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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह अग्रतालव्य, अघोष संघर्षी है।

शंक (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शंका; संदेह; आशंका 2. भय; डर।

शंकनीय (सं.) [वि.] 1. जिसके संबंध में किसी शंका की गुंजाइश हो; शंकित; शंक्य; शंका योग्य 2. वह जिसके द्वारा किसी भी काम के ठीक होने के विषय में संदेह हो; जिसके संबंध में कुछ प्रश्न किया जा सकता हो; (क्वेश्चनेबल)।

शंकर (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदुओं के एक आराध्य देव; शिव; महादेव 2. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का छंद 3. (संगीत) एक प्रकार का राग।

शंकरा (सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) एक प्रकार का राग 2. उक्त राग जो रात के दूसरे पहर में गाया जाता है।

शंकराचार्य (सं.) [सं-पु.] अद्वैतवाद के प्रवर्तक और चारों पीठों के अधिष्ठाता दक्षिण भारत के केरल प्रांत के प्रसिद्ध शैव आचार्य।

शंकरी (सं.) [सं-स्त्री.] पार्वती।

शंका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संदेह; संशय 2. भावी अनिष्ट या हानि का अनुमान 3. प्रश्न; जिज्ञासा 4. आशंका; भय।

शंकाकुल (सं.) [वि.] शंका से विचलित; शंका से व्याकुल।

शंकालु (सं.) [वि.] बात-बात पर संदेह करने वाला; शक्की।

शंकास्पद (सं.) [वि.] संदेह से युक्त; जिसमें संदेह की गुंजाइश हो।

शंकित (सं.) [वि.] 1. शंकायुक्त 2. भीत; डरा हुआ।

शंकु (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का घन जिसका अधोभाग गोलाकार होता है जो क्रमशः पतला होता हुआ सर्वोच्च भाग पर नुकीला हो जाता है; भाला; कील।

शंक्वाकार (सं.) [वि.] शंकु के आकार का।

शंख (सं.) [सं-पु.] 1. समुद्र में उत्पन्न एक जंतु 2. उक्त जंतु का खोल जिसे फूँकने पर आवाज़ निकलती है 3. एक लाख करोड़ की या दस खरब की संख्या 4. कुबेर की निधि का देवता। [मु.] -पूरना : शंख बजाना।

शंख कृमि (सं.) [सं-पु.] 1. शंख का कीड़ा 2. समुद्री जंतु जिसके शरीर के आवरण या खोल से शंख का निर्माण होता है।

शंखचूड़ (सं.) [सं-पु.] 1. एक विषैला साँप 2. एक तीर्थ।

शंखनाद (सं.) [सं-पु.] 1. शंख की ध्वनि 2. शंख बजने की ध्वनि 3. {ला-अ.} सामाजिक सुधार या परिवर्तन की शुरुआत।

शंखासुर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक राक्षस जिसका वध विष्णु ने मत्स्यावतार में किया था।

शंखिनी (सं.) [सं-स्त्री.] (कामशास्त्र) चार प्रकार की नायिकाओं (स्त्रियों) में से एक।

शंड (सं.) [सं-पु.] 1. साँड़ 2. एक दैत्य 3. पागल व्यक्ति 4. नपुंसक।

शंपा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बिजली; विद्युत 2. कमर।

शंबर (सं.) [सं-पु.] 1. पानी; जल 2. बादल; मेघ 3. चित्र 4. संपत्ति; धन 5. युद्ध 6. व्रत 7. पहाड़; पर्वत 8. जादू 9. एक राक्षस। [वि.] उत्तम; श्रेष्ठ।

शंबरारि (सं.) [सं-पु.] 1. शंबर का शत्रु कामदेव; मदन 2. प्रद्युम्न।

शंबुक (सं.) [सं-पु.] 1. घोंघा 2. शंख 3. हाथी की सूँड़ की नोक 4. एक दैत्य।

शंबूक (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) एक तपस्वी का नाम 2. हाथी की सूँड़ का अंतिम भाग।

शंभु (सं.) [सं-पु.] महादेव; शिव। [वि.] कल्याण करने वाला।

शंसिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आलोचना के रूप में व्यक्त संक्षिप्त विचार 2. टिप्पणी; उपकथन।

शंसित (सं.) [वि.] 1. जिसपर झूठा दोष लगाया गया हो 2. निश्चित; कथित; इच्छित।

शंस्य (सं.) [वि.] 1. जो तारीफ़ या प्रशंसा के लायक हो 2. प्रशंसनीय; अभिलाषित; कथित।

शऊर (अ.) [सं-पु.] 1. काम करने का ढंग; तरीका 2. सामान्य योग्यता 3. बुद्धि; व्यावहारिक बुद्धि।

शक1 (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल में शक द्वीप (मध्य एशिया) में रहने वाली एक समृद्ध जाति जिसने ईसा से दो सौ वर्ष पूर्व भारत के कुछ हिस्सों पर लगभग दो शताब्दियों तक शासन किया था 2. तातार देश के निवासी; ततारी 3. एक महत्वपूर्ण युद्ध 4. शकों का एक राजा 5. राजा शालिवाहन का चलाया हुआ संवत जो ईसा के अठहत्तर वर्ष पश्चात आरंभ हुआ था।

शक2 (अ.) [सं-पु.] 1. संदेह; संशय 2. शंका 3. भ्रांति होना या पड़ना।

शकट (सं.) [सं-पु.] 1. छकड़ा; बैलगाड़ी; सग्गड़ 2. रथ 3. शरीर; देह 4. भार; बोझ 5. (पुराण) एक राक्षस जिसका वध कृष्ण ने किया था 6. तिनिश नामक वृक्ष।

शकटी (सं.) [सं-पु.] शकट या बैलगाड़ी हाँकने वाला व्यक्ति।

शकरकंद (सं.) [सं-पु.] मोटे आकार की मूली की आकृति का एक कंद जो स्वाद में बहुत मीठा होता है।

शकरपारा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का फल 2. एक प्रकार का पकवान जो चीनी से बना होता है।

शकल1 (सं.) [सं-पु.] 1. चमड़ा; त्वचा 2. खंड; टुकड़ा 3. छिलका; छाल 4. दालचीनी 5. आँवला 6. कमलनाल।

शकल2 (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चेहरा; स्वरूप; आकृति; रूप 2. चेहरे का भाव; चेष्टा 3. काम का उपाय; रास्ता; तरकीब; ढंग 4. बनावट; गढ़न।

शकाब्द (सं.) [सं-पु.] शकसंवत।

शकार (सं.) [सं-पु.] शक वंश का व्यक्ति (संस्कृत नाटकों में इसका चरित्र मद, मूर्खता, अभिमान, कुलहीनता इत्यादि दोषों से युक्त दिखाया गया है)।

शकील (अ.) [वि.] रूपवान; सुंदर।

शकुंत (सं.) [सं-पु.] 1. खग; पक्षी; चिड़िया 2. नीलकंठ 3. एक प्रकार का कीड़ा।

शकुन (सं.) [सं-पु.] 1. सगुन; शुभ कार्य में दिया जाने वाला उपहार; शुभचिह्न; शुभ लक्षण 2. शुभ घड़ी; शुभ समय 3. किसी मंगलकार्य के अवसर पर गाया जाने वाला गीत।

शकुनि (सं.) [सं-पु.] 1. चिड़िया; पक्षी 2. (महाभारत) गंधारराज सुबल का पुत्र जो दुर्योधन का मामा था 3. षड्यंत्र करने वाला व्यक्ति। [वि.] दुष्ट; खलनायक; पापी।

शक्कर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. गन्ने आदि के रस से बना मीठा चूर्ण; चीनी 2. कच्ची चीनी।

शक्की (अ.) [वि.] 1. शक करने वाला; शंकाशील 2. संदेह या शक करने वाला।

शक्त (सं.) [वि.] 1. शक्तिमान 2. समर्थ 3. धनी 4. चतुर।

शक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पराक्रम; ताकत; सामर्थ्य; बल 2. योग्यता; क्षमता 3. देवी-देवताओं में पाया जाने वाला गुण; दैवीशक्ति।

शक्तिदायक (सं.) [वि.] शक्ति देने वाला।

शक्तिपात (सं.) [सं-पु.] 1. दैवी शक्ति का समावेश 2. (हठयोग) कुंडलिनीशक्ति का जागरण।

शक्तिपीठ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जहाँ शक्ति (दुर्गा) की पूजा होती है 2. (पुराण) वह स्थान जहाँ शक्ति के अंग कट कर गिरे थे।

शक्तिपुंज (सं.) [सं-पु.] 1. शक्ति का स्रोत 2. अतुल शक्ति। [वि.] शक्तिमान।

शक्तिबाण (सं.) [सं-पु.] (रामायण) मेघनाद द्वारा लक्ष्मण पर चलाया गया बाण जिसके लगने से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे।

शक्तिमत्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शक्ति संपन्न 2. शक्तिशाली; ताकतवर या बलिष्ठ होने का भाव।

शक्तिमान (सं.) [वि.] महाबलवान; बलशाली; बलिष्ठ; शक्तिशाली; ताकतवर।

शक्तिवर्धक (सं.) [वि.] शक्ति में वृद्धि करने वाला; शक्तिदायी।

शक्तिशाली (सं.) [वि.] शक्तिवान; बलवान; ताकतवर।

शक्तिशील (सं.) [वि.] पराक्रमी; ताकतवर; शक्तिवाला।

शक्तिस्रोत (सं.) [सं-पु.] 1. शक्तिशाली व्यक्ति; ताकतवर व्यक्ति 2. बिजली घर।

शक्तिहीन (सं.) [वि.] निर्बल; कमज़ोर; सामर्थ्यरहित।

शक्य (सं.) [वि.] संभव; साध्य; होने योग्य।

शक्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शक्य होने का भाव 2. क्षमता।

शक्र (सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र 2. शिव 3. (काव्यशास्त्र) रगण का चौथा भेद जिसमें छह मात्राएँ होती हैं 4. ज्येष्ठा नक्षत्र 5. अर्जुन वृक्ष 6. कुटज; कोरैया।

शक्रचाप (सं.) [सं-पु.] इंद्रधनुष।

शक्रारि (सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र का शत्रु 2. इंद्रजीत; मेघनाद; रावण का पुत्र।

शक्ल (अ.) [सं-स्त्री.] 1. चेहरा 2. आकृति; रूप 3. बनावट 4. ढंग 5. अंदाज़।

शक्ल-सूरत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. रूप-गुण 2. मुखाकृति; रूप 3. डील-डौल; आकार-प्रकार।

शख़्स (अ.) [सं-पु.] व्यक्ति; आदमी; मनुष्य; जन।

शख़्सियत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. व्यक्तित्व 2. व्यक्तिगत विशेषता।

शख़्सी (अ.) [वि.] शख़्स का; व्यक्ति संबंधी; व्यक्तिगत।

शगल (अ.) [सं-पु.] 1. शौक; मनबहलाव का कोई काम 2. काम; धंधा।

शगुन (सं.) [सं-पु.] 1. शुभ परिणाम सूचित करने वाले लक्षण 2. शुभ मुहूर्त में होने वाले शुभ काम।

शगूफ़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. मज़ाकिया बात; चुटकुला 2. अनहोनी या विलक्षण बात।

शचि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रज्ञा; बुद्धि 2. वाग्मिता 3. (पुराण) देवताओं के राजा इंद्र की पत्नी; इंद्राणी 4. शतावर नामक औषधि।

शजर (अ.) [सं-पु.] दरख़्त; तनेदार वृक्ष।

शजरा (अ.) [सं-पु.] 1. पटवारियों के पास रहने वाला खेतों का नक्शा 2. वंशावली; वंशवृक्ष।

शटर (इं.) [सं-पु.] दुकान आदि को खोलने और बंद करने के लिए लगाया जाने वाला लोहे की चादर से निर्मित दरवाज़ा।

शटा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जटा 2. पेड़ की जड़ 3. शेर का अयाल।

शठ (सं.) [सं-पु.] 1. आलसी आदमी 2. झूठा प्रेम करने वाला व्यक्ति 3. मूर्ख 4. ताड़ का पेड़ 5. सरसों। [वि.] 1. चालाक 2. बदमाश 3. नीच; दुष्ट।

शत (सं.) [वि.] संख्या '100' का सूचक।

शतक (सं.) [सं-पु.] 1. सौ का संग्रह 2. सौ के पूरे होने का भाव; शती। [वि.] सौ की संख्या से संबद्ध।

शतकुंडी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का महायज्ञ जिसमें सौ कुंडों में एक साथ यज्ञ होता है।

शतघ्नी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र 2. गले की एक घातक गाँठ (रोग)।

शतदल (सं.) [सं-पु.] कमल; शतपत्र।

शतधा (सं.) [क्रि.वि.] 1. सैकड़ों बार 2. सौ प्रकार से; अनेक प्रकार से।

शतपति (सं.) [सं-पु.] 1. सौ साल तक जीवित रहने वाला व्यक्ति 2. सौ सैनिकों का सरदार।

शतपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. तोता 3. मयूर 4. सारस।

शत-प्रतिशत (सं.) [क्रि.वि.] सौ प्रतिशत। [वि.] सौ में से सौ।

शतभुज (सं.) [वि.] 1. सौ भुजाओं वाला 2. जिसकी सौ बाँहें हों।

शतरंज (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध खेल जो बत्तीस मोहरों या गोटियों से खेला जाता है 2. चौंसठ खानों की बिसात वाला खेल।

शतरंजी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह दरी जो कई प्रकार के रंग-बिरंगे सूतों से बनी हो; बिछावन 2. शतरंज का अच्छा खिलाड़ी 3. शतरंज खेलने की बिसात।

शतवार्षिक (सं.) [वि.] 1. सौ वर्षों पर होने वाला 2. जिसकी अवधि सौ वर्षों की हो।

शतांश (सं.) [सं-पु.] 1. सौवाँ हिस्सा 2. सौ बराबर हिस्सों में से एक।

शताधिक (सं.) [वि.] सौ से अधिक।

शताब्दी (सं.) [सं-स्त्री.] सौ वर्षों की अवधि; शती; (सेंचुरी)।

शतायु (सं.) [वि.] सौ वर्षों की आयुवाला।

शती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शताब्दी; शतक; सदी 2. सौ वर्षों की अवधि की सूचक संख्या 3. सैकड़ा; सौ का समूह।

शत्रु (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो किसी के नाश के लिए उतारू हो; दुश्मन; वैरी; रिपु; अरि।

शत्रुघ्न (सं.) [वि.] शत्रुओं को मार डालने वाला। [सं-पु.] (रामायण) सुमित्रा के गर्भ से उत्पन्न राजा दशरथ के चौथे पुत्र।

शत्रुता (सं.) [सं-स्त्री.] दुश्मनी; वैर।

शत्रुत्व (सं.) [सं-पु.] शत्रुता; वैर; दुश्मनी।

शत्रुवत (सं.) [क्रि.वि.] शत्रु की तरह; शत्रु जैसा।

शनाख़्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पहचान; पूरी पहचान 2. पहचानने का चिह्न; लक्षण।

शनासा (फ़ा.) [वि.] 1. जानकार; परिचित 2. जानने-पहचानने वाला।

शनासाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] परिचय; जान-पहचान।

शनि (सं.) [सं-पु.] 1. सौरमंडल के ग्रहों में सातवाँ ग्रह 2. सप्ताह का आख़िरी दिन; शनिवार।

शनिवार (सं.) [सं-पु.] सप्ताह का छठवाँ दिन; सप्ताह के सात दिनों का एक नाम।

शनिश्चरी (सं.) [वि.] शनिगृह से संबंधित।

शनैः (सं.) [अव्य.] आहिस्ता; धीरे; हौले।

शनैः-शनैः (सं.) [अव्य.] धीरे-धीरे; मंद-मंद; आहिस्ता-आहिस्ता; हौले-हौले।

शनैश्चर (सं.) [सं-पु.] शनि नामक ग्रह।

शपथ (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कसम; सौगंध; प्रतिज्ञा 2. साक्षी; दुहाई।

शपथग्रहण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पद को ग्रहण करने के पूर्व निष्ठा व गोपनीयता बनाए रखने से संबंधित शपथ लेना 2. अपने कथन के प्रति सत्यता जताने हेतु ली जाने वाली शपथ।

शपथपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. शपथपूर्वक लिखित वक्तव्य जो प्रमाण स्वरूप प्रयुक्त किया जा सके 2. शपथ लेख; हलफ़नामा; (ऐफ़िडेविट)।

शपाशप [क्रि.वि.] जल्दी-जल्दी; तेज़ गति से।

शफ़क (अ.) [सं-स्त्री.] सुबह अथवा संध्या के समय आकाश में छाने वाली लाली।

शफरी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की मछली; पोठी या सौरी मछली।

शफ़ा (अ.) [सं-स्त्री.] आरोग्य; स्वास्थ्य; तंदुरुस्ती।

शफ़ाख़ाना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. दवाख़ाना; औषधालय; चिकित्सालय 2. स्वास्थ्य केंद्र।

शफ़ीक (अ.) [वि.] 1. प्यारा 2. हमदर्द 3. अनुग्रहकर्ता।

शब (फ़ा.) [सं-स्त्री.] रात्रि; रात।

शब-ए-बरात (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हिजरी सन के शाबान महीने की चौदहवीं रात 2. (लोकमान्यता) उक्त रात को देवदूत लोगों को जीविका देते हैं, इसी ख़ुशी में लोगों द्वारा ख़ासकर मुसलमानों द्वारा नमाज़ अदाकर मिठाई बाँटी और आतिशबाज़ी छोड़ी जाती है।

शबनम (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ओस 2. सफ़ेद रंग का अच्छा कपड़ा।

शबर (सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण भारत के जंगलों में पाई जाने वाली प्राचीन जाति 2. शिव 3. जल 4. मीमांसा दर्शन के प्रसिद्ध विद्वान। [वि.] चितकबरा; रंग-बिरंगा।

शबरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (रामायण) शबर अथवा भील जाति की स्त्री जिसने राम के वनवास के दौरान उनकी आवभगत की थी और अपने जूठे बेर खिलाए थे 2. शबर जाति की स्त्री।

शबल (सं.) [सं-पु.] 1. कई प्रकार के रंगों का मिश्रण 2. जल; पानी 3. बौद्धों का एक प्रकार का धार्मिक संस्कार 4. अगिया घास 5. चीता; चित्रक। [वि.] 1. चितकबरा 2. बहुरंगा; रंग-बिरंगा; विविध रंगों से युक्त 3. एकाधिक रंगों में विभक्त 4. किसी वस्तु की नकल पर निर्मित; अनुकृत।

शबाना (फ़ा.) [सं-पु.] रात का भोजन; ब्यालू; बासी भोजन। [वि.] 1. रात का; रात से संबंधित; रात वाला 2. बासी 3. पर्युषित। [क्रि.वि.] रात में; रात के समय।

शबाब (अ.) [सं-पु.] 1. यौवनावस्था; जवानी 2. किसी वस्तु या भाव की उत्तम अवस्था 3. सौंदर्य।

शबारोज़ (फ़ा.) [वि.] दिन-रात; अहर्निश; सदा; हमेशा।

शबीह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वह चित्र जो रूपसाम्य हो; चित्र; तस्वीर; छायाचित्र; अनुरूप चित्र; (फ़ोटो) 2. समानता; अनुरूपता; सदृश; मिस्ल।

शबेवस्ल (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मृत्यु की रात 2. मिलन की रात।

शब्द (सं.) [सं-पु.] 1. सार्थक ध्वनियों, वर्णों का समूह; वाक्य की एक इकाई 2. ध्वनि; आवाज़; नाद 3. लफ़्ज़।

शब्दकर्मी (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दों की रचना करने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जिसका व्यवहार एवं व्यवसाय शब्दों पर आधारित हो।

शब्दकोश (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दों के वर्ण विन्यास, अर्थ, प्रयोग, व्युत्पत्ति तथा पर्याय आदि से संबंधित ग्रंथ 2. अभिधान कोश; कोश।

शब्दगत (सं.) [वि.] शब्द में निहित।

शब्दचमत्कार (सं.) [सं-पु.] शब्दों के प्रयोग से रचना में लाई गई विचित्रता।

शब्दचित्र (सं.) [सं-पु.] 1. चुने हुए शब्दों में किसी घटना या बात का किया जाने वाला सजीव वर्णन या चित्रण 2. ऐसी रचना जिसमें किसी घटना, बात आदि का सजीव वर्णन हो 3. (काव्यशास्त्र) अनुप्रास नामक अलंकार।

शब्दजाल (सं.) [सं-पु.] किसी बात को घुमा-फिराकर कहना; शब्दाडंबर।

शब्दतत्पर (सं.) [वि.] 1. शब्द लेखन के लिए तत्पर 2. शब्द प्रयोग के लिए उत्सुक।

शब्दप्रमाण (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा प्रमाण जिसका आधार किसी का कथन हो 2. मौखिक प्रमाण 3. आप्त प्रमाण।

शब्दबद्ध (सं.) [वि.] 1. शब्दों में लिखित 2. शब्द से बंधा हुआ; आबद्ध।

शब्दभेद (सं.) [सं-पु.] वाक्य में प्रयुक्त शब्दों की व्युत्पत्ति, कार्य, प्रयोग आदि के आधार पर किया गया विभाजन।

शब्दयोजना (सं.) [सं-स्त्री.] किसी भाव की अभिव्यक्ति हेतु शब्दों का चयन।

शब्दवक्रोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कहा गया ऐसा शब्द जो सामान्य से अलग हो 2. व्यंग्य या परिहास के लिए कहा गया शब्द जो श्लिष्ट हो 3. शब्दों के वर्णों को इधर-उधर या तोड़-मरोड़कर इस रूप में रखना कि अन्य अर्थ प्रकट हो।

शब्दवत (सं.) [क्रि.वि.] शब्द के जैसा।

शब्दविज्ञान (सं.) [सं-पु.] शब्दों के रूप, रचना-विधान आदि का विवेचन करने वाला शास्त्र।

शब्दविरोध (सं.) [सं-पु.] वह विरोध जो केवल शब्दों द्वारा किया जाता है; शब्दगत विरोध; विषयगत विरोध से अलग।

शब्दवेध (सं.) [सं-पु.] 1. शब्द द्वारा गुंजित ध्वनि की ओर सटीक निशाना लगाना 2. किसी ऐसे अनदेखे लक्ष्य पर निशाना लगाना जिससे शब्द उत्पन्न हुआ हो।

शब्दवेधी (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा व्यक्ति जो अनदेखे लक्ष्य से उत्पन्न शब्द को सुनकर निशाना साध सके 2. एक प्रकार का बाण 3. दशरथ 4. अर्जुन।

शब्दशः (सं.) [अव्य.] प्रत्येक शब्द का अनुसरण करते हुए; एक-एक शब्द करके; जैसा शब्द है वैसा; हू-ब-हू।

शब्दशक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह शक्ति जो शब्द का मर्म या अर्थ उद्घाटित करती हो- अभिधा, लक्षणा और व्यंजना 2. शब्द की विशिष्ट अर्थबोधक शक्ति।

शब्दशास्त्र (सं.) [सं-पु.] शब्दों की व्युत्पत्ति, विस्तार व उनके शुद्ध रूपों के प्रयोग संबंधी नियम बताने वाला शास्त्र; शब्दानुशासन; शब्दविद्या।

शब्दश्लेष (सं.) [सं-पु.] 1. किसी शब्द के एक से अधिक अर्थ होने की अवस्था या भाव 2. शब्द का एकाधिक अर्थ में प्रयोग।

शब्दसाधक (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दों को साधने वाला व्यक्ति 2. एक प्रकार का प्रत्यय।

शब्दसाधन (सं.) [सं-पु.] शब्दों की व्युत्पत्ति, रूपांतर इत्यादि को दर्शाने वाला व्याकरणिक विभाग।

शब्दसौंदर्य (सं.) [सं-पु.] 1. रचना शैली में विशिष्ट शब्दों का सौंदर्य 2. शब्द योजना की सुंदरता 3. शब्दसौष्ठव 4. शब्दालंकार।

शब्दाडंबर (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दजाल; भारी-भरकम शब्दों का निरर्थक प्रयोग; क्लिष्ट शब्द प्रयोग 2. सौंदर्यरहित, भावहीन उक्ति।

शब्दातीत (सं.) [वि.] 1. जो शब्द द्वारा व्यक्त न किया जा सके; शब्द की जिस तक पहुँच न हो; जो शब्दों के परे हो 2. अकथनीय; अनिर्वचनीय। [सं-पु.] ब्रह्म; ईश्वर।

शब्दानुशासन (सं.) [सं-पु.] व्याकरण।

शब्दान्वय (सं.) [सं-पु.] वाक्य में आए शब्दों के बीच संबंध या अन्वय।

शब्दायित (सं.) [वि.] शब्द या ध्वनि करता हुआ।

शब्दार्थ (सं.) [सं-पु.] शब्द का अर्थ; शब्द और अर्थ।

शब्दालंकार (सं.) [सं-पु.] वर्णों या शब्दों के द्वारा रचना में उत्पन्न किया गया माधुर्य या चमत्कार।

शब्दावली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कथन या रचना में प्रयुक्त होने वाला शब्दसमूह 2. किसी भाषा या बोली में प्रयुक्त शब्दसमूह 3. विशिष्ट या पारिभाषिक शब्दों की सूची।

शब्दाश्रित (सं.) [वि.] 1. शब्दों पर आश्रित रहने वाला 2. शब्दों से अभिव्यक्त होने वाला।

शब्दित (सं.) [वि.] 1. ध्वनित 2. आहूत 3. व्याख्यायित।

शम (सं.) [सं-पु.] 1. चित्त की एक अवस्था 2. एक स्थायी भाव 3. मोक्ष; मुक्ति; निर्वाण 4. अंतःकारण; इंद्रियों को वश में रखना 5. छुटकारा; निवृत्ति 6. (काव्यशास्त्र) शांत रस का स्थायी भाव 7. क्षमा 8. उपचार 9. हाथ; हस्त।

शमक (सं.) [वि.] शमन करने वाला; शांत करने वाला; जो त्वचा की जलन और शोथ की पीड़ा कम करता हो; (डिमल्सेंट)।

शमन (सं.) [सं-पु.] 1. तृप्ति; शांति; दमन 2. दोष को दबाने की क्रिया 3. हिंसा; बलि; नाश 4. अनाज।

