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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह द्वि-ओष्ठ्य, सघोष, महाप्राण स्पर्श है।

भँगरा [सं-पु.] 1. भाँग के पौधे के रेशों से बनाया हुआ मोटा कपड़ा 2. एक औषधि; भृंगराज।

भँगार [वि.] 1. वर्षा का पानी भर जाने से ज़मीन में हो जाने वाला गड्ढा 2. कूड़ा-करकट; घास-फूस; रद्दी; कतवार 3. कुआँ बनाने से पहले खोदा जाने वाला गड्ढा।

भँगेड़ी [वि.] जिसे भाँग पीने की लत हो; रोज़ाना भाँग पीने वाला; भंगड़।

भँजना (सं.) [क्रि-अ.] भग्न होना; टूटना; टुकड़े-टुकड़े होना।

भँजाई [सं-स्त्री.] 1. भाँजने की क्रिया या भाव 2. भाँजने का पारिश्रमिक 3. रुपयों या सिक्कों आदि को भुनाने के लिए दी जाने वाली राशि; भुनाई 4. कागज़ को परतों में मोड़ने की क्रिया।

भँजाना [क्रि-स.] 1. भाँजने या तोड़ने का काम कराना; भाँजने में प्रवृत्त करना; भँजवाना 2. तुड़वाना 3. नोट या सिक्कों को भुनाना।

भँड़ताल [सं-स्त्री.] नाच के साथ ताली बजा-बजाकर होने वाला गान जिसमें एक व्यक्ति गाता है और शेष लोग तालियाँ बजाते हैं; भँड़तिल्ला।

भँड़रिया [वि.] 1. ढोंगी; पाखंडी 2. धूर्त; चालाक।

भँड़ैती [सं-स्त्री.] 1. भाँड़ों का पेशा या काम 2. भाँड़ों का-सा व्यवहार; भाँड़ों जैसा हास-परिहास 3. ख़ुशामद भरी बातचीत 4. तुच्छ या हेय बातचीत।

भँड़ौआ [सं-पु.] 1. भाँड़ों के गीत 2. हास्य से परिपूर्ण फूहड़ कविता। [वि.] 1. अभद्र; अप्रिय 2. अशोभनीय; असंस्कृत 3. भौंडा; भदेस 4. तड़कभड़कदार; प्रदर्शनीय।

भँभीरी [सं-स्त्री.] 1. पीलापन लिए हुए कुछ लंबा पारदर्शी पंखों वाला कीट-पतंगा 2. ख़ूब तेज़ चक्कर काटने वाला फिरकी नामक खिलौना।

भँभोड़ना [क्रि-स.] दाँतों से पकड़कर क्षत-विक्षत करना; नोचना; चीथना; खसोटना; काटना, जैसे- शेर द्वारा हिरन आदि को भँभोड़ना।

भँवर (सं.) [सं-पु.] 1. भँवरा; भ्रमर 2. आवर्त; घुमरी; चक्र; जलावर्त 3. संकटावस्था।

भँवरजाल [सं-पु.] 1. भ्रम का आवरण; भ्रमजाल; भँवर 2. मायाजाल; सांसारिक उलझनें या झगड़े 3. खटराग; भूलभुलैया 4. दुर्भाग्यचक्र।

भँवरी [सं-स्त्री.] 1. नदी आदि में पानी का तेज़ घुमाव या चक्कर; भँवर; घेरा 2. भ्रामरी; भौंरी 3. भाँवर या अग्नि परिक्रमा (विवाह)।

भंकार (सं.) [सं-पु.] 1. नगाड़े की ध्वनि; भनभनाहट 2. घोर या भीषण आवाज़; भयंकर शब्द; विकट शब्द।

भंग (सं.) [सं-पु.] 1. खंडित होना; टूटना 2. विघटन; खंड 3. ध्वंस; नाश 4. कुटिलता; टेढ़ापन।

भंगड़ [वि.] जिसे भाँग पीने की लत हो; भाँग का नशा करने वाला; भँगेड़ी।

भंगरगार (सं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ किसी काम में आने वाली बहुत-सी वस्तुएँ रखी जाती हैं; भंडार; भंडारघर; गोदाम; (स्टोर) 2. ख़ज़ाना; कोष।

भंगिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कला पूर्ण शारीरिक मुद्रा 2. स्त्रियों के हाव-भाव या कोमल चेष्टाएँ 3. कुटिलता; वक्रता।

भंगी [सं-पु.] संविधान में उल्लिखित एक अनुसूचित जाति।

भंगुर (सं.) [वि.] 1. भंग होने वाला; चोट पड़ने पर टूट-फूट जाने वाला, जैसे- काँच 2. नाशवान, जैसे- क्षण भंगुर शरीर।

भंगुरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी ठोस पदार्थ का चोट लगने पर टूट-फूट जाने का गुण या भाव 2. वक्रता; टेढ़ापन।

भंजक (सं.) [वि.] 1. भंग करने वाला; तोड़-फोड़ करने वाला 2. ध्वंस करने वाला।

भंजन (सं.) [सं-पु.] 1. भंग करना; तोड़ना-फोड़ना 2. ध्वंस या नाश करना 3. फोड़े के व्रण या पस से होने वाली पीड़ा।

भंजना [क्रि-स.] 1. भग्न करना; तोड़ना-फोड़ना; विखंडन करना; किसी पात्र आदि का टूट-फूट जाना; खंडन करना 2. किसी बड़े सिक्के का छोटे-छोटे सिक्कों से बदला जाना; भुनना।

भंजनीय (सं.) [वि.] जिसे तोड़ा जा सके; तोड़ने के लायक।

भंजी [वि.] 1. भंजन करने वाला; तोड़ने वाला 2. नष्ट करने वाला।

भंड (सं.) [सं-पु.] अपशब्द या अश्लील शब्दों का प्रयोग करने वाला व्यक्ति; भाँड़। [वि.] 1. अश्लील या गंदी बातें करने वाला; निर्लज्ज; बेशरम 2. धूर्त; पाखंडी।

भंडक (सं.) [सं-पु.] खिंडरिच नामक पक्षी।

भंडता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भाँड़ों का काम 2. भाँड़ों जैसा व्यवहार या चेष्टा 3. ओछा हास-परिहास; तुच्छ हँसी-ठिठोली 4. मन में उत्पन्न होने वाली बुरी चेतना।

भंडना [क्रि-स.] 1. क्षति या हानि पहुँचाना 2. बिगाड़ना; नष्ट करना 3. ख़राब या गंदा करना 4. तोड़ना-फोड़ना 5. किसी की बुराई करते फिरना 6. बदनाम करना। [क्रि-अ.] भटकना।

भंडर (सं.) [वि.] धूर्त; पाखंडी।

भंडरिया [सं-स्त्री.] 1. दीवार में बनी हुई आलमारी 2. पल्लेदार ताखा 3. छोटी कोठरी।

भंडा [सं-पु.] 1. बरतन; पात्र 2. भंडार 3. रहस्य; भेद। [मु.] -फूटना : रहस्य प्रकट होना; भेद खुलना।

भंडाफोड़ [सं-पु.] 1. गोपनीय बात का प्रकट हो जाना 2. भेद प्रकट हो जाना; रहस्य प्रकट हो जाना।

भंडार (सं.) [सं-पु.] 1. खाद्य सामग्री को एकत्र कर रखने का स्थान; बहुत-सी वस्तुओं को रखने या जमा करने का कमरा; गोदाम; (स्टोर) 2. बेचने की वस्तुओं को जमा करने तथा सुरक्षित रखने का कमरा या भवन; (स्टॉक) 3. कोष; ख़ज़ाना।

भंडारकर्मी [सं-पु.] गोदाम में काम करने वाला व्यक्ति; (स्टोरकीपर)।

भंडारगृह (सं.) [सं-पु.] 1. घर का वह स्थान जहाँ अन्न, धन एवं अन्य वस्तु को रखा जाता है; कोषागार; अन्नागार 2. अग्निकोण।

भंडारघर (सं.) [सं-पु.] 1. सामान रखने की जगह 2. अन्न रखने का स्थान।

भंडारण [सं-पु.] 1. कंप्यूटर में सूचनाएँ जमा करना 2. वस्तुओं का संचयन 3. भंडार; ढेर।

भंडारपाल (सं.) [सं-पु.] 1. विविध वस्तुओं के संग्रह या भंडार की निगरानी करने वाला कर्मचारी; (स्टॉकिस्ट) 2. भंडार का स्वामी।

भंडारा [सं-पु.] 1. भोज 2. साधुओं का भोज 3. भंडार 4. समूह; झुंड।

भंडारित (सं.) [वि.] 1. जिसका भंडारण किया जा चुका हो; संगृहीत; संकलित 2. भंडारगृह में जमा किया हुआ।

भंडारी [सं-पु.] 1. भंडार का रक्षक तथा निगरानी कर्ता; भंडार का प्रबंध करने वाला अधिकारी; भंडारपाल; (स्टॉकिस्ट) 2. रसोइया 3. कोषाध्यक्ष।

भंभकड़ा [सं-पु.] 1. बड़ा सूराख़ 2. छिद्र 3. दीवार आदि में फोड़कर बनाया गया दरवाज़ा।

भई [सं-पु.] बोलचाल में 'भाई' या बराबर की उम्रवालों के लिए प्रयोग किया जाने वाला संबोधन, जैसे- भई वाह! तुमने तो अच्छी कविता लिखी है।

भक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग के एकाएक तेज़ जलने या भभकने से होने वाला शब्द 2. सहसा भस्म होना।

भकभक [सं-स्त्री.] 1. एक अंतराल के बाद दिखने वाली चमक 2. रह-रहकर तेज़ी से निकलने वाले धुएँ का शब्द।

भकभकाना [क्रि-अ.] 1. तुरंत तेज़ी से जलने की क्रिया; 'भक-भक' ध्वनि करके जलना 2. रह-रह कर चमकना।

भकुआ [वि.] 1. मूढ़; मूर्ख 2. घबराया हुआ।

भकुआना [क्रि-अ.] 1. मूर्ख बनना 2. घबरा जाना 3. भौचक्का होना 4. चकपकाना। [क्रि-स.] 1. किसी को भकुआ बनाना; बेवकूफ़ बनाना 2. घबराहट में डालना।

भकोसना [क्रि-स.] 1. जल्दी-जल्दी खाना; ठूँसना 2. {ला-अ.} किसी की संपत्ति हज़म कर जाना।

भकोसू [वि.] हज़म करने वाला; भकोसने वाला।

भक्त (सं.) [वि.] 1. अनुगामी; अनुयायी 2. उपासक; सेवक 3. अनुगत; भक्तियुक्त 4. अनुरागी; वफ़ादार।

भक्तगण (सं.) [सं-पु.] श्रद्धालु; सेवक; उपासक।

भक्तवत्सल (सं.) [वि.] 1. जो भक्तों पर अनुग्रह या कृपा करता हो 2. भक्तों पर स्नेह करने वाला।

भक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपासना; आराधना 2. सेवा 3. आस्था; श्रद्धा 4. अनुराग।

भक्तिकाल (सं.) [सं-पु.] हिंदी साहित्य के विकास का एक चरण; भक्तियुग; भक्ति का समय।

भक्तिकाव्य (सं.) [सं-पु.] मध्यकाल में भक्तकवियों द्वारा रचित भक्तिभाव का साहित्य।

भक्तिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री 2. उपासिका; तपस्विन; योगिन 3. भिक्षुणी।

भक्तिपूर्ण (सं.) [वि.] भक्तिमय।

भक्तिपूर्वक (सं.) [क्रि-अ.] भक्तिसहित।

भक्तिप्रवण (सं.) [वि.] 1. भक्ति में लीन; पूजाभावी 2. जिसमें भक्ति का गहन भाव हो।

भक्तिभाजन (सं.) [वि.] जो भक्ति का पात्र हो; भक्ति के योग्य; श्रद्धेय; पूजनीय।

भक्तिभाव (सं.) [सं-पु.] 1. भक्ति में लीन होने की अवस्था; भक्तिभावना 2. पूजा-अर्चना; भजन-कीर्तन।

भक्तिमय (सं.) [वि.] भक्तिपूर्ण; भक्ति-भाव से परिपूर्ण; भक्तियुक्त।

भक्तिमान (सं.) [वि.] जिसके मन में भक्ति हो; भक्तियुक्त।

भक्तिमार्ग (सं.) [सं-पु.] ईश्वर-दर्शन या मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्गों में से एक।

भक्तियुक्त (सं.) [वि.] 1. भक्तिमय; श्रद्धापूर्ण 2. विनीत; नम्र।

भक्तियोग (सं.) [सं-पु.] भक्ति के द्वारा ईश्वर को प्राप्त करने की साधना।

भक्तिरस (सं.) [सं-पु.] ईश्वर के प्रति उत्कृष्ट अनुराग।

भक्तिल (सं.) [वि.] विश्वसनीय; वफ़ादार; निष्ठावान।

भक्तिहीन (सं.) [वि.] 1. निष्ठाहीन 2. विश्वासघाती; झूठा; बेईमान 3. अविश्वासी; अविश्वसनीय।

भक्ष (सं.) [सं-पु.] आहार; भोजन; भक्ष्य; खाद्यपदार्थ।

भक्षक (सं.) [वि.] 1. भक्षण करने वाला; खा जाने वाला 2. स्वार्थ के लिए किसी का सर्वनाश करने वाला।

भक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. भोजन करना; खाना 2. आहार; भोजन 3. दाँत से काटकर खाना।

भक्षित (सं.) [वि.] 1. खाया हुआ 2. समाप्त या ख़त्म किया हुआ 3. अशेष। [सं-पु.] आहार; भोजन।

भक्षी (सं.) [वि.] खाने वाला; आहारी।

भक्ष्य (सं.) [वि.] जो खाया जा सके; खाने योग्य; आहार्य। [सं-पु.] खाने-पीने का पदार्थ; खाद्य; आहार; भोजन।

भक्ष्यकार (सं.) [सं-पु.] 1. पाचक 2. रसोइया।

भक्ष्याभक्ष्य (सं.) [वि.] खाद्य और अखाद्य (पदार्थ)।

भग (सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री योनि। [सं-पु.] 1. ऐश्वर्य; कीर्ति 2. सूर्य 3. चंद्रमा 4. मोक्ष 5. धन 6. इच्छा; कामना।

भगंदर (सं.) [सं-पु.] गुदावर्त के किनारे होने वाला फोड़ा जो फूटने पर नासूर हो जाता है।

भगण (सं.) [सं-पु.] 1. (खगोल विज्ञान) ग्रहों का 360 अंशों का पूरा चक्कर 2. शशिमंडल; नक्षत्र मंडल 3. (छंदशास्त्र) एक नियम जिसमें एक वर्ण गुरु और दो वर्ण लघु होते हैं, जैसे- पावस।

भगत (सं.) [सं-पु.] 1. तंत्र-मंत्र से भूत-प्रेत झाड़ने वाला व्यक्ति; ओझा 2. एक प्रकार की जाति; भगतिया 3. होली में किया जाने वाला एक प्रकार का स्वाँग।

भगतिया [सं-पु.] गाने-बजाने का काम करने वाली राजस्थान की एक जाति।

भगदड़ [सं-स्त्री.] बहुत से लोगों का बदहवास होकर एक साथ इधर-उधर भागना।

भगवत (सं.) [सं-पु.] परमेश्वर; भगवान।

भगवद (सं.) [सं-पु.] दे. भगवत।

भगवदीय (सं.) [वि.] भगवद से संबंधित; भगवान संबंधी। [सं-पु.] भगवान का भक्त।

भगवद्गीता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान 2. भक्ति और कर्मयोग-विषयक उपदेश 3. एक महाग्रंथ जो महाभारत ग्रंथ का एक महत्वपूर्ण अंश है।

भगवद्भक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] भगवान या ईश्वर की आराधना; प्रभु की भक्ति।

भगवद्विग्रह (सं.) [सं-पु.] भगवान की मूर्ति; देवता की प्रतिमा।

भगवन (सं.) [सं-पु.] ईश्वर; परमात्मा।

भगवा [सं-पु.] 1. गेरुआ रंग; हलका पीलापन लिए हुए लाल रंग 2. उक्त रंग में रँगा हुआ वस्त्र। [वि.] गेरुआ रंग का; उदय होते समय सूर्य के रंग का।

भगवाकरण (सं.) [सं-पु.] 1. भगवा रंग से संबंधित धर्म का प्रचार-प्रसार करना 2. हिंदू धर्म, परंपरा और संस्कृति के अनुरूप ढालने की क्रिया 3. धार्मिक राष्ट्रवाद के प्रति आग्रह का भाव।

भगवाधारी [सं-पु.] भगवा वस्त्र धारण करने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. जो भगवा वस्त्र धारण करता हो 2. वह जो धार्मिक राष्ट्रवाद के प्रति आग्रही हो।

भगवाध्वज (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू धर्म से संबंधित भगवा रंग का झंडा 2. हिंदू राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में माना जाने वाला ध्वज; भगवा पताका।

भगवान (सं.) [सं-पु.] ईश्वर; परमात्मा; ख़ुदा।

भगाऊ [वि.] 1. भगाने वाला 2. हटाने या दूर करने वाला, जैसे- रोग भगाऊ।

भगाना (सं.) [क्रि-स.] 1. दूर करना; हटाना 2. डराना; दौड़ाना 3. खदेड़ना; दुतकारना।

भगिनी (सं.) [सं-स्त्री.] सहोदरा; बहन।

भगीरथ (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र जिन्होंने घोर तप करके स्वर्ग से गंगा नदी की अवतारणा कराई थी।

भगोंहाँ (सं.) [वि.] 1. भागने को तैयार रहने वाला; भगोड़ा 2. कायर; डरपोक 3. भगवा रंग में रँगा हुआ; गेरुआ।

भगोड़ा [वि.] 1. भागा हुआ 2. कायर; डरपोक 3. पलायनवादी 4. ऐसा व्यक्ति जो धोखा देकर कानून के दायरे से भाग जाए।

भगौना [सं-पु.] एक प्रकार का बरतन जो गहरा और गोलाकार होता है और जिसके ऊपर का किनारा मुड़ा होता है; बहुगुना।

भग्न (सं.) [वि.] 1. नष्ट; चूर-चूर किया हुआ 2. खंडित; टूटा हुआ 3. हताश 4. हराया हुआ; पराजित।

भग्नचित्त (सं.) [वि.] जिसका हृदय भग्न हो गया हो; निराश; उदास।

भग्नचेष्ट (सं.) [वि.] असफल होकर कर्म या चेष्टा से विरत हो जाने वाला; निराश; निरुत्साह।

भग्नदूत (सं.) [सं-पु.] युद्ध में पराजय होने की सूचना लाने वाला दूत।

भग्नमना (सं.) [वि.] जिसका मन टूट गया हो; जो निराश हो; भग्नहृदय; हतोत्साह।

भग्नमनोरथ (सं.) [वि.] जिसका मनोरथ असफल हो गया हो; विफल मनोरथ; पराजित; नाकाम।

भग्नमान (सं.) [वि.] 1. जिसका मान नष्ट हो गया हो; अपमानित 2. अनादृत; तिरस्कृत।

भग्नश्री (सं.) [वि.] 1. जिसका वैभव या सुख नष्ट हो गया हो 2. जिसका सौंदर्य ख़त्म हो गया हो।

भग्नहृदय (सं.) [वि.] जिसका हृदय दुख के कारण टूट गया हो; खिन्नहृदय; हताश; दिलजला; मर्माहत; मनोव्यथित; निराश; उदास।

भग्नांश (सं.) [सं-पु.] 1. मूल पदार्थ या द्रव्य का कोई अलग किया हुआ भाग 2. समान भागों में विभाजित किसी संख्या का कोई भाग; (फ़्रैक्शन)।

भग्नावशेष (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पुरानी या टूटी-फूटी इमारत, उजड़ी हुई बस्ती आदि का बचा हुआ अंश; अवशेष; खंडहर 2. किसी टूटी हुई वस्तु के बचे हुए टुकड़े।

भग्नाश (सं.) [वि.] जिसकी आशा या आस्था भग्न हो गई हो; निराश; हतोत्साह।

भचक [सं-स्त्री.] भचकने की क्रिया, अवस्था या भाव।

भचकना [क्रि-अ.] लँगड़ाते हुए चलना।

भजन (सं.) [सं-पु.] 1. उपासना; पूजा 2. ईश्वर की स्तुति करना; माला जपना; गुणगान 3. भगवान या देवता आदि की स्तुति में रचित गीत या पद; पूजागीत; भक्तिगीत।

