. हिंदुओं में विवाह के पहले होने वाली एक रस्म; टीका 3. {शा-अ.} फलों का दान।

फलदार (सं.+फ़ा.) [वि.] 1. फलयुक्त; फलवाला (पेड़) 2. जिसके आगे धारदार फल लगा हो (अस्त्र)।

फलन (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़-पौधों में फल लगना 2. किसी कार्य या बात का परिणाम निकलना।

फलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. (वृक्षों में) फल आना; फल लगना; फलों से युक्त होना 2. गृहस्थों का संतान से युक्त होना 3. इच्छा या कामना का पूरा होना 4. शरीर में बहुत से दानों या फुंसियों का निकल आना 5. किसी कार्य या बात का शुभ परिणाम निकलना।

फलना-फूलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. फलयुक्त होना 2. सुख-सौभाग्य युक्त होना।

फलप्रद (सं.) [वि.] 1. सफलता या लाभ प्रदान करने वाला 2. जिसका कोई फल या परिणाम निकले।

फलभोजी (सं.) [वि.] 1. फल खाने वाला 2. केवल फल खाकर निर्वाह करने वाला।

फलमंडी (सं.) [सं-पु.] वह स्थान या बाज़ार जहाँ फलों का क्रय-विक्रय होता है।

फलवती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह लता या झाड़ी जिसमें फल लगे हों 2. {ला‌-अ.} संतानवती स्त्री 3. {ला-अ.} फल या परिणाम देने वाली क्रिया या वस्तु।

फलवान (सं.) [सं-पु.] फलदार पेड़ या फलों वाला वृक्ष। [वि.] 1. जिसमें फल लगे हों; फलदार 2. परिणाम देने वाला।

फलश (सं.) [सं-पु.] सब्ज़ी या तरकारी बनाकर खाया जाने वाला फल; फलशाक, जैसे- कटहल, टमाटर आदि।

फ़लसफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. दर्शन; (फ़िलॉसफ़ी), जैसे- ज़िंदगी का फ़लसफ़ा 2. दर्शनशास्त्र; न्यायशास्त्र 3. तर्क; दलील 4. ज्ञान; विद्या।

फ़लसफ़ी (अ.) [वि.] 1. फ़लसफ़ा जानने वाला; दार्शनिक; दर्शनविद; (फ़िलॉसफ़र) 2. फ़लसफ़ा संबंधी।

फलस्वरूप (सं.) [क्रि.वि.] परिणामतः परिणाम के रूप में; फलतः।

फलहीन (सं.) [वि.] 1. जिसमें फल न लगे हों; फलरहित वृक्ष 2. निष्फल; परिणामरहित।

फ़लाँ (अ.) [वि.] 1. जिसका उल्लेख बिना नाम लिए किया जाए, जैसे- फ़लाँ व्यक्ति या वस्तु 2. अमुक; अनिश्चित।

फलाँग [सं-स्त्री.] 1. छलाँग; कुदान; चौकड़ी 2. एक छलांग में पार की जाने वाली दूरी 3. मालखंभ की एक प्रकार की कसरत।

फलाँगना [क्रि-अ.] 1. फलाँग मारना; फाँदना; लाँघना; कूदना 2. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना।

फलांश (सं.) [सं-पु.] सारांश; तात्पर्य।

फलाकना [क्रि-स.] छलाँग या फलाँग मारकर पार करना; फलाँगना।

फलागम (सं.) [सं-पु.] 1. फल आना 2. वह मौसम या ऋतु जिसमें वृक्षों में फल लगते हैं या फल आने का काल या समय 3. शरदऋतु 4. (नाट्यशास्त्र) रूपक की पाँच अवस्थाओं में से पाँचवी और अंतिम अवस्था जिसमें रूपक या नाटक की कथा अंतिम परिणाम तक पहुँचती है।

फलादन (सं.) [सं-पु.] तोता; सुआ। [वि.] फल खाने वाला।

फलादेश (सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात का परिणाम या फल बताना 2. (ज्योतिष) वे बातें जो व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों के प्रभाव के रूप में कही जाती हैं।

फ़लाना (अ.) [वि.] दे. फ़लाँ।

फलानुमेय (सं.) [वि.] (विषय) जिसका अनुमान परिणाम देखकर लगाया जाए।

फलान्वेषी (सं.) [वि.] फल या परिणाम की इच्छा या आकांक्षा करने वाला।

फलाफल (सं.) [सं-पु.] 1. (किसी कार्य का) शुभ या अशुभ फल; अच्छा और बुरा फल 2. सफलता और विफलता।

फला-फूला [वि.] 1. समृद्ध; संपन्न 2. सुखी 3. विकसित।

फलार्थी (सं.) [वि.] फल की इच्छा या कामना करने वाला; फलकामी।

फ़लालेन (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बहुत मुलायम और ढीली-ढाली बुनावट वाला ऊनी कपड़ा; (फ्लैनल)।

फलाशी (सं.) [सं-पु.] वह जो फल खाकर रहता हो। [वि.] फल खाने वाला; फलाहारी।

फलासंग (सं.) [सं-पु.] किसी कर्म के फल या परिणाम के प्रति मोह; फलासक्ति।

फलासक्त (सं.) [वि.] जो फल की आशा से कर्म करता है; सकाम कर्म करने वाला।

फलासक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कर्म के फल में होने वाली आसक्ति या मोह 2. फल या परिणाम की कामना।

फलाहार (सं.) [सं-पु.] 1. फल या कंद का आहार 2. केवल फल खाकर रहना। [वि.] फल खाकर रहने वाला।

फलाहारी (सं.) [वि.] 1. फलाहार संबंधी; फलाहार का 2. फलाहार करने वाला 3. दूध आदि से निर्मित (मिठाई) 4. अन्नरहित (आहार)। [सं-पु.] केवल फल खाकर निर्वाह करने वाला व्यक्ति।

फलिक (सं.) [वि.] 1. फल का उपभोग करने वाला 2. किसी कर्म, घटना आदि के बाद उसके परिणाम के रूप में होने वाला।

फलिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हरे रंग की एक तरह की सेम; बोड़ा; फली 2. सरपत आदि का नुकीला हिस्सा।

फलित (सं.) [वि.] 1. जिसमें फल हों; फला हुआ 2. फल का; फल संबंधी 3. पूरा किया हुआ 4. फल रूप में परिणत; सफल।

फलित ज्योतिष (सं.) [सं-पु.] ग्रह-नक्षत्रों की गति के आधार पर शुभाशुभ फल पर विचार करने वाली ज्योतिष की एक शाखा।

फलितार्थ (सं.) [सं-पु.] सारांश; तात्पर्य; निचोड़।

फली (सं.) [सं-पु.] लंबोतरे पतले फल जिनमें एक साथ कई दाने या बीज होते हैं, जैसे- मटर, सेम आदि। [वि.] 1. फलयुक्त 2. फल देने वाला 3. लाभदायक।

फलीकृत (सं.) [वि.] 1. जिससे कुचल कर दाने निकाल लिए गए हों 2. कूट-फटककर साफ़ किया हुआ।

फ़लीता (तु.) [सं-पु.] 1. बड़ आदि के रेशों की बटी हुई रस्सी जिसमें तोड़ेदार बंदूक दागने के लिए आग लगाकर रखी जाती है; पलीता 2. (अंधविश्वास) तावीज़ की बत्ती जिसकी धूनी प्रेतबाधा वाले रोगी को देते हैं।

फलीभूत (सं.) [वि.] 1. जिसका फल या परिणाम निकल चुका हो; फलरूप में परिणत; फलदायक 2. सफल।

फलेंद्र (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बड़ा जामुन; फलेंदा।

फलेच्छा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. फल या परिणाम की इच्छा (कर्म या सिद्धि के) 2. प्राप्ति की आकांक्षा।

फलोत्तमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का अंगूर जिसमें बीज नहीं होते हैं 2. दूधिया घास 3. त्रिफला।

फलोन्मुख (सं.) [वि.] 1. जो फल या परिणाम की ओर उन्मुख हो 2. सफलता की ओर बढ़ने वाला।

फ़ल्सफ़ा (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़लसफ़ा)।

फ़ल्सफ़ी (अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़लसफ़ी)।

फ़व्वारा (अ.) [सं-पु.] 1. अनेक छिद्रों वाला एक यंत्र जिससे पानी की छोटी-छोटी बूँदें चारों ओर गिरती हैं; फुहारा 2. जल या द्रव की तेज़ धार।

फ़सल (अ.) [सं-स्त्री.] 1. खेती; उपज; पैदावार 2. अनाज बोने का उपयुक्त समय या ऋतु 3. खेत में खड़े अनाज के पौधे।

फ़सली (अ.) [वि.] 1. फ़सल संबंधी 2. किसी विशिष्ट ऋतु में होने वाला; मौसमी।

फ़साँ (फ़ा.) [सं-पु.] छुरी आदि पर सान रखने का पत्थर; कुरुंड।

फ़साद (अ.) [सं-पु.] 1. बलवा; दंगा 2. उपद्रव; ऊधम; उत्पात 3. लड़ाई; झगड़ा; मार-काट 4. ख़राबी; विकार; बिगाड़ 5. विघ्न; बाधा।

फ़सादज़दा (अ.+फ़ा.) [वि.] दंगाग्रस्त; दंगापीड़ित।

फ़सादी (अ.) [वि.] 1. फ़साद करने वाला; दंगाई 2. उत्पाती; उपद्रवी 3. झगड़ालू 4. विकार उत्पन्न करने वाला।

फ़साना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मनगढ़ंत किस्सा या कहानी; कल्पित कहानी 2. ब्योरा; विवरण; हाल।

फ़साहत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. भाषा का वह रूप जिसमें बोलचाल के शब्दों और प्रयोगों की बहुलता हो जिससे भाषा में स्वाभाविकता तथा प्रवाहशीलता का गुण आता है; प्रसाद गुण 2. भाषण, साहित्यिक रचना आदि में होने वाला उक्त गुण 3. किसी विषय का सुंदर या मनोहर रूप में वर्णन करना; ख़ुशबयानी।

फ़सील (अ.) [सं-स्त्री.] नगर या बस्ती के चारों ओर की दीवार; चहारदीवारी; परकोटा।

फ़सीह (अ.) [वि.] 1. जिसमें फ़साहत का गुण हो; प्रांजल 2. साफ़, सुंदर एवं परिमार्जित भाषा लिखने-बोलने वाला; सुवक्ता।

फ़स्ली (अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़सली)।

फ़हम (अ.) [सं-स्त्री.] 1. समझ; बुद्धि; अकल 2. ज्ञान; विद्या 3. तमीज़।

फ़हमाइश (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शिक्षा; सीख 2. समझाने या सतर्क करने की क्रिया; चेतावनी।

फ़हमीद (फ़ा.) [सं-स्त्री.] बुद्धि; समझ; अकल; विवेक; फ़हम।

फहरना [क्रि-अ.] 1. हवा के कारण इधर-उधर फरफराना (पताका आदि का) 2. 'फर-फर' ध्वनि करते हुए वस्त्र आदि का उड़ना।

फहराना [क्रि-स.] 1. घुमाना 2. हवा में लहराना 3. झंडे आदि को ऐसी स्थिति में लाना कि वह हवा में लहराए।

फ़हश (अ.) [वि.] अश्लील; फूहड़; फ़ोश।

फ़हीम (अ.) [वि.] बुद्धिमान; अकलमंद; समझदार।

फ़ह्म (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़हम)।

फाँक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भाग विशेष; टुकड़ा 2. निश्चित मात्रा 3. फल आदि का लंबाई में काटा हुआ खंड।

फाँकना [क्रि-स.] किसी प्रकार के चूर्ण को बिना पानी से खाना। [मु.] धूल फाँकना : इधर-उधर घूमकर दुर्दशा भोगना।

फाँका [सं-पु.] 1. फाँकने की क्रिया; फंका 2. उतनी वस्तु जितनी एक बार में फाँकी जाए।