शमनीय (सं.) [वि.] जिसका शमन किया गया हो या किया जा सके।

शमशीर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. तलवार; खड्ग 2. शमशेर।

शमशेर (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शेर की पूँछ या नख के समान बीच में झुका हुआ हथियार; बघनख 2. तलवार; खड्ग।

शमा (अ.) [सं-स्त्री.] मोम युक्त बत्ती जो प्रकाश के लिए जलाई जाती है; मोमबत्ती।

शमादान (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक विशेष प्रकार का पात्र या आधार जिसमें मोमबत्तियों को रखकर जलाया जाता है 2. दीवट।

शमित (सं.) [वि.] 1. जिसका दमन किया गया हो 2. जो दहकता हुआ न हो; बुझा हुआ 3. शांत 4. शांतिपूर्ण; प्रशमित।

शमी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का विशेष वृक्ष जिसकी लकड़ी को रगड़ने पर आग निकलती है 2. एक प्रकार का पवित्र वृक्ष; सफ़ेद कीकर 3. शिंबा 4. बागुजी। [वि.] 1. आत्मसंयमी 2. शांत।

शमीक (सं.) [सं-पु.] (भगवत पुराण) एक नम्र और क्षमाशील ऋषि जिसने पांडवों के भावी उत्तराधिकारी परीक्षित को उसके उद्दंडतापूर्ण आचरण पर क्षमा कर दिया था किंतु जिनके पुत्र शृंगी ऋषि ने परीक्षित के उस कृत्य पर क्रुद्ध होकर उसे श्राप दे दिया था।

शयन (सं.) [सं-पु.] निद्रा; सोना।

शयन कक्ष (सं.) [सं-पु.] सोने का कमरा; शयनागार; शयनगृह।

शयनगृह (सं.) [सं-पु.] 1. शयन कक्ष; शयनागार 2. ख़्वाबगाह।

शयनयान (सं.) [सं-पु.] यात्रियों के सोने के लिए बना रेलगाड़ी का डिब्बा।

शयनरत (सं.) [वि.] 1. जो निद्रा में हो या सोया हुआ हो 2. निद्रामग्न; निद्रित; निद्रागत; सुप्तस्थ; अवसुप्त; स्वप्निल; सुप्त।

शयनागार (सं.) [सं-पु.] सोने का कमरा; शयनकक्ष।

शयनालय (सं.) [सं-पु.] शयन के लिए बना घर या कमरा; शयनागार; शयनगृह; निद्राशाला; रैनबसेरा।

शयनिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शयन, विश्राम आदि का स्थान; शयनागार 2. रेलगाड़ी का वह डिब्बा जिसमें यात्रियों के लिए सोने की व्यवस्था होती है; (स्लीपर) 3. पलंग; चारपाई।

शयित (सं.) [सं-पु.] 1. अजगर 2. लिसोड़ा। [वि.] 1. लेटा हुआ; लेटाया हुआ 2. सोया हुआ; निद्रित 3. सुस्त 4. आड़ा या तिरछा रखा हुआ 5. लंबायमान; लंबित।

शय्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेज; खाट; पलंग 2. बिस्तर।

शय्याग्रस्त (सं.) [वि.] 1. बीमारी या बुढ़ापे के कारण बिस्तर पर लेटा हुआ 2. शय्या पर पड़ा हुआ।

शय्यादान (सं.) [सं-पु.] (हिंदू धर्म) मरणोपरांत श्राद्धकर्म में खाट, बिछावन आदि का किया जाने वाला दान; सेजियादान।

शय्याव्रण (सं.) [सं-पु.] लंबे अंतराल तक बिस्तर पर लेटे रहने के कारण शरीर में होने वाला घाव, फोड़ा या जख़्म; (बेडसोर)।

शर (सं.) [सं-पु.] 1. धातु आदि का बना नुकीले सिरे वाला पतला एवं लंबा हथियार जो धनुष द्वारा चलाया जाता है; बाण; तीर 2. शरपत्र 3. सरकंडा 4. खस 5. भाले या बरछी का फल 6. दूध व दही की मलाई 7. (सामुद्रिक शास्त्र) शरीर पर तीर का निशान जो शुभ माना जाता है।

शरअ (अ.) [सं-स्त्री.] 1. कुरान में वर्णित विधान 2. ईश्वर के अनुयायियों को बताया गया सीधा रास्ता 3. इस्लामिक धर्मशास्त्र; शरीयत 4. मज़हब; धर्म 5. प्रथा; दस्तूर।

शरई (अ.) [वि.] 1. इस्लामिक कानून के अनुकूल; इस्लामिक धर्मानुकूल 2. जो इस्लाम में उचित हो 3. इस्लाम का पालन करने वाला।

शरकोट (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन समय में तीर चलाने की एक प्राचीन विधा जिससे शत्रुओं के चारों ओर तीरों का घेरा बन जाए 2. तीरों से निर्मित एक प्रकार का घेरा।

शरच्चंद्र (सं.) [सं-पु.] शरत ऋतु का चंद्रमा; विशेषतः शरद पूर्णिमा का चंद्रमा।

शरण (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आश्रय; पनाह 2. रक्षित स्थान 3. रक्षा का भाव।

शरणगृह (सं.) [सं-पु.] 1. सुरक्षित रहने का स्थान या घर 2. हवाई हमलों से बचने के लिए निर्मित भूमिगत गृह; (शेल्टर) 3. पनाहगार।

शरणदाता (सं.) [सं-पु.] 1. आश्रय देने वाला; आश्रयदाता 2. रक्षक; संरक्षक; सरपरस्त; प्रतिपाल।

शरणस्थल (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ पलायन करने वाला प्रश्रय या शरण लेता हो; शरणक्षेत्र; शरणाश्रय।

शरणागत (सं.) [वि.] शरण में आया हुआ।

शरणागति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरण में आने की क्रिया या भाव 2. रक्षार्थ शरण में आना।

शरणापन्न (सं.) [वि.] शरण में आया हुआ; शरणागत।

शरणार्थी (सं.) [सं-पु.] दूसरी जगह से आकर बसने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. विस्थापित; शरण लेने वाला; रक्षा चाहने वाला 2. असहाय।

शरण्य (सं.) [सं-पु.] शरण-स्थल; आश्रय स्थान। [वि.] शरण देने वाला।

शरत (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक ऋतु 2. हिंदी माह आश्विन की ऋतु 3. वर्ष; वत्सर।

शरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तीर या बाण चलाने की विद्या; तीरंदाज़ी 2. शर का भाव।

शरतिया (अ.) [क्रि.वि.] दे. शर्तिया।

शरत्काल (सं.) [सं-पु.] 1. शरद ऋतु की कालावधि 2. आश्विन माह।

शरद (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक ऋतु, जो अश्विन (क्वार) और कार्तिक मास में मानी जाती है; क्वार से कार्तिक तक रहने वाली एक ऋतु 2. शीतारंभ का समय।

शरद-पूर्णिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास की पूर्णिमा 2. शारदीय पूर्णिमा; रास पूर्णिमा।

शरद्पूनो (सं.) [सं-स्त्री.] शरद ऋतु की पूर्णिमा; शरद-पूर्णिमा।

शरपंजर (सं.) [सं-पु.] कई तीर से बनने वाला घेरा; शरकोट।

शरबत (अ.) [सं-पु.] 1. वह पानी जिसमें चीनी या गुड़ घोले गए हों 2. एक रुचिकर मीठा पेय पदार्थ 3. चीनी मिला जल 4. फलों आदि के रस का मिश्रण, जैसे- अनार का शरबत; शर्बत।

शरबती (अ.) [सं-पु.] 1. हलका पीला व हरा मिश्रित रंग 2. कबूतर की एक प्रजाति 3. मीठे नीबू का एक प्रकार; चकोतरा नीबू 4. एक प्रकार का आम 5. पीलापन लिए हुए लाल रंग का नगीना [वि.] 1. शरबत के रंग का 2. शरबत की तरह तरल व मीठा 3. रसदार; सरस 4. जो शरबत बनाने के काम में आता है 5. मधुर; प्रिय।

शरम (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शर्म; लज्जा 2. संकोच; लिहाज़ 3. पछतावा; पश्चाताप। [मु.] मारे शरम के पानी-पानी होना : बहुत लज्जित होना; शर्मिंदा होना।

शरमसार (फ़ा.) [वि.] 1. जो शरमीला हो; लज्जावाला 2. शरमिंदा; लज्जित।

शरमाना (फ़ा.) [क्रि-अ.] लज्जित होना; शर्मिंदा होना; झेंपना; लजाना। [क्रि-स.] लज्जित करना।

शरमिंदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. लज्जित होने का भाव; लज्जा; शरमिंदा होना 2. लाज; झेंप 3. पश्चाताप।

शरमिंदा (फ़ा.) [वि.] 1. जो अपने अनुचित कार्य से बेहद शरमिंदगी महसूस कर रहा हो या दुखी हो; शरम या लज्जा से जिसका मस्तक नत हो गया हो 2. लज्जित; शर्मसार; शरमाया हुआ; नादिम; व्रीड़ित।

शरमीला (फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. जिसको स्वभावतः जल्दी लज्जा आती हो 2. लज्जाशील; लज्जावान; सलज्ज; शरमीला; लज्जालु; लजाधुर; लजीला; झेंपू 3. हयावान।

शरशय्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाणों की शय्या 2. (महाभारत) अर्जुन द्वारा भीष्म के लिए निर्मित बाणों की शय्या।

शरह (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात को स्पष्ट करने के लिए कहा जाने वाला कथन या वर्णन 2. टीका; भाष्य; वर्णन 3. व्याख्या 4. दर; मूल्य; भाव 5. प्रथा; परिपाटी।

शराकत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. एकाधिक लोगों के साझेदार होने की अवस्था या भाव 2. साझा; साझेदारी; सहभागिता; भागीदारी; हिस्सेदारी; (पार्टनरशिप)।

शराकतनामा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. साझेदारी की शर्तें लिखा हुआ पत्र 2. करारनामा।

शरापना [क्रि-अ.] 1. किसी के अनिष्ट की कामना करते हुए कुछ कहना; श्राप देना 3. कोपना 4. लानत भेजना।

शराफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शरीफ़ होने का भाव 2. नेकी; भलमनसी; भलाई 3. कुलीनता; शिष्टता 4. भद्रता 5. सज्जनता; किसी की भलाई के लिए किया जाने वाला कृत्य।

शराब (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मदिरा; मद्य; सुरा; वारुणी; दारू 2. किसी चीज़ का मीठा अर्क या शर्बत।

शराबख़ाना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ शराब पी जाती है; बेची जाती है 2. शराबघर; मदिरालय; शराब की दुकान।

शराबख़ोर (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. जो अधिक शराब पीता हो 2. शराब का आदी 3. शराबी; मद्यप; पियक्कड़; शराबख़्वार।

शराबख़ोरी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शराब पीने की आदत या लत; दारूबाज़ी; व्यसन 2. मद्यपान; मदिरापान।

शराबबंदी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] मद्यपान-निषेध।

शराबी (अ.) [वि.] 1. शराब पीने वाला 2. शराब का व्यसनी 3. शराब पीने की लत वाला; मद्यप।

शराबोर (फ़ा.) [वि.] 1. जिसपर पूर्ण रूप से प्रभाव पड़ा हो 2. तर-बतर; लतपथ 3. भीगा; गीला 4. अभिभूत; ओतप्रोत; अभिपन्न।

शरारत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पाजीपन; दुष्टता 2. उपद्रव; शैतानी 3. छेड़-छाड़; चंचलता 4. दुष्टतापूर्ण कार्य।

शरारती (अ.) [वि.] शरारत करने वाला; दुष्ट।

शरासन (सं.) [सं-पु.] 1. बाण चलाने का एक अस्त्र; बाँस या धातु आदि के छड़ को निर्धारित मात्रा में झुकाकर उसके दोनों सिरों के बीच डोरी बाँधकर बनाया हुआ विशेष अस्त्र 2. धनुष; धनु; कमान; चाप; कोदंड; शरायुध।

शरीअत (अ.) [सं-स्त्री.] दे. शरीयत।

शरीक (अ.) [वि.] 1. शामिल; सम्मिलित 2. भागीदार; साझीदार 3. किसी कार्य में साथ देने वाला।

शरीकत (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. शराकत।

शरीफ़ (अ.) [सं-पु.] कुलीन एवं सज्जन व्यक्ति। [वि.] 1. शिष्ट; भला; नेक 2. सभ्य; प्रतिष्ठित; पवित्र।

शरीफा (सं.) [सं-पु.] 1. सीताफल 2. सीताफल का पेड़।

शरीफ़ाना (अ.+फ़ा.) [वि.] शरीफ़ या सभ्य व्यक्ति जैसा; शराफ़त युक्त।

शरीयत (अ.) [सं-स्त्री.] इस्लाम के धर्म-शास्त्र कुरान की संहिता; नियम या कानून।

शरीर (सं.) [सं-पु.] 1. तन; जिस्म; देह; काया; बदन 2. मनुष्य या पशु का सिर से पैर तक के सब अंगों का समूह।

शरीरपात (सं.) [सं-पु.] देह वियोग; मृत्यु; निधन; देहांत; देहावसान; इंतकाल।

शरीर रक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो शरीर की रक्षा करता हो; अंगरक्षक; (बॉडीगार्ड) 2. वस्त्र 3. औषधि।

शरीरविज्ञान (सं.) [सं-पु.] जीवों की शारीरिक संरचना के विवेचन का विज्ञान; शरीर विद्या; शरीर विधान; शरीरशास्त्र; (एनॉटमी)।

शरीरशास्त्र (सं.) [सं-पु.] शरीर के अंगों की बनावट व उनके कार्यविधि आदि का विवेचना करने वाला शास्त्र; शरीरविज्ञान; अंग विद्या।

शरीरस्थ (सं.) [वि.] शरीर में स्थित; शरीर में रहने वाला।

शरीरांत (सं.) [सं-पु.] देहावसान; मृत्यु।

शरीरी (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर से संबंधित 2. मनुष्य 3. प्राणी; जीव 4. आत्मा। [वि.] शरीर से युक्त; सदेही; देहवान।

शर्करा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गन्ने आदि के रस से निर्मित रवा या चूर्ण; चीनी; शक्कर; रसपाकज 2. बालू का कण; कंकड़ 3. पथरी नाम का एक रोग 3. ठीकरा 4. खंड; टुकड़ा 5. (पुराण) एक देश।

शर्ट (इं.) [सं-स्त्री.] शरीर के ऊपरी हिस्से में पहना जाने वाला वस्त्र या पहनावा; कमीज़।

शर्त (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी बात मनवाने के लिए किया जाने वाला करार 2. प्रतिज्ञा 3. बाज़ी 4. उपबंध; पाबंदी।

शर्तिया (अ.) [वि.] 1. दृढ़तापूवर्क; निश्चय ही 2. अनिवार्य; लाज़िमी 3. अचूक 4. जिसपर शर्त लगी हो।

शर्ब (सं.) [सं-पु.] दे. शर्व।

शर्बत (अ.) [सं-पु.] दे. शरबत।

शर्म (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. शरम।

शर्मद (सं.) [सं-पु.] विष्णु का एक नाम। [वि.] आनंद या सुख देने वाला; सुखदायक।

शर्मनाक (फ़ा.) [वि.] 1. लज्जापूर्ण; लज्जास्पद 2. लिहाज़, संकोच वाला आचरण।

शर्मसार (फ़ा.) [वि.] 1. लज्जित; शरमिंदा 2. लज्जावान।

शर्मा (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में एक कुलनाम या सरनेम। [वि.] सुखी; प्रसन्न।

शर्मिंदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. शरमिंदगी।

शर्मिंदा (फ़ा.) [वि.] दे. शरमिंदा।

शर्मीला (फ़ा.) [वि.] दे. शरमीला।

शर्व (सं.) [सं-पु.] 1. शंकर; शिव 2. नारायण; विष्णु।

शर्वरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्यास्त और सूर्योदय के मध्य का समय; संध्याकाल; सायं काल 2. निशा; रात; रात्रि; रजनी 3. स्त्री; औरत 4. हल्दी।

शर्वाणी (सं.) [सं-स्त्री.] शंकर की पत्नी; शंकरा; पार्वती।

शलजम (फ़ा.) [सं-पु.] सब्ज़ी के रूप में प्रयुक्त होने वाला एक प्रकार का गोलाकार कंद।

शलभ (सं.) [सं-पु.] 1. टिड्डी; टिड्डा; पतंगा 2. भ्रमर; भौंरा 3. एक वर्णवृत्त 4. (रामायण) राम की सेना का एक बलवान बंदर।

शलवार (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सलवार 2. एक प्रकार का ढीला पाजामा; पेशावरी पायजामा।

शलाका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धातु या लकड़ी की सलाई 2. तीली 3. तूलिका 4. हड्डी।

शलूका (फ़ा.) [सं-पु.] शरीर के ऊपरी भाग का एक पहनावा; एक प्रकार की कुरती।

शल्क (सं.) [सं-पु.] 1. वृक्ष की छाल; वल्कल 2. मछली की चोई 3. छिलका 4. टुकड़ा; खंड।

शल्य (सं.) [सं-पु.] 1. चीर-फाड़ 2. डॉक्टर का चीर-फाड़ करने का औज़ार 3. अस्थि; हड्डी 4. छप्पय का एक भेद 5. महाभारत का एक पात्र।

शल्यक (सं.) [सं-पु.] 1. साही नामक जीव 2. एक प्रकार का शस्त्र; भाला; बरछा 3. काँटा; शूल 4. बेल का वृक्ष या फल 5. एक प्रकार की मछली 6. मदन या खैर वृक्ष 7. लोध नामक वृक्ष। [वि.] 1. शल्य से संबंधित; (सर्जिकल) 2. शल्य चिकित्सा से संबंध रखने वाला 3. शल्य क्रिया करने वाला।

शल्य-कर्ता (सं.) [सं-पु.] वह जो शल्य-चिकित्सा का जानकार हो; (सर्जन); शल्यकार।

शल्य-कर्म (सं.) [सं-पु.] 1. शल्य चिकित्सा 2. चीर-फाड़ का कार्य; (ऑपरेशन)।

शल्यकर्मी (सं.) [सं-पु.] 1. शल्य कर्म करने वाला 2. शल्य चिकित्सक।

शल्यकार (सं.) [सं-पु.] 1. शल्य शास्त्र का ज्ञाता 2. शल्य चिकित्सा के द्वारा उपचार करने वाला; शल्य चिकित्सक; शल्यक; (सर्जन)।

शल्यकी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का जीव जिसके सारे शरीर पर लंबे लंबे खड़े काँटे होते हैं; साही 2. शल्य कार्य करने की क्रिया; शल्यकर्म।

शल्य-क्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] शारीरिक विकार, रोग या परेशानियों को दूर करने के लिए की जाने वाली चीर-फाड़; (सर्जरी)।

शल्य-चिकित्सक (सं.) [सं-पु.] शरीर की चीर-फाड़ करने वाला चिकित्सक; (सर्जन)।

शल्य-चिकित्सा (सं.) [सं-स्त्री.] चिकित्सा का एक प्रकार जिसमें शरीर के रुग्ण भाग को चीरकर ठीक किया जाता है; (ऑपरेशन)।

शल्यविज्ञान (सं.) [सं-स्त्री.] चीर-फाड़ द्वारा रुग्ण अंगों को ठीक करने का शास्त्र या विज्ञान।

शल्यविद्या (सं.) [सं-पु.] ऐसा विज्ञान जिसमें चीर-फाड़ संबंधी विस्तारपूर्वक विवेचन किया गया हो।

शल्यशास्त्र (सं.) [सं-पु.] चिकित्सा विज्ञान का वह शास्त्र जिसमें शरीर के दूषित अंग को चीर-फाड़ कर उपचार का विधान होता है; शल्य चिकित्सा विज्ञान।

शल्योपचार (सं.) [सं-पु.] शरीर के दूषित अंगों को चीर-फाड़ कर उपचार करने की क्रिया; चीर-फाड़; जराहत; (ऑपरेशन)।

शल्योपचारिक (सं.) [वि.] शल्य उपचार से संबंधित; (सर्जिकल)।

शल्योपचारी (सं.) [सं-पु.] वह जो चीर-फाड़ विधि द्वारा चिकित्सा करता हो; शल्योपचारक; (सर्जिकल ऑपरेटर)।

शल्ल (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर, वृक्ष आदि का बाहरी आवरण 2. त्वचा; चमड़ा; चर्म; (स्किन) 3. पेड़ या पौधों की छाल 4. मेंढक; मंडूक। [वि.] 1. थका हुआ 2. मंद; शिथिल; सुस्त 3. सुन्न 4. जिसे हिलाया-डुलाया न जा सके।

शव (सं.) [सं-पु.] 1. लाश; मृत शरीर; मुरदा 2. {ला-अ.} ऐसा व्यक्ति जो निर्जीव, अचेष्ट हो चुका हो।

शवगृह (सं.) [सं-पु.] शव को सुरक्षित रखने का स्थान; मुर्दाघर।

शवदाह (सं.) [सं-पु.] मृत शरीर को जलाने का कार्य।

शवदाहगृह (सं.) [सं-पु.] शव को जलाने हेतु निर्मित गृह; श्मशान।

शव-परीक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मरणोपरांत शरीर की परीक्षा; शव-समीक्षा 2. मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए किया जाने वाला परीक्षण; (पोस्टमार्टम)।

शव-पेटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी या धातु आदि से निर्मित पेटी जिसमें शव को सुरक्षित रखा जाता है 2. वह संदूक जिसमें शव रखकर गाड़ा जाता है; ताबूत; शवधार; (कॉफिन)।

शवयात्रा (सं.) [सं-स्त्री.] शव के साथ-साथ कुछ लोगों का श्मशान तक जाने का उपक्रम।

शवयान (सं.) [सं-पु.] शव या मृत शरीर ढोने की गाड़ी; टिकठी।

शवल (सं.) [वि.] 1. भिन्न-भिन्न रंगों के धब्बोंवाला 2. चितकबरा; चित्तीदार; चितला। [सं-पु.] 1. चीतल 2. चीता 3. पानी; जल।

शवागार (सं.) [सं-पु.] 1. मुर्दा घर 2. कब्र; समाधि।

शवाग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] चिता की आग; शव के ऊपर रखी जाने वाली आग।

शशक (सं.) [वि.] 1. खरहा; खरगोश; शशा 2. छह 3. चाँद का धब्बा 4. लोध वृक्ष 5. (कामशास्त्र) पुरुष का एक प्रकार; मधुर भाषी; सत्यवादी; कोमलांग युक्त पुरुष।

शशधर (सं.) [सं-पु.] 1. सौर मंडल का एक उपग्रह जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है; चंद्रमा; शशांक 2. सफ़ेद रंग का एक सुगंधित पदार्थ जो दारचीनी की प्रजाति के वृक्ष से निकलता है; कपूर।

शशशृंग (सं.) [सं-पु.] 1. असंभव बात 2. खरगोश को सींग होने जैसी अनहोनी बात।

शशांक (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. कपूर।

शशि (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा; इंदु; चाँद 2. मोती।

शशिकला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चंद्रमा की कला; चंद्रकला 2. चाँद का अंश; चाँदनी 3. एक प्रकार का वर्णवृत्त 4. मणि गुण।

शशिधर (सं.) [सं-पु.] वह जो चंद्रमा को धारण करता है; शंकर; शिव।

शशिप्रभा (सं.) [सं-स्त्री.] चाँदनी; ज्योत्स्ना।

शशिमुख (सं.) [वि.] 1. चंद्रमा के समान मुखवाला; चंद्रमुख 2. ख़ूबसूरत।

शशिलेखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चंद्रमा या उसके प्रकाश का सोलहवाँ अंश या भाग 2. चाँद की कला; चंद्र किरण; चंद्ररेखा 3. एक औषधीय बेल जिसके पत्ते पान के पत्ते के समान होते हैं; गिलोय; गुडुच 4. बकुची।

शशिशेखर (सं.) [सं-पु.] महेश; शिव; महादेव।

शशोपंज (फ़ा.) [सं-पु.] द्वंद्व की स्थिति; दुविधा; अनिर्धारण; असमंजस; उधेड़बुन।

शसा (सं.) [सं-पु.] खरहा; खरगोश; शश; शशक।

शस्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. हथियार; आयुध; औज़ार 2. युद्ध के समय लड़ाई का उपकरण 3. लोहा; फ़ौलाद 4. पाठ।

शस्त्र-चिकित्सक (सं.) [सं-पु.] शस्त्र द्वारा उपचार करने वाला; शल्यकार; व्रण शल्यक; (सर्जन)।

शस्त्र-चिकित्सा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शस्त्र द्वारा उपचार करने की विद्या 2. शस्त्र के माध्यम से चिकित्सा; शल्यकर्म; (सर्जरी)।

शस्त्रधारी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसने शस्त्र लिया हुआ हो 2. योद्धा 3. सैनिक 3. एक पुराना देश 4. सिलहपोश नामक एक जीव। [वि.] 1. शस्त्र धारण करने वाला 2. शस्त्र सज्जित; शस्त्री; अस्त्रधारी।

शस्त्र-भंडार (सं.) [सं-पु.] शस्त्र को सुरक्षित रखने की जगह।

शस्त्रविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शस्त्र चलाने में कुशल करने वाली विद्या 2. धनुर्वेद।

शस्त्रागार (सं.) [सं-पु.] शस्त्र को सुरक्षित रखने की जगह।

शस्त्राभ्यास (सं.) [सं-पु.] युद्धकला का अभ्यास।

शस्त्रास्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. शस्त्र और अस्त्र 2. हाथ में लेकर और फेंककर मारने वाला हथियार।

शस्त्रीकरण (सं.) [सं-पु.] योद्धाओं आदि को शस्त्रयुक्त करना; हथियारबंदी।

शस्य (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़-पौधों से उत्पन्न होने वाले फल या दाने जो खाने के काम में आते हैं; अनाज; अन्न; गल्ला; खाद्यान्न; धान्य 2. खेतों में उपजा हुआ अन्न आदि जो अभी पौधे में ही लगा हो 3. फ़सल 3. नई घास; खर; तृण 4. सद्गुण 5. प्रतिभा की क्षति 6. गुण; योग्यता। [वि.] 1. बढ़िया 2. प्रशंस्य; प्रशंसनीय; सराहनीय।

