र
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह वर्त्स्य, सघोष, अल्पप्राण लुंठित है।
रँगना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रँग देना; रंग से युक्त करना 2. प्रभावित करना 3. अनुकूल बनाना 4. {ला-अ.} अनुरक्त करना; प्रेम में लिप्त करना या फँसाना। [क्रि-अ.] 1. रंग
से युक्त होना 2. {ला-अ.} आसक्त होना; प्रेम में लिप्त होना। [मु.] रँगे हाथ या रँगे हाथों पकड़े जाना : कोई अपराध करते हुए प्रमाण सहित पकड़े
जाना।
रँगा
[वि.] जो रंग से युक्त हो; रंगीन।
रँगाई
[सं-स्त्री.] 1. रँगने का काम या पेशा 2. रँगने की मज़दूरी।
रँगावट
[सं-स्त्री.] 1. रँगे हुए होने का भाव 2. रँगाई।
रँगीला
[वि.] 1. सुंदर; आकर्षक 2. प्रेमी; मौजी 3. हँसमुख, रसिक तथा मज़ाकिया।
रँड़ापा
[सं-पु.] विधवा होने की दशा या भाव; विधवापन; वैधव्य।
रँड़ुआ
[सं-पु.] वह पुरुष जिसकी स्त्री मर गई हो; विधुर।
रँदना
[क्रि-स.] 1. रंदा चलाना; रंदा फेरना 2. रंदे से छीलकर सतह को चिकना करना 3. छीलना; तराशना।
रँभाना
(सं.) [क्रि-अ.] गाय द्वारा ध्वनि या आवाज़ निकालना; गाय का बोलना या ओंकना।
रँहचटा
[सं-पु.] लालच; लोभ।
रंक
(सं.) [वि.] 1. गरीब; निर्धन 2. कृपण; कंजूस।
रंग
(सं.) [सं-पु.] 1. वर्ण, जैसे- नीला, पीला, लाल आदि 2. सोहागा; राँगा धातु 3. क्रीड़ागार; नाट्यस्थान। [मु.] -उड़ना : भय या लज्जा से चेहरे का
तेज कम हो जाना। -चढ़ना : असर होना; प्रभावित होना। -निखरना : चेहरा साफ़ होना, चमकदार होना। -लाना : प्रभाव
दिखाना। -चूना या टपकना : यौवन उमड़ना; भरी पूरी जवानी में होना। -जमना : प्रभाव होना; ख़ूब आनंद आना। -जमाना : प्रभाव डालना। -में भंग पड़ना : आनंद में बाधा या रुकावट होना। -रचाना : उत्सव मनाना।
रंगकर्मी
(सं.) [सं-पु.] 1. रंगमंच से जुड़ा व्यक्ति 2. नाटक करने वाला व्यक्ति।
रंगक्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. रंगस्थल; नाटक या अभिनय करने का स्थान 2. रंगभूमि 3. उत्सव या खेल-तमाशे का स्थान 4. नाट्यशाला 5. युद्धक्षेत्र।
रंग-ढंग
[सं-पु.] 1. स्थिति; दशा; हाल 2. व्यवहार; तौर-तरीका; लक्षण; चिह्न।
रंगत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. रंग से युक्त होने की अवस्था या भाव; रंग 2. मज़ा; आनंद 3. दशा; हालत 4. अर्थछटा।
रंगदार
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो ज़बरदस्ती धन वसूलता हो; रंगदारी वसूलने वाला व्यक्ति। [वि.] रँगा हुआ; रंजित।
रंगदारी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रंगदार का कार्य 2. गुंडों द्वारा लिया जाने वाला पैसा 3. भयभीत करने या डराने की क्रिया।
रंगना
(सं.) [क्रि-स.] दे. रँगना।
रंगबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. अपना प्रभाव दिखाने वाला 2. आनंद या मौज-मस्ती करने वाला 3. दूसरों पर आतंक जमाने वाला 4. रंगदारी वसूल करने वाला।
रंगबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रंगबाज़ होने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. ताश और चौसर का एक प्रकार का खेल 3. अपना रंग या प्रभाव जमाने की क्रिया।
रंग-बिरंगा
(सं.) [वि.] 1. अनेक रंगों का; तरह-तरह के रंग का; अनेक रंगों का जाल 2. चित्रित 3. {ला-अ.} अनेक प्रकार का।
रंगभवन
(सं.) [सं-पु.] विलास-विहार का स्थान; रंगमहल; आमोद-प्रमोद का स्थान।
रंगभूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रणक्षेत्र; युद्ध का मैदान 2. खेल, तमाशे या उत्सव का स्थान 3. नाट्यशाला।
रंगमंच
(सं.) [सं-पु.] 1. नाटक खेले जाने का स्थान; नाट्यशाला; (स्टेज) 2. {ला-अ.} कोई ऐसा स्थान जिसे आधार बनाकर कोई काम किया जाए।
रंगमंडप
(सं.) [सं-पु.] 1. नाट्यशाला 2. रंगभूमि।
रंगमल्ली
(सं.) [सं-स्त्री.] वीणा।
रंगमहल
(फ़ा+अ.) [सं-पु.] 1. भोग-विलास का स्थान; ऐशभवन 2. अंतःपुर।
रंग-रस
(सं.) [सं-पु.] आमोद-प्रमोद।
रंग-रसिया
[सं-पु.] 1. विलासी पुरुष 2. मौजी और भोग-विलास का प्रेमी व्यक्ति।
रंगरूट
(इं.) [सं-पु.] 1. पुलिस सेना आदि में भर्ती हुआ नया व्यक्ति; सिपाही; (रिक्रूट) 2. नौसिखिया।
रंग-रूप
(सं.) [सं-पु.] सूरत; शक्ल।
रंगरेज़
(फ़ा.) [सं-पु.] कपड़ा रँगने का काम या व्यवसाय करने वाला व्यक्ति।
रंगरेज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. कपड़ा रँगने का काम 2. कपड़ा रँगना।
रंगरेली
[सं-स्त्री.] 1. आनंद प्राप्ति के लिए की जाने वाली क्रिया 2. आमोद-प्रमोद।
रंगसाज़
(फ़ा.) [वि.] 1. जो चीज़ों पर रंग चढ़ाता हो; रंग चढ़ाने वाला 2. रंग बनाने वाला।
रंगस्थल
(सं.) [सं-पु.] 1. रंगशाला 2. आमोद-प्रमोद का स्थान।
रंगहीन
(सं.) [वि.] जिसका कोई रंग न हो; बेरंगा।
रंगारंग
(फ़ा.) [वि.] 1. रंगबिरंगा; तरह-तरह के रंगोंवाला; अनेक रंगों का 2. {ला-अ.} विविधतापूर्ण।
रंगी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कैवर्तिकी लता 2. शतमूली। [वि.] 1. रंगीन 2. मनमौजी।
रंगीन
(फ़ा.) [वि.] 1. रंग से भरा हुआ 2. {ला-अ.} रसिक; आमोदप्रिय; विलासी 3. {ला-अ.} मनोरंजक; मज़ेदार।
रंगीनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रंगीन होने की अवस्था या भाव; रँगीलापन 2. सुखद और सुंदर परिस्थिति 3. शृंगार; सजाव 4. सौंदर्यछटा।
रंगोली
(सं.) [सं-स्त्री.] साँझी का एक रूप जो महाराष्ट्र में प्रचलित है; रंग के चूर्ण से बनाए गए चित्र आदि; त्योहारों और उत्सवों पर रंगीन चूर्ण से बनाए गए चित्र
(अल्पना)।
रंच
(सं.) [वि.] थोड़ा; अल्प; किंचित।
रंचक
(सं.) [वि.] अल्प; थोड़ा; किंचित; तनिक।
रंज
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दुख; कष्ट 2. शोक 3. मनमुटाव।
रंजक
(सं.) [सं-पु.] 1. रंगसाज़ 2. रंगरेज़ 3. ईंगुर 4. मेंहदी 5. भिलावा; अनल; अनलमुख। [सं-स्त्री.] 1. बंदूक, तोप की बारूद रखने की प्याली 2. उत्तेजक बात। [वि.] 1.
रँगने वाला 2. सदा प्रसन्न रहने वाला 3. मनोरंजक; हर्षकारक।
रंजन
(सं.) [सं-पु.] 1. रँगने की क्रिया 2. वे पदार्थ जिनसे रंग बनते हैं 3. चित्त प्रसन्न करने की क्रिया; मन प्रसन्न करना 4. शरीर का पित्त 5. जायफल 6. लाल चंदन 7.
मूँज 8. सोना। [वि.] रंजक।
रंजना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रंजन करना 2. मन या चित्त प्रसन्न करना।
रंजनीय
(सं.) [वि.] 1. रँगे जाने योग्य 2. जिसका चित्त प्रसन्न किया जा सकता हो 3. हर्ष या आनंद देने वाला।
रंजित
(सं.) [वि.] 1. रँगा हुआ 2. आनंदित; प्रसन्न 3. अनुरक्त।
रंजिश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शत्रुता; वैर; वैमनस्य 2. नाराज़गी।
रंजीदगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नाराज़गी 2. वैमनस्य; अनबन।
रंजीदा
(फ़ा.) [वि.] 1. नाराज़ 2. दुखी; जिसे रंज हो।
रंडी
[सं-स्त्री.] 1. वेश्या; धन लेकर देह व्यापार करने वाली स्त्री 2. एक प्रकार की गाली।
रंडीबाज़
[सं-पु.] वेश्यागामी पुरुष; वेश्याओं के यहाँ आने जाने वाला व्यक्ति।
रंदा
(सं.) [सं-पु.] बढ़इयों का एक औज़ार जिससे लकड़ी की सतह समतल और चिकनी की जाती है।
रंधन
(सं.) [सं-पु.] 1. भोजन या रसोई बनाना 2. नष्ट या बरबाद करना।
रंधना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. भोजन पकना 2. राँधा जाना।
रंध्र
(सं.) [सं-पु.] छेद; सूराख़। [सं-स्त्री.] 1. भग; योनि 2. दोष; छिद्र।
रंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत ज़ोर की ध्वनि 2. एक प्रकार का तीर 3. बाँस।
रंभण
(सं.) [सं-पु.] 1. आलिंगन 2. रँभाना।
रंभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रसिद्ध अप्सरा 2. केला 3. पार्वती; गौरी 4. उत्तर दिशा 5. वेश्या।
रई
(सं.) [सं-स्त्री.] दही मथने की लकड़ी की मथानी। [वि.] 1. अनुरक्त 2. डूबी हुई 3. युक्त; सहित।
रईयत
(अ.) [सं-स्त्री.] दे. रय्यत।
रईस
(अ.) [सं-पु.] 1. जिसके पास रियासत हो; ताल्लुकेदार 2. धनी; अमीर; बड़ा आदमी।
रईसज़ादा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. संपन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति का पुत्र 2. धनिक पुत्र 3. {व्यं-अ.} बिगड़ा हुआ लड़का या युवक।
रईसी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. अमीर या धनी होने की अवस्था या भाव 2. धन-संपन्नता; अमीरी। [वि.] रईसों जैसा।
रकबा
(अ.) [सं-पु.] 1. भूमि आदि का क्षेत्रफल 2. लंबाई और चौड़ाई का गुणनफल 3. अहाता; घिरी हुई ज़मीन; घेरा।
रकबाहा
(अ.) [सं-पु.] घोड़ों की एक प्रजाति।
रकम
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. धन; संपत्ति; दौलत 2. मूल्यवान वस्तु; गहना; ज़ेवर 3. प्रकार 4. मालगुज़ारी या लगान की दर।
रकमवार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. ब्योरेवार 2. विवरण युक्त।
रकमी
(अ.) [वि.] 1. लिखित; लिखा हुआ 2. रकम संबंधी; रकम का 3. निशान किया हुआ।
रकाब
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़ों की काठी का पावदान जिससे बैठने में सहारा लिया जाता हैं 2. बड़ी रकाबी 3. बादशाहों की सवारी का घोड़ा 4. एक प्रकार का प्याला।
रकाबत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. रकीब होने का भाव या प्रतिद्वंद्वी होने का भाव 2. प्रणय की प्रतियोगिता।
रकाबी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गोल छोटी थाली; तश्तरी 2. घोड़े की बगल में लटकने वाली तलवार। [वि.] रकाब संबंधी।
रकिम
(अ.) [वि.] लिखने वाला; लिखेरिया; लेखक; मुहर्रिर।
रकीक
(अ.) [वि.] अधम; दुष्ट; धूर्त; तुच्छ।
रकीब
(अ.) [सं-पु.] प्रेमिका का दूसरा प्रेमी; प्रेम क्षेत्र का प्रतिद्वंद्वी।
रक्त
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ून; लहू 2. लाल कमल 3. केसर 4. सिंदूर 5. लाल रंग।
रक्तक
(सं.) [वि.] 1. रक्त वर्ण का 2. विनोदप्रिय 3. अनुरक्त; अनुरागी। [सं-पु.] 1. रुधिर 2. लाल कपड़ा या वस्त्र 3. लाल रंग का घोड़ा 4. केसर 5. दुपहरिया का फूल 6.
कुंकुम 7. लाल सहिजन।
रक्तकंद
(सं.) [सं-पु.] 1. प्याज़ 2. रतालू 3. मूँगा; प्रवाल; विद्रुम।
रक्तकंदल
(सं.) [सं-पु.] रक्तकंद।
रक्तकदंब
(सं.) [सं-पु.] कदंब का वह वृक्ष जिसके फूल गहरे लाल रंग के होते हैं।
रक्तकदली
(सं.) [सं-स्त्री.] लाल रंग का केला।
रक्तकमल
(सं.) [सं-पु.] लाल रंग का कमल।
रक्तकरबीर
(सं.) [सं-पु.] लाल रंग का कनेर।
रक्तकांचन
(सं.) [सं-पु.] लाल कचनार का वृक्ष या पेड़; कचनाल।
रक्तकाश
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का काश रोग जिसमें फेफड़े से मुँह के रास्ते ख़ून निकलता है।
रक्तकुष्ठ
(सं.) [सं-पु.] विसर्प नामक रोग, जिसमें सारा शरीर लाल हो जाता है और कुष्ठ की तरह अंग गलने लगते हैं।
रक्तकुसुम
(सं.) [सं-पु.] कचनार; मदार; धामिन का वृक्ष; फरहद या पारिभद्र का पेड़।
रक्त कैंसर
(सं.+इं.) [सं-पु.] एक प्रकार का कैंसर इसमें रक्त कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, विशेषकर श्वेत रक्त कोशिकाएँ; श्वेतरक्तता; (ल्यूकेमिया)।
रक्तक्षय
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ून या रुधिर का बहना; रक्तस्राव 2. रक्त का क्षय होना।
रक्तक्षीणता
(सं.) [सं-स्त्री.] शरीर में ख़ून की बहुत कमी हो जाना; रक्ताल्पता; (एनीमिया)।
रक्तगंधा
(सं.) [सं-स्त्री.] अश्वगंधा; असगंध।
रक्तगर्भा
(सं.) [सं-स्त्री.] मेंहदी; मेंहदी की झाड़ी।
रक्तग्रंथि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार रोग जिसमें शरीर में ख़ून की गाँठें बन जाती हैं 2. लाल लाजवंती।
रक्तचाप
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्त दाब संबंधी रोग; हृदय द्वारा प्रक्षेपित रक्त का धमनी आदि की दीवार पर पड़ने वाला दबाव जो उचित मात्रा से कम या अधिक होने पर रोग सूचक
होता है (ब्लड प्रेशर) 2. ख़ून का दबाव या ज़ोर।
रक्तदाता
(सं.) [सं-पु.] रक्तदान करने वाला व्यक्ति।
रक्तदान बैंक
(सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ स्वस्थ व्यक्ति का ख़ून निकाल कर रखा जाता है; (ब्लड बैंक)।
रक्तदूषण
(सं.) [वि.] ख़ूनख़राब करने वाला; जिससे रक्तदूषित हो।
रक्त परीक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] ख़ून में पाए जाने वाले तत्व या विकार को जानने के लिए की जाने वाली जाँच; ख़ून की जाँच।
रक्तपात
(सं.) [सं-पु.] मारकाट; ख़ूनख़राबा; रक्तबहाना; मारने-काटने की क्रिया।
रक्तपित्त
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का रोग जिसमें ख़ून मुँह, नाक, योनि, गुदा से गिरता है।
रक्तपिपासा
(सं.) [सं-स्त्री.] रक्तपात की इच्छा; हत्या करने की तत्परता या तीव्र इच्छा।
रक्तपिपासु
(सं.) [वि.] हत्या करने के लिए उतावला।
रक्तपुष्प
(सं.) [सं-पु.] कनेर, अनार, करवीर, बंधूक, अड़हुल, पुन्नाग आदि लाल रंग के फूल।
रक्तफूल
(सं.) [सं-पु.] 1. पलाश का फूल 2. अड़हुल का फूल।
रक्तबिंदु
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ून की बूँद 2. लाल धब्बा।
रक्तबीज
(सं.) [सं-पु.] 1. लाल बीज वाले अनार का दाना; बेदाना 2. रीठा 3. (पुराण) एक राक्षस जिसके रक्त की एक-एक बूँद से राक्षस उत्पन्न होते थे।
रक्तरंजित
(सं.) [वि.] 1. ख़ून से लथ-पथ 2. रक्त से रँगा हुआ।
रक्तवाही
(सं.) [वि.] जिनमें से होकर रक्त बहता हो (धमनी, शिरा)।
रक्तशर्करा
(सं.) [सं-स्त्री.] रुधिर शर्करा; शर्करा का वह तत्व जो शरीर के रक्त में रहता है; (ब्लड शुगर)।
रक्तशोधन
(सं.) [सं-पु.] ख़ून की सफ़ाई; रक्त शुद्ध करने की क्रिया।
रक्तसंबंध
(सं.) [सं-पु.] ख़ून का संबंध; एक ही वंश से होने का संबंध; कुलगत संबंध।
रक्तसंबंधी
(सं.) [वि.] 1. जिससे रक्त का संबंध हो 2. एक ही कुल का। [सं-पु.] परिवारीजन।
रक्तसार
(सं.) [सं-पु.] 1. लाल चंदन 2. वाराही कंद 3. पतंग 4. खैर 5. अमलबेत 6. रक्त बीजासन।
रक्तस्नान
(सं.) [सं-पु.] ऐसी घटना जिसमें बहुत लोगों का वध हो; नरसंहार।
रक्तस्राव
(सं.) [सं-पु.] 1. ख़ून निकलना, बहना या गिरना 2. घोड़ों का एक रोग जिसमें उनकी आँखों से लाल पानी बहता है।
रक्तहीन
(सं.) [वि.] 1. रक्तरहित; बिना रक्त या ख़ून के 2. जिसमें रक्त न हो।
रक्ताक्त
(सं.) [सं-पु.] लाल चंदन। [वि.] 1. जिसमें ख़ून लगा हो 2. लाल रंग से रँगा हुआ।
रक्तातिसार
(सं.) [सं-पु.] वह रोग जिसमें ख़ून के दस्त आते हैं।
रक्ताभ
(सं.) [वि.] रक्त जैसा लाल; लाल रंग की आभा से युक्त।
रक्तारुण
(सं.) [वि.] 1. रक्त की तरह लाल 2. ख़ूनी।
रक्तिम
(सं.) [वि.] ललाई लिए हुए; लालिमायुक्त।
रक्तिमा
(सं.) [सं-स्त्री.] लाली; ललाई; सुरख़ी।
रक्तोत्पल
(सं.) [सं-पु.] 1. सेमल 2. लाल कमल।
रक्षक
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षा करने वाला व्यक्ति 2. पहरेदार 3. पालन पोषण करने वाला व्यक्ति।
रक्षण
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षा करना; रखवाली करना 2. सुरक्षित करना 3. पालन-पोषण करना।
रक्षणीय
(सं.) [वि.] 1. रक्षा करने योग्य 2. जिसे सुरक्षित रखना हो 3. रखने योग्य।
रक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुरक्षा; हिफ़ाज़त 2. पहरेदारी।
रक्षाकवच
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्षा के उपाय या साधन 2. ज़िरह-बख़्तर 3. अभिमंत्रित ताबीज़।
रक्षात्मक
(सं.) [वि.] 1. रक्षा से संबंधित 2. जिससे रक्षा होती हो।
रक्षापाल
(सं.) [सं-पु.] पहरेदार; प्रहरी।
रक्षाबंधन
(सं.) [सं-पु.] एक त्योहार जो श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है; राखी का त्योहार जब बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बाँधती है।
रक्षासूत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. कच्चे सूत का बना धागा जो हाथ की कलाई में रक्षा कारक मानकर बाँधा जाता है; राखी 2. जंतर।
रक्षिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्त्री जो रक्षा कार्य के लिए नियुक्त की गई हो 2. रक्षा या हिफ़ाज़त करने वाली स्त्री।
रक्षित
(सं.) [वि.] 1. जिसकी रक्षा की गई हो 2. पाला हुआ 3. सँभाल कर रखा हुआ।
रक्षी
(सं.) [सं-पु.] पहरेदार; रक्षक; प्रहरी।
रखना
[क्रि-स.] 1. किसी आधार आदि पर कोई वस्तु धरना; टिकाना 2. रक्षा करना; बचाना 3. बात रखना; निर्वाह करना; पालन करना 4. नियुक्त करना; तैनात करना 5. नष्ट न होने
देना, हिफ़ाज़त करना।
रखरखाव
[सं-पु.] 1. पालन-पोषण 2. रक्षा; हिफ़ाज़त; सुरक्षा; देखरेख।
रखवाना
[क्रि-स.] 1. रखने का कार्य दूसरे से कराना 2. किसी को कुछ रखने के लिए विवश या प्रवृत्त करना।
रखवाला
[सं-पु.] 1. रक्षा करने वाला; रक्षक; सुरक्षाकर्मी; प्रतिरक्षक; चौकीदार; वह जो पहरा देता हो 3. जो दूसरे की रक्षा करता हो।
रखा
[सं-पु.] 1. चारागाह 2. जानवर या पशुओं के लिए सुरक्षित भूमि; चरी।
रखाई
[सं-स्त्री.] 1.रक्षा करने की क्रिया 2. रखवाली 3. रक्षा करने के बदले में मिलने वाला धन या पारिश्रमिक।
रखाना
[क्रि-स.] 1. रखने की क्रिया दूसरे से करवाना; रखवाना 2. दूसरे को कुछ रखने में प्रवृत्त करना 3. हिफ़ाज़त करना; रखवाली करना।
रखैल
[सं-स्त्री.] रक्षिता; उपपत्नी की तरह रखी गई स्त्री।
रग
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नस; नाड़ी 2. आँख का डोरा 3. तार; तागा 4. हठ; ज़िद 5. बुरी आदत। [मु.] -दबना : किसी के अधीन होना। रग-रग फड़कना : बहुत अधिक उत्साह या चंचलता होना।
रगड़
[सं-स्त्री.] 1. घर्षण; रगड़ने की क्रिया 2. कठिन परिश्रम 3. झगड़ा; हठ 4. द्वेष 5. हलकी चोट लगने से त्वचा का छिल जाना।
रगड़ना
(सं.) [क्रि-स.] 1. पीसना 2. घिसना; घर्षण 3. कोई कार्य परिश्रम पूर्वक करना 4. {ला-अ.} तंग करना; परेशान करना।
रगड़ा
[सं-पु.] 1. घर्षण; रगड़ 2. रगड़ने की क्रिया या भाव 3. परेशानी 4. निरंतर किया जाने वाला कठिन परिश्रम; अति परिश्रम 5. निरंतर जारी रहने वाला झगड़ा 6. किसी चीज़ की
रगड़ लगने पर होने वाला आघात।
रगड़ा-झगड़ा
[सं-पु.] लड़ाई-झगड़ा; बहुत समय तक चलता रहने वाला झगड़ा या लड़ाई।
रगण
(सं.) [सं-पु.] (छंदशास्त्र) आठ गणों में एक गण, जिसका स्वरूप इस प्रकार होता है- गुरु, लघु और गुरु।
रगपट्ठा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी विषय की मुख्य बातें 2. शरीर की रगें और मांस-पेशियाँ।
रगबत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रवृत्ति; रुचि 2. ख़्वाहिश; आरज़ू; इच्छा; चाह; कामना 3. अनुराग।
रग-रेशा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. शरीर के भीतरी अंग 2. पत्तियों की नसें।
रगीला
[वि.] 1. हठी; ज़िद्दी 2. दुष्ट; पाजी; बदजात।
रगेदना
[क्रि-स.] बल प्रयोग करते हुए किसी को भगाना; खदेड़ना; दौड़ाना।
रघु
(सं.) [सं-पु.] राजा दिलीप और रानी सुदक्षिणा के पुत्र और अज के पिता; रघुवंश के मूल पुरुष।
रघुकुल
(सं.) [सं-पु.] राजा रघु का वंश जिसमें दशरथ, राम, लव, कुश आदि हुए थे।
रघुनंदन
(सं.) [सं-पु.] श्री रामचंद्र।
रघुनाथ
(सं.) [सं-पु.] रामचंद्र; मर्यादा पुरुषोत्तम राम।
रघुवंश
(सं.) [सं-पु.] रघु का वंश या ख़ानदान।
रघुवंशी
(सं.) [सं-पु.] 1. जो रघु के वंश में उत्पन्न हुआ हो 2. क्षत्रियों की एक उपजाति या शाखा।
रघुवर
(सं.) [सं-पु.] श्री रामचंद्र।
रघौती
[सं-स्त्री.] दर या भाव का परिपत्र; (रेट सर्क्युलर)।
रचक
(सं.) [सं-पु.] रचयिता; रचना करने वाला।
रचना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. साहित्यिक कृति 2. किसी वस्तु का निर्माण; निर्मित करना 3. बनावट 4. सँवारना; सजाना। [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु का निर्माण करना; बनाना;
सिरजना 2. किसी प्रकार की साहित्यिक कृति या ग्रंथ का निर्माण करना।
रचनाकर्म
(सं.) [सं-पु.] रचने का कार्य; प्रस्तुत की गई रचना या कृति।
रचनाकर्मी
(सं.) [सं-पु.] रचनाकार; कृतिकार।
रचनाकार
(सं.) [सं-पु.] 1. रचना करने वाला; कवि; लेखक 2. कृतिकार; ग्रंथकार।
रचनाकाल
(सं.) [सं-पु.] रचना प्रस्तुत होने का समय; रचना प्रस्तुत करने का समय।
रचनात्मक
(सं.) [वि.] 1. रचना से संबंधित; सर्जनात्मक 2. किसी देश या समाज की उन्नति में सहायक होने वाला।
रचनात्मकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सर्जनात्मकता; सृजनशीलता 2. नव निर्माण करने की शक्ति 3. सर्जनशीलता।
रचनाधर्मी
(सं.) [वि.] रचना के कार्य में लगा हुआ; रचनाकार; कृतिकार।
रचनाप्रक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी रचना के निर्माण से संबंधित स्थितियों का क्रमिक विश्लेषण।
रचनावली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लेखक, कवि, चित्रकार आदि की कृतियों के संग्रह की सिरीज़ या शृंखला 2. किसी विषय की रचनाओं का संग्रह।
रचनासंसार
(सं.) [सं-पु.] किसी कलाकार या लेखक की समग्र रूप में सभी कृतियाँ।
रचयिता
(सं.) [सं-पु.] ग्रंथकार। [वि.] 1. रचने वाला; रचनाकार 2. निर्माता।
रचवाना
[क्रि-स.] 1. किसी दूसरे से रचना कराना 2. रचना के लिए दूसरे को प्रवृत्त करना 3. मेंहदी या महावर लगवाना।
रचाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. अनुष्ठान करना 2. आयोजन, समारोह करना 3. मेंहदी आदि से रँगाना।
रचित
(सं.) [वि.] 1. निर्मित, रचा या बनाया हुआ 2. कृति के रूप में प्रस्तुत।
रज
(सं.) [सं-पु.] 1. धूल; रेणु 2. फूलों का पराग 3. स्त्रियों की योनि से प्रत्येक मास तीन-चार दिन तक निकलने वाला रक्त; आर्तव; ऋतु; कुसुम 4. जोता हुआ खेत 5.
