ब
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह द्वि-ओष्ठ्य, सघोष, अल्पप्राण स्पर्श है।
बँगला
[सं-पु.] 1. कोई छोटी कोठी या हवादार मकान 2. बरामदे वाला छोटा मकान जो प्रायः खपरैल का बना होता है।
बँचवाना
[क्रि-स.] 1. पढ़वाना 2. बाँचने का काम दूसरे से कराना।
बँटना
[क्रि-अ.] 1. बाँटा जाना; हिस्सा किया जाना 2. विभक्त या विभाजित होना।
बँटवाना
[क्रि-स.] 1. बाँटने का काम दूसरे से कराना 2. विभाजित करना; हिस्से दिलाना।
बँटवारा
[सं-पु.] विभाजन; अलगौझा; संपत्ति के बाँटे जाने की क्रिया।
बँटाई
[सं-स्त्री.] 1. बाँटे जाने की अवस्था या भाव 2. पारिश्रमिक 3. ज़मींदारों द्वारा बनाई गई कृषि की आय के विभाजन का ढंग 4. किसी को जोतने-बोने के लिए खेत देने का
वह प्रकार जिसमें खेत का मालिक लगान के बदले में उपज का कुछ अंश लेता है।
बँटाना
[क्रि-स.] 1. बँटवारा करना 2. किसी की संपत्ति आदि से अपना हिस्सा अलग करा लेना 3. दूसरे का भार या कष्ट हलका करने के लिए उसका कुछ भाग अपने ऊपर लेना।
बँड़ेर
(सं.) [सं-पु.] वह बल्ला या शहतीर जिसके ऊपर छाजन का ठाठ स्थित रहता है।
बँड़ेरी
(सं.) [सं-पु.] खपरैल की छाजन में सबसे ऊपर रहने वाली लकड़ी या बल्ली।
बँधना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी बंधन में आ जाना; आबद्ध होना; बाँधा जाना 2. अटकना; जमना 3. फँसना 4. डोरी या रस्सी आदि से पकड़ा जाना 5. नियम या प्रतिबंधन से युक्त
होना 6. कारागार या जेल में रखा जाना 7. मुग्ध होना 8. बनाया जाना; गँठना 9. {ला-अ.} ध्यान या विचार का एक ही स्थान पर केंद्रित होना।
बँधवाना
[क्रि-स.] 1. बाँधने का काम कराना 2. नियत या मुकर्रर कराना 3. कारागार या जेलख़ाने आदि में रखवाना 4. वास्तु आदि की रचना कराना 5. बंधन में डलवाना या रखवाना।
बँधाई
[सं-स्त्री.] 1. बाँधने का काम 2. बाँधने की मज़दूरी या पारिश्रमिक।
बँधाना
[क्रि-स.] 1. बाँधने का काम दूसरे से करवाना; बँधवाना; बँधवाने में प्रवृत्त करना 2. कैद कराना।
बँधा-बँधाया
[वि.] 1. जो बाँधकर रखा गया हो 2. तय किया हुआ; निश्चित 3. रूढ़; प्रथागत।
बँधी
[सं-स्त्री.] 1. बँधा हुआ काम; निश्चित समय पर बराबर होते रहने वाला काम 2. बँधी हुई व्यवस्था; नियमित रूप से किया गया प्रबंध 3. बंधेज; प्रतिबंध। [वि.] 1. बंधन
में जकड़ा या कसा हुआ 2. जिसके लिए किसी तरह का बंधन हो।
बँधी लीक
[सं-स्त्री.] ऐसी परंपरा या प्रथा जिसका पालन सबके द्वारा किया जाता हो; ढर्रा; भेड़चाल; रूढ़ि।
बँधुआ
[सं-पु.] कैदी; बंदी; बँधुवा। [वि.] 1. जो बँधा रहता हो 2. किसी तरह के बंधन में रहने वाला।
बँधुआ मज़दूर
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह मज़दूर जिसे कोई अधिकार प्राप्त न हो और दिन-रात अपने मालिक की सेवा करनी पड़ती हो 2. आतंक, भय या किसी शर्त से बंधक बनाकर रखा गया
मज़दूर।
बँसवाड़ी
[सं-स्त्री.] 1. वह जगह या बाज़ार जहाँ बाँस बेचने वालों की बहुत-सी दुकानें या घर हों 2. एक स्थान पर उगे हुए बाँसों का समूह या झुरमुट 3. वह स्थान जहाँ बाँस की
बहुत-सी कोठियाँ हों।
बँसवारी
[सं-स्त्री.] 1. बाँस की कोठी 2. एक जगह उगे हुए बाँसों का समूह।
बँसोर
[सं-पु.] वह जाति या समुदाय जो बाँसों की चटाई, टोकरे आदि वस्तुओं का व्यवसाय करता है; बँसोड़; धरकार।
बंक1
(सं.) [वि.] 1. तिरछा; टेढ़ा 2. विकट; दुर्गम 3. जिसमें पुरुषार्थ और विक्रम हो।
बंक2
(इं.) [सं-पु.] जहाज़ या रेलगाड़ी में दीवार पर लगी शय्या। -करना [क्रि-अ.] चुपके से भाग जाना, खिसक जाना।
बंकर
(इं.) [सं-पु.] कंक्रीट के तहख़ाने जहाँ से छुपकर चौकीदार दुश्मन पर वार करते हैं; खाई।
बंकिम
(सं.) [वि.] तिरछा; टेढ़ा; बाँका।
बंग
(सं.) [सं-पु.] 1. बंगाल नामक प्रांत 2. एक दवा जो ताकत बढ़ाती है।
बंगलाभाषी
[वि.] बंगला भाषा बोलने वाला।
बंगा
(सं.) [वि.] 1. टेढ़ा 2. झगड़ालू; उद्दंड 3. लुच्चा; पाजी; अधम 4. मूर्ख; अज्ञानी।
बंगाल
(सं.) [सं-पु.] 1. भारत का एक पूर्वी प्रांत या प्रदेश; बंग देश (बाँग्लादेश या पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिम बंगाल) 2. (संगीत) एक राग।
बंगालिन
[सं-स्त्री.] बंगाल की रहने वाली स्त्री।
बंगाली
[सं-पु.] 1. बंगाल राज्य का निवासी 2. बंगाल से संबंधित कोई वस्तु या रिवाज; बंगदेशीय। [सं-स्त्री.] 1. बंग्लादेश और भारत की जनभाषा और राजभाषा; बांगला भाषा 2.
एक रागिनी। [वि.] बंगाल का; बंगाल से संबंधित।
बंचना
(सं.) [क्रि-स.] 1. ठगना 2. छलना। [वि.] ठगा जाना।
बंजर
[सं-पु.] अनुपजाऊ; खेती के अयोग्य ज़मीन; वह ज़मीन जिसपर खेती न की जा सकती हो।
बंजारा
[सं-पु.] एक घुमंतू तथा ख़ानाबदोश जाति जो लोहे के औज़ार, जैसे- चाकू, छुरी बनाकर बेचने हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवाजाही करती है, इनके व्यवसाय में नाच,
गाना, करतबगीरी भी शामिल होती है; बनजारा।
बंझा
[वि.] बाँझ; न फलने वाला (पेड़-पौधा); वंध्य। [सं-स्त्री.] 1. वंध्या स्त्री 2. एक प्रकार की परजीवी बेल।
बंटा
[सं-पु.] पान आदि रखने का छोटा डिब्बा। [वि.] छोटे कद का।
बंटाधार
[वि.] बरबाद; नष्ट; विनाश; चौपट; सत्यानाश।
बंडल
(इं.) [सं-पु.] पुलिंदा; गट्ठर; गट्ठा; पूला; छोटी गठरी।
बंडा
[सं-पु.] 1. अरुई की प्रजाति का एक कंद जिसकी सब्ज़ी बनाई जाती है; अरवी; कचालू 2. अनाज रखने का बड़ा बखार। [वि.] जिसकी पूँछ न हो।
बंडी
[सं-स्त्री.] 1. बिना आस्तीन का कुरता; मिरजई; फतूही 2. बगलबंद नामक पहनने का कपड़ा।
बंद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अवरूद्ध; रोक 2. बाँध; मेंड़ 3. कैद; बंधन 4. अंगों का जोड़ 5. सिला हुआ फीता जिससे अँगरखा, अंगिया आदि के पल्ले बाँधते हैं 6. पाँच या छह
मिसरों के उर्दू-फ़ारसी पद्य का टुकड़ा। [वि.] 1. रुका हुआ; बँधा हुआ 2. धरा या पकड़ा हुआ 3. जिसकी गति, क्रिया रुद्ध हो।
बंदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. किसी की अधीनता और दीनता स्वीकार कर लेना 2. नमस्कार; अभिवादन सलाम; नमस्ते 3. ईश्वरीय आराधना; उपासना; पूजा।
बंदगोभी
[सं-स्त्री.] 1. करमकल्ला; पात गोभी का पौधा 2. उक्त पौधे का फल जिसकी तरकारी बनाई जाती है।
बंदन
(सं.) [सं-पु.] 1. रोली 2. सिंदूर।
बंदनी
[सं-स्त्री.] सिर पर पहनने का एक आभूषण; सिरबंदी।
बंदर
(सं.) [सं-पु.] एक स्तनपाई पशु जिसकी कुछ हरकतें मनुष्य से मिलती हैं और जिसकी कुछ बुद्धि विकसित होती है; मर्कट; कपि; वानर।
बंदरगाह
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. समुद्र का वह तट या नगर जहाँ जहाज़ रुकते-ठहरते हैं; बंदर; पत्तन; पट्टन; (पोर्ट; हार्बर) 2. नौका घाट।
बंदरघुड़की
[सं-स्त्री.] वह दिखावे भर की घुड़की जिसका कोई परिणाम न हो; महज़ डराने भर की धमकी; झूठी धमकी; गीदड़ भभकी।
बंदरबाँट
[सं-स्त्री.] न्याय के नाम पर किया जाने वाला ऐसा स्वार्थपूर्ण बँटवारा जिसमें न्यायकर्ता सब कुछ हज़म कर लेता है।
बंदरिया
[सं-स्त्री.] मर्कटी; वानरी; मादा बंदर।
बंदा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सेवक; दास 2. विनय दिखाने के लिए व्यक्ति द्वारा स्वयं के लिए सूचित शब्द, जैसे- बंदा हर कार्य के लिए तैयार है 3. भक्त।
बंदानवाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. दीन-दयालु 2. बंदों पर अनुग्रह करने वाला 3. नौकरों और आश्रितों पर कृपा करने वाला 4. भक्तवत्सल।
बंदानवाज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कृपा; अनुग्रह 2. दयालुता।
बंदापरवर
(फ़ा.) [वि.] 1. जो अपने सेवकों या आश्रितों का अच्छी तरह पालन करता हो 2. दीनबंधु।
बंदिश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रोक; प्रतिबंध; पाबंदी 2. बाँधने का भाव 3. कविता, गीत के चरणों, वाक्यों आदि में होने वाली शब्दयोजना 4. साज़िश; षड्यंत्र।
बंदी1
(सं.) [सं-पु.] वंदना करने वाले, यशगान करने वाले चारण। [सं-स्त्री.] सिर का एक गहना; बंदनी।
बंदी2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गिरफ़्तार किया हुआ व्यक्ति; कैदी 2. बँधुआ।
बंदीख़ाना
(फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ बंदियों को रखा जाता है; जेलख़ाना; कैदख़ाना।
बंदीगृह
(फ़ा.+सं.) [सं-स्त्री.] जेल; कारावास।
बंदीजन
(सं.) [वि.] 1. वंदना करने वाले 2. प्रशंसा गाने वाला; मंगलपाठ करने वाला 3. प्रबोधक; स्तवक; स्वस्तिवाचक। [सं-पु.] 1. राजाओं का कीर्तिगान करने वाला चारणों का
समूह; भाट।
बंदूक
(अ.) [सं-स्त्री.] वह अस्त्र जिसकी नली में बारूद भरी गोली या कारतूस भर कर लक्ष्य साधते हुए चलाया जाता है।
बंदूकची
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. बंदूक की गोली से लक्ष्य साधने वाला व्यक्ति 2. बंदूक चलाने वाला सिपाही।
बंदूकधारी
(अ.+सं.) [सं-पु.] बंदूक पास रखने वाला व्यक्ति।
बंदूकसाज़
(अ.) [वि.] 1. बंदूक बनाने वाले 2. बंदूकों की मरम्मत करने वाले।
बंदोबस्त
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. व्यवस्था; इंतज़ाम; प्रबंध 2. खेत का लगान ठहराकर किसी को जोतने-बोने के लिए देना।
बंध
(सं.) [सं-पु.] 1. बंधन; बाँधने का साधन 2. बाल बाँधने की चोटी 3. गाँठ; ग्रंथि 4. पानी रोकने का बाँध 5. कैद 6. कविता का अंश जिसमें चार या छह चरण होते है;
पद्यांश 7. ज़ंजीर; बेड़ी 8. बंधक रखी हुई वस्तु 9. मैथुन का आसन या मुद्रा 10. रचना; बनावट 11. स्नायु; शरीर; देह।
बंधक
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी से कुछ ऋण लेकर उसके बदले कोई वस्तु उसके पास रखना; रेहन; गिरवी; (मार्टगेज़) 2. किसी शर्त को पूरा करने के लिए रोककर रखा गया व्यक्ति;
अपहृत 3. बँधुआ। [वि.] 1. बाँधने वाला 2. पकड़ने वाला 3. भंग करने वाला 4. अदला-बदली या विनिमय करने वाला।
बंधकपत्र
(सं.) [सं-पु.] वह पत्र जिसपर कोई वस्तु बंधक रखने की शर्त लिखी होती है; (मार्टगेज़)
बंधकी
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो चीज़ को बंधक या गिरवी रखता है।
बंधन
(सं.) [सं-पु.] 1. बँधने या बाँधने की अवस्था या भाव; बाँधना 2. वह वस्तु जिससे कोई चीज़ बाँधी जाए; ज़ंजीर; बेड़ी; रस्सी 3. रुकावट; प्रतिबंध।
बंधनकर्ता
(सं.) [सं-पु.] अपना घर, खेत या सामान किसी के पास बंधक या गिरवी रखने वाला व्यक्ति; (मार्टगेज़र)।
बंधनकारी
(सं.) [वि.] बंधन में डालने वाला।
बंधनीय
(सं.) [वि.] 1. जो बाँधा जा सके 2. बाँधने या रोकने योग्य।
बंधा
[सं-पु.] बाँध; रोक।
बंधान
[सं-पु.] 1. बँधा हुआ होने की अवस्था 2. वह परंपरा या परिपाटी जिसमें कुछ अवसरों पर किसी विशिष्ट कार्य को करने का बंधन होता है 3. लेन-देन और व्यवहार की बँधी
हुई प्रथा या रिवाज; (कस्टम) 4. उक्त प्रथा के अनुसार प्रदत्त धन 5. बाँध 6. (संगीत) ताल, लय और स्वर के संबंध में निश्चित किए गए नियम।
बंधिका
[सं-स्त्री.] करघे की वह डोरी जिससे ताने की साँथी (करघे में लगने वाली एक लकड़ी) बाँधी जाती है।
बंधित
(सं.) [वि.] बाँधा हुआ; जो कैद किया गया हो। [सं-स्त्री.] बाँझ।
बंधु
(सं.) [सं-पु.] 1. भाई; भ्राता 2. स्वजन; आत्मीय 3. सजातीय व्यक्ति; संबंधी 4. ऐसा प्रिय मित्र जिससे भाइयों का-सा व्यवहार हो 5. मित्र; दोस्त; सखा 6. बंधुजीव
नाम का पुष्प।
बंधुक
(सं.) [सं-पु.] एक तरह का क्षुप या पेड़ जिसमें गोलाकार लाल रंग के फूल लगते हैं; दोपहर में खिलने वाला एक फूल; गुलदुपहरिया।
बंधुगण
(सं.) [सं-पु.] आत्मीय जन; स्वजन; मित्रगण; बंधुवर; निकट संबंधी; नातेदार।
बंधुता
(सं.) [सं-स्त्री.] बंधु होने की अवस्था या भाव; मित्रता; दोस्ती; भाईचारा; बंधु-भाव।
बंधुत्व
(सं.) [सं-पु.] बंधुता।
बंधुद्रोही
(सं.) [सं-पु.] अपने भाई या सगे-संबंधी से विश्वासघात करने वाला व्यक्ति।
बंधु-बांधव
[सं-पु.] आत्मीय जन; परिजन; स्वजन संबंधी; भाई-बंधु।
बंधुल
(सं.) [सं-पु.] 1. वेश्या का पुत्र 2. वेश्या का सेवक या टहलू। [वि.] 1. झुका हुआ; वक्र 2. सुंदर; मनोहर।
बंधेज
[सं-पु.] 1. बंधन 2. प्रतिबंध; रोक 3. स्तंभन 4. कुल या समाज की कोई प्रथा 5. उक्त प्रथा के अनुसार वस्तु, धन आदि लेने-देने का बंधन 5. राजस्थान में वस्त्रों की
रँगाई की एक प्रसिद्ध शैली।
बंध्य
(सं.) [वि.] 1. बाँधे जाने के योग्य 2. कैद किए जाने के योग्य 3. बाँझ (स्त्री) 4. अनुपजाऊ; बंजर (भूमि) 5. न फलने वाला (वृक्ष आदि) 6. निर्माण के योग्य।
बंध्यकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँझ कर देना 2. शल्यक्रिया द्वारा पुरुषों के वृषणों को अथवा स्त्रियों के अंडाशयों को निकालकर उन्हें संतानोत्पत्ति के अयोग्य करना 3. नर
पशुओं को उक्त रीति से खस्सी कर देना।
बंध्या
(सं.) [सं-स्त्री.] वह मादा जिसे संतान न होती हो या न हो सकती हो; बाँझ स्त्री।
बंबइया
[वि.] 1. बंबई का; बंबई से संबंधित 2. बंबई का वासी।
बंबा
[सं-पु.] 1. पानी निकालने का उपकरण; पंप; टोंटी; नलकूप 2. पानी बहाने का नल; सोता 3. कोई गोल लंबोतरा पात्र।
बंबू
[सं-पु.] 1. चंडू (अफ़ीम का अवलेह) पीने की बाँस की नली 2. एक प्रकार की लंबी मोटी नली।
बंशलोचन
(सं.) [सं-पु.] सफ़ेद टुकड़ों में प्राप्त किया जाने वाला बाँस का सारभाग जिसका प्रयोग औषधि के रूप में होता है।
बंसल
[सं-पु.] एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम।
बंसी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाँसुरी; मुरली; वंशी 2. विष्णु; कृष्ण आदि के चरणचिह्न 3. मछली फँसाने का काँटा 4. {ला-अ.} कोई ऐसी चीज़ या बात जिससे किसी को फँसाया जाता
है 5. एक तरह का गेहूँ 6. धान के खेतों में उगने वाली एक तरह की घास।
बंसीधर
[सं-पु.] 1. (पुराण) कृष्ण; वासुदेव; कन्हैया 2. वह जो बाँसुरी बजाता या धारण करता है।
बक
(सं.) [सं-पु.] 1. बगुला 2. एक प्राचीन ऋषि 3. कुबेर। [वि.] बगुले की तरह सफ़ेद।
बकचक
[सं-स्त्री.] मध्ययुग का एक प्रकार का हथियार।
बक-झक
[सं-स्त्री.] बक-बक; बकवास; बेकार बात; प्रलाप।
बकना
[क्रि-स.] व्यर्थ बोलना; निरर्थक बातें करते रहना। [क्रि-अ.] 1. बड़बड़ाना 2. बकवास करना।
बक-बक
[सं-पु.] अनर्गल बोलना; बकवास करना; बकने की क्रिया।
बकरना
[क्रि-स.] 1. अपना दोष या अपराध स्वीकारते हुए अपने आप बोलते रहना 2. आप ही आप कुछ कहना; बड़बड़ाना।
बकर-बकर
[क्रि.वि.] निरंतर अर्थहीन बोलते रहना।
बकरा
(सं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध छोटा नर चौपाया जिसके सींग तिकोने होते हैं और पूँछ छोटी होती है; छाग।
बकरी
[सं-स्त्री.] एक मादा चौपाया पालतू जानवर; 'बकरा' का स्त्रीलिंग।
बकरीद
(अ.) [सं-पु.] मुसलमानों का एक त्योहार जिसमें बकरे की बलि दी जाती है; ईद-उल-जुहा।
बकलस
(अ.) [सं-पु.] लोहा, पीतल आदि का विशेष छल्ला जिससे तस्में, फ़ीते आदि बाँधे जाते हैं; बकसुआ।
बकला
(सं.) [सं-पु.] 1. वृक्ष की छाल 2. फल के ऊपर का छिलका।
बकवाद
[सं-पु.] निरर्थक वार्तालाप; व्यर्थ की बातचीत; बेमतलब की बात करना।
बकवादी
[वि.] बहुत अधिक बातें करने वाला; बकवास करने वाला; जो बकबक करता रहता हो; गप्प लगाने वाला।
बकवाना
[क्रि-स.] 1. किसी को बकने के लिए प्रवृत्त करना 2. बकवास कराना 3. किसी से कोई बात कहलवाना 4. कहने को विवश करना।
बकवास
[सं-स्त्री.] 1. बकबक करने की प्रवृति या शौक 2. बकने की क्रिया; बकवाद 3. लगातार कुछ देर कही जाने वाली बेकार बात।
बकसुआ
[सं-पु.] लोहे, पीतल का छल्ला; बकलस।
बकायन
[सं-पु.] नीम की जाति का एक वृक्ष जिसके फल, फूल, पत्तियाँ आदि दवा के काम आते हैं; महानिंब।
बकाया
(अ.) [सं-पु.] 1. शेष वस्तु, बात या काम 2. बाकी पड़ी हुई रकम 3. वह धन जिसका भुगतान अभी बाकी हो। [वि.] 1. बचा हुआ; अवशिष्ट 2. बाकी; शेष।
बकावली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बगुला नामक पक्षियों की पंक्ति; बगुलों का झुंड 2. एक सफ़ेद, सुगंधित पुष्प जो औषधि बनाने के काम आता है।
बकासुर
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक दैत्य जो कृष्ण के द्वारा मारा गया था।
बकुचा
[सं-पु.] 1. गठरी; बकचा 2. गुच्छा 3. ढेर 4. जुड़ा हुआ हाथ 5. संदूक; बक्सा।
बकुल
(सं.) [सं-पु.] 1. मौलसिरी का पेड़ 2. उक्त पेड़ का फूल 3. महादेव; शिव। [वि.] वक्र; टेढ़ा।
बकेट
(इं.) [सं-स्त्री.] बालटी; डोल।
बकेल
[सं-स्त्री.] रस्सी बनाने के काम आने वाली पलाश की जड़।
बकोट
[सं-स्त्री.] 1. बकोटने की क्रिया या भाव 2. बकोटने के फलस्वरूप पड़ा हुआ चिह्न 3. बकोटने के लिए बनाई हुई उँगलियों और हथेली की मुद्रा 4. किसी पदार्थ की उतनी
मात्रा जितनी उक्त मुद्रा में समाती हो; चंगुल।
बकोटना
[क्रि-स.] 1. पंजे या नाख़ूनों से शरीर की त्वचा या मांस नोचना 2. {ला-अ.} किसी से कोई चीज़ छीनना या वसूल करना।
बकौल
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. कथनानुसार 2. किसी विशेष व्यक्ति द्वारा की गई टिप्पणी।
बक्कम
[सं-पु.] एक प्रकार का छोटा और कँटीला वृक्ष, जो प्रमुखता से मद्रास, मध्यप्रदेश तथा बर्मा में पाया जाता है; पतंग।
बक्कल
[सं-पु.] 1. पेड़ की छाल 2. फल का छिलका।
बक्का
[सं-पु.] धान की फ़सल में लगने वाला एक कीड़ा। [वि.] व्यर्थ या बेकार बोलने वाला; बकवादी।
बक्खर
[सं-पु.] 1. कई तरह के पौधों की पत्तियों, जड़ों आदि को कूटकर तैयार किया गया ख़मीर 2. चौपाया बाँधने का बाड़ा; खेत 3. जोतने का उपकरण; बक्खल।
बक्तर
(फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू में बक्तर रूप प्रचलित है, पर हिंदी में बख़तर रूप प्रचलन में है।
बक्सा
(इं.) [सं-पु.] 1. संदूक 2. डिब्बा।
बख़तर
(फ़ा.) [सं-पु.] वह कवच या अँगरखा जो मध्यकाल में युद्ध के समय पहना जाता था; सन्नाह; लोहे की मोटी जाली का बना हुआ कवच।
बख़तरबंद
(फ़ा.) [वि.] जिसमें कवच लगा हुआ हो, जैसे- बख़तरबंद गाड़ी।
बखर
[सं-पु.] खेत जोतने का उपकरण; एक प्रकार का हल।
बखरा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भाग; हिस्सा; टुकड़ा 2. हिस्सेदारों को मिलने वाला अपना-अपना हिस्सा।
बखरी
[सं-स्त्री.] 1. विशेष घर जो मिट्टी, ईंटों आदि का बना हुआ हो 2. गाँव में स्थित वह मकान जो साधारण घरों की अपेक्षा बड़ा तथा बढ़िया हो।
बखान
[सं-पु.] 1. बखानने की क्रिया या भाव 2. बड़ाई; प्रशंसा; तारीफ़; गुणगान; गुणकथन 3. विस्तारपूर्वक किया जाने वाला वर्णन; व्याख्या।
बखानना
[क्रि-स.] 1. विस्तारपूर्वक वर्णन करना या चर्चा करना 2. सराहना; तारीफ़ करना।
बखार
(सं.) [सं-पु.] वह गोल घेरा या बड़ा पात्र जिसमें किसान अनाज रखते हैं; बंडा।
बख़िया
(फ़ा.) [सं-पु.] दोहरे टाँके वाली सिलाई; एक प्रकार की महीन और मज़बूत सिलाई। [मु.] -उधेड़ना : रहस्य उजागर करना; भंडा-फोड़ करना।
बखियाना
[क्रि-स.] बखिया (सिलाई) करना।
बखीर
[सं-स्त्री.] ईख या गन्ने के रस में पकाया गया चावल; रसखीर; मीठी खीर।
बख़ुशी
(फ़ा.) [अव्य.] ख़ुशी के साथ; प्रसन्नतापूर्वक।
बख़ूबी
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. ख़ूबी के साथ 2. अच्छी तरह; भली प्रकार 3. उचित रूप में; पूर्ण रूप से।
बखेड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. झगड़ा; टंटा; झंझट; झमेला 2. कठिनाई; परेशानी 3. व्यर्थ का विस्तार 4. किसी चीज़ के इस प्रकार बिखरे हुए होने की स्थिति कि उसे इकट्ठा करने तथा
सँवारने में अधिक परिश्रम तथा समय अपेक्षित हो 5. कोई सांसारिक क्रिया-कलाप।
बखेड़िया
[वि.] बखेड़ा करने वाला; बहुत अधिक झगड़ालू।
बखेरी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का छोटा कँटीला वृक्ष; कुंती।
बख़ैरियत
(फ़ा.) [क्रि.वि.] ख़ैरियत से; राज़ी-ख़ुशी; अच्छी तरह से।
बख़्त
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भाग्य; सौभाग्य; किस्मत; तकदीर; नसीब 2. समय; वक्त।
बख़्तर
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. बख़तर।
बख़्तावर
(फ़ा.) [वि.] 1. सौभाग्यशाली; ऊँची किस्मत वाला 2. संपन्न; अमीर; धनवान।
बख़्तियार
(फ़ा.) [वि.] भाग्यवान; सौभाग्यशाली; किस्मतवाला।
बख़्श
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. हिस्सा 2. नामों के अंत में लगने वाला शब्द, जैसे- करीमबख़्श आदि। [वि.] बख़्शने और क्षमा करने वाला।
बख़्शना
(फ़ा.) [क्रि-स.] 1. क्षमा करना; माफ़ी देना; दयापूर्वक छोड़ देना 2. प्रदान करना 3. दान करना।
बख़्शवाना
[क्रि-स.] 1. किसी को कुछ देने के लिए प्रेरित करना या उकसाना 2. किसी अपराधी की सज़ा माफ़ कराना 3. कर्ज़ आदि माफ़ कराना; छुड़वाना।
बख़्शी
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गाँवों, कस्बों आदि में कर वसूल करने वाला अधिकारी 2. मध्ययुग में तनख़्वाह बाँटने वाला कर्मचारी 3. कोषाध्यक्ष; खजांची; मवेशीख़ाने का मुंशी 4.
दानशील।
बख़्शीश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. उपहार स्वरूप मिला हुआ धन; दान 2. सेवकों के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार; इनाम; पारितोषिक।
बग
(इं.) [सं-पु.] 1. कीट; कीड़ा 2. कंप्यूटर में ऐसा वायरस प्रोग्राम जो किसी फ़ाइल को ख़राब कर देता हो।
बगदना
[क्रि-अ.] 1. ख़राब होना 2. बिगड़ना; गुस्से में बिना सोचे-समझे कुछ कह देना 3. भूलना; भ्रम में पड़ना 4. रास्ता भूलकर कहीं और चले जाना; भटकना 5. गिर पड़ना;
लुढ़क जाना।
बगदाद
(फ़ा.) [सं-पु.] इराक का एक प्रसिद्ध पुराना नगर।
बगदाना
[क्रि-स.] 1. बरबाद करना; नष्ट करना 2. भ्रम में डालना; भ्रमित करना।
बगरना
(सं.) [क्रि-अ.] बिखरना; चारों ओर फैलना; छितरना।
बगराना
[क्रि-स.] बिखेरना; फैलाना; छितराना। [क्रि-अ.] फैलना; बिखरना।
बगल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पास; निकट 2. बाहु-मूल के नीचे का गड्ढा; समीपवर्ती स्थान 3. कपड़े का वह टुकड़ा जो अँगरखे, कुरते आदि में कंधे के नीचे लगाया जाता है।
बगलियाना
[क्रि-स.] 1. बगल में करना या लाना; अलग करना; हटाना 2. बगल में दबाना। [क्रि-अ.] 1. अलग हटकर जाना 2. बातचीत न करते हुए बगल से होकर निकल जाना ; कतराकर चले
जाना।
बगली
[सं-स्त्री.] 1. ऊँटों का एक दोष जिसमें चलते समय उनकी जाँघ की रग पेट में लगती है 2. अँगरखे, कुरते आदि में कंधे के नीचे लगाया जाने वाला टुकड़ा 3. बगल में रखने
का तकिया 4. एक प्रकार की थैली जिसमें दरज़ी सुई, धागा रखते हैं; तिलेदानी 5. मुगदर चलाने का एक तरीका।
बगार
[सं-पु.] 1. प्रसार; फैलाव 2. गायों को बाँधने की जगह; गोशाला।
बगावत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बाग़ी होना; किसी के खिलाफ़ खड़ा होना; विद्रोह 2. राज-विद्रोह 3. विप्लव 4. बदअमली; अराजकता।
बगावती
(अ.) [वि.] 1. बगावत या विद्रोह करने वाला 2. राजद्रोह करने वाला 3. बगावत संबंधी।
बगिया
[सं-स्त्री.] छोटा बाग; बगीचा; फुलवारी; पुष्पवाटिका।
बगीचा
(फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ बहुत सारे फूल-फल आदि के पेड़ लगे हों; बाग; फुलवारी।
बगीची
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] छोटा बाग; बगिया।
बगुला
(सं.) [सं-पु.] बक; बगला; नदी, जलाशयों आदि में पाया जाने वाला एक स्लेटी या सफ़ेद रंग का पक्षी, जिसकी टाँगें, चोंच और गरदन लंबी होती है।
बगुला भगत
[सं-पु.] वह जो देखने में बहुत धार्मिक तथा सीधा-सादा जान पड़ता हो किंतु उसके मन में कपट हो; धूर्त।
बगूला
[सं-पु.] एक ही स्थान पर चक्कर काटने वाली तेज़ हवा या आँधी; बवंडर।
बगेड़ी
[सं-स्त्री.] 1. बगेरी; भरुही; बगौधा 2. एक छोटी चिड़िया जिसकी पीठ भूरे रंग की होती है।
बगैर
(अ.) [क्रि.वि.] 1. बिना; रहित; सिवा 2. न होने की अवस्था में 2. अलग करते हुए; छोड़कर।
बग्घी
(अ.) [सं-स्त्री.] चार पहियों की एक प्रकार की गाड़ी; घोड़ागाड़ी।
बघनखा
[सं-पु.] मध्यकाल में प्रयोग होने वाला तथा उँगलियों में पहनने का बाघ के नाख़ूनों जैसा एक हथियार; शेरपंजा।
बघनहाँ
[सं-पु.] बघनखा।
बघार
[सं-पु.] 1. बघारने की क्रिया या भाव 2. छौंक; वह मसाला जो दाल आदि बघारते समय घी में डाला जाता है; तड़का।
बघारना
[क्रि-स.] 1. छौंकना; तड़का देना 2. हाँकना; जमाना; झाड़ना; रौब गालिब करना, जैसे- शेखी बघारना; शान बघारना।
बघेरा
[सं-पु.] लकड़बग्घा; बाघ का बच्चा।
बघेल
[सं-पु.] 1. राजपूतों में एक कुलनाम या सरनेम 2. मध्यप्रदेश का एक क्षेत्र या खंड।
बच
(सं.) [सं-स्त्री.] जलाशयों के किनारे होने वाला एक पर्वतीय पौधा जो औषधि के काम में आता है।
बचकाना
[वि.] 1. बच्चों जैसा; बच्चों के योग्य; बच्चों का-सा 2. विशेषतः नासमझी भरा 3. मूर्खतापूर्ण 4. उच्छृंखलतापूर्ण।
बचत
[सं-स्त्री.] 1. जो शेष रहे; बचने का भाव; बचा हुआ अंश 2. लाभ।
बचत-बैंक
(हिं.+इं.) [सं-पु.] डाकघर का वह खाता जिसमें लोग धन जमा करके ब्याज पाते हैं।
बचती
[सं-स्त्री.] 1. बचत से संबंधित 2. बचा हुआ; शेष 3. देनदारी चुकाने के बाद बचा हुआ धन।
बचना
[क्रि-अ.] 1. शेष रहना 2. मृत्यु से बच जाना 3. दोष, विपत्ति आदि से रक्षित; दूर या अलग रहना 4. काम में आने पर भी कुछ बाकी रहना।
बचपन
[सं-पु.] बाल्यकाल; बच्चा होने का भाव या दशा; लड़कपन।
बचपना
[सं-पु.] 1. बाल्यावस्था; लड़कपन 2. भोलापन 3. मूर्खता; नासमझी; सयाने लोगों के द्वारा किया गया ऐसा काम या व्यवहार जो अविचारपूर्ण हो।
बचाखुचा
[वि.] बाकी; शेष मात्र; बचा हुआ।
बचाना
[क्रि-स.] 1. उपयोग आदि के बाद भी कुछ बाकी रखना 2. ख़र्च न होने देना 3. पता न लगने देना; छिपाना 4. सुरक्षित और अप्रभावित रखना; कष्ट, विपत्ति आदि से रक्षा
करना 5. किसी कार्य आदि से दूर रखना।
बचाव
[सं-पु.] 1. बचने या बचाने की क्रिया या भाव 2. कष्ट, संकट आदि से बचने के लिए किया जाने वाला उपाय या प्रयत्न; रक्षा; आत्मरक्षा; बचाव।
बचाव कर्मी
[सं-पु.] 1. बाढ़, महामारी, दंगा, दुर्घटना आदि के संकट के समय बचाव कार्य करने वाला व्यक्ति 2. राहत कार्य में लगे सुरक्षाकर्मी या स्वयंसेवी संगठनों के
कार्यकर्ता।
बचाव पक्ष
[सं-पु.] अभियोग या मुकदमें में किसी के द्वारा लगाए गए अरोपों से स्वयं को बचाने वाला पक्ष; सफ़ाई पक्ष।
बच्चा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शिशु; बालक; लड़का 2. नवजात शिशु 3. वत्स; पुत्र; बेटा; संतान 4. किसी जीव-जंतु या पशु का बच्चा 5. अपरिपक्व बुद्धिवाला; नादान। [वि.] 1. कम
उम्र का 2. अनुभवहीन 3. नादान; नासमझ।
बच्चादानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बच्चेदानी; गर्भाशय।
बच्ची
[सं-स्त्री.] 'बच्चा' का स्त्रीलिंग रूप।
बच्चेदानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] मादा जाति के शरीर का वह आंतरिक अंग जिसमें गर्भ या बच्चे का विकास होता है; गर्भाशय; (यूट्रस)।
बछड़ा
(सं.) [सं-पु.] गाय का नर बच्चा।
बछड़ी
[सं-स्त्री.] गाय का मादा बच्चा।
बछिया
[सं-स्त्री.] गाय का मादा बच्चा।
बछेड़ा
(सं.) [सं-पु.] घोड़े का नर बच्चा।
बछेड़ी
[सं-स्त्री.] घोड़े का मादा बच्चा।
बजका
[सं-पु.] आलू, लौकी आदि के पतले, चिपटे कटे हुए टुकड़े पर बेसन लपेट कर घी या तेल में तल कर निर्मित व्यंजन।
बजट
(इं.) [सं-पु.] 1. आय-व्यय का लेखा 2. आय-व्यय पत्रक 3. मासिक या वार्षिक आय-व्यय का लेखा-जोखा।
बजट सत्र
(इं.+सं.) [सं-पु.] सदन या संसद में बजट की पेशी, बहस और उसे पारित कराने का सत्र।
बजटीय
[वि.] बजट से संबंधित।
बजना
[क्रि-अ.] 1. किसी भी यंत्र अथवा साधन द्वारा ध्वनि उत्पन्न होना 2. किसी वस्तु पर आघात से ध्वनि उत्पन्न होना 3. बाँसुरी, बाजे से आवाज़ निकलना।
बजबजाना
[क्रि-अ.] सड़ने आदि के कारण बुलबुले उठना; उमस, गरमी आदि के कारण किसी जलीय या तरल पदार्थ के सड़ने पर उसमें से बुलबुले निकलना।
बजर
(सं.) [वि.] 1. अत्यंत मज़बूत 2. वज्र के समान कठोर 3. पक्का; दृढ़।
बजरंग
(सं.) [सं-पु.] पवनसुत; अंजनिपुत्र; हनुमान। [वि.] 1. वज्र या पत्थर के समान कठोर अंगों वाला 2. बहुत शक्तिशाली।
बजरंगबली
[सं-पु.] महावीर हनुमान।
बजरबट्टू
[सं-पु.] 1. बच्चों को नज़र से बचाने के लिए माला या ताबीज़ के रूप में पहनाया जाने वाला एक प्रकार के वृक्ष का काले रंग का बीज 2. अपशुकन रोकने वाली चीज़ 3. एक
प्रकार का खिलौना। [वि.] मूर्ख; बुद्धिहीन।
बजरा
(सं.) [सं-पु.] बड़ी नाव जो कमरे के समान खिड़कियों तथा पक्की छत वाली होती है।
बजरी
(सं.) [सं-स्त्री.] पत्थर को तोड़कर बनाए जाने वाले वे छोटे-छोटे टुकड़े जो फ़र्श, सड़क आदि बनाने के काम आते हैं।
बजवाई
[सं-स्त्री.] 1. बाजा बजवाने का कार्य या भाव 2. वह मज़दूरी जो किसी से बाजा बजवाने के बदले में दी जाती है।
बजवाना
[क्रि-स.] किसी को कुछ बजाने में प्रवृत्त करना या बजाने का काम किसी दूसरे से करवाना।
बजा
(फ़ा.) [वि.] 1. उचित; उपयुक्त; वाज़िब 2. सही; ठीक 3. अवसरानुकूल 4. घड़ी का समय 5. प्रासंगिक; स्वीकार्य 6. शुद्ध; दुरुस्त।
बज़ाज़
(अ.) [सं-पु.] कपड़ा बेचने वाला व्यक्ति; वस्त्र व्यापारी या व्यवसायी; वस्त्र-वणिक; बज़्ज़ाज़।
बज़ाज़ी
[सं-स्त्री.] 1. बजाज का काम-धंधा या व्यापार; कपड़े बेचने का व्यवसाय 2. बेचा जाने वाला कपड़ा।
बजाना
[क्रि-स.] 1. किसी चीज़ पर आघात करके ध्वनि उत्पन्न करना 2. बाजे से ध्वनि निकालना 3. मारना; चलाना (तलवार, सोंटे) 4. मारना-पीटना, जैसे- जूते बजाना 5. उछालकर,
पटककर किसी चीज़ को जाँचना; परखना (पैसा आदि)।
बजाय
(फ़ा.) [अव्य.] जगह या स्थान पर; बदले में।
बज्जर
[सं-पु.] वज्र; पत्थर। [वि.] 1. बहुत कठोर या कड़ा 2. पक्का; ठोस।
बज़्म
(अ.) [सं-स्त्री.] सभा; गोष्ठी।
बझना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. फँसना 2. बँधना 3. हठ करना; झगड़ना।
बट
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ का पेड़; वट 2. सिल पर मसाला, चटनी आदि पीसने का बट्टा 3. मार्ग; रास्ता; बाट 4. किसी वस्तु का गोला 5. वस्तुओं को तौलने का बाट 6. बड़ा नाम
का पकवान। [सं-स्त्री.] रस्सी की ऐंठन या बटन।
बटखरा
(सं.) [सं-पु.] तौलने के लिए कुछ निश्चित मान या तौल का पत्थर आदि का टुकड़ा; बाट।
बटन1
[सं-पु.] 1. रस्सी आदि बटने या ऐंठने की क्रिया 2. बटने के कारण रस्सी में पड़ी हुई ऐंठन; रस्सी या मोटे धागे में पड़े हुए बल।
बटन2
(इं.) [सं-पु.] 1. सिले हुए वस्त्रों में लगाई जाने वाली गोल, चपटी घुंडी 2. किसी वाद्य को बजाने की कुंजी 3. बिजली के उपकरणों को चलाने का स्विच; (स्टार्टर) 4.
कली; घुंडी।
बटना
[सं-पु.] 1. रस्सी आदि बटने का कोई उपकरण या यंत्र 2. उबटन। [क्रि-स.] 1. सूत, रेशम आदि के अनेक धागों को ऐंठना; बटाई करना 2. सिल पर बट्टे से पीसना।
बटमार
[सं-पु.] 1. रास्ते में राहगीरों या यात्रियों को लूटने वाला व्यक्ति या गिरोह; ठग; दस्यु 2. छापामार; कज़्ज़ाक।
बटमारी
[सं-स्त्री.] 1. बटमार का काम या पेशा; लूटमार या ठगी करने का काम 2. चोरी; छल; हथकंडा।
बटर
(इं.) [सं-पु.] 1. मक्खन; माखन 2. {ला-अ.} चिकनी-चुपड़ी बात; ख़ुशामद; चापलूसी।
बटलोई
[सं-स्त्री.] पतीली; चावल आदि पकाने का पात्र; देगची; छोटा बटला।
बटवाना
[क्रि-स.] 1. बाटने या पीसने का काम किसी अन्य से कराना 2. बँटवाना।
बटा
[सं-पु.] 1. (गणित) वह पड़ी पाई जो भिन्न का स्वरूप सूचित करने के लिए अंश या हर के बीच में लगाई जाती है, जैसे- 3/4 में 3 और 4 के बीच में; भिन्नांक; बटा
चिह्न, जैसे- ⅔ 2. 'अथवा' के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला चिह्न।
बटाई
[सं-स्त्री.] 1. तंतुओं, धागों आदि को बटने या ऐंठन डालने की क्रिया या भाव 2. बाँटने की क्रिया 3. बाँट; विभाजन 4. भूमि बंदोबस्त की एक प्रकार की प्रथा; भावली।
बटाना
[क्रि-स.] 1. बाँटने का काम दूसरे से कराना 2. बँटने या ऐंठने का काम कराना।
बटालियन
(इं.) [सं-स्त्री.] थल सेना में सैनिकों की बड़ी टुकड़ी; कई कंपनियों वाला पैदल सेना का एक विभाग।
बटिया
[सं-स्त्री.] 1. छोटा गोला या चिकना पत्थर, जैसे- शालिग्राम 2. सिल पर कुछ पीसने का छोटा बाट या बट्टा; लोढ़िया।
बटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गोला; छोटी गोली; वटी 2. एक पकवान; पीठी से बनाई गई बड़ी।
बटुआ
(सं.) [सं-पु.] 1. पैसे रखने की छोटी थैली 2. चमड़े आदि से बनी कई खानों वाली एक प्रकार की छोटी थैली।
बटुली
[सं-पु.] चावल आदि पकाने का बड़े मुँह का छोटा पात्र।
बटेर
(सं.) [सं-स्त्री.] तीतर की तरह की एक छोटी चिड़िया, जो अकसर लड़ाने के शौक के लिए पाली जाती है।
बटोरना
[क्रि-स.] 1. इकट्ठा करना; समेटना; सहेजना 2. बिखरी हुई चीज़ों को एकत्रित या जमा करना 3. चुनना 4. सँजोना 5. जोड़ना या जमा करना, जैसे- रुपया-पैसा बटोरना।
बटोही
[सं-पु.] राहगीर; पथिक; मुसाफ़िर।
बट्टा
(सं.) [सं-पु.] 1. कूटने या पीसने का पत्थर; लोढ़ा; बटना 2. पत्थर का टुकड़ा; ढेला 3. वह रकम जो किसी दोषयुक्त वस्तु के मूल्य में काट ली जाए 4. दलाली; दस्तूरी 5.