फाँट1 [सं-स्त्री.] ज़मीन का क्रम से बँटा हुआ भाग या हिस्सा।

फाँट2 (सं.) [सं-पु.] जड़ी-बूटी आदि को उबालकर तैयार किया गया रस; काढ़ा; क्वाथ।

फाँटना [क्रि-स.] विभाग करना; अनेक भागों में बाँटना।

फाँदना [क्रि-अ.] 1. उछलना; कूदना 2. छलाँग भरना। [क्रि-स.] 1. कोई स्थान कूदकर लाँघना; फलाँगना, जैसे- नाला फाँदना 2. फँदे में फाँसना।

फाँस [सं-स्त्री.] 1. रस्सी से बनाया हुआ फंदा या पाश 2. उँगली आदि में चुभ जाने वाला बाँस आदि का कड़ा रेशा; किरिच 3. बाँस, बेंत आदि को चीर कर बनाई गई पतली तीली 4. {ला-अ.} मन में चुभने या खटकने वाली बात।

फाँसना [क्रि-स.] 1. फंदे या जाल में कसना 2. {ला-अ.} वश में कर लेना 3. {ला-अ.} दाँव-पेंच में उलझना।

फाँसी [सं-स्त्री.] 1. फँसाने का फंदा; पाश 2. रस्सी का वह फंदा जिसमें गला फँसाने से दम घुटता है और आदमी मर जाता है 3. उक्त प्रकार से दिया जाने वाला प्राणदंड 4. कोई ऐसा संकटपूर्ण बंधन जिसमें प्राण जाने का भय हो या प्राण निकलने का-सा कष्ट हो 5. {ला-अ.} आफ़त; मुसीबत। [मु.] -चढ़ाना : (किसी को) मार देना; ख़तरे में झोंकना।

फाँसीघर [सं-पु.] फाँसी देने का स्थान; अपराधियों को मृत्युदंड के रूप में फाँसी देने का घर।

फ़ाइटर (इं.) [सं-पु.] 1. वह जो लड़ाई करे; योद्धा; प्रयुत्सु; लड़ाकू 2. {ला-अ.} आसानी से हार न मानने वाला व्यक्ति।

फ़ाइटर जेट (इं.) [सं-पु.] 1. लड़ाकू जेट विमान 2. युद्ध या लड़ाई के दौरान बम, गोला आदि गिराने कए काम में लिया जाने वाला वायुसेना का विमान।

फ़ाइन (इं.) [सं-पु.] जुर्माना; अर्थदंड। [वि.] 1. अच्छा; बढ़िया; संतोषजनक 2. सुंदर।

फ़ाइनल (इं.) [वि.] 1. अंतिम; आख़िरी; चरम 2. निर्णायक, जैसे- फ़ाइनल मैच।

फ़ाइबर (इं.) [सं-पु.] तंतु; रेशा; सूत्र।

फ़ाइल (इं.) [सं-स्त्री.] 1. कार्यालयों आदि में किसी व्यक्ति या विषय के आवश्यक कागज़-पत्रों की नत्थी; मिसिल 2. मोटी दफ़्ती का एक खोल या ज़िल्द जिसमें उक्त कागज़ रखे जाते हैं; पर्णिका 3. दस्तावेज़ 4. कंप्यूटर की फ़ाइल जिसमें किसी एक विषय की सूचना विशिष्ट नाम से संचित रहती है।

फ़ाइलेरिया (इं.) [सं-पु.] मच्छरों के दंश से होने वाला एक रोग जिसमें शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है; हाथीपाँव।

फ़ाउंटेनपेन (इं.) [सं-पु.] कलम या पेन जिसकी नलिका में स्याही भरी रहती है।

फ़ाक़ा (अ.) [सं-पु.] 1. अनाहार; उपवास 2. निराहार या भूखे रहने की अवस्था 3. गरीबी; दरिद्रता; कंगाली।

फ़ाक़ाकश (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. भोजन न मिलने के कारण फ़ाका या उपवास करने वाला; भूखा रहने वाला; क्षुधापीड़ित 2. निर्धन; कंगाल।

फ़ाक़ाकशी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] भूखों मरना; लगातार कई दिनों तक अन्न न मिलने की अवस्था।

फ़ाक़ामस्त (अ.+फ़ा.) [वि.] जो भूखा रहकर भी प्रसन्न रहे; गरीबी की चिंता-परवाह न करने वाला।

फ़ाख़िर (अ.) [वि.] 1. फ़ख्र या घमंड करने वाला 2. मूल्यवान; बहुमूल्य; कीमती।

फ़ाख़्ता (फ़ा.) [सं-स्त्री.] पंडुक नामक पक्षी; पेंडुकी; कुमरी। [सं-पु.] उक्त पक्षी जैसा रंग; मटीला रंग। [मु.] -उड़ाना : मौज-मस्ती करना।

फाग [सं-पु.] 1. फागुन में गाया जाने वाला गीत 2. होली।

फागुन (सं.) [सं-पु.] दे. फाल्गुन।

फागुनी (सं.) [सं-स्त्री.] दे. फाल्गुनी।

फ़ाजिर (अ.) [वि.] बदकार; दुश्चरित्र; व्यभिचारी।

फ़ाज़िल (अ.) [वि.] 1. जिसने पूरी विद्या पढ़ ली हो 2. आवश्यकता से अधिक; अतिरिक्त 3. ख़र्च से बचा हुआ; बाकी। [सं-पु.] विद्वान; पंडित।

फाटक [सं-पु.] लोहे या लकड़ी का बड़ा फाटक; बड़ा दरवाज़ा; सिंहद्वार; (गेट)।

फाटका (सं.) [सं-पु.] वस्तु के दर की तेज़ी-मंदी अनुसार क्रय-विक्रय का निश्चय, जिसकी गिनती एक प्रकार के जुए में होती है; सट्टा।

फाटकेबाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] सट्टा लगाने वाला; सट्टेबाज़।

फाड़ना [क्रि-स.] 1. कागज़, वस्त्र आदि को दो तरफ़ खींचकर चीरना या विदीर्ण करना 2. किसी चीज़ के दो टुकड़े करना 3. तेज़ अस्त्र से वार करके किसी चीज़ को विभक्त करना 4. बहुत अधिक खोलना, फैलाना या बढ़ाना (आँख, मुँह आदि) 5. खटाई आदि से दूध के जलीय और ठोस भाग को अलग-अलग कर देना।

फ़ातिमा (अ.) [सं-स्त्री.] 1. हज़रत मुहम्मद की पुत्री जो अली से ब्याही गई 2. हज़रत इमाम हुसैन की माता 3. वह स्त्री जो दो बरस के बच्चे का दूध छुड़वा दे।

फ़ातिहा (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कुरान की पहली सूरत या आयत 2. मृत व्यक्तियों की आत्मा की सद्गति के लिए उनकी कब्र पर फ़ातिहा पढ़े जाने की एक रस्म।

फ़ादर (इं.) [सं-पु.] 1. पिता; बाप 2. गिरजाघर का पुजारी; ईसाई पादरी।

फ़ानी (अ.) [वि.] फ़ना होने वाला; नश्वर; नाशवान।

फ़ानूस (फ़ा.) [सं-पु.] 1. काँच के प्याले जैसा एक तरह का पात्र जिसमें मोमबत्ती जलती है 2. लैंप की चिमनी।

फ़ायदा (अ.) [सं-पु.] 1. लाभ; नफ़ा 2. अच्छा फल या परिणाम 3. अच्छा असर (दवाई आदि का) 4. आर्थिक क्षेत्र में होने वाली किसी प्रकार की प्राप्ति 5. प्रयोजन सिद्धि 6. भलाई; हित; गुण।

फ़ायदेमंद (अ.+फ़ा) [वि.] 1. लाभजनक; उपयोगी 2. गुणकारी; प्रभावकारी; हितकारी।

फ़ायर (इं.) [सं-पु.] 1. अग्नि; आग 2. तोप, बंदूक आदि दागने की क्रिया; गोलीबारी।

फ़ायरब्रिगेड (इं.) [सं-पु.] (पानी, गैस आदि से) आग बुझाने वालों का दल; दमकल; अग्निशमन दस्ता।

फ़ायरिंग (इं.) [सं-स्त्री.] गोली दागने की क्रिया; गोलीबारी।

फाया [सं-पु.] दे. फाहा।

फ़ारख़ती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रुपया अदा होने की रसीद या पावती 2. वह रसीद जो किसी देनदारी के अदा होने का सबूत हो; चुकता; बेबाकी 3. किसी व्यक्ति का संपत्ति आदि में किसी भी प्रकार का अधिकार या प्राप्य न रहने की सूचना देने वाला दस्तावेज़ 4. तलाकनामा।

फ़ारस (फ़ा.) [सं-पु.] ईरान या पर्शिया नामक देश।

फ़ारसी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ईरान देश की भाषा 2. भारोपीय परिवार की एक भाषा जिसकी लिपि अरबी से मिलती-जुलती है। [वि.] 1. फ़ारस या ईरान देश से संबंध रखने वाला 2. फ़ारस का; फ़ारस संबंधी।

फ़ारिक (अ.) [वि.] दो वस्तुओं को अलग करने वाला।

फ़ारिग (अ.) [वि.] 1. जिसे फ़रागत मिल चुकी हो 2. मुक्त; आज़ाद 3. बेफ़िक्र; निश्चिंत 4. कार्य से निवृत्त; अवकाशप्राप्त।

फ़ारिस (अ.) [वि.] घुड़सवार; अश्वरोही।

फ़ारूक (अ.) [वि.] सच और झूठ में फर्क करने वाला; जो सत्य को असत्य से अलग करे।

फ़ार्म (इं.) [सं-पु.] 1. आकृति; आकार; स्वरूप 2. नमूना; नक्शा 3. साँचा; ढाँचा 4. अभिलेख या प्रार्थनापत्र आदि का छपा हुआ नमूना; प्रपत्र 5. छपने के लिए तैयार सामग्री 6. पुस्तक आदि का एक बार में छपा अंश या भाग 7. बड़ा खेत जिसमें वैज्ञानिक तरीके से खेती की जाए।

फ़ार्मेकोलॉजी (इं.) [सं-स्त्री.] औषधिविज्ञान; भैषजिकी।

फ़ार्मेसी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. औषधियों का निर्माण करने वाला विज्ञान 2. दवाख़ाना 3. वह स्थान जहाँ औषधियों का निर्माण होता है; औषधशाला।

फ़ाल (अ.) [सं-स्त्री.] शकुन; सगुन।

फाल1 [सं-पु.] 1. डग; पैर; कदम 2. चलने में एक पैर से दूसरे पैर तक की दूरी; डग का फासला। [सं-स्त्री.] कटी हुई सुपारी।

फाल2 (सं.) [सं-पु.] 1. लोहे का वह फल जो हल के नीचे लगा रहता है, जिससे ज़मीन की जुताई की जाती है 2. माँग की पट्टी 3. सीमांत भाग 4. एक तरह का फावड़ा 5. जोती हुई भूमि 6. टुकड़ा; खंड।

फालतू [वि.] 1. आवश्यकता से अधिक; अनावश्यक 2. जो किसी काम का न हो; निरर्थक; व्यर्थ; रद्दी; बेकार 3. अतिरिक्त; अधिक 4. निकम्मा।

फालना [क्रि-अ.] लंबे-लंबे डग भरना; बड़े कदमों से चलना।

फ़ालसई [सं-पु.] फ़ालसे के रंग से मिलता हुआ रंग। [वि.] 1. फ़ालसे के रंग का 2. ललाई लिए हुए कुछ-कुछ नीला।

फ़ालसा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ग्रीष्म ऋतु में होने वाला एक छोटा फल 2. उक्त फल का वृक्ष।

फालाहत (सं.) [सं-पु.] जोता हुआ खेत; फालकृष्ट। [वि.] 1. हल से जोता हुआ 2. जो हल से जोते हुए खेत से उपजा हो।

फ़ालिज (अ.) [सं-पु.] एक प्रकार रोग जिसमें आधा अंग सुन्न हो जाता है; पक्षाघात; लकवा; अंगघात।