चमड़े से मढ़ा हुआ बाजा 6. स्कंद की सेना 7. {ला-अ.} मन में रहने वाला अज्ञान और उससे उत्पन्न होने वाले भाव।
रजअत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. लौटना; वापस आना 2. प्रत्यागमन 3. मुसलमानों में जिस स्त्री को तलाक दिया गया हो उसे फिर से अपनाना।
रजक
(सं.) [सं-पु.] कपड़ा धोने का पेशा करने वाला; धोबी।
रजकण
(सं.) [सं-पु.] 1. रज 2. मिट्टी या बालू के छोटे-छोटे कण; धूल; गर्द।
रजत
(सं.) [सं-पु.] 1. चाँदी; रूपा 2. हाथी दाँत 3. मुक्ताहार 4. धवल रंग। [वि.] 1. चाँदी का बना हुआ 2. चाँदी के रंग का; उज्ज्वल; शुभ्र।
रजतंत
(सं.) [सं-पु.] वीरता; शूरता; बहादुरी; पौरुष।
रजतकूट
(सं.) [सं-पु.] मलय पर्वत; मलय पर्वत की चोटी।
रजतजयंती
[सं-स्त्री.] किसी शुभ प्रसंग, संस्था या व्यक्ति के कार्यकाल की पच्चीसवीं वर्षगाँठ पर मनाई जाने वाली जयंती; (सिलवर जुबिली)।
रजतपट
(सं.) [सं-पु.] वह परदा जिसपर सिनेमा घर में चलचित्र दिखाए जाते हैं; (सिलवर स्क्रीन)।
रजतपात्र
(सं.) [सं-पु.] चाँदी से निर्मित बरतन; चाँदी का बरतन।
रजतमय
(सं.) [वि.] चाँदी का बना हुआ; जिसमें चाँदी घुली-मिली हो।
रजताकर
(सं.) [सं-पु.] चाँदी की खान।
रजताचल
(सं.) [सं-पु.] 1. चाँदी का पहाड़ 2. कैलाश पर्वत 3. चाँदी के टुकड़ों या आभूषणों का ढेर, जो दान के लिए बनाया जाता है।
रजनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रात; निशा; रात्रि 2. एक नदी 3. लाख 4. हल्दी 5. नीली नामक पौधा।
रजनीकर
(सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा; शशि; निशाकर; चाँद 2. कपूर।
रजनीगंधा
(सं.) [सं-स्त्री.] लिली जाति का एक पौधा जिसमें रात्रि में सुगंधित फूल खिलते हैं; नरगिस।
रजनीचर
(सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. राक्षस; निशाचर। [वि.] जो रात में घूमता-फिरता हो।
रजनीपति
(सं.) [सं-पु.] चंद्रमा; निशापति।
रजनीमुख
(सं.) [सं-पु.] संध्या; शाम; सायंकाल।
रजनीश
(सं.) [सं-पु.] चंद्रमा।
रज़ब
(अ.) [सं-पु.] अरबी साल का सातवाँ महीना।
रजवट
[सं-स्त्री.] 1. वीरता; बहादुरी 2. क्षत्रियत्व।
रजवाड़ा
[सं-पु.] 1. देशी रियासत; राजाओं के रहने का स्थान 2. रियासत का मालिक; राजा।
रजवार
[सं-पु.] 1. हिंदुओं की एक छोटी जाति 2. राजा का दरबार।
रजस्वला
(सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका रज प्रवाहित हो रहा हो; जो स्त्री मासिक धर्म की अवस्था में हो। [वि.] रजवती; ऋतुमती।
रज़ा
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. इच्छा; मरज़ी 2. आज्ञा; अनुमति 3. रुख़सत; विदा 4. स्वीकृति; मंज़ूरी।
रजाई
(सं.) [सं-स्त्री.] छोटा लिहाफ़; शीत ऋतु में ओढ़ा जाने वाला वस्त्र; रुईदार ओढ़ना।
रज़ाकार
(अ.) [सं-पु.] स्वयंसेवक (वालंटियर)। [वि.] ख़ुश; प्रसन्न।
रज़ापट्टी
(अ.) [सं-स्त्री.] सालभर की छुट्टियों की सूची।
रज़ामंद
(अ.) [वि.] 1. सहमत; राज़ी 2. जो प्रसन्न या राज़ी हो गया हो।
रज़ामंदी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. रज़ामंद होने की अवस्था या भाव; राज़ी-ख़ुशी; सहमति 2. स्वीकृति; मंज़ूरी।
रज़ायस
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] अनुमति; आज्ञा; राजा की आज्ञा; हुकुम।
रजिया
[सं-स्त्री.] 1. पुराने समय में अनाज़ नापने की डेढ़ सेर की एक माप जो काठ की बनी होती थी।
रजिस्टर
(इं.) [सं-पु.] 1. पंजिका; पंजी 2. बड़ी और दफ़्तीदार कॉपी 3. भाषा विज्ञान का एक पारिभाषिक शब्द।
रजिस्ट्रार
(इं) [सं-पु.] 1. कुलसचिव; वह अधिकारी जो विधिक लेखों को पंजियों में निबंधित करता है 2. विश्वविद्यालय का वह अधिकारी जिसकी देखरेख में कार्यालय संबंधी कार्य
संपादित किए जाते हैं।
रजिस्ट्री
(इं.) [सं-स्त्री.] पंजीकरण; पंजीयन निबंधन 2. लेखागार; लेखशाला 3. किसी लिखित प्रतिज्ञा पत्र को कानून के अनुसार सरकारी रजिस्टरों में दर्ज कराने का काम।
रजिस्ट्रेशन
(इं.) [सं-पु.] 1. पंजीयन 2. रजिस्टर में दर्ज करना, कराना या होना।
रज़ील
(अ.) [सं-पु.] कमीना; नीच; पाजी।
रजोगुण
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रकृति के तीन गुणों( सत, रज, तम) में से एक जिसके कारण जीवधारियों में भोग-विलास तथा बल-वैभव के प्रदर्शन की रुचि पैदा होती है 2. राजसी
ठाठ-बाठ।
रजोदर्शन
(सं.) [सं-पु.] मासिकधर्म की शुरुआत; रजस्राव का प्रारंभ।
रजोधर्म
(सं.) [सं-पु.] 1. स्त्रियों का मासिक धर्म 2. रजस्वला होना।
रजोनिवृत्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मासिक धर्म का बंद होना 2. स्त्रियों की वह अवस्था जिसमें उनका मासिक रज निकलना सदा के लिए बंद हो जाता है; (मेनोपॉज़)।
रज़्ज़ाक
(अ.) [सं-पु.] ईश्वर; ख़ुदा; अल्लाह। [वि.] 1. रोज़ी देने वाला 2. खाना खिलाने वाला; पेट भरने वाला।
रज्जु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रस्सी; डोरी 2. स्त्रियों की चोटी बाँधने की डोरी 3. घोड़े की लगाम।
रज्जुपथ
(सं.) [सं-पु.] ऊँची-नीची पहाड़ी जगहों, बड़े-बड़े कल कारखानों आदि में एक स्थान से दूसरे स्थान तक सामान पहुँचाने के लिए बड़े-बड़े खंभों में रस्से बांधकर बनाया गया
मार्ग; रस्से का मार्ग; (रोप वे)।
रज़्म
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. युद्ध; संग्राम 2. लड़ाई का मैदान; युद्ध क्षेत्र।
रट
[सं-स्त्री.] 1. रटने की अवस्था, भाव या क्रिया 2. किसी बात या ज्ञान को मुखाग्र करना।
रटंत
(सं.) [सं-स्त्री.] रटने की क्रिया या भाव। [वि.] जो रटा हुआ हो।
रटना
[सं-स्त्री.] रटने की क्रिया; धुन। [क्रि-स.] कंठस्थ करने के लिए किसी वाक्य या पद आदि का बार-बार ज़ोर-ज़ोर से उच्चारण करना।
रटवाना
(सं.) [क्रि-स.] किसी को रटने में प्रवृत्त करना।
रटा रटाया
[वि.] 1. जो रटा जा चुका है 2. कंठस्थ।
रटित
(सं.) [वि.] 1. बार-बार कही या पढ़ी हुई बात 2. रटा हुआ।
रट्टू
[वि.] रटकर याद करने वाला।
रड़क
[सं-स्त्री.] 1. हलका दर्द; पीड़ा; कसक 2. किसी चीज़ के चुभने तथा पीड़ा देने का भाव।
रण
(सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध 2. लड़ाई; जंग 2. गति 3. शब्द।
रण-कर्म
(सं.) [सं-पु.] युद्ध; लड़ाई; संग्राम।
रणकोष
(सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध या लड़ाई के लिए विशेष रूप से इकट्ठा किया गया धन 2. युद्ध कोष।
रणक्षेत्र
(सं.) [सं-पु.] युद्ध की भूमि; लड़ाई का मैदान; युद्ध का स्थान।
रणचंडी
(सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) युद्ध क्षेत्र में मार-काट करने वाली देवी।
रणछोड़
(सं.) [सं-पु.] 1. कृष्ण का एक नाम 2. युद्ध छोड़कर भागने वाला व्यक्ति; मैदान छोड़ना।
रणजय
(सं.) [सं-पु.] युद्ध में विजय या जीत।
रणधीर
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुत बड़ा योद्धा 2. युद्ध में धैर्यपूर्वक लड़ने वाला।
रणन
(सं.) [सं-पु.] 1. ध्वनि करना 2. बजना।
रणनाद
(सं.) [सं-पु.] युद्ध में होने वाली ललकार तथा योद्धाओं की गरज।
रणनीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. युद्ध संबंधी नीति नियम 2. किसी कार्य को करने के लिए बनाई जाने वाली योजना 3. युद्ध कौशल; व्यूह रचना 4. योजना 5. कूटनीति 6. उपाय;
युक्ति।
रणनीतिक
(सं.) [वि.] रणनीति के संबंध में विचार या बनाई गई योजना।
रणनीतिकार
(सं.) [वि.] 1. रणनीति बनाने वाला; युद्धकलाविद 2. युद्धविद्या में निपुण 3. युद्ध-नीतिज्ञ।
रणबंका
(सं.) [सं-पु.] रणभूमि में वीरता के साथ लड़ने वाला योद्धा।
रणबाँकुरा
(सं.) [सं-पु.] लडा़का; वीर सैनिक; योद्धा।
रणभूमि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. युद्ध या लड़ाई का मैदान 2. रण स्थल।
रणरंग
(सं.) [सं-पु.] 1. युद्ध का मज़ा या लड़ाई का उत्साह 2. युद्ध; लड़ाई 3. युद्ध क्षेत्र; लड़ाई का मैदान।
रणरुद्र
(सं.) [वि.] युद्ध में विराट रूप धारण करने वाला।
रणवीर
(सं.) [सं-पु.] बहुत बड़ा योद्धा।
रणवृत्ति
(सं.) [सं-पु.] 1. सैनिक 2. योद्धा 3. वह व्यक्ति जिसकी वृत्ति (स्वभाव) युद्ध लड़ते रहने की हो।
रणस्तंभ
(सं.) [सं-पु.] 1. विजय स्मारक 2. किसी युद्ध में विजयी होने के बाद बनाया जाने वाला स्तंभ; जयस्तंभ।
रणस्थल
(सं.) [सं-पु.] लड़ाई का मैदान; रणक्षेत्र; युद्धस्थल।
रणस्वामी
(सं.) [सं-पु.] 1. सेनापति या युद्ध का प्रधान संचालक 2. शिव; महादेव।
रणांगण
(सं.) [सं-पु.] 1. रण स्थल 2. युद्ध क्षेत्र 3. लड़ाई का मैदान।
रणित
(सं.) [वि.] 1. ध्वनि करता हुआ 2. बजता हुआ।
रत
(सं.) [वि.] 1. आसक्त; अनुरक्त 2. किसी कार्य में लगा हुआ।
रतजगा
(सं.) [सं-पु.] 1. उत्सव या पर्व आदि के उपलक्ष्य में किया जाने वाला जागरण 2. रात्रि-जागरण 3. भाद्रपद कृष्ण द्वितीया को होने वाला रात्रि जागरण का एक पर्व
जिसमें स्त्रियाँ कजली गाती हैं।
रतन
[सं-पु.] 1. रत्न 2. कीमती पत्थर 3. {ला-अ.} कुल या देश को प्रकाशित करने वाला।
रतनारा
(सं.) [वि.] लाल रंग का; सुर्ख।
रतनारी
[सं-पु.] एक प्रकार का धान। [सं-स्त्री.] लाली; सुर्ख़ी; ललाई।
रतमुँहाँ
[सं-पु.] बंदर। [वि.] लाल मुँहवाला।
रतालू
(सं.) [सं-पु.] 1. बराही कंद; गेंठी 2. पिंडालू नामक कंद जिसकी सब्ज़ी बनती है।
रति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कामदेव की पत्नी 2. मैथुन; संभोग 3. प्रेम; आसक्ति; प्रीति; अनुराग 4. रहस्य; गुप्त भेद 5. शोभा; सौंदर्य; सौभाग्य 6. शृंगार रस का स्थायी
भाव 7. किसी काम में रत होने की अवस्था या भाव।
रतिकर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक समाधि 2. कामी; लंपट और कामुक व्यक्ति। [वि.] 1. रति करने वाला 2. अनुराग या प्रेम बढ़ाने वाला; प्रेमवर्धक 3. आनंदवर्धक।
रतिक्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] संभोग; मैथुन।
रतिजन्य
(सं.) [वि.] रति या संभोग से उत्पन्न।
रतिजन्य रोग
(सं.) [सं-पु.] रति क्रिया या स्त्री संभोग से उत्पन्न रोग।
रतिज्ञ
(सं.) [सं-पु.] 1. जो रति क्रिया में प्रवीण हो 2. वह जो स्त्रियों को अपने प्रेम में फँसाने की कला में निपुण हो।
रतिपति
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. मदन; मन्मथ।
रतिप्रिय
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. संभोग से आनंदित होने वाला व्यक्ति। [वि.] मैथुन का शौकीन; कामुक।
रतिप्रिया
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. दाक्षायणी देवी 2. मैथुन से आनंदित होने वाली स्त्री 3. शक्ति की एक मूर्ति का नाम।
रतिफल
(सं.) [सं-पु.] 1. कामानंद; रति से प्राप्त आनंद 2. कल्प वृक्ष से प्राप्त मधु।
रतिराज
(सं.) [सं-पु.] कामदेव।
रतौंधी
[सं-स्त्री.] आँख का रोग जिसमें रात के समय दिखाई नहीं पड़ता।
रत्तल
[सं-स्त्री.] पुराने समय में आधा सेर के लगभग की तौल।
रत्ती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. माप की इकाई 2. आठ चावल ढाई जौ की तौल। [मु.] -भर : बहुत थोड़ा; ज़रा सा।
रत्थी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाँस या काठ का वह ढाँचा, तख़्ता या संदूक जिसमें या जिसपर शव रखकर श्मशान तक ले जाते हैं 2. अर्थी; शवयान; लाशगाड़ी।
रत्न
(सं.) [सं-पु.] 1. बहुमूल्य पत्थर 2. मणि; जवाहर; नगीना; नग; रतन।
रत्नकंदल
(सं.) [सं-पु.] मूँगा; प्रवाल; एक प्रकार के समुद्री कीड़ों की लाल ठठरी जिसकी गिनती रत्नों में होती है; मूँगा; प्रवाल।
रत्नगर्भ
(सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसके गर्भ में रत्न हो; पृथ्वी 2. समुद्र।
रत्नगर्भा
(सं.) [सं-स्त्री.] धरा; वसुधा; पृथ्वी।
रत्नदामा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (रामायण) राजा जनक की पत्नी; सीता की माता; सुनैना 2. रत्नों की माला।
रत्ननिधि
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. सुमेरु पर्वत 3. विष्णु 4. खंजन पक्षी; ममीला।
रत्नमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] रत्नों की माला।
रत्नशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रत्नों के रखने का स्थान 2. रत्न जड़ित महल।
रत्नसू
(सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी; भूमि।
रत्नाकर
(सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र 2. एक खान जिसमें से रत्न निकलते हैं 3. गौतम बुद्ध का नाम 4. वाल्मीकि ऋषि का नाम 5. रत्न समूह।
रत्नाचल
(सं.) [सं-पु.] 1. रत्नों का ढेर 2. दान के उद्देश्य से बनाया गया रत्नों का कृत्रिम पहाड़।
रत्नाधिपति
(सं.) [सं-पु.] कुबेर; धनद; धनधारी; अर्थपति।
रत्नावली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रत्नों की माला; मोतियों की माला 2. एक प्रकार का हार 3. (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार जहाँ प्रस्तुत अर्थों के अतिरिक्त कुछ अप्रस्तुत
अर्थ भी निकलते हैं 4. राजा हर्ष विरचित एक संस्कृत नाटिका।
रत्नेश
(सं.) [सं-पु.] 1. कुबेर; वित्तेश; धननाथ 2. समुद्र।
रथ
(सं.) [सं-पु.] प्राचीन समय में घोड़े द्वारा चलने वाला राजाओं आदि का वाहन; चार पहियों की एक सवारी गाड़ी।
रथकार
(सं.) [सं-पु.] 1. रथ बनाने वाला कारीगर 2. बढ़ई 3. माहिष्य पिता से उत्पन्न एक वर्णसंकर जाति।
रथक्रांता
[सं-स्त्री.] एक प्राचीन जनपद का नाम।
रथपति
(सं.) [सं-पु.] 1. रथ का नायक 2. रथी।
रथयात्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] हिंदुओं का एक पर्व जो आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होता है और जिसमें जगन्नाथ, बलराम तथा सुभद्रा की मूर्तियाँ रथ पर निकाली जाती हैं।
रथवान
(सं.) [सं-पु.] 1. रथ हाँकने वाला 2. सारथी; अधिरथ; सूत।
रथवाह
[सं-पु.] 1. सारथी; सूत; रथ चलाने वाला व्यक्ति 2. घोड़ा।
रथशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रथ रखने की जगह 2. गाड़ीख़ाना।
रथांग
(सं.) [सं-पु.] 1. रथ का पहिया 2. चक्र नामक अस्त्र 3. एक पक्षी।
रथासीन
(सं.) [वि.] रथ पर विराजमान; जो रथ पर आसीन या सवार हो।
रथिक
(सं.) [सं-पु.] 1. रथी; रथ का सवार 2. तिनिश वृक्ष; शीशम की जाति का एक वृक्ष।
रथी
(सं.) [वि.] रथ पर चलने वाला; रथ पर चढ़कर लड़ने वाला योद्धा; रथारोही; रथ पर आरूढ़; रथ पर चढ़ा हुआ।
रथोत्सव
(सं.) [सं-पु.] रथ-यात्रा।
रथ्य
(सं.) [सं-पु.] 1. पहिया; चक्र 2. सारथी 3. रथ का घोड़ा।
रथ्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रथों का समूह 2. रथ का मार्ग; लीक 3. सड़क; राजमार्ग 4. चौक चौराहा 5. नाली 6. नावदान।
रद1
(सं.) [सं-पु.] दंत; दाँत।
रद2
[वि.] 1. रद्दी 2. ख़राब 3. फीका 4. तुच्छ 5. हीन।
रदच्छद
(सं.) [सं-पु.] 1. अधर 2. होंठ 3. ओष्ठ।
रदी
(सं.) [सं-पु.] हाथी।
रदीफ़
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह जो घोड़े पर मुख्य सवार के पीछे बैठता है 2. ग़ज़लों आदि में प्रत्येक काफ़िए के बाद आने वाला शब्द 3. पीछे की ओर रहने वाली सेना।
रदीफ़वार
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. अक्षरक्रम से लगा हुआ 2. रदीफ़ के अनुसार।
रद्द
(अ.) [सं-पु.] 1. फेर देना 2. गलत साबित करना; झुठलाना। [वि.] 1. ख़राब; बेकार ठहराया हुआ; निरस्त 2. काटा; छाँटा हुआ 3. परिवर्तित।
रद्दोबदल
(अ.) [सं-पु.] परिवर्तन; तब्दीली; फेरफार।
रद्दा
[सं-पु.] 1. स्तर; खंड; तह 2. चारों ओर दीवार में जुड़ाई की एक पंक्ति 3. लंबाई में एक ईंट की जोड़ाई।
रद्दी
(अ.) [सं-स्त्री.] पुराने और बेकार कागज़। [वि.] 1. बेकार वस्तुएँ 2. निकम्मा।
रन1
(सं.) [सं-पु.] दे. रण।
रन2
(इं.) [सं-पु.] 1. समुद्र का कोई विशेष खंड 2. ताल; झील 3. क्रिकेट खेल में बल्लेबाज़ के द्वारा एक विकेट से दूसरे विकेट तक बिना बहिर्गत हुए दौड़ लगाना।
रन-आउट
(इं.) [वि.] क्रिकेट के खेल में वह खिलाड़ी जो दौड़कर रन बनाते वक्त आउट हो गया हो।
रन-ऑन
(इं.) [क्रि-स.] प्रूफ़ संशोधन संबंधी इस चिह्न का अर्थ है कि पैरा न बनाएँ।
रन-ओवर
(इं.) [सं-स्त्री.] शेष सामग्री को पिछले पृष्ठों से अगले पृष्ठ पर ले जाना।
रनकना
(सं.) [क्रि-अ.] घुँघरू आदि की मंद-मंद ध्वनि।
रनवास
[सं-पु.] रनिवास।
रन-संख्या
(इं.) [सं-स्त्री.] क्रिकेट के खेल में बल्लेबाज़ द्वारा लगाए गए रनों का योग।
रनिंग स्टोरी
(इं.) [सं-स्त्री.] कई अंकों में लगातार प्रकाशित होने वाला धारावाहिक समाचार या विवरण।
रनिवास
[सं-पु.] 1. रानी के रहने का स्थान या महल 2. अंतःपुर।
रपट1
[सं-स्त्री.] 1. रपटने की क्रिया या भाव 2. फिसलन 3. फिसलने की जगह।
रपट2
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सूचना; रिपोर्ट 2. आदत 3. अभ्यास 4. फिसलना 5. ढाल; उतार।
रपटना
[क्रि-अ.] 1. आगे की ओर फिसलना; सरकना 2. ऊपर से नीचे की ओर फिसलते हुए आना।
रपटीला
[वि.] फिसलन वाला; जो बहुत चिकना हो।
रपट्टा
[सं-पु.] 1. फिसलन; फिसलाव 2. रपटन।
रफ़
(इं.) [वि.] 1. कच्चा (कार्य) 2. जो नमूने के लिए बनाया गया हो 3. जिसमें चिकनापन न हो; खुरदरा।
रफ़अत
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बुलंदी; ऊँचाई; उत्कर्ष।
रफ़ता
(फ़ा.) [वि.] 1. बीता हुआ; गत 2. मृत।
रफ़ता-रफ़ता
(फ़ा.) [वि.] धीरे-धीरे; क्रमशः।
रफ़रफ़
(अ.) [सं-पु.] (इस्लाम) वह सवारी जिसपर मुहम्मद साहब ईश्वर के पास गए और वहाँ से वापस आए थे।
रफ़ल
(इं.) [सं-पु.] एक प्रकार की ऊनी चादर। [सं-स्त्री.] राइफल।
रफ़ा
(अ.) [सं-पु.] 1. ऊँचाई; ऊँचा करना 2. छोड़ना; अलग करना; दूर करना; निकालना 3. तरक्की 4. पूरा करना 5. मिटाया हुआ 6. समाप्त करना 7. फ़ैसला करना। [वि.] 1. दूर
किया हुआ 2. शांत; निवारित; निवृत्त।
रफ़ाक़त
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. रफ़ीक या साथी होने का भाव 2. निष्ठा; वफ़ादारी 3. संग-साथ; मेल-जोल 4. एकता।
रफ़ात
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. ऊँचाई; बुलंदी; उत्कर्ष 2. प्रतिष्ठा; पदोन्नति।
रफ़ा-दफ़ा
(अ.) [सं-पु.] 1. ख़त्म करना; समाप्त करना 2. पीछा छुड़ाना 3. फ़ैसला 4. तयशुदा बात।
रफ़ाह
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. आराम 2. सुख 3. दूसरों को सुखी करने वाला काम 4. परोपकार।
रफ़ाहीयत
(अ.) [सं-स्त्री.] आराम; सुख।
रफ़ीक
(अ.) [सं-पु.] 1. साथी; मित्र; संगी 2. सहायक; मददगार।
रफ़ीदा
(अ.) [सं-पु.] 1. वह गद्दी जिसके ऊपर जीन कसी जाती है 2. एक प्रकार की गोलाकार पगड़ी।
रफ़ू
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार की सिलाई जिसमें बीच से कुछ कटा या फटा हुआ कपड़ा इस प्रकार बीच में सूत भरकर मिलाया जाता है कि साधारणतः जोड़ नहीं दिखाई पड़ता।
रफ़ूगर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. फटे या कटे हुए कपड़े की बुनावट करने वाला व्यक्ति 2. रफ़ू करने का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति; रफ़ू बनाने वाला।
रफ़ूगरी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रफ़ू करने का काम 2. रफ़ू करने का पेशा।
रफ़ूचक्कर
(अ.+हिं.) [वि.] चंपत; गायब। [मु.] -होना : आँखों में धूल झोंककर भाग जाना; धोखा देकर गायब हो जाना।