घाटा; नुकसान; कमी 6. किसी वस्तु की कीमत में दी जाने वाली छूट; (डिस्काउंट) 7. कलंक; दाग। [मु.] बट्टे पर लेना : कमीशन काटकर लेना। -लगना : कलंक लगना।
बट्टा खाता
[सं-स्त्री.] 1. वसूल न होने वाली या डूबी हुई रकमों का लेखा या मद 2. हानि या घाटे का खाता 3. न वसूल होने वाले कर्ज़ का खाता।
बठिया
[सं-स्त्री.] 1. उपलों को एकत्र करके बनाया जाने वाला गया एक ढेर 2. गोबर के पाथे हुए कंडों का ढेर।
बड़
[पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के आरंभ में जुड़कर 'बड़ा' अर्थ देता है, जैसे- बड़बोला; बड़भाग। [सं-स्त्री.] बकवास; बेकार की बातें। [सं-पु.] बरगद; वट
वृक्ष।
बड़का
[सं-पु.] 1. बड़ा पुत्र या भाई 2. बड़ा 3. ज्येष्ठ [वि.] उम्र में बड़ा।
बड़प्पन
[सं-पु.] श्रेष्ठ होने का गुण या भाव; श्रेष्ठता; महत्व; गौरव।
बड़-बड़
[सं-स्त्री.] 1. बड़बड़ाना या बड़बड़ का शब्द करने की क्रिया 2. शेखी; डींग 3. मुँह से निकलने वाले अस्पष्ट शब्द 4. व्यर्थ की बातचीत; बक-बक; प्रलाप; बकवाद 5.
क्रोध की स्थिति में धीमे स्वर में बोले गए शब्द।
बड़बड़ाना
[क्रि-अ.] 1. धीरे-धीरे और अस्पष्ट बोलना 2. बक-बक करना 3. क्रोध की स्थिति में मंद स्वर में बोलना; कुड़बुड़ाना 4. नींद में बोलने की क्रिया।
बड़बड़िया
[वि.] जो धीरे-धीरे और अस्पष्ट बोलता है; बड़बड़ाने वाला।
बड़बोला
[वि.] जो ख़ूब बढ़ा-चढ़ाकर बातें करता हो; बड़े बोल बोलने वाला; डींगबाज़; शेखी बघारने वाला।
बड़बोलापन
[सं-पु.] बढ़ा-चढ़ाकर बातें करने की क्रिया; शेखी; बड़प्पन।
बड़भागी
[वि.] भाग्यशाली; ख़ुशनसीब।
बड़वानल
(सं.) [सं-स्त्री.] समुद्र के अंदर की प्रबल आग; बड़वाग्नि।
बड़हल
[सं-पु.] 1. पहाड़ की तराई में होने वाला एक वृक्ष 2. उक्त वृक्ष पर लगने वाला खट्टा-मीठा फल जिसका अचार भी बनाया जाता है।
बड़ा
[सं-पु.] 1. बुज़ुर्ग 2. बड़ा आदमी 3. अधिक महत्व वाला व्यक्ति 4. गुरुजन 5. उड़द दाल की पीठी की गोल टिकिया जो तलकर खाई जाती है 6. उत्तर भारत में होने वाली एक
तरह की घास। [वि.] 1. अधिक डील-डौल वाला 2. लंबा-चौड़ा 3. अधिक उम्र वाला; ज्येष्ठ 4. जो पद, प्रतिष्ठा, अधिकार आदि में अधिक हो 5. जो किशोरावस्था से युवावस्था
प्राप्त कर चुका हो 6. अधिक महत्व वाला; महान 7. अधिक विस्तार या परिमाण वाला 8. ऊँचा; विशाल। [क्रि.वि.] बहुत; अधिक; ज़्यादा।
बड़ा आदमी
[सं-पु.] 1. धनवान और समृद्ध व्यक्ति 2. महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध व्यक्ति।
बड़ाई
[सं-स्त्री.] 1. बड़े होने की अवस्था या भाव 2. बड़प्पन; बड़ापन 3. प्रशंसा; तारीफ़; सराहना 4. किसी काम या बात में विशेष योग्यता या श्रेष्ठता 5. महत्ता; महिमा।
बड़ा काम
[सं-पु.] 1. कोई महत्वपूर्ण कार्य 2. जोखिम भरा कठिन काम 3. कारनामा।
बड़ा खेल
[सं-पु.] बड़े लाभ या मुनाफ़े की संभावना वाला कोई कार्य या व्यापार।
बड़ा दिन
[सं-पु.] ईसामसीह के जन्मदिन के रूप में पच्चीस दिसंबर को मनाया जाने वाला ईसाइयों का एक प्रसिद्ध त्योहार; क्रिसमस।
बड़ा परदा
[सं-पु.] 1. फ़िल्म प्रदर्शित करने या देखने के लिए प्रयोग होने वाला सिनेमाघर का बहुत बड़ा सफ़ेद कपड़ा या परदा 2. सिनेमा के लिए प्रयुक्त शब्द।
बड़ा बूढ़ा
[सं-पु.] 1. अवस्था और गुण आदि के विचार से कोई श्रेष्ठ व्यक्ति 2. बुज़ुर्ग; वृद्ध 3. गुरुजन 4. परिवार में कोई पूर्वज।
बड़ा बोल
[सं-पु.] बढ़-चढ़कर कही गई बात; गर्वोक्ति; डींग।
बड़ा मुँह
[सं-पु.] वह व्यक्ति जो बड़ी-बड़ी बातें करता हो।
बड़ी
[सं-स्त्री.] 1. भिगोई हुई, उड़द या मूँग की दाल को पीसकर उसमें नमक-मसाला आदि मिलाकर बनाई गई तथा सुखाई हुई छोटी टिकिया या पकौड़ी 2. सोयाबीन पीसकर बनाई हुई
बड़ियाँ।
बड़ी इलायची
[सं-स्त्री.] बड़ी और काले रंग के छिलके वाली इलायची जो मसालों में प्रयोग की जाती है।
बड़ी बी
[सं-स्त्री.] किसी बुज़ुर्ग या वृद्धा के लिए प्रयोग किया जाने वाला संबोधन।
बड़ी मछली
[सं-स्त्री.] कोई महत्वपूर्ण या बहुत धनवान व्यक्ति जो अवैध तरीकों या भ्रष्टाचार से रुपया इकट्ठा करता है।
बढ़ई
(सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी को छीलकर या गढ़कर दरवाज़े, मेज़, पलंग आदि बनाने वाला कारीगर; (कारपेंटर) 2. लकड़ी का काम करने वाली एक हिंदू जाति 3. रहस्य संप्रदाय में
गुरु जो शिष्य कुंदे को गढ़-छीलकर सुंदर मूर्ति का रूप देता है।
बढ़ईगीरी
[सं-पु.] बढ़ई का काम।
बढ़कर
[क्रि.वि.] 1. तुलना में बेहतर या अधिक 2. विकसित 3. उत्तम; श्रेष्ठ।
बढ़त
[सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य या उपलब्धि में अपने प्रतिद्वंद्वी से आगे बढ़ जाने की स्थिति 2. चुनाव आदि में एक दल के प्रत्याशी का दूसरे दल के प्रत्याशी से मतों
की संख्या में आगे बढ़ जाना; (लीड)।
बढ़ती
[सं-स्त्री.] 1. गिनती या तौल में होने वाली अधिकता; बढ़ने का भाव 2. वृद्धि; अधिकता; प्रसार; बढ़ोतरी 3. उन्नति; पदोन्नति 4. मूल्यवृद्धि 5. सौभाग्य; समृद्धि;
धन-धान्य और परिवार की वृद्धि 6. उपभोग और व्यय के बाद कुछ बचे रहने की अवस्था।
बढ़न
[सं-स्त्री.] 1. बढ़ने की अवस्था या भाव 2. वृद्धि; बढ़त 3. गिनती, तौल, नाप आदि में नियत से अधिक बढ़ा हुआ हिस्सा या अंश।
बढ़ना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. आकार, मान, क्षेत्र आदि में पहले से अधिक होना 2. परिमाण, तौल, संख्या आदि में वृद्धि होना 3. पद, धन, सम्मान आदि में ऊपर होना 4. किसी स्थान
से आगे जाना 5. बुझना (दीपक) 6. बंद होना (दुकान आदि) 7. लाभ होना 8. खेल, प्रतियोगिता आदि में किसी से आगे होना।
बढ़नी
[सं-स्त्री.] 1. अग्रिम; पेशगी; (एडवांस) 2. झाड़ू।
बढ़वार
[सं-स्त्री.] 1. विकास; वृद्धि 2. बढ़ती।
बढ़ा-चढ़ा
[वि.] 1. उन्नत; विकसित 2. बेहतर; उत्तम 3. अतिशयोक्तिपूर्ण।
बढ़ाना
[क्रि-स.] 1. आकार, मान या परिमाण में अधिक करना; वृद्धि करना 2. किसी को बढ़ने में प्रवृत्त करना 3. उन्नति या तरक्की करना 4. महँगा या ऊँचा करना (दाम) 5.
बुझाना (दीपक) 6. बंद करना (दुकान आदि) 7. ऊपर उठाना; ऊँचा करना 8. आगे निकल जाना।
बढ़ाव
[सं-पु.] 1. बढ़ने की क्रिया या भाव 2. दाम या मूल्य में बढ़त; वृद्धि 3. विस्तार; फैलाव।
बढ़ावा
[सं-पु.] 1. प्रोत्साहन 2. उत्तेजना 3. कुछ करने के लिए हिम्मत बढ़ाने वाली बात।
बढ़िया
[सं-पु.] 1. गन्ने, अनाज आदि की फ़सल का एक रोग जिससे कनखे नहीं निकलते और बढ़ाव बंद हो जाता है 2. प्रायः डेढ़ सेर की एक पुरानी तौल 3. एक प्रकार का कोल्हू। [वि.]
1. उत्तम; अच्छा; उमदा 2. अच्छी किस्म का 3. जो गुण, रचना, रूप-रंग, सामग्री आदि की दृष्टि से उच्च कोटि का हो। [क्रि.वि.] अच्छी तरह या अच्छे तरीके से।
बढ़ेल
[सं-स्त्री.] हिमालय पर पाई जाने वाली एक प्रकार की ऊन वाली भेड़।
बढ़ेला
(सं.) [सं-पु.] जंगली सुअर; वराह।
बढ़ोतरी
[सं-स्त्री.] 1. निरंतर बढ़ने या विकसित होने की क्रिया 2. उत्तरोत्तर होने वाली वृद्धि 3. अभिवृद्धि; इज़ाफ़ा 4. उन्नति; तरक्की; बढ़ती; बाढ़ 5. वार्धक्य; बढ़त
6. विकास; संवृद्धि 7. प्रचुरता; आधिक्य 8. क्षेपक; बढ़ा हुआ अंश 9. व्यापार में होने वाला मुनाफ़ा।
बढ़ौती
[सं-स्त्री.] 1. बढ़ती; वृद्धि 2. बढ़ता हुआ अंश 3. उन्नति; तरक्की 4. किसी चीज़ से होने वाला लाभ।
बणिक
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यापारी; रोज़गारी 2. व्यवसाय करने वाला व्यक्ति; व्यवसायी 3. सौदागर।
बतंगड़
[सं-पु.] 1. किसी छोटी-सी बात का व्यर्थ में विस्तार 2. बेवज़ह की चर्चा।
बतकही
[सं-स्त्री.] 1. बातचीत; वार्तालाप 2. साधारणतः केवल मन बहलाने के लिए की जाने वाली इधर-उधर की बातचीत 3. वाद-विवाद।
बतख
(अ.) [सं-स्त्री.] हंस की जाति का एक जलपक्षी; ऐसा जलपक्षी जो अधिक ऊँचा नहीं उड़ सकता।
बतछुट
[वि.] 1. बात बनाने वाला 2. बिना सोचे-समझे अच्छी-बुरी सब तरह की बातें कह डालने वाला।
बतबढ़ाव
[सं-पु.] साधारण या व्यर्थ की बात पर होने वाला झगड़ा; विवाद।
बतरस
[सं-पु.] बातचीत का आनंद; वाग्विलास; बतरसियापन।
बतलाना
[क्रि-स.] बताना। [क्रि-अ.] बातचीत करना।
बताना
[क्रि-स.] 1. बात करना 2. परिचय कराना 3. कहना; उत्तर देना 4. समझाना 5. ज्ञान कराना 6. सूचित करना; निर्देश या संकेत देना 7. दिखाना; दिखलाना 8. नृत्य और गायन
में अंगों की चेष्टा से भाव प्रकट करना 9. आवाज़ देना 10. ख़बर लेना।
बतासा
[सं-पु.] 1. चीनी की चाशनी से बनाई जाने वाली एक तरह की छोटी गोल मिठाई; बताशा; गोलगप्पा; पानीपूड़ी 2. पानी का बुलबुला 3. एक तरह की छोटी आतिशबाज़ी।
बतियाना
[क्रि-अ.] 1. बातें करना 2. बातचीत में मशगूल होना।
बतोला
[सं-पु.] 1. व्यर्थ की बातचीत 2. धोखा देने के लिए की जाने वाली बात; झाँसा; भुलावा 3. टालमटोल या हीला-हवाला करने की बातचीत।
बतौर
(अ.) [क्रि.वि.] 1. तरह पर; रीति से 2. सदृश; समान।
बत्ती
[सं-स्त्री.] 1. रुई या कपड़े की पट्टी को बटकर तैयार की गई छोटी पूनी या लच्छा जिसे दीये में रखकर जलाया जाता है; डिबिया में जलाई जाने वाली कपड़े की ऐंठी हुई
पट्टी; फलीता 2. मोमबत्ती; दीया 3. बिजली का बल्ब; चिराग; दीपक 4. रोशनी; प्रकाश 5. सलाई के आकार की वस्तु 6. मवाद सोखने के लिए घाव में भरी जाने वाली रुई की
पट्टी।
बत्तीस
[वि.] संख्या '32' का सूचक।
बत्तीसा
[सं-पु.] 1. बत्तीस दवाओं और मेवों से तैयार किया जाने वाला एक मिश्रण या खाद्य पदार्थ जो प्रसूता को आरोग्य और पुष्टि के लिए खिलाया जाता है 2. वह मिश्रण जो
पशुओं के हाज़मे के लिए दिया जाता है 3. एक प्रकार की आतिशबाज़ी।
बत्तीसी
[सं-स्त्री.] 1. बत्तीस दाँतों का समूह 2. बत्तीस का समूह 3. नीचे-ऊपर की दंत पंक्ति।
बथान
[सं-पु.] 1. वह जगह जहाँ पशुओं को बाँधा जाता है; पशुशाला 2. गौशाला 3. झुंड; गिरोह। [सं-स्त्री.] दर्द; पीड़ा।
बथुआ
(सं.) [सं-पु.] 1. मोटे, चिकने हरे रंग के पत्तों वाला एक प्रकार का पौधा 2. उक्त पौधे के पत्तों से बनने वाला साग।
बद1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जाँघ पर निकली गिलटी 2. बाघी नामक रोग 3. पशुओं का एक संक्रामक रोग जिसमें उनके मुँह से लार बहती है और खुर तथा मुँह में दाने पड़ जाते
हैं।
बद2
(फ़ा.) [वि.] 1. बुरा; ख़राब 2. दुष्ट; दुराचारी 3. खोटा; अशुभ।
बदअमली
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. राज्य की अव्यवस्था; अशांति 2. बुरा शासन या व्यवस्था; कुशासन 3. कुप्रबंध; अराजकता।
बदइंतज़ामी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दोषपूर्ण इंतज़ाम; कुप्रबंध 2. अव्यवस्था; अराजकता।
बदकार
(फ़ा.) [वि.] 1. बुरा करने वाला 2. कुकर्मी; व्यभिचारी; दुश्चरित्र।
बदकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] कुकर्म; व्यभिचार; दुराचार।
बदकिस्मत
(फ़ा.+अ.) [वि.] बुरी किस्मत वाला; अभागा; भाग्यहीन; बदकिस्मती। [सं-स्त्री.] भाग्यहीनता; अभागी।
बदख़्वाह
(फ़ा.) [वि.] 1. जो बुराई चाहता हो; जो शुभचिंतक न हो 2. दुश्मन।
बदगुमान
(फ़ा.) [वि.] 1. दूसरे के बारे में बुरे विचार रखने वाला 2. संदेह करने वाला; संदेहशील 3. जिसके मन में किसी की ओर से संदेह उत्पन्न हुआ हो; शक्की 4. असंतुष्ट।
बदगो
(फ़ा.) [वि.] 1. बुराई करने वाला; बुरी बातें कहने वाला 2. निंदक; चुगलख़ोर।
बदगोई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. निंदा; बुराई; किसी के संबंध में बुरी बात कहना 2. बदनामी 3. चुगलख़ोरी 4. गाली-गलौज।
बदचलन
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसका चाल-चलन अच्छा न हो; चरित्रहीन 2. दुश्चरित्र।
बदचलनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बदचलन होने की अवस्था या भाव 2. बुरा चाल-चलन; कुमार्गगामिता 3. व्यभिचार 4. दुश्चरित्रता।
बदज़बान
(फ़ा.) [वि.] 1. अनुचित या दूषित बातें करने वाला; जो बुरी ज़बान बोलता हो 2. मुँहफट 3. कटुभाषी; धृष्ट 4. अशब्द बोलने वाला; गाली-गलौज बकने वाला।
बदज़ात
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. नीच; लुच्चा 2. दुष्ट; अधम।
बदतमीज़
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे तमीज़ या सलीका न हो; असंस्कृत; धृष्ट 2. जो शिष्टाचार न जानता हो; अशिष्ट; गँवार; गुस्ताख़ 3. अभद्र; उजड्ड।
बदतर
(फ़ा.) [वि.] 1. बहुत बेकार 2. दयनीय 3. बुरे से बुरा; बहुत बुरा।
बददिमाग
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. दुष्ट विचार वाला 2. बुरे स्वभाव का 3. बदमिज़ाज; घमंडी।
बददुआ
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी दुआ; किसी का बुरा चाहना; अहित चाहने वाला शब्द 2. दुष्कामना; शाप; गाली।
बदन
(अ.) [सं-पु.] देह; शरीर; तन। [मु.] -टूटना : शरीर में ज्वर के कारण पीड़ा होना।
बदनज़र
(फ़ा.) [वि.] अशुभचिंतक; बुरी नज़र वाला। [सं-स्त्री.] कुदृष्टि; बुरी निगाह।
बदनसीब
(फ़ा.+अ.) [वि.] अभागा; ख़राब किस्मतवाला; बदकिस्मत।
बदना
(सं.) [क्रि-स.] 1. खेलना; ललकारना 2. कहना; वर्णन करना; मान लेना 3. ठहरना; पक्का या नियत करना (कुश्ती आदि के लिए) 4. शर्त लगाना (खेल या कुश्ती आदि की) 5.
कुछ महत्व का मानना या समझना; गिनना। [मु.] बदा होना : भाग्य में लिखा होना।
बदनाम
(फ़ा.) [वि.] 1. कलंकित 2. कुख्यात 3. लोग जिसकी निंदा करते हों।
बदनामी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. लोकनिंदा; बेइज़्ज़ती 2. अपकीर्ति 3. वह गर्हित या निंदनीय लोकचर्चा जो कोई अनुचित या बुरा काम करने पर समाज में विपरीत धारणा फैलाने के लिए
होती है।
बदनीयती
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. ख़राब नीयत; बुरी नज़र 2. बुरी नीयत होने की अवस्था या भाव 3. लालच; बेईमानी 4. इरादे में खोट।
बदनुमा
(फ़ा.) [वि.] देखने में बुरा लगने वाला; भद्दा; कुरूप; भोंडा।
बदपरहेज़
(फ़ा.) [वि.] जो ठीक तरह से परहेज़ न करता हो; जो खानपान या रहन-सहन में संयम न रखता हो; असंयमी।
बदबख़्त
(फ़ा.) [वि.] कमबख़्त; अभागा; बदनसीब।
बदबू
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दुर्गंध; बुरी गंध।
बदबूदार
(फ़ा.) [वि.] दुर्गंधयुक्त; बुरी बास से भरा हुआ।
बदमज़ा
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें मज़ा या आनंद न आए 2. जिसका स्वाद बुरा हो; फीका; कुस्वाद 3. सारा मज़ा किरकिरा करने वाला।
बदमस्त
(फ़ा.) [वि.] 1. बुरी तरह मस्त होना 2. नशे में चूर होना।
बदमस्ती
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मदहोशी; मतवालापन 2. नशे में चूर होने की अवस्था; मस्ती 3. मत्त होना; कामुकता 4. मस्त होकर किया जाने वाला उपद्रव या हो-हल्ला।
बदमाश
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी जीविका बुरे कामों से चलती हो 2. बुरे और निकृष्ट काम करने वाला 3. कुपथगामी 4. बदचलन 5. गुंडा; लुच्चा।
बदमाशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बदमाश होने की अवस्था या भाव 2. बदचलनी; व्यभिचार 2. दुष्टता; दुष्कर्म; कुकर्म 3. बदमाश द्वारा किया जाने वाला कोई कार्य; लुच्चापन;
गुंडापन।
बदमिज़ाज
(फ़ा.+अ.) [वि.] बुरे स्वभाव या मिज़ाज का; अहंकारी चिड़चिड़ा; तीखे स्वभाव का; दुष्ट; कलहकारी।
बदरंग
(फ़ा.) [वि.] 1. भद्दा; जिसका रंग ख़राब हो चुका हो 2. बुरे रंगवाला 3. ख़राब; खोटा 4. नीरस [सं-पु.] 1. बदरंगी 2. चौसर के खेल में वह गोटी जो रंगी न गई हो।
बदरा
(सं.) [सं-पु.] बादल; मेघ। [सं-स्त्री.] कपास का पौधा।
बदराह
(फ़ा.) [वि.] 1. कुमार्गी; बुरे चालचलनवाला; बुरी राह पर चलने वाला 2. कुचाली; दुष्ट; खोटा।
बदरिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेर का वृक्ष 2. बेर का फल 3. गंगा का उद्गम स्थान 4. गंगा का निकटवर्ती क्षेत्र।
बदरीनाथ
(सं.) [सं-पु.] 1. बद्रिकाश्रम का मंदिर या तीर्थ 2. उक्त आश्रम में प्रतिष्ठित विष्णु की मूर्ति 3. बद्रिका नामक स्थान।
बदल
(अ.) [सं-पु.] 1. परिवर्तित 2. बदलने की क्रिया या भाव 3. बदले में दी हुई वस्तु 4. पलटा; प्रतिकार 5. क्षतिपूर्ति।
बदलगाम
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बोलते समय भले-बुरे का ज्ञान न रखने वाला; मुँहफट; धृष्ट 2. वह जो लगाम का संकेत या ज़ोर न मानता हो (घोड़ा आदि); सरकश 3. मुँहज़ोर।
बदलना
[क्रि-अ.] 1. एक से दूसरी स्थिति में आना या होना 2. परिवर्तन या रूपांतरण होना 3. भिन्न होना 4. अपनी कही हुई बात से हटना; मुकरना 5. तबादला होना 6. गुण, रूप,
रंग, विचार आदि में पहले से बहुत अलग होना। [क्रि-स.] 1. किसी पदार्थ के गुण या आकार में परिवर्तन एक से दूसरी स्थिति में करना 2. रूप, रंग, स्वभाव आदि में
महत्वपूर्ण परिवर्तन कर देना 3. एक के बदले में दूसरी वस्तु लेना या रखना; विनिमय करना 4. तबादला करना।
बदलवाना
[क्रि-स.] बदलने का काम किसी दूसरे से करवाना।
बदला
(अ.) [सं-पु.] 1. प्रतिदान; विनिमय 2. प्रतिशोध 3. बदलने की क्रिया, भाव या व्यापार 4. किसी ने जैसा व्यवहार किया हो, उसके साथ किया जाने वाला वैसा ही व्यवहार;
प्रतिकार; पलटा। [मु.] -लेना : जिसने जैसी हानि पहुँचाई हो उसे वैसी ही हानि पहुँचाना।
बदलाना
[क्रि-स.] बदलवाना। [क्रि-अ.] बदला जाना।
बदलाव
[सं-पु.] 1. परिवर्तन; रूपांतरण 2. अदल-बदल; विनिमय।
बदली
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. तबादला; स्थानांतरण; (ट्रांसफ़र) 2. एक के स्थान पर दूसरे का रखा, भेजा या लगाया जाना 3. छाया हुआ बादल।
बदशक्ल
(फ़ा.) [वि.] भद्दा; कुरूप; बेडौल; भद्दी और बुरी शक्ल-सूरत का।
बदशगुनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बदशगुन होने की अवस्था 2. अपशगुनी व्यक्ति 3. अनिष्टसूचक बात।
बदसलूकी
(फ़ा.) [वि.] 1. बुरा व्यवहार; दुर्व्यवहार 2. अशिष्ट व्यवहार।
बदसूरत
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] बदशक्ल; कुरूप।
बदस्तूर
(फ़ा.) [अव्य.] 1. नियमपूर्वक 2. जिस प्रकार पहले से होता आया हो, उसी प्रकार से 3. जिस रूप में पहले रहा हो, उसी रूप में 4. बिना किसी परिवर्तन या हेर-फेर के;
यथापूर्व; यथावत।
बदहज़मी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपच; अजीर्ण 2. {ला-अ.} कोई चीज़ या बात ठीक तरह से स्वीकार न होने की स्थिति; अस्वीकारता।
बदहवास
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो होश और हवास में न हो 2. उद्विग्न; विकल 3. अचेत; बेहोश।
बदहवासी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. उद्विग्न; व्याकुलता 2. बेहोशी।
बदहाल
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो होश खो दे; जिसका बुरा हाल हो 2. दुर्दशाग्रस्त 3. रोग से पीड़ित और आक्रांत 4. कंगाल।
बदहाली
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] ख़राब हालत; बुरा हाल; दुर्दशा।
बदा
[क्रि.वि.] 1. होनी 2. भाग्य में लिखा हुआ।
बदी1
(सं.) [सं-स्त्री.] कृष्णपक्ष; अँधेरा पाख, जैसे- जेठ बदी दूज।
बदी2
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बुराई; ख़राबी 2. बुरे होने की अवस्था या भाव।
बदौलत
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. वजह; कारण 2. कृपा से 3. अनुग्रह से।
बद्ध
(सं.) [वि.] 1. बँधा हुआ; (बाउंड) 2. संसार के बंधन में पड़ा हुआ 3. जिसके लिए कोई रुकावट या बंधन हो 4. निर्धारित।
बद्धकोष्ठ
(सं.) [वि.] 1. जिसे कब्ज़ हो; कब्ज़ से पीड़ित 2. जिसे बद्धकोष्ठता का रोग हो। [सं-पु.] पाख़ाना न होने या कम होने का रोग।
बद्धपरिकर
(सं.) [वि.] 1. उद्यत; तत्पर; तैयार 2. जो कमर कसे हुए हो।
बद्धप्रतिज्ञ
(सं.) [वि.] वचनबद्ध; बात का पक्का।
बद्धमन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी बात में आसक्त मन 2. वासनाओं में फँसा हुआ मन।
बद्धमानसिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मन के बँधे होने की अवस्था या भाव 2. जड़ता; रुढ़िग्रस्तता।
बद्धमुष्टि
(सं.) [वि.] 1. जिसकी मुट्ठी दान देने के लिए न खुलती हो; कंजूस 2. जिसकी मुट्ठी बँधी हो।
बद्धमूल
(सं.) [वि.] 1. जिसने जड़ें पकड़ ली हों; आमूलित 2. जिसकी जड़ें मज़बूत हों; दृढ़मूल।
बद्धी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाँधने की कोई चीज़ 2. बाँधने का साधन; डोर 3. रस्सी 4. गले का गहना।
बधाई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी शुभ अवसर पर अथवा किसी अच्छे कार्य के पूर्ण होने पर दिया जाने वाला संदेशा; मुबारकबाद 2. शुभ अवसर पर गाया जाने वाला गाना; मंगलाचार
3. बधावा; उत्सव 4. उक्त शुभ अवसर पर संबंधियों को दिया जाने वाला धन।
बधावा
[सं-पु.] 1. बधाई; शुभकामना 2. बेटे या बेटी के जन्म के अवसर पर भेजा जाने वाला उपहार 3. बधावा या उपहार ले जाने वाले लोग 4. विवाह, जन्म आदि के अवसर पर होने
वाला आनंदोत्सव; मंगलाचार।
बधिया
[सं-पु.] 1. ऐसा बैल, घोड़ा, बकरा आदि जिसका अंडकोश निकाल दिया गया हो 2. नपुंसक हुआ नर पशु; खस्सी 3. खस्सी बैल जो हल में जुतता हो या बोझ ढोता हो।
बधिर
(सं.) [वि.] 1. जो सुनता न हो 2. न सुन सकने वाला 3. बहरा।
बधिरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहरापन 2. सुनने की शक्ति का अभाव 3. बधिर होने की अवस्था।
बन1
[सं-स्त्री.] 1. सजधज; सजावट, जैसे- बन-ठन कर 2. भेष; वेश; बाना।
बन2
(इं.) [सं-पु.] 1. छोटी-मीठी पाव रोटी 2. मैदे में ख़मीर मिलाकर बनाई गई मीठी रोटी 3. गुलगुला।
बनकटी
[सं-स्त्री.] 1. जंगल काटकर उसमें खेती-बारी करने और रहने के योग्य बनाने का हक 2. जंगली लकड़ी 3. एक प्रकार का बाँस।
बनजारन
[सं-स्त्री.] 1. बनजारा समाज की स्त्री 2. सौदा या व्यापार करने वाली स्त्री।
बनजारा
[सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो बैलों आदि पर अन्न लादकर दूसरे गाँव बेचने के लिए जाता है 2. बंजारा।
बनत
[सं-स्त्री.] 1. रचना; बनावट 2. किसी वस्तु के बनने या बनाए जाने का ढंग 3. अभिकल; भाँत; (डिज़ाइन) 4. सामंजस्य; मैत्री; मेलमिलाप; अनुकूलता 5. देहानुपात;
पूर्वलक्षण 6. गोटा लगी पट्टी की तरह की पतली पट्टी।
बनना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. बनाया जाना; निर्मित होना 2. उचित रूप प्राप्त करना; रचा जाना। [मु.] बन आना : किसी का असमंजस की दशा में पहुँचना; जान जाने
की नौबत आना।
बनफ़शा
(फ़ा.) [सं-पु.] नेपाल, कश्मीर, हिमालय आदि स्थानों पर पाया जाने वाला तथा औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाने वाला एक पौधा।
बनफूल
[सं-पु.] वन या जंगल में उपजने वाले पेड़-पौधों के फूल।
बनमानुस
[सं-पु.] 1. मनुष्य की तरह का बंदर से कुछ विकसित वन्य जंतु का एक वर्ग 2. गोरिल्ला; चिंपैंजी तथा ओरंग-ऊटंग आदि प्राणी समूह।
बनमाली
[सं-पु.] 1. वनरक्षक; वनमाली; बागवान; (गार्डनर) 2. माला बनाने वाला व्यक्ति 3. बादल; मेघ 4. बहुत घने जंगलों वाला प्रदेश। [वि.] जो बनमाला धारण करता हो।
बनमुरगी
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का जंगली पक्षी 2. कुकही।
बनरा
[सं-पु.] 1. दूल्हा; वर 2. विवाह के समय गाया जाने वाला एक लोकगीत 3. वानर।
बनवाना
[क्रि-स.] 1. किसी को कुछ बनाने में प्रवृत्त करना; बनाने का काम कराना 2. तैयार कराना; निर्माण कराना 3. किसी को कुछ करने में सहायता करना।
बनवारी
[सं-पु.] 1. वनमाली 2. कृष्ण।
बना-ठना
[वि.] 1. सजा-सँवरा; ख़ूब सज-धजकर रहने वाला 2. बनाव शृंगार करने वाला।
बनाना
[क्रि-स.] 1. रचना करना 2. निर्माण या तैयार करना 3. ठीक दशा या रूप देना 4. सुसज्जित करना; सजाना 5. सुधारना; मरम्मत करना 6. आपस में अच्छा संबंध या मेल-जोल
बनाए रखना 7. पैदा करना या कमाना 8. अच्छी या उन्नत दशा में पहुँचाना 9. एक रूप से दूसरे रूप में लाना 10. उपहास करना 11. किसी कार्य को संपन्न करना 12. झूठी
बातें कहना 13. स्वीकार करना; मानना 14. लाभ उठाना।
बनाफर
(सं.) [सं-पु.] क्षत्रियों में एक कुलनाम या सरनेम।
बनाम
(फ़ा.) [अव्य.] 1. किसी के नाम पर 2. किसी के विरुद्ध 3. किसी के प्रति।
बनारस
(सं.) [सं-पु.] 1. वाराणसी; काशी 2. एक पौराणिक शहर 3. हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ।
बनाव
[सं-पु.] 1. बनावट; सजावट 2. बनना-सँवरना 3. उपाय; युक्ति; तदबीर 4. किसी के मेल का।
बनावट
[सं-स्त्री.] 1. निर्माण; रचना 2. बनने या बनाने का भाव या ढंग; रचना 3. ऊपरी दिखावा; आडंबर 4. कृत्रिमता।
बनावटी
[वि.] 1. जिसमें तथ्य एवं वास्तविकता न हो 2. ऊपरी; बाहरी; दिखाऊ 3. नकली; कृत्रिम।
बनिया
(सं.) [सं-पु.] 1. व्यापारी 2. आटा, दाल आदि बेचने वाला 3. वैश्य 4. {ला-अ.} कंजूस और स्वार्थी व्यक्ति।
बनियान
[सं-स्त्री.] कुरते-कमीज़ के नीचे पहनने वाला हलका वस्त्र; गंजी।
बनिस्बत
(फ़ा.) [अव्य.] 1. बजाय 2. तुलना में 3. अपेक्षाकृत।
बनिहार
[सं-पु.] 1. खेतिहर मज़दूर 2. फ़सल आदि काटने और खेत की रखवाली का काम करने वाला व्यक्ति।
बनैनी
[सं-स्त्री.] 1. बनिया या वैश्य समाज की स्त्री 2. बनिए की पत्नी।
बनैला
[सं-पु.] वन्य शूकर; जंगली सुअर। [वि.] जंगल में पाया जाने वाला; वन्य; जंगली।
बन्ना
[सं-पु.] 1. वर; दूल्हा 2. विवाह के समय वर पक्ष की स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले एक प्रकार के लोक गीत 3. दंडकला नामक छंद।
बन्नी
[सं-स्त्री.] 1. वधू; दुल्हन 2. विवाह के समय वधू पक्ष की स्त्रियों द्वारा गाए जाने वाले एक प्रकार के गीत।
बपंस
[सं-पु.] 1. पैतृक संपत्ति में पुत्र को मिलने वाला अंश 2. पिता से पुत्र को प्राप्त गुण।
बपतिस्मा
(इं.) [सं-पु.] ईसाई धर्म में नवजात शिशु या अन्य धर्मावलंबी को दीक्षित करने वाला एक संस्कार; (बैपटिज़म)।
बपौती
[सं-स्त्री.] 1. पैतृक संपत्ति 2. बाप द्वारा छोड़ी गई जायदाद।
बप्पा
[सं-पु.] 1. पिता; बाप 2. पिता के लिए स्नेहवश या आत्मीयतापूर्वक किया जाने वाला संबोधन।
बफरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. क्रोधित होना; उत्तेजित होना 2. बिगड़ना 3. घमंड में भरकर लड़ने के लिए ज़ोर की आवाज़ करना 2. उपद्रव करना; उत्पात करना।
बफारा
[सं-पु.] 1. दवायुक्त जल को उबालने पर उसमें से निकलने वाली भाप 2. उक्त भाप से शरीर का कोई अंग सेकना 3. गरम पानी में उबाली जाने वाली औषधियाँ।
बबर
(फ़ा.) [सं-पु.] शेर की एक बड़े आकार की प्रजाति जो अफ्रीका में पाई जाती है; सिंह।
बबूल
[सं-पु.] एक प्रकार का कँटीला वृक्ष जिसकी लकड़ी कठोर और बहुत मज़बूत होती है तथा जिसके फल, पत्तियाँ, गोंद आदि दवा के काम आते हैं।
बभनी
[सं-स्त्री.] जोंक के आकार का छिपकली जैसा एक रेंगने वाला कीड़ा।
बभ्रू
(सं.) [वि.] 1. गहरे भूरे रंग का 2. गंजा; खल्वाट।
बम1
[सं-पु.] 1. शिव नामक देवता को प्रसन्न करने के लिए उच्चरित किया जाने वाला शब्द 2. बैलगाड़ी या इक्के आदि में आगे की ओर निकला हुआ बाँस या मोटी लकड़ी का हिस्सा
जिनमें घोड़े या बैल जोते जाते हैं।
बम2
(इं.) [सं-पु.] युद्ध या लड़ाई में फेंककर मारा जाने वाला या तोप आदि से चलाया जाने वाला विस्फोटक पदार्थों या बारूद का गोला; (बॉम्ब)।
बमकना
[क्रि-अ.] 1. क्रोधित या उत्तेजित होकर ज़ोर से बोलना 2. आवेश में आकर डींग हाँकना या शेखी बघारना 3. उछलना।
बमकाना
[क्रि-स.] 1. किसी को बमकने में प्रवृत्त करना 2. किसी को उत्तेजित या क्रोधित करना।
बमगोला
[सं-पु.] बम या बारूद आदि का गोला; विस्फोटक गोला।
बमबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. विस्फोटक या गोला फेंककर मारने वाला व्यक्ति 2. बम फेंकने में कुशल सैनिक।
बम-भोला
[सं-पु.] परंपरागत रूप से शिव के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द।
बमवर्षक
[सं-पु.] बहुत तेज़ी से बम बरसाने वाला लड़ाई का बड़ा हवाई जहाज़।
बमीठा
[सं-पु.] दीमकों की बाँबी; वल्मीक।
बमुश्किल
(फ़ा.+अ.) [अव्य.] कठिनता से या कठिनाई पूर्वक।
बमोट
[सं-पु.] दीमकों की बाँबी; बमीठा।
बय
[सं-पु.] जुलाहों का कंघा या बेसर नामक औज़ार। [सं-स्त्री.] अवस्था; उम्र; वय।
बयना
(सं.) [सं-पु.] मांगलिक अवसर या उत्सव आदि में संबंधियों या मित्रों को भेजी जाने वाली मिठाई।
बया
(सं.) [सं-स्त्री.] गौरैया की तरह का एक पक्षी जो बहुत ही कलात्मक तरीके से अपना घोंसला बनाती है।
बयान
(अ.) [सं-पु.] 1. अभियुक्त या साक्षी द्वारा कही गई बात; कथन 2. वृत्तांत; वर्णन; ज़िक्र।
बयानबाज़ी
(अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बयान देने की क्रिया 2. किसी विषय या चर्चित मुद्दे पर किसी नेता या अधिकारी द्वारा की गई टिप्पणी या प्रतिक्रिया 3. बयान पर बयान देते
चलने की क्रिया या भाव, परस्पर बहस।
बयाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] सौदा पक्का करने के लिए ख़रीदार द्वारा बेचने वाले को दी जाने वाली अग्रिम धनराशि; पेशगी।
बयार
[सं-स्त्री.] 1. हवा; पवन 2. {ला-अ.} चलन।
बयालीस
[वि.] संख्या '42' का सूचक।
बयासी
[सं-पु.] संख्या '82' का सूचक।
बर
(फ़ा.) [अव्य.] 1. पर; ऊपर, जैसे- बरतर-किसी से ऊपर 2. बाहर 3. सामने की दिशा में, जैसे- बरअक्स 4. अलग; पृथक, जैसे- बरतरफ़। [सं-पु.] 1. वृक्ष का फल 2. क्रोड
3. देह 4. बगल। [परप्रत्य.] 1. ढोने वाला; ले जाने वाला, जैसे- राहबर 2. श्रेष्ठ पूर्ण उत्तम, जैसे- दिलबर 3. फल से युक्त 4. तुलना या प्रतिस्पर्धा आदि में किसी
से बढ़कर; श्रेष्ठ।
बरंगा
[सं-पु.] 1. छत बनाने के लिए दीवार पर रखी जाने वाली मोटी और मज़बूत लकड़ी 2. छत पाटने की पत्थर की पटिया।
बरअक्स
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. विपरीत; उलटा; प्रतिकूल 2. प्रत्युत; बरख़िलाफ़।
बरकंदाज
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. बंदूकची 2. मध्यकाल में बड़ी लाठी या तोड़ेदार बंदूक रखने वाला सिपाही।
बरकत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बढ़ती; बढ़ोत्तरी 2. कल्याण; मंगल 3. कमी न पड़ना; प्रचुरता 4. सौभाग्य; ख़ुशकिस्मती 5. लाभ; फ़ायदा 6. प्रसाद; कृपा।
बरकरार
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. स्थिर; कायम; अचल 2. पहले की तरह मौजूद; बना हुआ; वर्तमान 3. भली-भाँति स्थापित; दृढ़ 4. जीवित; ज़िंदा 5. बहाल; पुनर्नियुक्त।
बरकरारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बरकरार होने की अवस्था 2. स्थिरता; बहाली।
बरखा
[सं-स्त्री.] बरसात; वर्षा; वर्षा-ऋतु।
बरख़ास्त
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे किसी नौकरी या पद से हटा दिया गया हो; पदच्युत 2. समाप्त या विसर्जित (सभा, अधिवेशन आदि)।
बरख़ास्तगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नौकरी या पद से हटाया जाना; पदच्युति 2. समाप्ति या विसर्जन (सभा आदि) 3. निष्कासन।
बरख़ुरदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा 2. संतान 3. छोटों के लिए आशीर्वाद सूचक संबोधन। [वि.] 1. सौभाग्यशाली; ख़ुशनसीब 2. फलता-फूलता हुआ; संपन्न 3. सफ़ल।
बरगद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध और बहुत आधिक आयु वाला विशाल वृक्ष; वट वृक्ष; बड़ 2. {ला-अ.} किसी बड़े व्यक्ति की छत्रछाया या सहयोग।
बरगलाना
[क्रि-स.] बहकाना; भटकाना; दिग्भ्रमित करना; गुमराह करना; फुसलाना।
बरगीत
[सं-पु.] विवाह के समय गाया जाने वाला गीत।
बरछा
[सं-पु.] एक प्रकार का अस्त्र; भाला।
बरछी
[सं-स्त्री.] 1. लोहे आदि से बनी नोकदार लंबी मोटी कील 2. एक प्रकार का नुकीला अस्त्र; भाला 3. छोटा बरछा।
बरजना
[क्रि-स.] 1. वर्जित या मना करना 2. रोकना 3. सामने आने पर भी ग्रहण न करना; त्यागना; छोड़ना 4. प्रयोग या उपयोग में न लाना; बचाना।
बरज़ोर
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें ज़ोर या बल हो; प्रबल 2. अत्याचारी 3. बहुत कठिन या भारी 4. शोषक। [क्रि.वि.] ज़ोर लगाकर; बलपूर्वक; ज़बरदस्ती से।
बरत
[सं-स्त्री.] 1. रस्सी; डोरी 2. वह रस्सी जिसपर चढ़कर नट खेल करता है।
बरतन
(सं.) [सं-पु.] 1. भोजन पकाने या खाने के पात्र 2. रसोई के स्टील या पीतल के पात्र, जैसे- भगोना, पतीली, थाली आदि।
बरतना
[क्रि-स.] 1. व्यवहार करना 2. काम में लाना 3. इस्तेमाल करना 4. बरताव करना।
बरताव
[सं-पु.] 1. बरतने का ढंग या भाव 2. व्यवहार।
बरदाना
[क्रि-स.] गाय या घोड़ी आदि का गर्भाधान कराने के लिए उनकी जाति के नर से संयोग कराना। [क्रि-अ.] गाय या भैंस आदि का नर से संयोग होना; गर्भाधान होना।
बरदार
(फ़ा.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर निम्न अर्थ देता है- 1. वहन करने वाला; ढोने वाला, जैसे- झंडाबरदार 2. पालन करने वाला; मानने वाला,
जैसे- फ़रमाँबरदार 3. उठानेवाला; ढोनेवाला, जैसे- अमलबरदार, नाज़बरदार।
बरदाश्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सहन करने का भाव 2. सहन करने की शक्ति; सहनशीलता।
बरपना
(फ़ा.) [क्रि-अ.] 1. मचना या फैलना 2. उठना।
बरपा
(फ़ा.) [वि.] 1. जो उठ खड़ा हुआ हो; फैलनेवाला (उपद्रव या उत्पात) 2. अपने पैरों पर खड़ा होने वाला।
बरपाना
[क्रि-स.] 1. मचाना या फैलाना 2. उठाना।
बरफ़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पानी का ठोस रूप या जमा हुआ पानी 2. हिम; पाला; तुषार; ओला 3. कृत्रिम उपायों द्वारा जमाया गया पानी। [वि.] जो बरफ़ के समान ठंडा हो।
बरफ़ानी
(फ़ा.) [वि.] 1. बरफ़ से ढका हुआ (पहाड़) 2. बरफ़ का 3. बरफ़ जैसा ठंडा; बरफ़ीला।
बरफ़िस्तान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. साल भर बरफ़ से ढका रहने वाला भू-भाग 2. बरफ़ीला क्षेत्र।
बरफ़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] चौकोर टुकड़ों के रूप में कटी एक मिठाई जो चाशनी में खोया, काजू आदि मिलाकर बनाई जाती है; एक मीठा व्यंजन।
बरफ़ीला
(फ़ा.) [वि.] 1. जो बरफ़ से युक्त हो 2. जो बरफ़ की तरह ठंडा हो 3. बहुत बरफ़वाला।
बरबटी
[सं-स्त्री.] एक तरह की पतली लंबी फली जिसकी सब्ज़ी बनाई जाती है; चवले की फली।
बरबस
[अव्य.] 1. ज़बरदस्ती; प्रयासपूर्वक 2. अकारण; व्यर्थ; बे-फ़ायदे। [वि.] जिसका कोई वश न चलता हो; लाचार।
बरबाद
(फ़ा.) [वि.] 1. नष्ट; विनष्ट; समाप्त 2. ख़त्म; तबाह; फेंका हुआ 3. धराशायी 4. (कार्य) चौपट; उजड़ा हुआ 5. जिसकी हालत चिंताजनक हो, जैसे- देश या राज्य आदि 6. जो
संपत्तिविहीन हो गया हो; जो लूट लिया गया हो।
बरबादी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बरबाद होने का भाव; विनाश; नाश 2. दुरुपयोग; अपव्यय 3. तबाही; ख़राबी।
बरमा
[सं-पु.] लकड़ी में छेद करने का औज़ार।
बरमी
[सं-पु.] दे. बर्मी।
बरवक्त
(फ़ा.) [अव्य.] समय पर; मौके पर।
बरवै
[सं-पु.] (काव्यशास्त्र) एक मात्रिक छंद जिसमें चार चरण होते हैं। इसके विषम यानी पहले और तीसरे चरणों में बारह मात्राएँ और सम यानी दूसरे और चौथे चरणों में सात
मात्राएँ होती हैं।
बरस
[सं-पु.] 1. वर्ष; साल 2. काल का वह मान जिसमें पृथ्वी एक बार सूर्य की परिक्रमा पूर्ण कर लेती है।
बरसना
[क्रि-अ.] 1. बादलों से पानी की बूँदें गिरना; आकाश से जल गिरना; वर्षा होना 2. बूँदों की तरह गिरना; झड़ना, जैसे- फूल बरसना 3. बहुतायत से प्राप्त होना; इफरात
में मिलना 4. चारों ओर से ख़ूब मात्रा में पहुँचना, जैसे- पैसा बरसना 5. हवा आदि से कणों या टुकड़ों के रूप में बिखरना 6. साफ़ झलकना 7. झरना; निरंतर झरते रहना
8. पड़ना; टपकना 9. {ला-अ.} किसी को चिल्लाते हुए डाँटना; सरापना; फटकारना।
बरसात
[सं-स्त्री.] 1. वर्ष की वह ऋतु या मास जिसमें प्रायः पानी बरसता रहता है; पावस ऋतु 2. वह समय जिसमें आकाश से जल बरस रहा हो।
बरसाती
[सं-स्त्री.] 1. प्लास्टिक, मोमजामे आदि का बना हुआ एक प्रकार का ढीला-ढाला कोट जिसे पहनने से शरीर या कपड़ों पर वर्षा के पानी का प्रभाव नहीं पड़ता 2. कोठियों
आदि के प्रवेश-द्वार पर बना हुआ वह छायादार थोड़ा-सा स्थान जहाँ सवारियाँ उतारने के लिए गाड़ियाँ खड़ी होती हैं। [वि.] 1. बरसात संबंधी; बरसात का 2. बरसात में होने
वाला।
बरसाना
[क्रि-स.] 1. बादलों का जल की वर्षा करना 2. बूँदों की तरह लगातार बहुत-सी चीज़ें ऊपर से नीचे गिराना 3. बड़ी संख्या या मात्रा में बिखेरना (फूल आदि) 4. ओसाना;
डाली देना (अनाज)।
बरसी
[सं-स्त्री.] 1. पुण्यतिथि 2. मृत व्यक्ति का वार्षिक श्राद्ध।
बरहम
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे क्रोध आ गया हो 2. भड़का हुआ; क्रुद्ध; उत्तेजित 3. क्षुब्ध; परेशान 4. इधर-उधर बिखरा हुआ; बेतरतीब।
बरांडल
[सं-पु.] जहाज़ में मस्तूल को सीधे रखने के काम में आने वाला रस्सा; जहाजी काम में आने वाला कोई रस्सा; बरांडा।
बरात
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विवाह के समय वर के साथ वधू पक्ष के यहाँ जाने वाले लोगों का समूह 2. {ला-अ.} एक साथ मिलकर या दल बाँधकर कहीं जाने वालों का समूह; मज़मा;
भीड़।
बराती
[सं-पु.] बरात में जाने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. बरात में सम्मिलित 2. बरात का।
बराना
[क्रि-स.] 1. अवसर पर कोई बात न कहना; वारण; निषेध 2. मतलब छिपाकर इधर-उधर की बातें कहना 3. हिफ़ाज़त करना; बचाना; रक्षा करना 4. अनेक बातों या वस्तुओं से किसी
एक को छोड़ देना 5. इच्छानुसार वस्तुओं को चुनना; वरण 6. चुनना; छाँटना 7. जलाना।
बराबर
(फ़ा.) [वि.] 1. समान; तुल्य; सदृश 2. गुण, महत्व, मात्रा, मान, मूल्य संख्या आदि के विचार से जो किसी के तुल्य या समान हो 3. समतल। [अव्य.] 1. एक पंक्ति में 2.
