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कविता

Stolpersteine

मार्क ग्रेनिअर

अनुवाद - रति सक्सेना


कोई काम में जुटा है... गड़े हुए पत्थरों को खोद निकालने का
काम ठीक लग रहा है... अफसर... हालाँकि वह सीमेंट की

धूल से भरा चमड़े का काउ बाय हेट पहना है

किसी ने किसी चीज के लिए जगह बनाई है, एक छोटा सा

पीतल जड़ा छोटा सा ब्लाक... एक चौकोर हथेली की छाप
उन अनाम लोगों के घरों के बाहर

किसी किसी ने अपना काम पहले से कर लिया है - HIER WOHNTE -
नाम, दिनांक, और जो कुछ मिला, जो कुछ रखा जा सकता है

किसी ने ठोंक दिया, अक्षर और नंबर को खोद दिया
हर गड्ढा सीधी पतरी की खामोशी से
हर शब्द मार से गुंजायमान

किसी ने तुम्हारी राह पर लगा दिए... कोई इन्हें कुचलता चला गया
एक गली अपनी आवाज को पहचान रही है... चमक का प्रेत
अंध बिंदु टिमटिमा कर बुझ रहे हैं

 


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