रफ़्त
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] चलना या जाना; रवानगी; गमन।
रफ़्तगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. आने जाने की क्रिया 2. गमन।
रफ़्तनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. निर्यात; माल का बाहर जाना 2. जाने की क्रिया।
रफ़्ता
(फ़ा.) [वि.] 1. गया हुआ; गत 2. मरा हुआ; मृत।
रफ़्तार
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] वेग; गति; चाल।
रफ़्ता-रफ़्ता
(फ़ा.) [अव्य.] धीरे-धीरे; शनैः-शनैः; क्रम-क्रम से।
रब
(अ.) [सं-पु.] 1. भगवान; मालिक; परमेश्वर; ईश्वर 2. पालन-पोषण करने वाला।
रबड़क्षीर
[सं-पु.] रबर वृक्ष के तने से निकलने वाला दूध जिसे शोधित करके रबड़ बनाया जाता है; (रबर)।
रबड़ी
[सं-स्त्री.] 1. बसौंधी; बासुंदी 2. दूध को औंटकर और चीनी मिलाकर बनाई गई खाद्य वस्तु।
रबदा
[सं-पु.] 1. वह श्रम जो कहीं बार-बार आने जाने या दौड़-धूप करने से होता है 2. कीचड़।
रबर
(इं.) [सं-पु.] 1. वट वर्ग के अंतर्गत आने वाला एक प्रकार वृक्ष 2. वृक्ष से निकलने वाले दूध को सुखाकर बनाया जाने वाला एक पदार्थ जिससे गेंद, फीते जैसी बहुत सी
चीज़ें बनती हैं।
रबाना
[क्रि-अ.] 1. एक प्रकार का छोटा डफ जिसके घेरे में मंजीरे भी लगे होते हैं 2. नदी आदि का मिट्टी से भर जाना।
रबाब
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार की सारंगी।
रबाबिया
(फ़ा.) [सं-पु.] रबाब बजाने वाला व्यक्ति।
रबी
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बसंत ऋतु 2. बहार का मौसम 3. वसंत ऋतु में काटी जाने वाली फ़सल।
रबीय
(अ.) [सं-पु.] स्त्री या पुरुष की दृष्टि से उसके पहले ब्याह से उत्पन्न पुत्र।
रबील
[सं-स्त्री.] मँझोले आकार का एक प्रकार का पक्षी।
रब्त
(अ.) [सं-पु.] 1. मेल-जोल 2. आपस में होने वाला मेल-जोल और आत्मीयता का संबंध 3. मैत्री; दोस्ती।
रब्त-ज़ब्त
(अ.) [सं-स्त्री.] आपस में होने वाला मेल-जोल और संग-साथ।
रब्ध
(सं.) [वि.] आरंभ किया हुआ; शुरू किया हुआ।
रब्बा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह गाड़ी जिसपर तोप लादी जाती है; तोपख़ाने की गाड़ी 2. ऐसी गाड़ी या रथ जिसे बैल खींचते हैं 3. ईश्वर के लिए संबोधन।
रभस
(सं.) [सं-पु.] 1. वेग; तेज़ी 2. प्रसन्नता 3. प्रेमपूर्वक अथवा प्रेम के कारण मन में होने वाला उत्साह 4. मान प्रतिष्ठा 5. पछतावा 6. कार्य-कारण संबंधी अथवा
पूर्वापर का विचार 7. अस्त्र निष्फल करने की विधि।
रम
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. पति 3. प्रेमी 4. आनंद 5. लाल अशोक। [वि.] 1. एक प्रकार की विलायती शराब 2. प्रिय; मनोरम; आनंददायक।
रमक
[सं-पु.] प्रेमपात्र; प्रेमी। [सं-स्त्री.] 1. लहर; तरंग 2. झूले की पेंग।
रमकजरा
(अ.) [सं-पु.] मोटे धान का एक प्रकार जो भादों में पकता है।
रमचकरा
[सं-पु.] बेसन की मोटी रोटी।
रमचा
[सं-पु.] चमचा; छोटी कलछी।
रमचेरा
[सं-पु.] छोटा-मोटा काम करने वाला व्यक्ति; टहलुआ (परिहास)।
रमज़ान
(अ.) [सं-पु.] इस्लामी वर्ष का नौवाँ महीना जिसमें मुसलमान रोज़ा रखते हैं।
रमझोला
[सं-पु.] 1. पैर में पहनने के घुँघरू 2. नूपुर।
रमण
(सं.) [सं-पु.] 1. तन-मन को आनंदित करने का उपक्रम; क्रीड़ा; विलास 2. मैथुन; सहवास; संभोग 3. विचरण करना; घूमना-फिरना 4. कामदेव 5. पति। [वि.] 1. प्रिय 2.
सुंदर 3. मनोहर 4. किसी में रमने अथवा उसका सुख भोगने वाला।
रमणी
(सं.) [सं-स्त्री.] युवती; औरत; स्त्री।
रमणीक
(सं.) [वि.] 1. मनोहर; मन को अच्छा लगने वाला 2. सुंदर; रमणीय।
रमणीय
(सं.) [वि.] 1. रमण योग्य 2. सुंदर 3. मनोहर 4. रुचिकर 5. रमनेवाला।
रमणीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रमणीय होने का भाव 2. सुंदरता 3. मनोरमता।
रमना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. तल्लीन होना; मग्न होना 2. चैन करना; दिल बहलाना 3. भोग-विलास 4. सैर करना।
रमल
(अ.) [सं-पु.] (ज्योतिष) गणना आदि के आधार पर भविष्य बतलाने वाला।
रमा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. लक्ष्मी 2. शोभा 3. सौभाग्य 4. संपत्ति 5. पत्नी।
रमाकांत
(सं.) [सं-पु.] विष्णु।
रमाना
(सं.) [क्रि-स] 1. लगाना 2. रोकना 3. मोहित करना; मुग्ध करना; अनुरंजित करना; अनुरक्त बनाना; लुभाना 4. किसी के साथ जोड़ना या लगाना।
रमानाथ
(सं.) [सं-पु.] विष्णु।
रमापति
(सं.) [सं-पु.] विष्णु।
रमारमण
(सं.) [सं-पु.] विष्णु; लक्ष्मीपति।
रमी
[सं-स्त्री.] 1. ताश का एक प्रकार का खेल 2. एक प्रकार की घास जो कागज़, रस्सी आदि बनाने के काम आती है।
रमूज़
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. इशारा; संकेत 2. कटाक्ष 3. रहस्य; भेद; पहेली।
रमूज़ी
(अ.) [सं-पु.] ज्योतिषी; भविष्यवक्ता।
रमेश
(सं.) [सं-पु.] विष्णु।
रमैनी
[सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) बीजक का दोहों और चौपाइयों से युक्त भाग; कबीर की वाणियों साखी, सबद, रमैनी का एक भाग, जिसमें दोहे और चौपाइयाँ हैं।
रमैया
[सं-पु.] 1. राम 2. भगवान 3. चैतन्य आत्मा।
रम्ज़
(अ.) [सं-स्त्री.] दे. रमूज़।
रम्माल
(अ.) [सं-पु.] रमल विद्या का विद्वान।
रम्य
(सं.) [वि.] रमणीय; सुंदर; मनोहर।
रम्यक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की वनस्पति; बकायन; महानिंब 2. (पुराण) जंबूद्वीप का एक खंड 3. शुक्र धातु।
रम्या
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रात 2. गंगा नदी 3. इंद्रायन 4. स्थलपद्मिनी।
रयन
(सं.) [सं-स्त्री.] रात; रात्रि; रयनि।
रयना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. उच्चारण करना; कहना; बोलना 2. शब्द उत्पन्न करना 3. अनुरक्त होना; प्रेममग्न होना 4. रँगना; रंग से भीगना 5. मिलना; संयुक्त होना।
रया
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. बनावट; दिखावा 2. मक्कारी।
रय्यत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. रिआया; प्रजा 2. आसामी; काश्तकार।
ररना
[क्रि-अ.] रटना; टेरना।
ररिहा
[वि.] 1. ररने वाला 2. किसी चीज़ की माँग की रट लगाने वाला 3. गिड़गिड़ाकर माँगने वाला।
रलना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. घुल-मिल जाना 2. पूर्ण होना 3. मिलना।
रलाना
[क्रि-स.] 1. मिलाना 2. युक्त करना।
रली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रीड़ा; विहार 2. आनंद; ख़ुशी; प्रसन्नता।
रल्लक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का मृग 2. बरौनी 3. कंबल 4. ऊनी वस्त्र।
रव
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्द; आवाज़ 2. शोर; हल्ला; गुल 3. रवि; सूर्य।
रवकना
[क्रि-अ.] 1. तेज़ी से आगे बढ़ना; झपटना; लपकना 2. उछलना।
रवण
(सं.) [सं-पु.] 1. शब्द 2. ध्वनि 3. शोर 4. कोयल 5. ऊँट 6. विदूषक 7. भाँड़। [वि.] 1. शब्द या शोर करता हुआ 2. तप्त; गरम 3. अस्थिर; चंचल।
रवना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. ध्वनि होना 2. किसी शब्द या नाम से पुकारा जाना 3. प्रसिद्ध होना।
रवनि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. युवती 2. सुंदर स्त्री 3. औरत; स्त्री; नारी।
रवन्ना
[सं-पु.] 1. वह काग़ज़ जिसपर रवाना किए अथवा भेजे हुए माल का विवरण हो 2. रवाना किए हुए माल के साथ रहने वाली चुंगी की रसीद 3. किसी मार्ग विशेष से जाने का
अनुमति पत्र।
रवा
(सं.) [सं-पु.] 1. कण; दाना; छोटा टुकड़ा 2. सूजी 3. बारूद का दाना।
रवाँ
(फ़ा.) [वि.] 1. बहता हुआ; प्रवाहित 2. ज़ारी 3. मँझा हुआ; अभ्यस्त 4. तेज़ धारवाला 5. रवाना।
रवाँस
[सं-पु.] बोड़े की प्रजाति का एक पौधा और उसकी फली।
रवादार
(सं.+फ़ा.) [वि.] रवेवाला; दानेदार।
रवानगी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. रवाना होने की क्रिया या भाव; प्रस्थान 2. प्रयाण।
रवाना
(फ़ा.) [वि.] 1. जो एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए चल पड़ा हो; प्रस्थित; चला हुआ 2. जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए भेज दिया गया हो; भेजा हुआ।
रवानी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्रवाह; बहाव 2. प्रस्थान।
रवायत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. परंपरा से चली आई रीति; रिवाज 2. पारंपरिक कहावत या कथा।
रवासन
[सं-पु.] एक पेड़ जिसके पत्ते और बीज दवा के काम आते हैं।
रवि
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. लाल अशोक का पेड़ 3. धृतराष्ट्र का पुत्र 4. अग्नि।
रविज
(सं.) [सं-पु.] 1. रवि (अर्थात सूर्य) से उत्पन्न 2. रवितनय; यमराज।
रविजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रवि (अर्थात सूर्य) की पुत्री 2. यमुना।
रविमंडल
(सं.) [सं-पु.] रवि या सूर्य का बिंब; आकाश-व्याप्त प्रकाश; वह लाल मंडलाकार बिंब जो सूर्य के चारों ओर दिखाई देता है।
रविवार
[सं-पु.] सप्ताह का एक दिन; इतवार; आदित्यवार।
रविश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बगीचे की क्यारियों के बीच का संकीर्ण रास्ता 2. ढंग; तौर-तरीका; अंदाज़ 3. रस्म; रिवाज 4. गति; चाल; रफ़्तार 5. कानून; कायदा 6. चलन;
फैशन; रवैया।
रविसुत
(सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य का पुत्र; रविपुत्र; रवि-तनय 2. शनि 3. यमराज।
रवींद्र
(सं.) [सं-पु.] सूर्यदेव; सूर्यराज।
रवेदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] दानेदार; जिसमें कण हों।
रवैया
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. तरीका 2. चलन; प्रथा 3. रंग-ढंग।
रश
(इं.) [सं-पु.] किसी पांडुलिपि या पत्र पर रश लिखने का अर्थ है कि इसे शीघ्र छापें।
रशना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रस्सी 2. करधनी 3. लगाम 4. रश्मि।
रशनोपमा
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक अलंकार जिसमें उपमेयों और उपमानों की एक लड़ी रहती है।
रशाद
(अ.) [सं-पु.] 1. सन्मार्ग; सुमार्ग 2. सदाचार 3. एक दवा-विशेष।
रशिया
[सं-पु.] रूस देश।
रशीद
(अ.) [वि.] 1. सन्मार्ग पर चलने अथवा उस दिशा में प्रेरित करने वाला; आध्यात्मिक गुरु 2. गुरु की कृपा से बना ज्ञानी अथवा निपुण।
रश्क
(फ़ा.) [सं-पु.] ईर्ष्या; जलन; कुढ़न; डाह।
रश्मि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किरण 2. (आँखों की) बरौनी 3. घोड़े की लगाम 4. रस्सी; डोरी।
रस
(सं.) [सं-पु.] 1. फल, फूल आदि में रहने वाला जलीय अंश या तरल पदार्थ 2. निर्यास; मद 3. किसी चीज़ को उबालने पर निकलने वाला तरल सार भाग 4. (काव्यशास्त्र) विभाव,
अनुभाव तथा संचारी भावों के योग से होने वाली अनुभूति; किसी रचना को पढ़ने, सुनने अथवा नाटक को देखने से मन में उत्पन्न होने वाला भाव। [मु.] -भीजना : यौवन का आरंभ होना; प्रेम का संचार होना।
रसक
(सं.) [सं-पु.] 1. संगेबसरी; खपरिया 2. फिटकरी।
रसकेलि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. हँसी-दिल्लगी 2. क्रीड़ा 3. विहार 4. मज़ाक।
रसकेसर
(सं.) [सं-पु.] कपूर।
रसगुल्ला
(सं.) [सं-पु.] छेने से बनाई जाने वाली गोल आकृति की मिठाई।
रसग्राहिता
(सं.) [सं-स्त्री.] रस ग्रहण करने की क्षमता।
रसग्राही
(सं.) [वि.] 1. रस ग्रहण करने वाला 2. स्वाद लेने वाला।
रसछन्ना
(सं.) [सं-पु.] ईख का रस छानने की छलनी।
रसज्ञ
(सं.) [वि.] 1. रस का ज्ञाता 2. काव्यरस का ज्ञाता; काव्यमर्मज्ञ 3. निपुण 4. कुशल।
रसद
(अ.) [सं-पु.] 1. सेना के लिए खाद्य सामग्री 2. अनाज; खाने का सामान 3. राशन 4. भत्ता 5. हिस्सा।
रसदगाह
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] अनाज या खाद्य-सामग्री रखने का स्थान; अनाज-गोदाम।
रसदार
(सं.) [वि.] 1. जिसमें रस हो 2. रसवाला 3. स्वादिष्ट 4. शोरबेदार।
रस-धातु
(सं.) [सं-पु.] 1. पारा 2. शरीर में बनने वाली सात धातुओं में से एक।
रसधार
(सं.) [सं-स्त्री.] रस की धारा; ख़ुशी की धारा।
रसन
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वाद लेना; चखना 2. ध्वनि 3. जीभ; जबान 4. बलगम; (कफ़)। [वि.] पसीना लाने वाला (औषध आदि)।
रसना
(सं.) [सं-स्त्री.] जीभ; जबान। [क्रि-अ.] 1. रसमग्न होना; निमग्न होना 2. तन्मय होना; लीन होना। [मु.] -तालू से लगाना चुप करना; बोलना बंद
करना।
रसनेंद्रिय
(सं.) [सं-स्त्री.] स्वाद की इंद्रिय; जिह्वा; जीभ।
रसनोपमा
(सं.) [सं-स्त्री.] उपमान अलंकार का एक भेद।
रसपति
(सं.) [सं-पु.] 1. शृंगार रस 2. चंद्रमा 3. राजा 4. पारा।
रसभरी
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का खट मीठा गोल फल; मकोय 2. उक्त फल का पौधा।
रसभीना
(सं.) [वि.] 1. रसपूर्ण 2. रसयुक्त 3. रस से सराबोर 4. रसमग्न 5. आनंद में मग्न।
रसभेदी
(सं.) [सं-पु.] रस की अधिकता से पककर फटा हुआ फल।
रसमग्न
(सं.) [वि.] 1. आनंद में डूबा हुआ 2. आनंद में मग्न।
रसमय
(सं.) [वि.] 1. रसयुक्त 2. रस में तन्मय; तल्लीन।
रसमलाई
[सं-स्त्री.] 1. गाढ़े दूध में भिगोया हुआ रागुल्ला 2. मलाई और छेना से बनाया हुआ रसगुल्ला।
रसमसा
[वि.] 1. रसपूर्ण 2. रसीला 3. रसयुक्त 4. अनुरक्त 5. गीला 6. रंग में मग्न 7. पसीने से भरा।
रसमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का सुगंधित द्रव्य; शिलारस।
रसयिता
(सं.) [सं-पु.] जिसे रसानुभूति होती हो।
रसरंग
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रेमक्रीड़ा 2. रति-क्रीड़ा 3. प्रेम में मिलने वाला आनंद।
रसराज
(सं.) [सं-पु.] 1. (साहित्य) शृंगार रस 2. पारा 3. गंधक; ताँबे की भस्म।
रसरी
[सं-स्त्री.] 1. रस्सी; डोरी 2. छोटी या पतली रस्सी।
रसरीति
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रेम की कला या रीति।
रसलीन
(सं.) [वि.] 1. आनंद से सराबोर 2. आनंद विभोर 3. आनंदमग्न।
रसवंत
(सं.) [सं-पु.] 1. रसज्ञ 2. रसिक 3. प्रेमी। [वि.] रस से भरा; रसीला।
रसवंती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रसिद्ध औषधि 2. रसौत; रसांजन।
रसवत
(सं.) [सं-स्त्री.] दे. रसवान।
रसवती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुद्ध स्वरवाली एक प्रकार की संपूर्ण जाति की रागिनी 2. रसोईघर। [वि.] रस से युक्त; रसपूर्ण; रसीली।
रसवत्ता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रसयुक्त होना; रसीलापन 2. मिठास; माधुर्य 3. सुंदरता।
रसवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. (साहित्य) रस को प्रमुख मानते हुए साहित्य रचना करने का सिद्धांत 2. रसालाप; प्रेम और आनंद की बातचीत 3. प्रेमपूर्ण विवाद या नोंक-झोंक।
रसवान
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का अलंकार। [वि.] जिसमें रस हो; रसवाला।
रसवास
(सं.) [सं-पु.] ढगण (छंद का सूत्र) का प्रथम भेद जिसमें एक लघु और एक गुरु रहता है।
रसविभोर
(सं.) [वि.] रस में लीन या डूबा हुआ 2. आनंदविभोर।
रससिद्धांत
(सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) रस से संबंधित सिद्धांत।
रसा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भूमि; पृथ्वी 2. नदी 3. जीभ।
रसाँ
(फ़ा.) [परप्रत्य.] पहुँचाने वाला; किसी चीज़ को दूर ले जाने वाला, जैसे- चिट्ठी रसाँ।
रसांजन
(सं.) [सं-पु.] 1. रसौत 2. रसाग्रज 3. रसोद्भूत 4. रसोद्भव 5. रसोत 6. रसवत।
रसांतरण
(सं.) [सं-पु.] रसांतर की अवस्था या भाव।
रसाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पहुँच 2. बुद्धि आदि से कहीं तक पहुँच सकने की शक्ति।
रसाकर्षण
(सं.) [सं-पु.] वह प्रक्रिया जिससे शरीर का अंग शरीर में स्थित रंध्रों से रस ग्रहण करता है; (ओस्मोसिस)।
रसाज्ञान
(सं.) [सं-पु.] 1. रस अथवा स्वाद का पता न होना 2. रस का अनुभव न करना अर्थात किसी खाद्य वस्तु को चखने पर भी उसके स्वाद का पता न चलना।
रसातल
(सं.) [सं-पु.] ज़मीन के नीचे के सात तलों में से छठा तल।
रसात्मक
(सं.) [वि.] 1. सरस; रसयुक्त 2. सुंदर; ख़ूबसूरत 3. सुस्वादु; जायकेदार 4. तरल; पानीदार; जलवाला 5. अमृत तुल्य; अमृतमय।
रसाधार
(सं.) [सं-पु.] रवि; सूर्य।
रसाधिका
(सं.) [सं-स्त्री.] एक सूखा फल; किसमिस।
रसानंद
(सं.) [सं-पु.] सहृदय को रसानुभूति से प्राप्त होने वाला आनंद।
रसानुभव
(सं.) [सं-पु.] 1. आनंद 2. रस का अनुभव।
रसानुभूति
(सं.) [सं-स्त्री.] काव्य के रस से प्राप्त होने वाला आनंद।
रसान्वेषी
(सं.) [वि.] 1. रस खोजने वाला 2. रस का अन्वेषण करने वाला।
रसाभास
(सं.) [सं-पु.] 1. एक अर्थालंकार 2. (साहित्य) वह साहित्यिक रचना जिसमें रस नहीं होता मात्र उसका आभास होता है; किसी साहित्यिक रचना के पठन में आस्वाद की वह
स्थिति जहाँ रस का पूरी तरह से परिपाक न होता हो बल्कि रस की पूर्ण निष्पत्ति का अभाव हो।
रसायन
(सं.) [सं-पु.] 1. पदार्थो के अणुओं या परमाणुओं में प्रतिक्रिया से उत्पन्न होने वाला पदार्थ (केमिकल) 2. ताँबे से सोना बनाने का एक कल्पित योग 3. आयुर्वेदिक
औषधि।
रसायनज्ञ
(सं.) [सं-पु.] रसायनशास्त्री। [वि.] रसायनशास्त्र का ज्ञाता।
रसायनशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] रसायन बनाने का स्थान।
रसायनशास्त्र
(सं.) [सं-पु.] 1. पदार्थों में पाए जाने वाले तत्वों का वैज्ञानिक अध्ययन 2. तत्वगत परमाणुओं में विभिन्न परिस्थितियों में होने वाले परिवर्तनों या पदार्थों की
नयी स्थिति का निरूपण करने वाला शास्त्र।
रसायनी
(सं.) [सं-स्त्री.] बुढ़ापे को दूर करने वाली औषधि। [वि.] रसायन संबंधी।
रसाल
(सं.) [सं-पु.] 1. आम 2. कटहल 3. ईख। [वि.] 1. रसीला 2. मधुर; मीठा 3. स्वादिष्ट 4. सुंदर 5. मार्जित; शुद्ध।
रसालय
(सं.) [सं-पु.] 1. रस-प्राप्ति का स्थान; रस-निर्माण का स्थान; रसशाला 2. आमोद-प्रमोद का स्थान 3. आम्रवृक्ष; आम का पेड़।
रसाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रीखंड; सिखरन 2. दही में साना गया सत्तू 3. एक तरह की चटनी।
रसालिका
(सं.) [सं-स्त्री.] अँबिया। [वि.] 1. रस से युक्त 2. मृदु 3. मधुर।
रसाली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गन्ना 2. पौंढ़ा। [सं-पु.] रसिक।
रसाव
(सं.) [सं-पु.] 1. रसने की क्रिया अथवा भाव; वह अवस्था जिसमें कोई रस या तरल पदार्थ किसी चीज़ में से टपक रहा हो 2. खेतों को जोतकर यों ही छोड़ देना।
रसावल
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की बड़ी कँटीली लता; रसौल।
रसावा
(सं.) [सं-पु.] मिट्टी का वह पात्र जिसमें ईख का कच्चा रस रखा जाता है।
रसास्वादन
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी रस का स्वाद लेना 2. किसी सुख अथवा आनंद का उपभोग करना।
रसास्वादी
(सं.) [वि.] 1. रस का आस्वाद लेने वाला; रस चखने वाला 2. किसी सुख अथवा आनंद का उपभोग करने वाला; मज़ा लेने वाला।
रसाहार
(सं.) [सं-पु.] 1. रस का आहार 2. शरबत आदि का सेवन।
रसिक
(सं.) [सं-पु.] 1. सारस 2. हाथी 3. रसिया 4. जिसके हृदय में सौंदर्य, प्रेम, भक्ति, कला आदि के प्रति अनुराग हो 5. सहृदय; प्रेमी। [वि.] 1. सुंदर; मनोहर 2.