भजना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी देवता का नाम बार-बार कहना; दोहराना; रटना; भजन करना 2. ईश्वर और उसकी लीलाओं का स्मरण करना; गुणगान करना; स्तुति करना; जपना 3. किसी की सेवा-सुश्रुषा करना।

भजनानंदी (सं.) [वि.] 1. ईश्वर के गुणगान और भजन में लीन रहने वाला 2. भजन गाकर मस्त रहने वाला। [सं-पु.] भगवान को याद करने का आनंद।

भजनावली (सं.) [सं-पु.] भजनसंग्रह।

भजनी [वि.] 1. भजन-कीर्तन करने वाला; भजनिया 2. भजन गाने वाला; गायक; भजनोपदेशक।

भजनीक [सं-पु.] 1. भजन गाकर उपदेश करने वाला; भजन गायक; संकीर्तनकार 2. उपासक; पुजारी।

भजनीय [वि.] जिसका भजन किया जाता हो; श्रद्धेय; पूजनीय; सम्माननीय।

भजनोपदेशक [सं-पु.] भजन करने वाला व्यक्ति; भजन गाकर उपदेश देने वाला व्यक्ति।

भट (सं.) [सं-पु.] 1. एक जाति 2. दास 3. योद्धा; सैनिक; सिपाही 4. पहलवान; मल्ल।

भटई [सं-स्त्री.] दूसरों की झूठी प्रशंसा; ख़ुशामद; चापलूसी।

भटक [सं-स्त्री.] 1. भटकने की क्रिया या भाव 2. इधर-उधर भ्रमण।

भटकटैया [सं-स्त्री.] दवा के काम आने वाला एक कँटीला पौधा; कटेरी।

भटकन [सं-स्त्री.] 1. भटकने या मारे-मारे फिरने का भाव; भटक 2. आवारागर्दी; भटकने से होने वाली परेशानी।

भटकना [क्रि-अ.] 1. रास्ता भूलना 2. भ्रम में पड़ना 3. व्यर्थ में इधर-उधर घूमते फिरना; मारे-मारे फिरना 4. बहकना; गुमराह होना।

भटकाना [क्रि-स.] 1. सही रास्ते से दूर करना; गुमराह करना; बहकाना; भरमाना; गलत रास्ता बताना 2. पथभ्रष्ट करना; मार्गच्युत करना 3. खोजवाना; ढूँढ़वाना।

भटनागर (सं.) [सं-पु.] ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।

भटभेरा [सं-पु.] 1. दो योद्धाओं का आपस में लड़ना; मुठभेड़; भिड़ंत 2. टक्कर; धक्का 3. रास्ते में हो जाने वाली मुलाकात।

भट्ट (सं.) [सं-पु.] 1. ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. (नाटक) योद्धा या राजा के लिए प्रयुक्त संबोधन 3. पंडित।

भट्टाचार्य (सं.) [सं-पु.] 1. बंगाली ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. दर्शनशास्त्र का पंडित; सम्मानित अध्यापक।

भट्टारक (सं.) [वि.] 1. मान्य; माननीय; पूज्य 2. कुलीन। [सं-पु.] 1. ज्ञानी; पंडित 2. ऋषि; तपस्वी 3. राजा; देवता।

भट्टारिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सम्मानीय स्त्री; देवी 2. भद्र महिला।

भट्टी [सं-स्त्री.] पंजाबी समाज में एक कुलनाम या सरनेम।

भट्ठा (सं.) [सं-पु.] 1. ईंटें पकाने का बड़ा आँवाँ; पकाने की बड़ी भट्ठी 2. गुड़ आदि पकाने का बड़ा कड़ाह।

भट्ठी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का बड़ा चूल्हा जो कोयले से जलता है; तपेला 2. मद्य बनाने का स्थान।

भठियारख़ाना (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. भठियारी का घर; सराय; धर्मशाला 2. (व्यंग्य) असमय लोगों की बैठक।

भठियारा [सं-पु.] 1. सराय का मालिक 2. खाने-पीने और ठहरने का प्रबंध करने वाला व्यक्ति।

भड़क [सं-स्त्री.] 1. भड़कने की अवस्था या भाव 2. तीव्र चमक 3. भड़कीलापन।

भड़कदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. चमकीला; जिसमें ख़ूब चमक-दमक हो; भड़कीला 2. अलंकृत; शब्दाडंबरपूर्ण।

भड़कना [क्रि-अ.] 1. सहसा ज़ोर से जल उठना; प्रज्वलित होना 2. उग्र होना 3. गरम होना; तमतमाना 4. आवेश में आना; उत्तेजित होना।

भड़काना [क्रि-स] 1. बढ़ावा देना 2. उत्तेजित करना 3. बहकाना; प्रज्वलित करना।

भड़कीला [वि.] चमकीला; भड़कदार।

भड़-भड़ [सं-स्त्री.] 1. कठोर और खोखली चीज़ों के टकराने की आवाज़ 2. हो हल्ला; बकबक।

भड़भड़ाना [क्रि-अ.] 'भड़-भड़' शब्द उत्पन्न होना। [क्रि-स.] 'भड़-भड़' शब्द उत्पन्न करना।

भड़भड़िया [वि.] 1. डींगबाज़; बकवास करने वाला; बहुत बढ़-चढ़कर बातें करने वाला 2. अपने भेद की बातें दूसरों को बताने वाला 3. जल्दबाज़।

भड़भाँड़ [सं-पु.] एक कँटीला पौधा जिसके बीजों का तेल ज़हरीला होता है; सत्यनासी; घमेय।

भड़भूजा [सं-पु.] अनाज भूनने का काम करने वाली एक हिंदू जाति; भुजवा; भुरजी।

भड़ास [सं-स्त्री.] 1. आवेश में आकर किसी पर प्रकट किया जाने वाला मानसिक असंतोष 2. मन में भरी बातें; गुबार। [मु.] -निकालना : अपना असंतोष प्रकट करना।

भडुआ [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो वेश्याओं के दलाल के रूप में काम करता हो 2. सफ़रदाई; वेश्याओं के साथ सारंगी या तबला बजाने वाला व्यक्ति।

भड़ैत [वि.] 1. भाड़े पर रहने या बसने वाला; किराएदार; जिसने किसी की दुकान या मकान किराए पर लिया हो 2. भाड़े पर दूसरों का काम करने वाला।

भड़ौआ [सं-पु.] 1. भाँड़ों की तरह किसी का उपहास करने के लिए लिखी गई हास्यपूर्ण कविता 2. किसी और की कविता के अनुकरण पर बनाई गई हास्यपरक कविता; (पैरोडी)।

भड्डर (सं.) [सं-पु.] 1. ज्योतिष विद्या से भविष्य का अनुमान बताकर और यात्रियों को मंदिर आदि में दर्शन कराकर आजीविका चलाने वाली ब्राह्मणों की एक जाति; भड्ड; भंडर 2. उक्त जाति का व्यक्ति।

भणन (सं.) [सं-पु.] 1. वार्तालाप; बातचीत 2. कथन; वाचन; कहना; वर्णन।

भणित (सं.) [वि.] कथित; जो कहा गया हो; कहा हुआ। [सं-स्त्री.] 1. उक्ति; बात 2. कही हुई बात। [सं-पु.] कथन; वर्णन।

भणिता (सं.) [सं-पु.] वक्ता; बोलने वाला। [सं-स्त्री.] किसी कविता में होने वाला कवि का उपनाम; छाप।

भणिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कहावत; लोकोक्ति 2. कथन; वार्ता 3. उक्ति।

भतीजा (सं.) [सं-पु.] भाई का पुत्र।

भत्ता [सं-पु.] मूल वेतन के अतिरिक्त मिलने वाला धन, जैसे- यात्राभत्ता, मँहगाईभत्ता।

भद (सं.) [सं-स्त्री.] किसी वस्तु के ऊपर से गिरने की आवाज़।

भदंत (सं.) [वि.] 1. माननीय; पूज्य 2. भद्र; सज्जन; जो सम्मान के योग्य हो। [सं-पु.] बौद्ध भिक्षुक।

भदई [सं-स्त्री.] भादों के महीने में पकने वाली फ़सल। [वि.] 1. भादों का; भादों से संबंधित 2. भादों में होने वाला।

भदेस [वि.] 1. भद्दा; कुरूप 2. बुरा; दुष्ट।

भदौरिया [सं-पु.] क्षत्रिय समाज में कुलनाम या सरनेम।

भद्द [सं-स्त्री.] 1. उपहास की स्थिति; बेइज़्ज़ती 2. फ़जीहत; दुर्गति।

भद्दा [वि.] 1. बेढंगा; बेडोल 2. कुरूप; बदसूरत 3. अश्लील; फूहड़ 4. लज्जाजनक।

भद्र (सं.) [वि.] 1. शिष्ट; सभ्य; भला; शरीफ़ 2. सज्जन 3. छलहीन 4. विनम्र।

भद्रंकर (सं.) [वि.] शुभ; मंगलकारक; कल्याणकारी।

भद्रकारक (सं.) [वि.] मंगल या कल्याण करने वाला; शुभकारक।

भद्रकाली (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) दुर्गा का एक रूप; काली की एक मूर्ति।

भद्रकाष्ठ (सं.) [सं-पु.] देवदारु नामक वृक्ष या उसकी लकड़ी।

भद्रकुंभ (सं.) [सं-पु.] किसी तीर्थ के स्वच्छ जल से भरा हुआ घट; स्वर्णघट; मंगलघट; भद्रघट।

भद्रजन (सं.) [सं-पु.] शिष्ट लोग; सभ्य लोग।

भद्रता (सं.) [सं-स्त्री.] सज्जनता; शालीनता; शिष्टता।

भद्रदंत (सं.) [सं-पु.] एक तरह का हाथी या गज।

भद्रनामा (सं.) [सं-पु.] खँड़रिच; खंजन; कठफोड़वा।

भद्रपुरुष [सं-पु.] शरीफ़ या शिष्ट व्यक्ति; सभ्य आदमी।

भद्रवान (सं.) [वि.] मंगलमय; कल्याणकारी। [सं-पु.] देवदारु नामक वृक्ष।

भद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिष्टकर बात 2. बाधा; विघ्न 3. (ज्योतिष) एक अशुभ योग 4. अपमान जनक बात 5. {ला-अ.} फटकार; पिटाई।

भद्रासन (सं.) [सं-पु.] 1. राजा का सिंहासन 2. एक प्रकार का योगासन।

भनक [सं-स्त्री.] 1. मंद और अस्पष्ट ध्वनि 2. आभास 3. उड़ती हुई ख़बर।

भनभन [सं-स्त्री.] 1. भौंरे की गुंजन या आवाज़ 2. मंद ध्वनि; भनभनाहट।

भनभनाना [क्रि-अ.] गुंजारना; भन-भन की आवाज़ करना।

भनभनाहट [सं-स्त्री.] 1. भन-भन करने की ध्वनि 2. धीमी या अस्पष्ट आवाज़।

भन्नाना [क्रि-अ.] शोर-शराबा; बैचेनी आदि के कारण सिर में परेशानी का अनुभव होना।

भभक [सं-स्त्री.] 1. भभकने की अवस्था 2. तेज़ बदबू 3. भड़क जाना 4. तीव्र गरमी।

भभकना [क्रि-अ.] 1. तेज़ी से जल उठना; भड़कना 2. उबलना; दहकना 3. तेज़ बदबू आदि का अनुभव होना।

भभकी [सं-स्त्री.] झूठी धमकी; घुड़की।

भभरना [क्रि-अ.] 1. डरना; भयभीत होना 2. भ्रम में पड़ना; धोखा खाना 3. भूलना 4. घबरा जाना 5. रंगहीन होना; कांतिहीन होना 6. एकदम से गिरना; भहराकर ढह जाना।

भभूका [सं-पु.] 1. ज्वाला; आग की लपट 2. चिनगारी। [वि.] प्रज्वलित।

भभूत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह भस्म जिसको शिव भक्त शरीर पर लगाते हैं 2. यज्ञ कुंड या धूनी की भस्म।

भभ्भड़ [सं-पु.] 1. भीड़-भाड़; झगड़ा-बखेड़ा 2. शोरगुल; हो-हल्ला 3. व्यर्थ का काम।

भय (सं.) [सं-पु.] 1. डर; ख़ौफ 2. ख़तरा। [मु.] -खाना : डरना।

भयंकर (सं.) [वि.] 1. डरावना; भयभीत करने वाला 2. भीषण।

भयंकरता [सं-स्त्री.] 1. भयावह होने का भाव 2. निर्दयता।

भयकंप (सं.) [सं-पु.] भय से उत्पन्न होने वाला कंपन या कँपकँपी; सनसनी; थर्राहट; दहल।

भयकारक (सं.) [वि.] डर पैदा करने वाला; भयभीत करने वाला।

भयकारी (सं.) [वि.] भयकारक; डराने वाला; कँपाने वाला।

भयग्रस्त (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में किसी बात का भय या डर बैठा हो; भयभीत 2. जो किसी संभावित परिणाम से डर गया हो।

भयत्राता (सं.) [वि.] भय छुड़ाने वाला; परित्राता।

भयनाशक (सं.) [वि.] भय का नाश करने वाला; भयमुक्त करने वाला।

भयभीत (सं.) [वि.] 1. डरा हुआ 2. आतंकित।

भयहारी (सं.) [वि.] भय या डर दूर कर देने वाला।

भयाकुल [वि.] भय से घबराया हुआ; डरा हुआ; भयभीत।

भयातुर (सं.) [वि.] 1. जो भय से विकल हो; घबराया हुआ 2. डरा हुआ; भयभीत।

भयादोहन (सं.) [सं-पु.] 1. भय दिखाकर किसी से अनुचित लाभ प्राप्त करना 2. डरा-धमकाकर पैसे हड़पने या फ़ायदा उठाने की क्रिया; (ब्लैकमेल)।

भयानक (सं.) [वि.] 1. भय उत्पन्न करने वाला; डरावना; भयंकर 2. आतंकपूर्ण 3. उग्र।

भयावना [वि.] डरावना; भयानक।

भयावह (सं.) वि.] 1. जिसे देखने से डर लगे 2. ख़तरनाक; आंतकपूर्ण।

भर (सं.) [सं-पु.] एक जाति। [वि.] कुल; पूर्ण; पूरा; सब। [क्रि.वि.] केवल; मात्र; सिर्फ़।

भरका [सं-पु.] 1. किसी नदी के किनारे की बंजर ऊबड़-खाबड़ भूमि जो कहीं-कहीं ऊँचे टीलों के रूप में होती है; बीहड़; खार 2. छोटा नाला; नाली 3. ज़मीन का टुकड़ा।

भरण (सं.) [सं-पु.] 1. पालन-पोषण 2. उत्पादन 3. भरणी नामक नक्षत्र 4. किसी वस्तु के ख़राब हो जाने पर की जाने वाली क्षतिपूर्ति। [वि.] भरण-पोषण करने वाला।

भरण-पोषण (सं.) [सं-पु.] किसी का इस प्रकार से पालन करना कि वह जीविका निर्वाह की चिंता से दूर रहे।

भरत (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) कैकेयी के गर्भ से उत्पन्न राजा दशरथ के पुत्र 2. दुष्यंत और शकुंतला का पुत्र भरत जिसके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा 3. एक प्रसिद्ध मुनि जो नाट्यशास्त्र के प्रधान आचार्य माने जाते हैं 4. लवा या भारद्वाज पक्षी।

भरतखंड (सं.) [सं-पु.] 1. भारतवर्ष; भारत देश के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक नाम 2. भारतवर्ष के अंतर्गत भू आदि का खंड।

भरतनाट्यम (सं.) [सं-पु.] दक्षिण भारत की एक शास्त्रीय नृत्य की शैली।

भरतपुत्र (सं.) [सं-पु.] अभिनेता; नट।

भरता [सं-पु.] 1. बैगन को भूनकर बनाया जाने वाला नमकीन सालन; चोखा 2. {ला-अ.} वह जो दबकर या पिचककर विकृत हो गया हो; भुरता।

भरतार [सं-पु.] 1. भरण-पोषण करने वाला; पालक 2. पति; खसम; कांत।

भरती [सं-स्त्री.] 1. दाख़िला; नामांकन 2. सेना सेवा आदि में प्रविष्ट होना।

भरद्वाज (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक ऋषि 2. ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम 3. भरदूल या बगेरी नामक पक्षी; भरत पक्षी।

भरन [सं-स्त्री.] 1. भरने की क्रिया या भाव; भराव 2. खेतों में पानी भर देने वाली बारिश।

भरना (सं.) [क्रि-स.] 1. रिक्त स्थान का किसी वस्तु से युक्त होना; पूर्ण होना 2. डालना; उलटना; उड़ेलना 3. सींचना 4. रिक्त पद पर नियुक्त करना 5. स्थापित करना 6. संग्रह करके रख लेना 7. ऋण चुकाना। [क्रि-अ.] 1. ख़ाली जगह को पूरा करने के लिए कोई वस्तु डालना 2. गहराई समाप्त या कम होना 3. छेद, गड्ढे आदि का बंद होना।

भरनी [सं-स्त्री.] 1. करघे की ढरकी; बाना; परछा 2. कर्म का फल भोग 3. एक जंगली बूटी।

भरपाई (सं.) [सं-स्त्री.] जो कुछ शेष हो, वह पूरा-पूरा पा जाना; बेबाकी। [क्रि.वि.] पूरी तरह से; पूर्णतः; भली-भाँति।

भरपूर [वि.] 1. पूर्णता से युक्त; पूरी तरह से भरा हुआ 2. जिसमें कमी न हो 3. समग्र।

भरपेट [क्रि.वि.] 1. पूर्ण रूप से 2. अच्छी तरह से; मनभर कर; छककर।

भरभराना (सं.) [क्रि-अ.] 1. भर-भर ध्वनि के साथ किसी दीवार आदि का गिरना; ढहना 2. रोंगटे खड़े होना 3. घबराना।

भरम (सं.) [सं-पु.] 1. भ्रम; धोखा 2. संदेह; वहम 3. धाक; साख।

भरमबट्टा [सं-पु.] आतंक; धाक; दबदबा।

भरमाना [क्रि-स.] 1. भ्रम में डालना 2. मोहित करना।

भरमार [सं-स्त्री.] 1. बहुतायत; प्रचुरता 2. चीज़ों की अधिकता 3. समृद्धि।

भरमौंहाँ (सं.) [वि.] 1. घूमने या घुमाने वाला 2. चक्कर खाने वाला; चक्कर देने वाला 3. भ्रम उत्पन्न करने वाला; भरमाने वाला।

भरवाँ [वि.] 1. जो भरकर बनाया गया हो, जैसे- भरवाँ बैगन 2. जिसे भरा गया हो 3. गदीला; भरा हुआ।

भरसक [क्रि.वि.] 1. जितना हो सके; यथासाध्य; यथाशक्ति 2. पूरी तरह; भरपूर।

भरहरना [क्रि-अ.] अस्त-व्यस्त होना; तितर-बितर होना।

भरा [वि.] 1. पूर्ण; जिसमें कुछ पड़ा हुआ हो 2. ओत-प्रोत 3. आबाद 4. संपन्न।

भराई [सं-स्त्री.] 1. भरने या भराने की क्रिया या भाव 2. भरने की मज़दूरी 3. लदाई।

भराना [क्रि-स.] भरने का काम कराना; भरने के लिए प्रेरित करना।

भरा-पटा [वि.] 1. जो किसी चीज़ से भरा पड़ा हो 2. ढेर लगा हुआ 3. वस्तुओं से खचाखच भरा हुआ (दुकान या बाज़ार आदि)।

भरा पूरा [वि.] 1. जिसमें किसी बात की कमी या न्यूनता न हो 2. सब प्रकार से या सभी अपेक्षित बातों से युक्त 3. हर तरह से संपन्न और सुखी।

भरा-भरा [वि.] 1. गदराया हुआ; मांसल 2. विकसित 3. मोटा।

भराव [सं-पु.] 1. भरने की क्रिया या भाव 2. वह ख़ाली जगह जिसे भरकर तैयार किया गया हो 3. वह पदार्थ या रचना जिससे ख़ाली स्थान भरा जाता हो, जैसे- तागों से होने वाला भराव 4. कसीदे आदि में पत्तियों आदि का काम।