फ़ालूदा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गेहूँ के सत्त से बनने वाला एक तरह का पदार्थ 2. एक प्रकार की सेवई जो मैदे के बारीक टुकड़े एवं शक्कर को दूध में डालकर बनाई जाती है।

फ़ालो-अप (इं.) [सं-पु.] पूर्व में छपी ख़बर से जुड़े घटनाक्रम के संबंध में नई जानकारी प्रदान करने वाला समाचार।

फाल्गुन (सं.) [सं-पु.] विक्रम संवत का बारहवाँ मास; फागुन।

फाल्गुनिक (सं.) [वि.] 1. फाल्गुन पूर्णिमा से संबंध रखने वाला 2. फाल्गुन नक्षत्र से संबंध रखने वाला 3. फागुन का।

फाल्गुनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. फाल्गुन मास की पूर्णिमा 2. पूर्वा फाल्गुनी तथा उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र। [वि.] फाल्गुन के महीने से संबंधित; फाल्गुन का।

फावड़ा [सं-पु.] एक प्रकार का उपकरण जो मिट्टी खोदने के काम आता है; चौड़े फल की कुदाल; बेलचा।

फ़ाश (फ़ा.) [वि.] 1. ज़ाहिर; प्रकट 2. खुला हुआ; आवरण रहित; अनावृत।

फ़ासला (अ.) [सं-पु.] 1. दूर होने की अवस्था या भाव 2. दो वस्तुओं या बिंदुओं के बीच का स्थान या माप; अंतर; दूरी 3. मनमुटाव; भेद।

फ़ासिद (अ.) [वि.] 1. फ़साद या झगड़ा करने वाला; झगड़ालू 2. ख़राबी या विकार पैदा करने वाला 3. बुरा; दुष्ट; खोटा।

फ़ासिला (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़ासला)।

फ़ासिस्ट (इं.) [सं-पु.] 1. वह जो फ़ासिज़म के सिद्धांत को मानता हो 2. असहिष्णु तथा उग्र राष्ट्रवादी प्रवृति का व्यक्ति या दल 3. तानाशाही का समर्थन करने वाला व्यक्ति 4. इटली में बना एक राजनीतिक दल 5. {ला-अ.} वह व्यक्ति जो तानाशाह और निरंकुश प्रवृति का हो।

फ़ासीवाद (इं.+हिं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की राजनीतिक विचारधारा जो अपने विरोधियों के समूल नाश में विश्वास करती हो; (फ़ासिज़म) 2. असहिष्णु तथा उग्र राष्ट्रवाद 3. तानाशाही; निरंकुशता।

फ़ासीवादी (इं.+हिं.) [वि.] 1. जो फ़ासीवाद का समर्थक हो; (फ़ासिस्ट) 2. जो तानाशाही का समर्थक हो; तानाशाह; निरंकुश।

फ़ास्ट (इं.) [सं-पु.] 1. व्रत; उपवास 2. अनाहार रहने की अवस्था या भाव। [वि.] 1. तेज़; तीव्र 2. शीघ्र; तुरंत 3. फुरतीला।

फ़ास्ट फ़ूड (इं.) [सं-पु.] 1. शीघ्रता से तैयार किया जा सकने वाला खाद्य पदार्थ, जैसे- ब्रेड सैंडविच, नूडल्स आदि 2. बेकरी या रेस्त्राँ में मिलने वाला ऐसा भोज्य पदार्थ जिसे तुरंत परोसा जा सकता है और बाहर ले जाकर भी खाया जा सकता है 3. डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ।

फाहा [सं-पु.] 1. तेल, घी, इत्र आदि चिकनाई में तर की हुई कपड़े की पट्टी या रुई का लच्छा; फाया 2. मरहम से तर पट्टी जो घाव, फोड़े आदि पर रखी जाती है।

फ़ाहिश (अ.) [वि.] 1. अत्यंत बुरा 2. लज्जाजनक 3. हेय।

फ़ाहिशा (अ.) [सं-स्त्री.] दुश्चरित्र स्त्री; कुलटा, व्यभिचारिणी, पुंश्चली, कुटिल और भ्रष्ट स्त्री।

फिंकाई [सं-स्त्री.] 1. फेंके जाने की क्रिया 2. प्रक्षेपण।

फ़िकर (अ.) [सं-स्त्री.] दे. फ़िक्र।

फ़िकरा (अ.) [सं-पु.] 1. कटाक्ष; उक्ति; वाक्य; जुमला 2. किसी उद्देश्य का विधान करने वाला पदसमूह; कथन 3. व्यंग्यपूर्ण बात 4. धोखा, चकमा या झाँसा देने वाली बात; फ़रेब की बात।

फ़िकरेबाज़ (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. फ़िकरा कसने वाला; फ़ब्तियाँ कसने वाला 2. धोखा देने के लिए बढ़-चढ़कर बातें करने वाला; चकमा देने वाला; झाँसा देने वाला।

फ़िकैत [सं-पु.] 1. पटेबाज़ 2. परंपरागत 'पटा-बनेठी' का खेल या 'गतका-फरी' का खिलाड़ी 3. बरछा-भाला फेंककर चलाने वाला योद्धा।

फ़िक्र (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चिंता 2. अंदेशा; शंका 3. ध्यान; ख़्याल; परवाह 4. उपाय; यत्न 5. कोई कार्य करने के लिए किया जाने वाला चिंतन।

फ़िक्रमंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसे फ़िक्र हो; फ़िक्र करने वाला 2. जिसे किसी बात की चिंता लगी हो; चिंताग्रस्त।

फ़िक्रमंदी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] फ़िक्रमंद होने की अवस्था या भाव; चिंताग्रस्तता।

फ़िक्शन (इं.) [सं-पु.] 1. कल्पित कथा या कहानी 2. कपोल कल्पना 3. अतिशयोक्तिपूर्ण या झूठी कहानी 4. कथा साहित्य का एक प्रकार।

फ़िक्स (इं.) [सं-पु.] जमाना; बैठाना -करना 1. किसी वस्तु को कहीं दृढ़तापूर्वक स्थिर करना, जमाना या बैठाना 2. किसी वस्तु की मरम्मत करना; स्वस्थ या दुरुस्त करना 3. किसी विषय पर निर्णय लेना 4. प्रबंध या व्यवस्था करना 5. बेईमानी करना; रिश्वत देकर नियत बदलना; किसी कार्य के नतीजे को बेईमानी से तय करना 6. किसी कार्य का परिणाम पहले से निर्धारित करना, जैसे- मैच फ़िक्सिंग।

फ़िगर (इं.) [सं-पु.] 1. देहयष्टि; मानव शरीर 2. संख्या, आँकड़ा या मूल्य 3. प्रसिद्ध व्यक्ति 4. पुस्तक में प्रयुक्त आरेख या चित्र।

फ़िगार (फ़ा.) [वि.] ज़ख़्मी; घायल; आहत।

फ़िज़ा (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. खुली ज़मीन; हरा-भरा मैदान 2. ख़ुशनुमा माहौल; वातावरण 3. बहार; शोभा; रौनक।

फ़िज़ाई (फ़ा.) [वि.] 1. फ़िज़ा संबंधी 2. वातावरण से संबंध रखने वाला।

फ़िज़ूल (अ.) [वि.] 1. आवश्यकता से अधिक; अतिरिक्त 2. बेमतलब; व्यर्थ; बेकार 3. निकम्मा।

फ़िजूलख़र्च (अ.+फ़ा.) [वि.] अनावश्यक ख़र्च करने वाला; अपव्ययी।

फ़िट1 (अ.) [सं-स्त्री.] लानत; फटकार; धिक्कार।

फ़िट2 (इं.) [वि.] 1. उपयुक्त 2. योग्य; लायक; समर्थ 3. ठीक; उचित 4. नाप या माप में सही आकार का; सटीक; सही; ठीक 5. स्वस्थ; बढ़िया।

फिटकरी (सं.) [सं-स्त्री.] सफ़ेद रंग का एक मिश्र रासायनिक पदार्थ जो प्रायः औषधि या रँगाई आदि के काम आता है; स्फटिक; (एलम)।

फिटकिरी (सं.) [सं-स्त्री.] दे. फिटकरी।

फिटकी [सं-स्त्री.] 1. कपड़े की बुनावट में निकले हुए सूत के फुचरे 2. छींटा 3. फुटकी।

फ़िटन (इं.) [सं-स्त्री.] 1. बग्घी 2. पुराने रिवाज की चार पहियों वाली घोड़ागाड़ी।

फ़िटर (इं.) [सं-पु.] यंत्रों या मशीनों को ठीक करने वाला मिस्त्री; कारीगर। [वि.] 1. यंत्र अथवा उसका कोई हिस्सा जड़ने, बाँधने या लगाने वाला 2. तैयार करने वाला, जैसे- वर्कशाप फ़िटर।

फ़िटिंग (इं.) [सं-स्त्री.] 1. सही आकार में करने की क्रिया या अवस्था 2. भवन या फ़र्नीचर आदि में स्थायी रूप से जड़ा हुआ सामान 3. अनुकूलन 4. सामान; पुरज़ा; उपस्कर 5. सिले कपड़ों को सही आकार में लाना।

फ़ितना (अ.) [सं-पु.] 1. उपद्रव; उत्पात 2. लड़ाई-झगड़ा; दंगा-फ़साद 3. विद्रोह; बगावत 4. दंगा-फ़साद या उपद्रव करने वाला दुष्ट व्यक्ति 5. एक प्रकार का इत्र 6. एक प्रकार का पौधा और उसका पुष्प।

फ़ितरत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकृति, स्वभाव 2. सृष्टि, पैदाइश 3. चालबाज़ी, चालाकी 4. धूर्तता 5. होशियारी 6. शरारत।

फ़ितरती (अ.) [वि.] 1. स्वभावगत, स्वाभाविक 2. प्राकृतिक 3. धूर्त; चालाक; शरारती; सनकी 4. फितूरी; मायावी; धोखेबाज़।

फ़ितूर (अ.) [सं-पु.] 1. दोष; विकार 2. बाधा; विघ्न 3. उपद्रव; उत्पात; फ़साद 4. शरारत।

फ़ितूरिया [वि.] फ़ितूर या खुराफ़ात करने वाला; उपद्रवी।

फ़ित्ना (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़ितवा)।

फ़ित्रत (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़ितरत)।

फ़िदवी (अ.) [सं-पु.] सेवक; दास। [वि.] 1. आज्ञाकारी 2. स्वामिभक्त 3. किसी के लिए अपने प्राण तक न्योछावर करने वाला 4. फ़िदा होने वाला।

फ़िदा (अ.) [सं-पु.] 1. किसी पर प्राण न्योछावर करना 2. आसक्त या मुग्ध होने की अवस्था या भाव 3. किसी पर अपना सब कुछ बलिदान करना। [वि.] 1. किसी के लिए प्राण देने वाला 2. दूसरे पर अपना सब कुछ लुटाने वाला 3. मुग्ध, आसक्त।

फ़िनायल (इं.) [सं-पु.] एक कीटाणुनाशक तरल पदार्थ या रसायन।

फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी (इं.) [वि.] आधा-आधा, बराबर, जो दो समान भागों में हो।

फिर [अव्य.] 1. दुबारा; पुनः 2. उस दशा में; तब 3. इसके अतिरिक्त; इसके सिवा 4. पीछे 5. दूसरे समय।

फिरक [सं-स्त्री.] ग्रामीण क्षेत्रों में माल ढोने की एक प्रकार की छोटी बैलगाड़ी जिसमें आराम से एक व्यक्ति ही बैठ सकता है।

फिरकना [क्रि-अ.] 1. फिरकी की तरह घूमना 2. नाचना; थिरकना।

फिरकनी [सं-स्त्री.] 1. कील के आधार पर घूमने वाला गोलाकार टुकड़ा; चकरघिन्नी 2. लकड़ी का एक खिलौना; चकई; फिरकी।