स्वाद लेने वाला; रस लेने वाला 3. आनंदी; मौजी।
रसिकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रसिक होने का भाव; रसिकपन 2. हँसी-मज़ाक की प्रवृत्ति 3. सुरुचि।
रसिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ईख का रस 2. दही का शरबत 3. जीभ।
रसित
(सं.) [सं-पु.] द्राक्षासव; अंगूरी शराब। [वि.] 1. रस से निर्मित; रसयुक्त 2. रिसता या बहता हुआ 3. टपकता हुआ।
रसिया
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रेमी; रसिक 2. गीत जो फागुन के महीने में ब्रज में गाया जाता है।
रसीद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] पावती-पत्र; पहुँच; प्राप्ति; किसी चीज़ के मिलने का प्रमाण पत्र; ख़बर।
रसीदी
(फ़ा.) [वि.] रसीद संबंधी।
रसीला
(सं.) [वि.] 1. रस से भरा; रसयुक्त; रसपूर्ण 2. स्वादिष्ट; मज़ेदार 3. रस अथवा आनंद लेने वाला 4. विलासी; व्यसनी 5. छैला; सुंदर; बाँका।
रसूख़
(अ.) [सं-पु.] 1. प्रभाव; पहुँच 2. विश्वास; एतवार 3. धैर्य।
रसूख़दार
(अ.+फ़ा.) [वि.] 1. सम्मानित; प्रतिष्ठित 2. जिसकी पहुँच ऊँचे लोगों तक हो।
रसूम
(अ.) [सं-पु.] 1. प्रथा; रस्म 2. प्रथानुसार दिया जाने वाला धन 3. भेंट; नज़राना।
रसूल
(अ.) [सं-पु.] ईश्वर का प्रतिनिधि या दूत; पैगंबर।
रसूली
(अ.) [वि.] 1. रसूल संबंधी 2. रसूल का।
रसोइया
[सं-पु.] खाना बनाने वाला; महाराज; सूपकार।
रसोई
[सं-स्त्री.] बना हुआ भोजन; पका हुआ खाद्यपदार्थ।
रसोईघर
[सं-पु.] खाना बनाने का छोटा कमरा; रसोई कक्ष; चौका; रसोईगृह; पाकशाला।
रसोपचित
(सं.) [वि.] रस से पोसित।
रसोपल
(सं.) [सं-पु.] मोती।
रसौत
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की औषधि।
रसौल
(सं.) [सं-स्त्री.] दवा बनाने के काम आने वाली एक प्रकार की कँटीली लता जिसकी पत्तियों की चटनी भी बनाई जाती है।
रस्म
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रथा; परंपरा; चलन; रीति 2. परिपाटी 3. चाल।
रस्म-अदायगी
(फ़ा.) [वि.] प्रथा; परिपाटी या औपचारिकता निभाना।
रस्मी
(अ.) [वि.] 1. पारंपरिक 2. औपचारिक 3. मामूली; साधारण।
रस्मो-रिवाज
(अ.) [सं-पु.] 1. रस्म और रिवाज 2. बात-व्यवहार 3. परंपरा 4. रूढ़ि।
रस्सा
[सं-पु.] 1. कई मोटे तागों से बनाई गई मोटी रस्सी 2. माप की एक इकाई जो पचहत्तर हाथ लंबी और पचहत्तर हाथ चौड़ी होती है 3. घोड़े के पैर में होने वाली एक प्रकार
की बीमारी।
रस्साकशी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का शक्ति-प्रदर्शन का खेल जिसमें दो दल पंक्तिबद्ध खड़े होकर एक रस्से को परस्पर विपरीत दिशाओं में खींचते हैं 2. किसी
मामले में आपसी खींचातानी।
रस्सी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार की डोरी जो रुई, सन आदि को ऐंठकर बनाई गई हो।
रहँकला
[सं-पु.] 1. तोप लादने की गाड़ी 2. एक हल की गाड़ी 3. एक प्रकार की तोप।
रहँटा
(सं.) [सं-पु.] 1. चरखा 2. सूत कातने का चरखा।
रहट
(सं.) [सं-पु.] खेतों की सिंचाई के लिए प्राचीन काल से प्रयुक्त एक यंत्र जिसके माध्यम से कुएँ से पानी निकाला जाता है।
रहठा
[सं-पु.] अरहर के पौधे का सूखा हुआ तना या डंठल; कड़िया।
रहड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. ठेला 2. बैलगाड़ी 3. छकड़ा।
रहतिया
[वि.] दुकान का वह माल जो बिक्री न होने की वजह से पड़ा हो।
रहन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रहने का भाव 2. रहने का ढंग 3. रहना।
रहन-सहन
[सं-स्त्री.] समाज में और लोगों के साथ रहने या व्यवहार करने की क्रिया या ढंग।
रहना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. स्थित होना; ठहरना 2. रुकना; थम जाना 3. विद्यमान होना 4. बसना 5. जिंदा अथवा जीवित रहना 6. स्थापित अथवा स्थित होना 7. बचना अथवा छूटना।
[मु.] रह जाना : रुक जाना; पिछड़ जाना; असफल हो जाना।
रहनुमा
(फ़ा.) [सं-पु.] राह दिखाने वाला व्यक्ति; पथप्रदर्शक।
रहनुमाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. नेता या नायक का कार्य; नेतृत्व; अगुवाई; (लीडरशिप) 2. राह दिखाने का काम; पथप्रदर्शन।
रहबर
(फ़ा.) [सं-पु.] राह दिखाने वाला; मार्गदर्शक।
रहम
(अ.) [सं-पु.] 1. दया; करूणा 2. कृपा 3. अपने व्यक्ति या अपने से दुर्बल व्यक्ति को दुखी या पीड़ित देखकर उसके कष्ट; दुख आदि दूर करने का व्यवहार 4. रहमत 5.
अनुकंपा; अनुग्रह।
रहमत
(अ.) [सं-स्त्री.] दया; मेहरबानी।
रहमदिल
(अ.) [वि.] 1. करूणापूर्ण व्यक्ति 2. दयालु 3. सह्रदय।
रहमान
(अ.) [वि.] परम दयालु; परम कृपालु।
रहमोकरम
(अ.) [सं-पु.] रहम और करम; दया और माया।
रहरू
[सं-स्त्री.] छोटी हलकी; छोटी देहाती गाड़ी; जिसमें किसान लोग खाद ढोते हैं।
रहल
(अ.) [सं-स्त्री.] काठ की बनी हुई कैंचीनुमा छोटी चौकी; जिसपर रखकर मोटी पुस्तक पढ़ी जाती है।
रहवाल
[सं-स्त्री.] घोड़े की चाल।
रहस
(सं.) [सं-पु.] 1. गोपनीय भेद; रहस्य 2. आनंद; सुख 3. क्रीड़ा; खेल 4. एकांत स्थान।
रहस्य
(सं.) [सं-पु.] 1. छिपी हुई बात; गुप्त बात; भेद 2. मर्म 3. एकांत में घटित वृत्त 4. एक संप्रदाय। [वि.] 1. गोपनीय 2. गुप्त।
रहस्यपूर्ण
(सं.) [वि.] 1. रहस्य या भेद से भरा 2. मर्म; राज से भरा हुआ।
रहस्यमय
(सं.) [वि.] रहस्य पूर्ण; रहस्य से भरा।
रहस्यवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. चिंतन-मनन के द्वारा ईश्वर से संपर्क स्थापित करने की प्रवृत्ति 2. आत्मा-परमात्मा के अभेद की अनुभूति तथा अव्यक्त के प्रति आत्मनिवेदन से
संबद्ध सिद्धांत।
रहस्यवादी
(सं.) [सं-पु.] रहस्यवाद का अनुयायी। [वि.] 1. रहस्यवाद युक्त 2. रहस्यवाद का।
रहस्यात्मक
(सं.) [वि.] रहस्यमय।
रहस्योद्घाटन
(सं.) [सं-पु.] 1. रहस्य प्रकट करने की क्रिया या भाव 2. किसी रूप में अंदर छिपी हुई बात प्रकट होना।
रहाई
[सं-स्त्री.] 1. रहने की क्रिया; भाव या ढंग 2. सुख एवं शांतिपूर्वक रहने की अवस्था या भाव 3. आराम; सुख; चैन।
रहा-सहा
[वि.] 1. बचा-खुचा 2. थोड़ा-सा 3. बाकी बचा हुआ।
रहित
(सं.) [वि.] 1. के बिना; के बगैर 2. किसी वस्तु; गुण आदि से ख़ाली या हीन 3. शून्य।
रहितत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. रहित होने का भाव 2. नियम-बंधन से छूट दिये जाने की स्थिति।
रहीम
(अ.) [वि.] रहम करने वाला; दयालु; कृपालु।
रहुआ
[सं-पु.] टुकड़ख़ोर; पेटभरता; परमुखापेक्षी।
राँगड़ी
[सं-स्त्री.] दक्षिणी-पश्चिमी मालव तथा मेवाड़ के आस-पास की प्रांतीय बोली या विभाषा। [सं-पु.] पंजाब में होने वाला एक प्रकार का चावल
राँगा
[सं-पु.] एक प्रकार की मुलायम धातु। [सं-स्त्री.] राजस्थानी (भाषा) की एक (क्षेत्रीय) बोली।
राँचना
[क्रि-अ.] अनुरक्त होना; प्रेम हो जाना; रंग पकड़ना। [क्रि-स.] रंग चढ़ाना; रँगना।
राँटी
[सं-स्त्री.] 1. टिटिहरी 2. टिट्टिभि।
राँड़
[सं-स्त्री.] जिसका पति मर चुका हो तथा दूसरा विवाह न हुआ हो; विधवा; बेवा।
राँध
[सं-पु.] 1. बगल 2. आस-पास का स्थान 3. पार्श्व। [सं-स्त्री.] राँधने की क्रिया; भाव या ढंग। [अव्य.] 1. पास 2. समीप 3. निकट।
राँधना
[क्रि-स.] (भोजन आदि) पकाना।
रांकव
(सं.) [सं-पु.] 1. रंक नामक हिरण या भेड़ के रोएँ से बना हुआ कपड़ा 2. पशम; बढ़िया और नरम ऊन।
राइ
(सं.) [सं-पु.] राजा। [वि.] सबसे उत्तम; श्रेष्ट; सबसे बढ़कर।
राइफ़ल
(इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की बंदूक।
राई
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की छोटी सरसों 2. बहुत थोड़ी मात्रा या परिणाम। [मु.] -नोन उतारना : नज़र उतारना। -का पहाड़ बनाना : किसी छोटी-सी बात को बहुत बड़ा बनाना।
राका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का चर्म रोग; खुजली नामक रोग 2. पूर्णिमा की रात।
राकेट
(इ.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का आकाश यान जो एक विशेष गैस की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप उड़ता है 2. किसी अस्त्र को दूर तक फेंकने के लिए प्रयुक्त एक यंत्र 3.
स्फोटक शीर्ष वाला एक प्रक्षेप्य हथियार 4. एक प्रकार का पटाखा जो आकाश में जाकर फूटता है।
राकेश
(सं.) [सं-पु.] निशापति; चंद्रमा।
राक्षस
(सं.) [सं-पु.] 1. दैत्य; निशिचर; निशाचर 2. शैतान; भयावह 3. क्रूर और पापी व्यक्ति 4. कुबेर के कोश-रक्षक।
राक्षसपति
(सं.) [सं-पु.] रावण; लंकेश; दशानन।
राक्षसी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राक्षस की पत्नी 2. राक्षस स्त्री 3. दुष्ट या क्रूर स्वभाव वाली स्त्री। [वि.] राक्षसों जैसा (स्वभाव)।
राख
[सं-स्त्री.] 1. जले हुए पदार्थ का अवशेष; भस्म 2. बरबाद; खाक।
राखदानी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] ऐसा पात्र जिसमें राख रखी जाती हो।
राखना
[क्रि-स.] 1. रक्षा करना; रखवाली करना 2. रोकना 3. छिपाना; कपट करना।
राखी
(सं.) [सं-स्त्री.] रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा) के अवसर पर बहनों द्वारा भाइयों की कलाइयों पर बाँधा जाने वाला धागा।
राग
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी ख़ास धुन में बैठाये हुए स्वर का ढाँचा 2. प्रेम; अनुराग 3. महावर 4. मोह 5. ईर्ष्या और द्वेष। [मु.] अपना राग अलापना :
अपनी ही बात कहते जाना।
राग-चूर्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. लाख 3. खैर का पेड़।
रागच्छन्न
(सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. दाशरथि राम; दशरथ-पुत्र राम।
रागदारी
(सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] ठीक ढंग से नियमों के अनुसार राग-रागिनियाँ गाने की क्रिया या भाव।
रागद्रव्य
(सं.) [सं-पु.] रंग।
रागना
(सं.) [अव्य.] 1. मग्न होना; डूबना 2. रँगा जाना 3. अनुरक्त होना।
राग-पुष्प
(सं.) [सं-पु.] 1. गुल-दुपहरिया नामक पौधा और फूल 2. बंधुजीव।
रागमाला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोई ऐसा गीत या गेय पद जिसमें एक साथ कई शास्त्रीय रागों का प्रयोग किया गया हो 2. वह पुस्तक जिसमें कई रागों का संकलन हो; रागों का
संग्रह।
राग-रंग
(सं.) [सं-पु.] 1. गाना-बजाना; रंग छिड़कना 2. आनंद-मंगल।
रागरंजित
(सं.) [वि.] प्रेम रंग में रँगा हुआ।
रागांगी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की लता जिससे रंग निकाला जाता है; मजीठ।
रागात्मक
(सं.) [वि.] प्रेम उत्पन्न करने या बढ़ाने वाला; प्रेममय; प्रीतिवर्धक।
रागात्मिक
(सं.) [वि.] दे. रागात्मक।
रागान्वित
(सं.) [वि.] 1. जिसे राग या प्रेम हो; रागयुक्त; प्रेमयुक्त; 2. जिसे क्रोध हो; क्रोधयुक्त 3. नाराज़; अप्रसन्न।
रागिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. संगीत में किसी राग का स्त्रीलिंग; संगीत में किसी राग का परिवर्तित रूप 2. भारतीय शास्त्रीय संगीत में कोई ऐसा छोटा राग जिसके स्वरों के
उतार-चढ़ाव आदि का स्वरूप निश्चित और स्थिर हो 3. जयश्री नामक लक्ष्मी 4. चतुर और विदग्धा स्त्री।
रागी
(सं.) [सं-पु.] 1. शास्त्रीय संगीत का ज्ञाता 2. गवैया 3. अशोक का वृक्ष। [वि.] 1. राग से युक्त 2. रँगा हुआ 3. लाल 4. विषय वासना में फँसा हुआ।
राघव
(सं.) [सं-पु.] 1. रघुकुल में उत्पन्न व्यक्ति 2. (रामायण) राम का एक नाम 3. एक बहुत बड़े आकार की समुद्री मछली।
राचना
[क्रि-अ.] 1. बनाना 2. निर्माण करना 3. अनुरक्त होना 4. लीन या मग्न होना 5. रँगा हुआ 6. प्यार करना 7. प्रसन्न होना 8. शोभा देना।
राछ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कारीगरों का उपकरण 2. लकड़ी के मुख्य अंश या हीर 3. जुलाहों का औज़ार 4. जुलूस 5. हथौड़ा।
राज
(सं.) [सं-पु.] 1. राज्य; शासन 2. राजा द्वारा शासित देश; राज्य 3. प्रभुत्व। [मु.] -रजना बहुत अधिक सुख और अधिकार भोगना।
राज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. गुप्त योजना; रहस्य 2. भेद।
राजकरण
(सं.) [सं-पु.] 1. न्यायालय; अदालत 2. राजनीति।
राजकर्मचारी
(सं.) [सं-पु.] 1. राज्य या शासन द्वारा नियुक्त कर्मचारी 2. राजकीय कर्मचारी।
राजकाज
[सं-पु.] 1. राज्य अथवा शासन संबंधी कार्य; राजतंत्र; राज्य व्यवस्था 2. प्रशासन।
राजकार्य
(सं.) [सं-पु.] शासन का काम।
राजकीय
(सं.) [वि.] राज्य या राजा से संबंध रखने वाला; शासन से संबंधित।
राजकुमार
(सं.) [सं-पु.] राजा का बेटा; राजपुत्र; कुमार; नवाबज़ादा; राजकुँअर; युवराज; (प्रिंस)।
राजकुमारी
(सं.) [सं-स्त्री.] राजा की बेटी; युवरानी; शहज़ादी; (प्रिंसेस)।
राजकुल
(सं.) [सं-पु.] 1. राजवंश 2. राजदरबार 3. राजप्रासाद।
राजकोष
(सं.) [सं-पु.] 1. शाही ख़जाना 2. सरकारी ख़जाना।
राजकोषाध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] राजकोष का सबसे बड़ा अधिकारी।
राजग1
[सं-पु.] राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का संक्षिप्त रूप।
राजग2
(सं.) [सं-पु.] वह भूमि जो राज्य की देख-रेख अथवा नियंत्रण में हो।
राजगद्दी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राजसिंहासन 2. राज्याभिषेक 3. राज्याधिकार।
राजगिरि
(सं.) [सं-पु.] 1. मगध जनपद का एक पर्वत 2. बथुआ।
राजगीर
(हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] मकान बनाने वाला कारीगर; राजमिस्त्री; राज; थवई; मेमार; गजधर।
राजगीरी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] राजगीर का कार्य या पद; थवईगीरी।
राजगृह
(सं.) [सं-पु.] राजा का महल या भवन।
राजघराना
(सं.) [सं-पु.] राजा का घराना; राजकुल।
राज-चिह्न
(सं.) [सं-पु.] राजा की पहचान के चिह्न (छत्र, चँवर, दंड आदि)।
राजतंत्र
(सं.) [सं-पु.] वह शासन-प्रणाली जिसमें राज्य का शासन किसी राजा के अधीन होता है।
राजतंत्रवाद
(सं.) [सं-पु.] दे. राजतंत्र।
राजतंत्रवादी
(सं.) [सं-पु.] राजतंत्र का समर्थक; राजतंत्र में विश्वास करने वाला व्यक्ति।
राजतिलक
(सं.) [सं-पु.] नये राजा के राज्यारोहन का उत्सव; राज्याभिषेक।
राजत्व
(सं.) [सं-पु.] राजा होने की अवस्था, भाव या पद।
राजदंड
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा अथवा राज की ओर से दिया जाने वाला दंड 2. राजाज्ञा 3. राजशासन।
राजदंत
(सं.) [सं-पु.] दाँतों की पक्ति के बीच का वह दाँत जो और दाँतों की अपेक्षा बड़ा और चौड़ा होता है।
राजदरबार
[सं-पु.] 1. राजा का दरबार 2. राजओं का सभागृह।
राजदान
(फ़ा.) [वि.] 1. भेदी 2. गुप्तचर 3. रहस्य जानने वाला।
राज़दार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. रह्स्य या भेद को जानने वाला व्यक्ति; रहस्यमयी 2. साथी; संगी। [वि.] राज़ को जानने वाला।
राजदुलारा
(सं.) [वि.] 1. राजा का प्रिय 2. युवराज 3. छोटे बच्चों के लिए एक प्यार भरा संबोधन।
राजदूत
(सं.) [सं-पु.] 1. वह दूत जो किसी एक राज्य की ओर से दूसरे राज्य में कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए भेजा जाता है 2. प्रतिनिधि 3. संदेशवाहक।
राजदूतावास
(सं.) [सं-पु.] राजदूत का निवास स्थान और कार्यालय।
राजदूत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. राजदूत का कार्य 2. एक राज्य से दूसरे राज्य संदेश पहुँचाने का कार्य।
राजद्रोह
(सं.) [सं-पु.] राज्य या राजा के विरुद्ध आचरण; बगावत या विद्रोह।
राजद्रोही
(सं.) [वि.] राजद्रोह करने वाला; बागी; गद्दार।
राजद्वार
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा के महल का मुख्य द्वार 2. न्यायालय; कचहरी 3. राजा की ड्योढ़ी।
राजधानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राज्य का शासन केंद्र; (कैपिटल) 2. मुख्य नगर; प्रधान केंद्र; 3. मुख्यालय।
राजधुस्तूरक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का धतूरा जिसके फूल बड़े और कई आवरण के होते हैं 2. पीला धतूरा जो सोने की तरह दिखता है; कनक धतूरा; राजधूर्त; राजस्वर्ण।
राजनगरी
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी राज्य का मुख्य नगर; राजधानी।
राजनय
(सं.) [सं-पु.] 1. कूटनीति 2. राजनीति।
राजनयिक
(सं.) [सं-पु.] राज्यों के आपसी संबंधों पर कुशलतापूर्वक बातचीत करने वाला व्यक्ति; कूटनीतिज्ञ; (डिप्लोमेट)।
राजनीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सत्ता चलाने का व्यवहार; राज्य की सुरक्षा तथा शासन को दृढ़ करने का उपाय बताने वाली नीति 2. राजपद्धति; राजविद्या।
राजनीतिक
(सं.) [वि.] 1. राजनीति से संबंधित 2. सियासी 3. प्रशासनिक।
राजनीतिकरण
(सं.) [सं-पु.] किसी बात या विषय को राजनीतिक रंग देने का उपक्रम या भाव।
राजनीतिज्ञ
(सं.) [सं-पु.] राजनीति का ज्ञाता या जानकार।
राजनील
(सं.) [सं-पु.] पन्ना; मर्कत मणि; हरित मणि; राजनील।
राजनेता
(सं.) [सं-पु.] राज्य का नेता; राष्ट्रीय नेता।
राजनैतिक
(सं.) [वि.] दे. राजनीतिक।
राजन्य
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. क्षत्रिय 3. अग्नि।
राजपति
[सं-पु.] सम्राट; राजा।
राजपत्र
(सं.) [सं-पु.] शासन की ओर से प्रकाशित राजाज्ञा, अध्यादेश, विधेयक, नियुक्ति संबंधी आदेश आदि।
राजपत्रित
(सं.) [वि.] वह अधिकारी जिसकी नियुक्ति, पदोन्नति, वेतन-वृद्धि संबंधी सूचनाएँ सरकारी अध्यादेश में छपती है।
राजपथ
(सं.) [सं-पु.] मुख्य मार्ग; प्रधान मार्ग।
राजपद
(सं.) [सं-पु.] राजा का पद।
राजपरिवार
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा का परिवार 2. राजकीय परिवार के सदस्य।
राजपाट
(सं.) [सं-पु.] 1. वैभव 2. गद्दी; राजसिंहासन 3. शासन दायित्व; कार्यपालन।
राजपीठ
(सं.) [सं-पु.] सभाओं आदि में वह आसन जिसपर सत्ताधारी पक्ष के लोग बैठते हैं।
राजपुत्र
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा का पुत्र 2. राजकुमार 3. बुध ग्रह।
राजपुरुष
(सं.) [सं-पु.] 1. राजकीय कर्मचारी 2. राज्य या शासन का प्रधान कर्मचारी।
राजपूत
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षत्रियों के कुछ विशिष्ट वंश 2. योद्धा जाति 3. राजपूत वंश का कोई व्यक्ति 4. वह जो राजा का पुत्र हो।
राजपूतनी
(सं.) [सं-स्त्री.] राजपूत स्त्री।
राजपूताना
(सं.) [सं-पु.] 1. आधुनिक राजस्थान का पुराना नाम 2. राजपूतों का गढ़।
राजपूती
(सं.) [वि.] राजपूत संबंधी।
राजप्रासाद
(सं.) [सं-पु.] राजा का महल; राजमहल।
राजफल
(सं.) [सं-पु.] 1. आम 2. पटोल; परवल 3. खिरनी।
राजभक्त
(सं.) [सं-पु.] 1. देशभक्त 2. वह व्यक्ति जो अपने राज्य या राजा के प्रति भक्ति रखता हो।
राजभक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] राजा या देश के प्रति प्रेम व निष्ठा।