शस्यागार (सं.) [सं-पु.] अनाज रखने या भंडारण करने का स्थान; खलिहान।

शह (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शाह का छोटा रूप; बादशाह 2. बढ़ावा देना; भड़काना। [वि.] बड़ा और श्रेष्ठ।

शहकार (फ़ा.) [सं-पु.] सबसे अच्छी रचना; सर्वोत्कृष्ट कृति; महानतम कृति।

शहज़ादा (फ़ा.) [सं-पु.] राजकुमार; युवराज; बादशाह या राजा का पुत्र।

शहज़ादी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बादशाह की पुत्री; राजकुमारी; राजपुत्री 2. युवराज की पत्नी; युवराज्ञी।

शहज़ोर (फ़ा.) [वि.] अत्यंत बलवान; बली; शक्तिशाली; ताकतवर।

शहतीर (फ़ा.) [सं-पु.] बड़ा और लंबा लट्ठ।

शहतूत (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रसिद्ध पेड़ और उसका फल जो पकने पर रसीला और मीठा होता है; तूत का फल।

शहद (अ.) [सं-पु.] 1. एक तरल, मीठा पदार्थ जो मधुमक्खियाँ फूलों, मकरंदों से संग्रह कर के अपने छत्तों में रखती हैं 2. मधु। [मु.] -लगाकर चाटना : किसी चीज़ को व्यर्थ लेकर बैठे रहना; किसी मामले को निबटाने में अत्यधिक देरी करना।

शहनशीं (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. बैठने का ऊँचा स्थान 2. मूल्यवान आसन 3. दालान के ऊपर बना छोटा और ऊँचा दालान।

शहना (अ.) [सं-पु.] 1. खेतों एवं फ़सलों की रखवाली करने वाला व्यक्ति; शस्यरक्षक 2. चौकीदार 3. कोतवाल 4. कर वसूल करने वाला कर्मचारी।

शहनाई (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. फूँककर बजाया जाने वाला बाँसुरी के आकार-प्रकार का वाद्य यंत्र 2. नफ़ीरी; रोशनचौकी।

शहबाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बड़ी जाति का बाज़ 2. बड़ा बाज़।

शहबाला (फ़ा.) [सं-पु.] वह बालक जो विवाह के समय दूल्हे के साथ पालकी या घोड़े पर बैठकर वधू के घर जाता है; सहवर।

शह-मात (फ़ा.) [सं-स्त्री.] शतरंज के बादशाह को मात देने की स्थिति में ला देना।

शहर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. नगर; पुर 2. पक्के मकानों की बड़ी बस्ती; (सिटी)।

शहरपनाह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] शहर की रक्षा के लिए बनाई गई दीवार; पटकोट; नगरकोट; प्राचीर; फ़सील।

शहरबंदी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मूल्य; दर या भाव निर्धारित करने की क्रिया 2. मूल्य; दर तालिका 3. दरबंदी।

शहरयार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बादशाह 2. समकालीन बादशाहों में दबंग।

शहराती (फ़ा.) [सं-पु.] शहर में रहने वाला व्यक्ति; नागरिक; नगर वासी; नगर निवासी; नागर; पुरवासी। [वि.] नगर में रहने वाला; शहरी।

शहरी (फ़ा.) [वि.] 1. शहर का 2. शहर में रहने वाला 3. शहर संबंधी।

शहरीकरण (फ़ा.+सं.) [सं-पु.] नगरीकरण।

शहवत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. भोग-विलास की इच्छा 2. काम-वासना।

शहवती (अ.) [वि.] संभोग की इच्छा रखने वाला; कामेच्छुक; भोगेच्छुक।

शहसवार (फ़ा.) [सं-पु.] कुशल घुड़सवार। [वि.] घुड़सवारी में निपुण।

शहादत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शहीद होने का भाव; देश हित में प्राण देना 2. युद्ध करते हुए शहीद होना; अच्छाई के रास्ते पर संघर्ष करते हुए मारा जाना 3. गवाही; साक्ष्य।

शहाना (फ़ा.) [वि.] 1. राजसी; शाही 2. बहुत बढ़िया; उत्तम।

शहामत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसन्नता 2. वीरता 3. श्रेष्ठता 4. ज़ोर 5. फ़ुर्ती।

शहीद (अ.) [वि.] 1. सत्य के लिए लड़ते हुए मरने वाला 2. कर्तव्य के लिए अपने को कुरबान कर देने वाला।

शहीदी (अ.) [वि.] 1. जो शहीद होने को तैयार हो 2. शहीद संबंधी।

शांकर (सं.) [सं-पु.] 1. शंकराचार्य का मत या सिद्धांत 2. शंकराचार्य के अनुयायी 3. बैल 4. आर्द्रा नक्षत्र 5. एक प्रकार का छंद 6. सोमलता का प्रकार [वि.] 1. शिव से संबंधित 2. शंकराचार्य से संबंधित।

शांत (सं.) [वि.] 1. गंभीर या चुप रहने वाला; मौन; चुप 2. जिसका शमन हो चुका हो या किया जा चुका हो; शमित 3. समाप्त 4. सौम्य; गंभीर; चंचलता रहित 5. राग रहित; विरक्त 6. निश्चिंत; चिंतारहित 7. नीरव; शब्दरहित 8. मृत; बुझा हुआ।

शांतचित्त (सं.) [वि.] शांत हृदयवाला; स्थिर चित्तवाला।

शांति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूनापन; निःशब्दता 2. मन की स्थिरता 3. तसल्ली; सांत्वना 4. आराम; चैन।

शांति-दूत (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो शांतिवाद का समर्थक और पक्षधर हो 2. शांति के सिद्धांत को प्रचारित, प्रसारित करने वाला 3. शांति की महत्ता बताने वाला।

शांतिपूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] शांति के साथ; शांति से; धीरज या संयम से।

शांति-प्रक्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] शांति व सौहार्द बनाने या स्थापित करने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया।

शांतिप्रिय (सं.) [वि.] जिसको शांति प्रिय हो; शांति-प्रेमी; अमनपसंद; शांति अभिलाषी।

शांतिभंग (सं.) [सं-पु.] शांत स्थिति में होने वाला विघ्न; शांति नाश।

शांतिवाद (सं.) [सं-पु.] शांति बनाए व बहाल रखने वाला सिद्धांत; (पैसिफिज़म)।

शांतिवादी (सं.) [सं-पु.] शांति बनाए रखने वाले सिद्धांत का अनुयायी या मानने वाला व्यक्ति; (पैसिफिस्ट)।

शांति-संधि (सं.) [सं-स्त्री.] युद्धोपरांत संबंधित राष्ट्रों के बीच शांति व परस्पर सहयोग करने के लिए की जाने वाली संधि; (पीस ट्रीटी)।

शाइक़ (अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. शायक2)।

शाइस्तगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शिष्टता; शराफ़त; सुशीलता 2. तहज़ीब; सभ्यता 3. पात्रता; नम्रता 4. योग्यता।

शाइस्ता (फ़ा.) [वि.] 1. सभ्य; सुशील; विनीत 2. शरारत न करने वाला।

शाक (सं.) [सं-पु.] वनस्पति जो सब्ज़ी के रूप में प्रयुक्त होती हो; साग; तरकारी।

शाकंभरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्गा; शिवा 2. साँभर नगर का प्राचीन नाम।

शाकट (सं.) [सं-पु.] 1. गाड़ी खींचने वाला पशु 2. गाड़ी पर रखा जाने वाला बोझ 3. खेत। [वि.] 1. गाड़ी या शकट संबंधी 2. जो गाड़ी पर लादा गया हो।

शाकद्वीप (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) पृथ्वी के सात द्वीपों में से एक द्वीप 2. शक जाति के लोगों का प्रदेश।

शाकभक्ष (सं.) [वि.] शाकाहारी।

शाकभाजी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साग-सब्ज़ी 2. हरी पत्तियों वाली छोटी वनस्पति से बनी सब्ज़ी 3. तरकारी।

शाकभोजी (सं.) [वि.] शाक या तरकारी खाने वाला।

शाक-सब्ज़ी (सं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] तरकारी।

शाकाहार (सं.) [सं-पु.] अन्न, फल, वनस्पति आदि का आहार या भोजन; निरामिष आहार।

शाकाहारी (सं.) [वि.] निरामिष आहार लेने वाला।

शाकिर (अ.) [वि.] 1. आभार मानने वाला; कृतज्ञ 2. संतोष करने वाला; संतोषी।

शाकी (अ.) [वि.] 1. फ़रियाद करने वाला 2. शिकायत करने वाला 3. चुगलख़ोर।

शाक्त (सं.) [वि.] शक्ति संबंधी; बल संबंधी; दुर्गा संबंधी। [सं-पु.] वह व्यक्ति जो तांत्रिक रीति से पूजा करता है।

शाक्य (सं.) [सं-पु.] 1. नेपाल में रहने वाली एक क्षत्रिय जाति 2. गौतम बुद्ध 3. गौतम बुद्ध के पिता 4. बुद्ध के वंश का नाम 5. बौद्ध भिक्षु।

शाख़ (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. शाखा; डाली 2. पौधे की कलम 3. मुख्य धारा से निकली हुई छोटी धारा।

शाख़शाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. झगड़ा; विवाद; तर्क-वितर्क; बहस; लड़ाई; हुज्जत 2. कलंक; अभियोग 3. शक; संदेह 4. छलावा भरी बातें; ढकोसला।

शाखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. टहनी 2. वृक्ष की डाली; डाल; शाख़ 3. मूल वस्तु या विचार से निकले हुए अंग-प्रत्यंग 4. अवयव; अंग 5. बैंक, कंपनी, संस्थान आदि की संबंधित इकाई 6. पंथ; मत; विचारधारा के विविध भेद, जैसे- भक्ति साहित्य की दो शाखाएँ हैं।

शाखामृग (सं.) [सं-पु.] 1. वृक्षों पर रहने वाला एक चंचल स्तनपायी चौपाया; वानर; बंदर 2. गिलहरी।

शाखी (सं.) [वि.] 1. कई शाखाओं वाला 2. किसी शाखा से संबंधित। [सं-पु.] 1. वृक्ष; पेड़; तरु 2. वेद की किसी शाखा को मानने वाला या उसका अनुयायी 3. तुर्किस्तान में रहने वाला व्यक्ति 4. पीलू नाम का वृक्ष।

शाखोच्चार (सं.) [सं-पु.] 1. विवाह के समय वर और वधू के वंश का पुरोहितों द्वारा वर्णन या बखान 2. किसी के पूर्वजों पर दोषारोपण।

शाख्य (सं.) [वि.] 1. शाखा के समान 2. शाखा संबंधी।

शागिर्द (फ़ा.) [सं-पु.] शिष्य; चेला; विद्यार्थी; तालिबे इल्म; सीखने वाला।

शागिर्दी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] शागिर्द होने का भाव; शिष्यता।

शाट (सं.) [सं-पु.] 1. कपड़े का छोटा टुकड़ा 2. कमर में लपेटा जाने वाला कपड़ा, जैसे- धोती, तहमद आदि 3. ढीला-ढाला पहनावा 4. एक प्रकार की कुरती; फतूही।

शाटक (सं.) [सं-पु.] वस्त्र; कपड़ा।

शाठ्य (सं.) [सं-पु.] 1. छल 2. छद्म 3. शठता।

शाण (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पत्थर या उपकरण जिसपर रगड़कर अस्त्रों आदि की धार तेज़ की जाती है 2. कसौटी नाम का एक पत्थर 3. चार माशे की एक तौल 4. सन के रेशे से बना वस्त्र; भँगरा 5. करपत्र; आरा। [वि.] 1. सन के पौधे से संबंधित 2. सन के रेशों से निर्मित।

शात (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पौधा जिसके फलों के बीज बहुत विषैले होते हैं; धतूरा; कनक 2. आराम; सुख 3. प्रसन्नता; हर्ष; ख़ुशी। [वि.] 1. तेज़ किया हुआ 2. महीन; पतला; बारीक 3. कमज़ोर; दुर्बल; निर्बल।

शातवाहन (सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध राजवंश 2. शक संवत के संस्थापक 3. शक जाति का प्रसिद्ध राजा।

शातिर (अ.) [वि.] धूर्त; चालाक; काइयाँ। [सं-पु.] 1. शतरंज का अच्छा खिलाड़ी 2. धूर्त अथवा चालाक व्यक्ति।

शाद1 (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ का गिरना; पतन 2. कीचड़ 3. घास।

शाद2 (फ़ा.) [वि.] 1. सुखी; प्रसन्न; ख़ुश 2. पूर्ण; भरा हुआ।

शादियाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ख़ुशी के अवसर पर बजने वाले बाजे; मंगलवाद्य 2. आनंदोत्सव के समय गाया जाने वाला गीत 3. बधावा; बधाई; मुबारकबादी 4. वह धन जो ज़मींदार के यहाँ ब्याह के अवसर पर किसान देते हैं।

शादी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. विवाह; ब्याह 2. आनंद; ख़ुशी; प्रसन्नता 3. विवाहोत्सव।

शाद्वल (सं.) [सं-पु.] 1. मरुस्थल में स्थित छोटा जल युक्त उपजाऊ स्थान; मरुद्वीप 2. हरी घास का मैदान 3. हरी घास 4. बैल 5. साँड़। [वि.] हरी घास से परिपूर्ण; हरा-भरा।

शान (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिष्ठा; मान्यता 2. महत्व 3. विशेष ठाट-बाट 4. विशालता; भव्यता। [मु.] -पर बट्टा लगाना : कलंकित करना।

शानदार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. भव्य 2. उत्तम; बढ़िया 3. ऐश्वर्यवाला 4. तड़क-भड़कवाला 5. प्रशंसनीय।

शाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कंघा; कंघी 2. कंधा; भुजबल।

शानोशौकत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. ठाट-बाट; वैभव; ऐशोआराम 2. तड़क-भड़क; सजावट।

शाप (सं.) [सं-पु.] 1. अहितसूचक शब्द या कथन 2. बद्दुआ 3. धिक्कार; भर्त्सना 4. बदकामना; श्राप।

शापग्रस्त (सं.) [वि.] जिसे किसी ने शाप दिया हो; अभिशप्त; शापित।

शापमोचित (सं.) [वि.] शाप से जिसका मोचन हुआ हो; शाप से मुक्त।

शापित (सं.) [वि.] जिसे शाप दिया गया हो; शाप से पीड़ित; अभिशप्त।

शाफ़ी (अ.) [वि.] 1. आरोग्य देने वाला; स्वस्थ करने वाला 2. सांत्वना देने वाला।

शाबर (सं.) [सं-पु.] 1. किसी की वास्तविक या कल्पित दोष बतलाने की क्रिया 2. प्रकाश का अभाव; अंधकार; अँधेरा 3. ताँबा 4. एक प्रकार का चंदन 5. शबर मृग का चर्म 6. अपराध; गलती 7. पाप 8. लोध्र नामक पेड़ 9. हानि। [वि.] 1. जो दुष्ट हो या दुष्टतापूर्वक कार्य या व्यवहार करता हो; दुर्जन; अधम; खल 2. जंगली 3. क्रूर।

शाबाश (फ़ा.) [अव्य.] 1. एक प्रशंसासूचक शब्द 2. साधुवाद 3. वाह-वाह; धन्य हो; क्या कहना।

शाबाशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सराहना; साधुवाद।

शाब्द (सं.) [सं-पु.] 1. शब्दशास्त्र का ज्ञाता 2. व्याकरण का विशेषज्ञ; वैयाकरण। [वि.] 1. शब्द संबंधी या शब्द का; शाब्दिक 2. शब्दमय; शब्दयुक्त 3. शब्द पर आश्रित 4. मौखिक 5. शब्द करता हुआ।

शाब्दिक (सं.) [वि.] 1. शब्द संबंधी; शब्द का 2. शब्द पर आश्रित 3. शब्दमय 4. शब्द-रूप में होने वाला।

शाब्दी (सं.) [वि.] शब्द पर आश्रित; शब्दमय; शब्द संबंधी। [सं-स्त्री.] शारदा; सरस्वती; भारती।

शाब्दी व्यंजना (सं.) [सं-स्त्री.] शब्द से संबंधित व्यंजना; व्यंजना का एक भेद जिसमें अर्थ, शब्द विशेष तक ही सीमित रहता है।

शाम (अ.) [सं-स्त्री.] 1. संध्या; सूर्यास्त का समय 2. दिन का अंत 3. {ला-अ.} अंतिम काल।

शामक (सं.) [वि.] 1. शमन करने वाला 2. कष्ट अथवा पीड़ा को कम करने वाला।

शामकता (सं.) [सं-स्त्री.] शमन करने का गुण या स्वभाव।

शामत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मुसीबत; विपत्ति 2. दुर्भाग्य; बदकिस्मती 3. दुर्दशा।

शामती (अ.) [वि.] विपत्ति का मारा हुआ; विपत्तिग्रस्त; शामतज़दा।

शामन (सं.) [सं-पु.] 1. शांति; शमन 2. हत्या; वध; मार डालना।

शामियाना (फ़ा.) [सं-पु.] अपेक्षाकृत बड़ा और खुला हुआ तंबू।

शामिल (अ.) [वि.] 1. सम्मिलित; मिला हुआ 2. संयुक्त; इकट्ठा 3. शरीक।

शामी (अ.) [सं-पु.] अरब, प्राचीन बेबीलोन एवं असीरिया इत्यादि देशों का वर्ग या विभाग जिसमें अरब, यहूदी आदि जातियाँ रहती हैं; (सेमेटिक)। [सं-स्त्री.] शाम देश की भाषा। [वि.] शाम देश से संबंधित।

शामोसहर (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] शाम-सुबह; सुबह-शाम।

शायक1 (सं.) [सं-पु.] 1. एक धारदार हथियार, जैसे- बाण, तलवार 2. धातु आदि का बना वह पतला, लंबा हथियार जो धनुष द्वारा चलाया जाता है; तीर; बाण।

शायक2 (अ.) [वि.] 1. किसी वस्तु की प्राप्ति अथवा सुख के भोग की अभिलाषा, लालसा या शौक रखने वाला 2. शौकीन; इच्छुक।

शायद (फ़ा.) [अव्य.] 1. संभवतः; कदाचित 2. संदेह और संभावना को सूचित करने वाला शब्द।

शायर (अ.) [सं-पु.] शेर कहने वाला; कवि।

शायराना (अ.) [वि.] 1. शायरों जैसा 2. कविसुलभ 3. कवित्वमय।

शायरी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शायर की रचना; कविकर्म 2. कविता।

शाया (अ.) [वि.] 1. प्रकट 2. प्रकाशित 3. विज्ञापित।

शायिका (सं.) [सं-स्त्री.] रेलगाड़ी में यात्रियों के सोने के लिए बना पट्टा; (बर्थ)।

शायित (सं.) [वि.] 1. सुलाया या लिटाया हुआ 2. जिसका पतन हुआ हो; गिराया हुआ।

शायिनी (सं.) [सं-स्त्री.] शयन या विश्राम करने वाली स्त्री, जैसे- अंकशायिनी।

शायी (सं.) [वि.] शयन करने वाला; लंबायमान; लंबित; लेटा हुआ।

शारद (सं.) [सं-पु.] 1. शरद ऋतु की अवधि 2. शरद ऋतु में उत्पन्न अन्न 3. वर्ष; साल 4. सफ़ेद कमल; पुंडरीक 5. कास 6. एक प्रकार का मूँग 7. शरद ऋतु में होने वाला एक प्रकार का रोग 8. शरद ऋतु की धूप। [वि.] 1. शरद ऋतु में जन्मा 2. शरद काल का 3. नवीन; नूतन; हाल का; नव; नया 4. शालीन 5. वार्षिक।

शारदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरस्वती 2. एक प्रकार की वीणा 3. भारत में दसवीं शताब्दी में प्रचलित एक लिपि।

शारदीय (सं.) [वि.] शरदऋतु संबंधी।

शारदीय नवरात्र (सं.) [सं-पु.] हिंदी मास के आश्विन शुक्ल पक्ष में होने वाला नवरात्र।

शारीर (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का ढाँचा 2. शरीर रचनाशास्त्र। [वि.] शरीर का; देहज।

शारीरिक (सं.) [वि.] 1. शरीर अथवा देह संबंधी 2. भौतिक।

शारीरित (सं.) [सं-पु.] जिसे शरीर का रूप प्रदान किया गया हो; शरीर की आकृति या प्रारूप में लाया हुआ।

शार्क (इं.) [सं-स्त्री.] एक बड़ी समुद्री मछली जिसका तेल औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है।

शार्दूल (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का पक्षी 2. बाघ; चीता 3. शरभ नामक जंतु 4. एक राक्षस 5. केसरी; सिंह 6. यजुर्वेद की एक शाखा 7. चित्रक या चीता नामक वृक्ष 8. (काव्यशास्त्र) दोहे का एक भेद जिसमें छह गुरु और छत्तीस लघु मात्राएँ होती हैं। [वि.] सर्वश्रेष्ठ; सबसे उत्तम।

शार्दूल-विक्रीडित (सं.) [सं-पु.] पिंगल में चार चरणों का एक वर्ण-वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में उन्नीस अक्षर होते हैं और बारहवें के बाद यति होती है।

शाल1 (सं.) [सं-पु.] 1. पेड़; वृक्ष 2. साखू (वृक्ष) 3. एक प्रकार की मछली 4. एक प्राचीन नद 5. राजा शालिवाहन का एक नाम।

शाल2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. ओढ़ने की एक गरम चादर 2. चादर की तरह का गरम कपड़ा।

शालदोज़ (फ़ा.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो शाल (चादर) के किनारे पर बेलबूटे बनाता हो।

शालभ (सं.) [सं-पु.] बिना सोचे-विचारे किसी आफ़त में कूद पड़ना। [वि.] शलभ संबंधी; शलभ का।

शाला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घर 2. स्थान 3. किसी विशिष्ट कार्य के लिए बना हुआ मकान 4. पेड़ की प्रधान शाखा।

शालि (सं.) [सं-पु.] 1. जड़हन चावल 2. काला जीरा 3. गन्ना।

शालिग्राम (सं.) [सं-पु.] 1. काले रंग का गोलाकार पत्थर जिसमें विष्णु का वास माना जाता है 2. विष्णु।

शालि धान्य (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का सुगंधित धान 2. बासमती चावल 3. अगहन में उत्पन्न चावल।

शालिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गृहिणी; गृहस्वामिनी 2. एक छंद।

शालिवाहन (सं.) [सं-पु.] शक जाति का एक प्रसिद्ध सम्राट जिन्होंने शक-संवत चलाया।

शालिहोत्र (सं.) [सं-पु.] 1. अश्व; घोड़ा 2. अश्व चिकित्सा 3. अश्व एवं दूसरे पशुओं आदि की चिकित्सा का शास्त्र; पशुचिकित्सा; (वेटेरिनरी)।

शालिहोत्री (सं.) [सं-पु.] 1. घोड़े का चिकित्सक 2. पशुओं का चिकित्सक; पशु चिकित्सक।

शालिहोत्रीय (सं.) [सं-पु.] पशु-पक्षी की चिकित्सा करने वाला चिकित्सक; (वेटनरी डॉक्टर)।

शाली (सं.) [वि.] युक्त; सहित।

शालीन (सं.) [वि.] 1. विनीत; सुशील 2. लज्जाशील; नम्र 3. आचरणशील 4. लज्जावान 5. समान; तुल्य।

शालीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नम्रता; शालीनता 2. लज्जाशीलता; शिष्टता; सुशीलता।

शालेय (सं.) [सं-पु.] 1. शालि अर्थात धान का खेत 2. मूली 3. सौंफ। [वि.] 1. शाला अर्थात पाठशाला से संबंधित 2. शाल वृक्ष संबंधी; शाल का।

शाल्मलि (सं.) [सं-पु.] 1. सेमल 2. सेमल वृक्ष 3. पृथ्वी का एक खंड जो नरक के समान माना गया है 4. (पुराण) एक द्वीप।

शावक (सं.) [सं-पु.] पशु-पक्षी का बच्चा।

शाश्वत (सं.) [वि.] 1. निरंतर; नित्य 2. सदा रहने वाला; चिरस्थायी। [सं-पु.] 1. स्वर्ग; अंतरिक्ष 2. शिव।

शाश्वतिक (सं.) [वि.] शाश्वत; नित्य।

शाश्वती (सं.) [सं-स्त्री.] पृथ्वी; भू।

शासक (सं.) [सं-पु.] 1. शासन करने वाला व्यक्ति 2. वह जो शासन करे; शासनकर्ता 3. अधिकारी; हाकिम।

शासकीय (सं.) [वि.] शासक संबंधी; राजकीय।

शासन (सं.) [सं-पु.] 1. हुकूमत 2. नियंत्रण 3. राजकीय आदेश 4. वश में रखना।

शासनात्मक (सं.) [वि.] शासन संबंधी।

शासनादिष्ट (सं.) [वि.] शासन द्वारा आदेश किया हुआ।

शासनादेश (सं.) [सं-पु.] शासन की हुकूमत; शासन द्वारा जारी आदेश।

शासनाधिकार (सं.) [सं-पु.] शासन का अधिकार; शासन की शक्ति।

शासनाधीन (सं.) [वि.] जो शासन के अधीन हो; शासन के अंतर्गत आया हुआ।

शासनाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] शासन का अध्यक्ष; शासन करने वालों का मुखिया।

शासित (सं.) [वि.] 1. जिन पर शासन किया गया हो 2. जो शासन के अधीन हो 3. नियंत्रित 4. दंडित।

शासी (सं.) [वि.] शासन करने वाला।

शास्ता (सं.) [सं-पु.] 1. शासक; राजा 2. अधिनायक 3. शिक्षक; गुरु 4. बुद्ध 5. जैन उपदेशक 6. पिता।

शास्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शासन 2. सजा; दंड 3. अर्थदंड या ज़ुरमाने से भिन्न वह अल्प या कम धन जो अनुचित कार्य या नियम विरुद्ध कार्य करने वाले से वसूल किया जाता है; (पेनैलिटी) 4. ऐसी अनुशासित कार्रवाई जो किसी पूर्ण स्वतंत्र व्यक्ति, राज्य, संस्था आदि के साथ उसे ठीक रास्ते पर लाने के लिए की जाती है।

शास्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. विवेचनात्मक ज्ञानविषयक ग्रंथ 2. ज्ञान की कोई शाखा 3. सिद्धांत।