फ़िरक़ा (अ.) [सं-पु.] 1. पंथ; संप्रदाय 2. जमात; समुदाय 3. वर्ग 4. गुट; दल; गिरोह; जत्था 5. जाति।

फ़िरक़ापरस्त (अ.) [वि.] सांप्रदायिक; सांप्रदायिकतावादी।

फिरकी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का लकड़ी का खिलौना जो अपनी धुरी पर चक्कर लगाता है; फिरहरी; भँभीरी 2. धागा लपेटने की चकई; चकरी 3. तकले में लगा हुआ चमड़े का टुकड़ा 4. कुश्ती का एक दाँव या पेंच 5. मालखंभ की एक कसरत।

फ़िरदौस (अ.) [सं-पु.] 1. स्वर्ग; बहिश्त 2. उद्यान; बगीचा; वाटिका।

फिरना [क्रि-अ.] 1. घूमना 2. वापस आना या जाना; लौटना 3. प्रतिकूल; विमुख; विरुद्ध हो जाना 4. पहले से विपरीत स्थिति में आना 5. सूचना आदि के रूप में सबके सामने घुमाया जाना।

फ़िरनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दूध के साथ मेवा-चीनी डालकर तैयार की जाने वाली मैदे की लच्छेदार मिठाई 2. पिसे चावल से तैयार की जाने वाली खीर।

फिरवा [सं-पु.] 1. गले में पहनने का एक आभूषण 2. सोने के तार को कई फेरे में लपेटकर बनाई गई अँगूठी।

फिरवाना [क्रि-स.] 1. फेरने या फिराने का काम दूसरे से कराना 2. फेरने का काम कराना।

फ़िराक़ (अ.) [सं-पु.] 1. जुदाई; बिछोह; वियोग 2. चिंता 3. खोज 4. ध्यान; धुन।

फिराना [क्रि-स.] 1. फिरने में प्रवृत्त करना 2. इधर-उधर चलाना 3. घुमाना; सैर कराना 4. फेरना; लौटाना 5. ऐंठना; मरोड़ना।

फ़िरासत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. समझदारी; बुद्धिमानी; अक्लमंदी 2. सामुद्रिक।

फिरिश्ता (फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़रिश्ता)।

फिरौती [सं-स्त्री.] 1. फिराने या फेरने की क्रिया या भाव 2. वह धन जो दुकानदार किसी बेची हुई चीज़ को वापस लेते समय विक्रय-मूल्य में से काट लेते हैं 3. अपहृत व्यक्ति या वस्तु को लौटाने के लिए माँगी गई रकम।

फ़िर्दौस (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़िरदौस)।

फ़िर्नी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़िरनी)।

फ़िलर (इं.) [सं-पु.] 1. (पत्रकारिता) वह सामग्री जो पत्र-पत्रिका के किसी पृष्ठ में खाली रह गए छोटे स्थान में छापी जाती है; पूरक सामग्री 2. भरती की लेख सामग्री।

फ़िलहाल (अ.) [क्रि.वि.] 1. इस समय; इस मौके पर; अभी; तत्काल 2. अस्थायी रूप से इस समय; संप्रति।

फ़िलामेंट (इं.) [सं-पु.] 1. तंतु; रेशा 2. नस; सूत 3. विद्युत बल्ब के अंदर जलने वाला तार 4. संवाहक तार।

फ़िलॉसफ़ी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. दर्शनशास्त्र 2. तत्वज्ञान; दर्शन।

फ़िल्टर (इं.) [सं-पु.] 1. द्रव पदार्थ को निथारने वाला एक तरह का उपकरण 2. निस्यंदक; छलनी; छन्नी।

‍फ़िल्म (इं.) [सं-स्त्री.] 1. चलचित्र; सिनेमा 2. छायाचित्र या फ़ोटो उतारने के लिए बनाई गई एक पतली पट्टी 3. उक्त की सहायता से दिखाया जाने वाला चलचित्र।

फ़िल्म कंपोज़ीशन (इं.) [सं-पु.] सौंदर्यपूर्ण एवं कलात्मक फ़ोटो का निर्माण करना।

फ़िल्मकार (इं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो फ़िल्म का निर्माण करता है 2. फ़िल्म निर्माण में सहयोगी।

फ़िल्मकारी (इं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] फ़िल्म निर्माण का कार्य।

फ़िल्मांकन (इं.+सं.) [सं-पु.] चलचित्र कला; चलचित्रिकी; चलचित्रण; (सिनेमेटोग्राफ़ी)।

फ़िल्मांतरण (इं.+सं.) [सं-पु.] किसी कथा या कहानी को फ़िल्म या चलचित्र में परिवर्तित करना।

फ़िल्माना (इं.+हिं.) [सं-पु.] दृश्यांकन। [क्रि-स.] फ़िल्म बनाना।

फ़िल्मी (इं.+हिं.) [वि.] 1. फ़िल्म संबंधी; फ़िल्म का 2. सिनेमा या चलचित्र से संबंधित।

फ़िल्मोत्सव (इं.+सं.) [सं-पु.] 1. फ़िल्म समारोह 2. वह उत्सव जिसमें विभिन्न फ़िल्मों का प्रदर्शन होता है।

फिसड्डी [वि.] 1. किसी काम में पिछड़ा हुआ 2. प्रतियोगिता या प्रयत्न आदि में सबसे पीछे रह जाने वाला 3. अकुशल; निकम्मा।

फिसलन [सं-स्त्री.] 1. फिसलने की क्रिया या भाव 2. वह चिकनी जगह जहाँ कोई चीज़ या पैर स्थिर न रहे।

फिसलनदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] चिकना या काई वाला ऐसा स्थान जिसपर फिसलने की संभावना रहती है। [वि.] फिसलन वाला।

फिसलना [क्रि-अ.] 1. चिकनाहट और गीलेपन के कारण पैर आदि का न जमना; रपटना 2. {ला-अ.} किसी प्रकार का आकर्षक या लाभदायक तत्व देखकर उचित मार्ग से हटते हुए एकाएक उस ओर प्रवृत्त होना। [वि.] फिसलन वाला।

फिसलाना [क्रि-स.] 1. किसी के फिसलने का कारण होना 2. किसी को फिसलने में प्रवृत्त करना।

फिसलाहट [सं-स्त्री.] 1. फिसलने का भाव 2. फिसलन।

फिस्स [सं-स्त्री.] एक प्रकार की ध्वनि, जैसे- साइकिल, कार आदि के पहिए के ट्यूब में से अचानक हवा निकलने पर होती है। [वि.] 1. व्यर्थ; बेकार; कुछ नहीं 2. असफल; नष्ट 3. सारहीन; निष्फल।

फ़ी1 (अ.) [अव्य.] 1. प्रत्येक; हर एक 2. प्रति।

फ़ी2 (इं.) [सं-स्त्री.] 1. वह धन जो विद्यार्थी को किसी विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने के बदले में देना पड़ता है 2. डॉक्टरों, वकीलों आदि को दिया जाने वाला पारिश्रमिक या मेहनताना 3. कर; महसूल 4. किसी क्लब आदि की सदस्यता के लिए किया गया भुगतान।

फीका [वि.] 1. जिसमें यथेष्ट मिठास, रस अथवा स्वाद न हो; स्वादहीन 2. खेल, तमाशा आदि जिसमें आनंद की प्राप्ति न हो 3. जो शोख या चटकीला न हो; हलका रंग; मलिन; धूमिल 4. कांतिहीन।

फीकापन [सं-पु.] 1. सीठा या बेस्वाद होने की अवस्था या भाव (खाद्य पदार्थों का) 2. रंग आदि हलका या धूमिल होना; मलीनता 3. किसी वस्तु या व्यक्ति का तेजरहित या कांतिहीन होना 4. {ला-अ.} खेल, उत्सव या कार्यक्रम आदि का उबाऊ, बेअसर या व्यर्थ होना।

फीचना [क्रि-स.] धोना; कपड़े को गीला करके और बार-बार पटककर साफ़ करना; पछाड़ना।

फ़ीचर (इं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय या वस्तु का उल्लेखनीय या महत्वपूर्ण भाग 2. चेहरे का कोई अंग 3. पत्र-पत्रिका में प्रकाशित किसी विषय पर लिखा गया लेख; रूपक लेख; प्रसंग लेख 4. एक प्रकार की कथानक प्रधान काल्पनिक एवं मनोरंजक फ़िल्म; कथाचित्र।

फ़ीचर फ़िल्म (इं.) [सं-स्त्री.] 1. वास्तविक कलाकारों तथा काल्पनिक कहानी से तैयार की गई लंबी फ़िल्म 2. वीडियो कैमरे से निर्मित वह लंबी फ़िल्म जिसमें अभिनय और संगीत होता है।

फ़ीचर फ़ोटो (इं.) [सं-स्त्री.] शब्दों की जगह छायाचित्र के द्वारा समाचार या घटना विशेष स्थल को प्रस्तुत करना।

फ़ीचर सिंडिकेट (इं.) [सं-पु.] विविध विषयों पर, विविध लेखकों से फीचर आलेख लिखवाकर या जुटाकर पत्र-पत्रिकाओं को मुहैया कराने वाली एजेंसी।

फ़ीडबैक (इं.) [सं-पु.] समाचार प्रकाशन या प्रसारण के पश्चात पाठक, दर्शक, श्रोता की प्रतिक्रिया; प्रतिसार।

फ़ीता (पु.) [सं-पु.] 1. सूत या रेशम आदि के कपड़े की लंबी, पतली धज्जी या पट्टी 2. निवाड़ की पतली पट्टी जिससे जूते आदि कसते या बाँधते हैं 3. एक प्रकार की प्लास्टिक आदि से बनी लंबी, पतली पट्टी जिसपर इंच, सेंटीमीटर आदि के चिह्न अंकित रहते हैं, जिससे चीज़ों की लंबाई, चौड़ाई मापी जाती है; (टेप)।

फ़ीताकृमि (पु.+सं.) [सं-पु.] फ़ीते के आकार का एक प्रकार का आँतों का कीड़ा; (टेपवर्म)।

फ़ीताशाही (पु.+फ़ा.) [सं-पु.] सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों और अधिकारियों के द्वारा जनता के कार्यों में की जाने वाली देरी या उदासीनता; दफ़्तरशाही; दफ़्तरी अक्रियता; लालफ़ीताशाही; (ब्यूरोक्रेसी)।

फ़ीरोज़ (फ़ा.) [वि.] 1. विजयी 2. सफल 3. भाग्यवान; सौभाग्यशाली 4. सुखी; संपन्न।

फ़ीरोज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का कीमती पत्थर या रत्न जो हरापन लिए नीले रंग का होता है।

फ़ील (फ़ा.) [सं-पु.] हाथी; गज; हस्ती।

फ़ीलपा (फ़ा.) [सं-पु.] मनुष्यों में होने वाला एक तरह का रोग जिसमें एक या दोनों पाँव सूज कर बहुत मोटे हो जाते हैं; श्लीपद; हाथीपाँव।

फ़ीला (फ़ा.) [सं-पु.] शतरंज के खेल में हाथी नामक मोहरा।

फ़ीलिंग (इं.) [सं-स्त्री.] 1. शारीरिक या मानसिक अनुभूति; भावना; संवेदना; अहसास; सहानुभूति 2. स्पर्शज्ञान 3. किसी वस्तु या विषय के संबंध में प्रस्तुत विचार या राय 4. कुछ घटित होने की आशंका या प्रतीति।

फ़ील्ड (इं.) [सं-स्त्री.] 1. मैदान 2. युद्धक्षेत्र 3. खेल का मैदान; क्रीड़ास्थल 4. कार्यक्षेत्र 5. स्थान; इलाका 6. खेत।

फ़ील्डमार्शल (इं.) [सं-पु.] सेना में उच्चाधिकारी का पद।

फ़ील्डवर्क (इं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य या अध्ययन के लिए किसी क्षेत्र विशेष में जाकर आँकड़ों का संकलन करना या करवाना 2. क्षेत्र कार्य।