राजभवन
(सं.) [सं-पु.] 1. राज्यपाल का निवास 2. राजा का महल।
राजभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी राज्य अथवा देश की राजकार्य में प्रयुक्त होने वाली भाषा।
राजभोग
(सं.) [सं-पु.] 1. राज्य या शासन का सुख भोगना 2. राज करना 3. एक प्रकार का चावल 4. उच्च प्रजाति का बढ़िया आम 5. एक प्रकार की मिठाई।
राजमहल
[सं-पु.] 1. राजा का महल 2. राजप्रासाद।
राजमहिषी
(सं.) [सं-स्त्री.] महारानी; पटरानी।
राजमा
(सं.) [सं-स्त्री.] एक महत्वपूर्ण दलहनी फ़सल, जिसके पौधे सहारे से चढ़ने वाले तथा झाड़ीनुमा होते हैं इसके सूखे दानों का दाल के रूप में तथा हरी फलियों का
सब्ज़ी के रूप में प्रयोग होता है।
राजमाता
(सं.) [सं-स्त्री.] राजा या शासक की माता।
राजमार्ग
(सं.) [सं-पु.] मुख्य सड़क; राजपथ; वह सड़क जो राजभवन को जाती है।
राजमुद्रा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरकारी मुहर 2. राजा के नाम की मुहर।
राजयक्ष्मा
(सं.) [सं-पु.] 1. क्षयरोग; तपेदिक 2. यक्ष्मा नामक बीमारी।
राजयक्ष्मी
(सं.) [वि.] जिसे राजयक्ष्मा रोग हुआ हो; क्षय रोग से पीड़ित; क्षयरोगी; क्षयी।
राजयोग
(सं.) [सं-पु.] 1. (ज्योतिष) ग्रहों का एक योग जिसके अनुसार मनुष्य राजा होता है या राजा के समान पूज्य होता है 2. अष्टांग योग।
राजराजेश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्राट; महाराज 2. राजाओं का राजा 3. अनेक शासकों का प्रधान राजा।
राजरोग
(सं.) [सं-पु.] 1. असाध्य रोग 2. क्षय रोग।
राजर्षि
(सं.) [सं-पु.] वह ऋषि जो राजवंश या क्षत्रिय कुल में उत्पन्न हुआ हो; क्षत्रिय ऋषि; राजऋषि।
राजलिपि
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी राज्य या शासन के कार्यों में काम आने वाली लिपि।
राजवंश
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा का वंश 2. राजा का कुल या परिवार; राजकुल।
राजशास्त्र
[सं-पु.] राजनीति शास्त्र।
राजशास्त्री
[सं-पु.] 1. राजनीति शास्त्र का ज्ञाता 2. राज्य या शासन का ज्ञाता।
राजशाही
(सं.+अ.) [वि.] राजा से संबंधित; शाही; राजसी।
राजश्री
[सं-स्त्री.] 1. राजा का वैभव 2. राज्यश्री 3. राज-लक्ष्मी।
राजस
(सं.) [सं-पु.] 1. रजोगुण 2. राज्याधिकार 3. राजा का सिहांसन 4. क्रोध; आवेश। [वि.] रजोगुणी।
राजसंपदा
(सं.) [वि.] राज्य की संपत्ति।
राजसत्ता
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा या राज्य की सत्ता या प्रभुत्व 2. राजशक्ति 3. राजतंत्र।
राजसत्तात्मक
(सं.) [वि.] वह शासन जिसमें राजा की सत्ता प्रधान हो।
राजसभा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राजाओं की सभा 2. राज दरबार
राजसिंहासन
(सं.) [सं-पु.] राजगद्दी; सिंहासन; राजा या महाराजा के बैठने का स्थान।
राजसिक
[वि.] रजोगुणी।
राजसी
(सं.) [सं-पु.] राजा के अनुकूल; शाही।
राजसूय
(सं.) [सं-पु.] प्राचीन काल में सम्राट पद का अधिकारी बनने के लिए आयोजित एक यज्ञ जो कई यज्ञों का समष्टि रूप होता था।
राजस्थान
(सं.) [सं-पु.] 1. भारत के के राज्य 2. राजपूताना।
राजस्थानी
[सं-स्त्री.] 1. राजस्थान की भाषा 2. राजस्थान का निवासी।
राजस्व
(सं.) [सं-पु.] राजा अथवा राज्य का अंश; राजा अथवा राज्य को प्रजा अथवा जनता मिलने वाला कर अथवा धन।
राजस्व न्यायालय
(सं.) [सं-पु.] 1. राजस्व संबंधी मुकदमों का न्यायालय; (रेवेन्यु कोर्ट) 2. मालगुजारी या लगान आदि के मुकदमे सुनने वाली अदालत।
राजस्वी
(सं.) [वि.] कर या राजस्व संबंधी।
राजहंस
(सं.) [सं-पु.] वर्षाऋतु में हिमालय पर स्थित मानसरोवर झील की ओर प्रवास करने वाली हंस की एक प्रजाति।
राजहत्या
(सं.) [सं-पु.] राजा या राजपरिवार के किसी सदस्य की हत्या (का आरोप)।
राजहित
(सं.) [सं-पु.] राजा अथवा राज्य का हित।
राजा
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश का प्रधान शासक और स्वामी 2. नरेश; अधिपति; मालिक 3. धनी व्यक्ति; संपन्न व्यक्ति।
राजाज्ञा
(सं.) [सं-स्त्री.] राजा या राज्य की आज्ञा।
राजाधिकारी
(सं.) [सं-पु.] राज्य का अधिकारी; राजकर्मचारी।
राजाधिराज
(सं.) [सं-पु.] राजाओं का राजा; सम्राट।
राजाभियोग
(सं.) [सं-पु.] राजा द्वारा बलपूर्वक या ज़बरदस्ती अपनी प्रजा से कोई काम कराना।
राजावर्त
(सं.) [सं-पु.] नीले रंग का एक पत्थर; लाजवर्द; लाजवर्त; एक प्रकार का रत्न।
राजाश्रय
(सं.) [सं-पु.] 1. राज्य का आश्रय या शरण 2. राजा का आश्रय।
राजि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रेखा; लकीर 2. श्रेणी; पंक्ति; कतार; अवली 3. राई।
राजिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राई 2. पंक्ति; श्रेणी 3. रेखा; लकीर 4. केदार; क्यारी।
राज़ी
(अ.) [वि.] 1. तैयार; सहमत 2. ख़ुश; ख़ुशी; प्रसन्न 3. स्वस्थ; निरोग 4. सुखी।
राज़ीनामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वादी-प्रतिवादी की आपसी सहमति से मुक़दमे को उठाने के लिए दिया गया पत्र; सुलहनामा।
राजीव
(सं.) [सं-पु.] 1. नीला कमल 2. कमल 3. हाथी 4. सारस 5. रैया मछली 6. मृग। [वि.] 1. धारीदार 2. जिसे राजवृति मिलती है।
राजीविनी
(सं.) [सं-स्त्री.] कमलिनी।
राजेंद्र
(सं.) [सं-पु.] राजाओं का राजा; राजाधिराज; सम्राट।
राजेश
(सं.) [सं-पु.] दे. राजेंद्र।
राजेश्वर
(सं.) [सं-पु.] 1. सम्राट 2. राजाओं का राजा। [सं-स्त्री.] एक रागिनी।
राज्य
(सं.) [सं-पु.] प्रदेश; प्रांत; (स्टेट)।
राज्यकोष
(सं.) [सं-पु.] सरकार का ख़जाना; सरकारी ख़जाना।
राज्याभिषेक
(सं.) [सं-पु.] राजगद्दी पर किसी नए राजा के बैठने पर होने वाला औपचारिक उत्सव; राज्यारोहण।
राज्यारोहण
(सं.) [सं-पु.] किसी राजा द्वारा राज्य का कार्यभार ग्रहण करते समय होने वाला औपचारिक समारोह।
राज्याश्रित
(सं.) [वि.] जिसका पालन-पोषण राज्य या शासन द्वारा हो।
राठौर
(सं.) [सं-पु.] 1. मध्य काल में एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राजवंश 2. क्षत्रियों का एक कुलनाम या सरनेम।
राड़
(सं.) [सं-स्त्री.] लड़ाई; युद्ध [वि.] 1. कायर 2. नीच; तुच्छ 3. निकम्मा।
राणा
[सं-पु.] मध्यकाल में राजस्थान के कुछ राजाओं-सरदारों के लिए प्रयुक्त संबोधन।
रात
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. निशा; रात्रि 2. समय का वह भाग जब सूर्य का प्रकाश दिखाई नहीं देता।
रात-दिन
[अव्य.] 1. सदा; हमेशा 2. हर समय।
रातना
[क्रि-अ.] 1. अनुरक्त होना; मुग्ध होना 2. रंग जाना 3. लाल रंग से रँगा जाना।
रात-बिरात
[क्रि.वि.] 1. किसी भी समय 2. समय की परवाह किए बगैर।
रातरानी
(सं.) [सं-स्त्री.] एक पौधा जिसका फूल रात में खिलता है।
रातिब
(अ.) [सं-पु.] 1. पशुओं को दिया जाने वाला भोजन 2. वेतन।
रातोंरात
(सं.) [क्रि.वि.] 1. रात भर में; एक ही रात में 2. बहुत कम समय में।
रात्रक
(सं.) [वि.] रात्रि संबंधी; रात का।
रात्रि
(सं.) [सं-स्त्री.] सूर्यास्त से लेकर सूर्योदय तक की अवधि; रजनी; रात; निशा।
रात्रिकालीन
(सं.) [वि.] रात के समय का।
रात्रि-जागरण
(सं.) [सं-पु.] किसी कार्य-विशेष को पूर्ण करने के उद्देश्य से रात में जगना।
रात्रि-परिधान
(सं.) [सं-पु.] रात में पहने जाने वाला आरामदेह वस्त्र; (नाइट गाउन)।
रात्रिभोज
(सं.) [सं-पु.] रात के समय दिया जाने वाला भोज या खाने का दावत; (डिनर)।
रात्रिशाला
(सं.) [सं-स्त्री.] रात में पढ़ाई की व्यवस्था वाली पाठशाला या कार्यशाला।
राधन
(सं.) [सं-पु.] 1. प्रसन्न और संतुष्ट करना 2. साधन 3. मिलना 4. उपासना करना।
राधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. आराधना या पूजा करना 2. चालाकी से काम निकालना 3. पूरा करना।
राधा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) वृषभानु की कन्या तथा कृष्ण की प्रेमिका 2. अंतर्मुखी वृत्ति या स्वभाव 3. प्रीति; अनुराग 4. विशाखा नक्षत्र 5. वैशाख की
पूर्णिमा।
राधारानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राधा; राधिका; वृषभानुजा; श्यामा; राधे रानी; वार्षभानवी; वृंदावनेश्वरी; श्रीनितंबा 2. वृषभानु की पुत्री जो कृष्ण की प्रेमिका थी।
राधावल्लभ
(सं.) [सं-पु.] 1. श्री कृष्ण 2. राधा के प्रिय।
राधावल्लभी
(सं.) [सं-पु.] 1. वैष्णव धर्म का एक संप्रदाय 2. मध्यकालीन भक्ति संप्रदाय के अनुयायी।
राधास्वामी
(सं.) [सं-पु.] 1. एक मतप्रवर्तक आचार्य 2. एक संप्रदाय के अनुयायी।
राधिका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राधा 2. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का मात्रिक छंद।
राधेश्याम
(सं.) [सं-पु.] राधा और श्याम।
राध्य
(सं.) [वि.] आराधना करने के योग्य; आराध्य।
रान
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] जाँघ; जंघा।
रानी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रेयसी या पत्नी के लिए स्नेह युक्त संबोधन 2. राजा की पत्नी 3. स्वामिनी; मालकिन।
रानी काजल
[सं-पु.] 1. एक धान 2. उक्त धान का चावल।
राब
[सं-स्त्री.] आँच में पका कर गाढ़ा किया गया गन्ने का रस; खाँड़।
राबिता
(अ.) [सं-पु.] 1. मेल-मिलाप 2. संबंध 3. जोड़; मेल।
राम
(सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र 2. भारतीय मिथक में मर्यादापुरुषोत्तम के प्रतीक-रूप 3. ईश्वर का पर्याय 4. एक प्रकार का छंद
5. बलराम 6. ईश्वर; भगवान।
रामकथा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. राम की कथा जो पुराणों तथा अन्य ग्रंथों में वर्णित है 2. जीवन में घटित घटनाओं का विस्तृत वृत्तांत अथवा ब्योरा।
राम-कहानी
[सं-स्त्री.] 1. व्यवस्थित; विवरण 2. अपनी कहानी; आपबीती।
रामकृष्ण
(सं.) [सं-पु.] 1. राम और कृष्ण 2. उन्नीसवीं शताब्दी का बंगाल का एक प्रसिद्ध संत।
रामचंगी
[सं-स्त्री.] एक प्रकार की तोप।
रामचंद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. (रमायाण) अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र 2. भारतीय मिथक में मर्यादा पुरुषोतम राम, जिन्होंने रावण का वध किया था।
रामजना
[सं-पु.] जिसके पिता का पता न हो; वर्णसंकर।
रामदूत
(सं.) [सं-पु.] 1. हनुमान 2. अंगद।
रामधुन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. भक्तिपूर्वक राम का नाम जपना 2. वह भजन जिसमें राम नाम बार-बार आता हो।
रामनवमी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. चैत्र शुक्ल नवमी 2. श्रीराम का जन्म दिवस।
रामनामी
[सं-स्त्री.] 1. गले में पहनने का एक प्रकार का आभूषण 2. एक दुपट्टा जिसपर राम नाम लिखा हो।
रामपुरी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वर्ग 2. साकेत 3. अयोध्या। [वि.] रामपुर का।
रामफटाका
[सं-पु.] 1. रामानंदी तिलक 2. एक दार्शनिक संप्रदाय जिसके अनुयायी मस्तक पर लंबा तिलक लगाते हैं।
रामबाण
(सं.) [वि.] 1. अतिशीघ्र लाभ करने वाला (औषध या नुस्खा) 2. अमोघ; अचूक।
रामबास
[सं-पु.] एक प्रकार का धान व उसका चावल।
रामभरोसे
[क्रि.वि.] 1. भगवान की इच्छानुसार 2. भाग्य पर अवलंबित।
रामरज
(सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की पीली मिट्टी।
रामरस
(सं.) [सं-पु.] 1. नमक 2. पीसी और घोली हुई भाँग।
रामराज्य
(सं.) [सं-पु.] 1. श्रीराम का शासन 2. ऐसा शासनकाल जिसमें सभी सुखी और चिंता मुक्त हों 3. सुशासन।
रामरौला
[सं-पु.] व्यर्थ का हल्ला-हंगामा।
रामलीला
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराणों) अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम के चरित्र का अभिनय 2. (पुराण) अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र राम के चरित्र
के अभिनय के लिए राम के जन्म से रावण वध तक होने वाला आयोजन।
रामशर
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का नीरस पौधा जो आकार-प्रकार में ईख जैसा दिखता हो 2. सरकंडा।
रामसनेही
(सं.) [सं-पु.] निर्गुणोपासक संतों का एक संप्रदाय।
रामा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुंदर स्त्री 2. गायन कला में प्रवीण स्त्री; कला कुशल स्त्री 3. लक्ष्मी 4. सीता 5. रुक्मणी 6. राधा 7. कार्तिक बदी ग्यारह की तिथि;
एकादशी 8. प्रियतमा; पत्नी 9. हींग 10. ईंगुर; शिंगरफ 11. नदी 12. सफ़ेद भटकटैया 13. घीकुआर 14. शीतल 15. अशोक 16. गोरोचन 17. एक वनौषधि; सुगंधवाला।
रामानंदी
(सं.) [सं-पु.] रामानंद द्वारा प्रवर्तित रामावत संप्रदाय का अनुयायी। [वि.] 1. रामानंद संबंधी 2. रामानंद के संप्रदाय का अनुयायी।
रामानुज
(सं.) [सं-पु.] राम का अनुज; लक्ष्मण।
रामायण
(सं.) [सं-पु.] संस्कृत भाषा में वाल्मीकि रचित महाकाव्य जिसमें राम के चरित्र का वर्णन है।
रामायणी
(सं.) [सं-पु.] 1. रामायण का ज्ञाता 2. रामायण कथा सुनाने वाला। [वि.] 1. रामायण संबंधी 2. रामायण का।
रामायुध
(सं.) [सं-पु.] धनुष।
राय1
[सं-पु.] 1. छोटा राजा; सामंत या सरदार 2. एक कुलनाम या सरनेम 3. भाटों की उपाधि।
राय2
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुझाव; सलाह 2. मत; विचार 3. तदवीर।
रायज
(अ.) [वि.] 1. जो रीति के अनुरूप हो 2. जारी; प्रचलित।
रायता
[सं-पु.] दही में बूँदी या उबली हुई सब्ज़ी (लौकी, कुम्हड़ा) आदि में नमक मिलाकर तैयार किया हुआ खाद्य पदार्थ।
रायबहादुर
(सं.) [सं-पु.] एक उपाधि जो ब्रिटिश-शासन में भारतीय धनी व्यक्तियों या ज़मींदारों को दी जाती थी।
रायभोग
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार की धान व उसका चावल।
रायमुनी
[सं-स्त्री.] मदिया; मुनिया; लाल नामक पक्षी की मादा।
रायसा
[सं-पु.] 1. रासा; रासो 2. राजा का चरित्र विषयक काव्य-ग्रंथ।
रार
(सं.) [सं-पु.] लड़ाई; झगड़ा; टंटा; हुज्जत; तकरार।
राल
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का सदाबहार पेड़, इस पेड़ का उपयोग सुगंध, औषधि के लिए किया जाता है 2. पशुओं का एक रोग।
रालदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] गोंद लगा हुआ; लसलसा; लसदार।
राव
[सं-पु.] 1. राजा 2. राजाओं की पदवी 3. हलका शोर; धीमा कोलाहल 4. बंदीजन।
रावटी
[सं-स्त्री.] 1. कपड़े आदि का घर; (टेंट) 2. बारहदरी।
रावण
(सं.) [सं-पु.] (रामायण) लंका का प्रसिद्ध राजा जो अपने दस सिरों और बीस भुजाओं के कारण भी जाना जाता था (साधारण से दस गुणा अधिक मस्तिष्क शक्ति और बीसगुना
बाहुबल); दशानन; राम-कथा का मुख्य खल पात्र। [वि.] 1. रुलाने वाला 2. हाहाकार मचाने वाला।
रावत
[सं-पु.] 1. छोटा राजा 2. सामंत; सरदार 3. सेनापति 4. वीर 5. शूर 6. योद्धा 7. ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।
रावल
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. सरदार 3. राजा का महल 4. आदर सूचक शब्द।
रावला
(सं.) [सर्व.] रावरा।
रावली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंतःपुर 2. राजाओं का निवास या महल।
रावी
[सं-स्त्री.] पंजाब की पाँच नदियों में से एक; वेदों में वर्णित इरावती नदी का आधुनिक नाम।
राशन
(इं.) [सं-पु.] 1. खाद्य पदार्थ 2. रसद; सेना या सिपाही आदि की खुराक 3. सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर गरीब जनता को दी जाने वाली खाद्य-सामाग्री।
राशनकार्ड
(इं.) [सं-पु.] नियंत्रित मूल्य तथा निश्चित मात्रा में वस्तुओं को प्राप्त करने का अधिकार पत्र।
राशनिंग
(इं.) [सं-पु.] खाद्य पदार्थों या दैनिक उपभोग की अन्य वस्तुओं के समान अनुपात में वितरण की व्यवस्था।
राशनी
[वि.] राशन संबंधी; राशन का।
राशि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान किस्म या जाति की वस्तुओं का ढेर 2. क्रांतिवृत्त के अंदर पड़ने वाले ताराओं का समूह; नक्षत्र।
राशि-चक्र
(सं.) [सं-पु.] 1. ग्रहों के चलने का वृत्ताकार पथ 2. आकाश का वह कटिबंध जिसमें सूर्य; ग्रह और चंद्रमा भ्रमण करते हुए प्रतीत होते हैं।
राशी
(अ.) [वि.] घूस अथवा रिश्वत लेने वाला; घूसख़ोर; रिश्वतख़ोर।
राष्ट्र
(सं.) [सं-पु.] देश; राज्य; वह निश्चत भू-भाग जिसकी अपनी सीमा, जनसंख्या, सेना तथा सरकार हो; (नेशन)।
राष्ट्र-गान
(सं.) [सं-स्त्री.] राष्ट्र के सम्मान में गाया जाने वाला गान।
राष्ट्रगीत
(सं.) [सं-पु.] किसी राष्ट्र के द्वारा चुना गया गीत जिसमें उस राष्ट्र की अस्मिता का वर्णन होता है और जिसे ख़ास अवसरों पर समूह स्वरों में गाया जाता है।
राष्ट्र-गौरव
(सं.) [सं-पु.] किसी राष्ट्र के लिए गर्व करने वाली बात।
राष्ट्रत्व
(सं.) [सं-पु.] 1. राष्ट्रीयता 2. राष्ट्र प्रेम की भावना।
राष्ट्रद्रोह
(सं.) [सं-पु.] देशद्रोह।
राष्ट्रद्रोही
(सं.) [सं-पु.] राष्ट्र से विद्रोह करने वाला व्यक्ति।
राष्ट्रध्वज
(सं.) [सं-पु.] किसी राष्ट्र अथवा देश का राष्ट्रीय झंड़ा; (नेशनल फ्लैग)।
राष्ट्रनायक
(सं.) [सं-पु.] राष्ट्र या देश का नायक।
राष्ट्रपति
(सं.) [सं-पु.] 1. सर्वप्रधान शासक; राष्ट्रनेता 2. अधिपति 3. राष्ट्राध्यक्ष 4. जनाधिपति।
राष्ट्रपरिषद
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी देश के प्रधान अधिकारियों की सभा।
राष्ट्रपिता
(सं.) [सं-पु.] किसी राष्ट्र के महान जन-नेता को सम्मान में प्रदान की गई एक भावनात्मक उपाधि।
राष्ट्रभक्त
(सं.) [सं-पु.] 1. देश भक्त 2. देश के प्रति ईमानदार रहने वाला व्यक्ति।
राष्ट्रभाषा
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी देश की वह भाषा जिसका व्यवहार उस देश के नागरिक (अन्य भाषा-भाषी नागरिक भी) सार्वजनिक कार्यों में करते हैं।
राष्ट्रमंडल
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वतंत्र राष्ट्रों का एक ऐसा समूह जिसमें सभी का समान हित, समान भावना और सबके कुछ निश्चित कर्तव्य हों 2. स्वतंत्र राष्ट्रों का ऐसा समूह
जिसमें केंद्रीय शक्ति या सत्ता नहीं होती; (कामनवेल्थ)।
राष्ट्रलिपि
(सं.) [सं-स्त्री.] वह लिपि जिसमें किसी देश की राष्ट्रभाषा लिखी जाती है।
राष्ट्रवाद
(सं.) [सं-पु.] एक विश्वास, पंथ या राजनीतिक विचारधारा, जिसके द्वारा व्यक्ति अपने गृह राष्ट्र के साथ अपनी पहचान बनाता या लगाव व्यक्त करता है; यह एक ऐसी
अवधारणा है जिसमें राष्ट्र को सबसे अधिक प्राथमिकता दी जाती है; वह धारणा जिसमें राष्ट्र की उन्नति, संपन्नता, विस्तार आदि का ध्यान रखा जाता है तथा राष्ट्र की
परंपराओं का पालन तथा गौरव या सम्मान किया जाता है; (नेशनलिज़्म)।
राष्ट्रवादी
(सं.) [वि.] राष्ट्रवाद से संबंधित। [सं-पु.] राष्ट्रवाद के सिद्धांतों का समर्थक, पोषक तथा अनुयायी।