शास्त्रकार (सं.) [सं-पु.] शास्त्र का निर्माता।

शास्त्रचिंतन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शास्त्र पर विचार-विमर्श 2. शास्त्र का अनुशीलन।

शास्त्रविनोद (सं.) [सं-पु.] 1. आमोद-प्रमोद के लिए साहित्य या ग्रंथ का सृजन 2. आनंद या ख़ुशी के लिए शास्त्र पर की जाने वाली परिचर्चा।

शास्त्रविहित (सं.) [वि.] शास्त्र के अनुसार; शास्त्र सम्मत; शास्त्रसमर्थित।

शास्त्रसम्मत (सं.) [वि.] 1. शास्त्र के अनुसार; शास्त्रानुमोदित 2. शास्त्रविहित; शास्त्रसमर्थित।

शास्त्रागार (सं.) [सं-पु.] शास्त्र रखने का स्थान; ऐसा स्थान जहाँ शास्त्र रखे जाते हों।

शास्त्रानुमोदित (सं.) [वि.] शास्त्र के अनुसार; शास्त्रविहित; शास्त्रसमर्थित।

शास्त्रार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. शास्त्र का अर्थ 2. शास्त्रीय वाद-विवाद 3. तात्विक तर्क-वितर्क।

शास्त्री (सं.) [वि.] शास्त्र का ज्ञाता; शास्त्रज्ञ।

शास्त्रीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी विषय या कथन को एकत्र कर व्यवस्थित रूप से उनका विवेचन करके शास्त्र का रूप देना।

शास्त्रीय (सं.) [वि.] 1. शास्त्र संबंधी 2. शास्त्रानुमोदित; शास्त्रसम्मत 3. शास्त्रीय ज्ञान पर आश्रित।

शास्त्रोक्त (सं.) [वि.] शास्त्र में कहा हुआ; शास्त्रविहित।

शास्त्रोपजीवी (सं.) [वि.] युद्ध ही जिसकी जीविका हो।

शाह (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बड़ा मुगल सम्राट; बादशाह; सुलतान 2. स्वामी; मालिक 3. मुसलमान फ़कीरों की उपाधि या पदवी 4. शतरंज का एक मोहरा 5. ताश का एक पत्ता। [वि.] श्रेष्ठ; बहुत बड़ा।

शाहंशाह (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शाहों का शाह; राजाओं का राजा; राजाधिराज; सम्राट; चक्रवर्ती राजा 2. वह राजा जिसके अधीन एकाधिक राजा या राज्य हों 3. सम्राट; ताजदार।

शाहंशाही (फ़ा.) [वि.] 1. शाही; राजसी 2. शाहंशाह द्वारा किया गया। [सं-स्त्री.] 1. शाहंशाह होने की अवस्था, गुण, धर्म या भाव 2. शाहंशाह का पद।

शाहख़र्च (फ़ा.) [सं-पु.] अत्यधिक ख़र्च करने वाला।

शाहज़ादा (फ़ा.) [सं-पु.] बादशाह का पुत्र; राजकुमार।

शाहनशीं (फ़ा.) [सं-स्त्री.] दे. शहनशीं।

शाहबलूत (फ़ा.) [सं-पु.] बलूत नामक फल का एक भेद जो बहुत मीठा होता है।

शाहबाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] बड़ा बाज़।

शाहाना (फ़ा.) [वि.] 1. शाही; राजसी 2. बेहद उमदा; बहुत बढ़िया।

शाहिद (अ.) [सं-पु.] 1. शहादत देने वाला व्यक्ति 2. गवाह। [वि.] प्यारा; सुंदर; मनोहर।

शाही (फ़ा.) [वि.] 1. शाह का 2. (व्यक्ति) जो राजघराने का हो; राजसी; बादशाहों जैसा 3. शाह द्वारा रचाया हुआ।

शिंगरफ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. लाल रंग का एक खनिज; सिंदूर; हिंगुल 2. सौभाग्य।

शिंजन (सं.) [सं-पु.] 1. आभूषणों से उत्पन्न ध्वनि 2. धातु खंडों के टकराने से उत्पन्न मधुर ध्वनि।

शिंजिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धातु से बना छोटा घुँघरू 2. नूपुर; पैजनी; नेवर 3. धनुष की डोर।

शिंबिका (सं.) [सं-स्त्री.] सेम; फली; छीमी।

शिंबी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बौड़ी; फली 2. सेम 3. केवाँच 4. एक प्रकार का मूँग; वनमूँग।

शिंशिया (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पेड़ जिसकी लकड़ी इमारत और सजावटी सामान बनाने के कार्य में आती है; शीशम।

शिंशुमार (सं.) [सं-पु.] सूँस नामक एक जलीय जंतु।

शिकंजवी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] नीबू के रस से युक्त एक प्रकार का पेय।

शिकंजा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कसने, दबाने का यंत्र 2. कैदियों को सजा देने का औज़ार 3. पकड़; दबाव 4. जुलाहों का एक प्रकार का तागा।

शिकदार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी विशेष भूभाग का स्वामी 2. तहसीलदार।

शिकन (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सिलवट; सिकुड़न 2. झुर्री 3. मुड़ने, दबने के कारण पड़ा चिह्न।

शिकम (फ़ा.) [सं-पु.] पेट; उदर; ओझ।

शिकमी (फ़ा.) [वि.] 1. पेट का या पेट से संबंधित 2. पैदाइशी 3. निजी; अपना 4. लगान व किराए आदि से संबंधित जो अन्य के पास हो। [मु.] -देना : लगान आदि पर लिए गए खेत को दूसरे को लगान पर देना।

शिकमी काश्तकार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह किसान जो किसी और किसान से ज़मीन लेकर फ़सल उगाए 2. ज़मींदार के अधीन रहने वाला व्यक्ति।

शिकरा (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का शिकारी पक्षी; बाज़।

शिकवा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शिकायत; उलाहना 2. ग्लानि; उपालंभ 3. परिवाद।

शिकस्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मात; हार 2. टूट-फूट।

शिकस्ता (फ़ा.) [वि.] भग्न; टूटा हुआ।

शिकायत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शिकवा; गिला; निंदा; बुराई; दोष-कथन 2. असंतोष दूर करने के लिए सक्षम व्यक्ति से किया गया निवेदन 3. बीमारी; रोग।

शिकायती (अ.) [वि.] 1. जिसमें शिकायत हो 2. शिकायत करने वाला।

शिकार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पशुओं को मारने की क्रिया; कृत्य 2. वह पशु जिसका आखेट किया गया हो 3. मनोरंजन के उद्देश्य से जंगली जानवरों को मारने का गैरकानूनी कार्य 4. छल-कपट द्वारा फँसाया गया व्यक्ति।

शिकारगाह (फ़ा.) [सं-पु.] शिकार खेलने की जगह; आखेटस्थल।

शिकारा (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार की बड़ी नाव जो ज़्यादातर कश्मीर में पाई जाती है; (हाउस बोट)।

शिकारी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शिकार (आखेट) करने वाला व्यक्ति 2. अहेरी। [वि.] 1. शिकार से संबंधित; जो शिकार करता हो 2. व्याध; आखेटक 3. छल-कपट द्वारा फँसाने वाला।

शिकोह (फ़ा.) [सं-पु.] भय; डर।

शिक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. शिक्षा देने या ज्ञान देने वाला व्यक्ति; सिखाने वाला 2. अध्यापक; गुरु।

शिक्षण (सं.) [सं-पु.] शिक्षा देने का कार्य; शिक्षा प्राप्त करने का कार्य; तालीम।

शिक्षणविज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें शिक्षा देने की विधि या सिद्धांत का उल्लेख हो।

शिक्षणालय (सं.) [सं-पु.] वह घर या स्थान जहाँ शिक्षित किया जाता हो; विद्यालय; शिक्षण संस्थान; विद्यापीठ; पाठशाला; मकतब; मदरसा; (स्कूल)।

शिक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पुस्तक या शिक्षक के माध्यम से प्राप्त होने वाली विद्या; ज्ञान; तालीम; (एजुकेशन) 2. चारित्रिक और मानसिक शक्तियों का विकास 3. दक्षता 4. निपुणता 5. प्रशिक्षण; (ट्रेनिंग) 6. सबक; दंड 7. उपदेश।

शिक्षागुरु (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिससे शिक्षा प्राप्त की जाती है; शिक्षक; अध्यापक; गुरु।

शिक्षातंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. शिक्षा की व्यवस्था के निमित्त बना तंत्र 2. शिक्षा से संबंधित तंत्र।

शिक्षात्मक (सं.) [वि.] शिक्षासंबंधी; ज्ञानसंबंधी।

शिक्षाप्रद (सं.) [वि.] शिक्षादायक; ज्ञानप्रद।

शिक्षार्थी (सं.) [सं-पु.] शिक्षा प्राप्त करने वाला; छात्र; विद्यार्थी।

शिक्षालय (सं.) [सं-पु.] विद्यालय; शिक्षण संस्थान।

शिक्षाविद (सं.) [सं-पु.] शिक्षाशास्त्री; विद्वान।

शिक्षाविभाग (सं.) [सं-पु.] शिक्षा से संबंधित राजकीय विभाग जो देश या राज्य में शिक्षा व्यवस्था के निमित्त बना हो; (एजुकेशन डिपार्टमेंट)।

शिक्षाशास्त्र (सं.) [सं-पु.] शिक्षा विधा का विवेचन करने वाला शास्त्र।

शिक्षाशास्त्री (सं.) [सं-पु.] शिक्षा का जानकार; शिक्षाविद; विद्वान।

शिक्षिका (सं.) [सं-स्त्री.] वह महिला जो विद्या या कला सिखाती हो; अध्यापिका; आचार्या।

शिक्षित (सं.) [वि.] 1. पढ़ा-लिखा; साक्षर 2. जो शिक्षा प्राप्त कर चुका हो; जिसे शिक्षा मिली हो 3. सिखाया हुआ 4. निपुण; चतुर।

शिक्षु (सं.) [सं-पु.] किसी विधा को सीखने वाला व्यक्ति; शिष्य; छात्र।

शिखंड (सं.) [सं-पु.] 1. मयूर की पूँछ; मोरपुच्छ; कलाप 2. चोटी; चुटिया; चुंदी; चुरकी; शिखापाश 3. काक-पक्ष।

शिखंडी (सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) द्रुपद का ज्येष्ठ पुत्र जो स्त्री से पुरुष में परिवर्तित हुआ था 2. मयूर; कलापी 3. मुरगा 4. बाण; तीर 5. शिखा 6. बृहस्पति 7. कृष्ण 8. पीली जूही का पुष्प।

शिखर (सं.) [सं-पु.] 1. सिरा; चोटी; किसी चीज़ का सबसे ऊपरी भाग 2. पर्वतशृंग 3. मंदिर या मस्जिद का ऊपरी सिरा; गुंबद 4. मंडप।

शिखरन (सं.) [सं-पु.] दही, चीनी, केसर आदि मिश्रित गाढ़ा पेय पदार्थ; श्रीखंड; रसाला।

शिखर पुरुष (सं.) [सं-पु.] किसी समाज या क्षेत्र विशेष के मूर्धन्य या श्रेष्ठ पुरुष।

शिखरवार्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों या उच्चतम अधिकारियों का परस्पर विचार-विनिमय 2. अधिकारियों, शासकों का सम्मेलन।

शिखर-सम्मेलन (सं.) [सं-पु.] किसी गंभीर समस्या पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोजित सर्वोच्च-स्तरीय सम्मेलन।

शिखरिणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों में श्रेष्ठ स्त्री 2. एक औषधीय पौधे की फली जिसका उपयोग पेट की मरोड़ दूर करने के लिए किया जाता है 3. जूही की जाति का एक सफ़ेद फूल वाला पौधा 4. सुखाया हुआ अंगूर; किशमिश 5. शिखरन नामक पेय पदार्थ।

शिखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चुटिया; चोटी; चूड़ा 2. (परंपरा) मुंडन संस्कार के समय सिर के बीच में छोड़ा गया बालों का गुच्छा 3. अग्नि की ऊँची लपट; दीये की लौ 4. प्रकाश की किरण; रश्मि 5. शिखर; चोटी 6. किसी वस्तु की नोंक या नुकीला सिरा।

शिखासूत्र (सं.) [सं-पु.] सिर पर बालों का गुच्छा या चोटी; चुटिया।

शिखि (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित एक देवता जो अग्नि के अधिपति माने जाते हैं 2. किसी वस्तु के जलने पर अंगारे या लपट के रूप में दिखाई देने वाला प्रकाशयुक्त ताप; अग्नि 3. मोर; मयूर 4. कामदेव; काम देवता; अनंगी।

शिखी (सं.) [वि.] 1. जिसके सिर पर शिखा या चोटी हो; शिखायुक्त; शिखा या चोटीवाला 2. जिसमें नोक हो; नुकीला; तीक्ष्ण 3. अभिमानी; अहंकारी।

शिखीध्वज (सं.) [सं-पु.] 1. धूम्र; धुआँ 2. (पुराण) राजा मयूरध्वज 3. कार्तिकेय नामक शिवपुत्र।

शिगाफ़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु आदि के फटने पर बीच में पड़ने वाली दरार; ख़ाली जगह; दरज़ 2. छिद्र; रंध्र; छेद 3. लेखनी आदि के बीच दिया जाने वाला चीरा 4. (चिकित्सा) उपचार के उद्देश्य से लगाया जाने वाला चीरा। [मु.] -देना : कलम को छीलना; चीरा लगाना।

शिगूफ़ा (फ़ा.) [सं-पु.] कोई नई या आश्चर्य में डालने वाली बात। [मु.] -छोड़ना : झगड़ेवाली बात कहना।

शित (सं.) [वि.] 1. जिसमें धार हो; धारदार 2. नुकीला; नोकदार 3. शरीर से क्षीण; दुबला; पतला।

शिति (सं.) [सं-पु.] 1. हिमालय पर मिलने वाला एक पेड़ जिसकी छाल लेखन आदि के कार्य में आती है; भोजपत्र वृक्ष 2. एक वृक्ष की छाल जो पुराने समय में लेखन कार्य में आती थी; भोजपत्र। [वि.] 1. काजल या कोयले के रंग का; काला 2. उजला; धवल; श्वेत 3. नीला 4. रंग-बिरंगा।

शितिकंठ (सं.) [सं-पु.] 1. शंकर; शिव; महादेव 2. मयूर; मोर 3. नागदेव 4. मुरगाबी; जलकाक 5. पपीहा; चातक।

शिथिल (सं.) [वि.] 1. जो अच्छी तरह बँधा, कसा या जकड़ा हुआ न हो; ढीला 2. ढीले अंगोंवाला; कमज़ोर; निर्बल 3. थका हुआ; सुस्त; धीमा 4. जिसमें तेज़ी या फुरती न हो 5. असावधान।

शिथिलत (सं.) [वि.] ढीला; सुस्त; धीमा; शिथिल।

शिथिलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिथिल होने की अवस्था, भाव या गुण 2. सुस्ती; आलस्य; तंद्रा 3. थकावट; श्रांति 4. नियम पालन में होने वाली ढील; छूट।

शिथिलन (सं.) [सं-पु.] 1. शिथिल होने की क्रिया; मंदन; बल में कमी 2. थकान; आलस्य 3. छूट।

शिथिला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. थकी हुई; सुस्त 2. वृद्धा।

शिथिलीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. ढीला या शिथिल करने की क्रिया 2. ढिलाई; सुस्ती।

शिथिलीकृत (सं.) [वि.] 1. जो शिथिल या ढीला किया गया हो 2. थकाया हुआ 3. ढीला छोड़ा हुआ।

शिद्दत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रबलता; तीव्रता 2. लगन; तीव्र भावना; गरमजोशी 3. कठिनाई; परेशानी; प्रचंडता; उग्रता 4. भीषणता; अधिकता।

शिनाख़्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पहचान; परिचय 2. परख।

शिप (इं.) [सं-पु.] जलयान; जलपोत।

शिप्रा (सं.) [सं-स्त्री.] शिप्र सरोवर; एक नदी का नाम जिसके तट पर उज्जैन शहर बसा हुआ है।

शिफा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वृक्ष की रेशेदार जड़ 2. कमल की जड़; भसींड 3. लता 4. कलगी; शिखा 5. हल्दी 6. नदी।

शिफ़ा (अ.) [सं-स्त्री.] सेहत; स्वास्थ्य; आरोग्य; रोग से मुक्त करना।

शिफ़ाख़ाना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] चिकित्सालय; अस्पताल; दवाख़ाना।

शिफ़ायाब (अ.+फ़ा.) [वि.] जिसकी बीमारी ठीक हो गई हो; रोगमुक्त।

शिफ़्ट (इं.) [सं-स्त्री.] 1. एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना; स्थानांतरण; विस्थापन 2. परिवर्तन; तबदीली 3. कंप्यूटर या टाइपराइटर पर एक कुंजी 4. कारखाने आदि में कर्मचारियों या श्रमिकों की एक पाली।

शिमलामिर्च (सं.) [सं-स्त्री.] तरकारी या सब्ज़ी के रूप में प्रयोग होने वाली एक बड़े आकार की मिर्च; (कैप्सिकम)।

शिया (अ.) [सं-पु.] मुसलमानों का एक संप्रदाय।

शिर (सं.) [सं-पु.] 1. सिर 2. पिप्पलीमूल 3. शय्या।

शिरकत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. शरीक या सम्मिलित होने की क्रिया या भाव; मिलना 2. एक साथ मिलकर कार्य में प्रवृत्त होना 3. साझेदारी; हिस्सेदारी।

शिरकती (अ.) [वि.] साझेदारी का; मिला-जुला; संयुक्त।

शिरश्चंद्र (सं.) [सं-पु.] (पुराण) वह जिसके सिर पर चंद्रमा शोभायमान है अर्थात शंकर; शिव; महादेव; महेश; चंद्रशेखर।

शिरसा (सं.) [अव्य.] आदर के साथ शिरोधार्य करते हुए।

शिरस्क (सं.) [सं-पु.] शिरस्त्राण; पगड़ी।

शिरस्त्राण (सं.) [सं-पु.] 1. सैनिकों द्वारा युद्ध के दौरान अस्त्र-शस्त्रों से रक्षा हेतु सिर पर पहना जाने वाला लोहे का टोपनुमा कवच 2. आजकल हैलमेट के लिए यह शब्द प्रयुक्त किया जाता है।

शिरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (प्राणिविज्ञान) जीवधारियों के शरीर में स्थित रक्तवाहिकाएँ जो रक्त को हृदय में ले जाती हैं; नाड़ी या नली; छोटी नस; रुधिरवाहिका; (वेन) 2. पानी का सोता।

शिरामूल (सं.) [सं-पु.] नाभि।

शिरावरोध (सं.) [सं-पु.] शरीर में किसी शिरा में रक्त कणों या कोशिकाओं के समूह बनने से रक्त संचार में होने वाला अवरोध।

शिरीष (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वृक्ष 2. सिरस; प्लवग; कलिंग।

शिरोगृह (सं.) [सं-पु.] 1. सबसे ऊपर का कमरा या घर 2. चंद्रशाला।

शिरोधार्य (सं.) [वि.] 1. मस्तक पर धारण करने योग्य 2. सादर स्वीकार करने योग्य 3. अत्यंत मान्य।

शिरोभूषण (सं.) [सं-पु.] 1. सिर पर पहना जाने वाला आभूषण 2. मुकुट; किरीट 3. {ला-अ.} लोकप्रिय या प्रसिद्ध व्यक्ति। [वि.] उत्तम; श्रेष्ठ।

शिरोमणि (सं.) [सं-पु.] 1. सिर पर धारण करने का रत्न; चूड़ामणि 2. {ला-अ.} बहुत मान्य; श्रेष्ठ व्यक्ति। [वि.] सर्वश्रेष्ठ।

शिरोरुह (सं.) [सं-पु.] सिर के केश; बाल; शिरोज।

शिरोरेखा (सं.) [सं-पु.] देवनागरी लिपि में वर्णों के ऊपर लगाई जाने वाली रेखा; ऊपरी रेखा; पड़ी पाई; शीर्षरेखा।

शिरोवर्ती (सं.) [वि.] 1. सबसे ऊपर की तरफ़ का; प्रथम 2. प्रधान; मुखिया 3. जो नायक के रूप में हो।

शिरोविंदु (सं.) [सं-पु.] 1. किसी त्रिकोण या शंक्वाकार घन का शीर्ष या ऊपरी बिंदु; (ऐपेक्स) 2. आकाश में सिर के ठीक ऊपर पड़ने वाला बिंदु; (जेनिथ)।

शिरोवेष्टन (सं.) [सं-पु.] सिर पर बाँधी जाने वाली पगड़ी; मुरेठा।

शिल (सं.) [सं-पु.] 1. उंछ नाम की वृत्ति 2. खेत से फ़सल कटने के बाद गिरे हुए शेष अनाज की बाली 3. उक्त बाली या अन्न को चुनने की क्रिया।

शिला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बड़े आकार का पाषाण खंड; पत्थर; चट्टान 2. सिल; चौड़ा पत्थर; पटिया 3. कपूर।

शिलाखंड (सं.) [सं-पु.] प्रस्तर खंड; चट्टान।

शिलाजीत (सं.) [सं-स्त्री.] चट्टान के अत्यधिक तपने पर उससे निकलने वाला काले रंग का पदार्थ जो औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है; गिरिसार; शिलाकुसुम; शैलज; शैलेय।

शिलाटक (सं.) [सं-पु.] 1. अटारी; अट्टालिका 2. छेद; बिल 3. चहारदीवारी।

शिलान्यास (सं.) [सं-पु.] 1. भवन, इमारत आदि बनाने से पहले उसकी नींव में पहला पत्थर, ईंट इत्यादि रखे जाने की क्रिया; शिलारोपण 2. किसी शिला की स्थापना 3. {ला-अ.} आरंभ; संस्थापना।

शिलारोपण (सं.) [सं-पु.] 1. भवन, इमारत आदि बनाने से पहले उसकी नींव में पहला पत्थर, ईंट इत्यादि रखे जाने की क्रिया; शिलान्यास 2. शिला की स्थापना 3. {ला-अ.} आरंभ; संस्थापना।

शिलालिपि (सं.) [सं-स्त्री.] किसी बात के प्रचार तथा स्थायित्व के लिए पत्थर की शिला पर खुदवाई गई आज्ञा, उपदेश या दान आदि; शिलालेख; पुरालेख; (एपग्रैफ़)।

शिलालेख (सं.) [सं-पु.] 1. लंबे समय तक स्थायित्व प्रदान करने के लिए पत्थर पर लिखी या खोदी हुई कोई आज्ञा, उपदेश या राजाज्ञा आदि; ऐतिहासिक लेख; पुरालेख; (एपग्रैफ़) 2. वह पत्थर जिसपर कोई लेख अंकित हो।

शिलावट (सं.) [सं-पु.] पत्थर को काट-छाँट कर गढ़ने वाला कारीगर; संगतराश।

शिलावत (सं.) [वि.] 1. शिला की भाँति 2. पत्थर की तरह 3. पत्थर के आकार-प्रकार का।

शिलावृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पाषाण वर्षा 2. ओले की वर्षा 3. {ला-अ.} कड़वे वचन बोलना।

शिलावेश्म (सं.) [सं-पु.] पहाड़ आदि में बनाई गई गुफ़ा 2. पत्थर का निवास स्थान।

शिलिंग (इं) [सं-पु.] ब्रिटेन में प्रचलित एक पुरानी मुद्रा या सिक्का जो पौंड का बीसवाँ भाग है।

शिली (सं.) [सं-स्त्री.] दरवाज़े के चौखट के नीचे की लकड़ी; देहरी।

शिलीमुख (सं.) [सं-पु.] 1. भँवरा; भ्रमर 2. बाण; तीर 3. लड़ाई; युद्ध; संग्राम। [वि.] अनाड़ी; मूर्ख।

शिलेय (सं.) [वि.] जो शिला या पत्थर से संबंधित हो; शिला युक्त; पथरीला। [सं-पु.] शैलेय गंधद्रव्य; शिलाजीत नामक द्रव्य।

शिलोत्थ (सं.) [सं-पु.] शैलेय गंधद्रव्य; शिलाजीत नामक द्रव्य। [वि.] जो शिला या पत्थर से उत्पन्न हो।

शिल्प (सं.) [सं-पु.] 1. हस्तकला; हाथ की कारीगरी; (क्राफ़्ट) 2. हुनर; दस्तकारी 3. कला आदि कर्म; दक्षता 4. बनावट; ढंग 4. (साहित्य) किसी कथाकार या रचनाकार द्वारा अपनी रचनाओं में प्रयुक्त किया जाने वाला भावाभिव्यक्ति का विशिष्ट ढंग जो शैली से अधिक व्यापक माना जाता है।

शिल्पकला (सं.) [सं-स्त्री.] दस्तकारी का कौशल; हाथों का हुनर; कला दक्षता; (हैंडीक्राफ़्ट)।

शिल्पकार (सं.) [सं-पु.] 1. कारीगर; शिल्पी 2. मकान बनाने वाला; राजमिस्त्री; मेमार।

शिल्पज्ञ (सं.) [वि.] शिल्प का ज्ञाता या जानकार; शिल्पी; शिल्पकार।

शिल्पतत्व (सं.) [सं-पु.] शिल्पकला से युक्त गुण; शिल्पचातुर्य।

शिल्पविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] हाथ से नक्काशीदार वस्तुओं को बनाने या तैयार करने की विद्या; शिल्पशास्त्र; कारीगरी शिक्षा।

शिल्पशास्त्र (सं.) [सं-पु.] हाथ से नक्काशीदार वस्तुओं को बनाने या तैयार करने की विद्या या शास्त्र; शिल्पविद्या; कारीगरी।

शिल्पिक (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो शिल्प द्वारा निर्वहन करता हो; कारीगर; शिल्पी; शिल्पकार 2. दस्तकारी 3. (पुराण) विश्वकर्मा का एक नाम 4. (पुराण) शिव का एक नाम। [वि.] 1. हस्त संबंधी 2. यंत्र संबंधी 3. शिल्प से संबंधित।

