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(हमारे समय में हर तरह के दुष्ट-जीवन के प्रतिमान हैं
-जेम्स हेडली चेज।)
वहाँ कुछ है भी नहीं।
सिर्फ हवा है ढक्कन लगे बर्तनों के अंदर
और गर्भधारण किये दो अणु
अवसाद में डूबे हुए -
एक खिलौना-चूल्हा!
कृतज्ञता की बात ही नहीं चली -
कोई जरूरत नहीं।
डायन की आँखें की काफी हैं।
यदि आप का इतना ही आग्रह है
तो हल्की-सी कॉफी।
बेकार है पांडित्य
भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध
इस प्राचीन मंदिर में :
हर चीज के लिए
हर चीज के विषय में
कठोरता का हताश दर्शन।
फिर पूछा ही क्यों जाता है
प्रतिभाहीन दैत्यों के परम हर्ष का रहस्य?
बेकार, अर्थहीन… (ऐसी व्याख्याएँ हुई हैं)-
प्रकट होगी घास
या कुछ और नया
फोन करना कभी भी।
फेफड़ों में पानी नहीं पाया गया
न ही कोई जहर।
नये क्षितिज देखने की कामना करते हुए
खड़ा होना होगा चार पॉवों पर
(सब कुछ बताने का अवसर आयेगा)।
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