राष्ट्रविरोधी
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो राष्ट्रविरोधी कार्यों में लिप्त हो। [वि.] जिससे राष्ट्र का नुकसान हो।
राष्ट्रव्यापी
(सं.) [वि.] जो पूरे देश के स्तर पर फैला हो।
राष्ट्रसंघ
(सं.) [सं-पु.] विश्व के विभिन्न राष्ट्रों का संघ जो प्रथम विश्वयुद्ध के बाद अस्तित्व में आया; (लीग ऑव नेशंस)।
राष्ट्राध्यक्ष
(सं.) [सं-पु.] किसी राष्ट्र का प्रधान या स्वामी।
राष्ट्रिक
(सं.) [सं-पु.] 1. राजा 2. प्रजा। [वि.] राष्ट्र संबंधी; राष्ट्र का।
राष्ट्रीकृत
(सं.) [वि.] राष्ट्र का या राष्ट्र द्वारा बनाया हुआ।
राष्ट्रीय
(सं.) [वि.] 1. राष्ट्र का; राष्ट्र संबंधी 2. राष्ट्र की एकता; महत्ता; विशेषताओं आदि से संबंध रखने वाला 3. राष्ट्र द्वारा संचालित; राष्ट्रीयकृत।
राष्ट्रीयकरण
(सं.) [सं-पु.] देश के उद्योग; भूमि; खान या अन्य संपत्तियों पर राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए सरकार अथवा राष्ट्र के द्वारा उन पर अधिकार कर लेने का
उपक्रम।
राष्ट्रीयकृत
(सं.) [वि.] 1. राष्ट्र का बनाया हुआ 2. अधिगृहीत 3. निजीकृत 4. सरकारी।
राष्ट्रीयता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. देशभक्ति; राष्ट्रप्रेम; देश या राष्ट्र से प्रेम 2. राष्ट्रवाद की भावना।
राष्ट्रोत्थान
(सं.) [सं-पु.] राष्ट्र का उत्थान; राष्ट्र की उन्नति या विकास।
राष्ट्रोन्माद
(सं.) [सं-पु.] अटूट राष्ट्रभक्ति; पागलपन की हद तक राष्ट्रप्रेम।
रास1
[सं-स्त्री.] 1. लगाम 2. ढेर 3. चौपायों का समूह 4. जोड़ 5. ब्याज। [सं-पु.] 1. लास्य नामक नृत्य 2. गोद 3. दत्तक 4. एक छंद।
रास2
(सं.) [सं-पु.] 1. शोरगुल; कोलाहल 2. एक प्रकार का नृत्य, जो बृजभूमि का लोकनृत्य है, जिसमें वसंतोत्सव, होली तथा राधा और कृष्ण की प्रेम कथा का वर्णन होता है;
रसिया; विलास 3. नर्तकों का समाज।
रास3
(अ.) [सं-पु.] 1. सिरा; ऊपरी भाग 2. पशुओं की संख्या का सूचक शब्द, जैसे- दो रास बैल 3. अंतरीप। [वि.] दुरुस्त; ठीक।
रासक
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का एकांकी नाटक 2. (काव्यशास्त्र) दृश्य काव्य का एक भेद।
रासकुमारी
[सं-स्त्री.] 1. कन्याकुमारी 2. भारत के दक्षिण में रामेश्वर के पास का एक अंतरीप।
रासधारी
(सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो कृष्ण-लीला का अभिनय करता हो।
रासभ
(सं.) [सं-पु.] 1. गधा 2. गर्दभ; खर।
रास-मंडली
(सं.) [सं-स्त्री.] रासधारियों की टोली; रासधारियों का समाज।
रासलीला
(सं.) [सं-स्त्री.] कृष्ण द्वारा किया जाने वाला नृत्य।
रासविलास
(सं.) [सं-पु.] 1. आनंद; मंगल 2. रास-क्रीड़ा 3. रासलीला।
रासायनिक
(सं.) [वि.] 1. जो रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप बनी हो या रसायन से संबंधित हो 2. रसायन का।
रासायनिक परीक्षक
(सं.) [सं-पु.] रासायनिक तत्वों का परीक्षण करके उनका विश्लेषण करने वाला व्यक्ति।
रासी
[वि.] 1. नकली; ख़राब 2. मिलावटी।
रासो
(सं.) [सं-पु.] किसी राजा का पद्यमय जीवन-चरित्र, जैसे- पृथ्वीराज रासो।
रास्त
(फ़ा.) [वि.] 1. दाहिना 2. सीधा; सरल 3. ठीक 4. वाजिब।
रास्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पथ; राह; मार्ग 2. उपाय 3. लक्ष्य। [मु.] -देखना : प्रतीक्षा करना; इंतज़ार करना। -पकड़ना : चले जाना।
राह
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. रास्ता।
राहख़र्च
(फ़ा.) [सं-पु.] यात्रा के दौरान होने वाला ख़र्च; मार्ग व्यय।
राहगीर
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मुसाफ़िर; पथिक; यात्री 2. रास्ता चलने वाला व्यक्ति।
राह चबेनी
[सं-स्त्री.] 1. अक्षय तृतीया को दिया जाने वाला दान 2. (लोकमान्यता) मृतात्मा की तृप्ति के लिए किया जाने वाला बेसन के लड्डू, चने का भूँजा, झंझर आदि का दान।
राह चलता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. पथिक 2. अजनबी 3. गैर।
राहज़न
(फ़ा.) [सं-पु.] राहज़नी करने वाला; डाकू; लुटेरा।
राहज़नी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. लूट; डकैती; लूट-पाट 2. बटमार।
राहत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. आराम; चैन; सुख 2. छूट 3. बचाव।
राहदार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. सड़कों या रास्तों की रक्षा करने वाला व्यक्ति 2. सड़कों पर चलने वाले यात्रियों से शुल्क या कर वसूलने वाला व्यक्ति।
राहदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] सड़क का कर; चुंगी; (रोड टैक्स)।
राहित्य
(सं.) [सं-पु.] 1. रहित होने का भाव 2. ख़ालीपन।
राहिन
[वि.] 1. बंधक या गिरवी रखने वाला 2. रेहन रखने वाला।
राही
(फ़ा.) [सं-पु.] पथिक; यात्री। [मु.] -होना चल देना; खिसक जाना।
राहु
(सं.) [सं-पु.] 1. नौ ग्रहों में से एक 2. कष्टदायक व्यक्ति या वस्तु।
रिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. अँगूठी 2. छल्ला 3. वलय 4. घेरा 5. चूड़ी।
रिंच
(इं.) [सं-पु.] किसी मशीन आदि के नट; बोल्ट खोलने का उपकरण।
रिंद
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. स्वच्छंद 2. धार्मिक परंपराओं को न मानने वाला 2. शराबी 3. रसिया 4. रंगीला 5. बेफ़िक्र।
रिआयत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. विचार; ख़याल 2. राहत; नरमी; कोमल; दयापूर्ण व्यवहार; लिहाज़; तरफ़दारी।
रिआया
(अ.) [सं-स्त्री.] अवाम; जनता; प्रजा।
रिएक्टर
(इं.) [सं-पु.] (भौतिकशास्त्र) विभिन्न प्रकार के उपकरणों में से प्रत्येक जो ऊर्जा या कृत्रिम तत्वों के उत्पादन के लिए परमाणु अभिक्रिया को संचालित एवं
नियंत्रित करते हैं।
रिकवँछ
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पकवान 2. अरुई (अरवी) के पत्तों या बेसन आदि से बनाया हुआ पीठी जैसा खाद्य पदार्थ।
रिकशा
(जा.) [सं-पु.] दो या तीन पहियों की एक छोटी गाड़ी जिसे आदमी खींचते हैं और जिसमें एक या दो यात्री बैठते हैं।
रिकार्ड
(इं.) [सं-पु.] 1. किसी घटना आदि का पूर्ण लिखित विवरण 2. खेलों के उच्चतम कीर्तिमान दस्तावेज़; लेख-प्रमाण 3. स्थायी रूप में रखना 4. सुरक्षित विवरण 5. अभिलेख।
रिक्त
(सं.) [वि.] ख़ाली; शून्य।
रिक्तता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ाली या रिक्त होना 2. किसी पद, नौकरी या स्थान का ख़ाली होना।
रिक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रिक्त होने की क्रिया अथवा भाव 2. स्थान या पद जो ख़ाली हो गया हो अथवा जिसे भरा न गया हो; (वेकेंसी)।
रिक्षा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. जूँ का अंडा; लीक्षा; लीख 2. त्रिसरेणु; त्रसरेणु।
रिजक
(पं.) [सं-पु.] जीवन-वृति; रोजी; आजीविका।
रिज़र्व
(इं.) [वि.] 1. आरक्षित; निश्चित किया हुआ 2. किसी ख़ास कार्य हेतु रक्षित; ख़ास किया हुआ 3. अपनेआप में खोया रहने वाला।
रिज़ल्ट
(इं.) [सं-पु.] 1. परिणाम; फल; नतीज़ा 2. परीक्षाफल।
रिझवार
[सं-पु.] 1. प्रेमी 2. मोहित होने वाला व्यक्ति 3. आशिक।
रिझाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रंजन करना; लुभाना 2. प्रसन्न या मोहित कर लेना।
रिझाव
[सं-पु.] 1. रीझने की क्रिया या भाव 2. रीझने की अवस्था।
रिझावनहार
[वि.] रिझाने वाला; आकर्षित करने वाला।
रिझावना
[क्रि-स.] रिझाना लुभाना; मोहित करना।
रिट
(इं.) [सं-स्त्री.] न्यायालय में किसी न्याय-विरुद्ध कार्य को रोकने के लिए दिया जाने वाला प्रार्थना पत्र।
रिटर्न टिकट
(इं.) [सं-पु.] वापसी टिकट।
रिटर्निंग ऑफिसर
(इं.) [सं-पु.] चुनाव के उपरांत मतगणना करके परिणाम की घोषणा करने वाला अधिकारी।
रिटायर
(इं.) [वि.] सेवा से अवकाश प्राप्त।
रिटायरमेंट
(इं.) [वि.] 1. सेवानिवृत्ति; अवकाश प्राप्ति 2. एकांत 3. चला जाना; हट जाना।
रिटायर्ड
(इं.) [वि.] जिसने सेवा से अवकाश ग्रहण कर लिया हो; अवकाश प्राप्त।
रिटेल
(इं.) [वि.] 1. खुदरा; फुटकर 2. थोक का उलटा या थोड़ा-थोड़ा।
रिढ़ना
[क्रि-अ.] ज़मीन से रगड़ते हुए चलना।
रिताना
[क्रि-अ.] रिक्त होना। [क्रि-स.] रिक्त करना; खाली करना।
रिपु
(सं.) [सं-पु.] शत्रु; दुश्मन; वैरी।
रिपुखंडन
(सं.) [वि.] शत्रु का नाश करने वाला।
रिपुदमन
(सं.) [वि.] शत्रुओं का दमन करने वाला।
रिपुदल
(सं.) [सं-पु.] दुश्मनों का समूह।
रिपेयर
(इं.) [सं-पु.] मरम्मत; सुधार।
रिपेयरिंग
(इं.) [क्रि-स.] किसी क्षतिग्रस्त वस्तु या सामान को दुरुस्त करना; मरम्मत करना; सुधारना।
रिपोर्ट
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी घटना-विशेष का विस्तृत वर्णन 2. प्रतिवेदन 3. कार्य-विवरण।
रिपोर्टर
(इं.) [सं-पु.] 1. समाचार या संवाद देने वाला व्यक्ति; संवाददाता 2. कौंसिल व अदालत आदि की रिपोर्ट लिखने वाला सरकारी कर्मचारी 3. सभा या समिति का विवरण लिखने
वाला व्यक्ति।
रिफ़ार्मर
(इं.) [सं-पु.] वह जो धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक सुधार व उन्नति के लिए प्रयत्न या आंदोलन करता हो; समाज-सुधारक।
रिफ़ार्मेटरी
(इं.) [सं-स्त्री.] वह संस्था या स्थान जहाँ बाल अपराधी या कैदी को चरित्र-सुधार के लिए रखा जाता है; बाल सुधारगृह।
रिफ़िल
(इं.) [सं-पु.] किसी ख़ाली पात्र में पुनः भरी जाने वाली वस्तु या पदार्थ।
रिफ़ॉर्म
(इं.) [क्रि-स.] 1. कानून, व्यवस्था आदि में सुधार लाना 2. अपने या दूसरे के आचरण में सुधार करना। [सं-पु.] सुधार।
रिफ़्यूजी
(इं.) [सं-पु.] वह जिसे निवास-स्थान से बलपूर्वक हटा दिया गया हो तथा जो दूसरी जगह शरण पाकर रहना चाहता हो; शरणार्थी; मुहाजिर। [वि.] जो कहीं शरण पाना चाहता हो;
शरणार्थी।
रिबन
(इं.) [सं-पु.] 1. बाल में बाँधने व सजाने के काम आने वाली चौड़ी पट्टी 2. रेशमी कपड़े की पतली पट्टी 3. फ़ीता।
रिमझिम
[सं-स्त्री.] वर्षा की छोटी-छोटी बूँदें गिरना; फुहार पड़ना।
रिमांड
(इं.) [सं-पु.] आरोपी पर मुकदमा प्रारंभ होने से पूर्व का समय।
रिमार्क
(इं.) [सं-पु.] कथन; टिप्पणी।
रिमोट
(इं.) [वि.] 1. दूरस्थ; दूरवर्ती 2. समय की दृष्टि से बहुत दूर 3. जो बेमिलनसार न हो 4. टी.वी. , डीवीडी, एसी आदि यंत्रों को दूर से ही चालू बंद या नियंत्रित
करने वाला छोटा यंत्र; बेतार यंत्र।
रियाज़
(अ.) [सं-पु.] 1. अभ्यास; संगीत, नृत्य आदि कलाओं के अभ्यास में किया जाने वाला परिश्रम; मेहनत 2. तप; तपस्या।
रियाज़त
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. मेहनत; परिश्रम 2. अभ्यास 3. कार्य सिद्ध करने के लिए किया जाने वाला कठिन परिश्रम; तपस्या।
रियाज़ी
(अ.) [वि.] मेहनती; परिश्रमी। [सं-स्त्री.] गणित की विद्या।
रियासत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. मिलकियत; संपत्ति 2. शासन; हुकूमत 3. रईस होने का भाव; अमीरी; वैभव।
रियासती
[वि.] रियासत से संबंध रखने वाला; रियासत संबंधी; रियासत का।
रियाह
(अ.) [सं-पु.] अपान वायु; बाई; अफरा।
रिरियाना
[क्रि-अ.] गिड़गिड़ाना; दीनता प्रकट करना।
रिरिहा
[वि.] गिड़गिड़ाकर, रट लगाकर माँगने वाला।
रिलीज़
(इं.) [सं-पु.] 1. मुक्ति या मुक्ति की स्थिति 2. सार्वजनिक उपयोग के लिए जारी रिकॉर्ड, फ़िल्म आदि 3. सार्वजनिक उपयोग के लिए जारी करने की क्रिया; विमोचन।
रिलीफ़
(इं.) [सं-पु.] 1. दर्द की समाप्ति या आराम 2. चिंता, कष्ट आदि से चैन या राहत 3. पीड़ितों के सहायतार्थ धन या भोजन के रूप में दी जाने वाली सहायता; राहत-सहायता
4. कर के रूप में देय राशि में कटौती या रिआयत; कर में राहत।
रिवाज
(अ.) [सं-पु.] परंपरा; प्रथा; रीति; चलन; दस्तूर।
रिवायत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के द्वारा कही गई बात ज्यों की त्यों कहना 2. इस्लाम में हजरत पैगंबर के मुख से सुनी हुई बात को दूसरों को उन्हीं के शब्दों में
सुनाना; हदीस।
रिवाल्वर
(इं.) [सं-पु.] तमंचा; पिस्तौल; एक प्रकार की छोटी बंदूक।
रिव्यू
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. पुनःपरीक्षण 2. पुनरीक्षण; पुनर्विलोकन 3. फ़िल्म, पुस्तक आदि की समीक्षा।
रिश्ता
(फ़ा.) [सं-पु.] संबंध; नाता।
रिश्तेदार
(फ़ा.) [सं-पु.] संबंधी; नातेदार; स्वजन।
रिश्तेदारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] नाता; संबंध।
रिश्वत
(अ.) [सं-स्त्री.] किसी कार्य को अपने अनुकूल कराने के लिए अनुचित रीति से दिया जाने वाला या लिया जाने वाला धन आदि; घूस; उत्कोच।
रिश्वतख़ोर
(अ.+फ़ा.) [वि.] किसी कार्य को अपने अनुकूल कराने के लिए अनुचित रीति से धन आदि लेने या खाने वाला; घूसख़ोर।
रिस
[सं-स्त्री.] कोप; क्रोध; गुस्सा।
रिसना
(सं.) [क्रि-अ.] तरल द्रव्य का धीरे-धीरे बाहर आना।
रिसर्च
(इं.) [सं-पु.] किसी विषय का अच्छी तरह अनुशीलन करके उसके संबंध में नई बातों या तथ्यों का पता लगाने की क्रिया; अनुसंधान।
रिसर्च स्कालर
(इं.) [सं-पु.] शोधार्थी; शोध छात्र।
रिसाना
[क्रि-अ.] क्रुद्ध होना। [क्रि-स.] नाराज़गी ज़ाहिर करना; क्रोध करना।
रिसाल
(अ.) [सं-पु.] वह कर जो पूरे राज्य से वसूल कर राजधानी भेजा जाता था।
रिसालदार
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. घुड़सवार सेना का नायक या अफ़सर 2. एकत्रित किए गए राजस्व को राजकीय कोषागार तक ले जाने वाले दल का प्रमुख।
रिसाला
(अ.) [सं-पु.] 1. छोटी अथवा पतली किताब; पत्रिका 2. ख़त; पत्र 3. घुड़सवारों का दस्ता या सेना; अश्वारोही सेना।
रिसीवर
(इं.) [सं-पु.] 1. टेलीफ़ोन में सुनने व बोलने के लिए प्रयुक्त उपकरण; चोंगा 2. इलेक्ट्रॉनिक संकेतों या तरंगों को ध्वनि या चित्र में बदलने वाला उपकरण, जैसे-
टीवी या रेडियो का रिसीवर [वि.] प्राप्त या ग्रहण करने वाला।
रिस्टवॉच
(इं.) [सं-स्त्री.] कलाई-घड़ी; हाथ-घड़ी।
रिहा
(फ़ा.) [वि.] 1. बाधा या बंधन आदि से मुक्त या छूटा हुआ 2. जिसे कैद से छुट्टी मिल गई हो।
रिहाइश
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] निवास स्थान; रहने का स्थान।
रिहाइशी
(फ़ा.) [वि.] रहने योग्य; निवास योग्य।
रिहाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] छुटकारा; मुक्ति।
रीछ
(सं.) [सं-पु.] एक जंगली जानवर; भालू।
रीझ
[सं-स्त्री.] किसी के रूप, गुण आदि के कारण उस पर प्रसन्न, अनुरक्त या मोहित होने की क्रिया या भाव।
रीझना
[क्रि-अ.] 1. किसी की विशेष चेष्टा, गुण, रूप देखकर मुग्ध या अनुरक्त होना 2. किसी पर प्रसन्न होना; मोहित होना।
रीठा
(सं.) [सं-पु.] 1. करंज जाति का एक जंगली पेड़ 2. करंज वृक्ष का फल।
रीडर
(इं.) [सं-पु.] 1. पुस्तक आदि का अध्ययन करने वाला व्यक्ति; पाठक 2. उच्च अध्ययन संस्थानों में एक पद; सह-आचार्य 3. अदालत आदि में पेशकार 4. आधुनिक संदर्भों में
इलेक्ट्रॉनिक पाठ को पढ़ने वाला सॉफ्टवेयर, जैसे- ई-रीडर, पीडीफ रीडर आदि।
रीढ़
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गरदन से लेकर नितंबों तक की अस्थि-शृंखला; मेरुदंड; (स्पाइन) 2. {ला-अ.} वह अंग या तत्व जिसके आधार पर कोई चीज़ या व्यवस्था खड़ी हो।
रीत
(सं.) [सं-स्त्री.] प्रथा; रिवाज; परंपरा।
रीता
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई चीज़ रखी या भरी न हो 2. जिसमें धन, अस्त्र आदि न हो 3. जिसके पास कुछ भी न हो।
रीति
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोई कार्य करने का प्रकार या ढंग 2. रस्म; रिवाज; परिपाटी 3. नियम; कायदा 4. पीतल 5. लोहे का मैल; मंडूर 6. जले हुए सोने का मैल 7. सीसा।
रीतिक
(सं.) [वि.] 1. औपचारिक; (फ़ॉर्मल) 2. रीति संबंधी; रीति का 3. रीति के अनुसार होने वाला।
रीतिकाल
[सं-पु.] हिंदी साहित्य के काल विभाजन में से एक जो उत्तर-मध्य काल अर्थात सत्रहवीं से अठारहवीं शताब्दी के मध्य तक माना जाता है।
रीतिग्रंथ
(सं.) [सं-पु.] नायिकाभेद, नखशिख, बारहमासा, अलंकार आदि का वर्णन तथा उनके उदाहरण प्रस्तुत करने वाली रचना।
रीति-रिवाज
(सं.+अ.) [सं-पु.] ऐसी परंपराएँ या संस्कार जो पीढ़ी दर पीढ़ी मानव जातियों में चली आ रही हों; रस्म-रिवाज।
रीतिवाद
(सं.) [सं-पु.] 1. कला, साहित्य आदि के क्षेत्र में परंपरा से चली आ रही रीतियों का दृढ़तापूर्वक पालन करने का समर्थक मत या वाद; काव्यशास्त्रीय परंपराओं के पालन
पर बल देने वाला मत 2. हिंदी साहित्य का वह मत या सिद्धांत जो काव्यशास्त्र के अलंकारों, नायिका भेदों, रसों आदि के नियमों और लक्षणों का कविता लेखन में पालन का
समर्थन करता है।
रीतिवादी
(सं.) [वि.] रीतिवाद का; रीतिवाद संबंधी।
रीम
(इं.) [सं-स्त्री.] बीस दस्ते कागज़ की गड्डी जिसमें पाँच सौ ताव होते हैं।
रीस
(सं.) [सं-स्त्री.] किसी अन्य की बराबरी करने की इच्छा, स्पर्धा या होड़।
रुँदवाना
(सं.) [क्रि-स.] 1. रौंदवाना 2. खुदवाना 3. कुचलवाना।
रुँधना
[क्रि-अ.] 1. उलझना; फँसना 2. रास्ता न मिलने से रुकना 3. किसी काम में लगना।
रुंड
(सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा धड़ जिसमें सिर न हो; कबंध 2. वह शरीर जिसका हाथ पैर कट गया हो।
रुई
[सं-स्त्री.] कपास के डोडे का भीतरी रेशेदार भाग जिससे सूत बनता है; कपास।
रुईदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें रुई भरी गई हो।
रुकना
[क्रि-अ.] 1. ठहरना; थमना; आगे न बढ़ना 2. किसी कार्य अथवा उसकी गति में किसी कारणवश खलल या अवरोध उत्पन्न होना 3. बंद होना 4. क्रम टूटना।
रुकवाना
[क्रि-स.] 1. किसी को कुछ रोकने में प्रवृत्त करना 2. ऐसा कार्य करना जिससे कोई चलता हुआ काम रुक जाए।
रुकाव
[सं-पु.] 1. अवरोध; अटकाव 2. कब्ज़ 3. स्तंभन।
रुकावट
[सं-स्त्री.] रुकने की क्रिया या भाव; व्यवधान; अवरोध।
रुकावटी
[वि.] जो रुकावट डालने या रोकने का काम करता हो।
रुक्का
(अ.) [सं-पु.] 1. छोटा चिट्ठी या पत्र; पुरजा 2. कर्ज़ लेने वालों की ओर से महाजन को लिखा हुआ कागज़ 3. निमंत्रण-पत्र।
रुक्म
(सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ण; सोना 2. धतूरा 3. एक पेड़ जिसके सूखे फल औषधि, मसाले और रंग बनाने के काम आते हैं; नागकेशर 4. लोहा।
रुक्मिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] कृष्ण की पटरानी जो विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी।
रुक्ष
(सं.) [वि.] 1. जो स्निग्ध या चिकना न हो; रूखा 2. कठोर 3. ऊबड़-खाबड़ 4. नीरस।
रुख़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चेहरा; मुख 2. कपोल; गाल; रुख़सार 3. चेहरे से प्रकट होने वाला भाव 4. अभिवृत्ति; दृष्टिकोण 5. शतरंज का एक मोहरा।