शिल्पित (सं.) [वि.] शिल्पकला से युक्त; हस्तनिर्मित; नक्काशीदार।

शिल्पी (सं.) [सं-पु.] 1. शिल्प संबंधी कार्य करने वाला व्यक्ति; शिल्पकार; कारीगर 2. मकान बनाने वाला व्यक्ति; राजमिस्त्री।

शिव (सं.) [सं-पु.] 1. शंकर; महादेव 2. परमात्मा 3. महाकाल 4. मोक्ष; वसु 5. जल; पानी; रेत 6. पारा; सिंदूर 7. लोहा 8. नीलकंठ पक्षी। [वि.] 1. शुभ; मांगलिक; कल्याणकारी 2. भाग्यवान 3. स्वस्थ।

शिवकांता (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) शिव की पत्नी; पार्वती।

शिवगण (सं.) [सं-पु.] 1. शिव के अनुचर या सेवक 2. शंकर के शिष्य या उपासक।

शिवत्व (सं.) [सं-पु.] 1. शिव की तरह होने का भाव 2. मंगलकारी या कल्याणकारी होने का भाव 3. अमरता 4. मोक्ष।

शिवत्वीकरण (सं.) [सं-पु.] शिव तत्व से संपन्न करने का कार्य।

शिवदत्त (सं.) [सं-पु.] (पुराण) शिव द्वारा विष्णु को दिया गया सुदर्शन चक्र।

शिवनंदन (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) शिव के पुत्र; गणेश; स्कंद 2. (पुराण) शिव के पुत्र कार्तिकेय।

शिवनामी (सं.) [सं-स्त्री.] वह कपड़ा या चादर जिसपर शिव का नाम छपा हो। [वि.] जिसपर जगह-जगह शिव का नाम लिखा या छपा हो।

शिवनिर्माल्य (सं.) [सं-पु.] 1. शिव को चढ़ाया हुआ पदार्थ जिसको ग्रहण नहीं किया जाता हो 2. जो लेने या ग्रहण करने के योग्य न हो; अग्राह्य।

शिवपुरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भारत के मध्यप्रदेश राज्य का एक नगर जो पर्यटनस्थल के रूप में विख्यात है 2. शिव के मंदिरों वाला नगर बनारस; वाराणसी नामक शहर।

शिवमय (सं.) [वि.] शिव से युक्त; मंगलकारी; कल्याणकारी।

शिवरानी [सं-स्त्री.] पार्वती।

शिवलिंग (सं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी या पत्थर से निर्मित लिंग की आकृति 2. शिव का प्रतीक माना जाने वाला लिंगयोनि की सामूहिक आकृति का पत्थर।

शिवलोक (सं.) [सं-पु.] (पुराण) वह स्थान जहाँ शिव का वास है; कैलाश पर्वत।

शिववल्लभ (सं.) [सं-पु.] वह जो शिव का प्रिय हो; आम का वृक्ष।

शिवशेखर (सं.) [सं-पु.] चंद्रमा।

शिवा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पार्वती 2. दुर्गा।

शिवांशु (सं.) [सं-पु.] 1. वह जिसमें शिव का अंश हो 2. शिव जैसे तेज या गुणवाला।

शिवाक्ष (सं.) [सं-पु.] रुद्राक्ष नामक एक बीज।

शिवानी (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) पार्वती; दुर्गा 2. जयंती का वृक्ष।

शिवालय (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा मंदिर या स्थान जहाँ शिवलिंग स्थापित किया गया हो 2. देवमंदिर; शिवमंदिर।

शिवाला (सं.) [सं-पु.] 1. शिव का मंदिर; शिवालय; देवालय; मंदिर 2. लुहारों आदि की भट्ठी।

शिवालिक (सं.) [सं-पु.] उत्तर भारत में हिमालय के पास एक वृहद पर्वत शृंखला।

शिविका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पालकी; डोली 2. अरथी 3. चबूतरा।

शिविर (सं.) [सं-पु.] 1. ख़ेमा; छावनी; सैनिकों का पड़ाव 2. तंबू आदि लगाकर बनाया गया यात्रीनिवास; पड़ाव; डेरा; (कैंप) 3. किसी विषय पर आयोजित होने वाला अधिवेशन, जैसे- कविता शिविर।

शिविरवासी (सं.) [सं-पु.] शिविर में रहने वाले लोग; विस्थापित; शरणार्थी।

शिविरार्थी (सं.) [सं-पु.] शिविर में सहभागिता करने वाले।

शिशिर (सं.) [सं-पु.] 1. एक ऋतु जो माघ और फाल्गुन माह में पड़ती है; शीतऋतु 2. जाड़ा; ठंड का मौसम; शीतकाल 3. हिम; पाला।

शिशु (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा बच्चा 2. पशु-पक्षी का शावक या बच्चा।

शिशुता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिशु होने की अवस्था या भाव; शैशव 2. बचपन; लड़कपन।

शिशुनाग (सं.) [सं-पु.] 1. हाथी का बच्चा 2. (पुराण) एक दैत्य का नाम 3. प्राचीन मगध साम्राज्य का एक शासक।

शिशुपन (सं.) [सं-पु.] 1. शिशु होने की अवस्था या भाव; शिशुता 2. बालपन; लड़कपन 3. बालसुलभता।

शिशुपाल (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) चेदि देश का एक राजा जिसका वध कृष्ण ने किया था।

शिशुवत (सं.) [वि.] छोटे बच्चे की तरह; शिशुसदृश; अबोध; नादान; बालसुलभ; मासूम; भोला।

शिश्न (सं.) [सं-पु.] पुरुष जननेंद्रिय; लिंग।

शिश्नाग्र (सं.) [सं-पु.] शिश्न का अगला भाग; सुपारी।

शिष्ट (सं.) [वि.] 1. अच्छे आचरण या स्वभाव वाला; सज्जन; सुशील; संभ्रांत; तमीज़दार; तहज़ीबदार; बाशऊर; बासलीका; शरीफ़; (जेंटल) 2. विनम्र; शालीन; विनीत; श्लील; आचारवान; सुसंस्कृत 3. धीर; शांत 4. आज्ञाकारी; प्रसिद्ध।

शिष्टता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिष्ट होने की स्थिति, गुण या भाव; सज्जनता; सभ्यता 2. सुशीलता; विनम्रता 3. शिष्ट आचरण।

शिष्टत्व (सं.) [सं-पु.] शिष्ट होने का भाव या गुण; सज्जनता; भलमनसाहत; विनम्रता; सभ्यता।

शिष्टभाषी (सं.) [वि.] शिष्ट भाषा बोलने वाला; मधुरभाषी।

शिष्टमंडल (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विशेष कार्य हेतु भेजा जाने वाला प्रतिनिधियों का दल; प्रतिनिधिमंडल; (डेलीगेशन) 2. शिष्ट व्यक्तियों का दल।

शिष्टाचार (सं.) [सं-पु.] 1. शिष्टतापूर्वक किया गया व्यवहार; तमीज़; अदब; कायदा 2. किसी समाज, संस्था आदि द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार आचरण 3. शिष्ट व्यक्तियों का आचार अथवा व्यवहार; सदाचार 4. औपचारिक व्यवहार; आवभगत; सत्कार 5. तौर-तरीका; सलीका; (एटिकेट)।

शिष्टाचारी (सं.) [वि.] 1. शिष्ट आचरण करने वाला; सदाचारी; विनम्र 2. किसी समाज या संस्था द्वारा निर्धारित नियमों को मानने वाला।

शिष्य (सं.) [सं-पु.] 1. विद्यार्थी; चेला; शागिर्द; (स्टुडेंट) 2. अनुगामी; मुरीद 3. वह जिसने गुरुमंत्र लिया हो 4. वह जिसने किसी का शिष्यत्व ग्रहण किया हो।

शिष्यत्व (सं.) [सं-पु.] शिष्य होने का भाव या कर्म।

शिस्त (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मछली फँसाने का काँटा; बंसी; बलिश 2. सीध 3. आघात करने का लक्ष्य या निशाना 4. ज़मीन मापने का दूरबीन की तरह का एक यंत्र 5. अँगूठा 6. दरजी या तीरंदाज़ द्वारा उँगली में पहनी जाने वाली वस्तु; अंगुलीत्राण; अंगुश्ताना।

शीकर (सं.) [सं-पु.] 1. वर्षा की बूँद; फुहार; जल-कण 2. तुषार 3. वायु 4. सरल नामक गोंद का वृक्ष।

शीघ्र (सं.) [अव्य.] 1. अविलंब; जल्दी; क्षीप्र 2. बिना देर किए; त्वरित 3. तुरंत; तत्काल; झटपट 4. निकट भविष्य में।

शीघ्रकारी (सं.) [वि.] 1. शीघ्र या तुरंत काम करने वाला 2. जल्दी असर करने वाला (औषधि आदि)।

शीघ्रगतिक (सं.) [वि.] जल्दी-जल्दी चलने वाला; तेज़ चलने वाला; शीघ्रगामी; द्रुतगामी।

शीघ्रगामी (सं.) [वि.] तेज़ चलने वाला; द्रुतगामी; तीव्रगामी।

शीघ्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ी; जल्दबाज़ी 2. चुस्ती; तत्परता।

शीघ्रतापूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] जल्दी-जल्दी; शीघ्रता से; फुर्ती से।

शीघ्रपतन (सं.) [सं-पु.] संभोग के समय वीर्य का अपेक्षाकृत शीघ्र स्खलन।

शीघ्रबुद्धि (सं.) [वि.] बहुत बुद्धिमान; अत्यंत चतुर; कुशाग्रबुद्धि; हाज़िरजवाब।

शीघ्रातिशीघ्र (सं.) [क्रि.वि.] अतिशीघ्र; तत्काल; तक्षण।

शीट (इं) [सं-स्त्री.] 1. चादर; बिछाने का कपड़ा 2. कागज़; पृष्ठ; फ़लक 3. परीक्षा की कॉपी या नोटबुक आदि का कोई पेज़ 4. धातु या गत्ते का चौड़ा पटल।

शीत (सं.) [सं-पु.] 1. जाड़ा; ठंड 2. जाड़े का मौसम। [वि.] शीतल; ठंडा।

शीतक (सं.) [सं-पु.] 1. ठंडा करने वाला यंत्र; (कूलर) 2. ठंड का मौसम; शीत ऋतु 3. बिच्छू 4. चंदन का एक प्रकार 5. बनसनई 6. निश्चिंत मनुष्य 7. दीर्घसूत्री व्यक्ति 8. आलसी व्यक्ति। [वि.] 1. शीतलता प्रदान करने वाला 2. ठंडा 3. आलसी।

शीत कटिबंध (सं.) [सं-पु.] (भूगोल) पृथ्वी के वे भाग जो भूमध्य रेखा से 23 1/2 अंश उत्तर व 23 1/2 अंश दक्षिण के बाद पड़ते है तथा जहाँ सरदी ज़्यादा पड़ती है; (फ्रिज़िड जोन)।

शीतकर (सं.) [सं-पु.] 1. शीतल किरण प्रदान करने वाला अर्थात चाँद 2. कपूर। [वि.] शीतल करने वाला।

शीतकाल (सं.) [सं-पु.] जाड़े अथवा ठंड का समय।

शीतकालीन (सं.) [वि.] 1. शीतकाल संबंधी; शीतकाल में होने वाला 2. बरफ़ीला; ठंडा 3. शारदीय।

शीतगृह (सं.) [सं-पु.] फलों और सब्ज़ियों को लंबे समय तक ताज़ा बनाए रखने के लिए कृत्रिम ढंग से ठंडा किया गया स्थान अथवा भवन; (कोल्ड स्टोरेज)।

शीतज्वर (सं.) [सं-पु.] एक तरह का ज्वर जिसके आने पर तेज़ ठंड लगती है; जड़ैया बुख़ार।

शीततरंग (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शीत ऋतु में अत्यधिक ठंड बढ़ाने वाली तरंग 2. किसी दिशा में बढ़ने वाली वह तरंग जो सहसा कुछ समय के लिए ठंड बढ़ा देती है; शीतलहर; (कोल्ड वेव)।

शीतनिष्क्रियता (सं.) [सं-स्त्री.] कुछ विशिष्ट प्राणियों का सरदी के मौसम में ज़मीन की सतह के नीचे छिप जाना या निष्क्रिय हो जाना; (हाइबरनेशन)।

शीतभंडार (सं.) [सं-पु.] वह भवन या स्थान जहाँ मशीनों द्वारा तापमान नियंत्रित करके अथवा बहुत ठंडा वातावरण उत्पन्न करके वस्तुओं या फल-सब्ज़ियों आदि को ख़राब होने से बचाया जाता है; शीतगृह; शीतागार; (कोल्ड स्टोरेज)।

शीतयुद्ध (सं.) [सं-पु.] राष्ट्रों के बीच परस्पर होने वाला अघोषित युद्ध जिसमें आपसी रंजिश के कारण आरोप-प्रत्यारोप, दुष्प्रचार और आर्थिक विध्वंस का प्रयत्न चलता रहता है।

शीतल (सं.) [वि.] 1. ठंडा; शीत उत्पन्न करने वाला; सर्द 2. जो ठंडक उत्पन्न करता हो; जिसमें शीतलता हो 3. शांत; सौम्य; आवेश रहित 4. प्रसन्न; संतुष्ट; संतोषी।

शीतलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शीतल होने की अवस्था, गुण या भाव; ठंडक; सरदी 2. {ला-अ.} ठंडापन; जड़ता।

शीतला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (अंधविश्वास) चेचक रोग की देवी 2. दिगंबरा; शीतला माता 3. {अ-अ.} चेचक रोग।

शीतलित (सं.) [वि.] 1. बहुत ज़्यादा शीतल या ठंडा किया हुआ; हिमीकृत 2. बरफ़ में रखकर ख़राब होने से बचाया हुआ; परिरक्षित (खाद्य)।

शीतवीर्य (सं.) [वि.] (आयुर्वेद) जिसका प्रभाव या तासीर ठंडक प्रदान करने वाली हो, जैसे- शीतवीर्य दवा।

शीतांग (सं.) [सं-पु.] शीत से हाथ-पैर का सुन्न हो जाना; शीत सन्निपात।

शीतांशु (सं.) [सं-पु.] 1. चंद्रमा 2. कपूर।

शीतातप (सं.) [सं-पु.] सरदी और गरमी दोनों; शीत और आतप दोनों।

शीतोष्ण (सं.) [वि.] 1. शीत और उष्ण; ठंडा और गरम 2. शीत और उष्ण का लगभग बराबर तालमेल, (टेंपरेट)।

शीया (अ.) [सं-पु.] 1. इस्लाम धर्म की एक शाखा 2. हज़रत अली को मानने वाले मुस्लिम; शिया।

शीर (फ़ा.) [सं-पु.] क्षीर; दूध।

शीरमाल (फ़ा.) [सं-स्त्री.] घी डालकर पकाई गई ख़मीरी रोटी।

शीरा (फ़ा.) [सं-पु.] दे. शीराँ।

शीराँ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गुड़ अथवा चीनी का गाढ़ा घोल; चाशनी 2. घोटकर बनाया गया कोई पेय।

शीराज़ा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पुस्तकों की जिल्दबंदी या सिलाई में दोनों गत्तों या तलों को जकड़ने वाला कागज़ का टुकड़ा; वह मोटा धागा या फ़ीता जो जिल्द के पुश्तों से सटा रहता है 2. (वस्त्रों की) सिलाई 3. {ला-अ.} प्रबंध; व्यवस्था 4. क्रम 5. संघटन।

शीराज़ी (फ़ा.) [सं-पु.] 1. ईरानी शहर शीराज़ का रहने वाला 2. कबूतर की एक जाति। [सं-स्त्री.] शीराज़ की बनी शराब। [वि.] शीराज़ का; शीराज़ संबंधी।

शीरी (सं.) [सं-पु.] 1. कुश; मूँज नामक बड़ी घास 2. कलिहारी।

शीरीं (फ़ा.) [वि.] 1. मीठा; मधुर 2. रुचिकर; प्रिय।

शीरींज़बान (फ़ा.) [वि.] 1. जिसकी आवाज़ में मधुरता या मिठास हो; मृदुभाषी 2. अच्छी भाषा बोलने वाला।

शीरीनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. मिठास; मधुरता 2. एक प्रकार की मिठाई जो चीनी की चाशनी को टपका कर बनाई जाती है; बतासा 3. देवता आदि के समक्ष आदरपूर्वक रखी जाने वाली मिठाई।

शीर्ण (सं.) [वि.] 1. कुम्हलाया हुआ 2. सड़ा-गला 3. चिथड़े-चिथड़े हुआ 4. छितराया हुआ 5. कृश।

शीर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का सबसे ऊपरी सिरा या हिस्सा; उन्नत भाग; उच्च बिंदु 2. सिर; मस्तक; ललाट; माथा 3. खाते में किसी मद का नाम।

शीर्षक (सं.) [सं-पु.] 1. वह शब्द या शब्द समूह जो किसी विषय से परिचित होने के लिए सबसे ऊपर लिखा जाता है; (टाइटिल) 2. किसी ग्रंथ या लेख आदि के विषय का परिचायक शब्द; रचना नाम 3. टोपी; साफ़ा; पगड़ी; शिरस्त्राण 4. सिर; खोपड़ी 5. ऊपरी भाग; चोटी।

शीर्षबिंदु (सं.) [सं-पु.] 1. सिर का सबसे ऊपरी स्थान 2. आकाश का वह स्थान या सूचक जो सिर के ठीक ऊपर पड़ता है 3. मोतियाबिंद नामक रोग।

शीर्षरेखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सबसे ऊपर की लकीर 2. देवनागरी लिपि के अक्षरों के ऊपर रहने वाली रेखा; शिरोरेखा; लकीर।

शीर्षस्थ (सं.) [वि.] 1. शीर्षस्थान पर रहने वाला; उच्चतम; चोटी का 2. {ला-अ.} प्रधान; मुख्य; उत्तम।

शीर्षासन (सं.) [सं-पु.] (योगशास्त्र) एक प्रकार का आसन जिसमें सिर नीचे और पैर हवा में सीधे खड़े रहते हैं।

शील (सं.) [सं-पु.] 1. स्वभाव; चरित्र; शिष्टता; विनम्रता 2. आचरण; मर्यादा; चाल-चलन 3. सदाचार; उत्तम आचार। [वि.] उन्मुख; प्रवृत्त।

शीलन (सं.) [सं-पु.] 1. अभ्यास 2. विवेचना 3. ग्रहण करना; धारण करना 4. प्रवर्तन।

शीलभंग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी किशोरी या युवती के साथ किया गया अनैतिक व्यवहार; व्यभिचार; दुर्व्यवहार 2. बलात्कार; दुराचार।

शीलवान (सं.) [वि.] 1. अच्छे शील या चरित्रवाला; सुशील; सदाचारी 2. अच्छे व्यवहार वाला 3. बौद्धों में शीलों का पालक।

शील्ड (इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी उपलब्धि पर या प्रतियोगिता आदि में दिया जाने वाला ढाल की आकृति का पुरस्कार 2. रक्षाकवच; बचाव 3. ढाल 4. प्रतीक चिह्न।

शीश (सं.) [सं-पु.] सर; सिर; मस्तक; माथा।

शीशम (सं.) [सं-पु.] एक बड़ा पेड़ जिससे इमारती लकड़ी प्राप्त होती है।

शीशमहल (फ़ा.+अ.) [सं-पु.] 1. शीशे का मकान 2. शीशा जड़ा मकान।

शीशा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. काँच; (ग्लास) 2. दर्पण; आईना; (मिरर)।

शीशी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. काँच से निर्मित छोटे आकार की बोतल या डिबिया; शीशे का छोटा पात्र जिसमें दवा, तेल आदि रखते हैं 2. बोतल का छोटा रूप।

शुंग (सं.) [सं-पु.] 1. वट वृक्ष; बरगद 2. पाकड़ 3. अमड़े का वृक्ष 4. वृक्ष आदि का नया पत्ता 5. फूलों के पंखुड़ियों के नीचे की कटोरी 6. (इतिहास) एक राजवंश जिसने मौर्य शासन के बाद मगध पर राज्य किया था।

शुंठी (सं.) [सं-स्त्री.] सूखा हुआ अदरक; सोंठ।

शुंड (सं.) [सं-पु.] 1. (हाथी का) सूँड़ 2. एक तरह की शराब।

शुंडा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूँड़ 2. शराबख़ाना 3. एक प्रकार की शराब।

शुंडाकार (सं.) [वि.] सूँड़ की आकृति का।

शुंडिक (सं.) [सं-पु.] 1. शराब का व्यवसाय करने वाला व्यक्ति 2. शराब बनाने वाली जाति 3. शराब का विक्रय स्थल; मद्यशाला।

शुंडिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. गले के अंदरूनी भाग की घाँटी; कौवा; घंटी 2. ग्रंथि की सूजन।

शुंडी (सं.) [सं-पु.] 1. हाथी; गज 2. शराब बेचने वाला व्यक्ति 3. शराब बनाने वाली जाति; कलवार। [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पौधा 2. गले के अंदर स्थित एक ग्रंथि; कौआ 3. ग्रंथि की सूजन।

शुंभ (सं.) [सं-पु.] (पुराण) एक राक्षस जिसका दुर्गा ने वध किया था।

शुक (सं.) [सं-पु.] 1. सुग्गा; तोता 2. वस्त्र; पोशाक।

शुकदेव (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) एक मुनि।

शुकराना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. धन्यवाद; शुक्रिया 2. किसी कार्य के पूर्ण होने के उपरांत धन्यवादपूर्वक दिया जाने वाला धन 3. कृतज्ञता।

शुक्त (सं.) [वि.] 1. निर्मल; स्वच्छ 2. संयुक्त 3. खट्टा 4. कठोर।

शुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीपी नामक जलीय जंतु; सुतुही 2. सुतुही नामक जंतु का कवच; सीप 3. शंख 4. बेर 5. नखी नामक गंधद्रव्य 6. अर्श या बवासीर नामक गुदा का रोग 7. कपाल 8. अस्थि; हड्डी 9. एक प्रकार का नेत्र रोग 10. घोड़े के गरदन पर बालों की भौंरी।

शुक्तिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीप; सीपी 2. चूक नामक साग; चुक्रिका 3. नेत्र का शुक्ति नामक रोग।

शुक्र1 (सं.) [सं-पु.] 1. सौरमंडल का एक चमकीला ग्रह 2. (पुराण) असुरों के गुरु 3. सप्ताह का छठा दिन 4. वीर्य; बीज 5. शक्ति; पराक्रम; बल।

शुक्र2 (अ.) [सं-पु.] उपकार मानना; कृतज्ञताज्ञापन; धन्यवाद।

शुक्रकर (सं.) [वि.] 1. वीर्य बढ़ाने वाला; बलवर्धक 2. स्वास्थ्यप्रद।

शुक्रगुज़ार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. शुक्र या आभार मानने वाला; आभारी 2. आभार प्रदर्शित करने वाला; कृतज्ञ।

शुक्रगुज़ारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] कृतज्ञता; आभार; आभार प्रदर्शन।

शुक्रतारा (सं.) [सं-पु.] शुक्र ग्रह, जो पृथ्वी से देखने पर तारे के समान प्रतीत होता है, (वीनस)।

शुक्रवार (सं.) [सं-पु.] 1. सप्ताह का छठवाँ दिन 2. जुमा।

शुक्राणु (सं.) [सं-पु.] नर प्राणी के वीर्य का वह अंश या कोशिका जो मादा प्राणी को गर्भवती करता है; वीर्याणु।

शुक्राना (अ.) [सं-पु.] वह धन जो किसी सफलता पर ख़ुश होकर दिया जाता है; बख़्शिश।

शुक्रिया (फ़ा.) [सं-पु.] 1. किसी के अनुग्रह के बदले कृतज्ञता प्रकट करने वाला शब्द 2. धन्यवाद; आभार।

शुक्ल (सं.) [वि.] 1. श्वेत; शुभ्र; सफ़ेद 2. सात्विक 3. यशस्कर। [सं-पु.] ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम।

शुक्लपक्ष (सं.) [सं-पु.] अमावस्या के बाद की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक के दिन जिसमें चंद्रमा की कला प्रतिदिन बढ़ती है; उजला पखवाड़ा; धवलपक्ष।

शुक्लपक्षीय (सं.) [वि.] 1. शुक्लपक्ष से संबंधित 2. (साहित्य) अर्थ के मंतव्य से उत्कर्ष का सूचक।

शुचि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुद्धता; पवित्रता; स्वच्छता; सजावट। [वि.] 1. शुद्ध; पवित्र; साफ़; स्वच्छ; निर्मल 2. सफ़ेद; चमकीला 3. निर्दोष; सच्चा; ईमानदार; निश्छल; निष्कपट।

शुचिकर्मा (सं.) [वि.] जो पवित्र कार्य करता हो; धर्मात्मा; पुण्यात्मा।

शुचिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुचि या शुद्ध होने की अवस्था, गुण या भाव 2. रहन-सहन में स्वच्छता; पवित्रता 3. ईमानदारी; निर्दोषता।

शुजाअ (अ.) [वि.] सूरमा; वीर; बहादुर।

शुजाअत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बहादुरी, वीरता 2. रणकौशल।

शुतुर (फ़ा.) [सं-पु.] ऊँट; उष्ट्र।

शुतुरमुर्ग (फ़ा.) [सं-पु.] एक लंबी गरदन वाले मुरगे की प्रजाति का एक बड़ा पक्षी।

शुदनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. भविष्य में होने वाली घटना या बात; होनी 2. अनपेक्षित दुर्घटना। [वि.] होनहार।

शुद्ध (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई खोट न हो; ख़ालिस 2. (पदार्थ) जिसमें किसी प्रकार की मिलावट न हो 3. साफ़; निर्मल; पवित्र; स्वच्छ; निर्दोष; श्वेत 4. {व्यं-अ.} ईमानदार; सच्चा; पापरहित; सही; ठीक।

शुद्धकल्याण (सं.) [सं-पु.] (संगीत) रात के पहले पहर में गाया जाने वाला ओड़व संपूर्ण जाति का एक राग।

शुद्धता (सं.) [सं-स्त्री.] शुद्ध होने का भाव; स्वच्छता; निर्मलता।

शुद्धतावादी (सं.) [सं-पु.] शुद्धता के सिद्धांत को मानने वाला व्यक्ति। [वि.] शुद्धता का बोधक।