भरित (सं.) [वि.] 1. जो भरा गया हो; भरा हुआ; पूरित 2. जिसका भरण-पोषण किया गया हो; पोषित।

भरुका [सं-पु.] मिट्टी का बना हुआ कोई छोटा पात्र; कुल्हड़।

भरैया [वि.] भरण-पोषण करने वाला; पालक; पोषक।

भरोसा (सं.) [सं-पु.] 1. आत्मविश्वास; विश्वास 2. पक्की आशा; आस्था 3. आश्रय; सहारा; अवलंब।

भरोसी [वि.] 1. भरोसा करने वाला; विश्वस्त; विश्वासी 2. आसरा रखने वाला 3. जिसका भरोसा रखा जा सके; विश्वसनीय 4. जो किसी के भरोसे रहता हो; आश्रित।

भरोसेमंद [वि.] 1. जिसपर भरोसा किया जा सके; विश्वसनीय; सच्चा 2. ईमानदार; निष्ठावान; वफ़ादार।

भरोसेमंदी [सं-स्त्री.] भरोसा करने की अवस्था या भाव; ईमानदारी; निष्ठा।

भर्ता [सं-पु.] 1. भरण-पोषण करने वाला 2. पति; शौहर।

भर्तृहरि (सं.) [सं-पु.] 1. संस्कृत के महान कवि जो राजा विक्रमादित्य के भाई थे 2. (संगीत) एक प्रकार का संकर राग जो ललित और पुरज के मेल से बनता है।

भर्त्सना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निंदा 2. गाली; लांछन 3. डाँट।

भर्रा [सं-पु.] 1. दम 2. एक प्रकार की चिड़िया 3. पक्षियों की उड़ान 4. चकमा 5. भगदड़।

भर्राना (सं.) [क्रि-अ.] 1. 'भर्र-भर्र' आवाज़ होना 2. गला भर आना; गला रुँधना। [क्रि-स.] 'भर्र-भर्र' आवाज़ करना।

भर्राहट [सं-स्त्री.] 1. 'भर्र-भर्र' की तीव्र ध्वनि 2. ढहने की क्रिया; ढहने की क्रिया से उत्पन्न ध्वनि।

भलमनसाहत [सं-स्त्री.] अच्छा या भला मनुष्य होने की अवस्था या भाव; शराफ़त; सज्जनता।

भला (सं.) [वि.] 1. अच्छा; नेक 2. सुंदर 3. भद्र; सभ्य 4. जो दूसरों की भलाई चाहता हो।

भलाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कल्याण 2. उपकार; अच्छाई; हित; नेकी।

भला-चंगा [वि.] 1. पूर्ण रूप से स्वस्थ; तंदुरुस्त 2. अच्छा-खासा।

भला-बुरा (सं.) [वि.] 1. अच्छा और ख़राब 2. खरी-खोटी (कहना या सुनना)।

भलामानस [सं-पु.] सज्जन व्यक्ति; भला व्यक्ति; नेक आदमी।

भली-भाँति [क्रि.वि.] अच्छी-तरह से; अच्छी हालत में।

भले [क्रि.वि.] 1. वाह; ख़ूब; अच्छा, जैसे- भले लग रहे हो 2. भली-भाँति; अच्छी-तरह; पूर्ण रूप से।

भले ही [यो.] भली बात है कि। [अव्य.] 1. ऐसा हो तो हो जाए, जैसे- काम करते रहो भले ही नुकसान हो 2. कोई परवाह नहीं; इसकी चिंता नहीं, जैसे- भले ही तुम ना रुको।

भव (सं.) [सं-पु.] 1. संसार; जगत 2. उत्पत्ति; जन्म।

भवक (सं.) [वि.] 1. जो उत्पन्न हो 2. जीवित; जीता हुआ 3. आशीर्वाद देने वाला।

भवचक्र (सं.) [सं-पु.] 1. बार-बार जन्म लेने और मरने का चक्र; सांसारिक आवागमन 2. मोह-माया का जाल 3. झंझट।

भवजाल (सं.) [सं-पु.] संसार का जाल या माया; सांसारिक प्रपंच; झंझट; बखेड़ा।

भवतृष्णा (सं.) [सं-स्त्री.] उपभोग और सुख की वस्तुओं को पाने की लालसा; भोगलिप्सा।

भवदनुगत (सं.) [वि.] 1. प्रार्थनापत्र या आवेदन में हस्ताक्षर या नाम से पहले लिखा जाने वाला विशेषण, जैसे- आपकी आज्ञा मानने वाला; आपके आदेशानुसार कार्य करने वाला; (ओबिडिएंटली)।

भवदनुरत (सं.) [वि.] 1. आपस में मित्रता रखने वाला 2. आपस में स्नेह रखने वाला (किसी मित्र या परिचित को लिखे गए पत्रादि के अंत में लेखक द्वारा प्रयुक्त विशेषण); (सिनसियरली)।

भवदीय (सं.) [सर्व.] आपका (पत्र आदि के अंत में लिखा जाने वाला आत्मीयता सूचक शब्द)।

भवन (सं.) [सं-पु.] 1. घर; मकान 2. संसार; जगत 3. स्थान; क्षेत्र।

भवनीय (सं.) [वि.] 1. जो होने को हो; भविष्य में होने वाला 2. सन्निकट; आसन।

भवबंधन (सं.) [सं-पु.] 1. संसार का बंधन; माया जाल 2. जन्म-मरण का चक्र 3. वे बातें या काम जिनमें व्यक्ति उलझा रहता है।

भवभंजन (सं.) [सं-पु.] 1. परमेश्वर; भगवान 2. संसार का विनाश करने वाला; काल।

भवभय (सं.) [सं-पु.] 1. संसार में बार-बार जन्म लेने और मरने का भय; जन्म-मरण का संत्रास 2. कष्ट; दुख।

भवभीति (सं.) [सं-स्त्री.] जन्म-मरण का भय; संसृति का भय; सांसारिक भय।

भवभूत (सं.) [सं-पु.] परमेश्वर; भगवान।

भवभूति (सं.) [सं-स्त्री.] ऐश्वर्य।

भवमन्यु (सं.) [सं-पु.] 1. लौकिक सुख से विरक्ति 2. सांसारिक भोग से वितृष्णा।

भवमोचन (सं.) [वि.] 1. भव या संसार के बंधन काटने वाला 2. दुखों को दूर करने वाला।

भवरस (सं.) [सं-पु.] 1. लौकिक सत्ता में मिलने वाला रस या आनंद 2. सांसारिक सुख।

भवविलास (सं.) [सं-पु.] 1. लौकिक आनंद या सुख 2. माया 3. सांसारिक सुखों के भोग के लिए की जाने वाली क्रियाएँ।

भवसंभव (सं.) [वि.] सांसारिक; संसार से उत्पन्न।

भवसागर (सं.) [सं-पु.] संसार रूपी समुद्र; भवांबुधि।

भवांबुधि (सं.) [सं-पु.] संसार रूपी सागर; भवसागर।

भवान (सं.) [सर्व.] श्रीमान; आप (संबोधन)।

भवानी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा; पार्वती 2. (संगीत) बिलावल ठाठ की एक रागिनी।

भवानी नंदन (सं.) [सं-पु.] गणेश और कार्तिकेय।

भविक (सं.) [वि.] 1. धार्मिक 2. मंगलकारी; शुभ 3. उपयोगी; उपयुक्त 4. समृद्ध 5. प्रसन्न। [सं-पु.] 1. कल्याण 2. मंगल।

भवित (सं.) [वि.] 1. जो घटित हो चुका हो; भूत; गत 2. अस्तित्व में आया हुआ।

भवितव्य (सं.) [वि.] 1. जो भविष्य में अवश्य होने वाला हो; अवश्यंभावी; होनहार; भावी 2. जो भाग्य में लिखा हो।

भवितव्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिसका होना निश्चित हो 2. वह बात जो भविष्य में अवश्य घटित होने वाली हो; भावी 3. भाग्य 4. होनी; अवश्यंभावना।

भविता (सं.) [सं-स्त्री.] जो होने वाला हो; आगे चलकर होने वाला; होनहार।

भविल (सं.) [वि.] 1. भविष्यकाल में होने वाला; भावी 2. जीवित 3. सुंदर; भव्य। [सं-पु.] 1. जार; परपुरुष 2. मकान।

भविष्णु (सं.) [वि.] 1. भावी; होने वाला 2. भविष्यकालीन।

भविष्य (सं.) [सं-पु.] आने वाला समय; आने वाला काल; भावी काल।

भविष्यकथन (सं.) [सं-पु.] वह कथन जिसमें आगे होने वाली किसी घटना या बात के बारे में कुछ कहा गया हो; भविष्यवाणी।

भविष्यकाल (सं.) [सं-पु.] 1. (व्याकरण) क्रिया के तीन कालों में से एक; आगामी काल; आने वाला समय; भावी 2. अनागत काल।

भविष्यगुप्ता (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वह नायिका जो अपने प्रेमी से मिलने वाली हो और उसे छिपाने का प्रयत्न करती हो।

भविष्यत (सं.) [सं-पु.] आने वाला समय; भविष्य।

भविष्यदर्शी (सं.) [वि.] भविष्य को जानने वाला; भविष्य वक्ता; ज्योतिषी।

भविष्यद्रष्टा (सं.) [सं-पु.] भविष्यवाणी करने वाला व्यक्ति; ज्योतिषी।

भविष्य निधि (सं.) [सं-स्त्री.] भविष्य की आवश्यकताओं के लिए जमा किया गया धन; निर्वाह-निधि; संचित कोष; संचित निधि; (प्राविडेंट फंड)।

भविष्य वक्ता (सं.) [सं-पु.] भविष्य की घटना या बात बताने वाला; ज्योतिषी।

भविष्यवाणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भविष्य में होने वाली वह बात जो पहले से किसी ने कह दी हो; देववाणी; आकाशवाणी 2. आने वाले कल के बारे में दृढ़ संकल्प।

भविष्य संगत (सं.) [वि.] 1. भविष्य में उचित सिद्ध होने वाला; भविष्य की चुनौतियों पर खरा उतरने वाला 2. नई खोजों से सामंजस्य बैठाने वाला।

भविष्योन्मुखी (सं.) [वि.] 1. जिससे भविष्य में कल्याणकारी परिणाम निकले 2. जो भविष्य को ध्यान में रखकर किया गया हो।

भवी (सं.) [वि.] जो जीवित हो; सत्तायुक्त।

भवेश (सं.) [सं-पु.] 1. संसार का स्वामी या मालिक 2. (पुराण) शिव; महादेव।

भव्य (सं.) [वि.] 1. शानदार; आलीशान 2. दिव्य 3. विलक्षण 4. विशाल 5. सुंदर 6. मंगल दायक; शुभ।

भव्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सजावट 2. वैभव; सुंदरता।

भव्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर स्त्री या नायिका 2. पार्वती 3. गजपीपल।

भसकना (सं.) [क्रि-स.] 1. गिरना 2. ढहना।

भसान (बं.) [सं-पु.] 1. जल में भसाने या डुबाने की क्रिया 2. पूजा आदि के बाद किसी मूर्ति को नदी आदि में प्रवाहित करना; प्रतिमा का जल विसर्जन।

भसाना (बं.) [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु को पानी में तैरने के लिए छोड़ना; तैराना, जैसे- मूर्ति भसाना 2. पानी में डुबाना या धसाना।

भसींड (सं.) [सं-पु.] कमल का वह डंठल जिसकी तरकारी बनती है; कमल ककड़ी; कमल नाल; मुरार।

भसुंड (सं.) [सं-पु.] 1. हाथी की सूँड़ 2. हाथी; गज। [वि.] 1. बहुत भारी भरकम 2. बेडौल और भद्दा।

भसुर [सं-पु.] पति का बड़ा भाई; जेठ।

भस्त्रा (सं.) [सं-पु.] आग सुलगाने की धौकनी; भाथी; मशक।

भस्त्रिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटा भस्त्रा 2. प्राणायाम का एक प्रकार।

भस्म (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भभूत; विभूत; राख 2. (आयुर्वेद) धातु को जलाकर विशेष रूप से तैयार की जाने वाली राख जिसका उपयोग औषधि के रूप में होता है 3. चिता, हवन कुंड आदि राख। [वि.] जो जलकर राख हो गया हो।

भस्मक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो भस्म हो जाता हो 2. किसी धातु के पूरी तरह से भस्म हो जाने पर बची हुई राख 3. सोना; चाँदी 4. एक प्रकार का रोग। [वि.] भस्म कर देने वाला; दाहक।

भस्म-प्रिय (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो शरीर पर भस्म लगाता हो 2. शिव; महादेव।

भस्मसात (सं.) [वि.] जो पूरी तरह जलकर राख हो गया हो; भस्मीभूत।

भस्म-स्नान (सं.) [सं-पु.] साधु आदि के द्वारा पूरे शरीर पर राख मलना।

भस्मावशेष (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु के दहन होने के बाद बचा हुआ अवशेष; राख; अस्थिशेष; फूल। [वि.] 1. जो राख मात्र रह गया हो; दग्ध 2. जो जलकर राख हो गया हो।

भस्मासुर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक प्रसिद्ध राक्षस जिसने शिव से यह वरदान प्राप्त किया था कि मैं जिस किसी के सिर पर हाथ रखूँ वह भस्म हो जाए।

भस्मित्र (सं.) [सं-पु.] दाह करने वाला उपकरण; दाहागार।

भस्मीकरण (सं.) [सं-पु.] भस्म या राख कर देने की क्रिया या भाव; दहन; जलाना।

भस्मीभूत (सं.) [वि.] जो पूरी तरह से जलकर भस्म हो चुका हो; नष्ट।

भहराना (सं.) [क्रि-अ.] 1. एकाएक गिरना 2. फिसलना 3. ध्वस्त होना 4. टूट पड़ना।

भा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चमक; दीप्ति 2. शोभा; छवि 3. प्रकाश; रोशनी।

भाँग [सं-स्त्री.] एक पौधा जिसकी पत्तियाँ पीसकर पी जाती है और जिससे नशा होता है।

भाँगड़ा [सं-पु.] पंजाब का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य।

भाँज [सं-स्त्री.] 1. भाँजने की क्रिया 2. बट्टा; भुनाई 3. मोड़; तह 4. ताने की सूत।

भाँजना (सं.) [क्रि-स.] 1. तह करना; मोड़ना 2. मुगदर आदि को घुमाना।

भाँजी [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य में बाधा डालने के लिए कही गई बात 2. ईर्ष्यावश कही गई कुटिल बात; चुगली; किसी को नाराज़ करने वाली बात; कटाक्ष।

भाँड़ (सं.) [सं-पु.] 1. विदूषक; मसख़रा 2. एक जाति।

भाँड़ा (सं.) [सं-पु.] बरतन; पात्र। [मु.] भाँड़े भरना : पछताना।

भाँति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रीति; किस्म; प्रकार; तरह 2. अनुसार 3. रंग-ढंग 4. सादृश्य; तर्ज़।

भाँपना [क्रि-स.] 1. पहचानना; ताड़ना 2. अनुमान करना; दूर से देखकर समझना।

भाँपू [वि.] भाँप जाने वाला; भाँपने वाला; ताड़ जाने वाला।

भाँयँ-भाँयँ [सं-पु.] 1. किसी निर्जन स्थान या सन्नाटे में हवा चलने से होने वाली आवाज़ 2. बहुत अधिक उदासीनता और सूनेपन का वातावरण।

भाँवर (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परिक्रमा; चक्कर लगाना 2. (हिंदू धर्म) विवाह की एक रस्म जिसमें वर और वधू अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हैं; फेरे।

भांड (सं.) [सं-पु.] 1. पात्र; बरतन 2. तेल आदि रखने का कुप्पा 3. उपकरण और औज़ार 4. वाद्ययंत्र; बाजा 5. दुकान का माल या समान।

भांड कला (सं.) [सं-स्त्री.] मिट्टी के बरतन बनाने की कला।

भांड मृत्तिका (सं.) [सं-स्त्री.] बरतन बनाने के काम आने वाली मिट्टी; कुम्हारी मिट्टी।

भाई (सं.) [सं-पु.] 1. सहोदर; भ्राता; एक ही माँ-बाप का पुत्र या बेटा 2. बराबर वालों के लिए आदर सूचक संबोधन।

भाईचारा [सं-पु.] 1. भाई के समान प्रिय होने का भाव; व्यवहार; बंधुत्व 2. दो व्यक्तियों में होने वाला आत्मीयतापूर्ण संबंध।

भाईजान [सं-पु.] भाई के लिए आदर सूचक संबोधन।

भाईदूज [सं-स्त्री.] कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला एक त्योहार; भैयादूज।

भाई-बंद [सं-पु.] 1. जाति बिरादरी के लोग; कुल कुटुंब के लोग 2. मित्र-बंधु।

भाईबंधु [सं-पु.] 1. भाई और अन्य मित्रवत लोग; भाईबंद 2. अपनी जाति या बिरादरी के वे लोग जिनसे भाई या बंधु का-सा रिश्ता हो।

भाई-भतीजावाद [सं-पु.] नौकरी, आर्थिक सहायता आदि दिलाने में या सगे-संबंधियों के हित हेतु किया गया पक्षपात; स्वजनपक्षपात।

भाकपा [सं-स्त्री.] 1. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का लघु रूप 2. भारत का एक राजनैतिक दल।

भाकर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; भास्कर 2. दीप्ति या प्रकाश पैदा करने वाली चीज़।

भाग (सं.) [सं-पु.] 1. हिस्सा; अंश; खंड 2. विभाजन; शेयर 3. तरफ़; ओर 4. बँटवारा 5. (गणित) किसी संख्या को कई अंशों में बाँटने की क्रिया।

भागड़ [सं-स्त्री.] आतंकित होकर एक साथ भागना; भगदड़।

भाग-दौड़ [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य के लिए की जाने वाली मशक्कत; दौड़-धूप 2. भगदड़; भागड़।

भागधेय (सं.) [सं-पु.] 1. सौभाग्य; भाग्य 2. मध्यकाल में राजा को दिया जाने वाला कर; राजस्व 3. उत्तराधिकारी; भाग प्राप्त करने का अधिकारी 4. साझेदार।

भागना [क्रि-अ.] 1. तेज़ी से दौड़ना 2. पलायन करना 3. पिंड छुड़ाना 4. हट जाना 5. चुपके से बच निकलना। [मु.] भाग जाना : किसी लड़की या प्रेमिका का अपने प्रेमी के साथ चले जाना। सिर पर पैर रखकर भागना : पूरे वेग से प्रस्थान करना।

भागनेय (सं.) [सं-पु.] बहन का पुत्र; भगिनी पुत्र; भानजा।

भागफल (सं.) [सं-पु.] (गणित) वह संख्या जो भाज्य को भाजक से भाग देने पर प्राप्त हो।

भागमभाग (सं.) [क्रि.वि.] 1. दौड़ते हुए; भागते हुए 2. जल्दी में।

भागवंत (सं.) [वि.] जो भाग्यशाली हो; जिसका भाग्य उत्तम हो; भाग्यवान; ख़ुशनसीब।

भागवत (सं.) [वि.] 1. अठारह पुराणों में से एक पुराण जिसमें मुख्यतः कृष्ण की कथा वर्णित है; श्रीमद्भागवत 2. देवी भागवत।

भागवान (सं.) [वि.] 1. भाग्यवान; ख़ुशनसीब 2. हिंदू समाज में पत्नी के लिए एक संबोधन।

भागार्ह (सं.) [वि.] 1. जिसके भाग हो सके; विभक्त होने के योग्य 2. हिस्सा पाने का हकदार 3. हिस्सों के अनुसार बाँटा जाने वाला।

भागिक (सं.) [वि.] 1. भाग से संबंध रखने वाला; आंशिक 2. भाग या हिस्से के रूप में बाँटा जाने वाला 3. (गणित) जिसपर ब्याज प्राप्त होता है (मूलधन)।

भागिता (सं.) [सं-स्त्री.] दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी उद्योग या व्यापार में भागीदार होने की स्थिति; हिस्सेदारी; साझेदारी; (पार्टनरशिप)।

भागी (सं.) [वि.] 1. भाग प्राप्त करने का अधिकारी; साझेदार; हिस्सेदार; अंशी 2. किसी कार्य या अपराध के परिणाम का पात्र या भाजन; शामिल; शरीक, जैसे- पाप का भागी 3. मालिक; अधिकारी; स्वामी 4. उत्तराधिकारी; हकदार 5. गौण। [सं-पु.] हिस्सेदार; भागीदार।