रुख़सत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. रवानगी; प्रस्थान 2. छुट्टी; अवकाश 3. आज्ञा; परवानगी; इजाज़त 4. वधू की मायके से विदाई। [वि.] जो किसी जगह से चल पड़ा हो।
रुख़सती
(अ.) [सं-स्त्री.] विदा होने की अवस्था या क्रिया; विदाई।
रुख़सार
(फ़ा.) [सं-पु.] गाल; कपोल।
रुखाई
[सं-स्त्री.] 1. रूखा होने की क्रिया या भाव; रूखापन 2. व्यवहार की कठोरता।
रुखानी
[सं-स्त्री.] 1. बढ़ई का एक धारदार उपकरण जो लकड़ी छीलने, काटने या उसमें छेद करने के लिए प्रयुक्त होता है 2. तेल पेरने वाली घानी को चलाने का उपकरण 3. पत्थरों
को तराशने की छेनी।
रुग्ण
(सं.) [वि.] 1. अस्वस्थ; रोगी; बीमार 2. टूटा हुआ।
रुग्णता
(सं.) [सं-स्त्री.] बीमार या रुग्ण होने की अवस्था या भाव; बीमारी; अस्वस्थता।
रुग्णतावकाश
(सं.) [सं-स्त्री.] बीमारी के कारण ली गई छुट्टी; (मेडिकल लीव)।
रुचना
(सं.) [क्रि-स.] अच्छा लगना; पसंद आना।
रुचि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मन को अच्छा लगने का भाव; पसंद 2. वह मनोवृत्ति जो किसी बात या वस्तु की प्राप्ति की ओर ध्यान ले जाती है; इच्छा 3. एक पीला सुगंधित द्रव
जो गौ के पित्ताशय से निकलता है; गोरोचन 4. आसक्त होने की क्रिया, अवस्था या भाव; आसक्ति; अनुरक्ति 5. आभा; चमक।
रुचिकर
(सं.) [वि.] 1. मनपसंद 2. भला या अच्छा लगने वाला (व्यक्ति) 3. रुचि उत्पन्न करने वाला 4. भूख बढ़ाने वाला।
रुचिमान
(सं.) [वि.] कांतिमान; दीप्तियुक्त; प्रकाशपूर्ण।
रुचिर
(सं.) [वि.] 1. जो रुचिकर या रुचि के अनुकूल हो 2. सुंदर; मनोहर 3. मीठा; मधुर। [सं-पु.] 1. मूली 2. लौंग 3. केसर।
रुचिरता
(सं.) [सं-स्त्री.] रुचिर होने की अवस्था, भाव या धर्म।
रुचिरा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक वर्णवृत्त 2. सुप्रिया नामक छंद का एक रूप 3. एक प्राचीन नदी जिसका उल्लेख रामायण में मिलता है 4. लौंग 5. केसर 6. मूली।
रुज
(सं.) [सं-पु.] 1. रोग 2. घाव; क्षत 3. वेदना; कष्ट 4. भाँग पत्ती 5. एक प्रकार का प्राचीन बाजा जो चमड़े से मढ़ा रहता है।
रुजा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बीमारी; रोग 2. कोढ़ नामक रोग; कुष्ठ रोग 3. भेड़।
रुजाली
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक साथ अनेक रोगों का होना 2. अनेक कष्टों या दुखों का एक साथ होना।
रुजू
(अ.) [वि.] जिसका मन किसी ओर लगा हो; प्रवृत्त। [सं-स्त्री.] 1. वापस आने या लौटने की क्रिया 2. आसक्त होने की क्रिया, अवस्था या भाव; झुकाम।
रुझान
[सं-पु.] 1. किसी ओर प्रवृत्त होने की क्रिया या भाव 2. प्राकृतिक रूप से किसी काम आदि में होने वाली रुचि; दिलचस्पी।
रुटीन
(इं.) [सं-पु.] 1. नियमित रूप से कुछ करने का तरीका एवं क्रम; दिनचर्या; नित्यक्रम; नित्यचर्या 2. शृंखलाबद्ध क्रिया आदि। [वि.] 1. नियमित व सामान्य 2. एकरस;
ऊबाऊ।
रुणित
(सं.) [वि.] बजता, झनकारता, या ध्वनि करता हुआ।
रुत
(सं.) [सं-स्त्री.] ऋतु; मौसम।
रुतबा
(अ.) [सं-पु.] 1. पद; ओहदा 2. प्रतिष्ठा; इज़्ज़त 3. महत्ता; श्रेष्ठता।
रुदन
(सं.) [सं-पु.] रोना; विलाप; रोदन।
रुदित
(सं.) [वि.] 1. जो रो रहा हो; रोता हुआ 2. रोया हुआ।
रुद्ध
(सं.) [वि.] 1. घेरा हुआ 2. रोका हुआ; अवरुद्ध।
रुद्र
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार के गणदेवता जिनकी संख्या ग्यारह मानी जाती है 2. शिव का एक रूप 3. विश्वकर्मा के एक पुत्र 4. एक तरह का प्राचीन बाजा 5. एक
बहुवर्षीय वनस्पति। [वि.] जिसे देखने से भय या डर लगे; भयंकर; डरावना।
रुद्रतेज
(सं.) [सं-पु.] कार्तिकेय।
रुद्रपति
(सं.) [सं-पु.] शिव; महादेव।
रुद्राक्ष
(सं.) [सं-पु.] 1. शीतोष्ण कटिबंधी क्षेत्र में पाया जाने वाला विशाल वृक्ष जिसके फलों को अत्यंत पवित्र माना जाता है 2. उक्त पेड़ का बीज जिसकी मालाएँ बनाई जाती
हैं।
रुद्राणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पार्वती; रुद्रपत्नी 2. रुद्र जटा नामक लता 3. (संगीत) एक प्रकार की रागिनी।
रुधिर
(सं.) [सं-पु.] 1. रक्त; लहू; ख़ून 2. रक्त वर्ण; लाल रंग 3. मंगल ग्रह 4. रुधिराख्य नामक मणि। [वि.] लाल रंग का।
रुधिरवाहिनी
(सं.) [सं-स्त्री.] शरीर की रक्तवाहक धमनियाँ; नाड़ियाँ।
रुधिरामय
(सं.) [सं-पु.] रक्तपित्त नामक एक रोग।
रुनझुन
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. नूपुर ध्वनि; किंकणी या करधनी आदि का शब्द 2. मधुर झनकार।
रुपया
(सं.) [सं-पु.] 1. भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस आदि देशों की मुद्रा का नाम 2. धन-संपदा 3. प्राचीन काल में भारत में प्रचलित चाँदी का सब से बड़ा
सिक्का जो सोलह आने का होता था।
रुपहला
(सं.) [वि.] चाँदी के रंग का; चाँदी-सा।
रुबाई
(अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू और फ़ारसी काव्य में चार मिसरों का एक छंद जिसके पहले, दूसरे और चौथे चरण की तुक मिलती है और कहीं-कहीं चारों चरणों में अंत्यनुप्रास
होता है।
रुरुआ
[सं-पु.] एक प्रकार का उल्लू।
रुलाई
[सं-स्त्री.] रुदन; रोने की क्रिया या भाव।
रुलाना
[क्रि-स.] 1. किसी को रोने के लिए प्रवृत्त करना 2. कष्ट देना।
रुष्ट
(सं.) [वि.] 1. क्रुद्ध या रोष से भरा हुआ 2. नाराज़; अप्रसन्न 3. रूठा हुआ।
रुसवा
(फ़ा.) [वि.] 1. लांछित; ज़लील 2. अपमानित; निंदित 3. बदनाम।
रुसवाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बेइज्जती 2. फ़ज़ीहत 3. बदनामी।
रुसूम
(अ.) [सं-पु.] 1. रस्म का बहुवचन रूप 2. नियम-कानून 3. नेग।
रुस्तम
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. फ़ारस का एक प्रसिद्ध पहलवान; ज़ील का बेटा 2. {ला-अ.} पहलवान; ताकतवर व्यक्ति। [वि.] बहुत बड़ा वीर।
रुहेलखंड
[सं-पु.] उत्तर प्रदेश का उत्तर-पश्चिमी भाग जहाँ किसी समय रुहेले पठान बसे हुए थे।
रुहेला
[सं-पु.] पठानों की एक जाति।
रू
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. चेहरा; शक्ल; सूरत 2. सामने का हिस्सा 3. ऊपरी भाग; सिरा। [सं-स्त्री.] कारण।
रूँधना
(सं.) [क्रि-स.] 1. मार्ग आदि अवरुद्ध कर देना 2. घेरना 3. खेत आदि को काँटेदार तारों या झाड़ियों से घेरना।
रूआ
[सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की सुगंधित घास 2. बहुत पतली और छोटी रोटी; फुलका।
रूई
[सं-स्त्री.] दे. रुई।
रूक
(सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पेड़ जिसकी पत्तियाँ औषधि के काम आती हैं। [सं-स्त्री.] एक प्रकार की तलवार।
रूख
(सं.) [सं-पु.] पेड़; वृक्ष।
रूखा
[वि.] 1. चिकनाई रहित 2. बिना घी-तेल का (व्यंजन) 3. अरुचिकर और स्वादहीन (भोजन) 4. शुष्क; नीरस; रसहीन 5. खुरदरा 6. {ला-अ.} प्रेमशून्य अथवा स्नेहहीन (व्यवहार)
7. {ला-अ.} कठोर 8. {ला-अ.} उदासीन; विरक्त।
रूखापन
[सं-पु.] 1. रुखाई; रूखा होना 2. कठोरता; कड़ाई 3. नीरसता।
रूखा-सूखा
[वि.] 1. बिना घी-तेल और मसाले का बना (व्यंजन) 2. सादा और सस्ता (भोजन)।
रूज़
(इं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का सौंदर्य प्रसाधन जिसे गालों और ओठों पर सुर्ख़ी लाने के लिए उपयोग में लाया जाता है 2. लाली।
रूट
(इं.) [सं-पु.] 1. एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने का रास्ता; सड़क 2. {ला-अ.} कुछ प्राप्त करने या पाने का रास्ता या उपाय।
रूठना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. किसी के अनुचित व्यवहार के उपरांत दुखी होना व मनाने पर न मानना 2. अप्रसन्न अथवा नाराज़ होना।
रूढ़
(सं.) [वि.] 1. परंपरा से लोक प्रचलित एवं मान्य 2. जो प्रचलन में हो 3. जिसकी प्रकृति कोमल न हो 4. किसी चीज़ पर चढ़ा या बैठा हुआ; आरुप, जैसे- अश्वारूढ़।
रूढ़ा
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) लक्षणा शब्द शक्ति का एक भेद।
रूढ़ि
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. परंपरा; प्रथा 2. चढ़ाई; चढ़ाव 3. वह शब्दशक्ति जिससे शब्द अपने रूढ़ अर्थ का ज्ञान कराता है।
रूढ़िवाद
(सं.) [सं-पु.] रूढ़ परंपराओं को ज्यों का त्यों मान लेने वाली विचारधारा या प्रथा।
रूढ़िवादिता
(सं.) [सं-स्त्री.] परंपरागत बातों को बिना तर्क के मानते चले आने का सिद्धांत।
रूढ़िवादी
(सं.) [वि.] रूढ़ियों या परंपराओं का बिना तर्क के पालन करने वाला; रूढ़िवाद को मानने वाला।
रूदाद
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. विवरण; वृत्तांत; समाचार 2. अवस्था; दशा; हालत।
रूनी
[सं-पु.] घोड़ों की एक जाति।
रूप
(सं.) [सं-पु.] 1. सूरत; शक्ल; मुखमंडल; चेहरा; चेहरे का हाव-भाव 2. प्रकृति; स्वभाव 3. भेद; प्रकार 4. संरचना 5. (व्याकरण) वाक्य में प्रयुक्त पदों की संरचना
जो उनके परस्पर संबंध का द्योतन करती है।
रूपक
(सं.) [वि.] जिसका कोई आकार या रूप हो; रूपी। [सं-पु.] 1. किसी रूप की प्रतिकृति या मूर्ति 2. चिह्न या लक्षण 3. भेद; प्रकार 4. वह साहित्यिक रचना जिसका अभिनय
होता हो या हो सकता हो; नाटक; (ड्रामा) 5. चाँदी 6. चाँदी का सिक्का या गहना 7. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का अलंकार जिसमें उपमेय में उपमान के साधर्म्य का आरोप
करके उपमेय का उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है 8. सात मात्रा का ताल।
रूपकरण
(सं.) [सं-पु.] घोड़ों की एक जाति।
रूपकातिशयोक्ति
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अतिशयोक्ति अलंकार का एक भेद जिसमें वर्णन रूपक की तरह होता है परंतु केवल उपमान का उल्लेख करके उपमेय का स्वरूप उपस्थित किया
जाता है।
रूपकार
(सं.) [सं-पु.] वह जो मूर्ति बनाता हो; मूर्तिकार।
रूपगर्विता
(सं.) [सं-स्त्री.] (साहित्य) वह नायिका जिसे अपने रूप या सुंदरता का अभिमान हो।
रूप-घनाक्षरी
(सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का दंडक छंद जिसके प्रत्येक चरण में आठ-आठ वर्णों पर यति होती है।
रूपजाल
(सं.) [सं-पु.] रूप या सुंदरता का वह आकर्षण जिससे कोई मुग्ध होकर फँस जाए।
रूपज्योति
(सं.) [सं-स्त्री.] रूप अथवा सौंदर्य की आभा।
रूपधारी
(सं.) [वि.] 1. रूप धारण करने वाला; वेश बदलने वाला; बहुरुपिया 2. रूपवान; सुंदर।
रूपनिधान
(सं.) [वि.] अत्यधिक रूपवान; अतिसुंदर।
रूपभेद
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य या बात के रूप में किया हुआ आंशिक परिवर्तन 2. विभिन्न रूपों के बीच का अंतर।
रूपमती
(सं.) [सं-स्त्री.] रूपवान स्त्री।
रूपरंग
(सं.) [सं-पु.] 1. चेहरे की गठन और बनावट 2. किसी वस्तु की वह बाहरी और दृश्य बातें जिनसे उसकी लंबाई, चौड़ाई, प्रकार, स्वरूप आदि का ज्ञान होता है।
रूपरेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बनाए जाने वाले रूप या किए जाने वाले काम का वह स्थूल अनुमान जो उसके आकार-प्रकार आदि का परिचायक होता है 2. किसी वस्तु, कार्य आदि
को बनाने या करने से पहले तैयार किया गया उसका ढाँचा; किसी कार्य के मुख्य बिंदु; (आउट लाइन)।
रूपवंत
(सं.) [वि.] जिसमें सुंदरता हो; रूपवान।
रूपवती
(सं.) [सं-स्त्री.] चंपकमाला छंद। [वि.] जो दिखने में सुंदर हो (महिला)।
रूपवान
(सं.) [वि.] सुरूप; ख़ूबसूरत।
रूपसाधन
(सं.) [सं-पु.] (भाषाविज्ञान) किसी एक शब्द के विभिन्न कारकों, वचनों आदि में रूप परिवर्तन या उनके विभिन्न रूप बनाने की प्रक्रिया।
रूपसी
(सं.) [सं-स्त्री.] रूपवती स्त्री या नारी।
रूपहीन
(सं.) [वि.] रूप से हीन; कुरूप; जिसका कोई रूप रंग न हो।
रूपा
(सं.) [सं-पु.] 1. चाँदी 2. सफ़ेद बैल 3. सफ़ेद घोड़ा। [सं-स्त्री.] रूपवती स्त्री या नारी; सुंदरी।
रूपांतर
(सं.) [सं-पु.] 1. रूप में परिवर्तन 2. किसी वस्तु का बदला रूप; (ट्रांसफॉरमेशन)।
रूपांतरण
(सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु के रूप या आकार का बदल दिया जाना; किसी वस्तु के रूप या आकार में परिवर्तन हो जाना 2. संपूर्ण व्यक्तित्व को बदलने का उपक्रम।
रूपांतरित
(सं.) [वि.] जिसका रूप आकार आदि बदल दिया गया हो; परिवर्तित।
रूपाजीवा
(सं.) [सं-स्त्री.] जो रूप के बल पर जीविका चलाती हो; वेश्या।
रूपायन
(सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु को संरचना प्रदान करना या उसे कार्यान्वित करना।
रूपायित
(सं.) [वि.] 1. कार्यान्वित किया हुआ 2. जिसे कोई रूप दिया गया हो।
रूपारूप
(सं.) [सं-पु.] रूप और अरूप। [वि.] 1. साकार और निराकार 2. रूप विशिष्ट, आकारयुक्त और रूप या आकार के बिना।
रूपिम
(सं.) [सं-पु.] (भाषाविज्ञान) भाषा की लघुतम अर्थवान इकाई; (मॉर्फ़ीम)।
रूपी
(सं.) [वि.] 1. पद के उत्तरार्ध में जुड़कर रूप, आकार या स्वभाव वाला का अर्थ देता है, जैसे- बुद्धिरूपी (धन) 2. सदृश; समान 3. रूपधारी।
रूपोश
(फ़ा.) [वि.] 1. जो मुँह छिपाए हुए हो 2. जो दंड आदि के भय से भाग गया हो; फ़रार।
रूबरू
(फ़ा.) [अव्य.] आमने-सामने; सम्मुख; समक्ष।
रूबल
(रू.) [सं-पु.] रूस की मुद्रा।
रूम1
(अ.) [सं-पु.] एक देश।
रूम2
(इं.) [सं-पु.] कक्ष; कमरा।
रूममेट
(इं.) [सं-पु.] वे जो एक ही कमरे में निवास करते हों; एक ही कमरे में साथ-साथ रहने वाले।
रूमान
[सं-पु.] 1. प्रेम और सौंदर्य के प्रति भावुक्तामय आकर्षण 2. प्रेम भाव 3. प्रेम प्रेसंग।
रूमानी
(इं.) [वि.] रूमान से संबंद्ध 2. भावुकतामय प्रेम से परिपूर्ण; (रोमैंटिक)।
रूमाल
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. मुँह, हाथ पोछने के लिए कपड़े का छोटा टुकड़ा 2. छोटा या चौकोर दुपट्टा।
रूमी
(अ.) [सं-पु.] रूम देश का निवासी। [सं-स्त्री.] रूम देश की भाषा। [वि.] रूम देश का; रूम देश संबंधी।
रूरा
(सं.) [वि.] 1. श्रेष्ठ; उत्तम; अच्छा 2. सुंदर।
रूल
(इं.) [सं-पु.] 1. नियम; कायदा 2. कागज़ पर सीधी खींची हुई रेखा या लकीर 3. शासन।
रूलदार
(इं.+फ़ा.) [वि.] जिसमें सीधी व समानांतर लकीरें खिंची हों।
रूलर
(इं.) [सं-पु.] 1. शासक 2. लकड़ी या प्लास्टिक आदि की वह पट्टी जिसपर माप की इकाइयों के निशान बने होते हैं; पैमाना; फोटरूल।
रूसना
[क्रि-अ.] 1. रूठना; रुष्ट होना 2. नाराज़ होना।
रूसी
[सं-पु.] रूस देश का निवासी। [सं-स्त्री.] रूस देश की भाषा। [वि.] 1. रूस देश से संबंधित; रूस देश का 2. रूस देश में उत्पन्न।
रूह
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मा; जीवात्मा 2. इत्र 3. सत्त; सार।
रूहानियत
(अ.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मवाद 2. अध्यात्मवाद।
रूहानी
(अ.) [वि.] रूह अथवा आत्मा से संबंधित; आत्मिक।
रे
(सं.) [सं-पु.] (संगीत) ऋषभ स्वर का संक्षिप्त रूप।
रेंकना
[क्रि-अ.] 1. गधे का आवाज़ करना 2. {ला-अ.} भद्दे तरीके से गाना 3. बुरी तरह से चिल्लाना या बोलना।
रेंगना
(सं.) [क्रि-अ.] 1. कीड़ों या सरीसृपों का शरीर को टेढ़ा-मेढ़ा करते हुए खिसकना या चलना 2. पूरे शरीर को ज़मीन पर लिटाकर हाथों और पैरों के सहारे खिसकते हुए चलना।
रेंगाना
[क्रि-स.] 1. किसी से रेंगने की क्रिया कराना या प्रवृत्त करना 2. बच्चों को धीरे-धीरे चलाना।
रेंज
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. सीमा; हद; फैलाव 2. मारक-सीमा; मार की दूरी 3. क्षेत्र; क्षेत्रफल; घेरा।
रेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. किराया; भाड़ा 2. कृषि भूमि का लगान; मालगुज़ारी।
रेंड़
(सं.) [सं-पु.] 1. एक पेड़ जिसके बीजों से तेल निकलता है 2. रेंड़ का फल या बीज; एरंड।
रेंड़ी
[सं-स्त्री.] रेंड़ नामक वृक्ष का फल या बीज।
रेख
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रेखा; लकीर 2. चिह्न; निशान 3. गणना; गिनती 4. लड़कों के यौवनारंभ में हलकी रेखा की तरह निकलती हुई मूँछें।
रेख़ता
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. अरबी-फ़ारसी मिश्रित हिंदी में एक प्रकार की ग़ज़ल 2. उर्दू भाषा का आरंभिक नाम।
रेखना
[क्रि-स.] 1. रेखा अथवा लकीर खींचना 2. खरोंचना 3. चिह्नित करना।
रेखा
(सं.) [सं-स्त्री.] लकीर; (ज्यामिति) वह अंकन जिसमें न केवल लंवाई हो, चौड़ाई या मोटाई नहीं।
रेखांकन
(सं.) [सं-पु.] 1. रेखाचित्र; रेखाओं के द्वारा बनी आकृति 2. लेखन में किसी बात पर बल देने के लिए उसके नीचे खींची हुई लकीर।
रेखांकित
(सं.) [वि.] 1. रेखाओं से बना हुआ 2. जिसका रेखांकन हुआ हो।
रेखांश
(सं.) [सं-पु.] 1. (भूगोल) देशांतर रेखा 2. द्राघिमांश।
रेखाकृति
(सं.) [सं-स्त्री.] रेखाओं से बनी आकृति।
रेखागणित
(सं.) [सं-पु.] गणित का एक अंग जिसमें रेखाओं, कोणों, चापों आदि का अध्ययन व वर्णन होता है।
रेखाचित्र
(सं.) [सं-पु.] 1. रेखाओं द्वारा उकेरा गया चित्र; (ड्राइंग) 2. ख़ाका 3. (साहित्य) किसी व्यक्ति, स्थान, दृश्य आदि का संस्मरणात्मक शब्दचित्र।
रेखाचित्रण
(सं.) [सं-पु.] रेखाओं के माध्यम से चित्रण; रेखाओं से चित्र बनाना।
रेखित
(सं.) [वि.] 1. अंकित; लिखित 2. दरार के कारण जिसपर रेखाएँ या लकीरें पड़ गई हों।
रेखीय
(सं.) [वि.] 1. रेखा का; रेखा संबंधी 2. रेखा के रूप में होने वाला।
रेग
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] बालू; रेत।
रेगमाल
(फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का कागज़ जिसपर रेत या धातु के कण चिपके होते हैं; (सैंडपेपर)।
रेगिस्तान
(फ़ा.) [सं-पु.] बालू का मैदान या स्थान; मरुस्थल; मरुभूमि।
रेगिस्तानी
(फ़ा.) [वि.] रेगिस्तान का; मरुस्थली।
रेगुलेशन
(इं.) [सं-पु.] नियमित करना; नियमन।
रेचक
(सं.) [सं-पु.] 1. प्राणायाम की एक क्रिया; खींची हुई साँस को विधिपूर्वक बाहर निकालने की क्रिया 2. कब्ज़ दूर करने वाली औषधियाँ या खाद्य पदार्थ। [वि.] दस्त
लाने वाला; दस्तावर।
रेचन
(सं.) [सं-पु.] 1. दस्त लगना 2. वह औषधि जिससे पेट साफ़ होता है।
रेज़गारी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] छुट्टे पैसे; छोटे सिक्के।
रेज़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. बहुत छोटा टुकड़ा; सूक्ष्म खंड 2. मूल्यवान कपड़ों के टुकड़े या खंड 3. कम उम्र के मज़दूर लड़के 4. सुनारों का एक प्रकार का उपकरण जिसमें वे गला
हुआ सोना या चाँदी डालकर चौकोर आकार का बना लेते हैं।
रेज़िडेंट
(इं.) [सं-पु.] 1. देशी रियासतों में ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधि 2. किसी संस्थान, छात्रावास आदि संवासी।
रेजिमेंट
(इं.) [सं-स्त्री.] कर्नल के अधीन सेना की एक स्थायी टुकड़ी।
रेट