शुद्ध-बुद्ध (सं.) [वि.] ज्ञानवान एवं पुण्य (आत्मा)।

शुद्धसारंग (सं.) [सं-पु.] (संगीत) ओड़व षाड़व जाति का एक राग जिसे मध्याहन में गाया जाता है।

शुद्धा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक जंगली पेड़ 2. इंद्रजौ के पेड़ की फली या बीज 3. (काव्यशास्त्र) लक्षणा का एक भेद।

शुद्धापह्नुति (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अपह्नुति अलंकार का एक भेद।

शुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुद्धता; शुचिता; पवित्रता 2. स्वच्छता; सफ़ाई 3. प्रायश्चित 4. व्यक्ति या वस्तु को शुद्ध करने का संस्कार।

शुद्धिकरण (सं.) [सं-पु.] शुद्ध या पवित्र करने का कार्य; शुद्धि; स्वच्छता; सफ़ाई।

शुद्धिपत्र (सं.) [सं-पु.] पुस्तक या ग्रंथ के अंत में लगाया गया वह पत्र जिसमें उक्त पुस्तक की अशुद्धियाँ और उनके शुद्ध रूप लिखे जाते हैं।

शुद्धिवादी (सं.) [वि.] शुद्धि से संबंधित विचारधारा वाला।

शुद्धोदन (सं.) [सं-पु.] एक शाक्य राजा जो गौतम बुद्ध के पिता थे।

शुफ़ा (अ.) [सं-पु.] 1. पड़ोस 2. पार्श्ववर्ती; निकटस्थ।

शुबहा (अ.) [सं-पु.] संदेह; शक।

शुभ (सं.) [वि.] 1. मंगलमय; कल्याणकारी 2. चमकीला; सुंदर 3. अच्छा, हितकारी, फलदायक आदि का सूचक 4. पवित्र। [सं-पु.] मंगल; कल्याण।

शुभंकर (सं.) [वि.] 1. मंगलकारी; शुभकारी 2. प्रतिकृति 3. किसी आयोजन के संबंध में लोगों को प्रेरित करने के लिए बनाया गया शुभचिह्न; (लोगो)।

शुभकामना (सं.) [सं-स्त्री.] मंगल कामना; कल्याण या भलाई के लिए की जाने वाली कामना; इच्छा; (विश)।

शुभघड़ी [सं-स्त्री.] किसी कार्य को करने का अच्छा या अनुकूल समय; शुभ समय; मुहूर्त।

शुभचिंतक (सं.) [वि.] हित या कल्याण चाहने वाला; शुभ चिंतन करने वाला; शुभाकांक्षी; हितैषी; शुभेक्षु।

शुभत्व (सं.) [सं-पु.] शुभ होने की अवस्था।

शुभदंडक (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) विजया नामक छंद का एक प्रकार।

शुभदर्शन (सं.) [वि.] 1. जिसके दर्शनों से कल्याण होता हो; सुंदर; शुभदर्शी 2. जिसको देखना शुभ हो; कल्याण सूचक।

शुभा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शोभा; सजावट 2. कांति; दीप्ति; सौंदर्य 3. वह जो शुभ करने वाली हो; कल्याणी 4. (पुराण) देवताओं की सेना।

शुभांगी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (लोकमान्यता) शुभ लक्षणों से युक्त अंगों वाली स्त्री 2. (पुराण) कुबेर की एक पत्नी; कामदेव की पत्नी; रति 3. (संगीत) कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। [वि.] सुंदरी।

शुभाकांक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] शुभ की इच्छा या आकांक्षा; किसी के हित की कामना।

शुभाकांक्षी (सं.) [वि.] 1. कल्याण या मंगल की अकांक्षा करने वाला 2. भलाई चाहने वाला; शुभचिंतक; हितैषी।

शुभागमन (सं.) [सं-पु.] 1. मंगलप्रद या कल्याणकारी आगमन 2. सुखद और फलदायक आगमन।

शुभारंभ (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य का मंगल या शुभ आरंभ 2. किसी कार्य की यथोचित शुरुआत।

शुभाशय (सं.) [वि.] अच्छे या शुभ विचारवाला; कल्याणकामी; शुभचिंतक।

शुभेच्छु (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो किसी का शुभ चाहता हो; शुभचिंतक 2. किसी के हित या भलाई के बारे में सोचने वाला व्यक्ति; हितैषी।

शुभेतर (सं.) [वि.] 1. जो शुभ न हो; अशुभ 2. ख़राब; अनिष्टकारी; बुरा।

शुभ्र (सं.) [वि.] 1. श्वेत; सफ़ेद 2. उज्ज्वल; चमकीला। [सं-पु.] 1. चाँदी 2. सफ़ेद रंग 3. अभ्रक।

शुभ्रा (सं.) [वि.] शुभ्र; श्वेत; चमकीली। [सं-स्त्री.] 1. सुंदर स्त्री 2. स्फटिक; फिटकरी; वंशलोचन 3. गंगा नदी।

शुमार (फ़ा.) [सं-पु.] 1. गिनती; गणना; तखमीना 2. हिसाब; लेखा 3. आतंक; भय।

शुमारी (फ़ा.) [परप्रत्य.] शुमार करने या गिनने की क्रिया; गणना; गिनती, जैसे- मर्दुमशुमारी (जनगणना)।

शुमाली (अ.) [वि.] 1. उत्तर दिशा में होने वाला; उत्तरी 2. उत्तर दिशा में स्थित।

शुरू (अ.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य आदि के आरंभ होने या करने की क्रिया 2. वह स्थान जहाँ से किसी वस्तु का आरंभ हो। [वि.] जो चल रहा हो; जिसकी शुरुआत हुई हो या की गई हो।

शुरूआत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. आरंभ; आदि 2. पहल।

शुरूआती (अ.) [वि.] 1. शुरु का; सबसे पहला; आदिम 2. प्रारंभिक; आरंभिक 3. प्रयोगात्मक।

शुल्क (सं.) [सं-पु.] 1. वह धन जो किसी नियम, विधि या परिपाटी के अनुसार आवश्यक रूप से दिया या लिया जाए; (ड्यूटी) 2. किसी वस्तु के उत्पादन या आयात-निर्यात पर सरकार द्वारा लिया जाने वाला कर; (टैक्स) 3. छात्र द्वारा किसी शिक्षण संस्थान आदि को नियमानुसार दिया जाने वाला धन; (फ़ीस) 4. कोई काम करने के बदले दिया जाने वाला धन; (चार्ज) 5. भाड़ा; किराया; (रेंट) 6. दाम; मूल्य; (प्राइस) 7. पत्र-पत्रिका का चंदा।

शुश्रूषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सेवा; टहल; रोगी की देखरेख 2. सुनने की इच्छा 3. बच्चे का पालन-पोषण या देखभाल 4. स्वास्थ्य की देखरेख 5. चापलूसी; ख़ुशामद।

शुष्क (सं.) [वि.] 1. वह स्थान या वातावरण जो आर्द्र या नम न हो 2. रूखा; सूखा 3. स्नेह, कोमलता आदि से रहित; भावनारहित।

शुष्कता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुष्क होने की अवस्था या भाव; सूखापन 2. नीरसता; रसहीनता 3. हृदयहीनता; कठोरता।

शुष्कहृदय (सं.) [वि.] जिसमें प्रेम, उदारता, करुणा आदि का अभाव हो; पत्थरदिल।

शूक (सं.) [सं-पु.] 1. चिकना व नुकीला अग्रभाग 2. फ़सल का बाल या सींका 3. जौ 4. काँटा 5. एक कीड़ा 6. कीड़ों का नुकीला रोयाँ 7. दाढ़ी 8. शिखा।

शूकधानी (सं.) [सं-पु.] गद्दी युक्त आधार जिसमें पिन आदि नुकीली वस्तु लगाई जा सकती है; कंटिकाधार; पिनगद्दा।

शूकर (सं.) [सं-पु.] एक पशु जो विशेषकर मांस के लिए पाला जाता है; सुअर; वराह।

शूकरक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] (मिथक) उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित एक तीर्थस्थल जहाँ विष्णु ने वराह अवतार लिया था।

शूट (इं.) [सं-पु.] 1. फ़ोटो लेने की क्रिया 2. फ़िल्म या चलचित्र बनाने की क्रिया 3. गोली मारना।

शूटिंग (इं.) [सं-स्त्री.] 1. निशानेबाज़ी का खेल 2. गोलीबारी 3. शिकार 4. फ़िल्म बनाना; फ़िल्माना।

शूटिंग स्क्रिप्ट (इं.) [सं-स्त्री.] शूटिंग के लिए कैमरा आदि के निर्देशों के साथ लिखी गई पटकथा।

शूद्र (सं.) [सं-पु.] प्राचीन वर्ण व्यवस्था के अनुसार चार वर्णों में से एक वर्ण।

शूद्रक (सं.) [सं-पु.] 1. एक राजा और मृच्छकटिक के रचयिता 2. शूद्र मुनि।

शूद्रता (सं.) [सं-पु.] शूद्र होने की अवस्था या भाव।

शूद्रत्व (सं.) [सं-पु.] 1. शूद्र का भाव 2. शूद्रता।

शून्य (सं.) [सं-पु.] 1. अवकाश; ख़ाली स्थान 2. आकाश; एकांत स्थान 3. बिंदु; बिंदी 4. अभाव 5. अभाव सूचक चिह्न; सिफर; (ज़ीरो)। [वि.] 1. जिसमें कुछ न हो; रिक्त; ख़ाली; रीता 2. निराकार; अस्तित्वहीन 3. अवास्तविक; असत।

शून्यकाल (सं.) [सं-पु.] वह समय जब कोई क्रियाकलाप या गतिविधि आरंभ करने का निश्चय किया गया हो; (ज़ीरो आवर)।

शून्यगर्भ (सं.) [वि.] 1. जो अंदर से ख़ाली हो, रीता; रिक्त 2. सारहीन; निस्सार।

शून्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शून्य होने की अवस्था; भाव; शून्यत्व 2. अभाव; ख़ालीपन; रिक्तता 3. निर्जनता; सुनसान; सूनापन।

शून्यत्व (सं.) [सं-पु.] रिक्तता; ख़ालीपन; शून्य होने का भाव; शून्यता।

शून्यदृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भाव से रहित दृष्टि; भावहीन दृष्टि 2. विचारहीनता सूचित करने वाली दृष्टि।

शून्यपाल (सं.) [सं-पु.] प्राचीन काल में वह व्यक्ति जो राजा की अविद्यमानता, असमर्थता आदि के कारण अस्थायी रूप से राज्य का प्रधान बनाया जाता था।

शून्यहृदय (सं.) [वि.] 1. जिसके मन में कुछ भी संदेह न हो; खुले दिलवाला 2. शून्यमनस्क।

शूर (सं.) [सं-पु.] 1. बहादुर; वीर 2. सूरमा; योद्धा; युद्धकुशल 3. सूर्य।

शूरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शूर होने का भाव; वीरता; शूरत्व; बहादुरी 2. शूर का धर्म।

शूरताई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शूर होने का भाव; शूरता; बहादुरी 2. शूर का धर्म।

शूरवीर (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत बड़ा वीर; योद्धा; वीर शिरोमणि 2. साहसी या बहादुर व्यक्ति।

शूरसेन (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) मथुरा के एक राजा जो कृष्ण के नाना थे 2. मथुरा और उसके आस-पास के क्षेत्र का पुराना नाम।

शूर्पणखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (रामायण) रावण की बहन 2. सूप के समान सुंदर नख वाली स्त्री।

शूल (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र जो बरछे की तरह का होता है; भाला; त्रिशूल 2. प्राचीन काल में मृत्युदंड देने का एक औज़ार; सूली 3. लोहे का लंबा नुकीला काँटा 4. पेट में वायु से होने वाला ज़ोर का दर्द 5. {ला-अ.} चुभने या कष्ट देने वाली बात 6. नुकीला सिरा; नोक 7. {ला-अ.} बाधा।

शूलपाणि (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो हाथ में शूल धारण करता हो 2. शिव; महादेव।

शूलस्तूप (सं.) [सं-पु.] शूल के जैसे आकार-प्रकार का विशेष स्तूप।

शूली (सं.) [सं-पु.] 1. शिव; शंकर 2. भालाबरदार; खरहा। [सं-स्त्री.] 1. एक तरह की घास; शूलपत्री 2. तीव्र कष्ट या पीड़ा 3. सूली 4. प्राचीन काल में दी जाने वाली मृत्यु की सज़ा जिसमें अपराधी को शूल पर चढ़ाया जाता था। [वि.] 1. शूल धारण करने वाला 2. शूल से पीड़ित।

शृंखल (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का आभरण जो प्राचीन काल में पुरुष कमर में पहनते थे; मेखला 2. हथकड़ी; बेड़ी 3. हाथी आदि को बाँधने की लोहे की ज़ंजीर; साँकल; सिक्कड़ 4. नियम 5. मापने की ज़ंजीर 6. परंपरा; सिलसिला 7. बंधन।

शृंखलता (सं.) [सं-स्त्री.] क्रमबद्ध या सिलसिलेवार होने का भाव; क्रमिकता; शृंखलाबद्धता।

शृंखला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक दूसरे में पिरोई हुई बहुत-सी कड़ियों का समूह 2. ज़ंजीर; साँकल; लड़ी; (चेन) 3. क्रम में आने वाली बहुत-सी बातें, वस्तुएँ या घटनाएँ; (चेन) 4. एक ही तरह के कार्यों, खेलों आदि का एक के बाद एक करके चलने वाला क्रम; माला; (सीरीज़) 5. कुछ दूर तक चलने वाली श्रेणी; कतार; (रेंज) 6. परंपरा; सिलसिला 7. कमरबंध; करधनी 8. कमरपेटी; (बेल्ट) 9. एक प्रकार का अलंकार।

शृंखलाबद्ध (सं.) [वि.] 1. जो शृंखला के रूप में किसी विशिष्ट क्रम से लगा हो 2. बेड़ी या ज़ंजीर में जकड़ा हुआ।

शृंखलित (सं.) [वि.] 1. जिसमें शृंखला बनी हुई हो 2. शृंखलाबद्ध; व्यवस्थित 3. क्रमबद्ध; निरंतर; क्रमिक 4. जो बेड़ी या शृंखला से जकड़ा हुआ हो।

शृंग (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत का ऊपरी भाग; शिखर; चोटी 2. पशुओं आदि के सींग 3. कँगूरा 4. प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा; सिंगी बाजा 5. कमल; पद्म 6. जीवक नामक अष्टवर्गीय औषधि 7. सोंठ; अदरक 8. प्रभुत्व; प्रधानता 9. काम की उत्तेजना 10. निशान; चिह्न 11. स्तन 12. (पुराण) एक प्राचीन ऋषि का नाम 13. पानी का फौवारा या पिचकारी 14. ऊँचाई 15. चाँद के समान ऊपरी हिस्से वाला चंद्रचूड़ा 16. किसी वस्तु का अग्रभाग; नोक 17. अभिमान; आत्मश्लाघा 18. बाण का नुकीला दंड; बाणकांड 19. एक प्रकार का सेना का व्यूह 20. हाथी का दाँत 21. उत्कर्ष; अभ्युदय।

शृंगज (सं.) [सं-पु.] 1. अगर; अगरु 2. शर; तीर; बाण।

शृंगार (सं.) [सं-पु.] 1. सजाने की क्रिया या भाव; सजावट 2. शरीर को सुंदर और आकर्षक बनाने वाली वस्तुएँ; प्रसाधन सामग्री 3. सौंदर्य प्रसाधनों द्वारा स्त्री या पुरुष-शरीर का बनाव-सजाव; (मेकअप) 4. (काव्यशास्त्र) नौ रसों में से एक प्रधान रस 5. मैथुन; रति; सहवास 6. प्रेम; रसिकता 7. हाथी के शरीर पर बनाए गए सिंदूर के निशान 8. {ला-अ.} किसी को अधिक आकर्षक बनाने वाला गुण।

शृंगार-कक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. वह कक्ष जहाँ सौंदर्य प्रसाधनों द्वारा शरीर का बनाव-सजाव किया जाता है; (मेकअप-रूम) 2. कपड़े बदलने का कमरा; (ड्रेसिंग रूम)।

शृंगारहाट (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह बाज़ार जहाँ शृंगार की वस्तुएँ बिकती हों 2. {अ-अ.} वेश्याओं का स्थान; चकला।

शृंगारिक (सं.) [वि.] 1. शृंगार का; शृंगार संबंधी 2. शृंगार रस से संबंध रखने वाला।

शृंगारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शृंगार करने वाली स्त्री; शृंगारप्रिय 2. वह नारी जिसका शृंगार हुआ हो 3. (संगीत) कर्नाटकी शैली की एक रागिनी 4. (काव्यशास्त्र) एक छंद का नाम।

शृंगारित (सं.) [वि.] 1. जिसका शृंगार किया गया हो; प्रसाधित; सज्जित 2. जिसने शृंगार किया हो; सजा-धजा; आकर्षक; मोहक; सुंदर 3. {व्यं-अ.} आसक्त; मुग्ध।

शृंगारिया (सं.) [सं-पु.] 1. देवताओं आदि का शृंगार करने वाला 2. नाटक, लीला आदि में शृंगार करने वाला 3. वह जो तरह-तरह के भेष बनाता हो; बहुरुपिया।

शृंगारी (सं.) [वि.] 1. शृंगार का; शृंगार संबंधी 2. किसी पर अनुरक्त; आसक्त; मुग्ध 3. कामुक; रसिक 3. शृंगार रस का प्रेमी 4. सजाधजा।

शृंगाली (सं.) [सं-पु.] विदारीकंद नामक औषध।

शृंगी (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत; पहा़ड़ 2. वृक्ष; पेड़ 3. हाथी; गज 4. (पुराण) एक ऋषि का नाम 5. बरगद; वट 6. पाकड़ 7. अमड़ा 8. ऋषभक नामक औषधि 9. सींग वाले पशु 10. जीवक नामक औषधि 11. सिंगिया नामक विष 12. सींग का बना हुआ एक प्रकार का बाजा 13. शंकर; महादेव; शिव 14. एक प्राचीन देश का नाम 15. मेष; भेड़ा 16. वृष; बैल 17. शिव का एक गण। [सं-स्त्री.] 1. अतीस; अतिविषा 2. आँवला 3. एक प्रकार का साग 4. वह सोना जिसका आभूषण बनता है। [वि.] 1. शृंग युक्त 2. दाँतोंवाला।

शृगाल (सं.) [सं-पु.] 1. गीदड़; सियार 2. {ला-अ.} चरवाहा।

शेख़ (अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमानों की चार जातियों में से एक 2. पैगंबर मुहम्मद के वंशजों की उपाधि 3. वह जो इस्लाम धर्म का उपदेश देता है; आचार्य 4. वह वृद्ध जो पूज्य हो; पीर।

शेखचिल्ली (अ.+हिं.) [सं-पु.] 1. (लोककथा) एक कल्पित चरित्र जिसके संबंध में कई हास्यपरक कहानियाँ और किस्से मशहूर हैं 2. दिवास्वप्न देखने वाला व्यक्ति 3. {व्यं-अ.} ऐसा मूर्ख व्यक्ति जो बिना सोचे-समझे बड़े-बड़े मंसूबे बाँधता है।

शेखर (सं.) [सं-पु.] 1. शिखर; शीर्ष; माथा 2. ऊपरी सिरा; चोटी 3. मुकुट; किरीट 4. सिर पर लपेटी हुई माला 5. पर्वत का शिखर 6. किसी वर्ग या समूह में उच्चता और श्रेष्ठता का सूचक पद। [वि.] 1. सबसे बढ़िया; श्रेष्ठ 2. उच्च।

शेख़ी (तु.) [सं-स्त्री.] 1. रोब; डींग; झूठी शान; अकड़ 2. घमंड; अभिमान।

शेख़ीख़ोर (तु.+फ़ा.) [वि.] 1. जो शेख़ी बघारता हो; शेख़ीबाज़ 2. डींग हाँकने वाला; डींगबाज़; अहंकारी।

शेखीबाज़ (तु.+फ़ा.) [वि.] 1. व्यर्थ की बड़ी-बड़ी बातें करने वाला; शेख़ीख़ोर 2. डींग हाँकने वाला; डींगबाज़ 3. किसी की झूठी तारीफ़ करने वाला 4. अहंकारी।

शेड (इं.) [सं-पु.] 1. छाया; परछाई 2. किसी रंग की गहराई का स्तर या तीव्रता; आभा 3. रोशनी या गरमी रोकने का परदा 4. चित्र का वह भाग जहाँ रंग गहरा हो 5. अंधेरा।

शेड्यूल (इं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्यक्रम आदि की रूपरेखा; समय सारणी 2. अनुसूची 3. नियत होना 4. सूचीपत्र।

शेड्यूल कास्ट (इं.) [सं-स्त्री.] अनुसूचित जाति।

शेप1 (सं.) [सं-पु.] 1. पुरुष जननेंद्रिय; लिंग; शिश्न 2. अंडकोष 3. दुम; पूँछ।

शेप2 (इं.) [सं-पु.] 1. ढाँचा; आकृति; आकार 2. गठन; बनावट 3. रचना 4. रूप।

शेफालिका (सं.) [सं-स्त्री.] नील सिंधुआर का पौधा; निर्गुंडी; निलिका।

शेफाली (सं.) [वि.] शेफालिका; नील सिंधुवार का पौधा; संबूल; निर्गुंडी।

शेयर (इं.) [सं-पु.] 1. किसी व्यापारिक कंपनी या संस्था की संपत्ति आदि का भाग, हिस्सा अथवा अंश 2. किसी व्यापार या व्यापारिक संस्था में लगी पूँजी का निर्धारित हिस्सा 3. किसी बात या घटना को मित्र, परिचित आदि से बाँटना या साझा करना।

शेर1 (अ.) [सं-पु.] 1. फ़ारसी काव्य में दो चरणों का एक पद्य 2. उर्दू ग़ज़ल के दो चरण।

शेर2 (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिंह; व्याघ्र 2. {ला-अ.} निर्भीक और साहसी पुरुष।

शेरदिल (फ़ा.) [वि.] 1. शेर के समान हृदय वाला; निडर 2. वीर; साहसी।

शेरनी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] मादा शेर।

शेरपंजा (फ़ा.) [सं-पु.] एक प्रकार का हथियार जिसमें बाघ के नाख़ूनों के समान धातु के काँटे लगे रहते हैं; बघनखा; बघनहाँ; बघना।

शेरमुँहा (फ़ा.+हिं.) [वि.] 1. शेर की तरह मुँह वाला 2. जो (मकान) आगे से चौड़ा व पीछे से पतला होता है। [सं-पु.] हौजों, परनालों आदि पर बनी शेर की शक्ल। [सं-स्त्री.] एक प्रकार की बंदूक।

शेरवानी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का लिबास 2. एक प्रकार का मुसलमानी ढंग का अँगरखा।

शेरिफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. राजकीय उच्च अधिकारी का पद जो शांति, न्याय आदि कार्यों के लिए सर्वसम्मति से निर्वाचित या नियुक्त होता है 2. अमुक पद पर नियुक्त व्यक्ति। [वि.] विशिष्ट रूप से प्रतिष्ठित या मान्य।

शेल (सं.) [सं-पु.] भाला; बरछा; सेल।

शेल्फ़ (इं.) [सं-पु.] 1. अलमारी; आला; पलैंडी 2. अलमारी का तख़्ता; निधानी।

शेव (इं.) [सं-पु.] हजामत।

शेष (सं.) [सं-पु.] 1. बाकी अंश; बचा हुआ भाग; अवशिष्ट भाग 2. (गणित) बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाने से बचा हुआ अंश 3. परिणाम; फल 4. मृत्यु; नाश 5. (पुराण) शेषनाग। [वि.] 1. बचा; अवशिष्ट; बाकी; बकाया; जो दिया जाना है 2. छोड़ा हुआ; उच्छिष्ट; जूठा 3. पूर्ण; समाप्त।

शेषधर (सं.) [सं-पु.] (पुराण) शेष नाग को धारण करने वाले शिव।

शेषनाग (सं.) [सं-पु.] (पुराण) अनेक फनों वाला सर्पराज जिसके बारे में यह कथा है कि वह पृथ्वी को अपने ऊपर धारण किए हुए है।

शेषवत (सं.) [सं-पु.] (न्यायशास्त्र) किसी परिणाम के आधार पर पूर्ववर्ती कारण या घटना के होने का अनुमान लगाने की एक विधि।

शेषशय्या (सं.) [सं-पु.] (पुराण) शेषनाग की एक मुद्रा जिसपर विष्णु शयन करते हैं।

शेषशायी (सं.) [सं-पु.] वह जो शेषनाग पर शयन करता हो; विष्णु; नारायण।

शेषांश (सं.) [सं-पु.] 1. बचा हुआ अंश या भाग; शेषभाग 2. अंतिम या आख़िरी भाग 3. बाकी हिस्सा 4. जो बिका न हो।

शेषांश पृष्ठ (सं.) [सं-पु.] (पत्रकारिता) समाचारों के प्रायः सभी शेषांशों को साथ-साथ प्रकाशित करने वाला पृष्ठ; (ब्रेकओवर पेज)।

शेषोक्त (सं.) [वि.] 1. सभी वक्तव्य या बात के बाद कहा गया कथन 2. अंत में लिखित।

शै (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. वस्तु; चीज़; पदार्थ 2. प्रेतात्मा; भूत।

शैक्षणिक (सं.) [वि.] 1. शिक्षा संबंधी; शैक्षिक; अध्ययन संबंधी; अकादमिक; (एकाडेमिक) 2. शिक्षाप्रद 3. शास्त्रीय या सैद्धांतिक।

शैक्षिक (सं.) [वि.] शिक्षा का; शिक्षा संबंधी; (एज्यूकेशनल)। [सं-पु.] 1. वह जो पढ़ा-लिखा हो 2. वह जो शिक्षा के क्षेत्र का हो; शिक्षाशास्त्री; विद्वान।

शैतान (अ.) [सं-पु.] 1. बहुत दुष्ट व्यक्ति; उपद्रवी या शरारती व्यक्ति 2. (मिथक) ईश्वर की आज्ञा न मानने वाला देवदूत जिसे स्वर्ग से निकाल दिया गया और जो मनुष्यों को कुमार्ग पर ले जाता है 3. बुरी आत्मा 4. असुर; दुरात्मा; (डैविल)।