फ़ीवर (इं.) [सं-पु.] 1. ज्वर; बुख़ार; ताप 2. {ला-अ.} किसी बात की उत्कंठा या उत्तेजना; अतिव्याकुलता।

फ़ीसदी (फ़ा.) [अव्य.] प्रतिशत; प्रति सैकड़ा; हर सैकड़े पर।

फुँकना [क्रि-अ.] 1. फूँका जाना 2. वस्तु आदि का जलना या भस्म होना 3. व्यर्थ ख़र्च होना 4. नष्ट या बरबाद होना। [सं-पु.] बाँस आदि की बनी वह पतली नली जिसमें हवा फूँककर आग सुलगाई जाती है; भाथी; फुँकैया।

फुँकवाना [क्रि-स.] 1. फूँकने का कार्य दूसरे से कराना 2. जलाने या भस्म करने का काम कराना।

फुँकाना [क्रि-स.] 1. फूँकने का काम दूसरे से कराना 2. फुँकवाना।

फुँकार [सं-स्त्री.] 1. 'फूँ-फूँ' की ध्वनि 2. फुफकार।

फुँदकी [सं-स्त्री.] 1. सूत या ऊन की गोल गुच्छेदार गाँठ 2. बिंदी।

फुंसी [सं-स्त्री.] छोटी फुड़िया; शरीर पर निकलने वाले छोटे दाने।

फुकना [क्रि-अ.] दे. फुँकना।

फुकनी [सं-स्त्री.] धातु, बाँस आदि की पतली नली जिससे फूँक मारकर आग सुलगाते हैं।

फुग्गा [सं-पु.] गुब्बारा।

फ़ुजुल (अ.) [वि.] दे. फ़िज़ूल।

फ़ुट (इं.) [सं-पु.] 1. लंबाई, ऊँचाई आदि मापने का एक उपकरण 2. बारह इंच लंबाई की एक माप 3. पाँव; पाद।

फुटकर [सं-पु.] रेज़गारी। [वि.] 1. फुट; विषम; अकेला 2. जो किसी क्रम में न हो; पृथक; जुदा; अलग 3. जिसमें कई तरह की चीज़ें हों; विविध 4. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में होने वाली बिक्री; ख़ुदरा 5. थोक का उलटा।

फुटका (सं.) [सं-पु.] 1. छाला; फफोला 2. उक्त के कारण शरीर पर पड़ा छोटा धब्बा या दाग 3. छोटा कण 4. धान, ज्वार आदि का लावा।

फुटकी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी अंठी; दूध आदि के जमें हुए कण 2. गाढ़ी चीज़ का छींटा।

फ़ुटनोट (इं.) [सं-पु.] पादटिप्पणी; पुस्तक आदि में पृष्ठ के नीचे दी जाने वाली टिप्पणी।

फ़ुटपाथ (इं.) [सं-पु.] सड़क के दोनों ओर पैदल चलने की पटरी या मार्ग।

फ़ुटपाथी [वि.] 1. फ़ुटपाथ या सड़क पर होने वाला; फ़ुटपाथ से संबंधित 2. निचले या औसत दरज़े का, जैसे- फ़ुटपाथी साहित्य।

फ़ुटबॉल (इं.) [सं-पु.] 1. चमड़े आदि से बनी एक प्रकार की बड़ी गेंद या बॉल 2. उक्त बॉल को पैर से मारकर खेला जाने वाला एक तरह का खेल।

फ़ुटबोर्ड (इं.) [सं-पु.] पैर रखने के लिए बना हुआ स्थान या वस्तु; पायदान।

फ़ुटेज (इं.) [सं-पु.] मूवी कैमरे से शूट की हुई सामग्री।

फ़ुतूर (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़ितूर)।

फुदकना [क्रि-अ.] 1. पैरों पर धीरे-धीरे उछलना 2. उछल-उछलकर थोड़ी-थोड़ी दूर पर जाना 3. उमंग में आकर अथवा प्रसन्नतापूर्वक इधर-उधर कूदना।

फुदकी [सं-स्त्री.] 1. फुदक-फुदक कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने का भाव 2. एक प्रकार की छोटी चिड़िया जो फुदकती हुई चलती है 3. पत्तों को सिलकर घोंसला बनाने वाली एक चिड़िया; दरज़िन 4. टिड्डी।

फुनकार [सं-स्त्री.] 1. फुत्कार; फुफकार 2. साँप आदि के मुँह से हवा निकलने की आवाज़।

फुनगी [सं-स्त्री.] 1. किसी वृक्ष की शाखा या डाल का सबसे ऊपरी छोर वाला हिस्सा; फुनंग 2. शाखा के अंत की कोमल पत्तियाँ और टूँसा।

फुफंदी [सं-स्त्री.] 1. सूत की वह डोरी जिससे महिलाएँ लहँगे, सलवार आदि की गाँठ बाँधती हैं; नीबी; नारा 2. साड़ी का चुना हुआ किनारा; फुबती।

फुफकारना [क्रि-अ.] 1. साँप का गुस्से में मुँह से ज़ोर-ज़ोर से हवा निकालना; फूफकार या फूत्कार करना 2. {ला-अ.} क्रोध में चिल्लाना; क्रोधित होना; क्रोध में ज़ोर से साँस लेना।

फुफेरा [वि.] 1. फूफा संबंधी 2. फूफा या फूफी के नाते का, जैसे- फुफेरा भाई।

फुफेरी [वि.] फूफा या फूफी के नाते की, जैसे- फुफेरी बहन।

फुफ्फुस (सं.) [सं-पु.] 1. श्वसन अंग 2. फेफड़ा।

फुर [सं-स्त्री.] छोटी चिड़िया के उड़ने से होने वाली ध्वनि; फुर्र।

फ़ुरक़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वियोग; बिछोह 2. जुदाई।

फुरती [सं-स्त्री.] 1. तेज़ी; चुस्ती; स्फूर्ति 2. जल्दी; शीघ्रता 3. चटपट काम करने की शक्ति।

फुरतीला [वि.] 1. फुरती से काम करने वाला; चुस्त; तेज़ 2. स्फूर्तिमय 3. बहुत तेज़ चलने वाला।

फुरतीलापन [सं-स्त्री.] 1. फुरती से काम करने की अवस्था या भाव 2. शीघ्रता से चलने की अवस्था।

फुरफुराना [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को हिलाकर 'फुर-फुर' ध्वनि करना 2. फड़फड़ाना। [क्रि-अ.] 1. किसी चीज़ के हिलने से 'फुर-फुर' ध्वनि होना, जैसे- फतिंगों का फुरफुराना 2. फहराना; लहराना।

फुरफुरी [सं-स्त्री.] 1. कुछ वक्त तक बराबर होता रहने वाला 'फुर-फुर' शब्द 2. उड़ने के लिए पंख फड़फड़ाना 3. ठंड से होने वाली कँपकँपी।

फ़ुरसत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अवकाश; छुट्टी; खाली वक्त 2. झंझट भरे कार्य या रोग आदि से छुटकारा; मुक्ति 3. अवसर; मौका; समय 4. इत्मिनान।

फुरहरी [सं-स्त्री.] 1. 'फुर-फुर' शब्द करने या होने की अवस्था या भाव 2. चिड़ियों का पंख फड़फड़ाना; फड़फड़ाहट 3. भय या हर्ष के कारण होने वाला रोमांच; कंपन 4. स्फुरण; ठिठुरन।

फुरेरी [सं-स्त्री.] 1. सींक या तिनके में लिपटी हुई रुई जिससे इत्र या तेल लगाया जाता है 2. रोमांचयुक्त कँपकँपी; फुरहरी 3. फड़कने का भाव। [मु.] -लेना : काँपना; थरथराना।

फ़ुर्क़त (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. फ़ुरक़त)।

फुर्तीला [वि.] दे. फुरतीला।

फुर्र [सं-स्त्री.] 1. छोटी चिड़िया के उड़ने से होने वाली ध्वनि 2. {ला-अ.} शीघ्र; जल्दी।

फ़ुर्सत (अ.) [सं-स्त्री.] दे. फ़ुरसत।

फुलका [सं-पु.] 1. रोटी; चपाती 2. हलकी-पतली रोटी। [वि.] फूल जैसा हलका।

फुलकारी [सं-स्त्री.] 1. कपड़े पर फूल-पत्ती बनाने का काम 2. फूल-बूटियों वाला मलमल का कपड़ा 3. फूलों की सजावट 4. फूलों से किया गया शृंगार।

फुलकी [सं-स्त्री.] 1. हलकी और फूली हुई रोटी; चपाती 2. मैदे व सूजी को मिलाकर बनाई गई छोटी-छोटी गोल व कड़क पूरी जिसमें मटर, खट्टा पानी आदि भर कर खाया जाता है; गोलगप्पा; पानीपूरी; गुपचुप।

फुलझड़ी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की आतिशबाज़ी जिसे जलाने पर फूल जैसी चिनगारियाँ झड़ती हैं 2. {ला-अ.} ऐसी बात जिसका मूल उद्देश्य दो पक्षों में झगड़ा कराना होता है 3. {ला-अ.} हँसी-मज़ाक की बात।

फुलवारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. केवल फूल के पौधों का छोटा उद्यान या बाग; पुष्पवाटिका 2. कागज़ के बने फूल-पौधों का समूह 3. {ला-अ.} बाल-बच्चे जो माता-पिता के लिए परम आनंददायक होते हैं।

फुलस्केप (इं.) [सं-पु.] आधुनिक पैमाने के अनुसार सत्रह गुणा साढ़े तेरह इंच (17''x13½") के आकार का कागज़।

फुलहारा [सं-पु.] 1. फूल बेचने वाला व्यक्ति; पुष्प विक्रेता 2. बागवान।

फुलाना [क्रि-स.] 1. हवा भरकर फैलाना 2. किसी को फूलने में प्रवृत्त करना 3. वृक्ष आदि को पुष्पित करना 4. {ला-अ.} किसी की चापलूसी करके उसे प्रसन्न करना। [मु.] गाल या मुँह फुलाना : गुस्सा या रुष्ट हो जाना।

फुलावट [सं-स्त्री.] 1. किसी के फूले हुए होने की अवस्था या भाव 2. उभार; फैलाव; फुलाव।

फुलावा [सं-पु.] 1. स्त्रियों के सिर के बालों में जूड़ा बाँधने की फुँदनेदार डोरी; खजुरा 2. एक प्रकार का पौधा जिसमें लाल और सफ़ेद फूल आते हैं।

फुलिया [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का फूल की भाँति उभरा और फैला हुआ गोल सिरा 2. लोहे की कील या काँटा जिसका सिरा फूल के समान गोलाकार होता है 3. नाक में पहनने का एक आभूषण; फूल; लौंग।

फुलेल [सं-पु.] 1. फूलों की गंध से सुगंधित किया गया तेल; सुगंधित तेल 2. एक छत्तेदार घास जिसके फूल सफ़ेद रंग के होते हैं।

फुलेली [सं-स्त्री.] काँच आदि का बड़ा पात्र जिसमें फुलेल रखा जाता है।

फुलौरा [सं-पु.] बड़ी फुलौरी।

फुलौरी [सं-स्त्री.] उड़द, बेसन आदि से बनाई जाने वाली एक प्रकार की बरी या पकौड़ी जो तले जाने पर काफ़ी फूल जाती है।

फुल्ल (सं.) [वि.] 1. खिला हुआ फूल 2. प्रफुल्ल; प्रसन्न; आनंदित 3. विकसित।

फुसफुस [सं-स्त्री.] 1. मुख से निकली हुई बहुत धीमी, साफ़ सुनाई न देने वाली आवाज़ 2. किसी के कान में बहुत धीमी आवाज़ में कही जाने वाली बात; कानाफूसी।

फुसफुसाना [क्रि-अ.] बहुत धीमें स्वर में किसी के कान में कुछ कहना; फुसफुस करना।

फुसलाऊ [वि.] 1. जो फुसलाने या उकसाने का काम करता हो 2. छलपूर्ण; भरमाने वाला।

फुसलाना [क्रि-स.] 1. बहकाना 2. लालच देकर या आशाएँ बँधाकर किसी व्यक्ति को अपने पक्ष में करना; मीठी बातों से बहलाना; भुलावा देना।