(इं.) [सं-पु.] किसी वस्तु का भाव; दर; मूल्य।
रेटिना
(इं.) [सं-पु.] आँखों के अंदर का वह अवयव जिसपर दृष्टि-बिंब बनते हैं; आँख के अंदर एक प्रकाश-संवेदी ऊतक पर्त; दृष्टि पटल।
रेड
(इं.) [सं-स्त्री.] पुलिस सरकारी अधिकारियों आदि द्वारा की जाने वाली छापामारी [वि.] लाल रंग।
रेडक्रास
(इं.) [सं-पु.] प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात बनाई गई एक अंतरराष्ट्रीय संस्था जो युद्ध या प्राकृतिक आपदा के समय शांति और सेवा का कार्य करती है।
रेडिएशन
(इं.) [सं-पु.] 1. रेडियोधर्मी पदार्थ से उत्सर्जित आयनीकारक किरण जो अदृश्य व अत्यंत हानिकारक होती है; विकिरण 2. वायरलैस संचार माध्यमों से उत्सर्जित होने
वाली तरंगें जो पर्यावरण के लिए हानिकारक होती हैं, जैसे- मोबाइल रेडिएशन।
रेडियम
(इं.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध और बहुमूल्य प्रकाशमय खनिज, जिसका उपयोग विभिन्न वैज्ञानिक कार्यों के लिए किया जाता है।
रेडियो
(इं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का बेतार इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिसका उपयोग वार्ता, संगीत, समाचार आदि के प्रसारण के लिए होता है 2. एक प्रकार की तरंग।
रेडियोधर्मिता
(इं+सं.) [सं-स्त्री.] आणविक क्षय में परमाणुओं या विद्युतचुंबकीय किरणों का सहज उत्सर्जन; विकिरणशीलता।
रेडियोधर्मी
(इं+सं.) [वि.] रेडियोसक्रियता प्रकट करने वाली या रेडियोसक्रियता से उत्पन्न; रेडियोसक्रिय; (रेडियोएक्टिव)।
रेडियोलॉजी
(इं.) [सं-पु.] रेडियो तरंगों के अध्ययन व अध्यापन का शास्त्र।
रेडियो स्टेशन
(इं.) [सं-पु.] रेडियो के लिए तरंग संकेत (सिग्नल) प्रसारित करने के लिए स्थापित केंद्र।
रेडीमेड
(इं.) [वि.] तैयार; बना-बनाया, जैसे- रेडीमेड वस्त्र।
रेणु
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. धूल; रज 2. छोटा कण।
रेणुका
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बालू; रेत; रेती; रेणु 2. परशुराम की माता 3. सह्याद्रि पर्वत पर स्थित एक तीर्थ।
रेत
(सं.) [सं-स्त्री.] 1.बालू; रेत 2. वीर्य 3. पारा।
रेतना
[क्रि-स.] 1. रेती (औज़ार) से रगड़कर काटना 2. चिकना करना 3. रेतने वाले औज़ार की धार से रगड़ना।
रेती
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. बलुई भूमि; रेतीला मैदान 2. एक प्रकार का औज़ार जिससे किसी वस्तु पर रगड़ने से उसके महीन कण कटकर गिरते हैं और जिससे धारदार औज़ारों की धार
तेज़ की जाती है।
रेतीला
[वि.] रेत से युक्त; बालूवाला।
रेप
(इं.) [सं-पु.] बलात्कार; दुष्कर्म।
रेफ
(सं.) [सं-पु.] 1. 'र' का वह रूप जो किसी अक्षर के ऊपर आने वाले स्वरांत व्यंजन पर लगाया जाता है, जैसे- कर्म, धर्म 2. शब्द। [वि.] 1. निंदनीय 2. नीच।
रेफ़री
(इं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो फ़ुटबॉल, हाँकी आदि खेलों के किसी मामले का निर्णय करता है 2. पंच; अभिनिर्णायक 3. योग्यता आदि को प्रमाणित करने वाला व्यक्ति।
रेफ्रीज़रेटर
(इं.) [सं-पु.] भोजन आदि को ठंडा करने और ठंडा रखने वाला यंत्र; प्रशीतक।
रेल
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. लोहे की वह पटरी जिसपर गाड़ी चलती है 2. रेलगाड़ी; (ट्रेन)।
रेलगाड़ी
(इं-हिं.) [सं-स्त्री.] लोहे की पटरियों पर बिजली, डीज़ल आदि के इंजन एवं डब्बों से युक्त चलने वाली गाड़ी; (ट्रेन)।
रेलना
[क्रि-स.] 1. धक्का देना; धकेलना; दबाव से आगे बढ़ाना 2. ठूँसकर भरना।
रेल-पथ
(इं.+सं.) [सं-पु.] वह पथ जिससे होकर रेलगाड़ियाँ गुजरती हैं; रेल-मार्ग।
रेल-पास
(इं.) [सं-पु.] रेलगाड़ियों में निर्धारित समय तक यात्रा करने का अधिकारपत्र।
रेलिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] छत के चारों ओर लोहे आदि से खड़ा किया गया अवरोध।
रेवड़ी
[सं-स्त्री.] तिल और चीनी से बनने वाली प्रसिद्ध मिठाई।
रेशम
(फ़ा.) [सं-पु.] विशेष प्रकार के कीड़ों के कोश से प्राप्त होने वाला मज़बूत धागा; कोशा; कौशेय।
रेशमी
(फ़ा.) [वि.] 1. रेशम से बना 2. रेशम की तरह चमकीला और मुलायम।
रेशा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ के पतले-पतले तंतु 2. शरीर के अंदर ऊतक।
रेशेदार
(फ़ा.) [वि.] रेशा-युक्त।
रेस
(इं.) [सं-स्त्री.] दौड़।
रेसकोर्स
(इं.) [सं-पु.] घुड़दौड़ हेतु बना मैदान।
रेसिडेंस रिपोर्टर
(इं.) [सं-पु.] स्थानीय संवाददाता।
रेस्तराँ
(फ़्रें.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ नाश्ता और खाना मिलता है; जलपान-गृह; भोजनालय।
रेह
[सं-स्त्री.] खार मिली धूल; क्षारीय भूमि।
रेहन
(अ.) [सं-पु.] गिरवी; बंधक।
रेहनदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] जिसके पास कोई संपत्ति गिरवी रखी गई हो।
रेहननामा
(अ.+फ़ा.) [सं-पु.] वह कागज़ जिसपर संपत्ति गिरवी रखने की शर्तें लिखी गई हों।
रैंक
(इं.) [सं-पु.] 1. दरज़ा 2. पद का क्रम।
रैक
(इं.) [सं-पु.] 1. मालगाड़ी का खुला हुआ डिब्बा 2. लकड़ी या लोहे का बना हुआ ख़ाने युक्त ढाँचा जिसमें फ़ाइलें, पुस्तकें आदि रखी जाती है।
रैकेट
(इं.) [सं-पु.] 1. टेनिस, बैडमिंटन आदि खेलने का बल्ला 2. अवैध व्यापार या धंधा।
रैखिक
(सं.) [वि.] 1. रेखा संबंधी 2. रेखा के रूप में होने वाला।
रैगिंग
(इं.) [सं-स्त्री.] शिक्षण संस्थानों में पुराने विद्यार्थियों द्वारा नए विद्यार्थियों के साथ की जाने वाली छेड़छाड़, हिंसा आदि।
रैन
(सं.) [सं-स्त्री.] रात्रि; रात।
रैन-बसेरा
[सं-पु.] 1. रात बिताने का स्थान 2. महानगरों में गरीबों के लिए बना रात बिताने का स्थान 3. अस्थायी निवास स्थान।
रैनी
[सं-स्त्री.] वह गुल्ली जिससे सोने-चाँदी का तार खींचा जाता है।
रैपर
(इं.) [सं-पु.] 1. बिक्री हेतु रखे सामान के ऊपर लिपटा आवरण 2. एक विशेष प्रकार के लोकप्रिय आधुनिक संगीत (रैप) का गायक।
रैयत
(अ.) [सं-स्त्री.] प्रजा; रिआया।
रैली
(इं.) [सं-स्त्री.] जमाव; जमघट।
रैहाँ
(अ.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की औषधीय वनस्पति; बालगूँ 2. अरबी, फ़ारसी आदि लिपियों की एक प्रकार की लेख प्रणाली।
रॉयल्टी
(इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी रचना या लेख आदि के उपरांत प्रत्येक प्रकाशन पर मिलने वाली धनराशि 2. राज परिवार के सदस्य।
रोंगटा
[सं-पु.] रोआँ; रोम। [मु.] रोंगटे खड़े होना : अत्यधिक भयभीत होना।
रोआँ
(सं.) [सं-पु.] त्वचा के ऊपर के रोम।
रोआँसा
[वि.] रोने को उद्यत; रोने-रोने जैसा; रुआँसा।
रोआब
[सं-पु.] रुआब।
रोएँदार
(सं.+फ़ा.) [वि.] जिस वस्तु या शरीर पर रोएँ की तरह सूत; रेशे आदि हों।
रोक
[सं-स्त्री.] 1. अवरोध; अड़चन; रुकावट 2. प्रतिबंध; बंदिश 3. मनाही; निषेध।
रोकड़
[सं-स्त्री.] 1. नगद रुपया-पैसा या रकम; जमापूँजी; (कैश) 2. वह बही जिसमें आय-व्यय का हिसाब लिखा जाता है; रोकड़बही।
रोकड़ बही
[सं-स्त्री.] नगद रुपयों के लेन-देन के हिसाब वाली बही या पुस्तिका; (कैश बुक)।
रोकड़ बाकी
[सं-स्त्री.] नियत समय में व्यय के बाद शेष बचा धन या गणना के बाद बची राशि; (कैश बैलंस)।
रोकड़िया
[सं-पु.] आय-व्यय का हिसाब रखने वाला व्यक्ति; मुनीम; खजांची; (कैशियर)।
रोकथाम
[सं-स्त्री.] रोकने का भाव; अवरोध का उपक्रम।
रोकना
(सं.) [क्रि-स.] 1. चाल या गति बंद करना; जाने न देना 2. प्रवाह में बाधा डालना 3. समाप्त करना; बंद करना 4. वश में रखना; नियंत्रण करना।
रोग
(सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का स्वास्थ्य बिगड़ने की अवस्था; बीमारी; व्याधि 2. शरीर में उत्पन्न घातक विकार 3. {ला-अ.} कष्टकारक आदत या लत, जैसे- तंबाकू पीने का
रोग।
रोगग्रस्त
(सं.) [वि.] रोग से ग्रस्त; रोग से पीड़ित।
रोगजनक
(सं.) [वि.] रोग उत्पन्न करने वाला; रोग उत्पादक।
रोगन
(अ.) [सं-पु.] 1. लाख आदि का बना लकड़ी को पॉलिश करने का मसाला; वारनिश 2. कोई गाढ़ा एवं चिकना तरल पदार्थ, जैसे- तेल, घी आदि 3. कुसुम या बर्रे तेल से बना हुआ
एक प्रकार का मसाला जो चमड़े को मुलायम करने में काम आता है।
रोगनदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] रोगन चढ़ाया हुआ; पॉलिश किया हुआ; चमकीला।
रोग निदान
(सं.) [सं-पु.] रोग या व्याधि की पहचान; (डाइग्नोसिस)
रोग संचारक
(सं.) [वि.] रोग फैलाने वाला।
रोगाणु
(सं.) [सं-पु.] रोगों को जन्म देने और फैलाने वाला जीवाणु; (बैक्टीरिया)।
रोगाणु-नाशक
(सं.) [वि.] रोगाणुओं को नष्ट करने वाला।
रोगिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] रोग से पीड़ित स्त्री। [वि.] बीमार (स्त्री)।
रोगी
(सं.) [वि.] रोग से ग्रस्त; बीमार; अस्वस्थ।
रोचक
(सं.) [वि.] 1. मनोरंजक; दिलचस्प 2. प्रिय; रुचने वाला; अच्छा लगने वाला।
रोचकता
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रोचक होने की अवस्था, गुण या भाव 2. किसी व्यक्ति या वस्तु का विशेष गुण जिसके कारण वह रोचक लगता है।
रोचन
(सं.) [सं-पु.] 1. काला सेमल 2. सफ़ेद सहिजन 3. करंज का वृक्ष 4. गोरोचन। [वि.] 1. प्रिय या अच्छा लगने वाला 2. सुंदरता बढ़ाने वाला 3. दीप्तिमान; चमकीला।
रोचना
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. रक्त कमल 2. उज्ज्वल आकाश 3. वंशलोचन 4. गोरोचन 5. टीका; तिलक 6. काला सेमल 7. सुंदर स्त्री।
रोज़
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. दिवस; दिन 2. मज़दूरी; परिश्रमिक। [अव्य.] प्रतिदिन।
रोज़गार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. किया जाने वाला कार्य जो जीविका निर्वहण के लिए प्रतिदिन करना पड़ता है; पेशा 2. व्यापार; व्यवसाय।
रोज़गारी
(फ़ा.) [सं-पु.] जो व्यक्ति रोज़गार करता हो; व्यवसायी; व्यापारी।
रोज़नामचा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. छोटी किताब या बही जिसपर प्रतिदिन किए कार्य के बारे में लिखा जाता है; दैनंदिनी; (डायरी) 2. वह बही जिसमें प्रतिदिन आय-व्यय का हिसाब लिखा
जाता है।
रोज़मर्रा
(फ़ा.+अ.) [क्रि.वि.] नित्य; प्रतिदिन; हर रोज़। [सं-पु.] नित्य प्रतिदिन होते रहने वाला कार्य।
रोज़ा
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. रमज़ान के महीने में मुसलमानों के द्वारा रखा जाने वाला प्रतिदिन का उपवास 2. रमज़ान का एक दिन।
रोज़ाख़ोर
(फ़ा.) [सं-पु.] रोज़ा न रखने वाला मुसलमान।
रोज़ादार
(फ़ा.) [सं-पु.] 1. नियमित रोज़ा रखने वाला मुसलमान 2. {ला-अ.} धर्मनिष्ठ मुसलमान।
रोज़ाना
(फ़ा.) [अव्य.] प्रतिदिन; नित्य; हर रोज़।
रोज़ी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. जीविका; कामधंधा; व्यापार 2. प्रतिदिन का भोजन; ख़ुराक 3. मज़दूरी।
रोज़ीदार
(फ़ा.) [वि.] 1. जिसे ख़र्च के लिए प्रतिदिन कुछ दिया जाए 2. जो जीविकोपार्जन के लिए किसी कार्य में लगा हो।
रोज़ीना
(फ़ा.) [सं-पु.] प्रतिदिन के हिसाब से रोज़ मिलने वाला वेतन या मज़दूरी; दिहाड़ी। [वि.] दैनिक; नित्य; रोज़ का।
रोज़ी-रोटी
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] जीवन चलाने का साधन।
रोट
[सं-पु.] 1. गेहूँ के आटे की मोटी रोटी की तरह का व्यंजन; लिट्टी 2. मीठी मोटी रोटी 3. हाथी की ख़ुराक।
रोटरी क्लब
(इं.) [सं-स्त्री.] एक अंतरराष्ट्रीय समाजसेवी संस्था।
रोटी
[सं-स्त्री.] 1. गुँधे हुए आटे से बना गोल व चपटा खाद्य पदार्थ जिसे आँच पर सेक कर तैयार किया जाता है; चपाती 2. आहार; भोजन 3. {ला-अ.} जीविका।
रोड
(इं.) [सं-स्त्री.] सड़क; मार्ग।
रोडमैप
(इं.) [सं-पु.] 1. सड़क का नक्शा 2. {ला-अ.} वह योजना जिसे किसी कार्य को करने से पूर्व तैयार किया जाता है।
रोड़ा
(सं.) [सं-पु.] 1. पत्थर, ईंट आदि का टुकड़ा 2. {ला-अ.} ऐसी चीज़ या बात जो किसी कार्य में बाधक हो।
रोड़ी
[सं-स्त्री.] ईंट या पत्थर की गिट्टियाँ अथवा छोटी टुकड़ियाँ जो सड़क बनाने तथा अन्य निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होती हैं।
रोदन
(सं.) [सं-पु.] रोना; विलाप करना।
रोदसी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. स्वर्ग।
रोदा
(सं.) [सं-पु.] 1. धनुष की डोरी; चिल्ला 2. पतली ताँत जिससे सितार के परदे बाँधे जाते हैं।
रोध
(सं.) [सं-पु.] 1. रोकने वाली वस्तु या बात; निषेध 2. घेरा 3. बाँध।
रोधक
(सं.) [वि.] रोकने वाला।
रोधन
(सं.) [सं-पु.] 1. रोकने की क्रिया या भाव 2. बाधा; रुकावट 3. बुध ग्रह 4. दमन।
रोना
[क्रि-अ.] दुखी होकर रुदन या विलाप करने की क्रिया; शोक, कष्ट आदि के कारण विशेष प्रकार की आवाज़ के साथ आँसू बहाना।
रोना-धोना
[क्रि-अ.] 1. गिड़गिड़ाना 2. {ला-अ.} अपने कष्टों की चर्चा करना।
रोपक
(सं.) [वि.] 1. रोपने वाला 2. लगाने वाला।
रोपण
(सं.) [सं-पु.] 1. पौधे, बीज आदि को जमाना 2. स्थापित करना 3. बनाकर तैयार करना।
रोपना
(सं.) [क्रि-स.] 1. पौधा आदि लगाना या जमाना 2. पौधे आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगाना।
रोपित
(सं.) [वि.] 1. जिसका रोपण किया गया हो 2. रखा हुआ या स्थापित किया हुआ 3. खड़ा किया हुआ।
रोब
(अ.) [सं-पु.] 1. दबदबा; धाक 2. किसी की आकृति या रूप में दिखने वाला ऐसा बड़प्पन जिससे लोग प्रभावित हों; तेज; प्रताप।
रोबदाब
(अ.+हिं.) [सं-पु.] रोब के कारण पड़ने वाला प्रभाव; दबदबा।
रोबदार
(अ.+फ़ा.) [वि.] जिसमें रोब हो; जिसका दबदबा या प्रभाव हो; रोबीला।
रोबीला
(अ.+हिं.) [वि.] जिसमें रोब हो; जिसका दबदबा या प्रभाव हो; रोबदार।
रोम1
(सं.) [सं-पु.] देह के बाल; शरीर पर के नरम बाल; रोआँ।
रोम2
[सं-पु.] यूरोप महाद्वीप का एक देश।
रोमक
(सं.) [सं-पु.] 1. शाकंभरी लवण; पांशु लवण 2. ज्योतिष सिद्धांत का एक भेद।
रोम-कूप
(सं.) [सं-पु.] त्वचा के सूक्ष्म छिद्र जिनसे रोएँ निकलते हैं।
रोमन
(इं.) [सं-पु.] रोम देश का निवासी। [सं-स्त्री.] रोम देश की लिपि का परिष्कृत रूप जिसमें अँग्रेज़ी आदि भाषाएँ लिखी जाती हैं।
रोमहर्षक
(सं.) [वि.] 1. अत्यंत प्रसन्न करने वाला; रोमांचक 2. भय, आतंक आदि के कारण रोएँ खड़े कर देने वाला।
रोमांच
(सं.) [सं-पु.] भय, हर्ष या आश्चर्य के कारण शरीर के रोएँ खड़े होना; पुलक।
रोमांचक
(सं.) [वि.] जिसे देखने, सुनने या पढ़ने से व्यक्ति रोमांचित हो उठे; रोमांच या उत्तेजना उत्पन्न करने वाला; रोमांचकारी।
रोमांचकारी
(सं.) [वि.] जिसे देखने, सुनने या पढ़ने से व्यक्ति रोमांचित हो उठे; रोमांच या उत्तेजना उत्पन्न करने वाला; रोमांचक।
रोमांचित
(सं.) [वि.] रोमांच से भरा हुआ; पुलकित।
रोमांटिक
(इं.) [वि.] 1. रूमानी; प्रेम दिखाने वाला 2. प्रेम-प्रसंग वाला 3. भावुक व कल्पनाशील।
रोमांस
(इं.) [सं-पु.] 1. प्रेम-प्रसंग 2. प्रेम कथा 3. प्रेम या किसी नई व उत्तेजक वस्तु का अनुभव या वातावरण।
रोमानी
(इं.) [वि.] रोमांटिक।
रोमानीपन
(इं.+हिं.) [सं-पु.] रोमानी प्रकृति को दर्शाने की अवस्था।
रोमावलि
(सं.) [सं-स्त्री.] नाभि से ऊपर की रोओं की पंक्ति; रोमराजी।
रोमिल
(सं.) [वि.] रोएँदार; त्वचा पर बालोंवाला।
रोर
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. शोर-गुल; हल्ला 2. उत्पात 3. आंदोलन।
रोरी
[सं-स्त्री.] धूम; चहल-पहल।
रोल
(सं.) [सं-पु.] 1. पानी का बहाव, रेला या प्रवाह 2. रुखानी जैसा औज़ार जिसका उपयोग बरतन की नक्काशी की ज़मीन साफ़ करने में किया जाता है। [सं-स्त्री.] 1. हल्ला;
कोलाहल 2. ध्वनि; शब्द; आवाज़।
रोलर
(इं.) [सं-पु.] 1. ढुलकने वाली वस्तु या चीज़; बेलन; बेलना 2. एक प्रकार का वाहन जिसका उपयोग भूमि समतल करने के लिए किया जाता है 3. बालों को घुँघराले करने का एक
उपकरण।
रोला
[सं-पु.] 1. शोर; हल्ला; कोलाहल 2. भयंकर युद्ध 3. बेलन।
रोली
(सं.) [सं-स्त्री.] चूने और हल्दी से बना चूर्ण जिससे लोग तिलक लगाते हैं। [सं-पु.] लहसुनिया नग।
रोशन
(फ़ा.) [वि.] 1. प्रकाशित; प्रकाशपूर्ण; चमकदार 2. जलता हुआ 3. प्रकट; ज़ाहिर 4. {ला-अ.} मशहूर; प्रख्यात; प्रसिद्ध।
रोशनचौकी
(फ़ा.+हिं.) [सं-स्त्री.] किसी मांगलिक अवसर घर के दरवाज़े पर बैठाई जाने वाली बाजे वालों की चौकी।
रोशनदान
(फ़ा.) [सं-पु.] कमरे में प्रकाश को आने देने के लिए दीवार में ऊपर की ओर बना खुला स्थान; झरोखा।
रोशनाई
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] स्याही; मसि; (इंक)
रोशनी
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकाश; ज्योति 2. दीपक; चिराग 3. {ला-अ.} ज्ञान।
रोष
(सं.) [सं-पु.] 1. क्रोध; गुस्सा 2. चिढ़; कुढ़न 3. लड़ने का आवेश 4. वैर; विरोध।
रोषमय
(सं.) [वि.] रोष से भरा; रोषयुक्त; रोषपूर्ण।
रोहण
(सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर की ओर अग्रसर होना या बढ़ना 2. सवार होना 3. किसी पर चढ़ना 4. बीज आदि का उगना; अंकुरित होना।
रोहिणी
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. गाय; गौ 2. बिजली 3. एक नक्षत्र जिसमें पाँच तारे होते हैं 4. नौ साल की कन्या 5. रीठा 6. मजीठा 7. ब्राह्मी।
रोहित
(सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का हिरण 2. इंद्रधनुष 3. रक्त; लहू। [वि.] रक्तवर्ण; लोहित; लाल रंग का।
रोही
(सं.) [सं-पु.] 1. गूलर का वृक्ष 2. पीपल 3. एक प्रकार का हथियार 4. ख़ून; रक्त। [वि.] चढ़ने वाला; ऊपर की ओर जाने वाला।
रोहू
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. मछली की एक प्रजाति 2. पहाड़ों पर पाया जाने वाला एक प्रकार का वृक्ष।
रौ
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पानी का प्रवाह 2. किसी बात या काम की धुन।
रौंद
[सं-स्त्री.] रौंदने की क्रिया या भाव।
रौज़ा
(अ.) [सं-पु.] 1. बाग; बगीचा 2. मकबरा।
रौद्र
(सं.) [वि.] 1. रुद्र संबंधी; रुद्र का 2. प्रचंड; भीषण; विकट 3. क्रोधपूर्ण। [सं-पु.] 1. गुस्सा 2. यमराज।
रौनक
(फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चमक-दमक व उसके कारण होने वाली शोभा 2. प्रसन्न लोगों की चहल-पहल या जमघट; बहार 3. सुंदर वर्ण एवं आकृति।
रौनक-अफ़रोज़
(फ़ा.) [वि.] रौनक बढ़ाने वाला।
रौप्य
(सं.) [सं-पु.] चाँदी; रूपा। [वि.] चाँदी से निर्मित।
रौब
(अ.) [सं-पु.] रोब; रुआब; दबदबा।
रौरव
(सं.) [वि.] 1. भयंकर; भीषण 2. धूर्त 3. रुरु मृग संबंधी। [सं-पु.] (पुराण) एक भीषण नरक।
रौला
(सं.) [सं-पु.] 1. शोर 2. बखेड़ा; झंझट।
रौशन
(फ़ा.) [वि.] 1. ज्वलंत; उज्ज्वल; जलता हुआ 2. प्रकाशित; चमकदार; प्रकाशमान 3. मशहूर; प्रसिद्ध; प्रख्यात।
रौहाल
[वि.] 1. घोड़ा 2. घोड़ों की एक जाति।