शैतानी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. दुष्टता; शरारत 2. किसी को परेशान करने के लिए किया जाने वाला व्यवहार। [वि.] 1. शैतान का; शैतान संबंधी 2. दुष्टता से भरा हुआ; बुरा 3. आसुरी; छलपूर्ण 4. तिलिस्मी।

शैत्य (सं.) [सं-पु.] शीतल होने की अवस्था या भाव; शीतलता; ठंडक।

शैथिल्य (सं.) [सं-पु.] 1. शिथिल होने की अवस्था; शिथिलता 2. थकान 3. तत्परता का अभाव; सुस्ती।

शैदा (फ़ा.) [वि.] 1. मुग्ध; मोहित 2. प्रेमासक्त; जो किसी के प्रेम में पागल हो (व्यक्ति) 3. जिसकी सुधबुध खो चुकी हो।

शैदाई (फ़ा.) [वि.] 1. प्रेमी; प्रेमासक्त 2. रूमानी।

शैल (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत; पहाड़ 2. कठोर पत्थर; शिला; पाषाण 3. चट्टान 4. बैठने का ढंग 5. रसौत; लिसोड़ा। [वि.] 1. शिला से संबंध रखने वाला 2. पथरीला 3. कठोर; सख़्त।

शैलकुमारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पहाड़ी प्रदेश की कन्या 2. (पुराण) पार्वती; गौरी।

शैलखंड (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत या पहाड़ का कोई भाग; पर्वत का टुकड़ा 2. चट्टान का एक भाग; अंश।

शैलजा (सं.) [सं-स्त्री.] पार्वती; शैलपुत्री।

शैलपुत्री (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) दुर्गा के नौ रूपों में से एक; पार्वती; गौरी।

शैलात्मजा (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) पार्वती; गौरी।

शैलिकी (सं.) [सं-स्त्री.] दे. शैलीविज्ञान।

शैली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ढंग; तरीका; रीति 2. साहित्य के लेखन का विशिष्ट ढंग 3. कवि अथवा लेखक की अभिव्यक्ति का तरीका 4. शब्द, वाक्य आदि की रचना का विशिष्ट ढंग 5. प्रथा; रस्म; परिपाटी।

शैलीकार (सं.) [सं-पु.] किसी नई अथवा विशिष्ट चलन या शैली की रचना करने वाला व्यक्ति।

शैलीविज्ञान (सं.) [सं-पु.] (साहित्य) भाषा से कलात्मकता तथा विशिष्ट प्रभाव उत्पन्न करने की विधियों तथा तकनीकों का अध्ययन तथा विवेचन; (स्टाइलिस्टिक्स)।

शैलूष (सं.) [सं-पु.] 1. अभिनय करने वाला व्यक्ति; नाटक खेलने वाला व्यक्ति; सूत्रधार; नट 2. गंधर्वों का स्वामी; रोहितण 3. बेल वृक्ष 4. वह जो संगीत में ताल देता हो [वि.] 1. धूर्त; चालाक 2. तालधारक।

शैलेंद्र (सं.) [सं-पु.] पर्वतों का राजा; हिमालय।

शैलेय (सं.) [सं-पु.] 1. एक सुगंधित वनस्पति; छरीला 2. पहाड़ों से निकलने वाली एक काली औषधि; शिलाजीत 3. एक प्रकार का खनिज नमक; सेंधा नमक 4. सिंह; बब्बर शेर 5. काले रंग का एक पतंगा; भँवरा। [वि.] 1. पत्थर का; पथरीला 2. पत्थर से उत्पन्न 3. शिलातुल्य; पत्थर की तरह कठोर 4. जो डिगाया न जा सके; अचल।

शैलेश (सं.) [सं-पु.] 1. शैल या पर्वतों का राजा 2. सबसे ऊँचा पर्वत; हिमालय 3. शिव।

शैव (सं.) [सं-पु.] 1. शिव से संबंधित एक संप्रदाय विशेष का नाम 2. शिव के उपासक या भक्त 3. शंकराचार्य के अनुयायी 4. पाशुपत अस्त्र 5. आचारभेद तंत्र के अनुसार देवी की उपासना का एक विशेष आचार। [वि.] शिव संबंधी; शिव का।

शैवलिनी (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; सरिता।

शैवाल (सं.) [सं-पु.] 1. तालाब, नदी आदि में होने वाली लंबी घास 2. नमी में उगने वाली काई; सेवार; (एल्गी)।

शैव्या (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) कृष्ण के चार घोड़ों में से एक का नाम 2. (महाभारत) पांडवों की सेना का एक सरदार। [वि.] शिव संबंधी; शिव का।

शैशव (सं.) [सं-पु.] 1. शिशु होने की अवस्था या भाव; शिशु की अवस्था; शिशुवृत्ति 2. बचपन; लड़कपन। [वि.] 1. शिशु से संबंधित; शैशव का 2. बच्चों की अवस्था से संबंधित; बच्चों का; बाल्यावस्था संबंधी।

शैशवकालीन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिशु अवस्था का; शिशु अवस्था से संबंधित 2. लड़कपन के समय का।

शैशवावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] बचपन; शिशु की अवस्था; शिशुवृत्ति; शैशवकाल।

शैशवी (सं.) [वि.] 1. बचकाना; शिशुओं के समान 2. शिशुओं को होने वाला, जैसे- शैशवी रोग 3. शैशवकालीन; शिशु से संबंधित; शिशुओं का।

शॉक (इं.) [सं-पु.] 1. आघात; झटका; टक्कर 2. सदमा; क्षुब्धता; संक्षोभ; दहल।

शॉट (इं.) [सं-पु.] 1. फ़िल्म में कोई फ़ोटो या चित्र 2. क्रिकेट खेलते समय गेंद पर किया जाने वाला आघात।

शॉट्स (इं.) [सं-पु.] बिना किसी चूक या बाधा के एक ही बार में कैमरा बद्ध किया हुआ दृश्यांकन; शॉट का बहुवचन।

शॉर्टकट (इं.) [सं-पु.] 1. छोटा रास्ता 2. सरलतर मार्ग या पद्धति 3. संक्षिप्त मार्ग या उपाय।

शॉर्टवेव (इं.) [सं-पु.] लघु तरंग; संक्षिप्त संचार।

शॉर्टहैंड (इं.) [सं-पु.] संकेतलिपि; संक्षिप्तलिपि; शीघ्रलिपि; आशुलिपि।

शोक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी आत्मीय की मृत्यु के कारण होने वाला दुख; मातम; पीड़ा; रंज 2. अंतर्वेदना; अफ़सोस; अवसाद 3. मनोव्यथा; गम; दर्द; दुखड़ा 4. आत्मीय दुख से उपजी संवेदना 5. वियोग से मन में उठने वाली वेदना 6. करुण रस का स्थायी भाव।

शोकगीत (सं.) [सं-पु.] (साहित्य) किसी प्रिय की मृत्यु पर या किसी के घोर वियोग में लिखा गया गीत, जैसे- सरोज स्मृति।

शोकसभा (सं.) [सं-पु.] किसी व्यक्ति की मृत्यु पर श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित हुए लोग।

शोकहर (सं.) [वि.] शोक दूर करने वाला; शोकहर्ता। [सं-पु.] एक मात्रिक छंद; शुभंगी।

शोकाकुल (सं.) [वि.] 1. शोक से व्याकुल होने वाला; जो मातम में हो 2. जिसे बहुत अधिक दुख या कष्ट हो।

शोकाचार (सं.) [वि.] शोकपूर्ण व्यवहार; शोक, दुख आदि के समय किया जाने वाला व्यवहार।

शोकेस (इं.) [सं-पु.] 1. काँच की वह अलमारी जिसमें सजावटी सामान रखा जाता है 2. वस्तुओं के प्रदर्शन का स्थान।

शोख (फ़ा.) [वि.] 1. चंचल; नटखट; चपल 2. तेज़ रंग वाला; चटकीला 3. निडर; ढीठ 4. नख़रीला; छबीला 5. सुंदर (स्त्री)।

शोखी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चुलबुलापन; नटखटपन; इठलाहट; चंचलता 2. उद्दंडता; ढिठाई 3. रंग का चटकपन 4. रूप का अभिमान; नाज़-नखरा।

शोच (सं.) [सं-पु.] 1. शोक; दुख; रंज; अफ़सोस 2. पीड़ा; वेदना 3. चिंता; फ़िक्र; खटका।

शोचनीय (सं.) [वि.] 1. सोचने के योग्य 2. जिसे देखकर कष्ट या रंज हो 3. जो चिंता या फ़िक्र का विषय हो; चिंतनीय 4. अत्यधिक हीन या बुरा।

शोच्य (सं.) [वि.] 1. शोचनीय 2. जिसकी दशा देखकर दुख हो 3. जिससे दुख उत्पन्न हो; दुःखोत्पादक 4. जो बहुत हीन या बुरा हो।

शोण (सं.) [सं-पु.] 1. लाल रंग 2. लाली; अरुणता 3. अग्नि; आग 4. सिंदूर 5. रक्त; रुधिर; ख़ून 6. पद्मराग मणि; मानिक 7. रक्त पुनर्नवा 8. सोना पाठा 9. लाल गन्ना 10. एक नद का नाम 11. ललाई लिए भूरे रंग का या पिंग वर्ण का घोड़ा 12. मंगल ग्रह। [वि.] 1. लाल या गहरा लाल 2. लाख के रंग का; लालिमा युक्त भूरा 3. पीत; पीला।

शोणित (सं.) [सं-पु.] 1. ख़ून; रक्त; रुधिर 2. केसर; सिंदूर 3. ताँबा। [वि.] 1. लाल 2. रक्तवर्ण; लोहित।

शोथ (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के किसी अंग का फूलना; सूजन; शोफ 2. शरीर के किसी अंग के सूजने या फूलने का रोग।

शोध (सं.) [सं-पु.] 1. अनुसंधान; खोज; (रिसर्च) 2. शुद्धि; सफ़ाई 3. शुद्ध करने की क्रिया 4. जाँच; परीक्षण 5. दुरुस्ती; सुधार; प्रतिकार 6. {अ-अ.} चुकाना; अदा होना (ऋण आदि का)।

शोधक (सं.) [वि.] 1. शोध करने वाला; शोधार्थी; खोजी 2. शुद्ध या साफ़ करने वाला 3. कमी या त्रुटि का पता लगाने वाला 4. जाँच करने वाला 5. अदा करने वाला (ऋण)।

शोधकर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो शोधकार्य कर रहा हो 2. अनुसंधान करने वाला व्यक्ति; अन्वेषक।

शोधन (सं.) [सं-पु.] 1. शुद्धि करने की क्रिया या भाव 2. अशुद्धि, त्रुटि, भूल आदि को दूर करके दुरुस्त करना; सुधारना; संशोधन; (करेक्शन) 3. खोज का कार्य; अन्वेषण 4. ऋण, देन आदि चुकाने की क्रिया; (पेमेंट) 5. परीक्षण; जाँच 6. विरेचन। [वि.] साफ़ करने वाला; शुद्धिकर्ता।

शोधना (सं.) [क्रि-स.] 1. शुद्ध या साफ़ करना; मैला आदि निकालकर स्वच्छ करना 2. दुरुस्त या ठीक करना; त्रुटि या दोष दूर करना; सुधारना 3. औषधि के लिए धातु का संस्कार करना 4. ढूँढ़ना; खोजना; अन्वेषण करना; तलाश करना।

शोधनीय (सं.) [वि.] 1. शोधन के योग्य 2. जिसका अनुसंधान या शोध किया जाना हो 3. जिसे चुकाया या अदा किया जाना हो।

शोधपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय पर पर्याप्त अनुंसधान के बाद लिखा गया आलेख या पत्र 2. सेमिनार आदि में पढ़ा जाने वाला शोधपरक आलेख।

शोधप्रबंध (सं.) [सं-पु.] विश्वविद्यालय से शोध-उपाधि प्राप्त करने के लिए लिखा गया शोधपूर्ण ग्रंथ; शोधग्रंथ; अनुसंधानपरक ग्रंथ; (थिसिस)।

शोधवाना [क्रि-स.] 1. शोधने का काम कराना; शुद्ध कराना; दुरुस्त कराना 2. ढुँढ़वाना; तलाश कराना 3. मुहूर्त दिखवाना।

शोधाई [सं-स्त्री.] 1. शुद्ध या दुरुस्त करने की क्रिया या भाव 2. शुद्ध या दुरुस्त करने की मज़दूरी।

शोधार्थी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो किसी विश्वविद्यालय से शोध आदि कार्य कर रहा हो; शोधक; (रिसर्च स्कॉलर) 2. किसी विषय पर अनुसंधान करने वाला व्यक्ति।

शोधित (सं.) [वि.] 1. जिसका शोध हुआ हो; अन्वेषित; अनुसंधानित 2. जिसका शोधन हुआ हो; शुद्ध या साफ़ किया हुआ 3. सुधारा हुआ; संशोधित; (करेक्टेड) 4. चुकाया हुआ (ऋण; देन)।

शोधी (सं.) [वि.] 1. शोध करने वाला; ढूँढ़ने वाला 2. शुद्ध या दुरुस्त करने वाला।

शोध्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें शुद्धि की आवश्यकता हो 2. जिसके संबंध में खोज या शोध की आवश्यकता हो; शोधनीय। [सं-पु.] वह व्यक्ति जो अपने ऊपर लगाए गए अभियोग के संबंध में सफ़ाई दे; वह जिसपर अभियोग लगाया गया हो; अभियुक्त।

शोबदा (अ.) [सं-पु.] 1. जादू; इंद्रजाल; माया 2. नज़रबंदी 3. हाथ की सफ़ाई; करतब; बाज़ीगरी 4. छल; धोखा; फ़रेब।

शोबदेबाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. शोबदा करने वाला; बाज़ीगर 2. धूर्त; छलिया 3. जादूगर।

शोभन (सं.) [वि.] 1. सुंदर; शोभायुक्त; दीप्त; मनोहर; सजीला; सुहावना; रमणीय 2. उत्तम; अच्छा; भला; श्रेष्ठ 3. सदाचारी; पुण्यात्मा 4. उचित; उपयुक्त; सुहाता हुआ 5. शुभ; मंगलदायक। [सं-पु.] 1. आभूषण; गहना 2. मंगल; कल्याण; शुभ 3. दीप्ति; सौंदर्य।

शोभना (सं.) [सं-पु.] 1. रूपवान स्त्री 2. हल्दी; हरिद्रा 3. गोरोचन। [क्रि-अ.] 1. शोभित होना 2. शोभा देना।

शोभनीय (सं.) [वि.] 1. सुंदर; शोभा देने वाला 2. अच्छा; अलंकृत; दीप्तिमान; जो फब रहा हो 3. उत्तम; उचित।

शोभा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कांति; चमक 2. सजावट; छवि 3. सुंदरता; सौंदर्य 4. ख़ूबसूरती बढ़ाने वाली कोई चीज़; सौंदर्यवर्धक तत्व 5. अच्छा गुण।

शोभांजन (सं.) [सं-पु.] सहजन का वृक्ष।

शोभाकारी (सं.) [वि.] सुंदर; जो देखने में अच्छा हो; बढ़िया।

शोभायमान (सं.) [वि.] 1. सुशोभित; शोभित; सुंदर; शोभा प्रदान करता हुआ 2. विराजमान।

शोभायात्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी मांगलिक अवसर पर निकलने वाला जलूस; जनयात्रा 2. बरात।

शोभित (सं.) [वि.] 1. शोभा या सौंदर्य बढ़ाने वाला; शोभायुक्त 2. सजा हुआ; सज्जित 3. विराजमान।

शोर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कर्णकटु; ऊँची और तीखी आवाज़ 2. चीखने-चिल्लाने की आवाज़; कोलाहल 3. एकाधिक व्यक्ति के एक साथ बोलने या चर्चा करने से होने वाली ध्वनि।

शोरगुल (फ़ा.) [सं-पु.] लोगों के चीखने-चिल्लाने आदि की सामूहिक ध्वनि; कोलाहल; हल्ला।

शोरबा (फ़ा.) [सं-पु.] तरकारी, दाल या पकाए मांस आदि का रसा; सालन।

शोर-शराबा (फ़ा.) [सं-पु.] भीषण शोर; कोलाहल; धूम; हो-हल्ला; शोरगुल।

शोरा (फ़ा.) [सं-पु.] मिट्टी से निकलने वाला एक प्रकार का सफ़ेद रंग का क्षार।

शोरूम (इं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ विक्रय के लिए वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाता है; प्रदर्शनकक्ष।

शोला (अ.) [सं-पु.] 1. आग की ज्वाला; लपट; लौ 2. अंगारा 3. एक तरह का छोटा पेड़।

शोशा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. निकली हुई नोक 2. अनोखी बात 3. दोष 4. व्यंग्य में कही गई ऐसी बात जिससे झगड़ा होने की संभावना हो।

शोशेबाज़ (फ़ा.) [सं-पु.] विलक्षण या शरारत भरी बातें करने वाला व्यक्ति।

शोषक (सं.) [सं-पु.] 1. शोषण करने वाला व्यक्ति 2. समाज का वह वर्ग जो दूसरे वर्ग का शोषण करता है। [वि.] 1. सोखने वाला; सुखाने वाला 2. अपने आर्थिक हितों या स्वार्थ के लिए दूसरों के धन या संसाधन पर कब्ज़ा करने वाला 3. दूर करने या हटाने वाला।

शोषण (सं.) [सं-पु.] 1. सोखना या चूसना 2. मुरझाना; सुखाना; कुम्हलाना 3. किसी के धन तथा संसाधन आदि से अनुचित लाभ उठाना 4. कर्मचारियों-श्रमिकों पर होने वाला शारीरिक और मानसिक अत्याचार।

शोषित (सं.) [वि.] 1. जिसका शोषण किया गया हो 2. जिसे सोखा गया हो 3. जिसे चूसा गया हो 4. जिससे किसी ने अनुचित लाभ उठाया हो (व्यक्ति, वर्ग) 5. ख़त्म या नष्ट किया हुआ। [सं-पु.] शोषण का शिकार होने वाला व्यक्ति।

शोषी (सं.) [वि.] 1. शोषण करने वाला 2. सोखने वाला 3. सुखाने वाला।

शोहदा (अ.) [सं-पु.] 1. गुंडा; बदमाश 2. व्यभिचारी; लंपट; बदचलन 3. आवारा।

शोहरत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. प्रसिद्धि; ख्याति 2. व्यापक चर्चा।

शोहरा (अ.) [सं-पु.] कीर्ति; प्रसिद्धि; शोहरत।

शौंडिक (सं.) [सं-पु.] प्राचीनकाल की एक जाति जिसका व्यवसाय मद्य बनाना और बेचना था। [वि.] शराब का व्यवसायी।

शौक (अ.) [सं-पु.] 1. प्रसन्नता और मनोविनोद के लिए कोई काम बार-बार करने की तीव्र चाह या प्रबल लालसा; आनंददायक कार्य करने की लालसा या अभिरुचि; (हॉबी) 2. किसी कार्य या खेल में विशेष रुचि या प्रवृत्ति, जैसे- शतरंज खेलने का शौक 3. चसका; व्यसन 4. सुखभोग 5. धुन; लय।

शौकत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बल; शक्ति; ताकत 2. आतंक; रोब; दबदबा 3. शान; गौरव।

शौकिया (अ.) [क्रि.वि.] 1. शौक से; शौक के कारण 2. मन-बहलाव के लिए। [वि.] शौक से भरा हुआ।

शौकीन (अ.) [वि.] 1. किसी काम, बात या वस्तु का शौक रखने वाला 2. सदा सुसज्जित रहने वाला; बनाठना रहने वाला 3. व्यसनी।

शौकीनी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी काम या बात का अत्यधिक शौक 2. शौकीन होने की अवस्था या भाव 3. हमेशा सजधज कर रहने की चाह।

शौच (सं.) [सं-पु.] 1. आतंरिक या बाह्य शुचिता; शुद्धता; पवित्रता 2. पाख़ाना (लैटरिन) जाना 3. सुबह सोकर उठने के बाद किया जाने वाला कुल्ला और शारीरिक स्वच्छता आदि का काम 4. शास्त्रानुसार सब तरह से पवित्र जीवन बिताना 5. (प्रथा) मृत व्यक्ति के सूतक से शुद्धिकरण।

शौचघर (सं.) [सं-पु.] शौचालय; पाख़ाना; टट्टी; (लैटरिन)।

शौचालय (सं.) [सं-पु.] शौच या मल-मूत्र त्यागने के लिए बनाया गया स्थान; पाख़ाना; संडास; टट्टी।

शौरसेनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शौरसेन प्रदेश की भाषा 2. शौरसेन प्रांत की प्राचीन प्राकृत भाषा जिससे आधुनिक खड़ी बोली का विकास हुआ है।

शौर्य (सं.) [सं-पु.] 1. शूर होने की अवस्था, भाव या धर्म 2. शूरता; पराक्रम; वीरता 3. शूरतापूर्ण कार्य 4. नाटक की आरभटी वृत्ति।

शौर्यवान (सं.) [वि.] 1. शूरवीर; योद्धा 2. साहसी; बली।

शौल्किक (सं.) [सं-पु.] वह अधिकारी जो लोगों से शुल्क लेता हो; कर या महसूल आदि वसूल करने वाला अफ़सर; शुल्काध्यक्ष।

शौहर (फ़ा.) [सं-पु.] वह पुरुष जिससे किसी स्त्री का विवाह हुआ हो; पति; ख़सम; खाविंद; (हसबेंड)।

श्मशान (सं.) [सं-पु.] 1. शव या मुरदे जलाने का स्थान; मरघट; मसान 2. कब्रिस्तान 3. {ला-अ.} उजड़ा हुआ या वीरान स्थान।

श्मशान घाट (सं.) [वि.] 1. वह स्थान जहाँ शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है 2. मरघट; मसान 3. नदी के किनारे का ऐसा घाट जहाँ शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है।

श्मशान-यात्रा (सं.) [सं-स्त्री.] मृतक शरीर का मसान या मरघट ले जाया जाना; अरथी का श्मशान ले जाया जाना।

श्मश्रु (सं.) [सं-पु.] दाढ़ी एवं मूँछ।

श्याम (सं.) [वि.] 1. काला; कृष्ण; काला-नीला मिला हुआ 2. साँवला। [सं-पु.] 1. कृष्ण का एक नाम 2. काला रंग 3. बादल 4. कोयल।

श्यामकर्ण (सं.) [वि.] 1. जिसका शरीर सफ़ेद व कान काला हो (घोड़ा) 2. शुभ; मंगल।

श्यामकल्याण (सं.) [सं-पु.] (संगीत) रात के पहले पहर में गाया जाने वाला ओड़व संपूर्ण जाति का एक राग।

श्यामकृष्ण (सं.) [सं-पु.] कालापन लिए हुए नीला रंग। [वि.] कालापन लिए हुए नीले रंगवाला।

श्यामघन (सं.) [सं-पु.] 1. बादल के समान श्याम वर्ण 2. कृष्ण; घनश्याम।

श्यामता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्याम होने की अवस्था या भाव 2. एक रोग जिसमें शरीर का रंग काला होने लगता है 3. कालापन; कालिमा 4. उदास होने या किसी काम में मन न लगने की अवस्था या भाव; उदासी; खिन्नता 5. मलिन होने की अवस्था या भाव; मलिनता; गंदगी।

श्यामपट (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का काला पत्थर जिसपर लिख कर शिक्षक समझाते हैं; (ब्लैक बोर्ड)।

श्यामल (सं.) [वि.] 1. साँवला; श्याम रंग वाला 2. धुंधला। [सं-पु.] 1. भौंरा; भ्रमर 2. पीपल 3. काली मिर्च; काला रंग।

श्यामला (सं.) [वि.] 1. हलकी काली या कुछ-कुछ काली; साँवली 2. श्याम या कृष्ण वर्णवाला।

श्यामसुंदर (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) कृष्ण का एक नाम 2. एक प्रकार का वृक्ष।

श्यामा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. राधिका का एक नाम 2. श्याम रंग वाली स्त्री 3. रात्रि 4. काली; कालिका 5. यमुना नदी 6. कस्तूरी 7. सोलह वर्ष की तरुणी स्त्री; सुंदर स्त्री 8. कोयल 9. कबूतरी 10. तुलसी 11. गोरोचन। [वि.] 1. श्याम रंग वाली; काली 2. साँवली (स्त्री)।

श्याल (सं.) [सं-पु.] पत्नी का भाई; साला।

श्येन (सं.) [सं-पु.] 1. बाज़ 2. पीला रंग; पांडुर वर्ण 3. श्वेत वर्ण; सफ़ेद रंग 4. धवलिमा; श्वेतता 5. हिंसा 6. अश्व; घोड़ा 7. एक प्रकार का सैनिक व्यूह 8. एक पौराणिक ऋषि। [वि.] पीले रंग का।

श्र हिंदी वर्णमाला में 'श्+र' का संयुक्त वर्ण।

श्रद्धा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पर किया जाने वाला विश्वास; भक्ति; आस्था 2. किसी के प्रति आदर, सम्मान और स्नेह का भाव 3. (बौद्ध धर्म) बुद्ध, धर्म और संघ में विश्वास 4. एक प्रकार की मनोवृत्ति; पूज्यभाव 5. शुद्धि; चित्त की प्रसन्नता 6. (पुराण) वैवस्वत मनु की पत्नी; कामायनी 7. घनिष्ठता; परिचय 8. गर्भवती स्त्री के मन की अभिलाषा 9. प्रबल या उत्कट इच्छा।

श्रद्धांजलि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंजली में फूल आदि भरकर श्रद्धा से किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को चढ़ाना 2. किसी मृत व्यक्ति की स्मृति में आदरपूर्ण कथन; (होमेज)।

श्रद्धामय (सं.) [वि.] 1. श्रद्धा की अवस्था या भाव 2. आदर या स्नेह से पूर्ण 3. श्रद्धायुक्त।

श्रद्धालु (सं.) [वि.] जिसके मन में श्रद्धा हो; श्रद्धावान।

श्रद्धावान (सं.) [वि.] जिसके मन में श्रद्धा हो; श्रद्धायुक्त।

श्रद्धासिक्त (सं.) [वि.] श्रद्धा से अभिभूत।

श्रद्धास्पद (सं.) [वि.] जिसके प्रति श्रद्धा की जा सके; श्रद्धापात्र; श्रद्धेय; पूजनीय; अवधेय।