फुसलावा [सं-पु.] 1. दुष्प्रेरित करने का कार्य; उकसावा 2. बहलावा; भुलावा 3. मीठी बातें करके मिन्नत करना।

फुहार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल की नन्हीं-नन्हीं महीन बूँदों की झड़ी; हलकी वर्षा 2. ऊपर से गिरने वाली किसी तरल पदार्थ की बहुत छोटी-छोटी बूँदें।

फुहारना [क्रि-स.] 1. तरल पदार्थ की फुहार डालना 2. किसी चीज़ को फुहारों से रँगना या धोना।

फुहारा [सं-पु.] 1. धरती से फूट पड़ने वाली तेज़ धारा 2. एक तरह का उपकरण जिससे पानी को पतली धार या फुहार के रूप में चारों ओर गिराया जाता है; जलयंत्र 3. पानी या किसी तरल पदार्थ की पतली तेज़धार।

फू [सं-स्त्री.] फूँकने की आवाज़ या ध्वनि।

फूँ [सं-स्त्री.] 1. साँप के फुफकारने की आवाज़ या ध्वनि 2. तेज़ फूँकने से होने वाली ध्वनि।

फूँक [सं-स्त्री.] 1. होंठों को गोलाकर करके मुँह से वेग पूर्वक छोड़ी जाने वाली हवा; मुँह से हवा बाहर निकालने की क्रिया 2. मंत्र आदि पढ़कर की जाने वाली उक्त क्रिया। [मु.] -फूँक कर कदम रखना : अत्यंत सावधानी बरतना। -निकल जाना : अकड़ जाती रहना; बेदम होना।

फूँकना [क्रि-स.] 1. मुँह से वेग के साथ हवा छोड़ना 2. वंशी, शंख आदि को बजाना 3. पूरी तरह से भस्म करने के लिए आग लगाना; जलाना 4. {ला-अ.} धन-संपत्ति आदि को व्यर्थ व्यय करना; नष्ट करना।

फूट [सं-स्त्री.] 1. फूटने की क्रिया या भाव 2. विरोध या वैमनस्य के कारण होने वाली आपसी अनबन; अलगाव या बिगाड़ 3. एक तरह की बड़ी ककड़ी जो पकने पर फूट जाती है। [मु.] -फूटकर रोना : विलाप करना, बिलख-बिलख कर रोना। -डालना : लोगों में आपसी भेदभाव उत्पन्न करना।

फूटन [सं-स्त्री.] 1. फूटने की क्रिया या भाव 2. फूटकर अलग हुआ टुकड़ा 3. जोड़ों या हड्डियों में होने वाला दर्द।

फूटना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आघात या प्रहार से किसी वस्तु के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाना; खंडित होना 2. चोट लगने से शरीर के किसी अंग से ख़ून बहने लगना 3. अंकुर, शाखा आदि का निकलना 4. एक पक्ष छोड़कर दूसरे पक्ष में चले जाना 5. इस प्रकार विकृत होना कि किसी काम का न रह जाए 6. किसी मुख्य मार्ग से उपमार्ग निकलना 7. कोई गुप्त बात, भेद या रहस्य का सभी पर प्रकट होना 8. साथ न रह कर अलग-अलग रहना 9. रासायनिक पदार्थ बम, गोले आदि का फटना; विस्फोट होना 10. ऊपरी आवरण को तोड़कर वेगपूर्वक बाहर निकलना 11. रोग का प्रकट होना 12. {व्यं-अ.} मुख से शब्द उच्चारित होना।

फूत्कार (सं.) [सं-पु.] 1. फुफकार; फूँक 2. साँप आदि के मुँह से हवा निकलने की आवाज़ 3. सिसकना; चीत्कार।

फूत्कृति (सं.) [सं-स्त्री.] साँप आदि के मुँह से हवा निकलने की आवाज़; फूत्कार।

फूफा [सं-पु.] बुआ या फूफी का पति।

फूफी [सं-स्त्री.] पिता की बहन; बुआ; फूफू।

फूल (सं.) [सं-पु.] 1. पुष्प; सुमन; कुसुम 2. प्रफुल्लता; हर्ष; ख़ुशी 3. उभार 4. दीपक की बत्ती का जला हुआ अंश 5. फूल के आकार की कोई वस्तु, आभूषण आदि 6. शव जलने के बाद बची हुई अस्थियाँ 7. ताँबा और राँगा के योग से बनने वाली एक मिश्र धातु। [मु.] -सूँघ कर रहना : बहुत थोड़ा-सा भोजन करना।

फूलगोभी [सं-पु.] फूल के आकार की एक वनस्पति जो सब्ज़ी के रूप में खाई जाती है; गोभी का एक प्रकार।

फूलदान (सं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. मिट्टी, काँच या शीशा आदि का वह पात्र जिसमें फूल रख कर सजाया जाता है 2. गुलदस्ता।

फूलदार (सं.+फ़ा.) [वि.] 1. फूलोंवाला 2. जिसपर फूल-पत्ते बने हों या फूलकारी का काम किया गया हो।

फूलना [क्रि-अ.] 1. पेड़-पौधे आदि में फूल लगना या आना 2. कली का विकसित होना, कुसमित होना या खिलना 3. हवा भरने से तन जाना 4. मोटा या स्थूल होना 5. शरीर के किसी अंग का सूजना 6. नाराज़ होना या रूठना 7. {ला-अ.} बहुत प्रसन्न होना 8. {ला-अ.} घमंड करना।

फूलपत्ती [सं-स्त्री.] 1. किसी मूर्ति इत्यादि पर चढ़ाए जाने वाले तरह-तरह के फूल और पत्तियाँ 2. (वनस्पतिविज्ञान) किसी पौधे का पुष्पदल या पंखुड़ी; (फ्लॉवर लीफ़) 3. फूल और पत्तियों वाली कढ़ाई या कसीदाकारी; छींट।

फूलबाग [सं-पु.] केवल फूलों के पौधों से सुसज्जित बगीचा; फूलों वाला उपवन; पुष्पोपवन।

फूस (सं.) [सं-पु.] 1. तृण; तिनका 2. एक तरह की घास जो सुखाकर छप्पर आदि डालने के काम आती है।

फूहड़ [वि.] 1. भद्दे ढंग से काम करने वाला; बेढंगा 2. जिसे कुछ करने का ढंग पता न हो; बेशऊर; बेअक्ल; उजड्ड 3. अश्लील; हेय 4. भद्दा; गंदा 5. निकम्मा।

फूहड़पन [सं-पु.] 1. फूहड़ होने की अवस्था या भाव 2. भद्दापन; बेढंगापन; अनाड़ीपन।

फेंक [सं-स्त्री.] 1. फेंकने की क्रिया या भाव 2. झूठा और निराधार; मनगढ़ंत। [परप्रत्य.] फेंकने वाला, जैसे- दिलफेंक (औरत या मर्द)।

फेंकना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को झटके से दूर हटाना या डालना 2. ज़मीन पर गिराना; पटकना 3. कूड़ा आदि ले जाकर दूसरी जगह डालना 4. परित्याग करना; छोड़ना 5. तिरस्कारपूर्वक छोड़ना 6. चीज़ों को इधर-उधर फैलाना 7. जुए आदि के खेल में दाँव के लिए गोटी चलना 8. {ला-अ.} व्यर्थ धन व्यय करना।

फेंकवाना [क्रि-स.] 1. फेंकने की क्रिया किसी अन्य से कराना 2. फेंकने की क्रिया में किसी को प्रवृत्त करना।

फेंट [सं-स्त्री.] 1. फेंटने की क्रिया या भाव 2. कमर का घेरा; फेंटा 3. कमरबंद 4. धोती का वह भाग कमर के चारों ओर लपेटते हैं।

फेंटना [क्रि-स.] 1. मिश्रण करना 2. बिलोना 3. किसी गाढ़े द्रव को उँगलियों व हथेली से अच्छी तरह रगड़ना 4. अच्छी तरह मिलाना 5. ताश के पत्तों को गड्डमड्ड करना।

फेंटा [सं-पु.] 1. कमर का घेरा 2. धोती का वह भाग जो कमर के चारों ओर लपेटकर बाँधा जाता है 3. फटका; कमरबंद 4. कपड़े से सिर पर बाँधी जाने वाली पगड़ी; साफ़ा 5. सूत की बड़ी अंटी। [मु.] -बाँधना : किसी काम के लिए कमर कसकर तैयार होना।

फ़ेज़ (इं.) [सं-पु.] 1. चरण; विकास की कोई अवस्था विशेष 2. शहर का विस्तृत किया गया भाग; मुहल्ला।

फ़ेडरेशन (इं.) [सं-पु.] 1. महासंघ; मंडल 2. राज्यों का संघ 3. संस्थाओं या संगठनों का समूह 4. राजनीतिक संगठन या दल।

फ़ेथ (इं.) [सं-स्त्री.] 1. आस्था; श्रद्धा 2. भरोसा; यकीन 3. विचारधारा; विश्वास 4. धर्म 5. भक्ति।

फेन (सं.) [सं-पु.] किसी पदार्थ के ख़ूब हिलने, सड़ने और खौलने से उत्पन्न होने वाली झाग; बुलबुलों का समूह।

फेनक (सं.) [वि.] फेन उत्पन्न करने वाला; जिससे फेन उत्पन्न हो।

फेना (सं.) [सं-स्त्री.] एक तरह का क्षुप।

फेनिल (सं.) [सं-पु.] रीठा। [वि.] झाग या फेन से युक्त; झागदार; फेनयुक्त।

फेनी (सं.) [सं-स्त्री.] सूत के लच्छे की तरह महीन लच्छेदार व्यंजन जिसे दूध में मिलाकर खाया जाता है।

फेफड़ा (सं.) [सं-पु.] रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाने वाला श्वसन अंग; फुफ्फुस; (लंग्स)।

फ़ेम (इं.) [सं-पु.] यश; प्रसिद्धि; ख्याति; कीर्ति।

फ़ेयरवेल (इं.) [सं-स्त्री.] विदाई; विदाई समारोह।

फेर1 [सं-पु.] 1. घुमाव; चक्कर 2. परिवर्तन; बदलना 3. क्रम; सिलसिला 4. चालाकी से भरी हुई; चाल या युक्ति 5. धोखे में रखना 6. घाटा सहना; नुकसान 7. दिशा; ओर 8. उलझन; झंझट।

फेर2 (सं.) [सं-पु.] गीदड़ नामक जानवर।

फेरना [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को घेरे में या धुरी पर चारों ओर बार-बार घुमाना 2. लौटाना; वापस करना 3. लेपना 4. उलटना; बदलना 5. चाल सिखाने के लिए चक्कर देना।

फेरफार [सं-पु.] 1. परिवर्तन; उलटफेर; चक्कर 2. उथलपुथल 3. घोटाला।

फेरबदल [सं-स्त्री.] 1. परिवर्तन; बदलाव; तबदीली 2. वस्तु-विनिमय 3. लेनदेन।

फेरव (सं.) [सं-पु.] 1. शृगाल; सियार; गीदड़ 2. प्रेत; पिशाच 3. गुंडा; बदमाश। [वि.] धूर्त।

फेरा [सं-पु.] 1. परिक्रमा; चक्कर 2. किसी चीज़ को चारों ओर घुमाने की क्रिया 3. एक बार का घुमाव; लपेट 4. पुनरागमन 5. गश्त; मंडल 6. विवाह की एक रस्म; भाँवर 7. बार-बार आना-जाना।

फेरी [सं-स्त्री.] 1. परिक्रमा; चक्कर 2. गश्त; मंडल 3. भाँवर; प्रदक्षिणा 4. छोटे व्यापारियों द्वारा सौदा बेचने के लिए गली-कूचों में घूम कर लगाया जाने वाला चक्कर 5. रस्सी पर ऐंठन देने की चरखी।

फेरीदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] विभिन्न स्थानों पर जाकर कर्ज़दारों से धन वसूल करने वाला कर्मचारी या नौकर।

फेरीवाला [सं-पु.] गली में फेरी करके या घूम-घूमकर सामान बेचने वाला व्यापारी; (हॉकर)।

फ़ेल (इं.) [वि.] 1. असफल; विफल; नाकाम 2. परीक्षा में अनुत्तीर्ण 3. जो समय पर ठीक और पूरा काम न दे।

फ़ेलो (इं.) [वि.] 1. किसी शैक्षणिक या व्यावसायिक संगठन का सदस्य; (स्कॉलर) 2. किसी विश्वविद्यालय में वृत्ति पर अध्ययनरत व्यक्ति; शोधार्थी; अध्येता 3. साथी; संगी; जोड़ीदार 4. व्यक्ति; जन।

फ़ेलोशिप (इं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्ययन या शोधकार्य हेतु प्रदत्त या प्राप्त वृत्ति; अध्येतावृत्ति 2. मैत्री; भाईचारा; मेलजोल; मिलाप 3. समान विचार वाले लोगों का समूह; समाज या संघ।

फ़ेशियल (इं.) [सं-पु.] लेप लगाकर चेहरे की सफ़ाई करना; मुखमंडल पर लेप लगाकर मालिश करना; (मेकअप)। [वि.] चेहरे से संबंधित।

फ़ेस (इं.) [सं-पु.] 1. चेहरा; मुख 2. सूरत; रूप 3. तल; धरातल; ऊपरी भाग 4. आरंभिक भाग 5. सामना करने का भाव; मुकाबला करना।

फ़ेसबुक (इं.) [सं-पु.] इंटरनेट पर स्थित एक निःशुल्क सामाजिक नेटवर्किंग सेवा, जिसके माध्यम से इसके सदस्य अपने परिजनों, मित्रों और परिचितों के साथ संपर्क रख सकते हैं।

फ़ेस्टिवल (इं.) [सं-पु.] 1. त्योहार; पर्व 2. उत्सव; समारोह 3. मेला।

फ़ेहरिस्त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सूची; तालिका 2. सूचीपत्र।

फ़ैंटसी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. कोरी कल्पना; कपोल कल्पना; दिवास्वप्न 2. कल्पना दर्शन 3. मन की काल्पनिक आकांक्षा; मन की उड़ान 4. स्वप्न; हवाई ख्वाब; आकाश कुसुम 5. विलक्षणा; अद्भुत चित्रण 6. भ्रम।

फ़ैंसी (इं.) [वि.] 1. सुंदर; सजीला; रुचिकर 2. भड़कदार; अलंकृत; जिसपर कसीदाकारी हुई हो 3. काल्पनिक; अनोखा 4. मनोरम 5. नए फ़ैशन का परिधान जो प्रचलन में हो 6. अपने वर्ग की वस्तुओं से श्रेष्ठ और नए प्रयोगों वाला।

फ़ैकल्टी (इं.) [सं-पु.] 1. विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में कोई विभाग या संकाय 2. विश्वविद्यालय या महाविद्यालय के शिक्षकगण 3. शरीर या मन की नैसर्गिक क्षमता।

फ़ैक्टरी (इं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ मशीनों से बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन होता है; निर्माणशाला; कारख़ाना; उद्योग।

फ़ैक्स (इं.) [सं-पु.] टेलीफ़ोन लाईन द्वारा विशेष मशीन के माध्यम से भेजा गया पत्र; दूरपत्र।

फ़ैज़ (अ.) [सं-पु.] 1. यश; कीर्ति; मकबूलियत 2. उपकार; भलाई 3. फ़ायदा; लाभ 4. हित; उपकार; परोपकार।

फ़ैन (इं.) [सं-पु.] 1. बिजली का पंखा 2. बाँस या कागज़ आदि का बना पंखा 3. प्रशंसक; मुरीद; दीवाना 3. प्रेमी 5. अंधभक्त।

फ़ैब्रिक (इं.) [सं-पु.] 1. बिना सिला हुआ वस्त्र; कपड़ा 2. किसी भवन आदि का मूल ढाँचा; बनावट; संरचना।

फ़ैयाज़ (अ.) [वि.] 1. जिसमें फ़ैज़ अर्थात दानशीलता हो 2. दानी; मुक्तहस्त 3. उदार और भलामानुष।

फ़ैयाज़ी (अ.‍.) [सं-स्त्री.] 1. दानशीलता 2. उदारता 3. दरियादिली।

फैलना [क्रि-अ.] 1. अधिक जगह घेरना 2. अधिक विस्तृत होना; पसरना 3. बिखरना; छितरना 4. प्रचार पाना; प्रचलित होना; प्रसिद्ध होना 5. लोगों की जानकारी में होना 6. मोटा होना 7. किसी क्षेत्र में प्रभावपूर्ण ढंग से सक्रिय होना।

फैलाना [क्रि-स.] 1. खेालना 2. विस्तार देना 3. फैलने में प्रवृत्त करना; प्रसारण 4. छितराना; बिखेरना 5. प्रचार करना या प्रचलित करना 6. प्रसिद्ध करना।

फैलाव [सं-पु.] 1. फैले हुए होने की अवस्था या भाव; विस्तार; प्रसार 2. उतनी लंबाई-चौड़ाई जिसमें कोई चीज़ फैली हुई हो।

फैलावट [सं-स्त्री.] 1. विस्तार; फैलाव 2. फैले हुए होने की अवस्था या भाव 3. प्रसार; प्रचार 4. लंबाई-चौड़ाई।

फ़ैशन (इं.) [सं-पु.] 1. किसी काल विशेष में सर्वाधिक लोकप्रिय व्यवहार या वस्त्रधारण की शैली अथवा ढंग 2. चलन; पद्धति; प्रचलित रीति।

फ़ैशनेबल (इं.) [वि.] 1. फ़ैशन में रुचि लेने वाला; फ़ैशनपरस्त; शौकीन 2. सुंदर; सजीला 3. काल विशेष में प्रचलित; लोकप्रिय।

फ़ैसल (अ.) [वि.] जिसका फ़ैसला हो गया हो; निर्णीत। [सं-पु.] 1. फ़ैसला करने वाला अधिकारी; न्यायकर्ता 2. न्याय; निर्णय; फ़ैसला।

फ़ैसला (अ.) [सं-पु.] 1. किसी मुकदमें या विवाद से संबंधित निर्णय 2. न्यायकर्ता द्वारा दी जाने वाली व्यवस्था 3. किसी विषय या वस्तु के संदर्भ में लिया गया अंतिम निश्चय; निर्णय।

फ़ॉन्ट (इं.) [सं-पु.] 1. छपाई में प्रयुक्त अक्षरों की विशिष्ट आकृति, आकार और बनावट 2. अक्षरों की बनावट के विविध तरीके तथा उनकी विशिष्ट आकृति।

फ़ॉरमूला (इं.) [सं-पु.] 1. सूत्र 2. नियम; नुस्खा 3. विधि; सिद्धांत 4. किसी काम को करने का तरीका; गुर; तरकीब, जैसे- फ़िल्म हिट करने का फ़ॉरमूला 5. सांकेतिक भाषा में तथ्यों का विवरण 6. औषधि या दवाई के घटक तथा उसे बनाने की विधि 7. मतभेद सुलझाने या समझौता कराने का उपाय।

फ़ॉरमैलिटी (इं.) [सं-स्त्री.] किसी प्रथा, नियम या कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई; औपचारिकता।

फ़ॉरवर्ड (इं.) [वि.] 1. आगे की ओर का; भविष्योन्मुख 2. प्रगत; प्रगतिशील 3. अपने समय से आगे 4. प्रगल्भ; बेतकल्लुफ़ 5. फ़ुटबाल आदि खेलों में अग्रिम पंक्ति का खिलाड़ी।

फ़ॉरेन (इं.) [सं-पु.] विदेश; परदेश।

फ़ॉरेस्ट (इं.) [सं-पु.] जंगल; वन।

फ़ॉर्म (इं.) [सं-पु.] 1. आवेदनपत्र 2. अभिलेख, प्रार्थना पत्र आदि का बना हुआ लिखित प्रारूप या ढाँचा 3. किसी समय में किसी की दक्षता का स्तर 4. किसी शब्द की एक विशेष वर्तनी निर्धारित करने या प्रचलित वर्तनी में परिवर्तन का एक प्रकार; रूप 5. आकार; ढाँचा 6. अवस्था 7. मुद्रा; आकृति 8. किसी विशेष आकृति या क्रम में खड़ी हुई चीज़।

फ़ॉर्मूला (अ.) [सं-पु.] दे. फ़ॉरमूला।

फ़ॉर्मेट (इं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ का आकार-प्रकार; प्रारूप; खाका 2. किसी पृष्ठ पर लिखित सामग्री का विशिष्ट रूप 3. कंप्यूटर में डाटा या सूचनाओं के संग्रहक माध्यमों (जैसे- हार्डडिस्क, पेनड्राइव आदि) को सूचना रहित करना।

फ़ॉस्फ़ेट (इं.) [सं-पु.] 1. एक कार्बनिक रसायन 2. फ़ॉस्फ़ोरस युक्त लवण या यौगिक 3. फ़सलों या पौधों के संवर्धन के लिए उनमें डाला जाने वाला एक प्रकार का रासायनिक उर्वरक।

फ़ॉस्फ़ोरस (इं.) [सं-पु.] एक हलका पीला, विषैला रासायनिक तत्व जो वायु के संपर्क में आते ही जलने लगता है।

फोंक (सं.) [सं-पु.] 1. तीर या बाण का पिछला सिरा जिसपर पंख लगाए जाते हैं 2. लंबी पोली नली; भोगली।

फ़ोक (इं.) [सं-पु.] 1. लोक; ग्रामीण समाज 2. जनसाधारण; आम जनता 3. परंपराकृत।

फ़ोक आर्ट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. लोककला; लोकसंगीत; लोकगान; लोककथा 2. आदिवासी समाज की कला 3. ग्रामीण कला; ग्रामीण शिल्प।

फोकट [वि.] 1. मूल्यरहित; मुफ़्त; निःशुल्क; (फ़्री) 2. निरर्थक; व्यर्थ; निस्सार।

फ़ोक डांस (इं.) [सं-पु.] लोकनृत्य; ग्रामीण और आदिवासी समाजों द्वारा संरक्षित व विकसित नृत्य।

फ़ोकस (इं.) [सं-पु.] 1. किसी बात या कार्य का केंद्र या केंद्रबिंदु 2. किसी व्यक्ति या वस्तु पर दिया गया विशेष ध्यान 3. वह बिंदु जहाँ प्रकाश की किरणें या ध्वनि तरंगें परावर्तन या अनुवर्तन के बाद मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं 4. दूरबीन, कैमरे आदि के अंदर से दिखाई देने वाला केंद्रीय दृश्य।

फ़ोटो (इं.) [सं-पु.] 1. चित्र; तस्वीर 2. एक विशिष्ट यांत्रिक उपकरण द्वारा खींचा हुआ चित्र; छायाचित्र।

फ़ोटो एसे (इं.) [सं-पु.] चित्रात्मक निबंध; वैसे आलेख जिसमें लिखित पाठ कम हो और चित्रों की प्रधानता हो।

फ़ोटोकॉपी (इं.) [सं-स्त्री.] किसी दस्तावेज़, फोटो या छायाचित्र आदि की छाया प्रतिलिपि।

फ़ोटोग्राफ़ (इं.) [सं-स्त्री.] छायाचित्र; प्रतिबिंब।

फ़ोटोग्राफ़र (इं.) [सं-पु.] 1. फोटो खींचने वाला व्यक्ति 2. छायाचित्र बनाने वाला कलाकार; छायाचित्रकार।

फ़ोटोग्राफ़ी (इं.) [सं-स्त्री.] फ़ोटो या छायाचित्र खींचने और बनाने की कला; अक्कासी।