भागीदार (सं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. भाग या हिस्सा प्राप्त करने वाला व्यक्ति; हिस्सेदार; साझेदार 2. हकदार।

भागीदारी (सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] किसी के साथ मिलकर किया गया कार्य; हिस्सेदारी; अंशी; साझेदारी।

भागीरथ (सं.) [वि.] भगीरथ संबंधी; भागीरथ का।

भागीरथी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंगा नदी; जाह्नवी 2. गंगा नदी की वह शाखा जो बंगाल में बहती है और जिसके बारे में प्राचीन मान्यता है कि राजा भगीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए पृथ्वी पर लाए थे।

भागू [वि.] भाग जाने वाला; भगोड़ा।

भाग्य (सं.) [सं-पु.] किस्मत; तकदीर; नसीब।

भाग्यवती (सं.) [वि.] जिसका भाग्य अच्छा हो; किस्मतवाली; सौभाग्यशाली (स्त्री)।

भाग्यवादी (सं.) [वि.] भाग्यवाद मानने वाला। [सं-पु.] जो व्यक्ति भाग्य पर भरोसा रखता हो।

भाग्यवान (सं.) [वि.] जिसका भाग्य उज्ज्वल हो; सौभाग्यशाली; ख़ुशकिस्मत।

भाग्य विधाता (सं.) [वि.] 1. किस्मत या तकदीर बनाने वाला 2. तकदीर नियंता।

भाग्यशाली (सं.) [वि.] भाग्यवान; सौभाग्यशाली।

भाग्योदय (सं.) [सं-पु.] सुअवसर का आरंभ; सुयोग; अच्छे समय का प्रारंभ; भाग्य का जागना।

भाजक (सं.) [सं-पु.] (गणित) वह संख्या जिससे किसी संख्या में भाग देते हैं; विभाजक। [वि.] 1. विभाग करने वाला 2. बाँटने वाला 3. भाग करने वाला।

भाजन (सं.) [सं-पु.] 1. भाँड़ा; बरतन 2. उपयुक्त आधार या आश्रय 3. योग्य अधिकारी 4. एक प्रकार की तौल 5. विभाग करने की क्रिया।

भाजपा [सं-स्त्री.] 1. भारतीय जनता पार्टी का लघु रूप 2. भारत का एक राजनैतिक दल।

भाजपाई [वि.] भाजपा का; भाजपा से संबंधित। [सं-पु.] भाजपा का सदस्य या समर्थक।

भाज्य (सं.) [वि.] 1. (गणित) जिसमें भाजक द्वारा भाग दिया जाए 2. जिसका विभाजन हो सके; विभाज्य 3. भाग करने योग्य।

भाट (सं.) [सं-पु.] 1. राजाओं का यशो गान करने वाला व्यक्ति; चारण; बंदी 2. चापलूस; ख़ुशामदी; ख़ुशामद करने वाला।

भाटा [सं-पु.] 1. समुद्र में नीचे उतरने वाली लहर 2. 'ज्वार' के विपरीत 3. पानी का उतार।

भाटी [सं-स्त्री.] नदियों आदि में पानी के बहाव की दिशा।

भाड़ (सं.) [सं-पु.] भड़भूँजों की भट्टी; अनाज भूनने की भट्ठी। [मु.] -झोंकना : तुच्छ या नगण्य काम करना। -में जाना : कोई मतलब न होना। -में डालना या झोंकना : उपेक्षा से फेंकना; नष्ट करना।

भाड़ा [सं-पु.] किराया; किसी की चीज़ का कुछ समय तक उपयोग करने के बदले दिया जाने वाला निश्चित धन।

भाड़ैत [वि.] 1. भाड़े पर काम करने वाला; भृतिभोगी 2. धन के लोभ में किसी और का काम करने वाला।

भाड़ैती [सं-स्त्री.] 1. धन लोभ में किसी अन्य का काम करना 2. लोभ दिखाकर किसी को अपनी ओर मिलाना 3. पैसा देकर किसी काम में लगाना।

भाण (सं.) [सं-पु.] 1. हास्यरस प्रधान रूपक या दृश्यकाव्य जिसमें एक ही पात्र होता है जो एक कल्पित व्यक्ति से बात करता है 2. बहाना 3. ब्याज 4. ज्ञान; बोध।

भात (सं.) [सं-पु.] 1. पानी में उबालकर तैयार किया हुआ चावल 2. विवाह की एक रस्म जिसमें वर के पिता कन्या के पिता के घर भोजन ग्रहण करते हैं।

भाता (सं.) [सं-पु.] फ़सल का वह भाग जो मज़दूर को खलिहान की राशि में से मिलता है।

भाति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कांति; शोभा 2. चमक; दीप्ति 3. ज्ञान।

भाथा [सं-पु.] 1. तीर रखने की थैली; तुणीर; तरकश 2. बड़ी भाथी।

भाथी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भट्टी की आग दहकाने की धौंकनी 2. लुहारों की धौंकनी।

भादों [सं-पु.] 1. भाद्र मास 2. सावन के बाद आने वाला महीना।

भाद्र [सं-पु.] भाद्र या भादों नाम का महीना; भाद्रपद।

भाद्रपद [सं-पु.] भाद्र माह।

भान (सं.) [सं-पु.] 1. ज्ञान; बोध; आभास 2. प्रकाश; रोशनी।

भानजा [सं-पु.] बहन का लड़का; बहन का पुत्र; भागनेय।

भानजी (सं.) [सं-स्त्री.] बहन की लड़की।

भानमती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जादू का खेल दिखाने वाली स्त्री; जादूगरनी 2. (महाभारत) दुर्योधन की पत्नी 3. {ला-अ.} विविधापूर्ण वस्तुओं का जमावड़ा। [मु.]-का कुनबा : तरह-तरह की चीज़ों को इकट्ठा करके बनाई गई चीज़; जोड़-तोड़कर बनाई गई चीज़ या संगठन; बेमेल लोगों का समूह। -का पिटारा : बहुत तरह की वस्तुओं से भरा हुआ पिटारा; भाँति-भाँति की चीज़ों वाला पात्र।

भाना [क्रि-अ.] 1. शोभा देना; फबना 2. रुचना; पसंद आना।

भानु (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. राजा; स्वामी 3. प्रकाश 4. मदार; आक।

भानुज (सं.) [सं-पु.] 1. शनि 2. यम 3. कर्ण। [वि.] भानु से उत्पन्न।

भानुजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भानु (सूर्य) की पुत्री मानी जाने वाली यमुना नदी; भानुतनया 2. राधा।

भानुप्रताप (सं.) [सं-पु.] (रामायण) 1. एक राजा 2. (संगीत) कर्नाटक पद्धति का एक राग। [वि.] जिसका तेज सूर्य के समान हो; तेजवान।

भानुमत (सं.) [वि.] 1. चमकीला; प्रकाशमान 2. सुंदर; सजीला। [सं-पु.] सूर्य।

भानुमान (सं.) [वि.] 1. दीप्तिमान; तेजोमय 2. सुंदर। [सं-पु.] सूर्य।

भानुसुत (सं.) [सं-पु.] 1. शनि 2. यम 3. मनु 4. कर्ण।

भाप (सं.) [सं-स्त्री.] पानी, दूध आदि को उबालने पर निकलने वाला गैसीय रूप; वाष्प।

भाभर [सं-पु.] 1. पहाड़ों की तलहटी के पास का वन; पहाड़ों के नीचे तराई का जंगल 2. रस्सी बटने के काम आने वाली बड़ी घास; भाबर।

भाभरा [वि.] 1. लाल रंग का 2. रक्त जैसी आभा से युक्त 3. प्रकाशयुक्त।

भाभी [सं-स्त्री.] बड़े भाई की पत्नी; भौजाई।

भाम (सं.) [सं-पु.] 1. चमक; तेज; दीप्ति; प्रकाश 2. सूर्य 3. क्रोध 4. मदार; आक 5. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद।

भा-मंडल (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाशवान ग्रहों या पिंडों के चारों ओर दिखाई देने वाला प्रकाश का वलय या घेरा; आभा मंडल 2. देवताओं या महापुरुषों के चित्रों में मुख के चारों ओर दिखाया जाने वाला प्रकाश का घेरा 3. तेजस्वी होने का सूचक वलय; प्रभामंडल।

भामक (सं.) [सं-पु.] बहन का पति; बहनोई।

भामनी (सं.) [वि.] प्रकाश या उजाला करने वाला। [सं-पु.] 1. ईश्वर; भगवान 2. स्वामी; मालिक।

भामा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रोध करने वाली स्त्री 2. अपने रूप-सौंदर्य पर गर्व करने वाली कृष्ण की पत्नी सत्यभामा।

भामिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर स्त्री; कामिनी; प्रलोभिनी 2. क्रोधी स्त्री; क्रुद्ध रहने वाली स्त्री 3. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद।

भामी (सं.) [वि.] 1. जो क्रुद्ध हो; नाराज़; क्रोधी 2. दीप्तिमान; सुंदर।

भाया [वि.] प्यारा; सुंदर; जो अच्छा लगता हो।

भार (सं.) [सं-पु.] 1. बोझ; गुरुत्व 2. वज़न 3. ज़िम्मेदारी; उत्तरदायित्व 4. संकट। [मु.] -उठाना : ज़िम्मेदारी लेना। -उतरना : कर्तव्य पूरा हो जाने के बाद उससे मुक्त होना।

भारक (सं.) [सं-पु.] 1. एक तौल या वज़न 2. भार।

भारजीवी (सं.) [सं-पु.] भारवाहक; भार उठाकर अपना भरण-पोषण करने वाला व्यक्ति; कुली।

भारत (सं.) [सं-पु.] एशिया महाद्वीप का एक प्रमुख देश; भारतवर्ष; हिंदुस्तान।

भारतरत्न (सं.) [सं-पु.] भारत सरकार का एक सर्वोच्च सम्मान या उपाधि जो उच्चकोटि के पांडित्य, अद्वितीय राष्ट्रसेवा, विश्वशांति के प्रयत्न आदि के लिए दिया जाता है।

भारतवंशी (सं.) [वि.] 1. भारत से संबंधित 2. भारतीय वंश का; भारतीय मूल का। [सं-पु.] भारतीय मूल का व्यक्ति।

भारतवर्ष (सं.) [सं-पु.] भारत का एक प्राचीन नाम; हिंदुस्तान।

भारतवासी (सं.) [सं-पु.] भारत में निवास करने वाला व्यक्ति; भारत का नागरिक।

भारती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरस्वती नामक देवी 2. स्वर; वचन; वाणी। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम 2. दशनामी संन्यासियों का एक भेद।

भारतीय (सं.) [वि.] 1. भारत का; भारत संबंधी; भारत में उत्पन्न; हिंदुस्तानी 3. भारत में बसने वाला।

भारतीयकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विदेशी ज्ञान या पदार्थ आदि को ग्रहण करके भारतीय रूप में देने की क्रिया या भाव 2. जो भारतीय न हो उसे भारतीय बनाना 3. किसी संस्था में भारतीयों की प्रधानता कर देना।

भारतीयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भारतीय होने की अवस्था या भाव 2. भारतीय संस्कृति से जुड़ने का भाव।

भारतेंदु [सं-पु.] 1. भारत का चंद्रमा 2. (साहित्य) हिंदी के प्रसिद्ध रचनाकार हरिश्चंद्र को दी गई उपाधी।

भारधारक (सं.) [वि.] 1. भार धारण करने वाला; (चार्ज होल्डर) 2. जिसपर किसी कार्य का भार हो 3. जिसपर किसी तरह की ज़िम्मेदारी हो।

भारमुक्त (सं.) [वि.] 1. जो दायित्व या भार से मुक्त हो गया हो 2. बेफ़िक्र 3. ऋणमुक्त।

भारयान (सं.) [सं-पु.] 1. भार ढोने वाला वाहन 2. ढुलाई गाड़ी; (ट्रक) 3. मालगाड़ी।

भारव (सं.) [सं-पु.] धनुष की डोरी या रस्सी।

भारवाह (सं.) [वि.] 1. भार ले जाने वाला; बोझा ढोने वाला; भारवाहक 2. जिसके पास किसी तरह का दायित्व हो 3. कार्यभार का वहन करने वाला। [सं-पु.] बहँगी ढोने वाला व्यक्ति; कुली।

भारवाहक (सं.) [वि.] 1. भार ले जाने वाला; बोझा ढोने वाला; भारवाहक 2. जिसके पास किसी तरह का दायित्व हो 3. कार्यभार का वहन करने वाला। [सं-पु.] 1. भार ढोने वाली गाड़ी; मालगाड़ी; (ट्रक, फ़्रेटर) 2. बोझा ढोने वाला व्यक्ति।

भारवाही (सं.) [वि.] भार या बोझ ढोने वाला; ढुलाई का काम करने वाला।

भारशिव (सं.) [सं-पु.] 1. भारत एक प्राचीन राजवंश 2. प्राचीन शैव संप्रदाय जिसके अनुयायी सिर पर शिव की मूर्ति रखा करते थे।

भारशून्य (सं.) [सं-पु.] गुरुत्वहीनता।

भारहीन (सं.) [वि.] भारविहीन; हलका; जिसमें भार न हो; बिना वज़न का।

भारहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भारहीन होने की अवस्था या भाव 2. पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर यान अथवा अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव में किसी भी चीज़ में भार न रहने की स्थिति, भारशून्यता।

भारिक (सं.) [वि.] 1. भार ढोने वाला; बोझ ढोने वाला 2. भारी।

भारित (सं.) [वि.] 1. जिसपर किसी प्रकार का ऋण हो 2. जिसपर किसी प्रकार का बोझ या भार हो।

भारी (सं.) [वि.] 1. जिसका वज़न बहुत ज़्यादा हो 2. कठिन।

भारी जल (सं.) [सं-पु.] वह पानी जिसमें हाइड्रोजन की जगह भारी हाइड्रोजन (ड्यूटीरियम) होती है।

भारी-भरकम (सं.) [वि.] बड़े डील-डौलवाला।

भारोत्तोलक (सं.) [सं-पु.] वह जो वज़न उठाता हो; भारी वज़न उठाने वाला पहलवान या खिलाड़ी; (वेटलिफ़्टर)।

भारोत्तोलन (सं.) [सं-पु.] 1. भार उठाने की क्रिया 2. भारी वज़न उठाने की प्रतियोगिता; (वेटलिफ़्टिंग)।

भारोपीय [वि.] 1. भारत और यूरोप दोनों में समान रूप में पाया जाने वाला 2. भारत और यूरोप दोनों के मिले-जुले गुणवाला या दोनों के समान मूल से उत्पन्न, जैसे- भारोपीय भाषा समूह। [सं-पु.] भारत-यूरोपीय।

भार्गव (सं.) [सं-पु.] 1. ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. भृगु के वंशज 3. शुक्राचार्य 4. परशुराम। [वि.] 1. भृगु संबंधी 2. भृगु के वंश से उत्पन्न।

भार्गवी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पार्वती; लक्ष्मी 2. दूब 3. देवयानी।

भार्य (सं.) [वि.] जिसका भरण किया जा सके। [सं-पु.] सेवक।

भार्या (सं.) [सं-स्त्री.] विवाहित स्त्री; पत्नी।

भाल (सं.) [सं-पु.] 1. ललाट; कपाल; मस्तक; माथा 2. तीर की नोक 3. भाला; बरछा।

भालना [क्रि-स.] 1. ध्यान से देखना; ध्यान पूर्वक देखना; अच्छी तरह से देखना 2. ढूँढ़ना; तलाश करना; खोजना।

भाला (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का नुकीला अस्त्र।

भालू (सं.) [सं-पु.] एक स्तनपायी जंगली हिंसक जानवर जिसकी त्वचा मुलायम बालों वाली होती है; रीछ।

भालूक (सं.) [सं-पु.] भालू; रीछ।

भाव1 (सं.) [सं-पु.] 1. मन में उत्पन्न होने वाला विचार या ख़याल 2. अभिप्राय; मतलब 3. आकृति; चेष्टा।

भाव2 (फ़ा.) [सं-पु.] दर; मूल्य; हिसाब। [मु.] -उतरना या गिरना : मूल्य घट जाना। -चढ़ना : दाम बढ़ना या किसी का महत्व बढ़ना।

भाव-अभिव्यक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] साहित्य रचना, फ़िल्म निर्माण आदि में भावों को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करने का कौशल।

भावक (सं.) [वि.] 1. जिसमें भावनाएँ हों; भावना करने वाला 2. भाव से युक्त; भावपूर्ण; भावभरा 3. गुणग्राहक विवेचक 4. रसज्ञ 5. उत्पन्न करने वाला; उत्पादक 6. श्रेयस्कर 7. किसी का अनुयायी; प्रेमी 8. भक्त।

भाव-गति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विचार; भावना 2. इच्छा; इरादा।

भावगम्य (सं.) [वि.] सद्भाव से जानने योग्य; मन से जानने योग्य।

भावगीत (सं.) [सं-स्त्री.] मनोभावों की प्रधानता वाला गीत।

भावगोपन (सं.) [सं-पु.] 1. भावों का प्रकट न करने की अवस्था; अधिगोपन; अनाभिव्यक्ति 2. चुप्पी; मौन।

भावग्राही (सं.) [वि.] 1. भाव ग्रहण करने योग्य 2. तात्पर्य को समझने वाला; रसज्ञ।

भावचित्र (सं.) [सं-पु.] 1. मनोभावों या मानसिक कल्पना को व्यक्त करने वाला चित्र 2. मानसिक भाव को प्रकट करने के उद्देश्य से बनाया जाने वाला चित्र।

भावज [सं-स्त्री.] बड़े भाई की पत्नी; भाभी; भौजाई।

भावज्ञ (सं.) [वि.] 1. दूसरे के मन के भावों का जानकार 2. मन की प्रवृत्ति जानने या समझने वाला 3. बहुत आत्मीय।

भावता (सं.) [वि.] 1. जो प्रिय लगता हो; भला लगने वाला 2. प्रिय; प्रेमी; प्रेमपात्र 3. सुंदर।

भाव-ताव (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ या वस्तु का भाव या दर; मूल्य 2. रंग-ढंग।

भावदमन (सं.) [सं-पु.] 1. भाव को रोकने की अवस्था या भाव 2. इच्छाओं का दमन 3. भावरोध।

भावदशा (सं.) [सं-स्त्री.] मन की स्थिति; मनोदशा; मानसिक स्थिति।

भावन (सं.) [वि.] 1. मन को प्रिय या भला लगने वाला 2. प्रियदर्शी; आत्मीय। [सं-पु.] 1. कारण; निमित्त 2. स्रष्टा 3. उत्पादन 4. भावना; ध्यान; चिंतन; कल्पना 5. रुचिवर्धन 6. अनुसंधान 7. निर्धारण; प्रमाण 8. औषधि आदि के चूर्ण को किसी रस या तरल में तर करके घोटना 9. सुवासित करना 10. स्मरण 11. पति; प्रियतम।

भावना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विचार; ख़याल; मनोभाव 2. मन की कल्पना 3. ध्यान; चिंतन 4. कामना; इच्छा; चाह।

भाव नाट्य (सं.) [सं-पु.] वह संगीतमय नाट्य जिसमें भावों को अभिव्यक्त करने का सामर्थ्य हो; भावप्रधान संगीतमय नाटक।

भावनात्मक (सं.) [वि.] 1. भावनाजन्य; भावनामय; भावनाओं पर आधारित 2. भावना से संबंधित।

भावनापरक (सं.) [वि.] 1. जो भावना से संबद्ध हो 2. भावनाओं से युक्त; भावपूर्ण।

भावनामय (सं.) [वि.] 1. काल्पनिक 2. भावनायुक्त।

भावना शून्य (सं.) [वि.] भावना का अभाव; भावना रहित; भावनाहीन; अनासक्त।

भावनाहीन (सं.) [वि.] 1. संवेदनारहित; भावना से रहित; अनुभूतिहीन 2. चिंतन रहित।

भावनीय (सं.) [वि.] 1. भावना करने के योग्य 2. चिंतन के योग्य; विचारणीय 3. कल्पना के योग्य 4. चित्त या मन में लाए जाने के योग्य 5. सहनीय।