लगातार 3. साथ; पास 4. सदा।
बराबरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. समानता; तुल्यता; समता 2. बराबर होने की अवस्था या भाव 3. मुकाबला; सामना; प्रतिस्पर्धा 4. तुलना 5. गुस्ताख़ी।
बरामद
(फ़ा.) [वि.] 1. खोई या चुराई हुई वस्तु जो कहीं से पुनः खोज निकाली जाए 2. बाहर आया हुआ; सामने आया हुआ।
बरामदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बरामद होने की अवस्था या भाव 2. छिपाई गई वस्तु की प्राप्ति।
बरामदा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. घर का बाहरी बैठने आदि का सामने से खुला स्थान 2. दालान; ओसारा 3. मकानों में वह छाया हुआ लंबा सँकरा भाग जो कुछ आगे या बाहर निकला रहता है;
बारजा; छज्जा।
बरार
(फ़ा.) [सं-पु.] वह चंदा जो पूरे गाँव से वसूला जाता हो। [वि.] 1. लाने वाला 2. लाया हुआ।
बरारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दोपहर में गाई जाने वाली एक रागिनी 2. बरार क्षेत्र में होने वाली एक प्रकार की रुई।
बरी
(फ़ा.) [वि.] 1. जो अभियोग या आरोप से मुक्त किया गया हो 2. रिहा; बंधनमुक्त 3. स्वतंत्र; मुक्त; आज़ाद 4. बेकसूर; निर्दोष।
बरेच्छा
[सं-पु.] 1. विवाह-संबंध निश्चित करने की एक रीति; फलदान; सगाई 2. एक गहना जो बाँह पर पहना जाता है; बरेखी।
बरेज
[सं-पु.] पान की खेती के लिए बनाया गया एक प्रकार का खेत; पानवाड़ी; पनबाड़ी।
बरेठ
[सं-पु.] धोबी; बरेठा।
बरेठा
[सं-पु.] कपड़े धोने वाला व्यक्ति; धोबी।
बरेत
[सं-पु.] दूध को बिलोने वाली मथानी की रस्सी।
बरेता
[सं-पु.] 1. सन का मोटा रस्सा; नार 2. मथानी की रस्सी 3. कुएँ से पानी निकालने वाला रस्सा; उबहन।
बरोक
[सं-पु.] 1. विवाह होने से पहले की एक रस्म; बरेच्छा; रुकाई; टीका 2. वह धन या दहेज जो कन्यापक्ष द्वारा वरपक्ष को विवाह संबंध निश्चित करते समय दिया जाता है।
बरोज
(सं.) [सं-स्त्री.] बरगद के वृक्ष की डालियों से निकलने वाली जटा; बरोह।
बरोठा
[सं-पु.] 1. ड्योढ़ी; बैठक 2. बरामदा 3. प्रकोष्ठ; पौरी।
बरोह
(सं.) [सं-पु.] बरगद, पाकड़ आदि की डालियों से निकलने वाली प्रशाखा; वट वृक्ष की जटा।
बरौनी
[सं-स्त्री.] 1. आँख की पलक के किनारे के बाल; नेत्रपक्ष; पपनी 2. पानी भरने आदि का काम करने वाली स्त्री; कहारिन।
बर्की
(अ.) [वि.] 1. बिजली का; बिजली संबंधी 2. बिजली की शक्ति से चलने वाला।
बर्ख़ास्त
(फ़ा.) [वि.] दे. बरख़ास्त।
बर्ख़ास्तगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. बरख़ास्तगी।
बर्गर
(इं.) [सं-पु.] जंक फूड की श्रेणी में रखा गया पाव से बनाया जाने वाला एक प्रकार का खाद्य जिसे ब्रेड की तरह के गोल बन को काट कर उसकी ऊपरी व निचली सतहों के बीच
(शाकाहारी या मांसाहारी) चटपटे खाद्य पदार्थ को लगा कर बनाया जाता है।
बर्छा
[सं-पु.] दे. बरछा।
बर्तन
(सं.) [सं-पु.] दे. बरतन।
बर्ताव
[सं-पु.] दे. बरताव।
बर्थ
(इं.) [सं-स्त्री.] बस, ट्रेन, जलयान या वायुयान में यात्री के सोने के लिए स्थान; शायिका।
बर्थडे
(इं.) [सं-पु.] जन्मदिन; जन्म दिवस; वर्षगाँठ।
बर्दाश्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. बरदाश्त।
बर्फ़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. बरफ़।
बर्फ़बारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. बरफ़बारी।
बर्फ़ानी
(फ़ा.) [वि.] दे. बरफ़ानी।
बर्फ़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. बरफ़ी।
बर्फ़ीला
(फ़ा.) [वि.] दे. बरफ़ीला।
बर्बट
(सं.) [सं-पु.] 1. राजमाष 2. काली उड़द।
बर्बर
(अ.) [सं-पु.] जंगली या असभ्य प्राणी। [वि.] क्रूर; असभ्य; उजड्ड; जंगली।
बर्बरता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बर्बर होने की अवस्था या भाव 2. क्रूरता; असभ्यता; नृशंसता 3. बर्बर आचरण या कार्य 4. उद्दंडता; उजड्डता।
बर्बरतापूर्ण
(सं.) [वि.] निर्दयतापूर्ण; कठोर; क्रूरतापूर्ण; हिसंक।
बर्बरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वनतुलसी 2. एक प्राचीन नदी का नाम 3. एक प्रकार की मक्खी 4. पीत चंदन 5. एक प्रकार का फूल।
बर्बाद
(फ़ा.) [वि.] दे. बरबाद।
बर्बादी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. बरबादी।
बर्मी
(सं.) [सं-पु.] वह जो बर्मा (वर्तमान म्यांमार) देश में रहता हो। [सं-स्त्री.] बर्मा (वर्तमान म्यांमार) की भाषा। [वि.] 1. बर्मा (म्यांमार) का 2. बर्मा
(म्यांमार) संबंधी।
बर्र
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कीट जिसके काटने पर पीड़ा होती है; ततैया 2. सरसों के आकार का पीले फूल वाला एक काँटेदार पौधा जिसके बीज से तेल निकाला जाता है।
बर्राक
(अ.) [वि.] 1. चमकने वाला; चमकीला 2. वेगवान; तेज़ 3. चतुर; चालाक 4. कंठस्थ 5. बहुत उजला; सफ़ेद।
बर्राना
[क्रि-अ.] 1. नींद में बातें करना 2. बड़बड़ाना; प्रलाप करना।
बल
(सं.) [सं-पु.] 1. ताकत 2. सहारा 3. सैनिक शक्ति; सेना 4. कोई संगठित शक्ति जो समूह, दल, संस्था आदि के रूप में प्रकट होती है 5. दबाव 6. कोई बात दूसरों से
मनवाने का गुण 7. किसी वस्तु की ऐंठन; मरोड़ 8. लपेट; फेरा। -खाना : इठलाना; लहराना।
बलंद
(फ़ा.) [वि.] 1. ऊँचा; उच्च; विशाल 2. बहुत अधिक।
बलकटी
[सं-स्त्री.] मुसलमानी राज्य-काल में फ़सल काटने के समय वसूल की जाने वाली राज कर की किस्त।
बलकारक
(सं.) [वि.] जो बल या शक्ति प्रदान करता हो; शक्तिदायक; स्फूर्तिदायक।
बलगम
(अ.) [सं-पु.] श्लेष्मा; कफ़।
बलजीत
(सं.) [वि.] जो बल द्वारा जीत सकता हो; जिसमें शक्ति हो; बलशाली।
बलतंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. सैनिक व्यवस्था; फ़ौजी शासन 2. सेना या पुलिस आदि द्वारा किया जाने वाला प्रबंध।
बलदिया
[सं-पु.] 1. वह जो गाय-बैल चराता हो; चरवाहा 2. बनजारा।
बलदेव
(सं.) [सं-पु.] 1. बलराम; बलदाऊ 2. वायु।
बलना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. दहकना; जलना 2. किसी वस्तु का लौ या लपट के साथ जलना।
बलप्रयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. शक्ति के ज़ोर से कोई कार्य कराने की अवस्था 2. डराना; धमकाना 3. आतंक जमाना 4. अनुचित दबाव।
बलबलाना
[क्रि-अ.] 1. जल, दूध आदि का उबलते समय 'बल-बल' करना; उफनना 2. ऊँट का बोलना 3. बड़बड़ाना 4. उफनना।
बलबलाहट
[सं-स्त्री.] 1. 'बल-बल' की ध्वनि 2. बलबलाने की क्रिया या अवस्था 3. ऊँट की बोली।
बलबूता
[सं-पु.] 1. ताकत; बल; ज़ोर 2. शारीरिक शक्ति तथा आर्थिक सामर्थ्य।
बलभद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बलराम का एक नाम 2. लोध का वृक्ष 3. (पुराण) एक पर्वत।
बलभी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मकान की सबसे ऊपर की छत का कमरा या कोठरी 2. ऊपर का खंड; चौबारा।
बलम
(सं.) [सं-पु.] 1. पति; बालम; बालमा 2. प्रियतम; प्रेमी; प्रणयी।
बलराम
(सं.) [सं-पु.] 1. बलभद्र; बलदेव 2. (पुराण) कृष्ण के बड़े भाई जो वसुदेव और रोहिणी के पुत्र थे।
बलवंत
(सं.) [वि.] 1. बलवान; ताकतवर; शक्तिशाली 2. पुष्ट; मज़बूत।
बलवती
(सं.) [वि.] बलवान होने का भाव या स्थिति। [सं-स्त्री.] जो बहुत अधिक प्रबल हो।
बलवत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बलवान होने की अवस्था या भाव 2. मज़बूती; पुष्टता 3. श्रेष्ठता।
बलवर्धक
(सं.) [वि.] जो बल बढ़ाए; बलवर्धी; शक्तिवर्धक।
बलवर्धन
(सं.) [सं-पु.] ताकत बढ़ाने का काम; शक्तिवर्धन।
बलवा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बगावत; विद्रोह 2. दो पक्षों या संप्रदायों में होने वाला उग्र संघर्ष; उपद्रव; दंगा 3. अशांति।
बलवाई
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो बलवा करे; विद्रोही; बागी 2. वह जो अशांति फैलाए। [वि.] 1. बलवा करने वाला 2. अशांति फैलाने वाला।
बलवान
(सं.) [वि.] 1. शक्तिशाली 2. पुष्ट; मज़बूत; बलिष्ठ।
बलवीर
(सं.) [सं-पु.] बलराम का एक नाम। [वि.] बलशाली; वीर।
बलवृद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शक्तिवर्धन; बल में होने वाली वृद्धि 2. सैन्यबल में बढ़ोत्तरी।
बलशाली
(सं.) [वि.] बलवान; शक्तिशाली; बली।
बलहीन
(सं.) [वि.] 1. शक्तिहीन; अशक्त 2. जिसमें बल न हो|
बलहीनता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बलहीन होने की अवस्था 2. कमज़ोरी; दुर्बलता।
बला1
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का औषधीय पौधा।
बला2
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. मुसीबत; आफ़त; संकट; विपत्ति 2. दैवीय आपदा 3. कष्ट 4. (अंधविश्वास) भूत-प्रेत बाधा; आसमानी मुसीबत 5. बहुत कष्ट देने वाला व्यक्ति या
वस्तु 6. चालाक; धूर्त।
बलाक
(सं.) [सं-पु.] 1. बक; बगुला 2. (पुराण) एक राजा जो पुरु का पुत्र और जह्नु का पौत्र था 3. एक राक्षस।
बलाका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मादा बगुला 2. बगुलों की कतार 3. प्रेयसी; सुंदर स्त्री 4. कामुक स्त्री 5. नृत्य का एक भेद।
बलाग्र
(सं.) [सं-पु.] 1. सेनानायक; चमूपति (सेनापति) 2. सेना का अगला भाग 3. बहुत बड़ी शक्ति। [वि.] बलवान; ताकतवर; शक्तिशाली।
बलाघात
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी काम या बात पर आवश्यकता से अधिक ज़ोर देना 2. (भाषाविज्ञान) उच्चारण में किसी शब्द पर अन्य शब्दों से ज़्यादा ज़ोर देने की क्रिया;
स्वराघात।
बलाढ्य
(सं.) [वि.] बलशाली; बली; ताकतवर।
बलात
(सं.) [क्रि.वि.] 1. बलपूर्वक; ज़बरदस्ती 2. बल से 3. हठात; हठपूर्वक।
बलात्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री की इच्छा के विरुद्ध ज़बरदस्ती किया जाने वाला संभोग; (रेप) 2. धोखा, भय या आतंक के बल पर शारीरिक संबंध स्थापित करना; (परंपरागत अर्थ
में) शीलभंग; सतीत्वभंग 3. अन्याय; अत्याचार 4. बल या ताकत से नीति विरोधी कार्य करना; बल प्रयोग करना 5. किसी वस्तु या संसाधन का घोर दुरुपयोग।
बलात्कारी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह पुरुष जो स्त्री की इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक संभोग करता है; दुष्कर्मी; (रेपिस्ट) 2. किसी की इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक उससे कोई काम
कराने वाला व्यक्ति 3. अन्याय तथा अत्याचार करने वाला व्यक्ति।
बलात्कृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका बलात्कार किया गया हो 2. जिससे जबरन कोई काम कराया गया हो।
बलाद्ग्रहण
(सं.) [सं-पु.] 1. डरा-धमका कर कोई वस्तु ले लेने का कार्य 2. धन की ज़बरन वसूली 3. छीनना।
बलाधिकृत
(सं.) [सं-पु.] प्राचीन भारत में किसी राज्य की सेना का सेनापति या सर्वोच्च पदाधिकारी।
बलाधिक्य
(सं.) [सं-स्त्री.] बल या ताकत की अधिकता।
बलान्नयन
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़बरदस्ती ले जाने का कार्य 2. चालक या पायलट को आतंकित करके या बलपूर्वक बस, ट्रेन, वायुयान आदि को गंतव्य स्थान के अतिरिक्त किसी अन्य
(निर्जन या असुरक्षित) स्थान पर ले जाने का कार्य; (हाइजैकिंग)।
बलाय
(अ.) [सं-स्त्री.] विपत्ति; संकट; आफ़त।
बलाहक
(सं.) [सं-पु.] 1. बादल; मेघ 2. सर्पों का एक भेद 3. एक प्रकार का पक्षी 4. एक पर्वत।
बलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी देवता या देवी के नाम पर मारा गया पशु 2. नैवेद्य; भोग 3. पूजन सामग्री 4. पेट में नाभि के ऊपर पड़ने वाली रेखा 5. बवासीर का मस्सा 6.
शरीर की त्वचा पर होने वाली छाजन 7. गुदा के पास होने वाला एक फोड़ा 8. भूमि की उपज के बदले राजा को मिलने वाला कर; राजकर 9. वह स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति अपने
प्राण तक किसी पर न्योछावर कर देता है। [सं-पु.] 1. (पुराण) वह राजा जिसे विष्णु ने वामन रूप रखकर छला था 2. पंच महायज्ञों में से भूत यज्ञ नामक चौथा महायज्ञ 3.
चँवर का डंडा।
बलिदान
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी उच्च उद्देश्य के लिए प्राण देना; शहादत; त्याग 2. देवता को नैवेद्य का अर्पण।
बलिदानी
(सं.) [वि.] 1. महान उद्देश्य के लिए प्राण त्याग करने वाला 2. बलिदान संबंधी; बलिदान का 3. बलि चढ़ाने वाला।
बलिवेदी
(सं.) [सं-स्त्री.] बलि देने की जगह; वह स्थल जहाँ पूजा या यज्ञ आदि में पशु की बलि दी जाती है।
बलिष्ठ
(सं.) [वि.] जो शरीर से शक्तिशाली हो; बलवान; ताकतवर।
बलिष्ठता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बलिष्ठ होने की अवस्था या भाव 2. ताकत; शक्ति 3. कड़ापन; दम 4. मज़बूती।
बलिहारी
[सं-स्त्री.] 1. न्योछावर करने की क्रिया या भाव 2. प्रेम, श्रद्धा आदि के कारण अपने आपको किसी के अधीन या किसी पर न्योछावर कर देना।
बली
(सं.) [वि.] बलवान; पराक्रमी। [सं-स्त्री.] 1. सिलवट; बल 2. त्वचा पर शिकन से पड़ी हुई रेखा।
बलुआ
[वि.] जिसमें बालू अधिक मिला हो; रेतीला। [सं-पु.] रेतीली भूमि।
बलूच
[सं-पु.] बलूचिस्तान में बसने वाली एक जाति; बलोच; बिलोच।
बलूचिस्तान
[सं-पु.] भारत के पश्चिम में स्थित एक देश।
बलूत
(अ.) [सं-पु.] (यूरोप आदि) ठंडे देशों में पाया जाने वाला एक पेड़; (ओक)।
बलून
(इं.) [सं-पु.] 1. गुब्बारा 2. एक प्रकार का बड़ा गुब्बारा जिसके सहारे हवा में उड़ा जाता है; (पैराशूट)।
बलोच
[सं-पु.] बलूचिस्तान की एक जाति का नाम।
बल्कल
(सं.) [सं-पु.] वृक्ष की छाल (खाल); वृक्ष की त्वचा; वल्कल।
बल्कस
(सं.) [सं-पु.] आसव की तलछट।
बल्कि
(फ़ा.) [अव्य.] 1. किंतु; वरन; अपितु 2. अच्छा हो कि।
बल्ब
(इं.) [सं-पु.] 1. पतले शीशे का एक उपकरण जो बिजली के संपर्क से प्रकाश करता है 2. शीशे की नली का अधिक चौड़ा भाग; लट्टू।
बल्य
(सं.) [वि.] बल बढ़ाने वाला; बलकारक; शक्तिवर्धक।
बल्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अश्वगंधा नामक औषधीय पौधा 2. चंगोनी या चिंगोनी नाम का पौधा 3. एक अति प्राचीन युद्ध विद्या।
बल्लम
(सं.) [सं-पु.] 1. भाला 2. बरछा 3. मोटी छड़ 4. सोने या चाँदी का पत्तर चढ़ा हुआ सोटा 5. लकड़ी का बड़ा और मोटा डंडा या बल्ला।
बल्लव
(सं.) [सं-पु.] 1. भेड़, बकरी, पशु आदि चराने वाला; चरवाहा 2. अहीर; ग्वाला 3. रसोइया 4. (महाभारत) अज्ञातवास के समय राजा विराट के यहाँ रसोइए का काम करते हुए
भीम का नाम।
बल्ला
[सं-पु.] 1. लकड़ी का डंडा जिससे गेंद खेलते है 2. क्रिकेट के खेल में प्रयोग होने वाला काठ का वह चपटा सोंटा जिससे गेंद पर आघात करते हैं; (बैट) 3. नाव खेने का
डंडा या बाँस 4. मोटी, सीधी और लंबी लकड़ी; लट्ठा; बड़ी बल्ली 5. मोटा डंडा 6. होली में जलाने के लिए गोबर की सुखाई हुई खोखली-सी टिकिया; उपला।
बल्लारी
[सं-स्त्री.] (संगीत) एक रागिनी, जिसमें केवल कोमल गांधार लगता है।
बल्ली
[सं-स्त्री.] 1. छोटा बल्ला 2. नाव खेने का बाँस; डंडा।
बल्लेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] क्रिकेट के खेल में बल्ले से खेल रहा खिलाड़ी; बल्ले से गेंद पर प्रहार करने की क्रिया या कला में निपुण खिलाड़ी; (बैट्समैन)।
बल्लेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. क्रिकेट के खेल में बल्ले से गेंद पर प्रहार करने की क्रिया या कला 2. बल्ले से गेंद पर प्रहार करके रन बनाने का काम; (बैटिंग) 3.
किसी टीम की रन बनाने की पारी।
बवंडर
[सं-पु.] तेज़ हवा की वह अवस्था जिसमें वह घेरा बाँधकर चक्र की तरह घूमती हुई ऊपर उठती हुई आगे बढती है; चक्रवात; अंधड़।
बवाल
[सं-पु.] 1. तमाशा खड़ा करना 2. बखेड़ा; फ़साद।
बवासीर
(अ.) [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें गुदेंद्रिय में मस्से निकलते हैं; अर्श; ऐसा रोग जो ख़ूनी और बादी दो प्रकार का होता है; (पाइल्स)।
बशर
(अ.) [सं-पु.] मनुष्य; आदमी; व्यक्ति।
बशर्त
(फ़ा.+अ.) [अव्य.] शर्त के साथ; यदि।
बशर्ते
(फ़ा.+अ.) [अव्य.] शर्त यह है कि।
बशीर
(अ.) [वि.] शुभ संवाद सुनाने वाला।
बशीरी
(अ.) [सं-पु.] एक तरह का मुलायम रेशमी कपड़ा।
बस1
(फ़ा.) [क्रि.वि.] और नहीं; और अधिक नहीं; इतना बहुत है।
बस2
(इं.) [सं-स्त्री.] सड़क यातायात के लिए बड़े आकार का सार्वजनिक यात्री वाहन।
बसंत
(सं.) [सं-पु.] 1. एक पौधा 2. एक ऋतु जब शीतकाल समाप्त होता है और ग्रीष्म आरंभ नहीं होता; मधुमास; ऋतुराज।
बसंती
(सं.) [सं-पु.] 1. चमकदार चटक पीला रंग 2. पीला कपड़ा। [वि.] 1. वसंत ऋतु से संबंधित 2. वसंत का 3. सरसों के फूल जैसे रंग का।
बसना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. रहना; स्थित होना 2. टिकना; ठहरना 3. आबाद होना 4. जीव-जंतुओं, पक्षियों आदि का बिल, गुफा या घोंसला बनाकर अथवा मनुष्यों का झोपड़ी या मकान
बनाकर रहना। [सं-पु.] 1. वह कपड़ा जिसमें कोई वस्तु लपेटकर रखी जाए 2. वह थैली जिसमें दुकानदार अपने बटखरे आदि रखते हैं 3. वह कोठी जहाँ ऋण लेने-देने का कारोबार
होता है।
बसपा
[सं-स्त्री.] एक राजनीतिक दल का नाम; बहुजन समाज पार्टी का संक्षिप्त रूप; (बीएसपी)।
बसर
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गुज़र; निर्वाह 2. जीवनयापन।
बसाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. घर-गृहस्थी से युक्त करना; व्यवस्था करना 2. (व्यक्ति के संबंध में) रहने के लिए घर अथवा जीवन-निर्वाह के लिए उचित साधन या सुविधाएँ देना।
[क्रि-अ.] दुर्गंध देना; बदबू करना।
बसाहट
[सं-स्त्री.] 1. किसी स्थान के बसे होने की अवस्था 2. मुहल्ला; बस्ती।
बसीठ
(सं.) [सं-पु.] 1. संदेशवाहक; दूत; पैगंबर 2. गाँव का मुखिया।
बसीत
(अ.) [सं-पु.] 1. कमान 2. सूर्य का अक्षांश जानने का उपकरण (यंत्र) जो जहाज़ पर रहता है।
बसु
[सं-पु.] बंगालियों में एक कुलनाम या सरनेम।
बसुमती
[सं-स्त्री.] पृथ्वी; वसुधा; धरा।
बसूला
[सं-पु.] बढ़ई का एक औज़ार (उपकरण) जिससे लकड़ी छीलने और काटने का काम किया जाता है।
बसेरा
[सं-पु.] 1. रहने का स्थान 2. टिकने का ठिकाना 3. अस्थायी निवास 4. घोंसला; वह जगह जहाँ पक्षी रात बिताते हैं।
बस्त
(सं.) [सं-पु.] बकरा 2. सूर्य।
बस्तर
[सं-पु.] 1. छत्तीसगढ़ राज्य का ख़ूबसूरत जंगलों और आदिवासी संस्कृति वाला एक ज़िला जो प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर जाना जाता है।
बस्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह बैग जिसमें विद्यार्थी अपनी पुस्तकें रखकर विद्यालय जाते हैं 2. वह बैग या थैला जिसमें किताबें या कागज़-पत्र रखकर ले जाते हैं; बेठन 3.
बेठन में बँधी हुई पुस्तकें; कागज़-पत्र। [वि.] बँधा हुआ; तह किया हुआ।
बस्ती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्थान जहाँ बहुत से लोग घर बनाकर एक साथ रहते हों 2. स्थान विशेष में रहने वाले लोग; आबादी।
बहँगी
[सं-पु.] मोटे बाँस के टुकड़े के दोनों सिरों पर रस्सियों से बना छींका या पलड़ा लटकाकर बनाया गया बोझ ढोने का उपकरण; काँवर।
बहक
[सं-स्त्री.] 1. बहकने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. केवल शब्दों के ध्वनि-सादृश्य के आधार पर बिना समझे-बूझे या अनुमान से कही हुई बहुत बड़ी भ्रमपूर्ण और
हास्यास्पद बात 3. पथभ्रष्ट होने की अवस्था 4. बेसिर-पैर की बात; ऊलजलूल बात।
बहकना
[क्रि-अ.] 1. सही रास्ते से हटकर गलत रास्ते पर जाना 2. पथभ्रष्ट होना 3. धोखा खाना 4. आवेश या मद में चूर होना 5. नशे में डूबे होने कारण व्यर्थ की बातें करना।
बहकाना
[क्रि-स.] 1. ऐसा काम करना जिससे कोई बहक जाए 2. गलत रास्ते पर ले जाना; पथभ्रष्ट करना 3. चकमा या धोखा देना 4. भरमाना; बहलाना (बच्चों को)।
बहकावा
[सं-पु.] 1. बहकाने की क्रिया या भाव 2. बहकाने की बात; भुलावा।
बहत्तर
[वि.] संख्या '72' का सूचक।
बहन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी माता से उत्पन्न कन्या 2. बुआ, चाचा, ताऊ, मामा, मौसी आदि की पुत्री 3. समवयस्क स्त्री के लिए संबोधन।
बहना1
(सं.) [क्रि-अ.] 1. प्रवाहित होना 2. द्रव का ढुलकना 3. द्रव पदार्थ का किसी नीचे तल की तरफ़ गिरना 4. अधिक मात्रा या मान में निरंतर किसी ओर गतिशील होना; उमड़ना
5. दुर्दशाग्रस्त होकर इधर-उधर घूमना; मारा-मारा फिरना।
बहना2
[सं-स्त्री.] बहन के लिए प्रयुक्त संबोधन।
बहनापा
[सं-पु.] 1. बहन का नाता 2. स्त्रियों में बहन की तरह होने वाला आपसी संबंध।
बहनेली
[सं-स्त्री.] 1. मुँहबोली बहन 2. सखी; सहेली 3. वह स्त्री जिसके साथ बहन का नाता जोड़ा जाए 4. बहन की तरह की कोई स्त्री।
बहनोई
[सं-पु.] बहन का पति; जीजा।
बहनौरा
[सं-पु.] 1. बहन की ससुराल 2. बहनोई या उसके परिवार से होने वाला संबंध।
बहरहाल
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. फिलहाल 2. फिर भी; तो भी।
बहरा
(सं.) [वि.] 1. जिसे सुनाई न पड़े 2. जिसकी श्रवण शक्ति नष्ट हो गई हो 3. ऊँचा सुनने वाला 4. {ला-अ.} किसी की बात पर ध्यान न देने वाला।
बहराना
[सं-पु.] किसी नगर की सीमा पर या उससे बाहर स्थित मुहल्ला या बस्ती। [क्रि-अ.] 1. बाहर होना; निकलना 2. बहरा हो जाना। [क्रि-स.] 1. सुनकर भी अनुसनी करना 2. बाहर
करना; निकालना।
बहरी
(अ.) [सं-पु.] बाज़ की तरह का एक शिकारी पक्षी।
बहल
[सं-स्त्री.] 1. बैलगाड़ी 2. सवारी के काम आने वाली छतरीदार बैलगाड़ी; बहली।
बहलना
[क्रि-अ.] 1. ध्यान को दूसरी ओर लगाने से दुख, उदासी या चिंता दूर होना 2. कुछ समय के लिए मन का ख़ुश और शांत होना 3. मनोरंजन होना।
बहलाना
[क्रि-स.] 1. मन को दुख, क्लेश या चिंता देने वाली बात से हटाकर प्रसन्नताजनक विषय या काम में लगाना या ऐसा करने का प्रयास करना 2. कुछ समय के लिए मन को ख़ुश और
शांत करना 3. मनोरंजन करना 4. बहकाना; भुलावा देना।
बहलावा
[सं-पु.] 1. बहलाने की क्रिया या भाव; बहलाव 2. मनोरंजन 3. बहकाने की क्रिया या भाव; बहकावा।
बहस
(अ.) [सं-स्त्री.] वाद-विवाद; ज़िरह।
बहसना
[क्रि-अ.] 1. किसी से बातों में उलझना; बहस करना 2. विवाद या तर्क-वितर्क करना।
बहादुर
(तु.) [वि.] 1. वीर; शूर 2. सूरमा; योद्धा 3. साहसी; निडर।
बहादुरी
(तु.) [सं-स्त्री.] 1. वीरता; शूरता 2. दिलेरी।
बहाना1
[क्रि-स.] 1. जल या अन्य किसी द्रव को किसी दिशा में प्रवाहित करना 2. बहने के लिए किसी चीज़ को पानी की धारा या नदी आदि में गिराना 3. किसी पात्र आदि से कोई
तरल धारा के रूप में गिराना 4. अश्रुपात करना 5. {ला-अ.} बरबाद करना; नष्ट करना; उड़ाना 6. {ला-अ.} गँवाना; लुटाना; कम दामों पर या सस्ता बेचना।
बहाना2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. काम या बात को पूरा न करने के लिए कहा जाने वाला झूठ 2. हीला; टालमटोल; बनावटी बात 3. अपना बचाव या किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कही गई
झूठी बात 4. कारण; हेतु; वजह; निमित्त 5. नाममात्र का कारण।
बहानेबाज़
(फ़ा.) [वि.] जो ज़्यादातर बहाने बनाता हो; बहाने बनाने वाला; टालमटोल करने वाला।
बहानेबाज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बहाना बनाने का काम या स्वभाव; टालमटोल; आनाकानी।
बहार
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. फूलों के खिलने का मौसम; वसंत-ऋतु 2. हरियाली 3. शोभा; रौनक 4. (संगीत) एक रागिनी 5. {ला-अ.} मन का आनंद और प्रफुल्लता; मज़ा; मौज 6.
