hindisamay head


अ+ अ-

विमर्श

सार्वजनिक सत्यधर्म पुस्तक

जोतीराव गोविंदराव फुले


लक्ष्‍मण मनाजी : इस दुनिया में मानव नारी-पुरुष के लड़का या लड़की होते ही उनको कैसा लगता है?

जोतीराव फुले : मानव नारी-पुरुषों के लड़का या लड़की होते ही उनको बड़ी खुशी होती है यह बात सही है लेकिन यहाँ उनसे एक गलती भी होती है। नारी ने या पुरुष ने अपने पहले के बुरे गुणों का पूरी तरह से समूल त्‍याग नहीं किया तो उनसे पैदा हुए लड़के-लड़कियों का उनके (माता-पिता के) अंतिम समय में संपर्क में हरने से बहुत ही बुरा होनेवाला है।

लक्ष्‍मण : मानव माता-पिता को बच्‍चा पैदा होते ही उन्‍होंने अपने विद्यमान बुरे गुणों का यदि समूल त्‍याग नहीं किया तो उससे उनके लड़के-लड़कियों का नुकसान होने वाला है, वह किस प्रकार से?

जोतीराव : क्‍योंकि हम सभी के निर्माता ने मूलत: नारी और पुरुष को बहुत ही पवित्र और बहुत ही नाजुक पैदा किया है, यह उनके चेहरे से ही सिद्ध होता है, इसलिए मानव माँ-बाप में पहले से ही चोरी करने की जो आदत थी, उसको यदि वे अब भी कायम रखेंगे तो उसका उनके लड़के-लड़कियों के नाजुक दिलो-दिमाग पर चोरी करने का संस्‍कार पड़ जाएगा और वे बाद में फिर कभी भी चोरी करने की आदत का निषेध नहीं कर पाएँगे। उसी तरह माँ-बाप पहले से विद्यमान सभी बुरे आचार-विचार यदि अब भी कायम रखेंगे तो उनके लड़के-लड़कियों को सदगुणी होने में काफी दिक्‍कत सहनी पड़ेगी। इसलिए सभी माता-पिता को अपना लड़का या लड़की पैदा होते ही अपने भीतर के सभी बुरे संस्‍कारों को पूरी तरह से त्‍याग कर देना चाहिए, और स्‍वयं दुर्गुणों से मुक्‍त होकर अपने लड़के-लड़कियों को सत्‍य और सदाचरण के मंगलस्‍नान से नहीं नहलाया तो फिर उनको लाखों जल स्‍नान करवाने पर भी कोई फायदा नहीं! इस तरह से माता-पिता ने स्‍वयं सत्‍य सदाचार का मंगलस्‍नान करके अपने अज्ञानी-अनजान बच्चों को सत्‍य की राह पर लाने का यदि प्रयास किया तो उनके बच्‍चे सभी मानव नारी-पुरुषों को निस्‍संदेह बड़े प्‍यारे होंगे। लड़कों का या लड़कियों का जन्‍म होते ही उनके कुल में जो सत्‍य का आचरण करनेवाला होगा, उसको सबसे पहले उनको चूमना चाहिए। बाद में बच्चों के जन्‍मदाता माता-पिता को उनका चुंबन लेना चाहिए। फिर सभी संबंधियों, मित्रों, रिश्‍तेदारों को बड़ी शांति से सत्‍य का स्‍मरण करते हुए हम सभी के निर्माणकर्ता की कृपा के बारे में मधुर स्‍वरों में गायन करके मानव समाज के सभी अंधे, अपाहिज लोगों को अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार सहायता देकर सभी लोगों को आनंद और खुशी मनानी चाहिए।


>>पीछे>> >>आगे>>