भावपूर्ण (सं.) [वि.] भावों से युक्त भावनात्मक; भावनापूर्ण; भावनामय; भावप्रधान।

भाव प्रदर्शन (सं.) [सं-पु.] भावों को प्रकट करने की अवस्था; भावाभिव्यक्ति।

भाव प्रधान (सं.) [वि.] 1. जिसमें भाव की प्रधानता हो; भावपूर्ण 2. भावों की तीव्रता या प्रचुरतावाला; जिसमें तीव्र भावानुभूति हो; भावुक।

भावप्रवण [वि.] संवेदनशील; भावुक।

भावप्रवणता (सं.) [सं-स्त्री.] भावुकता; संवेदनशीलता; भावों से परिचालित होने की प्रवृत्ति।

भाव बोधक (सं.) [वि.] भाव बताने वाला; भाव प्रकट करने वाला।

भाव भंगिमा (सं.) [सं-स्त्री.] हाव-भाव; मन के भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक क्रिया।

भावभंगी (सं.) [सं-स्त्री.] भाव-भंगिमा।

भाव भीनी (सं.) [वि.] 1. सद्भाव से ओत-प्रोत 2. भाव से युक्त; भाव से परिपूर्ण, जैसे- भावभीनी श्रद्धांजलि।

भावभूमि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भावनाओं की भूमि 2. किसी रचना (कहानी, कविता आदि) की अंतर्वस्तु।

भावमय (सं.) [वि.] 1. भावों से युक्त 2. भावों में मग्न।

भाव मुद्रा (सं.) [वि.] भाव की दशा या अवस्था।

भाव मैथुन (सं.) [सं-पु.] वह स्थिति या अवस्था जिसमें कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप में मैथुन (संभोग) नहीं करता लेकिन उसका मन मैथुन संबंधी विचारों में लीन रहता है।

भावलय (सं.) [सं-स्त्री.] भावात्मक धरातल पर लय की प्रतीति कराने वाली स्थिति।

भाववाचक (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) किसी संज्ञा का वह रूप जिसमें भाव, गुण, दशा का बोध होता हो, जैसे- उदारता, महानता, मनुष्यता, बुरापन, कट्टरता आदि। [वि.] किसी चीज़ का भाव, गुण, धर्म आदि बताने वाला।

भाववाच्य (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) क्रिया का वह अकर्मक रूप जिसमें वाक्य का उद्देश्य कर्ता के व्यापार का बोध न कराकर क्रिया के व्यापार का ही बोध कराता है।

भावविकार (सं.) [सं-पु.] यास्क के अनुसार भाव के छह विकार, जैसे- उत्पत्ति, अस्तित्व, परिणाम, वर्धन, क्षय और नाश।

भावविभोर (सं.) [वि.] 1. भावपूर्ण 2. भावुक; भावना में खोया हुआ।

भावविह्वल (सं.) [क्रि.वि.] 1. अत्यधिक भावुक होना 2. भावविभोर होना।

भावविह्वलता (सं.) [सं-स्त्री.] भावविह्वल होने की स्थिति।

भावव्यंजक (सं.) [वि.] अच्छे प्रकार या स्पष्ट रूप में भाव प्रकट करने वाला; भावबोधक। [सं-पु.] मन का भाव प्रकट करने की क्रिया या भाव।

भाव शुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नेक नीयती 2. भाव की सच्चाई।

भावशून्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें भाव न हो; जो किसी विषय में आसक्त न हो; अनासक्त 2. जिसका चित्त विकल न होता हो।

भावसंधि (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थिति जहाँ दो अविरोधी भावों की संधि होती है।

भाव संसार (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति विशेषकर रचनाकार के भाव जो उसकी रचनाओं तथा कर्म को प्रभावित करते हैं।

भावसमन्वित (सं.) [वि.] जिसमें भाव हो; भावों से युक्त।

भावसमाहित (सं.) [वि.] 1. जिसमें भाव हो 2. जिसमें भाव की तीव्रता हो 3. जिसके भाव व्यवस्थित एवं शांत हों; जिसके भाव केंद्रित हों; भक्त।

भावसर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. वह रचना जिसमें कल्पना का आधिक्य हो; बौद्धिक व कल्पनाजन्य सर्जन, विचार व रचना 2. (सांख्य दर्शन) तन्मात्राओं की उत्पत्ति; भौतिक सर्ग का उलटा या विलोम।

भावसृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नवीन भावों की उत्पत्ति 2. भावों का उद्भव।

भावस्थ (सं.) [वि.] 1. जो भाव में लीन हो 2. भावविह्वल।

भावस्निग्ध (सं.) [वि.] 1. अनुरक्त 2. जिसमें भाव की तीव्रता हो।

भावहरण (सं.) [सं-पु.] 1. भावों का अधिग्रहण 2. {ला-अ.} साहित्यिक चोरी।

भावहिंसा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यावहारिक रूप से हिंसा न करते हुए मन में किसी का अनिष्ट करने की सोचना 2. मन में किसी के प्रति हिंसापूर्ण भाव होना 3. ऐसी स्थिति जिसमें व्यक्ति हिंसात्मक भावना को कार्य रूप में परिणत नहीं करता।

भावहीन (सं.) [वि.] 1. जिसमें भाव न हो; निर्विकार 2. तटस्थ; निर्वेद 3. शांत; संवेदनारहित 4. जिससे भाव का विकास न होता हो 5. अभिव्यक्तिहीन; अर्थहीन।

भावहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भावहीन होने की अवस्था या भाव 2. तटस्थता; संवेदनहीनता 3. निर्ममता 4. अर्थहीनता।

भावांतर (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दों के भावों में आ जाने वाला अंतर; अर्थांतर 2. मन की अवस्था दूसरी हो जाना।

भावांतरण (सं.) [सं-पु.] 1. मन की अवस्था में परिवर्तन हो जाना 2. (अनुवाद) किसी रचना या लेख के शब्दों के भावों में आ जाने वाला अंतर; अर्थांतर।

भावात्मक (सं.) [वि.] 1. भावपूर्ण; भावयुक्त 2. जिसमें किसी भी प्रकार का मानसिक भाव हो।

भावानुग (सं.) [वि.] जो भाव का अनुसरण करता हो; भावानुयायी।

भावापन्न (सं.) [वि.] भाव से अभिभूत; भावपूर्ण; रससिक्त।

भावाभास (सं.) [सं-पु.] 1. (साहित्य) वह काव्यदोष जिसमें भाव को अनुपयुक्त स्थान पर दिखाया जाता है 2. रस के पूर्ण परिपाक के अभाव में होने वाला आभास या छायामात्र; रसाभास 3. बनावटी भाव।

भावाभिभूत (सं.) [सं-पु.] 1. जो भाव से अभिभूत हो गया हो 2. किसी के द्वारा भाव से किया हुआ 3. भाव में खोया हुआ।

भावाभिव्यक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भावों का प्रकाशन; भावों को प्रकट करना; भावों की अभिव्यक्ति 2. मन की बात कहना।

भावार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. मूल पाठ का भाव या आश्रय मात्र 2. तात्पर्य; मतलब; आशय; अभिप्राय।

भावाविष्ट (सं.) [सं-पु.] 1. भावावेश से युक्त 2. भाव से परिपूर्ण।

भावावेग (सं.) [सं-पु.] 1. भावुकता 2. भावों की प्रबलता।

भावावेश (सं.) [सं-पु.] 1. भावना से पूर्ण आवेश 2. भावोत्तेजना 3. भावपूर्ण।

भावित (सं.) [वि.] 1. जिसकी भावना की गई हो; सोचा हुआ; विचारा हुआ 2. मिलाया हुआ; मिश्रित 3. शुद्ध किया हुआ; शोधित 4. जिसमें किसी रस आदि की भावना दी गई हो 5. सुगंधित किया हुआ 6. मिला हुआ; प्राप्त 7. भेंट किया हुआ; समर्पित 8. वशीकृत 9. प्रमाणित।

भावी (सं.) [वि.] 1. भविष्य में होने वाली बात; भविष्यत 2. आगामी; भविष्यकालीन 3. सुंदर; भव्य 4. अनुरक्त।

भावुक (सं.) [वि.] 1. भावना करने वाला; सोचने-समझने वाला 2. दयालु; जज़्बाती; संवेदनशील 3. उत्तम भावना करने वाला; उत्तम बातें सोचने वाला।

भावुकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भावुक होने की अवस्था या भाव; भावप्रवणता 2. भावों से परिचालित होने की प्रवृत्ति।

भावे प्रयोग (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) क्रिया का वह प्रयोग जिसमें कर्ता या कर्म का पुरुष, लिंग एवं वचन के अनुसार रूप परिवर्तित नहीं होता और वह सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एक वचन में रहता है, जैसे- उसे वहाँ बुलाया जाएगा।

भावोत्तेजक (सं.) [वि.] भावनाओं को उकसाने वाला।

भावोद्दीपक (सं.) [वि.] भावों को उत्तेजित करने वाला; भावों का उद्दीपन करने वाला; भावोत्पादक।

भावोद्दीपन (सं.) [सं-पु.] 1. भावों के उत्तेजित होने की अवस्था 2. उद्दीपन 3. प्रदीपन; उत्प्रेरण।

भावोद्रेक (सं.) [सं-पु.] 1. भावों की तीव्रता 2. भावों का उदय; भावावेश।

भावोन्मत्त (सं.) [वि.] भाव विह्वल; भावों के वशीभूत होकर; भावों के कारण उन्मत्त।

भावोन्माद (सं.) [सं-पु.] 1. भावों की तीव्रता या उन्माद 2. भावावेश।

भावोन्मेष (सं.) [सं-पु.] 1. मन में किसी भाव की उत्पत्ति होना 2. भाव का उदय; भावोत्पादन।

भाव्य (सं.) [वि.] 1. होने वाला; भावी; भविष्यकालीन 2. जिसका होना निश्चित हो; अवश्यंभावी 3. जिसकी भावना की जाए 4. चिंता करने योग्य 5. विचारणीय; सोचनीय 6. सिद्ध करने योग्य। [सं-पु.] होनी।

भाषण (सं.) [सं-पु.] 1. व्याख्यान; अभिभाषण 2. संबोधन 3. भाषण; कथन 4. कृपापूर्ण शब्द।

भाषणबाज़ी (सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भाषण देने की आदत या प्रवृत्ति 2. एक पर एक लगातार भाषण दिया जाना।

भाषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह साधन जिससे मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान करता है; विचार एवं भाव को व्यक्त करने की विधि 2. बोली 3. शैली 4. एक प्रकार की रागिनी 5. व्यक्ति विशेष के लिखने व बोलने का ढंग।

भाषांतर (सं.) [सं-पु.] 1. एक भाषा के लेख या रचना का किसी अन्य भाषा में किया गया अनुवाद; तरजुमा; (ट्रांसलेशन) 2. एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना।

भाषांतरकार (सं.) [सं-पु.] भाषांतर या अनुवाद करने वाला व्यक्ति; अनुवादक; (ट्रांसलेटर)।

भाषांतरण (सं.) [सं-पु.] एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करने की क्रिया या भाव; अनुवाद।

भाषाई (सं.) [वि.] भाषा से संबंधित; भाषिक; भाषा का, जैसे- भाषाई आंदोलन।

भाषाभाषी (सं.) [वि.] 1. किसी भाषा को व्यवहार में लाने वाला या बोलने वाला 2. भाषा का ज्ञाता या जानकार।

भाषामूलक (सं.) [वि.] जिसके मूल में भाषा हो; भाषा से उत्पन्न।

भाषावार (सं.) [वि.] 1. भाषा के आधार पर होने वाला 2. भाषा के अनुसार होने वाला।

भाषाविज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें भाषा की उत्पत्ति, विकास तथा उसके शब्दों के अर्थों, ध्वनियों आदि का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया जाता है; भाषा का विशिष्ट ज्ञान; (लिंग्विस्टिक्स)।

भाषाविज्ञानी (सं.) [सं-पु.] भाषाविज्ञान का ज्ञाता; भाषा का व्यवस्थित अध्ययन व अध्यापन करने वाला; (लिंग्विस्ट)।

भाषाविद (सं.) [सं-पु.] भाषाविज्ञान का ज्ञाता; भाषाविज्ञानी; (लिंग्विस्ट)।

भाषाशास्त्र (सं.) [सं-पु.] भाषाविज्ञान; (लिंग्विस्टिक्स)।

भाषाशास्त्री (सं.) [सं-पु.] भाषाविज्ञानी; भाषाशास्त्र का ज्ञाता; (लिंग्विस्ट)।

भाषा शैली (सं.) [सं-स्त्री.] किसी भाषा को लिखने का ढंग।

भाषासम (सं.) [सं-पु.] (साहित्य) एक शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो कई भाषाओं में समान अर्थ देते हों।

भाषाहीन (सं.) [वि.] 1. भाषा के बिना 2. वाणी के बिना; गूँगा।

भाषिक (सं.) [वि.] भाषा से संबंधित; भाषा का।

भाषिका (सं.) [वि.] कहने वाली; बोलने वाली। [सं-स्त्री.] 1. भाषा 2. वाणी; बोली।

भाषित (सं.) [सं-पु.] 1. कथन; बोली 2. वार्तालाप; उक्ति। [वि.] कथित; उक्त; कहा हुआ।

भाषिता (सं.) [वि.] 1. बोलने वाला 2. बात करने वाला।

भाषी (सं.) [वि.] 1. बोलने वाला 2. विशेष भाषा, शैली या स्वर में बोलने वाला 3. कहने वाला।

भाषीय (सं.) [वि.] भाषा संबंधी।

भाष्य (सं.) [सं-पु.] 1. किसी गूढ़ कथन की व्याख्या; सूत्रों की व्याख्या; टीका 2. कथन।

भाष्यकार (सं.) [सं-पु.] 1. भाष्य लिखने वाला व्यक्ति 2. सूत्रों की व्याख्या करने वाला लेखक।

भास (सं.) [सं-पु.] 1. दीप्ति; चमक 2. प्रकाश; रोशनी; किरण 3. इच्छा 4. कल्पना; मिथ्या ज्ञान 5. प्रतिबिंब 6. एक कवि 7. शकुंत पक्षी।

भासक (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकाशक 2. चमक देने वाला व्यक्ति या पदार्थ 3. आलोकित करने वाला व्यक्ति या पदार्थ।

भासमंत (सं.) [वि.] 1. ज्योति या प्रकाश से युक्त 2. चमकीला; चमकदार।

भासमान (सं.) [वि.] 1. चमकदार 2. दिखाई देता हुआ; जान पड़ता हुआ।

भासित (सं.) [वि.] 1. प्रकाशमान; प्रकाशित 2. चमकदार; चमकीला।

भास्कर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. दिन 3. वीर 4. अग्नि 5. सोना 6. शिव 7. मदार 8. धातु या पत्थर आदि की मूर्ति पर नक्काशी करने की कला।

भास्मन (सं.) [वि.] 1. जो भस्म से बना हो 2. भस्म संबंधी।

भास्वत (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. आक का पौधा। [वि.] चमकीला; चमकदार।

भास्वर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. दिन 3. अग्नि। [वि.] 1. चमकदार 2. दीप्त।

भिंडी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी फली की सब्ज़ी बनाई जाती है।

भिक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अन्न, कपड़ा, पैसा आदि माँगने का काम या वृत्ति 2. माँगने पर प्राप्त होने वाले अन्न, कपड़ा, पैसा आदि 3. विशिष्ट अनुग्रह की प्राप्ति के लिए किसी से दीनतापूर्वक की जाने वाली याचना।

भिक्षादान (सं.) [सं-पु.] 1. भिक्षा देने की क्रिया या भाव 2. भिक्षा में दिया गया धन या रुपया।

भिक्षापात्र (सं.) [सं-पु.] भीख माँगने का बरतन।

भिक्षावृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भिक्षा माँगकर जीवन यापन करने की क्रिया 2. भिखारी का पेशा।

भिक्षु (सं.) [सं-पु.] 1. भिक्षा माँगने वाला व्यक्ति; भिखारी 2. संन्यासी; साधु 3. बौद्ध संन्यासी।

भिक्षुक (सं.) [सं-पु.] 1. भिक्षु 2. भिखमंगा; भिखारी। [वि.] भीख या भिक्षा माँगने वाला।

भिक्षुणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बौद्ध संन्यासिनी 2. पुजारिन।

भिखमंगा [सं-पु.] भीख माँगने वाला व्यक्ति; भिक्षुक; भिखारी 3. {ला-अ.} जिसे माँगने की लत हो।

भिखारी (सं.) [सं-पु.] भीखमंगा।

भिगाना (सं.) [क्रि-स.] किसी वस्तु या चीज़ को पानी में डालकर या किसी चीज़ पर पानी डालकर उसे तर या गीला करना; भिगोना।

भिगोना (सं.) [क्रि-स.] पानी से किसी वस्तु को तर करना; गीला करना; भिगाना।

भिड़ (सं.) [सं-स्त्री.] बर्र; ततैया।

भिडंत [सं-स्त्री.] टकराहट; भिड़ने की क्रिया, अवस्था या भाव; मुठभेड़।

भिड़ना [क्रि-अ.] 1. टकराना 2. आपस में लड़ाई-झगड़ा करना 3. गुथना 4. सटना।

भिड़ाना [क्रि-स.] 1. लड़ाई-झगड़ा कराना 2. भिड़ने में प्रवृत्त करना।

भितरिया [वि.] 1. भीतर रहने वाला; भीतरी 2. अंदर की तरफ़ का; अंतरंग। [सं-पु.] 1. किसी जगह के भीतरी भाग में रहने वाला प्राणी आदि 2. वल्लभ कुल के मंदिर में रहने वाला पुजारी।

भित्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दीवार; भीत 2. चटाई 3. दोष 4. चित्र बनाने का आधार; चित्राधार।

भित्तिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छिपकली 2. दीवार।

भित्तिचित्र (सं.) [सं-पु.] दीवार पर अंकित किया हुआ चित्र।

भिदना [क्रि-अ.] 1. भेदा या छेदा जाना; छिदना 2. अंदर धँसना 3. घुसना 4. पैवस्त होना 5. घायल होना।

भिनकना [क्रि-अ.] 1. मन में घृणा पैदा होना 2. भिन-भिन शब्द होना।

भिन-भिन [सं-स्त्री.] मक्खियों की आवाज़।

भिनभिनाना [क्रि-अ.] मक्खियों द्वारा भिन-भिन की आवाज़ करना।

भिनभिनाहट [सं-स्त्री.] 1. भिन-भिन शब्द 2. भिनभिनाने की क्रिया या भाव।

भिनसार (सं.) [सं-पु.] प्रातःकाल; सुबह; भोर; सवेरा।

भिन्न (सं.) [वि.] 1. अलग किया हुआ; जिसे अलग किया गया हो; विभक्त; विभाजित 2. प्रस्फुटित 3. खंडित 4. दूसरा; अन्य 5. अलग तरह का; अपने वर्ग से अलग; (डिफ़रेंट)। [सं-पु.] 1. खंड; टुकड़ा 2. गणित में इकाई का अंश, जैसे- 1/2 3. चिकित्सा शास्त्र में शरीर का वह अंग जिसे तेज़ धार वाले शस्त्र से काटकर अलग किया गया हो।

भिन्नता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतर; भेद; प्रकार 2. भिन्न होने की अवस्था; अलगाव।

भिन्न-भिन्न (सं.) [वि.] अलग-अलग तरह का; विविध।

भिन्नात्मक (सं.) [वि.] (गणित) जिसमें (संख्या) भिन्न या इकाई का कोई भाग भी लगा हो।

भिन्नाना [क्रि-अ.] 1. दुर्गंध आदि से सिर चकराना 2. भय के कारण अलग या दूर होना।

भिलावाँ (सं.) [सं-पु.] 1. एक जंगली वृक्ष 2. उक्त वृक्ष से प्राप्त होने वाला फल जो औषधि में काम आता है; भल्लातक।

भिश्ती [सं-पु.] चमड़े के थैले से पानी ढोने वाला व्यक्ति; सक्का।

भी (सं.) [नि.] निपात के रूप में प्रयुक्त शब्द जो कई अर्थों में प्रयुक्त होता है- 1. अधिक; ज़्यादा, जैसे- यह रंग और भी अच्छा है 2. किसी अथवा और के अलावा; साथ या सिवा, जैसे- दोनों बहनों के साथ एक भाई भी गया है।

भींचना [क्रि-स.] 1. कसकर दबाना; जकड़ना 2. खींचना; तानना 3. मीचना; बंद करना, जैसे- आँखें भींचना 4. जमाना 5. रौंदना; निचोड़ना।