{ला-अ.} यौवनकाल।
बहाल
(फ़ा.) [वि.] 1. कायम 2. पूर्ववत स्थित; ज्यों का त्यों 3. मुअत्तली की समाप्ति होकर पुनर्नियुक्त 4. उच्च न्यायालय के द्वारा छोटी अदालत के निर्णय की यथावत
स्थिति 5. शारीरिक दृष्टि से भला-चंगा।
बहाली
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अपने पद या नौकरी से अस्थायी रूप से हटाए जाने वाले व्यक्ति की फिर से उस पद या नौकरी पर नियुक्ति; पुनर्नियुक्ति 2. किसी को फिर उसी दशा
या हालत में लाना जिसमें वह पहले था; पूर्व अवस्था की पुनः प्राप्ति 3. उच्च न्यायालय द्वारा छोटे न्यायालय या अदालत के निर्णय की यथावत स्थिति 4. मन की
प्रसन्नता; ख़ुशी।
बहाव
[सं-पु.] 1. बहने की क्रिया या भाव 2. प्रवाह; धारा 3. जल की धारा 4. {ला-अ.} किसी विचारधारा, प्रथा आदि की ऐसी वेगपूर्ण गति जिसे रोकना या जिसका विरोध करना
बहुत मुश्किल हो।
बहिन
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. बहन।
बहिरंग
(सं.) [सं-पु.] 1. बाहरी या ऊपरी अंग 2. पूजा के आरंभ में किए जाने वाले औपचारिक और बाह्य कृत्य। [वि.] 1. बाहर का; बाहरी 2. प्रारंभिक; 'अंतरंग' का विपर्यय।
बहिर्गमन
(सं.) [सं-पु.] 1. बाहर जाना; बाहर निकलना 2. निर्गम।
बहिर्जगत
(सं.) [सं-पु.] बाह्य संसार; दृश्य जगत।
बहिर्मुख
(सं.) [वि.] 1. जिसका मुख बाहर की ओर हो 2. जिसका अगला भाग बाहर की ओर हो 3. जिसकी रुचि बाह्य जगत या विषय में हो।
बहिर्मुखी
(सं.) [वि.] 1. जिसका मुँह बाहर की ओर हो 2. जो बाहर की ओर प्रवृत्त हो; बहिर्मनस्क; विमुख 3. बाहर की दुनिया में रुचि लेने वाला; आपसी संवाद स्थापित करने के
स्वभाव वाला; (एक्स्ट्रोवर्ट)।
बहिला
[सं-स्त्री.] 1. बच्चा न देने वाली (गाय, भैंस) 2. बाँझ; ठाँठ।
बहिश्त
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. स्वर्ग; बैकुंठ; ज़न्नत 2. {ला-अ.} स्वर्ग जैसा सुखमय स्थान।
बहिश्ती
(फ़ा.) [सं-पु.] स्वर्ग का निवासी व्यक्ति। [वि.] 1. बहिश्त का 2. बहिश्त में रहने वाला।
बहिष्करण
(सं.) [सं-पु.] 1. बहिष्कार करने की क्रिया 2. किसी कार्य या बात से अलग करना।
बहिष्कार
(सं.) [सं-पु.] 1. बाहर करना; निकालना 2. अलग करना; दूर करना 3. किसी के साथ संबंधों का त्याग 4. पंचायत द्वारा दी जाने वाली सज़ा जिसके अनुसार अपराधी के परिवार
के सभी सदस्यों को मदद से वंचित रखा जाता है 4. हटाना।
बहिष्कृत
(सं.) [वि.] 1. जिसका बहिष्कार किया गया हो 2. बाहर किया या निकाला हुआ; निर्वासित 3. हटाया हुआ; दूर किया हुआ 4. जिसके साथ संबंध ख़त्म कर दिया गया हो;
परित्यक्त 5. {ला-अ.} वर्जित।
बही
[सं-स्त्री.] 1. सिली हुई मोटी कॉपी जो हिसाब लिखने के काम आती है; महाजनों व्यापारियों आदि के हिसाब का रजिस्टर 2. लेन-देन का नित्यप्रति हिसाब रखने या लिखने
की पुस्तिका।
बहीखाता
[सं-पु.] हिसाब-किताब लिखने की पंजी या पुस्तक; लेखा-बही; (अकाउंट बुक)।
बहु
(सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर अधिकता या अनेकता का बोध कराता है, जैसे- बहुमूल्य, बहुउद्देशीय आदि।
बहुअर्थी
(सं.) [वि.] जिसके कई अर्थ हों; अनेक अर्थों वाला।
बहुआयामी
(सं.) [वि.] अनेक आयामों वाला; अनेक पक्षों वाला; अनेक स्तरों या कोणों वाला (लेखन या व्यक्तित्व)।
बहुकालिक
(सं.) [वि.] दीर्घकालीन; लंबी अवधि में संपन्न होने वाला; सालों-साल का।
बहुकेंद्रिक
(सं.) [वि.] जिसके अनेक केंद्र हों; जो अनेक केंद्रों पर स्थित हो।
बहुकेंद्रिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] बहुकेंद्रिक होने की अवस्था या भाव।
बहुकोणीय
(सं.) [वि.] 1. जिसमें अनेक कोण हों 2. बहुभुज 3. कई तरह से होने वाला; अनेक दृष्टियों से होने वाला।
बहुगामी
(सं.) [वि.] अनेक दिशाओं में जाने वाला।
बहुगुणित
(सं.) [वि.] 1. कई गुना 2. जिसमें बहुत गुण हों।
बहुचर्चित
[वि.] 1. प्रसिद्ध; मशहूर 2. जिसकी बहुत चर्चा हो; ख्यातनाम।
बहुजन
(सं.) [सं-पु.] 1. जनता; जनसमूह 2. समाज में रहने वाले बहुसंख्यक लोग।
बहुज्ञ
(सं.) [वि.] 1. बहुत-सी बातों का ज्ञान रखने वाला; अनेक विषयों का ज्ञाता 2. जानकार।
बहुत
(सं.) [वि.] 1. अधिक 2. प्रभूत; प्रचुर 3. जो गिनती में सामान्य से अधिक हो 4. परिमाण, मात्रा आदि में आवश्यक या उचित से अधिक 5. जितना होना चाहिए उतना या उससे
कुछ अधिक; यथेष्ट।
बहुतायत
(सं.) [सं-स्त्री.] अधिक या बहुत होने का भाव; अधिकता; प्रचुरता।
बहुतेरा
(सं.) [वि.] 1. बहुत बार; कई बार 2. मान में बहुत अधिक। [क्रि.वि.] 1. बहुत तरह से 2. अनेक प्रकार से।
बहुत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. संख्या या मात्रा में बहुत होने का भाव 2. अधिकता; आधिक्य; बहुलता; बहुतायत।
बहुदर्शी
(सं.) [वि.] 1. जिसने बहुत कुछ देखा हो; जिसे संसार की रीति या व्यवहार का अच्छा अनुभव हो 2. अनुभवी; दुनियादार।
बहुदेववाद
(सं.) [सं-पु.] अनेक देवी-देवताओं को मान्यता देने वाला सिद्धांत या धर्म।
बहुदेशीय
(सं.) [वि.] जिसमें अनेक देश या उनकी जनता शामिल हो; जो कई देशों में हो; अंतरराष्ट्रीय।
बहुद्देशीय
(सं.) [वि.] अनेक उद्देश्यों या कार्यों को पूरा करने वाला (नियम, परियोजना आदि); (मल्टीपरपज़)।
बहुधर्मी
(सं.) [वि.] 1. जिस समाज में अनेक धर्मों को मानने वाले साथ रहते हों 2. अनेक विशेषताओं और गुणों से संपन्न; तरह-तरह के काम जानने और करने वाला।
बहुधा
(सं.) [क्रि.वि.] हमेशा; अक्सर; ज़्यादातर।
बहुपक्षीय
(सं.) [वि.] 1. अनेक पक्षों वाला 2. बहुत से पक्षों से संबंधित 3. बहुत से देशों के बीच का, जैसे- बहुपक्षीय संपर्क।
बहुपठित
(सं.) [वि.] 1. जिसने बहुत सारा पढ़ा हो; विद्वान 2. जो बहुत पढ़ा गया हो, जैसे- बहुपठित उपन्यास।
बहुपतित्व
(सं.) [सं-पु.] एक सामाजिक प्रथा जिसमें एक स्त्री के एक से अधिक पति होते हैं; बहुपति प्रथा; (पॉलिएंड्री)।
बहुपदीय
(सं.) [वि.] 1. (काव्य) जिसमें बहुत से पद या चरण हों 2. अनेक पैरों वाला।
बहुप्रकार
(सं.) [अव्य.] अनेक प्रकार से। [वि.] बहुविध।
बहुप्रचलित
(सं.) [वि.] जो बहुत अधिक चलन में हो।
बहुप्रचारित
(सं.) [वि.] जिसका बहुत प्रचार किया गया हो; जिसका बहुत प्रचार हो।
बहुप्रयोजनीय
(सं.) [वि.] जिसके कई उद्देश्य या प्रयोजन हों।
बहुफला
(सं.) [सं-स्त्री.] वह पौधा या लता जिसपर बहुत मात्रा में फल लगते हैं, जैसे- सेमफली, करेला, ककड़ी।
बहुबीज
(सं.) [सं-पु.] जिस फल में बहुत बीज होते हैं, जैसे- शरीफा, बिजौरा नीबू आदि।
बहुब्रीहि
(सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) समास का एक प्रकार जिसमें समस्त पदों से कोई भिन्न अर्थ ग्रहण किया जाता है, जैसे- दशानन 'दस है जिसके मुख' अर्थात रावण।
बहुभाषाविद
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे अनेक भाषाओं का ज्ञान हो और जो बहुत-सी भाषाएँ बोलता या जानता हो; बहुभाषी।
बहुभाषिक
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत-सी भाषाएँ बोलने वाला व्यक्ति; बहुभाषी 2. वह जो कई भाषाएँ जानता हो।
बहुभाषिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] अनेक भाषाओं का जानकार या विद्वान होने की अवस्था भाव या गुण।
बहुभाषी
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो एक से अधिक भाषा जानता हो। [वि.] बहुभाषा संबंधी; बहुभाषिक, जैसे- बहुभाषी समाज।
बहुभुज
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुबाहु; अनेक भुजाओं वाला क्षेत्र 2. बहुकोणीय।
बहुभुजा
(सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा। [वि.] अनेक भुजाओं वाला या जिसकी कई भुजाएँ हों।
बहुमंजरी
(सं.) [सं-स्त्री.] तुलसी नामक पौधा।
बहुमंज़िला
[वि.] जिसमें अनेक मंज़िलें या तल हों; बहुखंडीय।
बहुमत
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुसंख्यकों की राय; अधिकांश की सहमति 2. चुनाव क्षेत्र में कुल पड़ने वाले मतों के आधे से अधिक मत 3. किसी संस्था, समिति आदि के आधे से अधिक
सदस्यों का मत।
बहुमान
(सं.) [सं-पु.] अति आदर या मान।
बहुमुखी
(सं.) [वि.] 1. अनेक विषयों या क्षेत्रों से संबंधित 2. अनेक दिशाओं में लागू होने वाला या जाने वाला।
बहुमूल्य
(सं.) [वि.] 1. बेशकीमती; अधिक कीमतवाला 2. गुण, महत्व आदि की दृष्टि से श्रेष्ठ; प्रशंसनीय।
बहुरंग
(सं.) [वि.] 1. बहुत से रंगोंवाला; बहुवर्णीय; रंग-बिरंगा; (मल्टीकलर) 2. बहुपार्श्वीय 3. {ला-अ.} अनेक प्रकार का; विविधतापरक।
बहुरंगी
(सं.) [सं-पु.] बहुरूपिया। [वि.] कई रंगोंवाला; रंग-बिरंगा।
बहुरना
[क्रि-अ.] 1. वापस आना; लौटना; लौट आना 2. फिर मिलना।
बहुराष्ट्रीय
(सं.) [वि.] 1. जो अनेक देशों से संबंधित हो 2. जिसका प्रसार बहुत से देशों में हो, (मल्टीनैशनल)।
बहुरूप
(सं.) [वि.] 1. अनेक रूपों या आकारों वाला 2. अनेक रूप बनाने वाला (बहुरूपिया)।
बहुरूपिया
(सं.) [सं-पु.] वह जो जीविका निर्वाह के लिए विविध वेष धारण करता है या स्वाँग बनाकर लोगों का मनोरंजन करता है। [वि.] 1. अनेक रूपोंवाला 2. अनेक प्रकार के रूप
बनाने वाला या धारण करने वाला।
बहुल
(सं.) [वि.] अनेक; बहुत; प्रचुर। [सं-पु.] 1. काला रंग 2. कृष्ण पक्ष।
बहुलक
(सं.) [सं-पु.] (रसायनशास्त्र) अनेक छोटे अणुओं के योग से बनने वाला एक प्रकार का कार्बनिक यौगिक; (पॉलिमर)।
बहुलता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधिकता; प्रचुरता 2. अनेकता; बहुतायत।
बहुलवादी
(सं.) [वि.] 1. अनेक मतों, धर्मों तथा संस्कृतियोंवाला 2. बहुत्ववादी।
बहुला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गौ; गाय 2. नील का पौधा 3. इलायची 4. (पुराण) एक नदी का नाम 5. चंद्रमा की बारहवीं कला 6. एक देवी 7. समुद्री मछली।
बहुलिका
(सं.) [सं-स्त्री.] सप्तर्षिमंडल।
बहुवचन
(सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) संज्ञा, क्रिया आदि का वह रूप जिससे एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध हो।
बहुवचनीय
(सं.) [वि.] बहुवचन से संबंधित 2. बहुवचन के रूप में होने वाला।
बहुवर्षीय
(सं.) [वि.] 1. अनेक वर्षों तक चलने या होने वाला; बहुवार्षिक 2. एक से अधिक सालों तक का।
बहुविकल्प
(सं.) [वि.] जिसके अनेक विकल्प हो; बहुमार्गीय; जो कई तरह से हो सकता हो।
बहुविदित
(सं.) [वि.] बहुत से लोगों द्वारा जाना हुआ; जिसकी जानकारी बहुतों को हो।
बहुविध
(सं.) [वि.] अनेक प्रकार या भाँति का। [अव्य.] कई प्रकार से; अनेक तरह से।
बहुविवाह
(सं.) [सं-पु.] एक पुरुष का कई स्त्रियों से विवाह करना या एक स्त्री का कई पुरुषों से विवाह करने की एक प्राचीन सामाजिक प्रथा, (पोलीगैमी)।
बहुवीर्य
(सं.) [वि.] प्रचुर वीर्यवाला। [सं-पु.] 1. विभीतकी या बहेड़ा 2. शाल्मली या सेमल 4. दमनक या मरुवा नामक वनस्पति आदि।
बहुशः
(सं.) [अव्य.] 1. कई तरह से 2. बहुत बार।
बहुश्रुत
(सं.) [वि.] 1. शास्त्रों की बहुत-सी बातें सुनने वाला 2. जिसने अनेक शास्त्र या विषय पढ़े हों; जो पंडित या विद्वान हो 3. कई विषयों का ज्ञान रखने वाला; बहुज्ञ।
बहुसंख्य
(सं.) [वि.] 1. जो बहुत संख्या में हों; अधिसंख्य 2. बहुसंख्यक; जो अधिकता में हो।
बहुसंख्यक
(सं.) [वि.] जो संख्या में अधिक हों; जिनकी संख्या दूसरों की तुलना में बहुत अधिक हो।
बहुसंस्करण
(सं.) [वि.] 1. जिसका (पत्र-पत्रिका) एकाधिक स्थानों से प्रकाशन हुआ हो 2. जिसके अनेक संस्करण हुए हों।
बहुसांस्कृतिक
(सं.) [वि.] कई संस्कृतियों के सहअस्तित्व वाला।
बहुस्तरीय
(सं.) [वि.] जिसके बहुत से स्तर हों; अनेक स्तरों वाला।
बहू
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नवविवाहिता स्त्री; वधू; दुल्हन 2. पत्नी; बीवी 3. पुत्र की पत्नी; पतोहू; पुत्रवधू 4. छोटे भाई की पत्नी।
बहूँटा
(सं.) [सं-पु.] बाँह पर पहना जाने वाला एक आभूषण।
बहूपयोगी
(सं.) [वि.] 1. जिसके एक से अधिक उपयोग हों 2. बहुसंख्य के लिए लाभकारी।
बहेंगा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पक्षी 2. चौपायों का एक रोग।
बहेड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. औषधीय गुणों वाला एक जंगली वृक्ष 2. उक्त वृक्ष का फल; विभीतक।
बहेलिया
(सं.) [सं-पु.] पक्षियों का शिकार करने वाला व्यक्ति; चिड़िया फँसाने का काम करने वाला व्यक्ति; चिड़ीमार।
बा1
(फ़ा.) [अव्य.] संज्ञा शब्दों के साथ मिलकर साथ, सहित, सामने, समक्ष का अर्थ देता है, जैसे- बाअदब; बाइज़्ज़त; बाख़ुशी।
बा2
(गु.) [सं-स्त्री.] माता; माँ।
बाँक
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वक्रता; टेढ़ापन 2. घुमाव; मोड़ 3. लुहारों का वस्तुओं को कसने का लोहे का शिकंजा 4. बाँह में पहनने का एक गहना 5. धनुष; कमान 6. छुरी;
चाकू; कृपाण 7. किसी नदी का घुमाव।
बाँकपन
[सं-पु.] 1. वक्रता; टेढ़ापन; तिरछापन 2. किसी रचना का अद्भुत सौंदर्य 3. छवि; रूप; बनावट 4. शौकीनी 5. अदा; शोख़ी।
बाँका
(सं.) [सं-पु.] 1. लोहे का बना हुआ एक प्रकार का हथियार जो टेढ़ा होता है 2. सदा बना-ठना रहने वाला बदमाश या गुंडा 3. धान की फ़सल को नुकसान पहुँचाने वाला एक
प्रकार का कीड़ा। [वि.] 1. टेढ़ा; वक्र; घुमावदार; तिरछा 2. आकर्षक एवं सुंदर 3. छैला 4. बहादुर और हिम्मतवर 5. वीर और साहसी 6. विकट।
बाँकी
[सं-स्त्री.] बाँस से काटकर तीलियाँ आदि बनाने का एक यंत्र।
बाँकुरा
[वि.] 1. बाँका; टेढ़ा 2. नायक; योद्धा; वीर 3. साहसी; महारथी।
बाँग
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मुरगे की बोली या आवाज़ 2. {ला-अ.} किसी की आवाज़।
बाँगर
[सं-पु.] 1. ऊँची भूमि 2. वह ज़मीन जो बाढ़ में न डूबे 3. चरागाह, चरी 4. एक तरह का बैल।
बाँगुर
(सं.) [सं-पु.] 1. चिड़ियाँ फँसाने का एक जाल; फंदा 2. फँसने या फँसाने की कोई जगह।
बाँग्ला
(सं.) [सं-स्त्री.] बंग देश या बंगाल (पश्चिम बंगाल और बाँग्ला देश) की भाषा; बंगाली। [वि.] 1. बंगाल का 2. बंग देश से संबंध रखने वाला, जैसे- बाँग्ला संस्कृति।
बाँचना
[क्रि-स.] 1. पढ़ना 2. पत्र, लेख, पुस्तक आदि को पढ़ कर सुनाना।
बाँझ
(सं.) [वि.] (वह स्त्री, पशु या पौधा) जिससे संतान, बच्चा या फल उत्पन्न न हो। [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जो बच्चे पैदा करने में सक्षम न हो 2. ऐसी वनस्पति या
वृक्ष जिसके किसी दोष के कारण उसमें फल या फूल न लगें।
बाँझपन
[सं-पु.] 1. संतान न होने की अवस्था या स्थिति 2. बाँझ होना; बंध्यत्व।
बाँझिन
[सं-स्त्री.] बाँझ स्त्री।
बाँट
[सं-स्त्री.] 1. बाँटने की क्रिया या भाव 2. बँटवारा 3. अलग-अलग भाग या हिस्सा 4. चौपायों के लिए बनाया गया विशेष प्रकार का भोजन 5. एक प्रकार की घास 6. घास या
पयाल की बनी हुई मोटी रस्सी।
बाँटना
(सं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु के कई भाग करके अलग-अलग रखना या जमाना 2. संपत्ति आदि के हिस्से करके उसके हिस्सेदारों को देना 3. सब को थोड़ा-थोड़ा देना; वितरण
करना (मिठाई आदि) 4. ताश आदि के पत्तों का खिलाड़ियों के बीच वितरण करना।
बाँदा
(सं.) [सं-पु.] वह वनस्पति जो भूमि पर नहीं उगती वरन दूसरे पेड़ों पर फैलकर उनकी शाखाओं से पोषण लेती है; एक परजीवी वनस्पति।
बाँध
[सं-पु.] 1. नदी का पानी रोकने के लिए बनाया गया घेरा; पुश्ता या बंद; (डैम) 2. बाँधने की क्रिया या भाव 3. वह बंधन जो किसी बात को आगे बढ़ने से रोकने के लिए
लगाया जाता हो; (बार) 4. {ला-अ.} शोभा; दिखावे आदि के लिए किसी वस्तु के ऊपर बाँधी गई दूसरी वस्तु। [मु.] -बाँधना : आडंबर करना।
बाँधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. हिलने-डुलने, बिखरने आदि से रोकने के लिए किसी वस्तु के चारों ओर रस्सी, ज़ंजीर आदि लपेटना; गाँठ लगाना 2. नियम, बंधन आदि कारणों से कोई काम
होने से रोकना 3. गठरी, बिस्तर आदि को लपेटना; कसना; समेटना 4. पकड़कर बंद या कैद करना; बँधुआ बनाना 5. गतिहीन करना 6. शक्ति, प्रभाव नष्ट कर देना 7. बेसन आदि को
हाथ से दबाकर लड्डू बनाने की क्रिया 8. {ला-अ.} प्रेमपाश में बद्ध करना 9. {व्यं-अ.} भाव या विचार को गद्य या पद्य रचना का रूप देना।
बाँधव
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वजन; निकट संबंधी 2. भाई-बंधु 3. नाते-रिश्ते के लोग 4. घनिष्ठ मित्र।
बाँबी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. साँप का बिल 2. दीमक का लगाया हुआ मिट्टी का ढेर; वल्मीक; विमौट।
बाँस
(सं.) [सं-पु.] 1. घास की एक प्रकार की गिरहदार, लंबी, सीधी वृक्ष जैसी प्रजाति जो वनों और पहाड़ी भूमि में अधिक होती है और जो कागज़ बनाने, छप्पर छाने तथा
टोकरियाँ आदि बनाने के काम आती है; वंश 2. भूमि या दूरी की एक पुरानी माप जो लगभग तीन मीटर के बराबर होती है 3. नाव की लग्गी। [मु.] -पर चढ़ना : बदनाम होना। -उछालना : बेहद ख़ुश होना; बहुत उछल कूद करना।
बाँसपूर
[सं-पु.] पुराने समय की उत्तम गुणवत्ता वाली वह मलमल जिसका थान बाँस के पोर में समा जाता था; झीने सूती वस्त्र का थान।
बाँसा
[सं-पु.] 1. नथुनों के ऊपर नाक के मध्य की उभरी हुई हड्डी 2. रीढ़ की हड्डी 3. एक प्रकार की घास।
बाँसुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] मुख से फूँककर बजाया जाने वाला एक वाद्य जिसे बाँस से बनाया जाता है; कच्चे या पक्के बाँस से बना एक वाद्य; मुरली; वेणु; वंशी।
बाँह
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथ; बाज़ू 2. कमीज़ आदि का वह भाग जिससे भुजा ढकी रहती है 3. {ला-अ.} बाहुबल; शक्ति। [मु.] -पकड़ना : किसी को अपनाना,
विवाह करना; किसी की सहायता करने का भार लेना।
बाँहदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें बाँहे हों, जैसे- कमीज़, कुरता 2. जिसमें बाँह टिकाने के हत्थे लगे हों, जैसे- सोफ़ा, कुरसी आदि।
बाअदब
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] सम्मान के साथ। [वि.] विनीत; तमीज़दार; शिष्ट; सभ्य।
बा-असर
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसका प्रभाव हो; असरदार 2. प्रभावशाली।
बाइक
(इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का दुपहिया वाहन; मोटरसाइकिल।
बाइज़्ज़त
(फ़ा.) [क्रि.वि.] इज़्ज़त के साथ; सम्मान के साथ। [वि.] आबरूदार; प्रतिष्ठित।
बाइट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. (पत्रकारिता) समाचार के संदर्भ में किसी व्यक्ति का वक्तव्य 2. कौर; ग्रास 3. टुकड़ा 4. (कंप्यूटर और टेलीकम्यूनिकेशन) डिज़िटल सूचना की
इकाई (एक बाइट आठ बिट के बराबर होती है)।
बाइबिल
(इं.) [सं-स्त्री.] ईसाइयों का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ।
बाइमेट्रिक सिस्टम
(इं.) [सं-पु.] शरीर के अंगों जैसे उँगलियों के निशान तथा आँखों की पुतलियों से व्यक्ति की पहचान करने की प्रणाली।
बाइस
(अ.) [अव्य.] कारण; हेतु; सबब।
बाइसिकल
(इं.) [सं-स्त्री.] पैरों से चलाई जाने वाली दो पहियों की साइकिल।
बाई1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर के त्रिदोषों में से वात का दोष 2. शारीरिक वायु या वात की अधिकता से होने वाला रोग जिसमें किसी निश्चित स्थल पर तीव्र चुभन होती है
3. वात व्याधि; गठिया। [मु.] -चढ़ना : वायु का प्रकोप होना; पागल होना। -पचना : घमंड टूटना।
बाई2
[सं-स्त्री.] 1. राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में स्त्रियों के लिए प्रयुक्त होने वाला एक आदरसूचक संबोधन 2. कहीं-कहीं माता, ननद आदि के लिए
संबोधन का शब्द 3. वेतन लेकर घरेलू काम करने वाली स्त्री; महरी 4. उत्तरभारत में नाचने-गाने वाली स्त्रियों या वेश्याओं के लिए प्रयुक्त शब्द; तवायफ़।
बाईपास सर्जरी
(इं.) [सं-स्त्री.] एक शल्यक्रिया जिसमें हृदय को रक्त पहुँचाने वाली धमनी के कोलेस्ट्रोल आदि से बाधित होने पर शरीर के अन्य हिस्से विशेषकर जाँघ से कोई बड़ी
धमनी लेकर रक्त प्रवाह का मार्ग बदल दिया जाता है।
बाईलाइन
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार के ऊपर दिया जाने वाला संवाददाता का नाम अथवा विशेष संकेत।
बाईस
[वि.] संख्या '22' का सूचक।
बाउंस
(इं.) [सं-स्त्री.] उछाल; छलाँग। [क्रि-अ.] 1. किसी वस्तु का गिरकर उछलना; टकराकर वापस आना 2. किसी को जारी किए बैंक के चैक का पर्याप्त रकम के अभाव में वापस
लौट आना।
बाउली
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बावली; दीवानी।
बाकल
[सं-पु.] वल्कल; वृक्ष की छाल।
बाकला
[सं-पु.] एक छोटा फ़सली पौधा जिसकी फलियाँ सब्ज़ी के रूप में खाई जाती हैं।
बाका
(सं.) [सं-स्त्री.] बोलने की शक्ति; वाचा; वाणी; वाक।
बाकायदा
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. विधिपूर्वक; कायदे से; नियम से 2. भलीभाँति 3. 'बेकायदा' का विलोम।
बाकी
(अ.) [वि.] 1. शेष; अवशिष्ट; बचा हुआ 2. मौजूद; विद्यमान 3. बरकरार; सदा बना रहने वाला 4. जो (रकम) अदा होने को हो; देय; पावना (रकम)।
बाकीदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] जिसके पास कोई लगान या देनदारी बाकी हो; बाकी रखने वाला।
बाग़
(फ़ा.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी, (दे. बाग2)।
बाग1
[सं-स्त्री.] 1. शक्ति; सामर्थ्य 2. घोड़े की लगाम; वल्गा। [मु.] -बाग होना : बहुत ख़ुश होना। [मु.] -मोड़ना : किसी ओर घुमाना
या लगाना।
बाग2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. उद्यान; उपवन; बगीचा; (गार्डन) 2. खेती के उद्देश्य से लगाए हुए वृक्षों का झुंड; बाड़ी।
बागड़
[सं-पु.] 1. उजाड़ क्षेत्र; बिना बस्ती का देश 2. मरुभूमि; रेगिस्तान 3. नदी के किनारे की ऊँची ज़मीन जहाँ नदी में आई बाढ़ का पानी कभी न पहुँच पाता हो।
बागडोर
[सं-स्त्री.] 1. लगाम 2. घोड़े की लगाम में बाँधी जाने वाली रस्सी 3. प्रशासन; सत्ताधिकार 4. किसी कार्य या बात का नियंत्रण; दायित्व 5. {ला-अ.} वह चीज़ जिससे
किसी पर नियंत्रण किया जाता है।
बागवान
(फ़ा.) [सं-पु.] बाग या बगीचे में पेड़-पौधे उगाने और उनकी देखभाल करने वाला व्यक्ति; बाग का माली।
बागवानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बगीचे में पेड़-पौधे लगाने तथा उनकी देखभाल करने का काम 2. बागवान या माली का काम।
बागान
(बां.) [सं-पु.] कोई फ़सल तैयार करने का बड़ा खेत या मैदान, जैसे- चाय बागान।
बागी
(अ.) [वि.] 1. बगावत करने वाला 2. विद्रोही; न दबने वाला 3. अवज्ञाकारी; उपेक्षाकारी।
बागीचा
(फ़ा.) [सं-पु.] छोटा बाग।
बाघ
(सं.) [सं-पु.] शेर या सिंह की जाति का एक हिंसक पशु; व्याघ्र।
बाघा
[सं-पु.] 1. पशुओं की एक बीमारी जिसमें उनका पेट फूल जाता है 2. एक तरह का कबूतर।
बाछा
[सं-पु.] 1. गाय का नर बच्चा; बछड़ा 2. {ला-अ.} वत्स; बच्चा।
बाज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध शिकारी पक्षी; श्येन पक्षी। [परप्रत्य.] व्यसनी, शौकीन या कर्ता आदि का अर्थ देने वाला प्रत्यय, जैसे- बहानेबाज़; नशेबाज़।
[अव्य.] दुबारा; फिर; पुनः। [मु.] -आना : जानबूझकर वंचित रहना, दूर रहना। -रखना : मना करना, रोकना।
बाज1
[सं-पु.] किसी वाद्ययंत्र को बजाने की विशिष्ट शैली।
बाज2
(अ.) [वि.] कतिपय; कोई-कोई; चंद कुछ; विशिष्ट।
बाज़-दावा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दावा वापस लेना 2. वह पत्र या लेख जिसमें अपना दावा वापस लेने का विवरण होता है 3. स्वत्व का त्याग।
बाजरा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का अनाज 2. उक्त अनाज का पौधा।
बाजा
(सं.) [सं-पु.] (संगीत) वह उपकरण जो फूँकने अथवा आघात किए जाने पर ध्वनि उत्पन्न करता है; बजाने का यंत्र; वाद्य।
बाजा-गाजा
[सं-पु.] 1. एक साथ बजाए जाने वाले अनेक प्रकार के बाजे 2. बाजे से होने वाली धूमधाम या होहल्ला, जैसे- बाजे-गाजे से शोभायात्रा निकली।
बाज़ाब्ता
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. नियम या विधान के अनुसार; ज़ाब्ते के साथ। [वि.] नियमानुकूल।
बाज़ार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ तरह-तरह की वस्तुओं की दुकानें हों; वस्तुओं के क्रय-विक्रय का निश्चित स्थान; हाट; मंडी; (मार्केट) 2. क्रय-विक्रय के लिए
एकत्रित हुए लोग। [मु.] -करना : ख़रीददारी करना। -तेज़ होना : सभी वस्तुओं का मूल्य बढ़ना।
बाज़ारवाद
(फ़ा.+सं.) [सं-पु.] वह मत या विचारधारा जिसमें जीवन से संबंधित हर वस्तु का मूल्यांकन केवल व्यक्तिगत लाभ या मुनाफ़े की दृष्टि से ही किया किया जाता है; मुनाफ़ा
केंद्रित तंत्र को स्थापित करने वाली विचारधारा; हर वस्तु या विचार को उत्पाद समझकर बिकाऊ बना देने की विचारधारा।
बाज़ारी
(फ़ा.) [वि.] 1. बाज़ार का; बाज़ार से संबंधित; बाज़ार में होने वाला 2. बाज़ारू; साधारण; मामूली।
बाज़ारीकरण
(फ़ा.+सं.) [सं-पु.] 1. बाज़ार को बढ़ावा देने का कार्य; बाज़ारवाद की दृष्टि के अनुरूप ही व्यवस्था का संयोजन और संचालन 2. व्यक्ति को उपभोक्ता मात्र के रूप में
अनुकूलित करने की क्रिया 3. पूँजीकरण; वस्तुकरण।
बाज़ारू
(फ़ा.) [वि.] 1. बाज़ार का; बाज़ार संबंधी; बाज़ारी 2. साधारण; मामूली; घटिया 3. बाज़ार में रहने या बैठने वाला 4. अशिष्ट (शब्द)।
बाज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. करतब; तमाशा 2. शतरंज या ताश आदि का एक पूरा खेल 3. किसी खेल का दाँव; बारी 4. शर्त। [मु.] -मारना : जीतना; विजयी होना। -ले जाना : प्रतियोगिता में आगे बढ़ जाना या सफल होना। -हारना : शर्त हार जाना।
बाजी1
(सं.) [सं-पु.] घोड़ा; अश्व; वाजि।
बाजी2
(तु.) [सं-स्त्री.] बड़ी बहन; आपा।
बाज़ीगर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. जादू दिखाने वाला व्यक्ति 2. ऐंद्रजालिक; जादूगर।
बाज़ीगरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जादू दिखाने की क्रिया; कलात्मक करतब 2. खेल-तमाशे करना 3. माया-कर्म।
बाज़ू
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भुजा; बाँह 2. किसी चीज़ का कोई अंग, पक्ष या पार्श्व 3. बाज़ूबंद नामक आभूषण 4. दरवाज़े की चौखट की लकड़ी 5. {ला-अ.} सहायक। [अव्य.] ओर; तरफ़।
बाज़ूबंद
(फ़ा.) [सं-पु.] बाँह पर पहनने का एक प्रकार का आभूषण; भुजबंद; केयूर।
बाट
(सं.) [सं-पु.] 1. रास्ता; मार्ग 2. तराज़ू पर चीज़ें तौलने का बटखरा; बट्टा। [मु.] -जोहना : प्रतीक्षा करना। -पड़ना : पीछे
पड़ना। -कहीं बाट पड़ना : डाका पड़ना।
बाटी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कंडे या उपलों आदि पर सेका गया आटे का गोला जो दाल के साथ खाया जाता है; लिट्टी; टिक्कड़; अंगाकड़ी 2. पिंड; गोली 3. चौड़े मुँह वाली
कटोरी।
बाड़
[सं-स्त्री.] 1. फ़सल की सुरक्षा के लिए बनाया गया काँटे-बाँस आदि का घेरा 2. झाड़बंदी; टट्टी; टट्टर; घेरा 3. दो नदियों के संगम के बीच की ज़मीन।
बाड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. पशुशाला 2. घेरा 3. चारों-ओर से घिरा हुआ बड़ा मैदान।
बाढ़
[सं-स्त्री.] 1. बढ़ाव; वृद्धि; विकास 2. नदी आदि के जल का बढ़ना; सैलाब 3. अधिक वर्षा होने से धरती का जलमग्न होना 4. किसी प्रकार का ज़ोर, तेज़ी या प्रबलता 5.
लाभ; नफ़ा 6. किनारे की ऊँचाई; किनारा; आगे बढ़ने की स्थिति या भाव; वृद्धि। [मु.] -दगना : गोलियों का लगातार छूटना। -रूँधना :
आने-जाने का रास्ता बंद करना।
बाण
(सं.) [सं-पु.] 1. तीर; शायक; शर 2. बाण का फल; गाँसी।
बाणाग्र
(सं.) [सं-पु.] 1. तीर के ऊपरी हिस्से में लगा पत्थर; हड्डी या धातु से बनी नुकीली चीज़; बाण की नोंक 2. तलवार आदि की धार, कोर, सान।
बाणावली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाणों की पंक्ति या समूह 2. दुश्मनों पर होने वाली तीरों की बौछार।
बाणाश्रय
(सं.) [सं-पु.] तरकश; तूणीर।
बाणासुर
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) राजा बलि के सौ पुत्रों में से सबसे बड़ा।
बात
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कथन; कहा हुआ सार्थक वाक्य 2. घटित होने वाली या प्रस्तुत अवस्था; परिस्थिति। [मु.] -उठाना : बातचीत शुरू करना।-उलटना : बात पलटना। -काटना : किसी की बात का विरोध करना, किसी के बोलते समय पूरी बात सुने बिना बीच में ही बोल उठना।-टालना : ध्यान न देना। -बढ़ना : झगड़े का रूप ले लेना। -बनना : प्रयोजन सिद्ध होना। -बिगड़ जाना : काम ख़राब हो जाना। -रखना : अपनी बात पर अडिग रहना। -खोना : प्रतिष्ठा गँवाना।
बातचीत
[सं-स्त्री.] 1. दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली बातें; वार्तालाप 2. किसी उद्देश्य विशेष के लिए होने वाली लिखा-पढ़ी या संवाद।
बातफ़रोश
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] जो अपनी वाकपटुता के माध्यम से रोज़ी कमाता हो।
बातिनी
(अ.) [वि.] 1. भीतरी; आंतरिक 2. अंतर्मन का।
बातिल
(अ.) [वि.] 1. झूठ; गलत; मिथ्या 2. खंडित 3. रद्द किया हुआ।
बातूनी
[वि.] 1. जो बहुत बोलता हो; बक्की 2. व्यर्थ की बातें करने वाला; बकवादी; वाचाल।
बाथरूम
(इं.) [सं-पु.] स्नानघर; गुसलख़ाना।
बाद
(अ.) [वि.] 1. पश्चात 2. अलग हटाया या छोड़ा हुआ 3. अतिरिक्त।
बादबान
(फ़ा.) [सं-पु.] नाव, जहाज़ आदि का पाल।
बादर
(सं.) [सं-पु.] 1. कपास का पौधा 2. कपास का सूत 3. सूती कपड़ा। [वि.] 1. कपास से बनने वाला 2. बेर से संबंधित 3. मोटा; भारी।
बादल
(सं.) [सं-पु.] 1. वायुमंडल में संचित घनीभूत वाष्पकण; मेघ 2. एक तरह का दूधिया रंग का पत्थर।
बादला
[सं-पु.] 1. कसीदाकारी का तार; ज़री 2. गोटा या कलाबत्तू बटने का सुनहरा और चपटा तार; चमकीला तार 3. सोने-चाँदी का तार।
बादशाह
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी बड़े साम्राज्य का शासक या स्वामी हो; सम्राट 2. शतरंज का एक मोहरा जो सब मोहरों में प्रधान होता है 3. ताश का एक पत्ता जिसमें
बादशाह की तस्वीर बनी रहती है 4. {ला-अ.} वह जो किसी कला, कार्य-क्षेत्र या वर्ग में सबसे बढ़-चढ़कर हो।
बादशाहत
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बादशाह का पद; राजत्व 2. शासन 3. राज्य।
बादाम
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक वृक्ष जिसके फल के बीज मेवों में गिने जाते हैं 2. आम नामक फल की एक प्रजाति।
बादामी
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बादाम के छिलके जैसा रंग 2. आभूषण आदि रखने की एक डिबिया 3. एक प्रकार का धान 4. बादाम के रंग का घोड़ा 5. एक तरह की चिड़िया; किलकिला। [वि.] 1.