फ़ोटोस्टेट (इं.) [सं-स्त्री.] किसी लिखित, मुद्रित या टंकित सामग्री की फ़ोटो के माध्यम से कागज़ पर की गई अनुकृति; फ़ोटो अनुकृति।

फोड़ना [क्रि-स.] 1. तोड़ना 2. टुकड़े-टुकड़े करना; भग्न करना; विदीर्ण करना; नष्ट कर देना 3. भेद या रहस्य खोलना, जैसे- किसी का भंडा फोड़ना 4. दीवार आदि में छेद करना; सेंध लगाना 5. किसी को बहला-फुसलाकर अपने पक्ष में कर लेना; भेदभाव उत्पन्न करना, जैसे- परिवार या घर फोड़ना 6. खरी या करारी वस्तुओं को दबाव या आघात द्वारा तोड़ना।

फोड़ा [सं-पु.] शरीर में किसी स्थान पर होने वाला ऐसा घाव जिसमें मवाद पड़ गया हो; बड़ी फुंसी।

फ़ोता (फ़ा.) [सं-पु.] 1. रुपए रखने की थैली; कोष 2. लगान; भूमिकर 3. अंडकोष 4. कमरबंद; पटका 5. सिरबंद; पगड़ी।

फ़ोन (इं.) [सं-पु.] दूरभाष यंत्र; (टेलीफ़ोन)।

फ़ोनोग्राफ़ (इं.) [सं-पु.] 1. एक यंत्र जो ध्वनि को अंकित करता है और बजाने पर उसी रूप में प्रकट कर देता है; (ग्रामोफ़ोन) 2. ध्वनिग्राहक यंत्र; शब्द उच्चारण यंत्र।

फ़ोनोग्राम (इं.) [सं-पु.] 1. ध्वनिचिह्न 2. फ़ोनोग्राफ़ द्वारा भरा गया रिकार्ड।

फ़ोरग्राउंड (इं.) [सं-पु.] 1. अग्रभूमि; अग्रभाग 2. किसी दृश्य का वह भाग जो दर्शक के समीप हो।

फ़ोरम (इं.) [सं-पु.] 1. न्यायालय; न्यायाधिकरण 2. सभा; संगोष्ठी 3. प्रांगण; चौक 4. वाद-विवाद सभा; जनसभा।

फ़ोरमैन (इं.) [सं-पु.] 1. अध्यक्ष; सरपंच 2. मुकादम; (सुपरवाइज़र)।

फ़ोरेंसिक (इं.) [वि.] तथ्यों और प्रमाणों की जाँच-पड़ताल के लिए विधि या कानून से संबंधित वैज्ञानिक परीक्षण करने वाला।

फ़ोर्ट (इं.) [सं-पु.] किला; कोट; गढ़; दुर्ग।

फ़ोर्स (इं.) [सं-स्त्री.] 1. बल; शक्ति; ऊर्जा; ताकत 2. सेना; सैनिक; सैन्य टुकड़ी; सैन्यदल 3. दबाव; प्रचंडता।

फ़ोलियो (इं.) [सं-पु.] 1. पांडुलिपि का पन्ना; पर्ण 2. पाठ्य सामग्री के ऊपर या नीचे के हाशिए में पृष्ठ संख्या के साथ-साथ छपा पत्र का नाम 3. एक बार मोड़ा हुआ कागज़ 4. आमने-सामने के दो पन्ने।

फ़ोल्ड (इं.) [सं-पु.] 1. किसी कागज़ या कपड़े आदि के एक भाग को मोड़कर दूसरे पर जमाना; तह लगाना; मोड़ना 2. चुन्नट।

फ़ोल्डर (इं.) [सं-पु.] 1. कागज़ या दस्तावेज़ की सुरक्षा करने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला मोटे कागज़, गत्ते या प्लास्टिक का खोल या आवरण 2. तह किया हुआ विज्ञापन 3. तह किया हुआ पन्ना; चौपन्ना।

फ़ौज (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सेना; लश्कर 2. झुंड; जत्था।

फ़ौज़दार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. सेना का एक छोटा अधिकारी 2. सेनानायक 3. प्राचीन काल में बादशाह आदि की सवारी में हाथी पर आगे बैठने वाला; कोतवाल।

फ़ौजदारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. फ़ौजदार का कार्य या पद 2. मार-पीट की कोई घटना 3. न्यायालय जिसमें उक्त घटना की सुनवाई होती है।

फ़ौजी (अ.) [सं-पु.] सैनिक। [वि.] फ़ौज से संबंध रखने वाला; फ़ौज से संबंधित; फ़ौज का।

फ़ौरी (अ.) [वि.] 1. तत्काल ध्यान देने योग्य 2. तुरंत करने योग्य 3. महत्वपूर्ण; अत्यावश्यक; (अर्जेंट)।

फ़ौलाद (अ.) [सं-पु.] 1. बहुत कड़ा एवं मज़बूत लोहा; असली लोहा; इस्पात 2. {ला-अ.} शक्तिशाली।

फ़ौलादी (अ.) [वि.] 1. फ़ौलाद या इस्पात का बना हुआ 2. {ला-अ.} बहुत ही दृढ़ और मज़बूत; पक्का। [सं-स्त्री.] एक प्रकार का डंडा जिसके सिरे पर बल्लम जड़ा रहता है।

फ़्यूचर (इं.) [सं-पु.] 1. भविष्य; आने वाला समय 2. भावी जीवन।

फ़्यूज़ (इं.) [सं-पु.] (भौतिकशास्त्र) विद्युत परिपथ में लगाया जाने वाला धातु के तार का टुकड़ा।

फ़्रंट (इं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यक्ति या वस्तु का मुख या सामने का भाग 2. माथा; ललाट 3. अग्रभाग 4. पुस्तक आदि का मुखपृष्ठ 5. सम्मुख होने की अवस्था 6. युद्धस्थल 7. मोर्चा।

फ़्रंट कवर (इं.) [सं-पु.] पत्रिकाओं का कवर पेज, जिसपर प्रमुख ख़बरों के बारे में ध्यानाकर्षित करने वाली सामग्री होती है।

फ़्रंटियर (इं.) [सं-पु.] 1. सीमांत 2. सीमावर्ती प्रदेश 3. सरहद 4. सीमा; हद।

‍फ़्री (इं.) [वि.] 1. मुफ़्त; निःशुल्क 2. स्वतंत्र; मुक्त; आज़ाद; स्वच्छंद।

फ़्रीज़ (इं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक शीत या सरदी; शीतलहर 2. किसी अवधि विशेष के लिए आय, मूल्य आदि को स्थिर रखने की क्रिया।

फ़्रीज़र (इं.) [सं-पु.] 1. एक विद्युत यंत्र जिसमें खाद्य सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए हिमांक से नीचे के तापमान पर रखा जाता है; (रेफ़्रीज़रेटर) 2. ठंडा करने वाला उपकरण; हिमीकरण यंत्र; हिमयंत्र; शीतक।

फ़्रीडम (इं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वतंत्रता; स्वाधीनता; आज़ादी 2. कोई काम या बात करने की छूट; खुलापन 3. मुक्ति; अबद्धता।

फ़्रीलांस (इं.) [वि.] 1. स्वतंत्र या स्वछंद रूप से कार्य करने वाला व्यक्ति 2. किसी एक संगठन का कर्मचारी न होकर विभिन्न संगठनों को शुल्क पर अपनी सेवाएँ देने से संबंधित 3. गैरपेशेवर कलाकर्मी।

फ़्रीलांसर (इं.) [सं-पु.] 1. किसी एक संगठन या संस्था से संबंद्ध न रहकर विभिन्न संस्थाओं या व्यक्तियों को शुल्क पर सेवा प्रदान करने वाला कलाकर्मी, लेखक या पत्रकार आदि 2. स्वच्छंद कार्यकर्ता 3. स्वनियोजित।

फ़्रूट (इं.) [सं-पु.] 1. फल 2. पौधे का वह भाग जिसमें बीज बनता है।

फ़्रेंड (इं.) [सं-पु.] मित्र; यार; दोस्त; सखा।

फ़्रेम (इं.) [सं-पु.] 1. चौखटा 2. गठन; बनावट 3. ढाँचा; रचना 4. दायरा।

फ़्रैंचाइज़ी (इं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थानीय अधिकारी या संस्था 2. किसी विस्तृत संस्था या कंपनी का स्थानीय उत्पादक या सहयोगी स्थानीय विक्रेता 3. विशेष विक्रय अधिकार प्राप्तकर्ता।

फ़्रैक्चर (इं.) [सं-पु.] 1. दरार; विभंजन 2. हड्डी आदि किसी कठोर चीज़ का टूटना; अस्थि भंग।

फ़्रॉक (इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का घेरादार कुरता जो प्रायः लड़कियाँ पहनती हैं; लड़कियों का एक प्रकार का वस्त्र।

फ़्रॉड (इं.) [सं-पु.] 1. वह काम जो किसी को धोखे में डाल कर कोई स्वार्थ साधने के लिए किया जाए 2. घोटाला; घपला 3. कपट; छल; दगा 4. घोटालेबाज़ी; ठगी 5. ठग; भ्रष्टाचारी 6. नकली; ढोंगी।

फ़्लर्ट (इं.) [सं-पु.] 1. इश्कबाज़ 2. छेड़छाड़।

फ़्लश (इं.) [क्रि-स.] 1. बहाना; पानी से साफ़ करना और निकालना 2. उड़ जाना 3. गंदगी रिक्त होना; बहा देना।

फ़्लाइट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. विमान की उड़ान 2. उड़ने वाला विमान 3. {ला-अ.} कल्पना की उड़ान।

फ़्लाईओवर (इं.) [सं-पु.] 1. ऊपरी मार्ग; पुल 2. ऊपर पारपथ; ऊपरगामी सेतु; (ओवरब्रिज)।

फ़्लास्क (इं.) [सं-पु.] वह बोतल या पात्र जिसमें गरम चीज़ गरम और ठंडी चीज़ ठंडी रहती है; (थरमस)।

फ़्लू (इं.) [सं-पु.] 1. वायरस द्वारा बहुत तेज़ी से फैलने वाला संक्रामक रोग 2. बुख़ार; (इनफ़्लूएंजा)।

फ़्लैग (इं.) [सं-पु.] 1. झंडा; ध्वज 2. (पत्रकारिता) नाम पट्टी; समाचार पत्र-पत्रिका के मुखपृष्ठ पर पत्र का नाम।

फ़्लैट (इं.) [सं-पु.] 1. किसी बड़े रिहायशी भवन का एक खंड 2. मकान; घर। [वि.] 1. सपाट; समतल 2. मैदान; ज़मीन 3. नीरस; फीका; स्वादहीन।

फ़्लैश (इं.) [सं-पु.] 1. क्षणिक तेज़ प्रकाश; कौंध 2. चमकीला; भड़कीला 3. (पत्रकारिता) विस्तृत समाचार छपने के पूर्व किसी अत्यंत महत्वपूर्ण समाचार की संक्षिप्त सूचना; कौंध समाचार; तड़ित समाचार 4. कैमरे में लगी चमकदार रोशनी 5. ऐसी रोशनी उत्पन्न करने वाला उपकरण।

फ़्लैश लाइट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ कौंध पैदा करने वाला प्रकाश या प्रकाश बत्ती 2. कौंध बत्ती।

फ़्लॉप (इं.) [सं-पु.] 1. असफल व्यक्ति 2. फड़फड़ाने की आवाज़ 3. पूर्णतः असफलता या विफलता 4. गिरा होना; ध्वस्त [वि.] जो चर्चित या लोगों द्वारा पसंद न हुआ हो अथवा किया न गया हो (फ़िल्म, नाटक आदि)।

फ़्लोर (इं.) [सं-पु.] 1. फ़र्श; मंज़िल 2. समुद्र की गहरी सतह 3. संसद या सार्वजनिक गोष्ठी आदि का सभाकक्ष।


>>पीछे>> >>आगे>>