भीख (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भिक्षा 2. भीख में मिली वस्तु।

भीगना [क्रि-अ.] गीला होना; पानी से तर होना।

भीट [सं-पु.] 1. उभरी हुई ज़मीन 2. भीटा 3. मन भर के बराबर एक तौल।

भीड़ [सं-स्त्री.] जमघट; जमावड़ा; जनसमूह; अव्यवस्थित समूह। [मु.] -छँटना : भीड़ न रह जाना। -जुटना : लोगों का इकट्ठा होना।

भीड़-भड़क्का [सं-पु.] एक ही स्थान पर बहुत लोगों का जमावड़ा या भीड़; जमघट; जनसमूह; मजमा; भीड़-भाड़।

भीड़-भाड़ [सं-स्त्री.] एक ही स्थान पर बहुत लोगों का जमावड़ा; भीड़।

भीड़ा [वि.] जो संकुचित हो; संकीर्ण; सँकरा; तंग, जैसे- भीड़ा रास्ता।

भीत1 [सं-स्त्री.] दीवार; भित्ति।

भीत2 (सं.) [वि.] 1. डर; भय 2. भयभीत; डरा हुआ। [सं-पु.] 1. भीति 2. ख़तरा।

भीतर (सं.) [अव्य.] 1. घेरे, भवन आदि की परिधि के अंतर्गत, जैसे- घर के भीतर जो मन चाहे सो करो 2. मन में। [सं-पु.] 1. मन 2. अंदर वाला भाग 3. अंतःपुर।

भीतरघात (सं.) [सं-पु.] 1. विश्वासघात 2. तोड़फोड़।

भीतरवाला [वि.] अंदरवाला; भीतरी; अंदर का।

भीतरी [वि.] 1. छिपा हुआ; गुप्त 2. आंतरिक; अंदरूनी 3. घनिष्ठ।

भीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भय; डर 2. कंप 3. कोई अप्रिय या अनिष्ट बात होने की आशंका; खटका।

भीना [वि.] 1. किसी से युक्त 2. भरा हुआ, जैसे- भावभीना 3. धीमा, सूक्ष्म या हलका, जैसे- भीनी-भीनी सुगंध।

भीम (सं.) [सं-पु.] 1. महाभारत में पाँच पांडवों में से एक; भीमसेन; हिडिंबापति 2. पवनसुत; मारुति। [वि.] 1. महाकाय; बहुत बड़ा 2. अत्यधिक 3. भयानक; भयंकर; भीषण।

भीमकाय (सं.) [वि.] विशालकाय; बड़े शरीर वाला; महाकाय।

भीमरथी (सं.) [सं-पु.] अपने जीवन में सतहत्तरवें वर्ष के सात माह और सात दिन की समाप्ति पर होने वाली मनुष्य की अवस्था। [वि.] अत्यंत वृद्ध (व्यक्ति)।

भीमसेन (सं.) [सं-पु.] 1. पाँच पांडवों में से दूसरे जो अधिक बलवान थे; भीम 2. दमयंती के पिता का नाम।

भीरु (सं.) [वि.] 1. डरपोक; कायर 2. भय युक्त; डरा हुआ। [सं-पु.] 1. गीदड़; सियार 2. बाघ 3. कनखजूरा 4. एक प्रकार का ईख।

भीरुता (सं.) [सं-स्त्री.] भीरु होने की अवस्था या गुण; भयशीलता; बुज़दिली।

भील (सं.) [सं-पु.] 1. विंध्य की पहाड़ियों तथा दक्षिण के जंगलों में रहने वाली एक जंगली जाति 2. उक्त जंगली जाति के पुरुष।

भीषण (सं.) [वि.] 1. डरावना; भयानक 2. बहुत बुरा; विकट 3. उग्र व दुष्ट स्वभाव वाला। [सं-पु.] 1. साहित्य का भयानक रस 2. एक प्रकार का ताड़।

भीष्म (सं.) [सं-पु.] 1. रुद्र; शिव 2. गंगा के गर्भ से उत्पन्न राजा शांतनु के पुत्र; देवव्रत; गांगेय 3. (साहित्य) भयानक रस 4. राक्षस। [वि.] भीषण; भयानक; भयंकर।

भुक्खड़ [वि.] 1. लालची; लोलुप 2. कंगाल; दरिद्र 3. भूखा; पेटू 4. जिसे तेज़ भूख लगी हो।

भुक्त (सं.) [वि.] 1. खाया हुआ; भक्षित 2. जिसका भोग किया गया हो 3. जो भोगा जा रहा हो 4. अनुभव किया हुआ; अनुभूत 5. उच्छिष्ट; उपभुक्त 6. अधिकार-पत्र आदि जिसका नगद धन प्राप्त कर लिया गया हो।

भुक्तभोगी (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी बात या कार्य का अनुभव हो 2. जिसने सुख-दुख झेला हो 3. जिसे किसी अपराध का फल भोगना पड़ा हो।

भुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आहार; भोजन 2. लौकिक सुख 3. किसी पदार्थ या वस्तु का किया जाने वाला भोग 4. रसानुभूति 5. दख़ल; कब्ज़ा।

भुखमरा [वि.] 1. भूखों मरने वाला 2. जो खाने-पीने के लिए मरा जाता हो; भुक्खड़; पेटू।

भुखमरी [सं-स्त्री.] 1. वह स्थिति जब अन्न के अभाव में लोग मरते हैं; भूखों मरने की स्थिति; दुर्भिक्ष 2. पोषण न मिलने के कारण शरीर का क्षीण होना।

भुखाना [क्रि-अ.] क्षुधित होना; भूखा होना। [क्रि-स.] किसी को भूखा रखना।

भुगतना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी अप्रीतिकर वस्तु, व्यक्ति या स्थिति को न चाहते हुए भी स्वीकार करना; झेलना 2. भोगना।

भुगतान [सं-पु.] 1. कर्ज़ या ऋण चुकाना 2. किसी चीज़ या वस्तु की कीमत चुकता किया जाना 3. निबटारा 4. ख़रीदा हुआ माल देना।

भुगताना [क्रि-स.] 1. चुकाना; भुगतान करना; अदा करना 2. समय बिताना या व्यतीत करना 3. दुख देना या भोगवाना 4. भुगतने के लिए बाध्य करना।

भुच्च [वि.] मूर्ख; उजड्ड; जड़मति। [सं-पु.] मूर्ख व्यक्ति।

भुज (सं.) [सं-पु.] 1. (रेखा-गणित) त्रिभुज का आधार 2. हाथ; बाहु; बाँह; भुजा 3. हाथी का सूँड़ 4. वृक्ष की डाली या शाखा 5. किनारा; सिरा।

भुजंग (सं.) [सं-पु.] 1. साँप 2. (हठयोग) पति 3. विदूषक 4. सीसा 5. जार 6. अश्लेषा नक्षत्र।

भुजंगिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नागिन; साँपिन 2. एक छंद।

भुजंगेश (सं.) [सं-पु.] 1. शेषनाग 2. वासुकि 3. पतंजलि ऋषि का एक नाम 4. पिंगल मुनि का एक नाम।

भुजगेंद्र (सं.) [सं-पु.] 1. शेषनाग 2. वासुकि।

भुजदंड (सं.) [सं-पु.] 1. दंड रूपी हाथ; बाहु दंड 2. लंबा हाथ 3. बाँह में पहनने का एक प्रकार का गहना।

भुजपाश (सं.) [सं-पु.] दोनों हाथों या भुजाओं की वह स्थिति जिससे गले लगाया जाता है; गलबाँही; आलिंगन।

भुजबंध (सं.) [सं-पु.] 1. बाज़ूबंद नाम का गहना 2. भुजाओं से किसी को बाँधने की क्रिया या भाव।

भुजमूल (सं.) [सं-पु.] 1. भुजा के आरंभ होने का स्थान; कंधा 2. काँख।

भुजा (सं.) [सं-स्त्री.] बाँह; बाहु।

भुजाली [सं-स्त्री.] 1. छोटी बरछी 2. एक प्रकार की बड़ी टेढ़ी छुरी।

भुजिया [सं-स्त्री.] 1. बेसन या आलू से बनाया गया नमकीन खाद्य 2. घी-तेल में भुनी सूखी सब्ज़ी। [वि.] भूनकर तैयार किया गया।

भुट्टा [सं-पु.] 1. मक्के की हरी बाल जिसे भूनकर खाते हैं 2. एक प्रकार का दानेदार अनाज; मक्का।

भुतहा [वि.] 1. अवास्तविक; अज्ञात; अतिप्रकृत 2. प्रेतीय या प्रेत से ग्रस्त।

भुनगा [सं-पु.] 1. बहुत छोटा सा बरसाती कीड़ा 2. पतंगा; फतिंगी।

भुनना [क्रि-अ.] 1. आग आदि पर भूना जाना; सिकना 2. बंदूक या तोप की गोली से मारा जाना 3. नोट को छोट-छोटे सिक्के में बदलना।

भुनभुनाना [क्रि-स.] 1. भुन-भुन शब्द करना 2. बड़बड़ाना; कुढ़कर अस्पष्ट स्वर में कई तरह की बातें कहना। [क्रि-अ.] भुन-भुन शब्द होना।

भुनाई [सं-स्त्री.] 1. भुनाने की क्रिया या भाव 2. भुनाने की मज़दूरी।

भुनाना [क्रि-स.] 1. भूनने का काम कराना 2. रुपयों या बड़े सिक्के को छोटे सिक्कों में बदलवाना 3. चेक को रुपए में बदलवाना।

भुरकना [क्रि-अ.] 1. सूखकर भुरभुरा हो जाना 2. बहक जाना; भूलना। [क्रि-स.] छिड़कना; बुरकना।

भुरका [सं-पु.] 1. भुरकने की क्रिया या भाव 2. कुल्हड़; कूजा 3. मिट्टी की दवात 4. मिट्टी का प्याला; कसोरा 5. चूर्ण; बुकनी।

भुरभुरा [वि.] 1. हलके दबाव से जिसके कण अलग-अलग हो जाएँ 2. चूर्णरूप।

भुरभुराना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या व्यक्ति के ऊपर चूर्ण आदि बिखेरना; छिड़कना; बुरकना 2. भुरभुरा करना।

भुलक्कड़ [वि.] भूलने वाला; क्षीण स्मरण शक्ति वाला।

भुलवाना [क्रि-स.] 1. किसी को भूलने में प्रवृत्त करना 2. भुलाना 3. धोखे में डालना; ऐसा कार्य करना जिससे कोई भूलकर भ्रम में पड़े।

भुलाना [क्रि-स.] 1. विस्मृत करना 2. भ्रम में डालना; धोखा देना।

भुलावा [सं-पु.] 1. छलपूर्ण बात 2. किसी को धोखा या भ्रम में डालने वाली बात।

भुव (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी और सूर्य के बीच का लोक; अंतरिक्ष 2. आग; अग्नि।

भुवन (सं.) [सं-पु.] 1. सृष्टि; जगत; संसार 2. जन; प्राणी; लोग 3. लोक 4. जल 5. आकाश।

भुवनपति (सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. जगत या लोक का स्वामी; भूपाल।

भुवनमोहिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देवी 2. मोहक स्त्री; रूपवती स्त्री। [वि.] विश्व को मोह लेने वाली।

भुवनेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. ओडिशा राज्य की राजधानी तथा एक प्रसिद्ध तीर्थ 2. एक राजा 3. शिव।

भुवर्लोक (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी और सूर्य का मध्यवर्ती भाग; अंतरिक्ष लोक 2. (पुराणों) सात लोकों में से दूसरा।

भुसौरा [सं-पु.] भूसा रखने का कमरा; भुसौला।

भुसौला [सं-पु.] वह घर या कोठी जिसमें भूसा भरा रहता है; भुसौरा।

भू (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धरती; ज़मीन; भूमि 2. पृथ्वी 3. स्थान; जगह 4. सत्ता; अस्तित्व 5. यज्ञ की अग्नि 6. पदार्थ 7. रसातल।

भूँकना [क्रि-अ.] 1. कुत्तों का भूँ-भूँ या भौं-भौं की आवाज़ करना 2. {ला-अ.} व्यर्थ में बोलना।

भूकंप (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी के अंदर होने वाली प्राकृतिक विस्फोटक क्रिया; भूचाल 2. भूमि का कंपन 3. उथल-पुथल।

भूकंप-मापक (सं.) [सं-पु.] भूकंप की शक्ति, गति और भूकंप के केंद्र की दूरी मापने का यंत्र।

भूकंप-विज्ञान (सं.) [सं-पु.] भूकंपों के कारणों, गतिविधियों आदि का विवेचन करने वाला विज्ञान।

भूख (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भोजन करने की इच्छा; क्षुधा 2. {ला-अ.} किसी चीज़ के पाने या लेने की इच्छा।

भूखंड (सं.) [सं-पु.] 1. भूभाग; ज़मीन का छोटा टुकड़ा 2. पृथ्वी का खंड, अंश या विभाग।

भूख-हड़ताल [सं-स्त्री.] किसी कार्य, न्याय अथवा किसी माँग आदि के लिए भूखा रहकर की जाने वाली हड़ताल; अनशन।

भूखा (सं.) [वि.] 1. निराहार 2. भोजनार्थी 3. जिसको भोजन न मिला हो 4. {ला-अ.} किसी चीज़ की चाह रखने वाला।

भूगर्भ (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी के नीचे वाला भाग या अंश 2. विष्णु।

भूगर्भ-शास्त्र (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें पृथ्वी, पृथ्वी का निर्माण करने वाले शैलों तथा शैलों के विकास की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है; भूगर्भ विज्ञान।

भूगर्भित (सं.) [वि.] 1. भूगर्भ से संबंधित; भूमिगत 2. पृथ्वी के भीतरी भाग में होने वाला; भूमि के नीचे का; अंतर्भौम।

भूगोल (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी 2. ऐसा शास्त्र जिसमें पृथ्वी तल के स्वरूप, प्राकृतिक व राजनैतिक विभागों का अध्ययन किया जाता है।

भूगोलवेत्ता (सं.) [सं-पु.] भूगोल का जानकार या ज्ञाता।

भूगोलीय (सं.) [वि.] भूगोल से संबंधित; भूमंडलीय।

भूचर (सं.) [वि.] भूमि पर रहने या विचरण करने वाला; स्थलचर। [सं-पु.] थलचर जीव।

भूचाल (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी के ऊपरी भाग का सहसा कुछ प्राकृतिक कारणों से हिल उठना; भूडोल; ज़लज़ला; भूकंप।

भूजा (सं.) [सं-पु.] सीता। [वि.] भूमि से उत्पन्न।

भूडोल [सं-पु.] पृथ्वी के ऊपरी भाग का सहसा कुछ प्राकृतिक कारणों से हिल उठना; ज़लज़ला; भूकंप।

भूत (सं.) [सं-पु.] 1. प्रेत; पिशाच 2. भूतकाल 3. प्राणी; जीव 4. (व्याकरण) तीन कालों में से एक 5. वह जिसकी कोई सत्ता हो। [वि.] 1. अतीत; बीता हुआ 2. वस्तुतः घटित 3. जो किसी के समान या सदृश हो चुका हो 4. जो अस्तित्व में आ चुका हो। [मु.] -सवार होना : बहुत अधिक आवेश या क्रोध करना।

भूतकाल (सं.) [सं-पु.] 1. गतकाल; बीता हुआ समय 2. (व्याकरण) क्रिया का वह रूप जो बीते हुए समय का सूचक हो।

भूतकालिक (सं.) [वि.] भूतकाल संबंधी।

भूतकालीन (सं.) [वि.] 1. भूतकाल या बीते हुए समय से संबंधित 2. ऐतिहासिक; अतीत का 3. गत; गुज़रा हुआ 4. पौराणिक 5. पिछला 6. प्राचीन; विगत।

भूतनया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भूमि की पुत्री 2. (रामायण) सीता; जानकी।

भूतनाथ (सं.) [सं-पु.] भूतों के स्वामी अर्थात शिव; महादेव।

भूतनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भूत योनि की स्त्री 2. {ला-अ.} कर्कश स्वभाव वाली स्त्री; भयानक स्त्री।

भूतपति [सं-पु.] 1. शिव 2. काली तुलसी 3. अग्नि।

भूतपिशाच (सं.) [सं-पु.] 1. एक योनि विशेष 2. भूत; प्रेत।

भूतपूर्व (सं.) [वि.] 1. जो बीत चुका हो; पहले वाला; प्राचीन; पूर्ववर्ती; भूतकालीन 2. सेवानिवृत्त।

भूत-प्रेत (सं.) [सं-पु.] भूत, पिशाच, प्रेत आदि की योनियाँ; इन योनियों से प्राप्त होने वाले सूक्ष्म शरीरों का वर्ग।

भूतभर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. शिव 2. भूतों का भरण-पोषण करने वाला 3. भैरव का एक रूप।

भूतल (सं.) [सं-पु.] 1. धरातल; भूमि की सतह 2. पाताल लोक 3. संसार; दुनिया।

भूतवाद (सं.) [सं-पु.] भौतिक पदार्थों या वस्तुओं को ही सर्वस्व मानने का सिद्धांत; आत्मा और ईश्वर आदि को स्वीकृत न करने की विचारधारा; भौतिकवाद; पदार्थवाद।

भूतवादी (सं.) [वि.] भौतिकवादी; पदार्थवादी। [सं-पु.] भौतिकवाद का समर्थक।

भूतहा (सं.) [सं-पु.] भोजपत्र का वृक्ष; भुर्जपत्र का पेड़।

भूतात्मा (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर; जीवात्मा 2. परब्रह्म; परमेश्वर।

भूतादि (सं.) [सं-पु.] 1. सांख्य दर्शन में अहंकार तत्व जिससे पंचभूतों का उद्भव माना गया है 2. परमेश्वर।

भूति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वैभव; संपत्ति; धन 2. राख; भभूत; भस्म 3. उत्पत्ति; जन्म 4. वृद्धि 5. सौभाग्य 6. महिमा; गौरव 7. बहुलता; अधिकता; वृद्धि 8. अणिमा, महिमा आदि आठ प्रकार की सिद्धियाँ 9. मुक्ति; मोक्ष 10. सत्ता 11. लक्ष्मी।

भूदान (सं.) [सं-पु.] 1. दान स्वरूप दी गई भूमि 2. दान के रूप में भूमि देने की क्रिया, अवस्था या भाव।

भूदेव (सं.) [सं-पु.] 1. कृषक; किसान 2. ज्ञानी; विद्वान 3. ब्राह्मण।

भूधर (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत; पहाड़ 2. शेषनाग 3. विष्णु 4. राजा 5. वराह अवतार 6. (वैधक) रस आदि बनाने का एक उपकरण।

भूधृति (सं.) [सं-स्त्री.] किसान को दूसरे की ज़मीन पर मिला हुआ जुताई-बुआई का अधिकार।

भूनना [क्रि-स.] 1. किसी भोज्य पदार्थ को जलते हुए अंगारों पर सेककर पकाना 2. तेल में तलना 3. गरम बालू में डालकर अन्न आदि को पकाना 4. गोलियों से बहुत लोगों को एक साथ मारना 5. {ला-अ.} बहुत कष्ट देना।

भूप (सं.) [सं-पु.] राजा।

भूपति (सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. (संगीत) एक प्रकार का राग।

भूपाल (सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. भूमि या प्रदेश का स्वामी; भूपति।

भूपृष्ठ (सं.) [सं-पु.] 1. धरातल 2. धरती की ऊपरी सतह; स्थल। [वि.] जिसका नीचे का भाग समतल भूमि पर हो।

भूबदरी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का छोटा बेर; झड़बेर।

भूभल (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसी गरम राख जिसमें कुछ चिनगारियाँ भी हों 2. गरम रेत या धूल।

भूभाग (सं.) [सं-पु.] 1. ज़मीन का भाग या टुकड़ा; भूखंड; प्रदेश 2. ऐसा प्रदेश जो किसी नगर या राज्य के किसी ओर स्थित हो और उसके अधिक्षेत्र में हो।

भूभागीय (सं.) [वि.] 1. भूभाग से संबंधित 2. धरातलीय 3. क्षेत्रीय।

भूमंडल (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी; धरती।

भूमंडलीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. सारे संसार में होने वाला प्रभाव या फैलाव; सार्वभौमिकता 2. वैश्वीकरण।