बादाम के छिलके के रंग का 2. बादाम संबंधी; बादाम का 3. बादाम के आकार का; गोलाकार; लंबोतरा।
बादी
[सं-स्त्री.] शरीर में वायु का प्रकोप। [वि.] 1. वायुविकार से संबंधित; वायु का 2. शरीर में वायुविकार उत्पन्न करने वाला 3. जो वातविकार बढ़ाए।
बाध
(सं.) [सं-पु.] 1. बाधा; अड़चन 2. प्रतिरोध; रोक 3. प्रतिबंध 4. कष्ट; पीड़ा 5. कठिनता; दिक्कत 6. उन्नति या प्रगति की राह में आने वाली रुकावट जिसे पार करने के
लिए विशिष्ट योग्यता की ज़रूरत पड़ती हो।
बाधन
(सं.) [सं-पु.] 1. बाधा डालने की क्रिया या भाव 2. विरोध करना 3. कष्ट या पीड़ा देना 4. प्रतिवाद 5. अनुचित या बुरे काम के संबंध में होने वाली मनाही या निषेध।
बाधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अड़चन; विघ्न; रुकावट 2. रोक; प्रतिबंध 3. कष्ट; पीड़ा; संकट।
बाधाहीन
(सं.) [वि.] जिसमें अड़चन या बाधा न हो; बाधारहित।
बाधित
(सं.) [वि.] 1. जिसमें रुकावट पड़ी हो; जिसमें व्यवधान आया हो 2. ग्रस्त 3. आभारी।
बाध्य
(सं.) [वि.] 1. विवश; मज़बूर किया हुआ 2. जो विधि, नियम या आज्ञा आदि के द्वारा बँधा हो 3. बाधित; रोका हुआ।
बाध्यक
(सं.) [वि.] 1. बाधा के रूप में होने वाला 2. जिसको पूरा करना ज़रूरी हो।
बाध्यता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह दबाव या दायित्व जिससे न चाहते हुए भी किसी काम को करना पड़ता है; विवशता; दबाव; मज़बूरी 2. अनिवार्यता।
बान
(सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह की आतिशबाज़ी 2. रुई धुनने का डंडा 3. मूँज की रस्सी।
बानक
[सं-पु.] 1. वेष; भेष; बाना 2. सुंदर बनावट; सजावट; सज-धज 3. किसी घटना के लिए उपयुक्त परिस्थिति; संयोग।
बानगी
(सं.) [सं-स्त्री.] थोड़ी-सी चीज़ जो ग्राहक को देखने के लिए दी जाए; नमूना।
बानवे
[वि.] संख्या '92' का सूचक।
बाना1
[सं-पु.] 1. वेश; विशेषतः वह पहनावा जो वीर लोग पहनकर रणक्षेत्र में जाते हैं 2. पहनावा; पोशाक 3. व्यापार में कुछ विशिष्ट प्रकार की वस्तुओं का समूह 4. रीति;
चाल।
बाना2
(सं.) [सं-पु.] 1. भाले की तरह का एक हथियार जिसका ऊपरी हिस्सा दुधारी तलवार की तरह होता है 2. कपड़े की बुनावट में ताना में भरा जाने वाला आड़ा सूत 3. पीले या
सफ़ेद रंग का एक प्रकार का रेशम 4. वह रेशमी धागा जिससे कपड़े सिले जाते हैं। [क्रि-स.] प्रसारित करना; फैलाना, जैसे- मुँह बाना।
बानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बोली; भाषा 2. मुँह से निकलने वाला सार्थक शब्द; बात; वचन 3. बाना नामक हथियार।
बानैत
(सं.) [सं-पु.] 1. बाण चलाने वाला 2. धनुषधारी योद्धा 3. वह जो बाना या वेष धारण किए हुए हो।
बानो
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] मुसलमानों में किसी स्त्री के नाम के साथ लगाया जाने वाला आदरसूचक शब्द, जैसे- ज़ाहिदा बानो, फ़रीदा बानो आदि।
बाप
[सं-पु.] पिता; जनक।
बाप-दादा
[सं-पु.] पूर्वज; पुरखे; पूर्वपुरुष।
बापिका
[सं-स्त्री.] 1. चौड़े मुँह का एक प्रकार का कुआँ या जलाशय जिसमें पानी तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हों; वापी; बावड़ी 2. ऐसा छोटा तालाब जिसके किनारे चारों
ओर सीढ़ियाँ बनी हों; वापिका 3. हजामत का एक प्रकार जिसमें माथे से लेकर चोटी के पास तक के बाल चार-पाँच अंगुल की चौड़ाई में मूँड़ दिए जाते हैं।
बापू
[सं-पु.] 1. पिता या अन्य आदरणीय जन के लिए एक संबोधन 2. महात्मा गांधी के लिए प्रयुक्त एक आदरसूचक संबोधन।
बाफ़
(फ़ा.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो संज्ञा पद से जुड़कर 'बनने वाला' का अर्थ प्रदान करता है, जैसे- शालबाफ़ अर्थात शाल बुनने वाला।
बाफ़ता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक तरह का बेलबूटेदार रेशमी कपड़ा 2. कबूतरों का एक रंग। [वि.] बुना हुआ।
बाब
(सं.) [सं-पु.] 1. किताब का अध्याय, विभाग या परिच्छेद 2. द्वार; दरवाज़ा 3. दरबार।
बाबत
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी के संबंध में; विषय में।
बाबर
(फ़ा.) [सं-पु.] भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना करने वाला एक शासक, जो मूलतः मध्य एशिया का निवासी था।
बाबरी
[सं-स्त्री.] ज़ुल्फ़; लट; घुँघराले केश; काकुल।
बाबा
(अ.) [सं-पु.] 1. पितामह; दादा 2. साधु-सन्यासियों तथा बुज़ुर्गों के लिए प्रयुक्त सम्मान सूचक शब्द 3. बच्चे के लिए प्यार का संबोधन 4. पके केशों वाला व्यक्ति
5. एक संबोधन।
बाबिल
[सं-पु.] एशिया उपमहाद्वीप का एक प्राचीन ऐतिहासिक नगर; (बैबिलोन)।
बाबुल
[सं-पु.] 1. लड़की का पिता 2. पिता को लक्ष्य कर गाए जाने वाले लड़की की विदाई के गीत।
बाबू
[सं-पु.] 1. मुंशी; क्लर्क 2. पिता के लिए एक संबोधन 3. प्रतिष्ठित जनों के नाम के साथ आदरार्थ जुड़ने वाला शब्द।
बाबूराज
[सं-पु.] वह व्यवस्था जिसमें वास्तविक अधिकार कार्यालय के बाबुओं के हाथ में होता है; बाबुओं या क्लर्कों का राज; नौकरशाही।
बाम्हन
[सं-पु.] एक वर्ण; एक जाति; ब्राह्मण।
बाय
(इं.) [सं-पु.] विदा लेते समय कहा जाने वाला शब्द; अलविदा।
बायन
(सं.) [सं-पु.] 1. परिचितों, रिश्तेदारों के यहाँ भेजी जाने वाली मिठाई आदि, बैना; बायना 2. पेशगी; बयाना 3. भेंट; उपहार 4. निमंत्रण। [मु.] -देना : उकसाना, छेड़-छाड़ करना।
बायरा
[सं-पु.] कुश्ती का एक पेंच या दाँव।
बायस्कोप
(इं.) [सं-पु.] 1. परदे पर चलते-फिरते चित्र दिखाने वाला एक यंत्र 2. पुराने समय में वह बड़ा डिब्बा जिसमें चलते हुए चित्रों और संगीत के माध्यम से मनोरंजन किया
जाता था 3. किसी समय सिनेमा के लिए प्रयुक्त शब्द।
बायोडाटा
(इं.) [सं-पु.] व्यक्तिगत जीवन, शैक्षिक योग्यताओं तथा कार्यानुभव आदि का ब्योरा; अपने जीवन, कार्यकलापों और उपलब्धियों का विवरण; आत्मवृत्त।
बायोडीज़ल
(इं.) [सं-पु.] जैविक स्रोतों से प्राप्त तथा डीज़ल के समतुल्य ईंधन; वनस्पतियों के बीजों से निकलने वाले एथेनाल और डीजल का मिश्रण जो ईंधन के रूप में प्रयुक्त
होता है।
बायोनेट
(इं.) [सं-पु.] रायफल में जड़ी रहने वाली एक प्रकार की बरछी; संगीन।
बायोलॉजी
(इं.) [सं-स्त्री.] जैविकी; सृष्टि के समस्त जीव-जंतुओं और वनस्पतियों के उद्भव और विकास का अध्ययन-विश्लेषण करने वाला विज्ञान; जीवविज्ञान; जैविकी।
बार1
(सं.) [सं-पु.] द्वार; दरवाज़ा। [सं-स्त्री.] 1. समय; वक्त; काल 2. विलंब; देर।
बार2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भार; बोझ 2. गाड़ी आदि पर लादा जाने वाला माल। [सं-स्त्री.] दफ़ा; मरतबा, जैसे- पहली बार।
बार3
(इं.) [सं-पु.] 1. मदिरालय; मधुशाला 2. किसी समय अदालत में लगने वाला अवरोधक जिसके आधार पर वकालत के पेशे को बार से जुड़ा पेशा कहा जाता है।
बारंबार
(सं.) [क्रि.वि.] 1. बार-बार; कई बार 2. फिर-फिर।
बारंबारता
(सं.) [सं-स्त्री.] बार-बार होने की क्रिया अवस्था या भाव; आवृत्ति।
बारगाह
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. राजाओं या नवाबों आदि का दरबार; राजसभा 2. कचहरी; न्यायालय 3. ड्योढ़ी 4. डेरा; तंबू 5. महल।
बारगेनिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] दुकान आदि पर ख़रीददारी के समय दुकानदार से मोलभाव करने की प्रक्रिया मोलभाव; सौदेबाज़ी।
बारजा
[सं-पु.] 1. छत के ऊपर का कमरा; कोठा; अटारी 2. खुला छतदार बरामदा 3. मकान के सामने के दरवाज़े के ऊपर बनाया हुआ छज्जा 4. कमरे के आगे का दालान।
बारदाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जिसमें कुछ रखा जाए; बड़ा थैला; बोरा 2. वह टाट जिसमें माल को बाँधकर भेजा जाता है 3. फ़ौज के खाने-पीने की सामग्री 4. विभिन्न प्रकार के
अनाज; रसद।
बारबरदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भार उठाने वाला; बोझा ढोने वाला; कुली 2. पालकी ढोने वाला।
बारह
[वि.] संख्या '12' का सूचक।
बारहखड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवनागरी वर्णमाला में प्रत्येक व्यंजन के साथ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ आदि बारह स्वरों को मात्रा के रूप में लगाकर (संयुक्त कर)
वाचन या लेखन की क्रिया; व्यंजन के बारह स्वरों से युक्त रूप 2. {ला-अ.} किसी विषय का आरंभिक ज्ञान।
बारहदरी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अतिथियों या पथिकों के रहने का स्थान जिसमें बारह द्वार हों 2. वह बैठक जिसमें चारों-तरफ़ दरवाज़े हों।
बारहपंथी
[वि.] जिसमें बारह पंथ हो। [सं-पु.] योगी गोरखनाथ द्वारा प्रवर्तित नाथ संप्रदाय जिसकी बारह शाखाएँ कही जाती हैं।
बारहबाट
[वि.] 1. विखंडित; खंडित; नष्ट-भ्रष्ट 2. छिन्न-भिन्न; तितर-बितर।
बारहमासा
[सं-पु.] विरह प्रधान लोकगीत; वह पद्य या गीत जिसमें बारह महीनों की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन किसी विरही या विरहिणी के मुँह से कराया गया हो; वर्ष भर के
बारह मास में नायक-नायिका की श्रृंगारिक विरह एवं मिलन की क्रियाओं के चित्रण।
बारहमासी
[वि.] पूरे वर्ष भर होने वाला; सब ऋतुओं में फलने या फूलने वाला; सदाबहार वृक्ष।
बारहवफ़ात
(हिं.+अ.) [सं-स्त्री.] अरबी महीने रवीउल अव्वल की वे बारह तिथियाँ जिनके विषय में मान्यता है कि इनमें मुहम्मद साहब बहुत बीमार रहे थे और अंततः उनकी वफ़ात
अर्थात मृत्यु हो गई थी।
बारहसिंगा
[सं-पु.] एक प्रकार का बड़ा नर हिरण जिसकी सींगों में अनेक शाखाएँ होती हैं; चिंकारा; साल-साँभर।
बारहा
(फ़ा.) [अव्य.] बहुधा; प्रायः; अनेक बार; बार-बार।
बारानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह भूमि जिसमें सिर्फ़ वर्षा में सिंचाई हो 2. उक्त प्रकार की सिंचाई से होने वाली फ़सल। [वि.] 1. जो वर्षा पर निर्भर हो; बरसाती 2. अन्य
किसी प्रकार सींची न जा सकने वाली।
बारास्ता
(फ़ा.) [क्रि.वि.] रास्ते से; (से) होकर या गुज़र कर; (वाया)।
बारिश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वर्षा; बरसात; वृष्टि; बरखा 2. बादलों से निरंतर गिरने वाली जल की बूँदें; पानी की फुहार; बौछार।
बारी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रमवार स्थिति; पारी 2. एक वर्ग जो दोने-पत्तल आदि बनाने का काम करता है 3. खेत या बाग की क्यारी 4. बरतन का ऊपरी घेरा।
बारीक
(फ़ा.) [वि.] 1. महीन; सूक्ष्म; आयतन में बहुत पतला 2. गंभीर; गूढ़ 3. {ला-अ.} जिससे कला की निपुणता और सूक्ष्मता प्रकट हो।
बारीकी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बारीक या पतले होने की अवस्था या भाव 2. {ला-अ.} भाव, विचार आदि की सूक्ष्मता।
बारूद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक रासायनिक यौगिक जिसका प्रयोग सुरंग बनाने, पहाड़ियों में मार्ग निर्माण आदि के लिए किया जाता है 2. एक प्रसिद्ध विस्फोटक चूर्ण जो आग
लगने से भड़क उठता है और जिससे तोप-बंदूक चलती है।
बारूदी
(फ़ा.) [वि.] 1. बारूद का; बारूद संबंधी 2. जिसमें बारूद हो; बारूद से बना हुआ।
बारे
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. आखिरकार 2. अंत में 3. खैर 4. लेकिन।
बार्बर
(इं.) [सं-पु.] बाल काटने वाला व्यक्ति; नाई; हज्जाम।
बार्ह
(सं.) [वि.] 1. मोर संबंधी 2. मोर के पंख से बना हुआ।
बार्हस्पत्य
(सं.) [सं-पु.] 1. एक संवत्सर 2. गुरु बृहस्पति द्वारा प्रवर्तित नास्तिक भूतवादियों अर्थात भौतिकता पर बल देने वालों का एक संप्रदाय। [वि.] 1. बृहस्पति संबंधी
2. भौतिकवादी विचारों वाला।
बाल
(सं.) [सं-पु.] 1. केश 2. बालक 3. किसी पशु का बच्चा 4. शरीर का रोआँ; रोम। [सं-स्त्री.] जौ, गेहूँ आदि का वह भाग जिसमें दाने लगे होते हैं। [वि.] जो सयाना न
हो; जिसे अभी यथेष्ट ज्ञान और समझ न हो; जिसका जन्म हुए अभी अधिक समय न हुआ हो। [मु.] -की खाल निकालना : व्यर्थ तर्क करना, व्यर्थ का दोष
निकालना। -तक बाँका न होना : किसी प्रकार की क्षति या कष्ट न होना। -बाल बचना : किसी संकट से किसी प्रकार निकल जाना।
बालक
(सं.) [सं-पु.] 1. लड़का; बच्चा 2. नाबालिग 3. {ला-अ.} अनजान; नासमझ 4. एक जलीय पौधा; मोथा।
बालकनी
(इं.) [सं-पु.] 1. बरामदा; बारजा 2. प्रेक्षागृहों या सभागारों में मंच के तल से ऊपर वाले तल पर बैठने की व्यवस्था; दर्शकदीर्घा।
बालकपन
[सं-पु.] 1. बचपन; लड़कपन 2. {ला-अ.} बच्चों जैसी नासमझी; बचकानापन।
बालक्रीड़ा
(सं.) [सं-स्त्री.] छोटे बच्चों के हँसी-ख़ुशी और मस्ती भरे खेल।
बालचंद्रिका
(सं.) [सं-स्त्री.] (संगीत) कर्नाटक संगीत शैली की एक रागिनी।
बालचर
(सं.) [सं-पु.] 1. बालकों में चरित्र, लोकसेवा और स्वावलंबन का भाव लाने के लिए स्थापित संघ 2. उक्त संघ का सदस्य; (स्काउट)।
बालटी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार का पात्र या बरतन जिसमें पानी रखा जाता है; डोल की तरह का पानी रखने का एक पात्र।
बालतोड़
[सं-पु.] बाल के जड़ से उखड़ने या टूट जाने से होने वाला फोड़ा या घाव।
बालना
(सं.) [क्रि-स.] जलाना।
बालपन
(सं.) [सं-पु.] बचपन; बाल्यकाल।
बाल-बच्चे
[सं-पु.] 1. संतान; औलाद 2. गृहस्थी; परिवारजन 3. छोटे लड़के-लड़कियाँ।
बालबुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बचपना 2. बालोचित बुद्धि 3. नासमझी 4. कमअक्ली। [वि.] बच्चों-सी अक्ल रखने वाला; अल्पबुद्धि।
बालबोध
(सं.) [वि.] बच्चों की समझ में आने वाला; सरल; आसान।
बालब्रह्मचारी
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसने बचपन से ही ब्रह्मचर्य का व्रत धारण कर लिया हो; आजन्म ब्रह्मचारी 2. अविवाहित; कुँवारा।
बालभवन
(सं.) [सं-पु.] दे. बालवाड़ी।
बालभोग
(सं.) [सं-पु.] देवताओं के आगे सुबह रखा जाने वाला नैवेद्य या प्रसाद; कलेवा।
बालम
(सं.) [सं-पु.] 1. पति; पिया 2. प्रेमी; प्रियतम।
बालमन
(सं.) [सं-पु.] 1. बालक जैसा मन; बालमति; बालबुद्धि 2. बालक जैसी सरलता 3. बच्चों का मनोविज्ञान।
बालमुकुंद
(सं.) [सं-पु.] 1. बालक आयु के कृष्ण; बालकृष्ण; कन्हैया 2. कृष्ण के बाल रूप की वह मूर्ति जिसमें उन्हें घुटनों के बल चलता दिखाया जाता है।
बाललीला
(सं.) [सं-स्त्री.] बच्चों के खेल और कार्यकलाप; बालक्रीड़ा; बालचरित।
बालवाड़ी
[सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ बच्चों के अनुसार खेलने-सीखने की चीज़ें रखी जाती हैं; बच्चों के लिए बना सार्वजनिक स्थल; बालभवन; बच्चों का उपवन; आँगनवाड़ी।
बालविधवा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जो बाल्यावस्था में ही विधवा हो गई हो 2. पति सहवास से पहले ही विधवा हो जाने वाली स्त्री।
बालविनोद
(सं.) [सं-पु.] 1. बच्चों का खेल 2. बच्चों का हँसी-मज़ाक।
बालविवाह
(सं.) [सं-पु.] वह विवाह जो बाल्यावस्था में हुआ हो; छोटी उम्र में होने वाला विवाह।
बालसुलभ
(सं.) [वि.] बच्चों की तरह; बच्चों का-सा; शिशुवत।
बालसूर्य
(सं.) [सं-पु.] सुबह उगता हुआ सूर्य; उदयकाल का सूर्य; बालार्क।
बालहठ
(सं.) [सं-पु.] 1. बच्चे का वह हठ जिसमें अक्सर वह अपनी बात मनवा ही लेता है; ठिनक 2. बच्चे की ज़िद।
बाला
(सं.) [सं-पु.] 1. कान में पहनने का एक प्रकार का छल्लेनुमा गहना; बड़ी बाली 2. हाथ में पहनने का कड़ा 3. गेहूँ, जौ की फ़सल में लगने वाला एक तरह का कीड़ा।
[सं-स्त्री.] 1. बारह-तेरह वर्ष से सोलह-सत्रह वर्ष तक की अवस्था की लड़की; बालिका; किशोरी।
बालाग्र
(सं.) [सं-पु.] 1. बाल का अगला भाग; सिरा 2. {अ-अ.} एक प्राचीन माप या परिमाण। [वि.] बाल की नोक जैसा।
बालावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. बाल्यावस्था।
बालिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी लड़की; कन्या 2. बेटी।
बालिग
(अ.) [वि.] 1. वयस्क; वयः प्राप्त 2. सयाना।
बालिश1
(सं.) [सं-पु.] 1. बच्चों के समान व्यवहार या आचरण करने वाला व्यक्ति 2. मूर्ख व्यक्ति। [वि.] 1. नासमझ; अबोध; अज्ञानी 2. बालबुद्धि; बालमति 3. लापरवाह।
बालिश2
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. तकिया; सिरहाना 2. मसनद 3. बढ़ती।
बालिश्त
(फ़ा.) [सं-पु.] हाथ की सब उँगलियों को फैलाने पर अँगूठे के शीर्ष से कनिष्ठिका के शीर्ष तक की दूरी; बित्ता; हाथ के पंजे के बराबर लंबाई।
बाली
(सं.) [सं-पु.] (रामायण) किष्किंधा का एक प्रसिद्ध वानर राजा जिसका वध राम ने किया था; बालि। [सं-स्त्री.] 1. कान या नाक में पहना जाने वाला एक प्रकार का गोल
आभूषण 2. गेहूँ, जौ आदि के पौधे पर लगने वाला अनाज के दानों का समूह या गुच्छा।
बालुका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बालू; रेत 2. ककड़ी 3. कपूर।
बालू
[सं-स्त्री.] रेत; बहुत महीन मिट्टी।
बालूशाही
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] मैदे से बनाई जाने वाली एक तरह की मिठाई।
बालेंदु
(सं.) [सं-पु.] शुक्ल पक्ष की द्वितीया का चाँद; दूज का चाँद।
बालेष्ट
(सं.) [सं-पु.] 1. बेर का वृक्ष 2. बेर का फल।
बालोचित
(सं.) [वि.] बालक की मानसिकता के अनुकूल; बच्चों के लिए उचित।
बालोपयोगी
(सं.) [वि.] जो बच्चों के लिए उपयोगी हो; बच्चों के लिए लाभकारी।
बाल्यकाल
(सं.) [सं-पु.] बचपन का समय; बालपन की अवधि।
बाल्यावस्था
(सं.) [सं-स्त्री.] बचपन की अवस्था या युवा होने से पहले की अवस्था; छोटी या कम उम्र वाली अवस्था; लड़कपन।
बावजूद
(फ़ा.) [अव्य.] इतना होते हुए भी; होने पर भी; तब भी; अतिरिक्त।
बावड़ी
[सं-स्त्री.] बावली।
बावन
[वि.] संख्या '52' का सूचक।
बावरची
(फ़ा.) [सं-पु.] खाना पकाने वाला व्यक्ति; रसोइया।
बावरचीख़ाना
(फ़ा.) [सं-पु.] खाना पकाने की जगह; पाकशाला; रसोई या रसोईघर।
बावर्ची
(फ़ा.) [सं-पु.] दे. बावरची।
बावला
[वि.] 1. पागल; सिर्री (पुरुष); सनकी; झक्की 2. शरीर में वायु या वात का प्रकोप उत्पन्न होने से मानसिक रूप से असंतुलित (व्यक्ति)।
बावलापन
[सं-पु.] 1. पागलपन; सिर्रीपना 2. झक; सनक।
बावली
[सं-स्त्री.] 1. पागल स्त्री 2. चौड़े मुँह का एक प्रकार का कुआँ, जलाशय या तालाब जिसमें पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हों; बावड़ी 3. हज़ामत का एक प्रकार। [वि.]
पगली; सिर्रिन।
बाशिंदा
(फ़ा.) [सं-पु.] निवासी; रहने वाला।
बास
[सं-पु.] 1. बदबू; दुर्गंध 2. निवास। [स्त्री.] 1. {ला-अ.} बहुत ही थोड़ा अंश, जैसे- उसमें भल-मनसाहत की बास तक न मिलेगी 2. एक प्रकार का अस्त्र 3. तोप के गोले
के अंदर भरी हुई छुरियाँ या तेज़ धार वाले दूसरे छोटे अस्त्र।
बासंती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बासा; अडूसा 2. माधवी लता 3. जूही 4. बसंत का उत्सव। [वि.] पीले रंग का; पीला; बसंती।
बासठ
[वि.] संख्या '62' का सूचक।
बासन
[सं-पु.] 1. बरतन; पात्र; धातु, मिट्टी आदि से बने हुए पात्र 2. भोजन बनाने और खाने में प्रयुक्त बरतन आदि।
बासमती
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का ख़ुशबूदार और अच्छा धान 2. उक्त धान का चावल।
बासी
[वि.] 1. एक या कई दिन पहले का बना हुआ खाद्य पदार्थ 2. देर का पका हुआ भोजन 3. सूखा या कुंभलाया हुआ। [मु.] -हो जाना; - पड़ना : पुराना या बेकार हो जाना।
बासौंधी
[सं-स्त्री.] दूध खौलाकर बनाया जाने वाला एक प्रकार का खाद्य पदार्थ; रबड़ी; बसौंधी।
बास्केटबाल
(इं.) [सं-पु.] टोकरीनुमा जाल में गेंद डालने का एक खेल।
बाहना
(सं.) [क्रि-स.] 1. साफ़ करना; झाड़ना 2. कंघी करना, जैसे- बाल बाहना 2. हल आदि से खेत जोतना 3. हाँकना; फेंकना 4. धारण करना; ग्रहण करना; भोग करना 5. वहन करना;
ढोना 8. {ला-अ.} गाय, भैंस आदि पशु को गाभिन कराना।
बाहर
(सं.) [क्रि.वि.] 1. किसी निश्चित सीमा से परे, दूर या आगे 2. सीमा के उस पार; अलग 3. अधिकार या सीमा से परे 4. भीतर का उलटा। [मु.] -करना :
निकालना या हटाना।
बाहर-बाहर
[क्रि.वि.] कहीं और से; अन्य जगह से; भिन्न-भिन्न स्थानों से।
बाहरी
[वि.] 1. बाहरवाला 2. जो अपने वर्ग, देश या समाज का न हो; परदेसी 3. गैर; पराया 4. अलग; भिन्न 5. जिसके भीतर कोई तथ्य न हो; दिखाऊ 6. किसी व्यक्ति के वातावरण से
उसकी विच्छिन्नता सूचित करने वाला एक शब्द; (आउटसाइडर)।
बाहु
(सं.) [सं-पु.] 1. भुजा; बाँह 2. गणित में त्रिभुज आदि की प्रत्येक रेखा।
बाहुक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक नाग 2. नकुल का एक नाम 3. राजा नल का एक नाम। [वि.] 1. अधीन; आश्रित 2. तैरने वाला।
बाहुज
(सं.) [सं-पु.] 1. (जनश्रुति) वह जो बाँह से पैदा हुआ हो; क्षत्रिय 2. क्षत्रिय समाज की एक शाखा।
बाहुत्राण
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँह पर बाँधा जाने वाला चमड़े या लोहे का बख़्तर या कवच 2. युद्ध में हाथों की रक्षा के लिए पहना जाने वाला दस्ताना।
बाहुपाश
(सं.) [सं-पु.] दोनों बाहों को मिलाकर बनाया गया घेरा; भुजपाश; आलिंगन करते समय बाहों की मुद्रा।
बाहुबल
(सं.) [सं-पु.] 1. भुजबल; शारीरिक बल 2. पराक्रम; वीरता।
बाहुबली
(सं.) [सं-पु.] 1. शक्ति और आतंक के बल पर अपनी इच्छानुसार कार्य करने या करवाने वाला व्यक्ति 2. अपराध करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. मज़बूत बाँहोंवाला; जिसकी
भुजाएँ शक्तिशाली हों 2. पराक्रमी; वीर।
बाहुमूल
(सं.) [सं-पु.] कंधे और बाँह के बीच का जोड़ या संधि।
बाहुल
(सं.) [सं-पु.] 1. कार्तिक का महीना 2. अग्नि; आग 3. युद्ध के समय हाथ में पहनने का एक उपकरण; बाहुत्राण; दस्ताना।
बाहुल्य
(सं.) [सं-पु.] प्रचुरता; बहुलता; अधिकता; बहुतायत; इफ़रात।
बाह्य
(सं.) [वि.] बाहरी; बाहर का; किसी प्रकार के क्षेत्र, परिधि, सीमा आदि के बाहर रहने या होने वाला।
बिंदा
[सं-पु.] माथे पर लगाई जाने वाली बड़े आकार की गोल बिंदी; माथे का आभूषण; बड़ी टिकुली।
बिंदास
[वि.] 1. संकोच न करने वाला 2. जो पुराने रीति-रिवाज़ों तथा समाज की मान्यताओं को न मानता हो।
बिंदिया
[सं-स्त्री.] बिंदी।
बिंदी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माथे पर लगाया जाने वाला छोटा गोल टीका; टिकुली; बिंदिया; बिंदुली 2. शून्य का सूचक चिह्न 3. अनुस्वार चिह्न; सिफ़र; बिंदु 4. कोई छोटा
गोल चिह्न।
बिंदु
(सं.) [सं-पु.] 1. बूँद 2. छोटा-सा धब्बा 3. किसी पदार्थ का छोटा-सा अंश।
बिंदुक
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी या किसी तरल पदार्थ की बूँद 2. बिंदी।
बिंदुकित
(सं.) [वि.] जिसपर बिंदु लगे हों; बिंदु लगा हुआ।
बिंदुली
[सं-स्त्री.] बिंदी; टिकुली; टीका।
बिंधना
[क्रि-अ.] 1. उलझना; फँसना; अटकना 2. बींधा जाना; पिरोया जाना।
बिंब
(सं.) [सं-पु.] 1. अक्स; परछाँई; (इमेज) 2. प्रतिमूर्ति 3. आभास; झलक 4. शब्द का लक्षणा या व्यंजना शक्ति से निकलने वाला अर्थ 5. सूर्य या चंद्रमा का मंडल।
बिंबक
(सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा या सूर्य का मंडल 2. साँचा।
बिंब-विधान
(सं.) [सं-पु.] 1. लक्षणा या व्यंजना से निकलने वाले अर्थ का विधान 2. कविता में बिंबों के प्रयोग की योजना।
बिंबा
(सं.) [सं-पु.] 1. कुँदरू फल 2. चंद्र या सूर्य का मंडल 3. बिंब; प्रतिच्छाया।
बिंबांकन
(सं.) [सं-पु.] 1. कविता या कहानी के माध्यम से मनोभावों को बिंब के रूप में अंकित करने की क्रिया या भाव 2. छायाकृति या कल्पनाकृति की रचना 3. चित्रांकन।
बिंबात्मक
(सं.) [वि.] 1. (कथा या कविता) जिसमें बिंबों का प्रयोग किया गया हो 2. चित्रात्मक 2. प्रतीकात्मक।
बिंबिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कुँदरू की लता 2. सूर्य या चंद्रमा का मंडल।
बिंबित
(सं.) [वि.] जिसपर बिंब या प्रतिबिंब पड़ा हो; प्रतिबिंबित।
बिंबिसार
(सं.) [सं-पु.] गौतम बुद्ध के समकालीन मगध का एक प्राचीन राजा।
बिंबु
(सं.) [सं-पु.] सुपारी का वृक्ष।
बिकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. क्रय होना; मूल्य लेकर दिया जाना; बेचा जाना 2. धन आदि लेकर किसी के पक्ष में निर्णय या कार्यवाही आदि करना।
बिकनी
(इं.) [सं-स्त्री.] तैरने के लिए स्त्रियों द्वारा पहनी जाने वाली चुस्त बनियाननुमा कुरती और जाँघिया।
बिकवाना
[क्रि-स.] दूसरे को बेचने में प्रवृत्त करना; बिकने में सहायता करना।
बिकवाल
[सं-पु.] बेचने वाला; विक्रेता; किसी चीज़ को बेचने का कारोबार करने वाला व्यक्ति।
बिकवाली
[सं-स्त्री.] 1. बिक्री 2. पूँजी आधारित शेयर बाज़ार में मुनाफ़े के लिए शेयर या हिस्सेदारी बेचने की क्रिया।
बिकाऊ
[वि.] 1. जिसका मूल्य लगाया जा सके; बिकने वाला 2. जो अवैध रूप से धन या रिश्वत आदि लेता हो।
बिक्री
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेचने की क्रिया या भाव 2. बिकने का भाव 3. वस्तु के बिकने पर प्राप्त होने वाला धन।
बिक्रीकर
(सं.) [सं-पु.] वस्तुओं की बिक्री पर ग्राहकों से लिया जाने वाला राजकीय कर; (सेलटैक्स)।
बिखरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. वस्तुओं का बेतरतीबी से इधर-उधर फैलना 2. अलग-अलग या दूर-दूर होना।
बिखरा
(सं.) [वि.] अस्त-व्यस्त; इधर-उधर फैला हुआ।
बिखराना
[क्रि-स.] दे. बिखेरना।
बिखराव
[सं-पु.] बिखेरने की क्रिया या भाव; बिखरा होने की अवस्था; फैलाव; विस्तार।
बिखेरना
[क्रि-स.] 1. वस्तुओं को किसी विशेष ढंग से इधर-उधर फैलाना; तितर-बितर करना 2. छिटकाना; फेंकना।
बिगड़ना
[क्रि-अ.] 1. ख़राब होना; विकृत होना 2. काम देने के लायक न रहना (यंत्र) 3. उपयोगिता घट जाना (वस्तु) 4. बुरी दशा में आना 5. बुराई के रास्ते पर जाना; भ्रष्ट
होना 6. संबंधों में परस्पर आत्मीयता न रहना; वैमनस्य होना 7. चौपायों का क्रुद्ध होकर उपद्रव करना।
बिगड़ी
[सं-स्त्री.] 1. वह बात, परिस्थिति या काम जो बिगड़ चुका हो 2. विकृत वस्तु; (आउट ऑव आर्डर)। [वि.] 1. अवनत; अशुद्ध 2. तुड़ी-मुड़ी; बेडौल 3. भ्रष्ट; दुराचारी।
बिगड़ैल
[वि.] 1. क्रोधी स्वभाव वाला; बात-बात पर नाराज़ होने वाला 2. लड़ाकू 3. जो बुरी संगति में पड़ा हो; बिगड़ा हुआ।
बिगाड़ना
[क्रि-स.] 1. ख़राब करना; दोषयुक्त करना 2. उपयोगिता घटाना 3. स्वाभाविक दशा से बुरी दशा में ला देना 4. दूसरे को बुराई के रास्ते पर ले जाना; भ्रष्ट करना 5.
नाराज़ या क्रुद्ध करना 6. किसी यंत्र को इस तरह ख़राब कर देना कि वह काम देने के लायक न रहे 7. संबंधों में वैमनस्य उत्पन्न करना।
बिगाड़ू
[वि.] 1. जो बिगाड़ता हो 2. कलहप्रिय 3. नाशकारी 4. दुश्मनी मोल लेने वाला।
बिगुल
(अ.) [सं-पु.] भीड़, सैनिकों आदि को एकत्र करने के लिए बजाया जाने वाला बाजा; तुरही।
बिगोना
[क्रि-स.] 1. बिगाड़ना; ख़राब करना 2. गँवाना; व्यर्थ बिताना 3. हैरान करना; तंग करना 4. दुरुपयोग करना 5. बहकाना। [क्रि-अ.] 1. ख़राब होना 2. नष्ट होना।
बिग्गड़
[वि.] 1. शरारती; कुछ बिगाड़ करने वाला 2. मनमौजी; बदमिजाज़; स्वेच्छाचारी।
बिचकना
[क्रि-अ.] 1. नाराज़ होना 2. घृणा आदि से मुँह सिकोड़ना 3. अप्रसन्नता व्यक्त करने के लिए मुँह बनाना 4. चौंकना।
बिचकाना
[क्रि-स.] 1. मुँह चिढ़ाना 2. अधिक तीखा स्वाद होने के कारण मुँह टेढ़ा-मेढ़ा बनाना 3. चेहरे पर अप्रसन्नता सूचक हाव-भाव लाना।
बिचला
[वि.] 1. बीच का; मध्य का; जो बीच में हो; मध्यम 2. जो न छोटा हो न बड़ा हो; मझला।
बिचवई
[सं-पु.] 1. दलाल 2. मध्यस्थ; बीच-बचाव करने वाला; (मीडिएटर)। [सं-स्त्री.] बीच में पड़कर विवाद का निपटारा करने की क्रिया; मध्यस्थता।
बिचौलिया
[सं-पु.] मध्यस्थ; सौदे आदि को पटाने में मध्यस्थता करने वाला व्यक्ति।
बिच्छू
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का विषैला जंतु जिसके डंक मारने से भयंकर पीड़ा होती है।
बिछड़ना
(सं.) [क्रि-अ.] साथ रहने वालों का परस्पर अलग होना; दूर होना; जुदा होना; साथ छूटने से अकेला रह जाना; वियोग होना, जैसे- तूफ़ान आदि में फँसने पर साथ छूट जाना।
बिछना
[क्रि-अ.] 1. फैलना 2. बिखरना। [मु.] बिछ जाना : किसी के स्वागत में अत्यंत विनम्र हो जाना।
बिछाई
[सं-स्त्री.] 1. बिछाने की क्रिया या भाव 2. बिछाने का पारिश्रमिक या मज़दूरी 3. बिछौना।
बिछाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. बिस्तर, कपड़े आदि को दूर तक ज़मीन पर फैलाना 2. दूर तक बिखेरना 3. व्यक्ति को घायल करके ज़मीन पर डाल देना।
बिछाव
[सं-पु.] 1. बिछाने की क्रिया या भाव 2. बिछौना।
बिछावन
[सं-पु.] वे कपड़े जो खाट पर बैठने या लेटने के लिए डालते हैं; बिछौना; बिस्तर।
बिछिया
[सं-स्त्री.] सुहागिन स्त्रियों द्वारा पैरों की उँगलियों में पहना जाने वाला आभूषण।
बिछुआ
[सं-पु.] 1. स्त्रियों द्वारा पैरों में अँगूठे के पास वाली उँगली में पहना जाने वाला एक प्रकार का आभूषण 2. डंक मारने वाला एक जीव; बिच्छू 3. एक तरह की छुरी या
कटार।
बिछुवा
[सं-स्त्री.] दे. बिछुआ।
बिछोड़ा
[सं-पु.] बिछड़ने की क्रिया या भाव; वियोग; जुदाई।
बिछौना
[सं-पु.] 1. ज़मीन या पलंग आदि पर बिछाने का कपड़ा या दरी 2. सर्दियों में सोने-बैठने का मोटा गद्दा; (मैट्रेस) 3. बिछावन; बिस्तर।
बिजना
(सं.) [सं-पु.] 1. गर्मियों में हाथ से घुमाकर हवा करने का पंखा 2. छोटा पंखा।
बिजनेस
(इं.) [सं-पु.] कारोबार; काम-धंधा; व्यापार; वाणिज्य; व्यवसाय; क्रय-विक्रय।
बिजली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विद्युत; घर्षण, ताप और रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाली एक शक्ति जिससे ताप और प्रकाश उत्पन्न भी होता है 2. आकाश में सहसा
उत्पन्न होने वाला वह प्रकाश जो बादलों की रगड़ से उत्पन्न होता है; आकाशीय विद्युत 3. कान में पहनने का एक प्रकार का गहना जिसमें चमकीला लटकन लगा रहता है 5. आम
की गुठली के अंदर की गिरी। [वि.] {ला-अ.} 1. बहुत अधिक चमकीला 2. चंचल या चपल। [मु.] -गिरना : नष्ट होना।
बिजलीघर
[सं-पु.] विद्युत उत्पादन, संग्रह एवं वितरित करने का स्थान या केंद्र; विद्युत-गृह; (पावरहाउस)।
बिजूका
[सं-पु.] 1. पक्षियों और छोटे जंतुओं को डराने के लिए खेत में उलटी हाँडी का सिर बनाकर खड़ा किया गया पुतला 2. कृषिरक्षक पुतला 3. {ला-अ.} धोखा; भुलावा।
बिजोरा
(सं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें बल या ज़ोर न हो; दुर्बल; कमज़ोर।
बिजौरा
(सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का नीबू 2. एक खाद्य पदार्थ जो तिल एवं दाल पीसकर बनाया जाता है। [वि.] 1. बीज बोने से उत्पन्न होने वाला; बीजू (पेड़) 2. 'कलमी' से
भिन्न।
बिज्जू
[सं-पु.] बिल्ली के जैसा एक जंगली जानवर; बीजू।
बिझँवारी
[सं-स्त्री.] छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली एक उपभाषा; बोली।
बिझुकना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. डरना; तनना 2. तनने के कारण टेढ़ा होना 3. भड़काना 4. बिचकना 5. चंचल होना।
बिट
(इं.) [सं-स्त्री.] कंप्यूटर एवं संचार तंत्र में इनफ़ॉरमेशन डाटा (सूचना) को मापने की इकाई जो बाइनरी और डिजिट नामक दो शब्दों की संक्षिप्ति से बनी है।
बिटिया
[सं-स्त्री.] 1. लड़की 2. बेटी; पुत्री।
बिठाना
[क्रि-स.] बैठाना।
बिडरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. बिखराना; अलग-अलग होना 2. बिदकना या बिचकना (पशुओं आदि का) 3. नष्ट होना।
बिडराना
(सं.) [क्रि-स.] 1. अलग-अलग करना; बिखराना 2. भगाना; निकालना।
बिड़ारना
[क्रि-स.] 1. भगाना 2. बाहर करना; निकालना 3. दूर-दूर कर देना 4. विपक्षी दल को डराकर भगा देना।
बिड़ालिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हरताल 2. बिल्ली।
बिताना
[क्रि-स.] व्यतीत करना; गुज़ारना (समय, अवधि)। [क्रि-अ.] बीतना।
बित्ता
[सं-पु.] 1. व्यक्ति के हाथ के अँगूठे और छोटी उँगली या कनिष्ठा के सिरों के बीच की दूरी 2. उक्त दूरी की माप। [मु.] बित्ते भर का : छोटा-सा।
बिथरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. बिखरना 2. छिटककर इधर-उधर फैलना 3. अलग-अलग होना; बिछड़ना 4. खिलना 5. नष्ट-भ्रष्ट या छिन्न-भिन्न होना। [क्रि-स.] 1. बिखराना 2. (बीज आदि)
खेत में बोना।
बिथारना
[क्रि-स.] 1. बिखेरना 2. छितराना; छिटकाना 3. बिखेरना; बोना।
बिदकना
[क्रि-अ.] 1. भड़कना 2. कुछ डरते हुए पीछे हटना 3. घायल होना 4. फटना; चिरना।
बिदकाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. डराकर पीछे हटाना; भड़काना 2. चौंकाना 3. चीरना; फाड़ना 4. घायल करना।
बिदेसिया
[सं-पु.] 1. एक भोजपुरी लोकगीत जिसके प्रत्येक चरण के अंत में 'बिदेसिया' शब्द आता है 2. भिखारी ठाकुर विरचित एक नाटक।
बिन1
[क्रि.वि.] बिना; सिवा; बजाय; बगैर।
बिन2
(अ.) [सं-पु.] बेटा; पुत्र।
बिनन
[सं-स्त्री.] 1. बिनने या चुनने की क्रिया या ढंग; चुनन 2. किसी चीज़ को बीनने पर निकलने वाला कूड़ा 3. बुने हुए होने की अवस्था; बुनावट।
बिनना
(सं.) [क्रि-स.] 1. छोटी-छोटी चीज़ों को एक-एक करके उठाना; बीनना 2. चुनना; छाँटना 3. डंक मारना।
बिनवाना
[क्रि-स.] 1. किसी दूसरे को बीनने या छाँटने के काम में प्रवृत्त करना; चुनवाना 2. सिलाई आदि की सहायता से धागे से कपड़ा बनाना; बुनवाना।
बिना1
(सं.) [अव्य.] बगैर; न होने पर; के अभाव में; न रहने या न होने की दशा में।
बिना2
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बुनियाद; नींव; आधार 2. सबब; कारण।
बिनाई1
[सं-स्त्री.] 1. चुनने या बीनने का क्रिया या भाव 2. बीनने की पारिश्रमिक 3. बुनाई।
बिनाई2
(अ.) [सं-स्त्री.] आँखों की रोशनी; दृष्टि क्षमता।
बिनावन
[सं-स्त्री.] 1. वह फालतू कूड़ा जो अनाज बीनने पर निकलता है 2. बुनावट।
बिनौला
[सं-पु.] कपास का बीज।
बिफरना
(सं.) [क्रि-अ.] भड़कना; क्रुद्ध होना; नाराज़ होना; लड़ाई-झगड़े के लिए उद्यत होना।
बियाबान
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. जंगल; वन 2. उजाड़ जगह; सुनसान मैदान।
बियारी
[सं-स्त्री.] संध्या के समय किया जाने वाला भोजन; ब्यालू।
बियावर
[सं-स्त्री.] मादा जीव या पशु जो ब्याने या बच्चा देने वाली हो; गाभिन मादा पशु।
बिरंगा
(सं.) [वि.] 1. कई रंगों वाला; जिसके कई रंग हों, जैसे- रंग-बिरंगा 2. बेरंग; वर्णहीन।
बिरंज
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चावल 2. पका हुआ चावल; भात 3. पीतल।
बिरयानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का नमकीन पुलाव जिसमें गोश्त या सब्ज़ियाँ मिला दी जाती हैं।
बिरला
(सं.) [वि.] 1. इक्का-दुक्का 2. अनेक या बहुतों में से ऐसा ही कोई जिसमें किसी विशिष्ट काम को करने का सामर्थ्य तथा साहस होता है 3. जो सब जगह या अधिकता से नहीं
बल्कि कभी-कभी और कहीं-कहीं दिखाई देता या मिलता हो; दुर्लभ।
बिरवा
[सं-पु.] 1. वृक्ष; पेड़ 2. पौधा 3. चना; बूट।
बिरह
[सं-पु.] वियोग; विछोह; प्रेमी या प्रेमिका के अलग-अलग होने पर अकलेपन की स्थिति; विरह।
बिरहा
(सं.) [सं-पु.] भोजपुरी बोली का एक लोकगीत या लोकछंद।
बिरादर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. भाई; भ्राता; बंधु 2. रिश्तेदार; नातेदार 3. सजातीय 4. बिरादरी का व्यक्ति।
बिरादरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक जाति या समुदाय वाले लोग 2. रिश्तेदारी 3. भाई-बंधु 4. जाति; सजाति 5. गोत्र 6. ऐसे लोगों का वर्ग जिनमें परस्पर बंधुत्वपूर्ण व्यवहार
हो।
बिराना
[क्रि-स.] हँसी उड़ाने के लिए किसी की चेष्टा आदि का अनुकरण करना [वि.] पराया।
बिल
(सं.) [सं-पु.] ज़मीन में तल से नीचे की ओर गया हुआ वह रेखाकार मार्ग या ख़ाली स्थान जिसे कीड़े-मकोड़े, चूहों आदि ने अपने रहने के लिए बनाया होता है; जीव-जंतुओं
के रहने की तंग छोटी जगह; विवर।
बिल2
(इं.) [सं-पु.] 1. वह कागज़ जिसमें किसी मद में धन का भुगतान करने का विवरण या निवेदन हो, जैसे- बिजली का बिल 2. बेचे या ख़रीदे गए सामान का मसौदा या पुरज़ा 3.
रसीद; जावकपत्र; (रिसिप्ट) 4. विधि या कानून का मसौदा जो स्वीकृति या संशोधन-परिवर्तन के लिए संसद में प्रस्तुत किया जाता है; विधेयक।
बिलकुल
(अ.) [क्रि.वि.] 1. पूर्णतः; एकदम 2. निरा; निपट 3. नितांत; सर्वथा 4. सर्व; समस्त।
बिलखना
(सं.) [क्रि-अ.] बहुत रोना; विलाप करना दुखी होना।
बिलटी
(इं.) [सं-स्त्री.] रेल द्वारा भेजे जाने वाले सामान या माल की रसीद जिसे प्रस्तुत करने पर वह सामान मिलता है; जावकपत्र।
बिलनी
[सं-स्त्री.] 1. दीवारों या दरवाज़े आदि पर मिट्टी की छोटी-सी बाँबी बनाने वाली काली भौंरी 2. एक प्रकार का कीट; भृंगी 3. पलक पर निकलने वाली फुंसी; गुहेरी।
बिलबिलाना
[सं-पु.] 1. बिलखना; विकल होकर बे-सिर पैर की बातें करना; प्रलाप करना 2. छोटे कीड़ों का कुलबुलाना।
बिलल्ला
[वि.] 1. जिसे किसी बात का शऊर या तमीज़ न हो; मूर्ख; अनाड़ी 2. काम बिगाड़ू; नौसिखिया 3. निकम्मा; आलसी।
बिला
(अ.) [पूर्वप्रत्य.] बिना, बगैर, रहित, सिवा जैसे- बिलानागा, बिलाशक आदि।
बिलाना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. विलीन होना; अदृश्य हो जाना; लुप्त होना 2. छिप जाना; खो जाना 3. बरबाद या नष्ट हो जाना।
बिलाव
[सं-पु.] मार्जार; बिल्ला; बिलार; विडाल।
बिलावल
[सं-पु.] (संगीत) रात के पहले पहर में गाया जाने वाला एक राग।
बिलियन
(इं.) [सं-पु.] संख्या 1000000000 का सूचक शब्द; एक अरब की संख्या। [वि.] जो संख्या में एक अरब हो।
बिलियर्ड
(इं.) [सं-पु.] गेंदों को एक छड़ी के द्वारा समतल मेज़ के कोने में बने गड्ढ़ों में गिराकर खेला जाने वाला एक खेल।
बिलैया
[सं-स्त्री.] 1. बिल्ली; मार्जारी 2. लकड़ी या काठ की सिटकिनी 3. कद्दूकश 4. कुँए में गिरे हुए सामान को निकालने के लिए बनाया गया लोहे का काँटा।
बिलैया दंडवत
[सं-स्त्री.] 1. दिखावटी नम्रता के साथ किया जाने वाला नमस्कार 2. दिखावटी विनय।
बिलैया भगत
[सं-पु.] जो दूसरों को दिखाने के लिए सज्जन या भला बना हो लेकिन जिसका अंतर्मन कलुषित हो; दुष्ट व्यक्ति।
बिलोड़ना
[क्रि-स.] 1. दूध आदि मथना; बिलोना 2. उड़ेलना; डालना 3. गड्ड-मड्ड करना; अस्त-व्यस्त करना।
बिल्डर
(इं.) [सं-पु.] मकान, दुकान आदि बनाकर या बनवाकर बेचने वाला व्यक्ति।
बिल्ला
(सं.) [सं-पु.] 1. नर बिल्ली 2. पद या संस्था-विशेष की पहचान बताने वाली कपड़े आदि की चौड़ी पट्टी; (बैज)।
बिल्ली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शेर, चीते आदि की जाति का परंतु उनसे छोटा एक प्रसिद्ध पशु जो प्रायः घरों में पाला जाता है 2. दरवाज़े में ऊपर या नीचे लगाने की एक प्रकार
की सिटकनी; बिलैया।
बिल्लौर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक तरह का चमकदार और पारदर्शी सफ़ेद पत्थर 2. बहुत स्वच्छ शीशा।
बिवाई
[सं-स्त्री.] पाँव की चमड़ी का फटना; बेवाई; पैर की एड़ियों में दरारें पड़ना।
बिसरना
(सं.) [क्रि-अ.] भूल जाना; विस्मरण होना।
बिसराना
[क्रि-स.] भुलाना; भुला देना; विस्मृत करना।
बिसात
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. हैसियत; सामर्थ्य 2. शतरंज या चौपड़ खेलने के लिए बिछा ख़ानेदार कपड़ा 3. जमा-पूँजी।
बिसातख़ाना
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. बिसाती के यहाँ मिलने वाला दैनिक ज़रूरतों का सामान; बिसाती की दुकान 2. साबुन, तेल, कैंची, धागा तथा खिलौने आदि वस्तुएँ मिलने का स्थान;
(जनरल स्टोर)।
बिसाती
(अ.) [सं-पु.] वह जो कपड़ा या चटाई पर सामान फैलाकर बेचता हो; सुई, धागा, चूड़ी आदि बेचने वाला व्यक्ति।
बिसाना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी पर वश चलना; काबू होना 2. निर्वाह करना 3. विष या ज़हर का असर होना; ज़हर भरना 4. सौदा करना। [क्रि-स.] 1. विषैला करना 2. मोल लेना।
बिसायँध
[वि.] सड़ी मछली की-सी गंधवाला; दुर्गंधवाला। [सं-स्त्री.] दुर्गंध; मांस-मछली की गंध।
बिसारना
[क्रि-स.] भुलाना; विस्मृत करना।
बिसाहना
[क्रि-स.] 1. मोल लेना या ख़रीदना 2. कोई विपत्ति या संकट अपने ऊपर लेना; झंझट पीछे लगाना। [सं-पु.] 1. बिसाहने की क्रिया या भाव 2. मोल लेना 3. सौदा।
बिसाहनी
[सं-स्त्री.] 1. ख़रीदने-बेचने का काम; व्यापार 2. वह वस्तु जो मोल ली गई हो; ख़रीदी जाने वाली चीज़; सौदा।
बिसुनी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार की लता; अमरबेल।
बिसूरना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. खेद करना 2. दुख होने पर धीरे-धीरे सिसकते रहना [सं-पु.] 1. बिसूरने की क्रिया या भाव 2. चिंता; फ़िक्र।
बिसैंधा
[वि.] जिसमें दुर्गंध आती हो; बिसायँधयुक्त; सड़े मांस या मछली की गंधवाला।
बिस्कुट
(इं.) [सं-पु.] 1. आटे से बनी मीठी टिकिया 2. आरारोट आदि की विशेष रीति से बनी मीठी या नमकीन टिकिया।
बिस्कुटी
(इं.) [वि.] बिस्कुट के रंग का; हलका भूरा।
बिस्तर
(फ़ा.) [सं-पु.] शय्या; बिछौना; बिछावन।
बिस्तरबंद
(फ़ा.) [सं-पु.] यात्रा के वक्त बिस्तर बाँधकर ले जाया जाने वाला मोटे कपड़े या कैनवस आदि का बना एक प्रकार का थैला।
बिस्तुइया
[सं-स्त्री.] रेंगने वाला एक जंतु; छिपकली; गृहगोधा; गोधिका।
बिस्मिल्लाह
(अ.) [सं-पु.] 1. कुरान की एक आयत 'बिस्मिल्लाह अर-रहमान अर-रहीम' का संक्षिप्त रूप जिसका अर्थ है- उस अल्लाह के नाम पर (शुरू करता हूँ) जो दयालु और करुणामय है
2. किसी काम को शुरू करते समय कहा जाने वाला वाक्य 3. किसी कार्य या बात का प्रारंभ। [अव्य.] ईश्वर या अल्लाह के नाम से।
बिस्वा
[सं-पु.] क्षेत्रफल मापने की एक इकाई; ज़मीन की एक नाप जो एक बीघे के बीसवें भाग के बराबर होती है।
बिस्वांसी
[सं-स्त्री.] भूमि की माप में एक बिस्वे का बीसवाँ भाग।
बिस्वादार
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. पट्टेदार; हिस्सेदार 2. मध्यकाल में किसी बड़े ज़मींदार के अधीन रहने वाला छोटा ज़मींदार।
बिहारी
[सं-पु.] 1. हिंदी के एक रीतिकालीन कवि 2. बिहार राज्य में रहने वाला व्यक्ति या बिहार का निवासी 3. भ्रमण करने वाला व्यक्ति। [वि.] बिहार संबंधी; बिहार का।
बी
(तु.) [सं-स्त्री.] 1. बहन के लिए प्रयोग किया जाने वाला संबोधन 2. किसी के नाम के बाद प्रयोग किया जाने वाला शब्द, जैसे- ज़ाहिदा बी 3. प्रतिष्ठित महिला।
बींधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. छेदना; बेधना; ऊपर से छेद करके अंदर गड़ाना 2. फँसाना; उलझाना। [क्रि-अ.] 1. वेधित होना; छिदना 2. फँसना; उलझना।
बीएड
(इं.) [सं-स्त्री.] विद्यालयों में पढ़ाने के लिए अध्यापक के रूप में प्रशिक्षित होने की परीक्षा तथा उपाधि; (बैचलर ऑव एजुकेशन)।
बीकर
(इं.) [सं-पु.] गिलासनुमा चौड़े मुँहवाला और बिना हत्थे वाला पात्र जिसे प्रायोगिक कार्य में उपयोग में लाया जाता है; मिट्टी या धातु से बने ऐसे पात्र कई
पुरातात्विक संस्कृतियों में मिले हैं।
बीघा
[सं-पु.] ज़मीन नापने की इकाई; बीस बिस्वे का रकबा।
बीच
(सं.) [सं-पु.] 1. मध्य; दरमियान 2. केंद्र 3. किसी वस्तु या क्षेत्र का भीतरी या मध्य भाग 4. अवसर; मौका; अवकाश; अंतराल। [मु.] -में कूदना :
बेकार हस्तक्षेप करना।
बीच-बचाव
[सं-पु.] परस्पर लड़ने-झगड़ने वालों के बीच जाकर दोनों पक्षों के हितों का ध्यान करते हुए झगड़ा शांत कराने की क्रिया; मध्यस्थता; पंचाट; बिचवई।
बीचबाज़ार
[सं-पु.] खुल्लमखुल्ला; खुलेआम; डंके की चोट पर।
बीचो-बीच
[क्रि.वि.] नितांत मध्य में; बिलकुल बीच में।
बीज
(सं.) [सं-पु.] 1. वह दाना जिसमें पौधा बनने की शक्ति हो 2. प्रधान कारण; मूल प्रकृति 3. जड़ी 4. कारण 5. वीर्य; शुक्र 6. (साहित्य) कथावस्तु का मूल। [मु.] -बोना : आरंभ या सूत्रपात करना।
बीजक
(सं.) [सं-पु.] 1. सूची; सारिणी 2. कबीरदास, दरियादास आदि संतों के प्रामाणिक पदों या वाणियों का संग्रह 3. अनाजों, फलों आदि का बीज 4. (जनश्रुति) वह संकेत-पत्र
या सूची जो गुप्त धन की जानकारी देता है 5. भेजी गई वस्तुओं तथा कीमतों की सूची; चालान।
बीजकोष
(सं.) [सं-पु.] वनस्पति का वह भाग जिसमें बीज या दाना रहता है; बीजाधार।
बीजखाद
[सं-स्त्री.] पुराने समय में ज़मींदारों-साहूकारों द्वारा किसानों को बीज और खाद ख़रीदने के लिए दिया जाने वाला पैसा; किसानों को बीजखाद के लिए दी जाने वाली रकम।
बीजगणित
(सं.) [सं-पु.] गणित का वह भेद जिसमें अक्षरों को संख्याओं का द्योतक मानकर निश्चित युक्ति के द्वारा अज्ञात संख्या ज्ञात की जाती है।
बीजत्व
(सं.) [सं-पु.] बीज होने की अवस्था या भाव; बीजपन।
बीजपूर
(सं.) [सं-पु.] बड़ा बिजौरा नीबू; चकोतरा।
बीजमंत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. वह आधारतत्व या सिद्धांत जिससे कोई कार्य शीघ्रता से पूरा हो जाता हो; गुर; तरकीब 2. किसी देवता की उपासना का मूलमंत्र 3. गुरुमंत्र।
बीजवपन
(सं.) [सं-पु.] 1. बीज बोने की क्रिया 2. खेत 3. {ला-अ.} किसी कार्य या रचना का आरंभ।
बीजा
(सं.) [वि.] दूसरा; दूजा।
बीजांकुर
(सं.) [सं-पु.] बीज से निकलने वाला अंकुर; वह दाना या गुठली जिससे पेड़-पौधे का अंकुर उगे।
बीजांकुरण
(सं.) [सं-पु.] बीज के अंकुरित होने की अवस्था; अंकुरण; बीज के रूप में निकलना।
बीजांड
(सं.) [सं-पु.] 1. भ्रूण का मूल रूप 2. बीज का आरंभिक या मूल रूप।
बीजाक्षर
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रथमाक्षरी नाम; (एक्रोनिम), जैसे- यूनेस्को 2. (तंत्र आदि में) किसी बीजमंत्र का पहला अक्षर।
बीजाणु
(सं.) [सं-पु.] (वनस्पतिशास्त्र) पुष्पहीन जाति के पौधों के बीजकोश में पायी जाने वाली अलिंगी-जनन कोशिकाएँ।
बीजारोपण
(सं.) [सं-पु.] 1. जन्म होना 2. किसी बीज को अंकुरण हेतु भूमि में डालना; खेत में बीज बोना।
बीजी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी फल या बीज के अंदर की गिरी, जैसे- ख़रबूज़े की बीजी 2. छोटा बीज; मींगी 3. गुठली। [वि.] 1. जो बीज से युक्त हो 2. जिसमें बीज हों 3.
