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दो गाड़ियों के बीच की प्रतीक्षा
या दो युद्धों के अंतराल के बीच
अजीब होते हैं नियम
और प्रथाएँ भी अजीब-सीं।
अभी बहुत देर इंतजार करना होगा
गाड़ी के गुजर जाने
या भविष्य के युद्ध का।
कालहीनता भी एक काल है
उसमें भी जिया जाता है
पर मालूम नहीं - कैसे?
ओ कालहीनता!
ओ अंतराल! ओ बीच की जगह!
कितना भयभीत रहा रहा मैं तुम्हारे सामने!
मैंने विश्वयुद्ध के दिनों में अपना रास्ता नहीं खोया
खोया नहीं मैं रात की किसी गाड़ी में
न ही विश्वयुद्ध जैसी किसी दूसरी घटना में
पर अब-मैं खो गया हूँ।
इंतजार करते रहना होगा
निर्णायक मोड़ तक।
पहुँचने देना होगा समय को
उसके अंतिम बिंदु तक। |
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