भूमध्य (सं.) [सं-पु.] चारों ओर से पृथ्वी से घिरा हुआ।

भूमध्यरेखा (सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी तल के ठीक मध्य सूचित करने वाली वह कल्पित रेखा जो पृथ्वी को दो भागों में विभाजित करती है।

भूमध्य सागर (सं.) [सं-पु.] यूरोप और अफ्रीका के बीच का समुद्र।

भूमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐश्वर्य; विशाल धनराशि 2. पृथ्वी; धरती 3. प्राणी 4. विशालकाय पुरुष।

भूमि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धरती; पृथ्वी 2. ज़मीन; भूखंड; (लैंड) 3. उत्पत्ति स्थान 4. ज़मीन का एक छोटा टुकड़ा जिसपर किसी का अधिकार हो।

भूमिक (सं.) [वि.] भूमि संबंधी। [सं-पु.] 1. भूमि का स्वामी 2. किसान; श्रमिक।

भूमिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आमुख; प्राक्कथन 2. पृष्ठभूमि 3. योगदान 4. नाटकों आदि में किसी पात्र की भूमिका; (रोल) 5. भूमि 6. जगह; स्थान 7. मकान के वे खंड जो एक दूसरे के ऊपर-नीचे होते हैं। [मु.] -निभाना : सहायक होना।

भूमिगत (सं.) [वि.] 1. भूगत या ज़मीन के नीचे होने या रहने वाला 2. ज़मीन पर गिरा हुआ 3. भूमि के अंदर छिपा; (अंडर-ग्राउंड) 4. जो छिपकर काम करता हो।

भूमिज (सं.) [वि.] जो भूमि या ज़मीन से उत्पन्न हो। [सं-पु.] 1. पेड़-पौधे 2. सोना धातु 3. एक तरह का घोंघा 4. जीव-जंतु।

भूमिधर (सं.) [सं-पु.] 1. शेषनाग 2. पहाड़; पर्वत 3. वह व्यक्ति जिसने भूमि या खेत का स्थायी अधिकार प्राप्त कर लिया हो।

भूमिपति (सं.) [सं-पु.] 1. भूपति 2. राजा 3. क्षत्रिय।

भूमिपूजन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य के आरंभ में किया जाने वाला भूमि का पूजन 2. शिलान्यास; आरंभिक कर्म।

भूमिया (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश का मूल निवासी 2. भूमि का अधिकारी; किसान 3. ज़मींदार 4. ग्राम-देवता।

भूमिशायी (सं.) [वि.] 1. जो धरती पर लेटा हो; धराशायी; भूशायी 2. मरा हुआ।

भूमिसात (सं.) [वि.] 1. गिरकर या ढहकर ज़मीन में मिला हुआ, जैसे- भूकंप में मकानों का भूमिसात होना 2. मटियामेट।

भूमिसुधार [सं-पु.] ज़मीन को खेती लायक बनाना; भूमि को उपज के योग्य बनाना।

भूमिहार (सं.) [सं-पु.] मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश की एक हिंदू जाति।

भूमिहीन (सं.) [वि.] जिनके पास जोतने-बोने की ज़मीन न हो; जिसके पास ज़मीन का कोई टुकड़ा न हो।

भूर1 [सं-पु.] बालू; रेत।

भूर2 (सं.) [वि.] अधिक; बहुत; ज़्यादा।

भूरा (सं.) [वि.] 1. मिट्टी के जैसा रंग 2. खाकी रंग। [सं-पु.] 1. चीनी 2. कच्ची चीनी; खांड 3. एक प्रकार का कबूतर।

भू-राजस्व (सं.) [सं-पु.] जोतने-बोने और रहने लायक ज़मीन पर लगने वाला शासकीय कर; लगान; (लैंड रेवेन्यू)।

भूरि (सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक 2. प्रचुर। [अव्य.] बहुत अच्छी तरह।

भूरुह (सं.) [सं-पु.] 1. वृक्ष; पेड़ 2. शाल वृक्ष।

भूल [सं-स्त्री.] 1. भूलने की क्रिया या भाव 2. अशुद्धि 3. अज्ञान 4. गलती; चूक 5. कसूर; दोष।

भूल-चूक [सं-स्त्री.] 1. भूल; भ्रम 2. त्रुटि 3. गलती।

भूलना [क्रि-स.] 1. विस्मृत होना; याद न रहना; याद न रखना 2. ध्यान न रहना।

भूल-भुलैया [सं-स्त्री.] 1. ऐसा भवन जिसमें व्यक्ति जाकर रास्ता भूल जाता है और अपने ठिकाने पर जल्दी नहीं पहुँच पाता 2. पेचीदी बात; बहुत घुमाव-फिराव वाली बात 3. खेल आदि के लिए दीवारों आदि में बनाई गई घुमावदार रेखाएँ या आकृति।

भूलोक (सं.) [सं-पु.] 1. धरती 2. संसार; जगत।

भूविज्ञान (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी की आंतरिक और बाह्य सतह और उसके तत्वों का अध्ययन-विश्लेषण करने वाला विज्ञान; भूगर्भशास्त्र।

भूशायी (सं.) [वि.] 1. भूमि पर सोने वाला 2. पृथ्वी पर गिरा हुआ; धराशायी 3. टूट-फूट कर ज़मीन पर गिरा हुआ 4. मरा हुआ।

भूषण (सं.) [सं-पु.] 1. अलंकार 2. मानव निर्मित वह वस्तु जिसके धारण करने से किसी की शोभा बढ़ जाती है ; गहना; ज़ेवर 3. शोभा बढ़ाने वाली चीज़ या वस्तु; सजावट 4. विष्णु।

भूषना (सं.) [क्रि-स.] 1. सजाना; सुसज्जित करना 2. अलंकृत करना; भूषित करना। [क्रि-अ.] अलंकृत होना; सजना।

भूषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गहना; ज़ेवर 2. सजावट; शृंगार 3. पहनावा 4. आभूषण।

भूषित (सं.) [वि.] 1. अलंकृत; भूषणों से युक्त 2. सजाया हुआ; सज्जित; सजा हुआ।

भूसंपत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] भूमि या ज़मीन के रूप में होने वाली जायदाद।

भू-संपदा (सं.) [सं-स्त्री.] भूमि रूपी संपत्ति, जैसे- खेत आदि।

भूसा (सं.) [सं-पु.] गेहूँ, जौ आदि के सूखे डंठलों एवं बालियों का महीन चूरा जो पशुओं के खाने के काम आता है।

भूसी [सं-स्त्री.] 1. भूसा 2. चने, धान, मटर आदि के दाने का छिलका 3. गेहूँ के दाने का छिलका; चोकर।

भू-स्खलन (सं.) [सं-पु.] मिट्टी, पत्थर आदि के बड़े-बड़े ढेरों का खिसककर नीचे गिरना।

भू-स्वामी (सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. ज़मीन का मालिक 3. ज़मींदार।

भृंग (सं.) [सं-पु.] 1. भौंरा; भ्रमर 2. भृंगराज पक्षी 3. लंपट 4. गुबरैला; एक प्रकार का कीड़ा जिसे बिलनी भी कहते हैं 5. अभ्रक।

भृंगराज (सं.) [सं-पु.] 1. एक जड़ी जिसका उपयोग औषधि के रूप में होता है; भँगरा; भँगरैया 2. बड़ा भौंरा 3. काले रंग की एक चिड़िया।

भृंगी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भृंग या भौंरे की मादा; भौंरी 2. भाँग 3. बिलनी; अंजनहारी 4. तितली।

भृकुटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भौंह 2. भौं चढ़ाना; भ्रूभंग।

भृगु (सं.) [सं-पु.] 1. शुक्रवार 2. शुक्राचार्य 3. शुक्रग्रह 4. कृष्ण 5. शिव 6. परशुराम मुनि 7. जमदग्नि ऋषि 8. पहाड़ का खड़ा भाग।

भृत (सं.) [वि.] 1. पूरित; भरा हुआ 2. पाला-पोसा; पोषित 3. वहन किया हुआ 4. प्राप्त 5. किराए पर लिया हुआ 6. चुकाया हुआ; (पेड)।

भृतक (सं.) [सं-पु.] वह जो वेतन लेकर काम करता हो; नौकर। [वि.] वेतन लेकर काम करने वाला।

भृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भरने की क्रिया या भाव; भरण 2. नौकरी 3. पारिश्रमिक; मज़दूरी 4. भोजन 5. दाम; मूल्य 6. तनख़्वाह; वेतन 7. संबंध विच्छेद के बाद पति द्वारा परित्यक्ता या पत्नी को निर्वाह के लिए दिया जाने वाला धन; संभरण 8. आजीविका के लिए प्राप्त होने वाला धन; वृत्ति 9. भत्ता।

भृत्य (सं.) [सं-पु.] नौकर; सेवक; दास। [वि.] भरण करने योग्य।

भेंगा (सं.) [वि.] 1. टेढ़ी या तिरछी नज़र से देखने वाला; ढालू; ऐंचाताना 2. झुका हुआ 3. कपटपूर्ण 4. टाल-मटोल करने वाला।

भेंट [सं-स्त्री.] 1. उपहार; सौगात में दी गई वस्तु 2. मुलाकात।

भेंटकर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. मिलने वाला; मुलाकात करने वाला 2. कुछ उपहार स्वरूप देने वाला।

भेंटना [क्रि-स.] 1. गले लगाना; आलिंगन करना 2. छूना; पकड़ना 3. मिलने पर उपहार देना।

भेंटपूजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य का पुरस्कार 2. पारिश्रमिक 3. बख़्शिश।

भेंटवार्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आमना-सामना 2. बातचीत 3. साक्षात्कार।

भेक (सं.) [सं-पु.] 1. मेंढक 2. डरपोक व्यक्ति 3. मेघ।

भेज [सं-स्त्री.] 1. भूमि कर; लगान 2. भेजी हुई चीज़ 3. विभिन्न कर जो ज़मीन एवं उसकी उपज पर लगाए जाते हैं।

भेजना (सं.) [क्रि-स.] किसी व्यक्ति को कार्य हेतु कहीं रवाना करना, प्रेषित करना, प्रस्थान कराना आदि।

भेजवाना [क्रि-स.] भेजने का काम किसी दूसरे से कराना।

भेजा (सं.) [सं-पु.] जीवों के सिर के अंदर का भाग या गूदा; मस्तिष्क; दिमाग।

भेड़ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बकरी के आकार का एक पालतू चौपाया जो रोएँ, दूध और मांस आदि के लिए पाला जाता है 2. भेड़ी 3. {ला-अ.} बेवकूफ़ 4. भेला।

भेड़चाल (सं.) [सं-स्त्री.] भेड़िया-धँसान; दूसरे की देखादेखी काम करने की प्रवृत्ति।

भेड़ा [सं-पु.] भेड़ जाति का नर; मेढ़ा; मेष।

भेड़िया (सं.) [सं-पु.] 1. कुत्ते के आकार का एक हिंसक जंगली जानवर 2. {ला-अ.} अति कामुक व्यक्ति 3. {ला-अ.} क्रूर व्यक्ति।

भेड़िया-धँसान [सं-पु.] अत्यधिक भीड़; एक के ऊपर एक गिरना-पड़ना; भेड़ों जैसा अंधानुकरण।

भेद (सं.) [सं-पु.] 1. प्रकार; तरह 2. बिलगाव; अंतर 3. छिपी हुई बात 4. मर्म 5. क्षति; चोट 6. परिवर्तन 7. प्रकट होना; खुलना 8. छेदना 9. रहस्य 10. फूट डालना।

भेदक (सं.) [वि.] 1. नष्ट करने वाला 2. छेदन करने वाला 3. रेचक 4. भेद करने वाला।

भेदकारक (सं.) [वि.] 1. भेद करने वाला; छेद करने वाला 2. भेद या अंतर दिखाने वाला, जैसे- भेदकारी दृष्टि 3. जो पक्षपात करता हो; गुटबाज़ 4. लड़ाई-झगड़ा कराने वाला; षड्यंत्रकारी 5. भेदक।

भेदकारी (सं.) [वि.] 1. भेद करने वाला; छेदकारक 2. भेद या अंतर दिखाने वाला, जैसे- भेदकारी विवेचना 3. जो पक्षपात करता हो; गुटबाज़ 4. लड़ाई-झगड़ा कराने वाला; षड्यंत्रकारी 5. भेदक; भेदकारक।

भेददर्शी (सं.) [वि.] 1. जो भेद दिखाता हो 2. जगत को ब्रह्म से भिन्न समझने वाला; द्वैतवादी 3. भेदज्ञान।

भेददृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परब्रह्म को जगत से भिन्न मानने का मत 2. भेदवादी विचारधारा।

भेदन (सं.) [सं-पु.] 1. भेदने की क्रिया या भाव; जासूसी; छेदना; भेद लगाना 2. किसी का भेद या रहस्य जानने की क्रिया।

भेदना (सं.) [क्रि-स.] 1. बेधना; छेदना 2. किसी के मन का आशय जानने के लिए उसकी ओर गंभीरता से देखना।

भेदनीति (सं.) [सं-स्त्री.] भेदभाव या भिन्नता पैदा करने की नीति; दूसरों में फूट डालने की नीति।

भेदबुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] भेदभाव करने वाली बुद्धि या विचारधारा; द्वैतभाव।

भेदभाव (सं.) [सं-पु.] 1. अंतर; फ़र्क 2. दो व्यक्ति या दो वर्गों के साथ दो तरह का व्यवहार; (डिस्क्रिमिनेशन)।

भेदभावपूर्ण (सं.) [वि.] 1. जिसमें भेदभाव किया गया हो; असमान 2. जिसमें फ़र्क किया गया हो; पक्षपातपूर्ण 3. असंतुलित; छोटा-बड़ा 4. संकीर्ण।

भेदात्मक (सं.) [वि.] 1. भेद पर आधारित; भिन्नतापूर्ण 2. भेद का प्रतीक या सूचक 3. भेदभावपूर्ण।

भेदित (सं.) [वि.] फाड़ा, छेदा या बिलगाया हुआ।

भेदिया (सं.) [सं-पु.] 1. भेद जानने वाला व्यक्ति 2. गुप्तचर; जासूस।

भेदी (सं.) [सं-पु.] भेद बताने वाला; राज़फाश करने वाला या राज़ खोलने वाला व्यक्ति। [वि.] भेदन या छेद करने वाला।

भेद्य (सं.) [वि.] 1. जो भेदा या छेदा जा सके; भेदे जाने के योग्य 2. जिसका भेद लिया जा सके; वेध्य। [सं-पु.] किसी पीड़ित अंग आदि का भेदन करने की क्रिया; चीरफाड़।

भेरी (सं.) [सं-स्त्री.] प्रचीन समय का वह वाद्य या बड़ा ढोल जो युद्ध के समय बजाया जाता था; दुंदुभी।

भेरुंड (सं.) [वि.] भयानक; डरावना। [सं-पु.] 1. भेड़िया आदि हिंसक जंतु 2. गर्भधारण 3. एक प्रकार का पक्षी।

भेलपूरी [सं-पु.] एक प्रकार का खाद्य पदार्थ जिसमें आलू, लाई व मशाला आदि मिलाकर बनाया जाता है।

भेला [सं-पु.] किसी ठोस चीज़ का पिंड या बड़ा गोला, जैसे- गुड़ का भेला।

भेली [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु या चीज़ का पिंड 2. गुड़ का छोटा टुकड़ा।

भेष (सं.) [सं-पु.] पहनावा; वेश।

भेषज (सं.) [सं-पु.] 1. औषधि; दवा 2. निरोग; उपचार 3. जल; पानी 4. विष्णु का एक नाम 5. सुख। [वि.] आरोग्य लाभ कराने वाला।

भेषजीय (सं.) [वि.] 1. औषधीय; औषधि से संबंधित 2. औषधि से उत्पन्न।

भेस [सं-पु.] 1. वेष; वेश-भूषा 2. पहनावे आदि से बदला हुआ रूप 3. बाह्य रूप।

भैंस [सं-स्त्री.] 1. दूध देने वाली एक चौपाया जानवर; महिषी 2. एक प्रकार की मछली 3. एक प्रकार की घास।

भैंसा [सं-पु.] 1. एक चौपाया जानवर; महिष 2. {ला-अ.} हट्टा-कट्टा व्यक्ति।

भैक्षव (सं.) [वि.] भिक्षु संबंधी; भिक्षु का। [सं-पु.] भिक्षुओं का समूह।

भैया (सं.) [सं-पु.] 1. भ्राता; भाई 2. बराबर उम्र वालों या छोटों के लिए एक संबोधन।

भैरव (सं.) [सं-पु.] 1. (साहित्य) भयानक रस 2. एक प्राचीन नदी 3. (संगीत) छह मुख्य रागों में से एक 4. शिव का एक गण 5. एक पर्वत 6. ताल का एक भेद। [वि.] भयानक; उग्र; डरावना।

भैरवी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा; पार्वती 2. तांत्रिकों के अनुसार एक देवी 3. चामुंडा नामक देवी 4. संगीत में एक रागिनी। [वि.] भैरव संबंधी।

भैषज (सं.) [सं-पु.] 1. औषधि; दवा 2. वैद्य से शिक्षा लेने वाला शिष्य 3. लवा पक्षी।

भैषजिक (सं.) [वि.] औषधि से संबंधित।

भैषजिकी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. औषधि बनाने की विद्या या शास्त्र; (फ़ार्मेसी) 2. औषधि की दुकान; औषधालय।

भैषज्य (सं.) [सं-पु.] 1. औषधि; दवा 2. रोगी की चिकित्सा का कार्य 3. आरोग्यदायक शक्ति। [वि.] औषधि या चिकित्सा संबंधी।

भोंकना [क्रि-अ.] कुत्ते का बोलना। [क्रि-स.] 1. नुकीली या धारदार वस्तु ज़ोर से धँसाना 2. भाला, छुरा आदि शरीर में घुसाना; घुसेड़ना।

भोंड़ा [वि.] 1. भद्दा; कुरूप 2. फूहड़; अश्लील; अशिष्ट 3. अनपढ़; बेहूदा 4. बेडौल।

भोंडापन [सं-पु.] 1. भोंडा या भद्दा होने की अवस्था या भाव; भद्दापन 2. फूहड़पन 3. अशिष्टता।

भोंदू [वि.] 1. बेवकूफ़; मूर्ख 2. अनाड़ी।

भोंदूपना [सं-पु.] बेवकूफ़ी; मूर्खता।

भोंपा [सं-पु.] फूँककर बजाया जाने वाला बाजा; भोंपू।

भोंपू [सं-पु.] कल-कारख़ानों आदि में मज़दूर को सचेत करने के लिए बजाई जाने वाली एक प्रकार की सीटी।

भों-भों [सं-पु.] कुत्ते आदि के भोंकने की आवाज़।

भोक्तव्य (सं.) [सं-पु.] जो भोगा जाने को हो; जिसे भोगना हो; भोगने योग्य।

भोक्ता (सं.) [वि.] 1. भोगने वाला; उपभोक्ता 2. भक्षक 3. शासन करने वाला।

भोक्तापन [सं-पु.] 1. भोक्ता होने की अवस्था या भाव 2. सुख-दुख का भोग।

भोक्तृत्व (सं.) [सं-पु.] 1. भोक्ता होने की अवस्था या भाव; भोग 2. अधिकार; स्वामित्व 3. अनुभूति।

भोग (सं.) [सं-पु.] 1. देवता आदि के सामने रखा जाने वाला खाद्य पदार्थ; नैवेद्य 2. उपयोग में लाना, भोगने का भाव; उपभोग 3. संभोग; मैथुन 4. लाभ 5. सुख-दुख आदि का अनुभव करते हुए उन्हें अपने मन और शरीर पर सहन या प्राप्त करना 6. संपत्ति 7. शासन 8. भोज; दावत।

भोगकाल (सं.) [सं-पु.] 1. वह समय या अवधि जितने में कोई घटना या बात आरंभ से अंत तक घटित हो; (ड्यूरेशन) 2. किसी कर्म का फल भोगे जाने का पूरा समय।

भोगतृष्णा (सं.) [सं-स्त्री.] भोग की प्रबल इच्छा; विलास की कामना।

भोगना [क्रि-स.] 1. ऐश करना 2. संभोग करना 3. भुगतना 4. सुख-दुख का अनुभव करना।

भोगलिप्सु (सं.) [वि.] भोग की तीव्र इच्छा रखने वाला; विलासी; कामुक; विलासप्रिय।

भोगवती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गंगा की वह धारा जिसके बारे में किंवदंती है कि वह पाताल में बहती है; पाताल गंगा 2. नागिन 3. एक नदी।