बीज से संबंधित; बीज वाला। [सं-पु.] पिता; बाप।
बीजू
[वि.] 1. बीज से उत्पन्न पौधा 2. गैर-कलमी वृक्ष का फल।
बीट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. तुच्छ वस्तु 2. चिड़िया का मल; पक्षियों की विष्ठा 3. (पत्रकारिता) किसी क्षेत्र विशेष से संवाददाता का समाचार एकत्र करना।
बीटी
(इं.) [वि.] 1. जैवतकनीकी रूप से रूपांतरित किया हुआ; (बायोजेनेटिकली मॉडिफ़ाइड), जैसे- बीटी बैगन 2. जीन संरचना या जीनोम में परिवर्तन करके बनाया गया (फल,
वनस्पति आदि)।
बीड
(इं.) [सं-स्त्री.] लकड़ी के सामान और फर्नीचर आदि में लगाई जाने वाली लकड़ी की पतली और संकरी पट्टी; लकड़ी की नक्काशीदार पट्टी; माला की मनका।
बीड़
[सं-स्त्री.] एक के ऊपर एक गुल्ली की आकृति में रखे हुए सिक्के।
बीड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. ज़िम्मेदारी; भार 2. किसी बहुत कठिन काम करने के लिए किया गया सार्वजनिक संकल्प 3. खीली; पान की गिलौरी 4. गाने-बजाने वाले दलों आदि को किसी
अवसर के लिए दिया जाने वाला धन 5. म्यान के मुँह पर बँधी डोरी। [मु.] -उठाना : अपने ऊपर मुश्किल काम का भार लेना।
बीडिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. फर्नीचर या दरवाजों-खिड़कियों की लकड़ी पर सुंदरता के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी की नक्काशीदार पट्टी 2. प्लाईवुड की लंबी पट्टी।
बीड़ी
[सं-स्त्री.] 1. तेंदू के पत्ते से बनी सिगरेट जैसी वस्तु; धूम्रपान करने का पदार्थ 2. दाँत और होंठ रंगने का मंजन 3. तंबाकू 4. स्त्रियों का एक आभूषण जो चूड़ी
की तरह होता है।
बीतना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी बात या घटना का भूतकालीन हो जाना; गुज़र जाना 2. किसी बात या काम का अंत हो जाना 3. समय या वक्त व्यतीत होना; कटना 4. {ला-अ.} किसी घटना,
बात आदि का परिणाम सहन किया जाना।
बीदर
(सं.) [सं-पु.] 1. ताँबे और जस्ते की एक मिश्र धातु 2. उक्त धातु से बने बरतन 3. विदर्भ क्षेत्र या बरार (महाराष्ट्र) में एक स्थान।
बीन1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रायः सपेरों द्वारा मुँह से फूँककर बजाई जाने वाली तुमड़ी; बाँसुरी 2. सितार की तरह का प्रसिद्ध वाद्य यंत्र; वीणा 3. बीन के बजने से
होने वाली आवाज़।
बीन2
(फ़ा.) [परप्रत्य.] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर निम्न अर्थ देता है- 1. देखने वाला, जैसे- तमाशबीन 2. दिखाने वाला, जैसे- दूरबीन।
बीन3
(इं.) [सं-स्त्री.] कोई भी फली जो सब्ज़ी के रूप में उपयोग की जाती है।
बीनकार
[सं-पु.] 1. बीन बजाने वाला व्यक्ति 2. वह जो वीणा बजाने में कुशल हो।
बीनना
[क्रि-स.] 1. छोटी-छोटी वस्तुओं को उठाना; चुनना 2. छाँटना 3. बुनना।
बीबी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. क्षेत्र विशेष में ननद को दिया गया संबोधन 2. स्त्रियों के लिए प्रयुक्त एक सम्मानपूर्ण संबोधन 3. फ़ातिमा; प्रतिष्ठित महिला 4. अविवाहित
कन्या के लिए संबोधन।
बीम1
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. डर; भय 2. जोख़िम; (रिस्क)।
बीम2
(इं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी या धातु का मज़बूत लट्ठा; शहतीर; कड़ी; धरन; आड़ा 2. प्रकाश किरणों का पुंज; प्रकाशरेखा, जैसे- लेज़र बीम 3. जहाज़ का मस्तूल।
बीमा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज़मानत; ठेका; क्षतिपूर्ति की ज़िम्मेदारी लेना 2. वह पत्र जिसमें किस्तों में कुछ निश्चित धन लेते हुए जान या माल की हानि होने पर अधिक रकम
देने की ज़िम्मेदारी का आश्वासन हो।
बीमादार
(फ़ा.) [सं-पु.] वह जो बीमा कराता है; बीमा करने वाला व्यक्ति; (पॉलिसी होल्डर)।
बीमापत्र
(फ़ा.+सं.) [सं-पु.] वह कागज़ जिसमें बीमे से संबंधित सब बातें और शर्तें लिखी होती हैं; (पॉलिसी)।
बीमार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. रोगी व्यक्ति; मरीज़ 2. {ला-अ.} ऐसा व्यक्ति जो अक्सर अपने उग्र स्वभाव के कारण मानसिक रूप से अस्वस्थ और दुखी रहता हो। [वि.] रोगी।
बीमारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रोग; मर्ज़ 2. झंझट का काम 3. {ला-अ.} बुरी आदत; लत।
बीमित
[वि.] जिसका बीमा हुआ हो; जिसका बीमा किया गया हो; (इंश्योर्ड)।
बीर
(सं.) [सं-पु.] भाई; बंधु; भ्राता। [सं-स्त्री.] 1. पत्नी 2. सखी; सहेली 3. कान का गहना; बीरी; तरना 4. चरागाह में पशुओं को चरने के एवज़ में लिया जाने वाला
शुल्क। [वि.] बहादुर; साहसी।
बीरन
(सं.) [सं-पु.] भाई; वीर।
बीरबानी
[सं-स्त्री.] 1. स्त्री; औरत 2. पत्नी; बहू।
बील
(सं.) [वि.] खोखला; पोला। [सं-पु.] वह नीची ज़मीन जहाँ पानी जमा हो जाता है।
बीवी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] पत्नी; भार्या; जीवनसंगिनी।
बीस
[वि.] संख्या '20' का सूचक।
बीस बिस्वे
[क्रि.वि.] 1. जहाँ तक संभव है 2. निश्चित रूप से; पूरी तरह से; अवश्य; निस्संदेह; शत-प्रतिशत।
बीसी
[सं-स्त्री.] 1. बीस का समूह; कौड़ी 2. भूमि की एक माप 3. साठ संवत्सरों के तीन विभागों में से कोई विभाग 4. बीस बीघे के हिसाब से लगने वाला लगान 5. तौलने का
काँटा; तुला।
बीहड़
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊँची-नीची भूमि 2. घना जंगल। [वि.] 1. विषम; ऊँचा-नीचा; ऊबड़-खाबड़ 2. विभक्त; जुदा 3. विकट; बहुत कठिन।
बीहर
(सं.) [वि.] पृथक; अलग; भिन्न।
बुँदका
(सं.) [सं-पु.] 1. माथे का बड़ा गोल टीका; बूँदा 2. कोई बड़ा और गोल धब्बा।
बुँदिया
[सं-स्त्री.] 1. छोटी बूँद 2. बूँदों या दानों के रूप में बनाई जाने वाली एक मिठाई या पकवान जिसके लिए बेसन को घोलकर छनने से कढ़ाई में बूँदों की तरह डालकर तला
जाता है; बूँदी; गुलदाना।
बुँदेली
[सं-स्त्री.] बुंदेलखंड में बोली जाने वाली हिंदी की एक उपभाषा; पश्चिमी हिंदी की एक बोली।
बुँदोरी
[सं-स्त्री.] बूँदी की मिठाई; गुलदाना।
बुंदकी
[सं-स्त्री.] 1. कान का आभूषण; (टॉप्स) 2. छोटी बिंदी 3. किसी चीज़ पर बना हुआ छोटा गोल चिह्न।
बुंदा
(सं.) [सं-पु.] 1. कान में पहनने का लटकने वाला गहना; लोलक 2. माथे की गोल बिंदी; टिकुली 3. टिकुली के आकार का गोदना।
बुंदेलखंडी
[सं-पु.] बुंदेलखंड में रहने वाला व्यक्ति; बुंदेलखंड का निवासी। [सं-स्त्री.] बुंदेलखंड में बोली जाने वाली भाषा; बुंदेली। [वि.] बुंदेलखंड का; बुंदेलखंड
संबंधी।
बुआ
[सं-स्त्री.] 1. पिता की बहन 2. बड़ी बहन (बड़ी बहन को मुस्लिम लोग बुआ या फूफी कहते हैं)।
बुआई
[सं-स्त्री.] खेत में बीज रोपने या फैलाने का कार्य।
बुआना
[क्रि-स.] बोने का काम दूसरे से कराना।
बुक
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किताब; पुस्तक; ग्रंथ 2. लिखने या चित्र बनाने के लिए पुस्तिका; (कॉपी; नोटबुक) 3. किताब की शक्ल में बँधे पन्ने।
बुकचा
(तु.) [सं-पु.] 1. कपड़े की गठरी 2. बंडल; गठरी; बुगचा।
बुकना
[क्रि-अ.] पीसा या बूका जाना; चूर्ण होना।
बुकनी
[सं-स्त्री.] 1. महीन पीसा हुआ पदार्थ; चूर्ण 2. चूर्ण के समान रंग।
बुक-पोस्ट
(इं.) [सं-पु.] डाक द्वारा पुस्तकें-पत्रिकाएँ आदि कहीं भेजने की प्रणाली।
बुकार
[सं-पु.] वह बालू जो बरसात के बाद नदी अपने तट पर छोड़ जाती हो और जिसमें अन्न आदि बोया जा सकता हो; भाट।
बुकिंग
(इं.) [सं-पु.] भुगतान या दावेदारी सुनिश्चित करना, जैसे- टिकट की बुकिंग, रसोई गैस की बुकिंग आदि।
बुक्कल
(पं.) [सं-स्त्री.] ठंड के मौसम में चादर या कंबल आदि को लपेटकर ओढ़ने का ढंग।
बुक्का1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हृदय 2. रक्त; ख़ून; लहू 3. गुरदे या कलेजे का मांस 4. फूँककर बजाया जाने वाला एक बाजा 5. बकरी।
बुक्का2
[सं-पु.] 1. पीसा हुआ चूर्ण 2. अभ्रक का चूर्ण।
बुख़ार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. ज्वर की बीमारी; शरीर का तापमान बढ़ने की अवस्था 2. {ला-अ.} किसी बात या कार्य के प्रति अतिशय लगाव।
बुख़ारी
[सं-स्त्री.] दीवार में बनाई हुई अँगीठी; बखार।
बुज़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बकरी 2. बूचड़। [वि.] डरपोक।
बुज़दिल
(फ़ा.) [वि.] कायर; डरपोक; भीरु।
बुज़दिली
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] कायरता; भीरुता।
बुज़ुर्ग
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वृद्ध और पूज्य व्यक्ति; माननीय व्यक्ति 2. बाप-दादा 3. पुरखा; पूर्वज 4. गुरुजन 5. संत; महात्मा। [वि.] 1. जिसकी अवस्था अधिक हो गयी हो; बड़ा
2. वृद्ध; बूढ़ा 3. आदरणीय।
बुज़ुर्गवार
(फ़ा.) [सं-पु.] पूर्वज; पुरखा। [वि.] 1. वृद्ध 2. पूज्य; माननीय; आदरणीय।
बुज़ुर्गी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बुज़ुर्ग होने की अवस्था या भाव; वृद्धावस्था; वयोवृद्धता 2. बड़प्पन।
बुझना
[क्रि-अ.] 1. आग, दीपक आदि का जलकर बंद हो जाना 2. शांत होना (प्यास) 3. बुझाया जाना 4. जलती वस्तु का ठंडा होना 5. मन का उदास या उत्साहरहित होना।
बुझाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. तपी हुई चीज़ को ठंडा करना 2. ऐसी क्रिया करना जिससे आग अथवा किसी जलते हुए पदार्थ का जलना बंद हो जाए 3. {ला-अ.} बोध या ज्ञान कराना; समझाना;
समझाकर तृप्त या संतुष्ट करना 4. सांत्वना देना।
बुझौअल
[सं-स्त्री.] 1. पूछी जाने वाली कोई पेचीदा या रहस्यपूर्ण बात; पहेली 2. {ला-अ.} आसानी से समझ में न आने वाली बात।
बुझौवल
[सं-स्त्री.] दे. बुझौअल।
बुड़बुड़ाना
[क्रि-अ.] मंद स्वर में अनाप-शनाप बकना; मन में कुढ़कर कुछ बड़बड़ाना; धीरे-धीरे गुस्सा जताना।
बुड्ढा
(सं.) [सं-पु.] वृद्ध या बूढ़ा व्यक्ति। [वि.] जो प्रौढ़ावस्था पार कर चुका हो; जिसकी अवस्था साठ वर्ष से अधिक हो; वृद्ध।
बुढ़ऊ
[सं-पु.] 1. बूढ़ा आदमी; बुज़ुर्गवार 2. वृद्ध पिता या दादा। [वि.] बूढ़ा।
बुढ़भस
[सं-स्त्री.] 1. बुढ़ापे में जवानी की उमंग 2. किसी वृद्ध द्वारा की जाने वाली जवान पुरुषों की हिर्स या अनुकरण 3. बूढ़े द्वारा की जाने वाली बक-बक।
बुढ़ाना
[क्रि-अ.] वृद्ध होना; वृद्धावस्था को प्राप्त होना।
बुढ़ापा
[सं-पु.] वृद्ध होने की अवस्था या भाव; वृद्धावस्था; वयोवृद्धता।
बुढ़िया
(सं.) [सं-स्त्री.] अधिक उम्र की महिला; वृद्धा; बूढ़ी औरत।
बुढ़ौती
[सं-स्त्री.] बूढ़े होने की अवस्था या भाव; वृद्धावस्था; बुढ़ापा।
बुत
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मूर्ति; प्रतिमा; प्रतिकृति 2. वह मूर्ति जिसकी पूजा होती है; देवमूर्ति 3. {ला-अ.} नायिका; प्रेमिका (गीत या ग़ज़ल आदि में प्रयुक्त)। [वि.]
1. मूर्ति की तरह मौन और निश्चल 2. मूर्ख 3. नशे में लिप्त।
बुतख़ाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ पूजा के लिए मूर्तियाँ रखी हों 2. देवालय; मंदिर 3. प्रेमिका के रहने का स्थान (ग़ज़ल आदि में प्रयुक्त)।
बुततराश
(फ़ा.) [सं-पु.] मूर्तियाँ बनाने वाला व्यक्ति; मूर्तिकार।
बुतना
[क्रि-अ.] बुझना; शांत होना।
बुतपरस्त
(फ़ा.) [सं-पु.] मूर्ति की पूजा या आराधना करने वाला व्यक्ति; मूर्तिपूजक।
बुतपरस्ती
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] मूर्तियों को पूजने की क्रिया; मूर्तिपूजा।
बुतशिकन
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मूर्तियों को तोड़ने वाला मूर्तिभंजक 2. मूर्तिपूजा का विरोधी।
बुताना
[क्रि-स.] 1. बुझाना 2. शांत करना।
बुताम
(पुर्त.) [सं-पु.] 1. कपड़ों में लगाने का बटन 2. घुंडी।
बुदबुद
[सं-पु.] 1. बुलबुलों के फटने की आवाज़ 2. पानी का बुलबुला; बुल्ला 3. उबाल 4. बड़-बड़।
बुदबुदाना
[क्रि-अ.] 1. मन ही मन या मंद आवाज़ में इस प्रकार बोलना कि कोई और स्पष्ट न सुन सके; बड़बड़ाना; कुड़मुड़ाना 2. किसी तरल पदार्थ में उठने वाला बुलबुला।
बुदबुदाहट
[सं-स्त्री.] 1. बुदबुदाने की क्रिया 2. बुदबुद शब्द 3. अस्फुट वाणी।
बुद्ध
(सं.) [सं-पु.] बौद्ध धर्म के संस्थापक; शाक्यवंशीय राजा शुद्धोदन के पुत्र और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक सिद्धार्थ गौतम। [वि.] 1. जगा हुआ 2. विकसित 3. ज्ञानी;
पंडित।
बुद्धत्व
(सं.) [सं-पु.] बुद्ध होने की अवस्था या भाव।
बुद्धि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोचने-समझने और निश्चय करने की मानसिक शक्ति 2. मेधा; प्रज्ञा 3. अक्ल; मति 4. स्मृति 5. विवेक।
बुद्धिजीवी
(सं.) [वि.] 1. बुद्धि से जीविका कमाने वाला 2. दिमागी काम करने वाला, जैसे- लेखक, चिकित्सक, प्राध्यापक आदि।
बुद्धिभ्रंश
(सं.) [सं-पु.] एक मानसिक रोग जिसमें बुद्धि ठीक तरह से काम नहीं करती है; पागलपन; मनोभ्रंश; (डिमेंशिया)।
बुद्धिमत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समझदारी; अक्लमंदी 2. बुद्धिमान होने का भाव।
बुद्धिमान
(सं.) [सं-पु.] 1. बुद्धिमान व्यक्ति। [वि.] 1. जो समझदार हो; अक्लमंद 2. चतुर।
बुद्धिमानी
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. बुद्धिमत्ता।
बुद्धिवंत
[वि.] 1. जिसमें बहुत बुद्धि हो; बुद्धिमान 2. समझदार; अक्लमंद।
बुद्धिवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. जहाँ बुद्धि को प्राथमिकता दी जाए 2. वह दार्शनिक मत या सिद्धांत जो यह मानता है कि मनुष्य को समस्त ज्ञान बुद्धि द्वारा ही प्राप्त होता है
3. प्रज्ञावाद; तर्कवाद 4. चमत्कारों की तर्कसंगत व्याख्या करने की प्रवृत्ति।
बुद्धिसंगत
(सं.) [वि.] 1. विचारपूर्ण; तर्कसंगत; विज्ञानसंगत 2. उचित; ठीक।
बुद्धिहीन
(सं.) [वि.] जिसमें सोचने-समझने और निर्णय लेने की शक्ति न हो; निर्बुद्धि।
बुद्धू
[वि.] मूर्ख; गँवार; निर्बुद्धि; जो बुद्धि से काम न लेता हो।
बुध
(सं.) [सं-पु.] सौरमंडल में सूर्य के समीप स्थित एक छोटा ग्रह; (मरकरी)।
बुधवार
(सं.) [सं-पु.] मंगलवार और गुरुवार के बीच का दिन; सप्ताह का तीसरा दिन; सात वारों में से एक वार।
बुनकर
[सं-पु.] कपड़ा बुनने वाला कारीगर; जुलाहा।
बुनकरी
[सं-स्त्री.] वस्त्र बुनने का कार्य; बुनाई; जुलाहे का काम।
बुनना
[क्रि-स.] 1. धागे से कपड़ा बनाना 2. सिलाई आदि के द्वारा कपड़े का रूप देना, जैसे- स्वेटर आदि 3. हाथ या यंत्र से कुछ सूतों को ऊपर और कुछ को नीचे से निकालकर कोई
चीज़ बनाना 4. कुरसी आदि की खाली जगह बुनावट के द्वारा भरना।
बुनवाना
[क्रि-स.] बुनने में प्रवृत्त करना; बुनने का काम कराना।
बुनाई
[सं-स्त्री.] 1. बुनने की क्रिया या भाव 2. बुनने का तरीका या ढंग (ऊनी कपड़ा) 3. बुनने का पारिश्रमिक।
बुनावट
[सं-स्त्री.] बुनाई; सूतों, धागों, तारों आदि की बुनाई का ढंग; ताने-बाने का घना-झीना होना।
बुनियाद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नींव; आधार 2. जड़; मूल 3. आरंभ 4. असलियत; वास्तविकता।
बुनियादी
(फ़ा.) [वि.] 1. आधारस्वरूप 2. जड़ से संबंध रखने वाला 3. बिलकुल प्रारंभिक 4. नींव या बुनियाद के रूप में होने वाला।
बुभुक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] खाने की इच्छा; भूख; क्षुधा।
बुभुक्षित
(सं.) [वि.] भूखा; क्षुधित; जिसे भूख लगी हो।
बुभुक्षु
(सं.) [वि.] भूखा; क्षुधित; खाने की इच्छा करने वाला।
बुभुत्सा
(सं.) [सं-स्त्री.] जानने की प्रबल इच्छा; जिज्ञासा; आतुरता।
बुरकना
[क्रि-स.] बारीक पिसी हुई चीज़ को किसी के ऊपर छिड़कना; भुरभुराना।
बुरका
(अ.) [सं-पु.] एक पहनावा जिससे मुसलमान औरतें अपना पूरा शरीर ढक लेती हैं; नकाब; खेड़ी।
बुरकापोश
(अ.+फ़ा.) [वि.] नकाब पहने हुए या परदा किए हुए; जो बुरका पहनती हो; बुरकाधारी।
बुरकी
[सं-स्त्री.] 1. निवाला; कौर 2. (अंधविश्वास) मंत्र-तंत्र आदि के समय प्रयुक्त की जाने वाली धूल या राख 3. उक्त की सहायता से किया जाने वाला जादू-टोना।
बुरा
(सं.) [सं-पु.] बुराई; हानि; अनिष्ट। [वि.] 1. ख़राब; निकृष्ट 2. जिसमें कोई स्वभावजन्य दोष हो 3. जो बहुत अधिक कष्ट या दुर्दशा में हो 4. जिसमें उग्रता, कठोरता
आदि ऋणात्मक गुण बहुत अधिक हों 5. अमंगलकारक; अशुभ 6. खोटा; कुचाली। [मु.] -फँसना : किसी समस्या में बुरी तरह उलझना। -मानना : अनुचित समझना; नाराज़ होना।
बुराई
[सं-स्त्री.] 1. बुरा होने का भाव 2. अपकार 3. खोटाई; दुष्टता 4. वह तत्व जिसके फलस्वरूप किसी को बुरा कहा जाता है 5. अनुचित या निंदनीय व्यवहार अथवा आचरण 6.
बदगोई; दुश्मनी।
बुरादा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का पिसा हुआ अंश जैसे- लकड़ी, कोयले आदि का चूरा 2. आरे से लकड़ी चीरने पर उसमें निकलने वाला आटे की तरह का महीन अंश।
बुरा-भला
[सं-पु.] 1. अपशब्द; गाली-गलौज 2. हानि-लाभ; उत्थान-पतन 3. अपमान; डाँट। [मु.] -कहना : उचित-अनुचित कह देना। -सोचना :
उचित-अनुचित का विचार करना।
बुरी बला
[सं-स्त्री.] कष्ट या मुसीबत पैदा करने वाली चीज़; हानि करने वाली वस्तु या व्यक्ति; मुसीबत; परेशानी; विपदा; आफ़त।
बुरुल
[सं-पु.] एक तरह का बड़ा पेड़।
बुरुश
(इं.) [सं-पु.] 1. तस्वीर बनाने के काम आने वाली कूची; तूलिका; (ब्रश) 2. किसी चीज़ को पोतने, साफ़ करने या झाड़ने आदि के काम आने वाला उपकरण।
बुर्का
(अ.) [सं-पु.] दे. बुरका।
बुर्ज
(अ.) [सं-पु.] 1. किला; मीनार 2. गुंबद; मंडप 3. राशिचक्र का बारहवाँ अंश 4. (ज्योतिष) राशि; घर 5. कलश।
बुर्जी
(अ.) [सं-स्त्री.] छोटा बुर्ज; छोटा गुंबद।
बुर्जुआ
[सं-पु.] 1. वह रूढ़िवादी मध्यमवर्ग या समुदाय जिसकी सामाजिक और आर्थिक मान्यताएँ वस्तु और पूँजी केंद्रित होती हैं तथा जो निम्नवर्ग की उपेक्षा और शोषण करता है
2. अच्छा वेतन पाने वाला पूँजीवादी मध्यमवर्ग 3. मध्यमवर्ग या मध्यमवर्ग का व्यक्ति। [वि.] 1. पूँजीवाद का समर्थक 2. रूढ़िवादी; परंपराबद्ध।
बुर्द
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मुफ़्त में मिलने वाली रकम; ऊपरी लाभ या नफ़ा 2. बाज़ी; शर्त 3. प्रतियोगिता; होड़ 4. रिश्वत या नज़राने के रूप में मिली हुई वस्तु 5. शतरंज के खेल
में बादशाह के अकेले रह जाने की स्थिति। [वि.] 1. डूबा हुआ 2. नष्टप्रायः; बरबाद; चौपट।
बुर्दबार
(फ़ा.) [वि.] 1. सहनशील; सुशील; शांतिप्रिय 2. गंभीर।
बुर्दबारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सहनशील होने की अवस्था 2. गंभीरता।
बुर्राक
(फ़ा.) [वि.] 1. जो बहुत ही स्वच्छ हो 2. चमकीला; चमकदार 3. सफ़ेद; धवल 4. बहुत ही तीव्र गतिवाला 5. चालाक; चतुर।
बुलंद
(फ़ा.) [वि.] 1. ऊँचा; जिसकी ऊँचाई बहुत अधिक हो; उत्तुंग 2. भारी-भरकम 3. बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ा; उन्नत।
बुलंदी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ऊँचाई; बुलंद होने की अवस्था या भाव; उत्कर्ष 2. {ला-अ.} श्रेष्ठता; चरम सफलता।
बुलडोज़र
(इं) [सं-पु.] 1. एक बड़ा सचल यंत्र जिससे पेड़, मकान आदि गिराए जाते हैं 2. भूमि को समतल करने वाली बड़ी मशीन।
बुलबुल
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की काली छोटी चिड़िया जिसकी बोली बहुत मधुर होती है।
बुलबुला
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी तरल पदार्थ या पानी की बूँद का वह खोखला और फूला हुआ रूप जो उसे अंदर हवा भर जाने के कारण प्राप्त होता है; पानी का बुल्ला; बुदबुदा 2.
{ला-अ.} क्षणभंगुर वस्तु।
बुलवाना
[क्रि-स.] बुलाने का काम करना; किसी को बोलने में प्रवृत्त करना; किसी को किसी के द्वारा बुलवाना; मिलने के लिए आने का संदेश देना।
बुलाक
[सं-स्त्री.] 1. नाक की हड्डी 2. नाक में पहनी जाने वाली नथ 3. वह मोती जो नथ में लटकाया जाता है।
बुलाना
[क्रि-स.] 1. किसी को पास आने के लिए आवाज़ देना; पुकारना 2. किसी को बोलने में प्रवृत्त करना 3. किसी से कुछ कहना या कहलाना।
बुलावा
[सं-पु.] आमंत्रित करने या बुलाने का भाव; आमंत्रण; आवाहन; न्योता।
बुलाहट
[सं-स्त्री.] बुलावा; किसी को कहीं बुलाने के लिए भेजी जाने वाली आज्ञा या संदेश।
बुलेटिन
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) सूचनापत्र, अंक, संस्थानों द्वारा समय-समय पर जारी की गई अधिकृत सूचनाएँ; विज्ञप्ति।
बुवाई
[सं-स्त्री.] दे. बुआई।
बुशर्ट
(इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की कमीज़ जिसमें सामने का भाग खुला हुआ और बटनदार होता है; शरीर के ऊपरी भाग को ढकने का पाश्चात्य शैली का आवरण।
बुसना
[क्रि-अ.] 1. खाद्य पदार्थ का बासी हो जाना 2. खाने-पीने के पदार्थों से बदबू आना गंधाना; सड़ना।
बुसी
[सं-स्त्री.] 1. बासी 2. खाने की वस्तु जो ख़राब हो चुकी हो 3. सूखी।
बुहारना
(सं.) [क्रि-स.] 1. झाड़ू लगाना; झाड़ू से जगह साफ़ करना 2. {ला-अ.} अवांछित तत्वों को दूर करना या बाहर निकालना।
बुहारी
(सं.) [सं-स्त्री.] झाड़ू; बढ़नी।
बू
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गंध; बास; महक 2. {ला-अ.} ठसक; आन-बान; ढंग।
बूँद
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जल आदि का एक बिंदु या कतरा 2. बहुत छोटी बूटियों का एक कपड़ा।
बूँदा
[सं-पु.] कान या नाक में पहना जाने वाला सुराहीदार मोती।
बूँदा-बाँदी
[सं-स्त्री.] हलकी या थोड़ी वर्षा; फुहार।
बूँदी
[सं-स्त्री.] बेसन से बनाई जाने वाली एक मिठाई; बुँदिया।
बूआ
[सं-स्त्री.] दे. बुआ।
बूक
[सं-पु.] 1. चंगुल; बुकट्टा; बकोटा 2. पहाड़ों पर होने वाला माजूफल की तरह का एक वृक्ष।
बूच
(इं.) [सं-पु.] बंदूक आदि में गोली या बारूद को अपने स्थान पर स्थिर रखने के लिए लगाया गया कपड़े या गत्ते का टुकड़ा।
बूचड़
(इं.) [सं-पु.] 1. कसाई; वधिक 2. मांस विक्रेता।
बूचड़ख़ाना
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ कसाई गोश्त के लिए पशुओं का वध किया करते हैं; वधशाला; कसाईख़ाना।
बूचा
[वि.] 1. जिसके कान न हो; कनकटा 2. जो अंग कट जाने के कारण कुछ कुरूप हो गया हो 3. किसी चीज़ की कमी में अशोभनीय लगने वाला, जैसे- कंगन रहित कलाई 4. नंगा; नग्न।
बूझ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बूझने की क्रिया या भाव 2. समझने की क्षमता; समझ; बुद्धि; अक्ल 3. अंतर्बोध; अनुमान; बोध 4. पहेली; बुझौवल।
बूझना
(सं.) [क्रि-स.] 1. पूछना; प्रश्न या सवाल करना 2. जानना; समझना 3. पहेली आदि का उत्तर पूछना।
बूट1
(सं.) [सं-पु.] 1. चने का हरा पौधा 2. चने का हरा दाना।
बूट2
(इं.) [सं-पु.] मोटे तल्ले का जूता।
बूटा
(सं.) [सं-पु.] 1. पौधा 2. कपड़ों, दीवारों आदि पर फूल-पत्तियों या पेड़-पौधों का चित्रण 3. एक पहाड़ी पौधा।
बूटी
[सं-स्त्री.] 1. वनौषधि; आयुर्वेदिक औषधि 2. भाँग 3. छोटे फूलों के से वे चिह्न जो किसी चीज़ पर बने होते हैं; छोटा बूटा।
बूटेदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] बेल-बूटे या छींट से युक्त (कपड़ा या अन्य वस्तु)।
बूढ़ा
(सं.) [वि.] वृद्ध; जो बुढ़ापे की अवस्था में हो।
बूता
[सं-पु.] बल; सामर्थ्य; किसी काम को करने की शक्ति।
बूना
[सं-पु.] चिनार नामक पेड़।
बू-बास
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. गंध; महक 2. किसी परंपरा का शेष अंश 3. सुराग; निशान।
बूबू
[सं-स्त्री.] 1. बड़ी-बूढ़ी महिलाओं के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला संबोधन 2. बड़ी बहन।
बूम1
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. उल्लू 2. बंजरभूमि।
बूम2
(इं.) [सं-पु.] 1. तेज़ी से आगे बढ़ने की क्रिया या भाव 2. उत्थान 3. गर्जना; गूँज 4. अचानक होने वाली तेज़ी।
बूमरेंग
(इं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी का बना एक प्रकार का उपकरण जो विशेष प्रकार से इस प्रकार घुमा कर फेंका जाता है कि फिर उसी जगह पर वापस आ जाता है; एक प्रकार का अस्त्र
2. आस्ट्रेलियाई आइकन।
बूरा
[सं-पु.] 1. शक्कर का चूरा 2. भूरे रंग की कच्ची चीनी 3. चूर्ण; बुकनी 4. महीन चूर्ण 5. एक प्रकार की साफ़ की हुई बढ़िया चीनी।
बृहस्पति
(सं.) [सं-पु.] 1. सौर मंडल का पाँचवाँ और सबसे बड़ा ग्रह; (जुपिटर) 2. (पुराण) एक देवता जो देवताओं के गुरु कहे गए हैं।
बे1
[सर्व.] एक तिरस्कारपूर्ण संबोधन; अबे; अरे।
बे2
(फ़ा.) [पूर्वप्रत्य.] रहित; हीन; बिना; बगैर, जैसे- बेमज़ा, बेनाम, बेदम आदि।
बेंग
(सं.) [सं-पु.] मेंढक; दादुर।
बेंच
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. बैठने की एक प्रकार की चार पाए वाली लंबी चौकी 2. संसद भवन में दल विशेष के सदस्यों के बैठने का स्थान 3. पत्थर आदि का बना हुआ पाश्चात्य
ढंग का आसन 4. सरकारी न्यायालय के न्यायकर्ता।
बेंट
[सं-स्त्री.] 1. उपकरणों या औज़ारों में लगी हुई लकड़ी की मूठ 2. दस्ता; बेंठ।
बेंड
(इं.) [सं-पु.] 1. मोड़; झुकाव 2. पट्टी 3. बल।
बेंड़
[सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु को गिरने से रोकने के लिए नीचे लगाया जाने वाला सहारा; टेक; चाँड़ 2. भेड़ों के झुंड में मादा भेड़ों से बच्चा पैदा करने वाला भेंड़ा
3. पड़ाव।
बेंड़ा
(सं.) [वि.] 1. तिरछा; आड़ा 2. कठिन।
बेंत
[सं-पु.] 1. एक पौधा जिसका तना मज़बूत और बहुत लचीला होता है जिससे कुरसियाँ, टोकरियाँ आदि बनाई जाती हैं; (केन) 2. डंडा; छड़ी।
बेंतसाज
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] बेंत से कुरसियाँ, टोकरियाँ आदि बनाने वाला; बेंत का कारीगर।
बेंदा
(सं.) [सं-पु.] 1. माथे पर लगाने की गोल बिंदी; माँग टीका 2. बड़ी गोल टिकली; चकती 3. चंदन का टीका; तिलक 4. माथे का गहना।
बेंदी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बिंदी; टिकली 2. माथे पर पहनने का एक गहना 3. शून्य; सिफ़र।
बेअंत
[वि.] 1. जिसका अंत न हो 2. अगणनीय; अगाध 3. अथाह; अनंत; बेहद।
बेअंदाज़
(फ़ा.) [वि.] जिसका अनुमान न लगाया जा सके।
बेअदब
(फ़ा.+अ.) [वि.] बड़ों का आदर न करने वाला; जो विनम्र न हो; अशिष्ट; धृष्ट; गुस्ताख़।
बेअदबी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] अनादर; अशिष्टता; धृष्टता; गुस्ताख़ी; बदतमीज़ी; असभ्यता; बदतहज़ीबी; उद्दंडता; उजड्डपन।
बेअसर
(फ़ा.) [वि.] जिसपर किसी बात का कोई प्रभाव या असर न हो।
बेआब
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. बिना पानी का 2. जिसमें आब या चमक न हो 3. जिसकी कोई प्रतिष्ठा या इज़्ज़त न हो।
बेआबरू
(फ़ा.) [वि.] जिसकी कोई प्रतिष्ठा न हो; बेइज़्ज़त; अपमानित; तिरस्कृत।
बेइंतिहा
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसकी इंतहा या हद न हो 2. बेहद; बेहिसाब; असीम।
बेइंसाफ़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाइंसाफ़ी 2. अन्याय; अत्याचार; ज़ुल्म।
बेइज़्ज़त
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसकी कोई प्रतिष्ठा न हो 2. अपमानित; ज़लील; तिरस्कृत।
बेइज़्ज़ती
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] अपमान; तिरस्कार; निंदा।
बेइरादा
(फ़ा.+अ.) [सं-पु.] बिना सोचे हुए; बिना कोई विचार किए; बेमन से।
बेईमान
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसका ईमान स्थिर न हो; जो ईमान या धर्म का विचार न करे (धर्म, मानवता आदि के अर्थ में) अधर्मी 2. छल-कपट या और किसी प्रकार का अनाचार करने
वाला।
बेईमानी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] बुरे इरादे से किया जाने वाला कोई काम; बदनीयती।
बेउसूल
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसका कोई नियम न हो; अनियमित; जो नियम विरुद्ध हो; सिद्धांतहीन। [क्रि.वि.] बिना किसी सिद्धांत के।
बेएतबार
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसपर विश्वास न किया जा सके; अविश्वसनीय।
बेऔलाद
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसकी कोई संतान न हो; निस्संतान।
बेकदर
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसकी कोई कदर या पूछ न हो; तुच्छ 2. किसी की कदर या आदर न करने वाला; अनादर करने वाला।
बेकद्री
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. अनादर; अपमान 2. प्रतिष्ठाहीनता।
बेकरार
(फ़ा.+अ.) [वि.] बेचैन; व्याकुल; विकल; जिसे करार या चैन न हो; जिसके मन में शांति न हो।
बेकरारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेचैनी; व्याकुलता; विकलता; अति उत्सुकता।
बेकरी
(इं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ पावरोटी, बिस्कुट आदि का व्यावसायिक उत्पादन और विक्रय होता है; डबलरोटी, बिस्कुट आदि बनाने का कारख़ाना; रोटीघर।
बेकल
(सं.) [वि.] बेचैन; व्याकुल; जो बहुत उत्कंठित हो।
बेकली
[सं-स्त्री.] 1. बेकल या बेचैन होने की अवस्था; घबराहट; व्याकुलता 2. एक रोग जिसमें गर्भाशय अपने स्थान से कुछ हट जाता है।
बेकस
(फ़ा.) [वि.] 1. वह जिसका कोई सहारा न हो; असहाय 2. पीड़ित; दुखी 3. विवश; दीनहीन 4. कष्टग्रस्त।
बेकसी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बेबसी; मज़बूरी; विवशता 2. दुख; कष्ट; तकलीफ़।
बेकसूर
(फ़ा.+अ.) [वि.] जो अपराधी न हो; निर्दोष।
बेकाबू
(फ़ा.) [वि.] 1. जो नियंत्रण या काबू में न हो 2. जिसपर नियंत्रण न हो; अनियंत्रित 3. निरंकुश।
बेकाम
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसके पास कोई काम न हो; निकम्मा; निठल्ला 2. बेरोज़गार 3. बेकार; रद्दी। [क्रि.वि.] व्यर्थ; निरर्थक।
बेकायदा
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. नियम या कायदे के विरुद्ध; न्यायविरुद्ध 2. अनियमित; नियमरहित 3. अवैध; क्रमहीन।
बेकार
(फ़ा.) [वि.] 1. व्यर्थ; निरर्थक 2. निकम्मा; निठल्ला 3. बेरोज़गार। [क्रि.वि.] बिना किसी अर्थ या प्रयोजन के; निरुद्देश्य।
बेकारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह अवस्था या स्थिति जिसमें कुछ व्यक्तियों के हाथ में जीविका निर्वाह के लिए कोई काम-धंधा नहीं होता; बेरोज़गारी 2. निकम्मापन; निठल्लापन
3. व्यर्थता; निरर्थकता।
बेकिंग पावडर
(इं.) [सं-पु.] मैदे आदि खाद्य पदार्थ में ख़मीर उठाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला चूर्ण या पाउडर।
बेकुसूर
(फ़ा.) [वि.] निर्दोष, निरपराध, जिसने ज़ुर्म न किया हो।
बेख़
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] मूल; जड़; नीव; उद्गम।
बेखटक
[क्रि.वि.] 1. बिना रोक-टोक के 2. र्निभीक होकर 3. बिना किसी असमंजस के; निस्संकोच।
बेख़बर
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसे कोई ख़बर या जानकारी न हो; अनजान; अनभिज्ञ 2. जिसे होश न हो; बेसुध 3. जो ज्ञात या जाना हुआ न हो 4. बेहोश। [क्रि.वि.] 1. बिना ख़बर के 2.
