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मुझे अधिकार था जीने और मरने का।
भरपूर लाभ उठाया मैंने जीने के अधिकार का
और मृत्यु के अधिकार को पूछा भी नहीं।
यह-व्यवहार का नैतिक तरीका है
जब युद्ध होते हैं या क्रांतियाँ।
हत्या किसी की भी न करो
चाहे वह जर्मन ही क्यों न हो
यदि ऐसा कर सकने की तनिक भी संभावना हो
फासिस्ट तक को भी न मारो!
दुश्मन यदि हार न माने
उसे पकड़ा जाता है
डाल दिया जाता है कैंद में
बड़े और साफ-सुथरे शिविर में।
काम कराया जाता है उससे
हर रोज आठ घंटे-इससे ज़्यादा नहीं।
उसे खाना दिया जाता है
सिखाया जाता है दुश्मन से दोस्त बनना।
युद्धबंदी देर-सवेर लौट जाते हैं अपने देश
युद्ध के बाद का समय
बन जाता है समय युद्ध के पहले का।
छठे विश्वयुद्ध की किस्मत निर्भर करती है इस पर
हम किस तरह पेश आये
पाँचवे विश्वयुद्ध के कैदियों के साथ।
अभिव्यक्ति, अंत:करण और सभाएँ।
करने के अधिकार से बड़ा
जीने का अधिकार है
किसी को दण्ड देने से अधिक क्षमादान करो
पूरा लाभ उठाओ जीने के अधिकार का
लाभ उठाओ जब तक अशक्त है मरने का अधिकार।
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