भोगवाद (सं.) [सं-पु.] 1. प्रत्येक वस्तु को भोग का साधन समझने का मत या विचार; सुखभोगवाद; ऐश्वर्यवाद; उपभोक्तावाद 2. आनंदवाद; इंद्रियवाद 3. मौज-मस्ती में लीन रहने का सिद्धांत; प्रमोदवाद 4. जीवन को भोग का साधन मान लेने की मानसिकता।

भोगवादिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भोग करने की प्रवृत्ति 2. उपभोग में लिप्त रहने की मानसिकता; विलासिता।

भोगवादी (सं.) [वि.] 1. जो भोग का समर्थक हो 2. आनंदवादी; इंद्रियवादी 3. ऐश्वर्यवादी; नफ़सपरस्त 4. विलासवादी। [सं-पु.] शारीरिक सुखों को ही जीवन का लक्ष्य मानने वाला व्यक्ति या समुदाय; विलासी व्यक्ति।

भोगवान (सं.) [वि.] भोगयुक्त। [सं-पु.] 1. मनुष्य 2. नाट्य; अभिनय 3. गीत; गान।

भोगवाना [क्रि-अ.] भोगने में दूसरे को प्रवृत्त करना।

भोग-विलास (सं.) [सं-पु.] 1. सभी प्रकार का सुख भोगते हुए किया जाने वाला आमोद-प्रमोद 2. शारीरिक सुखों का भोग 3. मौज; ऐश।

भोगशील [वि.] भोगी।

भोगस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर; देह; काया 2. अंतःपुर; जनानख़ाना।

भोगावास (सं.) [सं-पु.] संभोग एवं आनंद प्राप्ति का स्थान; अंतःपुर; जनानख़ाना।

भोगी (सं.) [वि.] 1. भोग करने वाला; उपभोक्ता 2. कामुक; लंपट 3. इंद्रियों के सुख की इच्छा रखने वाला; विलासप्रिय 4. सुखी 5. विषयी; व्यसनी 6. जो विषयों में लीन हो; विषयासक्त। [सं-पु.] 1. घर-गृहस्थी में रहकर सुख-दुख सहने वाला व्यक्ति; गृहस्थ 2. भोगने वाला व्यक्ति 3. ज़मींदार 4. राजा।

भोग्य (सं.) [सं-पु.] 1. धन-संपत्ति 2. भोग्य वस्तु। [वि.] 1. काम में लाने योग्य 2. भोग करने योग्य।

भोज [सं-पु.] 1. प्रीतिभोज; दावत; बहुत से लोगों का साथ बैठकर खाना 2. पाकशाला 3. एक तरह की शराब 4. भोजकट नामक देश; भोजपुर 5. उज्जैन का एक प्रसिद्ध राजा 6. कृष्ण का सखा 7. चंद्रवंशी क्षत्रियों का एक कुल।

भोजक (सं.) [वि.] 1. भोग करने वाला; भोगी 2. खाने वाला; भक्षक 3. भोजन पर आमंत्रित अतिथि। [सं-पु.] 1. भोजन परसने वाला 2. विलासी; ऐयाश 3. भोग करने वाला व्यक्ति।

भोजन (सं.) [सं-पु.] 1. पेट भरने के लिए खाया जाने वाला पदार्थ; खाना; खाद्य पदार्थ; आहार 2. भक्षण करने या खाने की क्रिया।

भोजनभट्ट (सं.) [सं-पु.] अत्यधिक खाने वाला व्यक्ति; पेटू।

भोजनविधान (सं.) [सं-पु.] शुद्ध भोजन द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने की विद्या।

भोजनालय (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ भोजन बनाया व खिलाया जाता है; पाकशाला; आहार गृह; भोजन गृह।

भोजनावकाश (सं.) [सं-पु.] भोजन के लिए होने वाला अवकाश; (लंच टाइम)।

भोजपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. पहाड़ों पर पाया जाने वाला एक प्रकार का पेड़ 2. प्रचीन काल में लिखने के काम आने वाली एक विशेष प्रकार के वृक्ष की छाल।

भोजपुर [सं-पु.] राजा भोज का साम्राज्य व भोजपुरी भाषा का उद्गमस्थल।

भोजपुरी [सं-पु.] भोजपुर का निवासी। [सं-स्त्री.] भोजपुर की भाषा। [वि.] भोजपुर का; भोजपुर संबंधी।

भोजी (सं.) [परप्रत्य.] एक परप्रत्यय जो शब्दों के अंत में जुड़कर 'खाने वाला', 'भोगने वाला' का अर्थ देता है, जैसे- शाकभोजी।

भोज्य (सं.) [सं-पु.] खाद्य पदार्थ; वे पदार्थ जो खाए जाते हैं। [वि.] खाद्य; जो खाया जा सके; खाए जाने योग्य।

भोट (सं.) [सं-पु.] 1. भूटान देश 2. उक्त देश का निवासी 3. एक प्रकार का पत्थर।

भोटिया [सं-पु.] भूटान का निवासी। [सं-स्त्री.] भूटान की एक भाषा। [वि.] भूटान का; भूटान से संबंधित।

भोथरा [वि.] 1. जिसकी धार कुंद हो; जिसमें पैनापन न हो 2. कुंद; कुंठित।

भोथराना [क्रि-अ.] 1. भोथरा होना 2. कुंद पड़ना 3. मंद या निस्तेज होना।

भोथा [वि.] 1. जिसमें पैनापन न हो 2. मंद; निस्तेज।

भोर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्योदय के पूर्व की स्थिति; प्रातःकाल; तड़के 2. एक प्रकार का वृक्ष 3. एक प्रकार का पक्षी।

भोला [वि.] 1. मासूम; सीधा-सादा 2. मूर्ख; अज्ञानी; बुद्धू।

भोलानाथ [सं-पु.] शिव; महादेव।

भोलापन [सं-पु.] मासूमियत; सरलता; निश्छलता।

भोला-भाला [वि.] सरल-सज्जन; सरल हृदय का; निश्छल।

भौं [सं-स्त्री.] भौंह; भृकुटी; आँखों के ऊपर की हड्डी पर के रोएँ।

भौंकना [क्रि-अ.] 1. भौं-भौं की आवाज़ करना 2. कुत्तों की आवाज़।

भौंडा [वि.] बेडौल; कुरूप; भद्दा।

भौंरा (सं.) [सं-पु.] 1. भ्रमर; एक काला पतंगा जो फूलों के रस को चूसता है 2. बड़ी मधुमक्खी; सारंग; डंगर 3. फ़सल को हानि पहुँचाने वाला एक प्रकार का कीड़ा 4. नाभि 5. पशुओं को आने वाली मिरगी 6. तहख़ाना 7. भेड़ों आदि की रखवाली करने वाला कुत्ता।

भौंराना (सं.) [क्रि-स.] 1. घुमाना; चक्कर देना 2. परिक्रमा करना 3. विवाह में फेरे या भाँवर दिलाना 4. विवाह कराना। [क्रि-अ.] घूमना; चक्कर काटना।

भौंरी (सं.) [सं-स्त्री.] पशुओं के शरीर पर बालों का घेरा जिससे उनके गुण-दोषों का निर्णय किया जाता है।

भौंह (सं.) [सं-स्त्री.] भौं; भृकुटी; आँखों के ऊपर की हड्डी पर के रोएँ या बाल। [मु.] -चढ़ना : क्रोधित होना।

भौगर्भिक (सं.) [वि.] 1. धरती की सतह के अंदर का 2. भूगर्भ संबंधी 3. पृथ्वी के भीतरी भाग में होने वाला।

भौगोलिक (सं.) [वि.] भूगोल संबंधी; भूगोल का।

भौचक (सं.) [वि.] हैरान; चकित; हक्का-बक्का; सकपकाया हुआ।

भौचक्का (सं.) [वि.] हैरान; चकित; हक्का-बक्का।

भौजाई [सं-स्त्री.] बड़े भाई की पत्नी; भाभी; भौजी।

भौजी [सं-स्त्री.] बड़े भाई की पत्नी; भाभी; भौजाई।

भौतिक (सं.) [वि.] 1. शरीर संबंधी; पार्थिव 2. सांसारिक; लौकिक 3. पाँचों भूत से बना हुआ। [सं-पु.] 1. शिव 2. कष्ट और रोग; व्याधि 3. उपद्रव 4. शारीरिक इंद्रियाँ।

भौतिकता (सं.) [सं-स्त्री.] भौतिक वस्तुओं से सुख प्राप्त करने की विचारधारा।

भौतिकतावाद (सं.) [सं-पु.] देह या शरीर को ही आत्मा मानने का सिद्धांत; भौतिकवाद; देहात्मवाद; पदार्थवाद; अनात्मवाद।

भौतिकभूगोल (सं.) [सं-पु.] भूगोल की एक शाखा जिसमें पृथ्वी की प्राकृतिक बनावट का विवेचन होता है।

भौतिकवाद (सं.) [सं-पु.] यह मत जिसके अनुसार पंचभूतों से बना यह संसार ही वास्तविक और सत्य है, इसलिए सांसारिक सुख ही भोगने योग्य है; यथार्थवाद।

भौतिकवादी (सं.) [वि.] भौतिकवाद का; भौतिकवाद संबंधी। [सं-पु.] भौतिकवाद का अनुयायी।

भौतिक विज्ञान (सं.) [सं-पु.] प्राकृतिक नियमों के सिद्धांतों का विज्ञान; ऊर्जा विषयक विज्ञान जिसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबंधों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी भीतरी क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है; भौतिकी।

भौतिकविज्ञानी (सं.) [सं-पु.] भौतिकशास्त्री; भौतिकी का ज्ञाता।

भौतिकशास्त्र (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें ताप, प्रकाश, ध्वनि आदि पदार्थों का वैज्ञानिक विवेचन किया जाता है; (फ़िज़िक्स)।

भौतिकी (सं.) [सं-स्त्री.] वह विज्ञान जिसमें ताप, प्रकाश, ध्वनि आदि पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।

भौम (सं.) [सं-पु.] 1. मंगल ग्रह 2. एक प्रकार का योगासन 3. अंबर नामक गंध द्रव्य। [वि.] 1. भूमि का; भूमि संबंधी 2. भूमि पर होने वाला; भूमि पर रहने वाला 3. भूमि से उत्पन्न; भूमिज।

भौमिक (सं.) [सं-पु.] 1. भूमि का स्वामी या अधिकारी 2. ज़मींदार। [वि.] भूमि का; भूमि संबंधी।

भौमिक अधिकार (सं.) [सं-पु.] किसान या ज़मीन के मालिक को प्राप्त होने वाला जोतने-बोने का अधिकार; भूधृति; (लैंड टेन्योर)।

भौमिक अभिलेख (सं.) [सं-पु.] भूमि की नाप-जोख, स्वामित्व आदि से संबंधित अभिलेख; (लैंड रिकॉर्डस)।

भ्रंश (सं.) [सं-पु.] 1. नाश; बरबादी; ध्वंश 2. पतन; नीचे गिरना। [वि.] भ्रष्ट।

भ्रंशन (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे गिरने की क्रिया; पतन 2. भ्रष्ट होना।

भ्रंशित (सं.) [वि.] 1. नीचे गिरा हुआ; पतित 2. टूटा-फूटा 3. ध्वस्त 4. वंचित।

भ्रकुटि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रोध से भौंहों का सिकुड़ना; भ्रूभंग 2. भौं; भौंह।

भ्रम (सं.) [सं-पु.] 1. दुविधा 2. संदेह; संशय।

भ्रमजाल (सं.) [सं-पु.] 1. भ्रम का आवरण 2. सांसारिक मोह।

भ्रमण (सं.) [सं-पु.] 1. घूमना-फिरना 2. यात्रा; सफ़र 3. देशाटन।

भ्रमणकारी (सं.) [वि.] भ्रमण करने वाला; चलने वाला; यात्रा करने वाला।

भ्रमणशील (सं.) [वि.] 1. भ्रमणीय; घूमने वाला 2. घूमने में प्रवृत्त 3. अनियमित। [सं-पु.] ख़ानाबदोश।

भ्रमणीय (सं.) [वि.] 1. घूमने वाला 2. चलने-फिरने वाला 3. भ्रमण के योग्य।

भ्रमना (सं.) [क्रि-अ.] 1. घूमना; भ्रमण करना 2. चक्कर खाना या लगाना 3. भ्रम या संदेह में पड़ना 4. भूलना; गलती करना 5. धोखा खाना; भटकना।

भ्रममूलक (सं.) [वि.] भ्रम के कारण उत्पन्न, जिसके मूल में भ्रम हो।

भ्रमर (सं.) [सं-पु.] 1. भौंरा; मधुप 2. उद्धव का एक नाम 3. चंचल मन। [वि.] कामुक; लंपट।

भ्रमरक (सं.) [सं-पु.] 1. भ्रमर; भौंरा 2. केशराशि; ज़ुल्फ़ 3. गेंद।

भ्रमरज (सं.) [सं-पु.] मधुमक्खी द्वारा उत्पन्न पदार्थ, मोम व शहद।

भ्रमरावली (सं.) [सं-स्त्री.] भौंरों की पंक्ति; भौंरों का समूह।

भ्रमरिका (सं.) [सं-स्त्री.] चारों ओर घूमना; चक्कर लगाना।

भ्रमरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मादा भौंरा 2. मिरगी 3. पार्वती नामक देवी 4. एक प्रकार की लता; जतुका।

भ्रमवश (सं.) [क्रि.वि.] संदेहवश; संशय के कारण।

भ्रमात्मक (सं.) [वि.] 1. संदिग्ध; भ्रम से युक्त 2. मतिभ्रम 3. भूलचूक 4. जिसके संबंध में भ्रम उत्पन्न होता हो।

भ्रमाना (सं.) [क्रि-स.] 1. भ्रमण करवाना; घुमाना-फिराना 2. भ्रम में डालना; बहकाना; संदेह में डालना।

भ्रमित (सं.) [वि.] 1. भ्रम में फँसा हुआ; जिसे भ्रम हुआ हो; शंकित 2. जो चक्कर में डाला गया हो 3. घूमता हुआ; चक्कर खाता हुआ।

भ्रमी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चक्कर; फेरा 2. भ्रमण; घूमना-फिरना 3. कुम्हार का चाक 4. पानी का तेज़ भँवर 5. खराद 6. भ्रम; भूल 7. सेना का व्यूह। [वि.] 1. जो भ्रम में हो 2. भौचक।

भ्रमोत्पादक (सं.) [वि.] भ्रम उत्पन्न करने वाला; भ्रम में डालने वाला; संदेहास्पद।

भ्रष्ट (सं.) [वि.] 1. चरित्र से गिरा हुआ; चरित्रहीन; बुरे आचरण वाला; मार्ग से विचलित; पतित 2. ऊँचाई से नीचे गिरा हुआ 3. गिरने के उपरांत जो टूट-फूट गया हो; ध्वस्त।

भ्रष्टता (सं.) [सं-स्त्री.] भ्रष्ट होने की अवस्था; अनैतिकता; नीचता; चरित्रहीनता; दुराचारिता।

भ्रष्टाचार (सं.) [सं-पु.] दूषित और निंदनीय आचार-विचार; अनैतिक आचरण; भ्रष्ट आचरण।

भ्रष्टाचारी (सं.) [वि.] जो भ्रष्टाचार में लिप्त हो; घोटालेबाज़; धाँधली करने वाला; रिश्वतख़ोर; भ्रष्ट; दुराचारी; भ्रष्टाचार से संबद्ध। [सं-पु.] वह जो भ्रष्टाचार में लिप्त है।

भ्रांत (सं.) [वि.] 1. परेशान; व्याकुल 2. विमूढ़; घबड़ाया हुआ 3. घुमाया या चक्कर में लाया हुआ 4. धोखे में पड़ा हुआ; जिसे भ्रांति हुई हो। [सं-पु.] 1. घूमना-फिरना; भ्रमण 2. मस्त हाथी 3. तलवार चलाने का एक ढंग।

भ्रांति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संदेह; शक 2. चारों ओर चक्कर लगाने की क्रिया; फेरा; चक्कर; भ्रमण 3. भ्रम; धोखा 4. पागलपन; उन्माद 5. भूलचूक 6. मोह 7. प्रमाद 8. सिर में चक्कर आने का रोग; घुमेर।

भ्रांतिकारक (सं.) [वि.] 1. भ्रांति उत्पन्न करने वाला 2. भ्रम फैलाने वाला; अज्ञानकारक।

भ्रांतिपूर्ण (सं.) [वि.] जिससे भ्रांति होती हो; भ्रांतिकारक; भ्रांति उत्पन्न करने वाला; भ्रामक।

भ्रांतिहर (सं.) [वि.] भ्रांति दूर करने वाला; उचित रास्ता दिखाने वाला। [सं-पु.] 1. मंत्री 2. मित्र।

भ्राजक (सं.) [सं-पु.] वैद्यक के अनुसार त्वचा में रहने वाला पित्त। [वि.] दीप्त करने वाला; चमकाने वाला।

भ्राजन (सं.) [सं-पु.] दीपन; चमकाना; दीप्त करना।

भ्राता (सं.) [सं-पु.] भाई; सगा भाई; सहोदर; भ्रातृक।

भ्रातृ (सं.) [सं-पु.] भाई; सगा भाई; सहोदर; भ्राता।

भ्रातृक (सं.) [वि.] 1. भाई से प्राप्त; भाई द्वारा प्रदत्त 2. भाई का।

भ्रातृजाया (सं.) [सं-स्त्री.] भाई की पत्नी; भावज; भाभी; भौजाई।

भ्रातृत्व (सं.) [सं-पु.] बंधुत्व; भाईचारा; भाई होने का भाव, अवस्था या धर्म; भाईपन।

भ्रातृभाव (सं.) [सं-पु.] 1. भाई के समान संबंध; भाईचारा 2. भाईयों का आपसी प्रेम 3. दूसरों को भाई समझना 4. भाई-सा व्यवहार।

भ्रात्रीय (सं.) [वि.] भ्राता संबंधी; भाई का। [सं-पु.] भाई का पुत्र; भतीजा।

भ्रामक (सं.) [वि.] 1. भ्रम उत्पन्न करने वाला; धोखे में डालने वाला; संदेह उत्पन्न करने वाला 2. चालबाज़; मक्कार; धूर्त 3. घुमाने वाला; चक्कर खिलाने वाला। [सं-पु.] 1. सियार; गीदड़ 2. कांतिसार लोहा 3. चुंबक पत्थर।

भ्रामकता (सं.) [सं-स्त्री.] भ्रामक होने की अवस्था या भाव।

भ्रामरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मधुमक्खी 2. श्वास को भँवरे की आवाज़ की तरह नासिका द्वारा से छोड़ने का एक प्राणायाम 3. पार्वती 4. पुत्रदात्री नामक लता। [वि.] जिसे भ्रामर या अपस्मार रोग हुआ हो।

भ्रू (सं.) [सं-स्त्री.] भौंह; भौं; आँखों के ऊपर के बाल।

भ्रूण (सं.) [सं-पु.] 1. स्त्री का गर्भ 2. नन्हा प्राणी जो निषेचित अंडे से विकसित होने की अवस्था में हो; प्रथम चार माह के गर्भ की अवस्था; (एंब्रिओ)।

भ्रूण विज्ञान (सं.) [सं-पु.] भ्रूण के जन्म और विकास का अध्ययन करने वाला शास्त्र या विज्ञान; (एंब्रिओलॉजी)।

भ्रूणहत्या (सं.) [सं-स्त्री.] गर्भ में पलने वाले शिशु की हत्या; गर्भ में भ्रूण को मार डालना; गर्भपात द्वारा गर्भस्थ शिशु की हत्या।

भ्रूभंग (सं.) [सं-पु.] भौंह टेढ़ी करना; भौंह द्वारा क्रोध या रोष प्रकट करना।

भ्रूमध्य (सं.) [सं-पु.] दो भौंहों के मध्य का स्थान।

भ्रूविक्षेप (सं.) [सं-पु.] भौंह टेढ़ी करना; त्यौरी चढ़ाना; भ्रूभंग; भ्रूक्षेप।

भ्रूविलास (सं.) [सं-पु.] 1. भौंहों से की जाने वाली कोई विशेष भंगिमा 2. भौंहों का मोहक संचालन।


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