बेसुधी में।
बेख़बरी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेख़बर या बेसुध होने की अवस्था या भाव 2. अज्ञानता 3. लापरवाही।
बेख़ुद
(फ़ा.) [वि.] 1. जो आपे में न हो; अपनी सुध-बुध न रखने वाला 2. नशे में चूर; मदहोश 3. बेहोश; अचेत।
बेख़ुदी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेसुधी; अचैतन्य; बेख़बरी 2. बेख़ुद होने की अवस्था या भाव 3. अपने आपे में न रहना।
बेखोट
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. शुद्ध; खरा 2. सच्चा; निर्मल 3. अनिंदनीय।
बेखौफ़
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. निडर; निर्भय 2. जिसे ख़ौफ़ या भय न हो। [क्रि.वि.] बिना डरे; निर्भय होकर।
बेग
(तु.) [सं-पु.] 1. सरदार; नेता; सामंत 2. धनवान; अमीर 3. मुगलों के नाम के साथ लगाया जाने वाला अल्ल या शब्द ('खाँ' का समानार्थी शब्द)।
बेगड़ी
(सं.) [सं-पु.] 1. रत्नों या नगीनों को काट-छाँटकर तराशने, सुडौल बनाने वाला कारीगर 2. रत्नों या गहनों की जाँच करने वाला व्यक्ति; जौहरी 3. हीरा काटने वाला
कारीगर; हीरातराश।
बेगम
(तु.) [सं-स्त्री.] 1. पत्नी; बीवी 2. कुलीन महिला; ख़ातून; बानो 3. नवाब, बादशाह आदि की बीवी; रानी 4. ताश का एक पत्ता जिसपर रानी का चित्र बना रहता है।
बेगरज़
(फ़ा.+अ.) [वि.] किसी की परवाह न करने वाला; बेपरवाह। [क्रि.वि.] 1. बिना किसी प्रयोजन से; बिना किसी मतलब से; बेमतलब 2. बिना किसी स्वार्थ से।
बेगानगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गैर या पराया होने की अवस्था या भाव; बेगानापन; परायापन।
बेगाना
(फ़ा.) [वि.] 1. गैर; पराया; दूसरा 2. जो अपना न हो 3. जिससे आत्मीयतापूर्ण व्यवहार या संबंध न हो 4. जो किसी बात से अनजान हो; नवाकिफ़।
बेगार
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बिना पारिश्रमिक के किया जाने वाला कार्य 2. बेमन से किया गया काम।
बेगारी
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिससे मुफ़्त में और ज़बरदस्ती काम लिया जाए 2. बेगार में काम करने वाला मज़दूर।
बेगुनाह
(फ़ा.) [वि.] 1. निर्दोष; जिसने कोई गुनाह न किया हो 2. जिसने कोई अनाचार, पाप या अपराध न किया हो।
बेगैरत
(फ़ा.+अ.) [वि.] निर्लज्ज; बेहया; बेशर्म।
बेघर
(फ़ा.+हिं.) [वि.] बिना घर का; जिसका घर न हो; गृहविहीन।
बेचना
(सं.) [क्रि-स.] 1. विक्रय करना 2. किसी वस्तु को मूल्य लेकर देना।
बेचारगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. विवशता; बेचारापन 2. लाचारी 4. जिसका वश न चले 5. संबलरहित; दीन 6. कंगाली; गरीब; निर्धनता।
बेचारा
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] असहाय; कमज़ोर; दुर्बल; निराश्रय। [वि.] गरीब; रहित; दीन।
बेचूक
(फ़ा.+हिं.) [क्रि.वि.] बिना चूके; अचूक। [वि.] 1. लक्ष्यवेधी; सटीक 2. अवश्यमेव; सफलताप्रद।
बेचैन
(फ़ा.) [वि.] व्याकुल; जिसे चैन न मिलता हो।
बेचैनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. विकलता; व्याकुलता; बेकली 2. घबराहट।
बेजड़
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसकी कोई जड़ या बुनियाद न हो 2. जिसके मूल में कोई सार या तत्व न हो।
बेज़बान
(फ़ा.) [वि.] 1. गूँगा; मूक 2. {ला-अ.} जो किसी बात का विरोध या प्रतिक्रिया न करके चुपचाप उसे सह लेता हो।
बेज़रूरी
(फ़ा.) [वि.] जो ज़रूरी न हो; अनावश्यक; फालतू।
बेजा
(फ़ा.) [वि.] 1. जो उचित या संगत न हो; नामुनासिब 2. गलत; अनुचित; बुरा; आपत्तिजनक।
बेजान
(फ़ा.) [वि.] 1. निर्जीव; निष्प्राण 2. पस्त 3. मरा हुआ; मृत।
बेज़ार
(फ़ा.) [वि.] 1. नाराज़; नाख़ुश; अप्रसन्न 2. विमुख 3. अरुचिकर।
बेजोड़
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार का कोई जोड़ न हो; अखंड 2. अद्वितीय; अनुपम 3. जिसकी समानता करने वाला कोई न हो।
बेझिझक
(फ़ा.+हिं.) [क्रि.वि.] बिना झिझक के; हिचकिचाहट के बगैर; निःसंकोच।
बेटा
[सं-पु.] पुत्र; लड़का; सुत।
बेटिकट
(फ़ा.+इं.) [वि.] 1. बिना टिकट यात्रा करने वाला 2. जिसके पास टिकट न हो।
बेटी
(सं.) [सं-स्त्री.] पुत्री; लड़की।
बेठन
(सं.) [सं-पु.] 1. वह कपड़ा जिसमें किताबें और बहियाँ आदि बाँधी जाती है 2. बस्ता; (रैपर) 3. किसी वस्तु या पुस्तक को गर्द आदि से बचाने का कपड़ा; खोल।
बेठिकाना
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसका कोई ठौर-ठिकाना न हो 2. जिसके विचार या भाव अनिश्चित हों 3. जो असंगत हो 4. निर्रथक; व्यर्थ। [अव्य.] 1. अनुपयुक्त अवसर पर 2.
अनिश्चित स्थान पर।
बेड़
[सं-पु.] 1. खेतों, वृक्षों आदि के चारों ओर बनाई गई बाड़; मेड़; थाला 2. नगद रुपया; सिक्का 3. नटों की एक जाति; बेड़िया 4. बेड़िया जाति का पुरुष।
बेडरूम
(इं.) [सं-पु.] सोने का कमरा; शयनकक्ष; शयनागार।
बेडशीट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. पलंग पर बिछाने की चादर; पलंगपोश 2. सेज की चादर; बेडकवर।
बेड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. लट्ठों या तख़्तों को बाँधकर बनाई जाने वाली नाव; तिरना 2. नावों, जहाज़ों का समूह 3. झुंड; समूह। [वि.] 1. तिरछा; आड़ा 2. मुश्किल; कठिन।
बेड़िनी
[सं-स्त्री.] बेड़िया या बेड़ जाति की स्त्री; बेड़िन।
बेड़ी1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कैदियों, पशुओं आदि के पैरों में पहनाई जाने वाली लोहे की ज़ंजीर 2. बंधन। [वि.] कठिन; विकट।
बेड़ी2
[सं-स्त्री.] टट्टर आदि की बनी हुई छोटी नाव या बेड़ा; नौका।
बेडौल
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जो सुडौल न हो 2. भद्दा; कुरूप; भद्दी बनावट का; बेढंगा।
बेढ़
[सं-पु.] 1. नाश; बरबादी 2. बोया हुआ वह बीज जिसमें अंकुर निकल आया हो। [सं-स्त्री.] वृक्षों आदि के चारों ओर लगा हुआ घेरा; बाढ़।
बेढंग
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसका ढंग या तरीका अच्छा न हो 2. क्रमरहित; बेतरतीब 3. भद्दा; भोंडा; कुरूप।
बेढंगा
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. बुरे ढंग का; भद्दा; भोंडा; जिसका ढंग ठीक न हो 2. जो बेतुके ढंग से सजाया गया हो।
बेढंगापन
[सं-पु.] बेढंग होने की अवस्था या भाव।
बेढ़ई
(सं.) [सं-स्त्री.] वह पूरी जिसमें दाल या पीठी आदि भरी गई हो; कचौड़ी।
बेढ़ना
(सं.) [क्रि-स.] 1. घेरना; रूँधना 2. पशुओं को घेरकर हाँक ले जाना 3. बाड़ा या मेड़ बनाना।
बेतकल्लुफ़
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. गहरा; अंतरंग; आत्मीय (मित्र) 2. जिसमें बनावटीपन या दिखावा न हो; सरल; सहज 3. संकोचरहित 4. आराम से; संतोषपूर्वक। [क्रि.वि.] बेधड़क;
निस्संकोच।
बेतरतीब
(फ़ा.+अ.) [वि.] क्रमविहीन; अव्यवस्थित; उलटा-सीधा; अस्त-व्यस्त; बिखरा हुआ; अनियमित|
बेतरतीबी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. कोई क्रम न होना; क्रमहीनता 2. असंबद्धता।
बेतरह
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. बुरी तरह 2. विकट रूप से; असाधारण रूप से 3. बहुत अधिक।
बेताज
(फ़ा.) [सं-पु.] बिना ताज या मुकुट का।
बेताब
(फ़ा.) [वि.] 1. अधीर; बेचैन; विकल; व्याकुल 2. जिसमें धैर्य या सब्र न हो 3. परम उत्सुक 4. अशक्त।
बेताबी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. व्याकुलता; बेचैनी; विकलता; अधीरता 2. अतिउत्सुकता; परम उत्कंठा 3. शक्तिहीनता।
बेतार
[सं-पु.] जिसमें तार न हो या बिना तार का; (वायरलैस)। [वि.] बिना तार का; ताररहित।
बेतार का तार
[सं-पु.] 1. बिना तार की सहायता से भेजा जाने वाला समाचार या सूचना 2. उक्त विधि से समाचार भेजने की क्रिया; (वायरलैस; मोबाइल)।
बेताल1
(सं.) [सं-पु.] भाट; चारण; बंदी।
बेताल2
(फ़ा.+सं.) [वि.] जिसमें ताल का ठीक और पूरा ध्यान न रहे; तालहीन।
बेताला
[सं-पु.] 1. बिना ताल या लय का गाना-बजाना 2. वह व्यक्ति जो ठीक ढंग से गाता-बजाता न हो; गाने-बजाने में ताल का ध्यान न रखने वाला; बेताल। [वि.] 1. तालहीन;
बेतुका 2. संगीतविहीन 3. सामंजस्यहीन।
बेतुका
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जो बकवास से भरा हुआ हो 2. ऐसी पद्यमय रचना जिसकी तुकें न मिलती हों; अंत्यानुप्रासहीन 3. जो अवसर के हिसाब से अनुपयुक्त हो।
बेतुकी
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें कोई तुक या मेल न हो 2. जिसका कोई मतलब या अर्थ न हो; अर्थहीन।
बेदख़ल
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसका दख़ल या अधिकार न रह गया हो; अधिकारच्युत (भूमि, संपत्ति आदि)।
बेदख़ली
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. भूमि, संपत्ति आदि पर से दख़ल या कब्ज़े का हटाया जाना या हट जाना 2. अधिकार में न रहने देने की अवस्था या भाव।
बेदम
(फ़ा.) [वि.] 1. अशक्त; निर्बल 2. मुरदा; मृतक 3. जिसकी जीवनी-शक्ति बहुत कुछ नष्ट हो चुकी हो; जर्जर।
बेदर्द
(फ़ा.) [वि.] 1. दूसरों की पीड़ा या कष्ट का अनुभव न करने वाला 2. जिसमें दर्द न हो; निर्दय; निर्मम; निष्ठुर।
बेदर्दी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बेदर्द होने की अवस्था या भाव; निर्दयता 2. बेरहमी; कठोरता; संवेदनहीनता।
बेदाग
(फ़ा.) [वि.] 1. निर्दोष; निरपराध; बेकसूर 2. जिसपर कोई दाग या धब्बा न हो; साफ़। [क्रि.वि.] बिना किसी प्रकार की त्रुटि या दोष के।
बेदाना
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पतले छिलके वाला अनार 2. बिहीदाना नामक फल 3. शहतूत की एक किस्म 4. छोटे दानों वाली मिठाई। [वि.] 1. (फल) जिसमें बीज न हो 2. मूर्ख; बेवकूफ़।
बेदाम
(फ़ा.) [वि.] 1. मुफ़्त; बिना दाम का 2. जिसका मोल न चुकाया गया हो। [क्रि.वि.] बिना दाम या पैसे दिए।
बेदिल
(फ़ा.) [वि.] 1. उदास; खिन्न 2. मनउचाट।
बेदिली
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दिल या मन न लगने की अवस्था; उदासी; खिन्नता 2. उपेक्षा।
बेध
(सं.) [सं-पु.] 1. छेद 2. मोती, मूँगे आदि में किया गया छेद।
बेधक
(सं.) [वि.] बेधने वाला; छेदने वाला।
बेधड़क
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसे किसी प्रकार का भय या संकोच न हो 2. जिसे किसी की परवाह या चिंता न हो। [क्रि.वि.] 1. मर्यादा, डर आदि की चिंता किए बिना 2. बिना किसी
बात की परवाह किए हुए 3. बिना विचार किए।
बेधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. सुराख़ करना; छिद्र करना 2. {ला-अ.} कष्ट पहुँचाना 3. घाव करना।
बेधिया
(सं.) [सं-पु.] अंकुश। [वि.] बेधने वाला; बेधक।
बेधी
(सं.) [वि.] बेधने वाला; छेद करने वाला।
बेन
(सं.) [सं-पु.] 1. बाँसुरी; मुरली; वेणु 2. बाँस 3. सपेरों या मदारियों की बीन; महुवर; तूँबी।
बेनकाब
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर नकाब या परदा न हो 2. जिसका चेहरा ढका न हो 3. {ला-अ.} जिसका रहस्य खुल चुका हो; जिसका परदाफ़ाश हो चुका हो।
बेनज़ीन
(इं.) [सं-पु.] 1. एक रंगहीन हाइड्रोकार्बन रसायन जो तीव्र ज्वलनशील और घातक होता है 2. विषाक्त, प्रदूषणकारी तथा कैंसरकारक रसायन।
बेनज़ीर
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसके समान दूसरा न हो; जिसकी नज़ीर या उपमा न हो 2. अद्वितीय; अनुपम 3. बेजोड़।
बेनट
(इं.) [सं-स्त्री.] बंदूक के अगले सिरे पर लगने वाली लोहे की छोटी किरिच।
बेनतीज़ा
(फ़ा.+अ.) [वि.] अनिर्णीत; जिसका परिणाम या नतीज़ा न निकला हो।
बेनसीब
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. अभागा; बदकिस्मत 2. बदनसीब।
बेनागा
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. प्रतिदिन; रोज़ाना 2. बिना नागा किए; हमेशा 3. निरंतर; लगातार; नित्य।
बेनाम
(फ़ा.) [वि.] 1. बिना नाम का; अप्रसिद्ध; अप्रतिष्ठित; नामहीन 2. गुमनाम।
बेनामी
(फ़ा.) [वि.] 1. जो किसी के स्वामित्व में न हो 2. जिसपर किसी का अधिकार न हो 3. बिना नाम की (वस्तु)।
बेनिया
[सं-स्त्री.] 1. पंखी; छोटा पंखा 2. किवाड़ के पल्ले में दूसरे पल्ले को रोकने के लिए लगाई जाने वाली लकड़ी।
बेनियाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. तटस्थ 2. उदासीन 3. जिसे किसी से कुछ लेने की इच्छा नहीं होती; निःस्पृह 4. स्वच्छंद; आज़ाद; बेपरवाह।
बेपनाह
(फ़ा.) [वि.] 1. जिससे रक्षा न हो सके 2. निराश्रय।
बेपर
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसके पंख न हो; पंखहीन 2. {ला-अ.} सामर्थ्यहीन; असमर्थ।
बेपरदा
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसके आगे कोई परदा या आवरण न हो 2. जिसने परदा या घूँघट न किया हो 3. खुले रूपवाला; खुला हुआ 4. जिसने बुरका न पहना हो (स्त्री) 5. {ला-अ.}
नंगा; नग्न।
बेपरवाह
(फ़ा.) [वि.] 1. जो परवाह न करता हो; लापरवाह 2. निश्चिंत; बेफ़िक्र 3. निर्भय।
बेपरवाही
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. परवाह न करने की अवस्था; लापरवाही 2. निश्चिंतता; बेफ़िक्री 3. निर्भयता।
बेपीर
(फ़ा.) [वि.] 1. जो दूसरों का दुख-दर्द न समझता हो 2. निर्दयी; निगुरा 3. जिसमें सहानुभूति न हो; बेरहम 4. दूसरों के कष्ट को न समझने वाला।
बेफ़ायदा
(फ़ा.) [वि.] जिससे कोई लाभ न हो; फ़ायदा न करने वाला; व्यर्थ; बेकार। [क्रि.वि.] 1. बिना किसी फ़ायदे के 2. बेकार ही; निरर्थक।
बेफ़िक्र
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. चिंतारहित; जिसे कोई चिंता न हो 2. अदूरदर्शी 3. अभय; निडर 4. निश्चिंत; बेपरवाह।
बेफ़िक्री
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेफ़िक्र होने की अवस्था या भाव 2. बेपरवाही; लापरवाही; निश्चिंतता।
बेबस
(सं.) [वि.] 1. जिसका कोई वश न चले 2. असहाय; लाचार 3. परवश; पराधीन।
बेबसी
[सं-स्त्री.] 1. लाचारी; विवशता 2. मज़बूरी 3. परवशता 4. पराधीनता 5. बेबस होने की अवस्था या भाव।
बेबाक
(फ़ा.) [वि.] 1. स्पष्टभाषी; मुँहफट 2. बिना किसी बाधा या कठिनाई के बोलने वाला 3. निर्लज्ज; बेशर्म 4. (देय) जो चुका दिया गया हो 5. ऋणमुक्त।
बेबाकी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. निर्भयता; निडरता 2. धृष्टता 3. निर्लज्जता 4. चुकाया हुआ कर्ज़ 5. पूर्णपरिशोध।
बेबुनियाद
(फ़ा.) [वि.] 1. निराधार; आधार रहित 2. जिसकी कोई बुनियाद या जड़ न हो; निर्मूल 3. मिथ्या; झूठ।
बेभाव
(फ़ा.+हिं.) [क्रि.वि.] 1. बिना भाव 2. बिना मूल्य का 3. बेहिसाब। [वि.] बहुत अधिक; बेहद।
बेमकसद
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसका कोई उद्देश्य न हो; निरुद्देश्य; फालतू। [क्रि.वि.] निष्प्रयोजन; बेमतलब।
बेमज़ा
(फ़ा.) [वि.] 1. नीरस; फ़ीका 2. जिसमें कोई स्वाद न हो (खाद्य पदार्थ) 3. आनंदरहित 4. जिसमें विघ्न पड़ गया हो (कार्यक्रम, स्थिति आदि)।
बेमतलब
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. निरर्थक; बिना किसी मतलब का 2. बिना किसी कारण के; बेवजह 3. फ़िज़ूल 4. व्यर्थ।
बेमन
(फ़ा.+हिं.) [क्रि.वि.] 1. बिना मन के; एकाग्रता रहित 2. बिना दत्त-चित्त हुए। [वि.] जिसका मन न लगता हो या न लग रहा हो।
बेमरम्मत
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. बिना मरम्मत का 2. जिसकी मरम्मत होने को हो या न हुई हो 3. बिगड़ा हुआ 4. टूटा-फूटा।
बेमानी
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसका कोई मानी न हो; अर्थहीन; निरर्थक 2. व्यर्थ; बेकार; निष्फल।
बेमियादी
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी अवधि निर्धारित न हो 2. जिसमें समयसीमा न हो 3. अनिश्चित।
बेमिसाल
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. अनुपम; अद्वितीय 2. बेजोड़; उत्तम 3. जिसकी तुलना न हो सकती हो।
बेमुरव्वत
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसे शर्म या लज्जा न हो 2. सहानुभूतिहीन 3. अवसरवादी; तोताचश्म 4. जिसमें शील या संकोच न हो।
बेमेल
(फ़ा.+हिं.) [वि.] जिसका किसी से मेल न बैठता हो; अनमेल; अनमिल।
बेमौका
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसका अवसर न हो 2. जो मौके पर न हो 3. गलत समय पर 4. नामुनासिब; अप्रासंगिक।
बेमौके
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. बिना अवसर के 2. अनुपयुक्त समय पर; असमय।
बेमौत
(फ़ा.+हिं.) [अव्य.] 1. बिना मौत आए ही 2. बिना काल के (मर जाना) 3. असमय।
बेमौसम
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. बिना ऋतु का (फल आदि) 2. असामयिक।
बेर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक पेड़ 2. उक्त पेड़ का फल खट्टा-मीठा फल 3. बार; दफ़ा 4. वक्त; समय 5. देर; विलंब।
बेरंग
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसका कोई रंग न हो; रंगहीन; बेरंगा; बदरंग; कुवर्ण 2. {ला-अ.} बेशर्म; बेहया; निर्लज्ज।
बेरस
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें कोई रस न हो; नीरस 2. फ़ीका; स्वादहीन 3. जिसमें मज़ा न हो।
बेरहम
(फ़ा.) [वि.] निष्ठुर; निर्दयी; दयाशून्य; ज़ालिम।
बेरहमी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेरहम होने की अवस्था या भाव; निर्दयता; निष्ठुरता।
बेराह
(फ़ा.) [वि.] 1. रास्ते से भटका हुआ; पथभ्रष्ट 2. गलत या बुरे रास्ते पर चलने वाला।
बेरीबेरी
(इं.) [सं-स्त्री.] (जीवविज्ञान) भोजन में विटामिन बी की कमी से होने वाला एक प्रकार रोग।
बेरुख़
(फ़ा.) [वि.] 1. जो समय पड़ने पर (मुँह) फेर ले; बेमुरव्वत 2. प्रतिकूल; विमुख 3. अप्रसन्न; नाराज़; रुष्ट।
बेरुख़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. उपेक्षा 2. विमुखता 3. बेमुरव्वत 4. अप्रसन्नता; नाराज़ी।
बेरोक
(फ़ा.+हिं.) [वि.] जिसपर रोक न लगी हुई हो। [अव्य.] बिना रोक या प्रतिबंध के; स्वच्छंद रूप से।
बेरोकटोक
[क्रि.वि.] बिना किसी रुकावट या प्रतिबंध के; निर्बाध रूप से।
बेरोज़गार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसके पास जीविकोपार्जन का साधन न हो; जिसके पास कोई रोज़गार या धंधा न हो 2. व्यवसायहीन; बेकार।
बेरोज़गारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बेरोज़गार होने की अवस्था या भाव 2. किसी देश या राज्य में लोगों को काम न मिलने की स्थिति; बेकारी।
बेरौनक
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें रौनक न हो; चमकविहीन 2. श्रीहीन; शोभाहीन 3. ऐसा स्थान जहाँ चहल-पहल न हो; सूना; उजाड़ 4. जिसमें प्रफुल्लता न हो; उदास।
बेल1
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध फल जिसपर बहुत कठोर छिलका होता है और जिसका गूदा पेट के लिए गुणकारी माना जाता है 2. एक तरह की कुदाल 3. {ला-अ.} वंश या संतान की
परंपरा। [सं-स्त्री.] 1. ज़मीन, दीवार, पेड़ आदि पर फैलने वाली बिना तने की लता, जैसे- लौकी या तुरई की बेल 2. कपड़े पर टाँका जाने वाला फ़ीता 3. तरंग; लहर 4. जलाशय
का किनारा।
बेल2
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. घंटी 2. एक बिजली चालित घंटी जो स्विच दबाने पर बजती है।
बेलगाम
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर लगाम या नियंत्रण न हो; निरंकुश; स्वच्छंद 2. मुँहज़ोर; सरकश 3. दाब न मानने वाला 4. मुँहफट 5. (घोड़ा) जिसके मुँह में लगाम न लगी हो।
बेलचा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अनाज, मिट्टी या रेत आदि को फेंकने-पलटने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक उपकरण; लंबा खुरपा 2. कुदाली।
बेलज़्ज़त
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसमें स्वाद या लज़्ज़त न हो; बेस्वाद 2. बेमज़ा 2. निष्फल।
बेलदार
(फ़ा.) [सं-पु.] वह मज़दूर जो फावड़ा चलाने या ज़मीन खोदने का काम करता हो।
बेलन
(सं.) [सं-पु.] 1. रोटी, पापड़ आदि बेलने का काठ या पत्थर का उपकरण; बेलना 2. स्थान समतल करने और कंकड़-पत्थर कूटकर सड़क बनाने का लोहे का भारी गोला; (रोलर) 3.
यंत्र आदि को चलाने या उसका कोई मुख्य काम करने वाला बेलन की शक्ल का एक प्रकार का पुरज़ा, जैसे- छापने की मशीन का पुरजा (सिलेंडर) 4. रुई धुनने की मुठिया या
हत्था 5. कोल्हू का जाठ।
बेलना
(सं.) [क्रि-स.] 1. बेलन से चकले पर पतली, गोलाकार रोटी, पूड़ी, पापड़ आदि बनाना 2. कपास ओटना 3. नष्ट या बरबाद करना। [सं-पु.] बेलन।
बेलनाकार
[वि.] जिसका आकार बेलन की तरह हो; बेलन के आकारवाला; (सिलिंड्रिकल)।
बेलपत्र
(सं.) [सं-पु.] बेल नामक वृक्ष का पत्ता जिसे हिंदू शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
बेलबूटा
[सं-पु.] 1. कागज़, कपड़े आदि पर बनाए गए पेड़-पौधों, लताओं आदि के चित्र 2. लता और पौधा।
बेलबूटेदार
(सं.) [वि.] जिसमें बेलबूटे बने हों; बेलबूटोंवाला (कपड़ा, कागज़ आदि)।
बेलवाना
[क्रि-स.] बेलने का काम दूसरे से कराना।
बेला
(सं.) [सं-पु.] 1. समय; मुहूर्त 2. एक सुगंधित फूल 3. मोतिया; मोगरा 4. कटोरा 5. सारंगी जैसा एक बाजा 6. मल्लिका; त्रिपुरा 7. समुद्र आदि का तट; किनारा।
बेलाग
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. साफ़; खरा 2. बिलकुल अलग 3. जिसमें किसी प्रकार की लगावट या संबंध न हो 4. किसी का भी लिहाज़ या रियायत न करने वाला व्यक्ति।
बेलिहाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. निर्लज्ज; बेशर्म; जिसे लज्जा न हो 2. बेअदब 3. शीलरहित; बेमुरव्वत।
बेली
[सं-पु.] 1. साथी; संगी 2. सहायक; रक्षक।
बेलूरा
(फ़ा.+पं.) [वि.] 1. जिसे लूर न हो; बेशऊर 2. जिसमें सलीका न हो।
बेलौस
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. खरा; सच्चा 2. किसी का लिहाज़ या मुरव्वत न करने वाला।
बेवकूफ़
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. मूर्ख; नासमझ 2. बुद्धिहीन; निर्बुद्धि।
बेवकूफ़ाना
[वि.] मूर्खता या नासमझी से भरा हुआ (व्यक्ति, व्यवहार आदि)।
बेवकूफ़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बेवकूफ़ होने की अवस्था; मूर्खता; अज्ञानता; नासमझी।
बेवक्त
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. असमय 2. कुसमय; गलत अवसर पर 3. अकाल; नावक्त।
बेवजह
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] बिना किसी वजह या कारण के; निरुद्देश्य; निष्प्रयोजन।
बेवफ़ा
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जो मित्रता आदि का निर्वाह न करे 2. कृतघ्न 3. दगाबाज़ 4. वादाख़िलाफ़ 5. वचन भंग करने वाला 6. जिसमें वफ़ा, निष्ठा या सद्भाव आदि बातें न हों।
बेवफ़ाई
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. विश्वासघात 2. निष्ठाहीनता; कृतघ्नता।
बेवा
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] जिसका पति मर गया हो; विधवा।
बेश
(फ़ा.) [वि.] 1. अधिक; ज़्यादा 2. ख़ूब सारा 3. अच्छा; श्रेष्ठ; बढ़िया।
बेशऊर
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसमें कोई सलीका न हो 2. जिसे कोई काम करने का ढंग न हो 3. अविवेकी 4. अच्छे-बुरे की तमीज़ न रखने वाला 5. अशिष्ट; असभ्य।
बेशऊरी
[सं-स्त्री.] 1. बेशऊर होने की अवस्था 2. बदतमीज़ी; नौसिखियापन; फूहड़ता।
बेशक
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] 1. निःसंदेह; अवश्य 2. ज़रूर 3. बिना किसी शक या संदेह के 4. यकीनन।
बेशकीमत
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसका दाम या मूल्य बहुत अधिक हो; दामी; बहुमूल्य।
बेशकीमती
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. बहुमूल्य होने की अवस्था या भाव 2. महँगी। [वि.] बहुमूल्य।
बेशक्ल
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसकी शक्ल अच्छी न हो 2. बेढंगा; कुरूप।
बेशर
[सं-पु.] 1. नाक में पहना जाने वाला एक प्रकार का आभूषण; बुलाक 2. खच्चर 3. एक कामगार जाति।
बेशरमी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] दे. बेशर्मी।
बेशर्म
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसे शर्म या लाज न आती हो; निर्लज्ज; बेहया 2. बेगैरत; स्वाभिमानरहित।
बेशर्मी
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. निर्लज्लता; बेहयाई 2. स्वाभिमानहीनता; बेगैरती 3. ख़ुद्दारी न होना।
बेशी
(फ़ा.) [वि.] 1. अधिक; ज़्यादा 2. सुलभ। [सं-स्त्री.] 1. अधिकता; ज़्यादती 2. लाभ; नफ़ा 3. वृद्धि; बाहुल्य।
बेशुमार
(फ़ा.) [वि.] 1. असंख्य; अगणित; अनगिनत 2. बेहिसाब 3. बहुत अधिक।
बेस
(सं.) [सं-स्त्री.] (मिथक) कुरूप या बुरी आकृति वाला प्राचीन मिस्र का एक अर्धदेवता जो जादू और कदाचार के विरुद्ध मनुष्य का रक्षक माना जाता था। इसकी आकृति
प्रायः तावीज़ों में अंकित की जाती थी।
बेसन
[सं-पु.] चने की दाल का आटा; चने की दाल का चूर्ण।
बेसबब
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] बिना कारण; अकारण; बेवजह।
बेसबॉल
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. नौ-नौ के दल में बँटकर गेंद से खेला जाने वाला एक खेल 2. वह बॉल जिससे उक्त खेल खेला जाता है।
बेसब्र
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. आतुर; अधीर 2. जल्दबाज़; उतावला।
बेसब्री
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. बेसबर होने का भाव; व्यग्रता 2. अधीरता; आतुरता 3. जल्दबाज़ी; उतावलापन।
बेसमझ
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें समझ न हो; नासमझ 2. मूर्ख 3. अल्हड़।
बेसमेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. तहख़ाना; तलघर 2. नीचे का तल।
बेसलीका
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसमें सलीका न हो; बेशऊर 2. असभ्य; असंस्कृत; बेअक्ल; अशिष्ट 3. जिसे काम करने का ढंग न हो।
बेसहारा
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. असहाय; निस्सहाय; निराश्रय 2. जिसका कोई सहारा न हो; लाचार।
बेसाख्ता
(फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. अपने आप 2. सहसा; एकाएक 3. स्वाभाविक रूप से 4. यंत्रवत।
बेसाहना
(सं.) [क्रि-स.] 1. ख़रीदना; मोल लेना 2. (बैर, विरोध आदि) जानबूझकर अपने ऊपर लेना; पीछे लगाना।
बेसिक
(इं.) [वि.] प्रारंभिक; आरंभिक; शुरू का।
बेसिन
(इं.) [सं-पु.] बरतन आदि धोने के लिए चीनी मिट्टी अथवा अन्य किसी धातु से बना एक चौकोर बड़ा पात्र।
बेसुध
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसको कोई सुध न हो 2. अचेत; बेहोश 3. जिसका होशोहवास ठिकाने न हो; बदहवास।
बेसुधी
[सं-स्त्री.] बेसुध होने की अवस्था या भाव; बेहोशी; अचेतावस्था।
बेसुरा
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. (संगीत) अपने नियत स्वर या सुर से हटा हुआ 2. (व्यक्ति) जो सही स्वर में न गाता हो 3. {ला-अ.} ठीक समय पर न होने वाला; बेमौका।
बेस्ट
(इं.) [वि.] सबसे बढ़िया; श्रेष्ठ; बेहतरीन।
बेस्वाद
(फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसमें कोई स्वाद न हो; स्वादरहित; बदज़ायका 2. बेमज़ा; नीरस; फ़ीका।
बेहड़
[वि.] बीहड़; जो सामान्य न हो; जहाँ पर सामान्य जीवनयापन संभव न हो सके।
बेहतर
(फ़ा.) [वि.] 1. अधिक अच्छा 2. किसी की तुलना या मुकाबले में अच्छा 3. किसी से बढ़कर।
बेहतरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हित; भलाई 2. अच्छापन; उत्तमता 3. कल्याण; मंगल।
बेहतरीन
(फ़ा.) [वि.] बहुत अच्छा; उत्तम; नेक।
बेहद
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसकी हद या सीमा न हो; असीम; अपार 2. बहुत अधिक।
बेहन
(सं.) [सं-पु.] 1. बुवाई के काम के बीज 2. अनाज का बीज; पौध 3. वपन।
बेहया
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसमें हया या शरम न हो; बेशर्म; निर्लज्ज 2. अश्लील; धृष्ट।
बेहयाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बेहया होने की अवस्था या भाव 2. लज्जा या हया का न होना; बेशर्मी; निर्लज्जता।
बेहरना
[क्रि-अ.] 1. फटना; तड़क जाना 2. विदीर्ण होना 3. दरार पड़ना।
बेहरा
(सं.) [वि.] 1. अलग; भिन्न 2. जुदा; पृथक 3. किसी अधिकारी का निजी चपरासी; (बेयरर)।
बेहरी
[सं-स्त्री.] बहुत से लोगों से इकट्ठा किया गया धन; चंदा।
बेहाल
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. बेसुध 2. अचेत; बेख़बर; संज्ञाहीन 3. दुर्दशाग्रस्त 4. मरणासन्न 5. व्याकुल; बेचैन।
बेहिसाब
(फ़ा.+अ.) [वि.] 1. जिसका कोई हिसाब न हो 2. असंख्य; बेशुमार 3. अत्यधिक।
बेहूदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बेहूदा होने की अवस्था या भाव; अभद्रता; बेहूदा हरकत 2. अशिष्टता 3. बेहूदेपन से भरा हुआ काम या बात 4. अश्लीलता 5. बदतमीज़ी।
बेहूदा
(फ़ा.) [वि.] 1. बेढंगा; बेतुका 2. जिसमें शिष्टता न हो।
बेहूदापन
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. बेहूदा होने की अवस्था या भाव; बेहूदगी 2. अशिष्टता; असभ्यता 3. अश्लीलता; फूहड़ता।
बेहूरमती
(फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपमान; बेइज़्ज़ती 2. तिरस्कार।
बेहोश
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे होश न हो 2. बेसुध; मूर्छित; अचेत।
बेहोशी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जो होश में न हो 2. अवचेतन की अवस्था; अवचेतनता; मूर्छा।
बेहौसला
(फ़ा.+अ.) [वि.] जिसमें हौसला न बचा हो; निरुत्साह; हतोत्साह; निराश।
बैंक
(इं.) [सं-पु.] 1. रुपए-पैसे के लेनदेन तथा उस पर लगने वाले ब्याज आदि प्रबंध करने वाली व्यवसायिक संस्था या प्रतिष्ठान 2. किसी वस्तु या पदार्थ का संग्रह स्थल,
जैसे- ब्लडबैंक 3. अधिकोष।
बैंकनोट
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी देश में मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाने वाला नोट 2. बैंक द्वारा जारी की गई एक विशिष्ट कागज़ की मुद्रा।
बैंकबैलेंस
(इं.) [सं-पु.] बैंक में जमा किया गया धन।
बैंकर
(इं.) [सं-पु.] 1. बैंक में काम करने वाला व्यक्ति 2. बैंक व्यवसायी।
बैंकिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. बैंक व्यवसाय 2. महाजनी।
बैंगन
[सं-पु.] 1. एक प्रकार का फल जो सब्ज़ी बनाने के काम आता है; भटा 2. उक्त फल का पौधा।
बैंगनी
[सं-पु.] बैंगन के रंग से मिलता हुआ रंग; लाली लिए हुए नीला रंग। [वि.] 1. बैंगन का; बैंगन संबंधी 2. बैंगन के रंग का।
बैंजनी
[सं-पु.] बैंगनी।
बैंड
(इं.) [सं-पु.] 1. बाजों का समूह 2. गाने-बजाने वालों का समूह; संगीत मंडली 3. पट्टा।
बैंडमास्टर
(इं.) [सं-पु.] 1. संगीत संचालक 2. अँग्रेज़ी ढंग का बाजा बजाने वालों का प्रधान।
बैंडेज
(इं.) [सं-पु.] 1. घाव, चोट आदि पर बाँधने या लपेटने का एक प्रकार का कपड़ा; पट्टी 2. पट्टी बाँधने की क्रिया।
बैकग्राउंड
(इं.) [सं-पु.] 1. पृष्ठभूमि; पिछवाड़ा 2. अनुभव; समझ 3. किसी चित्र के पीछे की भूमि 4. परिप्रेक्ष्य; परिस्थिति 5. हालात; वातावरण।
बैकयार्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. मकान के पीछे वाला आँगन या खाली स्थान 2. पिछवाड़ा।
बैकवर्ड
(इं.) [वि.] 1. पिछड़ा 2. अविकसित 3. आलसी; मंद 4. पीछे की ओर।
बैकवर्ड क्लास
(इं.) [सं-पु.] 1. पिछड़ी जाति 2. पिछड़ा वर्ग।
बैक स्टेज
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) किसी न्यूज़ स्टोरी में कल्पनाओं को उकेरना, वायस ओवर करना, आवाज़ों को भरना या दृश्यों को भरना।
बैक स्टोरी
(इं.) [सं-पु.] प्रिंट मीडिया के संदर्भ में किसी ख़बर की तह तक जाना और उसके इतिहास आदि का पता करके मुकम्मल पैकेज बनाना; इलेक्टॉनिक मीडिया के संदर्भ में
अख़बारों में छप चुकी न्यूज़ स्टोरी या किसी दूसरे जगह आ चुकी ख़बरों को फ़ॉलो करना।
बैकुंठ
(सं.) [सं-पु.] (पुराण) विष्णुलोक।
बैग
(इं.) [सं-पु.] 1. थैला; झोला; बोरा 2. बटुआ; (हैंडबैग)।
बैगपाइपर
(इं.) [सं-पु.] 1. बैंड के साथ बजाया जाने वाला बाजा; मशकबीन 2. एक प्रकार की शहनाई।
बैच
(इं.) [सं-पु.] 1. समूह; खेप; गुट 2. औद्योगिक उत्पादन में एक ही तरह की वस्तुओं या दवाओं आदि के निर्माण के लिए तैयार किया गया कच्चे माल का मिश्रण; घान 3.