श्रद्धेय (सं.) [वि.] 1. जिसके प्रति श्रद्धा हो 2. श्रद्धा के योग्य; श्रद्धास्पद 3. विश्वसनीय 4. पूजनीय।

श्रम (सं.) [सं-पु.] 1. परिश्रम; मेहनत 2. ऐसा कार्य जो शरीर को थका देने वाला हो 3. थकावट; श्रांति 4. कसरत; व्यायाम 5. प्रयत्न; तपस्या।

श्रमकण (सं.) [सं-पु.] परिश्रम करने पर शरीर से निकलने वाली पसीने की बूँद; स्वेदबिंदु।

श्रमजल (सं.) [सं-पु.] परिश्रम अथवा गरमी के कारण शरीर की त्वचा के छिद्रों से निकलने वाला द्रव; पसीना; स्वेद; प्रस्वेद।

श्रमजीवी (सं.) [वि.] 1. मज़दूरी करके जीविका चलाने वाला (श्रमिक, मज़दूर) 2. शारीरिक या बौद्धिक श्रम करने वाला।

श्रमण (सं.) [सं-पु.] 1. बौद्ध या जैन मतावलंबी संन्यासी 2. यति; मुनि 3. श्रमजीवी; मज़दूर 4. भिक्षुक।

श्रमणा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रम करने वाली स्त्री 2. सुंदर स्त्री 3. जटामासी; मुंडी नामक वनस्पति 4. सुदर्शना नामक औषधि।

श्रमदान (सं.) [सं-पु.] 1. बिना पैसे का श्रम का दान 2. मेहनत या परिश्रम का दान 3. निर्माण कार्य में स्वेच्छा से सहयोग देना 4. अवैतनिक सेवा।

श्रमदानी (सं.) [वि.] 1. श्रम का दान करने वाला 2. श्रम दान से संबंधित।

श्रमबिंदु (सं.) [सं-पु.] श्रम के कारण शरीर से निकलने वाला द्रव्य; पसीना; श्रमकण; स्वेद; प्रस्वेद।

श्रमवारि (सं.) [सं-पु.] परिश्रम के कारण शरीर से निकलने वाला द्रव्य; पसीना; श्रमकण; स्वेद; प्रस्वेद।

श्रम विभाग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य के भिन्न-भिन्न अंगों के संपादन के लिए अलग-अलग व्यक्तियों की नियुक्ति; परिश्रम या काम का विभाग 2. श्रमिकों के हित आदि से संबंधित मामलों की देखभाल करने वाला सरकारी विभाग या महकमा 3. काम का बँटवारा।

श्रमशील (सं.) [वि.] परिश्रमी; मेहनती।

श्रम-संपदा (सं.) [सं-स्त्री.] मज़दूर या कार्मिक समूह।

श्रमसाध्य (सं.) [वि.] 1. जो कठिन परिश्रम से प्राप्त होता हो 2. जिसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़े 3. थका देने वाला (काम)।

श्रमसीकर (सं.) [सं-पु.] पसीना; श्रमविंदु; श्रमजल; स्वेद; प्रस्वेद।

श्रमिक (सं.) [सं-पु.] 1. श्रम करने वाला व्यक्ति; मज़दूर; मेहनतकश 2. श्रम से आजीविका चलाने वाला व्यक्ति।

श्रमिक वर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. मज़दूरी कर अपनी आजीविका चलाने वाला कामगार वर्ग 2. मज़दूरी करने वाले लोगों का वर्ग।

श्रमित (सं.) [वि.] जिसने श्रम किया हो; श्रांत; थका हुआ।

श्रवण (सं.) [सं-पु.] 1. सुनने की क्रिया या भाव 2. सुनना 3. सुनने की इंद्रिय; कान; कर्ण 4. सुनने से उत्पन्न ज्ञान।

श्रवणपालि (सं.) [सं-स्त्री.] कान का नीचे लटकने वाला कोमल भाग; पाली।

श्रवण-शक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] सुनने का सामर्थ्य या क्षमता।

श्रवणीय (सं.) [वि.] 1. सुनने या श्रवण योग्य 2. सुनने में मधुर।

श्रवणेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कान; कर्ण 2. शरीर का वह अंग जिससे किसी प्रकार की ध्वनि सुनी जाती है।

श्रवना (सं.) [क्रि-स.] 1. बहना 2. टपकना; चूना 3. रिसना।

श्रव्य (सं.) [वि.] 1. जिसे सुना जा सके 2. सुनने योग्य।

श्रव्यकाव्य (सं.) [सं-पु.] केवल सुनने योग्य काव्य।

श्रांत (सं.) [वि.] 1. थका हुआ 2. दुखी; खिन्न 3. शांत 4. तृप्त 5. अपने इंद्रियों को वश में करने वाला।

श्रांति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रम; परिश्रम; मेहनत 2. थकावट 3. खेद; दुख।

श्राद्ध (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो श्रद्धापूर्वक किया जाए 2. पितरों अथवा मृत व्यक्तियों के लिए किया जाने वाला धार्मिक कर्मकांड; पिंडदान, अन्नदान आदि। [वि.] 1. श्रद्धा से युक्त; श्रद्धा से संबंधित 2. श्रद्धा का।

श्राप (सं.) [सं-पु.] किसी के अनिष्ट की कामना से कहा हुआ शब्द या वाक्य; बुरा या अनिष्टकारी वाक्य; अभिशाप; बददुआ।

श्रावक (सं.) [सं-पु.] 1. बौद्ध या जैन धर्म को मानने वाला संन्यासी 2. जैन धर्म का अनुयायी; जैनी 3. दूर से आने वाली आवाज़; दूर का शब्द 4. कौआ; काक 5. छात्र; शिष्य। [वि.] श्रोता; सुनने वाला।

श्रावगी (सं.) [सं-पु.] जैन धर्म को मानने वाला; जैनी।

श्रावण (सं.) [सं-पु.] आषाढ़ के बाद और भादों के पहले का महीना; सावन। [वि.] 1. कर्ण या कान से संबंधित 2. श्रवण संबंधी; कान का 3. श्रवण नक्षत्र से संबंधित; श्रवण नक्षत्र का।

श्रावणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रवण नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा; सावन मास की पूर्णमासी; रक्षाबंधन का त्योहार 2. मुंडी; घुंडा 3. भुइँ कदंब।

श्रावित (सं.) [वि.] 1. कहा हुआ; कथित 2. बताया हुआ 3. सुनाया हुआ।

श्राव्य (सं.) [वि.] 1. सुनाई पड़ने योग्य 2. आवश्यक या उपयोगी तथ्य जिसे लोग सुनना पसंद करें।

श्री (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पुरुषों के नाम के आगे लगाया जाने वाला आदर सूचक शब्द 2. (पुराण) धन-संपत्ति की लक्ष्मी; कमला 3. संपत्ति; धन 4. माथे पर लगाई जाने वाली बिंदी 5. धर्म, अर्थ और काम का त्रिवर्ग 6. कांति; चमक 7. वैभव; कीर्ति; यश 8. शोभा; सौंदर्य 9. गौरव। [सं-पु.] (संगीत) शरद ऋतु में गाया जाने वाला एक राग।

श्रीकांत (सं.) [सं-पु.] (पुराण) लक्ष्मी के पति; विष्णु; कमलापति।

श्रीखंड (सं.) [सं-पु.] 1. दही से बनाया जाने वाला एक प्रकार का मीठा खाद्य 2. चंदन; हरिचंदन।

श्रीगणेश (सं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्य का प्रारंभ 2. आरंभ; सूत्रपात्र 3. (पुराण) शिव-पार्वती के पुत्र का नाम।

श्रीदामा (सं.) [सं-पु.] (पुराण) कृष्ण के एक ग्वाल सखा का नाम; सुदामा।

श्रीधर (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) विष्णु का एक नाम 2. शालग्राम; शिलाचक्र 3. जैनियों के सातवें तीर्थंकर; श्रीधर स्वामी।

श्रीधाम (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) विष्णु का निवास स्थान; वैकुंठ 2. कमल।

श्रीनाथ (सं.) [सं-पु.] (पुराण) विष्णु का एक नाम।

श्रीपति (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) लक्ष्मी के पति; विष्णु; नारायण; हरि 2. रामचंद्र; कृष्ण 3. कुबेर 4. पृथ्वीपति; नृप; राजा।

श्रीफल (सं.) [सं-पु.] 1. नारियल 2. बेल का फल और पेड़ 3. धन।

श्रीमंत (सं.) [वि.] 1. श्रीमान; धनवान; धनाढ्य; धनी 2. सुंदर; सौंदर्यशाली। [सं-पु.] 1. एक प्रकार का शिरोभूषण 2. स्त्रियों के सिर की माँग।

श्रीमती (सं.) [वि.] विवाहित स्त्रियों के नाम के पहले जोड़ा जाने वाला आदरसूचक शब्द। [सं-स्त्री] पत्नी।

श्रीमान (सं.) [सं-पु.] पुरुषों के नाम के आगे लगाया जाने वाला आदरसूचक शब्द। [वि.] 1. अमीर; धनवान 2. शोभायुक्त 3. गौरवशाली।

श्रीमुख (सं.) [सं-पु.] 1. शोभित या सुंदर मुख 2. बृहस्पति के साठ संवत्सरों में से सातवाँ संवत्सर 3. विष्णु का मुख; वेद 4. रवि; सूर्य 5. वह पत्र, लेख आदि जिसके प्रारंभ में स्वस्ति वाचक शब्द 'श्री' लिखा हुआ हो।

श्रीयुक्त (सं.) [वि.] 1. जिसमें श्री या शोभा हो 2. लक्ष्मीवान; धनाढ्य।

श्रीयुत (सं.) [वि.] 1. जिसमें श्री या शोभा हो 2. एक आदर-सूचक विशेषण, जो बड़े आदमियों के नाम के साथ लगाया जाता है।

श्रीरमण (सं.) [सं-पु.] 1. (संगीत) एक मिश्र राग जो शंकराभरण और मालश्री को मिलाकर बनाया गया है 2. विष्णु।

श्रीवत्स (सं.) [सं-पु.] 1. भृगु के पैरों के चिह्न जो विष्णु की छाती पर हैं; भृगुरेखा; भृगुलता 2. सुरंग 3. सेंध का एक प्रकार।

श्रीवास्तव (सं.) [सं-पु.] कायस्थों में एक कुलनाम या सरनेम।

श्रीवृद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धन की वृद्धि 2. ऐश्वर्य, वैभव, शोभा या सौंदर्य की बढ़ोत्तरी।

श्रीश (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं के एक प्रमुख देवता जो सृष्टि का पालन करने वाले माने जाते हैं; विष्णु; कमलापति; कमलेश।

श्रीहत (सं.) [वि.] 1. जिसकी शोभा नष्ट हो गई हो 2. जो तेज से हीन हो; जिसमें तेज न हो; निस्तेज; बुझा हुआ।

श्रीहीन (सं.) [वि.] 1. धनरहित 2. ऐश्वर्य, शोभा आदि से वंचित; शोभाहीन 3. कांतिहीन 4. कीर्ति या यश से रहित।

श्रीहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] शोभा से रहित होने की अवस्था; शोभाहीन।

श्रुत (सं.) [वि.] 1. सुना हुआ; जो श्रवणगोचर हुआ हो 2. जिसे परंपरा से सुनते आते हों 3. ज्ञात; प्रसिद्ध; ख्यात 4. सीखा हुआ; समझा हुआ 5. प्रतिज्ञात। [सं-पु.] 1. सुनने का विषय; श्रुतिविषय शब्दादि 2. वेद 3. विद्या 4. सुनने की क्रिया।

श्रुतपूर्व (सं.) [वि.] जो पूर्व में सुना गया हो; जाना-बूझा; पूर्वश्रुत।

श्रुतलेख (सं.) [सं-पु.] सुनकर लिखा जाने वाला लेख; इमला; अनुलेखन।

श्रुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुनने की क्रिया या भाव 2. श्रवण इंद्रिय; कान 3. ध्वनि; शब्द; आवाज़ 4. वेद 5. सुनी हुई बात; किंवदंती; अफ़वाह 6. संगीत के सात स्वरों में से प्रत्येक स्वर के कुछ निश्चित खंड या विभाग 7. उक्ति या कथन 8. वेद की ऋचाएँ।

श्रुतिकटु (सं.) [वि.] जो सुनने में कठोर और कर्कश हो; दुश्रवत्व।

श्रुति-ज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. वह ज्ञान जो सुनकर प्राप्त होता है 2. वेद या शास्त्र का ज्ञान।

श्रुतिपथ (सं.) [सं-पु.] 1. श्रवण मार्ग; श्रवणेंद्रिय; कर्णपथ; कान; श्रवण 2. वेदविहित मार्ग; सन्मार्ग।

श्रुत्य (सं.) [सं-पु.] ख्याति दिलाने वाला कार्य। [वि.] 1. सुना जाने योग्य 2. प्रसिद्ध 3. प्रशस्त।

श्रुत्यनुप्रास (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) अनुप्रास के पाँच भेदों में से एक; वह अनुप्रास जिसमें एक ही स्थान से उच्चरित होने वाले व्यंजन दो या अधिक बार आएँ।

श्रेढ़ी (सं.) [सं-स्त्री.] किसी निरूपित नियम के अनुसार क्रमबद्ध पदों की कड़ी, जिसमें सभी पद परस्पर धनात्मक या ऋणात्मक चिह्नों द्वारा जुड़े होते हैं; गणना की एक विधि; (प्रोग्रेशन)।

श्रेणिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. डेरा; खेमा; तंबू 2. एक छंद का नाम 3. एक तृण।

श्रेणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पंक्ति; कतार 2. क्रम; शृंखला 3. समुदाय; समूह 4. सीढ़ी 5. वर्ग; कोटि।

श्रेणीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. वर्गीकरण; अनुक्रमण; कटिबंध 2. बहुत-सी वस्तुओं, व्यक्तियों आदि को क्रम से लगाने या बाँटने की क्रिया 3. व्यवस्थित या क्रमबद्ध रूप से रखने का कार्य।

श्रेणीकृत (सं.) [वि.] क्रम से लगाया हुआ; सजाया हुआ।

श्रेणीबंधन (सं.) [सं-पु.] विभिन्न वस्तुओं, व्यक्तियों आदि को अलग-अलग श्रेणियों में रखना या बाँटना; श्रेणीकरण।

श्रेणीबद्ध (सं.) [वि.] 1. एक शृंखला या कड़ी में बँधा हुआ 2. एक वर्ग या क्रम में स्थित; दलबद्ध।

श्रेणीवार (सं.) [वि.] श्रेणी के अनुसार; बारी-बारी से।

श्रेय (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छाई; उत्तमता 2. मोक्ष; धर्म 3. शुभ; मंगल 4. सुख; पुण्य 5. यश। [वि.] 1. श्रेष्ठ; सर्वोत्तम 2. उपयुक्त 3. मंगलमय 4. वांछनीय।

श्रेयस्कर (सं.) [वि.] 1. कल्याण करने वाला; शुभदायक 2. श्रेष्ठ।

श्रेष्ठ (सं.) [वि.] 1. सर्वोत्तम; उत्कृष्ट; जो सबसे अच्छा हो 2. जो उच्च मानवीय गुणों से युक्त हो (व्यक्ति)।

श्रेष्ठक (सं.) [वि.] 1. श्रेष्ठ होने का सूचक 2. श्रेष्ठ से संबंधित।

श्रेष्ठक भावना (सं.) [सं-स्त्री.] वह भावना या धारणा जिसमें स्वयं को अन्य की अपेक्षा श्रेष्ठ समझा जाए; (सुपीरियारटी कॉम्प्लेक्स)।

श्रेष्ठतम (सं.) [वि.] सबसे श्रेष्ठ; उत्तम; अनुपम; (बेस्ट)।

श्रेष्ठतर (सं.) [वि.] 1. अच्छे से बढ़कर; अधिक श्रेष्ठ 2. सर्वोत्कृष्ट।

श्रेष्ठता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रेष्ठ होने की अवस्था, गुण या भाव 2. उत्तमता; गुरुता 3. श्रेष्ठत्व।

श्रेष्ठी (सं.) [सं-पु.] 1. व्यापारियों या वणिकों का मुखिया 2. प्रतिष्ठित व्यवसायी 3. महाजन; सेठ 4. बड़ा व्यापारी; श्रेष्ठ व्यापारी।

श्रोण (सं.) [वि.] पंगु; खंज; विकलांग।

श्रोणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कटि; कमर 2. चूतड़; नितंब 3. मध्य भाग; कटि प्रदेश 4. पंथ; मार्ग।

श्रोत (सं.) [सं-पु.] 1. कर्ण; कान 2. किसी नदी का वेग या स्रोत।

श्रोतव्य (सं.) [वि.] जो सुनने के योग्य हो; जिसे सुना जाना हो।

श्रोता (सं.) [सं-पु.] 1. सुनने वाला व्यक्ति 2. किसी सभा आदि में हो रहे भाषण आदि को सुनने वाला व्यक्ति या समूह।

श्रोतागण (सं.) [सं-पु.] सुनने वाले लोग; श्रोताओं का समूह; श्रोतृवर्ग।

श्रोतृवर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. श्रोताओं का समूह; श्रोतागण 2. कथा, उपदेश आदि सुनने वाले लोग या समाज।

श्रोत्र (सं.) [सं-पु.] 1. श्रवणेंद्रिय; कान 2. वेदज्ञान; वेद में निपुणता; वेद संबंधी प्रवीणता 3. वेद।

श्रोत्रिय (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो वेद-वेदांग में पारंगत हो; वेदज्ञ 2. ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम। [वि.] 1. वेदज्ञ; वेद में पारंगत 2. सभ्य; शिष्ट; सुसंस्कृत।

श्रौत (सं.) [वि.] 1. श्रवण संबंधी; कर्ण संबंधी 2. श्रुति या वेद संबंधी 3. श्रुतिविहित; वेद प्रतिपादित; जो वेद के अनुसार हो 4. यज्ञ संबंधी।

श्लथ (सं.) [वि.] 1. शिथिल; ढीला 2. ढीला किया हुआ 3. बिखरा हुआ 4. मंद; धीमा 5. कमज़ोर; दुर्बल।

श्लाघनीय (सं.) [वि.] 1. प्रशंसनीय 2. सम्माननीय 3. जो प्रशंसा के योग्य हो 4. श्लाघ्य।

श्लाघा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मप्रशंसा 2. बड़ाई; तारीफ़ 2. चापलूसी 3. चाटुकारिता भरी बात।

श्लाघी (सं.) [वि.] 1. जिसे श्लाघा या दर्प हो; अहंकार करने वाला; मदोद्धत; अभिमानी; प्रगल्भ; धृष्ट; डींग हाँकने वाला 2. प्रख्यात; प्रसिद्ध।

श्लाघ्य (सं.) [वि.] 1. प्रशंसनीय; प्रशंसा के योग्य 2. सम्माननीय।

श्लिष्ट (सं.) [वि.] 1. जो जुड़ा, सटा या लगा हुआ हो; संयुक्त; संबद्ध 2. जिसके दो अर्थ हों; श्लेषयुक्त; द्विअर्थी 3. अच्छी तरह जमा हुआ; चिपका हुआ 4. आलिंगित 5. टिका हुआ 6. झुका हुआ।

श्लीपद (सं.) [सं-पु.] एक रोग जिसमें पैर फूलकर हाथी के पैर के समान हो जाता है; हाथीपाँव; फीलपाँव।

श्लील (सं.) [वि.] 1. जो अश्लील न हो; उत्तम; श्रेष्ठ 2. भाग्यशाली; मंगलदायक; शुभ 3. शोभायुक्त।

श्लेष (सं.) [सं-पु.] 1. संयोग; मिलाप 2. लगाव; जुड़ाव; सटाव 3. आलिंगन; परिरंभण 4. (काव्यशास्त्र) एक शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ होना 5. एक शब्दालंकार।

श्लेषचित्र (सं.) [सं-पु.] 1. द्विअर्थी चित्र 2. कूट चित्र।

श्लेषण (सं.) [सं-पु.] 1. मिलाना; जोड़ना; एक में सटाना; संयुक्त करना 2. परिरंभण; आलिंगन।

श्लेषव क्रोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) वक्रोक्ति अलंकार का एक भेद।

श्लेषोपमा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) श्लेष अलंकार का एक भेद।

श्लेष्मक (सं.) [सं-पु.] 1. श्लेष्मा ग्रंथि से निकलने वाला एक तरल पदार्थ 2. कफ़; बलगम; श्लेष्मा।

श्लेष्मा (सं.) [सं-पु.] 1. कफ़; बलगम 2. श्लेष्मा ग्रंथि से निकलने वाला एक तरल पदार्थ 3. बाँधने के काम आने वाली रस्सी या डोरी 4. चिपचिपा रस देने वाला वृक्ष; लिसोड़ा।

श्लेष्मीय (सं.) [वि.] 1. जो श्लेष्मा से युक्त हो 2. जिसमें कफ़ या बलगम हो।

श्लोक (सं.) [सं-पु.] 1. ध्वनि; शब्द; आवाज़ 2. प्रशंसा; स्तुति 3. यश; कीर्ति 4. पुकार; आह्वान 5. संस्कृत का कोई पद्य।

श्वपच (सं.) [सं-पु.] 1. श्मशान में शव को आग देने या बाँस आदि के पात्र बनाने का कार्य करने वाला व्यक्ति; चांडाल 2. वधिक; जल्लाद 3. कुत्ते को खिलाने वाला व्यक्ति 4. {अ-अ.} कुत्ते का मांस पकाकर खाने वाला व्यक्ति।

श्वश्रू (सं.) [सं-स्त्री.] पति या पत्नी की माता; श्वसुर की स्त्री; सास।

श्वसन (सं.) [सं-पु.] 1. साँस लेने तथा छोड़ने की क्रिया; (रेस्परेशन) 2. निश्वास।

श्वसित (सं.) [वि.] 1. श्वासमय; श्वासयुक्त 2. साँस लेने वाला; जीवित 3. आह भरने वाला।

श्वसुर (सं.) [सं-पु.] पति या पत्नी के पिता; ससुर।

श्वसेन (सं.) [सं-पु.] 1. साँस; श्वास; दम 2. जीवित रहने के लिए वह आवश्यक परिस्थिति जिसमें हवा, पानी आदि की उपलब्धता हो; जीवन।

श्वान (सं.) [सं-पु.] कुत्ता; कुक्कुर।

श्वापद (सं.) [सं-पु.] हिंसक पशु, जैसे- बाघ आदि।

श्वास (सं.) [सं-पु.] 1. नाक से प्राणवायु भीतर ले जाने तथा अंदर की वायु बाहर लाने की क्रिया; साँस 2. हाँफने की क्रिया 3. दमा नामक रोग।

श्वास-द्वार (सं.) [सं-पु.] 1. श्वास-नली 2. श्वास लेने का स्थान, जैसे- नासिका, मुख।

श्वासनली (सं.) [सं-स्त्री.] प्राणियों के गले का वह नलीनुमा भाग जहाँ से वे साँस लेते तथा छोड़ते हैं; (ट्रेकिया)।

श्वास-प्रश्वास (सं.) [सं-पु.] लेने व छोड़ी जाने वाली साँस।

श्वास-रोग (सं.) [सं-पु.] वह रोग जिससे साँस लेने में समस्या उत्पन्न होती है, जैसे- दमा, अस्थमा, तपेदिक, खाँसी आदि।

श्वासा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साँस; दम 2. प्राण; प्राणवायु।

श्वासोच्छवास (सं.) [सं-पु.] साँस लेने तथा छोड़ने की क्रिया; श्वसन।

श्वेत (सं.) [वि.] 1. सफ़ेद; उजला; धवल 2. निष्कलंक; गोरा; गौर 3. निर्मल; स्वच्छ।

श्वेतक (सं.) [सं-पु.] 1. चाँदी; रजत 2. पक्षियों आदि के अंडों के भीतर पाया जाने वाला एक प्रकार का सफ़ेद पोषक पदार्थ 3. कौड़ी 4. वराटक। [वि.] 1. सफ़ेद-सा 2. चाँदी-सा।

श्वेतकृष्ण (सं.) [सं-पु.] 1. पक्ष-विपक्ष; एक बात और दूसरी बात 2. एक प्रकार का विषैला कीड़ा। [वि.] सफ़ेद और काला।

श्वेतक्रांति [सं-स्त्री.] भारत में शुरू की गई एक बड़ी योजना या अभियान जिसका लक्ष्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना था; धवल क्रांति; दुग्ध क्रांति।

श्वेतपत्र (सं.) [सं-पु.] किसी महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा या स्पष्टीकरण के लिए प्रकाशित एक सरकारी विज्ञप्ति।

श्वेत-पुष्प (सं.) [सं-पु.] 1. सिंधुवार नामक पेड़ 2. सफ़ेद रंग के फूल।

श्वेतप्रदर (सं.) [सं-पु.] स्त्रियों का रोग जिसमें योनि से सफ़ेद रंग का गाढ़ा और बदबूदार तरल निकलता है; (ल्यूकोरिया)

श्वेतवाराह (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक कल्प का नाम जो ब्रह्म के मास का प्रथम दिन माना गया है 2. एक तीर्थ।

श्वेतसार (सं.) [सं-पु.] 1. अनाज, आलू आदि में पाया जाने वाला एक प्रमुख तत्व; (स्टार्च) 2. चावल का माँड़।

श्वेतांक (सं.) [सं-पु.] कागज़ पर विशेष विधि से बनाया गया हलका रंगहीन चिह्न, छाप या अक्षरावली; (वाटर-मार्क)।

श्वेतांग (सं.) [वि.] 1. श्वेत अंगवाला; गोरा; गौरांग 2. श्वेत वर्णवाला।

श्वेतांबर (सं.) [सं-पु.] 1. श्वेत या सफ़ेद रंग का वस्त्र 2. जैन धर्म में एक संप्रदाय जिसके मतानुयायी या उनकी मूर्तियाँ श्वेत वस्त्र धारण करते हैं।

श्वेतांशु (सं.) [सं-पु.] श्वेत किरणों वाला अर्थात चंद्रमा।

श्वेतिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्वेत होने की अवस्था या भाव; धवलता 2. सफ़ेदी; श्वेतता; रजतिमा 3. {ला-अ.} शुचिता।


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