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कविता

दस बुलबुलाते विचार

मार्क ग्रेनिअर

अनुवाद - रति सक्सेना


1. वे दो संवेदनाएँ जो मेरे मुँह में हमेशा रहती हैं, वे हैं - पहले चुंबन की खूबसूरत झनझनाहट और पहले घोंघे का स्वाद
2. नींद का मटमैला रंग, और इन्हें रंगतश्तरी में मिलाता मन
3. हर कोई रूपकालंकार की तारीफ करता है, तभी तो हम समंदर से मोहित हो जाते हैं
4. सबसे उम्दा प्रेम (काम) हास्य के करीब होता है, कुछ मिनिटों में, क्षणों में, एक बदनुमा हिमशिला छोटे छोटे गड्ढों में बदल जाती है, एक कलदार पुल सीधे नीचे एक किले पर उतरता है, जो कि उछाह से भरा गढ़ में बदल जाता है... महान सात्विक जमीन के लिए कोई आशा नहीं
5. हर पेड़ बरसात की कामना रखता है
6. छोटी पत्रिकाएँ घृणास्पद चिल्लाती हैं - जानवर - व्हेल... लटौरा और लकड़बग्घे के लिए न भूले जाने वाली तौहीन है
7. जातिवाद पागल भेड़ का सहारा है, जो बदले के लिए अपनी ही ऊन उधेड़ लेती हैं, आँखों में बदले की भावना लिए
8. किसी मृत व्यक्ति की बुराई करना उसे जीवित रखने का बढ़िया तरीका है
9. मित्रों! कोई ना कोई रहस्य हर कोई पालता है
10. आला जिंदगी, और कोई तरीका है ?

 


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