थोक; जत्था।
बैचलर
(इं.) [सं-पु.] 1. स्नातक 2. अविवाहित पुरुष। [वि.] कुवाँरा।
बैज
(इं.) [सं-पु.] 1. निशान; चिह्न 2. धातु, कपड़े आदि का बना हुआ टुकड़ा या फ़ीता जो किसी पद या संस्था का सूचक चिह्न होता है; बिल्ला।
बैजंती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का फूल; वैजयंती 2. उक्त फूल का पौधा 3. (पुराण) विष्णु के गले की माला का नाम।
बैट
(इं.) [सं-पु.] बल्ला; क्रिकेट का बल्ला।
बैटरी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. रासायनिक पदार्थों के योग से बिजली उत्पन्न करने का एक उपकरण 2. एक प्रकार का यंत्र जो उजाला करने के काम आता है; (टार्च) 3. तोपख़ाना।
बैटलशिप
(इं.) [सं-पु.] 1. युद्धपोत; रणपोत 2. लड़ाई का जहाज़; जंगी जहाज़।
बैठ
[सं-पु.] 1. राजकीय कर 2. कर या लगान की दर।
बैठक
[सं-स्त्री.] 1. सभा 2. बैठने का कमरा 3. चौपाल 4. अधिवेशन 5. उठने और बैठने की कसरत; उठक-बैठक।
बैठकबाज़
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह जो बैठक करने में रुचि लेता हो 2. नियमित रूप से बहुत देर तक कहीं बैठकर बातचीत, मनोरंजन आदि करने वाले लोग 3. वह व्यक्ति जो चाहता है
कि लोग प्रतिदिन उसके पास आकर बैठा करें। [वि.] 1. चालाक; धूर्त 2. शरारती।
बैठकबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दलबाज़ी 2. लोगों को बुलाकर समय-समय पर बैठक करते रहना 3. बातचीत द्वारा किसी को अपने पक्ष में करने की कला।
बैठका
[सं-पु.] 1. घर का वह कमरा जिसमें मेहमान या आने-जाने वाले बैठते हैं; बैठक 2. बैठने का आसन।
बैठकी
[सं-स्त्री.] 1. किसी जगह पर अक्सर जाकर बैठना 2. उठने-बैठने की कसरत; उठक-बैठक 3. बैठने का आसन; बैठका 4. किसी कंपनी या कारख़ाने में काम करने वाले कर्मचारियों
का जानबूझकर चुपचाप बैठे रहने या बहुत धीमी गति से काम करने की नीति 5. टेबल लैंप 6. अँगूठी, झुमके आदि में जड़ा जाने वाला मोती या नगीना।
बैठना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. देह की ऐसी स्थिति जिसमें कमर के नीचे का भाग एक स्थान पर टिका रहे 2. स्थित या आसीन होना 3. सवार होना; चढ़ना 4. अपने स्थान पर ठीक तरह से
आना; जमना 5. किसी लक्ष्य को पाने के लिए स्थान ग्रहण करना; लगना 6. अभ्यस्त होना 7. पिचकना (फोड़ा) 8. बिगड़ना (वस्तु) 9. पौधे का भूमि में रोपा जाना 10. सधना;
मँजना (हाथ) 11. किसी तरह के वाहन पर आसीन होना 12. गिर पड़ना; ढहना (मकान) 13. डूब जाना (नाव) 14. तह में जमना 15. तौल में जमना 16. चुनाव आदि में उम्मीदवार का
प्रतियोगिता से हट जाना 17. किसी औरत का किसी आदमी के यहाँ पत्नी के रूप में जाकर रहना।
बैठवाना
[क्रि-स.] बैठाने का काम दूसरे से कराना।
बैठा-ठाला
[वि.] 1. जिसके पास कोई काम न हो (व्यक्ति) 2. जो व्यस्त न हो 3. निठल्ला; निकम्मा; बेकार।
बैठाना
[क्रि-स.] 1. किसी को बैठने में प्रवृत्त करना 2. किसी कार्य की सिद्धि के लिए स्थान ग्रहण कराना 3. अपने स्थान पर लाना (नस, जोड़ आदि) 4. किसी पद, स्थान आदि पर
किसी व्यक्ति को स्थापित या प्रतिष्ठित करना 5. दबाना; पिचकाना (फोड़ा) 6. बेकार बना देना 7. पौधे को ज़मीन में गाड़ना या रोपना 8. विकृत करना; बिगाड़ना 9. डुबो
देना (नाव) 10. प्रतियोगिता से नाम वापस करवाना।
बैठावन
[सं-पु.] बाने में सूत के धागों को सही जगह पर बैठाने या ठोकने का जुलाहों का औज़ार।
बैठे ठाले
[क्रि.वि.] 1. बिना कुछ किए 2. निष्प्रयोजन; निकम्मेपन से।
बैठे-बैठाए
[क्रि.वि.] 1. बिना कुछ किए 2. यकायक; अचानक 3. मुफ़्त में; अकारण; निष्प्रयोजन।
बैठे-बैठे
[क्रि.वि.] 1. एक जगह पर बैठे रहकर 2. बिना कुछ किए।
बैडमिंटन
(इं.) [सं-पु.] रैकेट और प्लास्टिक से बनी चिड़िया की तरह की शटलकॉक से खेला जाने वाला एक प्रकार का खेल।
बैण
(सं.) [सं-पु.] वह कारीगर जो बाँस की टोकरियाँ आदि बनाता है।
बैत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. पद्य; शेर 2. छंदोबद्ध रचना 3. घर; स्थान; आलय।
बैताल
(सं.) [सं-पु.] 1. भाट; बंदीजन; स्तुति करने वाला 2. (लोकमान्यता) एक प्रेतयोनि।
बैतालिक
[सं-पु.] वैतालिक; भाट; बंदीजन।
बैन
(इं.) [सं-पु.] 1. प्रतिबंध 2. रोक; बंदिश।
बैनर
(इं.) [सं-पु.] 1. कपड़े या प्लास्टिक का वह पट या चादर जिसपर बहुत बड़े अक्षरों या चित्रों की सहायता से सूचनाओं या विज्ञापन आदि का प्रचार-प्रसार किया जाता है
2. समाचारपत्र के पहले पृष्ठ पर पूरे पृष्ठ की चौड़ाई वाला बड़ा शीर्षक।
बैना
(सं.) [सं-पु.] मांगलिक अवसरों पर रिश्तेदार और सगे-संबंधियों को भेजी जाने वाली मिठाई।
बैनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] भूमि आदि बेचने के लिए बनाया गया शर्त सहित विक्रयपत्र; (सेल डीड)।
बैर
(सं.) [सं-पु.] 1. शत्रुता; दुश्मनी; मनमुटाव 2. वैमनस्य; द्वेष।
बैरक1
(तु.) [सं-पु.] 1. छोटा झंडा 2. सैनिक झंडा 3. जीती हुई ज़मीन में गाड़ा जाने वाला झंडा या कोई निशान।
बैरक2
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सैनिक छावनी 2. सैनिकों के रहने का स्थान।
बैरन
[सं-स्त्री.] 1. सपत्नी 2. सौतन 3. दुष्ट स्वभाव की स्त्री।
बैरल
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. खड़े बल में ढोल के आकार की लकड़ी का पात्र जिसमें तरल पदार्थ रखे जाते हैं; पीपा 2. ढोल 3. बेलन।
बैरा1
[सं-पु.] 1. हल के मूठे में बाँधा जाने वाला एक तरह का चोंगा 2. मेहराब बनाते समय ईटों को जमाकर रखने के लिए खाली स्थान को भरने वाले ईंट के टुकड़े; रोड़े।
बैरा2
(इं.) [सं-पु.] 1. सेवा देने वाला व्यक्ति; चपरासी; ख़ानसामा 2. होटलों आदि में वह व्यक्ति जो भोजन परोसता है या संदेशा लाने और ले जाने का काम करता है।
बैराग
(सं.) [सं-पु.] 1. संसार के झंझटों को छोड़कर ईश्वर की खोज में निकलना 2. वैराग्य धारण करना।
बैरागी
(सं.) [सं-पु.] 1. संसार से विरक्त 2. ईश्वर में रमा रहने वाला व्यक्ति 3. साधु।
बैराग्य
[सं-पु.] 1. विषयवासना और सांसारिक संबंधों से मन उचट जाने की क्रिया या भाव; वैराग्य 2. उदासीनता; विरक्ति।
बैरियर
(इं.) [सं-पु.] 1. घेरा 2. बाधा; रुकावट 3. शुल्कद्वार 4. नाभिकीय रोधिका 5. झिल्ली 6. रोक; नाका।
बैरिस्टर
(इं.) [सं-पु.] 1. इंग्लैंड की वकालत की परीक्षा में उत्तीर्ण वकील 2. इंग्लैंड के उच्चतर न्यायालयों में बहस करने के लिए अधिकार प्राप्त वकील 3. विधिवक्ता;
न्यायाभिकर्ता।
बैरी
[सं-पु.] 1. शत्रु; दुश्मन 2. विरोधी। [वि.] जिसका किसी से वैर हो; जो अहित करता हो; हानिकर।
बैरीकेड
(इं.) [सं-पु.] 1. रास्ता रोकने के लिए खड़ी की जाने वाली लोहे के पाइप या पत्थरों की दीवार 2. कनस्टरों या पीपों आदि की रुकावट; (बैरियर)।
बैरोमीटर
(इं.) [सं-पु.] वायुमंडल का दाब या भार मापने का एक प्रकार का उपकरण; दाबमापी।
बैल
(सं.) [सं-पु.] 1. एक पालतू पशु जिसे खेतों, गाड़ियों में जोतते हैं 2. {ला-अ.} मूर्ख; निर्बुद्धि।
बैलगाड़ी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार की गाड़ी जिसे बैल द्वारा खींचा जाता है।
बैले
(इं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का नृत्य 2. किसी प्रसिद्ध कथानक पर विभिन्न चेष्टाओं से किया जाने वाला नृत्य।
बैलेंस
(इं.) [सं-पु.] 1. संतुलन; सामंजस्य 2. वह रकम जो बैंक में जमा हो 3. लेन-देन के बाद शेष बची रकम।
बैस
[सं-पु.] क्षत्रिय समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
बैसर
(सं.) [सं-पु.] जुलाहों का एक औज़ार।
बैसवाड़ा
[सं-पु.] अवध का दक्षिण-पश्चिमी भाग या क्षेत्र।
बैसवाड़ी
[सं-पु.] बैसवाड़े का निवासी। [सं-स्त्री.] 1. बैसवाड़ क्षेत्र की बोली 2. अवधी का एक भेद। [वि.] बैसवाड़े का; बैसवाड़ा संबंधी।
बैसाख
(सं.) [सं-पु.] हिंदी महीनों में वह महीना जो चैत के बाद और जेठ से पहले आता है; वैशाख।
बैसाखी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का सहारा जिसे असमर्थ लोग चलने में प्रयोग करते हैं 2. बैसाख के महीने में पड़ने वाला सिखों का एक त्योहार 3. {ला-अ.} सहारा।
बॉइल्ड
(इं.) [वि.] 1. उबला हुआ 2. खौलाया हुआ।
बॉक्स
(इं.) [सं-पु.] 1. संदूक; बक्सा 2. किसी संक्षिप्त समाचार के चारों ओर की रेखा या चौखटा 3. समाचार को आकर्षक बनाने के लिए प्रयुक्त एक चौकोर रेखा 3. गहने आदि
रखने का डिब्बा।
बॉक्स ऑफ़िस
(इं.) [सं-पु.] 1. थियेटर में वह स्थान जहाँ टिकट बिकता है 2. टिकट बिक्री के आधार पर नाटकों या फ़िल्मों की सफलता-असफलता दर्शाने वाला संकेतक।
बॉक्स स्टोरी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. रेखा अथवा बॉर्डर से घेर कर छापा गया महत्वपूर्ण समाचार 2. बक्साबंद समाचार; चौखटा समाचार।
बॉडी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर; काया; देह 2. (पत्रकारिता) समाचार का वह अंश जो शीर्षक और आमुख के बाद दिया जाता है; कलेवर।
बॉम
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. युद्ध के समय लड़ाके सैनिकों द्वारा की जाने वाली घोर आवाज़; ध्वनि 2. नगाड़ा; डंका; ढोल 2. बम; गोला।
बॉयकॉट
(इं.) [सं-पु.] 1. बहिष्कार 2. किसी व्यक्ति, काम या बात आदि से असंतुष्ट होकर उसका त्याग 3. देश-विदेश के माल का सामूहिक रूप से त्याग।
बॉर्डर
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी देश या राज्य की वह सीमा जहाँ से दूसरे देश या राज्य की सीमा प्रारंभ होती है 2. किनारा; आख़िरी छोर 3. (पत्रकारिता) बॉक्स और विज्ञापन
घेरने वाली रेखाएँ।
बॉलीवुड
(इं.) [सं-पु.] 1. हिंदी फ़िल्म उद्योग 2. मुंबई स्थित सिने जगत के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक शब्द।
बॉस
(इं.) [सं-पु.] 1. कार्यालय या दफ़्तर आदि में कर्मचारियों का प्रमुख 2. स्वामी; अधिपुरुष; मालिक।
बोंक
[सं-पु.] दरवाज़े में चूल की जगह लगाया जाने वाला लोहे का कीला।
बोअनी
[सं-स्त्री.] 1. बीज बोने या बिखेरने का मौसम 2. बोने की क्रिया या भाव।
बोका
[सं-पु.] 1. बकरे की खाल या चमड़ी 2. उक्त चमड़े का बना डोल। [वि.] मूर्ख; निर्बुद्धि।
बोगदा
[सं-पु.] ऊँचे पर्वत को खोदकर बनाया गया मार्ग; (टनेल)।
बोगस
(इं.) [वि.] 1. बेकार 2. जाली; रद्दी 3. झूठा या नकली 4. कृत्रिम।
बोगी
(इं.) [सं-पु.] रेलगाड़ी का डिब्बा; (ट्रॉली)।
बोज
[सं-पु.] घोड़े का एक प्रकार। [सं-स्त्री.] पासंग नामक बकरी।
बोज़ा
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] चावल से बनाई जाने वाली शराब।
बोज्यू
[सं-स्त्री.] भाभी; भौजाई।
बोझ
[सं-पु.] 1. भार; वज़न 2. भारी लगने वाली चीज़ 3. गठरी; गट्ठा 4. खेप 5. कार्यभार; ज़िम्मेदारी, जैसे- उस व्यक्ति पर गृहस्थी का बोझ है।
बोझा
[सं-पु.] 1. एक बार में ढोया जाने वाला सामान 2. भारी लगने वाली वस्तु 3. गट्ठा; गठरी 4. भारीपन; वज़न 5. {ला-अ.} कठिन या अरुचिपूर्ण कार्य।
बोझिल
[वि.] 1. भारी; वज़नदार 2. अलसाया हुआ 3. घुटनयुक्त।
बोट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. नाव; नौका 2. जहाज़।
बोटा
(सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी का कुंदा 2. किसी चीज़ का कटा हुआ टुकड़ा या खंड।
बोटी
[सं-स्त्री.] 1. अंग-प्रत्यंग 2. छोटे-छोटे टुकड़े 3. मांस का टुकड़ा।
बोड़ा
[सं-पु.] 1. एक फली जो सब्ज़ी या अचार बनाने के काम आती है; लोबिया 2. अजगर।
बोतल
(इं.) [सं-स्त्री.] काँच का एक पात्र जिसमें पेय पदार्थ भरे जाते हैं; जिसकी गरदन पतली और लंबी होती है, (बॉटल)।
बोतलबंद
(इं.+हिं.) [सं-पु.] वह खाद्य पदार्थ जो बोतल या डिब्बे में बंद हो; डिब्बाबंद।
बोतलबंदी
(इं.+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. भरी हुई बोतल को बंद करने की क्रिया 2. किसी पदार्थ को बोतल में सहेजने का काम।
बोता
[सं-पु.] ऊँट का बच्चा जो सवारी आदि के काम में न आया हो।
बोदा
(सं.) [वि.] 1. कमज़ोर 2. कमअक्ल 3. तुच्छ; निकम्मा 4. आलसी; सुस्त 5. कायर; डरपोक।
बोध
(सं.) [सं-पु.] 1. अहसास 2. ज्ञान; जानकारी 3. सांत्वना; तसल्ली 4. किसी के अस्तित्व का मानसिक भान 5. बुद्धि; समझ; जागरण।
बोधक
(सं.) [वि.] 1. बताने वाला 2. ज्ञान कराने वाला; ज्ञापन 3. जताने वाला; सूचक।
बोधगम्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका बोध या ज्ञान हो सकता हो; समझ में आने लायक 2. (विषयवस्तु) जिसका बोध हो सके।
बोधन
(सं.) [सं-पु.] 1. विकसित करना 2. सोते को जगाना 3. जताना; ज्ञात करना 4. दीपक या आग को जलाना।
बोधव्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका बोध या ज्ञान हो सकता हो 2. जिसे जाना जा सकता हो 3. जिसका बोध या ज्ञान आवश्यक हो 4. जिसे किसी बात का बोध कराया जाए।
बोधि
(सं.) [सं-पु.] 1. पीपल का पेड़ 2. समाधि।
बोधित
(सं.) [वि.] 1. बताया हुआ; समझाया हुआ; ज्ञापित 2. प्रकट किया हुआ 3. आदेश दिया हुआ; आविष्ट 4. जिसे बोध कराया गया हो 5. संकेतित 6. स्मरण किया हुआ।
बोधितव्य
(सं.) [वि.] 1. जानने योग्य 2. जगाने योग्य।
बोधिवृक्ष
(सं.) [सं-पु.] बिहार के गया में स्थित वह पीपल का पेड़ जिसके नीचे बुद्ध को बोद्धत्व प्राप्त हुआ।
बोधिसत्व
(सं.) [सं-पु.] वह जो बुद्धत्व प्राप्त करने का अधिकारी हो किंतु अभी तक प्राप्त नहीं हुआ हो।
बोध्य
(सं.) [वि.] 1. जिसका बोध हो सके; जानने योग्य 2. ज्ञेय; स्पष्ट 3. आसान; गम्य 4. सरल; सहज 5. समझाने योग्य; जताने योग्य 6. प्रांजल; ग्राह्य।
बोनट
(इं.) [सं-पु.] 1. गाड़ी के आगे का भाग जिससे इंजन आदि ढका रहता है 2. मशीन आदि का ढक्कन।
बोनस
(इं.) [सं-पु.] 1. लाभांश; अतिरिक्त लाभांश; लाभ 2. अप्रत्याशित रूप से मिलने वाला पारितोषिक या इनाम 3. {ला-अ.} कोई आनंददायक बात या घटना।
बोना
[क्रि-स.] 1. फ़सल उत्पादन के लिए बीज आदि को ज़मीन में डालना या बिखेरना 2. {ला-अ.} किसी बात या कार्य का सूत्रपात करने की क्रिया।
बोप
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] गंध; महक।
बोर1
[सं-स्त्री.] 1. गोता लगाना; डुबकी लगाना 2. जल में बोरने या डुबाने की क्रिया 3. डोब। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का गहना 2. सोने-चाँदी से निर्मित गोखरू जैसा
आभूषण।
बोर2
(इं.) [सं-पु.] 1. छेद; सुराख़ 2. बंदूक की नली; नली का छेद, जैसे- बारह बोर की बंदूक 3. ऊब पैदा करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. जिसमें उबाऊपन हो; अरोचक; नीरस 2.
जो ऊब चुका हो; उकताया हुआ 3. घटनाहीन।
बोरना
[क्रि-स.] 1. डुबाना 2. पानी में घुले रंग में डुबोना 3. {ला-अ.} कलंकित करना; नाम या प्रसिद्धि नष्ट करना।
बोरसी
[सं-स्त्री.] 1. मिट्टी से निर्मित एक प्रकार का बरतन जिसमें आग रखकर जलाते हैं 2. अँगीठी; गोरसी।
बोरा
[सं-पु.] जूट, पटसन या प्लास्टिक की बना हुआ एक बड़ा थैला; (बैग)।
बोरिंग
(इं.) [वि.] 1. उबाऊ; नीरस; अरुचिकर 2. गतिहीन; मंद। [सं-पु.] 1. पानी के लिए भूमि में किया गया सुराख़ 3. नलकूप।
बोरियत
[सं-स्त्री.] उकताहट; नीरसता; ऊब।
बोरिया
[सं-स्त्री.] जूट आदि की बनी हुई बोरी; छोटा बोरा।
बोरिया-बिस्तर
[सं-पु.] 1. घर-गृहस्थी का सामान 2. ज़रूरत का सामान 3. असबाब।
बोरी
[सं-स्त्री.] 1. छोटा बोरा 2. टाट की छोटी थैली।
बोर्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. स्थायी कार्य के लिए बनाई गई समिति; मंडल; कमेटी; विभाग 2. गत्ता 3. लकड़ी का तख़्त।
बोर्ड ऑव डायरेक्टर्स
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी संस्थान या कंपनी में प्रबंध करने वाले अधिकारी या निदेशकों का समूह; संचालक मंडल 2. प्रबंध समिति।
बोर्डिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. विद्यालय या महाविद्यालय का छात्रावास; (हॉस्टल) 2. भोजन व्यवस्था 3. जहाज़ या रेलगाड़ी में किसी स्थान से जाने की व्यवस्था।
बोर्डिंग हाउस
(इं.) [सं-पु.] 1. छात्रावास 2. पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों के रहने का स्थान।
बोल
[सं-पु.] मुख से निकलने वाली सार्थक ध्वनि; वाणी; बात; वचन; शब्द।
बोलचाल
[सं-स्त्री.] 1. सामान्य जन की बातचीत 2. वार्तालाप 3. बातचीत करने का ढंग या प्रकार 4. कथोपकथन 5. नित्य के व्यवहार से बँधी हुई कथन प्रणाली जो मुहावरे की तरह
होते हुए भी उससे कुछ भिन्न होती है।
बोलना
[क्रि-अ.] 1. मुँह से शब्द, ध्वनि आदि का साधारण स्वर में उच्चारण करना 2. कहना; पुकारना 3. भाषण देना। [क्रि-स.] जवाब देना; आज्ञा देना।
बोलबाला
[सं-पु.] 1. रुतबा; प्रभाव 2. एक सदाबहार पेड़।
बोलशेविक
[सं-पु.] 1. क्रांतिकारी; साम्यवादी; सुधारवादी 2. रूस में लेनिन के अनुयायी वामपंथी दल का सदस्य; बुर्जुआ वर्ग के विरुद्ध क्रांति का समर्थक रूसी सोशल
डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी का एक पक्ष या दल 3. सर्वहारा या श्रमिक वर्ग के शासन का समर्थक। [वि.] बोलशेविक विचारधारा का समर्थक।
बोली
[सं-स्त्री.] 1. बोल; वचन 2. भाषा; बोलचाल 3. नीलामी की आवाज़ 4. व्यंग्य; फबती 5. पशु-पक्षियों की आवाज़ 6. बोलने की क्रिया या भाव 7. ऐसी बात या वाक्य जिसका कुछ
विशिष्ट अभिप्राय या अर्थ हो 8. किसी भाषा की वह शाखा जो किसी छोटे क्षेत्र या वर्ग में बोली जाती हो; स्थानिक भाषा। [मु.] -लगाना : नीलामी में
वस्तुओं के दाम लगाना।
बोल्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. लोहे का मोटा पेचदार छल्ला जिसे मोटी चूड़ीदार कील या नट पर कसते हैं; काबला; ढिबरी 2. विद्युत धारा का झटका 3. आकाश से बिजली का गिरना;
वज्रपात।
बोल्ड
(इं.) 1. निडर; निर्भीक; साहसी 2. ढीठ 3. सुस्पष्ट मोटा, जैसे- बोल्ड अक्षर 4. जिसमें लज्जा, संकोच या झिझक न हो।
बोवाना
[क्रि-स.] बोना।
बोसीदा
(फ़ा.) [वि.] 1. चुंबित; चूमा हुआ 2. सड़ा-गला; फटा-पुराना।
बोह
[सं-स्त्री.] 1. गोता; डुबकी 2. बोर।
बोहनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दिन की पहली बिक्री से प्राप्त होने वाला धन 2. {ला-अ.} कोई काम आरंभ करते ही होने वाली प्राप्ति या सफलता।
बोहनी-बट्टा
[सं-पु.] किसी दुकान में दिन की शुरुआत में होने वाली बिक्री और उससे होने वाला मुनाफ़ा।
बौंड़ी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पौधों या लताओं के कच्चे फल या कलियाँ 2. फली; छीमी 3. दमड़ी; छदाम।
बौखल
[वि.] 1. बौखलाया हुआ 2. सनकी; पागल 3. विक्षिप्त; बदहवास।
बौखलाना
[क्रि-अ.] 1. क्रोध या आवेश में आकर कुछ-से-कुछ बकना 2. होशोहवाश में न रहना 3. पागलों-सा व्यवहार करना।
बौखलाहट
[सं-स्त्री.] 1. बदहवासी; विक्षिप्तता 2. क्रोधावेश।
बौछार
[सं-स्त्री.] 1. झड़ी; भरमार 2. हवा के झोंके से तिरछी होकर गिरने वाली बूँदे 3. लगातार कही जाने वाली व्यंग्यपूर्ण या कटु आलोचना 4. किसी वस्तु का अधिक संख्या
में गिरना; झड़ी।
बौड़म
[वि.] सनकी; पागल।
बौड़हा
[वि.] पागल; बावला।
बौद्ध
(सं.) [सं-पु.] बौद्ध धर्म का अनुयायी। [वि.] 1. बुद्ध संबंधी 2. बुद्धि संबंधी 3. बुद्ध द्वारा प्रचारित।
बौद्धाचार्य
[सं-पु.] बौद्ध धर्म एवं दर्शन का आचार्य या विद्वान।
बौद्धिक
(सं.) [वि.] 1. बुद्धि संबंधी; बुद्धि का 2. पढ़ने-लिखने से संबंधित 3. विचारात्मक; वैचारिक 4. जो बुद्धि और चिंतन का विषय हो। [सं-पु.] बुद्धिजीवी।
बौना
(सं.) [वि. 1. ठिगना 2. जो कद में छोटा हो 3. वामन। [सं-पु.] सामान्य लंबाई से बहुत कम लंबा व्यक्ति।
बौनापन
[सं-पु.] 1. दूसरों की अपेक्षा छोटा होने का भाव 2. बौना होने का भाव।
बौर
[सं-पु.] 1. आम के वृक्ष की मंजरी 2. फल में परिवर्तित होने वाला फूल।
बौरना
[क्रि-अ.] 1. आम के पेड़ में मंजरी आना या निकलना; मौरना 2. फूलना 3. बौर से युक्त होना।
बौरा
(सं.) [वि.] 1. विक्षिप्त; पागल; बावला 2. भोला-भाला 3. गूँगा 4. सीधा-सादा।
बौराई
[सं-स्त्री.] पागलपन; सनक।
बौराना
[क्रि-अ.] 1. बावला होना; गुस्से से पागल होना 2. उन्मुक्त होना।
बौराया
(सं.) [वि.] 1. पागल जैसा 2. भटकता हुआ।
ब्याज
(सं.) [सं-पु.] उधार दिए हुए रुपयों पर लिया जाने वाला धन या सूद।
ब्याना
[क्रि-स.] मादा पशुओं का बच्चे को जन्म देना।
ब्यालू
[सं-पु.] रात के समय का भोजन; ब्यारी।
ब्याहता
(सं.) [वि.] (स्त्री) जो विवाह करके लाई गई हो; शादीशुदा; विवाहित।
ब्याहना
[क्रि-स.] ब्याह करना।
ब्याहली
[सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका हाल ही में विवाह हुआ हो; वधू; नववधू।
ब्याही
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका विवाह हो चुका हो; ब्याहता।
ब्यूटी
(इं.) [सं-स्त्री.] ख़ूबसूरती; सुंदरता; सौंदर्य।
ब्यूटी कंटेस्ट
(इं.) [सं-स्त्री.] सबसे सुंदर स्त्री का चयन के लिए होने वाली सौंदर्य प्रतियोगिता।
ब्यूटी क्वीन
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी सौंदर्य प्रतिस्पर्धा में विजेता सुंदर स्त्री 2. सौंदर्यशाली और रूपवान स्त्री।
ब्यूटी पार्लर
(इं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ स्त्रियों को आकर्षक बनाने का काम किया जाता है।
ब्यूटीफ़ुल
(इं.) [वि.] सुंदर; ख़ूबसूरत; मनोहर; रमणीय।
ब्यूटीशियन
(इं.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी व्यक्ति के रूप-रंग को सँवारने के लिए साज-शृंगार या प्रसाधन करता है; (मेकअपमैन) 2. चेहरे और बालों को आकर्षक रूप देने वाला
व्यक्ति 3. सज्जाकार; नाई; प्रसाधक।
ब्यूरो
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) देश की राजधानी व महत्वपूर्ण नगरों में समाचार समिति तथा समाचार पत्र के समाचार संग्रह केंद्र।
ब्योंचना
[क्रि-अ.] 1. अचानक झटके से या मुड़ जाने से हाथ-पैर आदि की नस में खिंचाव होना; मोच आना 2. पीड़ा या सूजन होना। [क्रि-स.] मरोड़ना; मोच पैदा करना।
ब्योंडा
[सं-पु.] वह लकड़ी जो दरवाज़े को बंद करके उसे खुलने से रोकने के लिए लगाई जाती है; अरगल।
ब्योंत
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आय-व्यय का प्रबंध; व्यवस्था 2. आमदनी ख़र्च का हिसाब-किताब 3. काट-छाँट; अल्पव्यय 4. किसी काम को पूरा करने का ढंग; ढब; युक्ति; तरकीब 5.
योजना 6. किफायत बरतना 7. साधन या सामग्री की सीमा 8. पहनने का कपड़ा सिलने के लिए होने वाली काट-छाँट।
ब्योंतना
[क्रि-स.] पहनने का कपड़ा सिलने के लिए कपड़ा नापकर काटना-छाँटना।
ब्योरन
[सं-स्त्री.] 1. वह बात जो विवरण या ब्योरा के साथ बताई जाए; ब्योरा 2. केशों को सुलझाने-सँवारने की क्रिया 3. सिर के बाल सँवारकर बाँधने का ढंग।
ब्योरना
[क्रि-स.] 1. कोई बात ब्यौरे के साथ बताना 2. अस्पष्ट बात को साफ़-साफ़ कहना; छिपे हुए तथ्य को सामने रखना 3. गुँथे हुए तार या सूत आदि को सुलझाना 4. उलझे हुए
बालों को सुलझाना। [क्रि-अ.] 1. (किसी बात पर) अच्छी तरह विचार करना 2. सोचना-समझना।
ब्योरा
[सं-पु.] 1. विवरण 2. एक-एक बात को अलग-अलग कहना 3. तफ़सील 4. कच्चा-चिट्ठा।
ब्योरेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. युक्ति से काम करने वाला 2. चालाक; धूर्त।
ब्योरेवार
[क्रि.वि.] 1. ब्योरे के साथ 2. विस्तारपूर्वक; विवरण युक्त 3. एक-एक बात का उल्लेख करते हुए।
ब्यौरा
(सं.) [सं-पु.] दे. ब्योरा।
ब्रज
(सं.) [सं-पु.] ब्रज, मथुरा और वृंदावन के आसपास का क्षेत्र।
ब्रजबाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ब्रज की युवती; ब्रज की बाला 2. गोपी 3. ब्रज सुंदरी।
ब्रजबिहारी
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रज में विहार करने वाला 2. कृष्ण।
ब्रजभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ब्रज क्षेत्र की भाषा 2. हिंदी की एक बोली।
ब्रजमंडल
(सं.) [सं-पु.] ब्रज के आसपास का क्षेत्र।
ब्रजवासी
(सं.) [सं-पु.] ब्रज क्षेत्र का निवासी या रहने वाला।
ब्रजेंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रज का स्वामी; ब्रज का राजा 2. कृष्ण।
ब्रजेश
(सं.) [सं-पु.] ब्रज के ईश्वर; कृष्ण।
ब्रश
(इं.) [सं-पु.] 1. रँगाई-पुताई या सफ़ाई में प्रयोग की जाने वाली एक बड़ी रोएँदार कूँची 2. तूलिका।
ब्रह्म
(सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर; परमात्मा 2. आत्मा 3. ब्राह्मण 4. जगत का मूल तत्व।
ब्रह्मकन्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरस्वती; ब्रह्मा की कन्या 2. ब्रह्मीबूटी।
ब्रह्मकुंड
(सं.) [सं-पु.] एक सरोवर।
ब्रह्मचर्य
(सं.) [सं-पु.] 1. संसारिक बंधनों से दूर रहकर सात्विक जीवन बिताना 2. वीर्यरक्षा; अष्टविध मैथुनों से बचने का व्रत 3. ब्रह्म के साक्षात्कार की साधना 4. योग
में एक प्रकार का यम।
ब्रह्मचारी
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला और सात्विक जीवन बिताने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो ब्रह्मचर्य आश्रम में रहता हो 3. ब्रह्मचर्य व्रत धारण
करने वाला व्यक्ति।
ब्रह्मज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्म के बारे में होने वाला ज्ञान 2. उपनिषद 3. तत्वबोध का ज्ञान; परमतत्व का ज्ञान 4. प्रकृति ज्ञान 5. परमार्थिक सत्ता का ज्ञान।
ब्रह्मत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्म का सच्चा ज्ञान 2. ब्राह्मण का भाव 3. ब्रह्म का भाव।
ब्रह्मनिष्ठ
(सं.) [वि.] 1. ब्रह्मज्ञान से युक्त; ब्रह्म चिंतन में लीन 2. ब्रह्म के प्रति निष्ठा रखने वाला।
ब्रह्मपद
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मत्व 2. अमरपद; मोक्ष; निर्वाण।
ब्रह्मपुत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. असम में बहने वाली एक नदी जिसका उद्गम स्थल हिमालय क्षेत्र में मानसरोवर है 2. (पुराण) ब्रह्मा का पुत्र 3. नारद।
ब्रह्मभोज
(सं.) [सं-पु.] बहुत से ब्राह्मणों को एक साथ भोजन कराना।
ब्रह्मयज्ञ
(सं.) [सं-पु.] विधिपूर्वक वेदों का अध्ययन-अध्यापन।
ब्रह्मयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मज्ञान की साधना 2. ब्रह्म साक्षात्कार हेतु की जाने वाली समाधि 3. (संगीत) अठारह मात्राओं का एक ताल।
ब्रह्मराक्षस
(सं.) [सं-पु.] 1. (मिथक) मृत्यु के उपरांत प्रेतयोनि प्राप्त करने वाला ब्राह्मण 2. शिव का एक गण।
ब्रह्मर्षि
(सं.) [सं-पु.] 1. वह ऋषि जिसे ब्रह्म या तत्व का ज्ञान हो गया हो; ब्रह्म ऋषि 2. वशिष्ठ आदि मंत्रद्रष्टा ऋषि।
ब्रह्मलेख
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) मनुष्य के ललाट पर ब्रह्मा द्वारा लिखी गई भाग्यसूचक पंक्तियाँ 2. (लोकमान्यता) ऐसा लेख जो कभी मिथ्या नहीं हो सकता।
ब्रह्मलोक
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मा का निवास स्थान 2. मोक्ष; निर्वाण।
ब्रह्मवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. एक सिद्धांत जिसके अनुसार संपूर्ण विश्व ब्रह्म से निकला है और उसी के शक्ति से चल रहा है 2. वेदांत।
ब्रह्मवादी
(सं.) [वि.] 1. ब्रह्म को मानने वाला; ब्रह्मवाद संबंधी 2. परम तत्ववादी; अध्यात्मवादी 3. वेदों को पढ़ने-पढ़ाने वाला; वेदांती 4. ब्रह्म का अनुयायी 5. समस्त
विश्व को ब्रह्मस्वरूप मानने वाला।
ब्रह्मविद
(सं.) [वि.] 1. ब्रह्म के संबंध में ज्ञान रखने वाला; ब्रह्मज्ञानी; आध्यात्मिक 2. वेदार्थज्ञाता।
ब्रह्मविद्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. विद्या जिसके द्वारा ब्रह्म का ज्ञान हो 2. अध्यात्मविद्या 3. उपनिषद।
ब्रह्मवृक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. गूलर 2. पलाश।
ब्रह्मसभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ब्रह्म की सभा 2. ब्राह्मणों की सभा।
ब्रह्मसमाज
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्राह्मण समाज 2. एक संप्रदाय जिसके प्रवर्तक बंगाल के राजा राममोहन राय थे।
ब्रह्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) विधाता; प्रजापति 2. हिंदू धर्म में त्रिदेव में से पहले देव।
ब्रह्मांड
(सं.) [सं-पु.] संपूर्ण विश्व; विश्वगोलक।
ब्रह्मांडकी
(सं.) [सं-स्त्री.] ब्रह्मांड की संरचना तथा उसमें तारों-नक्षत्रों के बनने और उनकी गति आदि का अध्ययन करने का विज्ञान; (कॉस्मोलॉजी।)
ब्रह्मांडविज्ञान
(सं.) [सं-पु.] विज्ञान की वह शाखा जिसमें समस्त ब्रह्मांड की संरचना तथा पिंडों की गति का अध्ययन किया जाता है।
ब्रह्मांडीय
(सं.) [वि.] 1. जो ब्रह्मांड में विद्यमान हो 2. ब्रह्मांड से संबंधित; ब्रह्मांड का।
ब्रह्मानंद
(सं.) [सं-पु.] 1. ब्रह्मज्ञान से उत्पन्न अनुभूति या आत्मतृप्ति 2. ब्रह्म स्वरूप के साक्षात्कार का आनंद।
ब्रह्मानंदसहोदर
(सं.) [सं-पु.] ब्रह्मानंद के समान।
ब्रह्मार्पण
(सं.) [सं-पु.] अपने किए कर्मो का फल परमात्मा को अर्पित करने की क्रिया।
ब्रह्मास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. कभी विफल न होने वाला अस्त्र 2. ब्रह्म शक्ति से युक्त माना जाने वाला अस्त्र।
ब्रह्मी
(सं.) [सं-स्त्री.] ब्राह्मी।
ब्रह्मीभूत
(सं.) [वि.] 1. जो ब्रह्म में लीन हो गया हो 2. मृत; स्वर्गीय।
ब्रह्मोपदेश
(सं.) [सं-पु.] वेद या ब्रह्मज्ञान की शिक्षा।
ब्रह्मोस
(सं.+रू.) [सं-स्त्री.] लंबी दूरी की मार करने वाली एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल।
ब्रा
(इं.) [सं-पु.] स्त्रियों द्वारा ब्लाउज़ के नीचे पहना जाने वाला एक अंतःवस्त्र।
ब्रांड
(इं.) [सं-पु.] 1. मार्का 2. दाग; छाप 3. प्रकार; किस्म।
ब्रांड इमेज
(इं.) [सं-स्त्री.] उपभोक्ता के दिमाग में किसी उत्पाद के बारे में समग्रता में बनी राय।
ब्रांडी
(इं.) [सं-पु.] जौ या गेहूँ से बनी शराब।
ब्रांडेड
(इं.) [वि.] 1. मार्का युक्त 2. ट्रेडमार्क सहित।
ब्राइट
(इं.) [सं-पु.] 1. चमकीला; चटकीला; उज्ज्वल; तेज; दीप्तिमान 2. सुंदर; अच्छा 3. प्रसिद्ध।
ब्राउज़र
(इं.) [सं-पु.] एक कंप्यूटर प्रोग्राम जो टेलीफ़ोन तारों के द्वारा छवियों, चित्रों, तथा अनेक जानकारियों को कंप्यूटर पर दर्शाता है।
ब्राह्म
(सं.) [वि.] 1. ब्रह्म का; ब्रह्म से संबंधित 2. ईश्वरीय 3. वेदीय। [सं-पु.] 1. हिंदुओं में धर्मशास्त्र के अनुसार विवाह का एक ढंग 2. ब्रह्म पुराण 3. नक्षत्र।
ब्राह्मण
(सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं में वर्णव्यवस्था के अंतर्गत चार वर्णों में पहला वर्ण 2. उक्त वर्ण का व्यक्ति।
ब्राह्मणत्व
(सं.) [सं-पु.] ब्राह्मण होने का पद, धर्म या भाव; ब्राह्मणपन।
ब्राह्मणवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. वह मत या विचारधारा जिसमें हिंदू धर्म में प्रचलित वर्णव्यवस्था में विश्वास करते हुए जन्म आधारित वंश, जाति तथा वर्ण की श्रेष्ठता को
समीचीन माना जाता है 2. उक्त के आधार पर धार्मिक कर्मकांडों में विश्वास करने वाली विचारधारा।
ब्राह्मणवादी
(सं.) [वि.] 1. ब्राह्मणवाद का समर्थक 2. ब्राह्मणवाद संबंधी।
ब्राह्ममुहूर्त
(सं.) [सं-पु.] सूर्योदय के ठीक पहले दो घड़ी का समय जो हिंदुओं में पवित्र तथा शुभ माना जाता है; प्रातःकाल।
ब्राह्मी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. आयुर्वेद में एक स्मरणशक्ति में वृद्धि करने वाली औषधि 2. एक प्राचीन लिपि जिससे देवनागरी, बंगला तथा अन्य आधुनिक लिपियों की उत्पत्ति हुई
है 3. वाणी 4. ब्रह्मा की शक्ति 5. रोहिणी नक्षत्र।
ब्रिंगअप
(इं.) [सं-स्त्री.] (पत्रकारिता) ख़बर के ख़ास बिंदु को इंट्रो में शामिल करना।
ब्रिगेड
(इं.) [सं-पु.] 1. सेना का एक विभाग या वर्ग 2. किसी विशिष्ट प्रकार के कार्यकर्ताओं का दल।
ब्रिगेडियर
(इं.) [सं-पु.] थल सेना में एक उच्च पद; ब्रिगेड का नायक।
ब्रिज
(इं.) [सं-पु.] 1. पुल; सेतु 2. ताश में एक प्रकार का खेल।
ब्रिटिश
(इं.) [वि.] 1. ब्रिटेन संबंधी 2. अँग्रेज़ का।
ब्रिटिशराज
(इं.+हिं.) [सं-पु.] अँग्रेज़ी हुकूमत।
ब्रितानिया
(इं.) [सं-पु.] पश्चिमी योरप में स्थित एक देश; ब्रिटेन; इंगलैंड।
ब्रीफ़
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचार संक्षेपण; संक्षिप्त समाचार।
ब्रेक
(इं.) [सं-पु.] 1. वाहन आदि की गति को कम करने या रोकने वाला उपकरण यंत्र 2. विराम 3. संबंध विच्छेद 4. अवरोध; अंतराल 5. टेलीविज़न कार्यक्रम के दौरान विज्ञापन
हेतु लिया गया समय।
ब्रेकर
(इं.) [सं-पु.] 1. अवरोधक 2. तोड़ने वाला।
ब्रेकिंग न्यूज़
(इं.) [सं-पु.] समाचार प्रसारण के दौरान अचानक घटी किसी घटना का ख़बर के बीच में प्रसारण।
ब्रेड
(इं.) [सं-पु.] रोटी; डबल रोटी।
ब्रेन कैंसर
(इं.) [सं-पु.] मस्तिष्क में गठान से होने वाली एक बीमारी; मस्तिष्क अर्बुद; (ब्रेन ट्यूमर)।
ब्रेन ट्यूमर
(इं.) [सं-पु.] मस्तिष्क में होने वाली गठान या फोड़ा; ब्रेन कैंसर का एक प्रकार।
ब्रेल
(इं.) [सं-पु.] ब्रेल लिपि; नेत्रहीनों के लिए तैयार की गई एक लिपि।
ब्रेसलेट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. कलाई में पहनने का आभूषण; कंगन; कंगना 2. चूड़ी 4. वलय।
ब्रेस्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. सीना; छाती 2. वह चित्र या मूर्ति जिसमें किसी व्यक्ति के कमर के ऊपर के भाग की आकृति बनाई गई हो; आवक्ष प्रतिमा।
ब्रॉडकास्ट
(इं.) [सं-पु.] प्रसारण; ऑडियो-वीडियो के माध्यम से सूचना प्रसारित करना।
ब्रॉडकास्ट जर्नलिज़म
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) प्रसारण पत्रिकारिता; इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का समानार्थक रूप।
ब्रोकर
(इं.) [सं-पु.] वह जो कुछ पारिश्रमिक लेकर लोगों को सौदा ख़रीदने या बेचने में सहायता देता हो; दलाल; (एजेंट)।
ब्लंडर
(इं.) [सं-पु.] 1. भारी भूल; बड़ी गलती 2. बुरी तरह चूक जाना 3. बिना सोचे-समझे कह डालना 4. डगमगाना 5. कुप्रबंध करना।
ब्लड
(इं.) [सं-पु.] 1. रक्त; ख़ून; लहू 2. {ला-अ.} वंश 3. नाता।
ब्लडप्रेशर
(इं.) [सं-पु.] हृदय द्वारा परिसंचरित रक्त का धमनी आदि पर पड़ने वाला दबाव जो उचित मात्रा से कम या अधिक होने पर रोग या विकृति का सूचक होता है; रक्तदाब;
रक्तचाप।
ब्लड शुगर
(इं.) [सं-पु.] रक्तशर्करा; रुधिरशर्करा।
ब्लाउज़
(इं.) [सं-पु.] स्त्रियों द्वारा प्रायः साड़ी के साथ पहना जाने वाला एक वस्त्र; अंतःवस्त्र।
ब्लीचिंग पावडर
(इं.) [सं-पु.] चूने और क्लोरीन की अभिक्रिया से बनाया जाने वाला सफ़ेद रवादार रसायन।
ब्लीडिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] शरीर के किसी अंग से होने वाला रक्तस्राव; ख़ून बहना।
ब्लू
(इं.) [सं-पु.] 1. नीला रंग 2. नीलवर्ण। [वि.] 1. नीला 2. नीले रंग का।
ब्लेड
(इं.) [सं-पु.] इस्पात से निर्मित पतला चौकोर पत्तर जिससे दाढ़ी बनाई जाती है।
ब्लैक
(इं.) [वि.] 1. काला; स्याह; कृष्ण; साँवला 2. प्रकाश रहित; अंधकारमय 3. दुष्टतापूर्ण। [सं-पु.] 1. स्याह रंग 2. कालिमा।
ब्लैकआऊट
(इं.) [सं-पु.] 1. वह स्थिति जब चारों ओर घनघोर अँधेरा हो 2. युद्ध के समय दुश्मन के लड़ाकू जहाज़ों का बमबारी से बचने के लिए किसी शहर में घरों के प्रकाश को
बाहर से दिखने न देने की व्यवस्था, घना अँधेरा कर देने की स्थिति 3. तिमिरण; अँधेरा 4. {ला-अ.} कुछ क्षणों के लिए चेतना न रहना।
ब्लैकबेरी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. जामुन 2. कृष्णबदरी।
ब्लैकबॉक्स
(इं.) [सं-पु.] उड़ान के समय वायुयान से संबंधित विभिन्न जानकारियों को अंकित करने वाला स्वचालित उपकरण।
ब्लैकबोर्ड
(इं.) [सं-पु.] श्यामपट; वह काली सतह या काले रंग का तख़्ता जिसपर शिक्षक चॉक से लिखते हैं।
ब्लैक मनी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. अवैध रूप से इकट्ठा किया गया धन; काला धन 2. राज्य कर की चोरी या अन्य गैरकानूनी कार्यों से हासिल किया गया धन 3. वह धन जो गैरकानूनी तौर
पर चोरी-छिपे अपने देश से बाहर के बैंकों में जमा किया जाता है।
ब्लैक मार्केट
(इं.) [सं-पु.] 1. राज्य द्वारा लगाए गए कर से बचने के लिए अवैध रूप से होने वाला कारोबार या व्यवसाय 2. चोरबाज़ार 3. तस्करी करके माल बेचना; धोखाधड़ी का
बाज़ार।
ब्लैकमेल
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी को डरा-धमकाकर या किसी बात से विवश करके धन आदि हड़पना 2. धमकी; भयदोहन।
ब्लैकमेलर
(इं.) [सं-पु.] 1. ब्लैकमेल करने वाला व्यक्ति 2. किसी बात से विवश करके रुपया-पैसा आदि हड़पने वाला व्यक्ति 3. वह जो किसी बात के लिए मज़बूर करता हो।
ब्लैकहोल
(इं.) [सं-पु.] अंतरिक्ष में एक बहुत ही शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति वाला वह पिंड या स्थान जो संपर्क में आने वाली हर छोटी-बड़ी वस्तु को यहाँ तक की प्रकाश
को भी अपने अंदर अवशोषित कर लेता है इसलिए इसे विशालकाय काले रंग के छिद्र के रूप में माना जाता है; कृष्णविवर।
ब्लॉक
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी जनपद का प्रशासनिक स्तर पर विभाजित किया गया एक क्षेत्र; प्रखंड 2. चित्र, लिखावट आदि छापने का ठप्पा 3. किसी मकान का कोई पूर्ण खंड 4.
चौकोर भूखंड; भूमिखंड 5. बहुत से घरों का समूह।
ब्लॉगिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] ब्लॉग लिखने, उसे साझा करने की प्रक्रिया।
ब्लो अप
(इं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) किसी चित्र अथवा मुद्रित सामग्री को बड़ा करना।